WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 तिवारी का तोता

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WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 3 Question Answer – तिवारी का तोता

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
तिवारी का तोता किस विधा की रचना है ?
(क) कविता
(ख) कहानी
(ग) नाटक
(घ) एकांकी
उत्तर :
(ख) कहानी।

प्रश्न 2.
पण्डित तिवारी कहाँ रहते थे ?
(क) मथुरा
(ख) काशी
(ग) आगरा
(घ) दिल्ली
उत्तर :
(ख) काशी।

प्रश्न 3.
तिवारी का तोता कहाँ रहता था ?
(क) जंगल में
(ख) पिंजरे में
(ग) मंगल पर
(घ) खेतों में
उत्तर :
(ख) पिंजरे में।

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प्रश्न 4.
तिवारी के पास कितने तोते थे ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर :
(क) एक।

प्रश्न 5.
पिंजरे के तोते के पास दूसरा तोता कहाँ से आया ?
(क) गाँव से
(ख) शहर से
(ग) जंगल से
(घ) पड़ोस से
उत्तर :
(ग) जंगल से।

प्रश्न 6.
पिंजरे का तोता किस कारण मरा ?
(क) जहर खाकर
(ख) सींक से घाव हो जाने के कारण
(ग) सदमा लगने से
(घ) ठंड से
उत्तर :
(ख) सींक से घाव हो जाने के कारण।

प्रश्न 7.
पिंजरे का तोता किसकी प्रशंसा करने लगा ?
(क) नौकर का
(ख) मालिक का
(ग) लता का
(घ) तिवारी के बेटा का
उत्तर :
(ख) मालिक का।

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प्रश्न 8.
किसकी बात न सुनने पर भयंकर परिणाम हो सकता था ?
(क) मालिक का
(ख) जंगल से आया तोता का
(ग) तिवारी के बेटा का
(घ) नौकर का
उत्तर :
(क) मालिक का ।

प्रश्न 9.
सुदर्शन का जन्म कब हुआ था ?
(क) सन् 1886 में
(ख) सन् 1896 में
(ग) सन् 1906 में
(घ) सन् 1916 में
उत्तर :
(ख) सन् 1896 में।

प्रश्न 10.
सुदर्शन का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) सियालकोट
(ख) पठानकोट
(ग) कोलकाता
(घ) पंजाब
उत्तर :
(क) सियालकोट।

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प्रश्न 11.
सुदर्शन का पुरा नाम क्या था ?
(क) कालीचरण
(ख) बदरीनाथ
(ग) रामनाथ
(घ) नवकुमार
उत्तर :
(ख) बदरीनाथ।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
पंडित तिवारी कहाँ रहते थे ?
उत्तर :
पंडित तिवारी काशी की पवित्र नगरी में रहते थे।

प्रश्न 2.
एक दिन पिंजरे के सामने कौन आकर बैठ गया ?
उत्तर :
एक दिन पिंजरे के सामने एक जंगली तोता आकर बैठ गया।

प्रश्न 3.
पिंजरे का तोता पिंजरे की प्रशंसा क्यों करता है ?
उत्तर :
पिंजरे का तोता पिंजरे के अपने मकान को मजबूत और सुरक्षित और जंगलनमें खतरा समझता है। इसलिए पिंजरे की प्रशंसा करता है।

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प्रश्न 4.
पंडित तिवारी के बेटे ने पिंजरे में क्या डाला ?
उत्तर :
पंडित तिवारी के बेटे ने पिंजरे में सींक डाला।

प्रश्न 5.
मरे हुए तोते की मरी हुई आत्मा ने क्या कहा ?
उत्तर :
मरे हुए तोते की मरी हुई आत्मा ने जंगली तोते को चूरी देने के लिए कहा, क्योंकि इसने एक कैदी को छुड़ाया है और मुर्दे को जिन्दा किया है।

प्रश्न 6.
जंगली तोते ने धिक्कारते हुए पिंजरे के तोते को क्या कहा ?
उत्तर :
जंगली तोते ने उसे धिक्कारते हुए कहा कि तुम्हारी देह तथा आत्मा कैद में है।

