WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

Detailed explanations in West Bengal Board Class 9 Geography Book Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल offer valuable context and analysis.

WBBSE Class 9 Geography Chapter 8 Question Answer – पश्चिम बंगाल

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
पश्चिम बंगाल के रेल इंजन बनाने का कारखाना कहाँ है?
उत्तर :
चित्तरंजन

प्रश्न 2.
भारत का रूढ़ शिल्पांचल किसे कहते हैं?
उत्तर :
दुर्गापुर को।

प्रश्न 3.
लैटराइट मिट्टी पश्चिम बंगाल में कहाँ पाई जाती है?
उत्तर :
पश्चिम मेदिनीपुर, बाकुड़ा,पुरुलिया, बर्द्धमान तथा बीरभूम में।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 4.
ज्वारीय वन में किस जाति के वृक्ष अधिक पाये जाते हैं?
उत्तर :
मैंग्रोव एवं सुन्दरी।

प्रश्न 5.
1000 m से 2000 m की ऊँचाई पर किस प्रजाति के वृक्ष पाये जाते हैं।
उत्तर :
अलडर, वॉलनट, वर्च इत्यादि जाति के वृक्ष पाए जाते हैं।

प्रश्न 6.
काल वैशाखी से किस ऋतु में वर्षा होती है?
उत्तर :
ग्रीष्म ऋतु. में।

प्रश्न 7.
पश्चिम बंगाल की सभी नदियाँ कहां गिरती है?
उत्तर :
बंगाल की खाड़ी में।

प्रश्न 8.
बंगलादेश और पश्चिम बंगाल में कौन-सा महत्वपूर्ण समझौता है?
उत्तर :
जलबंटन समझौता।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 9.
कर्क रेखा पश्चिम बंगाल के किस भाग से होकर गुजरती है?
उत्तर :
दक्षिण भाग से (नदिया जिला के कृष्णनगर शहर से)

प्रश्न 10.
जूट के एक बीज का नाम बताइये।
उत्तर :
सबुज सोना, श्यामली, बैशाखी, चैताली और बासुदेव।

प्रश्न 11.
चाय की कृषि के लिए एक जिले का नाम बताइये।
उत्तर :
दार्जिलिंग।

प्रश्न 12.
पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा धान उत्पादक जिला कौन-सा है?
उत्तर :
मोदिनीपुर।

प्रश्न 13.
उद्योग की स्थापना के लिये सबसे आवश्यक वस्तु क्या है?
उत्तर :
कच्या माल।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 14.
पश्चिम बंगाल के एक धार्मिक पर्यटन स्थल का नाम बताइए।
उत्तर :
दक्षिणेश्वर काली मन्दिर।

प्रश्न 15.
पश्चिम बंगाल के दो कुटीर उद्योग का नाम बताइये।
उत्तर :
चटाई बनाना और मिट्टी की मूर्तियाँ एवं खिलौना बनाना।

प्रश्न 16.
ताबां का विकास पश्चिम बंगाल में कहाँ हुआ है?
उत्तर :
खड़गपुर, मुर्शिदाबाद में बलरामपुर एवं बांकुड़ा में विष्णुपुर।

प्रश्न 17.
भारत का दूसरा सबसे बड़ा नगर कौन-सा है?
उत्तर :
दिल्ली।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 18.
कोलकाता के सहायक बन्दगाह का क्या नाम है?
उत्तर :
हल्दिया।

प्रश्न 19.
दो पर्वतीय पर्यटक स्थलों का नाम बताइये।
उत्तर :
दार्जिलिंग एवं कलिंगपांग।

प्रश्न 20.
पश्चिम बंगाल के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक पड़ोसी राज्य का नाम लिखिए।
उत्तर :
उड़ीसा।

प्रश्न 21.
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल का जनघनत्व कितना है?
उत्तर :
1029 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 22.
भूटान का विदेशी व्यापार किन बन्दरगाहों से होता है?
उत्तर :
कोलकाता और हल्दिया बन्दरगाहों से।

प्रश्न 23.
पश्चिम बंगाल में कुल कितने जिले हैं?
उत्तर :
वर्त्मान में 20 जिला।

प्रश्न 24.
विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे स्टेशन कौन-सा है?
उत्तर :
घूम रेलवे स्टेशन (2260 मी॰ ऊंचाई पर) है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 25.
पश्चिम बंगाल के पठारी अंचल की सबसे ऊँची चोटी का नाम लिखिए?
उत्तर :
गोरगाबुरू (677 मी०)।

प्रश्न 26.
राढ़ अंचल की मिट्टी का रंग कैसा है?
उत्तर :
लाल

प्रश्न 27.
पश्चिम बंगाल के किस अंचल की भूमि निम्न एवं दलदली होती है?
उत्तर :
सुन्दरवन के डेल्टाई अंचल की भूमि।

प्रश्न 28.
पश्चिम बंगाल की सबसे महत्वपूर्ण नदी कौन-सी है?
उत्तर :
गंगा।

प्रश्न 29.
पश्चिम बंगाल के किस अंचल की नदियाँ वर्षा पोषित हैं?
उत्तर :
उत्तरी भाग की नदियाँ।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 30.
पश्चिम बंगाल में सम्भावित धरातलीय जल की मात्रा कितनी है?
उत्तर :
13.29 मिलियन हेक्टेयर मीटर है।

प्रश्न 31.
पश्चिम बंगाल में कितने अधिक गहराई वाले ट्यूबवेल कार्यरत हैं?
उत्तर :
500 फीट से अधिक गहराई वाले ट्यूबवेल कार्यरत हैं।

प्रश्न 32.
पश्चिम बंगाल के किस अंचल की जलवायु ऊष्ण कटिबंधीय है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल का दक्षिणी भाग।

प्रश्न 33.
ग्रीष्म काल में कोलकाता का औसत तापमान कितना रहता है?
उत्तर :
29°C रहता है।

प्रश्न 34.
मानसूनी हवाओं से किस प्रकार की वर्षा होती है?
उत्तर :
पर्वतीय वर्षा होती है।

प्रश्न 35.
पश्चिम बंगाल के किस अंचल में शीतकाल में तापमान हिमांक के नीचे चला जाता है?
उत्तर :
उत्तरी पर्वतीय अंचल में।

प्रश्न 36.
पश्चिम बंगाल में चावल के किस किस्म की अधिक खेती है?
उत्तर :
अमन की खेती अधिक होती है।

प्रश्न 37.
जूट किस जलवायु का पौधा है?
उत्तर :
ऊष्ण कटिबन्धक पौधा है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 38.
दुर्गापुर इस्पात कारखानें की लौह-अयस्क की प्राप्ति कहाँ से होती है?
उत्तर :
झारखण्ड व उड़ीसा की नोआमुण्डी की खान से।

प्रश्न 39.
पश्चिम बंगाल में जूट उद्योग का केन्द्रीकरण कहाँ हुआ है?
उत्तर :
हुगली नदी के दोनों किनारों पर उत्तर में बाँसबेड़िया से दक्षिण में बिड़लापुर तक।

प्रश्न 40.
पश्चिम बंगाल के अधिकांश चाय बगान कहाँ स्थित है ?
उत्तर :
उत्तर के दार्जिलिग एवं जलपाईगुड़ी जिलों में स्थित हैं।

प्रश्न 41.
पश्चिम बंगाल देश के कितने प्रतिशत आलू का उत्पादन करता है?
उत्तर :
30 % प्रतिशत

प्रश्न 42.
बंगाल प्रान्त का विभाजन कब हुआ था?
उत्तर :
1905 ई०।

प्रश्न 43.
पूर्वी पाकिस्तान कब स्वतंत्र होकर बंगलादेश के रूप में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया?
उत्तर :
16 दिसम्बर, 1971 ई०।

प्रश्न 44.
पश्चिम बंगाल की राजधनी कहाँ है?
उत्तर :
कोलकाता।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 45.
क्षेत्रफल के अनुसार पश्चिम बंगाल का भारत मे कौन सा स्थान है।
उत्तर :
तेरहवाँ।

प्रश्न 46.
पश्चिम बंगाल के पूर्वी भाग में कौन सा देश स्थित है ।
उत्तर :
बंगलादेश ।

प्रश्न 47.
पश्चिम बंगाल के उत्तर पश्चिम में कौन सा पड़ोसी देश स्थित है।
उत्तर :
नेपाल।

प्रश्न 48.
पश्चिम बंगाल की जलवायु कैसी है?
उत्तर :
ऊष्ण एवं आर्द्र मानसूनी जलवायु है।

प्रश्न 49.
पश्चिम बंगाल में कुल कितने जिले हैं?
उत्तर :
23

प्रश्न 50.
कोलकाता का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर :
कोलकाता।

प्रश्न 51.
उत्तर 24 परगना का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर :
बरासात।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 52.
बिहार की राजधानी कहाँ है।
उत्तर :
पटना।

प्रश्न 53.
धरातलीय बनावट के आधार पर पश्चिम बंगाल को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर :
छ: भाग ।

प्रश्न 54.
पश्चिम बंगाल की सबसे ऊँची चोटी का नाम बताओ।
उत्तर :
संण्डाकफ़।

प्रश्न 55.
पश्चिम बंगाल के पठारी भाग की सबसे ऊँची चोटी का नाम बताओ।
उत्तर :
गोरगाबुरू।

प्रश्न 56.
पश्चिम बंगाल की एक ज्वारीय नदी का नाम बताओ।
उत्तर :
मातला, सभ्रनुखी।

प्रश्न 57.
पशिचम बंगाल की एक बर्फपोषित नहीं का नाम बताओ।
उत्तर :
निस्था, तोरसा, जलडाका नदी।

प्रश्न 58.
पशिचम बंगाल में काल बैशाखी कब आती है?
उत्तर :
मार्च-अप्रैल।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 59.
पश्चिम बंगाल में किस मानसूनी हवा द्वारा वर्षा होती है?
उत्तर :
दक्षिण-पश्चिम मानसूनो हवा द्वारा।

प्रश्न 60.
पशिचम बंगाल में ग्रीष्म काल में कहाँ लोग घूमने के लिए जाते है?
उत्तर :
दर्जिलिंग

प्रश्न 61.
पश्चिम बंगाल में किस भाग में पर्वतीय मिट्टी पायी जाती है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के उनरी भाग में।

प्रश्न 62.
पश्चिम बंगाल में दक्षिणी भाग में किस प्रकार के वन पाए जाते है?
उत्तर :
सुन्दरी वन या मैनग्रोव।

प्रश्न 63.
समुद्रतटीय अंचल की प्रमुख नदी का क्या नाम है?
उत्तर :
मातला, सप्तमुखी।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 64.
पश्चिमी पठारी अंचल की सबसे प्रमुख नदी का क्या नाम है?
उत्तर :
दामोदर, अजय।

प्रश्न 65.
पश्चिम बंगाल के पश्चिमी भाग की भू-प्रकृति कैसी है?
उत्तर :
राढ़ प्रदेश।

प्रश्न 66.
पश्चिम बंगाल के किस भाग में रायल बंगाल टाइगर पाया जाता है?
उत्तर :
सुन्दरवन के डेल्टाई भाग में।

प्रश्न 67.
पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग की जलवायु फैली है।
उत्तर :
शीतोष्या।

प्रश्न 68.
ताल किसे कहते है?
उत्तर :
जिस स्थान पर बाढ़ का पानी हमेशा भरा रहता है।

प्रश्न 69.
दियरा किसे कहते है?
उत्तर :
नंदी द्वारा निर्मिंद काष मिट्टी को दियरा कहते है :

प्रश्न 70.
मुन्दरवन अंचल में किस प्रकार के वन पाए जाते है?
उत्तर :
सुन्दरोवन, मेंग्रोव।

प्रश्न 71.
पश्चिम बंगाल के किस भाग में सक्रिय डेल्टा पाया जाता है?
उत्तर :
दक्षिणी भाग मे ।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 72.
पश्चिम बंगाल की सबसे प्रपुख कृषि उपज क्या है?
उत्तर :
धान।

प्रश्न 73.
पशिचम बंगाल की सबसे प्रमुख व्यावसायिक फसल क्या है?
उत्तर :
धाय।

प्रश्न 74.
पश्चिम बंगाल के किस भाग में चाय का उत्पादन होता है?
उत्तर :
दार्जिलिग।

प्रश्न 75.
चाय के उत्पादन में पश्चिम बंगाल का देश में कौन सा स्थान है?
उत्तर :
द्वितीय।

प्रश्न 76.
पश्चिम बंगाल का प्रमुख उद्योग क्या है?
उत्तर :
जूट उद्याग।

प्रश्न 77.
पश्चिम बंगाल में सर्वप्रथम कब लौह इस्पात कारखाने की स्थापना की गयी थी?
उत्तर :
वर्नपुर (liSCO)

प्रश्न 78.
पश्चिम बंगाल के नए बन्दरगाह का क्या नाम है?
उत्तर :
ताजपुर बन्दरगाह।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 79.
हल्दिया में किस उद्योग का विकास हुआ है?
उत्तर :
पेट्रोरसायन उद्योग।

प्रश्न 80.
पश्चिम बंगाल में कहाँ शिल्क उद्योग का विकास हुआ है?
उत्तर :
मुर्शिदाबाद और विरभूम में।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS

प्रश्न 1.
पश्चिम बंगाल के विस्तार का वर्णन करो।
अथवा
पश्चिम बंगाल की स्थिति एवं सीमा लिखिए।
अथवा
पश्चिम बंगाल के पड़ोसी देशों एवं पड़ोसी राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर :
स्थिति – इसका विस्तार पूर्व की ओर 89° 50′ पूर्व देशान्तर से पश्चिम मे 85° 50′ पूर्व देशान्तर तथा उत्तर में 27° 10′ उत्तर अक्षाश से दक्षिण में 21° 38′ उत्तर अक्षांश तक है।
सीमा – उत्तर में हिमालय पर्वत में स्थित सिविकम तथा भूटान, पूर्व में बग्लादेश, मेघालय तथा असम राज्य, पश्चिम में नेपाल देश, बिहार, झारखण्ड एवं उड़ीसा तथा दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है।

प्रश्न 2.
पश्चिम बंगाल के प्रेसिडेन्सी विभाग में कौन-कौन जिले आते हैं?
उत्तर :
हावड़ा, कोलकाता, मुर्शिदाबाद, नदिया, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 3.
पश्चिम बंगाल के समतल मैदानी भाग को कितने भांगों में वाँटा गया है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के समतल मैदानो भाग को निम्न छ: (6) भागों में बाँटा गया है :-

  1. तराई क्षेत्र (Terai Region)
  2. उत्तर की समतल भूमि (Northern Plains)
  3. राढ़ मैदान (Rath Plain)
  4. गगा डेल्टा मैदान (Ganga Delta Plain)
  5. सुन्दरवन का मैदान (Sundarban Plain)
  6. रेतीला नटीय मैदान (Sandy Coastal Plain)

प्रश्न 4.
पश्चिम बंगाल को नदी मातृका प्रदेश क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में नदियों का काफी योगदान रहा है। यहाँ असंख्य नदियाँ बहती हैं। इसी से पश्चिम बगाल को नदी मातृका देश कहा जाता है।

प्रश्न 5.
उत्तर बंगाल की प्रमुख नदियों के नाम लिखें।
उत्तर :
महानन्दा, टांगन, तिस्ता, तोरमा और रायढाका उत्तर की प्रमुख नटियाँ हैं। इनमे प्रथम दो का जल गंगा में तथा शेष का जल बह्मपुत्र में गिरता है। तिस्ता इनमें प्रमुख नदी है।

प्रश्न 6.
पश्चिम बंगाल में किस प्रकार की जलवायु पायी जाती है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल की जलवायु उष्णार्द्र मानसूनी है।

प्रश्न 7.
तराई क्षेत्र की स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर :
दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल का सबसे उत्तरी जिला है। इसका अधिकांश भाग पर्वतोग है। इसका दक्ष्णणी भाग सिलीगुड़ी महकमा एवं जलपाईंगुड़ी तथा कुचबिहार के जिले हिमालय के गिरिपद हैं, इन्हे तराई क्षेत्र के नाम से पुकारते हैं। पश्चिम बंगाल में डुआर्स दुआर (Doors) कहते हैं।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 8.
सक्रिय डेल्टा किसे कहते हैं?
उत्तर :
दक्षिणी तट पर सुन्दरवन क्षेत्र में आज भी डेल्टा बनने की प्रक्रिया निरतर जारी है। फलख़्वरूप नये द्वोपों का निर्माण होता है। इनमें गंगासागर तथा पूर्वाशा प्रमुख हैं। इसे सक्रिय डेल्टा भी कहा जाता है।

प्रश्न 9.
राढ़ प्रदेश की स्थिति को लिखें?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के पहाड़ी अंचल एवं भागीरथी – हुगली तटीय भाग के बीच स्थित मैदानी भाग को राढ़ कहते है। इसके अन्तर्गत बीरभूम, बर्दमान, बांकुड़ा एवं मिदनापुर का भू-भाग सम्मिलित है।

प्रश्न 10.
कृषि से किस प्रकार जल प्रदूषण होता है?
उत्तर :
बढ़ती आबादी की बढ़ती आवश्यकताओं के कारण कृषि में सिंचाई, रासायनिक खादों कीटनाशक एव चृणनाराक दवाओं का प्रयोग आँख मूंदकर हो रहा है। इन दवाओं एवं रासायनिक खाद के प्रयोग सं जल प्रदृश्गा और मृदा प्रदूपण होता है।

प्रश्न 11.
उद्योगों से किस प्रकार जल प्रदूषण होता है?
उत्तर :
उद्योगों के कारण मानव की सम्पन्नता और सुविधा इतनी बढ़ गयी है कि इनकी उपलब्धता पलभर के लिए बाधित होने पर वह तिलमिला उठता है। एक तरफ तो सुविधा की बात हुई, दूसरी तरफ उद्योगों ने जल प्रदूषण के काफी प्रभावित किया। कारखानों से निकलने वाले जल नदियों को प्रदूषित कर दिया और नदियों की प्राकृतिक दृश्यावली गन्दे नालों के रूप परिवर्तित हो गयी है?

प्रश्न 12.
पश्चिम बंगाल में किस मानसून से वर्षा होती है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से वर्षा होती है। ये हवाएँ हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी के ऊपर से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर आती हैं, अतः ये आर्द्र होती हैं। जब ये हवाएँ पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग में स्थित हिमालय से टकराती हैं तो प्रदेश में अधिक वर्षा होती है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 13.
मौसम किस प्रकार मानव जीवन को प्रभावित करता है?
उत्तर :
मौसम के परिवर्तन का मानव-जीवन पर प्रभाव :- कोलकाता में आम आदमी गर्मी से परेशान रहते है पर गर्मी की छुट्टी में यदि आप अपने माता-पिता के साथ दार्जिलिंग जाते हैं तो वहाँ पर पहनने के लिए ऊनी कपड़ों की व्यवस्था करते है। अपने राज्य पश्चिम बंगाल में मछली भात और पोई का साग खाते हैं। जब आप अपने चाचा के यहाँ चण्ड़ीगढ़ में जाते हैं तो पाते हैं कि वे रोटी और सरसों का साग खाना पसन्द करते है। आप भोजन, पोशाक आदि में जो यह परिवर्तन देखते हैं उसे ही मौसम के परिवर्तन का मानव जीवन पर प्रभाव कहते है।

प्रश्न 14.
उत्तर के पर्वतीय भाग की जलवायु का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के इस पर्वतीय भाग की जलवायु मुख्यत: इस प्रदेश की ऊँचाई से प्रभावित है। समुद्र की सतह से लगभग 2400 मी० ऊँचाई पर स्थित इस भू-भाग की जलवायु शीत-प्रधान है। गर्मी के दिनों में भी ठंडक पड़ती है। मईजून के महीने में यहाँ का औसत तापक्रम 15°-16° सेंटीमेट से अधिक नहीं जाता है। जाड़े की ऋतु का औसत तापमान 6° 7° सेन्टीप्रेंट रहता है, औसत वार्षिक वर्षा 300-400 से॰मी॰ है।

प्रश्न 15.
ज्वारीय वनों से क्या समझते हैं?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के डेल्टाई भाग में पाये जाने वाले वन को ज्वारीय वन कहते हैं। जैसे – मैंग्रोव, सुन्दरी वन।

प्रश्न 16.
धान की कृषि के लिए कैसी जलवायु आवश्यक हैं?
उत्तर :
धान एक उष्ण कटिबंध का पौधा है। भारत में धान की कृषि मानसुनी जलवायु के अन्तर्गत किया जाता है। धान का पौधा पानी का प्यासा होता है।

प्रश्न 17.
जल के अधिक प्रयोग से जैव-विविधता की क्षति क्यों होती है?
उत्तर :
जल के अधिक प्रयोग से जैव-विविधता की क्षति होती है क्योंकि जैव-विविधता के अर्न्तगत पाये जाने वाले कुछ जीव तथा पेड़-पौथे जल का अधिक प्रयोग नहीं करते।

प्रश्न 18.
जूट से बनने वाली दो वस्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
थैला, रस्सी, बोरे।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 19.
कुटीर उद्योग से क्या समझते हैं?
उत्तर :
कुटीर उद्योग सामूहिक रूप से उन उद्योगों को कहते हैं जिनमें उत्पाद एवं सेवाओं का सुजन अपने घर में ही किया जाता है न कि किसी कारखाने में। कुटीर उद्योगों में कुशल कारीगरों द्वारा कम पूंजी एवं अधिक कुशलता से अपने हाथों के माध्यम से अपने घरों में वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।

प्रश्न 20.
निर्माण विधि के आधार पर गंगा के डेल्टा को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर :
निर्माण विधि के आधार पर गंगा के डेल्टा को निम्न 4 भागों में बाँटा जा सकता है :-

  1. उत्तर का मृतप्राय डेल्टा (Moribund Delta)
  2. मध्य का परिपक्व डेल्टा (Mature Delta)
  3. सुन्दरवन का सक्रिय डेल्टा (Active Delta)
  4. मिदनापुर का बालू तृतिय मैदान (Sandy Coastal plain)

प्रश्न 21.
ज्वरीय नदी से आप क्या समझते हैं? कुछ ज्वारीय नदियाँ के नाम लिखिए।
उत्तर :
सुन्दरवन अंचल में प्रवाहित होनेवाली नदियों को ज्वारीय नदी कहते हैं क्योंकि समुद्र के ज्वार का जल इन नदियों में भीतर तक प्रवेश कर जाता है।
पश्चिम बंगाल की ज्वारीय नदियाँ :- बरतला, सप्तमुखी, जमीरा, मातला, गोसाबा, हरियाभंगा, विद्याधरी, पियाली एवं रायमंगल आदि ज्वारीय नदियाँ हैं।

प्रश्न 22.
काल बैशाखी क्या है ?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में अभैल एवं मई महीनों में शुष्क एवं आर्द्र हवाओं के मिलने से उत्पन्न विनाशकारी तूफानों को काल बैशाखी कहते हैं।

प्रश्न 23.
पश्चिम बंगाल के डेल्टाई अंचल में पाए जाने वाले वृक्षों के नाम लिखें।
उत्तर :
यहाँ के मुख्य वृक्ष मैंग्रोव, ताड़, सुन्दरी, गोरान, केवड़ा, होगा, गोलपत्ता एवं नारियल हैं। सुन्दरी वृक्षों की अधिकता के कारण ही इस भाग को सुन्दरवन कहते हैं।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 24.
पश्चिम बंगाल के प्रमुख चावल उत्पादक जिलों के नाम लिखें।
उत्तर :
प्रमुख चावल उत्पादक जिलें :- जलपाईगुड़ी, बाँकुड़ा, मिदनापुर, हुगली, उत्तर 24 परगना, दाक्षण 24 परगना, पुरूलिया, उत्तर दिनाजपुर तथा बर्द्धमान आदि हैं।

