Students should regularly practice West Bengal Board Class 6 Hindi Book Solutions सहायक पाठ Chapter 2 टोपी शुक्ला to reinforce their learning.
WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 2 Question Answer – टोपी शुक्ला
बोधमूलक प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 1.
इफ्फ्रन ‘टोपी शुक्ला’ की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
उत्तर :
इफ्फन ‘टोपी शुक्ला’ कहानी का महत्त्व पूर्ण हिस्सा है। वास्तव में टोपी शुक्ला का पहला दोस्त था। यद्यपि दोनों के धर्म खान-पान भिन्न थे, फिर दोनों में गहरी आत्मीयता थी। माँ के मना करने पर भी टोपी दोस्त इफ्फन के घर जाना बन्द न किया। इफ्फन की दादी से भी टोपी का गहरा लगाव था। जब वह इफ्फन के घर जाता तो उसकी दादी के पास ही बैठने की कोशिश करता। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि इफ्फन ‘टोपी शुक्ला’ कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा इफ्फन के बिना कहानी अधूरी रह जाएगी।
प्रश्न 2.
इफ्फन की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थी?
उत्तर :
इफ्फ़न की दादी पूरब की थी। वह एक जमींदार की बेटी थीं वहाँ का वातावरण उन्मुक्त स्नेहपूर्ण था। लखनऊ ससुराल में इन्हें मौलविन बनना पड़ा। पति मौलवी थे। मायके का प्रेमपूर्ण स्वच्छन्द वातावरण यहाँ नहीं था। वहाँ वे उल्लासपूर्ण आनंदमय जीवन जीती थीं। यहाँ पिंजड़े के पक्षी की तरह जीवन बिताना पड़ता था। इसलिए वे अपने पीहर जाना चाहती थीं, ताकि उस जमींदारी वातावरण में कुछ दिन आनंद उल्लासमय जीवन जी सकें।
प्रश्न 3.
इफ्फ्रन की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाई?
उत्तर :
इफ्फन के दादा मौलवी थे। मुस्लिम धर्म की कट्टरता के कारण मौलवी के घर गाना बजाना नहीं हो सकता था। समाज की रीतियों तथा परंपराओं का पालन तो एक मौलवी परिवार को करना ही था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विवाह आदि अवसरों पर गाना-बजाना वर्जित था। दादी का दिल गाने बजाने को लेकर मसोस कर रह गया।
प्रश्न 4.
‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घरवालों की प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
टोपी के मुँह से ‘अम्मी’ शब्द सुनते ही घर वालों के कान खड़े हो गए। दादी ने गरजते हुए पूछा कि अम्मी कहना तुम्हें किसने सिखाया हैं। टोपी ने इफफ्फन का नाम लिया। तब दादी ने समझ लिया कि इसने किसी मुस्लिम लड़के से दोस्ती की है। उस दिन टोपी की बड़ी बुरी दशा हो गई। उसे अच्छी मार खानी पड़ी। किसी मुस्लिम लड़के से दोस्ती करना उसकी भाषा बोली सीखना यह परिवार वालों को मंजूर न था।
प्रश्न 5.
दस अक्टूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्व रखता है?
उत्तर :
दस अक्टूबर सन्यैंतालीस को टोपी के गहरे दोस्त इफ्फन के पिता की बदली हो गई और वे सपरिवार मुरादाबाद चले गए। टोपी का सबसे प्यारा एक मात्र दोस्त बिछ्ुु गया। अब टोपी अकेला हो गया। टोपी का दिल टूट गया। इसलिए टोपी ने दस अक्टूबर सन्पैंतालिस को कसम खाई कि अब वह किसी ऐसे लड़के से दोस्ती नहीं करेगा जिसका बाप ऐसी नौकरी करता हो जिसमें बदली होती रहती है।
प्रश्न 6.
टोपी ने इफ्फ्रन से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर :
टोपी को अपनी दादी से नफरत थी। दादी की भाषा को भी नहीं समझ पाता था। दादी उसके साथ स्नेहपूर्ण मधुर व्यवहार भी नहीं करती थी। इफ्फन की दादी की भाषा और व्यवहार को वह पसन्द करता था। वह जब इफ्फन के घर जाता तो उसकी दादी के पास ही बैठने की कोशिश करता। उनकी बोली, कहानियाँ टोपी के दिल पर उतर गई थी। इसी कारण टोपी ने इफ्फन से दादी बदलने की बात कही।
प्रश्न 7.
पूरे घर में इफ्फन को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर :
इफ्फन की अम्मी कभी उसे डाँट मार लिया करती थीं। अब्बा भी कभी-कभी उसे सजा दे दिया करते थे। नुजहत उसकी कापियों पर तस्वीरें बनाने लगती थी। केवल दादी कभी भी उसका दिल नहीं दुखाती थी। दादी की भाषा उसे अच्छी भली लगती थी। दादी उससे अपार सेह रखती थी। वह रात को उसे अच्छी-अच्छी कहानियाँ सुनाया करती थीं। इसीलिए पूरे घर में इफ्फन को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह था।
प्रश्न 8.
