WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 3 आइए चलें प्रकृति की ओर

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WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 3 Question Answer – आइए चलें प्रकृति की ओर

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
पृथ्वी का अनुमानित वजन कितना है?
उत्तर :
पृथ्वी का अनुमानित वजन छ: ट्रिलियन टन एवरडो पाइज है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी किस चाल से सूर्य के चक्कर लगाती है?
उत्तर :
पृथ्वी आकाश में अपने रास्ते पर सूर्य के चारों तरफ एक सेकेण्ड में 18.5 मील की चाल से चक्कर लगाती है

प्रश्न 3.
रत्न प्रसविनी किसे कहा जाता है?
उत्तर :
पृथ्वी के गर्भ में कई रत्न और खनिज पदार्थ भरे रहने से पृथ्वी को रत्न प्रसविनी कहा जाता है।

प्रश्न 4.
पृथ्वी के संबंध में तीसरी आशर्शज्यजनक बात क्या है ?
उत्तर :
पृथ्वी के संबंध में तीसरी आश्र्यजनक बात पृथ्वी पर रहने वाले जीवों की उत्पत्ति है।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 3 आइए चलें प्रकृति की ओर

प्रश्न 5.
कबीरदास ने मनुष्य को कैसा प्राणी कहा है?
उत्तर :
कबबीदास ने मनुष्य को थलचर प्राणी अर्थात् पृथ्वी पर विचरने वाला जीव कहा है। इसलिए उसका कल्या इसी में है कि वह सदा-सर्वदा पृथ्वी से ही संसर्ग रखे।

प्रश्न 6.
पृथ्वी के अन्य कौन से नाम हैं?
उत्तर :
पृथ्वी के धरती, मिट्टी, धरित्री, धरा, क्षमा, रत्नगर्भा, वसुधा, वसुंधरा, वसुमती, रत्नप्रसविनी, रसा, अमृत आदि नाम हैं।

प्रश्न 7.
पृथ्वी में कौन-कौन से महत्वपूर्ण गुण पाए जाते है?
उत्तर :
पृथ्वी अनंत गुणों का भंडार है। पृथ्वी से ही अन्न उत्पन्न होते है। पृथ्वी से ही प्राणियों की उत्पत्ति तथा भरण पोषण होता है। पृथ्वी जीवन की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। पृथ्वी में विलक्षण अद्भुत शक्ति होती है पृथ्वी अनेक रोगों के लिए औषधि का काम करती है। पृथ्वी पर सोने से, नंगे पाँव चलने से शरीर स्वस्थ रहता है। समर खनिज तत्व पृथ्वी से पाए जाते हैं।

प्रश्न 8.
कौन-कौन से लोग प्राय: धरती के संपर्क से लाभ उठाया करते है?
उत्तर :
किसान, साधु-सन्यासी, पशु, सभी जीव जन्तु, धरती के संपर्क से लाभ उठाते है।

प्रश्न 9.
धरती पर सोने से क्या लाभ है?
उत्तर :
धरती पर सोना अत्यंत लाभदायक है। धरती पर सोने से कुषक या बाग के माली को अतिशय सुख शांति व अनुभूति होती है। धरती पर सोने से बड़ी शांति मिलती है, चिंता, बेचैनैी दूर होती है। पेट के रोग दूर होते है । उदर, आँ हृदय आदि अपना काम जोरों से करते हैं। विजातीय द्रव निकल जाता है। शरीर निर्मल और नवीन हो जाता है। अनिड रोग दूर हो जाता है।

प्रश्न 10.
किन वानप्रस्थियों व संन्यासियों ने पृथ्वी के संसर्ग से शक्ति ग्रहण की?
उत्तर :
प्रसिद्ध योगी भर्तृहरी गोपीचंद तथा राम, लक्ष्मण आदि ने पृथ्वी के संसर्ग से शक्ति प्राप्त की। प्राचीन भारत के गुरु में विधार्थी भूमि पर सोकर ही ज्ञान प्राप्त करते थे। वानप्रस्थियों एवं संन्यासियों को पृथ्वी पर ही सोने की व्यवस्था थी।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 3 आइए चलें प्रकृति की ओर

प्रश्न 11.
‘पृथ्वी के जीव पृथ्वी के सीधे संसर्ग से नीरोग रहकर लंबी आयु प्राप्त कर सकते हैं।’ इस कथन से तुम क्या समझते हो?
उत्तर :
पृथ्वी पर जीवों की उत्पत्ति पृथ्वी से हुई है। संपूर्ण प्राणी पृथ्वी से ही उत्पन्न होते हैं। इसलिए पृथ्वी से सीधा संस से प्राणियों में जीवन शक्ति की यथेष्ट उपलब्धि होती है। पृथ्वी हमारे शरीर पर स्वास्थय रस की वर्षा करती है। फलस्वरू जीव नीरोग रहकर दीर्घायु प्राप्त करता है। पृथ्वी से जो पोषण मिलता है। उससे आरोग्य, बल एवं दीर्घ जीवन की प्रापि होती है।

WBBSE Class 6 Hindi आइए चलें प्रकृति की ओर Summary

विज्ञान की प्रगति के साथ-साथ मानव प्रकृति से दूर होता गया है। यही कारण है कि वह अनेक रोग और समस्याओं से ग्रसित हो गया है। यहाँ प्रकृति के एक तत्व ‘पृथ्वी तत्व’ के महत्व को बताया गया है

WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 2 टोपी शुक्ला

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WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 2 Question Answer – टोपी शुक्ला

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
इफ्फ्रन ‘टोपी शुक्ला’ की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
उत्तर :
इफ्फन ‘टोपी शुक्ला’ कहानी का महत्त्व पूर्ण हिस्सा है। वास्तव में टोपी शुक्ला का पहला दोस्त था। यद्यपि दोनों के धर्म खान-पान भिन्न थे, फिर दोनों में गहरी आत्मीयता थी। माँ के मना करने पर भी टोपी दोस्त इफ्फन के घर जाना बन्द न किया। इफ्फन की दादी से भी टोपी का गहरा लगाव था। जब वह इफ्फन के घर जाता तो उसकी दादी के पास ही बैठने की कोशिश करता। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि इफ्फन ‘टोपी शुक्ला’ कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा इफ्फन के बिना कहानी अधूरी रह जाएगी।

प्रश्न 2.
इफ्फन की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थी?
उत्तर :
इफ्फ़न की दादी पूरब की थी। वह एक जमींदार की बेटी थीं वहाँ का वातावरण उन्मुक्त स्नेहपूर्ण था। लखनऊ ससुराल में इन्हें मौलविन बनना पड़ा। पति मौलवी थे। मायके का प्रेमपूर्ण स्वच्छन्द वातावरण यहाँ नहीं था। वहाँ वे उल्लासपूर्ण आनंदमय जीवन जीती थीं। यहाँ पिंजड़े के पक्षी की तरह जीवन बिताना पड़ता था। इसलिए वे अपने पीहर जाना चाहती थीं, ताकि उस जमींदारी वातावरण में कुछ दिन आनंद उल्लासमय जीवन जी सकें।

प्रश्न 3.
इफ्फ्रन की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाई?
उत्तर :
इफ्फन के दादा मौलवी थे। मुस्लिम धर्म की कट्टरता के कारण मौलवी के घर गाना बजाना नहीं हो सकता था। समाज की रीतियों तथा परंपराओं का पालन तो एक मौलवी परिवार को करना ही था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विवाह आदि अवसरों पर गाना-बजाना वर्जित था। दादी का दिल गाने बजाने को लेकर मसोस कर रह गया।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 2 टोपी शुक्ला

प्रश्न 4.
‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घरवालों की प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
टोपी के मुँह से ‘अम्मी’ शब्द सुनते ही घर वालों के कान खड़े हो गए। दादी ने गरजते हुए पूछा कि अम्मी कहना तुम्हें किसने सिखाया हैं। टोपी ने इफफ्फन का नाम लिया। तब दादी ने समझ लिया कि इसने किसी मुस्लिम लड़के से दोस्ती की है। उस दिन टोपी की बड़ी बुरी दशा हो गई। उसे अच्छी मार खानी पड़ी। किसी मुस्लिम लड़के से दोस्ती करना उसकी भाषा बोली सीखना यह परिवार वालों को मंजूर न था।

प्रश्न 5.
दस अक्टूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्व रखता है?
उत्तर :
दस अक्टूबर सन्यैंतालीस को टोपी के गहरे दोस्त इफ्फन के पिता की बदली हो गई और वे सपरिवार मुरादाबाद चले गए। टोपी का सबसे प्यारा एक मात्र दोस्त बिछ्ुु गया। अब टोपी अकेला हो गया। टोपी का दिल टूट गया। इसलिए टोपी ने दस अक्टूबर सन्पैंतालिस को कसम खाई कि अब वह किसी ऐसे लड़के से दोस्ती नहीं करेगा जिसका बाप ऐसी नौकरी करता हो जिसमें बदली होती रहती है।

प्रश्न 6.
टोपी ने इफ्फ्रन से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर :
टोपी को अपनी दादी से नफरत थी। दादी की भाषा को भी नहीं समझ पाता था। दादी उसके साथ स्नेहपूर्ण मधुर व्यवहार भी नहीं करती थी। इफ्फन की दादी की भाषा और व्यवहार को वह पसन्द करता था। वह जब इफ्फन के घर जाता तो उसकी दादी के पास ही बैठने की कोशिश करता। उनकी बोली, कहानियाँ टोपी के दिल पर उतर गई थी। इसी कारण टोपी ने इफ्फन से दादी बदलने की बात कही।

प्रश्न 7.
पूरे घर में इफ्फन को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर :
इफ्फन की अम्मी कभी उसे डाँट मार लिया करती थीं। अब्बा भी कभी-कभी उसे सजा दे दिया करते थे। नुजहत उसकी कापियों पर तस्वीरें बनाने लगती थी। केवल दादी कभी भी उसका दिल नहीं दुखाती थी। दादी की भाषा उसे अच्छी भली लगती थी। दादी उससे अपार सेह रखती थी। वह रात को उसे अच्छी-अच्छी कहानियाँ सुनाया करती थीं। इसीलिए पूरे घर में इफ्फन को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह था।

प्रश्न 8.
इफ्फ्रन की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली सा क्यों लगा?
उत्तर :
इफ्फन की दादी और टोपी में नि:-स्वार्थ प्रेम का संबंध था। दोनों अलग-अलग अधूरे थे। एक ने दूसरे को पूरा कर दिया। दोनों ने एक दूसरे का अकेलापन मिटा दिया था। टोपी जब भी इफ्फन के घर जाता तो दादी के पास ही बैठता। दादी की पूरबी भाषा बोली में उसे अपनत्व मालूम होता था। दादी की कहानियाँ सुनकर वह मुण्ध हो जाता था। इसलिए दादी के न होने से टोपी के लिए उसका खाली सा लगा।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 2 टोपी शुक्ला

प्रश्न 9.
टोपी और इफ्फ्रन की दादी अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
टोपी और इफ्फन की दादी अलग मजहब और जाति के थे। दादी के बार-बार कहने पर भी टोपी कभी उनके हाथ की कोई चीज नहीं खाई थी। पर प्रेम इन बातों का पाबंद नहीं होता। टोपी और दादी के बीच ऐसा ही सेह का संबंध हो गया था। दादी की पूरबी भाषा-बोली टोपी को अपनी माँ के समान प्यारी लगती थी। उसे दादी के संग आत्मीयता का अपनेपन का बोध होता था। सच्चा स्नेह मजब और जाति को नहीं समझता। यह दिल की भाषा है। सेह की न कोई जाति होती है न मजहब टोपी को अपने घर में अपनी दादी अथवा अन्य जनों से केवल डाँट फटकार मिलती थी पर इफ्फन की दादी का मधुर स्नेह उसके दिल को सुधा की धारा से तृप्त कर देता था। अतः दोनों एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे।

प्रश्न 10.
जहीन होने के बावजूद टोपी को कक्षा में दो बार फेल होने के क्या कारण थे?
उत्तर :
जहीन होने के बावजूद टोपी कक्षा में दो बार फेल हो गया। वास्तव में कोई उसे पढ़ने नहीं देता था। जब वह पढ़ने बैठता तो मुन्री बाबू या रामदुलारी किसी काम के लिए भेज देते। उसे फुरसत से पढ़ने का अवसर न मिलता। दूसरे साल उसे टाइफाइड हो गया जिससे पढ़ न सका। इस प्रकार घरवाले किसी न किसी काम में उसे व्यस्त रख कर उसकी पढ़ाई में बाधा डालते थे।

प्रश्न (ख) एक ही कक्षा में दो बार बैठने से लड़के उसका उपहास करते थे। कक्षा के नये लड़कों से उसकी दोस्ती नहीं हो पाती थी। मास्टर जी कमजोर लड़कों को समझाते तो उसकी मिसाल देते थे। वह अपने स्कूल में भी अकेला हो गया था। कोई उसका दोस्त नहीं रह गया। मास्टर लोग भी उसपर ध्यान नहीं देते थे। कोई भी मास्टर उससे सवाल का जवाब नहीं पूछता था। वे भी उसकी उपेक्षा करते थे। इस प्रकार के व्यवहार से टोपी के मन में हीन ग्रंथि का बोध होने लगा।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 2 टोपी शुक्ला

प्रश्न 11.
टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्देनजर रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए?
उत्तर :
टोपी की भावात्मक परेशानियों को दृष्टिगत रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में कुछ बदलाव करना चाहिए। फेल होकर उसी कक्षा में नये बच्चों के साथ बैठने पर उस लड़के के मन में निराशा, कुठा तथा हीनता का बोध होने लगता है। इसलिए शिक्षा प्रणाली में यह परिवर्तन करना चाहिए कि किसी लड़के को उसी कक्षा में दूसरी बार पिछली कक्षा के विद्यार्थियों के साथ न बैठना पड़े। फेल हुए छात्र की दुबारा परीक्षा लेकर उसे उत्तीर्ण कर देना चाहिए। अभिभावक को भी यह परामर्श देना चाहिए कि लड़के पर विशेष ध्यान दें। उसी कक्षा में दुबारा या तिबारा रहने पर लड़के के मन में हीन प्रंथि पैदा हो जाती है। उसके मन का उत्साह खतम हो जाता है। एक ही कक्षा में दो बार रहने से लड़के पढ़ने में अधिक तेज हो जाएंगे यह सोचना भ्रम है।

प्रश्न 12.
इफ्फन की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उत्तर :
सन् सैतालीस में आजादी के बाद देश का विभाजन हो गया। भारत और पाकिस्तान दो देश बन गए। ख्वेच्छा से जो मुसलमान जाना चाहे वे पाकिस्तान चले गए। इफ्फन की दादी के मायके वाले भी पाकिस्तान चले गएं और कराची में बस गए। उनके मकान का कोई वारिश यहाँ न रहा इसलिए भारत सरकार ने उसे कस्टोडियन में डाल दिया। इसलिए घर कस्टोडियन में चला गया।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 1 हरिहर काका

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WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 1 Question Answer – हरिहर काका

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है? और इसके क्या कारण हैं?
उत्तर :
हरिहर काका की जिन्दगी से कथावाचक का गहरा लगाव है। दोनों एक दूसरे के पड़ोसी हैं। हरिहर काका बचपन में कथावाचक को बहुत प्यार करते थे। अपने कंधे पर बैठा कर घुमाया करते थे। पिता से भी अधिक प्यार करते थे। सयाना होने पर भी पहली दोस्ती कथावाचक की हरिहर काका के साथ हुई। काका कुछ भी नहीं छिपाते थे। खूब खुलकर बातें करते थे।

प्रश्न 2.
हरिहर काका को गाँव के महंत ने क्या समझाया?
उत्तर :
हरिहर काका को महंत ने समझाया कि इस संसार में कोई किसी का नहीं है। पत्नी, पुत्र, भाई, बन्धु सभी स्वार्थ के साथी हैं। बिना स्वार्थ के कोई नहीं पूछता। सारे रिश्ते नाते झूठें हैं। तुम्हारे हिस्से में पन्द्रह बीघे जमीन है, उसी के चलते तुम्हारे भाई के परिवार तुम्हें पकड़े हुए हैं। जिस दिन समझेंगे कि खेत नहीं मिलेगा उस दिन बोलना भी बन्द कर देंगे। खून का रिश्ता समाप्त हो जाएगा। तुम्हारे भले के लिए कहता हूँ कि अपनी जमीन ठाकुर जी के नाम लिख दो। तुम सीधे बैकुंठ को प्राप्त करोगे। सर्वत्र तुम्हारा यश गान होगा। तुम्हारा जीवन सार्थक हो जाएगा। अपना शेष इस ठाकुरबारी सानंद व्यतीत करो (तुम्हें किसी चीज का अभाव नहीं रहेगा। हम लोग आपकी तन मन से सेवा करेंगे। तुम्हारा यह लोक और परलोक दोनों बन जाएगा।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 1 हरिहर काका

प्रश्न 3.
हरिहर काका के साथ घर की बहुओं का व्यवहांर कैसा था?
उत्तर :
हरिहर काका के साथ घर की बहुओं का व्यवहार संतोषजनक नहीं था। उनके खान-पान और और सुखसुविधा के प्रति बहुएँ उदासीन रहती थीं। उनकी खोज-खबर नहीं लेती थी। काका को बचा-खुचा रुखा-सूखा भोजन मिलता था। अपने पतियों को अच्छे-अच्छे व्यंजन खिलाती थीं। जब काका की तबीयत खराब हो जाती थी तो बहुएँ उनकी और उपेक्षा करती थीं। सभी अपने कामों में लगी रहती, काका को भोज्जन पानी भी नहीं पूछती कोई उनकी हाल पूछने भी नहीं आता। दालान में अकेले पड़े हरिहर काका स्वयं उठकर अपनी जरूरतों को पूरा करते थे। इस प्रकार बहुओं के रुखे व्यवहार से काका क्षुक्ध हो उठे।

प्रश्न 4.
ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
उत्तर :
ठाकुरबारी के प्रति गाँववालों के मन में अपार श्रद्धा के भाव से यह बात स्सष्ट होती है कि गाँववाले धार्मिक मनोवृत्ति के थे। वे धर्मभीरु होने के कारण धर्म परायण थे। वे भाग्यवादी बन गए थे। वे सोचते थे कि ठाकुरबारी के देवता की कृपा तथा महंत एवं पुजारी के आशीर्वाद से ही उनके जीवन में खुशियाँ आ सकती हैं और वे जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं। यही अंधविश्चास की रुढ़िवादी बना दिया था। इसी कारण उनके मन में ठाकुरबारी के प्रति अपार श्रद्धा भरी हुई थी।