प्रश्न 25.
पश्चिम बंगाल में जूट की कृषि की क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में जूट की कृषि की निम्न समस्याएँ है :

  1. स्वच्छ जल की कमी
  2. चावल की कृषि की बाध्यता
  3. किसानों को उचित मूल्य न मिलना
  4. प्रति एकड़ उपज की कमी

प्रश्न 26.
पश्चिम बंगाल के पठारी अंचल का गठन किस प्रकार की चट्टानों से हुआ है?
उत्तर :
पश्चिम के पठारी भाग मुख्य रूप से राढ़ प्रदेश क्षेत्र में है। जहाँ पथरीली चट्टान पायी जाती है। यह एक प्राचौन चट्टानी मिट्टी का क्षेत्र है जो लाल मिट्टी के जमा होने से बना हुआ है।

प्रश्न 27.
पश्चिम बंगाल की प्रमुख कृषि उपजों के नाम बताओ।
उत्तर :
धान, जुट, चाय, आलु, गेहूँ, साग-सब्जी, फुल।

प्रश्न 28.
पश्चिम बंगाल के प्रमुख उद्योग कौन-कौन है?
उत्तर :
जुट उद्योग, लौह-इस्पात उद्योग, पेट्रोल-रसायन उद्योग।

प्रश्न 29.
पश्चिम बंगाल के पांच प्रमुख दर्शनीय स्थानों के नाम बताओ।
उत्तर :
दक्षिणेश्वर, कालीघाट, मायापुर, तारापीठ, तारकेश्वर।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 30.
पश्चिम बंगाल में प्रमुख छोटी इकाई के उद्योगों के नाम बताओ।
उत्तर :
विड़ी उद्योग, सूत उद्योग, प्लाईडड उद्योग।

प्रश्न 31.
पश्चिम बंगाल के दो प्रमुख बन्दरगाहों तथा दो प्रमुख शहरों के नाम बताओ।
उत्तर :
प्रमुख बन्दरगाह : कोलकाता, हल्दिया। प्रमुख शहर : आसनसोल, कोलकाता, सिलिगुड़ी।

प्रश्न 31.
बारिन्द्र का मैदान किसे कहते हैं ?
उत्तर :
गंगा तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा लाई गई पुरानी जलोढ़ मिट्टी से बने मैदान को बारिन्द्र का मैदान कहते है। जैसे – पशिचम बंगाल का उत्तरी मैदान।

प्रश्न 32.
पश्चिम बंगाल में पश्चिम से पूर्व की ओर बहने वाली नदियों के नाम लिखें।
उत्तर :
दामोदर, मयूराक्षी, अजय, द्वारकेश्वर, सिलाई एवं कंसावती नदियाँ हैं।

प्रश्न 33.
कौन-सा पर्वत श्रेणी बंगाल एवं नेपाल की सीमा बनाती है?
उत्तर :
सिंगलीला पर्वत श्रेणी पश्चिम बंगाल एवं नेपाल की सीमा बनाती है।

प्रश्न 34.
पश्चिम बंगाल की सबसे ऊँची चोटी किस पर्वत श्रेणी पर स्थित है?
उत्तर :
सिंगलीला श्रेणी की संदाकफू चोटी पश्चिम बंगाल की सबसे ऊँची चोटी है।

प्रश्न 35.
पश्चिम बंगाल में हिमालय की किस श्रेणी का विस्तार है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के उत्तरी पर्वतीय अंचल में मध्य एवं लघु हिमालय की पूर्वी श्रेणियों का विस्तार है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 36.
पश्चिम बंगाल के पठारी अंचल का गठन किन चट्टानों से हुआ है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के पठारी अंचल का गठन अर्कियन युग की आग्नेय चट्टानों तथा कार्बोनिफेरस युग की क्वार्टजाइट चट्टानों से हुआ है।

प्रश्न 37.
पश्चिम बंगाल के राढ़ अंचल का निर्माण किस प्रकार हुआ है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के राढ़ अंचल का निर्माण छोटानागपुर के पठार से निकलने वाली नदियों के द्वारा बहांकर लायी गयी लाल मिट्टी के निक्षेपण से हुआ है।

प्रश्न 38.
राढ़ अंचल को पश्चिम बंगाल का खलिहान क्यों कहते हैं?
उत्तर :
राढ़ अंचल कृषि की दृष्टि से उन्नत है इसीलिए इसे पश्चिम बंगाल का खलिहान कहते हैं।

प्रश्न 39.
बिल किसे कहते हैं?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के सुन्दरवन के डेल्टाई अंचल में स्थित जलमग्न निम्न भूमि को बिल कहते हैं।

प्रश्न 40.
पद्मा की शाखा नदियों के नाम लिखें।
उत्तर :
इच्छामती, भैरव, आदिगंगा, विद्याधरी एवं कालिन्दी।

प्रश्न 41.
हुगली नदी की मुख्य शाखा नदियों के नाम लिखें।
उत्तर :
हुगली नदी को मुख्य शाखा नदियाँ बरतला, सप्तमुखी, जमीरा, मातला, गोसाना, हरियाभंगा, विद्याधरी, पियाली एवं रायमंगल है।

प्रश्न 42.
पश्चिम बंगाल के हिमपोषित नदियों के नाम लिखो।
उत्तर :
महानन्दा, तिस्ता, जलढाका, तोरसा, रायडक, संकोश, अन्नाई, बड़ी रंगित, छोटी रंगित आदि नदियाँ हिमपोषित नदियाँ हैं जो उत्तर से दक्षिण की ओर बहती हुई पद्मा या ब्रह्मपुत्र नदी सें मिल जाती है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 43.
छोटानागपुर के पठार से निकलने वाली नदियों को वृष्टि जल पोषित नदियाँ क्यों कहते हैं?
उत्तर :
इस भाग की नदियाँ वर्षा जल के सहारे बहती हैं, अत: इन्हें वृष्टि जल पोषित नदिया कहते हैं। वर्षा काल में ये नदियाँ भयकर हो उठती है और उनमें विनाशकारी बाढ़ें आ जाया करती है।

प्रश्न 44.
दामोदर नदी का उदगम और मुहाना का परिचय दीजिए।
उत्तर :
यह नदी झारखण्ड राज्य के पलामू जिले में स्थित खमरपट की चोटी से निकलकर बराकर के समीप पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है तथा फालता के पास हुगली नदी में मिल जाती है।

प्रश्न 45.
सुन्दरवन अंचल की नदियों को ज्वारीय नदी क्यों कहते हैं?
उत्तर :
सुन्दरवन अंचल में प्रवाहित होनेवाली नदियो को ज्वारीय नदी कहते है क्योंकि समुद्र के ज्वार का जल इन नदियों में भीतर तक प्रवेश कर जाता है।

प्रश्न 46.
दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी हवाओं को गर्मी का मानसून (Summer Monsoon) क्यों कहते हैं?
उत्तर :
भारत के अन्य भागों की तरह ही पश्चिम बंगाल में भी गर्मी में दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी हवाएँ समुद्र से समतल की और चलती हैं। अतः इन्हें गर्मी का मानसून (Summer Monsoon) भी कहते हैं।

प्रश्न 47.
पश्चिमी मानसून या गर्मी का मानसून को आर्द्र मानसून क्यों कहते हैं?
उत्तर :
पश्चिमी मानसून हवाएँ हिन्द महासागर एवं बंगाल की खाड़ी के ऊपर से हजारों किलोमीटर की समुद्री यात्रा तय करके आती है, अतः ये वाष्प या आर्द्रता से परिपूर्ण होती है। इसी से इन्हें आर्द्र मानसून (Wett Monsoon) भी कहते हैं।

प्रश्न 48.
उत्तरी-पूर्वी मानसून हवाओं को पश्चिम बंगाल में शुष्क मानसून क्यों कहते हैं?
उत्तर :
समतल भाग से आने के कारण ये हवाएँ शुष्क होती है और इनसे पश्चिम बंगाल में वर्षा नहीं होती है। इसीसे इन्हें शुष्क मानसूनी (Dry Monsoon) भी कहते है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 49.
पश्चिम बंगाल के मनोरम जलवायु वाले पर्यटन स्थल का नाम लिखें।
उत्तर :
मनोरम जलवायु वाले पर्यटन केन्द्र दार्जिलिंग, कलिंगपोंग, कर्सियांग, मिरिक, सुकिया पोखरी- घूम बक्सा आदि हैं।

प्रश्न 50.
कर्क रेखा पश्चिम बंगाल के जलवायु पर क्या प्रभाव डालता है?
उत्तर :
कर्क रेखा पश्चिम बंगाल के मध्य से होकर गुजरने के कारण इसका उत्तरी भाग समशीतोष्ण कटिबंध तथा दक्षिणी भाग उत्ग कटिबंध में स्थित है।

प्रश्न 51.
पश्चिम बंगाल में वर्षा किस मानसून से होती है।
उत्तर :
पश्चिम बगाल में वर्षा बंगाल की खाड़ी से आने वाली दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी हवाओं से होती है।

प्रश्न 52.
पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक और सबसे कम वर्षा किस अंचल में होती है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक वर्षा उत्तर में पर्वतीय अंचल में तथा सबसे कम वर्षा पश्चिम के पठारी भाग में होती है।

प्रश्न 53.
पश्चिम बंगाल में मानसून प्रत्यावर्तन किस महीने में होता है? उस समय यहाँ कौन-सा ऋतु रहता है?
उत्तर :
अक्टूबर एवं मध्य नवम्बर का समय पश्चिम बंगाल में मानसून प्रत्यावर्तन का समय है। इस समय यहाँ शरद ऋतु रहती है।

प्रश्न 55.
पश्चिम बंगाल में अधिकांश चाय के बगान किस जिले में है ?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के अधिकाश चाय बगान उत्तर के दो जिलों दार्जिलिंग एवं जलपाईगुड़ी में स्थित है।

प्रश्न 56.
वर्तमान समय में पश्चिम बंगाल में सार्वजनिक क्षेत्र में कितने इस्पात के कारखानें हैं?
उत्तर :
वर्तमान समय में पश्चिम बगाल में सार्वज़निक क्षेत्र के दो विशाल इस्पात के कारखाने स्थित है :-
(i) SAIL (Steel Authority of India Limited)
(ii) DSP (Durgapur Steel Plant)

प्रश्न 57.
भारत में पहला जूट उद्योग कब और कहाँ स्थापित हुआ था?
उत्तर :
भारत में पहला जूट उद्योग सन् 1855 ई० में हुगली नदी के किनारे रिसड़ा में स्थापित हुआ था।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 58.
पश्चिम बंगाल में जूट की अधिकांश मिलें कहां स्थित हैं?
उत्तर :
यहां की समस्त जूट की मिले कोलकाता के समीप हुगली नदी के दोनों किनारों पर उत्तर में बॉसबेड़िया से दक्षिण में बिड़लापुर तक प्राय: 96 किलोमीटर तथा 4 किलोमीटर चौड़ी पट्टी में स्थित है।

प्रश्न 59.
पश्चिम बंगाल के प्रमुख जूट उद्योग के फेन्द्रों कहाँ है?
उत्तर :
यहाँ के जूट उद्योग के प्रमुख केन्द्र बाली, आगरपाड़ा, टीटागढ़, रिसड़ा, श्रीरामपुर, श्यामनगर, नैहट्टी, कांकीनाड़ा, उलूबेड़िया, बजबज, कोन्नगर, हावड़ा एवं सलकिया आदि है।

प्रश्न 60.
पश्चिम बंगाल में तेल की मिले किन जिलों में स्थित हैं?
उत्तर :
बीरभूम, बर्द्धमान, हावड़ा, जलपाईगुड़ी, हुगली, उत्तर एवं दक्षिण चौबीस परगना जिलों में स्थित है।

प्रश्न 61.
काँच की वस्तुओं का निर्माण पश्चिम बंगाल में किन स्थानों पर होता है?
उत्तर :
बेलघरिया, बेलूड़, कोलकाता, रानीगंज एवं आसनसोल में होता है।

प्रश्न 62.
पश्चिम बंगाल में रासायनिक पदार्थों के कारखाने कहाँ स्थापित हैं?
उत्तर :
कोलकाता, उत्तर एवं दक्षिण चौबीस परगना, हावड़ा तथा हुगली जिलो मे स्थित हैं।

प्रश्न 63.
दार्जिलिंग को पहाड़ी स्थानों की रानी क्यों कहते हैं?
उत्तर :
टाइगर हिल से एवरेस्ट एवं कंचनजंगा की हिमाच्छादित चोटियों का मनोरम दृश्य तथा कचनजंगा पर उगते सूर्य को अलौकिक छटा दिखाई पड़ती है। प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण होने के कारण इसे पहाड़ी स्थानो की रानी कहते हैं।

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS

प्रश्न 1.
गर्मी के मौसम में लोग दार्जिलिंग क्यों जाते हैं?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के इस पर्वतीय भाग की जलवायु मुख्यत: इस प्रदेश की ऊँचाई से प्रभावित है। समुद्र की सतह से लगभग 2440 मी० ऊँचाई पर स्थित इस भू-भाग की जलवायु शीत-प्रधान है।
गर्मी के दिनों में भी यहाँ ठंडक पड़ती है। मई-जून के महीने में यहाँ का औसत तापक्रम 15°-16° सेंन्टीग्रेड से अधिक नहीं जाता है। उस समय पश्चिम बंगाल के मैदानी भाग में औसत तापकम 30°-35° सेंटीग्रेड रहता है। तभी तो ग्रीष्म ऋतु की झुलसती धूप एवं गर्मी से राहत पाने एवं मनोरम जलवायु का आनन्द लेने के लिए कोलकाता लोग दार्जिलिंग घूमने के लिए जाने हैं।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 2.
जाड़े में दार्जिलिंग के स्कूलें बन्द क्यों हो जाते हैं?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के इस पर्वतीय भाग को जलवायु मुख्यत: इस प्रदेश की ऊँचाई से प्रभावित है। समुद्र की सतह से लगभग 2440 मी॰ ऊँचाई पर स्थित इस भू-भाग की जलवायु शीत-प्रधान है। गर्मी के दिनों में भी यहाँ उंडक पड़ती है। मई-जून के महोने में यहाँ का औसत तापक्रम 15°-16° सेन्टीग्मेड से अधिक नहीं जाता है। जाड़े की 1 का औसत तापमान 6° 7° सेण्टीग्रेड रहता है। जलवायु की इस कठोरता के कारण ही दार्जिलिंग के स्कूल दिसम्बर-जनवरी के जाडे में बन्द रहते हैं।

प्रश्न 3.
पश्चिम बंगाल के पश्चिमी पठारी भाग की जलवायु विषम क्यों है?
उत्तर :
यहाँ की जलवायु विषम इसलिए है कि पश्चिम बंगाल का यह भाग समुद्र से दूर है। इसका धरातल भी कड़ी चट्टानों से बना हुआ है। इसलिए यहाँ की जलवायु ना तो उत्तरी भाग की तरह ठण्डी है और ना ही दक्षिणी भाग की तरह सम है। यहाँ जाड़े में अधिक जाड़ा और गर्मी में अधिक गर्मी पड़ती है। इस क्षेत्र में गर्मी का औसत तापक्रम 30° C-40° C एवं जाड़े का 17° C रहता है।
वर्षा इस भाग में दक्षिण-पश्चिम मानसून हवाओ से होती है। ये हवाएं गंगा के मैदान से होती हुई यहाँ पूरब से आती हैं। यहाँ तक आते-आतें अपनी नमी बहुत खो चुकी रहती हैं, इसलिए यहाँ वर्षा सबसे कम होती है। वर्षा का औसत 100 से०मी० से 125 से०मी० के बीच है।

प्रश्न 4.
पश्चिम बंगाल के पठारी भाग की नदियों में वर्ष भर जल क्यों नहीं रहता है?
उत्तर :
छोटानागपुर के पहाड़ी क्षेत्र से निकलकर मयूराक्षी, अजय, दामोदर, रूपनारायण, हल्दी, द्वारकेश्वर एवं सुवर्ण रेखा नदियाँ अपनी सहायक नदियों सहित प्रवाहित होती है। इस पठारी भाग का ढाल पश्चिम से पूर्व है, अतः पठारी भाग की नदियाँ पश्चिम से पूर्व को बहती है। सुवर्ण रेखा को छोड़कर सभी नदियाँ हुगली में मिल जाती हैं। नदियों का उद्गम स्थल हिमाच्छादित नहीं है और न तो यहाँ वर्षा ही अधिक होती है। इसलिए इन नदियों में वर्ष भर जल नहीं रहता है।

प्रश्न 5.
सुन्दरवन की नदियों के मुहाने चौड़ा क्यों हैं?
उत्तर :
इस क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ विद्याधरी, पियाली, राय मंगला, कालिन्दी, मातला, इच्छामती, सप्तमुखी, गोसाबा, हरियाभंगा आदि हैं। इनमें मातला सबसे प्रमुख नदी है। भूमि का ढाल दक्षिण को है। ये नदियाँ ज्वार आने पर जल से भर जाती हैं एवं भाटा आने पर सूख जाती हैं। ये ज्वारीय नदियाँ हैं। ये नदियाँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। निरन्तर अवसादों के जमाव से इन नदियों का उत्तरी भाग उथला है जबकि ज्वार के कारण दक्षिणी भाग चौड़ा एवं गहरा है। हुगली का मुँहाना 20 कि०मी० और मातला नदी का मुहाना 15 कि०मी० चौड़ा है।.

प्रश्न 6.
पश्चिम बंगाल को जल की समस्या का सामना क्यों करना पड़ता है?
उत्तर :
बंगाल की 8 नदियाँ हिमालय से निकलती हैं और बड़ी मात्रा में जलराशि लाती हैं। अधिकतर नदियों का जल का स्रोत मानसूनी वर्षा है जो मात्र तीन महीने होती है। जल का संरक्षण या भंडारण एक समस्या है क्योंकि अधिकतर नदियों के स्रोत पश्चिम बंगाल से बाहर सिक्किम या भूटान में है। पारिस्थितिकी और आर्थिक दृष्टिकोण से भी हिमालय के पर्वतीय भाग में जल का भंडार सम्भव नहीं है, अत: इन नदियों का पानी बिना किसी प्रतिरोध के बंगलादेश में चला जाता है। वर्षाजल-संग्मण द्वारा जल का संरक्षण किया जा सकता है, पर सरकार द्वारा ऐसी कोई योजना नहीं अपनायो गयी है। इसलिए पश्चिम बंगाल को जल समस्या का सामना करना पड़ता है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 7.
पश्चिम बंगाल के उत्तर पर्वतीय भाग एवं पश्चिम के पठारी भाग की तुलना कीजिए।
उत्तर :

पर्वतीय भाग पठारी भाग
i. उत्तर का पर्वतीय भाग समुद्रतल से सामान्य ऊँचाई 3048 मी० पर है। i. पश्रिम का पठारी भाग समुद्रतल से सामान्य ऊँचाई 600 मी० पर है।
ii. यहाँ से बर्फ पोषित नदियाँ निकलती हैं। ii. यहाँ से वर्षा पोषित नदियाँ निकलती हैं।
iii. पर्वत की ऊँचाई पश्चिम से पूर्व की ओर घटने लगती है। iii. पठारी भाग की ऊँचाई पूर्व से पश्चिम की ओर है।
iv. पर्वतीय भाग में मूल्यवान वनस्पतियाँ पायी जाती हैं। iv. पठारी भाग प्राय: वनस्पतिविहीन है।
v. पर्वतीय भाग खनिजविहीन क्षेत्र हैं। v. यहाँ पर विभिन्न प्रकार के खनिज पाये जाते हैं।
vi. इसका महत्व चाय की कृषि के लिए है। vi. इसका महत्व कृषि के लिए नहीं है।

प्रश्न 8.
पश्चिम बंगाल के पठारी भाग एवं मैदानी भाग की तुलना कीजिए।
उत्तर :

पठारी भाग मैदानी भाग
i. इसकी सामान्य ऊँचाई समुद्र सतह से 600 मी० है। i. इस भू-भाग का धरातल समुद्र की सतह से 60 से 150 मी० ऊँचाई है।
ii. इसका सामान्य ढाल पश्चिम से पूरब की ओर है। ii. यह क्षेत्र उत्तर से दक्षिण क्रमशः ढालुआ है।
iii. इस भाग का धरातल ऊँचा-नीचा, ऊबड़-खाबड़ है। iii. नदियों की घटियों को छोड़कर शेष भाग समतल हैं।
iv. पठारी भाग की नदियाँ पश्चिम से पूर्व को बहती हैं। iv. इस भाग की नदियाँ दक्षिण-पूर्व को बहती है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 9.
दक्षिण-पश्चिमी मानसून एवं उत्तरी-पूर्वी मानसून की तुलना कीजिए।
उत्तर :

दक्षिणी-पश्चिमी मानसून उत्तरी-पूर्वी मानसून
i. दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाएँ गर्मी की दिनों में प्रवाहित होती हैं। i. उत्तरी-पूर्वी मानसूनी हवाएं जाड़े की दिनों में प्रवाहित होती हैं।
ii. ये मानसुनी हवाएं समुद्र से समतल की ओर चलती हैं। ii. ये मानसूनी हवाएं समतल से समुद्र की ओर चलती हैं।
iii. ये आर्द्र होती हैं। iii. ये शुष्क होते हैं
iv. ये हवाएं गर्मी तो कम कर देती है, पर वायु आर्द्रता के कारण उमस बढ़ा देती है। iv. ये हवाएँ जाड़े में शीत का प्रकोप बढ़ा देती है।

प्रश्न 10.
पशि चम बंगाल में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से वर्षा होती है। कारण स्पष्ट करो।
उत्तर :
देश के अन्य भागों की तरह गर्मी की मानसूनी हवाएं समुद्र से समतल की ओर चलती है। इन्हें दक्षिण-पश्चिमी मानसून या गर्मी का मानसून कहते हैं। पश्चिम बंगाल में जो मानसूनी हवाएं चलती हैं वे बंगाल की खाड़ी से निकलती हैं। यह हवा पश्चिम बंगाल में 15 जून को आती है और सितम्बर के अन्त तक रहती है। ये हवाएं हिन्द महासागर और बंगाल की खा ड़ी के ऊपर से हजारों किलोमीटर की यात्रा करके आती हैं, अत: ये आर्द्र होती हैं, इसीलिए इन्हें आर्द्र मानसून भी कहा ज जाता है।

जब ये हवाएं पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग में स्थित हिमालय से टकराती हैं तो प्रदेश में खूब वर्षा करती हैं। उत्तर. से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम जाने पर वर्षा की मात्रा घट जाती है। इन हवाओं से पर्वतीय भाग एवं तराई भाग में सर रधिक 300 से॰ मी॰ तथा दक्षिणी भाग में स्थित कोलकाता में 165 से॰मी॰ वर्षा होती है तथा पश्चिम के पठारी भाग में 100 से॰मी॰ वर्षा होती है।

प्रश्न 11.
पश्चिम बंगाल के पर्वतीय और तटीय क्षेत्रों के जलवायु का तुलनात्मक वर्णन करें।
उत्तर :

