Detailed explanations in West Bengal Board Class 9 History Book Solutions Chapter 5 20वीं सदी में यूरोप offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 9 History Chapter 5 Question Answer – 20वीं सदी में यूरोप
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
रूसी साम्राज्य को ‘राष्ट्रों का कारागार’ किसने कहा था ?
उत्तर :
लेनिन ने।
प्रश्न 2.
लियोन त्रात्सकी कौन थे ?
उत्तर :
1905 ई० की क्रान्ति के नेता।
प्रश्न 3.
रूस में जारशाही का अंत किस क्रान्ति के द्वारा हुआ ?
उत्तर :
बोल्शोविक क्रान्ति द्वारा।
प्रश्न 4.
बोल्शेविक क्रान्ति का नेता कौन था ?
उत्तर :
लेनिन।
प्रश्न 5.
1789 ई० की क्रान्ति कहाँ हुई थी ?
उत्तर :
फ्रांस में हुई थी।
प्रश्न 6.
1917 ई० की क्रान्ति किस देश में हुई थी ?
उत्तर :
रूस में।
प्रश्न 7.
सोवियत समाजवादी गणतंत्र संघ (यू.एस.एस.आर.) की नीतियाँ क्या थीं ?
उत्तर :
‘हरेक से उसकी क्षमता के अनुसार हरेक से उसके नाम के अनुसार समाजवादी आदर्श को साकार बनाना।
प्रश्न 8.
राष्ट्र संघ की स्थाप्पना किसने की ?
उत्तर :
अमेरिका के राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने।
प्रश्न 9.
जार निकोलस द्वितीय कौन था ?
उत्तर :
बोल्शेविक क्रान्ति के समय रूस का जार।
प्रश्न 10.
टॉलस्टॉय कौन थे ?
उत्तर :
प्रसिद्ध ग्रथ War and Peace के लेखक तथा दार्शनिक।
प्रश्न 11.
‘विश्व-व्यापी-मंदी’ किसे कहते हैं ?
उत्तर :
‘विश्व-व्यापी-मंदी’ का तात्पर्य किसी देश के उत्पादन में अधिक वृद्धि जनसामान्य की क्रय शक्ति का समाप्त हो जाना तथा मुद्रा का मूल्य इत्यादि का गिरना होता है।
प्रश्न 12.
विश्व-व्यापी-मंदी से किन दो देशों पर प्रभाव नहीं पड़ा ?
उत्तर :
फ्रांस तथा रूस।
प्रश्न 13.
फ्रैंकलिन डी. रुजवेल्ट कब अमेरिका के राष्ट्रपति बने ?
उत्तर :
1933 ई० में।
प्रश्न 14.
‘नई पेशकश’ (न्यू डील) किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी० रुजवेल्ट के नेतृत्व में बनायी गयी आर्थिक पुनर्रचना और सामाजिक कल्याण के एक कार्यक्रम को न्यू डील कहा जाता है।
प्रश्न 15.
औद्योगिक क्रान्ति किस देश में पहले हुई थी ?
उत्तर :
इंग्लैण्ड में।
प्रश्न 16.
बोल्शेविक दल के दो नेताओं के नाम लिखो।
उत्तर :
ट्राटस्की तथा स्टालिन।
प्रश्न 17.
‘द मदर’ नामक पुस्तक किसने लिखी ?
उत्तर :
मैक्सिम गोरों।
प्रश्न 18.
पोर्ट्समाउथ की संधि किसके-किसके बीच हुई थी ?
उत्तर :
रूस और जापान के बीच।
प्रश्न 19.
जोसेफ स्टालिन कौन थे?
उत्तर :
रूस का तानाशाह शासक था ।
प्रश्न 20.
‘फासिओ’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर :
लकड़ी का गट्ठर व कुल्हाड़ी अर्थात एकता व शक्ति ।
प्रश्न 21.
‘फासीवाद’ शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से हुई है?
उत्तर :
इटालियन भाषा से ।
प्रश्न 22.
USSR का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
सोवियत समाजवादी गणतन्त्र संघ।
प्रश्न 23.
आस्ट्रिया ने सर्बिया पर कब आक्रमण किया था ?
उत्तर :
28 जुलाई 1914 ई०।
प्रश्न 24.
बेनितो मुसोलिनी का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
मुसोलिनी का जन्म 1883 ई० को रोमाग्ना में हुआ था।
प्रश्न 25.
फांसिस्ट दलों के सैनिकों का पहनवा क्या था ?
उत्तर :
काले रंग की पोशाक।
प्रश्न 26.
एडोल्फ हिटलर का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 ई० को आस्ट्रिया के ग्राम ब्रान्यु में हुआ था।
प्रश्न 27.
हिटलर जर्मनी का राष्ट्रपति कब बना ?
उत्तर :
1933 ई० में।
प्रश्न 28.
‘नरोदिक’ या ‘पापुलिस्ट’ किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
रूस के समाजवादी नेता हर्जेन और चनीशिवेस्की के अनुयायियों को ‘नरोदिक’ या ‘पापुलिस्ट’ कहा जाता है।
प्रश्न 29.
वाइमर संविधान की घोषणा कब की गई ?
उत्तर :
1919 ई० में।
प्रश्न 30.
नाजी दल का मूल सिद्धान्त क्या था ?
उत्तर :
नाजी दल का मूल सिद्धान्त था ‘मनुष्य कुछ भी नहीं है जबकि राज्य सब कुछ है’।
प्रश्न 31.
‘लाल सेना’ क्या थी ?
उत्तर :
लाल सेना’ रूस की बोल्शेविक पार्टी के स्वयं सेवकों का एक दल था।
प्रश्न 32.
फादर गोपेन कौन थे ?
उत्तर :
1905 ई० के रूसी क्रान्ति का नेता।
प्रश्न 33.
जापान के हाथों रूस कब पराजित हुआ था ?
उत्तर :
1905 ई० में।
प्रश्न 34.
फरवरी क्रान्ति कब हुई थी ?
उत्तर :
1917 ई० में।
प्रश्न 35.
टॉलस्टॉय ने कौन सी पुस्तकें लिखीं?
उत्तर :
युद्ध और शान्ति ।
प्रश्न 36.
स्पेन का गृहयुद्ध कब हुआ थां?
उत्तर :
17 जुलाई $1936-1939$ के बीच ।
प्रश्न 37.
14 सूत्री सिद्धान्त का जनक कौन था?
उत्तर :
वुड्रो, विल्सन।
प्रश्न 38.
वुड्रो विल्सन किस देश के राष्ट्रपति थे ?
उत्तर :
अमेरिका के राष्ट्रपति थे।
प्रश्न 39.
राष्ट्र संघ कहां स्थापित था ?
उत्तर :
जेनेवा।
प्रश्न 40.
नाजीपार्टी की स्थापना किसने की थी ?
उत्तर :
हिटलर ने।
प्रश्न 41.
वाइमर गणतंत्र किस देश में स्थापित हुआ था ?
उत्तर :
जर्मनी में।
प्रश्न 42.
नई आर्थिक नीति किस नेता ने दी थी ?
उत्तर :
लेनिन ने।
प्रश्न 43.
रास पुटीन कौन था?
उत्तर :
रास पुटीन जर्मनी का एक धर्म सुधारक था ।
प्रश्न 44.
रूस में जारशाही का अन्त कब हुआ था?
उत्तर :
1917 ई० की रूसी क्रान्ति के बाद रूस में जारसाही शासन का अन्त हुआ था।
प्रश्न 45.
प्रथम विश्व युद्ध का प्रारम्भ कब हुआ था?
उत्तर :
4 अगस्त, 1914 ई० को ।
प्रश्न 46.
ट्रिपल एलाएन्स में कौन-कौन से देश आते थे?
उत्तर :
जर्मनी, आस्ट्रिया, इटली एवं हंगरी आदि देश थे ।
प्रश्न 47.
ट्रिपल इस्टेंट में कौन-कौन से देश आते थे?
उत्तर :
ईग्लैंण्ड, फ्रांस, रूस आदि देश आते थे ।
प्रश्न 48.
आर्क ड्यूक किस देश का युवराज था?
उत्तर :
आस्ट्रिया ।
प्रश्न 49.
वर्साय की संधि किस देश को करनी पड़ी थी?
उत्तर :
जर्मनी को ।
प्रश्न 50.
फासिस्ट दल की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर :
23 फरवरी 1919 ई० में ।
प्रश्न 51.
स्पेन का गृह युद्ध कब हुआ था?
उत्तर :
1921 – 1939 ई० में ।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS
प्रश्न 1.
फरवरी की क्रान्ति किसे कहा जाता है ? जनता की चार महत्त्वपूर्ण मांगें क्या थीं ?
उत्तर :
फरवरी की क्रान्ति इसलिए कहा गया कि उन दिनों रूस का कैलेण्डर के अनुसार वह दिन 27 फरवरी था। अत: प्रथम क्रान्ति फरवरी में हुई थी।
प्रश्न 2.