प्रश्न 5.
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हरिहर काका अनपढ़ होते हुए भी मूर्ख नहीं थे। संसार और समाज के अनुभव ने उन्हें चतुर और समझदार बना दिया था। दुनियादारी का, लोगों के छल, कपट, स्वार्थ पूर्ण बातों का रहस्य उन्हें मालूम हो गया था। जिदंगी में अपनी जमीन उन्हें किसी को नहीं लिखनी है, इस मुद्दे पर वे जागरुक हो गए थे। वे जमीन के महत्व को समझते थे। सोचते थे कि इस जमीन के कारण ही परिवार उनकी सेवा करता है। सम्पत्ति रहित व्यक्ति को सगे भाई भी नहीं पूछते। लाख प्रयत्न करने, चिकनी चुपड़ी बातें करने के बावजूद उन्होंने महंत जी तथा अपने भाइयों को जमीन लिखने के लिए तैयार न हुए। हरिहर काका एक सीधे-सादे और भोले किसान की अपेक्षा ज्ञानी और चतुर हो गए थे। जमीन लिखने के लिए भाइयों के द्वारा आग्रह करने पर हरिहर काका ने स्पष्ट कह दिया कि मेरे बाद तो मेरी जायदाद इस परिवार को स्वत: मिल जाएगी, इसलिए लिखने का कोई अर्थ नहीं। महंत ने अँगूठे के जो जबरन निशान लिए हैं, उसके खिलाफ मुकदमा हमने किया ही है।

प्रश्न 6.
हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
उत्तर :
हरिहर काका के मामले में गाँव के लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में दो वर्गों में बँटने लगे थे। एक वर्ग के लोग चाहते थे कि हरिहर अपने हिस्से की जमीन ठाकुर जी के नाम लिख दें। इससे उनकी कीर्ति अचल हो जाएगी। इससे उत्तम कुछ नहीं है। इससे यह ठाकुरबारी राज्य में सबसे बड़ी ठाकुरबारी बन जाएगी। इस वर्ग के लोग धार्मिक संस्कारों के थे और ठाकुरबारी से जुड़े हुए थे। दूसरे वर्ग में प्रगतिशील विचारों वाले किसान हैं। इनकी मान्यता थी कि भाई का परिवार तो अपना ही होता है। अपनी जायदाद उन्हें न देना उनके साथ अन्याय करना होगा। इसलिए हरिहर काका को अपनी जमीन भाइयों के नाम कर देना ही उचित और न्यायपूर्ण है।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 1 हरिहर काका

प्रश्न 7.
‘अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है। ‘इस पंक्ति के आधार पर लेखक के मंतव्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हरिहर काका के भाई हथियार ले कर उनसे कहने लगे कि अंगूठे के निशान बनाते चलो नहीं तो घर के अंदर मार कर गाड़ देंगे। पर हरिहर काका मृत्यु से डरने वाले नहीं थे, क्योंकि उन्हें अब सच्चा ज्ञान हो गया था कि यदि वे सब एक ही बार मार दें तो वह ठीक होगा सारे बाकी जीवन में घुट-घुटकर मरना ठीक नहीं होगा। अभी जमीन लिख देने पर दो जून का खाना भी नहीं मिलेगा, भयंकर दुर्गति होगी। वह यह भी जानते थे कि लाख धौंस दिखाएँ पर वे मेरी हत्या नहीं कर सकते।

प्रश्न 8.
समाज में रिश्ते की क्या अहमियत है ? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
समाज में रिश्तों का महत्व्व निर्विवाद है। रिश्ते ही समाज की आधारशिला हैं। आज हर व्यक्ति, परिवार, समाज रिश्तों से ही जुड़ा हुआ है। रिश्तों के बिना जीवन नीरस हो जाएगा। समाज की सारी आधाराशिला रिश्तों की डोरी से बँधी है। बिना रिश्ते के समाज परिवार विश्रृंखल हो जाएगा। आपसी प्रेम सौहार्द्र सब समाप्त हो जाएगा। रिश्ते नि:स्वार्थ भाव भूमि पर आधारित हों तो स्थायित्व बना रहता है पर स्वार्थ का कीड़ा पुष्परूपी रिश्तें को खोखला बना देता है। यद्यपि आधुनिक युग में लोगों में स्वार्थ की प्रबल भावना आ गई है चारों और आपाधापी मची है इसलिए रिश्ते की पृष्ठभूमि खिसकती नजर आती है। बिना स्वार्थ के लोगों को रिश्ते को निर्वाह करना चाहिए। जीवन की सच्ची मिठास रिश्ते के पवित्र निर्वाह से मिलती है।

प्रश्न 9.
यदि हरिहर काका के गाँव में मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
यदि हरिहर काका के गाँव में मीडिया की पहुँच होती तो काका की स्थिति में कोई सुधार या परिवर्तन न होता। बस इस कथा का जोरदार प्रचार और हंगामा होता। घटना का प्रचार और चर्चा अभी गाँव में ही थी तब मीडिया के कारण प्रचार तंत्र बढ़ जाता। समाचार पत्रों तथा टी.वी की प्राइम टाइम में जगह मिल जाती। लोगों की मन में कुतूहल होता। मीडिया के सामने अगर भाई लोग रहते तो अपनी बात कहते। महंत जी अपनी सेवा भावना की बात रखते। गाँव के दोनों वर्ग के लोग अपने ढंग से समस्या रखते। मीडिया से हरिहर काका की समस्या का समाधान संभव नहीं था। हाँ, पुलिस सक्रिय होकर जाँच-पड़ताल में जुट जाती।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 1 हरिहर काका

प्रश्न 10.
हरिहर काका अपनी समस्याओं से कैसे निकल पाते हैं?
उत्तर :
हरिहर काका सूझबूझ वाले चतुर और समझदार व्यक्ति थे। वे दृढ़ और अटल विचार के थे। उनके भाइयों ने सदा उनके सामने स्नेह और प्रेम प्रदर्शित किया, फिर उनके साथ निर्भय अमानुषिक व्यवहार किया। उधर महंतजी ने पहले बड़े ही आत्मीय ढंग से लौकिक एवं पारलौकिक सुखद स्वर्ग का प्रलोभन दिया, इसमें सफल न होने पर जोर जबर्दस्ती तथा अमानवीय व्यवहार किया। पर हरिहर काका सदा दृढ़ बने रहे, कभी किसी के सामने घुटने नहीं टेके।

भयभीत नहीं हुए। वे अपनी जमीन के महत्त्व को समझते थे। जमीन ही उनके जीवन का आधार थी। अपने जीते जी वे अपनी जमीन लिखने को राजी न हुए । उन्होंने कानून और पुलिस का सहारा लिए। अपनी दृढ़ता, आत्मविशास, निर्भयता तथा कानून का सहारा लेकर वे समस्याओं से निकल कर शेष जीवन अपने ढ़ंग से बताने लगे। एक नौकर रख लिए, जो उनकी रुचि और इच्छा के अनुसार बनाता खिलाता है। पुलिस के जवान उनकी रक्षा में तैनात है।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions एकांकी Chapter 1 ऐसे-ऐसे

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WBBSE Class 6 Hindi Solutions एकांकी Chapter 1 Question Answer – ऐसे-ऐसे

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
नटखट बालक मोहन की क्या उप्र है ?
(क) छ:-सात वर्ष
(ख) आठ-नौ वर्ष
(ग) नौ-दस वर्ष
(घ) पाँच-छ: वर्ष
उत्तर :
(ख) आठन नौ वर्ष।

प्रश्न 2.
मोहन कौन सी कक्षा में पढ़ता है ?
(क) दूसरी
(ख) तीसरी
(ग) चौथी
(घ) पाँचवीं
उत्तर :
(ख) तीसरी।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions एकांकी Chapter 1 ऐसे-ऐसे

प्रश्न 3.
किसके पेट में ऐसे-ऐसे होता है ?
(क) मोहन के
(ख) सोहन के
(ग) रोहन के
(घ) राजन के
उत्तर :
(क) मोहन के ।

प्रश्न 4.
‘क्यों हो गया, दोपहर को भला चंगा गया था’ – वक्ता कौन है ?
(क) माँ
(ख) पिता जी
(ग) भाई
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) माँ।

प्रश्न 5.
मोहन पर किसने सहानुभूति दिखलाई ?
(क) माँ ने
(ख) राम ने
(ग) दीनानाथ ने
(घ) पिताजी ने
उत्तर :
(ग) दीनानाथ ने।

प्रश्न 6.
वैद्य जी ने आकर क्या देखा ?
(क) जीभ
(ख) आँख
(ग) दाँत
(घ) पेट
उत्तर :
(क) जीभ।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions एकांकी Chapter 1 ऐसे-ऐसे

प्रश्न 7.
सबसे पहले मोहन का इलाज किसने किया ?
(क) वैद्यजी
(ख) डॉक्टर जी
(ग) मास्टर जी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) वैद्यजी।

प्रश्न 8.
वैद्य जी कितने रुपये लेकर चले गये ?
(क) पाँच रुपये
(ख) छ: रुपये
(ग) सात रुपये
(घ) दस रुपये
उत्तर :
(क) पाँच रुपये।

प्रश्न 9.
डॉक्टर साहब कितने रुपये लेकर चले गये ?
(क) पाँच्र रुपये
(ख) छ: रुपये
(ग) सात रुपये
(घ) दस रुपये
उत्तर :
(घ) दस रुपये।

प्रश्न 10.
‘डॉ० साहब कुछ समझ में नहीं आता।’ यहाँ वक्ता कौन है ?
(क) पिता
(ख) माता
(ग) वैद्यजी
(घ) मास्टर जी
उत्तर :
(क) पिता।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions एकांकी Chapter 1 ऐसे-ऐसे

प्रश्न 11.
मोहन की बीमारी सुनकर कौन आ गया ?
(क) मास्टर जी
(ख) वैद्य जी
(ग) डॉक्टर साहब
(घ) पिता जी
उत्तर :
(क) मास्टर जी।

प्रश्न 12.
‘हूँ ! शायद सवाल रह गए हैं।’ यहाँ वक्ता कौन है ?
(क) मास्टर जी
(ख) वैद्य जी
(ग) पिता जी
(घ) डॉक्टर जी
उत्तर :
(क) मास्टर जी।

प्रश्न 13.
पिता जी को किसने खूब छकाया ?
(क) मोहन ने
(ख) वैद्य ने
(ग) मास्टर ने
(घ) माँ ने
उत्तर :
(क) मोहन ने।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
बीमार विद्यार्थी का नाम क्या है ?
उत्तर :
बीमार विद्यार्थी का नाम मोहन है।

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प्रश्न 2.
मोहन के पिता जी के अनुसार मोहन ने क्या खाया था ?
उत्तर :
मोहन के पिता जी के अनुसार मोहन ने एक केला और एक संतरा खाया था।

प्रश्न 3.
मोहन के पिता जी किस न० पर फोन मिलाते हैं ?
उत्तर :
मोहन के पिता जी 43332 न० पर फोन मिलाते हैं।

प्रश्न :
डॉ० के अनुसार मोहन को कौन-सी बीमारी है ?
उत्तर :
डॉं० के अनुसार मोहन को कब्ज, बदहजमी, हवा रुक जाने की बीमारी है ?

प्रश्न 4.
मोहन ने महीना भर क्या किया ?
उत्तर :
मोहन ने महीना भर मौज किया। स्कूल का काम नहीं किया।

प्रश्न :
मोहन क्या क्या खाया था ?
उत्तर :
मोहन एक केला और एक संतरा खाया था।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions एकांकी Chapter 1 ऐसे-ऐसे

प्रश्न 5.
मोहन क्या रट लगाये रहता था ?
उत्तर :
मोहन एक ही रट लगाए रहता था कि उसके पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है।

प्रश्न 6.
मोहन को किन चीजों से कोई लाभ नहीं हुआ ?
उत्तर :
हींग, चूरन, पिपरमेंट आदि से कोई लाभ नहीं हुआ।

प्रश्न 7.
मास्टर साहब ने मोहन से क्या कहा ?
उत्तर :
मास्टर साहब ने मोहन से कहा कि दर्द दूर हो जाएगा। कल स्कूल मत आना।

प्रश्न 8.
मास्टर जी के पूछने से मोहन ने क्या स्वीकार किया ?
उत्तर :
मोहन ने स्वीकार किया कि स्कूल का काम नहीं किया है।

प्रश्न 9.
मोहन की माँ ने मोहन के पिताजी को क्या बतलाया ?
उत्तर :
माँ ने बतलाया कि यह दर्द नहीं, स्कूल का काम न करने का डर है।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न क.
मोहन बीमारी का बहाना क्यों बनाता है ?
उत्तर :
मोहन ने महीने भर मौज-मस्ती की। स्कूल का गृहकार्य नहीं किया। आज उसे ख्याल आया। इसी डर के कारण स्कूल के काम से बचने के लिए बीमारी का बहाना बनाता है।

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प्रश्न ख.
वैद्य जी ने मोहन को कौन-कौन सी बीमारी बताई ?
उत्तर :
वैद्य जी ने बताया कि मोहन को कब्ज है, पेट साफ नहीं हुआ। मल रुक जाने से वायु बढ़ गई है।

प्रश्न ग.
मोहन की बीमारी को मास्टर साहब कैसे पकड़ लेते है ?
उत्तर :
मास्टर साहब को यह अनुभव था कि काम चोर लड़के स्कूल के काम से बचने के लिए बीमारी का बहाना बना लेते हैं। मोहन ने कुछ खाया भी नहीं था, पेट में दर्द होने का कोई कारण नहीं। मास्टर साहब ने मोहन से पूछ कर जान लिया कि उसने स्कूल का काम नहीं किया है। इसी से मोहन को बीमारी ने पकड़ लिया।

प्रश्न घ.
माँ मोहन के ऐसे-ऐसे कहने पर क्यों घबड़ा रही थी ?
उत्तर :
मोहन की दिखावटी तकलीफ को देखकर माँ ने सोचा कि यह कोई बड़ी खराब बीमारी है। इसे जरा भी कम नहीं हो रही है। हींग, चूरन, पिपरमेंट सब दे चुकी पर जरा भी आराम न हुआ। यह कोई नई बीमारी है। इसका मुँह उतर गया है। चेहरे पर हवाइयाँ उड़ रही हैं। इसीलिए माँ घबड़ा गई।

प्रश्न ड.
ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं। कुछ ऐसे बहानों के बारे में लिखो।
उत्तर :
पेट में दर्द और सिर दर्द ऐसे बहाने हैं, जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं। कुछ लड़के घरेलू काम का बहाना बनाते हैं। कुछ माता के बीमार होने, डाक्टर के यहाँ जाने का बहाना बनाते हैं।

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प्रश्न च.
‘वाह, बेटा जी वाह! तुमने तो खूब छकाया।’ कहने से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
बालक की बहाने बाजी को जान कर पिता ने मोहन पर व्यंग्य करते हुए कहा कि उसने सभी को हैरान कर दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न :
‘ऐसे-ऐसे’ एकांकी के आधार पर मास्टर साहब की चरित्रगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
मास्टर साहब सच्चे अर्थों में परोपकारी, दूसरों के शुभचिन्तक तथा सज्जन थे। शिष्यों के प्रति उनके मन में गहरी सहानुभूति थी। मोहन के बारे में ऐसे-ऐसे कारण से उसके पूरे घर में कोहराम मच गया। उसकी माँ, पिताजी सभी परेशान हो गये। डाक्टर और वैद्य जी भी बुलाये गये पर उसकी बीमारी कम न हो सकी।

मोहन की बीमारी की खबर सुनकर बिना बुलाये ही मास्टर साहब स्वत: उसे देखने और संवेदना प्रकट करने के लिए आ गये। मोहन की माँ से उन्होंने मोहन के खाने-पीने के विषय में पूछ लिया। पता चला कि मोहन कुछ भी ठोस वस्तु नहीं खाया था। मास्टर साहब बड़े ही अनुभवी थे, बच्चों के मनोविज्ञान को भली-भाँति समझते थे। गृह कार्य न करने वाले बच्चे क्या-क्या बहाने बनाते हैं।

इसका भी उन्हें पूरा अंदाज था। उन्होंने मोहन की माँ से बतलाया कि शायद मोहन को न खाने का दर्द है। उसी में ऐसेऐसे होता है। मोहन की दवा वैद्य एवं डाक्टर के पास नहीं है। इसकी ऐसे-ऐसे की बीमारी को मैं जानता हूं। प्राय: मोहन जैसे लड़कों को यह हो जाती हैं। फिर उन्होंने मोहन से कहा कि डरो मत तुम्हारा दर्द अब दूर हो जाएगा। कल स्कूल मत आना । मास्टर जी ने पूछा कि स्कूल का काम उसने पूरा कर लिया है या नहीं । कुछ देर रहने के बाद मोहन ने इनकार में सिर हिला दिया।

मास्टर जी समझ गये कि सवाल इसने नहीं किया है। इस प्रकार मास्टर जी ने बता दिया कि ऐसे-ऐसे काम न करने का डर है। वास्तव में मोहन के महीना भर मौज में रहने से स्कूल का काम रह गया था। आज ख्याल आया कि डर के मारे पेट में ऐसे-ऐसे होने लगा। इसकी दवा मेरे पास है। स्कूल से मैं तुम्हें दो दिन की छुट्टी देता हूँ उसमें काम पूरा कर लेना और ऐसे-ऐसे बीमारी दूर भाग जायेगी। अतः उठकर सवाल शुरू कीजिए और खाना खा लीजिए। इस प्रकार अनुभवी मास्टर जी ने मोहन की ही नहीं सारे घर की परेशानी दूर कर दी।

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भाषा-बोध :

(क) पाँच-पाँच संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्दों को चुनिए।
संज्ञा शब्द – मोहन, संतरा, घर, पिता, वायु।
सर्वनाम शब्द – मैंने, कुछ, आपकी, हमारी, आप ने।
विशेषण शब्द – भला, पाँच, नयी, खराब, अच्छा।

WBBSE Class 6 Hindi ऐसे-ऐसे Summary

जीवन-परिचय :

विष्णु प्रभाकर का जन्म 1912 ई० में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुआ था। ये प्रसिद्ध नाटककार तथा एकांकीकार हैं। इनकी प्रमुख नाटक रचनाएँ-डाक्टर, नवप्रभात, समीप, होरी आदि हैं। इनके एकांकी संग्रह-दश बजे रात, क्या वह दोषी था, प्रकाश और परछाई आदि हैं। एकांकी रचना के क्षेत्र में इनका योगदान सराहनीय है।

पाठ का सारांश – एकांकी का मुख्य पात्र आठ-नौ वर्ष का एक नटखट बालक मोहन है। वह तीसरी कक्षा में पढ़ता है। वह बेचैनी से बार-बार पेट को पकड़ता है। उसके माता-पिता उसके पास बैठे हैं। माँ बोतल लेकर पेट सेकती है। वह केवल एक केला और एक संतरा खाया था। कुछ अंट-संट नहीं खाया था। एक ही रट लगाए रहता था कि उसके पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है। माँ सोचने लगी कि यह ऐसे-ऐसे कोई नई बीमारी तो नहीं है। माँ ने हींग, चूरन, पिपरमेंट आदि दिया पर कोई लाभ न हुआ। दोपहर को भला चंगा था पर एकाएक न जाने क्या हो गया।