पर्वतीय जलवायु (Mountain Climate) तटीय जलवायु (Coastal Climate)
i. यहाँ औसत तापमान कम रहता है। i. इस भाग का औसत तापमान सामान्य रहता है।
ii. पर्वतीय भाग में जाड़े में हिमपात होता है। ii. तटीय प्रदेश में कभी भी हिमपात नहीं होता है।
iii. पर्वतीय भाग में ग्रीष्म काल में मौसम काफी सुहावना रहता है। iii. तटीय प्रदेश ग्रीष्म काल में काफी गर्मी पड़ती है।
iv. पर्वतीय भाग में जाड़े में अत्यधिक शीत तथा ग्रीष्म काल में सामान्य गर्मी पड़ती है, अतः यहाँ की जलवायु विषम है। iv. समुद्र तटीय प्रदेशों में न अधिक गर्मी और न अधिक ठंडी पड़ती है, अतः यहाँ की जलवायु सम है।
v. सबसे अधिक (500 cm) पर्वतीय भाग में वर्षा होती है v. तटीय प्रदेशों में सामान्य वर्षा (200 cm) होती है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 12.
पश्चिम बंगाल के डेल्टा क्षेत्र में खारी मिट्टी क्यों पाई जाती है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के डेल्टा प्रदेश की नदियों में ज्वार के समय समुद्र का जल भर जाता है। समुद्र का जल नदियों के तटों के चारों ओर फैल जाता है। इसलिए डेल्टा प्रदेश की मिट्टी सदा गीली रहती है, और मिट्टी में खारेपन का अंश अधिक रहता है।

प्रश्न 13.
पश्चिम बंगाल के तीनों क्षेत्रों से प्रवाहित होनेवाली नदियों के नाम लिखें?
उत्तर :
उत्तर के पर्वतीय भाग की नदियाँ :- गंगा, भागीरथी, महानन्दा, बालसन, मेची, तिस्ता, तोरसा, जलढाका, रायढाका। पश्चिमी पठारी भाग की नदियाँ :- दामोदर, मयूराक्षी, ब्रह्याणी, अजय, द्वारकेश्वर, सिलाई, रूपनारायण, कंसाई एवं सुवर्ण रेखा।
दक्षिणी भाग की नदियाँ :- मातला, बरतला, सप्तमुखी, गोसाबा एवं हुगली।

प्रश्न 14.
पश्चिम बंगाल की बर्फ पोषित, वर्षा पोषित एवं ज्वार पोषित नदियों के नाम लिखें।
उत्तर :

  1. बर्फ पोषित नदियाँ :- गंगा, भागीरथी, महानन्दा, बालसन, मेची, तिस्ता, तोरसा, जलढाका, रायगढ़ आदि हैं।
  2. वर्षा पोषित नदियाँ :- दामोदर, मयूराक्षी, ब्रह्माणी, अजय, द्वारकेश्वर, सिलाई, रूपनारायण, कसाई, सुकर्ण रेखा आदि हैं।
  3. ज्वार पोषित नदियाँ :- मातला, बरतला, सप्तमुखी, गोसाबा एवं हुगली आदि हैं।

प्रश्न 15.
पश्चिम बंगाल के पूर्व की ओर बहनेवाली नदियों का नाम लिखें एवंवं उनका वर्णन करें।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल की पूर्ववाहिनी नदियाँ :- इस अंचल की प्रमुख नदियाँ हैं – दामोदर, द्वारकेशवर, सिलाई, कसावती, मयूराक्षी, अजय। ये सभी नदियाँ ढाल के अनुसार पश्चिम से पूरब की ओर बहती हैं। मयूराक्षी और अजय भागीरथी में जा मिलती हैं। द्वारकेश्वर और शिलाइ नदियाँ मिलकर रूपनारायण नदी कहलाती हैं। राढ़ मैदान का निर्माण इन्हीं नदियों के जलोढ़ से हुआ है। दामोदर इस क्षेत्र की प्रमुख नदी है।

प्रश्न 16.
पश्चिम बंगाल के तराई क्षेत्र की भौतिक विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर :
तराई प्रदेश की भू-प्रकृति (Topography of Terai Region) :- पश्चिम बंगाल के पर्वतीय भाग के दक्षिण में तराई प्रदेश एक पतली पट्टी के रूप में पश्चिम से पूर्व की ओर है। इसके अन्तर्गत दार्जिलिंग एवं जलपाइगुड़ी जिलों के दक्षिणी भाग तथा कूचबिहार का उत्तरी भाग सम्मिलित है। यह हिमालय का पर्वतपदीय क्षेत्र है। इस प्रदेश का ढाल उत्तर से दक्षिण की ओर इै। इस प्रदेश का ढाल अत्यन्त मंद है। अत: हिमालय से निकलने वाली नदियों का प्रवाह मन्द है और ये नदियाँ अपने साथ बहाकर लाये कंकड़ों, पत्थरों का जमाव यहाँ की है। इस प्रकार इस भू- भाग का निर्माण व ५कड़ों, पत्थर और बालू के कणों के जमाव से हुआ था। धरातल सामान्यतः ऊँचा – नीचा है। भूटान के प्रवेश मार्गों में पांच मा गर तराई क्षेत्र में पड़ते हैं अत: यह भू-भाग दुआर (Duar) कहा जाता है। इस प्रदेश को समुद्र तल से ऊँचाई 50 m से 150, n तक है।

प्रश्न 17.
पश्चिम-बंगाल के जलवायु की विशेषता का वर्णन करें।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के जलवायु की विशेषताएँ :-

  1. पश्चिम बंगाल की जलवायु ऊष्णार्द्र है।
  2. पश्चिम बंगाल में ग्रीष्म, वर्षा, शरद, एवं शीत ऋतुएँ क्रमागत आती है।
  3. मीष्म काल लम्बा एवं शीतकाल छोटा होता है।
  4. वर्षा दक्षिणी-पश्चिम मानसूनी हवाओ द्वारा ग्रीष्म काल में होती है।
  5. शीत ॠतु शुष्क होती है। इस समय उत्तरी-पूर्वी मानसूनी हवाएं चलती हैं।
  6. पूरब से पश्चिम की ओर तापमान बढ़ता जाता है जबकि दक्षिण से उत्तर की ओर तापमान घटता जाता है।
  7. समुद्र तटीय भाग में सम जलवायु तथा समुद्र से सुदूर पश्चिम पठारी भाग में विषम जलवायु पायी जाती है।
  8. पश्चिम बगाल में अपैल – मई महीनों में काल वेशाखी (Narwester) चलता है जिससे वर्षा होती है तथा मैदानी भागों में गर्मी से थोड़ा राहत मिलती है।
  9. पश्चिम बगाल के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र की जलवायु शीतल एवं नम है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 18.
पश्चिम बंगाल के पर्यटन केन्द्रों के नाम लिखें।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के पर्यटन केन्द्र (Tourist Sites) :- घुमक्कड़ी जिज्ञासा पश्चिम बंगाल पर ही चरितार्थ होती है। पर्यटन केन्द्र पश्चिम बंगाल के आकर्षक रहे हैं। संक्षेप में यहाँ के प्रमुख पर्यटन केन्द्र निम्न है :-

सुन्दरवन, सेटपाल चर्च, विक्टोरिया मेमोरियल, द्वितीय हुगली सेतु, दक्षिणेश्वर काली मंदिर, बी० बी० डी० बाग, बोटानिकल गार्डन, विष्युपर, शान्ति निकेतन, नेशनल लाइब्रेरी, चिड़ियाघर, साईन्स सिटी, नेशनल म्यूजियम, अदीना मंदिर, हजार दुआरी महल, बिड़ला मंदिर, निकोपार्क एवं हावड़ा ब्रिज आदि।

प्रश्न 19.
कोलकाता बंदरगाह के पोताश्रय का वर्णन करो।
उत्तर :
कलकत्ता एक कृत्रिम बन्दरगाह है, यहाँ डायमण्ड एवं खिदिरपुर में पोताश्रय बनाये गये हैं। यह एक नदी बन्दरगाह है, केवल ऊँच ज्वार के समय ही जलयान बन्दरगाह तक आते हैं। यहाँ दमदम में तेल का गोदाम बनाया गया है। इसके भार को कम करने के लिए हल्दिया को इसका सहायक बन्दरगाह के रूप में विकसित किया गया है। सुरक्षित पोताश्रय के कारण इस बन्दरगाह पर विशाल जलयान तुफानों से सुरक्षित खड़े रहते हैं। यहाँ अनेक डॉक्स तथा गोदाम भी बनाये गये हैं। हल्दिया में तेलशोधन कारखाना भो लगाया गया है।

प्रश्न 20.
पश्चिम बंगाल के हैण्डलूम एवं सिल्क टैक्सटाइल का वर्णन करें।
उत्तर :
स्थानीय मांग, सस्ते श्रमिक, रानीगंज एवं झरिया से कोयला, उन्नत यातायात व्यवस्था, कोलकाता बंदरगाह जिससे टेक्सटाइल मशीनें, रंग एवं रासायनिक पदार्थ लाया जाता है।
उपर्रुक्त सुविधाओं के कारण सूत्री वख्ख उद्योग श्रोरामपुर, गार्डेनरिच, रिसड़ा, कोन्नगर, फुलेश्वर, उलूबड़िया, सोदपुर, बेलघरिया, हावड़ा और लिलुआ आदि स्थानों पर विकसित हुआ है। ये सभी क्षेत्र हुगली नदी के तट पर स्थित हैं। 200304 में पश्चिम बंगाल में कुल उत्पादित यार्न 514.34 लाख किलोग्राम, मिल में बने कपड़े 721.43 लाख वर्ग मीटर और हैण्डलूम कपड़ा का उत्पादन 4,634 लाख वर्ग मीटर था।

प्रश्न 21.
पश्चिम बंगाल के सात आश्चर्य क्या हैं?
उत्तर :
पश्चिम बगाल के सात आश्चर्य निम्न हैं :-

  1. सुन्दरवन
  2. विक्टोरिया मेमोरियल
  3. दार्जिलिग (टवायट्रेन) एवं दार्शनिक दृष्य,
  4. विष्गुपुर टेरा-कोटा मंदिर
  5. बोटानिकल गार्डन
  6. हावड़ा बिज और
  7. बी० बी० डी० बाग।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 22.
पश्चिम बंगाल के चाय उद्योग के व्यापार का वर्णन करें।
उत्तर :
व्यापार (Trade) : चाय को कोलकाता चाय बाजार में निलाम (Auctioned) किया जाता है। यही से व्यापारी इसे खरीद कर पूरे देश मे व्यापार करते हैं। यहां पर निलामी बाजार पर भारतीय चाय बोर्ड (India Tea Board) का नियत्रण है। यहा से चाय कोलकाता बंदरगाह द्वारा बिटेन, अमेरिका, रूस, जर्मनो, यूकेन और पश्चिमी देशों को निर्यात की जाती है। भारत सरकार सन् 2005 में चाय के निर्यात से कुल 1133 करोड़ रुपये की कमाई की।

प्रश्न 23.
पश्चिम बंगाल में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास के कारक क्या हैं ?
उत्तर :
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास के लिए आवश्यक कारक :-

  1. कच्चा खाद्य पदार्थ
  2. शक्तिसाधन
  3. स्वच्छ जल
  4. कुशल श्रमिक तथा इंजीनियरिंग
  5. यातायात के साधन
  6. पैकिंग तथा पैकेजिंग के उत्तम साथन
  7. उत्तम खुले मैदान
  8. नयी तकनीक तथा मशीन
  9. पूंजी, बाजार, घनी जनसंख्या, सामाजिक-सांस्कृतिक साथन।

प्रश्न 24.
पश्चिम बंगाल के सूती वस्त्र उद्योग की क्या समस्याएं हैं?
उत्तर :
समस्याएं (Problems ) :- पश्चिम बंगाल के सूती मिलों की निम्न समस्याएं हैं :-

  1. कच्चे माल की कमीयहां पर कपास उत्यादन लगभग बन्द हो गया है
  2. सिन्थेटिक कपड़ों से प्रतियोगिता
  3. प्रतिस्पधां-अन्तर्राष्ट्रीय बाजार जहाँ पर यहां के तैयार सूती कपड़ों की मांग नहीं है।
  4. कच्चे कपास की अत्यधिक वढ़ी कीमत एवं
  5. बिजली की कमी, श्रमिक आन्दोलन, पुरानी मशीनें आदि यहां पर सूती वस्रोद्योग से रूगण कर दिया है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 25.
पश्चिम बंगाल के जूट उद्योग की समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के जूट उद्योग की समस्याएं :-

  1. कच्चे माल की कमी : सन् 1947 में देश विभाजन के परिणामस्वरूप अधिकांश जूट मिले भारत में रह गई परन्तु 70 प्रतिशत जूट उत्यादक क्षेत्र पाकिस्तान (बंगला देश) में चले गये। अतः कच्चे माल की कमी हो गई
  2. विदेशी प्रतिस्पर्धा : जूट उद्योग की वर्तमान समस्या में मलेशिया, फिलीपींस, बाजील, मिख्त आदि देशों के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा है। यह देश बोरों के लिए कृत्रिम रेशे का उत्पादन कर रहे हैं।
  3. पुरानी मशीनें : हमारी समस्या पुरानी मशीनें हैं जिनका उत्पादन क्षमता कम है। अतः उत्पादन खर्च बढ़ जाता है।
  4. कारखानों का बन्द होना : पुरानी मशीनों और श्रमिक समस्या के कारण जूट उद्योग के लाभजनक न रहने के कारण अधिक मात्रा में जूट मिलें बन्द हैं अथवा बंद होने के कगार पर हैं।

प्रश्न 26.
पश्चिम बंगाल के जूट उद्योग के विकास के लिए किये गये प्रयासों का वर्णन करें।
उत्तर :
जूट उद्योग की समस्याओं का समाधान

  1. पुरानो मशीनों को बदल कर नयी मशीने लगायी गयी हैं।
  2. मूल्य निर्धारण के लिए भारतीय जूट निगम की स्थापना
  3. भारतीय जूट उत्पादनों के विभिन्न साधनों द्वारा प्रचार।
  4. दामोदरघाटी में कच्चे माल जूट के उत्पादन द्वारा कच्चे माल की कमी दूर
  5. जूट उद्योग को संरक्षण।

प्रश्न 27.
धान के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं का वर्णन करें।
उत्तर :
धान के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ (Geographical Conditions) वर्षा (Rain fall) :- धान के उत्पादन के लिए अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है। वर्षा 150 cm-200 cm तक आश्यक है। इसकी रोपाई और विकास के समय भारी वर्षा चाहिए।
तापमन (Temperature) :- इसके उत्पादन के लिए तापमान 16° C-27° C के बीच आवश्यक है। औसत तापमान 22° C होना चाहिए।
मिट्टी (Soil) :- धान मुख्यत: जलोढ़ मिट्टी में उगाया जाता है। नदी घाटी की जलोढ़ मिट्टी और डेल्टाई प्रदेश धान उत्पादन के लिए उत्तम है।
भू-प्रकृति (Nature of Land) :- उपजाऊ समतल भूमि धान के उत्पादन के लिए आदर्श है। इससे जमीन पर पानी जमा रहता है और धान की फसल अच्छी होती है।
श्रमिक (Supply of Labours) :- धान की कृषि के लिए प्रचूर मात्रा में सस्ते श्रमिको की आवश्यकता पड़ती है। पूँजी की आवश्यकता (Supply of Capitals) :- धान एक रोपण कृषि है। वर्तमान समय में यह मुद्रा आधारित फसल हो गयी है।

प्रश्न 28.
पश्चिम बंगाल की जलवायु पर दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी हवाओं के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर :
दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी जलवायु का प्रभाव (Impact of South West Monsoon) : इन मानसूनी हवाओं द्वारा ग्रीष्म ऋतु में वर्षा होती है। दार्जिलिंग हिमालय की जलवायु अत्यन्त आरामदायक हो जाती है। यहां औसत तापमान 14° C-17° C तक रहता है। पर्वतीय भाग में वर्षा 300-400 से॰मी॰ तक होती है, जिससे कभी-कभी पहाड़ के घिसकने से मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं।

मैदानी भाग में 200-250 सेमी॰ तक वर्षा होती है। अत: इस समय बोरो धान की फसल वृहद पैमाने पर ऊगाई जाती है। पर्वतीय ढलानों में चाय का उत्पादन भी किया जाता है। यह समय जूट की कृषि के लिए पर्याप्त होती है अतः जूट की कृषि भी दक्षिणी पश्चिमी मानसूनी हवाओं के सक्रिय होने पर ही किया जाता है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 29.
पश्चिम बंगाल के भौगोलिक स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर :
स्थिति : पश्चिम बंगाल भारतवर्ष के पूर्वी भाग तथा एक अन्य स्वतंत्र राष्ट्र बंगलादेश के पश्चिमी सीमान्त पर स्थित है। इसका विस्तार पूर्व की ओर 89° C-50° C पूर्व देशान्तर से पश्चिम 85°-50° पूर्व देशान्तर तथा उत्तर में 27° 10 उत्तर अक्षांश से दक्षिण में 21°-38° उत्तर अक्षांश तक है। पश्चिम बंगाल के नदिया जिला के सदर शहर कृष्णनगर के ऊपर से पूर्व से पश्चिम की ओर कर्क रेखा गुजरती है।

प्रश्न 30.
पश्चिम बंगाल के प्रशासनिक विभाग का वर्णन करें।
उत्तर :
पश्चिम-बंगाल का प्रशासनिक विभाग (Administrative Division of West Bengal : पश्चिम बंगाल को बेहतर प्रशासन देने के लिए राज्य सरकार ने 19 जिलों को इसके कुल तीन प्रशासनिक विभागों में बांटा है – जलपाईगुड़ी प्रशासनिक विभाग, बर्द्धमान प्रशासनिक विभाग, प्रेसिडेन्सी प्रशासनिक विभाग।
प्रत्येक प्रशासनिक विभाग का एक विभागीय कमिश्नर (Divisional Commissions) अन्दर आने वाले जिले निम्न है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल 1

प्रश्न 31.
पश्चिम बंगाल के जल-संसाधन के उपयोग और अति उपयोग का वर्णन करें।
उत्तर :
दुनिया से स्वच्छ जल का तीव्र गति से खात्मा या कमी हो रहा है। आने वाले 25 वर्षों में विश्व का 2 / 3 जनसंख्या स्वच्छ पानी की कमी से जूझेगी।
पश्चिमी बंगाल में पूरे भारत वर्ष की 8 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती हैं पपश्चिम बंगाल में पूरे भारत का 7.5 प्रतिशत जल संसाधन है। अतः जनसंख्या में अनियमित वृद्धि के कारण यहाँ जल की समस्या बढ़ रही है। इसके लिए बढ़ती संचाई की मांग भी जिम्मेदार है। बंगाल डेल्टा जिसे अतिरिक्त जल का क्षेत्र माना जाता था वह पानी की कमी से प्रभावित होता है। इस प्रकार वर्षा की कमी एवं अधिकता से पश्चिम बंगाल सूखे और बाढ़ जैसे स्थिति से प्रभावित है। कोलकाता बंदरगाह सिल्ट के जमाव की समस्या से प्रभावित है। पश्चिम बंगाल की कई नदियां पिछले दो शताब्दियों से अपने मार्ग को बदल ली एवं उनमें से कई नदियां बिलुप्त भी हो गयी हैं।

प्रश्न 32.
पश्चिम बंगाल में जल के अत्यधिक उपयोग का वर्णन करो।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में जल संसाधन के अपवत्य (अत्यधिक) उपयोग की विशेषता :-
पश्चिम बंगाल में उपलब्ध जल संसाधन असमान है। पश्चिम बंगाल में नहरों (Canals) का जाल विछा हुआ है। नहरों द्वारा पानी कृषि गत भूमि तक पहुँचाता है। पश्चिम बंगाल में सिंचाई प्रणाली सबसे ज्यादा जल का उपायेग करती हैं। यहां पर जल के उपयोग को निम्न तालिका द्वारा समझा जा सकता है।
पश्चिम बंगाल में जल की उपयोगिता :-

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल 3

प्रश्न 33.
पश्चिम बंगाल के तराई क्षेत्र की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर :
दार्जिलिंग के दक्षिण में हिमालय पर्वत ढालुआ होकर समतल भाग से मिल गया है। पर्वतीय भाग के नीचे की भूमि को तराई क्षेत्र कहा जाता है। यह पश्चिम से पूरब एक पतली पट्टी के रूप में विस्तृत है। इसके अन्तर्गत दार्लिलिंग और जलपाईगुड़ी के दक्षिणी भाग तथा कूचबिहार जिले का ऊपरी भाग आता है। यह हिमालय का पर्वत-पठारीय क्षेत्र (Foot hill) क्षेत्र है। यह क्षेत्र उत्तर से दक्षिण को ढालुआ है। भूमि का ढाल मन्द होने के कारण हिमालय से निकलने वाली नदियों का वेग इस क्षेत्र में मन्द पड़ जाता है।

अतः अपने द्वारा लाये गये कंकड़-पत्थर का ढेर वे यहाँ लगा देती है। अत: इस क्षेत्र का निर्माण हिमालय से निकलने वाली नदियों जैसे महानन्दा, तिस्ता, जलढाका, तोरसा, रायडक आदि ने किया है। सामान्य भूमि उबर-खाबड़ है। इस भाग को पार कर पहाड़ी नदियाँ मैदानी भाग में प्रवेश करती है। भूटान में प्रवेश के 5 मार्ग इसी क्षेत्र में है। इसी भाग को दुआर (Doors) भी कहा जाता है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 34.
सुन्दरवन के नदियों की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर :
दार्जिलिंग के दक्षिण में हिमालय पर्वत ढालुआ होकर समतल भाग से मिल गया है। पर्वतीय भाग के नीचे की भूमि को तराई क्षेत्र कहते हैं।

  1. सुन्दरवन की नदियाँ सक्रिय है, अत: वर्ष भर इनमें प्रवाह रहता है।
  2. ये पर्याप्त मात्रा में अवसाद जमा कर डेल्टा निर्माण करती हैं।
  3. इन नदियों का मुहाना चौड़ा है।
  4. ये नदियाँ ज्वारीय हैं। ज्वार के समय नदी का जल विपरीत धारा में बहने लगता है अत: इन नदियों में ज्वारीय भित्ति बनते हैं।
  5. इन नदियों का ऊपरी भाग उथला है, तथा दक्षिणी या निचला भाग ज्वार के पानी के बहाव के कारण गहरा है।
  6. इन नदियों का पानी समुद्री प्रभाव से खारा होता है

प्रश्न 35.
पश्चिम बंगाल के पर्वतीय क्षेत्र में अधिक वर्षा क्यों होती है?
उत्तर :
पश्चिम के पहाड़ी भागों में वर्षा समान नहीं है। कर्सियांग में वर्ष का औसत 400 से 425 सेमी० तथा कलिपोंग में 225 सेमी है, इस प्रकार से पर्वतीय, अंचल में अधिक वर्षा होती है। यहाँ वर्षा दक्षिणी – पश्चिमी मानसून से होती है। मानसूनी हवाए बंगाल की खाड़ी से आती है। अत: वाष्प पूर्ण होती है। ये पर्वतों से टकराकर अधिक वर्षा करती हैं।

