Detailed explanations in West Bengal Board Class 9 Geography Book Solutions Chapter 6 प्राकृतिक आपदायें और संकट offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 9 Geography Chapter 6 Question Answer – प्राकृतिक आपदायें और संकट
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
प्राकृतिक संकट और प्राकृतिक आपदा में कौन अति तीव्रता से घटती है?
उत्तर :
प्राकृतिक आपदा।
प्रश्न 2.
किसी एक अन्तर्जात आपदा का नाम लिखिए।
उत्तर :
भूकम्प
प्रश्न 3.
बाढ़ किस प्रकार की आपदा है?
उत्तर :
प्राकृतिक।
प्रश्न 4.
दुर्घटनाओं का प्रभाव यदि स्थायी हो जाय तो उसे क्या कहते हैं?
उत्तर :
प्राकृतिक संकट।
प्रश्न 5.
सूखा का सबसे प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर :
कम वर्षा।
प्रश्न 6.
सर्वाधिक खतरनाक प्राकृतिक आपदा किसे माना जाता है?
उत्तर :
समुद्री तूफान या चक्रवात को
प्रश्न 7.
भारत का पूर्वी तट किस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित रहता है।
उत्तर :
तूफान से
प्रश्न 8.
महासागर की तली में होने वाले भूकम्प को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर :
सुनामी
प्रश्न 9.
भारत के तटीय क्षेत्रों में सुनामी का प्रकोप कब हुआ था?
उत्तर :
26 दिसम्बर 2004 ई० में।
प्रश्न 10.
26 दिसम्बर 2004 को भारत का पूर्वी तट किस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुआ था।
उत्तर :
सुनामी अर्थात् भूकम्य के कारण उत्पन्न समुद्री तरंगे।
प्रश्न 11.
सागरीय तूफानों की उत्पत्ति के लिए सागरों के सतह का तापमान कितना होना चाहिए?
उत्तर :
26° C
प्रश्न 12.
कुछ विनाशकारी उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के नाम लिखिए।
उत्तर :
हरिकेन, टाईफून, टारनेडो आदि।
प्रश्न 13.
बाढ़ से बचने का कोई एक उपाय बताओ।
उत्तर :
प्रबन्धक प्रयास तटस्थ होना चाहिए ।
प्रश्न 14.
भारत में आपदा प्रबंधन अधिनियम कब लागू हुआ?
उत्तर :
2005 ई० में ।
प्रश्न 15.
बाढ़ का क्या कारण है?
उत्तर :
अंतिवृष्टि।
प्रश्न 16.
उड़ीसा में बाढ़ किस नदी और अन्य किस कारण से आती है?
उत्तर :
उड़ीसा में महानदी एवं बंगाल की खाड़ी के चक्रवात के कारण बाढ़ आती है।
प्रश्न 17.
बाढ़ से होने वाला एक लाभ बताइये।
उत्तर :
बाढ़ के कारण कई स्थानों पर उपजाऊ मिट्टी की परत पड़ जाती है।
प्रश्न 18.
भारत में सबसे अधिक सूखा किस प्रदेश में पड़ता है?
उत्तर :
राजस्थान में अरावली क्षेत्र एवं गुजरात में कच्छ का क्षेत्र
प्रश्न 19.
भारत में कौन सा चक्रवात विपदा का कारण होता है?
उत्तर :
उष्ण कटिबंद्यीय चक्रवात
प्रश्न 20.
पश्चिम बंगाल में चक्रवात किस महीने में आता है?
उत्तर :
मई एवं जून महीने में।
प्रश्न 21.
कोलकाता में सबसे भयंकर भूकम्प कब आया था?
उत्तर :
1737 ई० में।
प्रश्न 22.
भारत में सबसे अधिक भू-स्खलन की घटनाएँ कहाँ घटित होती है?
उत्तर :
उत्तरी एवं उत्तरी-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों में।
प्रश्न 23.
पश्चिम बंगाल का कौन-सा क्षेत्र भूकम्प की दृष्टि से संवेदनशील है?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल के मैदानी एवं पठारी क्षेत्र।
प्रश्न 24.
पश्चिम बंगाल को किन प्राकृतिक आपदाओं को प्रायः प्रतिवर्ष सहन करना पड़ता है?
उत्तर :
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात, बाढ़ एवं सूखा।
प्रश्न 25.
भारत के किस तट पर सुनामी का प्रभाव अधिक होता है।
उत्तर :
पूर्वी. तट पर।
प्रश्न 26.
सुनामी से बचाव का कोई एक उपाय बताओ।
उत्तर :
समुद्र तटीय क्षेत्र में घने आबादी को जल्द खाली कराना।
प्रश्न 27.
बाढ़ से होने वाली एक हानि बताओ?
उत्तर :
कृषि का नष्ट होना।
प्रश्न 28.
अन्त: केन्द्र (Hypocentre) धरातल से कितनी गहराई पर स्थित होता है?
उत्तर :
16 कि० मी० की गहराई पर।
प्रश्न 29.
भू-पटल के जिस स्थान पर भूकम्प की तरंगें सबसे पहले पहुँचती है उसे क्या कहते हैं?
उत्तर :
वाद्य केन्द्र (Epi-centre)
प्रश्न 30.
भूकम्प की लहरों की तीब्रता, दिशा एवं अवधि का अंकन वाले यन्त्र को क्या कहते है?
उत्तर :
भूकम्प लेखक यन्त्र (Seismongraph)
प्रश्न 31.
किसी खास भूकम्प के तरंगों की तीव्रता मापने वाले यंत्र या पैमाना को क्या कहते हैं?
उत्तर :
रिक्टर स्केल कहते (Richter scale) हैं।
प्रश्न 32.
रिक्टर स्केल का आविष्कार किसने किया था?
उत्तर :
C. F. Richter
प्रश्न 33.
C. F. Richter कौन थे?
उत्तर :
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थे।
प्रश्न 34.
भूकम्प के लहरों की समान तीव्रता के स्थानों को मिलाने वाली कल्पित रेखा को क्या कहते हैं?
उत्तर :
सम भूकम्प-तीवता रेखा (Isoseismal line)
प्रश्न 35.
जापान में भूकम्प किस प्रकार से आते हैं?
उत्तर :
ज्वालामुखी के उद्गार से।
प्रश्न 36.
विवर्तनिक भूकम्प (Tectonic Earthquake) भारत में कहाँ-कहाँ आए थे?
उत्तर :
महाराष्ट्र के लातूर तथा कोयना में।
प्रश्न 37.
हिमालय प्रदेश में किस प्रकार के भूकम्प आते हैं?
उत्तर :
भू-सन्तुलन भूकम्प (Isostatic Earthquake)
प्रश्न 38.
26 जनवरी 2001 को भातर में कहाँ भूकम्प आए थे?
उत्तर :
गुर्जरात के कच्छ क्षेत्र में।
प्रश्न 39.
तटवर्ती क्षेत्रों में किस प्राकृतिक आपदा का प्रभाव अधिक विनाशक होता है?
उत्तर :
समुद्री तूफान या चक्रवात का।
प्रश्न 40.
समुद्री तूफान किन प्रदेशों में सामान्य रूप से आता रहता है?
उत्तर :
उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में।
प्रश्न 41.
समुद्री तूफान या चक्रवात को प्रभावित करने वाले कारक कौन हैं?
उत्तर :
उच्च तापमान एवं आर्द्रता।
प्रश्न 42.
समुद्री तूफान या चक्रवात की उत्पत्ति के लिए कितने तापमान की आवश्यकता होती है?