पड़ोसी दीनानाथ ने भी सहानुभूति दिखलाई। वैद्य जी को बुलाया। वैद्य जी ने आकर जीभ देखा, नाड़ी दबाया। फिर बताया कि इसे वात का प्रकोप है। कब्ज है, पेट साफ नहीं हुआ है, वैद्य जी ने दवा की पुड़िया भेज दी और आधे-आधे घंटे पर गरम पानी से देने को कहा। पाँच रुपये लेकर वैद्य जी चले गए। फिर डॉक्टर साहब आए और जीभ देखकर बोले कि कब्ज और बदहजमी है। दवा भेज रहा हूँ, एक ही खुराक से तबीयत ठीक हो जाएगी। डाक्टर साहब दस रुपये फीस लेकर चले गए।

इसी समय मोहन की बीमारी की खबर सुनकर उसके मास्टर जी आ गए। मस्टर जी ने मोहन को देखकर उसके खान-पान के विषय में पूछ कर बतलाया कि मोहन की दवा वैद्य और डॉक्टर के पास नहीं है। ऐसे-ऐसे बीमारी को मैं जानता हूँ। मोहन जैसे लड़कों को यह बीमारी अक्सर हो जाती है। मास्टर साहब ने मोहन से कहा कि दर्द दूर हो जाएगा। कल स्कूल मत आना। मास्टर जी के पूछने पर मोहन ने स्वीकार किया कि स्कूल का काम नंहीं किया है।

मास्टर साहब ने बतलाया कि ऐसे-ऐसे काम न करने का डर है। मोहन ने महीने भर मौज की। स्कूल का काम रह गया। आज ख्याल आया तो यह बीमारी हो गई। फिर मोहन से कहा कि दो दिन की तुम्हें छुट्टी मिलेगी। उसमें काम पूरा कर लेना और ऐसेऐसे दूर भाग जाएगा। उठिए सवाल कीजिए। उसी समय पिता और दीनानाथ दवा लेकर आ गए। माँ ने बतलाया कि यह दर्द नहीं, स्कूल का काम न करने का डर है। पिता जी बोले कि बच्चे ने उन्हें खूब छकाया।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions एकांकी Chapter 1 ऐसे-ऐसे

शब्दार्थ :

  • यकायक – अचानक।
  • बेशक – अवश्य।
  • बला – संकट।
  • छकाया – परेशान किया।
  • गुलजार खुशनुमा।
  • बेचैन – व्याकुल, परेशान।
  • दफ्तर – कार्यालय।
  • अंट-शंट – अनाप-शनाप।
  • बदहजमी – अपच ।
  • हवाइयाँ उड़ना – चेहरे की रौनक खत्म होना रौनक – चहलपहल।
  • मामूली – साधारण, तुच्छ ।
  • अट्टहास – तीव्र हँसी, ठहाका।
  • भला चंगा – स्वस्थ।
  • पेट में दाढ़ी होना – कम अवस्था में अधिक बुद्धिमान होना।
  • लोचा लोचा फिरे हैं – बहुत कमजोर हो गया है।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 8 गूदड़ साईं

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WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 8 Question Answer – गूदड़ साईं

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
साईं को कौन पुकार रहा था ?
(क) लेखक
(ख) मोहन
(ग) 10 वर्ष का बालक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) मोहन

प्रश्न 2.
मोहन के पिता थे –
(क) वेदांती
(ख) अघोरी
(ग) आर्य समाजी
(घ) नास्तिक
उत्तर :
(ग) आर्य समाजी

प्रश्न 3.
गुदड़ी के लाल किसे कहा गया है ?
(क) मोहन को
(ख) 10 वर्ष के बालक को
(ग) साई को
(घ) आर्य समाजी को
उत्तर :
(ग) साई को।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 8 गूदड़ साईं

प्रश्न 4.
गूदड़ साईं क्या था ?
(क) वैरागी
(ख) कामायनी
(ग) प्रसिद्ध
(घ) लालची
उत्तर :
(क) वैरागी।

प्रश्न 5.
गूदड़ साईं क्या खाकर तृप्ति का अनुभव करता था ?
(क) फल
(ख) साग-रोटी
(ग) दूध-रोटी
(घ) सब्जी-चावल
उत्तर :
(ख) साग-रोटी।

प्रश्न 6.
मोहन कितने वर्ष का था?
(क) पाँच वर्ष
(ख) दस वर्ष
(ग) आठ वर्ष
(घ) नौ वर्ष
उत्तर :
(ग) आठ वर्ष।

प्रश्न 7.
साईं को पीछे से किसने आवाज लगाई ?
(क) पिताजी
(ख) मोहन
(ग) बच्चे
(घ) लेखक
उत्तर :
(ख) मोहन।

प्रश्न 8.
कौन अचानक गुदड़ छीनकर भागने लगा ?
(क) मोहन
(ख) एक लड़का
(ग) पिताजी
(घ) लेखक
उत्तर :
(ख) एक लड़का।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 8 गूदड़ साईं

प्रश्न 9.
किस वजह से साईं ने मोहन के द्वार पर आना छोड़ दिया ?
(क) पीटने के
(ख) डांटने के
(ग) चिल्लाने के
(घ) गुस्से के
उत्तर :
(ख) डांटने के।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
मोहन को साई से क्यों लगाव था ?
उत्तर :
मोहन साईं को गरीब और भिखमंगा समझता था। साईं बड़े ही प्यार तथा आत्मीयता से मोहन से बातें किया करता था। बच्चे स्नेह तथा प्यार के बर्ताव को समझते हैं। इसीलिए मोहन को साईं से लगाव था।

प्रश्न 2.
साईं की अक्षय तृप्ति का क्या कारण था ?
उत्तर :
बालक मोहन साई को साग-रोटी दे देता तथा साई के मुख पर पवित्र मित्रता का भाव झलकने लगता था। बड़े. चाव से उसे खाता था और मोहन के द्वारा दी हुई एक रोटी उसकी अक्षय तृप्ति का कारण हो जाती थी।

प्रश्न 3.
मोहन के पिता क्यों नाराज हो गए ?
उत्तर :
मोहन के पिता इन फकीरों को ढोंगी समझते थे। इसलिए वे मोहन को साई के साथ बात करना और उसे रोटी देते देखकर नाराज हो गए।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 8 गूदड़ साईं

प्रश्न 4.
मोहन के पिता के आश्चर्यचकित होने के क्या कारण थे ?
उत्तर :
जिस नटखट लड़के ने साई का चीथड़ खींचकर भागने की चेष्टा की थी, उसे मोहन के पिता ने पकड़ लिया। लोग उसे मारने-पीटने लगे। साई उस लड़के को छुड़ाने लगा और उस लड़के को रोता देख स्वयं रोने लगा। साई ने कहा कि मेरे चीथड़ को छीन कर रामरूप भगवान प्रसन्न होते हैं। फिर वह उस बच्चे के गले में प्यार से बाँहे डालकर चल दिया। साई के इस व्यवहार को देखकर मोहन के पिता आश्चर्यचकित हो गए।

प्रश्न 5.
साईं क्यों रोने लगा ?
उत्तर :
साई का गूदड़ छीनकर भागने वाले लड़के की लोगों न पिटाई कर दी जिससे लड़का रोने लगा। उस लड़के को रोते देखकर साई भी रोने लगा।

प्रश्न 6.
गूदड़ के साईं कीन चीजों से दूर थे ?
उत्तर :
गूदड़ के साई माया, मोह से दूर था।

प्रश्न 7.
मोहन के पिताजी को मोहन के किसका साथ पसन्द नहीं था ?
उत्तर :
मोहन के आर्यसमाजी पिता को मोहन और साई का साथ पसन्द नहीं था।

प्रश्न 8.
साई की आँखों में आंसू क्यों आ गये ?
उत्तर :
लड़का को पीटता देख साई की आँखों में आँसू आ गये ।

प्रश्न 9.
लड़के ने किस ख्याल से गूदड़ छीनकर भागने लगा ?
उत्तर :
लड़के ने चिढ़ाने के ख्याल से गूदड़ छीनकर भागने लगा ।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 8 गूदड़ साईं

प्रश्न 10.
मोहन के घर साईं के न जाने के क्या कारण थे ?
उत्तर :
मोहन के घर साई के न जाने के कारण मोहन के पिता की नाराजगी थी।

प्रश्न 11.
क्या बात मोहन के पिता को जँच गई ?
उत्तर :
भगवान लड़के के रूप में प्रतिदिन गूदड़ छीनते हैं और मैं वापस ले लेता हूँ। इससे ईश्वर की लीला चलती रहती है। यह बात मोहन के पिता को जँच गई।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1. क.
साई का स्वभाव कैसा था ?
उत्तर :
साई संसार के माया-मोह से विरक्त था। इसमें क्रोध, अहंकार बिल्कुल नहीं था। वह बच्चों को भगवान का ही रूप मानता था। इसलिए उसके दिल में बच्चे के प्रति प्यार तथा ममत्व का भाव था। किसी के डाँटने या तिरस्कार करने का उस पर कोई असर नहीं पड़ता था। वह सदा स्वच्छ पवित्र मन तथा विचार का फकीर था। उसमें सहानुभूति की भावना थी। अहंकार करने वालों से भी वह प्यार का बर्ताव करता था।

प्रश्न ख.
मोहन से रोटी मिलने के बाद साई क्या सोचता ?
उत्तर :
मोहन से रोटी मिलने के बाद साई के मुख पर पवित्र मैद्री का भाव झलकता था। वह स्वयं एक बालक के समान अभिमान, प्रशंसा तथा उलाहना की सोच एवं विचार के साथ रोटी खाकर संतुष्ट हो जाता थां

प्रश्न ग.
कई दिनों के बाद लौटने के पश्चात् साईं मोहन के घर की ओर क्यों नहीं गया ?
उत्तर :
मोहन के पिता ने साई के सामने ही मोहन को डाँटा और कहा कि वह इन लोगों के साथ बातें न किया करे। वे आर्य समाजी थे और इन फकीरों को ढोंगी समझते थे। यही समझकर साई मोहन के घर की ओर नहीं गया।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 8 गूदड़ साईं

प्रश्न घ.
साईं ने चीथड़े छीनकर भागनेवाले लड़के को मारने से क्यों रोका ?
उत्तर :
साई बच्चों को भगवान का स्वरूप मानता था। उसका विचार था कि चीथड़े को छीनकर बच्चे प्रसन्न होते हैं। वह बच्चों से छिनवाने के लिए उनके मनोविनोद के लिए बच्चों से चिथड़े को लड़कर छीन लेता था। भागने वाले लड़के को वह भगवान का रूप मानता था। इसलिए लड़के को मारने से रोका।

प्रश्न 2.
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए :
(क) बाबा मेरे पास दूसरी कौन ……….. प्रसन्न करता।
(i) पाठ व रचनाकार का नाम लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत अवतरण ‘गूदड़ साई’ पाठ से उद्धुत है। इसके लेखक श्री जयंशकर प्रसाद है।

(ii) राम रूप किसे कहा गया है ?
उत्तर :
राम रूप बच्चों के लिए कहा गया है।

(iii) उक्त पंक्ति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
साई सिर फटने पर भी न रोया, पर लड़के को रोते देख कर वह रोने लगा। मोहन के पिता ने उससे पूछा कि यही लड़का चिथड़ा छीन कर भाग रहा था, तब तुम चिथड़े के लिए उसके पीछे क्यों दौड़े। उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए साई कहने लगा कि उसके पास इस चीथड़े के अतिरिक्त कोई भी वस्तु नहीं है। इसलिए इस चीथड़े को देकर ही बच्चों को प्रसन्न बनाता हूँ। ये बच्चे ही राम रूप भगवान हैं।

(ख) ‘पर चीथड़े पर भगवान ही दया करते हैं।’
(i) उक्त पंक्ति के वक्ता व श्रोता का नाम लिखें।
उत्तर :
उक्त पंक्ति के वक्ता गूदड़ साईं व श्रोता मोहन के पिता हैं।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 8 गूदड़ साईं

(ii) उक्त पंक्ति की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर :
साई मोहन के पिता से कहने लगा कि सोने के कीमती खिलौने को उचक्के, ठग, चोर छीन कर भागते हैं। इस चिथड़े पर उनकी नजर नहीं जाती, क्योंकि चिथड़े पर भगवान ही कृपा करते हैं। भगवान बालक के रूप में चिथड़े को छीनते हैं।

प्रश्न 3.
मोहन के पिता के स्वभाव में हुए परिवर्तन को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
मोहन के पिता पहले गूदड़ साई को ढोंगी, भिखमंगा फकीर समझते थे। इसलिए उसे महत्त्व नहीं देते थे। उससे नफरत का भाव रखते थे। जब उन्होंने देखा कि साई चीथड़ छीन कर भागने वाले लड़के पर दया दिखलाता है। लड़के को मारने वाले लोगों को मना करने लगता है, उसे रोता देख कर स्वयं रोने लगता है। बालक के आँसू पोंछ कर मित्र के समान उसके साथ चल देता है। यह देखकर उनका स्वभाव बदल गया। वे साई को ढोंगी नहीं बल्कि गुदड़ी का लाल समझने लगे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
‘गूदड़ साई’ सचमुच गुदड़ी का लाल था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
गूदड़ साईं सच्चे अर्थों में फकीर था। वह बच्चों में ईश्वर का ही प्रतिबिम्ब देखा करता था। उसके पास न कोई सम्पत्ति थी, न उसकी कोई बड़ी-बड़ी इच्छाएँ थीं । साई प्रेम का भूखा कोई था। वह मोहन के घर बड़े पवित्र भाव से सागरोटी खाता था और मोहन से बड़े भाव से बातें भी किया करता था। 10 वर्ष के बालक के समान अभिमान, सराहना और उलाहना के आदान-प्रदान के बाद मोहन की दी हुई एक रोटी बड़े चाव से खाता था। मोहन के पिता के बिगड़ने के कारण वह बालक मोहन के घर की ओर नहीं गया, पर मोहन के कहने पर साईं सारे मान-अपमान को भूलकर पुन: मोहन के घर जाने को तत्पर हो उठा।

एक दिन एक लड़का साई का गूदड़ खींच कर भागा। गूदड़ लेने के लिए साईं उसके पीछे दौड़, चौराहे तक दौड़तेदौड़ते उसे ठोकर लगी और वह गिर पड़ा। सिर से खून बहने लगा। गूदड़ लेकर भागने वाला लड़का डर से वहीं ठिठक गया। इस सारी घटना को देखकर मोहन के पिता ने उस लड़के को पकड़ लिया। दूसरे हाथ से साईं को पकड़ कर उठाया।

नटखट लड़के के सिर पर चपत पड़ने लगे । यह देख साई उठकर खड़ा हो गया, साई ने उसे मारने से मना किया और कहा कि इसे चोट आती होगी। फिर वह लड़के को छुड़ाने लगा। मोहन के पिता ने साई से पूछा कि वे चीथड़ के लिये उसके पीछे क्यों दौड़ रहे थे। सिर फटने पर भी साई को रुलाई नहीं आयी किन्तु उस लड़के को रोते देखकर रोने लगे। मोहन के पिता से साईं ने कहा कि मेरे पास कोई दूसरी वस्तु तो है नहीं, जिसे देकर इस राम रूप भगवान को प्रसन्न कर सके।

फिर साईं ने कहा कि इस गूदड़ को लेकर भगवान भागते हैं और मैं उनसे लड़कर छीन लेता हूँ फिर उन्हीं से छिनवाने के लिए गूदड़ रखता हूँ। जिनसे उनका मनोविनोद हो सके। इन गूदड़ों पर तो भगवान भी दया करते हैं। इतना कहकर बालक का मुँह पोंछते हुए मित्र के समान गलबांही डाले हुए चल दिए। मोहन के पिता ने आश्चर्य से कहा कि यह गूदड़ साई केवल गूदड़ ही नहीं बल्कि गूदड़ी का लाल है। इस प्रकार गूदड़ साईं अपने अनोखे स्वभाव के कारण मानअपमान से परे रहने का कारण खिंझाने वाले को भी मित्र समझने के कारण गुदड़ी का लाल था।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 8 गूदड़ साईं

भाषा-बोध :

1. पर्यायवाची शब्द लिखें :

अभिमान – घमंड, दर्प, गर्व
फकीर – भिक्षुक, भिखारी, याचक
आँख – नयन, नेत्र, चक्षु
प्रसन्न – खुश, आनंदित, हर्षित
भगवान – ईश्वर, प्रभु, जगदीश

2. तद्भव तत्सम शब्द लिखें –

तद्भव – तत्सम
साई – स्वामी
आठ – अष्ट
बरस – वर्ष
आँख – अक्षि
मुँह – मुख
सोना – स्वर्ण

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 8 गूदड़ साईं

3. लिंग निर्णय कीजिए –

रोटी – स्त्रिलिंग
बैरागी – पुल्लिंग
अभिमान – पुल्लिंग
चीथड़ – पुल्लिंग
आश्चर्य – पुल्लिंग

WBBSE Class 6 Hindi गूदड़ साईं Summary

जीवन-परिचय :

जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् 1889 ई॰ में वाराणसी के एक प्रसिद्ध वैश्य कुल में हुआ था। सातवीं कक्षा तक ही इन्हें क्विन्स कालेज से शिक्षा मिली। घर पर ही रह कर प्रसाद ने संस्कृत तथा अंग्रेजी, इतिहास, पुराण, दर्शन का अध्ययन किया। सन् 1936 में इनकी इह लीला समाप्त हो गई। प्रसाद अपने युग के सबसे बड़े पौरुषवान कवि थे। इनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ – कामायनी, आँसू, झरना, लहर तथा नाटक – स्कन्दगुप्त, अजातशत्रु, चन्द्रगुप्त, धुवस्वामिनी, कहानी – संग्रह – आकाशदीप, छाया, प्रतिध्वनि आदि हैं।

कहानी का सारांश – गूदड़ साई एक बैरागी था। वह माया, मोह से दूर था। कुछ दिनों से वह दोपहर को 8 वर्ष के बालक मोहन के घर जाता था और उससे बाते किया करता था। मोहन पिता की नजर बचाकर माँ से माँग कर सागरोटी उसे खाने के लिए दे दिया करता था। गूदड़ साईं बड़ेप्रेम से खाकर तृष्ति का अनुभव करता था। एक दिन कट्टर आर्य समाजी मोहन के पिता यह देखकर मोहन को डाँटे कि वह ऐसे लोगों के साथ बातें न करे। साई हँस पड़ा और वहाँ से चल पड़ा।

उसके बाद कई दिन साई मोहन के मकान की ओर न गया। एक दिन पढ़कर लौटते समय मोहन ने देखकर साई को पुकारा और वह लौट पड़ा। मोहन ने इनसे कहा कि वे आया करें। रोटी खाया करें। कल जरूर आइए। इस बीच एक लड़का साई का गूदड़ खींच कर भागा। गूदड़ लेने के लिए साई उसके पीछे दौड़ा। दौड़ते समय गिर पड़ा। सिर से खून बहने लगा । खिझाने के लिए गूदड़ लेकर भागने वाले लड़के को मोहन के पिता ने पकड़ लिया। दूसरे हाथ से साई को उठाया।

साई ने उस लड़के को न मारने की प्रार्थना की। लड़के को रोता देख स्वयं रोने लगा। उसने कहा इस चीथड़े को भगवान लेकर भागते हैं और मैं लड़कर उनसे छीन लेता हूँ । चीथड़ों पर भगवान ही दया करते हैं। ‘रामरूप’ भगवान को प्रसन्न करने के लिए मेरे पास दूसरी कौन वस्तु है। इतना कहकर बालक का मुँह पोंछते हुए साई चला गया। मोहन के पिता ने कहा कि गूदड़ साई सचमुच गुदड़ी का लाल है।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 8 गूदड़ साईं

शब्दार्थ :

  • अक्षय = क्षय रहित।
  • मनोविनोद = मन का आनंद।
  • यत्न = प्रयास।
  • बैरागी = विरक्त, उदासीन।
  • कटृर = कठोर ।
  • सराहना = प्रशंसा ।
  • गूदड़ = फटा चिथड़ा-कपड़ा।
  • उलाहना = शिकायत।
  • ओझल = ओट, गायब।
  • मुहल्ला = शहर का एक हिस्सा।
  • ढोंगी = पाखंडी।
  • तृप्ति = संतुष्टि।
  • नटखट = चंचल, उपद्रवी।
  • उचक्के = ठग।
  • गलबाही = गले में प्रेम से बाँह डालना।
  • गुदड़ी के लाल = गरीबी में गुणवान।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 7 कठोर कृपा

Students should regularly practice West Bengal Board Class 6 Hindi Book Solutions Chapter 7 कठोर कृपा to reinforce their learning.