प्रश्न 36.
पर्वतीय क्षेत्र की नदियाँ उत्तर से दक्षिण को बहती है क्यों ?
उत्तर :
पर्वतीय भाग का ढाल उत्तर से दक्षिण है। पानी अपने स्वभावानुसार ऊँचे स्थान से नीचे को बहती है। बंगाल का सबसे ऊँचा भाग हिमालय पर्वत है और भूमि का ढाल उत्तर से दक्षिण की ओर है। यही कारण है कि ढाल का अनुशरण करते हुए नदियाँ उत्तर से दक्षिण को बहती है।

प्रश्न 37.
पश्चिम बंगाल के पश्चिमी पठारी भाग में कम वर्षा होती हैं क्यों?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के पठारी भाग में वर्षा दक्षिण-पश्चिम के मानसूनी वायु से होती है। ये हवाएं गंगा के मैदान को पार कर पूरब की ओर से आती हैं। अत: यहाँ आते-आते इनमें भी नमी हो जाती है, इसलिए इस अंचल में वर्षा कम होती है। वर्षा का औसत इस क्षेत्र में 100 से 125 सेमी॰ है। यहाँ कोई ऊँचा पर्वत नहीं है जो भाप भरी हवाओ को रोककर वर्षा करा सके।

प्रश्न 38.
पश्चिम बंगाल के डेल्टा भाग में अधिक वर्षा होती है क्यों ?
उत्तर :
डेल्टा अंचल में वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से होती है, अतः वर्षा दक्षिण में अधिक है तथा उत्तर में क्रमशः कम होती है। वार्षिक वर्षा 160 सेमी० है। जबकि उत्तर भाग में स्थित मुर्शिदाबाद में 118 सेमी॰ है। यही नहीं, औसत वर्षा कोलकाता में 71 दिन होती है, जबकि मुर्शिदाबाद में वर्षा 48 दिन होती है। समुद्र के समीपीय के कारण यह क्षेत्र प्राय: समुद्री तुफानों की तेज हवा और वृष्टि से प्रभावित रहता है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 39.
सुन्दरवन में जल का बहाव ठीक नहीं है, क्यों?
उत्तर :
गंगा मुलायम मिट्टी की अपार शीशा लाकर यहाँ जमा करती है। जमा करने की इस क्रिया में पेंदा उथला हो जाता है जिससे जल एक सोत में आसानी से नहीं बह पाती है, अत: नदी कई शाखाओं में विभक्त होकर समुद्र में गिरती है। मिट्टी के इस जमाव एवं नदियों के विभाजन से दक्षिणी भाग में कई छोटे-छोटे द्वीपों की रचना हो गयी है। सागर सबसे प्रमुख द्वीप है। इसकी मिट्टी में खारापन रहता है।

प्रश्न 40.
पर्यटक गर्मी में दार्जिलिंग आते हैं, क्यों?
उत्तर :
दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल के हिमालय पर्वत पर बसा एक शहर है। यह 2600 मी० की ऊँचाई पर स्थित है। अत: गर्मी में यहां तापक्रम 15° C से अधिक नहीं हो पाता। गर्मी में मौसम सुहाना रहता है। जलवायु भी स्वास्थप्रद है। दार्जिलिंग के टाईगर हिल से सूर्योदय का मनोरम दृश्य दिखायी देता है। अतः गर्मी में मैदानो भाग की भोषण गर्मी और उमस से बचने के लिए लोग दार्जिलिंग जाते हैं। यहाँ पर पर्यप्त उद्योग का विकास किया गया है। यह पश्चिम बंगाल की गर्मी की राजधानी है।

प्रश्न 41.
पश्चिम बंगाल की प्रमुख नदियों का नाम लिखो एवं दामोदर नदी के अपवाह क्षेत्र का वर्णन करों।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल की प्रमुख नदियाँ :- भागीरथी, हुगली, तिस्ता, महानन्दा, जलढाका, दामोदर, मयूराक्षी, अजय, रूपानारायण, सुवर्णरा, कंसावती, मातला, बरतला, सप्तमुखी एवं गोपसाबा है।
दामोदर नदी का प्रवाह क्षेत्र :- पश्चिम बंगाल यह एक प्रमुख नदी है। यह नदी झारखण्ड के पलामू जिले के रूपसट से निकलती है और बराकर के पस पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है। इस नदी का प्रवाह अत्यन्त तेज है। वर्षा काल में ये यह उफान पर आ जाती है। दामोदर नदी उफान से प्रषाहत होने के कारण आस-पास के क्षेत्रों में बाढ़ लाती है इससे काफी धन जन की क्षति होती थो। इसीलिए इसे पशिचम बंगाल का शोक कहा जाता है। परन्तु दामोदर नदी परियोजना द्वारा इस नदी पर बांध बनाया गया। यह नदी 289 km का प्रवाह क्षेत्र तय करके पश्चिम बगाल में प्रवेश करती हैं। यह फलता के पास हुगली नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी बराकर है।

प्रश्न 42.
पश्चिम बंगाल का नम मानसून और शुष्क मानसून में क्या अन्तर में।
उत्तर :

नम मानसून शुष्क मानसून
1. यह मानसून ग्रीष्म काल में समुद्र से चलता है। 1. यह मानसून शीतकाल में स्थल से चलता है।
2. यह हवा सामान्यत दक्षिण से उत्तर की ओर चलती है। 2. यह हवा उत्तर से दक्षिण को चलती है।
3. इस हवा से वर्षा होती है। 3. इस हवा से वर्षा नहीं होती है।

प्रश्न 43.
दार्जिलिंग में कोलकाता से अधिक वर्षा होती है, क्यों?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में वर्षा प्रीष्म काल में खाड़ी के दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से होती है। ये हवाएं सीधे उत्तर की ओर जाती है और हिमालय के पर्वतीय भाग से टकराकर ऊपर अधिक उठती है जिससे दार्जिलिंग में अधिक वर्षा होती है। कोलकाता के समीप पर्वत नहीं है। अत: मानसूनी हवाओं से कोलकाता में वर्षा कम होती है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 44.
पर्वतीय क्षेत्र की जलवायु और तटीय क्षेत्र की जलवायु में अन्तर बताइए।
उत्तर :

पहाड़ी भाग की जलवायु तटीय भाग की जलवायु
1. यहाँ पर ऊँचाई के कारण तापमान कम रहता है। 1. यहाँ समुद्र की समीपता के कारण तापक्रम समान्य रहता है।
2. यहाँ जाड़े में हिमपात होता है। 2. समुद्र के प्रभाव से ठंडक पड़ती है।
3. यहाँ की जलवायु विषम जलवायु है। 3. यहां की जलवायु सम है।
4. पर्वतों से मानसूनी हवायें टकराकर अधिक वर्षा करती है। 4. पर्वतों के अभाव में अपेक्षाकृत कम की वर्षा होती है।

प्रश्न 45.
डेल्टा और एस्चुअरी में क्या अन्तर है ?
उत्तर :

डेल्टा एस्चुअरी
1. समुद्र में मिलते समय जब नदी कई उपनदियों में बँट जाती है और निक्षेपण क्षेत्र त्रिभुज के आकार का बन जाता है, तो उसे डेल्टा कहते हैं। 1. समुद्र में मिलते समय जब नदी एक धारा के रूप में बहती है और वित्तोरकाएँ नहीं बनाती तो उसे एस्चुअरी कहते हैं।
2. डेल्टा निम्न ज्वार वाले क्षेत्र तथा मैदानी (समुद्रतटीय) क्षेत्रों में बनते हैं। 2. एस्चुअरी उच्च ज्वार वाले क्षेत्रों और घाटी वाले क्षेत्रों में बनती है।
3. डेल्टा वाले क्षेत्र कृत्रिम जलपत्तन वाले होते हैं, परन्तु कृषि के लिए उपयुक्त होते हैं। 3. एस्चुअरी वाले क्षेत्र प्राकृतिक जलपत्तन के लिए उपर्युक्त क्षेत्र होते हैं।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 46.
पश्चिम बंगाल की जलवायु पर हिमालय पर्वत के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल की जलवायु पर हिमालय पर्वत का प्रभाव :-

  1. आर्द्र ग्रीष्म ऋतु :- हिमालय पर्वत पश्चिम बंगाल के उत्तरी सीमा पर स्थित है। अतः हिन्द महासागर से आनेवाली दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी हवाओं को रोककर पूरे पश्चिम बंगाल में वर्षा कराती है।
  2. शुष्क शीत ऋतु :- हिमालय पर्वत की प्रभाव की एक अनोखी विशेषता यह है कि पूरा पश्चिम बंगाल शीत ॠतु में शुष्क रहता है क्योंकि जाड़े में पर्वतीय भाग उच्य वायु भार का क्षेत्र होता है। अतः हवाए उत्तर से दक्षण चलती है और पर्वतीय भाग में वर्षा नहीं होती है।
  3. अत्यधिक शीत से सुरक्षा :- उत्तरी साइबेरिया से आने वाली हवाएं अत्यधिक शीतल हाती है। हिमालय पर्वत उन शीतल हवाओं को रोककर पश्चिम बंगाल को अत्यधिक शीत से सुरक्षा करता है।
  4. वर्षा का प्रभाव :- मानसूनी हवाओं से पर्वतीय भाग में 300 cm-400 cm, मैदानी भाग में 200 cm एवं पश्चिम पठारी भाग में 150 cm तक वर्षा होती है। इस प्रकार वर्षा उत्तर से दक्षिण की ओर और पूर्व से पश्चिम की ओर कम होती जाती है।

प्रश्न 47.
तराई अंचल के पूर्वी भाग को दुआर क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
इस भाग का निर्माण हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियों द्वारा लाए गए कंकड़ – पत्थर एवं बालू के कणों से हुआ है। सामान्यत: भूमि असमतल एवं उबड़-खाबड़ है। इसी प्रदेश को पार करके लगभग बारह नदिया दक्षिण के मैदानी भाग में प्रवेश करती हैं। भूटान के प्रवेश मारों में से पाँच मार्ग इसी भाग में स्थित हैं। इसी से इस भाग को दुआर कहते हैं।

प्रश्न 48.
पश्चिम बंगाल के पठारी अंचल की प्रमुख नदियों के नाम लिखिए।
उत्तर :
पठार का ढाल पश्चिम से पूर्व की और है। अत: इस भाग में बहने वाली मयूराक्षी, अजय, दामोदर, द्वारकेश्वर एवं कंसाई (कंसावती) नदियाँ पश्चिम से पूरब की ओर बहती हैं। इनमें दामोदर सबसे बड़ी नदी है। वर्षा काल में इनमें भयकर बाढ़ आती है परन्तु गर्मी में ये सूख जाती हैं।

प्रश्न 49.
पठारी अंचल की नदियों को वर्षा पोषित नदी क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के पश्चिमी पठारी भाग से निकलकर दामोदर, मयूराक्षी, अजय, रूपनारायण, हल्दी. स्वर्ण रेखा और द्वारकेश्वर आदि नदियाँ पश्चिम से पूर्व की और बहती हुई राढ़ प्रदेश को पार करके हुगली नदी से मिल जाती है। पाश्चिम भाग में ये नदियाँ अत्यन्त मंद गति से बहती हैं, परन्तु राढ़ प्रदेश के कारण ये धीमी गति से बहती है। इस भाग की नदियाँ वर्षा जल के सहारे बहती हैं। अत: इन्हे वर्षा जल पोषित नटियाँ कहने हैं। वर्षाकाल मे ये नदियाँ भयकर हो उठती है और उनमें विनाशकारी बाढ़े आ जाया करती हैं। गर्मी में ये सूख जाती है।

प्रश्न 50.
उत्तरी बंगाल की नदियाँ सदावाहिनी क्यों हैं?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल की उत्तरी भाग की नदियाँ हिमालय के हिमाच्छादित शिखरों में निकल कर उत्तर से दक्षिण की ओर बहती हुई गंगा अथवा ब्रहमुत्र नदी से मिल जाती हैं। इन्हें वर्ष भर हिमालय पर्वत के वर्फ का पिघला हुआ जल मिलता रहता है। अत: ये नदियाँ सदावाहिनी हैं। इस प्रकार ये हिमपोषित नदिया हैं। इन नदियों में महानन्दा, तिस्ता, जलढ़ाका, तोरसा, रायडक, बड़ी रेगित, छोटी रंगित आदि मुख्य हैं। ये नदियाँ तीव्रवाहिनी हैं तथा गहरी घाटियाँ बनाती हैं।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 51.
पश्चिम बंगाल में जल संसाधन की उपलब्यता का विवरण दीजिए?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में जल संसाधन की उपलब्धता :- पश्चिम बगाल के सिंचाई एवं जल-यातायात विभाग ने सन् 1987 ई० में यहाँ उपलब्ब जल ससाधन का मूल्यांकन किया। इस विभाग की विशेषज समिति ने 26 नदी घाटी का व्यापक खोज के बाद यह बतलाया कि राज्य में संभावित धरातलीय जल 13.29 मिलियन हेक्टेयर मीटर है जिसके केवल 40 प्रतिशत भाग का ही उपयोग किया जाता है। दूसरी तरफ उपलब्ध भौम जल 1.46 मिलियन हेक्टेयर मीटर है जो सम्पूर्ण रूप से उपयोग के योग्य है। केन्द्रीय भौम जल परिषद ने यहाँ उपलब्व भौम जल का अनुमान 1.76 मिलियन हेक्टेयर मीटर लगाया है जबकि भारत सरकार के सिंचाई आयोग का अनुमान है कि पश्चिम बंगाल में 2.38 मिलियन हेक्टेयर मीटर भौम जल की मात्रा है।

प्रश्न 52.
पश्चिम बंगाल के जलवायु की विशेषता लिखिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के जलवायु की विशेषता

  1. पश्चिम बंगाल में उष्ण एवं आर्द्र मानसून जलवायु पायी जाती है।
  2. इस राज्य में मीष्म काल, वर्षा काल एवं शीतकाल – ये तीनों कतुएँ स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है।
  3. इस राज्य में म्रीष्म ऋतु लम्बी होती है। जबकि शीत काल अपेक्षाकृत कम अवधि का होता है।
  4. अधिकांश वर्षा ग्रीष्मकाल में मानसून हवाओं से होती है। शीतकाल प्राय:शुष्क रहता है
  5. पश्चिम बंगाल में दक्षिण से उत्तर जाने पर तापक्रम तो घटता जाता है परन्तु वर्षा की मात्रा बढ़ती जाती है।
  6. पूर्व से पश्चिम जाने पर तापक्रम तो बढ़ता जाता है, परन्तु वर्षा की मात्रा कमश: घटती जाती है।
  7. ग्रीष्मकाल में चक्रवातोय वर्षा होने पर भीषण गर्मी में कमी आ जाती है।
  8. समुद्र की समीपता के कारण दक्षिण के तटीय भाग की जलवायु सम है। यहाँ गर्मी में साधारण गर्मी तथा जाड़े में साधारण जाड़ा पड़ता है।

प्रश्न 53.
दक्षिण-पक्षिम मानसूनी हवाओं को आर्द्र मानसून क्यों कहते हैं?
उत्तर :
भारत के अन्य भागों की तरह ही पश्चिम बंगाल में भी गर्मी में दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाएँ समुद्र से स्थल की ओर चलती है। इन्हें गर्मी का मानसून भी कहते हैं। पशिचम बंगाल में गर्मी का मानसून का बंगल की खाड़ी की शाखा से पत्राहित होती है। यह हवा यहाँ 15 जून के लगभग प्रवेश करती है और सितम्बर माह तक रहती है। ये हवाएँ हिन्द महासागर एवं बंगाल की खाड़ी के ऊपर से हजारों किलोमीटर की समुद्री यात्रा तय करके आती है अत: ये वाष्प या आर्द्रता में परिपूर्ण होती है। इसी से इन्हें आर्द्र मानसून भी कहते हैं।

प्रश्न 54.
पश्चिम बंगाल में शीतकाल शुष्क क्यों रहती है?
उत्तर :
भारत के अधिकांश भागों की तरह पश्चिम बंगाल में भी जाड़े में उत्तरी-पूर्वी मानसूनी हवाएँ समतल से समुद्र की ओर चलती है। इन्हें उत्तरी पूर्वी मानसून कहते हैं। समतल भाग से आने के कारण ये हवाए शुष्क होती हैं और इनसे पश्चिम वंगाल में वर्षा नहीं होती है। इसी से इन्हें शुष्क मानसून भी कहते हैं। ये हवाएँ हिमालय के ठण्डे भाग से आती है। अतः इनसे गश्चिम बंगाल का तापक्रम काफी कम हो जाता है।

प्रश्न 55.
तराई अंचल में उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन क्यों पाये जाते हैं?
उत्तर :
तराई प्रदेश में अधिक वर्षा होती है तथा कम ऊँचाई होने से अपेक्षाकृत उच्च तापकम रहता है, जिससे वहॉॉ ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन पाये जाते हैं। इन वनों की पत्तियाँ चौड़ी होती है। इस भाग के प्रधान वृक्ष साल, सागौन एवं बाँस है। 2000 से 30000 मीटर की ऊँचाई वाले भागों में देवदार के वृक्ष पाये जाते हैं।

प्रश्न 56.
दुर्गापुर में इस्पात संयंत्र की स्थापना के क्या कारण हैं?
उत्तर :
यह बिटेन के सहयोग से पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान जिले में दुर्गापुर नामक स्थान पर बनाया गया है। यह स्थान दामोदर नदी के किनारे ग्रैण्ड ट्रक रोड पर कोलकाता से 176 किलोमीटर दूर स्थित है। इस कारखाने को झारखण्ड व उड़ीसा की नोआमुण्डी की खान से लौह-अयस्क मिल जाता है। रानीगंज से राऊरकेला इस्पात के कारखाने के लिए कोयला ले जाने वाले रेलवे के बैगन लौटते समय यहाँ के लिए खनिज लोहा ले आता है। रानीगंज तथा झरिया की खानों से कोयला प्राप्त होता है। इसका अपना कोयला होने का कारखाना है। हाथीबाड़ी तथा वीरमित्रपुर से चूना पत्थर, बीरोमित्रपुर (संबलपुर) से डोलोमाइट, उड़ीसा की बनाई क्षेत्र से मैंगनीज मिल जातां है। दामोदर नदी के दुर्गापुर बैरेज से आवश्यक जल प्राप्त होता है। यहाँ रेलवे के पहिये, धरियाँ, रेल की पटरियाँ ब्लैड आदि तैयार होते हैं। यहाँ प्रति वर्ष 7.76 लाख मीट्रिक टन इस्पात पिण्ड एवं 6.41 लाख मीट्रिक टन विक्रय योग्य इस्पात का उत्पादन किया जाता है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 57.
पश्चिम बंगाल में सूती वस्त्र उद्योग को किन समस्याओं का समान करना पड़ रहा है?
उत्तर :
समस्याएँ :- पश्चिम बंगाल में सूती वरु उद्योग को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है :-
(i) कच्चे माल की कमी :- पूर्वी भारत में कपास का उत्पादन नहीं होने से पश्चिम बंगाल की सूती मिलों को स्थानीय रूप से कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ता है। आयतित कच्चे माल पर निर्भरता यहाँ की वस्त मिलों की प्रमुख समस्या है।
(ii) पुरानी मशीनें :- यहाँ स्थापित अधिकांश वस्र मिलों की मशीनें पुरानी एवं घिसी हुई हैं, जिनकी प्रति इकाई उत्पादन लागत अधिक तथा उत्पादन क्षमता कम है। अत: प्रतियोगिता बाजार में इन्हे कड़ीप्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।

प्रश्न 58.
पश्चिम बंगाल की अर्थ व्यवस्था में चाय उद्योग की क्या भूमिका है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल की अर्थ व्यवस्था में चाय उद्योग की भूमिका :- पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था में चाय उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो निम्नलिखित हैं :-

  1. लाखों लोगों को रोजगार की प्राप्ति :- चाय के उत्पादन, रूपान्तरण तथ्था वितरण के क्षेत्र में चाय उद्योग में लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त है। उत्तर बंगाल के चाय बागानों में औसतन दैनिक मजदूरी 260 रुपये हैं।
  2. विदेशी मुद्रा की प्राप्ति :- चाय पश्चिम बंगाल का प्रमुख निर्यातक पदार्थ है जिससे विदेशी मुत्रा की प्राप्ति होती है।
  3. कोलकाता बन्दरगाह भारत का सबसे बड़ा चाय निर्यातक बन्दरगाह है। अत: चाय निर्यात से सम्बन्चित अनेक आर्थिक गतिविधियाँ, जैसे :- चाय का भंडारण एवं विपणन आदि विकसित है।
  4. बाजार की प्राप्ति :- कोलकाता भारत का सबसे बड़ा चाय बाजार है, अतः चाय सम्बन्धित व्यापारिक क्रियाकलापों का विकास हुआ है।
  5. अन्य उद्योगों का विकास :- चाय उद्योग के कारण इससे सम्बन्धित अन्य उद्योगों जैसे चाय पैकेजिंग के लकड़ी एवं गत्ते में बक्सों का निर्माण, चाय परिवहन ट्रैकिंग कम्पनियों आदि का विकास हुआ है।

प्रश्न 59.
पश्चिम बंगाल में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की समस्याएँ :-

  1. यहाँ प्रसंस्कारित खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता का स्तर ऊँचा नहीं है, अतः गुणवत्ता के सुधार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
  2. मध्यस्थों एवं दलालों की उपस्थिति के कारण कच्चे माल की कीमत एवं पूर्ति दोनो प्रभावित होती है, जिसका असर उत्पादन पर पड़ता है।
  3. अधिकांश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कच्चे माल कृषि उपजों से प्राप्त होते हैं। कृषि उपजों के मौसमी होने के कारण वर्ष भर इनके उपलब्धता की निरन्तरता नहीं है।
  4. बाढ़, सूखा तथा फसलों में रोग लगने आदि कारणों से कृषि उत्पादन प्रभावित होते रहते हैं जिससे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  5. इस उद्योग के क्षेत्र में अनुसंधान एव प्रशिक्षण का अभाव है।

प्रश्न 60.
सूचना प्रॉद्योगिकी के क्षेत्र में पश्चिम बंगाल के क्या लक्ष्य हैं?
उत्तर :
बंगाल का लक्ष्य :-

  1. IT, ITES तथा ESDM (Electronic System Design and Manufacturing) के क्षेत्र में सन् 2020 तक तीन अग्मणी राज्यों में अपना स्थान रखना।
  2. सन् 2020 तक भारत में कुल इलेक्ट्रानिक वस्तुओं के 15 प्रतिशत का उत्पादन करना।
  3. IT एवं TIES कम्पनियों द्वारा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करना जिससे इनकी सेवाओं का लाभ ग्रामीण लोगों को भी समान रूप से मिल सके।
  4. ESDM क्षेत्र में अतिदल एवं कुशल लोगों की संख्या का विस्तार करना। विभिन्न शिक्षण संस्थाओं द्वारा इस क्षेत्र में सन् 2020 तक प्रतिवर्ष 400 Ph.D शिक्षा प्राप्त छात्रों को उपलब्ध कराने के लक्ष्य हैं।
  5. ग्रामीण लोगों के लिए विशेष प्रशिक्षण योजनाएँ चलाना जिससे IT एवं TIES के क्षेत्र में उनको रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें।