लाल सेना (रेड आर्मी) के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
सोवियत संघ की स्थापना के बाद यह बढ़कर उस देश की राष्ट्रीय सेना बन गई और 1930 के दशक तक इतिहास की सब से बड़ी फौजों में से एक बन चुकी थी। उसे लाल सेना इसलिए कहा जाता था क्योंकि साम्यवाद का पारम्परिक रंग लाल है। 25 फरवरी 1946 को लाल सेना का नाम औपचारिक रूप से बदलकर ‘सोवियत सेना’ कर दिया गया।
प्रश्न 3.
जापान और रूस के बीच संघर्ष कब हुआ था ?
उत्तर :
जापान और रूस के बीच संघर्ष 1904-1905 ई० के बीच हुआ।
प्रश्न 4.
इटली में फॉसीवाद की स्थापना क्यों हुई थी ?
उत्तर :
इटली में फॉसीवाद की स्थापना होने के कारण थे प्रथम विश्वयुद्ध समाप्ति के बाद विजेता देशों द्वारा पराजित देशों का विभाजन कर लिया गया और इटली को बहुत कम प्रदेश मिले साथ ही साथ इटली की आर्थिक दशा बहुत दयनीय हो गई थी।
प्रश्न 5.
जर्मनी में नांजीवाद की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई ?
उत्तर :
वर्साय संधि की अपमानजनक शर्तों ने जर्मनों की राष्ट्रीय भावनाओं पर प्रबल आघात किया था। जनसामान्य के हृदय में संधि के प्रति प्रतिशोध की भावनाएँ विद्यमान थीं। हिटलर ने वर्साय संधि की सभी शर्तो को कुचलने तथा जर्मनी का पुनरुद्धार करने का आश्वसन दिया।
प्रश्न 6.
रूस में 1919 में किस की हत्या कर दी गई थी तथा वह पेशे से क्या था ?
उत्तर :
रूस में 1919 ई० में रोमानोव वंश के जार शासक की पत्नी, पुत्र और चार पुत्रियों की स्थानीय अधिकारियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई।
प्रश्न 7.
रूस की क्रान्ति में कुछ दार्शानिकों की भागीदारी थी, उनके नाम बताएं।
उत्तर :
गोर्की, टालस्टाय, तुर्गनेव, डास्टावस्की, गोगोल आदि।
प्रश्न 8.
टॉलस्टॉय ने कौन सी पुस्तकें लिखीं ?
उत्तर :
टॉलस्टॉय ने ‘युद्ध और शांति’ (War and Peace) नामक पुस्तक लिखी।.
प्रश्न 9.
रासपुटिन कौन थे ?
उत्तर :
रासपुटिन जर्मनी से आये एक पाखंडी संन्यासी थे। उन्होंने रानी अलेक्जेण्डर को प्रभावित किया। देश के प्रशासन संचालन में कर्मचारी नियुक्ति आदि में उनका बहुत हस्तक्षेप था।
प्रश्न 10.
रूस की क्रान्ति कब और क्यों हुई थी?
उत्तर :
1917 ई० में निरकुश जारशाही शासन के विरुद्ध रूसी क्रान्ति हुई थी ।
प्रश्न 11.
रूसी क्रांति के समय वहाँ का जार कौन था? वह किस वंश का था?
उत्तर :
जार निकोलस द्वितीय था । वह रोमोनाव वंश का था ।
प्रश्न 12.
‘त्रि राष्ट्र मैत्री संघ’ (Triple Entente) से आप क्या जानते हैं ?
उत्तर :
19 वीं सदी में यूरोपीय राष्ट्र उग्र राष्ट्रवादिता से ग्रस्त हाकर युद्ध के लिए प्रस्तुत हो रहे थे। यूरोप दो महान गुटों में बँट गया – जर्मनी-आस्ट्रिया-इटली की गुटबंदी ‘त्रि राज्य संघ’ (Triple Alliance) तथा इंग्लैण्ड-फ्फांस-रूस की गुटबंदी ‘त्रि राष्ट्र मैत्री संघ’ (Triple Entente) कहलायी।
प्रश्न 13.
महान आर्थिक मंदी और किस देश में पहले जानी गयी ?
उत्तर :
महान आर्थिक मदी जर्मनी, बिटेन, फ्रांस देश में पहले जानी गयी।
प्रश्न 14.
रूस की क्रान्ति कहाँ और किस जार के समय हुई थी?
उत्तर :
रूस की क्रान्ति लेनिनग्राड में जार निकोलस द्वितीय के समय हुई थी ।
प्रश्न 15.
त्रिशक्ति मैंत्री दल से आप क्या जानते हो?
उत्तर :
यूरोप में 1882 ई० में निर्मित त्रिगुट संघ के प्रतिक्रिया स्वरूप 1907 ई० में नव निर्मित संघ को त्रिशक्ति मैत्री दल कहते है ।
प्रश्न 16.
वर्साय की संधि किसने और कब मान ली?
उत्तर :
वर्साय की संधि 1919 ई० में जर्मनी ने मान ली ।
प्रश्न 17.
हिटलर का पुरा नाम क्या था और कब जन्म हुआ था?
उत्तर :
हिटलर का पुरा नाम एड़ल्फ हिटलर था। इसका जन्म 20 अप्रैल, 1889 ई० में हुआ था।
प्रश्न 18.
नाजी पार्टी का पूरा नाम क्या था?
उत्तर :
नेशनल सोशालिस्ट दल था ।
प्रश्न 19.
किसने फासिस्ट दल की स्थापना की और कब ?
उत्तर :
मुसोलिनी ने 1919 ई० में फासिस्ट दल की स्थापना की थी ।
प्रश्न 20.
स्पेन का गृह युद्ध कब हुआ था और किसकी जीत हुई थी?
उत्तर :
1939 ई० में स्पेन का गृहयुद्ध हुआ था । इसमें फासीवादी जेनरल फ्रांसिस्को फ्रैंको की जीत हुई थी ।
प्रश्न 21.
वाइमर सरकारा कब बनी तथा उसका नाम क्या था?
उत्तर :
1919 ई० में जर्मनी मे वाइमर सरकार बनी । इसका नाम वाइमर गणतन्त्र था । इसके प्रधान शासक विलियम कैंसर द्वितीय था ।
प्रश्न 22.
राष्ट्र संघ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
राष्ट्र संघ 1919 ई० में स्थापित किया गया जिसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शान्ति और सुरक्षा को मोत्साहन देना था।
प्रश्न 23.
आर्थिक मन्दी का फ्रांस पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर :
फ्रांस की मुद्रा का मूल्य गिर गया। युद्ध के पहले फ्रैंक का मूल्य 12 आना था जो ढाइ आना हो गया।
प्रश्न 24.
आर्थिक मन्दी का रूस पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर :
आर्थिक संकट के दौरान यूरोपीय देश त्रस्त थे, परन्तु रूस ने इस समय औद्योगिक क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति की। पूंजीवादी देशों में बेराजगारी की बाढ़ आ गई, जबकि रूस में बेरोजगारी का अन्त हो गया था। अत: मध्यम वर्ग पूंजीवाद की अपेक्षा साम्यवाद की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहा था।
प्रश्न 25.
1933 ई० में अमेरिका का राष्ट्रपति कौन बना? ‘नई पेशकश’ (न्यूडील) किसे कहा जाता है ?
उत्तर :
फ्रेंकलिन डिलानो रुजवेल्ट अमेरिका का राष्ट्रपति बना।
राष्ट्रपति रूजवेल्ट के पदासीन होने के दो दिन वाद 6 मार्च 1933 ई० में कांग्रेस के आपातकालीन अधिवेशन में सभी आवश्यक विधेयक स्वीकार किया गया जो देश के वित्तीय, आर्थिक और सामाजिक हालत सुधारने के लिये अनिवार्य थे।
जो विधेयक पारित किये गये उन्हें दो वर्गो में रखा जा सकता है। इन दोनों ही प्रकार के विधेयकों को क्रमशः सहायता और पुनरुत्थान तथा सुधार और पुनर्निर्माण नाम दिया गया। इन दोनों को सामूहिक रूप से नया कार्यक्रम अथवा न्यू डील की संज्ञा दी गई।
प्रश्न 26.
‘हुवर स्थगितकरण’ क्या है ?
उत्तर :
अमेरिका एवं विश्व में आर्थिक संकट (1929-33 ई.) की पृष्ठभूमि में इस संकट से दुनिया को मुक्त करने के लिये अमेरिकन राष्ट्रपति हरबर्ट क्लार्क हुबर (1929-33 ई.) ने घोषणा की कि 1 जुलाई, 1931 से आगामी एक साल के लिये विश्व के विभिन्न देशों को पारस्परिक क्षतिपूर्ति प्रदान एवं अमेरिकी ऋण शोध स्थगित रहेगा। यह घोषणा ‘हुवर स्थितिकरण’ के नाम से परिचित है।
प्रश्न 27.
फासिस्ट दर्शन का मूल मंत्र क्या था ?
उत्तर :
फासिस्ट दर्शन का मूल मंत्र सभी लोगों द्वारा आपसी सहयोग के आधार पर सामाजिक तथा राष्ट्रीय उन्नति करने का मौका मिले। इस व्यवस्था में सामूहिक इच्छा तथा शक्ति का प्रतिनिधित्व हो।
प्रश्न 28.
