WBBSE Class 7 Hindi Solutions Chapter 1 आदर्श विद्यार्थी

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WBBSE Class 7 Hindi Solutions Chapter 1 Question Answer – आदर्श विद्यार्थी

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लेखक किस दिन खिलौने खरीदने बाजार पहुँचा?
(क) होली
(ख) दीपावली
(ग) दशहरा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) दीपावली

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प्रश्न 2.
लेखक को किस बात पर आश्चर्य हुआ?
(क) नवयुवक के साहस पर
(ख) बाजार में खिलौने की बड़ी-बड़ी दुकानें देखकर
(ग) नवयुवक के हाथों में साधारण आकार की डालिया देखकर
(घ) इनमें से काई नहीं
उत्तर :
(क) नवयुवक के साहस पर

बोधमूलक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लेखक नवयुवक को देखकर क्यों महसूस करता है कि यह साधारण व्यक्ति नहीं है।
उत्तर :
नवयुवक की आकृति तथा बातचीत से लेखक को पता चला कि यह साधारण व्यक्ति नहीं है। वह पढ़ा-लिखा तथा सूरत-शक्ल से अन्छे खानदान का जान पड़ता है। किसी असाधारण विपत्ति में पड़ने से इसे यह व्यवसाय करना पड़ा है।

प्रश्न 2.
नवयुवक ने लेखक को जो राम कहानी सुनाई उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
इस प्रश्न का उत्तर कहानी के सारांश के अन्तिम अनुच्छेद में देखिए।

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प्रश्न 3.
आदर्श विद्यार्थी के किन्हीं दो चारित्रिक गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
आदर्श विद्यार्थी में अद्भुत साहस तथा घैर्यं था। पिता की मृत्यु एक नवयुवक के जीवन की सबसे दुःखद एवं चिन्ताकारक स्थिति होती है। नवयुवक परिवार के एकमात्र सहारे की मृत्यु हो जाने पर भी धैर्य नहीं छोड़ता है। धैर्य पूर्वक अपने खाने-पीने के लिए खिलौने बेचने का धंधा करने लगता है । ईमानदारी से धनोपार्जन करने को वह बुरा नहीं मानता। वह परिश्रमी तथा लक्ष्य प्राप्ति के लिए अडिग रहने वाला साहसी युवक है। परिश्रम, धैर्य, साहस व लगन से वह अपने लब्य्य सिद्धि में सफल हो जाता है। वस्तुत: वह एक आदर्श विद्यार्थी से एक आदर्श अध्यापक बन जाता है।

प्रश्न 4.
‘आदर्श विद्यार्थी’ कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी में लेखक ने सष्ट किया है कि जीवन में घेर्य, परिश्रम, साहस तथा लगन से व्यक्ति अपने किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। एक नवयुवक के माध्यम से लेखक इसे सिद्ध किया है कि पिता की मौत हो जाने पर एवं आय के साधन समाप्त हो जाने पर भी वह निराश नहीं होता, साहस नहीं छोड़ता। वह खिलौना बेचकर कुछ अर्जित कर अपने लक्ष्य पर पहुँच जाता है। बी०ए० पास कर अध्यापक का पद पा लेता है। इस प्रकार लेखक ने यह संदेश दिया है कि ईमानदारी से धनोपार्जन में कोई शर्म नहीं है। यदि धैर्य तथा लगन हो तो व्यक्ति किसी भी मुसीबत को पार कर लक्ष्य पर पहुँचता है। यही बताना लेखक का उद्देश्य है।