प्रश्न 61.
पश्चिम बंगाल के लघु एवं कूटीर उद्योगों का वर्णन कीजिए ?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के लधु एवं कुटीर उद्योग :- स्थानीय रूप से कच्चे माल की उपलब्धता, घनी जनसंख्या माँग तथा सरकार की प्रोत्साहन ‘नीतियों’ के कारण पश्चिम बंगाल में विभिन्न प्रकार के लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास हुआ है। लाख निर्माण, मिट्टी के वर्त्तन एवं खिलौना का निर्माण, मूर्त्तियों का निर्माण, ताँबे एवं पीतल के बर्त्तनों का निर्माण, लकड़ियों पर खुदाई का काम, काँच की वस्तुओं का निर्माण, हथकरघा उद्योग, तेल पेरने की मिलें धान साफ करने की मिलों, लकड़ी चीरने का काम आदि पश्चिम बंगाल में विकसित लघु एवं कुटीर उद्योग हैं। यहाँ इन उद्योगों के प्रमुख केन्द्र निम्नलिखित हैं :-

  1. तेल की मिलें :- बीरभूम, बर्द्धमान, उत्तर एवं दक्षिण चौबीस परगना जिलों में स्थित हैं।
  2. धान साफ करने की मिलें :- बर्द्धमान, बीरभूम, बाकुँड़ा, उत्तर एवं दक्षिण चौबीस परगना में पायी जाती है।
  3. काँच की वस्तुओं का निर्माण :- बेलघरिया, बेलूड़, कोलकाता, रानीगंज एवं आसनसोल में होता है।
  4. रसायनिक पदार्थ के कारखाने :- कोलकाता, उत्तर एवं दक्षिण चौबीस परगना, हावड़ा तथा हुगली में स्थित हैं।
  5. हथकरधा उद्योग के प्रमुख केन्द्र :- शान्तिपुर, शन्तिनिकेतन तथा धनियाखाली हैं।
  6. रेशमी कपड़ों, साड़ियों एवं चादरों का निर्माण :- मालदह मुर्शिदाबाद एवं बीरभूम जिलों में होता है।
  7. लाख उद्योग का विकास :- मालदह तथा बलरामपुर में हुआ है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

विवरणात्मक प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS

प्रश्न 1.
पश्चिम बंगाल के पड़ोसी राज्यों का संक्षिप्त विवरण दिजिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के पड़ोसी राज्य :-
बिहार (Bihar) :- बिहार राज्य पश्चिम बंगाल के पश्चिम में स्थित है। प्रैण्ड ट्रंक रोड जैसी राष्ट्रीय सड़कों एवं पूर्व दक्षिण पूर्व रेल मार्गो द्वारा बिहार एवं पश्चिम बंगाल आपस में जुड़े हुए हैं। बिहार की राजधानी पटना वायुमार्ग द्वारा पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से जुड़ी हुई है। बिहार के बहुत से लोग पश्चिम बंगाल में रहकर जीविकोपार्जन करते हैं।

झारखण्ड (Jharkhand) :- (या बनांचल) राज्य का गठन 15 नवम्बर सन् 2000 को भारत के 28 वें राज्य के रूप में हुआ। यह भारत का संबसे नया राजय है। यह राज्य पश्चिम बंगाल राज्य के पश्चिम में है। ग्रैण्ड ट्रैंक रोड जैसी राष्ट्रीय सड़कों से दक्षिण-पूर्व रेल मार्गों द्वारा झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल राज्य आपस में जुड़े हुए हैं। झारखण्ड की राजधानी तथा मुख्य नगर राँची वायुमार्ग द्वारा पशिचम बंगाल की राजधानी कोलकाता से जुड़ी हुई है।

उड़ीसा (Orissa) :- उड़ीसा राज्य पश्चिम बंगाल के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। बम्बई रोड इस राज्य को पश्चिम बंगाल से जोड़ती है। इस राज्य की राजधानी भुनेश्वर का कोलकाता से वायुमार्ग द्वारा संबंध है। उड़ीसा का खनिज प्रदेश पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा हुआ है। अतः पश्चिम बंगाल के औद्योगिक क्षेत्रों को यहाँ के खनिज पदार्थ प्राप्त होते हैं।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल 4

असम (Assam) :- असम राज्य पश्चिम बंगाल के उत्तरी-पूर्वी भाग में स्थित है। 31 नं० राजमार्ग उत्तर-पूर्व रेलवे तथा बह्मपुत्र नदी द्वारा असम एबं पशिचम बंगाल राज्यों के बीच यातायात होता है। पश्चिम बंगाल के कोलकाता एवं असम के गौहांटी के बीच हंवाई मार्ग द्वारा सम्बन्ध स्थापित है। असम राज्य का सम्पूर्ण व्यापार पश्चिम बंगाल राज्य से ही होकर होता है। दिसपुर असम राज्य की राजधानी है।

सिक्किम (Sikkim) :- सिक्किम राज्य पश्चिम बंगाल के उत्तर में स्थित है। यह पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले की उत्तरी सीमा पर स्थित एक पर्वतीय राज्य है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 A द्वारा पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से सिक्किम की राजधानी गंगटोंक तक जाया जा सकता है। विदेशों से किसी भी वस्तु को मँगाने के लिए सिक्किम को उसे कोलकाता बन्दरगाह से ही मँगाना पड़ता है। सिक्किम में तैयार की गयी वस्तुओं का सबसे बड़ा ग्राहक कोलकाता में है।

त्रिपुरा (Tripura) :- पशिचम बंगाल के पूर्व में स्थित बंगलादेश के भी पूर्व में त्रिपुरा राज्य स्थित है। पश्चिम बंगाल की सीमाओं से काफी दूर होने पर भी यह अनेक बातों में पश्चिम बंगाल से मिलता-जुलता है। दोनों राज्यों की मुख्य भाषा बंगला है। दोनों राज्यों की शिक्षा व्यवस्था एवं पाठ्यक्रम एक समान है। इस राज्य में एक भी विश्वविद्यालय नहीं है। यहाँ के कॉलेज कोलकता विश्वविद्यालय से सम्बन्धित हैं। अगरतल्ला त्रिपुरा की राजधानी एवं प्रमुख व्यापार केन्द्र है।

प्रश्न 2.
पश्चिम बंगाल के पड़ोसी देश कौन-कौन हैं? उनके बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के पड़ोसी देश :
नेपाल (Nepal) :- पश्चिम बंगाल की उत्तरी सीमा से सटे हिमालय की गोद में स्थित नेपाल एक स्वतंत्र देश है। नेपाल एक पर्वतीय देश है। हिमालय की सबसे ऊँची श्रेणी महान हिमालय इसकी उत्तरी सीमा बनाती है। नेपाल की प्राकृतिक दशाएँ उत्तर बंगाल के दार्जिलिग एवं जलपाईगुड़ी जिलों के ही समान हैं। नेपाल चारों ओर से स्थल से घिरा हुआ है, अतः इसका सम्पूर्ण विदेशी व्यापार पश्चिम बगाल के कोलकाता एवं हल्दिया बन्दरगाहों से ही होता है। नेपाल व पश्चिम बंगाल के बीच सड़क मार्ग द्वारा व्यापार होता है। कोलकाता एवं काठमाण्डु के बीच वायु यातायात की भी सुविधा है। काठमाण्डु नेपाल की राजधानी, प्रमुख व्यापारिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र है।

भूटान (Bhutan) :- भूटान भारत का मित्र राष्ट्र है, जो पश्चिम बगाल के उत्तर-पूर्व में हिमालय के पर्वतोय भाग में स्थित है। भूटान की भौगोलिक दशाएँ पश्चिम बगाल के दार्जिलिंग एवं जलपाईगुड़ी जिलों की भौतिक दशाओ से मिती है। नेपाल की ही तरह भूटान भी चारों ओर समतल से घिरा हुआ है, अत: भूटान का अधिकांश विदेशी व्यापार पश्चिम बंगाल के कोलकाता एवं हल्दिया बन्दरगाहों द्वारा किया जाता है। भूटान की सुरक्षा का सम्पूर्ण भार भारत पर है है। इस प्रकार भूटान भारत द्वारा संरक्षित राज्य है। थिम्कू भूटान की राजधानी व प्रमुख नगर है।

बंगलादेश (Bangladesh) :- भारत तथा पश्चिम बगाल के पूर्व में स्थित बंगलादेश भारत का निकटतम पड़ोसी देश है। पहले यह भारत का अभिन्न अंग था। 15 अगस्त 1947 में भारत-पाक विभाजन के समय यह पाकिस्तान में चला गया। फलस्वरूप यह पूर्वी पाकिस्तान का अंग बना। परन्तु एक लम्बे समय तक चले युद्ध के बाद 16 दिसम्बर 1971 को यह बंगलादेश के नाम से एक स्वाधीन प्रभुसत्ता सम्पन्न राष्ट्र बन गया।

बंगलादेश व पश्चिम बंगाल की भौगोलिक दशा, भाषा व संस्कृति समान है। दोनों देशों के निवासियों की भागा बंगला है। दोनों देशों के बीच नदी, समुद्र तथा वायु मार्ग से व्यापार होता है। ढाका बंगलादेश की प्रमुख नगर, राजधानी, च्यपारिक केन्द्र एवं राजनीतिक नगर है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 3.
पश्चिम बंगाल के उत्तरी पर्वतीय अंचल एवं पश्चिम पठारी अंचल की भौतिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
उत्तर में हिमालय का पर्वतीय भाग :- यह भाग राज्य के ठीक उत्तरी भाग में दर्जिलिग तथा जल लाइगुड़ी जिलों के उत्तरी भाग में फैला हुआ है। यहाँ मध्य या लघु हिमलाय की पूर्वी श्रेणियाँ फैली है। इस भाग की प्रमुख नदी तिस्ता है, जो गहरी घाटी (Gorge) बनाती हुई उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है। यह नदी इस पर्वनीय भाग को दो भागों में विभक्त करती है। तिस्ता के पश्चिमी भाग में तिब्बत और नेपाल की सीमा पर सिंगलोला पर्वत है, जिसकी प्रमुख शिखरें फालदू (3,595 मीटर) एवं टांगलू (3,610 मीटर) हैं। संदाकफू (3,543 मीटर) पश्चिम बंगाल की संखे ऊँची चोटी है। पूर्व की ओर पर्वत की ऊँचाई घटती जाती है और वह पहाड़ियों (Hills) का रूप धारण कर लेती है।

इनमें किलगपंग की पहाड़ियाँ 1,000 से 1,500 मीटर ऊँची है। सिंगलीला एव कालिंगपोंग के बीच दार्जिलिंग शहर के दक्षिण 2,567 मीटर ऊँची टाइगर हिल (Tiger Hills) नामक पहाड़ी है। इसी पर दार्जिलिंग नगर स्थित है। दार्जीलग नगर से टाइगार हिल का प्रात: काल या सूर्योदय का दृश्य बड़ा ही मनोहर दिखाई पड़ता है। दक्षिण में घूम (Ghoom) तथा कर्सियांग की पहाड़यों हैं। यहीं पर विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थित घूम रेलवे स्टेशन (ऊँचाई 2,260 मीटर) है। इस क्षेत्र मे खड़े ढाल, नुकीले कगार तथा सँकरी गहरी घाटियाँ मिलती हैं। तिस्ता के पूर्व में काला श्रेणी हैं। जिसकी सबसे ऊँचो चोटी श्वृगलिला (3,140 मीटर) है। दक्षिण भाग में शिवालिक हिमालय या उपहिमालय की पर्वत श्रेणियाँ हैं।

पश्चिम का पठारी भाग :- पश्चिम बगाल का पश्चिमी भाग पठारी है जो झारखण्ड के कोटानागपुर के पठार का पूर्वी अग्रभाग है। इस भाग में पुरुलिया जिले का सम्पूर्ण भाग तथा वीरभूम, बर्द्धमान, बाँकुड़ा तथा पश्चनी मिदनापुर जिलों के पश्चिमी भाग पड़ते हैं। यह पठार पुरानी तथा कठोर चट्टानों से बना है जिसकी औसत ऊँचाई 600 मीटर है। विखण्डन (Weathering) तथा अपक्षरण (Erosion) के कारण यह पठार काफी नीचा तथा उबड़-खाबड़ हो गया है। सामान्य ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर एवं बीच-बीच में कम ऊँची पहाड़ियाँ मिलती है। सबसे ऊँचा भाग गुरुलिया जिले के दक्षिणपश्चिम में कंसावती एव सुवर्णरिखा नदियों के बीच स्थित पहाड़ी (Agodhya Hill) है, जिसकी सबसे ऊँची चोटी गोरगाबृरू (677) मीटर है।

इसी भाग में बाघमुण्डी एवं बानस की पहाड़ियाँ हैं। पुरुलिया जिले के उत्तरी भाग में पचेत (643 मीटर) एवं मैशन पहाड़ियाँ हैं। पूर्व की ओर का भाग समतल मैदान से मिल गया है। नदियों के मध्यवर्ती भूखण्ड कुछ्छ ऊँचे है और पहाड़ी की तरह दिखाई पड़ते हैं। इनमें बाँकुड़ा का शिशुनिया (440 मीटर), वीरभूम की माथुरखाली, मिदनापुर की बेल पहाड़ी तथा उकुरान की पहाड़ियाँ मुख्य हैं। भूमि में लोहे का अंश अधिक होने के कारण यहाँ लाल रंग की लेटराइद्द मिट्टी मिलती है

पठार का ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है। अत: इस भाग में बहने वाली मयूराक्षी, अजय, दामोदर, द्वारकेश्वर एवं कसाई (कंसावती) नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। इनमें दामोदर सबसे बड़ी है। वर्षा काल में इनमें भयकर वाढ़े आती है परन्तु गर्मी में सुख जाती है।

प्रश्न 4.
पंश्चिम बंगाल के समतल मैदान को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है? प्रत्येक भागों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
गंगा-भागीरथी की समतल भूमि:- उत्तर में हिमालय के पर्वतीय भाग के दक्षिण में बंगाल की खाड़ी तक तथा पश्चिम में पश्चिमी पठारी भाग से लेकर पूर्व में बंगलादेश तक फैले हुए भाग में पश्चिम बंगाल का मैदानी भाग विस्तृत है। यह भाग नदियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी से बना है। भूमि का ढाल अत्यत मन्द है। इस समतल मैदान को पाँच भागों में विभक्त किया जा सकता है –

  • तराई प्रदेश
  • उत्तरी मैदान
  • राढ़ अचल
  • गगा का डेल्टा
  • सन्दरवन की नीची भूमि
  • मिदनापुर का बालू तटीय मैदान।

तराई प्रदेश :- हिमालय के पर्वतीय भाग के दक्षिण तराई प्रदेश पश्चिम से पूर्व तक पतली पट्टी के रूप में स्थित है। इसमें दार्जिलिंग एवं जलपाईगुड़ी जिलों के दक्षिणी भाग तथा कूचबिहार जिले का उत्तरी भाग सम्मिलित है। यह हिमालय का पर्वतपदीप (Foot Hill) क्षेत्र है। यह प्रदेश उत्तर से दक्षिण की ओर कमश: ढाल होता गया है। भूमि का ढाल अचानक मन्द हो जाने के कारण हिमालय से निकलने वाली नदियों का वेग इस भाग में अचानक मंद हो जाता है।

अत: इस प्रदेश की नदियाँ अपने साथ लाए हुए कंकड़-पत्थर को जमा कर देती है। इस प्रकार इस भाग का निर्माण हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियों द्वारा लाए गए कंकड़-पत्थर एवं बालू के कणों से हुआ है। सामान्यत: भूमि असमतल एवं उबड़खाबड़ है। इसी प्रदेश को पार करके लगभग बारह नदियाँ दक्षिण के मैदानी भाग में प्रवेश करती हैं। भूटान के प्रवेश भागों में से पाँच मार्ग इसी भाग में स्थित है। इसी से इस भाग को दुआर (Door) भी कहते हैं।

उत्तरी मैदान : यह मैदान पश्चिम बंगाल के उत्तर में तराई प्रदेश से दक्षिण में गंगा नदी तक फैला है। इस मैदान के अंतर्गत कूचबिहार जिले का दक्षिणी भाग, पश्चिमी दिनाजपुर एवं मालदह जिले आते हैं। इस मैदान का निर्माण हिमालय पर्वत से निकलने वाली महानन्दा, तिस्ता, जलढाका तोरसा एवं पुनर्भवा आदि नदियों द्वारा लाई गयी मिट्टी से हुआ है। ऊपरी भाग की मिट्टी कंकड़ोली-पथरीली है, जबकि दक्षिणी भाग मुलायम मिट्टी से बना हुआ समतल व निम्न मैदान है।

पूर्वी भाग में गंगा-यमुना (बह्यपुत्र) के बीच पश्चिमी दिनाजपुर के दक्षिणी भाग तथा मालदह जिले में पुरानी जलोढ़ (Old Alluvium) से बना हुआ मैदान है। इसे बारिन्द्र का मैदान (Barindra Plain) कहते हैं।
मालदह जिले में कालिन्दी नदी के बाढ़ का जल फैल जाने के कारण स्थान-स्थान पर पानी से भरे गड्दु बन गये हैं जिन्हें ताल (Tal) कहते हैं। इस भाग को ताल प्रदेश भी कहते हैं।

राढ़ प्रदेश :- गंगा नदी के दक्षिण- पश्चिम के पठारी भाग तथा पूर्व में डेल्टाई भाग के बीच राढ़ प्रदेश प्रायः उत्तर से दक्षिण में स्थित है। इस प्रदेश में मुख्य रूप से बीरभूम, बर्द्धमान एवं बाँकुड़ा जिलों के पूर्वी भग एवं मेदिनीपुर जिले का पश्चिमी भाग सम्मिलित है। यह एक प्राचीन जलोढ़ मैदान है, जिसका निर्माण छोटानागपुर के पठार से निकलने वाली नदियों द्वारा पठार से बहाकर लगाई गयी लाल मिट्टी के जमा होने से हुआ है। यहाँ की भू-प्रकृति में पश्चिम के पठारी भाग तथा पूर्व के डेल्टाई भाग के बीच की अवस्था मिलती हैं। इसकी ऊँचाई सागर-तल से 30 से 50 मीटर तक है।

इस प्रदेश का सामान्य ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है। राढ़ प्रदेश के पश्चिमी भाग में कुछ टीले पाये जाते हैं। परन्तु पूर्वी भाग समतल है। ‘राढ़’ शब्द संथाली भाषा के ‘राढ़’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है ‘पथरीली भूमि’। दामोदर नदी इस प्रदेश के मध्य से बहती है। मयूराक्षी (मोर), अजय, द्वारकेश्वर, सिलाइ एवं कंसावती पशिचम से पूर्व की ओर बहने वाली अन्य नदियाँ हैं। यहाँ की लाल मिट्टी में पानी रोकने की क्षमता है। अत: यह भाग धान की कृषि के लिए काफी उपर्युक्त है।

गंगा का डेल्टा :- गंगा नदी के दक्षिण-पश्चिम में राढ़ प्रदेश से पूर्व में बंगलादेश तक विस्तृत त्रिभुजाकार क्षेत्रों को गंगा का डेल्टा कहते हैं। यह भाग गंगा एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा लाई गई नवीन जलोढ़ से बना समतल एवं निम्न मैदान है। भूमि का ढाल अत्यंत मन्द होने के कारण यहाँ नदी अत्यंत धीमी गति से बहती है। अत: नदी अपने साथ लाई गई मिट्टी को अपने मुहाने पर जमा कर देती है, जिससे डेल्टा का आकार बढ़ता जाता है और नदी कई धाराओं एवं उपधाराओं में बँटकर बहने लगती है।

भागीरथी या हुगली मुख्य नदी है। गंगा की प्रमुख शाखा नदियाँ जालंगी, इच्छामती, भैरवा, विद्याधरी और कालिन्दी हैं। नदी के तटवर्ती भागों में वर्षा ॠतु के बाढ़ के जल से मग्न निम्न भूमि को बिल (Bill) कहते हैं। नदियों के वक्र गति से बहने के कारण दक्षिणी भाग में कई धनुषाकार की बन गयी है। ढाल उत्तर से दक्षिण है, अत: अधिकांश नदियाँ उत्तर से दक्षिण की ओर बहती हैं।

सुन्दरवन की नीची भूमि :- यह गंगा के डेल्टा का ही सुदुर दक्षिणी भाग हैं परन्तु इस भाग में समुद्र के ज्वार का खारा पानी पहुँच जाता है। इस प्रकार यह एक निम्न, नमकीन एवं दलदली भाग है। इस भाग में प्रतिवर्ष बाढ़ द्वारा नवीन मिट्टी जमा होती रहती है। यह भाग मैंग्रोव जाति के वनों से भरा पड़ा है। सुन्दरी नामक वृक्षों की अधिकता के कारण इस भाग को सुन्दरवन कहते हैं।

मिदनापुर का बालू तटीय मैदान :- यह भाग हल्दी नदी के मुहाने से उड़ीसा के सुवर्ण रेखा नदी के मुहाने तक विस्तृत है। सामान्यत: इसकी चौड़ाई 15 किलोमीटर है। यह भाग सुन्दरवन क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिम भाग में मिदनापुर जिलों के तटीय भाग में स्थित है। नदियो द्वारा जमा की गई रेत एवं समुद्री वायु द्वारा बालू के असंख्य टीले बन गये हैं। इन टीलों की ऊँचाई 10 मीटर तक है। ये बालू के टीले समुद्र तल के समानान्तर तट से लगभग 10 किलोमीटर तक की दूरी में स्थित है। यहाँ की मिट्टी रेतीली एवं अनुपजाऊ है। दीघा के निकट समुद्री कटाव देखा जाता है, परन्तु अन्यत्र वहाँ की भूमि समुद्र की ओर बढ़ रही है।

निर्माण के ढंग के आधार पर गंगा के डेल्टा को निम्नलिखित 4 भागों में बाँटा जा सकता है।

  1. उत्तर का मृतप्राय डेल्टा (Moribund Delta)
  2. मध्य का परिपक्व डेल्टा (Mature Delta)
  3. सुन्दरवन का सक्रिय डेल्टा (Active Delta) और
  4. मिदनापुर का बालू तटीय मैदान (Sandy Coastal Plain)

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 5.
पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग की नदियों का संक्षिप्त विवरण दिजिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग की नदियाँ हिमालय के हिमाच्छादित शिखरों से निकलकर उत्तर से दक्षिण की ओर बहती हुई पद्या अथवा ब्रह्मपुत्र नदी से मिल जाती है। इन्हे वर्ष भर हिमालय पर्वत के बर्फ का पिघला हुआ जल मिलता रहता है। अत: ये नदियाँ सदावाहिनीं हैं। इस प्रकार ये हिमपोषित नदियाँ (Snow-Fed Rivers) हैं। इन नदियों में महानन्दा तिस्ता, जलढाका, तोस्ता, रायडक, संकोष, अन्नाई, रंगित छोटी एवं रंगित बड़ी आदि मुख्य हैं। ये नदियाँ तीव्रवाहिनी है तथा गहरी घाटियाँ बनाती हैं।

महानन्दा नदी :- दार्जिलिंग जिले की घूम श्रेणी की महालघिराम शिखर से निकलकर पहले यह नदी दार्जिलिंग जिले में बहती है। पुन: कुछ दूर बिहार राज्य में बहने के बाद मालदह जिले से पुन: इस राज्य में आती है। लालगोला के पास यह पद्या से मिल जाती है। नागर एवं पुनर्भवा इसकी सहायक नदियाँ हैं।