उत्तर :
26° C से अधिक तापमान आवश्यक होती है।
प्रश्न 43.
समुद्री तूफान या चक्रवात का व्यास कितना होता है?
उत्तर :
इसका व्यास 100 कि० मी० से 150 कि० मी॰ तक हो सकता है।
प्रश्न 44.
अटलांटिक महासागर में समुद्री तूफान को क्या कहते हैं?
उत्तर :
हरिकेन (Hurricane)
प्रश्न 45.
कैरीबियन और उत्तरी पूर्वी प्रशान्त महासागर में समुद्री चक्रवात को क्या कहते हैं?
उत्तर :
टाईफून (Typhoons)
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS
प्रश्न 1.
संसार के प्रमुख चक्रवातों के नाम लिखो ?
उत्तर :
हरिकेन, टाईफून, टारनेडो, विली-विली आदि प्रमुख विश्व की चक्रवाते हैं।
प्रश्न 2.
क्या आग एक प्राकृतिक विपदा है ?
उत्तर :
आग के लिए प्राकृतिक तथा मानवीय दोनों ही कारक उत्तरदायी होते हैं। यह विपदा मानवीय भूलों तथा गलतियों के कारण घटित होती है। लेकिन वनो में आग लगना प्रकृतिक आपदा भी हो सकती है, जैसे बिजली गिरने से सूखे पतों में आग लग जाती है।
प्रश्न 3.
प्राकृतिक आपदा का क्या अर्थ है?
उत्तर :
प्राकृतिक प्रकोप या कारणों से उत्पन्न आपदाओं को प्राकृतिक आपदा कहा जाता है।
प्रश्न 4.
बहिर्जात आपदाओं को वायुमण्डलीय आपदा क्यों कहते हैं?
उत्तर :
बहिर्जात आपदाओं को वायुमण्डलीय आपदाएँ भी कहते है क्योंकि इनका सम्बन्ध वायुमण्डलीय घटनाओं से होता है।
प्रश्न 5.
प्राकृतिक आपदा किसे कहते हैं?
उत्तर :
प्राकृतिक रूप से घटित वे सभी घटनाएँ जो प्रलयकारी रूप धारण कर मानव सहित सम्पूर्ण जैव जगत के लिए विनाशकारी स्थिति उत्पन्न कर देती है, प्राकृतिक आपदाएँ कहलाती है।
प्रश्न 6.
हिमघाव (Avalanche) क्या है?
उत्तर :
फ्रांसीसी भाषा के शब्द ‘ऐवलांश’ (Avalanche) ढोले हिम, मिट्टी व बर्फ के ढेर के एकाकार और तीव्र गति से पर्वतों से फिसलकर नीचे आ गिरने को कहते हैं।
प्रश्न 7.
आपदा प्रबंधन के सिद्धांत का वर्णन करो।
उत्तर :
आपदा प्रबंध का सिद्धान्त:- इसके तहत आपदा निवारक और संरक्षणी उपाय, तथा मनुष्यों पर आपदा के प्रभाव को कम करने के लिये राहत कार्यो की व्यवस्था की जाती है। आपदा प्रबंधन की सम्पूर्ण किया तीन चरणों में चलती है।
प्रश्न 8.
बाढ़ से बचने के दो उपाय बताओ।
उत्तर :
बाढ़ नियत्रण के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं। ये निम्न है :-
- बाँधों का निर्माण।
- कृत्रिम सतहों या किनारों का विकास।
- बड़े-बड़े जलाशयों का निर्माण।
प्रश्न 9.
बाढ़ के दो प्रभाव बताइये?
उत्तर :
(i) धन-जन की अपार क्षति।
(ii) पशुचारे का अभाव।
प्रश्न 10.
मौसम विज्ञान के अनुसार सूखा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
गौसम विज्ञान के अनुसार, लम्बे समय तक अपर्याप्त वर्षा और इसका सामयिक तथा स्थानीय वितरण असंतुलित होने को सूख कहते हैं।
प्रश्न 11.
जंगलों में आग लगने के दो प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर :
(i) तीव्र हावा चलने पर वृक्षों की आपसी घर्षण के कारण
(ii) आकाशी बिजली गिरने तथा ज्वलामुखी क्रिया उत्पत्न होने से।
प्रश्न 12.
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 क्या है?
उत्तर :
इस अधिनियम को वर्ष 2005 में भारत सरकार द्वारा आपदाओं के कुशल प्रबंधन और इससे जुड़े अन्य मामलों के लिये पारित किया गया था।
प्रश्न 13.
सुनामी का क्या अर्थ है?
उत्तर :
सुनामी (स्यू-ना- मी) जापानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘ तट पर आती लहरें। ‘भू-कम्प के कारण समुद्र में उठने वाले लहर को ही सुनामी कहते है।
प्रश्न 14.
ज्वालामुखी उद्गार के समय निकलने वाली कुछ हानिकारक गैसों के नाम लिखिए।
उत्तर :
ज्वालामुखी उद्गार के समय निकलने वाली कुछ हानिकारक गैसों के नाम कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) सल्फर-डाई-ऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (NOX) इत्यादि हैं।.
प्रश्न 15.
बाढ़ क्या है?
उत्तर :
नदियाँ अपनी क्षमता के अनुसार ही जल का वहन कर सकती हैं। अतिवृष्टि अथवा बर्फ के पिघलने से नदियों के जलस्तर में अचानक वृद्धि हो जाती है, जो किनारों को तोड़कर आस-पास के क्षेत्रों में भर जाता है। इस स्थिति को ही बाढ़ कहा जाता है।
प्रश्न 16.
सूखा से बचने के लिए दो दीर्घकालीन उपाय क्या हैं?
उत्तर :
(i) वृक्षारोपण को प्रोत्साहन।
(ii) नदियों को जोड़ने की योजना शुरू की जानी चाहिए।
प्रश्न 17.
ज्वालामुखी क्रिया में क्या होता है?
उत्तर :
ज्वालामुखी विस्फोट से धन-जन की अपार क्षति होती है।
प्रश्न 18.
प्राकृतिक आपदाओं की परिभाषा लिखो।
उत्तर :
विश्व जलवायु संगठन के अनुसार “प्राकृतिक घटनाओं का प्रलयंकारी परिणाम या ऐसी घटनाओं का सम्मेलन जिससे चोट, जीवन हानियाँ या मानव कार्यकलापों का बड़े पैमाने पर उच्छेदन हो, प्राकृतिक आपदा है।”
प्रश्न 19.
विपत्ति से क्या समझते हो ?
उत्तर :
आपदा का अर्थ है विपत्ति। अचानक होने वाली ऐसी घटना जिससे व्यापक स्तर पर जैविक एवं भौतिक क्षति होती है, आपदा कहते हैं।
प्रश्न 20.
प्राकृतिक विपत्ति कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर :
मुख्य रूप से प्राकृतिक विपत्तियाँ निम्न हैं :-
(a) मौसमी संकट (Climatic Hazards) :- चक्रवात (Cyclone), बाढ़ (Flood), सूखा (Drought) जंगल की आग (Forest Fire)
(b) स्थलावृतिक संकट (Geomorphic Hazards) :- भूस्खलन (Landstide), हिमधाव (Avalanche), वर्फ की आँधी (Blizzard)
(c) विवर्तनिक संकट : भूकम्प (Earthquake), सुनामी ज्वालामुखी (Volcanism)
प्रश्न 21.