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 7 Question Answer – कठोर कृपा

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
‘कठोर कृपा’ कहानी के लेखक कौन हैं ?
(क) मुंशीप्रेमचंद
(ख) काका कलेलकर
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
उत्तर :
(ख) काका कलेलकर।

प्रश्न 2.
अच्छे खानदान में कितने भाई थे ?
(क) एक
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर :
(ग) चार।

प्रश्न 3.
चारों भाई कैसे थे ?
(क) हुनरमंद व पढ़े-लिखे
(ख) बेवकूफ
(ग) काहिल
(घ) चालाक
उत्तर :
(क) हुनरमंद व पढ़े-लिखे।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 7 कठोर कृपा

प्रश्न 4.
घर के पास बगीचे में किसका पेड़ था ?
(क) आम का
(ख) सहिजन का
(ग) कटहल का
(घ) फुलों का
उत्तर :
(ख) सहिजन का।

प्रश्न 5.
कौन सहिजन खरीद ले जाती थी ?
(क) दुकानदार
(ख) कुंजड़िन
(ग) रिश्तेदार
(घ) मेहमान
उत्तर :
(ख) कुंजड़िन।

प्रश्न 6.
दिवाली के कितने दिनों के बाद रिश्तेदार आया ?
(क) एक दिन
(ख) दो दिन
(ग) चार दिन
(घ) पाँच दिन
उत्तर :
(क) एक दिन।

प्रश्न 7.
कौन मेहमान से खाने का आग्रह करती है ?
(क) बूढ़ी माँ
(ख) दूसरा भाई
(ग) चौथा भाई
(घ) लेखक
उत्तर :
(क) बूढ़ी माँ।

प्रश्न 8.
कितने बजे कुंजड़िन आई ?
(क) आठ बजे
(ख) पाँच बजे
(ग) छ: बचे
(घ) दस बजे
उत्तर :
(घ) दस बजे।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 7 कठोर कृपा

प्रश्न 9.
कौन जाग रहा था ?
(क) बूढ़ी मां
(ख) मेहमान
(ग) तीसरा भाई
(घ) कुंजड़िन
उत्तर :
(ख) मेहमान ।

प्रश्न 10.
कौन सहिजन को धरती पर काटकर गिरा देता है ?
(क) मेहमान
(ख) बुजुर्ग
(ग) बूढ़ी माँ
(घ) लेखक
उत्तर :
(क) मेहमान।

प्रश्न 11.
घर का एक मात्र सहारा क्या था ?
(क) आम का पेड़
(ख) सहिजन का पेड़
(ग) व्यवसाय
(घ) नौकरी
उत्तर :
(ख) सहिजन का पेड़ ।

प्रश्न 12.
किसने बड़े भाई को नौकरी पर रख लिया?
(क) धनी व्यक्ति ने
(ख) मेहमान ने
(ग) साहुकार ने
(घ) ठाकुर ने
उत्तर :
(क) धनी व्यक्ति ने।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 7 कठोर कृपा

प्रश्न 13.
कितने साल बीतने के बाद चारों की हालत अच्छी हो गई ?
(क) एक साल
(ख) दो साल
(ग) तीन साल
(घ) चार साल
उत्तर :
(क) एक साल।

प्रश्न 14.
‘कठोर कृपा’ किस विधा की रचना है ?
(क) कविता
(ख) कहानी
(ग) नाटक
(घ) उपन्यास
उत्तर :
(ख) कहानी।

प्रश्न 15.
काका कालेलकर का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) सतारा (महाराष्ट्र) में
(ख) नागपुर में
(ग) कोलकाता में
(घ) ग्वालियर में
उत्तर :
(क) सतारा (महाराष्ट्र) में ।

प्रश्न 16.
काका कालेलकर का वास्तविक नाम क्या था ?
(क) दत्तात्रेय बालकृष्ण
(ख) दत्तात्रेय रामकृष्ण
(ग) दत्तात्रेय परमकृष्ण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) दत्तात्रेय बालकृष्ण।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
किस कारण से चारों भाई नौकरी या घंधा नहीं करते थे ?
उत्तर :
पुरानी इज्जत के कारण वे कहीं नौकरी या काम-धंधा नहीं करते थे।

प्रश्न 2.
भोजन बन जाने के बाद भाइयों ने क्या बहाना बनाया ?
उत्तर :
भोजन बन जाने पर तीनों भाइयों ने न खाने का बहाना बना लिया।

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प्रश्न 3.
प्रतिष्ठित खानदान के नौजवान क्यों कष्ट पा रहे थे ?
उत्तर :
प्रतिष्ठित खानदान के ये नौजवान झूठी बनावटी इज्जत के कारण कष्ट पा रहे थे।

प्रश्न 4.
घर के बगीचे में किस चीज का पेड़ था?
उत्तर :
घर के बगीचे में सहिजन का पेड़ था।

प्रश्न 5.
सबेरे बड़े भाई ने क्या देखा ?
उत्तर :
सबेरे बड़े भाई ने देखा मेहमान जा चुका है और बगीचे में सहिजन का पेड़ कटा हुआ है।

प्रश्न 6.
बड़े भाई ने बुढ़िया से क्या कहा ?
उत्तर :
बड़े भाई ने बुढ़िया से कहा-अब गुजारा के लिए कहीं काम-धंधा ढूँढ़ना पड़ेगा।

प्रश्न 7.
बस्ती में चारों भाई क्यों प्रसिद्ध थे ?
उत्तर :
उस बस्ती में चारों भाई अपनी इज्जत और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध थे।

प्रश्न 8.
किसने पेड़ काटना स्वीकार किया ?
उत्तर :
मेहमान ने पेड़ काटना स्वीकार किया ।

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प्रश्न 9.
चारों भाई ने वास्तविकता जान कर क्या किया ?
उत्तर :
चारों भाई भी वास्तविकता जानकर मेहमान का सम्मान किए।

प्रश्न 10.
किसी शहर में कैसा खानदान रहता था ?
उत्तर :
किसी शहर में एक अच्छा खानदान रहता था।

प्रश्न 11.
किनकी जायदाद और धन-दौलत बरबाद हो चुकी थी?
उत्तर :
शहर के अच्छे खानदान के चारों भाइयों की जायदाद व धन-दौलत बरबाद हो चुकी थी।

प्रश्न 12.
किनके घर में गरीबी दिन-ब-दिन बढ़ रही थी ?
उत्तर :
किसी शहर में रहने वाले चारों भाई पुश्तैनी इज्जत के कारण नौकरी या धंधा नहीं करते थे। इसलिए उनके घर में गरीबी दिन-ब-दिन बढ़ रही थी।

प्रश्न 13.
क्या कारण था कि बीबी बच्चों का सारा जेवर बेचना पड़ा ?
उत्तर :
दिनोंदिन परिवार में गरीबी बढ़ती गई। एक दिन ऐसा भी आया कि घर में कुछ भी न बचा। खाने-पीने की भी परेशानी आ गई। विवश होकर उन्हें बीबी-बच्चों का सारा जेवर बेचना पड़ा।

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प्रश्न 14.
चारों भाई ने मेहमान को विदा करते समय क्या कहा ?
उत्तर :
मेहमान को विदा करते समय कहा- उस सहिजन का पेड़ काटकर आपने हमारे आलस्य और दुर्भाग्य को काट डाला। हमारी किस्मत को ऊँचा उठा दिया। संबंधी हो तो ऐसा ही हो।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न क.
चारों भाई हुनरमंद होने के बावजूद काम-धंधा क्यों नहीं कर पाते थे ?
उत्तर :
वारों भाई हुनरमंद व पढ़े-लिखे थे। वे अपनी झूठी शान और समाज में अपनी झूठी मान-मर्यादा को दिखाना चाहते थे। अतः अपनी पुरानी खानदानी इज्जत के कारण कोई काम-धंधा नहीं करना चाहते थे ।

प्रश्न ख.
परिवार का गुजारा चलाने के लिए वे क्या करते थे?
उत्तर :
इनकें घर के बगीचे में एक सहिजन का पेड़ था। उसमें लंबी-लंबी हरी-हरी फलियाँ लटक रही थीं। शाम के समय एकांत में चारों भाइयों में से कोई एक भाई पेड़ पर चुपके से चढ़ जाता और फलियों को तोड़ कर नीचे गिरा देता। कुछ रात बीते एक कुंजड़िन आती और सहिजन खरीद कर ले जाती। इससे जो थोड़े से पैसे मिल जाते उसी से परिवार का गुजारा चलता था।

प्रश्न ग.
मेहमान क्या ताड़ गया ?
उत्तर :
मेहमान ने घर में दो बार भोजन किया। उसके साथ केवल एक भाई खाने के लिए बैठता था। वह भी सधा हुआ था, इसलिए दुबारा परोसने के पहले ही मना कर देता। यह देखकर मेहमान ताड़ गया कि ये लोग गरीबी के शिकार हो रहे हैं । खाने-पोने की तकलीफ बढ़ रही है। इन्हें अपनी गरीबी तथा अभाव की चिन्ता नहीं है।

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प्रश्न घ.
मेहमान ने पेड़ को क्यों काट डाला ?
उत्तर :
मेहमान बरामदे में सो जाने का ढोंग रचा। बड़ा भाई टोकरी में सहिजन लेकर कुंजड़िन को कम पैसे में दिया। मेहमान सब कुछ देख कर समझ गया कि यह अच्छा प्रतिष्ठित खानदान झूठी और बनावटी इन्जत के कारण खाने-पीने की भी तकलीफ सह रहा है। इस सहिजन के पेड़ से ही अपना गुजारा कर रहा है। वह दूरदर्शी मेहमान उनकी काहिली दूर कर उन्हें कर्मठ बनाने की नीयत से पेड़ को काट डाला।

प्रश्न ङ.
पेड़ काटने का क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर :
जीविका के एकमात्र आधार पेड़ के कट जाने से बड़े भाई ने सोचा कि अब आगे गुजारा चलना मुश्किल है। इसलिए हमें अब कहीं न कहीं काम ढूँढना पड़ेगा। बड़े भाई ने धनी व्यक्ति के यहाँ नौकरी पकड़ ली । दूसरे भाई भी कहीं न कहीं काम पर लग गए। एक साल में ही चारों भाइयों की दशा अच्छी हो गई, घर का काम-काज सुचारु ढंग से चलने लगा। अब घर में किसी चीज की कमी न रही। इस प्रकार पेड़ काटने के परिणामस्वरूप उनकी किस्मत ऊँची उठ गई।

प्रश्न च.
“आपने हमारा सहिजन का पेड़ नहीं काटा, हमारी काहिली और बदकिस्मती को काट कर फेंक दिया था।” कहने से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
दूसरी दीवाली पर आकर मेहमान ने स्वीकार कर लिया कि सहिजन का पेड़ उसी ने काट कर गिरा दिया था। इस कठोर कर्म के पीछे उसके मन में अच्छी भावना थी। मेहमान का उचित सत्कार कर उसे विदा करते समय भाइयों ने भी कहा कि उन्होंने हमारा सहिजन का पेड़ नहीं काटा बल्कि हमारे आलस्य और दुर्भाग्य को काट कर फेंक दिया। इससे हमलोग झूठी बनावटी इज्जत को छोड़कर परिश्रमी बनकर नौकरी करने लगे। हमारी आर्थिक दशा सुधर गई।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न :
‘कठोर कृपा’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी के माध्यम से लेखक ने श्रम और मेहनत के महत्व को स्पष्ट किया है। एक शहर में एक अच्छा खानदान रहता था। उनमें चार भाई थे। उनकी सारी सम्पत्ति बब्बाद हो चुकी थी। चारों भाई कुशल कर्मठ होते हुए भी पुरानी खानदानी इज्जत के कारण कोई काम धंधा नहीं करते थे। अंत में गरीबी के कारण घर के सारे आभूषण भी बिक गए। खाने-पीने के लाले पड़ने लगे। उनके बगीचे में एक सहिजन का पेड़ ही उनकी जीविका का आधार बना। रात के समय कोई एक भाई सहिजन की फलियों को तोड़ देता था। रात के समय एक कुंजड़िन आती और उन्हें खरीद कर ले जाती। उन थोड़े से पैसों से उनका गुजारा चल रहा था।

दीवाली के बाद एक दिन उनका एक रिश्तेदार आया। उसे उनकी बुरी हालत का अंदाजा लग गया। उसके साथ खाने के लिए केवल एक भाई बैठा। भोजन के बाद मेहमान समझ गया कि ये लोग गरीबी के शिकार हो रहे हैं। रात के समय वह मेहमान बरामदे में सोया नहीं, सोने का ढोंग रचा। रात में कुँजड़िन आई और मेहमान के मौजूद होने का लाभ उठाकर फलियों के दाम और घटा दिये। कुँजड़िन के चले जाने पर चारों भाई सो गए।

दूरदर्शी मेहमान जागता रहा और सोचने लगा कि यह बहुत ही प्रतिष्ठित खानदान है, पर झूठी और बनावटी इज्जत के ख्याल से ये नौजवान लड़के खानेपीने की तकलीफ सह रहे हैं और इस मामूली सहिजन के सहारे अपना गुजर कर रहे हैं। उस बुद्धिमान मेहमान ने उन्हें कर्मठ बनाने का निश्चय किया। बरामदे के एक कोने में पड़ी हुई कुल्हाड़ी उठाकर बगीचे में सहिजन के पेड़ के पास पहुँचा। उसने पेड़ को जड़ से काटकर जमीन पर गिरा दिया। फिर सबेरा होते ही चुपचाप वहाँ से चल दिया।

सबेरा होने पर मेहमान के गायब होने और सहिजन के पेड़ के कटे होने से घर में मातम छा गया। सभी लोग उस मेहमान को अनाप-सनाप कहने लगे और अपना शत्रु बतलाए, क्योंकि उनके परिवार का एकमात्र सहारा वही पेड़ कट गया था। बड़े भाई ने कहा कि अब हमें किसी न किसी प्रकार की नौकरी ही करनी पड़ेगी, सभी को कहीं न कहीं काम ढूँढ़ना पड़ेगा। उस बस्ती में चारों भाइयों की बड़ी इज्जत थी। अपनी ईमानदारी के लिए वे प्रसिद्ध थे। इसलिए सभी का कहीं न कहीं काम लग गया। एक साल में ही घर की स्थिति पटरी पर आ गई। घर का सारा काम-काज ठीक से चलने लगा।

अब वहाँ किसी चीज की कमी न रही। दूसरी दीवाली के समय वही मेहमान फिर आया और स्वीकार किया कि उसी ने उस पेड़ को काटकर गिरा दिया था, लेकिन उस कठोर कर्म के पीछे नेकनीयत थी। कोई खराब इरादा न था। वह उन्हें कर्मठ बनाकर उनकी दशा सुधारना चाहता था। घर के लोग भी उसकी सद्भावना समझ गए । चारों भाइयों ने मेहमान का अभार मानते हुए कहा कि उसने हमारे आलस्य व दुर्भाग्य को काटकर फेंक दिया। भाग्य को बदल दिया। इस प्रकार इस कहानी से स्पष्ट हो जाता है कि परिश्रम से व्यक्ति अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकता है।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 7 कठोर कृपा

भाषा-बोध :

(क) प्रस्तुत पाठ से पाँच-पाँच संज्ञा, सर्वनाम, एवं विशेषण शब्दों को छाँटकर लिखो।
संज्ञा शब्द – शहर, भाई, बगीचे, सहिजन, पेड़।
सर्वनाम शब्द – उनके, उसे, यह, किसी, उसने।
विशेषण शब्द – अच्छा, पुरानी, लम्बे, हरे, खराब।

(ख) विलोम शब्द –
अच्छा – बुरा ।
शहर – देहात ।
गरीब – अमीर ।
नीचे – ऊपर ।
दोस्त – दुश्मन।

WBBSE Class 6 Hindi कठोर कृपा Summary

जीवन-परिचय :

काका कालेलकर का जन्म सन् 1885 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। वे गाँधीवादी विचारधारा के समाज सेवी तथा लेखक थे। हिन्दी के प्रचार में उन्होंने आजीवन योगदान किया।

कहानी का सारांश – किसी शहर में एक अच्छा खानदान रहता था। उसके चार भाई थे। उनकी संपत्ति नष्ट हो चुकी थी। चारों भाई कुशल तथा पढ़े-लिखे थे। पुरानी इज्जत के कारण वे कहीं नौकरी या काम-धंधा नहीं करते थे। गरीबी बढ़ती गई जिससे घर के सारे गहने भी छिपकर कम दामों में बेच डाले। घर में कुछ न बचा और खाने-पीने की समस्या आ गई। उनके घर के पास बगीचे में एक सहिजन का पेड़ था। अब वही पेड़ उनकी जीविका का आधार बन गया। शाम को सूनसान हो जाने पर एक भाई पेड़ पर चढ़ कर फलियाँ तोड़ कर नीचे गिरा देता। कुछ रात के बीत जाने पर एक कुंजड़िन आकर सहिजन खरीद ले जाती और जो पैसे देती उसी से परिवार का गुजर होता था।

दीवाली के बाद एक दिन उनका कोई रिश्तेदार आया। उसे उन लोगों की बुरी दशा का ज्ञान न था। भोजन बन जाने पर तीनों भाइयों ने न खाने का बहाना बना लिया। चौथा भाई मेहमान के साथ खाने बैठा। बूढ़ी माँ मेहमान से खाने का आग्रह करती थी। साथ में बैठा हुआ छोटा भाई हाथ हिलाकर परेसने से मना कर देता था। दो बार भोजन करने के बाद मेहमान को उनकी गरीबी का एहसास हो गया। वह सोचने लगा कि भुखमरी के बावजूद इन्हें काम-धंधे की चिंता नहीं है। रात दस बजे कुंजड़िन आई। बड़ा भाई ने सहिजन की फलियाँ तोड़ी, कुंजड़िन ने उस दिन उनकी गरज जानकर कम पैसे दिए।

