Detailed explanations in West Bengal Board Class 9 Geography Book Solutions Chapter 7 भारत के संसाधन offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 9 Geography Chapter 7 Question Answer – भारत के संसाधन
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
किन्हीं दो सामान्य सुलभ संसाधनों का नाम लिखिए?
उत्तर :
वनस्पति, कृषि योग्य मिट्टी आदि।
प्रश्न 2.
कोरबा कोयला उत्पादक केन्द्र कहां स्थित है?
उत्तर :
कोरबा कोयला उत्पादक केन्द्र छत्तीसगढ़ में स्थित है ।
प्रश्न 3.
धातुएं किस प्रकार का संसाधन हैं?
उत्तर :
अजैव संसाधन।
प्रश्न 4.
एक पारम्परिक ऊर्जा स्रोत का नाम बताओ।
उत्तर :
कोयला, पेट्रोलियम।
प्रश्न 5.
पश्चिम बंगाल का तेल शोधक कारखाना कहां स्थित है?
उत्तर :
हल्दिया में।
प्रश्न 6.
एक नवीकरण संसाधन का नाम बताइए।
उत्तर :
वन।
प्रश्न 7.
एक गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत का नाम बताओ।
उत्तर :
सूर्यताप, पवन।
प्रश्न 8.
जल विद्युत किस प्रकार का संसाधन है?
उत्तर :
ऊर्जा संसाधन (Energy Resources)
प्रश्न 9.
पश्चिम भारत के महत्वपूर्ण परमाणु केन्द्र का नाम लिखो।
उत्तर :
मुंबई के निकट तारा पुर में ‘भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर’ (Bhabha Atomic Research Center), राजस्थान में स्थित कोटा ।
प्रश्न 10.
वे संसाधन जिनका सर्वेक्षण हो चुका है और जिनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, क्या कहा जाता है?
उत्तर :
विकसित संसाधन।
प्रश्न 11.
लौह अयस्क के जमाव की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन सा स्थ्रान है?
उत्तर :
पहला स्थान है।
प्रश्न 12.
भारत में पहला परमाणु विद्युत केन्द्र कहाँ स्थापित किया गया था?
उत्तर :
तारापुर महाराष्ट्र में।
प्रश्न 13.
भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक खनिज तेलशोधक कारखाने का नाम लिखो।
उत्तर :
हल्दिया तेलशोधक केन्द्र।
प्रश्न 14.
भारत में किस राज्य का लगभग सम्पूर्ण लौह अयस्क निर्यात कर दिया जाता है?
उत्तर :
गोवा का।.
प्रश्न 15.
संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर :
भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए।
प्रश्न 16.
कर्नाटक की एक लौह-अयस्क खान का नाम लिखिए?
उत्तर :
केमनगण्ड़ी की खान (कर्नाटक)
प्रश्न 17.
भारत में पहला जल विद्युत केन्द्र कहाँ स्थापित किया गया था?
उत्तर :
दार्जिलिग
प्रश्न 18.
कौन-सा लौह अयस्क सर्वोत्तम कोटि का होता है?
उत्तर :
मैग्नेटाइट।
प्रश्न 19.
भारत में किस जाति का लौह अयस्क पाया जाता है?
उत्तर :
हेमेटाइट और मैग्नेटाइट।
प्रश्न 20.
नेवेली लिग्नाइट परियोज़ना का विकास भारत के किस राज्य में हुआ है?
उत्तर :
तमिलानाडु
प्रश्न 21.
भारत में उत्पादित कुल कोयला के कितने प्रतिशत का उपयोग ताप विद्युत उत्पादन में किया जाता है?
उत्तर :
73 %
प्रश्न 22.
कोयला के उत्पादन में भारत का विश्व में कौन सा स्थान है?
उत्तर :
तीसरा स्थान है।
प्रश्न 23.
भारत में कुल आवश्यकता के कितने प्रतिशत खनिज तेल का खनन होता है?
उत्तर :
30 %
प्रश्न 24.
भारत का सबसे पुराना तेल क्षेत्र कौन सा है?
उत्तर :
असम का तेल कृटिन्ध।
प्रश्न 25.
भारत के किसी एक जलविद्युत उत्पादन केन्द्र का नाम लिखिए।
उत्तर :
महाराष्ट्र, खणोली, भिवपुरो, भीरा, कोयना।
प्रश्न 26.
विश्न का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र कहाँ स्थापित किया गया?
उत्तर :
आबनिंस्क रूस में।
प्रश्न 27.
तीन प्रमुख लौह-अयस्क उत्पादक केन्द्रों के नाम लिखो।
उत्तर :
घाली-राझरा (छत्तीसगढ़), गुरूमाहिसानी (उड़िसा), एवं केमानगुण्डी (कर्नाटक)
प्रश्न 28.
भारत में कौन दो कोयला क्षेत्र पाये जाते है?
उत्तर :
गोण्डवाना क्षेत्र और टर्शियरी क्षेत्र।
प्रश्न 29.
भारत के सबसे पुराने खनिज तेल शोघक कारखाने का नाम लिखो।
उत्तर :
डिगबोई।
प्रश्न 30.
भारत के सबसे बड़े तेल शोधक कारखाने का नाम लिखो।
उत्तर :
कोयलो, गुजरात में।
प्रश्न 31.
कोयला किस प्रकार का खनिज है?
उत्तर :
अवसादी शैलो में पाये जानेवाला अधात्विक खनिज है।
प्रश्न 32.
खनिज तेल के दो प्रमुख खनन केन्द्रों के नाम लिखो।
उत्तर :
असम में डिगब्रोई तथा गुजरात में अंकलेश्वर।
प्रश्न 33.
भारत के लौह अयस्क का सबसे बड़ा आयातक कौन-सा देश हैं?
उत्तर :
जापान।
प्रश्न 34.
तमिलाडु में किस प्रकार का कोयला पाया जाता है?
उत्तर :
लिग्नाइट।
प्रश्न 35.
भारत किस देश में कोकिंग कोयला आयात करता है?
उत्तर :
आस्ट्रेलिया।
प्रश्न 36.
अंकलेश्वर क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर :
अकलेश्वर गुजरात तेल क्षेत्र सबसे बड़ा भंडार है।
प्रश्न 37.
सागर सप्राट क्यों प्रसिद्ध हैं?
उत्तर :
सागर में खनिज तेल निकालने के लिए।
प्रश्न 38.
एक असमाप्य ऊर्जा स्रोत का नाम बताइए।
उत्तर :
ताप उर्जा।
प्रश्न 39.
पश्चिम बंगाल के एक ताप विद्युत केन्द्र का नाम बताइये।
उत्तर :
दुर्गापुर, बेण्डेल।
प्रश्न 40.
भारत में कहाँ पवन ऊर्जा उत्पादन की सम्भावना सबसे अधिक है।
उत्तर :
तमिलनाडु।
प्रश्न 41.
एक सौर ऊर्जा से संचालित उपकरण का नाम बताओ।
उत्तर :
सोलर कुकर, सोलर इन्वर्टर।
प्रश्न 42.
भारत में ज्वारीय शक्ति का उत्पादन कहाँ अधिक सम्भव है?
उत्तर :
गुजरात, तमिलनाडु।
प्रश्न 43.
पश्चिम बंगाल के एक जल विद्युत उत्पादन केन्द्र का नाम बताओ।
उत्तर :
मयुराक्षी, जलढाका।
प्रश्न 44.
सफेद कोयला (White Coal) किसे कहते हैं?
उत्तर :
जल विद्युत को।
प्रश्न 45.
पश्चिम बंगाल के एक ताप विद्युत केन्द्र का नाम बताइए।
उत्तर :
दुर्गापुर
प्रश्न 46.
भारत के लौह अयस्क का सबसे बड़ा आयातक कौन-सा देश है ?
उत्तर :
जापान।
प्रश्न 47.
तमिलनाडु में किस प्रकार का कोयला पाया जाता है?
उत्तर :
लिमोनाइट।
प्रश्न 48.
भारत किस देश से कोकिंग कोयला आयात करता है?
उत्तर :
आस्ट्रेलिया।
प्रश्न 49.
अंकलेश्वर क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर :
अंकलेश्वर गुजरात तेल क्षेत्र सबसे बड़ा भंडार है।
प्रश्न 50.
सागर सग्राट क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर :
सागर मे खनिज तेल निकालने के लिए।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS
प्रश्न 1.
किसी वस्तु के संसाधन होने के लिए किन-किन बातों का होना आवश्यक है?
उत्तर :
किसी वस्तु के संसाधन होने के लिए तीन-बातों प्रकृति, मनुष्य और प्राद्योगिकी का होना जरूरी है?
प्रश्न 2.
अजैविक संसाधन से आप क्या समझते है?
उत्तर :
अजैविक संसाधन (Abiotic Resources) : अजीवित वस्तुओं से प्राप्त होनेवाले पदार्थो को अजेविक संसाधन कहा जाता है। ऐसे संसाधन खानो या चट्टानों से खनिज रूप मे उपलब्ब होते हैं जैसे-लोहा, सोना, चाँदी, ताँबा, कोयला, पेट्रोलियम आदि।
प्रश्न 3.
भारत के चार प्रमुख परमाणु विद्युत केन्द्रों के नाम बताओ।
उत्तर :
मुंबई के निकट तारापुर, राजस्थान में कोटा, उत्तर प्रदेश में नरोरा, तलिमनाडु में कलपक्कम
प्रश्न 4.
पश्चिम बंगाल के दो ताप विद्युत केन्द्रों के नाम बताओ।
उत्तर :
बैन्डेल, वकेश्वर, कोलाघाट।
प्रश्न 5.
अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन से क्या समझते हैं? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
वे संसाधन जो किसी देश की सीमा से दूर खुले महासागर द्वारा प्राप्त हो उसे अन्तरांष्ट्रीय संसाधन कहते हैं। इन संसाधनों को अंतराष्ट्रीय सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता। जैसे तट रेखा से 200 कि०मी० की दूरी में स्थित महासागर।
प्रश्न 6.
