WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 6 अकेली

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WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 6 Question Answer – अकेली

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
सोमा बुआ है –
(क) जवान
(ख) बुढ़िया
(ग) बच्ची
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) बुढ़िया।

प्रश्न 2.
पति सोमा बुआ को तजकर क्या हो गए ?
(क) तीरथवासी
(ख) जंगलवासी
(ग) शहरवासी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) शहरवासी।

प्रश्न 3.
सोमा बुआ के जवान बेटे का नाम क्या था?
(क) किशोरीलाल
(ख) पंसारीलाल
(ग) हरखू
(घ) हरीलाल
उत्तर :
(ग) हरखू।

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प्रश्न 4.
सोमा बुआ कितने रुपये खर्च कर के लाल-हरी चूड़ियों के बंद पहने ?
(क) एक रुपया
(ख) दो रुपया
(ग) चार रुपया
(घ) पाँच रुपया
उत्तर :
(क) एक रुपया।

प्रश्न 5.
छोटा सा बक्स के अंदर डिबिया में कितने रुपये थे ?
(क) चार रुपये
(ख) पाँच रुपये
(ग) सात रुपये
(घ) आट रुपये
उत्तर :
(ग) सात रुपये

प्रश्न 6.
सोमा बुआ कितने मास (महीना) के लिए घर आती है ?
(क) दो मास
(ख) एक मास
(ग) तीन मास
(घ) चार मास
उत्तर :
(ख) एक मास।

प्रश्न 7.
सोमा बुआ किसे बेटे के समान समझती थी ?
(क) किशोरीलाल को
(ख) सन्यासी को
(ग) लेखक को
(घ) पड़ोसी को
उत्तर :
(क) किशोरीलाल को।

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प्रश्न 8.
लिस्ट में किसका नाम था ?
(क) ननद का
(ख) भाभी का
(ग) सोमा बुआ का
(घ) सन्यासी का
उत्तर :
(ग) सोमा बुआ का।

प्रश्न 9.
सन्यासी बार-बार क्या देते रहे ?
(क) ताकीद
(ख) फल
(ग) प्रसाद
(घ) ज्राण
उत्तर :
(क) ताकीद।

प्रश्न 10.
कौन बुलावा की प्रतीक्षा करने लगी ?
(क) संन्यासी
(ख) राधा भाभी
(ग) सोमा बुआ
(घ) ननद
उत्तर :
(ग) सोमा बुआ।

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प्रश्न 11.
कितने वर्ष का मुहूर्त है ?
(क) तीन वर्ष
(ख) चार वर्ष
(ग) पाँच वर्ष
(घ) सात वर्ष
उत्तर :
(ग) पाँच वर्ष।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
बुआ का नाम क्या है ?
उत्तर :
बुआ का नाम सोमा है।

प्रश्न 2.
बुआ के पति छोड़ कर क्यों चले गए थे ?
उत्तर :
पुत्र की मृत्यु के सदमे के कारण बुआ के पति छोड़ कर चले गए थे।

प्रश्न 3.
साल में कितने महीने बुआ का पति घर में रहता है ?
उत्तर :
साल में केवल एक महीने बुआ का पति घर में रहता है।

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प्रश्न 4.
सोमा बुआ का स्वभाव कैसा है ?
उत्तर :
सोमा बुआ का स्वाभाव मेल-मिलाप का था।

प्रश्न 5.
सोमा बुआ ने साड़ी में क्या लगाकर सुखा दिया ?
उत्तर :
सोमा बुआ ने साड़ी में मांड़ लगाकर सुखा दिया।

प्रश्न 6.
सोमा बुआ कैसी नारी है ?
उत्तर :
सोमा बुआ अकेली परित्यक्ता नारी है।

प्रश्न 7.
किसकी मौत से सोमा बुआ को गहरा आघात लगा ?
उत्तर :
इकलौते बेटे हरखू की मौत हो जाने से सोमा बुआ को गहरा आधात लगा।

प्रश्न 8.
सोमा बुआ राधा भाभी को क्या बतलाती है ?
उत्तर :
सोमा बुआ राधा भाभी को बतलाती है कि कल किशोरी लाल के बेटे के मुंडन पर वह बिना बुलाए चली गई थी।

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प्रश्न 9.
सोमा बुआ राधा भाभी से किस विषय पर परामर्श करती है ?
उत्तर :
सोमा बुआ राधा भाभी से विवाह में जाने और उपहार ले जाने के विषय में परामर्श करती हैं।

प्रश्न 10.
सोमा बुआ राधा भाभी को क्या देती है ?
उत्तर :
सोमा बुआ पाँच रुपये तथा मृत पुत्र की एकमात्र निशानी अँगूठी लाकर राधा भाभी को देती है।

