Students should regularly practice West Bengal Board Class 6 Hindi Book Solutions Chapter 7 कठोर कृपा to reinforce their learning.
WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 7 Question Answer – कठोर कृपा
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न 1.
‘कठोर कृपा’ कहानी के लेखक कौन हैं ?
(क) मुंशीप्रेमचंद
(ख) काका कलेलकर
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
उत्तर :
(ख) काका कलेलकर।
प्रश्न 2.
अच्छे खानदान में कितने भाई थे ?
(क) एक
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर :
(ग) चार।
प्रश्न 3.
चारों भाई कैसे थे ?
(क) हुनरमंद व पढ़े-लिखे
(ख) बेवकूफ
(ग) काहिल
(घ) चालाक
उत्तर :
(क) हुनरमंद व पढ़े-लिखे।
प्रश्न 4.
घर के पास बगीचे में किसका पेड़ था ?
(क) आम का
(ख) सहिजन का
(ग) कटहल का
(घ) फुलों का
उत्तर :
(ख) सहिजन का।
प्रश्न 5.
कौन सहिजन खरीद ले जाती थी ?
(क) दुकानदार
(ख) कुंजड़िन
(ग) रिश्तेदार
(घ) मेहमान
उत्तर :
(ख) कुंजड़िन।
प्रश्न 6.
दिवाली के कितने दिनों के बाद रिश्तेदार आया ?
(क) एक दिन
(ख) दो दिन
(ग) चार दिन
(घ) पाँच दिन
उत्तर :
(क) एक दिन।
प्रश्न 7.
कौन मेहमान से खाने का आग्रह करती है ?
(क) बूढ़ी माँ
(ख) दूसरा भाई
(ग) चौथा भाई
(घ) लेखक
उत्तर :
(क) बूढ़ी माँ।
प्रश्न 8.
कितने बजे कुंजड़िन आई ?
(क) आठ बजे
(ख) पाँच बजे
(ग) छ: बचे
(घ) दस बजे
उत्तर :
(घ) दस बजे।
प्रश्न 9.
कौन जाग रहा था ?
(क) बूढ़ी मां
(ख) मेहमान
(ग) तीसरा भाई
(घ) कुंजड़िन
उत्तर :
(ख) मेहमान ।
प्रश्न 10.
कौन सहिजन को धरती पर काटकर गिरा देता है ?
(क) मेहमान
(ख) बुजुर्ग
(ग) बूढ़ी माँ
(घ) लेखक
उत्तर :
(क) मेहमान।
प्रश्न 11.
घर का एक मात्र सहारा क्या था ?
(क) आम का पेड़
(ख) सहिजन का पेड़
(ग) व्यवसाय
(घ) नौकरी
उत्तर :
(ख) सहिजन का पेड़ ।
प्रश्न 12.
किसने बड़े भाई को नौकरी पर रख लिया?
(क) धनी व्यक्ति ने
(ख) मेहमान ने
(ग) साहुकार ने
(घ) ठाकुर ने
उत्तर :
(क) धनी व्यक्ति ने।
प्रश्न 13.
कितने साल बीतने के बाद चारों की हालत अच्छी हो गई ?
(क) एक साल
(ख) दो साल
(ग) तीन साल
(घ) चार साल
उत्तर :
(क) एक साल।
प्रश्न 14.
‘कठोर कृपा’ किस विधा की रचना है ?
(क) कविता
(ख) कहानी
(ग) नाटक
(घ) उपन्यास
उत्तर :
(ख) कहानी।
प्रश्न 15.
काका कालेलकर का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) सतारा (महाराष्ट्र) में
(ख) नागपुर में
(ग) कोलकाता में
(घ) ग्वालियर में
उत्तर :
(क) सतारा (महाराष्ट्र) में ।
प्रश्न 16.
काका कालेलकर का वास्तविक नाम क्या था ?
(क) दत्तात्रेय बालकृष्ण
(ख) दत्तात्रेय रामकृष्ण
(ग) दत्तात्रेय परमकृष्ण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) दत्तात्रेय बालकृष्ण।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 1.
किस कारण से चारों भाई नौकरी या घंधा नहीं करते थे ?
उत्तर :
पुरानी इज्जत के कारण वे कहीं नौकरी या काम-धंधा नहीं करते थे।
प्रश्न 2.