प्रमुख प्राकृतिक विपत्तियों के नाम लिखों।
उत्तर :
प्रमुख प्राकृतिक विपत्तियों के नाम भूकम्प (Earthquake), सुनामी (Tsunami), भू-स्खलन (Landslide), बाढ (Flood), ज्वार (Tidal Surge), सूखा (Drought), भारी वर्षा (Heavy Rainfall) आदि है।
प्रश्न 22.
भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों के नाम लिखो।
उत्तर :
विश्व में भूकम्प का प्रकोप तीन क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है-प्रशान्त महासागर की अमेरिकी व एशियाई तट, आल्पस से लेकर हिमालय तक फैली मध्य महाद्विपीय पेटी तथा पश्चिमी द्वीप समूह के निकट मध्य अटलाण्टिक पेटी।
प्रश्न 23.
भू-स्खलन क्या एक प्राकृतिक आपदा है?
उत्तर :
भूस्खलन भी एक प्राकृतिक आपदा है जिसमें अपार धन-जन की हानि होती है। भू-स्खलन वह क्रिया है जिसमें चट्टानों तथा मिट्टी आदि गुरूत्वाकर्षण के कारण ढाल से नीचे की ओर सरकती हैं।
प्रश्न 24.
सूखा को प्राकृतिक आपदा क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
सूखा (Drought) एक प्राकृतिक आपदा है। मौसम विभाग के अनुसार जब किसी क्षेत्र में वर्षा सामान्य से 25 \% से 50 \% कम होती है तो सामान्य कहते हैं तथा इससे भी कम वर्षा होने पर भयकर सूखा या अकाल (Famine) कहते हैं।
प्रश्न 25.
भारत का एक सूखा प्रभावित क्षेत्र का नाम लिखो।
उत्तर :
भारत में राजस्थान राज्य अकाल व सूखे से सर्वाधिक प्रभावित होने वाला क्षेत्र है।
प्रश्न 26.
भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के नाम लिखो।
उत्तर :
असम, पश्चिम बंगाल, बिहार व उत्तर प्रदेश राज्यों में गंगा-ब्रह्यपुत्र नदी तन्त्रों मे प्रतिवर्ष बाढ़ आती है।
प्रश्न 27.
आपदा प्रबंधन के उद्देश्य क्या है?
उत्तर :
आपदा प्रबंधन का उद्देश्य :-
(i) प्रबंधन तथा बहुमुखी आपदा और संकटों को समझना
(ii) आपदाओं को जिवारण के लिए क्षमता का विकास करना।
प्रश्न 28.
उत्तराखण्ड का जून 2013 का बादल-फटना क्या प्राकृतिक आपदा है?
उत्तर :
उत्तराखण्ड़ का जून 2013 का बादल-फटना प्राकृतिक आपदा है क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र में इसी प्रकार की आपदा देखने को मिलता है । इससे अनेकों जन-धन की नुकसान होती है।
प्रश्न 29.
रासायनिक आपदा क्या है ?
उत्तर :
रासायनिक आपदा तथा इससे उत्पन्न संकट की कोई परिभाषा नहीं दी जा सकती है। सामान्यतः यह दुर्घटना मानवीय चूक के कारण हो सकता है। यह देखा गया है कि इस प्रकार की आपदा कभी-कभी रिसाव छलकने, विकिरण, विस्फोट, आग लगने, या गलत विधि से परिवहन के कारण हो सकता है।
प्रश्न 30.
क्या उत्तराखण्ड का 16 जून का भू-स्खलन और अतिवृष्टि प्राकृतिक आपदा थी?
उत्तर :
उत्तराखण्ड का 16 जून का भू-स्खलन और अतिवृष्टि प्राकृतिक आपदा है क्योंकि इससे अनेकों जन-धन की नकसान होती है तथा यातायात मार्ग में अनेक बाधाएँ भी उत्पन्न हुई थी ।
प्रश्न 31.
भारत के प्रचण्ड सूखाप्रस्त क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर :
भारत में राजस्थान का मरूस्थलीय एवं अर्द्ध मरूस्थलीय क्षेत्र गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश तथा उत्तर-प्रदेश का दक्षिणी भाग प्रचण्ड सूखाप्रस्त क्षेत्र है।
प्रश्न 32.
भू-स्खलन क्या है?
उत्तर :
गुरूत्वाकर्षण के कारण पहाड़ों पर चट्टानों एवं मिट्टी के नीचे की ओर खिसकने की प्राकृतिक प्रक्रिया को भूस्खलन (Landslide) कहा जाता है।
प्रश्न 33.
भूकम्प से होने वाले दो प्रभावों का उल्लेख करो।
उत्तर :
हानि :
- जन-धन की क्षति।
- नदियों में बढ़ आना।
- परिवहन में बाधा।
लाभ :
- उपजाऊ भूमि का निर्माण।
- खनिज़ पदार्थो की प्राप्ति की सुविधा।
- नये जलसोतों का निर्माण।
प्रश्न 34.
भूकम्प आने पर दो आकस्मिक प्रबंधन क्या करना चाहिए?
उत्तर :
(i) जन-सामान्य को तत्काल खुले मैदान में आ जाना चाहिए।
(ii) भवनों को भूकम्परोधी बनाना अधिक हितकारी होता है।
प्रश्न 35.
ब्लिजार्ड का घर किसे कहते है ?
उत्तर :
अण्टार्कटिका में स्थित एडिलीलैण्ड को ब्लिजार्ड का घर कहते हैं।
प्रश्न 36.
भारत में बाढ़ संवेदनशील क्षेत्र कितना है ?
उत्तर :
भारत में कुल 40 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ संवदेनशील क्षेत्र हैं।
प्रश्न 37.
सूखा क्या है ?
उत्तर :
कृषि, पशुपालन, उद्योग अथवा मानवीय जनसंख्या की आवश्यकताओं से कम जल उपलब्ध होने को सूखा कहते हैं।
प्रश्न 38.
भारत में भू-स्खलन की क्रिया प्राय: कहाँ घटित होती है ?
उत्तर :
भारत में भू-स्खलन की क्रिया प्रायः उत्तरी एवं उत्तरी-पूर्वीं पर्वतीय क्षेत्र में होती रहती है।
प्रश्न 39.
पश्चिम बंगाल में प्रतिवर्ष कौन सी प्राकृतिक आपदाएँ आते रहते हैं ?
उत्तर :
बाढ़ एवं चक्रवाती तूफाने पश्चिम बगाल में प्राय: प्रतिवर्ष ही आते रहते हैं।
प्रश्न 40.
अन्तर्जात आपदा किसे कहते हैं?
उत्तर :
पृथ्वी की आन्तरिक प्रक्रियाओं या शक्तियों के कारण उत्पन्न आपदाओं को अन्तर्जात आपदा कहते हैं।
संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS
प्रश्न 1.
प्राकृतिक आपदा तथा संकट में क्या अन्तर है?
उत्तर :
प्राकृतिक आपदा | प्राकृतिक संकट |
i. इसकी गति तीव्र होती है। | i. इसकी गति धीमी होती है। |
ii. इसका प्रभाव तात्कालिक होता है। | ii. इसका प्रभाव स्थायी होता है। |
iii. प्रकृति के वे क्रियाकलाप जिनसे धन-जन की व्यापक हानि होती है, सामाजिक तंत्र एवं जीवन दूषित होता है और जिन पर नियंत्रण नहीं हो रहा है। जैसे :- युद्ध, वनों का कटाव, वायुमंडल का प्रदूषण, पारिस्थितकी तंत्र के साथ छेड़छाड़। | iii. पर्यावरण के वे अवयव जिनसे धन-जन की व्यापक हानि की संभावना हो वे प्राकृतिक संकट कहलाते हैं, जैसे :- महासागरीय धाराएँ, अस्थिर संरचना, रेगिस्तान या बफीले प्रदेश की विषम जलवायु। |
प्रश्न 2.