तमिनाडु के दो परमाणु विद्युत केन्द्रों के नाम बताओ।
उत्तर :
ईडुक्की, कलपक्कम।
प्रश्न 7.
जल विद्युत के क्या लाभ है?
उत्तर :
प्रदुषण मुक्त, कम खर्चीला, शक्ति का सस्ता साधन।
प्रश्न 8.
जल विद्युत उत्पादन के क्यो दोष है?
उत्तर :
असदावाहिनी नदी, दूर खपत क्षेत्र तक पहुँचाने में असुविधा।
प्रश्न 9.
विद्युत कितने प्रकार की होती है?
उत्तर :
विद्युत मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है –
- ताप विद्युत
- जल विद्युत
- परमाणु विद्युत।
प्रश्न 10.
कोयले के उप पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर :
कोलतार, बेंजोल, नेष्थलिन।
प्रश्न 11.
पेट्रोलियम से प्राप्त होने वाले उप-पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर :
चिकनाई तेल, गैस, सौन्दर्य के सामान।
प्रश्न 12.
भारत किन देशों से खनिज तेल का आयात करता है?
उत्तर :
रासिया, इरान, सऊदी अरब।
प्रश्न 13.
खनिज लोहा से क्या बनाया जाता है?
उत्तर :
खनिज लोहा से ढलवाँ लोहा (Pig Iron) तथा इस्पात (Steel) बनाया जाता है।
प्रश्न 14.
चक्रीय संसांधन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
चक्रीय संसाधन (Recyclable Resources) :- जिन संसाधनों का उपयोग बार-बार किया जाये, वे चक्रीय संसाधन कहलाते हैं। जैसे-लोहा, चाँदी, सोना आदि।
प्रश्न 15.
आज के युग को लौह युग क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
आज लोहा विश्व में सबसे उपयोगी धातु है। मानव के उपयोग में आने वाली सूई जैसी छोटी चीज से लेकर विशाल यंत्रों, वायुयानों एवं जलयानों तक का निर्माण लोहे से ही होता है। इसी से आज के युग को लौह युग कहा जाता है।
प्रश्न 16.
भारत किन देशों को कोयले का नियति करता है?
उत्तर :
भारत कोयले का निर्यात मुख्य रूप से श्रीलंका, पाकिस्तान, बंगलादेश, सिंगापुर, हांकांग, म्यामार, मारीशस आदि देशों को करता है।
प्रश्न 17.
भारत किन देशों से कोकिंग कोयला आयात करता है?
उत्तर :
भारत कोकिंग कोयले का आयात ऑस्ट्रेलिया, कनाडा तथा पोलैण्ड से करता है।
प्रश्न 18.
भारत किन देशों से खनिज तेल का आयात करता है?
उत्तर :
भारत ईरान, कुबैत, इराक, सउदी अरब, बहरीन, बेनेजुएला, म्यांमार तथा इण्डोनेशिया आदि देशों से खनिज तेज का आयात करता है।
प्रश्न 19.
विकसित संसाधन से क्या समझते हैं?
उत्तर :
वे संसाधन जिनका सर्वोक्षण किया जा चुका है और उनके उपयोग की गुणवता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं।
प्रश्न 20.
कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला का वर्गीकरण कीजिए।’
उत्तर :
कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला पाँच प्रकार का होता है
- एन्थासाइट
- विटुमिनस
- लिग्नाइट
- पीट
- कैनेल।
प्रश्न 21.
भू-तापीय ऊर्जा से क्या समझते हैं?
उत्तर :
पृथ्वी के आंतरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 22.
जैविक संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जैविक संसाधन (Biotic Resources) :- जिन संसाधनों को जीवों या जीवित वस्तुओं से प्राप्त किया जाता है वे जैवीय संसाधन कहलाते हैं। प्राणियों और वनस्पतियों से प्राप्त या सुलभ संसाधन जैवीय संसाधन हैं जैसे-जंगली जीवजन्तु, पालतु पश-पक्षी, मछ्छलियाँ, कृषि से प्राप्त फसलें आदि।
प्रश्न 23.
प्राकृतिक वनस्पतियों को नवीकरणीय संसाधन क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
प्राकृतिक वनस्पतियाँ हमारे लिए प्रकृति के द्वारा दिया गया एक बहुमूल्य संसाधन है। जंगलों को काटकर या उनसे उत्पादित वस्तु को प्राप्त कर हम अपनी जरूरतों की पूर्ति कर सकते हैं। जंगलों को काटकर पुन: वृक्षारोपण द्वारा उनकी क्षतिपूर्ति की जा सकती है। इसलिए इसे नवीकरणीय संसाधन कहते हैं?
प्रश्न 24.
परम्परागत शक्ति के साधन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
वे संसाधन जिनका व्यवहार या प्रयोग सदियों से किया जा रहा है, उसे परम्परागत संसाधन कहते है। जैसेकोयला, पेट्रोलियम।
प्रश्न 25.
गैर-परम्परागत शक्ति के साधन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
वे संसाधन जिनका व्यवहार आधुनिक तकनीक का प्रयोग द्वारा किया जा रहा है, उसे गैर-परम्परागत शक्ति के साधन कहते हैं। जैसे पवन उर्जा, सौर उर्जा आदि।
प्रश्न 26.
सागर सग्राट क्या है?
उत्तर :
सागर सम्माट लोह से निर्मित एक विशाल जहाज (Rig) है जो बाम्बे हाई में तेल उत्पादन के कार्य में उपयोग हो रहा है।
प्रश्न 27.
प्राकृतिक समाग्री किसे कहते हैं?
उत्तर :
कुछ वस्तुएँ न उपयोगी है न हानिकारक हैं उन्हें Natural Stuffs कहते हैं। उदाहरण के रूप में कोयला, सोया हुआ आदमी, ये मानक के लिए न तो उपयोगी है न बेकार हैं।
प्रश्न 28.
मनुष्य की द्वैध भूमिका क्या है?
उत्तर :
मनुष्य संसावन का निर्माण करता है, किन्तु वह स्वयं भी एक संसाधन अर्थात् उत्पादन करता है। मनुष्य संसाधन का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। इसी को मनुष्य की दोहरी भूमिका (Dual role) कहा जाता है।
प्रश्न 29.
मैंगनीज का क्या उपयोग है?
उत्तर :
मैगनीज का उपयोग लौह – इस्पात उद्योग, शीशा उद्योग और ब्लीचिंग बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 30.
बाक्साइड की क्या उपयोगिता है?
उत्तर :
बॉक्साइड से अल्यूमिनियम प्राप्त किया जाता है। किरोसिन तेल को साफ किया जाता है और रासायनिक वस्तुओं की तैयारी की जाती है।
प्रश्न 31.
लौह-इस्पात उद्योग में मैंगनीज की क्या उपयोगिता है?
उत्तर :
मैंगनीज का उपयोग इस्पात को कठोर एवं जंगरोषी बनाने तथा लोहे में से गैस को हटाने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 32.
तीन प्रमुख लौह – अयस्क उत्पादक केन्द्रों के नाम लिखो?
उत्तर :
तीन प्रमुख लौह अयस्क उत्पादक केन्द्र :
- घाली-राक्षरा-छत्तीसगढ़
- गुरुमहिसानी- उड़ीसा एवं
- बाबा बूदन पहाड़ियों का केमानगुण्डी – कर्नाटक
प्रश्न 33.
भारत में किस प्रकार का कोयला पाया जाता है?
उत्तर :
भारत में गोण्डवाना और टर्शियरी दो प्रकार के कोयला क्षेत्र पाये जाते हैं।
प्रश्न 34.
भारतीय कोयले की क्या कमिय हैं?
उत्तर :
(i) भारतीय कोयले की किस्म निम्न है एवं यह अत्यधिक घुआँ उत्पन्न करता है।
(ii) उष्मा प्रदान करने के सन्दर्भ में भारतीय कोयला निम्न है।
प्रश्न 35.
भारतीय लौह अयस्क की क्या विशेषता है?
उत्तर :
भारतीय लौह अयस्क उत्तम कोटि का है तथा इसमें गंधक की मात्रा काफी कम (0.6 % से भी कम) होती है।
प्रश्न 36.
मानव भी संसाधन है, कैसे?
उत्तर :
वस्तु या पदार्थ संसाधन नहीं बल्कि उसमें उपस्थित कार्यकारिता या उपयोगिता जो मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और जिन्हें मानव सुजित करता है, इसलिए मानव भी एक संसाधन हैं।
संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS
प्रश्न 1.
क्या संसाधन प्राकृतिक उपहार है? कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
संसाधन प्राकृतिक उपहार नहीं है, संसाधन मानवीय क्रियाओं का परिणाम है। मानव स्वयं भी संसाधनों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वह पर्यावरण में पाये जाने वाले पदार्थो को संसाधन में परिवर्तित करता है और उनका प्रयोग करता है।
प्रश्न 2.
गैर-परम्परागत शक्ति संसाधनों से प्रदूषण क्यों नहीं होता है?
उत्तर :
सौर उर्जा, पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा आदि गैर-परम्परागत ऊर्जा के सोत्र हैं। इनकी उत्पत्ति नयी तकनीकी खोज द्वारा हुई है । ये गैस, दुर्गन्ध और मलवा नहीं छोड़ते हैं। अत: इन संसाधनों का उपयोग कर प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है, जो आज की सबसे बड़ी पर्यावरण की समस्या है।
प्रश्न 3.
लौह अयस्क के उपयोग एवं महत्व को लिखो।
उत्तर :
अथर्ववेद के अनुसार लोहा समृद्धि का अमोघ यन्त्र है। लोहे का उपयोग मानव विकास के उत्तर-पाषाण युग से पश्चात् वर्तमान युग तक निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। आधुनिक युग के औद्योगिक विकास एवं सभी प्रकार की प्रगति, देशों की श़्ति और आर्थिक समृद्धि का आधार भी लोहा एवं लोहे से निर्मित वस्तुएँ एवं मशीनें ही है। इसलिए इस युग को ‘लोह-इस्पात का युग?
प्रश्न 4.