भोजन बन जाने के बाद भाइयों ने क्या बहाना बनाया ?
उत्तर :
भोजन बन जाने पर तीनों भाइयों ने न खाने का बहाना बना लिया।
प्रश्न 3.
प्रतिष्ठित खानदान के नौजवान क्यों कष्ट पा रहे थे ?
उत्तर :
प्रतिष्ठित खानदान के ये नौजवान झूठी बनावटी इज्जत के कारण कष्ट पा रहे थे।
प्रश्न 4.
घर के बगीचे में किस चीज का पेड़ था?
उत्तर :
घर के बगीचे में सहिजन का पेड़ था।
प्रश्न 5.
सबेरे बड़े भाई ने क्या देखा ?
उत्तर :
सबेरे बड़े भाई ने देखा मेहमान जा चुका है और बगीचे में सहिजन का पेड़ कटा हुआ है।
प्रश्न 6.
बड़े भाई ने बुढ़िया से क्या कहा ?
उत्तर :
बड़े भाई ने बुढ़िया से कहा-अब गुजारा के लिए कहीं काम-धंधा ढूँढ़ना पड़ेगा।
प्रश्न 7.
बस्ती में चारों भाई क्यों प्रसिद्ध थे ?
उत्तर :
उस बस्ती में चारों भाई अपनी इज्जत और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध थे।
प्रश्न 8.
किसने पेड़ काटना स्वीकार किया ?
उत्तर :
मेहमान ने पेड़ काटना स्वीकार किया ।
प्रश्न 9.
चारों भाई ने वास्तविकता जान कर क्या किया ?
उत्तर :
चारों भाई भी वास्तविकता जानकर मेहमान का सम्मान किए।
प्रश्न 10.
किसी शहर में कैसा खानदान रहता था ?
उत्तर :
किसी शहर में एक अच्छा खानदान रहता था।
प्रश्न 11.
किनकी जायदाद और धन-दौलत बरबाद हो चुकी थी?
उत्तर :
शहर के अच्छे खानदान के चारों भाइयों की जायदाद व धन-दौलत बरबाद हो चुकी थी।
प्रश्न 12.
किनके घर में गरीबी दिन-ब-दिन बढ़ रही थी ?
उत्तर :
किसी शहर में रहने वाले चारों भाई पुश्तैनी इज्जत के कारण नौकरी या धंधा नहीं करते थे। इसलिए उनके घर में गरीबी दिन-ब-दिन बढ़ रही थी।
प्रश्न 13.
क्या कारण था कि बीबी बच्चों का सारा जेवर बेचना पड़ा ?
उत्तर :
दिनोंदिन परिवार में गरीबी बढ़ती गई। एक दिन ऐसा भी आया कि घर में कुछ भी न बचा। खाने-पीने की भी परेशानी आ गई। विवश होकर उन्हें बीबी-बच्चों का सारा जेवर बेचना पड़ा।
प्रश्न 14.
चारों भाई ने मेहमान को विदा करते समय क्या कहा ?
उत्तर :
मेहमान को विदा करते समय कहा- उस सहिजन का पेड़ काटकर आपने हमारे आलस्य और दुर्भाग्य को काट डाला। हमारी किस्मत को ऊँचा उठा दिया। संबंधी हो तो ऐसा ही हो।
बोधमूलक प्रश्नोत्तर :
प्रश्न क.
चारों भाई हुनरमंद होने के बावजूद काम-धंधा क्यों नहीं कर पाते थे ?
उत्तर :
वारों भाई हुनरमंद व पढ़े-लिखे थे। वे अपनी झूठी शान और समाज में अपनी झूठी मान-मर्यादा को दिखाना चाहते थे। अतः अपनी पुरानी खानदानी इज्जत के कारण कोई काम-धंधा नहीं करना चाहते थे ।
प्रश्न ख.
परिवार का गुजारा चलाने के लिए वे क्या करते थे?
उत्तर :
इनकें घर के बगीचे में एक सहिजन का पेड़ था। उसमें लंबी-लंबी हरी-हरी फलियाँ लटक रही थीं। शाम के समय एकांत में चारों भाइयों में से कोई एक भाई पेड़ पर चुपके से चढ़ जाता और फलियों को तोड़ कर नीचे गिरा देता। कुछ रात बीते एक कुंजड़िन आती और सहिजन खरीद कर ले जाती। इससे जो थोड़े से पैसे मिल जाते उसी से परिवार का गुजारा चलता था।
प्रश्न ग.