नाजीवाद और फासीवाद का उदय कब हुआ? इनके नेताओं के नाम बताएं।
उत्तर :
नाजीवाद और फासीवाद का उदय प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1919 से 1922 के मध्य हुआ । नाजीवाद का नेता हिटलर तथा फासीवाद का नेता मुसोलिनी ।
प्रश्न 29.
वर्साय की संधि किसके बीच हुई? और कब हुई?
उत्तर :
वसार्य की संधि मित्र देशों और जर्मनी के बीच 1919 ई० में हुई ।
प्रश्न 30.
आर्थिक मन्दी क्या थी?
उत्तर :
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान व्यापक आर्थिक क्षति पहुँची जिसके कारण बेरोजगार और महँगाई बहुत बढ़ गई । पूरे विश्व में आर्थिक संकट छा गया। इसे ही आर्थिक मन्दी कहा जाता है ।
प्रश्न 31.
नवीन आर्थिक नीति क्या थी?
उत्तर :
लेनिन ने बड़े उद्योगों की जगह छोटे उद्योगों को स्थापित करने तथा पूँजीपतियों को व्यक्तिगत सम्पत्ति रखने की जो छुट दी थी उसे आर्थिक नीति कहते है ।
प्रश्न 32.
खूनी रविवार से आप क्या समझते है?
उत्तर :
22 जनवरी, 1905 को रूस की जार सेना ने शांतिपूर्ण मज़दूरों तथा उनके बीबी-बच्चों के एक जुलूस पर गोलियाँ बरसाई, जिसके कारण हजारों लोगों की जान गई। इस दिन चूँकि रविवार था, इसलिए यह खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 33.
यूरोप के इतिहास में 1917 ई. का महत्व क्या है ?
उत्तर :
यूरोप के इतिहास में 1917 ई. का महत्व यह है कि इस वर्ष –
- रूस में जारतंत्र का पतन हुआ।
- रूस में लेनिन के नेतृत्व में नवम्बर क्रांति सफल हुई।
- रूस ने विश्व में समाजवादी देश के रूप में स्वयं को घोषित किया।
प्रश्न 34.
नयी अर्थनैतिक नीति (NEP) क्या है ?
उत्तर :
बोल्शेविक क्रांति (1917 ई.) के बाद रूस में कृषि एवं शिक्षा के क्षेत्र में निम्न स्तर देखकर वास्तववादी राष्ट्रवादी लेनिन, विशुद्ध समाजतंत्र से थोड़ा हटकर नयी आर्थिक नीति (NEP) की घोषणा (1921 ई.) की। इसे नयी आर्थिक नीति के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 35.
लेनिन ने अपनी नयीं आर्थिक नीति (NEP) में क्या कहा है ?
उत्तर :
लेनिन की नयी आर्थिक नीति में कहा गया है कि –
- किसानों के अतिरिक्त फसलों को सरकार नहीं लेगी।
- सरकारी जमीन पर किसानों का मालिकाना रहेगा।
- छोटे एवं मझोले उद्योगों में व्यक्ति विशेष मालिकाना रहेगा।
- विदेशी व्यापार सरकार के अधीन रहने पर भी आन्तरिक उद्योगों में व्यक्ति का मालिकाना रहेगा।
प्रश्न 36.
मोरक्को संकट क्या था ?
उत्तर :
इंग-फ्रांसीसी समझौता (1904 ई.) द्वारा अफीका के उत्तर-पश्चिम में अवस्थित खनिज सम्पदा समृद्ध एवं मुस्लिम जाति बहुल मोरक्को में फ्रांस का शासन स्थापित हुआ। जर्मन कैसर द्वितीय विलियम इसका प्रतिवाद करके खुद को मोरक्को के मुसलमानों का रक्षक घोषणा की एवं वहाँ के तांजियान बंदरगाह पर उपस्थित हुए। फलस्वरूप फ्रांस एवं जर्मनी में युद्ध का माहौल बन गया। यही मोरक्को संकट के नाम से परिचित है।
प्रश्न 37.
अगादीर की घटना क्या है ?
उत्तर :
1911 ई. में अफ्रीका के मोरक्को की राजधानी फेजशहर में उपजातियों द्वारा एक विद्रोह में कुछ यूरोपियनों की मृत्यु हुई। इस घटना को लेकर फ्रांस द्वारा फेजशहर को दखल करने पर जर्मनी ने इसका प्रतिवाद किया एवं वहाँ के अगादीर बन्दरगाह पर पैंथर नामक एक युद्धक जहाज भेजा। फ्रांस के समर्थन में इंगलैण्ड ने वहाँ पर एक युद्धक जहाज भेज दिया। फलस्वरूप युद्ध की परिस्थिति बन गयी। यह घटना ‘अगादीर संकट’ के’ नाम से परिचित है।
प्रश्न 38.
प्रथम विश्वयुद्ध के प्रमुख रणक्षेत्र कौन-कौन थे ?
उत्तर :
प्रथम विश्वयुद्ध के प्रथम रणक्षेत्र दो थे –
(i) पश्चिम रणक्षेत्र जहाँ जर्मनी के पश्चिमी सीमान्त पर फ्रांस- बेल्जियम युद्ध हुआ।
(ii) पूर्व रणक्षेत्र जहाँ रूस के साथ जर्मनी का युद्ध हुआ।
प्रश्न 39.
प्रथम विश्वयुद्ध में व्यवहार किये गये कुछ हथियारों के नाम लिखो।
उत्तर :
प्रथम विश्वयुद्ध में विभिन्न भयानक हथियारों का व्यवहार हुआ। इनमें बमवर्षक हवाई जहाज, टैक, तोप, बम, विषेली गैस, पनडुब्बी आदि थे।
प्रश्न 40.
प्रथम विश्वयुद्ध में जन-धन की क्षति का ब्यौरा दें।
उत्तर :
प्रथम विश्वयुद्ध में कम-से-कम 56 करोड़ लोगों की भोड़ थी। इनमें से 13 करोड़ लोग मारे गये एवं 22 करोड़ लोग गम्भीर रूप से घायल हुए। इस युद्ध में कुल खर्च प्राय: 27 करोड़ डॉलर था।
प्रश्न 41.
पेरिस शांति सम्मेलन में भाग लेने वाले देश कौन थे ?
उत्तर :
पेरिस शांति सम्मेलन में 32 देशों ने भाग लिया था। मुख्यत: चार वृहद शक्तिशाली देशों के राष्ट्रपति ने इस सम्मेलन के नीति निर्धारण एवं कार्य-संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका का पालन किया। ये हैं-
- अमेरिका के राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन
- इंगलैण्ड के प्रधानमंत्री लाएड जार्ज
- फ्रांस के प्रधानमंत्री क्लेमांशु एवं
- इटली के प्रधानमंत्री विट्ठोरियो अर्लेण्डो।
प्रश्न 42.
चौदह सूत्री सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर :
विश्व में स्थायी शान्ति स्थापना एवं गणतंत्र की रक्षा के उद्देश्य से अमेरिका के राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन द्वारा 8 जनवरी, 1918 को अमेरिकन कांग्रेस में जो सुनिर्दिष्ट शर्तो की घोषणा की गयी वही 14 सूत्री सिद्धान्त के नाम से परिंचित है।
प्रश्न 43.
वर्साय संधि की तीन भौगोलिक शर्तों का उल्लेख करो।
उत्तर :
वर्साय संधि की तीन भौगोलिक शर्ते हैं-
- जर्मनी के पास से फ्रांस को आल्पास एवं लौरेन लौटाना होगा।
- पोलैंड के साथ समुद्री पथ पर संपर्क के लिये जर्मनी के भीतर में पोलिश कॉरीडार नाम से एक रास्ता देना होगा।
- जर्मनी की कोयला समृद्ध सार अंचल आगामी 15 वर्षो के लिये फ्रांस को देना होगा।
प्रश्न 44.
वर्साय संधि की तीन सामरिक शर्तों का उल्लेख करो।
उत्तर :
वर्साय संधि की तीन सामरिक शर्ते थीं –
- जर्मनी के स्थल, जल एवं वायुसेना को भंग कर देना होग।
- जर्मनी की सैन्य संख्या 1 लाख तक ही रखनी होगी।
- जर्मनी के युद्धक जहाजों को इंग्लैण्ड को देना होगा।
प्रश्न 45.
वर्साय संधि की तीन आर्थिक शर्तों का उल्लेख करो।
उत्तर :
वर्साय संधि की तीन प्रमुख आर्थिक शर्ते थीं-
- जर्मनी को क्षतिपूर्ति बावत 660 करोड़ पौण्ड देना होगी।
- जर्मनी का कोयला समृद्ध सार अंचल आगामी 15 वर्षों के लिये फ्रांस को मिलेगा।
- जर्मनी के बाजारों में मित्र देशों के उत्पाद बिक्री करने का अधिकार देना होगा।
प्रश्न 46.
1929 ई. की आर्थिक महामंदी क्या है ?