प्रश्न 7.
जंगल के तोते ने पिंजरे के तोते को क्या समझाया ?
उत्तर :
जंगल के तोते ने उसे समझाया कि किसी दिन मालिक की बात न सुनने पर, उसकी बोली में जवाब न देने पर भयंकर परिणाम हो सकता है।

प्रश्न 8.
पिंजरे के तोते ने क्या निश्चय किया ?
उत्तर :
पिंजरे के तोते ने निश्चय किया कि आज वह किसी की बात न सुनेगा।

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प्रश्न 9.
तिवारी के बेटे ने लोहे की सींक लेकर क्या किया ?
उत्तर :
तिवारी के बेटे ने लोहे की सींक लेकर तोते को बार-बार चुभोई ।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
पिंजरे के तोते से जंगल के तोते ने क्या कहा ?
उत्तर :
पिंजरे के तोते से जंगल के तोते ने कहा- तुम्हारी सूरत मुझसे मिलती है परंतु स्वभाव मुझसे नहीं मिलता और तुम्हें किसी ने कैद कर रखा है। तेरी आजादी मर चुकी है। तेरी आँखें अँधी हो चुकी हैं। इस पिंजरे ने तुम्हारी देह ही नहीं, तुम्हारी आत्मा को भी कैद कर लिया है।

प्रश्न 2.
अभागा कहने पर जंगल के तोते से पिंजरे के तोते ने क्या पूछा ?
उत्तर :
अभागा कहने पर जंगल के तोते से पिंजरे के तोते ने पूछा – वह कौन-सा दुर्भाग्य है जिसे मेरी आँखें नहीं देखती। मैं तेरी बात को अपने दिल में टटोलूँगा।

प्रश्न 3.
पिंजरे के तोते ने अपने मालिक को मेहरबान और स्वयं को खुश किस्मत क्यों कहा ?
उत्तर :
पिंजरे के तोते ने कहा कि मेरा मालिक मेरे लिए यह सुरक्षित घर बना दिया है। वह मुझे पानी पिलाता है, दाना खिलाता है, बिल्लियों से मेरी रक्षा करता है। अत: मेरा मालिक मेहरबान है और मैं खुशकिस्मत हूँ।

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प्रश्न 4.
मालिक का कहना न मानने पर पिंजरे के तोते का क्या हाल हुआ ?
उत्तर :
पिंजरे के तोते ने तिवारी के बेटे की बात का जवाब न दिया। तब तिवारी के बेटे ने बार-बार उसे सींक चुभाई। पर तोता घाव सहता रहा, पर मालिक की बात मानने से इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप घाव खाकर वह मर गया।

प्रश्न 5.
मरे हुए तोते की आत्मा ने जंगल के तोते को चूरी देने की बात क्यों कही ?
उत्तर :
मरे हुए तोते की आत्मा ने जंगल के तोते को चूरी देने की बात कही, क्योंकि उसने एक कैदी को छुड़ाया है और मुर्दे को जिंदा किया है।

प्रश्न 6.
“तेरी आजादी का रंग मुर्दा हो गया है और तेरी आँखें अंधी हो गई।” आशय स्पष्ट़ कीजिए।
उत्तर :
तिवारी का तोता अपने पिंजरे रूपी मकान को मजबूत तथा सुरक्षित बतलाया और जंगल में खतरा बताया। उसका उत्तर देते हुए जंगल के तोते ने कहा कि- तुम्हें धिक्कार है। तुम्हारे मन की आजादी की भावना मर चुकी है। तू सच्चाई को नहीं देख पा रहा है। तुममें विवेक शक्ति नहीं रह गई है। क्योंकि तुम्हारी देह ही नहीं तुम्हारी आत्मा भी गुलाम हो गई है।