खनिज तेल के व्यापार का वर्णन करो।
उत्तर :
खनिज तेल को यातायात की रीढ़ कहते हैं लेकिन यह सभी देशों में नहीं पाया जाता है। खनिज तेल का प्रयोग संसार के सभी देशों यातायात, उद्योग-धंधे, कृषि में अनिवार्यत: किया ही जाता है। इस प्रकार खनिज तेल का आयात तथा निर्यात आवश्यक है। खनिज तेल निर्यातक देशीय संगठन (Organisation of Petroleum Exporting Countries = OPEC) द्वारा संसार के सभी देशें को खनिज तेल की आपूर्ति की जाती है। खनिज तेल प्रमुख निर्यातक देश, खाड़ी के देश वेनुजुएला, लीबिया, ट्यूनीशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूसीय संघ आदि हैं। इसके आयातक संसार के प्रात: सभी देश है।
प्रश्न 5.
लौह अयस्क के व्यापार का वर्णन करो।
उत्तर :
लौह अयस्क भारी व सस्ता खनिज है। कुछ विकसित, कई विकासशील व पूर्वी यूरोप के समाजवादी देश लौह अयस्क का आयात करते हैं। लौह अयस्क के अपरिमित भण्डार रूसीय परि-संघ, बाजोल, कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि देशों में पाये जाते है। मुख्य आयातक देश जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिमी यूरोपीय देश, चीन एवं अन्य विकासशील देश है। मुख्य निर्यातक देश ब्राजील, आस्ट्रेलिया, भारत, रुसीय परिसंघ युकेन, स्वीडेन, दक्षिण अफ्रिका, कनाडा, अल्जीरिया, वेनेजुएला, लाइबेरिया एवं सेन हैं।
प्रश्न 6.
कोयले के उपयोग एवं महत्व का वर्णन करो।
उत्तर :
कोयल के उपयोग एवं महत्व :-कोयले का मुख्य उपयोग शक्ति के साधनों के रूप में किया जाता है। किसी देश का औद्यौगिक विकास मुख्यत: कोयले पर ही निर्भर है। कोयले का प्रयोग तापीय विद्युत शाक्ति उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। आजकल इसका प्रयोग रसायन तथा पेट्रो-रसायन उद्योगों में कच्चे माल के रूप में बड़े पैमाने पर किया जाता है। कोयल से सिन्थेटिक कपड़े, कृत्रिम तेल तथा गोला-बारूद आदि भी बनाये जा रहे हैं। कोयल का प्रयोग घरेलू ईधन के रूप में किया जाता है। इससे बाष्प पैदा करके मशीनों तथा जलयान चलाने में किया जाता है। लगभग 80 % कोयला का प्रयोग लोहा और इस्पात उद्योग तथा विद्युत शक्ति उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 7.
कोयले के व्यापार की व्याख्या करो।
उत्तर :
कोयला एक भारी तथा ज्चलनशील खनिज है तथा इसका विश्व वितरण असमान होता है। यह संसार के लगभाग सभी देशों में कम या अधिक पाया जाता है। संसार के देशों से कोयल के सह-उत्पादक का आयात तथा निर्यात किया जाता है। कोयला के प्रमुख व्यापारकता देश स्वीडेन, फ्रांस, कनाडा, पाकिस्तान, बंगलादेश, दक्षिणी अफ्रीका, इटली और खाड़ी के देश है।
प्रश्न 8.
उर्जा के परम्परागत साधनों के लाभ एवं हानि को लिखो।
उत्तर :
लाभ (Advantage) :
- इनको जलाकर वर्तमान समय में आवश्यक 60 % उर्जा की आपूर्ति की जा रही है।
- ये परम्परागत साधन है जिनका उपयोग बहुत प्राचीन समय से हो रहा है।
हानि (Disadvantage) :
- ये अनवीकरणीय संसाधन हैं।
- इनका भण्डार सीमित है जो भविष्य में समाप्त हो सकता है।
- उर्जा के परम्परागत स्रोत प्रदूषणकारी हैं।
- जीवाश्म ईंधनों का विनाश तेजी से हो रहा है।
प्रश्न 9.
भारत में उत्पादन किये जाने वाले ताप विद्युत की व्याख्या करो।
उत्तर :
देश में निरन्तर विद्युत की मांग कई गुणा बढ़ने से जब जल विद्युत एवं अणुविद्युत की परियोजनाओं द्वारा उसे पूरा कर पाना सम्भव नहीं हो पाया तो कोयले एवं खनिज तेल से ताप विद्युत गृहों की स्थापना प्रारम्भ में कोयला खन्न क्षत्रों के आस-पास की गई। ऐसे ताप विद्युत गृहों के विकास में भारत को लम्बे समय तक रूसी सहयोग-प्रोजेक्ट रिर्पोट तैयार करना, स्थान निर्धारण, मशीनरी का आयात एवं स्वदेश में ही ताप विद्युत गृह का निर्माण एवं उसका संरचनात्मक विकास एवं संचालन का पूरा प्रशिक्षण, शक्ति गृहों से उपभोक्ता केन्द्रों तक उसके लिए संचारण व्यवस्था आदि की सम्पूर्ण जानकारी रूस एवं चेक गणराज्य से प्राप्त हुई।
अब भारत में ही 500 मेगावाट तक की जेनरेटर सेट की इकाईयों का निर्माण सम्भव होने से सुपर ताप विद्युत गृह की क्षमता को बढ़ाकर 2000 से 2500 मेगावाट तक किया जा चुका है।
प्रश्न 10.
भारत में पवन ऊर्जा के विकास पर प्रकाश डालो।
उत्तर :
पवन ऊर्जा (Wind Energy) : अनुमान है कि भारत मे कुछ 45,000 मेगावाट सम्भाव्य पवन ऊर्जा है और 13,000 मेगावाट पवन ऊर्जा प्राप्त करने को प्रौद्योगिकी का विकास किया जा चुका है। अब तक 1,340 पवन ऊर्जा प्राप्त की जा चुकी है। इससे भारत स्पेन जर्मनी, सयुक्त राज्य अमेरिका, डेनमार्क तथा स्पने के बाद पवन ऊर्जा विकसित करने वाला विश्व का पांचवाँ बड़ा देश बन गया है। पवन ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अब तक 208 स्थानों को अंकित किया गया है। गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आघ प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक में पवन ऊर्जा के दोहन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ पायी गई हैं। लगभग 8.8 खरब यूनिट बिजली विभिन्न राज्यों के ग्रिडी को प्रदान की गई है। उर्जा जेनेरेटर, प्रवन मिल तथा बैट्री चार्जिग सिस्टम को विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। दस मेगावाट वाला एशिया का सबसे बड़ा पवन फार्म गुजरात के खम्भात में स्थापित किया गया है।
प्रश्न 11.
भारत में भूतापीय ऊर्जा के विकास की व्याख्या करो?
उत्तर :
भूतापीय ऊर्जा :- भूतापीय उर्जा वह ऊष्मा (Heat) है जो पृथ्वी के धरातल के नीचे, भूगर्भ में होनेवाले प्राकृतिक प्रकमों से पैदा होती है। भूपटल (Crust) के लगभग 50 किलोमीटर नीचे मैन्टिल (Mantle) परत विस्तृत है जो अर्द्ध द्रवित (Semi-molten) दशा में है। मैन्टल परत के नीचे लोहे तथा निकिल, युक्त द्रवित शैलों तथा रेडियोधर्मी पदार्थो के विघटन से उत्पन्न तीव्र दबाव के कारण पृथ्वी का भीतरी भाग भी गर्म हो जाता है। समान्यतः ऊष्मा का यह स्रोत पृथ्वी के बहुत नीचे स्थित होता है किन्तु कुछ क्षेत्रों में जहाँ द्रवित शैले भूपटल की दरारों से होकर पृथ्वी के धरातल के निकट आ जाती हैं, वहां वाष्प (Steam) तथा उष्ण जल के भूमिगत स्रोत उत्पन्न हो जाते हैं।
इन निक्षेपों में वेधन (Drilling) करके उनकी ऊर्जा के स्थानों एवं जल को गर्म करने, औद्योगिक कार्यों को संचालित करने तथा विद्युत उत्पादन के लिये प्रयुक्त किया जा सकता है। भूतापीय संसाधनों में शुष्क वाष्प (Dry Steam) सबसे बिरल, लेकिन वरीयता प्राप्त संसाधन है। भारत ने इस उर्जा दोहन के लिए पर्याप्त उन्नति की है। भूगर्भिक सर्वेक्षणों द्वारा 340 गर्म जल के झरनों की खोज की गयी हैं। भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के तत्तापानी में 300 किलोवाट का भूपातीय ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की मंजूरी दी है। भारत में संभाव्य 2000 मेगावाट भूतापीय ऊर्जा विद्यमान है।
प्रश्न 12.
लोहे के उपयोग पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
किसी भी देश की औद्योगिक उन्नति एवं सामरिक महत्व लौह इस्पात उद्योग पर निर्भर है। लौह अयस्क से कच्चा लोहा का निर्माण होता है। इससे रेलवे लाइन, गाड़याँ, हवाई-जहाज, कृषि के सामान, उत्पादन की मशीनें, सामरिक आवश्यकता के सामान, जलपोत, पनडुबब्वी बनती है। भारत खनिज लौह के बारे में आत्म निर्भर ही नहींडसका निर्यात भी करता है।
प्रश्न 13.
लौह अयस्क की विभिन्न किस्मों का विवरण दीजिए।
उत्तर :
शुद्ध धातु की मात्रा के आधार पर लौह अयस्क की प्रमुख चार किस्में हैं :-
- हैमेटाइट (Haematite) :- इसका रंग लाल व काला होता है। इसमें लौहांश 70 % प्रतिशत होता है। संसार में अधिकतर इसी जाति का लोहा मिलता है।
- मैग्नेटाइड (Magnetite) :- यह सर्वश्रेष्ठ लौह-अयस्क है। जिसमें लौहांश 72.4 प्रतिशत होता है। इसमें नमी सबसे कम होती है। इसका रंग काला होता है। इसमें चुम्बकीय गुण होता है। इसी से इसका नाम मैग्नेटाइड पड़ा।
- लिमोनाइट (Limonite) :- इसमें लौहांश 60 % होता है। इसका रंग पीला व भूरा होता है।
- सिडेराइट (Siderite) :- यह निम्नकोटि का लोहा है, जिसमें लोहाश 48 प्रतिशत रहता है। इसका रंग पीला होता है।
प्रश्न 14.