उत्तर :
1929 ई. में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में भयानक अर्थनैतिक संकट का दौर आरंभ हुआ एवं यह शीघ्र ही पूरी दुनिया में फैल गया। यह संकट आर्थिक महामंदी नाम से परिचित है। यह मंदी 1929-33 ई. तक जारी रही।
प्रश्न 47.
द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले हिटलर ने किन स्थानों को दखल किया था ?
उत्तर :
द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले जर्मन चांसलर हिटलर सार अंचल (1935 ई.), राइनलैण्ड (1936), ऑस्ट्रिया (1938 ई.) तथा चेकोस्लोवाकिया (1938 ई.) आदि स्थानों पर दखल किया। इसके बाद 1 सितम्बर, 1939 को पोलेण्ड पर आक्रमण करने से यूरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध का बिगुल बज गया।
प्रश्न 48.
जार प्रथम निकोलस के दो महत्वपूर्ण अवदानों का उल्लेख करो।
उत्तर :
जार प्रथम निकोलस के दो महत्वपूर्ण अवदान हैं-
1. रूस के लिये नया कानून संहिता बनाना।
2. रूस में औद्योगिक विकास की तरफ ध्यान देना।
प्रश्न 49.
अमेरिका प्रथम विश्वयुद्ध में शमिल क्यों हुआ ?
उत्तर :
जर्मनी की पनडुब्बी विश्वयुद्ध में बहुत तहलका मचा रही थी। अत्: अमेरिका ने जर्मनी को पनडुब्बियों का प्रयोग रोकने की चेष्टा की लेकिन उसने अमेरिका के कई जहाजों को डूबो दिया। फलस्वरूप अमेरिका, मित्र देशों की ओर से युद्ध में शामिल हो गया।
संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 4 MARKS
प्रश्न 1.
रूस की कान्ति के परिणाम क्या थे ?
उत्तर :
निरकुशतंत्र का पतन और अभिजात वर्ग तथा चर्च की शक्ति का विनाश रूसी क्रान्ति की आरंभिक उपलब्धियाँ थीं। दुनिया के पहले समाजवादी समाज का निर्माण इसकी दूसरी उपलब्धि थी। जार के साम्माज्य की जगह अब सोवियत समाजवादी गणतंत्र संघ (यू०एस०एस०आर०) नाम की एक नई राजसत्ता ने ले ली । उत्पादन में निजी सम्पत्ति समाप्त कर दी गई तथा उत्पादन की प्रणाली को निजी मुनाफे के लिए चलाना समाप्त हो गया। चालक शक्ति का उन्मूलन हो गया। 19 वीं सदी में यूरोप का औद्योगिक विकास पूँजीवादियों की व्यक्तिगत पहलकदमी का परिणाम था। सोवियत संघ में औद्योगीकरण का काम राज्य ने पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा अपने हाथ में ले लिया।
प्रश्न 2.
कान्ति के समय वहाँ की राजनीतिक स्थिति क्या थी ?
उत्तर :
रूस की स्थिति लगभग वैसी ही थी जैसा कि 1789 ई० से पहले फ्रांस की थी। विश्व का विशाल देश रूस 18 करोड़ नागरिकों का देश था। यहाँ का राजा जार निकोलस द्वितीय स्वेच्छाचारी और निरकुश था । जो अपने कृपापात्र. दरबारियों की सहायता से शासन का संचालन करता था। राजा दैवी अधिकार में विश्वास करता था और खुद को पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि मानता था। सम्राट की निरंकुश स्वेच्छाचारिता के प्रमुख स्तम्भ थे चर्च, कुलीन वर्ग, नौकरशाही, सेना, अशिक्षित जनता और दरबारियों का अनुचित प्रभाव। चर्च यह प्रचार करता था कि चूँकि राजा पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि है इसलिए नागरिकों को उसकी आज्ञा का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 3.
राष्ट्रसंघ या लीग ऑफ नेशन्स की स्थापना के विषय का उल्लेख करो।
उत्तर :
राष्ट्रसंघ की स्थापना : प्रथम विश्वयुद्ध के अन्त के बाद युद्ध में भाग लेने वाले विभिन्न देशों के नेताओं ने पृथ्वी पर शान्ति स्थापना के उद्देश्य से एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की जरूरत को महसूस किया।
विल्सन का चौदह सूत्री सिद्धांत : अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन 8 जनवरी, 1918 ई० को अपने प्रसिद्ध चौदह सूत्री सिद्धान्तों की घोषणा की। इस घोषणा के 14 वें शर्त में उन्होंने राष्ट्रसंघ की स्थापना का प्रस्ताव दिया।
प्रस्ताव ग्रहण : युद्ध के बाद पेरिस की शान्ति सम्मेलन में विल्सन का प्रस्ताव गृहीत हुआ। राष्ट्रसंघ के गठन का प्रस्ताव वर्साय संधि की शर्तों के साथ युक्त हुआ।
लीग आफ कवेनान्ट : राष्ट्रसंघ प्रतिष्ठा एवं उसकी नियमावली रचना के उद्देश्य से पेरिस सम्मेलन में विल्सन की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन हुआ। इस कमिटी ने लीग ऑफ कवेनान्ट या लीग का समझौता नाम से राष्ट्रसंघ का एक ड्राफ्ट संविधान तैयार किया।
राष्ट्रसंघ का गठन : कुछ संशोधन के बाद राष्ट्रसंघ का संविधान 1917 ई. के 28 अप्रैल के पेरिस शान्ति सम्मेलन में गृहीत हुआ। इसी से इस दिन को राष्ट्रसंघ की प्रतिठा दिवस के रूप में समझा जाता है। 10 जनवरी, 1920 को राष्ट्रसंघ का प्रथम अधिवेशन हुआ।
प्रश्न 4.
स्पेन के गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि का वर्णन करो।
उत्तर :
स्पेन में गृहयुद्ध का सूत्रपात :
पापुलर फ्रंट का गठन : स्पेन में 1936 ई. में पापुलर फ्रंट नामक एक गठबंधन सरकार बनी। इस सरकार के विरोध में दक्षिणपंथी द्वारा देश में विभिन्न जगहों पर दंगे-फसाद किये गये।
सामरिक वाहिनी का गुस्सा : विश्रृखला की पृष्ठभूमि में संरकार ने बहुत से सैनिक कर्मचारियों को बर्खास्त, बदली, छँटनी आदि कर दिया। जनरल फ्रैंको को कैनारी द्वीपसमूह में भेजने पर सामरिक विभाग का गुस्सा और बढ़ गया।
विद्रोह : दक्षणपपथी विभिन्न दल, जमीदार, बुर्जुआ, पादरी वर्ग आदि ने क्षुब्ध सैनिकों का समर्थन किया। मोरक्को में अवस्थित स्पेनी सैन्य वाहिनी ने 1936 ई. में विद्रोह कर दिया। इसका नेतृत्व देने के लिये फ्रैको मोरक्को जा पहुँचे।
गृहयुद्ध : स्पेन सरकार के विरुद्ध उपरोक्त विद्रोह में प्रजातंत्री, समाजतंत्री एवं कम्युनिस्ट वर्ग ने सरकार का समर्थन किया। दूसरी ओर फैलेनजिस्ट, नेशनलिस्ट, कार्लिस्ट आदि दक्षिणपंथी दल
प्रश्न 5.
स्पेन के गृह युद्ध के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर :
स्पेन का गृहयुद्ध एक अन्तर्राष्ट्रीय घटना थी। इसने विश्व की राजनीति को भी प्रभावित किया। इस गृहयुद्ध के प्रारम्भ होते ही यूराप के दो विरोधी शिविरों में विभक्त होने के आसार नजर आने लगे थे। इटली, जर्मनी एवं पुर्तगाल स्पष्ट रूप से विद्रोहियों की सहायता कर रहे थे, जबकि रूस स्पेन की सरकार का समर्थक था। यदि रूस की अपील पर फ्रांस एवं इंग्लैण्ड भी इसमें हस्तक्षेप करते तो यूरोप उसी समय दो शिविरों में बँट गया होता। इस गृहयुद्ध के कारण रूस, इंग्लैण्ड एवं फ्रांस से नाराज हो गया। दूसरी ओर इस गृहयुद्ध के कारण इटली और जर्मनी एक-दूसरे के और करीब आ गये। इस गृहयुद्ध के कारण यूरोप में तानाशाहों का प्रभाव बढ़ा तथा राष्ट्र संघ कमजोर संस्था सिद्ध हुई।
प्रश्न 6.