सोने का बहाने बनाने वाला मेहमान सब कुछ देख रहा था। कुंजड़िन के चले जाने पर चारों भाई गहरी नींद में सो गए। पर मेहमान जाग रहा था। उसने सोचा कि प्रतिष्ठित खानदान के ये नौजवान झूठी बनावटी इज्जत के कारण कष्ट पा रहे हैं। इस मामूली सहिजन के भरोसे गुजारा कर रहे हैं। रात में ही मेहमान बरामदे से एक कुल्हाड़ी लेकर पेड़ को जड़ से काटकर धरती पर गिरा दिया और सबेरा होने के पहले ही वहाँ से चल दिया।

सबेेरे बड़े भाई ने देखा मेहमान जा चुका है और बगीचे में सहिजन का पेड़ कटा हुआ है। घर में मातम छा गुया। बुढ़िया ने कहा कि वह मेहमान पहले जन्म का दुश्मन था। परिवार का एकमात्र सहारा समाप्त कर दिया। बड़े भाई ने बुढ़िया से कहा-अब गुजारा के लिए कहीं काम-धंध ढूँढ़ना पड़ेगा। जब तक बस चला हमने पुश्तैनी इज्जत बचाई। उस बस्ती में चारों भाई अपनी इज्जत और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध थे। एक धनी व्यक्ति ने बड़े भाई को अपने यहाँ नौकरी में रख लिया। दूसरे भाई भी कहीं न कहीं काम पर लग गए।

एक साल बीतते ही चारों की हालत अच्छी हो गई। खाने-पीने की आजादी हो गई । दीवाली पर वही मेहमान फिर उनके यहाँ आया। उसने पेड़ काटना स्वीकार किया। उस कठोर कर्म के पीछे उसके दिल में नेकनीयत थी। खराब इरादा न था। चारों भाई भी वास्तविकता जानकर मेहमान का सम्मान किए। मेहमान को विदा करते समय कहा- उस सहिजन का पेड़ काटकर आपने हमारे आलस्य और दुर्भाग्य को काट डाला। हमारी किस्मत को ऊँचा उठा दिया। संबंधी हो तो ऐसा ही हो।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 7 कठोर कृपा

शब्दार्थ :

  • जायदाद = संपत्ति ।
  • लाले पड़ना = अभाव होना ।
  • हुनरमंद = कारीगर।
  • गरज = प्रयोजन, लाँचारी।
  • शरीक = शामिल।
  • आहट = आवाज।
  • बुजुर्ग = वृद्ध ।
  • रतिष्ठित = इज्जतवाला।
  • पुश्तैनी = परंपरागत।
  • काहिली = आलस्य।
  • मातम = शोक, दुखद स्थिति।
  • कद्रदां = कद्र करनेवाला।
  • नासपिटा = बरबाद करनेवाला।
  • फाकाकशी = उपवास।
  • सन्नाटा = निर्जनता, चुप्पी ।
  • कबूल = स्वीकार ।
  • बदाकिस्मती = दुर्भाग्य।
  • किस्मत = भाग्य।
  • मुश्किल = कठिन।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 6 अकेली

Students should regularly practice West Bengal Board Class 6 Hindi Book Solutions Chapter 6 अकेली to reinforce their learning.

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 6 Question Answer – अकेली

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
सोमा बुआ है –
(क) जवान
(ख) बुढ़िया
(ग) बच्ची
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) बुढ़िया।

प्रश्न 2.
पति सोमा बुआ को तजकर क्या हो गए ?
(क) तीरथवासी
(ख) जंगलवासी
(ग) शहरवासी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) शहरवासी।

प्रश्न 3.
सोमा बुआ के जवान बेटे का नाम क्या था?
(क) किशोरीलाल
(ख) पंसारीलाल
(ग) हरखू
(घ) हरीलाल
उत्तर :
(ग) हरखू।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 6 अकेली

प्रश्न 4.
सोमा बुआ कितने रुपये खर्च कर के लाल-हरी चूड़ियों के बंद पहने ?
(क) एक रुपया
(ख) दो रुपया
(ग) चार रुपया
(घ) पाँच रुपया
उत्तर :
(क) एक रुपया।

प्रश्न 5.
छोटा सा बक्स के अंदर डिबिया में कितने रुपये थे ?
(क) चार रुपये
(ख) पाँच रुपये
(ग) सात रुपये
(घ) आट रुपये
उत्तर :
(ग) सात रुपये

प्रश्न 6.
सोमा बुआ कितने मास (महीना) के लिए घर आती है ?
(क) दो मास
(ख) एक मास
(ग) तीन मास
(घ) चार मास
उत्तर :
(ख) एक मास।

प्रश्न 7.
सोमा बुआ किसे बेटे के समान समझती थी ?
(क) किशोरीलाल को
(ख) सन्यासी को
(ग) लेखक को
(घ) पड़ोसी को
उत्तर :
(क) किशोरीलाल को।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 6 अकेली

प्रश्न 8.
लिस्ट में किसका नाम था ?
(क) ननद का
(ख) भाभी का
(ग) सोमा बुआ का
(घ) सन्यासी का
उत्तर :
(ग) सोमा बुआ का।

प्रश्न 9.
सन्यासी बार-बार क्या देते रहे ?
(क) ताकीद
(ख) फल
(ग) प्रसाद
(घ) ज्राण
उत्तर :
(क) ताकीद।

प्रश्न 10.
कौन बुलावा की प्रतीक्षा करने लगी ?
(क) संन्यासी
(ख) राधा भाभी
(ग) सोमा बुआ
(घ) ननद
उत्तर :
(ग) सोमा बुआ।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 6 अकेली

प्रश्न 11.
कितने वर्ष का मुहूर्त है ?
(क) तीन वर्ष
(ख) चार वर्ष
(ग) पाँच वर्ष
(घ) सात वर्ष
उत्तर :
(ग) पाँच वर्ष।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
बुआ का नाम क्या है ?
उत्तर :
बुआ का नाम सोमा है।

प्रश्न 2.
बुआ के पति छोड़ कर क्यों चले गए थे ?
उत्तर :
पुत्र की मृत्यु के सदमे के कारण बुआ के पति छोड़ कर चले गए थे।

प्रश्न 3.
साल में कितने महीने बुआ का पति घर में रहता है ?
उत्तर :
साल में केवल एक महीने बुआ का पति घर में रहता है।

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प्रश्न 4.
सोमा बुआ का स्वभाव कैसा है ?
उत्तर :
सोमा बुआ का स्वाभाव मेल-मिलाप का था।

प्रश्न 5.
सोमा बुआ ने साड़ी में क्या लगाकर सुखा दिया ?
उत्तर :
सोमा बुआ ने साड़ी में मांड़ लगाकर सुखा दिया।

प्रश्न 6.
सोमा बुआ कैसी नारी है ?
उत्तर :
सोमा बुआ अकेली परित्यक्ता नारी है।

प्रश्न 7.
किसकी मौत से सोमा बुआ को गहरा आघात लगा ?
उत्तर :
इकलौते बेटे हरखू की मौत हो जाने से सोमा बुआ को गहरा आधात लगा।

प्रश्न 8.
सोमा बुआ राधा भाभी को क्या बतलाती है ?
उत्तर :
सोमा बुआ राधा भाभी को बतलाती है कि कल किशोरी लाल के बेटे के मुंडन पर वह बिना बुलाए चली गई थी।

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प्रश्न 9.
सोमा बुआ राधा भाभी से किस विषय पर परामर्श करती है ?
उत्तर :
सोमा बुआ राधा भाभी से विवाह में जाने और उपहार ले जाने के विषय में परामर्श करती हैं।

प्रश्न 10.
सोमा बुआ राधा भाभी को क्या देती है ?
उत्तर :
सोमा बुआ पाँच रुपये तथा मृत पुत्र की एकमात्र निशानी अँगूठी लाकर राधा भाभी को देती है।

प्रश्न 11.
राधा भाभी ने सोमा बुआ को क्या लाकर दी ?
उत्तर :
राधा भाभी ने सोमा बुआ को चाँदी की एक सिंदूरदानी, एक साड़ी और एक ब्लाउज का कपड़ा लाकर दी।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
सोमा बुआ के पति का स्वभाव कैसा था ?
उत्तर –
सोमा बुआ के पति का स्वभाव स्नेहहीन था। वे एकांत प्रवृत्ति के हो गए थे। लोगों से मिलना-जुलना उन्हें पसंद न था। सोमा बुआ पर भी अंकुश लगाया करते थे। पुत्र की मौत के सदमे ने उनके स्वभाव को नीरस बना दिया था।

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प्रश्न 2.
बुआ के पति का व्यवहार बुआ के प्रति कैसा था ?
उत्तर –
बुआ के पति का व्यवहार बुआ के प्रति बिल्कुल स्नेहहीन था। उनके अंकुश से बुआ के दैनिक जीवन की गतिविधि मंद हो जाती थी। उनका घूमना-फिरना, मिलना-जुलना बंद हो जाता था। बुआ के हर कार्य कलाप पर वे नजर रखते तथा अंकुश लगाते। उनके निष्ठुर व्यवहार से बुआ को मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ता था।

प्रश्न 3.
बुआ का पास-पड़ोस के साथ कैसा व्यवहार था ?
उत्तर :
बुआ का पास-पड़ोस के साथ अत्यंत आत्मीयतापूर्ण व्यवहार था। उन्हें अपनी जिन्दगी पास-पड़ोस वालों के भरोसे ही काटनी पड़ती थी। किसी के घर मुण्डन हो, छठी हो, जनेऊ हो, शादी हो या गमी बुआ पहुँच जाती और अपने ही घर की तरह पूरी जिम्मेदारी और शक्ति से हर काम किया करती थी।

प्रश्न 4.
बुआ के पति बिना बुलावे के किसी के पास जाने से क्यों मना करते थे ?
उत्तर :
पुत्र की मौत के सदमे के कारण बुआ के पति के स्वभाव में नीरसता आ गई थी। बुआ पर वे अंकुश लगाया करते थे । वे सामाजिक मर्यादा को समझते थे कि बुलावे के बिना कहीं जाना आत्म सम्मान के खिलाफ है। इसलिए वे बुलावे के बिना जाने से मना करते थे। नाते-रिश्तेवालों से भी वे संबंध नहीं रखते थे।

प्रश्न 5.
बुआ देवर जी के ससुराल वालों से क्या उम्मीद लगा बैठी थी ?
उत्तर :
बुआ सोचने लगी कि देवर जी को मरे पच्चीस वर्ष हो गए, उसके बाद से तो कोई संबंध ही नहीं रखा। देवर जी के बाद उन लोगों से कोई संबंध नहीं रहा, फिर हैं तो समधी ! इसलिए वे अवश्य बुलाँएगे। समधी को छोड़ नहीं सकते। वे प्रसन्र थी कि इस विवाह में सम्मिललत होने से पुराना संबंध ताजा हो जाएगा।

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प्रश्न 6.
‘अरे वाह बुआ ! तुम्हारा नाम कैसे नहीं हो सकता। तुम तो समधिन ठहरी। संबंध में न रहे कोई रिश्ता थोड़े ही टूट जाता है।” इस पंक्ति की संसदर्भ व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत अवतरण मन्नू भंडारी की कहानी अकेली से उदृत है। देवर जी के समधी के यहाँ से बुलावा आने के विषय में बुआ के मन में संदेह था। उनके संदेह को दूर करने के लिए घर की बड़ी बहू ने यह उक्ति कही। बड़ी बहू ने निश्चय के स्वर में कहा कि तुम्हारा नाम बुलावे की सूची में अवश्य होगा, क्योंक तुम तो समधिन हो। रिश्ता कभी दूट नहीं सकता। संबंध के रिश्ते अटूट होते हैं। इसलिए अपने मन से संदेह को तुम दूर कर दो। विवाह के उत्सव में कोई समधिन को नहीं भूल सकता।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
‘अकेली’ कहानी में सोमा बुआ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने ‘अकेली’ कहानी में सोमा बुआ के मानसिक संसार तथा सामाजिक व्यवहार का हृ्यस्पर्शी चित्रण किया है। सोमा बुआ एक परित्यक्ता, अकेली नारी थी। इकलौते पुत्र की मृत्युं से उसे अत्यधिक मानसिक संताप हुआ। पुत्र की मृत्यु से दुःखी होकर उसके पति भी संन्यासी होकर हरिद्वार जा बैठे। संन्यासी जी साल मेंकवेल एक मास के लिए आते थे। इस मास में सोमा बुआ को मानसिक उत्तीड़न सहना पड़ता था। उनका दैनिक स्वभाव व व्यवहार बदल जाता था। सोमा बुआ अपना जीवन आस-पास की दुनिया में लोक-हित कार्यों में व्यस्त रखती थीं।

एक दिन किशोरीलाल के बेटे के मुंडन में सारी बिरादरी का न्यौता था। किशोरी लाल बुआ को बहुत सम्मान देते थे। उन्हें अम्मा समझते थे, इसलिए बुलावे के बिना भी बुआ वहाँ जाकर उनके सारे काम सम्पन्न कर दिए। यदि बुआ न गई होती तो वहाँ उनकी भद्द मच जाती। बुआआ का वहाँ जाना संन्यासी जी को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। इसके लिए संन्यासी जी ने बुआ को डाँटा, फटकारा भी। एक सप्ताह के बाद बुआ ने सुना कि उनके देवर के ससुराल वालों के किसी लड़की का संबंध भगीरथ के यहाँ तय हुआ है।

बुआ ने सोचा कि उन्हें निमंत्रण आएगा, इसलिए प्रसन्न होकर उन्होंने संन्यासी जी को बताया पर संन्यासी जी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मात्र इतना संकेत किया कि बिना बुलावे वहाँ नहीं जाना है। पर बुआ को निमंत्रण आने का संदेह बना हुआ था। घर की बड़ी बहू तथा विधवा ननद ने उन्हें विश्वास दिलाया कि उनका नाम अतिथि सूची में है और उनका बुलावा अवश्य आएगा। बुआ अपने को समध्रिन समझती थी, इसलिए वहाँ जाने की तैयारी करने लगी। अभाव की स्थिति में भी बुआ अपने स्वाभिमान और सम्मान की रक्षा करना चाहती थी।

इसलिए उसने अपने पास से कुछ रुपए और मृत पुत्र की एकमात्र निशानी अँगूठी देकर राधा को उचित उपहार लाने के लिए कहा। राधा ने चाँदी की एक सिन्दूरदानी, एक साड़ी और ब्लाउज का एक कपड़ा लाकर दिया। बुआ प्रसन्न होकर अपनी धोती रंग ली और चूड़ियाँ भी पहन ली। सारी तैयारी कर लेने पर वह बुलावे की प्रतीक्षा करने लगी। बुआ के मन में आशा बनी हुई थी कि निश्चित ही उसे बुलावा आएगा। छत पर खड़ी वह प्रतीक्षा करती रह गई । सात बज जाने के बाद राधा ने उसे वेताया कि सात बज गए और खाना बनाने का समय हो गया। निराश बुआ का दिल टूट गया। उनकी सारी आशाओं पर पानी फिर गया।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 6 अकेली

भाषा-बोध :

(i) वाक्य प्रयोग :-

परिवर्तन – परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
संबंध – संबंध के रिश्तों का निर्वाह करना चाहिए।
समस्या – आजकल बेरोजगारी बड़ी समस्या है।
गरूर – धन पाकर गरूर नहीं करना चाहिए।
प्रतीक्षा – सोमा बुआ बुलाने की प्रतीक्षा देर तक करती रही।

(ii) विलोम शब्द लिखें :-

बुढ़िया – बच्ची
वियोग – संयोग
उपस्थित – अनुपस्थित
सजीव – निर्जीव
दुःख – सुख

WBBSE Class 6 Hindi अकेली Summary

जीवन-परिचय :

मन्नू भंडारी नयी कहानी आन्दोलन की प्रतिनिधि कहानीकार हैं। इनके साहित्य में नारी जीवन से जुड़ी सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक व सांस्कृतिक समस्याओं का मार्मिक चित्रण मिलता है। वे घटनाओं की अपेक्षा आधुनिक संसार का कुशल चित्रण करती हैं। इनके प्रमुख कहानी संग्रह – ‘मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘यही सच हैं आदि हैं ।

कहानी का सारांश :- सोमा बुआ अकेली परित्यक्ता नारी है। इकलौते बेटे हरखू की मौत हो जाने से सोमा बुआ को गहरा आधात लगा। उनके पति पुत्र-वियोग के संदर्भ में पत्नी और घर-बार छोड़कर संन्यासी होकर हरिद्वार जा बैठे। वे वर्ष में केवल एक मास के लिए घर आते हैं। उनके स्नेहीनन व्यवहार से सोमा बुआ के मन में उनके प्रति कोई आकर्षण नहीं था। उनकी दैनिक गतिविधियों पर संन्यासी जी अंकुश लगा देते हैं। उनका अड़ोस-पड़ोस के लोगों से मिलने-जुलने पर नियंत्रण हो जाता है। इस एक मास में सोमा बुआ को मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ता है।

उनका दैनिक स्वभाव बदल जाता है। इन दिनों संन्यासी जी आए हुए हैं। सोमा बुआ राधा भाभी को बतलाती है कि कल किशोरी लाल के बेटे के मुंडन पर वह बिना बुलाए चली गई थी। इसी कारण संन्यासी जी से कहासुनी हो गई। सोमा बुआ किशोरी लाल के घर जाकर गुलाब जामुन बनाकर उनकी इज्जत रख ली, क्योंकि पहले बहुत कम गुलाब जामुन बनी थी। बुआ किशोरी लाल को अपने बेटे के समान समझती थी। इसलिए बिना बुलाए चली गई।

एक सप्ताह बाद सोमा बुआ ने संन्यासी जी से कहा कि देवर जी के ससुराल वालों की किसी लड़की का संबंध भगीरथ जी के यहाँ हुआ है। देवर के नाते वे समधी लगते हैं। वे आपको भी अवश्य बुलाएँगे किन्तु संन्यासी जी पर इसका कोई प्रभाव न पड़ा। उन्होंने किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त न की। सोमा बुआ सोचती है कि देवर जी के मरे पच्चीस वर्ष हो गए, उसके बाद कोई संबंध न रहा। इसलिए बुलावा आएगा या नहीं। घर की बड़ी बहू ने कहा कि तुम तो समधिन हो, अत: अवश्य बुलावा आएगा । विधवा ननद ने कहा कि लिस्ट में सोमा बुआ का नाम है।

सोमा बुआ राधा भाभी से विवाह में जाने और उपहार ले जाने के विषय में परामर्श करती हैं। बुआ पाँच रुपये तथा मृत पुत्र की एकमात्र निशानी अंगूठी लाकर राधा भाभी को देती है जिससे वह जो ठीक समझे खरीद ले। ताकि शोभा और सम्मान बना रहे। संन्यासी जो बार-बार ताकीद देते रहे कि बिना बुलावा के वह कदापि न जाए। शाम को राधा भाभी ने सोमा बुआ को चाँदी की एक सिंदूरदानी, एक साड़ी और एक ब्लाउज का कपड़ा लाकर दी। देखकर बुआ प्रसत्र हो उठी। बुआ ने अपनी सफेद साड़ी पीले रंग में रंग कर मांड़ देकर सुखा डाला। चूड़ियाँ भी पहन ली।