हिम इंझावत (Blizard) क्या है?
उत्तर :
ब्लिजार्ड या हिम झंझावत (Blizard) :- ब्लिजार्ड या हिम झंझावत धुवीय हवाएं होती है, जो कि बर्फ के कणों से युक्त होती है। हिम कणों से युक्त होने के कारण दृश्यता नष्ट हो जाती है। इनकी गति 80 से 96 कि०मी० प्रति घंटा होती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में पश्चिम-पूर्व धरातलीय अवरोध की ये हवाएँ समस्त मैदानी भाग को प्रभावित करते हुए दक्षिणी भागों तक पहुँच जाती हैं। साइबेरिया, मंगोलिया और मंचूरिया में इन झंझावतों को बुरा कहते हैं। इनकी तुलना मध्य और दक्षिण संयुक्त राज्य अमेरिका के नादर्न से की जा सकती है। साइबेरिया में इसे बुरान कहते हैं।
प्रश्न 3.
सूखे के दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं?
उत्तर :
सूखे के दुष्परिणाम :-
- फसलों का उत्पादन कम होने से देश में खाद्यान्न की समस्या आती है और मंहगाई बढ़ जाती है।
- मेवेशियों के लिए चारा और पीने के जल का अभाव हो जाता है।
- सूखा से भू-जलस्तर नीचे चला जाता है। प्राकृतिक जलाशय सूख जाते हैं, जल का अकाल हो जाता है।
- सूखा प्रभावित क्षेत्र में मानव प्रवास, पशुपालन और पशुओं की मृत्यु सामान्य घटना है।
- जल के अभाव में लोग दूषित जल का प्रयोग करते हैं, अत: पशु और मनुष्य रीग्रस्त हो जाते हैं।
प्रश्न 4.
भारत में सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर :
भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र :-
- पंजाब-हरियाणा में सतलुज, व्यास और यमुना नदी तथा हिमालय क्षेत्र में बर्फ पिघलने से बाढ़ आती है।
- उत्तर-प्रदेश, बिहार में यमुना, गंगा, घाघरा, गंडक नदियों में बाढ़ आती है।
- असम और समीपवर्ती क्षेत्र में बह्मपुत्र नदी प्रतिवर्ष बाढ़ की विनाश लीला उपस्थित करती है।
- पश्चिम बंगाल में उत्तरी बंगाल की नदियों एवं हुगली में बाढ़ आती है।
- उड़ीसा में महानदी एवं बंगाल की खाड़ी में चकवात के कारण बाढ़ आती है।
- आघ के पूर्वोतर और तमिलनाडु के उत्तरी तट पर गोदावरी, कृष्णा, तुगभद्रा एवं समुद्री तूफान से बाढ़ आती हैं।
- गुजरात में साबरमती, नर्मदा और ताप्ती नदियों के कारण बाढ़ आती है तथा मुहाने का क्षेत्र समुद्री तूफान से प्रभावित होता है।
प्रश्न 5.
ज्वालामुखी के उदगार से होने वाले विनाश को कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर :
ज्वालामुखी के फटने से मानव जीवन की क्षति को कम करने के लिए निम्न बातो पर ध्यान देने की विशेष आवश्यकता है :-
a) भूमि का उपयोग योजनाबद्ध तरीके से करना चाहिए।
b) ज्वालामुखी उद्गार के समय तथा स्थान की बेहतर भविष्यवाणी एवं संभावित विनाश के बारे में समय से पहले सूचना देनी चाहिए।
c) प्रभावी परित्यक्तता योजना (Effective evacuation plans) लागू करना चाहिए, जिससे विशेष परिस्थितियों में आबादी को अन्यत्र हटाया जा सके ताकि जानमाल की कम क्षति हो सकें।
प्रश्न 6.
भू-स्खलन के हानिकारक प्रभावों को कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर :
भू-सखलन एक प्राकृतिक घटना है, जिसमे मानव क्रिया-कलाप एक उत्रेरक (Catalyst) का कार्य करता है। अत: निम्नलिखित उपायों द्वारा इसका नियत्रण तथा इनके दर को कम किया जा सकता है।
- सतही एवं भूमिगत जल की उचित निकासी को व्यवस्था करना।
- तार एवं पत्थरों द्वारा अपरदन और स्खलन कम करना।
- पर्वतीय क्षेत्रों में भवन निर्माण के लिए उचित आवासीय निर्माण नियमों का पालन करना।
- ढलानों (Slopes) पर भवन निर्माण न करना।
- पहाड़ी ढलानों पर कक्रोट के खंड बनाकर स्खलन रोकना।
- ढलानों एवं घाटी में वृक्षरोपण करना।
प्रश्न 7.
आपदा और संकट की परिभाषा दीजिए?
उत्तर :
आपदा : आपदा का अर्थ है विपत्ति। अचानक होने वाली ऐसी घटना जिससे व्यापक स्तर पर जैविक एवं भौतिक क्षति होती है, आपदा कहते हैं।
आपदा (Disaster) को परिभाषित करते हुए फ्रेडरिक क्रिमगोल्ड ने कहा है कि ” आपदा एक ऐसा संकट है जो समाज की क्षमता (सहनशीलता) के परे हो जाता है, जिससे वह उसे उस समय संभाल नहीं पाता या उसकां सामना नहीं कर पाता है।”
संकट : प्राकृतिक आपदाओं को संकट कहा जाता है। फ्रैंच भाषा में Des का तात्पर्य बुरा तथा (Aster) का तात्पर्य सितारे से है। प्राचीन काल में आने वाले संकटों से तात्पर्य प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ माना जाता है। अतः प्राकृतिक आपदाओं को प्रकृति द्वारा दण्ड माना जाता था। विश्व बैंक ने संकट के बारे में कहा है- संकट अल्पावधि की एक साधारण घटना है, जो देश की अर्थ व्यवस्था को गंभीर रूप से बिगाड़ देती है।
प्रश्न 8.
बाढ़ से होने वाली क्षति का वर्णन करो।
उत्तर :
बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा का संबंध अतिवृष्टि से है। जब अत्यधिक वर्षा के कारण जल अपने प्रवाह मार्ग जैसे नदी, नालों आदि में नहीं बहकर तटबन्धों को तोड़ता हुआ विस्तृत भू-भाग को जलमग्न कर देता है, तो उसे बाढ़ कहते है। नदियों के मार्ग परिवर्तन के कारण भी यह स्थिति उत्पन्न होती है। नदी घाटियों में सघन जनसंख्या व कृषि क्षेत्र होने के कारण बाढ़ो से अत्यधिक हानि होती है। विश्व का 4 % भू-भाग बाढ़ग्रस्त क्षेत्र है जहाँ 19.5 % जनसंख्या निवास करती है या बाढ़ से प्रभावित है।
बाढ़ से पर्यावरण को क्षति पहुँचती है। मिट्टी का अपरदन अधिक होता हैं। जल प्लावित क्षेत्रों में वनस्पति व प्राणियों को हान होती है। उदाहरणार्थ वर्ष 1998 में बाढ़ के कारण काजीरंगा नेशनल पार्क का अधिकांश भाग जलमग्न हो गया तथा अनेक गेंडो व दुलभभ जीव-जन्तुओं की मृत्यु हो गई। प्रतिवर्ष बाढ़ों से अधिवासों, सड़कों रेलमार्गो, पुलों व फसलों को हानि होती है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रो में महामारियाँ तेजी से फैलती है।
प्रश्न 9.
