Students should regularly practice West Bengal Board Class 6 Hindi Book Solutions Chapter 4 अपूर्व अनुभव to reinforce their learning.
WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 4 Question Answer – अपूर्व अनुभव
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न 1.
तोत्तो-चान कहाँ की रहने वाली थी ?
(क) तोमोए
(ख) कूहोन्बुत्सु
(ग) डेनेन चोफु
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर :
(क) तोमोए
प्रश्न 2.
बच्चे अपने-अपने पेड़ को मानते थे –
(क) निजी संपत्ति
(ख) परायी संपत्ति
(ग) तोत्तो-चान की सम्पत्ति
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(क) निजी संपत्ति
प्रश्न 3.
तोत्तो-चान एवं यासुकी-चान में क्या थी।
(क) मित्रता
(ख) शत्रुता
(ग) भाईचारा
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(क) मित्रता
प्रश्न 4.
तोत्तो-चान किसे अपने पेड़ पर चढ़ाने वाली थी ?
(क) यासुकी-चान को
(ख) तेत्सुको कुरियानागी को
(ग) सुमोयान को
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर :
(क) यासुकी-चान
प्रश्न 5.
यासुकी-चान को कौन-सा रोग था ?
(क) लकवा
(ख) पोलियो
(ग) मिरगी
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(ख) पोलियो
प्रश्न 6.
कौन संघर्ष कर अन्त में ऊपर पहुँच गया ?
(क) यासुकी-चान
(ख) तेत्सुको कुरियानागी
(ग) तोत्तो-चान
(घ) वान-फू
उत्तर :
(क) यासुकी-चान
प्रश्न 7.
यासुकी-चान की बहन कहाँ रहती थी ?
(क) जापान
(ख) लंदन
(ग) अमेरिका
(घ) भारत
उत्तर :
(ग) अमेरिका
प्रश्न 8.
उन दिनों किसके बारे में कोई नहीं जानता था ?
(क) टेलीविजन
(ख) मोबाइल
(ग) मोटर कार
(घ) साईकिल
उत्तर :
(क) टेलीविजन
प्रश्न 9.
यासुकी-चान का घर कहाँ था ?
(क) नागीसाका
(ख) तोमोए
(ग) कुछोन्बुत्सु
(घ) डेनेनचोफु
उत्तर :
(घ) डेनेनचोफु
प्रश्न 10.
तेत्सुको कुरियानागी का जन्म कब हुआ था ?
(क) सन् 1930 में
(ख) सन् 1931 में
(ग) सन् 1932 में
(घ) सन् 1933 में
उत्तर :
(घ) सन् 1933 में।
प्रश्न 11.
तेत्सुको कुरियानागी का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) जापान में
(ख) अमेरिका में
(ग) चीन में
(घ) कोरिया में
उत्तर :
(क) जापान में।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 1.
तोत्तो-चान के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन कब आया ?
उत्तर :
सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद तोत्तो-चान के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन आया। उस दिन उसने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का निमंत्रण दिया था।
प्रश्न 2.
यासुकी-चान कौन था ?
उत्तर :
यासुकी-चान डेनेनचोफु का रहने वाला था। उसे पोलियो की बीमारी थी। वह तोत्तो-चान का मित्र था।
प्रश्न 3.
तोत्तो-चान का पेड़ कहाँ था ?
उत्तर :
तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जाने वाली सड़क के पास था।
प्रश्न 4.
द्विशाखा क्या है ?
उत्तर :
किसी पेड़ पर दो डालों के मिलन विन्दु को द्विशाखा कहते हैं।
प्रश्न 5.
यासुकी-चान के हाथ-पैर कैसे थे ?
उत्तर :
यासुकी-चान के हाथ-पैर पोलियो के कारण कमजोर और बेकार हो गए थे। उसके हाथ की उँगलियाँ पिचकी और अकड़ी थीं। उसके पाँव चलने में असमर्थ थे।
प्रश्न 6.
तोत्तो-चान स्कूल पहुँची तो मैदान में उसे कौन मिल गया ?