तिस्ता नदी :- यह उत्तरी बंगाल की सबसे बड़ी नदी है। यह सिक्किम के जेमू हिमनद से निकलकर पश्चिम बगाल क दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी तथा कूचबिहार जिलों में बहती हुई बंगलादेश में बह्यपुत्र (यमुना) नदी से मिल जाती है। इस नदी में प्रायः प्रतिवर्ष वर्षाकाल में बाढ़ आती है। इस नदी पर तिस्ता बैरेज योजना कार्यन्वित की गई है जिसका उद्देश्य बाढ़ नियत्रफ। करना, सिंचाई करना एवं जलविद्युत का उत्पादन करना है। रंगित नदी तिस्ता की प्रमुख सहायक नदी है।

जलढाका नदी :- यह नदी सिक्किम एवं भूटान की सीमा पर स्थित विदंग झील से निकलकर जलपाईगुड़ी एवं कूचबिहार जिलों में बहती हुई बंगलादेश में प्रवेश करती है। यह हिमालय की तराई से निकलकर कुछ दूर दार्जिलिंग एवं दक्षिण दिनाजपुर जिलों में बहती हुई बंगलादेश में बह्यपुत्र नदी से मिल जाती है।

इनके अतिरिक्त तोरसा एवं रायडक नदियाँ हिमालय की तराई से निकलकर कुछ दूर तक पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग में बहती है। पुन: बंगलादेश में प्रवेश करके बह्मपुत्र नदी में मिल जाती है।

प्रश्न 6.
पश्चिम बंगाल में जलभंडारण एवं संरक्षण की समस्या के बारे में लिखिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में जल भंडारण एवं संरक्षण की समस्या (Problem of water reserve and conseration in West Bengal) :- पश्चिम बंगाल तीन प्रमुख भौगोलिक इकाईयों में विभाजित है। उत्तर बंगाल, भागीरथी-हुगली के पश्चिम में स्थित राढ़ प्रदेश तथा भागीरथी-हुगली के पूर्व का मैदान। यहाँ के सम्पूर्ण जलसंसाधन का 63 प्रतिशत उत्तर बंगाल की बाढ़नदी घाटियों में, 22 प्रतिशत राढ़पदेश में तथा 15 प्रतिशत पूर्वी मैदान में वितरित है।

उत्तर बंगाल की नदियाँ हिमालय से निकलती हैं तथा इनमें से अधिकांश दक्षिण की ओर प्रवाहित होते हुए बंगलादेश में चली जाती है। वैसे तो ये नदियाँ सदावाहिनी हैं परन्तु मानसून काल में पर्वतीय अंचल में अत्यधिक वर्षा के कारण इनमें जल की मात्रा काफी अधिक हो जती है। इन नदियों के जल सरक्षण एवं भंडारण की उचित व्यवस्था करके पश्चिम बंगाल में जल की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा सकता है, परन्तु इनमे से अधिकांश नदियों के उद्गम स्थल भारत की राजनैतिक सीमा से बाहर सिक्किम एवं भूटान में है, अत: इनके जल के भंडारण में अन्तर्राष्ट्रीय समस्याएँ उत्पन्न हो जाती है।

दूसरी तरफ इनमें तीव्र प्रवाह एवं जल में अवसादों की अधिक मात्रा के कारण इन पर बाँघों के निर्माण से परिस्थितिकोय एवं आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। यहाँ वर्षा के जल के एकत्रीकरण एवं प्रबन्धन की भी कोई उचित व्यवस्था नही है, जिससे इन नदियों में अक्सर बाढ़ आती रहती है। बाढ़ के नियंत्रण के लिए उत्तर बंगाल नदी प्रबन्धन परिषद् (North Bengal River Management Board) की स्थापना की गयी है। दक्षिण बंगाल में जल संग्रह के उद्देश्य से बनाए गए जलाशय राज्य के पश्चिमी सीमा के पास स्थित हैं या निकटवर्ती झारखण्ड राज्य की सीमा में स्थित हैं। दामोदर घाटी निगम के बाँघ, मैसेंजोर और कंसावती आदि जलाशयों की अवसादी के लगातार जमाव के कारण जल संग्रह की क्षमता कम हो गयी है। ये जलाशय कृषि क्षेत्र में जल के कुल माँग का केवल 2.44 प्रतिशत ही उपलब्ष कर सकते हैं।

हरित क्रान्ति के बाद कृषि में उन्नत बीजों एवं खादों के प्रयोग से कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिए जल की आवश्यकता बढ़ गयी, अत: 1970 के बाद पश्चिम बंगाल में भौम जल का दोहन बहुत अधिक होने लगा है। वर्तमान समय में यहाँ कृषि में सिंचाई के लिए 80.60 मिलियन कम गहराई वाले तथा 5000 अधिक गहराई वाले ट्यूबवेल कार्यरत हैं। पश्चिम बंगाल में भौम जल की उपलब्ध मात्रा के अनुपात में इसकी माँग निरंतर बढ़ती जा रही है, जिससे यहाँ भौम जल की मात्रा निरन्तर कम होती जा रही है।

कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल में कुल आवश्यकता की तुलना में व्यवहार योग्य जल की उपलब्धता कम है, अत: राज्य को जल संकट की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। यहाँ आवश्यक जल की कमी को निम्नलिखित तालिका से समझा जा सकता है :-

प्रश्न 7.
पश्चिम बंगाल में जल के अति उपयोग के दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। यहाँ जल संकट की समस्या को कम करने के क्या उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तर :
जल के अति उपयोग की हानियाँ (Demerits of over use of Water) :- पृथ्वी पर लगभग 97 प्रतिशत जल खारा है। स्वच्छ एवं मीठे जल की उपलब्धता बहुत कम है,। जनसंख्या वृद्धि, सिचाई तथा औद्योगिक विकास के कारण जल संसाधन के अत्यधिक दोहन से इसका अति उपयोग हो रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में जल के अति उपयोग से पश्चिम बंगाल में भी जल संकट की समस्या उत्पन्न हो गयी है। इसके अतिरिक्त जल के अति उपयोग से अन्य दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहा है, जैसे :-

अति सिंचाई से मिट्टी की उर्वरता समाप्त हो रही है। इसमें क्षारियता एवं लवणता का परिणाम बढ़ रहा है।

उद्योगों में जल के अधिक दोहन से जलचक्र बाधित हो रहा है। चमड़ा, वरू, कागज तथा रसायन उद्योग जल प्रदूषण के लिए संबसे अधिक उत्तरदायी है।

भौम जल के अधिक दोहन से जलचक्र बाधित हो रहा है, जिससे पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। यही नहीं, भौम जल के अधिक दोहन से जल में आर्सेनिक की मात्रा बढ़ गयी है। पश्चिम बंगाल के निम्न गंगा घाटी के आठ जिलों के 75 प्रशासनिक खण्डों में भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन से जल मे आर्सेंनिक की मात्रा बढ़ गयी है। अकेले कोलकाता में 26 मिलियन लोग आर्सेनिक की समस्या से जूझ रहे हैं। अत्यधिक जल निकासी से बोरभूम जिले के नलहाटी एवं रामपुरहाट विकास खण्ड के जल में फ्लोराइट मिल रहा है।

अत्यधिक जल के उपयोग से उत्पन्न जल संकट के कारण आपसी संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो रही है। निकटवर्ती राज्य एवं देश जल के बँटवारे को लेकर आपस में उलझ रहे हैं। गंगा के जल के बँटवारे को लेकर पश्चिम बंगाल एवं बंगलादेश के बीच समस्या बनी हुई है। इसी प्रकार कावेरी नदी के जल के बँटवारे को लेकर तमिलनाडु एवं कर्नाटक राज्यों के बीच अक्सर विवाद उत्पन्न होते रहते है।

जल संकट की समस्या को कम करने के उपाय :- उचित जल प्रबन्धन द्वारा जल की माँग एवं पूर्ति में सामंजस्य स्थापित करके जल संकट की समस्या को कम किया जा सकता है ! इसके लिए निमन उपाय अपेक्षित हैं :-

  1. जल-संरक्षण तरीकों एवं प्रणालियों का पुनर्चक्रण, वाष्पीकरण नियत्रण, अलवीकरण, रिसाव चिन्हिकरण आदि के माध्यम से कुल माँग के 1 / 5 भाग की पूर्ति की जा सकती है।
  2. उद्योगों में स्वच्छ जल के प्रयोग को न्यूनतम किया जाय तथा पुनर्चक्रित जल के खपत को बढ़ाया जाय।
  3. सिंचाई में जल की अपव्यय को रोकने की व्यवस्था की जाए।
  4. बाढ़ प्रबन्धन के लिए अच्छी नीति बनायी जाए, जिससे अतिरिक्त जल का एक्कीतरण एवं संचय किया जा सके।
  5. शुष्क क्षेत्रों में अधिक जल वाली फसलों की कृषि न की जाए, जिससे इन क्षेत्रों को क्षारियता एव जलाभाव से बचाया जा सके।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 8.
पश्चिम बंगाल के जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल की जलवायु उष्ण एवं आर्द्र है। यहाँ की जलवायु पर निम्नलिखित बातों का प्रभाव पड़ता है :-
भूमध्य रेखा से दूरी :- भूमध्य रेखा से दूरी के साथ दक्षिण से उत्तर जाने पर पश्चिम बंगाल का तापक्रम कम हो जाता है।

कर्क रेखा का राज्य के मध्य भाग से गुजरना :- कर्क रेखा पश्चिम बंगाल के प्राय: मध्य भाग से होकर गुजरती है। अत: यहाँ का दक्षिणी भाग ऊष्ण कटिबंध में तथा उत्तरी भाग समशीतोष्ण कटिबंध में पड़ता है।

समुद्र तल से ऊँचाई :- ज्यों-ज्यों हम सागर तल से ऊपर की ओर जाते हैं प्रत्येक 164 मीटर की ऊंचाई पर 1° C की दर से तापमान कम हो जाता है। पश्चिम बंगाल के उत्तर में पर्वतीय भाग है। यहाँ ऊँचाई के साथ तापक्रम घटता जाता है। यही कारण है कि हिमालय के उच्च शिखर वर्ष भर हिमाच्छादित रहते हैं।

समुद्र तट से दूरी :- पश्चिम बंगाल का अधिकांश दक्षिणी भाग समुद्र तट पर बंगाल की खाड़ी के समीप है, अत: यहाँ की जलवायु सम है। अत: यहाँ पर गर्मी में कम गर्मी तथा जाड़े में कम जाड़ा पड़ता है। परन्तु समुद्र तट से दूर स्थित पश्चिम के पठारी भाग की जलवायु विषम है।

हिमालय पर्वत का प्रभाव :- पश्चिम बंगाल के उत्तर में हिमालय का ऊँचा पर्वत पश्चिम से पूर्व दिशा में फैला हुआ है। गर्मी में यह पर्वतीय बाधा बंगाल की खाड़ी से जाने वाली भाप हवाओं को रोककर राज्य में काफो वर्षा कराते हैं। साथ ही यह पर्वत जाड़े में उत्तर में साइबेरिया की ओर से आने वाली बर्फीली हवाओं को रोककर राज्य को शीतकाल में ठण्डा होने से बचाता है।

मानसूनी हवाओं का प्रभाव :- पश्चिम बंगाल ग्रीष्मकाल में बंगाल की खाड़ी से होकर जाने वाली दक्षिणीपश्चिमी मानसूनी हवाओं के प्रभाव में पड़ता है। ये हवाएँ भाप से भारी होती है, जिससे पश्चिम बंगाल के विभिन्न भागों में प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है।

प्रश्न 10.
पश्चिम बंगाल के मानव जीवन पर मौसम परिवर्तन के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के मानव जीवन पर मौसम परिवर्तन का प्रभाव (Impact of Change of Seaons on Human Life of West Bengal) :- पश्चिम बंगाल को जलवायु ऊष्णार्द्र मानसूनी है। यहाँ ग्रीष्म, वर्षा एवं शीत तीन ऋतुएँ क्रम से आती हैं। परन्तु प्रीष्म ऋतु की अवधि लम्बो होती है। वर्षा प्रीष्म ऋतु के मध्य एव अंत में दक्षिणी पश्चिमी मानसूनी हवाओं द्वारा होती है। शीत ॠतु में नापमान अपेक्षाकृत कम रहता है तथा सामान्यतः वर्षा नहीं होने के कारण शुष्कता की स्थिति बनी रहती है। इस प्रकार पश्चिम बंगाल में ऋतु परितर्वन के कारण उत्पन्न जलवायुगत विविधताएँ यहाँ रहने वाले लोगों के आर्थिक एवं सामाजिक जीवन पर अपना प्रभाव डालती है। ये निम्नलिखित रूपों में देखने को मिलते है :-

(a) आर्थिक प्रभाव :-

  1. यहाँ प्रीष्मकाल के प्रारम्भ होते ही तापमान अचानक बढ़ जाता है, अत: रबी की फसलें शीघ्र पक जाती है, जिससे उनकी गुणवत्ता प्रभावित होती है।
  2. पश्चिम बंगाल में शीतकाल प्राय: शुष्क रहता है, अत: इस ऋतु में यहाँ फसलों को उगाने के लिए सिंचाई पर निर्भर रहना पड़ता है।
  3. ग्रीष्मकाल में बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होने वाले ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात पश्चिम बंगाल के दक्षिणी क्षेत्र में अक्सर तबाही मचाया करते हैं।
  4. पश्चिम बगाल में वर्ष भर तापमान कृषि के अनुकूल रहता है। शीत ऋतु में भी उत्तर में ऊँचे पर्वतीय अंचल को छोड़कर सम्पूर्ण पश्चिम बंगाल में पर्याप्त तापमान रहता है। अत: यहाँ वर्ष भर विभिन्न ॠतुओं में उगनेवाली फसलों की खेती की जाती है।

(b) सामाजिक जीवन पर प्रभाव :-

  1. पश्चिम बंगाल की जलवायु उष्णार्द्र है। शीत ऋतु का आगमन यहाँ अल्प समय के लिए होता है, उष्णार्द्र जलवायु स्वास्थ्य के प्रतिकूल है, अत: यहाँ के लोगों की कार्यक्षमता एवं जीवन प्रत्याशा दोनों ही कम होती है।
  2. उष्यार्द्र जलवायु के कारण पश्चिम बंगाल में घरों में धूप या रोशनी की तुलना में स्वच्छ वायु की अधिक आवश्यकता पड़ती है, इसंलिए यहाँ घरों में खिक़ियों की अधिकता होती है तथा छते ऊँची रखी जाती है, जिससे दूषित वायु का रोशनदारों से निकास हो सके।
  3. भीषण गर्मी के उपरान्त वर्षा के आगमन से यहाँ अनेक व्याधियाँ एवं रोग उत्पन्न हो जाते हैं। कई क्षेत्रों में मलेरिया एवं आंत्रशोध जैसे रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे जन-जीवन काफी प्रभावित होता है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 9.
पश्चिम बंगाल की विभिन्न ऋतुओं की जलवायुगत दशाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल की ऋतुएँ (Seasons of West Bengal) :- इस राज्य मे गर्मी की ॠतु लम्बी होती है। ग्रोण्म ऋतु मार्च से मई तक (काल बेशाखी की ऋतु)। जून से आधे सितम्बर तक वर्षा होती है। आधे सितम्बर से आधे अवटूबर तक लौटते मानसून की ॠतु होती है। नवम्बर से फरवरी तक शीत ऋतु होती है। इस राज्य की जलवायु को मुख्यत 4 ॠतुओं में विभक्त किया जा सकता है :- म्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु एवं शीत ॠतु।

ग्रीष्म ऋतु (Summer Seasons) :- मार्च से मई तक का काल ग्रीष्म ॠतु कहा जाता है। यह राज्य की सबसे ऊष्णा ॠतु होती है जब औसत तापक्रम 27° C से अधिक हो जाता है। मैदानी भाग में अप्रैल और पर्वतीय भाग में जून सबसे गर्म महीने होते हैं। प्रथानत: यह ऋतु शुष्क बितती है। इस ऋतु में दिन बड़ा होता है। हवा ऊष्ण और हल्की होकर ऊपर उठना शुरू होती है जिससे निम्न वायु भार (Low Pressure) के क्षेत्र की सृष्टि होना शुरू हो जाता है। इससे संध्या के समय उत्तर-पश्चिम से आकाश बादलों से घिर जाता है और आँधी, तूफान का वातावरण बन जाता है।

वर्षा ऋतु (Rainy Season) :- जून से सितम्बर तक का काल राज्य में वर्षा ऋतु कहलाता है। इसमें दिन बड़ा होता है और गर्मी सर्वाधिक होती है। प्राय: सम्पूर्ण वर्षा इसी ऋतु में होती है। मध्य भाग में निम्न वायुभार का क्षेत्र बन जाने से बंगाल की खाड़ी और हिन्द महासागर से वाष्पयुक्त द० पू॰ मानसूनी हवाएं चलना शुरू हो जाती है। वायुमण्डल में आर्द्रता आ जाती है और उत्तर के पर्वतीय भाग में वर्षा सर्वाधिक, पश्चिम के पठार में न्यूनतम और मैदानी भाग में समान्य होती है। इन हवाओं से पर्वतीय भाग में सर्वाधिक 500 cm, तराई क्षेत्र में 300 cm, मैदानी भाग में 150 cm-300 cm तक वर्षा होती है।

शरद ऋतु (Autumn Season) :- अक्टूबर से नवम्बर तक के काल को शरद ऋतु के नाम से जाना जाता है। अत: तापक्रम कम होना शुरू हो जाता है। तापक्रम 10° C से 19° C तक रहता है। इस ऋतु में शुष्क हवा स्थल से समुद्र की ओर बहना शुरू हो जाती है। इस समय हिन्द महासागर की हवा ऊष्ण होती है। अतः यहाँ निम्न वायुभार का क्षेत्र बन जाता है।
भू-पृष्ठ की ठण्डी और भारी हवायें समुद्र की ओर चलने लगती हैं। इस काल में मानसूनी हवाएं लौटने लगती हैं। इस मानसून का प्रत्यावर्तन काल.(ReturringMonsoon Season) कहा जाता है।

शीत ऋतु (Winter Seasons) :- यहाँ पर शीत ऋतु दिसम्बर से फरवरी तक रहती है। इस समय पं० बंगाल का तापमान कम रहता है। औसत तापमान 20° C ही रहता है। पर्वतीय भागों में कठोर सर्दी पड़ती है। हिमपात के कारण तापमान -5° C तक गिर जाता है। इस समय पश्चिम बंगाल में उत्तरी-पूर्वी मानसूनी हवाएँ चलती है, अतः यह शुष्क ऋतु होती है। चक्रवात से कभी-कभी कुछ वर्षा होती है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल 6

प्रश्न 10.
पश्चिम बंगाल में पाये जाने वाली प्राकृतिक वनस्पतियों का संक्षेप में वर्णन किजिए।
उत्तर :
धरातल पर स्वतः उगने वाले पेड़-पौधों को प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं। पश्चिम बंगाल के कुल क्षेत्रफल के 13.4 प्रतिशत भाग पर वन फैले हैं। जलवायु की भिन्नता के कारण पश्चिम बंगाल में निम्नलिखित तीन प्रकार की वनस्पतियाँ मिलती हैं :- i) पर्वतीय वन, ii) पतझड़ वन और iii) ज्वारीय या तटीय वन।

पर्वतीय वन (Mountaineus Forest) :- पश्चिम बंगाल के उत्तर में हिमालय के पर्वतीय भाग की वनस्पति पर ऊँचाई का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। तराई प्रदेश में अधिक वर्षा होती है तथा कम ऊँचाई होने से अपेक्षाकृत उच्च तापक्रम रहता है, जिससे वहाँ उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पाये जाते हैं, इन वनों की पत्तियाँ चौड़ी होती है। इस भाग के प्रधान वृक्ष साल, सागौन एव बाँस हैं। 2000 से 3000 मीटर की ऊँचाई वाले भागों में देवदार (Oak) के वृक्ष पाए जाते हैं। 3000 मीटर से अधिक ऊँचे भागों में हिमपात होता है। अत: यहाँ के वृक्षों की पत्तियाँ नुकिली या सूच्चाकार होती है। इस भाग के प्रमुख वृक्ष देवदार, हेमलाक, फर, पाइन आदि हैं।

पतझड़ के वन (Decidous Forest) :- पश्चिम बंगाल के अधिकांश मैदानी तथा पठारी भागों में, जहाँ वार्षिक वर्षा की मात्रा 100 से 200 सेण्टीमीटर है, पतझड़ के वन पाए जाते हैं। इन वनों के मुख्य वृक्ष साल, सागौन, शीशम, बाँस, महुआ, आम, जामुन, सिरीस, सेमल, पलास, गमार, अर्जुन एवं जारूल हैं।

ज्वारीय वन या तटीय वन (Tidal or Lithoral Forest) :- पश्चिम बंगाल के दक्षिण के डेल्टाई भाग में ये वन पाए जाते हैं। ज्वार के समय समुद्र का खारा पानी यहाँ पहुँच जाता है। अतः यहाँ ऐसे वृक्ष पाएँ जाते है जो दलदल एवं समुद्र के खारे पानी से अपनी रक्षा कर सके। यहाँ के मुख्य वृक्ष मैंग्रोव ताड़, सुन्दरी, गोरान, केवड़ा, गेऊआँ, होगला, गोलपत्ता, पुसुर एवं नारियल हैं। सुन्दरी वृक्षों की अधिकता के कारण ही इस भाग को सुन्दरवन कहते हैं।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल 7

प्रश्न 11.
पश्चिम बंगाल में चावल की कृषि के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में चावल की कृषि के लिए निम्नलिखित अनुकूल दशाएँ विद्यमान है :-
(i) उच्च तापक्रम :- चावल ऊष्ण कटिबंध का पौधा है। इसके लिए 16° C-27° C तापक्रम की आवश्यकता पड़ती है। पश्चिम बंगाल का अधिकांश भाग कर्क रेखा के समीप पड़ता हैं। अत: यहाँ का तापमान ऊँचा रहता है।
(ii) अधिक वर्षा :- चावल का पौधा जल का प्रेमी है। अत: चावल के खोतों में कई दिनों तक जल का जमा होना आवश्यक है। इसकी कृषि के लिए 100-200 cm तक वार्षिक वर्षा आवश्यक है। पश्चिम बंगाल में बंगाल की खाड़ी से उठने वाली मानसूनी हवाओं से काफी वर्षा होती है।
(iii) उपर्युक्त मिट्टी :- चावल की कृषि के लिए ऐसी मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है, जिसमें आर्द्रता ग्रहण करने की शक्ति हो। पश्चिम बंगाल गंगा के निचले मैदान में पड़ता है। इसके अधिकांश भाग का निर्माण गंगा व उसकी सहायक नदियों द्वारा लायी गयी चिकनी मिट्टी से हुआ है। अत: यह भाग समतल व उपजाऊ है।
(iv) सिंचाई की सुविधा :- यहाँ दामोदर घाटी योजना एवं अन्य नहरों से सिंचाई की सुविधा प्राप्त है।
(v) सस्ता श्रम :- चावल की कृषि में मशीनों का प्रयोग बहुत कम होता है। इसकी कृषि का अधिकांश भाग हाथ से ही होता है। पश्चिम बंगाल सघन जनसंख्या वाला राज्य है। अत: यहाँ चावल की कृषि के लिए सस्ते श्रमिक आसानी से उपलब्व हो जाते हैं।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल 8