सूखे से उबरने के लिए आपदा प्रबंधन का वर्णन करो।
उत्तर :
सूखा का सामना करने के लिए निम्नांकित उपाय काम में लायें जा सकते है :-
- सूखा क्षेत्रो में शुष्क कृषि प्रणाली द्वारा माटे अनाज पैदा किये जाते हैं। इन प्रणाली के अन्तर्गत गहरी जुताई की जाती है।
- ऐसे बोजों का प्रबधन किया जाय जो सूखा सहन कर सके।
- वर्ष के जल का व्यवस्थित रूप से अधंकतम उपयोग छोटे बाँघ, हौज, तालाब, एनीकट, कुएँ तथा मिट्टी के अवरोंध बाँध बनाकर किया जाना चाहिए।
- सिंचाई के लिए नहरों को पक्का बनाना जिससे भूमि में कम से कम जल रिस सके।
- जिन क्षेत्रों में नमकीन मिट्टी पायी जाती है, उनमें ड्रिप सिंचाई की प्रणाली अपनाकर पुन रूद्धार की गई मिट्टी में फसलें. पैदा की जाय।
प्रश्न 10.
बाढ़ से बचाव के लिए आपदा प्रबंधन को लिखो?
उत्तर :
बढ़ से बचाव के लिए निम्न उपायों को किया जाना चाहिए :-
- बाढ़ नियत्रण केन्द्रों की स्थापना कर मौसम की भविष्यवाणी करनी चाहिए।
- बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से लोगों को निकालकर शीध सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाना चाहिए।
- राहत साग्रगी की व्यवस्था अतिशीघ करनी चाहिए।
- नदियों के जलग्मण क्षेत्रों में वनों की कटाई पर रोक लगाई जानी चाहिए।
- नदियों के प्रवाह मार्ग में बाढ़ को नियंत्रित करने हेतु भण्डारण जलाशयों अर्थात बाँधो का निर्माण करना चाहिए।
प्रश्न 11.
सुनामी से बचाव के लिए आपदा प्रबन्धन को लिखो।
उत्तर :
सुनामी लहरों के प्रतिरोधस्वरूप निम्नांकित कार्य किया जाना चाहिए :-
- तटीय भागों पर बने मकानों से दूर रहें।
- तटीय भागों पर बने मकानों की ऊँचाई बढ़ाइए।
- मकान भूकम्परोधी बनाइए जिसके लिए किसी इन्जीनियर की सहायता लेनी चाहिए।
- स्थानीय अधिकारियों द्वारा किये गये निर्देशों का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 12.
मानव निर्मित विपत्तियाँ क्या है?
उत्तर :
ऐसी आपदाएं जिसमें भनुष्य की ही भमिका होती है, जैसे सम्र्रदायिक दंगे या जातिगत दंगे आदि। लिंग भेद, जातिभेद, धर्म, प्रादेशिकवाद एवं आर्थिक वर्ग में भिन्नता के कारण कभी-कभी ऐसी दशाएं उत्पन्न हो जाती है कि लोग अपना संतुलन खो बैठते हैं तथा उन्मादित हो जाते हैं। यह कभी-कभो इतना उग्र रूप धारण कर लंता है कि इसके चपेट में बड़ी संख्या में लोग आ जाते हैं और बहुतों को अपनी जान भी गवानी पड़ जाती है।
प्रश्न 13.
अन्तर्जात प्रक्रम किस प्रकार अन्तर्जात आपदाओं की सृष्टि करते हैं?
उत्तर :
भूकम्प और ज्वालामुखी दो ऐसे आपदा हैं जिसकी उत्पत्ति अन्तर्जात प्रक्रम के कारण होती है। पृथ्वी के भौतर कई प्रकार से अन्तर्जात प्रक्रम कार्य करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भू-गर्म से गैसों का निकलना, भू-सन्तुलन का बिगड़ना, भंशीकरण तथा ज्वालामुखी का उद्गार की सृष्टि होते हैं।
प्रश्न 14.
वायुमण्डलीय आपदाओं की उत्पत्ति के क्या कारण हैं?
उत्तर :
बाढ़, सूखा, चक्रवात आदि वायुमण्डलीय आपदाएँ हैं। यह सभी आपदा मौसम की अनिश्चितना तथा अनियमितता के कारण आती है। इसमें बाढ और सूखा वर्षा पर निर्भर करता है, लेकिन चक्रवात वायुमण्डलीय दबाव क्रे द्वारा उत्यन्न होती है।
प्रश्न 15.
जैविक विपत्तियाँ या महामारी क्या है?
उत्तर :
सूक्ष्म जीवों द्वारा जो विपत्तियाँ उत्पन्न होती हैं उसे जैविक विपत्तियाँकहते हैं। इन जैविक सक्ष्म जीवों से महामारी फैलती है। महामारी भी एक प्रकार की आयदा है जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है। प्लेग, फ्लू, हैजा, चेचक आदि प्रसिद्ध महामारियाँ हैं। आजकल भाव इतनी तेजी से बढ़ रही है कि यदि इसकी रोकथाम नही की गई तो यह एक भयंकर आपदा का रूप धारण कर लेगी।
प्रश्न 16.
रासायनिक आपदा क्या है?
उत्तर :
रासायनिक आपदा (Chemical Hazards) :- विभिन्न कार्यो के लिए संसार के सभी देशो को रसायन की आवश्यकता पड़ती है, अतः उनके उत्पादन के लिए रासायनिक उद्योग लगाए जाते है, विश्व में रासायरनक रेकर्ड के अनुंसार करीब 4-5 मिलियन प्रकार के रसायन रजिस्टर है तथा प्रत्येक वर्ष हजारों नए रसगन का उत्पादन किया जाता है। इन रसायनों के उत्पादन, परिवहन, भडारण, उपयोग तथा उनके अवशिष्ट पदार्थो को निस्यादित करने के कांम मे अनेक प्रकार के जोखिम की संभावना रहती है। जिस तरह रसायनो की संख्या तथा उपयोग बढ़ता जा रहा है, इससे पैदा होने वाले जोखिम भी दिन-प्रति दिन बढ़ती जा रही है।
प्रश्न 17.
बांध दूटने से जो बाढ़ आती है वह अधिक भयावह क्यों होती है?
उत्तर :
बाँध का टूटना भी एक प्रमुख आपदा है। बांधों के पीछे जलाशय व जल के दबाव के कारण पुल और बांध टूट जाते हैं। जलीय दबाव के कारण कभी-कभी नदियों के तटबध भी दूट जाते हैं जिससे पानी बड़े क्षेत्र में फैल जाता है तथा बाढ़ से भी भीषण तबाही मच जाती है। चूंकि ऐसी घटनाएँ आकस्मिक होती है, अतः लोगों को संभलने का अवसर नहीं मिलता और भारी तबाही होती है। बांधां के टूटने से होने वाली क्षति की अपेक्षा कई गुणा अधिक होती है।
प्रश्न 18.
सुनामी और भूकम्प में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सुनामी | भूकम्प |
(i) सुनामी पृथ्वी के जलीय भाग में उत्पन्न कम्पन है। | (i) भूक्यम पृथ्वी के धरातल पर उत्पन्न कम्पन है। |
(ii) सुनामी लहरों की उत्पत्ति भूकम्प के कारण होती है। | (ii) भृकम्प की उत्पति किसी भ्रंश (Fauit) के सहार |
प्रश्न 19.
चक्रवात क्यों आते हैं?