उत्तर :
तोत्तो-चान स्कूल पहुँची तो मैदान में उसे यासुकी चान मिल गया।
प्रश्न 7.
तोत्तो-चान क्या सोचने लगी ?
उत्तर :
तोत्तो-चान सोचने लगी कि छोटे डिब्बे से टेलीविजन में सूमो पहलवान कैसे समा-सकते हैं।
प्रश्न 8.
तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने में कैसे सफलता हासिल की ?
उत्तर :
तोत्तो-चान ने अपनी दृढ़ इच्छा के द्वारा ही अपंग यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने में सफलता हासिल की।
प्रश्न 9.
यासुकी-चान पेड़ पर क्यों नहीं चढ़ पाता था ?
उत्तर :
यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था।
प्रश्न 10.
कौन अपने नन्हें हाथों से यासुकी-चान को खींचने लगी ?
उत्तर :
तोत्तो-चान अपने नन्हें हाथों से यासुकी-चान को खींचने लगी ।
प्रश्न 11.
कौन पेड़ की द्विशाखा पर थे ?
उत्तर :
तोत्तो-चान और यासुकी-चान।
प्रश्न 12.
यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह कैसा मौका था ?
उत्तर :
यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अन्तिम मौका था।
बोधमूलक प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 1.
तोत्रो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ पर क्यों चढ़ने देना चाहती थी?
उत्तर :
तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाकर तमाम नई-नई चीजें दिखाना चाहती थी। यासुकी-चान से उसकी मित्रता तथा सहानुभूति थी। इसलिए उसे अपने पेड़ पर चढ़ने देना चाहती थी।
प्रश्न 2.
तोत्तो-चान माँ से क्या कहकर घर से निकली ?
उत्तर :
तोत्तो-चान ने माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेन चोफु जा रही है। इस प्रकार माँ से झूठ कह कर घर से निकली।
प्रश्न 3.
‘अपूर्व अनुभव’ कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर :
इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि किसी भी प्रकार की दृढ़ इच्छा बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती है । तोत्तो-चान की योजना अपंग यासुंकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की थी। यह जोखिम भरा कठिन काम था। पर एक लड़की ने अपनी तीव्व इच्छा शक्ति और बुद्धि के उपयोग से सफलता प्राप्त कर ली।
प्रश्न 4.
“सूरज का ताप उन पर चढ़ रहा था। पर दोनों का ध्यान यासुकी-चान के ऊपर तक पहुँचने में रमा था।’ ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
तोत्तो-चान तथा यासुकी-चान दोनों को यह पता न चला कि यासुकी-चान को ऊपर चढ़ने में कितना समय लगा। सूर्य की तेज धूप उन पर पड़ने लगी थी। सूर्य कहाँ तक आकाश में चढ़ गए हैं, तेज धूप पड़ने लगी है। इस बात का उन्हें कोई ज्ञान न हो सका । दोनों का ध्यान केवल इस बात में लगा हुआ था कि यासुकी-चान कब पेड़ पर ऊपर चढ़ जाता है। किसी भी कार्य में मन के रम जाने पर समय का ज्ञान नहीं हो पाता कि कितना समय हो गया है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 1.