प्रश्न 12.
पश्चिम बंगाल में जूट की कृषि के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए तथा यहाँ के प्रमुख जूट उत्पादक जिलों का नाम लिखिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में जूट की कृषि के लिए निम्नलिखित अनुकूल दशाएँ विद्यमान हैं :-
(i) उच्च तापक्रम :- जूट ऊष्ण कटिबन्ध का पौधा है। इसकी कृषि के लिए 25° C-30° C तापक्रम की आवश्यकता पड़ती है। पश्चिम बंगाल कर्क रेखा के समीप है, अत: यहाँ गर्मी में तापक्रम ऊँचा रहता है।
(ii) अधिक वर्षा :- जूट का पौधा जल के प्रति बड़ा सहिष्मु है। जूट की कृषि के लिए 150-200 cm तक वार्षिक वर्षा आवश्यक है। पश्चिम बंगाल की खाड़ी से उठने वाली मानसूनी हवाओं से यह खूब वर्षा होती है।
(iii) डेल्टाई मिट्टी :- जूट की कृषि के लिए दोमट एव जलोढ़ मिट्दी सर्वोत्तम होती है। जूट का पौधा भूमि की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर देता है। खाद देकर जूट उगाने में विशेष लाभ नहीं होता है। अत: इसकी कृषि डेल्टाई क्षेत्रों में अधिक होती है।
(iv) स्वच्छ जल :- जूट के पौधे से रेशा प्राप्त करने के लिए उसे कई दिनों तक सड़ाना पड़ता है। फिर उसे जल में पटक-पटककर धोया जाता है। अत: इसके लिए पर्याप्त स्वच्छ एवं मीठे जल की आवश्यकता पड़ती है। पश्चिम बंगाल में नदियों, तालाबों एवं नहरों से जूट को सड़ाने व साफ करने के लिए पर्याप्त स्वच्छ जल मिल जाता है।
(v) सस्ता श्रम :- जूट की फसल उगाने, काटने, सड़ाने, धोने तथा डण्ठल से रेशा अलग करने के लिए पर्याप्त एवं सस्ते श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है। पश्चिम बंगाल की आबादी घनी है। उत्तर प्रदेश, बिहार एवं उड़िसा से भी यहाँ सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं।
प्रमुख जूट उत्पादक जिले :- पश्चिम बंगाल के जूट के क्षेत्र हुगली नदी के दोनों ओर गंगा के डेल्टाई क्षेत्र में स्थित है। प्रमुख जूट उत्पादक जिले बर्द्धमान, उत्तर चोबीस, परगना, मुर्शिदाबाद, नदिया, पश्चिमी दिनाजपुर, मालदा, पूर्व एवं पश्चिमी मिदनापुर, हुगली, कूचबिहार तथा जलपाईगुड़ी हैं।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 13.
पश्चिम बंगाल में चाय उत्पादन के लिए कौन सी अनुकूल दशाएँ विद्यमान हैं ?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में चाय उद्योग के विकास के निम्नलिखित कारण हैं :-
1. अनुकूल दशाएँ :- उत्पादक अंचलों में चाय उत्पादन के लिए अनुकूल दशाएँ, जैसे -उच्च तापमान (20° C.25° C), पर्याप्त वर्षा (200-250 cm), लौह, चूना, पोटाश एवं जीवांश युक्त उपजाऊ मिट्टी, ढालू भूमि तथा सस्ते श्रमिकों की उपलब्धता आदि सभी विद्यमान हैं।
2. चाय उत्पादक क्षेत्रों में अन्य कृषि फसलों का नहीं उगाया जाना:- पश्चिम बंगाल के चाय उत्पादक पर्वतीय अंचल अन्य कृषि फसलों के उत्पादन के अनुकूल नहीं हैं। अत: इन अंचलों में चाय बागानों के विस्तार को प्रोत्साहन मिला है।
3. रेल एवं सड़क यातायात का पर्याप्त विकास :- पश्चिम बंगाल में सड़क एवं रेल यातायात का पर्याप्त विकास हुआ है। अत: चाय बागानों से चाय को कोलकाता के बाजार में भेजने की सुविधा प्राप्त है।
4. बाजार की सुविधा :- सबसे बड़ा चाय बाजार एव कोलकाता बन्दरगाह विश्व का सबसे बड़ा चाय निर्यातक बंदरगाह है। अत: पश्चिम बंगाल में चाय उद्योग को विस्तृत बाजार एवं निर्यात दोनों की ही स्थानीय सुविधा प्राप्त है।

प्रश्न 14.
पश्चिम बंगाल में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना एवं विकास के क्या कारण हैं? यहाँ इस उद्योग की समस्या एवं सम्भावनाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना एवं विकास के निम्नलिखित कारण है :-
1. बंदरगाह की सुविधा :- यहाँ कोलकाता बन्दरगाह की स्थिति के कारण वस्र मिलों को मशीनों एवं कच्चे कपास के आयात की सुविधा प्राप्त है।
2. कोयले की प्राप्ति:- निकटवर्ती रानीगंज एवं झारिया की खानों से शक्ति के रूप में कोयले की प्राप्ति आसानी से हो जाती है।
3. उत्तम यातायात व्यवस्था :- विकसित रेल, सड़क एवं जल परिवहन के कारण उत्पादित वस्रों को निकटवर्ती एवं सुदूर स्थित बाजारों में भेजने की सुविधा प्राप्त है।
4. सस्ते श्रमिकों की आपूर्ति :- निकटवर्ती बसे क्षेत्रों से मिलों में काम करने के लिए सस्ते श्रमिकों की आपूर्ति आसानी से हो जाती है।
5. अनुकूल जलवायु :- पश्चिम बंगाल की जलवायु उष्णार्द्र है जो धागों की कताई एवं वर्ष भर सूती वस्र धारण करने के अनुकूल है।
समस्याएँ (Problems) :- पश्चिम बंगाल में सूती वस्त उद्योग को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
(i) कच्चे माल की कमी :- पूर्वी भारत में कपास का उत्पादन नहीं होने से पश्चिम बंगाल की सूती मिलों को स्थानीय रूप से कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ता है। आयातित कच्चे माल पर निर्भरता यहाँ की वस्र मिलों की प्रमुख समस्या है।

(ii) पुरानी मशीनें :- यहाँ स्थापित अधिकांश वस्व मिलों की मशीनें पुरानी एवं घिसी हुई हैं, जिनकी प्रति इकाई उत्पादन लागत अंिक एवं उत्पादन क्षमता कम है। अत: प्रतियोगी बाजार में इन्हें कड़ी प्रतिस्पर्ध का सामना करना पड़ रहा है।
सूती वस्त्र उद्योग की सम्भावनाएँ :- पश्चिम बंगाल में वस्त्र मिलों का आधुनिकीकरण करके, माँग के अनुसार उच्च श्रेणी के वख्यों के निर्माण को बढ़ावा देकर, सूती वस्त की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में सुचार लाने के लिए प्रौद्योगिकी मिशन शुरू करके वस्त उद्योग की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
पश्चिम बंगाल में चाय उद्योग की समस्याओं एवं संभावनाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
चाय उद्योग की समस्याएँ (Problems of Tea Industry) :- पश्चिम बंगाल में चाय उद्योग को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है :-

  1. चाय बागानों में चाय की झाड़ियों के पुराने हो जाने से उत्पादन कम हो रहा है।
  2. चाय बागानों के मालिक चाय उत्पादन से प्राप्त लाभ का विनियोग चाय बागानों के विकास में नहीं कर रहे हैं।
  3. चाय के पौधों के रोपण तथा उचित प्रबन्ध पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
  4. चाय के अधिकांश बागान उत्तर के पर्वतीय अंचल में स्थित हैं। यहाँ राजनैतिक अशांति के कारण भी यह उद्योग प्रभावित हो रहा है।

चाय उद्योग की सम्भावनाएँ (Possiblities of Tea Industry) :- उपरोक्त समस्याओं के बावजूद भविष्य में पश्चिम बंगाल में चाय उद्योग की अच्छी सम्भावनाएँ है, क्योंकि :

  1. घरेलू एवं विदेशी बाजारों में चाय की ऊँची माँग है।
  2. कूचबिहार, उत्तर दिनाजपुर, दार्जिलिंग तथा जलपाईगुड़ी जिलों में छोटे-छोटे नए चाय बागानों की स्थापना की जा रही है तथा पुराने चाय बगानों का विस्तार किया जा रहा है।
  3. नए क्षेत्रों में चाय उगाने का प्रयास किया जा रहा है।
  4. पायलट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत पुरुलिया के अयोष्या पहाड़ी की ढालों पर चाय की झाड़ियों का सफल रोपण हुआ है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 16.
पश्चिम बंगाल के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर :
तीव्र आर्थिक विकास, नगरीकरण की प्रवृत्ति तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के कारण भारत के अन्य राज्यों की तरह पश्चिम बंगाल में भी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का विकास तीव्र गति से हुआ है। वर्तमान समय में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के क्षेत्र में पश्चिम बंगाल भारत के तीन अग्रणी राज्यों में से एक है। यहाँ निम्नलिखित खाद्य पदार्थो का प्रसंस्करण किया जाता है :-

खाद्यान्न प्रसंस्करण उद्योग (Grain Processing Industry) :- पश्चिम बंगाल एक कृषि प्रधान राज्य है। खाद्यान्नों के उत्पादन में इसका भारतवर्ष में प्रमुख स्थान है। खाद्यान्नों की उपलब्धता के कारण इनके प्रसंस्करण का उद्योग यहाँ विभिन्न क्षेत्रों में विकसित है।

दुग्ध प्रसंस्करण उद्योग (Dairy Processing Industry) :- दुग्ध प्रसंस्करण उद्योग के अंतर्गत विभिन्न दुग्व पदार्थ जैसे घी, दही, मक्खन, छेना, आइसक्रीम, सूखा दुध आदि तैयार किए जाते हैं। पश्चिम बंगाल में इस उद्योग का विकास कोलकाता (हरिनघाटा, बेलगछिया), दुर्गापुर, सिलीगुड़ी, बर्द्धमान तथा कृष्णनगर में हुआ है।

मत्स्य प्रसंस्करण उद्योग (Fish Processing Industry) :- मछली पश्चिम बंगाल के लोगों के भोजन का सर्वप्रिय हिस्सा है। अतः मछली प्राप्ति पर आधारित मत्स्य प्रसंस्करण उद्योग भी यहाँ उन्नतिशील है। यहाँ प्रान, तापसी, चाँदी, मेटकी, रिबन, फिश, मोल, मैकरेल, एकेट आदि समुद्री मछलियाँ तथा रोहु, कतला, फाशा कैटफिश, भ्रिंगाल, मैकरेल, हिल्सा आदि ताजे जल की मछलियाँ बड़े पैमाने पर पकड़ी जाती हैं। ताजे जल की मछलियों के उत्पादन की दृष्टि से इस राज्य का भारत में पहला स्थान है। यहाँ लगभग 4.45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ताज़े जल की मछलियाँ पकड़ी जाती है। ये मछलियाँ नदियों के मुहानों एवं तालाबों से पकड़ी जाती है।

फल एवं सब्जी प्रसंस्करण उद्योग (Fruits and Vegetables Processing Industry) :- पश्चिम बंगाल में विभिन्न प्रकार के फलों तथा सब्जियों की खेती की जाती है। आम, केला, अनानस, पपीता, कटहल, अमरूद आदि फल तथा आलू, टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, बैगन, कुम्हड़ा, लौकी आदि सब्जियाँ यहाँ उगायी जाती है। भारत के कुल आलू उत्पादन का 30 प्रतिशत, केला उत्पादन का 12 प्रतिशत तथा अनानास उत्पादन का 27 प्रतिशत उत्पादन पश्चिम बंगाल में होता है। प्रचुर मात्रा में फलों एवं सब्जियों के उगाए जाने के कारण पश्चिम बंगाल में इनको प्रसंस्कृत करके विविध प्रकार के उत्पादों जैसे स्क्वेश, अचार, चटनी, मुरब्बा, जैम, जेली जूस आदि का उत्पादन यहाँ विभिन्न संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों में किया जाता है।

शीतल पेय प्रसंस्करण उद्योग (Aerated Soft Drinks Processing Industry) :- पश्चिम बंगाल की जलवायु ऊष्ण कटिबंधीय एवं जनसंख्या घनी है, अतः यहाँ शीतल पेय पदार्थों के अधिक खपत की संभावना को देखते हुए बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा व्रिविध प्रकार के शीतल पेय बाजार में लाये जा रहे हैं। यहाँ स्थानीय स्तर पर अनेक शीतल पेय उत्पादन केन्द्र हैं, जो बाजारों में अपने उत्पादों को आकर्षक विज्ञापनों की सहायता से परोसने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ प्राकृतिक जल उत्पादन के कारखानों को भी सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जो बोतल बंद पेय जल बाजार में प्रस्तुत कर रहे हैं।

प्रश्न 17.
पश्चिम बंगाल में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की समस्याओं एवं सम्भावनाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की समस्याएँ (Problems of Food Processing Industry in West Bengal) :-
(i) यहाँ प्रसंस्करित खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता का स्तर ऊँचा नहीं है, अत: गुणवत्ता के सुधार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
(ii) मध्यस्थों एवं दलालों की उपस्थिति के कारण कच्चे माल की कीमत एवं पूर्ति दोनों प्रभावित होती है, जिसका असर उत्पादन पर होता है।
(iii) अधिकांश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कच्चे माल कृषि उपजों से प्राप्त होते हैं। कृषि उपजों के मौसमी होने के कारण वर्ष भर इनकी उपलब्धता की निरन्तरता नहीं रहती है।
(iv) बाढ़, सूखा फसलों तथा को रोग लगने के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित होते रहे हैं जिससे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
(v) इस उद्योग के क्षेत्र में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण का अभाव है। पश्चिम बंगाल में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की संभावनाएँ (Possiblities of Food Processing Industry in West Bengal) :-
(i) राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि के उद्देश्य से प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है।
(ii) शीघ नष्ट होने वाले कच्चे पदार्थ, जैसे :- माँस, फलों एवं सब्जियों के संरक्षण तथा पूर्ति में निरन्तरता के लिए शीत संम्रहागारों की संख्या बढ़ायी जा रही है।
(iii) सुपर बाजारों जैसे बिग बाजार, रिलायंस फ्रेश आदि की स्थापना से इस उद्योग का बाजार विस्तृत हो रहा है।
(iv) प्रसंस्कारित वस्तुओं के निर्यात को भी बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 18.
पश्चिम बंगाल में पर्यटन उद्योग के विकास का कारण लिखिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में पर्यटन उद्योग का विकास (Development of Tourism Industry in West Bengal) :- रोजगारजनक तथा आय का प्रमुख साधन होने के कारण सन् 1996 में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पर्यटन को उद्योग का दर्जा प्रदान किया गया। वर्तमान समय में यह राज्य देशी एवं विदेशी दोनों ही तरह के पर्यटकों में आर्कषण का केन्द्र बना हुआ है। यहाँ आने वाले पर्यटकों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है, जिससे यह उद्योग काफी प्रोत्साहित हो रहा है। पश्चिम बंगाल में पर्यटन उद्योग के विकास के निम्नलिखित कारण हैं :-
प्राकृतिक सौंदर्य :- पश्चिम बंगाल में प्राकृतिक सौन्दर्य के सभी आकर्षण, जैसे दार्जिलिंग, हिमालय के पर्वतीय दृश्य, दुआर क्षेत्र के चाय बागानों के नयनाभिराम दृश्य, सुन्दरवन अंचल के मैंग्रोव वन एवं जीव जगत, दक्षिण के आकर्षक सागर तटीय क्षेत्र आदि विद्यमान हैं जो वर्ष भर पर्यटकों को आकर्षित करते रहते हैं। दुआर के वन जीवन से समुद्र वनांचल भी यहाँ पर्यटकों के आकर्षण के प्रमुख केन्द्र हैं।

धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व के क्षेत्र :- पश्चिम बंगाल में अनेक धार्मिक एवं ऐतिहासिक विरासत के स्थल कोलकाता, बर्द्धमान, विष्णुपुर, गौड़, पाण्डुआ, लालबागान, चन्दननगर, श्रीरामपुर, चुंचुड़ा, बण्डेल, नवद्वीप, बैर कपुर तथा कूचबिहार में स्थित हैं। इन स्थलों पर समय-समय पर बड़ी संख्या में पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। पश्चिम बंगाल के पर्यटन विभाग द्वारा इन स्थलों पर स्थित ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के प्राचीन इमारतों के रख-रखाव व्यवस्था की जाती है।

मेला एवं त्यौहार :- पश्चिम बंगाल मेलों और त्यौहारों का राज्य है। शरद काल में यहाँ मानाया जाने वाला दुर्गापूजा का त्यौहार प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। मकर संकान्ति के अवसर पर सागरद्वीप में लगने वाले गंगासागर मेला में देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग यहा आते हैं। इसके अतिरिक्त शन्तिनिकेतन का पौष मेला, फुरफुरा शरीफ का उर्स मेला, कोलकाता फिल्मोत्सव आदि बंगाल में पर्यटकों को आमंत्रित करते रहते हैं।

उत्तम यातायात व्यवस्था :- पश्चिम बंगाल में सड़क, रेल तथा जल परिवहन की उत्तम व्यवस्था है। यहाँ हावड़ा, सियालदह तथा उत्तर बंगाल में जलपाईगुड़ी प्रमुख रेल स्टेशन है, जहाँ से प्रमुख स्थल के लिए रेलगाड़ियों की सुविधा है। पूरे राज्य में सड़कों का जाल बिख्छा हुआ है। अत: आन्तरिक क्षेत्रों में तथा ऊँचे पर्वतीय स्थलों पर सड़क मार्ग द्वारा पहुँचने की उत्तम व्यवस्था है। सुन्दरवन अंचल में पर्यटको के लिए स्टीमर की सुविधा प्रदान की जाती है। कोलकाता में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जहां से देश विदेश के लिए उड़ानों की सुविधा है।

पर्यटन स्थलों पर होटलों की उत्तम व्यवस्था :- पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्यलों पर पर्यटकों के ठहरने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा होटलों एव लॉजों की उत्तम व्यवस्था की गयी है। इन होटलों एव लॉजों में ऑनलाइन अप्रिम बुकिंग की व्यवस्था है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 19.
पश्चिम बंगाल में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) :- सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पश्चिम बंगाल की शुरुआत थोड़ी देर से हुई परन्तु वर्तमान समय में यह राज्य सूचना प्रौद्योंगिकी के क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है। कोलकाता मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में IT (Information Technology) तथा ITES (Information Technology Enables Services) द्वारा लगभग एक लाख लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है। देश की प्रमुख IT एवं ITES कम्पनियाँ पश्चिम बंगाल में कार्यरत हैं, जो राज्य के कुल राजस्व प्राप्ति में 70 प्रतिशत का योगदान कर रही है।

पश्चिम बंगाल देश का दूसरा सबसे घना बसा राज्य है। यहाँ के भूमि संसाधन पर जनसंख्या का दबाव बहुत अधिक है। IT तथा ITES कम्पनियों की रोजगारजनक क्षमता अधिक होती है एव इनकी स्थापना के लिए कम भूमि की आवश्यकता पड़ती है। अत: राज्य में इनके विकास को प्रोत्साहित करने का हर संभव प्रयास आवश्यक है। इसके लिए नियोजित एवं प्रभावकारी नीति बनाने की आवश्यकता है, जिससे बड़ी। कम्पनियाँ राज्य के विभिन्न हिस्सों में निवेश कर सकें।

राज्य में सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर के विकास के लिए पश्चिम बंगाल सरकर द्वारा 2011 में दो सलाहकार समितियों का गठन किया गया है जो सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में काम कर रही हैं। इन सलाहकार समितियों की देख-रेख में विभिन्न क्षेत्रों में विशेषझों के साथ कार्यकारी समूहों की स्थापना की गई है।

प्रश्न 20.
पश्चिम बंगाल में जूट उद्योग के विकास के कारणों का वर्णन कीजिए। वर्तमान समय में यह उद्योग किन समस्याओं का सामना कर रहा है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में जूट उद्योग के विकास के कारण :- इस क्षेत्र में जूट उद्योग के केन्द्रित होने के निम्नलिखित कारण हैं :-

  1. कच्चे माल की समीपता :- जूट का प्रधान उत्पादन क्षेत्र गंगा-बह्मपुत्र डेल्टाई भाग हैं। पश्चिम बंगाल भारत में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य.हैं। कुछ जूट बंगला देश से भी आयात किया जाता हैं।
  2. शक्ति के साधन :- रानीगंज तथा झारिया से कोयला मिल जाता है। दामोदर घाटी तथा मयूराक्षी योजनाओं से सस्ती जलविद्युत मिल जाती है।
  3. यातायात की सुविधा :- हुगली नदी द्वारा सस्ते जल यातायात की सुविधा प्राप्त होती है। रेल, सड़क तथा जलमार्ग द्वारा यह भाग देश के भीतरी भागो से जुड़ा है।
  4. सस्ते श्रमिक :- अधिक आबादी होने से बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल से सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं।
  5. कोलकाता बन्दरगाह की समीपता :- कोलकाता बन्दरगाह द्वारा मशीनरी एवं आवश्यक उपकरण मँगाने तथा तैयार माल निर्यात करने की सुविधा हैं।
  6. पूँजी की सुविधा :- यहाँ पूँजीपति रहते हैं। बेकों तथा पूँजीपतियों द्वारा भी पूँजी प्राप्त करने की सुविधा हैं।
  7. स्वच्छ जल की सुविधा :- जूट घोने व रँगने के लिए हुगली नदी द्वारा स्वच्छ जल प्राप्त होता है।
  8. पूर्वारम्भ की सुविधा :- ब्रिटिश काल में यहाँ सबसे पहले जूट के मिलों की स्थापना हुई थी। अतः यहाँ पूर्वारम्य की सुविधा है।

जूट उद्योग की समस्याएँ :-
कच्चे माल की कमी – 1947 ई० में देश के विभाजन के कारण अधिकांश जूट उत्पादक क्षेत्र पूर्वी पाकिस्तान में चले गये परन्तु अधिकांश जूट के कारखाने पश्चिम बंगाल में ही रह गये। इससे कच्चे माल की कमी हो जाती है।

विदेशी प्रतिस्पर्धा :- अब बंगलादेश, चीन, थाइलैण्ड तथा इण्डोनेशिया में भी जूट के कारखाने खुल गये हैं। अत: पश्चिम बंगाल के जूट उद्योग को प्रबल प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा है।

जूट के बोरों की माँग में कमी :- विश्व में जूट के कई स्थापनापन्न भी हो गए हैं। कहीं-कहीं कागज के थैलों और कहीं-कहीं अन्य रेशों के थैलों का प्रयोग होता हैं। कनाडा में तो बिना बोरों में भरे ही गेहूँ को जहाजों में भर कर निर्यात कर दिया जाता हैं। इस प्रकार विश्व बाजार में जूट के बोरों की माँग घट रही है।