भारत में लोहे के व्यापार पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा लौह-अयस्क निर्यातक देश है। यहाँ कुल उत्पादन का लगभग 50 % से अधिक लौह-अयस्क का निर्यात कर दिया जाता है। गोवा में उत्पादित होने वाला सम्पूर्ण लौह-अयस्क निर्यात कर दिया जाता है। जापान सबसे बड़ा ग्राहक है, जो हमारे देश के कुल लौह अयस्क निर्यात के तीन-चौथाई भाग का खरीददार है। जापान के अतिरिक्त यूरोपीय देश मुख्यत: चेको स्लोवाकिया गणराज्य, जर्मनी, रूमानिया, इटली, सर्विया, पोलैण्ड, बेल्जियम, हंगरी आदि प्रमुख आयातक देश हैं।
भारत को जापानी बाजार में ऑस्ट्रेलिया एवं मलेशिया तथा यूरोपीय बाजार में लैटिन अमेरिकी एवं अफ्रीका की देशों के साथ कड़ी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है। मर्मुगाँव, मंगलौर, विशाखापत्तनम, पारादीप तथा हल्दियाँ यहाँ के प्रमुख लौह-अयस्क निर्यातक बन्दरगाह है। लौह-अयस्क के समस्त विश्व निर्यात में भारत का हिस्सा 9.9 प्रतिशत है।
प्रश्न 15.
कोयले के उपयोग लिखिए।
उत्तर :
कोयले का प्रमुख उद्योग निम्न है :-
- स्टीम शक्ति
- विद्युत शक्ति
- घरेलु शक्ति
- खनिज कोक के रूप में एवं
- रासायनिक उद्योग में कच्चे माल के रूप में।
इसकी विविध उपयोगिता को देखकर इसे Black Diamond कहा जाता है।
प्रश्न 16.
पेट्रोलियम को तरल सोना क्यों कहते हैं?
उत्तर :
पेट्रोलियम से कई उप-पदार्थ (By Products) प्राप्त होते हैं। इससे मशीनों के घर्षण को कम करने के लिए चिकनाई के तेल (Lubricant-oil) बनाये जाते हैं। आज के युग में इसे तरल सोना (Liquid Gold) कहा जाता है। पेट्रोलियम से ही पेट्रोल, डीजल एवं मोबिल बनते हैं जिनका उपयोग तीव्र गति वाले यानों जैसे-मोटर, रेल एवं वायुयान में होता हैं। आज के युद्ध पेट्रोलियम से ही जीते जाते हैं।
प्रश्न 17.
भारत में खनिज तेल की सम्भावना वाले प्रमुख क्षेत्र कौन-कौन से है?
उत्तर :
भारत में खनिज तेल की सम्भावना वाले प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं:-
- गंगा बेसिन
- पश्चिम बंगाल का सुन्दर वन डेल्टाई क्षेत्र एवं उड़ीसा का तटीय भाग
- पश्चिम हिमालय क्षेत्र
- राजस्थान-सौराष्ट्र कच्छ क्षेत्र
- तमिलनाडु एवं आन्ध्र प्रदेश का तटीय क्षेत्र
- केरल का तटीय क्षेत्र
- अण्डमान-निकोबार का तटीय क्षेत्र
- असम-मेघालय-त्रिपुरामिजोरम क्षेत्र
- उत्तरी गुजरात
- दक्षिणी गुजरात एवं नर्मदा घाटी।
प्रश्न 18.
जलविद्युत के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
जलशक्ति का महत्व : भारत में जलविद्युत का महत्व निम्नलिखित है :-
- शक्ति का अक्षय साधन :- कोयला एवं पेट्रोलियम समाप्त हो सकते हैं परन्तु जलविद्युत शक्ति का अक्षय साधन है। एक बार विद्युत गृह स्थापित करके सदैव जलविद्युत प्राप्त किया जा सकता है।
- शक्ति का सस्ता साधन :- कोयला एवं पेट्रोलियम की अपेक्षा जलविद्युत का उत्पादन काफी सस्ता पड़ता है।
- प्रदूषण रहित :- जलविद्युत के उत्पादन एवं प्रयोग में किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलता है।
- शक्ति के अन्य साधनों की बचत :- जलशक्ति के प्रयोग से कोयला एवं पेट्रोलियम को भविष्य के लिए बचाया जा सकता है।
- परिवहन की सुविधा :- कोयला एवं पेट्रोलियम के परिवहन में काफी खर्च पड़ता है। परन्तु केवल खम्भों एवं तारों की सहायता से जलविद्युत को आसानी एवं शीघ्रता से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है।
प्रश्न 19.
परमाणु ऊर्जा के लाभ क्या है?
उत्तर :
परमाणु ऊर्जा के लाभ निम्नलिखित है :-
(i) परमाणु शक्ति का उपयोग उद्योग के लिए तथा बहुमूल्य कच्चे माल के रूप में किया जाता है।
(ii) यद्यपि परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिये आरम्भ में भट्ठी (Nuclear Reactor) और शक्ति गृह के निर्माण में बहुत अधिक लागत व्यय होती है, परन्तु विद्युत उत्पादन का व्यय कोयले की अपेक्षा कम होता है।
प्रश्न 20.
सौर ऊर्जा से आप क्या समझते हो?
उत्तर :
सौर ऊर्जा (Solar Energy) : सौर तालाब (Solar Pond) सौर ऊर्जा प्राप्त करने की नई विधि है। भारत का पहला सोलर पौण्ड गुजरात के कच्छ में बनाया गया है। इसे भुज सोलर पौण्ड परियोजना का नाम दिया गया है। यह परियोजना गुजरात डेयरी विकास निगम, गुजरात ऊर्जा विकास एजेन्सी तथा टाटा ऊर्जा अनुसंधान संस्थान की संयुक्त परियोजना है।
प्रश्न 21.
पवन ऊर्जा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
पवन ऊर्जा (Wind Energy) : प्रवाहित वायु की गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) ही पवन ऊर्जा (Wind Energey) है। पृथ्वी के धरातल द्वारा सौर उष्मा के असमान अवशोषण से तापमान, वायु घनत्व तथा वायु दाब में अन्तर होता है। जिसमें वायु-प्रवाह उत्पन्न हो जाता है।
प्रश्न 22.
गैर-परम्परागत शक्ति संसाधनों के लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
गैर-परम्परागत शक्ति के संसाधनों के लाभ (Advantage of Non-conventional sources of energy) :
(i) संचित शक्ति संसाधनों का संरक्षण (Conservation of fund energy resources) :- गैरपरम्परागत शक्ति संसाधनों का उपयोग होने से संचित संसाधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम, आदि की बचत भविष्य के लिए होगी।
(ii) वायु-प्रदूषण में कमी (Reduction of air pollution) :- गैर-परम्परागत शक्ति संसाधन वायु प्रदूषण को नियंत्रित करते हैं। ये गैस, दुर्गन्ध और मलवा नहीं छोड़ते हैं, अत: इन संसाधनों का उपयोग कर प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है, जो आज की सबसे बड़ी पर्यावरण की समस्या है।
(iii) असामान्य शक्ति का प्रवाह (Endless energy flow) :- सूर्य, वायु, लहरें और ज्वार कभी न समाप्त होने वाले हैं। यदि उनको व्यापारिक स्तर पर प्राप्त कर लिया जाय तो उनसे बड़ी मात्रा में शक्ति प्राप्त हो सकती है।
(iv) आवर्तक लागत नहीं (No recurring expenditure) :- पावर प्लाप्ट की स्थापना के बाद कच्चा माल प्राप्त करने के लिए कोई खर्च नहीं करना पड़ता। अत: आवर्तक लागत नहीं लगती।
प्रश्न 23.
नवीकरण एवं अनवीकरण संसाधन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नवीकरण | अनवीकरण |
i. इस संसाधन को पुन: उत्पादित किया जा सकता है। | i. इस संसाधन का एक बार दोहन करने के बाद पुन: पूर्ति सम्भव नहीं हो सकता है। |
ii. यह सीमित मात्रा में नहीं होती है। | ii. इसकी मात्रा सीमित होती है। |
iii. इस संसाधन का प्रयोग आधुनिक युग से शुरू हुआ है। | iii. इसका संसाधन का प्रयोग सदियों से किया जा रहा है। |
प्रश्न 24.
परम्परागत ऊर्जा और गैर-परम्परागत ऊर्जा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
परम्परागत ऊर्जा | गैर-परम्परागत ऊर्जा |
i. ये वे संसाधन हैं जिनका उपयोग पहले से होता आ रहा है। | i. ये वे संसाधन हैं, जिनका उपयोग हाल में शुरू हुआ है। |
ii. ये संसाधन समाप्य ऊर्जा के संसाधन हैं। | ii. ये संसाधन असमाप्य ऊर्जा के संसाधन हैं। |
iii. कोयला, पेट्रोलियम आदि इसके उदाहरण हैं। | iii. सौर उर्जा, पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा आदि इसके उदाहरण हैं। |
विवरणात्मक प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS
प्रश्न 1.