इफ्फ्रन की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली सा क्यों लगा?
उत्तर :
इफ्फन की दादी और टोपी में नि:-स्वार्थ प्रेम का संबंध था। दोनों अलग-अलग अधूरे थे। एक ने दूसरे को पूरा कर दिया। दोनों ने एक दूसरे का अकेलापन मिटा दिया था। टोपी जब भी इफ्फन के घर जाता तो दादी के पास ही बैठता। दादी की पूरबी भाषा बोली में उसे अपनत्व मालूम होता था। दादी की कहानियाँ सुनकर वह मुण्ध हो जाता था। इसलिए दादी के न होने से टोपी के लिए उसका खाली सा लगा।
प्रश्न 9.
टोपी और इफ्फ्रन की दादी अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
टोपी और इफ्फन की दादी अलग मजहब और जाति के थे। दादी के बार-बार कहने पर भी टोपी कभी उनके हाथ की कोई चीज नहीं खाई थी। पर प्रेम इन बातों का पाबंद नहीं होता। टोपी और दादी के बीच ऐसा ही सेह का संबंध हो गया था। दादी की पूरबी भाषा-बोली टोपी को अपनी माँ के समान प्यारी लगती थी। उसे दादी के संग आत्मीयता का अपनेपन का बोध होता था। सच्चा स्नेह मजब और जाति को नहीं समझता। यह दिल की भाषा है। सेह की न कोई जाति होती है न मजहब टोपी को अपने घर में अपनी दादी अथवा अन्य जनों से केवल डाँट फटकार मिलती थी पर इफ्फन की दादी का मधुर स्नेह उसके दिल को सुधा की धारा से तृप्त कर देता था। अतः दोनों एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे।
प्रश्न 10.
जहीन होने के बावजूद टोपी को कक्षा में दो बार फेल होने के क्या कारण थे?
उत्तर :
जहीन होने के बावजूद टोपी कक्षा में दो बार फेल हो गया। वास्तव में कोई उसे पढ़ने नहीं देता था। जब वह पढ़ने बैठता तो मुन्री बाबू या रामदुलारी किसी काम के लिए भेज देते। उसे फुरसत से पढ़ने का अवसर न मिलता। दूसरे साल उसे टाइफाइड हो गया जिससे पढ़ न सका। इस प्रकार घरवाले किसी न किसी काम में उसे व्यस्त रख कर उसकी पढ़ाई में बाधा डालते थे।
प्रश्न (ख) एक ही कक्षा में दो बार बैठने से लड़के उसका उपहास करते थे। कक्षा के नये लड़कों से उसकी दोस्ती नहीं हो पाती थी। मास्टर जी कमजोर लड़कों को समझाते तो उसकी मिसाल देते थे। वह अपने स्कूल में भी अकेला हो गया था। कोई उसका दोस्त नहीं रह गया। मास्टर लोग भी उसपर ध्यान नहीं देते थे। कोई भी मास्टर उससे सवाल का जवाब नहीं पूछता था। वे भी उसकी उपेक्षा करते थे। इस प्रकार के व्यवहार से टोपी के मन में हीन ग्रंथि का बोध होने लगा।
प्रश्न 11.
टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्देनजर रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए?
उत्तर :
टोपी की भावात्मक परेशानियों को दृष्टिगत रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में कुछ बदलाव करना चाहिए। फेल होकर उसी कक्षा में नये बच्चों के साथ बैठने पर उस लड़के के मन में निराशा, कुठा तथा हीनता का बोध होने लगता है। इसलिए शिक्षा प्रणाली में यह परिवर्तन करना चाहिए कि किसी लड़के को उसी कक्षा में दूसरी बार पिछली कक्षा के विद्यार्थियों के साथ न बैठना पड़े। फेल हुए छात्र की दुबारा परीक्षा लेकर उसे उत्तीर्ण कर देना चाहिए। अभिभावक को भी यह परामर्श देना चाहिए कि लड़के पर विशेष ध्यान दें। उसी कक्षा में दुबारा या तिबारा रहने पर लड़के के मन में हीन प्रंथि पैदा हो जाती है। उसके मन का उत्साह खतम हो जाता है। एक ही कक्षा में दो बार रहने से लड़के पढ़ने में अधिक तेज हो जाएंगे यह सोचना भ्रम है।
प्रश्न 12.
इफ्फन की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उत्तर :
सन् सैतालीस में आजादी के बाद देश का विभाजन हो गया। भारत और पाकिस्तान दो देश बन गए। ख्वेच्छा से जो मुसलमान जाना चाहे वे पाकिस्तान चले गए। इफ्फन की दादी के मायके वाले भी पाकिस्तान चले गएं और कराची में बस गए। उनके मकान का कोई वारिश यहाँ न रहा इसलिए भारत सरकार ने उसे कस्टोडियन में डाल दिया। इसलिए घर कस्टोडियन में चला गया।