प्रश्न 11.
राधा भाभी ने सोमा बुआ को क्या लाकर दी ?
उत्तर :
राधा भाभी ने सोमा बुआ को चाँदी की एक सिंदूरदानी, एक साड़ी और एक ब्लाउज का कपड़ा लाकर दी।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
सोमा बुआ के पति का स्वभाव कैसा था ?
उत्तर –
सोमा बुआ के पति का स्वभाव स्नेहहीन था। वे एकांत प्रवृत्ति के हो गए थे। लोगों से मिलना-जुलना उन्हें पसंद न था। सोमा बुआ पर भी अंकुश लगाया करते थे। पुत्र की मौत के सदमे ने उनके स्वभाव को नीरस बना दिया था।

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प्रश्न 2.
बुआ के पति का व्यवहार बुआ के प्रति कैसा था ?
उत्तर –
बुआ के पति का व्यवहार बुआ के प्रति बिल्कुल स्नेहहीन था। उनके अंकुश से बुआ के दैनिक जीवन की गतिविधि मंद हो जाती थी। उनका घूमना-फिरना, मिलना-जुलना बंद हो जाता था। बुआ के हर कार्य कलाप पर वे नजर रखते तथा अंकुश लगाते। उनके निष्ठुर व्यवहार से बुआ को मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ता था।

प्रश्न 3.
बुआ का पास-पड़ोस के साथ कैसा व्यवहार था ?
उत्तर :
बुआ का पास-पड़ोस के साथ अत्यंत आत्मीयतापूर्ण व्यवहार था। उन्हें अपनी जिन्दगी पास-पड़ोस वालों के भरोसे ही काटनी पड़ती थी। किसी के घर मुण्डन हो, छठी हो, जनेऊ हो, शादी हो या गमी बुआ पहुँच जाती और अपने ही घर की तरह पूरी जिम्मेदारी और शक्ति से हर काम किया करती थी।

प्रश्न 4.
बुआ के पति बिना बुलावे के किसी के पास जाने से क्यों मना करते थे ?
उत्तर :
पुत्र की मौत के सदमे के कारण बुआ के पति के स्वभाव में नीरसता आ गई थी। बुआ पर वे अंकुश लगाया करते थे । वे सामाजिक मर्यादा को समझते थे कि बुलावे के बिना कहीं जाना आत्म सम्मान के खिलाफ है। इसलिए वे बुलावे के बिना जाने से मना करते थे। नाते-रिश्तेवालों से भी वे संबंध नहीं रखते थे।

प्रश्न 5.
बुआ देवर जी के ससुराल वालों से क्या उम्मीद लगा बैठी थी ?
उत्तर :
बुआ सोचने लगी कि देवर जी को मरे पच्चीस वर्ष हो गए, उसके बाद से तो कोई संबंध ही नहीं रखा। देवर जी के बाद उन लोगों से कोई संबंध नहीं रहा, फिर हैं तो समधी ! इसलिए वे अवश्य बुलाँएगे। समधी को छोड़ नहीं सकते। वे प्रसन्र थी कि इस विवाह में सम्मिललत होने से पुराना संबंध ताजा हो जाएगा।

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प्रश्न 6.
‘अरे वाह बुआ ! तुम्हारा नाम कैसे नहीं हो सकता। तुम तो समधिन ठहरी। संबंध में न रहे कोई रिश्ता थोड़े ही टूट जाता है।” इस पंक्ति की संसदर्भ व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत अवतरण मन्नू भंडारी की कहानी अकेली से उदृत है। देवर जी के समधी के यहाँ से बुलावा आने के विषय में बुआ के मन में संदेह था। उनके संदेह को दूर करने के लिए घर की बड़ी बहू ने यह उक्ति कही। बड़ी बहू ने निश्चय के स्वर में कहा कि तुम्हारा नाम बुलावे की सूची में अवश्य होगा, क्योंक तुम तो समधिन हो। रिश्ता कभी दूट नहीं सकता। संबंध के रिश्ते अटूट होते हैं। इसलिए अपने मन से संदेह को तुम दूर कर दो। विवाह के उत्सव में कोई समधिन को नहीं भूल सकता।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
‘अकेली’ कहानी में सोमा बुआ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने ‘अकेली’ कहानी में सोमा बुआ के मानसिक संसार तथा सामाजिक व्यवहार का हृ्यस्पर्शी चित्रण किया है। सोमा बुआ एक परित्यक्ता, अकेली नारी थी। इकलौते पुत्र की मृत्युं से उसे अत्यधिक मानसिक संताप हुआ। पुत्र की मृत्यु से दुःखी होकर उसके पति भी संन्यासी होकर हरिद्वार जा बैठे। संन्यासी जी साल मेंकवेल एक मास के लिए आते थे। इस मास में सोमा बुआ को मानसिक उत्तीड़न सहना पड़ता था। उनका दैनिक स्वभाव व व्यवहार बदल जाता था। सोमा बुआ अपना जीवन आस-पास की दुनिया में लोक-हित कार्यों में व्यस्त रखती थीं।