पुरानी मशीनें :- पश्चिम बंगाल के जूट के कारखानों में ब्रिटिश काल की पुरानी मशीनें हैं। वे घिस- पिट गई हैं और आधुनिक समय के लिए अनुकूल नहीं है। इससे उत्पादन खर्च अधिक पड़ता है और माँग के अनुसार वस्तुएँ नहीं बन पाती हैं।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 21.
पश्चिम बंगाल के प्रमुख नगरों का विवरण दीजिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के प्रमुख नगर निम्न है :-
आसनसोल :- बर्द्धमान जिले में ग्रेंड ट्रंक रोड पर स्थित इस क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध नगर, प्रसिद्ध औधौगिक केन्द्र तथा प्रसिद्ध रेलवे जक्शन है। यहाँ रेल, साइकिल बनाने का कारखाना है।
दुर्गापुर :- बर्द्धमान जिले में दामोदर नदी के किनारे स्थित दुर्गापुर कोलकाता के बाद पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला नगर है। यहाँ इस्पात के दो कारखाने हैं।
रानीगंज :- बर्द्धमान जिले में दामोदर नदी के किनारे स्थित रानीगंज प्रसिद्ध कोयला क्षेत्र एवं व्यावसायिक शहर है। यहाँ कागज का एक कारखाना है।
चित्तरंजन :- बर्दमान जिले में झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित चित्तरंजन एक औद्योगिक केन्द्र है। यहाँ भारत सरकार द्वारा संचालित रेल इंजन का आधुनिक कारखाना है।
सिलीगुड़ी :- महानन्दा नदी के तट पर स्थित सिलींगुड़ी उत्तर बंगाल का सबसे बड़ा व्यापारिक एवं शैक्षणिक केन्द्र है। यह चाय एवं लकड़ी का एक बड़ा व्यापारिक केन्द्र है। यह कई सड़कों एवं रेलमार्गों का जंक्शन है।
बागडोरा :- यहाँ हवाई अड्डा है। यहीं पर उत्तर बंग विश्वविद्यालय है।
जलपाईगुड़ी :- तिस्ता नदी के दाएँ किनारे पर स्थित जलाईगुड़ी जिले का मुख्यालय तथा चाय उद्योग का प्रसिद्ध केन्द्र है। यहीं पर उत्तर बंग इंजीनियरिंग कॉलेज स्थित है।
अलीपुर दुआर :- जलपाईगुड़ी जिले में स्थित अलीपुर दुआर तराई प्रदेश का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र तथा रेलवे जंवशन है।
इंगिलश बाजार :- महानन्दा नदी के किनारे स्थित इंग्लिश बाजार मालदह जिले का मुख्यालय तथा प्रसिद्ध व्यावसायिक केन्द्र है। यह रेशम उद्योग के लिए विख्यात है।
बालूरघाट :- अन्नाई नदी के तट पर स्थित बालूरघाट दक्षिण दिनाजपुर जिले का मुख्यालय तथा प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र है। रायगंज :- उत्तर दिनाजपुर का मुख्यालय तथा प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र है।
मालदह :- महानन्दा नदी के तट पर स्थित मालदह एक प्राचीन शहर एवं रेशम उद्योग का केन्द्र है।
कूचबिहार :- तोरसा नदी के तट पर स्थित कूचबिहार जिले का मुख्यालय तथा प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र है।
बर्द्धमान :- इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख नगर, प्रशासनिक शहर तथा औद्योगिक केन्द्र है।
बोलपुर :- यह वीरभूम जिले का महत्वपूर्ण शहर और व्यापारिक केन्द्र है। इसके निकट रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांति निकेतन में विश्वभारती विश्वविद्यालय है।
खड़गपुर :- पश्चिम मिदनापुर जिले में स्थित खड़गपुर दक्षिण-पूर्व रेलवे का प्रसिद्ध जंवशन एवं व्यापारिक केन्द्र है। यहाँ पर प्रसिद्ध इंजीनियरिंग कॉलेज (आई. आई. टी) है। यहाँ स्कूटर बनाने का एक कारखाना है।
कंचन नगर :- बर्द्धमान जिले में स्थित यह नगर छुरी-केंची बनाने के लिए प्रसिद्ध है।
कोलकाता :- भारत का बम्बई के बाद दूसरा सबसे बड़ा नगर तथा दूसरा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यह बंगाल की खाड़ी के शीर्ष पर हुगली नदी के बाएँ किनारे पर स्थित है। यह पश्चिम बंगाल की राजधानी तथा पूर्वी भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक एवं शिक्षा का केन्द्र है।
हावड़ा :- यह पश्चिम बंगाल का दूसरा बड़ा नगर तथा औद्योगिक केन्द्र है।
कैनिंग :- यह मछली उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र है। यहाँ नोना मिट्टी को कृषि योग्य बनाने के लिए एक अनुसंधान केन्द्र खोला गया है।

प्रश्न 22.
पश्चिम बंगाल के प्रमुख पर्यटन स्थल कौन-कौन से हैं? उनके बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के प्रमुख पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं :-
दार्जिलिंग :- लेवंग पर्वत पर 2,133 मीटर की ऊँचाई पर स्थित दार्जिलिंग नगर दार्जिलिंग जिले का मुख्यालय, प्रसिद्ध पहाड़ी नगर तथा पर्यटन केन्द्र है। निकटवर्ती टाइगर हिल से एवरेस्ट एवं कंचनजंघा की हिमाच्छादित चोटियों का मनोरम दृश्य तथा कंचनजंघा पर उगते सूर्य की अलौकिक छटा दिखाई पड़ती है। प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण होने के कारण इसे ‘पहाड़ी स्थानों की रानी’ कहते हैं। यहाँ के बाँटेनिकल गार्डन और चिड़ियाखाना दर्शनीय स्थान हैं। यहाँ भारत का प्रथम पर्वतारोहण केन्द्र स्थापित किया गया है। इस नगर के आस-पास कई चाय के बगान हैं।

कलिपोंग :- दार्जिलिग के दक्षिण 1,198 मीटर की ऊँचाई पर स्थित कलिपोंग एक सुन्दर शहर तथा पहाड़ी स्थान है।
मिरिक :- दार्जिलिंग से 45 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में 1,800 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मिरिक को हाल ही में पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है।
विष्णुपुर :- यह बाँकुड़ा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है।
कर्सियांग :- डाऊहिल पहाड़ी पर 1,482 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कार्सियांग शहर एक स्वास्थ्य प्रद स्थान तथा व्यापारिक केन्द्र है।
काकद्वीप :- यह दक्षिण 24 परगना जिले का प्रसिद्ध शहर एवं व्यापार का केन्द्र है। इस शहर के निकट सागरद्वीप पर कपिलमुनि के आश्रम के आस-पास प्रतिवर्ष मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगासागर का बहुत बड़ा मेला लगता है।
बकखाली एवं फ्रेजरगंज :- यह प्राकृतिक सौन्दर्य के स्थान एवं पर्यटन केन्द्र है।
नामखाना :- व्यापार का केन्द्र है।
दीघा :- समुद्र तट पर स्थित दीघा पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध पर्यटन केन्द्र है। पश्चिम बंगाल सरकार ने यहाँ एक मनोरम स्वास्थ केन्द्र का निर्मोण करवाया है।
कांथी :- पूर्व मिदनापुर जिले के कांथी महकमें का एक शहर है। यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर, व्यापार एवं पर्यटन केन्द्र है।

प्रश्न 23.
कोलकाता बंदरगाह की उन्नति का कारण लिखिए।
उत्तर :
कोलकाता बंदरगाह भारत का पाँचवां सबसे बड़ा तथा भारत के पूर्वी तट का सबसे बड़ा बन्दरगाह है। इस बन्दरगाह की उन्नति के कारण निम्नलिखित हैं :-
उत्तम स्थिति :- कोलकाता बन्दरगाह हुगली नदी के बाएं किनारे पर बंगाल की खाड़ी से 128 कि॰मी॰ उत्तर की ओर स्थित है। अपनी उत्तम.स्थिति के कारण ही इसे पूर्वी भारत का प्रवेश द्वारा कहा जाता हैं।
सुरक्षित पोपाश्रय :- यद्यपि कोलकाता बन्दरगाह का पोताश्रय कृत्रिम है फिर भी यहाँ डायमण्ड हार्बर (नेताजी सुभाष) एवं खिदिरपुर पोताश्रय बनाये गये हैं। कोलकाता बन्दरगाह एक नदी बन्दरगाह है, जहाँ ऊँचे ज्वार के समय बडेबड़े जहाज तट तक आ सकते हैं।
कोलकाता बन्दगाह के भार को कम करने के लिए हल्दिया को इसके सहायक बन्दरगाह के रूप में विकसित किया गया है।
धनी एवं विस्तृत पृष्ठ प्रदेश :- कोलकाता बन्दरगाह का पृष्ठ प्रदेश बहुत ही धनी एवं विस्तृत है। इसका पृष्ठ प्रदेश पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, नेपाल, असम, मणिपुर, मिजोरम, नागालैण्ड, अरूणाचल प्रदेश तथा मेघालय तक फैला हुआ है। इसका पृष्ठ प्रदेश विस्तृत, घना आबाद, कृषि, खनिज पदार्थ तथा उद्योग-धन्धों में धनी है।
अन्तर्राष्ट्रीय भागों का केन्द्र :- कोलकाता अन्तर्राष्ट्रीय समुद्री मार्ग पर पड़ता है। उत्तरी अमेरिका एवं यूरोप से एशिया एवं आस्ट्रेलिया को जाने वाले अधिकांश जहाज यहीं से होकर जाते हैं।
परिवहन की सुविधा :- हुगली नदी एक आन्तरिक जलमार्ग का कार्य करती है। कोलकाता बन्दरगाह रेलमार्गो तथा सड़कों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह उत्तरी, पूर्वी तथा उत्तरी-पूर्वी रेलमार्गों का बहुत बड़ा जंक्शन है।
आयात के पदार्थ :- कोलकाता बन्दरगाह से मशीनें, मोटर, रासायनिक पदार्थ, खनिज तेल, कागज, रबड़, सूती, ऊनी एवं रेशमी वस्र का आयात किया जात है।
निर्यात के पदार्थ :- कोलकाता बन्दरगाह से जूट के सामान, चाय, चीनी, तिलहन, लाख, चमड़ा, अभ्रक, मैंगनीज, कोयला, लोहा-इस्पात एवं इंजिनियरिंग के सामानों का निर्यात किया जाता है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 24.
पश्चिम बांगल के उत्तरी पर्वतीय भाग के भू-प्रकृति का वर्णन करें?
उत्तर :
उत्तर का पर्वतीय भाग (The Northern Mountains) :- पश्चिम बंगाल के कुल क्षेत्रफल का मात्र 1 प्रतिशत पर्वतीय है। यह राज्य के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है। करोड़ो वर्ष पहले यहाँ टेथिस नामक एक समुद्र हुआ करता था।

भू-प्रकृति (Physlography) :- युगों-युगों तक जलोढ़ के जमाव तथा-भू-आन्दोलन के फलस्वरूप इस श्रृंखला का निर्माण हुआ। इसका विस्तार पश्चिम बगाल में नेपाल की सीमा से लेकर पूर्व में भूटान की सीमा तक लगभग 100 कि०मी० में है। उत्तर दक्षिण की चौड़ाई 25 से 50 किलोमीटर है। उत्तर बंगाल की प्रमुख नदी, तिस्ता इसके मष्य से प्रवाहित होती है। इस नदी द्वारा यह पर्वत पूर्व एवं पश्चिम दो भागों में विभक्त है। इस क्षेत्र में हिमालय की ऊँचाई 1800 से 3600 मीटर तक है। तिस्ता नदी के पश्चिम की ओर सिंगलीला तथा दार्जिलिंग श्रेणी उत्तर से दक्षिण की ओर विस्तृत है।

दार्जिलिंग के निकट घूम अंचल से घूम श्रेणी, ताकदा-पेशाक श्रेणी, एवं बागोरा डाउहिल श्रेणी विस्तृत हैं। इस अंचल में एक महत्तपूर्ण पर्वत शिखर सिंघल है जिसकी ऊँचाई 2,615 मीटर है। तिस्ता नदी के पूर्वी तरफ ताकदा पेशाक श्रेणी कलियोंग श्रेणी से मिलती है। कलिंपोंग श्रेणी के सर्वोच्च शिखर का नाम ऋषिला है जिसकी ऊँचाई 3,121 मीटर है तथा दूसरे सर्वोच्च शिखर का नाम दूर बिंदारा है जिसकी ऊँचाई 1,800 मीटर है।

दार्जिलिंग और कर्सियांग के मध्य में स्थित है टाइगर हिल इसकी ऊँचाई 2600 मीटर है। यहाँ से अगर आसमान साफ हो तो हिमाच्छादित कंचनजधा को देखा जा सकता है। दार्जिलिंग पर्वतीय अंचल की तुलना में जलपाईगुड़ी अंचल के पर्वतों की ऊँचाई कुछ कम है। इस अंचल में रेनिगंगा (1,855 मीटर) तथा छोटा सिंचुला 1,726 मीटर) नामक दो पर्वत शिखर हैं एवं बक्सा नामक एक गिरिपथ है।

प्रश्न 25.
पश्चिम बंगाल के जल प्रभाव प्रणाली का वर्णन करें।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल की नदी प्रणाली को तीन भागों में बाँटा जा सकता है :-
गंगा प्रणाली (The Ganga System) :- गंगा पश्चिम बंगाल की प्रमुख नदी है। यह हिमालय के गंगोत्री नामक स्थान से निकलकर उत्तर प्रदेश, बिहार में प्रवाहित होती हुई झारखण्ड के राजमहल पहाड़ के पास से पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है। मुर्शिदाबाद जिले के घुलियान के पास दो शाखाओं में बँट जाती है। एक शाखा भागीरथी नाम पाती है, जब यह कोलकाता और चौबीस परगना जिलों से आगे बढ़ती है तो हुगली कहलाती है। भागीरथी हुगली दक्षिण की ओर प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है। दूसरी शाखा पद्या जो दक्षिण पूर्व की ओर प्रवाहित होती हुई बंगालदेश में प्रवेश करती हैं। भागीरथी हुगली से पूरब गंगा की शाखाओं – प्रशाखाओं का जल मिलता है जिसमें भैरव, जलंगी, चुरनी, इच्छामती, माथा भांगा, विद्याधरी, उल्लेखनीय आदि हैं।

पश्चिम पठार की नदियाँ (Rivers of the Western Plateau) :- इस अंचल की प्रमुख नदियाँ हैं :दामोदर, द्वारकेश्वर, शिलाई, कंसावती, मयूराक्षी, अजय। ये सभी नदियाँ ढाल के अनुसार पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। मयूराक्षी और अजय भागीरथी में जा मिलती है। द्वारकेश्वर और शिलाई नदियाँ मिलकर रूपनारायण नदी कहलाती है। राढ़ मैदान का निर्माण इन्हीं नादियों के जलोढ़ से हुआ है। दामोदर इस क्षेत्र की प्रमुख नदी है।

उत्तर की नदियाँ (Rivers of the North) :- राज्य के उत्तर भाग हिमालय से निकलने वाली, नदियाँ उत्तर की नदियाँ कहलाती हैं। चूकि इन नदियों का उद्नम हिमालय के बर्फीले क्षेत्र हैं अत: वर्ष भर इनमें जलापूर्ति रहता है। महानन्दा, टांगन, तिस्ता, तोरसा और रायढाका उत्तर की प्रमुख नदियाँ हैं। इनमें प्रथम दो का जल गंगा में तथा शेष का जल ब्रह्मपुत्र में गिरता है। तिस्ता इनमें प्रमुख नद्री है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 8 पश्चिम बंगाल

प्रश्न 26.
पश्चिम बंगाल की जलवायु पर मानसूनी हवाओं के प्रभाव का वर्णन करो?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल की जलवायु पर मानसूनी हवाओं का प्रभाव (Impact of Morisoon on Climate of West Bengal) :-

ग्रीष्म ऋतु का मानसून (South West Monsoon) :- पश्चिम बंगाल में मार्च से मई तक लगातार तेजगति से तापमान बढ़ता है। इस समय सूर्य कर्क रेखा की ओर गतिशील रहता है, अत: पूरे बंगाल में तापमान तेजी से बढ़ता है। पश्चिम पठारी भाग में तापमान 32.7° C तक पहुंच जाता है। इसी समय-काल बैशाखी चलता है। चूँकि तापमान लगातार बढ़ता जाता है। अत: वायुमण्डलीय दाब लगातार घटने लगता है। अत: बंगाल की खाड़ी से आने वाली दक्षिणी पश्चिमी हवाएँ चलने लगती हैं जिनकी दिशा म्यांमार तट की ओर होती है।

ग्रीष्मकाल में पश्चिम बंगाल में बंगाल की खाड़ी से आनेवाली मानसूनी हवाएं सक्रिय रहती हैं। ये हवाएँ समुद्र से समतल की ओर आती हैं। अतः वाष्प से भरपूर रहती हैं और पूरे पश्चिम बंगाल में वर्षा प्रदान करती है। ये मानसूनी हवाएँ 15 जून से लेकर सितम्बर तक सक्रिय रहती हैं। ये हवाएं हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र से टकराकर खूब वर्षा करती हैं। वर्षा की मात्रा उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम की ओर घटती जाती है। पर्वतीय क्षेत्रों में 300 cm-500 cm तक वर्षा होती है। मैदानी भागों में 250 cm तक वर्षा होती है तथा पशचमी पठारी क्षेत्रों में 100 cm-150 cm तक वर्षा होती है। ग्रीष्ममानसून से पश्चिम बंगाल में धान तथा जूट की कृषि होती है।

उत्तरी पूर्वी शुष्क मानसून का प्रभाव (Effect of North East Manson Wind) :- नवम्बर के महीने से पश्चिम बंगाल में शरद ऋतु का आगमन हो जाता है। आकाश स्वच्छ हो जाता है। इस समय आर्द्रता कम तथा शीतल ॠतु का प्रभाव रहता है। तापमान 17° C-21° C के बीच रहता है। इस प्रकार मध्य एशिया पर उच्च वायुदाब बन जाता है और पश्चिम बंगाल में उत्तर पूर्वी शुष्क हवाएं चलने लगती हैं।

इस ऋतु में पश्चिम बंगाल में वर्षा नहीं होती। यह शुष्क ॠतु होती है। किन्तु कभी-कभी बंगाल की खाड़ी में चक्रवातीय तुफानों का सृजन होता है, उससे वर्षा भी होती है और मौसम खराब हो जाता है।

प्रश्न 27.
पश्चिष बंगाल के धान की कृषि का वर्णन करें।
उत्तर :
पश्चिय बंगाल में धान की कृषि (Paddy Agriculture in West Bengal) :- पश्चिम बंगाल के कुल कृषिगत्त भूमि के 53 मंतिशत भाग पर धान की कृषि की जाती है। यहाँ पर धान की कृषि का क्षेत्रफल दिनों दिन बढ़ रहा है। गहाँ पर अमन, आउस और दोरो तीन प्रकार के धान की कृषि की जाती है। आउस एवं अमन का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है : 2007.08 में आडस, अमन और वोरो का उत्पादन कमश : 0.566 मिलियान, 9.228 मिलियन टन एवं 4926 मिलियन टन रहा।
धान की कृषि राज्य के कुल उत्पादन (GDP) का 20.69 % प्रतिशत है।

कृषि क्षेत्र (Rice Agricultural Areal) :- पश्चिम बंगाल के कुल धान उत्पादन क्षेत्र का 47 प्रतिशत भाग वर्षा पर आधारित है। यहां के धान उत्पादक क्षेत्र को निम्न भागों में बांटा जा सकता है –

  1. उत्तरी पहाड़ी और तिस्ता तराई क्षेत्र
  2. विभ्जन जलोढ़ क्षेत्र
  3. गंगा का जलोढ़ क्षेत्र,
  4. तटीय नमकीन क्षेत्र एवं
  5. लाल-लैटराइट क्षेत्र। इस प्रकार ये पूरे क्षेत्र 6-10 लाख हेंट्टेयर भूमिका है।

प्रश्न 28.
पश्चिम बंगाल में जूट उत्पादन (कृषि) का वर्णन करें।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में जूट की कृषि (Jute Agriculture in West Bengal) :- जूट एक रेशेदार फसल है। गह्ह पूर्वी भारत (पशिचम बगाल) का महत्वपूर्ण, मुद्रादायिनी फसल (Cash Crop) है। इसे सुनहरे रेशे (Golden Fibre) की फसल कहते हैं। जूट का रेशे इसके तने से प्राप्त होता है। इसका रेशे मुलायम और लम्बे-लम्बे धागे बूने जा सकते हैं। इससे गनी बेंग (Gunny Bags) बनाये जाते है जो पैकेटिंग में प्रयोग किये जाते है। इन बैगों में चावल, गेहूँ, सीमेन्ट, चीनी, रासायनिक खाद आदि को भरा जाता है।
उत्पादन क्षेत्र (Areas of Production) :- पश्चिम बंगाल भारत के कुल जूट उत्पादन का 65 प्रतिशत उत्पन्न करता है। यह जूट उत्पादन का अभणी राज्य है। मुख्य जूट उत्पादक जिले मुर्शीदाबाद, उत्तर दिनाजपुर, नदिया, बर्द्धमान, मालदह और उत्तर 24 परगना है।

प्रश्न 29.
पश्चिम बंगाल के चाय उद्योग के प्रगति का वर्णन करें।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल चाय उद्योग (Tae industry of West Bengal) :
महत्व (Importance) :- पश्चिम बगाल में चाय उद्योग एक उन्नत स्थिति में है। इसका भारतीय अर्थव्यवस्था में मुख्य स्थःन है। झाग के निर्यात से, भारत को प्रचुर मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। पश्चिम बंगाल चाय उद्योग में दूसरे स्थान पर है। चाग उद्धोग ने लगगग 6 लाख मज़ूरों को रोजगार प्रदान किया है। चाय उद्योग ने यातायत और संचार के साधनों का विकास उत्तरी बंग्गल में किया है। इस प्रकार चाय उद्योग उद्योग पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था मे महत्तपूर्ण भूमिका निभा रहीं है।

स्थिति (Location) :- सन् 1870 और 1875 के बीच चाय बागानों की स्थापना जलपाईगुड़ी के डुआर्स क्षेत्र में की गयी। इस प्रकार बीरे- धीरे चाय उद्योग दार्जिलग, कूचबिहार और जलपाईगुड़ी जिलों में फैला गया। वर्तमान समय में पश्चिम तालाल में कुल 297 चाय बागान हैं।

चाय उद्योग की स्थापना के भौगोलिक कारण (Geographical Reasons) :- चाय के बागान पर्वतीय ढलानों पर विक्रसित किये गये है। चाय के लिए ढाल जमीन, 200 cm-250 cm वर्षा, प्रचुर मात्रा में श्रमिक लौह और नाइट्रोजन युक्त भिट्टी चाहिए : ये सभी भौगोलिक दशाएं दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और कूचबिहार के पर्वतीय भागों में उपलब्ये है जहाँ पर चाय उद्योग का विकास हुआ है।

उत्पादन (Production) :- पश्चिम बगाल में i) काली, ii) उलांग चाय और iii) हरी चाय का उत्पादन किया जाता है इन सब में कालो चाय काफी प्रसिद्ध है और प्रचुर मात्रा में पैदा की जाती है। 2004 में पश्चिम बंगाल में कुल 2 लाख 11 हुजार मीट्रिक टन चाय का उत्पादन किया गया।

व्यापार (Trade) :- चाय को कोलकाता चाय बाजार में निलाम (Auctioned) किया जाता है। यही से व्यापारी इसे खरीद कर पूरे देश में व्यापार करते हैं। यहां पर निलामी बाजार पर भारतीय चाय बोर्ड (Indian Tea Board) का नियंत्रण है। यहां से चाय कोलकाता बंदरगाह द्वारा बिटेन, अमेरिका, रूस, जर्मनो, यूक्रेन और पश्चिमी देशों को निर्यात की जाती है। भारत सरकार 2005 में चाय के निर्यात से कुल 1133 करोड़ रुपये की कमाई की।

Leave a Comment