Students should regularly practice West Bengal Board Class 6 Hindi Book Solutions सहायक पाठ Chapter 1 हरिहर काका to reinforce their learning.
WBBSE Class 6 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 1 Question Answer – हरिहर काका
बोधमूलक प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 1.
कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है? और इसके क्या कारण हैं?
उत्तर :
हरिहर काका की जिन्दगी से कथावाचक का गहरा लगाव है। दोनों एक दूसरे के पड़ोसी हैं। हरिहर काका बचपन में कथावाचक को बहुत प्यार करते थे। अपने कंधे पर बैठा कर घुमाया करते थे। पिता से भी अधिक प्यार करते थे। सयाना होने पर भी पहली दोस्ती कथावाचक की हरिहर काका के साथ हुई। काका कुछ भी नहीं छिपाते थे। खूब खुलकर बातें करते थे।
प्रश्न 2.
हरिहर काका को गाँव के महंत ने क्या समझाया?
उत्तर :
हरिहर काका को महंत ने समझाया कि इस संसार में कोई किसी का नहीं है। पत्नी, पुत्र, भाई, बन्धु सभी स्वार्थ के साथी हैं। बिना स्वार्थ के कोई नहीं पूछता। सारे रिश्ते नाते झूठें हैं। तुम्हारे हिस्से में पन्द्रह बीघे जमीन है, उसी के चलते तुम्हारे भाई के परिवार तुम्हें पकड़े हुए हैं। जिस दिन समझेंगे कि खेत नहीं मिलेगा उस दिन बोलना भी बन्द कर देंगे। खून का रिश्ता समाप्त हो जाएगा। तुम्हारे भले के लिए कहता हूँ कि अपनी जमीन ठाकुर जी के नाम लिख दो। तुम सीधे बैकुंठ को प्राप्त करोगे। सर्वत्र तुम्हारा यश गान होगा। तुम्हारा जीवन सार्थक हो जाएगा। अपना शेष इस ठाकुरबारी सानंद व्यतीत करो (तुम्हें किसी चीज का अभाव नहीं रहेगा। हम लोग आपकी तन मन से सेवा करेंगे। तुम्हारा यह लोक और परलोक दोनों बन जाएगा।
प्रश्न 3.
हरिहर काका के साथ घर की बहुओं का व्यवहांर कैसा था?
उत्तर :
हरिहर काका के साथ घर की बहुओं का व्यवहार संतोषजनक नहीं था। उनके खान-पान और और सुखसुविधा के प्रति बहुएँ उदासीन रहती थीं। उनकी खोज-खबर नहीं लेती थी। काका को बचा-खुचा रुखा-सूखा भोजन मिलता था। अपने पतियों को अच्छे-अच्छे व्यंजन खिलाती थीं। जब काका की तबीयत खराब हो जाती थी तो बहुएँ उनकी और उपेक्षा करती थीं। सभी अपने कामों में लगी रहती, काका को भोज्जन पानी भी नहीं पूछती कोई उनकी हाल पूछने भी नहीं आता। दालान में अकेले पड़े हरिहर काका स्वयं उठकर अपनी जरूरतों को पूरा करते थे। इस प्रकार बहुओं के रुखे व्यवहार से काका क्षुक्ध हो उठे।
प्रश्न 4.
ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
उत्तर :
ठाकुरबारी के प्रति गाँववालों के मन में अपार श्रद्धा के भाव से यह बात स्सष्ट होती है कि गाँववाले धार्मिक मनोवृत्ति के थे। वे धर्मभीरु होने के कारण धर्म परायण थे। वे भाग्यवादी बन गए थे। वे सोचते थे कि ठाकुरबारी के देवता की कृपा तथा महंत एवं पुजारी के आशीर्वाद से ही उनके जीवन में खुशियाँ आ सकती हैं और वे जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं। यही अंधविश्चास की रुढ़िवादी बना दिया था। इसी कारण उनके मन में ठाकुरबारी के प्रति अपार श्रद्धा भरी हुई थी।
प्रश्न 5.
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हरिहर काका अनपढ़ होते हुए भी मूर्ख नहीं थे। संसार और समाज के अनुभव ने उन्हें चतुर और समझदार बना दिया था। दुनियादारी का, लोगों के छल, कपट, स्वार्थ पूर्ण बातों का रहस्य उन्हें मालूम हो गया था। जिदंगी में अपनी जमीन उन्हें किसी को नहीं लिखनी है, इस मुद्दे पर वे जागरुक हो गए थे। वे जमीन के महत्व को समझते थे। सोचते थे कि इस जमीन के कारण ही परिवार उनकी सेवा करता है। सम्पत्ति रहित व्यक्ति को सगे भाई भी नहीं पूछते। लाख प्रयत्न करने, चिकनी चुपड़ी बातें करने के बावजूद उन्होंने महंत जी तथा अपने भाइयों को जमीन लिखने के लिए तैयार न हुए। हरिहर काका एक सीधे-सादे और भोले किसान की अपेक्षा ज्ञानी और चतुर हो गए थे। जमीन लिखने के लिए भाइयों के द्वारा आग्रह करने पर हरिहर काका ने स्पष्ट कह दिया कि मेरे बाद तो मेरी जायदाद इस परिवार को स्वत: मिल जाएगी, इसलिए लिखने का कोई अर्थ नहीं। महंत ने अँगूठे के जो जबरन निशान लिए हैं, उसके खिलाफ मुकदमा हमने किया ही है।
प्रश्न 6.
हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
उत्तर :
हरिहर काका के मामले में गाँव के लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में दो वर्गों में बँटने लगे थे। एक वर्ग के लोग चाहते थे कि हरिहर अपने हिस्से की जमीन ठाकुर जी के नाम लिख दें। इससे उनकी कीर्ति अचल हो जाएगी। इससे उत्तम कुछ नहीं है। इससे यह ठाकुरबारी राज्य में सबसे बड़ी ठाकुरबारी बन जाएगी। इस वर्ग के लोग धार्मिक संस्कारों के थे और ठाकुरबारी से जुड़े हुए थे। दूसरे वर्ग में प्रगतिशील विचारों वाले किसान हैं। इनकी मान्यता थी कि भाई का परिवार तो अपना ही होता है। अपनी जायदाद उन्हें न देना उनके साथ अन्याय करना होगा। इसलिए हरिहर काका को अपनी जमीन भाइयों के नाम कर देना ही उचित और न्यायपूर्ण है।
प्रश्न 7.
‘अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है। ‘इस पंक्ति के आधार पर लेखक के मंतव्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हरिहर काका के भाई हथियार ले कर उनसे कहने लगे कि अंगूठे के निशान बनाते चलो नहीं तो घर के अंदर मार कर गाड़ देंगे। पर हरिहर काका मृत्यु से डरने वाले नहीं थे, क्योंकि उन्हें अब सच्चा ज्ञान हो गया था कि यदि वे सब एक ही बार मार दें तो वह ठीक होगा सारे बाकी जीवन में घुट-घुटकर मरना ठीक नहीं होगा। अभी जमीन लिख देने पर दो जून का खाना भी नहीं मिलेगा, भयंकर दुर्गति होगी। वह यह भी जानते थे कि लाख धौंस दिखाएँ पर वे मेरी हत्या नहीं कर सकते।
प्रश्न 8.
समाज में रिश्ते की क्या अहमियत है ? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
समाज में रिश्तों का महत्व्व निर्विवाद है। रिश्ते ही समाज की आधारशिला हैं। आज हर व्यक्ति, परिवार, समाज रिश्तों से ही जुड़ा हुआ है। रिश्तों के बिना जीवन नीरस हो जाएगा। समाज की सारी आधाराशिला रिश्तों की डोरी से बँधी है। बिना रिश्ते के समाज परिवार विश्रृंखल हो जाएगा। आपसी प्रेम सौहार्द्र सब समाप्त हो जाएगा। रिश्ते नि:स्वार्थ भाव भूमि पर आधारित हों तो स्थायित्व बना रहता है पर स्वार्थ का कीड़ा पुष्परूपी रिश्तें को खोखला बना देता है। यद्यपि आधुनिक युग में लोगों में स्वार्थ की प्रबल भावना आ गई है चारों और आपाधापी मची है इसलिए रिश्ते की पृष्ठभूमि खिसकती नजर आती है। बिना स्वार्थ के लोगों को रिश्ते को निर्वाह करना चाहिए। जीवन की सच्ची मिठास रिश्ते के पवित्र निर्वाह से मिलती है।
प्रश्न 9.
यदि हरिहर काका के गाँव में मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
यदि हरिहर काका के गाँव में मीडिया की पहुँच होती तो काका की स्थिति में कोई सुधार या परिवर्तन न होता। बस इस कथा का जोरदार प्रचार और हंगामा होता। घटना का प्रचार और चर्चा अभी गाँव में ही थी तब मीडिया के कारण प्रचार तंत्र बढ़ जाता। समाचार पत्रों तथा टी.वी की प्राइम टाइम में जगह मिल जाती। लोगों की मन में कुतूहल होता। मीडिया के सामने अगर भाई लोग रहते तो अपनी बात कहते। महंत जी अपनी सेवा भावना की बात रखते। गाँव के दोनों वर्ग के लोग अपने ढंग से समस्या रखते। मीडिया से हरिहर काका की समस्या का समाधान संभव नहीं था। हाँ, पुलिस सक्रिय होकर जाँच-पड़ताल में जुट जाती।
प्रश्न 10.
हरिहर काका अपनी समस्याओं से कैसे निकल पाते हैं?
उत्तर :
हरिहर काका सूझबूझ वाले चतुर और समझदार व्यक्ति थे। वे दृढ़ और अटल विचार के थे। उनके भाइयों ने सदा उनके सामने स्नेह और प्रेम प्रदर्शित किया, फिर उनके साथ निर्भय अमानुषिक व्यवहार किया। उधर महंतजी ने पहले बड़े ही आत्मीय ढंग से लौकिक एवं पारलौकिक सुखद स्वर्ग का प्रलोभन दिया, इसमें सफल न होने पर जोर जबर्दस्ती तथा अमानवीय व्यवहार किया। पर हरिहर काका सदा दृढ़ बने रहे, कभी किसी के सामने घुटने नहीं टेके।
भयभीत नहीं हुए। वे अपनी जमीन के महत्त्व को समझते थे। जमीन ही उनके जीवन का आधार थी। अपने जीते जी वे अपनी जमीन लिखने को राजी न हुए । उन्होंने कानून और पुलिस का सहारा लिए। अपनी दृढ़ता, आत्मविशास, निर्भयता तथा कानून का सहारा लेकर वे समस्याओं से निकल कर शेष जीवन अपने ढ़ंग से बताने लगे। एक नौकर रख लिए, जो उनकी रुचि और इच्छा के अनुसार बनाता खिलाता है। पुलिस के जवान उनकी रक्षा में तैनात है।