मेहमान क्या ताड़ गया ?
उत्तर :
मेहमान ने घर में दो बार भोजन किया। उसके साथ केवल एक भाई खाने के लिए बैठता था। वह भी सधा हुआ था, इसलिए दुबारा परोसने के पहले ही मना कर देता। यह देखकर मेहमान ताड़ गया कि ये लोग गरीबी के शिकार हो रहे हैं । खाने-पोने की तकलीफ बढ़ रही है। इन्हें अपनी गरीबी तथा अभाव की चिन्ता नहीं है।
प्रश्न घ.
मेहमान ने पेड़ को क्यों काट डाला ?
उत्तर :
मेहमान बरामदे में सो जाने का ढोंग रचा। बड़ा भाई टोकरी में सहिजन लेकर कुंजड़िन को कम पैसे में दिया। मेहमान सब कुछ देख कर समझ गया कि यह अच्छा प्रतिष्ठित खानदान झूठी और बनावटी इन्जत के कारण खाने-पीने की भी तकलीफ सह रहा है। इस सहिजन के पेड़ से ही अपना गुजारा कर रहा है। वह दूरदर्शी मेहमान उनकी काहिली दूर कर उन्हें कर्मठ बनाने की नीयत से पेड़ को काट डाला।
प्रश्न ङ.
पेड़ काटने का क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर :
जीविका के एकमात्र आधार पेड़ के कट जाने से बड़े भाई ने सोचा कि अब आगे गुजारा चलना मुश्किल है। इसलिए हमें अब कहीं न कहीं काम ढूँढना पड़ेगा। बड़े भाई ने धनी व्यक्ति के यहाँ नौकरी पकड़ ली । दूसरे भाई भी कहीं न कहीं काम पर लग गए। एक साल में ही चारों भाइयों की दशा अच्छी हो गई, घर का काम-काज सुचारु ढंग से चलने लगा। अब घर में किसी चीज की कमी न रही। इस प्रकार पेड़ काटने के परिणामस्वरूप उनकी किस्मत ऊँची उठ गई।
प्रश्न च.
“आपने हमारा सहिजन का पेड़ नहीं काटा, हमारी काहिली और बदकिस्मती को काट कर फेंक दिया था।” कहने से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
दूसरी दीवाली पर आकर मेहमान ने स्वीकार कर लिया कि सहिजन का पेड़ उसी ने काट कर गिरा दिया था। इस कठोर कर्म के पीछे उसके मन में अच्छी भावना थी। मेहमान का उचित सत्कार कर उसे विदा करते समय भाइयों ने भी कहा कि उन्होंने हमारा सहिजन का पेड़ नहीं काटा बल्कि हमारे आलस्य और दुर्भाग्य को काट कर फेंक दिया। इससे हमलोग झूठी बनावटी इज्जत को छोड़कर परिश्रमी बनकर नौकरी करने लगे। हमारी आर्थिक दशा सुधर गई।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :
प्रश्न :
‘कठोर कृपा’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी के माध्यम से लेखक ने श्रम और मेहनत के महत्व को स्पष्ट किया है। एक शहर में एक अच्छा खानदान रहता था। उनमें चार भाई थे। उनकी सारी सम्पत्ति बब्बाद हो चुकी थी। चारों भाई कुशल कर्मठ होते हुए भी पुरानी खानदानी इज्जत के कारण कोई काम धंधा नहीं करते थे। अंत में गरीबी के कारण घर के सारे आभूषण भी बिक गए। खाने-पीने के लाले पड़ने लगे। उनके बगीचे में एक सहिजन का पेड़ ही उनकी जीविका का आधार बना। रात के समय कोई एक भाई सहिजन की फलियों को तोड़ देता था। रात के समय एक कुंजड़िन आती और उन्हें खरीद कर ले जाती। उन थोड़े से पैसों से उनका गुजारा चल रहा था।