विश्व युद्ध के परिप्रेक्ष्य में अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
प्रथम विश्व-युद्ध के विश्व की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक स्थिति पर गम्भीर प्रभाव हुए। नवीनतम हथियारों के प्रयोग के कारण देशों में आधुनिकतम हथियारों के आविष्कार के लिए प्रतिस्पर्धा होने लगी, इस युद्ध के परिणामस्वरूप प्रजातंत्र एवं राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। राष्ट्रीयता के आधार पर अनेक नवीन राज्यों का निर्माण हुआ। इंग्लैण्ड एवं फांस की शक्ति इस युद्ध के पश्चात् अत्यधिक बढ़ गयी तथा उनके राष्ट्रीय सम्मान में भी वृद्धि हुई। अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन ने शान्ति-स्थापना के लिए चौदह सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया तथा शान्ति की सुरक्षा के लिए अन्तर्राष्ट्रीय संस्था राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। इसी युद्ध के समय में रूस में साम्यवादी सरकार की स्थापना हुई तथा अमेरिका का विश्व के राजनीतिक क्षितिज पर प्रभाव बढ़ा। अत: कुछ ही वर्षो के उपरान्त पुन: एक अत्यन्त भयकर युद्ध की अग्नि प्रज्ज्वलित हो उठी, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध कहा गया। पूंजीपति, जमींदार, पादरी आदि ने जनरल फैंकों का समर्थन किया। इस तरह दोनों पक्षों में गृहयुद्ध आरंभ हो गया।
प्रश्न 7.
समकालीन विश्व का सामाजिक प्रभाव क्रान्ति से कैसे प्रभावित था ?
उत्तर :
रूसी क्रान्ति का प्रभाव विश्वव्यापी था। दूसरे देशों में भी वैसी ही क्रान्तियों के संगठन के लिए समाजवादी आंदोलन का अंतर्राष्ट्रीय आधार का गठन किया गया। पहली सफल समाजवादी क्रांति होने के कारण भविष्य पर रूसी क्रान्ति का प्रभाव पड़ना लाजमी था। पूरी दुनिया के लिए एक बिल्कुल नई सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था के आरंभ का प्रभाव अनुभव करना निश्चित था। दुनिया के अधिकांश देशों में कम्युनिस्ट पार्टियों की स्थापना हुई जो कम्युनिस्ट इन्टरनेशनल से संबद्ध थी। पहले विश्वयुद्ध के बाद समाजवादी आंदोलन मोटे तौर पर दो भागों – सोशलिस्ट पार्टियों और कम्युनिस्ट पार्टियों में बँट गया। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद समाजवादी आंदोलन के प्रभाव का फैलना कुछ सीमा तक रूसी क्रान्ति का परिणाम है । समाजवाद की बढ़ती लोकप्रियता तथा सोवियत संघ में समाजवाद की सफलता के कारण लोकतंत्र को फिर से परिभाषित करने में सहायता मिली। जनता की दशा को सुधारने के लिए राज्य द्वारा संचालित आर्थिक योजना का विचार भी स्वीकार किया गया।
प्रश्न 8.
विश्व शक्ति के रूप में अमेरिका कैसे आगे आया ?
उत्तर :
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् अपनी विदेश नीति के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व की शक्ति-केन्द्र के रूप में उभरने लगा। संयुक्त राज्य अमेरिका वास्तव में प्रथम विश्वयुद्ध के समाप्त होने के समय तक वह दुनिया का सबसे धनी और ताकतवर देश बन चुका था। युद्ध ने यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भारी नुकसान पहुँचाया, पर इस काल में संयुक्त राज्य की अर्थव्यवस्था और भी मजबूत हुई। उसने अपार औद्योगिक प्रगति की और यूरोप में भारी मात्रा में पूँजी लगाने लगा।
प्रश्न 9.
स्पेन युद्ध पर भारत की प्रतिक्रिया को लिखें।
उत्तर :
राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि स्पेन का गृहयुद्ध मात्र फासीवाद एवं गणतंत्र के बीच ही संघर्ष नहीं है अपितु प्रतिक्रियावादी और प्रगतिशील शक्तियों के बीच संघर्ष है। नेहरू ने कहा कि हम पूर्ण रूप से गणतंत्र समर्थकों के साथ हैं। स्पेन की प्रजातांत्रिक सरकार को समर्थन देने के लिए इंग्लैण्ड में स्पेन-भारत समिति का गठन हुआ। 13 अक्टूबर, 1938 ई० को महात्मा गांधी ने सेन के प्रधान मंत्री को संदेश भेजाकि हम आपकी सफलता की कामना करते हैं।
प्रश्न 10.
नाजी और फासिस्ट के विचारों को लिखें।
उत्तर :
हिटलर की नाजी नीति थी –
- जर्मनी में नाजी दल को कानूनी घोषित कर दिया गया।
- यहूदी, जर्मनी से विवाह नहीं कर सकते और उन्हें नोकरियों से निकाल दिया गया।
- अजर्मन और यहुदियों को स्कूल और कॉलेजो से निकाल दिया गया और पाठ्य-पुस्तकों को नाजी विचारधारा को ध्यान में रखकर पुन: लिखा गया।
- जोसेफ गोबेलस जो कि एक दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर थे, उन्हें इस काम के लिए नियुक्त किया गया था।
फासिस्ट पार्टी का प्रमुख उद्देश्य –
- राज्य की सर्वोच्चता को बढ़ाना ।
- एक मजबूत वैदेशिक नीति का पालन करना जिससे विश्व में इटली महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सके।
- देश को साम्यवादी प्रभाव से बचाना।
- व्यक्तिगत सम्पत्ति और धन की रक्षा करना था।
प्रश्न 11.
अमेरिका में आर्थिक महामंदी की शुरुआत कैसे हुई थी ?
उत्तर :
प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के एक दशक के बीच विशेषकर 1929 ई. में अमेरिका में एक भयावह अर्थनैतिक संकट शुरू हुआ जो आर्थिक महामंदी के नाम से परिचित है।
महामंदी का सूत्रपात :
अफवाह : सितम्बर, 1929 ई. में न्यूयार्क के वाल स्ट्रीट शेयर बाजार में-शेयरों की बिक्री में नुकसान होने पर अफवाह फैल गयी कि शेयर बाजार में जल्दी ही गिरावट आने वाली है, अत: अभी शेयर बेचने से अच्छा दाम नहीं मिलेगा।
शेयर बेचने की होड़ : आतंकित लोग शेयरों के भाव गिरने से पहले ही शेयर बेचने लगे। 28 अक्टूबर 1929 ई. (वृहस्पतिवार) को एक दिन में ही 30 मिलियन डॉलर मूल्य के शेयर बिक्री हो गये। इस दिन को ‘ब्लैक थर्सडे’ कहा जाता है।
निवेशकों को आंशंका : शेयर बाजार के टूटने के कारण बाजार में पर्याप्त धन लगाने वाला अमेरिकन बैंक आर्थिक नुकसान का शिकार हो गया। इसी से असंख्य लोगों ने बैंकों से अपना पैसा निकाल लिया।
दूटी हुई बैंकिंग प्रणाली : आतंकित लोगों द्वारा बैंकों से पैसा निकालने के लिये बैंकों के पास इतना पैसा नहीं था। फलस्वरूप 1929-32 ई. के बीच अमेरिका के 570 बैंक दिवालिया हो गये एवं अन्य 3500 बैंकों में लेन-देन बन्द हो गया।
प्रश्न 12.
नाजीवाद के उत्थान के क्या कारण थे ?
उत्तर :
जर्मनों की जातीय परम्परा एवं चरित्र : हिटलर और उग्रवादी नाजी दल के उत्कर्ष का एक अन्य कारण – स्वय जर्मन जाति की परम्परा भी थी। जर्मनी जाति की स्वाभाविक सैनिक मनोवृत्ति अनुशासन एवं वीरपूजा (Hero Worship) की भावना ने हिटलर के उत्कर्ष के मार्ग को प्रशस्त किया। जर्मन जातियों को हिटलर के व्यक्तित्व के रूप में एक ऐसा व्यक्ति मिल गया जो उसका नेता अर्थात् फ्यूहरर (Fuhter) बन सकता था।
हिटलर का व्यक्ति एवं प्रचार कार्य : हिटलर और नाजीदल की शक्ति के विकास का सर्वाधिक प्रभावशाली कारण स्वयं हिटलर का व्यक्तित्व तथा उसके प्रचारमंत्री का कार्य था। हिटलर प्रचार के महत्व को समझता था। उसके प्रचार मंत्री डॉ॰ गोवल्स (Dr. Goebelis) के प्रचार सिद्धान्त का मूल उद्देश्य था कि ” झूूठी बात को इतना दुहराओं कि वह सच ही बन जाये।” हिंटलर के अद्भुत व्यक्तित्व और प्रचार कार्य के माध्यम से नाजियों ने जर्मन जनता के दिल पर सरलता से अधिकार कर लेने में सफलता प्राप्त की।
प्रश्न 13.