एक दिन किशोरीलाल के बेटे के मुंडन में सारी बिरादरी का न्यौता था। किशोरी लाल बुआ को बहुत सम्मान देते थे। उन्हें अम्मा समझते थे, इसलिए बुलावे के बिना भी बुआ वहाँ जाकर उनके सारे काम सम्पन्न कर दिए। यदि बुआ न गई होती तो वहाँ उनकी भद्द मच जाती। बुआआ का वहाँ जाना संन्यासी जी को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। इसके लिए संन्यासी जी ने बुआ को डाँटा, फटकारा भी। एक सप्ताह के बाद बुआ ने सुना कि उनके देवर के ससुराल वालों के किसी लड़की का संबंध भगीरथ के यहाँ तय हुआ है।

बुआ ने सोचा कि उन्हें निमंत्रण आएगा, इसलिए प्रसन्न होकर उन्होंने संन्यासी जी को बताया पर संन्यासी जी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मात्र इतना संकेत किया कि बिना बुलावे वहाँ नहीं जाना है। पर बुआ को निमंत्रण आने का संदेह बना हुआ था। घर की बड़ी बहू तथा विधवा ननद ने उन्हें विश्वास दिलाया कि उनका नाम अतिथि सूची में है और उनका बुलावा अवश्य आएगा। बुआ अपने को समध्रिन समझती थी, इसलिए वहाँ जाने की तैयारी करने लगी। अभाव की स्थिति में भी बुआ अपने स्वाभिमान और सम्मान की रक्षा करना चाहती थी।

इसलिए उसने अपने पास से कुछ रुपए और मृत पुत्र की एकमात्र निशानी अँगूठी देकर राधा को उचित उपहार लाने के लिए कहा। राधा ने चाँदी की एक सिन्दूरदानी, एक साड़ी और ब्लाउज का एक कपड़ा लाकर दिया। बुआ प्रसन्न होकर अपनी धोती रंग ली और चूड़ियाँ भी पहन ली। सारी तैयारी कर लेने पर वह बुलावे की प्रतीक्षा करने लगी। बुआ के मन में आशा बनी हुई थी कि निश्चित ही उसे बुलावा आएगा। छत पर खड़ी वह प्रतीक्षा करती रह गई । सात बज जाने के बाद राधा ने उसे वेताया कि सात बज गए और खाना बनाने का समय हो गया। निराश बुआ का दिल टूट गया। उनकी सारी आशाओं पर पानी फिर गया।

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भाषा-बोध :

(i) वाक्य प्रयोग :-

परिवर्तन – परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
संबंध – संबंध के रिश्तों का निर्वाह करना चाहिए।
समस्या – आजकल बेरोजगारी बड़ी समस्या है।
गरूर – धन पाकर गरूर नहीं करना चाहिए।
प्रतीक्षा – सोमा बुआ बुलाने की प्रतीक्षा देर तक करती रही।

(ii) विलोम शब्द लिखें :-

बुढ़िया – बच्ची
वियोग – संयोग
उपस्थित – अनुपस्थित
सजीव – निर्जीव
दुःख – सुख

WBBSE Class 6 Hindi अकेली Summary

जीवन-परिचय :

मन्नू भंडारी नयी कहानी आन्दोलन की प्रतिनिधि कहानीकार हैं। इनके साहित्य में नारी जीवन से जुड़ी सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक व सांस्कृतिक समस्याओं का मार्मिक चित्रण मिलता है। वे घटनाओं की अपेक्षा आधुनिक संसार का कुशल चित्रण करती हैं। इनके प्रमुख कहानी संग्रह – ‘मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘यही सच हैं आदि हैं ।

कहानी का सारांश :- सोमा बुआ अकेली परित्यक्ता नारी है। इकलौते बेटे हरखू की मौत हो जाने से सोमा बुआ को गहरा आधात लगा। उनके पति पुत्र-वियोग के संदर्भ में पत्नी और घर-बार छोड़कर संन्यासी होकर हरिद्वार जा बैठे। वे वर्ष में केवल एक मास के लिए घर आते हैं। उनके स्नेहीनन व्यवहार से सोमा बुआ के मन में उनके प्रति कोई आकर्षण नहीं था। उनकी दैनिक गतिविधियों पर संन्यासी जी अंकुश लगा देते हैं। उनका अड़ोस-पड़ोस के लोगों से मिलने-जुलने पर नियंत्रण हो जाता है। इस एक मास में सोमा बुआ को मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ता है।