एक नई थाली में साड़ी, सिंदूरदानी, एक नारियल, थोड़े से बताशे सजा लिए। अब बुआ बुलावा की प्रतीक्षा करने लगी। फिर राधा भाभी से बोली-पाँच बजे का मुहूर्त है, चार बजे तक जाऊँगी। छत पर खड़ी होकर बुआ बुलावा की प्रतीक्षा करती रही। सात बज जाने पर राधा भाभी ने कहा-बुआ क्या कर रही हो। भोजन नहीं बनाओगी। सोमा बुआ नीचे जाकर सारी सामगी एक संदूक में रख दी। बुझे दिल से अंगीठी जलाने लगी।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 6 अकेली

शब्दार्थ :

  • सदमा – आघात।
  • परित्यक्तता – त्यागी हुई।
  • व्यवधान – बाधा ।
  • तजकर – छोड़कर।
  • अंकुश – नियंत्रण।
  • एकाकीपन – अकेला।
  • संबल – सहारा।
  • परिवर्तन – बदलाव।
  • प्रतीक्षा – इंतजार।
  • उपेक्षा – तिरस्कार ।
  • कुंठित – मंद।
  • अवयव – अंग।
  • संयत – नियंत्रित।
  • भद्दउड़ना – अपमान होना।
  • आक्रोश – गुस्सा।
  • हंगामा – शोरगुल।
  • एकरसता – नीरसता।
  • अनमना – खिन्न।
  • स्वच्छंद – स्वतंत्र।
  • अव्यक्त – गुप्त ।
  • धारा – प्रवाह ।
  • मुहूर्त – शुभ समय।
  • आसरा – उम्मीद।
  • दावत – भोज।
  • गरूर – घमंड।
  • छायामूर्ति – परछाई।
  • पुलकित – रोमांचित, प्रसन्नचित्त।
  • पंगत – पंक्ति।
  • कलदार – यंत्र से बना (रुपया)।
  • रईस – संपन्न।
  • मेजपोश – मेज पर बिछाने वाला कपड़ा।
  • टाँग अड़ाना – किसी के काम में दखल देना।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 5 क्या निराश हुआ जाए

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WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 5 Question Answer – क्या निराश हुआ जाए

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
एक बड़े आदमी ने किसे सुखी कहा है ?
(क) जो कुछ करता है
(ख) जो कुछ नहीं करता
(ग) जो सब कुछ करता है
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) जो कुछ नहीं करता।

प्रश्न 2.
कौन सा चित्र सब समय आदर्शों द्वारा चालित नहीं होता ?
(क) व्यक्ति चित्र
(ख) पशु चित्र
(ग) प्रतिष्ठित चित्र
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) व्यक्ति चित्र।

प्रश्न 3.
आजकल हर व्यक्ति किस दृष्टि से देखा जा रहा है ?
(क) प्रेम की दृष्टि से
(ख) शक की दृष्टि से
(ग) घृणा की दृष्टि से
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) शक की दृष्टि से।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 5 क्या निराश हुआ जाए

प्रश्न 4.
भारतवर्ष किसे सदा धर्म के रूप में देखता आ रहा है ?
(क) कानून को
(ख) रंगून को
(ग) मानव को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) कानून को।

प्रश्न 5.
किसमें रस लेना बुरी बात है ?
(क) अच्छाई में
(ख) बुराई में
(ग) फरेब में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) बुराई में ।

प्रश्न 6.
लोग दूसरों में क्या खोजते हैं?
(क) गुण
(ख) दोष
(ग) गौरव
(घ) कष्ट
उत्तर :
(ख) दोष।

प्रश्न 7.
नियम कानून किसके लिए बनते हैं ?
(क) प्रष्टाचारी के लिए
(ख) ईमानदारो के लिए
(ग) सब के लिए
(घ) चोरो के लिए.
उत्तर :
(ग) सब के लिए।

प्रश्न 8.
आज किसको लोग मजाक समझने लगे ?
(क) आदर्शों को
(ख) शिक्षा को
(ग) स्वास्थ्य को
(घ) ईमानदारी को
उत्तर :
(क) आदर्शों को।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 5 क्या निराश हुआ जाए

प्रश्न 9.
लेखक गलती से रेलवे स्टेशन पर कितने का नोट दे दिया ?
(क) 20 की जगह 100 के नोट
(ख) 10 की जगह 100 के नोट
(ग) 50 की जगह 100 के नोट
(घ) 20 की जगह 10 के नोट
उत्तर :
(ख) 10 की जगह 100 के नोट।

प्रश्न 10.
कौन चकित रह गए ?
(क) लेखक
(ख) टिकट बाबू
(ग) पत्नी
(घ) बच्चे
उत्तर :
(क) लेखक।

प्रश्न 11.
कौन साइकिल लेकर तुरंत चल दिया ?
(क) लेखक
(ख) बस कंडक्टर
(ग) टिकट बाबू
(घ) ड्राइवर
उत्तर :
(ख) बस कंडक्टर।

प्रश्न 11.
ड्राइवर को किसने बचाया ?
(क) टिकट बाबू
(ख) बस कंडक्टर
(ग) यात्री
(घ) लेखक
उत्तर :
(घ) लेखक।

प्रश्न 12.
हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) आरा
(ख) बलिया
(ग) छपरा
(ग) गाजीपुर
उत्तर :
(ख) बलिया ।

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प्रश्न 13.
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म कब हुआ था?
(क) सन् 1906 ई.
(ख) सन् 1907 ई.
(ग) सन् 1908 ई.
(घ) सन् 1909 ई.
उत्तर :
(ख) सन् 1907 ई.।

प्रश्न 14.
द्विवेदी जी निम्न में से किस विश्वविद्यालय में हिन्दी-विभागाध्यक्ष के पद पर नहीं रहे?
(क) शांति-निकेतन
(ख) काशी हिन्दू विश्चविद्यालय
(ग) दिल्ली विश्धविद्यालय
(घ) पंजाब विश्चविद्यालय
उत्तर :
(ग) दिल्ली विश्वविद्यालय।

प्रश्न 15.
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के पिता का नाम क्या था ?
(क) पंडित अनमोल द्विवेदी
(ख) पंडित श्यामसुंदर द्विवेदी
(ग) पंडित मोहन प्रसदा द्विवेदी
(घ) पंडित श्रीधर द्विवेदी
उत्तर :
(क) पंडित अनमोल द्विवेदी।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
कौन अपने गौरव को त्याग नहीं सकता ?
उत्तर :
भारत कभी अपने गौरव को त्याग नहीं सकता।

प्रश्न 2.
आज कौन लोग कष्ट पा रहे हैं ?
उत्तर :
आज ईमानदार तथा सच्चे इंसान कष्ट पा रहे हैं।

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प्रश्न 3.
आज कौन लोग फल-फूल रहे हैं ?
उत्तर :
बेईमान, धोखेबाज लोग फल-फूल रहे हैं।

प्रश्न 4.
सच्चाई कैसे लोग के हिस्से पड़ी है ?
उत्तर :
सच्चाई केवल भीरू और लाचार लोगों के हिस्से पड़ी है।

प्रश्न 5.
किसके प्रति लोगों का विश्वास हिलने लगा ?
उत्तर :
जीवन के महान मूल्यों के प्रति लोगों का विश्वास हिलने लगा है।

प्रश्न 6.
भारत में किन वस्तुओं के संग्रह को महत्व नहीं दिया जाता ?
उत्तर :
भारत में कभी भी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को महत्त्व नहीं दिया।

प्रश्न 7.
आज लोग किस संग्रह को अच्छा नहीं समझते ?
उत्तर :
भ्रष्टाचार तथा गलत तरीके से धन संग्रह को अच्छा नहीं समझता।

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प्रश्न 8.
लेखक के बच्चे क्यों चिल्ला रहे थे ?
उत्तर :
लेखक के बच्चे पानी के लिए चिल्ला रहे थे।

प्रश्न 9.
कौन ड्राइवर को मारने के लिए उतारू हो गये ?
उत्तर :
कुछ यात्री बस ड्राइवर को मारने के लिए उतारू हो गए।

प्रश्न 10.
लेखक के अनुसार आज के समाज में कौन-कौन सी बुराइयाँ दिखाई देती हैं ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार आज के समाज में ठगी, डकेती, चोरी, तस्करी, भ्रष्टाचार की बुराइयाँ दिखाई देती हैं। हर आदमी संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है।

प्रश्न 11.
क्या कारण है कि आज हर आदमी में दोष अधिक दिखाई दे रहे हैं ?
उत्तर :
आज जो आदमी जो कुछ भी करता है उसमें उतने अधिक दोष दिखाए जाते हैं। उसके सारे गुण भुला दिए जाते हैं, दोषों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाने लगा है। यही कारण है कि आज हर आदमी में दोष अधिक दिखाई देता है।

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प्रश्न 12.
लेखक दोषों का पर्दाफाश करते समय किस बात से बचने के लिए कहता है ?
उत्तर :
लेखक का विचार है – दोषों का पर्दाफाश करते समय किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस नहीं लेना चाहिए। दोष उद्घाटन को एकमात्र कर्त्तव्य नहीं मान लेना चाहिए। बुराई में रस लेना उचित नहीं है।

प्रश्न 13.
कुछ यात्री बस ड्राइवर को मारने के लिए क्यों उतारू हो गए ?
उत्तर :
यात्रियों ने सोचा कि कंडक्टर डाकुंओं को बुलाने चला गया है। इस भय के कारण कुछ यत्रियों ने ड्राइवर को मारने के लिए उतारू हो गए।

प्रश्न 14.
लेखक क्या देखकर चकित हो जाता है ?
उत्तर :
टिकट बाबू लेखक को पहचान कर विनम्रता के साथ उनके हाथ में नब्बे रुपये रख दिए और अपनी गलती भी स्वीकार की। अपनी ईमानदारी के कारण टिकट बालू के चेहरे पर संतोष और गरिमा झलकने लगी। इसे देखकर लेखक चकित हो गया।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
हमारे महापुरुषों के सपनों का भारत का क्या स्वरूप था ?
उत्तर :
हमारे महापुरुषों ने एक महान भारत का सपना देखा था। तिलक और गाँधी ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था जहाँ कोई दु:खी न हो, किसी प्रकार समाज में भेद-भाव न हो। सत्य-अहिंसा लोगों का व्रत हो, ईमानदारी, सच्चाई का ही माहौल हो। रवीन्द्रनाथ ठाकुर, मालवीय जैसे महान व्यक्तियों ने संस्कृतिमय भारत की कल्पना की थी। विभिन्न संस्कृतियों को आत्मसात् एक महान विश्वव्यापी संस्कृति की कल्पना की थी।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 5 क्या निराश हुआ जाए

प्रश्न 2.
भ्रष्टाचार आदि के विरुद्ध आक्रोश प्रकट करना किस बात को प्रमाणित करता है ?
उत्तर :
भष्टाचार आदि के विरुद्ध आक्रोश से यह प्रमाणित होता है कि आज भी लोग गलत तरीके से धन या मान संग्रह करने वालों को गलत समझते हैं और ऐसे तत्त्वों की समाज में प्रतिष्ठा कम करना चाहते हैं।

प्रश्न 3.
जीवन के महान मूल्यों के प्रति आज हमारी आस्था क्यों हिलने लगी है ?
उत्तर :
इन दिनों ऐसा वातावरण बन गया है कि ईमानदारी से मेहनत करके जीविका चलाने वाले निरीह और भोलेभाले मजदूर पिस रहे हैं और झूठ तथा फरेब का रोजगार करने वाले फल-फूल रहे हैं। ईमानदारी को मूख्खता समझा जा रहा है। केवल भीरु और लाचार लोग ही सच्चाई पर चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में आज जीवन के महान् मूल्यों के प्रति हमारी आस्था हिलने लगी है।

प्रश्न 4.
जो आज ऊपर-ऊपर दिखाई दे रहा है वह कहाँ तक मनुष्य निर्मित नीतियों की त्रुटियों की देन है ?
उत्तर :
जो आज ऊपर-ऊपर दिखाई दे रहा है वह मनुष्य निर्मित नीतियों की त्रुटियों की देन हैं। मनुष्य अपनी बुद्धि से नई परिस्थितियों का सामना करने के लिए नये सामाजिक विधि-निषेधों को बनाता है। ठीक साबित न होने पर उन्हें बदलता है। एक ही नियम-कानून कभी-कभी सब के लिए सुखकर नहीं होते। कानून कभी आदर्शों से टकराते है। कभी ऊपरी सतह पर उनका मंथन होता है पर इससे निराश नहीं होना चाहिए।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 5 क्या निराश हुआ जाए

प्रश्न 5.
रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने भगवान से क्या प्रार्थना की और क्यों ?
उत्तर :
कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने भगवान से प्रार्थना की कि संसार में केवल नुकसान ही उठाना पड़े, धोखा ही खाना पड़े तो ऐसे अवसरों पर प्रभु उन्हें ऐसी शक्ति दे कि वे उनपर संदेह न करें।

प्रश्न 6.
“वर्तमान परिस्थितियों में भी हताश हो जाना ठीक नहीं है।” इस कथन की पुष्टि में लेखक ने क्या-क्या उदाहरण दिया हैं ?
उत्तर :
आज विषम से विषम परिस्थितियों में भी मनुष्य को निराश नहीं होना चाहिए। इस कथन की पुष्टि लेखक ने टिकट बाबू की ईमानदारी तथा बस कंडक्टर की कर्त्त्य्यपरायणता तथा मानवता का उदाहरण देकर स्पष्ट किया है।

प्रश्न 7.
“महान भारतवर्ष को पाने की संभावना बनी हुई है और बनी रहेगी।” लेखक के इस कथन से हमें क्या संदेश मिलता है ?
उत्तर :
लेखक के इस कथन से यह संदेश मिलता है कि अभी आशा की रोश्नी बुझी नहीं है। मन को निराश होने की जरूरत नहीं है। सच्चाई, ईमानदारी जैसे गुण अभी लुप्त नहीं हुए हैं। गलत परिणाम तक पहुँचने वाली मनुष्य निर्मित विधियों को बदल कर मानव हित में उपयोगी विधियों को अमल में लाना होगा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न :
लेखक के साथ घटी दोनों घटनाओं का उल्लेख कीजिए तथा बताइए कि इससे हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर :
जीवन में सैकड़ों घटनाएँ घटती हैं जिन्हें उजागर करने से लोक चित्त में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जगती है। एक बार रेलवे स्टेशन पर टिकट लेते हुए गलती से लेखक ने दस के बजाय सौ रुपये के नोट दिये। फिर जल्दी-जल्दी जाकर गाड़ी में बैठ गए। थोड़ी देर में टिकट बाबू सेकण्ड क्लास के डिब्बे में हर आदमी का चेहरा पहचानता हुआ आया। उसने लेखक को पहचान कर बड़ी विन्रता के साथ उनके हाथ में नब्बे रुपये रख दिए। अपनी भूल स्वीकार की। उनके चेहरे पर विचिर्र संतोष की गरिमा थी। लेखक चकित रह गए।

दूसरी घटना इस प्रकार है कि एक बार लेखक अपनी पत्ली और तीन बच्चों के साथ बस में यूत्रा कर रहे थे। बस में कुछ खराबी आ गई इसलिए गंतव्य से आठ किलोमीटर पहले ही एक सुनसान स्थान में रुक गई। रात के दस बजे थे, सभी यात्री घबरा गए। कंडक्टर उतर गया और एक साइकिल लेकर चलता बना। लोगों को संदेह हो गया कि उन्हें धोखा दिया जा रहा है। डकैती की आशंका से लोग भयभीत हो गए। लोगों ने ड्राइवर को पकड़ कर उसे मारने-पीटने का निश्चय किया। ड्राइवर ने कातर दृष्टि से लेखक की ओर देखने लगा और बोला कि हमलोग बस का कोई उपाय कर रहे हैं, इसलिए हमें बचाइए। लेखक ने यात्रियों को समझाया कि मारना ठीक नहीं है। लोगों ने ड्राइवर को मारा तो नहीं पर, एक जगह घेर कर रखा।

यात्रियों ने सोचा कि यदि दुर्घटना होती है तो ड्राइवर को समाप्त कर देना उचित होगा। इसी समय बस कंडक्टर अड्डे से एक नयी बस लेकर आग गया। सभी यात्रियों को उसमें बैठने के लिए कहा। लेखक के पास एक लोटा पानी और थोड़ा सा दूध लेकर आया और बोला पंडितजी बच्चों का रोना मुझसे देखा नहीं गया, वहीं से थोड़ा दूध और पानी लेता आया हूँ। सबने उसे धन्यवाद दिया। ड्राइवर से माफी मांगी। बारह बजे से पहले ही सब लोग बस अन्डे पर पहुँच गए।

इन कहानियों से यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्यता एकदम समाप्त नहीं हो गई है। लोगों में अब भी दया-माया की भावन बची हुई है। अत: ईमानदारी, सच्चाई, सेवा, परोपकार जैसे सद्गुण अभी लुप्त नहीं हुए हैं। इसलिए व्यक्ति को निराश नहीं होना चाहिए।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 5 क्या निराश हुआ जाए

भाषा-बोध :

(क) निम्नलिखित वाक्यों में सर्वनाम छाँटते हुए उनके नाम बताइए।

  1. मेरा मन कभी-कभी बैठ जाता है।
  2. दोष किसमें नहीं होता।
  3. इन दिनों कुछ ऐसा माहौल बना है।
  4. आज भी वह मनुष्य से प्रेम करता है।
  5. रात के कोई दस बजे हैं।

उत्तर :

  1. मेरा – संबंध वाचक सर्वनाम।
  2. किसमें – प्रश्नवाचक सर्वनाम।
  3. कुछ – अनिश्चयवाचक सर्वनाम।
  4. वह – पुरुषवाचक सर्वनाम।
  5. कोई – अनिश्चयवाचक सर्वनाम।

(ख) विलोम शब्द लिखें :-

ईमानदार – बेईमान
सुखी – दुःखी
गुण – दोष
निश्चय – अनिश्चय
रोजगार – बेरोजगारी

WBBSE Class 6 Hindi क्या निराश हुआ जाए Summary

जीवन-परिचय :

द्विवेदी जी का जन्म सन् 1907 में बलिया जिला के दूबेछपरा गाँव में हुआ था। 20 वर्षों तक द्विवेदी जी शान्ति निकेतन में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के भी अष्यक्ष रहे। सन् 1971 में इनका देहान्त हो गया। इनकी प्रमुख रचनाएँ – हिन्दी साहित्य की भूमिका, अशोक के फूल, बाणभट्ट की आत्मकथा, चारुचन्द्रलेख, पुनर्नवा, अनामदास का पोथा आदि हैं। भारत सरकार ने इन्हे पद्यविभूषण की उपाधि से सम्मानित किया।

सारांश – समाचार पत्रों में चोरी, तस्करी, भ्रष्टाचार आदि की खबरों से लेखक का मन बैठ जाता है। दोषारोपण के कारण लगता है कि देश में कोई ईमानदार रह ही नहीं गया है। लोग दूसरों में दोष ही खोजते हैं, गुणों को भुला दिया जाता है पर हमारे मनीषियों का भारत के प्रति जो सपना है वह समाप्त नहीं हो सकता। विभिन्न संस्कृति का मिलन केन्द्र भारत कभी अपने गौरव को त्याग नहीं सकता।