समकालीन विश्व के समाज, राजनीति एवं अर्थव्यवस्था पर रूसी क्रान्ति का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर :
रूसी क्रान्ति ने समाजवादी व्यवस्था का जो आदर्श प्रस्तुत किया उसने विश्व के विभिन्न देशों को प्रभावित किया। इस क्रांति ने संसार भर के मजदूरों, किसानों तथा पराधीन देशों की शोषित जनता को जो आत्मबल प्रदान किया वह आज भी कायम है । आज जिन देशों में मजदूर अथवा कृषक-आंदोलन अधिकारों की माँग करते हैं उन सब पर रूसी क्रांति का परोक्ष प्रभाव स्पष्ट हो जाता है। रूस के आदर्श का अनुकरण कर विभिन्न देश व्यावसायिक की नीति अपना रहे हैं।
रूसी क्रांति ने आर्थिक क्षेत्र में समानता का नारा बुलन्द किया। इस क्रांति के फलस्वरूप रूस सहित अन्य देशों में कृषि के साथ-साथ औद्योगिक विकास पर जोर दिया गया। परिणामस्वरूप यहाँ उत्पादन में वृद्धि हुई। रूस की अर्थनीति का अनुसरण कर औद्योगिक राष्ट्रों में पंचवर्षीय योजनाएँ लागू की गई जिससे वे समृद्ध देशों की श्रेणी में आ सकें।
प्रश्न 14.
नाजीवाद दल के उद्देश्य तथा सिद्धान्त क्या थे ?
उत्तर :
नाज़ीदल के नेता हिटलर ने जर्मनी को एकता, समृद्धि और अन्य राष्ट्रों के साथ समानता स्थापित करने के तीन महत्वपूर्ण अश्वासन दिए थे। नाज़ीदल के मुख्य उद्देश्य एवं सिद्धान्त इस प्रकार थे –
- भाज़ीवाद राज्य के हितों की सर्वोच्चता में विश्वास करता था।
- नाज़ीदल वर्साय संधि का घोर विरोधी था।
- नाज़ीदल मित्र राष्ट्रों द्वारा जर्मनी पर लगाए गए ‘युद्ध अपराध’ को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। उसके अनुसार जर्मनी ने यह युद्ध आत्म-रक्षा के लिए किया था।
- नाज़ीदल विशाल जर्मनी का निर्माण करना चाहता था।
- नाज़ीदल यहूदियों को जर्मनी से बाहर निकाल देना चाहता था।
- नाज़ीदल एक दल, एक नेता और उसके अनियंत्रित शासन का समर्थक था।
- नाज़ीवाद का विश्वास था कि मनुष्य संघर्ष के द्वारा ही लक्ष्य को प्राप्त कर सकता था।
प्रश्न 15.
रूसी क्रान्ति का प्रभाव विश्व पर क्या पड़ा ?
उत्तर :
रूसी क्रांति ने संसार भर के मजदूरों, किसानों तथा पराधीन देशों की शोषित जनता को जो आत्मबल प्रदान किया वह आज भी कायम है। आज जिन देशों में मजदूर अथवा कृषक-आन्दोलन अधिकारों की माँग करते हैं उन सब पर रूसी क्रांति का परोक्ष प्रभाव स्पष्ट हो जाता है। आज विश्व के अनेक देश समाजवाद की ओर अग्रसर हो रहे हैं। चीन में भी साम्यवादी सरकार सक्रिय है। अत: आधुनिक विश्व में रूस के आदर्शों पर स्थापित समाजवादी गणतंत्र राष्ट्रों की शक्ति अपना अलग महत्व रखती है जिसने साम्राज्यवाद-पूँजीवाद के शोषण-उत्पीड़न से विश्व-जन-समुदाय को मुक्ति का सन्देश देकर अभयदान दिया है।
प्रश्न 16.
19 वीं सदी के रूस में जारशाही का परिचय दो।
उत्तर :
19वीं सदी के प्रारम्भ में रूस मध्ययुगीन चिन्ताधारा में जी रहा एक पिछड़ा देश था। उस समय रूस में जारतंत्र नामक एक स्वेच्छाचारी राजतंत्री का शासन चल रहा था।
रूस में जारतंत्र :
जारतंत्र का उद्भव : रूस का राजा चतुर्थ आइवन ने 1547 ई. में प्रथम जार उपाधि ग्रहण की। बाद में मिखाइल रोमानोव ने 1613 ई. में रूस में रोमानोव वंश की नींव डाली। इस वंश के राजाओं को जार (Tsar या Czar) एवं रानियों को जरिना (Czarina) कहा जाता था। इन जार एवं जरिना के शासन को ‘जारतंत्र’ के नाम से जाना जाता है।
अनग्रसरता : जारतंत्र अत्यंत पिछड़ी मध्ययुगीन शासन व्यवस्था थी। जारतंत्र के शासन में रूस की आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक अवस्था अन्धविश्वासी थी।
अत्याचार : जारशाही शासनकाल में जागीरदारों का प्रभुत्व था। इस समय रूस के $0 \%$ लोग भूमिदास थे। उनके दुख़-दर्द की कोई सीमा नहीं थी। जार की अत्याचारी सेना एवं गुप्त पुलिस वाहिनी उन पर तरह-तरह के जुल्म-अल्याचार करती थी।
प्रगतिशील कदम : जार पीटर द ग्रेट (1682-1726 ई.) ने विभिन्न प्रचेष्टाओं से रूसी संस्कृति को प्रगति के पथ पर लाने का प्रयास किया। इसी से उन्हें आधुनिक रूस का जनक कहा जाता है, किन्तु योग्य उत्तराधिकारी के अभाव के कारण उनकी चेष्टा व्यर्थ हुई।
प्रश्न 17.
जारतंत्र के शासनकाल में रूस की सामाजिक अवस्था कैसी थी ?
उत्तर :
जारतंत्र के शासनकाल में रूस का समाज अत्यन्त पिछड़ा हुआ था। समाज में दो श्रेणी थी- धनी कुलीन वर्ग एवं शोषित व अवहेलित दरिद्र कृषकवर्ग। –
जारतंत्र के शासनकाल में रूस की सामाजिक अवस्था :
कुलीन-सामन्त वर्ग : रूस में कुलीन परिवार की संख्या केवल 1 लाख 40 हजार थी, किन्तु उनके अधीन विशाल जमींदारी, नौकर एवं असंख्य भूमिदास थें। उन्हें सीमाहीन वंश-मर्यादा, राजनैतिक अधिकार एवं विभिन्न सुखसुविधाएँ मिली थीं।
कृषक सम्रदाय : रूस की कुल जनसंख्या की $90 \%$ आबादी कृषक सम्पदाय थी। वे लोग मुख्यत: दो भागों में बँटे थे – स्वाधीन कृषक एवं भूमिदास। छोटे जमीन के मालिक प्राय: अपनी जमीन का मालिकाना बड़े जमींदारों को देकर उनके अधीन मजदूरी करते थे।
भूमिदास : रूस के अधिकांश किसान सार्फ या भूमिदास थे। उनकी संख्या प्राय: 5 कर्रोड़ थी। चरम शोषण से जर्जित भूमिदास जमींदारों के खेतों के पास गाँवों में रहते थे एवं उनकी गुलामी करते थे।
भूमिदासों का शोषण : भूमिदासों का चरम शोषण होता था। वे जमींदारों की व्यक्तिगत सम्पत्ति थे। उनका अपना कुछ भी नहीं था। वे लोग सप्ताह में कम-से-कम तीन दिनों तक जमींदारों के पास बेगारी किया करते थे। अनेक प्रकार के कर के द्वारा उनका हर तरह से शोषण होता रहता था।
प्रश्न 18.
1905 ई. की रूसी क्रांति की अग्रगति का परिचय दो।
उत्तर :
जार द्वितीय निकोलस (1894-1917 ई.) के शासनकाल में 1905 ई. में रूस में चारों ओर विद्रोह आरंभ हुआ जिससे जारतंत्र की नींव चरमरा गयी।
1905 ई. की क्रांति की अग्रगति :
क्रांति का आरंभ : रूस के सेंट पिद्सबर्ग में मजदूरों द्वारा अपने विभिन्न मांगों को लेकर 3 जनवरी, 1905 ई० को हड़ताल आरंभ किये जाने पर क्रांति की सूचना हुई।
खूनी रविवार : सेंट पिट्सबर्ग में प्राय: 6 हजार श्रमिकों का 9 जनवरी, (रविवार) को फादर गोपेन नामक एक पादरी के नेतृत्व में एक शान्तिपूर्ण जुलूस जार के महल की ओर अग्रसर हुआ। जार की पुलिस वाहिनी द्वारा इस जुलूस पर निर्विचार गोली चलाने से प्राय: एक हजार से अधिक मजदूर मारे गये एवं 2 हजार से भी अधिक मजदूर घायल हुए। यह घटना ‘खूनी रविवार’ के नाम से इतिहास में परिचित है।
क्रांति का विस्तार : ‘खूनी रविवार’ घटना की प्रतिक्रिया से सारे देश में हिंसात्मक आन्दोलन आरंभ हो गया। 5 लाख श्रमिक इस हड़ताल में शामिल हुए। राजनैतिक अधिकार की मांग को लेकर छात्र और बुद्धिजीवी सभी समर्थन में उतर पड़े। ग्राम के किसानों ने जमींदारों के घरों में आग लगा दी। सैन्यवाहिनी का एक हिस्सा भी विद्रोहियों में शामिल हेगया।
क्रांति की विफलता : विद्रोहियों के दबाव में आकर जार द्वितीय निकोलस ने शासन में सुधार की घोषणा की। जनता के मताधिकार के आधार पर पार्लियामेंट (ड्यूमा) गठित होने पर भी ड्यूमा के सदस्यों में विभिन्न विषयों पर विरोध होने से जार ने अपनी शक्ति बढ़ा ली। फ़लस्वरूप 1905 ई. की यह क्रांति विफल हो गयी।
प्रश्न 19.