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प्रश्न 7.
तिवारी का तोता शीर्षक कहानी का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर :
लेखक ने प्रस्तुत कहानी में बतलाया है कि हर प्रकार की सुविधा के बावजूद पराधीन प्राणी की आत्मां को सच्ची संतुष्टि नहीं मिल सकती। पराधीन जीवन में कभी भी सुख-शान्ति नहीं मिल सकती। पराधीनता जीवन के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
कहानी के आधार पर बतलाइए कि स्वाधीन जीवन में ही सच्चा सुख-शांति तथा संतुष्टि मिलती है।
उत्तर :
‘तिवारी का तोता’ कहानी के माध्यम से लेखक ने इस हकीकत को उजागर किया है कि पराषीन जीवन में यदि सैकड़ों प्रकार की सुविधाएँ मिल भी जाएँ फिर भी प्राणी की आत्मा को सच्चा सुख-शांत और संतुष्टि नहीं मिलती। स्वाधीन जीवन में ही सच्चा सुख और संतोष मिलता है। पराधीन जीवन में सपने में भी सुख नहीं मिलता। मालिक की बात न मानने पर सारा सुख दूर भागता है। मौत को गले लगाना पड़ता है। तिवारी का तोता पिंजरे में रहकर अपने को हर प्रकार से सुखी और सुरक्षित समझता था। सोचता था कि उसका मालिक उसे पानी-दाना देता है। बिल्लियों से रक्षा के लिए सुन्दर पिंजड़ा बनवा दिया है। उसे यहाँ कोई भय नहीं।

वह अपने पिंजरे को कैद खाना नहीं समझता और अपने को गुलाम नहीं मानता था। वह पिंजरे में आजादी से घूमता, सीटियाँ बाजाता। इसलिए अपने को सुखी समझता था। जंगल के तोते ने उसे समझाया कि कैद में रहने से उसकी आत्मा बेगानी हो गई है। तू सदा मालिक की बात सुनता है और उसके कथनानुसार बोलता और उत्तर देता है। यदि एक दिन भी तू मालिक की बात न सुनो और उसकी बोली में जवाब न दो तो देखो परिणाम कितना भयंकर हो सकता है।

पिंजरे के तोते ने निश्चय कर लिया कि आज वह किसी की नहीं सुनेगा, केवल अपनी बोली ही बोलेगा। पंडित तिवारी का बेटा आकार तोते से बातें करने लगा। पर तोता ने अपने निश्चय के अनुसार उसकी बात का जवाब न दिया। तिवारी का बेटा लोहे की सींक लेकर उसकी गरदन में चुभोकर उसे बोलने के लिए दवाब देने लगा।

पर तोता घाव सहता रहा, पीड़ा झेलता रहा, पर आदमी की बोली में जवाब देने से इनकार कर दिया। फलस्वरूप सींकों की चुभन से घायल हो कर तोता ने मौत को प्राप्त कर लिया। जो गुलाम मालिक की बात नहीं सुनता उसका यही हाल होता है। गुलामी का जीवन नारकीय जीवन होता है। पशु-पक्षी या मनुष्य कोई भी प्राणी पराधीन रह कर सुखी नहीं रह सकता। मालिक के इव्छानुसार ही उसे आचरण करना पड़ता है।

अपनी इच्छा या अपनी मानवता को प्रकट करने का भी उसे अधिकार नहीं रह जाता। स्वच्छंद रहना मन की मूल प्रवृत्ति है। संसार में कोई भी प्राणी दूसरे के अधीन और नियंंद्रण में रहना नहीं चाहता। पराधीनता में अशांति, व्याकुलता तथा निराशा की भावना प्रबल हो जाती है। गुलामी की स्थिति में सोने का पिंजड़ा, सोने का महल भी कोई पसन्द नहीं कर सकता। किसी भी देश या व्यक्ति के लिए गुलामी अभिशाप तथा कलंक है। स्वाधीनता सुख शांति, उल्लास तथा उमंग का मूल है। कहा गया है ‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं’।

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भाषा-बोध :

(क) ‘प्र’ उपसर्ग लगाकर शब्द रचना करो –
उत्तर :
प्रबल, प्रभाव, प्रताप, प्रगति, प्रतिज्ञा।
(ख) उपसर्ग अलग करके शब्द लिखिए –
सुगंध = सु + गंध, सुप्र = सु + पुत्र, सुगम = सु + गम,
सुअवसर = सु + अवसर, सुरत = सु + रत।

WBBSE Class 6 Hindi तिवारी का तोता Summary

जीवन-परिचय :