व्याख्या मूलक प्रश्न

(क) मैने सोचा यह बड़ा विचित्र आदमी है।

प्रश्न 1.
किसने किसके विषय में सोचा?
उत्तर :
लेखक ने नवयुवक के विषय में सोचा।

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प्रश्न 2.
वक्ता को संकेतित व्यक्ति विचित्र क्यों प्रतीत हुआ?
उत्तर :
लेखक ने नवयुवक की आर्यिक दशा को सुधारने के लिए नौकरी करने का प्रस्ताव रखा। फिर यह भी कहा कि यदि उसे नौकरी मिलने में कठिनाई हो तो वे उसके विषय में चेष्टा कर सकते हैं। पर नवयुवक ने कहा कि अभी उसे नौकरी नहीं करनी है। जब आवश्यकता होगी तब उनसे कहेगा। लेखक ने सोचा कि नौकरी नहीं करना चाहता, इस खिलौने से इसे क्या मिलता होगा। इसी कारण लेखक को वह नवयुवक विचित्र प्रतीत हुआ।

(ख) ‘इसलिए मुझे चिन्ता हुई।’

प्रश्न 1.
यह पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है? इसके लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर :
यह पंक्ति ‘आदर्श विद्यार्थी’ पाठ से उद्धत है। इसके लेखक का नाम श्री विश्वम्भर नाथ शर्मा ‘कौशिक’ है।

प्रश्न 2.
वक्ता को किसके लिए चिन्ता हुई?
उत्तर :
वक्ता नवयुवक ने सोचा कि वह बी०ए० अवश्य पास करेगा, चाहे इसके लिए उसे भीख ही क्यों न माँगनी पड़े। उसने चेष्टा करके अपनी फीस माफ करवा ली, परन्तु खाने-पीने के लिए कुछ मासिक आय की आवश्यकता थी। इसलिए वक्ता को चिन्ता हुई।

(ग) ‘भाई ईमानदारी से पैसा कमाने में कुछ शर्म नहीं है।’

प्रश्न 1.
यह किसने किससे कहा?
उत्तर :
यह नवयुवक ने कालेज के कुछ लड़कों से कहा।

प्रश्न 2.
इस पंक्ति का आशय अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस पंक्ति में यह सषष्ट किया गया है कि पैसा कमाने के लिए ईमानदारी से जो काम किया जाता है उसमें लज्जा की कोई बात नहीं है। ईमानदारी तथा परिश्रम से किया गया कोई काम बुरा नहीं होता। कोई भी काम करने से कोई छोटा नहीं हो जाता है। खिलौने बेच कर अपना मासिक खर्च चलाना न बुरा और न शर्म की बात है। यह कदम तो प्रशंसनीय है।

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1. उपसर्ग एवं मूल शब्द अलग कीजिए :

  • आसाधारण – अ + साधारण
  • विवश – वि + वश
  • सदुपयोग – सत् + उपयोग
  • सुअवसर – सु + अवसर
  • अनपढ़़ – अन + पढ़

2. प्रत्यय पृथक् कीजिए :

  • आवश्यकता – आवश्यक + ता
  • जीवित – जीव + इत
  • कठिनाई – कठिन + आई
  • व्यापारिक-व्यापार + इक
  • उत्सुकता-उत्सुक + ता

3. विलोम शब्द लिखिए :

  • अधीर – धीर
  • अशिक्षित – शिक्षित
  • नित्य – अनित्य
  • जीवित-मृत

4. शब्द का प्रयोग वाक्यों में करें :

  • धन्धा – हर व्यक्ति को कोई न कोई धन्धा करना चाहिए।
  • व्यवसाय- आजकल व्यवसाय की ओर लोगों का झुकाव है।
  • विचित्र – इस आदमी का व्यवहार विचित्र लगता है।
  • धनोपार्जन- ईमानदारी से धनोपार्जन करना उचित है।
  • निरुत्तर – नवयुवक की बात सुनकर लेखक निरुत्तर हो गया।