प्रस्तुत कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि दृढ़ इच्छा, बुद्धि और कठोर परिश्रम से किसी भी काम में सफलता मिल जाती है।
उत्तर :
यदि आदमी में दृढ़ इच्छा शक्ति है तो वह अपनी बुद्धि और परिश्रम से असंभव प्रतीत होने वाले काम को संभव बना कर संपन्न कर डालता है। तेत्सुको को कुरियानागी ने तोत्तो-चान के उदाहरण से इसे स्पष्ट किया है। तोत्तोचान ने अपनी दृढ़ इच्छा के द्वारा ही अपंग यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने में सफलता हासिल की। यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था। तात्तो-चान ने गुप्त रूप से यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ने के लिए आमंत्रित किया, योजना को सफल बनाने के लिए वह यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गई।
उसने चौकीदार की छत से एक सीढ़ी घसीटते हुई लाई। सहारे के लिए सीढ़ी को द्विशाखा तक पहुँचने के लिए तने के सहारे खड़ा कर दिया। सीढ़ी को पकड़कर उसने उसी प्रकार उसे ऊपर चढ़ने के लिए कहा। हाथ-पैर अत्यंत कमजोर होने के कारण वह पहली सीढ़ी पर बिना सहारे नहीं चढ़ पाता। तोत्तो-चान के धकियाने पर भी वह नहीं चढ़ पाया और अपना पैर सीढ़ी पर से हटा लिया। दोनों में उत्साह था दोनों इस काम में सफल होना चाहते थे। अन्त में वह चौकीदार के छपर से एक तिपाईसीढ़ी ले आई। तिपाई-सीढ़ी द्विशाखा तक पहुँच रही थी।
यासुकी-चान निश्चय के साथ चढ़ने लगा। ऊपर तक चढ़ गया। तोत्तो-चान तो सीढ़ी पर से छलांग लगा कर द्विशाखा पर पहुँच गई। पर यासुकी-चान को सीढ़ी से पेड़ पर लाने की हर कोशिश बेकार हो गई। अन्त में तोत्तो-चान उसका हाथ अपने हाथ में थाम ली । फिर उसे लेट जाने के लिए कहा और उसे पेड़ पर खींचने की कोशिश करने लगी। कड़ी धूप के बावजूद बादल उन्हें छाया दे रहा था। काफी मेहनत के बाद दोनों आमने-सामने पेड़ की द्विशाखा पर थे। यासुकी-चान ने आज जीवन में पहली बार दुनियी की एक झलक देखी। वह खुश था। दोनों पेड़ पर बातें करते रहे। दोनों बेहद प्रसन्न थे। इस प्रकार तोत्तो-चान ने अपनी लगन, साहस, दृढ़ इच्छा-शक्ति से जोखिम भरे काम में सफलता प्राप्त कर ली।
इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि व्यक्ति में यदि किसी भी कार्य को संपन्न करने की गहरी रुचि तथा शक्ति है तो वह अपने साहस, लगन तथा कर्मठता से सफलता प्राप्त कर लेता है। कार्य करते समय बीच-बीच में बाधाएं भी आती हैं। काम कठिन प्रतीत होने लगता है। पर ऐसी स्थिति में व्यक्ति को निराश नहीं होना चाहिए। बुद्धि का उपयोग नये-नये साधन जुटा कर कार्य में लग जाना चाहिए। साहसी, कर्मठ और आशावादी पुरुष के पाँव को सफलता अवश्य चूमती है।
भाषा-बोध :
1. वाक्य प्रयोग करें –
शिविर – सैनिक शिविर में आराम करते हैं।
न्योता – रमा ने अपनी सहेली को न्योता दिया।
छुट्टी – रविवार को छुट्टी रहती है।
संपत्ति – मेरे पास थेड़ी सी संपत्ति है।
उल्लास – उसके मन में बड़ा उल्लास था।
2. विलोम शब्द लिखें :-
ऊपर – नीचे
आकाश – पाताल
झूठ – सच
पीछे – आगे
गरमी – जाड़ा
WBBSE Class 6 Hindi तिवारी का तोता Summary
जीवन-परिचय :
तेत्सुको कुरियानागी का जन्म जापान के नागी साका में सन् 1933 में हुआ था। इनकी रचनाओं में समाजिक तथा मानवीय मूल्यों का आधार परिलक्षित होता है।