संसाधन की परिभाषा दीजिए।
उत्तर :
विभिन्न विद्वानों द्वारा संसाधन की अनेक परिभाषाएँ दी गयी हैं, जिसमें कुछ मुख्य निम्नलिखित है:-
समाज विज्ञान विश्कोष के अनुसार – संसाधन मानवीय पर्यावरण के वे पक्ष हैं, जिसके द्वारा मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति में सुविधा होती है तथा सामाजिक लक्ष्यों की पूर्ति सम्भव होती है।
इ० डब्लू० जिमनमैन (E.W.Zimmerman) के अनुसार – “संसाधन पर्यावरण की वे विशेषताएँ है जो मनुष्य की आवश्यकाताओं की पूर्ति में सक्षम मानी जाती है ‘उन्हें मनुष्य की आवश्यकताओं तथा क्षमताओं द्वारा उपयोगिता प्रदान की जाती है।” (Resource are those aspects of man’s enviroment which render possible or facilitated the satisfaction of human wants and the attainment of social objectives)
जिम्मरमैन ने संसाधन का अर्थ स्ष्ट करते हुए तीन तत्वों को महत्वपूर्ण स्थान दिया है-
(i) मनुष्य जिस पर आश्रित व निर्भर हो। (ii) जिसमें मनुष्य की इच्छा पूर्ति हो सके, (iii) मानव की शारीरिक व बौद्धिक क्षमता। जेम्स फिश्यार (Fisher J.S.) के अनुसार :- ‘”संसाधन वह कोई भी वस्तु है जो मानवीय आवश्यकाताओं व इच्छाओं की पूर्ति करता है।”‘ (Resource are anything that can be used to satisfy a nead or desire of man)
मैकनाल के अनुसार :- ‘प्राकृतिक संसाधन वे संसाधन हैं, जो प्रकृति द्वारा प्रदान किये जाते हैं तथा मानव के लिये उपयोगी होते हैं। (Natural resources may be defined as those resources which are provided by nature and which are useful to man)
स्मिथ एवं फिलिप्स के अनुसार :- “भौतिक रूप से संसाधन वातावरण के वे प्रतिक्रियाएँ हैं, जो मानव के उपयोग में आती है।” (Fundamentaly resources are merely environment functioning in the service of man.)
प्रश्न 2.
समाप्यता के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर :
(a) नवीकरण योग्य संसाधन :- वे संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीकृत या पुन: उत्पन्न किया जा सकता है, इन्हें नवीकरण योग्य अथवा पुन: पूर्ति योग्य संसाधन कहा जाता है, जैसे :- सौर तथा पवन ऊर्जा, जल, वन व वन्य जीवन। इन संसाधनों को सतत् अथवा प्रवाह संसाधनों में विभाजित किया गया है।
(b) अनवीकरण योग्य संसाधन :- इन संसाधनों का विकास एक लम्बे भू-वैज्ञानिक अन्तराल में होता है। खनिज और जीवाश्म ईधन इस प्रकार के संसाधनों के उदाहरण हैं। इनके निर्माण में लाखों वर्ष लग जाते हैं। इनमें से कुछ संसाधन, चक्रिय हैं जैसे -लोहा, ताँबा। कुछ संसाधन, जैसे-जीवाश्म ईधन अचकीय है और एक बार उपयोग के साथ ही समाप्त हो जाता है, जैसे – कोयला, पेट्रोलियम।
प्रश्न 3.
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण किजिए।
उत्तर :
स्वामित्व के आधार पर :
(a) व्यक्तिगत संसाधन :- संसाधन निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में भी होते हैं। किसानों की अपनी स्वामित्व वाली भूमि, लोगों का अपना मकान, बाग, चारागाह, तालाब आदि निजी स्वामित्व के संसाधन हैं।
(b) सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन :- जिन संसाधनों पर पूरे समुद्राय का स्वामित्व होता है, वे सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन कहे जाते हैं। गाँवों के सामुदायिक तालाब, चारण भूमि, श्मशान भूमि और शहरों के पार्क, पिकनिक स्थान, खेल के मैदान आदि सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन हैं।
(c) राष्ट्रीय संसाधन :- तकनीकी तौर पर देश में पाये जाने वाले संसाधन राष्ट्रीय संसाधन हैं। देश की सरकार सामुदायिक कल्याण के लिए व्यक्तिगत संपत्ति को भी अपने अधिकार में ले सकती है। देश के सारे खनिज पदार्थ, जल संसाधन, वन संसाधन, वन्य जीव, राजनीतिक सीमा के अन्तर्गत समस्त भूमि एवं सागरीय क्षेत्र में सीमा से सदा 19.2 कि॰मी॰ तक का क्षेत्र तथा इसमें पाये जाने वाले पदार्थ राष्ट्रीय संसाधन के अन्तर्गत आते हैं।
(d) अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन :- कुछ अन्तराष्ट्रीय संस्थाएँ संसाधनो को नियंत्रित करतो हैं। तट रेखा से 200 कि॰मी० तक की दूरी (आवश्यक आर्थिक क्षेत्र) से पूरे खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं है। इन संसाधनो को अंतराष्ट्रीय सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 4.
विकास के आधार पर संसाधनो का वर्गीकरण किजीए?
उत्तर :
विकास के आधार पर :
(a) संभावी संसाधन :- ये वे संसाधन हैं जो किसी प्रदेश में विद्यमान रहते हैं, परन्तु उनका उपयोग नहीं किया जात है, उदाहरण के तौर पर भारत के पश्चिमी भाग विशेषकर राजस्थान और गुजरात में पवन और सौर ऊर्जा की अपार संभावना है, परन्तु इनका सही ढंग से विकास नहीं हुआ है।
(b) विकसित संसाधन :- वे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका हैं और उनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं। संसाधनो का विकास प्रोद्योगिकी और उसकी सभ्यता पर निर्भ करती है।
(c) भंडार :- पर्यावरण में उपलब्ध वे पदार्थ जो मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते है परन्तु उपर्युक्त प्रौधोगिकी के अभाव में उसकी पहुँच के बाहर हैं, भंडार में शामिल है। उदाहरण के लिए जल दो ज्वलनशील गैसो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का यौगिक है तथा यह ऊर्जा का प्रमुख सोत्र बन सकता है। परन्तु इस उद्देश्य से इसका प्रयोग करने के लिए हमारे पास तकनीकी ज्ञान नहीं है।
(d) संचित कोष :- यह संसाधन भंडार का ही हिस्सा है, जिन्हें उपलब्ध तकनीकी ज़ान की सहायता से प्रयोग में लाया जा सकता है, परन्तु इनका उपयोग अभी आरंभ नहीं हुआ है। इनका उपयोग भविष्य में आवश्यकता की पूर्ति के लिए किया जा सकता है। नदियों के जल को विद्युत पैदा करने में प्रयुक्त किया जा सकता है। परन्तु वर्तमान समय में इसका उपयोग सीमित पैमाने पर ही हो रहा है।
प्रश्न 5.
उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण किजिए।
उत्तर :
विभिन्न संसाधन विभिन्न अवस्थाओं में उत्पन्न होते हैं, अत: उत्पत्ति के आधार पर इसे निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है :-
(i) अजैविक संसाधन (Abiotic Resources) :- ये प्रकृति प्रदत्त होते हैं तथा इनमें जीवन क्रिया नहीं होती है तथा इनका नवीनीकरण सम्भव नहीं है। इनका उपयोग व विनाश हो जाने पर ये सदा के लिये समाप्त हो जाते हैं। उदाहरणस्वरूप खनिजों के उपयोग के बाद इसका प्रत्यारोपण नहीं हो सकता। अजैविक संसाधनों का प्रयोग मनुष्य की संस्कृति एवं तकनीकी विकांस से जुड़ा हुआ है।
(ii) जैविक संसाधन (Biotic Resources) :- इसके अंतर्गत उन प्रकृति प्रदत्त तत्वों को सम्मिलित किया जाता है, जो जीवन युक्त होते हैं। वन, वन्य प्राणी, पशु-पक्षी, वनस्पति तथ सूक्ष्म जीव इत्यादि जैविक संसाधनों के उदाहरण हैं। जैविक संसाधनों में पुन: विकास की क्षमता होती है, जैसे-प्राकृतिक वनस्पति नष्ट होने के बाद स्वतः उत्पन्न होती हैं, मछलियाँ सतत् बढ़ती रहती है। जैविक संसाधनों की मात्रा में वृद्धि भी मनुष्य कर सकता है। वह वृक्षारोपण द्वारा ऊर्जा भूमि पर वन लगा सकता है तथा काटे गये वन का पुन: रोपण कर सकता है।
प्रश्न 6.
प्राप्यता त्रथा वितरण के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कीजिए?
उत्तर :
प्राप्यता तथा वितरण के आधार पर वर्गीकरण (Classification based on accessbility and Distribution) :- भूमण्डल पर संसाधनो की मात्रा, उनकी विविधता तथा प्राप्ति स्थल में बहुत ही असमान वितरण पाया जाता है। इस दृष्टि से प्राकृतिक संसाधनों को चार वर्गो में विभाजित किया गया है।
- सर्वसुलभ संसाधन (Ubiquities) :- जो इस भूमण्डल पर सर्वत्र न्यूनाधिक मात्रा में उपलब्ध है, सर्वसुलभ संसाधन कहलाता है। जैसे :- वायुमण्डल में व्याप्त ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि।
- सामान्य सुलभ संसाधन (Commonelities) :- जो संसाधन अधिकांश क्षेत्र या कम क्षेत्रों में पाये जाते है, सामान्य सुलभ संसाधन कहलाते हैं। जैसे :- वनस्पति, कृषि योग्य मिट्टी, कोयला, तेल, गैस आदि।
- दुर्लभ संसाधन (Rarities) :- जो संसाधन कहीं-कहीं ही मिलते हैं, उन्हें दुर्लभ संसाधन कहते है, जैसे :अभ्रक, ताँबा, क्वार्ट्स आदि।
- अद्वितीय संसाधन (Uniquities) :- ऐसे संसाधन एकाघ स्थानों पर ही मिलते हैं जैसे :- हीरा, यूरेनियम, क्रोमोलाइट इत्यादि।
प्रश्न 7.