WBBSE Class 7 Hindi आदर्श विद्यार्थी Summary

जीवन्-परिचय

कौशिक का जन्म सन् 1891 ई० में अम्बाला छावनी में हुआ था। ये गौड़ ब्राह्मण थे। वे प्रेमचन्द के समकालीन थे। हिन्दी साहित्य में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सन् 1947 ई० में इनका देहावसान हो गया। इनकी पहली कहानी रक्षा बंधन सन् 1912 ई० में सरस्वती पत्रिका में छपी। इन्होंने व्यंग्यात्मक साहित्य की भी रचना की।

इनकी भाषा सहज, सरल तथा व्यावहारिक है। इनकी प्रमुख रचनाएँ – कहानी संग्रह, चित्रशाला, गल्पमंदिर, कल्लोल, मणिमाला, मिलन मंदिर, प्रेम प्रतिमा हैं। ‘माँ’ और ‘भिखारी’ इनके मुख्य उपन्यास हैं। इनकी व्यंग्यात्मक रचना ‘दुबे जी की चिट्ठी हैं। कौशिक जी द्विवेदी युग के यशस्वी कथाकार माने जाते हैं।

कहानी का सारांश 

दीपावली का दिन था। लेखक कुछ खिलौने खरीदकर नौकर को दे उसे घर भेज दिया। आगे बढ़कर उसने देखा कि एक नवयुवक खिलौने बेच रहा था। उसके हाथ की डालिया में पन्द्रह-बीस खिलौने थे।’बाबू जी! खिलौने लीजिए, खिलौने’ उसके इस स्वर को सुनकर लेखक ने उसे देखा। खिलौने की बड़ी-बड़ी दुकानों के बावजूद वह साहसी युवक पन्द्रह- बीस खिलौने लेकर बाजार में पहुँचा था। लेखक को खिलौने की आवश्यकता नहीं थी।

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इसलिए मुस्कराकर आगे बढ़ गया। दो-तीन दिन पश्चात् लेखक पुन: चौंक गया। उसी नवयुवक का स्वर बाबूजी खिलौने लीजिएगा – खिलौने फिर सुनाई पड़ा। लेखक ने उससे पूछा कि वह यह धन्धा क्यों करता है। नवयुवक ने अपना संक्षिप्त परिचय भी बतलाया कि वह अभी यही काम करता है। उसके पिता नहीं हैं केवल माता है। यहाँ अकेले किसी परिचित के यहाँ रहता है। उस नवयुवक की आकृति तथा बात-चीत से लेखक को पता चला कि वह साधारण व्यक्ति नहीं है। वह अच्छे खानदान का पढ़ा-लिखा व्यक्ति मालूम पड़ता है। किसी विपत्ति के कारण यह धंधा कर रहा है। लेखक ने उसे अपने मकान का पता बता कर कहा कि घर आने पर कुछ खिलौने ले लिया करूँगा।

एक सप्ताह पश्चात् वह नवयुवक लेखक के मकान पर खिलौने लिये पहुँचा। तीन-चार खिलौने खरीदकर लेखक ने उससे कहा कि इस धंधे से अच्छा है कि कोई नौकरी कर लो। मैं तुम्हारे लिए नौकरी के लिए चेष्टा कर सकता हूँ। पर उसने कहा कि जरूरत होने पर आपसे कहूँगा। लेखक को उसकी बात पर आश्चर्य हुआ कि अभी वह नौकरी क्यों नहीं करना चाहता है। इस प्रकार कभी-कभी वह खिलौने लेकर लेखक के पास आया करता था।

एक दिन वह लेखक के पास आया। उसके पास केवल तीन खिलौने थे । लेखक ने एक-एक खिलौने तीन बच्चों को दे दिए। लेखक के आग्रह करने पर भी वह इस बार खिलौनों के पैसे नहीं लिए। उसने कहा कि इन बच्चों की बदौलत उसे बहुत कुछ मिल चुका है, और मिलता रहेगा। लेखक के द्वारा नौकरी का प्रस्ताव करने पर भी उसका वही उत्तर था कि अभी नौकरी नहीं करनी है।