उत्तर :
विषुवत रेखा के दोनों ओर लगभग 30° अक्षांश का क्षेत्र उष्ण कटिबंध कहा जाता है। चक्रवात उण्ण कटिबंधीय प्रदेशो में सामान्य रूप से आता है। ये उच्च तापमान एवं आर्द्रता के कारण उत्पन्न होते हैं। इसके लिए समुद्री सतह का तापमान 26° से अधिक होना आवश्यक है।
प्रश्न 20.
पश्चिम बंगाल में चक्रवात से कौन-सा क्षेत्र किस प्रकार प्रभावित होता है?
उत्तर :
बंगाल की खाड़ी में सुन्दरवन के डेल्टा से उतरी हवाएं और पूर्वी घाट की नदियों सुवर्ण रेखा, महानदी आदि के साथ पश्चिमी हवाएं परस्पर लम्बवत् मिलती है। इससे गर्म आर्द्र वायु तेजी से ऊपर उठती है और कम दबाव का क्षेत्र बनने लगता है। आर्द्रवायु का प्रवाह लगभग 15 कि० मी० ऊपर तक हो सकता है। हवा का बहाव भंवर की तरह चक्कर करते हुए ऊपर की ओर होता है।
प्रश्न 21.
सुनामी का क्या प्रभाव है?
उत्तर :
सुनामी भूकम्प की भांति ही एक विघ्वसकारी आपदा है। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में मानव, मवेशी एवं पशु-पक्षी काल के ग्रास बन जाते हैं। गहरे समुद्र में तो सुनामी का उतना प्रभाव नहीं दिखता पर तटीय भाग में यह विनाशलीला उत्पन्न कर देता है। इसका कारण यह है कि छिछले समुद्रों में लहरों की गति धीमी पड़ने लगती है तथा पीछे से तेज गति से आने वाली लहरें उस पर चढ़ जाती हैं तथा दीवार के रूप में आगे बढ़ती है तथा उसके दबाव से मकान, पुल, सड़क, रेललाइन आदि ध्वस्त हो जाती है। नौकाए तथा जहाज डूब जाती है।
प्रश्न 22.
हिमवाह या हिमघाव किन क्षेत्रों में प्रभावी होता है?
उत्तर :
हिमवाह या हिमघाव की घटना प्राय: पर्वतीय क्षेत्रों के उन भागों में घटित होती है जो जन-जीवन वाले क्षेत्रो से काफी दूर हैं। यहाँ की छोटी-छोटी बस्तियाँ तथा कस्बे जब इनके चपेट में आ जाते हैं तो उसकी सूचना संबंधित अधिकारियों तक पहुँचने में काफी वक्त लग जाता है। आवागमन के साधन के अभाव में लोगों को वहाँ पहुँचने में कठिनाइयों होती है जिसके कारण यह एक प्रमुख आपदा का रूप धारण कर लेती है।
विवरणात्मक प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS
प्रश्न 1.
सूखा किसे कहते है? भारत में सूखा प्रभावित क्षेत्रों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर :
नामिया (1989) के अनुसार : सूखा वह स्थिति है जो वर्षा के अभाव में उत्पन्न होती है तथा कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। इससे जल आपूर्ति बाधित होती है तथा जल से जुड़े कार्यकलाप बुरी तरह प्रभावित होते हैं। भारत के सूखाप्रस्त क्षेत्रो को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है :-
उच्च या प्रचण्ड सूखाग्रस्त क्षेत्र :- भारत में राजस्थान का मरूस्थलीय एवं अर्द्धमरूस्थलीय क्षेत्र, गुजरात, हरियाणा तथा मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश का दक्षिणी भाग प्रचण्ड सूखाप्रस्त क्षेत्र माना जाता है। इस क्षेत्र का विस्तार लगभग 6 लाख वर्ग कि० मी० में है। प्रचण्ड सूखे का यह क्षेत्र त्रिभुजाकार रूप में पूर्व एवं दक्षिण-पश्चिम के कच्छ तक फैला हुआ है। इस प्रदेश में वर्षा का वार्षिक औसत 35 से 70 से० मी० तक रहता है। हरियाणा और पंजाब में सूखे से विशेष हानि नहीं होती क्योकि इन प्रदेशों में नहर एवं नलकूप पर्याप्त मात्रा में हैं, किन्तु अन्य भागों में सूखा से पर्याप्त क्षति होती है। इस प्रदेश को दो या तीन वर्ष में एक बार अवश्य ही प्रचण्ड सूखे का सामना करना पड़ता है।
मध्य सूखाग्रस्त क्षेत्र :- इस क्षेत्र में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश तथा तमिलनाडु राज्य का पश्चिमी भाग सम्मिलित है। यह क्षेत्र लगभग 300 कि० मी० की चौड़ाई में पश्चिमी घाट के पूर्व में चतुर्भूजाकार रूप में फैला है। यहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 75 से॰मी॰से कम रहता है। इस प्रदेश को तीन से 5 वर्ष के मध्य एक बार सूखा-संकट का सामना करना पड़ता है।
न्यूनतम सूखाप्रस्त क्षेत्र :- भारत में न्यून या निम्न सूखाग्रस्त क्षेत्र बिखरे हुए प्रारूप में विस्तृत हैं। इस क्षेत्र में बिहार प्रान्त का पलामू क्षेत्र, पश्चिम बंगाल का पुरूलिया जनपद, उड़ीसा का कालाहाँड़ी क्षेत्र मुख्य रूप से उल्लेखनीय है।
प्रश्न 2.
भूकम्प क्या है? भारत में भूकम्प के खतरे वाले क्षेत्रों को कितने जोन में बाँटा गया है?
उत्तर :
‘भूकम्प’ दो शब्दों से मिलकर बना है : भू (Earth) अर्थात पृथ्वी और और कम्प (Quake) अर्थात कम्पन। अत: ‘भूकम्प’ का साधारण अर्थ है ‘पृथ्वी का हिलना’। किसी ज्ञात या अज्ञात, बाह्य या आन्तरिक कारण से धरातल के अचानक कॉप उठने की क्रिया को ‘भूकम्प’ कहते हैं।
भारत में भूकम्प के खतरे वाले क्षेत्र :-
जोन – 1. पश्चिमी मध्य प्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक तथा उड़ीसा इस जोन के अन्तर्गत आते हैं। यहाँ भूकम्प का खतरा सबसे कम रहता है।
जोन – 2. इस जोन में तमिलनाडु, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल के मैदानी एवं पठारी अंचल तथा हरियाणा को शामिल किया गया है। यहाँ भूकम्प की सम्भावना रहती है।
जोन – 3. इस जोन के अन्तर्गत केरल, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से आते हैं। यहाँ भूकम्प के झटके आते रहते हैं।
जोन – 4. इस जोन में मुम्बई तंथा दिल्ली महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमांचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात तथा बिहार-नेपाल के सीमा क्षेत्र. शामिल हैं। यहाँ लगातार भूकम्प का खतरा बना रहता है तथा रूक-रूक कर भूकम्प आते रहते है।
जोन – 5. भूकम्प की दृष्टि से यह सबसे खतरनाक जोन है। इसमें गुजरात का कच्छ, उत्तरांचल तथा पूर्वोत्तर के अधिकतम राज्य आते है।
प्रश्न 3.