उनका दैनिक स्वभाव बदल जाता है। इन दिनों संन्यासी जी आए हुए हैं। सोमा बुआ राधा भाभी को बतलाती है कि कल किशोरी लाल के बेटे के मुंडन पर वह बिना बुलाए चली गई थी। इसी कारण संन्यासी जी से कहासुनी हो गई। सोमा बुआ किशोरी लाल के घर जाकर गुलाब जामुन बनाकर उनकी इज्जत रख ली, क्योंकि पहले बहुत कम गुलाब जामुन बनी थी। बुआ किशोरी लाल को अपने बेटे के समान समझती थी। इसलिए बिना बुलाए चली गई।

एक सप्ताह बाद सोमा बुआ ने संन्यासी जी से कहा कि देवर जी के ससुराल वालों की किसी लड़की का संबंध भगीरथ जी के यहाँ हुआ है। देवर के नाते वे समधी लगते हैं। वे आपको भी अवश्य बुलाएँगे किन्तु संन्यासी जी पर इसका कोई प्रभाव न पड़ा। उन्होंने किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त न की। सोमा बुआ सोचती है कि देवर जी के मरे पच्चीस वर्ष हो गए, उसके बाद कोई संबंध न रहा। इसलिए बुलावा आएगा या नहीं। घर की बड़ी बहू ने कहा कि तुम तो समधिन हो, अत: अवश्य बुलावा आएगा । विधवा ननद ने कहा कि लिस्ट में सोमा बुआ का नाम है।

सोमा बुआ राधा भाभी से विवाह में जाने और उपहार ले जाने के विषय में परामर्श करती हैं। बुआ पाँच रुपये तथा मृत पुत्र की एकमात्र निशानी अंगूठी लाकर राधा भाभी को देती है जिससे वह जो ठीक समझे खरीद ले। ताकि शोभा और सम्मान बना रहे। संन्यासी जो बार-बार ताकीद देते रहे कि बिना बुलावा के वह कदापि न जाए। शाम को राधा भाभी ने सोमा बुआ को चाँदी की एक सिंदूरदानी, एक साड़ी और एक ब्लाउज का कपड़ा लाकर दी। देखकर बुआ प्रसत्र हो उठी। बुआ ने अपनी सफेद साड़ी पीले रंग में रंग कर मांड़ देकर सुखा डाला। चूड़ियाँ भी पहन ली।

एक नई थाली में साड़ी, सिंदूरदानी, एक नारियल, थोड़े से बताशे सजा लिए। अब बुआ बुलावा की प्रतीक्षा करने लगी। फिर राधा भाभी से बोली-पाँच बजे का मुहूर्त है, चार बजे तक जाऊँगी। छत पर खड़ी होकर बुआ बुलावा की प्रतीक्षा करती रही। सात बज जाने पर राधा भाभी ने कहा-बुआ क्या कर रही हो। भोजन नहीं बनाओगी। सोमा बुआ नीचे जाकर सारी सामगी एक संदूक में रख दी। बुझे दिल से अंगीठी जलाने लगी।

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शब्दार्थ :

  • सदमा – आघात।
  • परित्यक्तता – त्यागी हुई।
  • व्यवधान – बाधा ।
  • तजकर – छोड़कर।
  • अंकुश – नियंत्रण।
  • एकाकीपन – अकेला।
  • संबल – सहारा।
  • परिवर्तन – बदलाव।
  • प्रतीक्षा – इंतजार।
  • उपेक्षा – तिरस्कार ।
  • कुंठित – मंद।
  • अवयव – अंग।
  • संयत – नियंत्रित।
  • भद्दउड़ना – अपमान होना।
  • आक्रोश – गुस्सा।
  • हंगामा – शोरगुल।
  • एकरसता – नीरसता।
  • अनमना – खिन्न।
  • स्वच्छंद – स्वतंत्र।
  • अव्यक्त – गुप्त ।
  • धारा – प्रवाह ।
  • मुहूर्त – शुभ समय।
  • आसरा – उम्मीद।
  • दावत – भोज।
  • गरूर – घमंड।
  • छायामूर्ति – परछाई।
  • पुलकित – रोमांचित, प्रसन्नचित्त।
  • पंगत – पंक्ति।
  • कलदार – यंत्र से बना (रुपया)।
  • रईस – संपन्न।
  • मेजपोश – मेज पर बिछाने वाला कपड़ा।
  • टाँग अड़ाना – किसी के काम में दखल देना।

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