1917 ई. की रूसी क्रांति के विभिन्न चरणों का उल्लेख करो।
उत्तर :
रूस में 1905 ई. की क्रांति के विफल हो जाने पर 1917 ई. में बोल्शेविक पार्टी के नेतृत्व में क्रांति हुई। 1917 ई. की बोल्शेविक क्रांति के विभिन्न चरण :
इतिहासकारों ने 1917 ई. की रूसी क्रांति को दो चरणों में बाँटा है –
प्रथम चरण या मार्च महीने की कांति : रूस के नये.कैलेण्डर के अनुसार 1917 ई. के मार्च महीने में क्रांति का प्रथम चरण था। इस क्रांति के कारण रूस में जारशाही का पतन हुआ एवं बुर्जुआ वर्ग के नेतृत्व में प्रजातंत्र की स्थापना हुई। इस चरण में बुर्जुआ वर्ग ने अपनी स्वार्थ सिद्ध में क्रांति का व्यवहार किया, अतः यह बुर्जुआ गणतांत्रिक क्रांति के नाम से परिचित है।
द्वितीय चरण या नवम्बर क्रांति : रूस के नए कैलेन्डर के अनुसार नवम्बर, 1917 में हुई क्रांति का दूसरा चरण था। इस क्रांति के फलस्वरूप रूस के बुर्जुआ शासन को समाप्त कर समाजवाद के आदर्श में विश्वासी बोल्शेविक पार्टी द्वारा शासन क्षमता दखल कर देश में समाजतान्त्रिक सरकार की स्थापना हुई । यह समाजतांत्रिक क्रांति के नाम से परिचित है। इसके प्रमुख नेता लेनिन थे।
प्रश्न 20.
बोल्शेविक क्रांति ( 1917 ई.) में लेनिन की क्या भूमिका थी ?
उत्तर :
1917 ई. की नवम्बर क्रांति के फलस्वरूप रूस में बोल्शेविक पार्टी के नेतृत्व में ‘सर्वहारा एकनायकतंत्र’ की स्थापना हुई।
लेनिन की भूमिका :
क्षमता दखल : लेनिन का कहना था कि बोल्शेविकों की प्रचेष्टा से मार्च महीने में जारतंत्र की समाप्ति हुई है, अतः देश की राजनैतिक क्षमता बोल्शेविकों को मिलनी चाहिये। उन्होंने बोल्शेविकों को बुर्जुआ सरकार से क्षमता छीन लेने को कहा।
अप्रैल थिसिस : लेनिन बोल्शेविक कार्यकर्ताओं के सामने अपनी विख्यात ‘अप्रैल थिसिस’ की घोषणा करके मांग की कि किसानों के हाथ में जमीन, मजदूरों के हाथ में कल-कारखाने का दायित्व एवं सोवियत परिषद के हाथ में देश की बागडोर सौंप देनी होगी।
काम : लेनिन ने कहा कि क्षमता दखल के बाद बोल्शेविक पार्टी का काम होगा देश में शान्ति स्थापित करना, किसानों में जमीन का वितरण करना, उत्पादन एवं वितरण की व्यवस्था में राष्ट्रीय नियंत्रण तथा साधारण लोगों को लेकर देश में सर्वहारा एकनायकंतंत्र की स्थापना करना।
विपक्ष में मतभेद : बोल्शेविक के विरोधी विभिन्न दल, उपदल एवं मतादर्श में विभक्त होने के कारण वे लोग बहुत कमजोर थे। लोग भी बोल्शेविक विरोधियों को पसन्द नहीं करते थे। उनके विरोध एवं लोकप्रियता के अभाव ने बोल्शेविकों को शक्तिशाली बना दिया था।
अन्तर्राष्ट्रीय घटनाक्रम : यूरोप के विभिन्न राष्ट्र प्रथम विश्वयुद्ध में व्यस्त रहने एवं उसके बाद अपनी-अपनी समस्याओं में उलझे रहने के कारण रूसी क्रांति के समय जार की मदद नहीं कर पाये।
प्रश्न 21.
प्रथम विश्वयुद्ध में पराजित जर्मनी के आत्म-समर्पण की पृष्ठभूमि का उल्लेख करो।
उत्तर :
अक्षशक्ति का प्रमुख सदस्य जर्मनी प्रथम विश्वयुद्ध के प्रथम चरण में पर्याप्त सफलता पाने के कुछ बाद ही उसकी स्थिति बदल गयी।
जर्मनी का आत्मसमर्पण :
शान्ति स्थापना का परामर्श : ऑस्ट्रिया एवं बुल्गारिया के पतन के बाद जर्मन सम्राट कैसर द्वितीय विलियम को जर्मनी के सेनापति लुडेनडर्फ ने मित्र शक्तियों के साथ शान्ति वार्ता का परामर्श दिया।
पराजय : जर्मनी के लगातार युद्धों में रहने के कारण उसकी शक्ति क्रमशः दुर्बल होने लगी। इसी बीच अमेरिका द्वारा विशाल आर्थिक एवं सामरिक शक्ति लेकर मित्र देशों के पक्ष में युद्ध में शामिल होने पर युद्ध का पासा पलट गया। जर्मनी लगातार पराजित होने लगा।
कैसर का पतन : जर्मनी की गणतान्त्रिक पार्टी द्वारा कैसर द्वितीय विलियम के विरुद्ध तीव्र विद्रोह शुरू करने पर कैसर का पतन हो गया। उसने भागकर हालैण्ड में शरण ली। जर्मनी में एक गणतान्त्रिक सरकार की स्थापना हुई।
जर्मनी का आत्मसमर्षण : जर्मनी की नयी गणतांत्रिक सरकार निरुपाय होकर 11 नवम्बर, 1918 को मित्र शक्ति के पास आत्मसमर्पण कर दिया। फलस्वरूप प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति हुई।
प्रश्न 22.
वुड्रो विल्सन की चौदह सूत्री शर्तों का विवरण दो।
उत्तर :
विश्व शान्ति स्थापना, गणतंत्र रक्षा, यूरोप का पुनर्गठन आदि उद्देश्यों को शामिल कर अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन 8 जनवरी, 1918 ई. को अमेरिकी कांग्रेस में अपनी प्रसिद्ध चौदह सूत्री नीति(Fourteen points) की घोषणा की। विल्सन की चौदह सूत्री नीति :
- विदेशी नीति में गुप्त कूटनीति का त्याग करना होगा।
- युद्ध या शान्ति के समय देश के समुद्र तटों को छोड़कर समुद्र सबके लिये खुला रखना होगा।
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में बाधा निषेध को समाप्त करना होगा।
- अन्तरिम सुरक्षा की आवश्यकता के साथ सामंजस्य रखकर राष्ट्र का अस्त्र भंडार सीमित करना होगा।
- उपनिवेश के लोगों की जरूरतों पर ध्यान देना होगा।
- रूस की खोयी हुई जमीनों को वापस करना होगा।
- बेल्जियम की स्वाधीनता को लौटाना होगा।
- फ्रांस को अल्दास एवं लौरेन लौटाना होगा।
- इटली की राज्यसीमा का पुनर्गठन करना होगा।
- ऑस्ट्रिया एवं हंगरी को स्वायत्त शासन का अधिकार देना होगा।
- बाल्कन राज्यों का पुनर्गठन करना होगा।
- दार्दनेल्स प्रणाली को अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र के निरपेक्ष अंचल के रूप में घोषणा करना होगा।
- पोलैण्ड की स्वाधीनता लौटाकर उसका पुनर्गठन करना होगा।
- अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा के लिये एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना करनी होगी।
प्रश्न 23.
आर्थिक महामंदी (1929 ई.) किस प्रकार जर्मनी में हिटलर एवं उसके नाजी दल के उत्थान में मदद की ? उत्तर : महामंदी एवं जर्मनी में नाजी नेता हिटलर का उत्थान :
ऋण मिलना बन्द : 1929 ई. में अमेरिका की महामंदी के कारण अमेरिकी ऋण पाने से वंचित जर्मनी में गंभीर आर्थिक संकट आरंभ हो गया। धन की कमी के कारण जर्मनी क्षतिपूर्ति देने तथा देश के पुनर्गठन में अक्षम हो गया।
उद्योग-धंधों का पतन : जर्मनी में आर्थिक संकट के कारण एवं कल-कारखानों में विदेशी पूंजी का घाटा होने से सभी कल-कारखाने बंद होने लगे।
बेरोजगारी : कल-कारखानों के बन्द होने से देश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ने लगी। 1929 ई. में जर्मनी में बेरोजगारों की संख्या 30 लाख हो गयी थी। बाद के चार वर्षों में यह दुगुनी हो गयी।
दुर्दशा : महँगाई, खाद्य की कमी, अनाहार, भुखमरी से लोगों का जीना दूभर हो गया।
हिटलर का प्रयास : ‘आर्थिक संकट के कारण जनता प्रजातांत्रिक सरकार से क्षुब्ध हो उठी। इस मौके का लाभ उठाकर हिटलर के नेतृत्व में नाजी दल जर्मनी की राजनीति में सर्वेसर्वा हो गया।
प्रश्न 24.