दीवाली के बाद एक दिन उनका एक रिश्तेदार आया। उसे उनकी बुरी हालत का अंदाजा लग गया। उसके साथ खाने के लिए केवल एक भाई बैठा। भोजन के बाद मेहमान समझ गया कि ये लोग गरीबी के शिकार हो रहे हैं। रात के समय वह मेहमान बरामदे में सोया नहीं, सोने का ढोंग रचा। रात में कुँजड़िन आई और मेहमान के मौजूद होने का लाभ उठाकर फलियों के दाम और घटा दिये। कुँजड़िन के चले जाने पर चारों भाई सो गए।
दूरदर्शी मेहमान जागता रहा और सोचने लगा कि यह बहुत ही प्रतिष्ठित खानदान है, पर झूठी और बनावटी इज्जत के ख्याल से ये नौजवान लड़के खानेपीने की तकलीफ सह रहे हैं और इस मामूली सहिजन के सहारे अपना गुजर कर रहे हैं। उस बुद्धिमान मेहमान ने उन्हें कर्मठ बनाने का निश्चय किया। बरामदे के एक कोने में पड़ी हुई कुल्हाड़ी उठाकर बगीचे में सहिजन के पेड़ के पास पहुँचा। उसने पेड़ को जड़ से काटकर जमीन पर गिरा दिया। फिर सबेरा होते ही चुपचाप वहाँ से चल दिया।
सबेरा होने पर मेहमान के गायब होने और सहिजन के पेड़ के कटे होने से घर में मातम छा गया। सभी लोग उस मेहमान को अनाप-सनाप कहने लगे और अपना शत्रु बतलाए, क्योंकि उनके परिवार का एकमात्र सहारा वही पेड़ कट गया था। बड़े भाई ने कहा कि अब हमें किसी न किसी प्रकार की नौकरी ही करनी पड़ेगी, सभी को कहीं न कहीं काम ढूँढ़ना पड़ेगा। उस बस्ती में चारों भाइयों की बड़ी इज्जत थी। अपनी ईमानदारी के लिए वे प्रसिद्ध थे। इसलिए सभी का कहीं न कहीं काम लग गया। एक साल में ही घर की स्थिति पटरी पर आ गई। घर का सारा काम-काज ठीक से चलने लगा।
अब वहाँ किसी चीज की कमी न रही। दूसरी दीवाली के समय वही मेहमान फिर आया और स्वीकार किया कि उसी ने उस पेड़ को काटकर गिरा दिया था, लेकिन उस कठोर कर्म के पीछे नेकनीयत थी। कोई खराब इरादा न था। वह उन्हें कर्मठ बनाकर उनकी दशा सुधारना चाहता था। घर के लोग भी उसकी सद्भावना समझ गए । चारों भाइयों ने मेहमान का अभार मानते हुए कहा कि उसने हमारे आलस्य व दुर्भाग्य को काटकर फेंक दिया। भाग्य को बदल दिया। इस प्रकार इस कहानी से स्पष्ट हो जाता है कि परिश्रम से व्यक्ति अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकता है।
भाषा-बोध :
(क) प्रस्तुत पाठ से पाँच-पाँच संज्ञा, सर्वनाम, एवं विशेषण शब्दों को छाँटकर लिखो।
संज्ञा शब्द – शहर, भाई, बगीचे, सहिजन, पेड़।
सर्वनाम शब्द – उनके, उसे, यह, किसी, उसने।
विशेषण शब्द – अच्छा, पुरानी, लम्बे, हरे, खराब।
(ख) विलोम शब्द –
अच्छा – बुरा ।
शहर – देहात ।
गरीब – अमीर ।
नीचे – ऊपर ।
दोस्त – दुश्मन।
WBBSE Class 6 Hindi कठोर कृपा Summary
जीवन-परिचय :
काका कालेलकर का जन्म सन् 1885 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। वे गाँधीवादी विचारधारा के समाज सेवी तथा लेखक थे। हिन्दी के प्रचार में उन्होंने आजीवन योगदान किया।