उपयोग के सततता पर आधारित संस्थानों का वर्गीकरण किजिए।
उत्तर :
उपयोग के सततता पर आधारित वर्गीकरण (Classification based on Utillity) :- भूमण्डल पर पाये जाने वाले संसाधनों के उपयोग की एक अवधि होती है, अतः उपयोग की अवधि के अनुसार संसाधनों को तीन वर्गो में विभक्त किया जा सकता है :-
नवीनीकरण संसाधन (Renewable Resources) :- जिन संसाधनो को पुनः उत्पादित किया जा सकता है या उनके गुणों में वृद्धि की जा सकती है नवीनीकरण संसाधन कहे जाते हैं। जैसे: वनों को काटकर पुन: वृक्षारोपण द्वारा उनकी पूर्ति की जा सकती है। इसी प्रकार कृषि पद्धिति अपनाकर कृषि भूमि को अधिक समय तक उपजाऊ बनाये रखा जा सकता है।
अनवीनीकरण संसाधन (Non-Renewable Resources) :- जिन संसाधनों का एक बार दोहन करने के पश्चात् पुन: पूर्ति (Restoration) सम्भव नहीं हो सकता है अनवीनीकरण संसाधन कहलाते हैं। ऐसे संसाधनों के निर्माण की अवषि लम्बो होती है तथा इनकी मात्रा सीमित होती है। इन संसाथनों का दोहन तीव्र गति से करने पर ये समाप्त हो जाते हैं। जैसे कोयले का दोहुन एक बार ही किया जा सकता है जबकि इनके निर्माण में करोड़ों वर्ष लग जाते हैं। इसी प्रकार पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, ताँबा, थोरियम, मैगिनज, बावसाइड इत्यादि। ये संसाधन अनवीनीकरण संसाधनों की श्रेणी में आते है।
चक्रीय संसाथन (Recyclable Resources) :- जिन संसाधनों का उपयोग बार-बार किया जाये, वे चकीय संसाधन कहलाते हैं। जैसे :- लोहा, चाँदी, सोना, सीसा इत्यादि खनिजों का उपयोग बार-बार किया जा सकता है।
प्रश्न 8.
उद्देश्य के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कीजिए ?
उत्तर :
संसाधनों का उपयोगिता या उद्देश्य के आधार पर वर्गीकरण किया गया है :-
(i) ऊर्जा संसाधन (Energy Resources) :- किसी देश के विकास का मानक ऊर्जा संसाधन को माना गया है। नवीनीकरण संस्थानों की श्रेणी में वन, जल विद्युत, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा तथा कोयला, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस आदि हैं।
(ii) कच्चा माल (Raw Material) :- कच्चे माल औद्योगिक व आर्थिक विकास के प्रमुख आधार हैं, जो तीन तरह के संसाधनों से प्राप्त होता है :-
(a) खनिज पदार्थ (Materials) :- भूगर्भ से निकाले गये पदार्थो को इस श्रेणी में रखते हैं। जैसे :- लोहा, अलौह धातुएँ, गंधक, नमक, चूना-पत्थर, बालू व अन्य मिश्रित धातुएँ।
(b) वनस्पति (Vegetation) :- इसके अंतर्गत प्राकृतिक वनस्पति से प्राप्त पदार्थों को सम्मिलित करते हैं। जैसे : लकड़ी, फल, गोंद, रबर, तेल-बीज, शैवाल व अन्य कृषि उत्पाद।
(c) पशु :- पशुओं से प्राप्त-उत्पाद को इसमें सम्मिलित करते हैं। जैसे :-सींग, तेल, चर्बी, बाल, ऊन, रेशम, हड्डियाँ इत्यादि।
(iii) खाद्य पदार्थ (Food Stuff) :- खाद्य पदार्थ भी तीन तरह के संसाधनों से प्राप्त है जो निम्नलिखित है :-
(a) खनिज :- जल तथा चट्टानो से प्राप्त नमक।
(b) वनस्पति :- फल, कन्दमूल, पत्तियाँ एवं मशरूम (Mushroom) आदि।
(c) पशु एवं जीव-जन्तु :- मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन व्यवसाय आदि।
प्रश्न 9.
संसाधन संरक्षण से आप क्या समझते हैं ? संसाधनों के संरक्षण में किन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है?
उत्तर :
संसाधनों का संरक्षण (Conservation) :- का अर्थ संरक्षण होता है। डा० मैग्नाल के अनुसार अच्छे संरक्षण का आशय किसी संसाधन या ऐसा उपयोग है जिसमें मनुष्य जाति की आवश्यकता पूर्ति सर्वोत्तम रूप से हो सके। संसाधनों से तात्पर्य मात्र संसाधनों के उपयोग में कमी नहीं है।
संसाघनों के संरक्षण में निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है :-
- किसी देश में उपलब्व कुल संसाधनों का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है, जिससें आवश्यकतानुसार उनका व्यवहारिक उपयोग किया जा सकें।
- संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण तथा सुव्यवस्थित ढंग से किया जाना चाहिए।
- उन्नत तकनीक की सहायता से संसाषनों की उपयोगिता में वृद्धि करने का प्रयास करना चाहिए।
- सीमित संसाधनों का उपयोग अति आवश्यक कार्यो के लिए ही किया जाए।
- विरल संसाधनो की उपलब्धता को बनाए रखने के लिए उनके विकल्प को विकसित करना।
प्रश्न 10.
भारत में लौह-अयस्क के वितरण पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
लोहे के संचित भण्डार की दृष्टि से भारत का विश्व में महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ विश्व का लगभग एक-चौथाई खनिज लोहा ( 1,757 करोड़ मीट्रिक टन) संचित है। यहाँ का 80 % लोहा उच्चकोटि के हैमेटाइट जाति का है, जिसमें 60 % से 70 % तक लौहांश है। उत्पादन की दृष्टि से भारत का विश्व में चीन, ब्राजील, आस्ट्रेलिया एवं रूस के बाद पाँचवाँ स्थान है। यहाँ विश्व का लगभग 6.7 लौह-अयस्क उत्पन्न किया जाता है। प्रमुख लौह उत्पादक राज्य क्रमश: छत्तीसगढ़, गोआ, कर्नाटक, झारखण्ड, उड़ीसा, महाराष्ट्र एवं आन्ध प्रदेश हैं।
प्रश्न 11.
भारत में राज्यानुसार कोयले के उत्पादन का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
भारत में राज्यानुसार कोयले का उत्पादन :- भारत में प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य निम्नलिखित है: (i) झारखण्ड :- यह भारत का सर्वाधिक कोयला उत्पादक राज्य है। झरिया, बोकारो, कर्णपुरा, गिरीडीह, रामगढ़, डाल्टनगंज, राजमहल, औरंगाबाद, हुतार तथा लालमटिया यहाँ के प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं। इनमें झरिया एवं लालमटिया की खानों से सम्पूर्ण राज्य का 50 % का कोयला प्राप्त होता है। उत्तम कोटि के बिदुमिनस कोयले के खनन के लिए यह राज्य प्रसिद्ध है।
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ :- कोयले के उंत्पादन में मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य का संयुक्त रूप से भारत में दूसरा स्थान है। सोहागपुर, उमरिया, झिलमीली, रामकोला, मोहयानी सिंगररौली आदि मध्यप्रदेश के तथा कोरबा पेंचघाटी, तातापानी, बिलासपुर, लखनपुर, सोनद्ध चिरमिरी, झगड़खण्ड आदि छत्तीसगढ़ के प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं।
पश्चिम बंगाल :- कोयला उत्पादन की दृष्टि से पश्चिम बंगाल राज्य का भारत में तीसरा स्थान है। यहाँ कोयल के विशाल निक्षेप पाए जाते हैं। वर्द्धवान, पुरूलिया तथा बाँकुड़ा यहाँ के प्रमुख कोयला उत्पादक खिले हैं। वर्दवान जिले में स्थित रानीगंज कोयला खान भारत की सबसे बड़ी कोयले की खान हैं। भारत में सर्वपथम कोयला निकालने का प्रयास सन् 1774 ई० में रानींगज में ही किया गया था।
उड़ीसा :- उड़ीसा भारत का प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य है। यहाँ महानदी घाटी में स्थित तालचल तथा सम्भलपुर प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं। रामगढ़- हिंगरि यहाँ का अन्य कोयला उत्पादक क्षेत्र है। जहाँ से निम्नकोटि का कोयला प्राप्त होता है।
तमिलनाडु, जम्म-कश्मीर, राजस्थान तथा गुजरात राज्यों में लिग्नाइट कोयला का खनन होता है। लिग्नाइट एवं पीट कोयला के उत्पादन में तमिलनाडु राज्य का प्रथम स्थान है। इसलिए यहाँ नेवेली लिग्नाइट परियोजना का विकास हुआ है।
प्रश्न 12.
भारत के प्रमुख खनिज तेल उत्पादक क्षेत्रों का संक्षिप्त विवरण दीजिए?