कहानी का सारांश – तोत्तो-चान के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन आया, जब उसने यासूनी चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का निमंत्रण दिया। तोमोए में प्रत्येक बालक बाग के एक-एक पेड़ को अपने चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्तोचान का पेड़ बहुत बड़ा था। परंतु छह फुट की ऊँचाई पर एक द्विशाखा थी। वहाँ झूले सी आरामदायक जगह थी। बच्चे अपने पेड़ को अपनी निजी संपत्ति समझते थे। तोत्तो-चान उस पर चढ़कर लोगों को देखती थी। यासुकी-चान को पोलियो था। इसलिए वह पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था। तोत्तो-चान ने सभी से छिपाकर उसे न्योता दिया था। तोत्तो-चान स्कूल पहुँची तो मैदान में उसे यासुकी चान मिल गया। यासुकी-चान पैर घसीटता हुआ उसकी ओर बढ़ा। तोत्तो-चान भी उत्तेजित थी। उल्लास में दोनों हँसने लगे।
तोत्तो-चान उसे पेड़ की ओर ले गई। फिर चौकीदार के छपर से एक सीढ़ी घसीटती हुई लाई। उसे तने के सहारे लगाकर एक कुरसी पर चढ़कर सीढ़ी के किनारे को पकड़ लिया। यासुकी-चान पहली सीढ़ी पर बिना सहारे नहीं चढ़ पाया। छोटी और नाजुक सी तोत्तो-चान उसे पीछे से धकियाने लगी। पर सफल न हो सकी। यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की उसकी हार्दिक इच्छा थी। यासुकी-चान के मन में भी उत्साह था। फिर वह चौकीदार के छपर से एक तिपाई लाई। तिपाई की ऊपरी सीढ़ी द्विशाखा तक पहुँच रही थी। यासुकी-चान निश्चय के साथ पाँव उठाकर पहली सीढ़ी पर रखा।
तोत्तो-चान नीचे से उसका एक-एक पैर सीढ़ी पर रखने में मदद कर रही थी। यासुकी-चान पूरी शक्ति के साथ संघर्ष कर अन्त में ऊपर पहुँच गया। तोत्तो-चान छलांग लगा कर द्विशाखा पर पहुँची, पर यासुकी-चान सीढ़ी से पेड़ पर न आ सका। तोत्तो-चान उसका हाथ पकड़ कर बोली तुम लेट जाओ, मैं तुम्हें पेड़ पर खींचने की कोशिश करूँगी। वह अपने नन्हें हाथों से पूरी ताकत से यासुकी-चान को खींचने लगी।
काफी मेहनत के बाद दोनों आमने-सामने पेड़ की द्विशाखा पर थे। तोत्तो-चान ने अपने पेड़ पर उसका स्वागत किया। उस दिन यासुकी-चान ने अत्यंत प्रसन्न होकर दुनिया की एक नई झलक देखी। दोनों बड़ी देर तक इधर-उधर की बातें करते रहे। यासुकी-चान ने कहा कि उसकी बहन अमेरिका में है । उसने बताया कि टेलीविजन एक ऐसी वस्तु है, जिसमें घर बैठे ही सूमो-कुश्ती देख सकेंगे। तोत्तो-चान सोचने लगी कि छोटे डिब्बे से टेलीविजन में सूमो पहलवान कैसे समासकते हैं। उन दिनों टेजीविजन के बारे में कोई नहीं जानता था। यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अन्तिम मौका था। दोनों अपनी सफलता पर बेहद खुश थे।
शब्दार्थ :
- शिविर – डेरा, छावनी।
- चौकीदार – पहरेदार।
- न्योता – निमंत्रण।
- हताशा – निराशा।
- उदास – निराश।
- द्विशाखा – दो डालियों का मिलन केन्द्र ।
- निजी – अपनी।
- शक्ति – बल।
- शिष्टता – व्यावहारिकता।
- हैरान आश्चर्य।
- पोलियो – एक बीमारी।
- थामे रहना – पकड़े रहना।
- उल्लास – खुशी।
- ताप – गर्मी।
- रम – लीन।
- तरबतर भींगा हुआ।
- बेहद – बहुत।
- टेलीविजन – दूरदर्शन।
- मौका – अवसर।
- गषें लड़ाना – बातें करना।
- लुभावनी – मन मोहने वाली।
- जूझना – संघर्ष करना।
- उत्तेजित – प्रोत्साहित।
- उमंग – उत्साह