कहानी का सारांश – किसी शहर में एक अच्छा खानदान रहता था। उसके चार भाई थे। उनकी संपत्ति नष्ट हो चुकी थी। चारों भाई कुशल तथा पढ़े-लिखे थे। पुरानी इज्जत के कारण वे कहीं नौकरी या काम-धंधा नहीं करते थे। गरीबी बढ़ती गई जिससे घर के सारे गहने भी छिपकर कम दामों में बेच डाले। घर में कुछ न बचा और खाने-पीने की समस्या आ गई। उनके घर के पास बगीचे में एक सहिजन का पेड़ था। अब वही पेड़ उनकी जीविका का आधार बन गया। शाम को सूनसान हो जाने पर एक भाई पेड़ पर चढ़ कर फलियाँ तोड़ कर नीचे गिरा देता। कुछ रात के बीत जाने पर एक कुंजड़िन आकर सहिजन खरीद ले जाती और जो पैसे देती उसी से परिवार का गुजर होता था।
दीवाली के बाद एक दिन उनका कोई रिश्तेदार आया। उसे उन लोगों की बुरी दशा का ज्ञान न था। भोजन बन जाने पर तीनों भाइयों ने न खाने का बहाना बना लिया। चौथा भाई मेहमान के साथ खाने बैठा। बूढ़ी माँ मेहमान से खाने का आग्रह करती थी। साथ में बैठा हुआ छोटा भाई हाथ हिलाकर परेसने से मना कर देता था। दो बार भोजन करने के बाद मेहमान को उनकी गरीबी का एहसास हो गया। वह सोचने लगा कि भुखमरी के बावजूद इन्हें काम-धंधे की चिंता नहीं है। रात दस बजे कुंजड़िन आई। बड़ा भाई ने सहिजन की फलियाँ तोड़ी, कुंजड़िन ने उस दिन उनकी गरज जानकर कम पैसे दिए।
सोने का बहाने बनाने वाला मेहमान सब कुछ देख रहा था। कुंजड़िन के चले जाने पर चारों भाई गहरी नींद में सो गए। पर मेहमान जाग रहा था। उसने सोचा कि प्रतिष्ठित खानदान के ये नौजवान झूठी बनावटी इज्जत के कारण कष्ट पा रहे हैं। इस मामूली सहिजन के भरोसे गुजारा कर रहे हैं। रात में ही मेहमान बरामदे से एक कुल्हाड़ी लेकर पेड़ को जड़ से काटकर धरती पर गिरा दिया और सबेरा होने के पहले ही वहाँ से चल दिया।
सबेेरे बड़े भाई ने देखा मेहमान जा चुका है और बगीचे में सहिजन का पेड़ कटा हुआ है। घर में मातम छा गुया। बुढ़िया ने कहा कि वह मेहमान पहले जन्म का दुश्मन था। परिवार का एकमात्र सहारा समाप्त कर दिया। बड़े भाई ने बुढ़िया से कहा-अब गुजारा के लिए कहीं काम-धंध ढूँढ़ना पड़ेगा। जब तक बस चला हमने पुश्तैनी इज्जत बचाई। उस बस्ती में चारों भाई अपनी इज्जत और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध थे। एक धनी व्यक्ति ने बड़े भाई को अपने यहाँ नौकरी में रख लिया। दूसरे भाई भी कहीं न कहीं काम पर लग गए।
एक साल बीतते ही चारों की हालत अच्छी हो गई। खाने-पीने की आजादी हो गई । दीवाली पर वही मेहमान फिर उनके यहाँ आया। उसने पेड़ काटना स्वीकार किया। उस कठोर कर्म के पीछे उसके दिल में नेकनीयत थी। खराब इरादा न था। चारों भाई भी वास्तविकता जानकर मेहमान का सम्मान किए। मेहमान को विदा करते समय कहा- उस सहिजन का पेड़ काटकर आपने हमारे आलस्य और दुर्भाग्य को काट डाला। हमारी किस्मत को ऊँचा उठा दिया। संबंधी हो तो ऐसा ही हो।
शब्दार्थ :
- जायदाद = संपत्ति ।
- लाले पड़ना = अभाव होना ।
- हुनरमंद = कारीगर।
- गरज = प्रयोजन, लाँचारी।
- शरीक = शामिल।
- आहट = आवाज।
- बुजुर्ग = वृद्ध ।
- रतिष्ठित = इज्जतवाला।
- पुश्तैनी = परंपरागत।
- काहिली = आलस्य।
- मातम = शोक, दुखद स्थिति।
- कद्रदां = कद्र करनेवाला।
- नासपिटा = बरबाद करनेवाला।
- फाकाकशी = उपवास।
- सन्नाटा = निर्जनता, चुप्पी ।
- कबूल = स्वीकार ।
- बदाकिस्मती = दुर्भाग्य।
- किस्मत = भाग्य।
- मुश्किल = कठिन।