सुदर्शन का जन्म सियालकोट में सन् 1896 ई० में हुआ था। सुदर्शन का पूरा नाम बदरीनाथ था। बी० ए० तक की शिक्षा प्राप्त कर आपने कहानियाँ लिखिनी शुरू की। इनकी कहानियाँ भारतीय आदर्श का संदेश होती है। इनकी भाषा सहज एवं सरल है। इनकी प्रमुख रचनाएँ – राम कुटिया, पुष्पलता, सुप्रात, तोर्थयात्रा, विज्ञान वाटिका आदि हैं। करीब 1950 से 1967 ई० तक आपने हिन्दी की सेवा की। सन् 1967 के अन्त में इनकी मृत्यु हुई। ये प्रेमचंद के समकालीन कथाकार थे।

कहानी का सारांश – काशी की पवित्र नगरी में पंडित तिवारी रहते थे। उनके पास एक तोता था। तोता तिवारी के पिंजरे में रहता था। तिवारी का दिया हुआ खाना खाता था और तिवारी की बोली में घर वालों से बातें करता था। एक दिन एक जंगली तोता पिंजरे के सामने आकर उससे कहा कि तुम्हारी सूरत तो हमसे मिलती है पर स्वभाव नहीं मिलता। तुम्हे किसी ने कैद कर रखा है। पिंजरे के तोते ने उत्तर दिया कि तू जंगल में रहता है और मैं इस मजबूत मकान में रहता हूँ। जंगली तोते ने उसे धिक्कारते हुए कहा कि तुम्हारी देह तथा आत्मा कैद में है। मैं यही बताने आया हूँ। तू खुले आकाश में विचरण नहीं कर सकता। तू ने कभी जीवन का आनंद नहीं प्राप्त किए। तुम्हें अपने मालिक की इच्छा के अनुसार जीना है । पिंजरे का तोता अपने मालिक की प्रशंसा करने लगा। मालिक मुझे खिलाता-पिलाता है, बिल्लियों के प्रहार से बचाता है। मैं पिंजरे में इच्छा से घूम सकता हूँ। पिंजरे में मेरा राज है। मैं गुलाम नहीं हूँ।

जंगल के तोते ने उसे समझाया कि किसी दिन मालिक की बात न सुनने पर, उसकी बोली में जवाब न देने पर भयंकर परिणाम हो सकता है। पिंजरे का तोता निश्चय किया कि आज वह किसी की बात न सुनेगा। किसी की बोली न बोलकर सिर्फ अपनी बोली बोलेगा। तिवारी का बेटा आकर तोते से बातें करने लगा। पर आज तोता उसकी बोली में उसकी बात का जवाब न दिया। तिवारी के बेटे ने लोहे की सींक लेकर तोते को बार-बार चुभोई पर तोता घाव खाता रहा किन्तु उसकी बोली में उत्तर न दिया। परिणामस्वरूप घाव सहकर तोता मर गया। दूसरे दिन जंगल का तोता आकर देखा और कहा कि गुलाम अपने मालिक की बात नहीं सुनता है-तो उसका यही हाल होता है। मरे हुए तोते की आत्मा ने जंगल के तोते को चूरी देने की बात कही, क्योंकि उसने एक कैदी को छुड़ाया और मुर्दे को जिन्दा किया है।

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शब्दार्थ :

  • सूरत – रूप, आकृति।
  • आजादी – स्वतंत्रता।
  • कैद – बंधन, कारावास।
  • तारीफ – प्रशंसा। फर्क अन्तर।
  • देह – शरीर।
  • लानत – धिक्कार।
  • अभागा – बुरी किस्मत वाला।
  • मुर्दा – मृत।
  • अख्तियार – वशं।
  • टटोलना – जाँचना, परखना।
  • तले – नीचे।
  • दुर्भाग्य – बद किस्मती।
  • मेहरबान – कृपालु।
  • मजे – अनंद।
  • खुश – किस्मती भाग्यशाली।
  • मुसीबत – संकट ।
  • गुलाम – पराधीन।
  • प्रतिज्ञा – प्रण।
  • चूरी – मीठी चीज।
  • कैदी – गुलाम।
  • चुभाना – गड़ाना, धँसाना

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