आज ईमानदार तथा सच्चे इंसान कष्ट पा रहे हैं। बेईमान, धोखेंबाज लोग फल-फूल रहे हैं। सच्चाई केवल भीरू और लाचार लोगों के हिस्से पड़ी है। जीवन के महान मूल्यों के प्रति लोगों का विश्वास हिलने लगा है।

नियम-कानून सब के लिए बनते हैं पर सदा वे नियम सबके लिए सुखकर नहीं होते। भारत में कभी भी भौतिक वस्तुओं के संप्रह को महत्त्व नहीं दिया। लोभ-मोह-कोध आदि स्वाभाविक विचारों के इशारेषर मन तथा बुद्धि को छोड़ देना बुरा आचरण है। उन पर संयम रखने का प्रयत्न करना चाहिए। गरीबों की अवस्था को सुधारने, कृषि, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ को उन्नत और सुचारु बनाने की जिम्मेदारी जिन्हें सौंपी जाती है वे लक्ष्य को भूलकर अपनी सुख-सुविधा पर ज्यादा ध्यान देते हैं।

आज आदर्शों को लोग मजाक समझने लगे हैं। संयम को पुरातनपंधी मान लिया गया है। पर भारत के प्राचीन आदर्श महान और उपयोगी बने हुए हैं। भारतवर्ष सदा कानून को धर्म के रूप में देखता है। धर्म कानून से बड़ी चीज है। अब भी सेवा, सच्चाई, ईमानदारी, आध्यात्मिकता के मूल्य बने हुए हैं। आज भी मनुष्य एक दूसरे से प्रेम करता है। महिलाओं का सम्मान करता है, झूठ, चोरी, पर पीड़ा को पाप समझता है। भ्रष्टाचार तथा गलत तरीके से धन संग्रह को अच्छा नहीं समझता। बुराई में रस लेना बुरी बात है। दोषपूर्ण कथन को कर्त्तव्य मान लेना अनुचित है। किसी के सदुगुणों को उजागर न करना बुरी बात है। अच्छी घटनाओं के उजागर करने से लोगों के मन में अच्छी भावना जगती है।

एक बार लेखक ने रेलवे स्टेशन पर टिकट लेते हुए गलती से दस के बजाय सौ रुपये का नोट दे दिए। फिर जल्दी से जाकर गाड़ी में बैठ गए। थोड़ी देर में टिकट बाबू ने डिब्बे में आकर उन्हें पहचान लिया और उनके हाथ में नब्बे रुपये देकर संतोष की गरिमा का अनुभव किया। लेखक चकित रह गए। इससे स्पष्ट होता है कि दुनिया से सच्चाई- ईमानदारी लुप्त नहीं हुई है।

एक बार लेखक अपनी पत्नी तथा तीन बच्चों के साथ बस में यात्रा कर रहे थे। कुछ खराबी के कारण बस गंतव्य से पहले ही एक सूनसान स्थान में रुक गई। बस कंडक्टर एक साइकिल लेकर तुरंत चल दिया। लोगों को संदेह हुआ कि उन्हें धोखा दिया जा रहा है। लेखक के बच्चे पानी के लिए चिल्ला रहे थे। कुछ यात्री बस ड्राइवर को मारने के लिए उतारू हो गए। लेखक ने किसी तरह ड्राइवर को बचाया। इसी समय बस कंडक्टर अड्डु से एक नई बस लेकर आ गया और लोगों को उसमें बैठने के लिए कहा। लेखक के बच्चों के लिए एक लोटे में पानी और थोड़ा दूध भी लेता आया था। वह बोला कि बच्चों का रोना मुझसे देखा नहीं गया। सबने उसे धन्यवाद दिया। ड्राइवर से माफी माँगी। बारह बजे से पहले सब लोग बस अड्डे पर पहुँच गए। इन घटनाओं से सिद्ध हो जाता है कि मनुष्यता एकदम समाप्त नहीं हो गई है। लोगों में दयामाया, सेवा की भावना आज भी मौजूद है।

दोनों प्रकार की स्थितियाँ समाज में बनी हुई है। धोखा, छल, कपट, विश्वासघात भी है तो लोगों के द्वारा दूसरे की अकारण सहायता भी है। इससे निराश मन को सांत्वना मिलती है। कविवर रवीन्द्रनाथ ने भगवान से प्रार्थना की कि संसार में केवल नुकसान ही उठाना पड़े, धोखा ही खाना पड़े तो ऐसे अवसरों पर प्रभु उन्हें ऐसी शान्ति दे कि वे उनपर संदेह न करें। अभी आशा की ज्योति बुझी नहीं है। महान भारतवर्ष को पाने की संभावना बनी हुई है, बनी रहेगी। अत: निराश होने की जरूरत नहीं है।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 5 क्या निराश हुआ जाए

शब्दार्थ :

  • तस्करी – चोरी।
  • भीरु – डरपोक।
  • भ्रष्टाचार – घूसखोरी।
  • निरीह – असहाय।
  • आरोप – इलजाम।
  • बेवश – लाचार।
  • दोष – बुराई, अवगुण।
  • आस्था – विश्वास।
  • अतीत – बीता हुआ।
  • विधि-निषेध – करने न करने का नियम ।
  • गह्वर – गुफा।
  • परीक्षित – परखे हुए।
  • मनीषियों – ज्ञानी, विचारशील।
  • निर्मित – बनाया।
  • माहौल – वातावरण।
  • तुटियाँ – गलतियाँ।
  • संदेह – शक।
  • जीविका – रोजी-रोटी।
  • विकार – बुराई।
  • श्रमजीवी – मजदूर।
  • निकृष्ट – बुरा आचरण।
  • फरेब – धोखा।
  • संग्रह – जमा।
  • आलोड़न – सोच विचार, मंथन।
  • दकियानूसी – पुरातन पंथी।
  • मनुष्यता मानवीय गुण।
  • उपेक्षा – निरादर, तिरस्कार।
  • अकारण – बिना कारण के ।
  • अवांछित – अनचाहा।
  • ढाढ़स – दिलासा, सांत्वना।
  • लुप्त – गायब।
  • नुकसान – हानि।
  • वंचना – धोखा, छल।
  • ज्योति – रोशनी।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 4 अपूर्व अनुभव

Students should regularly practice West Bengal Board Class 6 Hindi Book Solutions Chapter 4 अपूर्व अनुभव to reinforce their learning.

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 4 Question Answer – अपूर्व अनुभव

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
तोत्तो-चान कहाँ की रहने वाली थी ?
(क) तोमोए
(ख) कूहोन्बुत्सु
(ग) डेनेन चोफु
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर :
(क) तोमोए

प्रश्न 2.
बच्चे अपने-अपने पेड़ को मानते थे –
(क) निजी संपत्ति
(ख) परायी संपत्ति
(ग) तोत्तो-चान की सम्पत्ति
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(क) निजी संपत्ति

प्रश्न 3.
तोत्तो-चान एवं यासुकी-चान में क्या थी।
(क) मित्रता
(ख) शत्रुता
(ग) भाईचारा
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(क) मित्रता

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 4 अपूर्व अनुभव

प्रश्न 4.
तोत्तो-चान किसे अपने पेड़ पर चढ़ाने वाली थी ?
(क) यासुकी-चान को
(ख) तेत्सुको कुरियानागी को
(ग) सुमोयान को
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर :
(क) यासुकी-चान

प्रश्न 5.
यासुकी-चान को कौन-सा रोग था ?
(क) लकवा
(ख) पोलियो
(ग) मिरगी
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(ख) पोलियो

प्रश्न 6.
कौन संघर्ष कर अन्त में ऊपर पहुँच गया ?
(क) यासुकी-चान
(ख) तेत्सुको कुरियानागी
(ग) तोत्तो-चान
(घ) वान-फू
उत्तर :
(क) यासुकी-चान

प्रश्न 7.
यासुकी-चान की बहन कहाँ रहती थी ?
(क) जापान
(ख) लंदन
(ग) अमेरिका
(घ) भारत
उत्तर :
(ग) अमेरिका

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 4 अपूर्व अनुभव

प्रश्न 8.
उन दिनों किसके बारे में कोई नहीं जानता था ?
(क) टेलीविजन
(ख) मोबाइल
(ग) मोटर कार
(घ) साईकिल
उत्तर :
(क) टेलीविजन

प्रश्न 9.
यासुकी-चान का घर कहाँ था ?
(क) नागीसाका
(ख) तोमोए
(ग) कुछोन्बुत्सु
(घ) डेनेनचोफु
उत्तर :
(घ) डेनेनचोफु

प्रश्न 10.
तेत्सुको कुरियानागी का जन्म कब हुआ था ?
(क) सन् 1930 में
(ख) सन् 1931 में
(ग) सन् 1932 में
(घ) सन् 1933 में
उत्तर :
(घ) सन् 1933 में।

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प्रश्न 11.
तेत्सुको कुरियानागी का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) जापान में
(ख) अमेरिका में
(ग) चीन में
(घ) कोरिया में
उत्तर :
(क) जापान में।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
तोत्तो-चान के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन कब आया ?
उत्तर :
सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद तोत्तो-चान के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन आया। उस दिन उसने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का निमंत्रण दिया था।

प्रश्न 2.
यासुकी-चान कौन था ?
उत्तर :
यासुकी-चान डेनेनचोफु का रहने वाला था। उसे पोलियो की बीमारी थी। वह तोत्तो-चान का मित्र था।

प्रश्न 3.
तोत्तो-चान का पेड़ कहाँ था ?
उत्तर :
तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जाने वाली सड़क के पास था।

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प्रश्न 4.
द्विशाखा क्या है ?
उत्तर :
किसी पेड़ पर दो डालों के मिलन विन्दु को द्विशाखा कहते हैं।

प्रश्न 5.
यासुकी-चान के हाथ-पैर कैसे थे ?
उत्तर :
यासुकी-चान के हाथ-पैर पोलियो के कारण कमजोर और बेकार हो गए थे। उसके हाथ की उँगलियाँ पिचकी और अकड़ी थीं। उसके पाँव चलने में असमर्थ थे।

प्रश्न 6.
तोत्तो-चान स्कूल पहुँची तो मैदान में उसे कौन मिल गया ?
उत्तर :
तोत्तो-चान स्कूल पहुँची तो मैदान में उसे यासुकी चान मिल गया।

प्रश्न 7.
तोत्तो-चान क्या सोचने लगी ?
उत्तर :
तोत्तो-चान सोचने लगी कि छोटे डिब्बे से टेलीविजन में सूमो पहलवान कैसे समा-सकते हैं।

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प्रश्न 8.
तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने में कैसे सफलता हासिल की ?
उत्तर :
तोत्तो-चान ने अपनी दृढ़ इच्छा के द्वारा ही अपंग यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने में सफलता हासिल की।

प्रश्न 9.
यासुकी-चान पेड़ पर क्यों नहीं चढ़ पाता था ?
उत्तर :
यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था।

प्रश्न 10.
कौन अपने नन्हें हाथों से यासुकी-चान को खींचने लगी ?
उत्तर :
तोत्तो-चान अपने नन्हें हाथों से यासुकी-चान को खींचने लगी ।

प्रश्न 11.
कौन पेड़ की द्विशाखा पर थे ?
उत्तर :
तोत्तो-चान और यासुकी-चान।

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प्रश्न 12.
यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह कैसा मौका था ?
उत्तर :
यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अन्तिम मौका था।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
तोत्रो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ पर क्यों चढ़ने देना चाहती थी?
उत्तर :
तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाकर तमाम नई-नई चीजें दिखाना चाहती थी। यासुकी-चान से उसकी मित्रता तथा सहानुभूति थी। इसलिए उसे अपने पेड़ पर चढ़ने देना चाहती थी।

प्रश्न 2.
तोत्तो-चान माँ से क्या कहकर घर से निकली ?
उत्तर :
तोत्तो-चान ने माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेन चोफु जा रही है। इस प्रकार माँ से झूठ कह कर घर से निकली।

प्रश्न 3.
‘अपूर्व अनुभव’ कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर :
इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि किसी भी प्रकार की दृढ़ इच्छा बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती है । तोत्तो-चान की योजना अपंग यासुंकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की थी। यह जोखिम भरा कठिन काम था। पर एक लड़की ने अपनी तीव्व इच्छा शक्ति और बुद्धि के उपयोग से सफलता प्राप्त कर ली।

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प्रश्न 4.
“सूरज का ताप उन पर चढ़ रहा था। पर दोनों का ध्यान यासुकी-चान के ऊपर तक पहुँचने में रमा था।’ ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
तोत्तो-चान तथा यासुकी-चान दोनों को यह पता न चला कि यासुकी-चान को ऊपर चढ़ने में कितना समय लगा। सूर्य की तेज धूप उन पर पड़ने लगी थी। सूर्य कहाँ तक आकाश में चढ़ गए हैं, तेज धूप पड़ने लगी है। इस बात का उन्हें कोई ज्ञान न हो सका । दोनों का ध्यान केवल इस बात में लगा हुआ था कि यासुकी-चान कब पेड़ पर ऊपर चढ़ जाता है। किसी भी कार्य में मन के रम जाने पर समय का ज्ञान नहीं हो पाता कि कितना समय हो गया है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
प्रस्तुत कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि दृढ़ इच्छा, बुद्धि और कठोर परिश्रम से किसी भी काम में सफलता मिल जाती है।
उत्तर :
यदि आदमी में दृढ़ इच्छा शक्ति है तो वह अपनी बुद्धि और परिश्रम से असंभव प्रतीत होने वाले काम को संभव बना कर संपन्न कर डालता है। तेत्सुको को कुरियानागी ने तोत्तो-चान के उदाहरण से इसे स्पष्ट किया है। तोत्तोचान ने अपनी दृढ़ इच्छा के द्वारा ही अपंग यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने में सफलता हासिल की। यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था। तात्तो-चान ने गुप्त रूप से यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ने के लिए आमंत्रित किया, योजना को सफल बनाने के लिए वह यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गई।

उसने चौकीदार की छत से एक सीढ़ी घसीटते हुई लाई। सहारे के लिए सीढ़ी को द्विशाखा तक पहुँचने के लिए तने के सहारे खड़ा कर दिया। सीढ़ी को पकड़कर उसने उसी प्रकार उसे ऊपर चढ़ने के लिए कहा। हाथ-पैर अत्यंत कमजोर होने के कारण वह पहली सीढ़ी पर बिना सहारे नहीं चढ़ पाता। तोत्तो-चान के धकियाने पर भी वह नहीं चढ़ पाया और अपना पैर सीढ़ी पर से हटा लिया। दोनों में उत्साह था दोनों इस काम में सफल होना चाहते थे। अन्त में वह चौकीदार के छपर से एक तिपाईसीढ़ी ले आई। तिपाई-सीढ़ी द्विशाखा तक पहुँच रही थी।

यासुकी-चान निश्चय के साथ चढ़ने लगा। ऊपर तक चढ़ गया। तोत्तो-चान तो सीढ़ी पर से छलांग लगा कर द्विशाखा पर पहुँच गई। पर यासुकी-चान को सीढ़ी से पेड़ पर लाने की हर कोशिश बेकार हो गई। अन्त में तोत्तो-चान उसका हाथ अपने हाथ में थाम ली । फिर उसे लेट जाने के लिए कहा और उसे पेड़ पर खींचने की कोशिश करने लगी। कड़ी धूप के बावजूद बादल उन्हें छाया दे रहा था। काफी मेहनत के बाद दोनों आमने-सामने पेड़ की द्विशाखा पर थे। यासुकी-चान ने आज जीवन में पहली बार दुनियी की एक झलक देखी। वह खुश था। दोनों पेड़ पर बातें करते रहे। दोनों बेहद प्रसन्न थे। इस प्रकार तोत्तो-चान ने अपनी लगन, साहस, दृढ़ इच्छा-शक्ति से जोखिम भरे काम में सफलता प्राप्त कर ली।

इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि व्यक्ति में यदि किसी भी कार्य को संपन्न करने की गहरी रुचि तथा शक्ति है तो वह अपने साहस, लगन तथा कर्मठता से सफलता प्राप्त कर लेता है। कार्य करते समय बीच-बीच में बाधाएं भी आती हैं। काम कठिन प्रतीत होने लगता है। पर ऐसी स्थिति में व्यक्ति को निराश नहीं होना चाहिए। बुद्धि का उपयोग नये-नये साधन जुटा कर कार्य में लग जाना चाहिए। साहसी, कर्मठ और आशावादी पुरुष के पाँव को सफलता अवश्य चूमती है।

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भाषा-बोध :

1. वाक्य प्रयोग करें –

शिविर – सैनिक शिविर में आराम करते हैं।
न्योता – रमा ने अपनी सहेली को न्योता दिया।
छुट्टी – रविवार को छुट्टी रहती है।
संपत्ति – मेरे पास थेड़ी सी संपत्ति है।
उल्लास – उसके मन में बड़ा उल्लास था।

2. विलोम शब्द लिखें :-

ऊपर – नीचे
आकाश – पाताल
झूठ – सच
पीछे – आगे
गरमी – जाड़ा

WBBSE Class 6 Hindi तिवारी का तोता Summary

जीवन-परिचय :

तेत्सुको कुरियानागी का जन्म जापान के नागी साका में सन् 1933 में हुआ था। इनकी रचनाओं में समाजिक तथा मानवीय मूल्यों का आधार परिलक्षित होता है।

कहानी का सारांश – तोत्तो-चान के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन आया, जब उसने यासूनी चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का निमंत्रण दिया। तोमोए में प्रत्येक बालक बाग के एक-एक पेड़ को अपने चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्तोचान का पेड़ बहुत बड़ा था। परंतु छह फुट की ऊँचाई पर एक द्विशाखा थी। वहाँ झूले सी आरामदायक जगह थी। बच्चे अपने पेड़ को अपनी निजी संपत्ति समझते थे। तोत्तो-चान उस पर चढ़कर लोगों को देखती थी। यासुकी-चान को पोलियो था। इसलिए वह पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था। तोत्तो-चान ने सभी से छिपाकर उसे न्योता दिया था। तोत्तो-चान स्कूल पहुँची तो मैदान में उसे यासुकी चान मिल गया। यासुकी-चान पैर घसीटता हुआ उसकी ओर बढ़ा। तोत्तो-चान भी उत्तेजित थी। उल्लास में दोनों हँसने लगे।

तोत्तो-चान उसे पेड़ की ओर ले गई। फिर चौकीदार के छपर से एक सीढ़ी घसीटती हुई लाई। उसे तने के सहारे लगाकर एक कुरसी पर चढ़कर सीढ़ी के किनारे को पकड़ लिया। यासुकी-चान पहली सीढ़ी पर बिना सहारे नहीं चढ़ पाया। छोटी और नाजुक सी तोत्तो-चान उसे पीछे से धकियाने लगी। पर सफल न हो सकी। यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की उसकी हार्दिक इच्छा थी। यासुकी-चान के मन में भी उत्साह था। फिर वह चौकीदार के छपर से एक तिपाई लाई। तिपाई की ऊपरी सीढ़ी द्विशाखा तक पहुँच रही थी। यासुकी-चान निश्चय के साथ पाँव उठाकर पहली सीढ़ी पर रखा।