उत्तर :
भारत के प्रमुख तेल क्षेत्र निम्नलिखित हैं :-
असम का तेल कटिबन्ध :- यह भारत का सबसे पुराना तेल क्षेत्र है। यहाँ 1,200 कि॰मी॰ लम्बी तेल की पेटी है, जो पूर्वी भाग में ब्रह्मपुत्र एवं सूरमा नदियों की घाटियों में फैली हुई है। यहाँ का सबसे प्रमुख तेल क्षेत्र बह्मपुत्र नदी की घाटी में स्थित बह्मपुत्र-माकू क्षेत्र है, जो लखीमपुर जिले में स्थित है। यहाँ मुख्यत: डिब्रूगढ़ जिले में डिगबोई, बप्पापुंग, हस्सापुंग में तेल-कूप बनाये गये हैं। डिगबोई में भारत का सबसे प्राचीन (1889) तेल क्षेत्र है तथा यहाँ भारत का प्रथम तेल-शोधक कारखाना है। सूरमा घाटी में पथरिया बदरपुर एवं मासिमपूर तेल-कूपों से खनिज-तेल प्राप्त होता है। यहाँ का तेल निम्न कोटि का होता है, और इसमें मोम की मात्रा अधिक होती है । यहाँ के अन्य तेल क्षेत्र नहरकटिया, मोरान एवं रूंद्र सागर है। खनिज तेल के उत्पादन में अब असम राज्य का तीसरा स्थान हो गया है। यहाँ से देश का लगभग 16 प्रतिशत खनिज-तेल प्राप्त होता है।
गुजरात के तेल क्षेत्र :- गुजरात भारत का प्रमुख तेल उत्पादक राज्य है। यहाँ उत्तर की ओर खम्भात तथा दक्षिण की ओर अंकलेश्वर तथा कोशम्बा प्रधान तेल क्षेत्र हैं। खम्भात के उत्तर में स्थित लुनेज तथा बड़ौदरा से पश्चिम में स्थित बाँडसर से खनिज-तेल प्राप्त होता है। लुनेज में रूस तथा रूमानिया के विशेषज्ञों की सहायता ली जा रही है। भड़ौच जिले के अंकलेश्वर में खनिज-तेल का भारी भण्डार मिला है। केवल इसी क्षेत्र में 30 लाख मैटिक टन से अधिक खनिज-तेल उत्पन्न होता है। अंकलेश्वर इस क्षेत्र का सबसे बड़ा तेल क्षेत्र है। अन्य छोटे क्षेत्र महूबेज, नवगाँव, वावेल, सानन्द, कलोल आदि हैं। इस राज्य से देश का लगभग 17.9 % खनिज तेल प्राप्त होता है।
महाराष्ट्र :- हाल में ही मुम्बई के समीप भारत का सबसे धनी तेल क्षेत्र का पता चला है जिसे, मुम्बई हाई (Mumbai High) कहते हैं। यहाँ तट से 115 कि० मी० पश्चिम अरब सागर में सागर समाट तथा सागर विकास नामक जहाजों द्वारा तेल निकाला जा रहा है। खनिज-तेल के उत्पादन में भारत में अब इस राज्य का पहला स्थान हो गया है। यहाँ से देश का लगभग 64.55 प्रतिशत खनिज-तेल प्राप्त होता है। हाल ही में मुम्बई तट के समीप स्थित नीलम एवं दक्षिण हीरा क्षेत्रों में भी उत्पादन शुरु हो गया है।
तमिलनाडु :- हाल में तमिलनाडु राज्य के कावेरी बेसिन में देश के एक प्रमुख तेल क्षेत्र की खोज हुई है। यहाँ नारियानम एवं कोविलापाल खानों से तेल निकाला जाता है। यहाँ से देश का लगभग 1.4 प्रतिशत खनिज तेल प्राप्त होता है।
प्रश्न 13.
जल विद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल परिस्थितियों का वर्णन कीजिए?
उत्तर :
जलविद्युत के विकास के लिए निम्नलिखित परिस्थितियों का होना आवश्यक है।
(a) भौगोलिक परिस्थितियाँ :-
- सदावाहिनी नदियाँ : नदियाँ सदावाहिनी हो ताकि उनसे वर्षभर जलविद्युत प्राप्त किया जा सके।
- प्राकृतिक जल प्रपात :- जहाँ जलप्रतात द्वारा नदी का पानी तीव वेग के साथ ऊपर से नीचे गिरता है, वहाँ अधिक मात्रा में जलविद्युत का उत्पादन किया जा सकता है।
- ऊँची-नीची भूमि :- जहाँ भूमि ऊँची-नीची होती है वहाँ नदियों का वेग अधिक होता है जिससे अंधिक विद्युत प्राप्त की जा सकती है।
- स्वच्छ जल :- पानी में मिट्टी या बालू का अभाव हो जिससे मशीनों के खराब होने का भय ना रहे।
(b) आर्थिक परिस्थितियाँ :-
- खपत क्षेत्रों का पास में होना :- खपत क्षेत्र दूर होने पर विद्युत पहुँचाने के लिए अधिक तार व खम्भों की आवश्यकता पड़ती है।
- मशीनों की सुविधा :- जल विद्युत गृह बनाने में भारी मशीनों, टर्बाइन, डायनेमो, तार एवं खम्भों की आवश्यकता पड़ती है।
- पूँजी की सुविथा :- जलविद्युत शक्ति गृह बैठाने में शुरू में काफी खर्च पड़ता है अतः पर्याप्त पूँजी की आवश्यकता पड़ती है।
- तकनीकी ज्ञान :- जलविद्युत केन्द्र को चलाने एवं आवश्यक उपकरणों की मरम्मत के लिए तकनीकी ज्ञान का भी होना आवश्यक है।
प्रश्न 14.
भारत में जलविद्युत विकास का विवरण लिखो।
उत्तर :
भारत में जल विद्युत का विकास 19वीं सदी के अन्तिम दशक में शुरू हुआ। सन् 1897 में दार्जिलंग नगर को बिजली आपूर्ति के लिए राज्य जल विद्युत उत्पाद संयंत्र स्थापित किया गया था। कर्नाटक में कावेरी पर स्थित शिवं समुद्रम में 1902 में दूसरा जलविद्युत उत्पादन संयंत्र लगाया गया था। बाद में मुम्बई की मांग पूरी करने के लिए पश्चिमी घाट में भी जल विद्युत उत्पादन के लिए कुछ संयंत्र लगाए गए थे। उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु एवं कर्नाटक में 1903 में जल विद्युत केन्द्र स्थापित किए गए। 1947 में कुल उत्पादन क्षमता 508 मेगावाट तक पहुँच गई। 2000-01 के अन्त में जल विद्युत केन्द्र की स्थापित क्षमता बढ़कर 25,219,55 मेगावाट हो गई है, जो बिजली की कुल स्थापित क्षमता का लगभग एक चौथाई मात्र है।
प्रश्न 15.
भारत में सौर ऊर्जा के महत्व का वर्णन करो।
उत्तर :
यह भारत के उत्तरी पर्वतीय भाग को छोड़कर देश के अन्य सभी भागों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। भारत में औसतन पचास हजार खरब किलोवाट हावर (Kwh) प्रतिवर्ष सौर विकिरण प्राप्त होता है। देश के अधिकांश भागों में वर्ष में लगभग 300 दिन आकाश मेघ रहित होता है और सूर्य ऊर्जा के साथ चमकता है। अनुमान है कि भारत में 20 मेगावाट प्रति वर्ग कि॰मी० सौर ऊर्जा पैदा की जा सकती है। आजकल इसका उपयोग खाना पकाने तथा जल एवं घर को गर्म करने के लिए किया जाता है। 2000-01 में उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार भारत में 4,90,000 सौर कुकर प्रयोग किए गए थे। लगभग 14,594 सूर्य प्रकाश वोल्टीय प्रकाश, 800 सूर्य प्रकाश वोल्टीय जल पम्प तंत्र तथा 1433 घरेलु रोशनी तंत्रो की स्थापना की गई।
प्रश्न 16.
शक्ति संसाधन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
शक्ति के संसाधन दो प्रकार के होते हैं :-
(a) परम्परागत ऊर्जा के स्रात (Conventional Sources of Energy) :- लकड़ी, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा परमाणु शक्ति ऊर्जा के पारम्परिक स्रोत है किन्तु जीवाश्म ईंधन तथा परमाणु खानिज क्षयशील तथा अनवीकरणीय है। निरन्तर प्रयोग से एक दिन ये सभी समाप्त हो जाएँगे। जीवाश्म ईधनो का विनाश विशेष रूप से तेजी से हो रहा है। ऊर्जा के ये परम्परागत स्रात प्रदूषणकारी भी हैं।
(b) गैर-परम्परागत ऊर्जा के स्रोत (Non-Conventional Sources of Energy) :- ऊर्जा के परम्परागत सोतों के तेजी से विनाश के कारण विश्व के सभी देश ऊर्जा के नवीकरणीय संसाधनों को विकसित करने की दिशा में प्रयासरत हैं, सौर ऊर्जा, सागरीय (लहर) ऊर्जा तथा जोवभार ऊर्जा (Bioness Energy) ऊर्जा के वैकल्पिक नवीकरणीय तथा प्रदूषण मुक्त संसाधन है। भविष्य में इनके विकास की अपार सभावनायें हैं।
प्रश्न 20.
संसाधनों के उत्पादक कारक क्या हैं? उदाहरण देकर संसाधन के उत्पादन में मनुष्य की भूमिका का वर्णन करों।
उत्तर :
संसाधन के कारक तत्व :- संसाधन के निर्माणकारी तत्व हैं :- (i) मानव (ii) प्रकृति (iii) संस्कृति।
मानव (Man) :- मनुष्य ही संसाधन निर्माण का केन्द्र बिन्दु है। साधारणतया हम मानव संसाधन या मानव श्रम की बातें करते हैं। मानव श्रम शारीरिक या बौद्धिक रूप से प्रयत्नशील होकर प्राकृतिक तत्वों को संसाधन का रूप प्रदान करता है। इस प्रकार मनुष्य संसाधन को पैदा करने वाला तथा उसका उपभोक्ता दोनो है। (Man is as well as creater and consumer of resources)
प्रकृति (Nature) :- प्रकृति से तात्पर्य प्राकृतिक तत्वों के योग से है, जैसे :- पहाड़, नदी, मिट्टी, जलवायु, भौगोलिक स्थिति आदि। मूल रूप से भिन्न प्रकार के संसाधन कोयला, तेल, पानी, वायु मिट्टी, वनस्पति सब कुछ प्रकृति की देन है।
संस्कृति (Culture) :- संस्कृति मनुष्य और प्रकृति का संयुक्त उत्पाद है। मिट्टी, ज़लवायु प्रकृति के उपादान हैं। जब तक सांस्कृतिक विकास के उचित अवसर नहीं मिलेंगे कोई वस्तु संसाधन नहीं हो सकती।
प्रश्न 21.