वनाग्नि क्या है? वनाग्नि को रोकने के क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तर :
वनाग्नि (Forest fire) :- वनाग्नि एक बड़ी आपदा (Hazard है। यह तीव्र गति से विस्तृत क्षेत्रों में फैल जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 1955 ई० से 1964 ई० की अवधि के दौरान लगभग 10 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र को वनाग्नि से क्षति पहुँची थी। हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया में वनों में लगने वाली आग एक बड़ी समस्या बन गयी है।
वनाग्नि को रोकने के उपाय :- वनाग्नि से वनों का विनाश होता ही है, इसके साथ-साथ वर्षा, पोषक तत्वों के चक्र, मिट्टी की उर्वरता, मिट्टी के द्यूमस तत्व आदि पर भी इसका दुष्रभाव पड़ता है तथा जीव-जन्तुओं के आवास नष्ट हो जाते हैं। अत: हमें वनों को अग्नि से रक्षा करनी चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं :-
- वनों में कैम्प फायर का आयोजन नहीं करना चाहिए। यदि वहाँ कैम्प फायर आयोजित किए जाते हैं तो इसके लिए स्थान चुनने के बाद भूमि को साफ करके उसके चारों तरफ पत्थरों का घेरा बना देना चाहिए।
- वनो में वाच टावर (Watch Tower) बनाए जाने चाहिए, जिससे इनकी निगरानी की जा सके।
- वन क्षेत्रों में बीच-बीच में खुले क्षेत्र खाली छोड़ देने चाहिए। ये खुले क्षेत्र अग्नि रोधक का कार्य करते हैं तथा विस्तृत क्षेत्र में आग के फैलाव को रोकते हैं।
- वनों में या इनके निकट रहने वाले लोगों को अग्नि रक्षा के नियमों से परिचित तथा प्रशिक्षित कराया जाए।
प्रश्न 4.
बाढ़ क्या है? नदियों में बाढ़ को रोकने के क्या उपाय किए जा सकते हैं ?
उत्तर :
नदियाँ अपनी क्षमता के अनुसार ही जल का वहन कर सकती है। अतिवृष्टि अथवा बर्फ के पिघलने से नदियों के जलस्तर में अचानक वृद्धि हो जाती है जो किनारों को तोड़कर आस-पास के क्षेत्रों में भर जाता है। इस स्थिति को ही बाढ़ कहा जाता है।
बाढ़ नियंत्रण के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं। प्रत्येक उपाय के कुछ लाभ एवं कुछ हानियों को इसमें सम्मिलित किया गया है। ये निम्न है :-
- बाँधों का निर्माण।
- कृत्रिम सतहों या किनारों का विकास।
- बड़े-बड़े जलाशयों का निर्माण।
- नदियों की खुदाई एवं साफ-सफाई।
- छोटे नालों एवं नहरों को सुचारू करना एवं उनका विकास करना।
- नदियों को जोड़ना।
- वनों के काटने पर प्रतिबंध ।
प्रश्न 5.
पश्चिम बंगाल में घटित होने वाली प्राकृतिक आपदाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए ?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में घटित होने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाएँ निम्नलिखित है, जो समय-समय पर घटटित होकर यहाँ के जन-जीवन को प्रभावित करती रहती है :-
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात :- पश्चिम बंगाल, बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित राज्य है। बंगाल की खाड़ी इस राज्य के दक्षिण में स्थित है। इस खाड़ी में ग्रोष्म ऋतु तथा शरद ऋतु में उष्ण कटिबधीय चक्रवातों की उत्पत्ति होती रहती है । तीव्र दाब प्रवणता के कारण इन चक्रवातों में वायु तीव्र गति से आगे बढ़ती है तथा तट पर पहुँचकर विनाशलीला प्रारम्भ कर देती है। पश्चिम बंगाल के दक्षिणी तटवर्ती क्षेत्रों में इन चकवातों के कारण अनेको लोग मरे जाते हैं, बिजली के खम्भे तथा वृक्ष उखड़ जाते हैं, तथा भवनों को भारी क्षति पहुँचती है। समुद्र में ऊँची लहरें उठने लगती हैं जिससे मछुवारों एवं नाविकों का जीवन खतरे में पड़ जाता है।
सूखा :- पश्चिम बंगाल में सूखे का प्रभाव कम देखने को मिलता है। वर्षा यहाँ द्रक्षिणीं-पश्चिमी मानसूनी हवाओं से होती है। जब कभी ये मानसूनी हवाएँ कमजोर पड़ जाती हैं, तो वर्षा सामान्य से कम होती है, जिससे राज्य के पश्चिमी भाग में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सूखे का सर्वाधिक प्रभाव पुरूलिया जिले में पड़ता है।
भूकम्प :- भूपटल पर होने वाले कम्पन को भूकम्प कहते हैं। पश्चिम बंगाल के उत्तर में पर्वतीय श्रेणियाँ हैं। इस अंचल में भूरर्भिक प्रक्रियाओं के घटित होते रहने के कारण अक्सर भूकस्प के झटके महसूस होते रहते हैं तथा कभी-कभी तीव्र झटकों के कारण विनाशकारी परिणाम देखने को मिलते हैं। पश्चिम बंगाल के मैदानी एवं पठारी अंचल भूकम्प की दृष्टि से अधिक संवेदनशील नहीं है। इन अचलों में कभी-कभी हल्के झटके महसूस किये जाते हैं।
भू-स्खलन :- पर्वतीय अंचलों में गुरूत्वाकर्षण के कारण चट्टानों एवं मिट्टी का बहुत बड़ा ढेर नीचे आकर तबाही मचा देता है। पश्चिम बंगाल के सूदूर उत्तरी भाग की भू-प्रकृति पर्वतीय है। यहाँ मानसून काल में प्रचूर वर्षा होती है जिससे ढीली चट्टानें गीली होकर ढाल के सहारे स्खलित होती है। जब स्खलन बड़े पैमाने पर होता है तो धन-जन की हानि होती है तथा मार्ग अवरूद्ध हो जाते हैं।
बाढ़ :- पश्चिम बंगाल में प्रतिवर्ष किसी न किसी क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति उंत्पन्न होकर जनजीवन को तबाह करती रहती है। वर्षा ऋतु में पर्वतीय अंचल में अति वृष्टि के कारण उत्तरी बंगाल में प्रवाहित होने वाली नदियों में जलातिरेक हो जाता है, जिससे इन नदियों की घाटियों में अक्सर भयकर एवं विनाशकारी बाढ़ आया करती है। नदियों पर बाँध बनाकर इनके बाढ़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। परन्तु आज भी पश्चिम बंगाल भारत के सर्वाधिक बाढ़ वाले राज्यों में से एक है। बाढ़ के कारण प्रतिवर्ष यहाँ अनेकों लोग मारे जाते हैं तथा हजारों एकड़ फसल वर्बाद हो जाती है।
प्रश्न 6.
आपदाओं का न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन कैसे किया जा सकता है?