तोत्तो-चान नीचे से उसका एक-एक पैर सीढ़ी पर रखने में मदद कर रही थी। यासुकी-चान पूरी शक्ति के साथ संघर्ष कर अन्त में ऊपर पहुँच गया। तोत्तो-चान छलांग लगा कर द्विशाखा पर पहुँची, पर यासुकी-चान सीढ़ी से पेड़ पर न आ सका। तोत्तो-चान उसका हाथ पकड़ कर बोली तुम लेट जाओ, मैं तुम्हें पेड़ पर खींचने की कोशिश करूँगी। वह अपने नन्हें हाथों से पूरी ताकत से यासुकी-चान को खींचने लगी।

काफी मेहनत के बाद दोनों आमने-सामने पेड़ की द्विशाखा पर थे। तोत्तो-चान ने अपने पेड़ पर उसका स्वागत किया। उस दिन यासुकी-चान ने अत्यंत प्रसन्न होकर दुनिया की एक नई झलक देखी। दोनों बड़ी देर तक इधर-उधर की बातें करते रहे। यासुकी-चान ने कहा कि उसकी बहन अमेरिका में है । उसने बताया कि टेलीविजन एक ऐसी वस्तु है, जिसमें घर बैठे ही सूमो-कुश्ती देख सकेंगे। तोत्तो-चान सोचने लगी कि छोटे डिब्बे से टेलीविजन में सूमो पहलवान कैसे समासकते हैं। उन दिनों टेजीविजन के बारे में कोई नहीं जानता था। यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अन्तिम मौका था। दोनों अपनी सफलता पर बेहद खुश थे।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 4 अपूर्व अनुभव

शब्दार्थ :

  • शिविर – डेरा, छावनी।
  • चौकीदार – पहरेदार।
  • न्योता – निमंत्रण।
  • हताशा – निराशा।
  • उदास – निराश।
  • द्विशाखा – दो डालियों का मिलन केन्द्र ।
  • निजी – अपनी।
  • शक्ति – बल।
  • शिष्टता – व्यावहारिकता।
  • हैरान आश्चर्य।
  • पोलियो – एक बीमारी।
  • थामे रहना – पकड़े रहना।
  • उल्लास – खुशी।
  • ताप – गर्मी।
  • रम – लीन।
  • तरबतर भींगा हुआ।
  • बेहद – बहुत।
  • टेलीविजन – दूरदर्शन।
  • मौका – अवसर।
  • गषें लड़ाना – बातें करना।
  • लुभावनी – मन मोहने वाली।
  • जूझना – संघर्ष करना।
  • उत्तेजित – प्रोत्साहित।
  • उमंग – उत्साह

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 तिवारी का तोता

Students should regularly practice West Bengal Board Class 6 Hindi Book Solutions Chapter 3 तिवारी का तोता to reinforce their learning.

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 Question Answer – तिवारी का तोता

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
तिवारी का तोता किस विधा की रचना है ?
(क) कविता
(ख) कहानी
(ग) नाटक
(घ) एकांकी
उत्तर :
(ख) कहानी।

प्रश्न 2.
पण्डित तिवारी कहाँ रहते थे ?
(क) मथुरा
(ख) काशी
(ग) आगरा
(घ) दिल्ली
उत्तर :
(ख) काशी।

प्रश्न 3.
तिवारी का तोता कहाँ रहता था ?
(क) जंगल में
(ख) पिंजरे में
(ग) मंगल पर
(घ) खेतों में
उत्तर :
(ख) पिंजरे में।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 तिवारी का तोता

प्रश्न 4.
तिवारी के पास कितने तोते थे ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर :
(क) एक।

प्रश्न 5.
पिंजरे के तोते के पास दूसरा तोता कहाँ से आया ?
(क) गाँव से
(ख) शहर से
(ग) जंगल से
(घ) पड़ोस से
उत्तर :
(ग) जंगल से।

प्रश्न 6.
पिंजरे का तोता किस कारण मरा ?
(क) जहर खाकर
(ख) सींक से घाव हो जाने के कारण
(ग) सदमा लगने से
(घ) ठंड से
उत्तर :
(ख) सींक से घाव हो जाने के कारण।

प्रश्न 7.
पिंजरे का तोता किसकी प्रशंसा करने लगा ?
(क) नौकर का
(ख) मालिक का
(ग) लता का
(घ) तिवारी के बेटा का
उत्तर :
(ख) मालिक का।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 तिवारी का तोता

प्रश्न 8.
किसकी बात न सुनने पर भयंकर परिणाम हो सकता था ?
(क) मालिक का
(ख) जंगल से आया तोता का
(ग) तिवारी के बेटा का
(घ) नौकर का
उत्तर :
(क) मालिक का ।

प्रश्न 9.
सुदर्शन का जन्म कब हुआ था ?
(क) सन् 1886 में
(ख) सन् 1896 में
(ग) सन् 1906 में
(घ) सन् 1916 में
उत्तर :
(ख) सन् 1896 में।

प्रश्न 10.
सुदर्शन का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) सियालकोट
(ख) पठानकोट
(ग) कोलकाता
(घ) पंजाब
उत्तर :
(क) सियालकोट।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 तिवारी का तोता

प्रश्न 11.
सुदर्शन का पुरा नाम क्या था ?
(क) कालीचरण
(ख) बदरीनाथ
(ग) रामनाथ
(घ) नवकुमार
उत्तर :
(ख) बदरीनाथ।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
पंडित तिवारी कहाँ रहते थे ?
उत्तर :
पंडित तिवारी काशी की पवित्र नगरी में रहते थे।

प्रश्न 2.
एक दिन पिंजरे के सामने कौन आकर बैठ गया ?
उत्तर :
एक दिन पिंजरे के सामने एक जंगली तोता आकर बैठ गया।

प्रश्न 3.
पिंजरे का तोता पिंजरे की प्रशंसा क्यों करता है ?
उत्तर :
पिंजरे का तोता पिंजरे के अपने मकान को मजबूत और सुरक्षित और जंगलनमें खतरा समझता है। इसलिए पिंजरे की प्रशंसा करता है।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 तिवारी का तोता

प्रश्न 4.
पंडित तिवारी के बेटे ने पिंजरे में क्या डाला ?
उत्तर :
पंडित तिवारी के बेटे ने पिंजरे में सींक डाला।

प्रश्न 5.
मरे हुए तोते की मरी हुई आत्मा ने क्या कहा ?
उत्तर :
मरे हुए तोते की मरी हुई आत्मा ने जंगली तोते को चूरी देने के लिए कहा, क्योंकि इसने एक कैदी को छुड़ाया है और मुर्दे को जिन्दा किया है।

प्रश्न 6.
जंगली तोते ने धिक्कारते हुए पिंजरे के तोते को क्या कहा ?
उत्तर :
जंगली तोते ने उसे धिक्कारते हुए कहा कि तुम्हारी देह तथा आत्मा कैद में है।

प्रश्न 7.
जंगल के तोते ने पिंजरे के तोते को क्या समझाया ?
उत्तर :
जंगल के तोते ने उसे समझाया कि किसी दिन मालिक की बात न सुनने पर, उसकी बोली में जवाब न देने पर भयंकर परिणाम हो सकता है।

प्रश्न 8.
पिंजरे के तोते ने क्या निश्चय किया ?
उत्तर :
पिंजरे के तोते ने निश्चय किया कि आज वह किसी की बात न सुनेगा।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 तिवारी का तोता

प्रश्न 9.
तिवारी के बेटे ने लोहे की सींक लेकर क्या किया ?
उत्तर :
तिवारी के बेटे ने लोहे की सींक लेकर तोते को बार-बार चुभोई ।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
पिंजरे के तोते से जंगल के तोते ने क्या कहा ?
उत्तर :
पिंजरे के तोते से जंगल के तोते ने कहा- तुम्हारी सूरत मुझसे मिलती है परंतु स्वभाव मुझसे नहीं मिलता और तुम्हें किसी ने कैद कर रखा है। तेरी आजादी मर चुकी है। तेरी आँखें अँधी हो चुकी हैं। इस पिंजरे ने तुम्हारी देह ही नहीं, तुम्हारी आत्मा को भी कैद कर लिया है।

प्रश्न 2.
अभागा कहने पर जंगल के तोते से पिंजरे के तोते ने क्या पूछा ?
उत्तर :
अभागा कहने पर जंगल के तोते से पिंजरे के तोते ने पूछा – वह कौन-सा दुर्भाग्य है जिसे मेरी आँखें नहीं देखती। मैं तेरी बात को अपने दिल में टटोलूँगा।

प्रश्न 3.
पिंजरे के तोते ने अपने मालिक को मेहरबान और स्वयं को खुश किस्मत क्यों कहा ?
उत्तर :
पिंजरे के तोते ने कहा कि मेरा मालिक मेरे लिए यह सुरक्षित घर बना दिया है। वह मुझे पानी पिलाता है, दाना खिलाता है, बिल्लियों से मेरी रक्षा करता है। अत: मेरा मालिक मेहरबान है और मैं खुशकिस्मत हूँ।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 तिवारी का तोता

प्रश्न 4.
मालिक का कहना न मानने पर पिंजरे के तोते का क्या हाल हुआ ?
उत्तर :
पिंजरे के तोते ने तिवारी के बेटे की बात का जवाब न दिया। तब तिवारी के बेटे ने बार-बार उसे सींक चुभाई। पर तोता घाव सहता रहा, पर मालिक की बात मानने से इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप घाव खाकर वह मर गया।

प्रश्न 5.
मरे हुए तोते की आत्मा ने जंगल के तोते को चूरी देने की बात क्यों कही ?
उत्तर :
मरे हुए तोते की आत्मा ने जंगल के तोते को चूरी देने की बात कही, क्योंकि उसने एक कैदी को छुड़ाया है और मुर्दे को जिंदा किया है।

प्रश्न 6.
“तेरी आजादी का रंग मुर्दा हो गया है और तेरी आँखें अंधी हो गई।” आशय स्पष्ट़ कीजिए।
उत्तर :
तिवारी का तोता अपने पिंजरे रूपी मकान को मजबूत तथा सुरक्षित बतलाया और जंगल में खतरा बताया। उसका उत्तर देते हुए जंगल के तोते ने कहा कि- तुम्हें धिक्कार है। तुम्हारे मन की आजादी की भावना मर चुकी है। तू सच्चाई को नहीं देख पा रहा है। तुममें विवेक शक्ति नहीं रह गई है। क्योंकि तुम्हारी देह ही नहीं तुम्हारी आत्मा भी गुलाम हो गई है।

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प्रश्न 7.
तिवारी का तोता शीर्षक कहानी का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर :
लेखक ने प्रस्तुत कहानी में बतलाया है कि हर प्रकार की सुविधा के बावजूद पराधीन प्राणी की आत्मां को सच्ची संतुष्टि नहीं मिल सकती। पराधीन जीवन में कभी भी सुख-शान्ति नहीं मिल सकती। पराधीनता जीवन के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
कहानी के आधार पर बतलाइए कि स्वाधीन जीवन में ही सच्चा सुख-शांति तथा संतुष्टि मिलती है।
उत्तर :
‘तिवारी का तोता’ कहानी के माध्यम से लेखक ने इस हकीकत को उजागर किया है कि पराषीन जीवन में यदि सैकड़ों प्रकार की सुविधाएँ मिल भी जाएँ फिर भी प्राणी की आत्मा को सच्चा सुख-शांत और संतुष्टि नहीं मिलती। स्वाधीन जीवन में ही सच्चा सुख और संतोष मिलता है। पराधीन जीवन में सपने में भी सुख नहीं मिलता। मालिक की बात न मानने पर सारा सुख दूर भागता है। मौत को गले लगाना पड़ता है। तिवारी का तोता पिंजरे में रहकर अपने को हर प्रकार से सुखी और सुरक्षित समझता था। सोचता था कि उसका मालिक उसे पानी-दाना देता है। बिल्लियों से रक्षा के लिए सुन्दर पिंजड़ा बनवा दिया है। उसे यहाँ कोई भय नहीं।

वह अपने पिंजरे को कैद खाना नहीं समझता और अपने को गुलाम नहीं मानता था। वह पिंजरे में आजादी से घूमता, सीटियाँ बाजाता। इसलिए अपने को सुखी समझता था। जंगल के तोते ने उसे समझाया कि कैद में रहने से उसकी आत्मा बेगानी हो गई है। तू सदा मालिक की बात सुनता है और उसके कथनानुसार बोलता और उत्तर देता है। यदि एक दिन भी तू मालिक की बात न सुनो और उसकी बोली में जवाब न दो तो देखो परिणाम कितना भयंकर हो सकता है।

पिंजरे के तोते ने निश्चय कर लिया कि आज वह किसी की नहीं सुनेगा, केवल अपनी बोली ही बोलेगा। पंडित तिवारी का बेटा आकार तोते से बातें करने लगा। पर तोता ने अपने निश्चय के अनुसार उसकी बात का जवाब न दिया। तिवारी का बेटा लोहे की सींक लेकर उसकी गरदन में चुभोकर उसे बोलने के लिए दवाब देने लगा।

पर तोता घाव सहता रहा, पीड़ा झेलता रहा, पर आदमी की बोली में जवाब देने से इनकार कर दिया। फलस्वरूप सींकों की चुभन से घायल हो कर तोता ने मौत को प्राप्त कर लिया। जो गुलाम मालिक की बात नहीं सुनता उसका यही हाल होता है। गुलामी का जीवन नारकीय जीवन होता है। पशु-पक्षी या मनुष्य कोई भी प्राणी पराधीन रह कर सुखी नहीं रह सकता। मालिक के इव्छानुसार ही उसे आचरण करना पड़ता है।

अपनी इच्छा या अपनी मानवता को प्रकट करने का भी उसे अधिकार नहीं रह जाता। स्वच्छंद रहना मन की मूल प्रवृत्ति है। संसार में कोई भी प्राणी दूसरे के अधीन और नियंंद्रण में रहना नहीं चाहता। पराधीनता में अशांति, व्याकुलता तथा निराशा की भावना प्रबल हो जाती है। गुलामी की स्थिति में सोने का पिंजड़ा, सोने का महल भी कोई पसन्द नहीं कर सकता। किसी भी देश या व्यक्ति के लिए गुलामी अभिशाप तथा कलंक है। स्वाधीनता सुख शांति, उल्लास तथा उमंग का मूल है। कहा गया है ‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं’।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 तिवारी का तोता

भाषा-बोध :

(क) ‘प्र’ उपसर्ग लगाकर शब्द रचना करो –
उत्तर :
प्रबल, प्रभाव, प्रताप, प्रगति, प्रतिज्ञा।
(ख) उपसर्ग अलग करके शब्द लिखिए –
सुगंध = सु + गंध, सुप्र = सु + पुत्र, सुगम = सु + गम,
सुअवसर = सु + अवसर, सुरत = सु + रत।

WBBSE Class 6 Hindi तिवारी का तोता Summary

जीवन-परिचय :

सुदर्शन का जन्म सियालकोट में सन् 1896 ई० में हुआ था। सुदर्शन का पूरा नाम बदरीनाथ था। बी० ए० तक की शिक्षा प्राप्त कर आपने कहानियाँ लिखिनी शुरू की। इनकी कहानियाँ भारतीय आदर्श का संदेश होती है। इनकी भाषा सहज एवं सरल है। इनकी प्रमुख रचनाएँ – राम कुटिया, पुष्पलता, सुप्रात, तोर्थयात्रा, विज्ञान वाटिका आदि हैं। करीब 1950 से 1967 ई० तक आपने हिन्दी की सेवा की। सन् 1967 के अन्त में इनकी मृत्यु हुई। ये प्रेमचंद के समकालीन कथाकार थे।

कहानी का सारांश – काशी की पवित्र नगरी में पंडित तिवारी रहते थे। उनके पास एक तोता था। तोता तिवारी के पिंजरे में रहता था। तिवारी का दिया हुआ खाना खाता था और तिवारी की बोली में घर वालों से बातें करता था। एक दिन एक जंगली तोता पिंजरे के सामने आकर उससे कहा कि तुम्हारी सूरत तो हमसे मिलती है पर स्वभाव नहीं मिलता। तुम्हे किसी ने कैद कर रखा है। पिंजरे के तोते ने उत्तर दिया कि तू जंगल में रहता है और मैं इस मजबूत मकान में रहता हूँ। जंगली तोते ने उसे धिक्कारते हुए कहा कि तुम्हारी देह तथा आत्मा कैद में है। मैं यही बताने आया हूँ। तू खुले आकाश में विचरण नहीं कर सकता। तू ने कभी जीवन का आनंद नहीं प्राप्त किए। तुम्हें अपने मालिक की इच्छा के अनुसार जीना है । पिंजरे का तोता अपने मालिक की प्रशंसा करने लगा। मालिक मुझे खिलाता-पिलाता है, बिल्लियों के प्रहार से बचाता है। मैं पिंजरे में इच्छा से घूम सकता हूँ। पिंजरे में मेरा राज है। मैं गुलाम नहीं हूँ।

जंगल के तोते ने उसे समझाया कि किसी दिन मालिक की बात न सुनने पर, उसकी बोली में जवाब न देने पर भयंकर परिणाम हो सकता है। पिंजरे का तोता निश्चय किया कि आज वह किसी की बात न सुनेगा। किसी की बोली न बोलकर सिर्फ अपनी बोली बोलेगा। तिवारी का बेटा आकर तोते से बातें करने लगा। पर आज तोता उसकी बोली में उसकी बात का जवाब न दिया। तिवारी के बेटे ने लोहे की सींक लेकर तोते को बार-बार चुभोई पर तोता घाव खाता रहा किन्तु उसकी बोली में उत्तर न दिया। परिणामस्वरूप घाव सहकर तोता मर गया। दूसरे दिन जंगल का तोता आकर देखा और कहा कि गुलाम अपने मालिक की बात नहीं सुनता है-तो उसका यही हाल होता है। मरे हुए तोते की आत्मा ने जंगल के तोते को चूरी देने की बात कही, क्योंकि उसने एक कैदी को छुड़ाया और मुर्दे को जिन्दा किया है।

WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 तिवारी का तोता

शब्दार्थ :

  • सूरत – रूप, आकृति।
  • आजादी – स्वतंत्रता।
  • कैद – बंधन, कारावास।
  • तारीफ – प्रशंसा। फर्क अन्तर।
  • देह – शरीर।
  • लानत – धिक्कार।
  • अभागा – बुरी किस्मत वाला।
  • मुर्दा – मृत।
  • अख्तियार – वशं।
  • टटोलना – जाँचना, परखना।
  • तले – नीचे।
  • दुर्भाग्य – बद किस्मती।
  • मेहरबान – कृपालु।
  • मजे – अनंद।
  • खुश – किस्मती भाग्यशाली।
  • मुसीबत – संकट ।
  • गुलाम – पराधीन।
  • प्रतिज्ञा – प्रण।
  • चूरी – मीठी चीज।
  • कैदी – गुलाम।
  • चुभाना – गड़ाना, धँसाना