कुछ दिन के बाद वह एक गठरी में कागज, पेन्सिल, कलम, निब, दवात तथा होल्डर आदि लेकर आया। उसकी सोच थी कि ऐसी चीजें रखनी चाहिए जिससे ग्राहकों के पैसे का सदुपयोग हो। लेखक ने आवश्यकतानुसार सामान खरीद लिए। फिर आवश्यक किताबें भी उससे मँगाने लगे। छ: सात महीने तक यह क्रम चला। फिर उसका आना बन्द हो गया। लेखक ने सोचा कि शायद वह बीमार हो गया हो, अथवा अपने घर चला गया होगा।

जुलाई का महीना था, लेखक अपने पुत्र को स्कूल में भर्ती करने के लिए ले गया। प्रधानाध्यापक ने आवश्यक कार्यं करने के बाद भी लड़के को कक्षा में जाने के लिए कहा। लेखक लड़के को लेकर कक्षा में गए। कक्षाध्यापक ने उन्हें देखकर मुस्कराकर कहा आइए।लेखक उसी खिलौने वाले को यहाँ अध्यापक के रूप में देखकर चकित हो गए। नवयुवक ने बतलाया कि वह परसों यहाँ अध्यापक होकर आया है। आज शाम को वह उनकी सेवा में उर्पस्थित होने वाला था। शाम को लेखक के घर आकर अपनी राम कहानी सुनाई।

नवयुवक की राम कहानी – वह एक साधारण स्थिति के पिता का पुत्र था। पिता बैंक में सत्तर रुपये मासिक वेतन पर नौकर थे। उस समय वह कालेज में बी०ए० के अन्तिम वर्ष में पढ़ रहा था। उसी समय पिता की मृत्यु हो गई। पर मैने निश्चय किया कि बी०ए० अवश्य पास करूंगा। चाहे भीख ही माँगनी पड़े। फीस तो मैंने माफ करवा ली, पर खाने-पीने की चिन्ता थी। दशहरे का दिन था। उसने देखा कि कुछ खिलौने वाले कागज के खिलौने लिए मेले में जा रहे हैं। सोचा कि ये अशिक्षित लोग यही धंधा कर परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। मुझे भी ऐसा ही कोई काम करना चाहिए।

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उसने उसी समय एक मित्र से दस रुपये उधार लिए और बाजार से दस रुपये के खिलौने ले डलिया में रखकर सीधे मेले में पहुँच गया। शाम तक सारे खिलौने बिक गए। उसे दो रुपये मुनाफे के मिले। उसने कहा कि ईमानदारी से पैसा कमाने में कोई शर्म नहीं है। नित्य शाम को दो घंटे के लिए खिलौने लेकर निकलता था। इस प्रकार उसने बी०ए० पास किया। मेरी लगन से प्रसन्न होकर प्रिन्सिपल साहब ने खर्च देकर ट्रेनिंग कालेज भेजा। वहाँ मैने बी०एड० पास किया। अब यहाँ सौ रुपये मासिक पर अध्यापक होकर आया हूँ। यही मेरी राम कहानी है। उसकी कहानी सुनकर लेखक दंग रह गया। उसके चरण छूकर उन्हें धन्यवाद दिया। लेखक ने कहा कि आप जैसे बुद्धिमान ही ऐसा कर सकते हैं।

शब्दार्थ :

  • आश्चर्य – अचरज, विस्मय
  • पश्चात् – बाद
  • नवयुवक – नव जवान
  • धन्धा – व्यवसाय
  • धनोपार्जन – धन कामना
  • आँखें चार होना – आमना-सामना होगा
  • लालसापूर्ण – कामना से पूर्ण
  • परिचित – जान पहचान का
  • भ्रम – सन्देह
  • नित्य – हमेशा, सदा
  • ग्राहक – खरीददार
  • अकस्मात – अचानक
  • राम कहानी – दु:ख भरी कहानी
  • खानदान – वंश कुल।

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