सामरिक साम्यवाद से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
गृहयुद्ध के कठठिन दिनों में रूस की बोल्शेविक सरकार को आर्थिक समस्या भी झेलनी पड़ी। श्वेतों (Whites) द्वारा खाद्य उत्पादन केन्द्रों तथा औद्योगिक क्षेत्रों पर अधिकार जमा लिया गया था। श्वेतों ने बोल्शोविकों के लिये उत्पादन एवं आपूर्ति की जटिल समस्याएँ पैदा कर दी। शहरी क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति एक अत्यधिक जटिल समस्या बन गयी। अंत में लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक सरकार ने कठोरता की नीति अपनाई जिसे सामरिक साम्यवाद (War Communism) कहा गया। सामारिक साम्यवाद से तात्पर्य था आर्थिक क्रिया से प्रत्येक पक्ष पर रांज्य का नियंत्रण। सामरिक साम्यवाद का अर्थ था- प्रत्येक महत्वपूर्ण श्रेणी के उद्योगों का राष्ट्रीयकरण। बोल्शेविक सरकार के लिये सामरिक साम्यवाद का प्रभाव बड़ा घातक सिद्ध हुआ। कृषि तथा उद्योग के उत्पादन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए। रूस आर्थिक दृष्टि से बर्बादी के कगार पर पहुँच गया। शहुरों एवं गांवों की जनता का असंतोष चरम सीमा पर पहुँच गया।
प्रश्न 25.
बोल्शेविक दल के क्या उद्देश्य थे एवं रूस की जनता पर उसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर :
लेनिन द्वारा बोल्शेविक दल के उद्देश्यों की घोषणा : लेनिन ने घोषणा की कि रूस के लोग रोटी, जमीन एवं शान्ति चाहते हैं, किन्तु सामूहिक सरकार उनको शांति के बदले युद्ध, रोटी की जगह भूख और जमीन किसानों के बदले जमीदारों को दे रही है। लेनिन ने बोल्शेविक दल के निम्न उद्देश्यों की घोषणा की –
- जमीदारों की जमीन को तुरंत जब्त करना।
- सभी प्रकार के व्यवसायों पर राज्य का नियंत्रण।
- रूस के राष्ट्रीय ॠण को अवैध घोषित करके उसे चुकाने से इंकार करना।
- कारखानों का संचालन श्रमिक संगठनों द्वारा करना।
- रोमानोव राजवंश द्वारा की गयी सारी विदेशी संधियाँ एवं समझौते रद्द करना।
- युद्ध बंद करके जर्मनी से संधि करना।
- पूंजीपतियों को मताधिकार से वंचित कर केवल साधारण लोगों को मताधिकार देना।
- देश की समस्त सत्ता बोल्शेविकों के हाथों में देना।
- रूस में विदेशी हस्तक्षेप को रोकना।
विवरणात्मक प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 8 MARKS
प्रश्न 1.
वर्साय संधि के पक्ष में विभिन्न शर्तो का विवरण दो।
उत्तर :
प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति पर जर्मनी मित्र देशों के साथ अपमानजनक शर्तों के साथ संधि पर हस्ताक्षर करने को बाध्य हुआ।
वर्साय संधि के पक्ष में शर्ते :
इतिहास का नियम : इतिहास में देखा जाता है कि विजयी पक्ष पराजित पक्ष के ऊपर सदेव एकतरफा समझौता लाद देता है। जर्मनी युद्ध में विजयी होने पर वह भी ऐसा ही आचरण करता। फ्रैंकफुर्ट की संधि (1871 ई.) में फ्रांस के प्रति तथा वेस्ट-लिटमस्क की संधि (1918 ई.) द्वारा रूस के प्रति ऐसा ही आचरण हुआ था।
यूरोपियनों का विचार : युद्ध के बाद जर्मनी के प्रति यूरोपवासियों में इतनी घृणा थी कि संधि लिखनेवाले लोगों के विचार को मानने के लिये बाध्य थे।
शक्ति संतुलन : युद्ध के बाद यूरोप की शक्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए जर्मनी की सैनिक शक्ति में कमी होना जरूरी था।
राष्ट्रवाद को स्वीकृति : राष्ट्रवाद की मान्यता देते हुए प्रत्येक राष्ट्र की स्वाधीनता को प्रतिष्ठित करना इसका अन्यतम लक्ष्य था। इस उद्देश्य के लिये वे जर्मनी द्वारा दखल किये गये देशों को वापस करने के लिए बाध्य थे।
पहले जैसी अवस्था : जर्मनी द्वारा दखल किये गये अंचलों को वापस करने पर भी जर्मनी के पास उसके भौतिक औद्योगिक अंचल सुरक्षित थे।
प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध का विश्व के बाजारों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर :
प्रथम विश्वयुद्ध के हारे हुए देशों अर्थात जर्मनी तथा मध्य यूरोप के छोटे देशों पर बड़ा ही घातक प्रभाव पड़ा। उनकी मुद्रा प्रणाली की साख नष्ट हो गयी और साधारण जनता की स्थिति भी शोचनीय हो गयी। अमेरिका ही एकमात्र ऐसा देश था जहाँ दौलत की बाढ़ आ गयी थी जिसका परिणाम यह हुआ कि अधिकाधिक संपन्न बनने की आशा में सरकारी कागजों और कारखानों के हिस्सों का सट्टा होने लगा। 1929 ई. में अचानक हालत अधिक बुरी हो गयी। शेयर के सट्टे से उनके भाव काफी ऊँचे हो गये किन्तु उसी तरह गिर भी गये।
विश्व भर में मंदी आने लगी। खासकर खेतों की पैदावार के भाव तेजी से गिरने लगे। सभी औद्योगिक देशों की हालत बिगड़ गयी। संसार की परस्पर निर्भरता के कारण संकट विश्वव्यापी हो गया। अमेरिका मेंबेरोजगारी लाखों की संख्या में पहुँच गयी। भुखमरी का आलम चारों ओर छा गया।
प्रश्न 3.
इटली में मुसोलिनी के नेतृत्व में फासिस्ट पार्टी का शासन प्रतिष्ठित होने की चर्चा करो।
उत्तर :
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद देश की संकटजनक स्थिति का लाभ उठाकर मुसोलिनी के नेतृत्व में फासिस्ट पार्टी द्वारा 1922 ई. में इटली का शासन दखल कर लिखा गया।
क्षमता दखल : इटली की दुर्दशा : प्रथम विश्वयुद्ध के बाद इटली में गंभीर राजनैतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट, सामाजिक दुर्दशा, मजदूरों की हड़ताल, दंगे तथा लूट-पाट आदि ने देश को बहुत पीछे धकेल दिया था। इसके कारण लुइजी फैक्टओ सरकार से जनता क्षुब्ध थी।
मुसोलिनी का प्रचार : मुसोलिनी ने प्रचार किया कि प्रथम विश्वयुद्ध में इटली मित्रपक्ष के साथ होने पर भी युद्ध के बाद वर्साय संधि में इटली को प्राप्त अधिकार से वंचित रखा गया है। उनके इस प्रचार ने इटली के बेरोजगार युवकों तथा सेना के ऑफिसरों को और क्रोधित कर दिया।
फासिस्ट पार्टी का गठन : मुसोलिनी द्वारा इटली के मिलान शहर में 23 मार्च, 1919 को बेरोजगार युवकों एवं देशप्रेमियों को लेकर एक सम्मेलन में फासिस्ट पार्टी की स्थापना हुई।
पार्टी संगठन : फासिस्ट पार्टी ने शीघ्र ही पूरे देश में असंख्य शाखाएँ खोल ली 11921 ई. में इस पार्टी की सदस्य संख्या प्राय: 3 लाख हो गयी। मुसोलिनी बेकार सैनिक एवं युक्कों को लेकर ‘ब्लैक शर्स्स’ नामक एक अर्द्ध स्वय सेवक दल संगठित किया।
रोम पर चढ़ाई : फासिस्ट पार्टी 1922 ई. में बल प्रयोग करके समाजतंत्रियों की हड़ताल तोड़कर शीघ्र ही लोकप्रिय हो उठा। इसके बाद ब्लैक शर्द्स वाहिनी के 50 हजार सद्यों को लेकर मुसोलिनी इटली की राजधानी रोम की ओर आगे बढ़े।
क्षमता दखल : मुसोलिनी के रोम अभियान के फलस्वरूप इटली की फैक्ओ ने मंत्रिमंडल से पदत्याग किया। राजा विक्टर इमानुएल द्वारा मुसोलिनी को मंत्रिमंडल गठन का आह्नान करने पर उसके नेतृत्व में फासिस्ट पार्टी नें इटली में शासन क्षमता दखल (30 अक्टूबर 1922 ई.) कर लिया।