भारत में लौह अयस्क का भौगोलिक वितरण प्रस्तुत करो।
उत्तर :
भारत में लौह अयस्क का उत्पादन (Production of Iron ore in India) :- इस समय भारत का लगभग 95 % लोहे का उत्पादन छत्तीसगढ़; गोवा, झारखण्ड, उड़ीसा तथा कर्नाटक में होता है।
छत्तीसगढ़ लौह अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। देश के कुल उत्पादन में इसकी 23.4 % की भागीदारी है। इसके बाद क्रमशः गोवा (22%), कर्नाटक (20%), झारखण्ड (17%), उड़ीसा (14%), महाराष्ट्र (2.47 %), तथा अन्य उत्पादक राज्य (1.2 %) है। छत्तीसगढ़ की प्रमुख खानें है-डल्ली, राजहरा (दुर्ग), बैलाडिला (दाँतेवाड़ी)।
गोवा की प्रमुख खाने हैं :- साहक्वालिम, संग्यूम, वयूपेम, सतारी, पौंडा और बियोलिम। कर्नाटक की प्रमुख खाने हैं बेल्लारी, हस्पेट, चिकमगलूर जिले में बाबाबूदन पहाड़ी, कलाहाड़ी के मानगुड़ी तथा कुद्रेमुख, चित्रदुर्ग, शिमोगा, धारवाड़ तथा तुमकूर में।
झारखण्ड की प्रमुख खाने स्थित हैं नोओमुंडी और गुआ एवं पूर्व व पश्चिम सिंहभूम में।
उड़ीसा की प्रमुख खाने स्थित हैं – गुरूमहिसानी, सुलईपत, बादाम पहाड़ (मयूरभंज), किरीबुरू , मेधाहत बुरू (केन्दुसार), बोनाई (सुन्दरगढ़) में। महाराष्ट्र की प्रमुख खाने स्थित हैं :- चन्द्रपुर, रत्नागिरी और भडारा में।
आन्द्र्रदेश की प्रमुख खाने स्थित हैं :- वरीमनगर, बारंगल, कुर्नूल, कड़प्पा और अनंतपुर में दक्षिण में थोड़ा सा आगे तमिलनाडु की तीर्थमल्लाई पहाड़ियों (सलेम), यादपल्ली और किल्ली मल्लई क्षेत्र (नीलगिरी) में लौह अयस्क के भंडार है।
भारत में लौंह अयस्क का उत्पादन 2002-03
राज्य | उत्पादन % में |
कर्नाटक | 24 % |
उड़ीसा | 22 % |
छत्तीसगढ़ | 19 % |
गोवा | 18 % |
झारखण्ड | 15.6 % |
प्रश्न 22.
खनिज तेल का क्या उपयोग है?
उत्तर :
भारत में खनिज तेल का उपयोग (Uses of Petroleum in India) :- पेट्रोलियम की महत्ता को देखते हुए इसे तरल सोना (Liquid Gold) कहा जाता है। इसके उपयोग निम्नलिखित हैं :-
यातायात ईथन :- पेट्रोलियम गैसोलिन तथा डीजल, एल०पी०जी० आदि पेट्रोलियम के उत्पाद है, जिनका उपयोग गाड़ी, रेलागाड़ी, हवाई जहाज, जलयान, कार, मोटर साइकिल आदि चलाने में होता है।
घरेलू ईंधन :- किरासन का उपयोग खाना बनाने तथा प्रकाश आदि के लिए होता है। (LPG-Liquid Petroleum Gas) का उपयोग खाना बनाने में होता है।
पेट्रो केमिकल उद्योग :- आज पेट्रोलियम का उपयोग पेट्रोकेमिकल उद्योग में रोज बढ़ रहा है। तेलशोधन में नेष्था, इसिलिन, बेंजिन आदि के उत्पाद प्राप्त होता है।
बिजली उत्पादन :- वैसे तो कोयले से ताप विद्युत का उत्पादन होता है पर’ कुछ स्थानो पर पेट्रोलियम से भी ताप विद्युत का उत्पादन हो रहा है।
अन्य उपयोग :- पेट्रोलियम से चिकन का तेल, गैस, मोम आदि प्राप्त होता है। खनिज तेल का शोधन कर उससे डीजल, थारी डीजल, पेट्रोल, गैसोलिन, किरासिन, पी०भी०सी॰, एसिटिक एसिड बनाया जाता है। पेट्रोलियम प्रमुख औद्योगिक तेल, शक्ति का स्रोत एवं विभिन्न प्रकार के उप-पदार्थो का उत्पादन का स्रोत है।
प्रश्न 23.
खनिज तेल के मुख्य ग्रेड और उनके गुण क्या हैं?
उत्तर :
खंनिज तेल उच्च ज्वलनशील हाइड्रोकार्बन तरह का है। कच्चे तेल का रंग आकाशीं हरा लेकर हल्का काला तक होता है। कार्य वर्ग का तेल हल्का हरा होता है क्योंकि इसमें उच्च हाइड्रोजन और अल्प कार्बन होता है। अत्यधिक कार्य का तेल लगभग काला होता है। क्योंकि इसमें अल्प हाइड्रोजन किन्तु अत्यधिक कार्बन होता है।
वर्तमान समय में खनिज तेल के तीन वर्ग (Grade) है :-
- पैराफिन आधारित तेल (Paraffin-based oil) :- यह हल्का होता है और इसका व्यावसायिक मूल्य अधिक होता है जैसे :- पेट्रोल, पैराफिन इत्यादि।
- ऐस्फाल्ट आधारित तेल (Asphalt-based oil) :- यह भारी होता है और इसमें डीजल तथा ऐस्फाल्ट या बिंुमेन की अधिकता होती है। इसकी व्यावसायिक कीमत कम होती है।
- मिश्रित तेल (Mixed oil) :- मिश्रित तेल पैराफिन और ऐसफाल्ट के बीच का है।.
प्रश्न 24.
खनिज शक्ति की अपेक्षा शक्ति के अन्य प्राकृतिक साधनों के लाभ का उल्लेख करो।
उत्तर :
खनिज शक्ति की अपेक्षा शक्ति के अन्य साधनों के लाभ की तुलना :- ऊर्जा के परम्परागत साधन कोयला और खनिज तेल हैं। अन्य प्राकृतिक ऊर्जा के साघन सूर्य ताप, जल विद्युत, ज्वारीय ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि हैं। उर्जा के दोनों साधनों की तुलना निम्न है :-
- शक्ति के स्थायी स्रोत (Flow Resources) :- ऊर्जा के परम्परागत स्रोत कोयला और खनिज तेल भविष्य में समाप्त हो जाएँगे किन्तु शक्ति के अन्य साधन चिरन्तन एवं स्थायी है।
- सस्ते साथन (Easy Transport) :- कोयला और पेट्रोल की तुलना में जल विद्युत तथा सौर ऊर्जा को एक स्थान से दूसरे स्थान को पहुँचाना काफी सुगम एवं सस्ता है।
- प्रदूषण से मुक्ति (Free Pollution) :- जल विद्युत, सौर ऊर्जा, ज्वारिय ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा के प्रयोग में स्वच्छता रहती है तथा इनमें प्रदूषण नहीं होता है।
प्रश्न 25.
विभिन्न प्रकार का कोयला कौन-कौन सा है ?
उत्तर :
कोयले की प्रमुख किस्मे (Type of Coal):- कार्बन की उपस्थिति के अनुसार कोयला की पाँच श्रेणियाँ होती है :-
(i) एन्श्रासाइट (Anthracite) :- यह सर्वोच कोटि का कोयल़ा है जिसमें कार्बन की मात्रा 90 % से ज्यादा होती है। जलने पर यह जरा भी धुआँ नहीं देता। यह बहुत कड़ा और देर तक ताप देनेवाला होता है। इसे कोकिंग कोयला भी कहा जाता है। धातु गलाने में यह काम आता है।
(ii) बिटुमिनस (Bituminous) :- इसमें कार्बन की मात्रा 70 % से 90 % तक होती है। इसे.परिष्कृत कर कोकिंग कोयला बनाया जाता है, किन्तु सभी बिटुमिनस कोयले का उपयोग कोक बनाने में नहीं किया जा सकता। भारत का अधिकतर कोयला इसी कोटि का है, जिसका उपयोग घरेलू ईधन तथा वाष्पशक्ति उत्पन्न करने में होता है।
(iii) लिग्नाइट (Lignite) :- यह निम्न कोटि का कोयला माना जाता है। इसमें कार्बन की मात्रा 30 % से 70 % तक होती है। आर्द्रता होने के कारण यह धुआँ देता है। इसकी तापीय शक्ति कम होती है।
(iv) पीट (Peat) :- इसमे कार्बन की मात्रा 30 % से 35 % तक होती है। यह सबसे निम्न कोटि का कोयला है। यह मुलायम होता है तथा इससे बहुत अधिक धुआँ निकलता है।
(v) कैनेल – यह सबसे निन्म किस्म का कोयला होता है जो लकड़ी के जलने से प्राप्त होता है ।
प्रश्न 26.
भारत में कोयला का उपयोग कैसे किया जाता है?
उत्तर :
भारत में कोयले का प्रमुख उपयोग निम्न है :-
(i) स्टीम शक्ति (Steam Energy) :- जब शक्ति के अन्य साधनों की खोज नहीं हुई थी कोयले के स्टीम से ही कारखाने तथा यातायात के साधन चलते थे।
(ii) विद्युत शक्ति (Electric Energy) :- ताप-विद्युत का उत्पादन कोयले कें उपयोग से ही किया जाता है।
(iii) घरेलू शक्ति (Domestic Energy) :- पहले कोयला का उपयोग घरेलू खाना आदि बनाने में होता था पर गैस की खोज के कारण उसका प्रयोग कम हो गया।
(iv) खनिज कोक के रूप में (Metallurgical Coke) :- भारत में लौह-इस्पात उद्योगों में कोकिंग कोयला आज भी एक आवश्यक कच्चा-माल है।
(v) रासायनिक कच्च माल (Chemical raw materials) :- भारत में कोयले के उप-उत्पाद कोयला गैस, कोलतार, बेजोल, अमोनिया सल्फेट के आधार पर रासायनिक उद्योग चलते हैं। इन उप-उत्पादों से प्रत्येक रासायनिक, पदार्थ बनते हैं। इन उप-पदार्थो से क्रीजोट (Creozote) नेष्थालिन, एन्थासीन, उर्वरक, विस्फोटक सामान, एण्टीसेप्टिक दवाइयाँ आदि बनती हैं।