उत्तर :
आपदाओं के न्यूनीकरण एवं प्रबन्षन के अन्तर्गत निम्नलिखित तीन स्थितियों पर योजना बनाने की आवश्यकता है :
- आपदा के पूर्व प्रबन्धन योजना
- आपदा के मध्य प्रबन्धन योजना
- आपदा के पश्चात् प्रबन्धन योजना।
आपदा के पूर्व प्रबन्धन योजना :- आपदा के पूर्व प्रबन्धन का अर्थ किसी आपदा या विपत्ति से होने वाले जोखिम को न्यूनतम करने का पूर्व प्रयास है। इसके अंतर्गत विपत्ति का सामना करने की घूर्ण तैयारी, जनजागरूकता और आपदा न्यूनीकरण के उपायों हेतु योजना बनाई जाती है। पूर्ण तैयारी में आपदा प्रभावित क्षेत्रों की पहचान एवं जोखिम का मूल्यांकन और प्रभाव का पुर्वानुमान लगया जाता है, फिर इसके आधार पर अन्य तैयारी की रूप रेखा बनाई जाती है। इसके पूर्व सूचना प्रणाली को विकसित करना, संसाधन प्रबन्धन पर ध्यान देते रहना और सत्यता के लिए अभ्यास (रिहर्सल) करते रहना आवश्यक है।
इस प्रकार की पूर्ण तैयारियों के लिए सामुदायिक सहयोग और पहल की आवश्यकता होती है, जिसे मानव समुदाय में जागरूकता के द्वारा पूरा किया जा सकता है। जागरूकता के अन्तर्गत पयार्वरण की सुरक्षा और जोखिम प्रबम्बन रण कौशलों का व्यापक प्रचार एवं वित्तीय योगदान तथा बीमा अर्थात् जोखिम का स्थानान्तरण आदि पक्षों पर ध्यान दिया जाता है। इस प्रकार आपदा पूर्व प्रबन्धन योजना में समुदाय एवं सम्बन्धित संस्थाएँ परस्पर समन्वय स्थापित कर जनसमुदाय के सदस्यों कों आपदा का सामना करने के योग्य बनाने का प्रयास करती है।
आपदा के मध्य प्रबन्धन योजना :- आपदा के मध्य प्रबन्धन से यह अभिप्राय है कि, आपदा के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में पहुँचकर बचाव कार्यो को तत्काल शुरू किया जाय और प्रभावित मानव समुदाय की विभिन्न प्रकार से सहायता की जाय। इस अवधि में मुख्य ध्यान खोज और बचाव तथा राहत सामग्री के उंचित रूप से प्रबन्ध एवं वितरण पर दिया जाना आवश्यक है। खोज व बचाव के लिए प्रशिक्षित सुरक्षादल जो आपदा पूर्व प्रबन्धन के समय किए गए थे, इस समय महत्वपूर्ण मूमिका निभाते हैं। इसके साथ-साथ चिकित्सक समूहों के प्रबन्धन, अस्थायी आवास व्यवस्था, सूचना केन्द्र और खाद्यसाम्मगी का वितरण सुनिश्चत करने की पूर्व निर्धारित रणनीतियों को भी इसी समय क्रियान्वित किया जाता है।
आपदा के पश्चात् प्रबन्धन योजना :- आपदा के पश्चात् पुनर्वास, और विकास कार्यो से संबंधित कार्यो पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। इस समय नीति निर्धारको की अहम भूमिका होती है। उन्हे वर्तमान में हुई आपदा से क्षतिपूर्ति को पूरा करने के लिए उचित वितरण प्रणाली के साथ-साथ मानक तकनीकों के अनुसार ही विकास कार्यो को पूरा करना चाहिए। इसी अवसर पर आपदा पूर्व प्रबन्धक के अन्तर्गत स्थापित वित्तीय आपात कोष तथा जोखिम स्थानान्तरण संस्था और (बीमा कम्पनी) के कार्यों का पूरा उपयोग करते हुए, राहत एवं पुनर्वास कार्यो में सहयोग प्रदान करता है।
इस अवसर पर रोजगार, आवास तथा मूलभूत सुविधाओं को स्थापित करके प्रभावित क्षेत्र की विकास प्राथमिकाओं को पूरा करना अत्यन्त आवेश्यक है, अन्यथा प्रभावित जनसमुदाय क्षेत्र से पलायन करने लगता है तथा क्षेत्र के स्थानीय संसाधनो का अनुपयोग प्रारंभ हो जाता है-। इस अवधि में आपदा प्रबन्ध विकास को नई सतत विकास संकल्पना के साथ समन्वित करके पुर्नवास और विकास कार्यो को पूरा करने की योजना सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होती है।
अत: आपदा निवारण हेतु आपदा न्यूनीकरण प्रबन्धन को न केवल जीवन के अंग के रूप में बल्कि आवश्यक जीवन रक्षा कौशल के रूप में अपनाकर अपनी और अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए तत्पर रहना और जनसमान्य तैयार करना ही सर्वोत्तम उपाय है।
प्रश्न 7.
पश्चिम बंगाल में आपदा प्रबंधन नीति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?
उत्तर :
पश्चिम बंगाल में आपदा प्रबंधन नीतियाँ (Disaster Management Strategies in West Bengal) :- पश्चिम बंगाल को विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं जैसे :-बाढ़, सूखा, चक्रवात, भू-स्खलन, तथा भूकम्प आदि के कष्टों को सहन करना पड़ता है । बाढ़ और चक्रवाती तूफान तो पश्चिम बंगाल में लगभग प्रति वर्ष ही आते रहते हैं तथा इनसे यहाँ के विभिन्न भागों में बड़े पैमाने पर धन-जन की हानि होती है, जिससे राज्य का आर्थिक विकास प्रभावित होता है। प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम से बचने के लिए या इनसे होने वाले धन-जन की हानि को न्यूनतम करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ‘पश्चिम बंग राज्य आपदा प्रबन्धन नीति’ (West Bengal State Disaster Management Policy) तैयार की गयी है। इस नीति के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं :-
i) आपदा से निपटने की तैयारी तथा आपदा बचाव सभी विकास नीतियों का अभिन्न अंग होना चाहिए। राज्य के आपदा प्रभावित जिलों में लम्बी अवधि की विकास योजनाओं को तैयार करते समय आपदा प्रबन्व को ध्यान में रखना होगा।
ii) आपदाओं से निपटने के लिए दृढ़ आपदा प्रबन्ध नीति होनी चाहिए जो सभी प्रकार की आपदाओं के लिए योजना एवं तैयारी प्रस्तुत कर सके।
iii) पश्चिम बंगाल सरकार को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आपदा प्रबन्ध के सभी स्तरों जैसे :- जोखिम, राहत, साम्रगी वितरण, पुर्नवास एवं विकास कार्य आदि के लिए वर्तमान प्रशासनिक तन्त्र का पूरा उपयोग किया जा सकता है। सभी सरकारी विभागों, स्थानीय निकायों तथा समितियों को उपलब्ध संसाधनों के अंतर्गत आपदा प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
iv) सफल आपदा प्रबन्धन के लिए गैर-सरकारी संगठनों (NGOs), व्यक्तिगत क्षेत्रों एवं सभी सरकारी विभागों जैसे अग्नि निरोषक दस्तों, आपातकालीन सेवाओं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आदि की सक्रिय भूमिका आवश्यक है।
v) प्रबन्धक प्रयास तटस्थ होना चाहिए अर्थात आपदा से प्रभावित सभी लोग बचाव एवं राहत सेवाओं से समान रूप से लाभन्वित हों।
प्रश्न 8.
भूस्खलन के लिए आपदा प्रबन्धन का वर्णन करो।
उत्तर :
आपदा प्रबन्धन (Disater Management) :- पर्वतीय क्षेत्रों में वनों की कटाई, बड़े निर्माण कार्य, खनन, कृषि इत्यादि मानवीय गतिविधियों को सीमित करके भू-स्खलन की घटनाओं को कम किया जा सकता हैं। पर्वतों के नग्न ढालों पर वनस्पति लगाने से मृदा एवं चट्टानों का स्थिरीकरण होगा।
प्राक-आपदा (Pre-Disater) :- भू-स्खलन की घटनाएँ सामान्यत: वर्षा काल में अधिक होती है। अत: भारी वर्षा के समय आपदा की आशंका वाले क्षेत्रों में पूर्व चेतावनी के साथ ही बचाव कार्यो के लिए त्वरित कार्यबल तैयार रखें। भूस्खलन के कारण मार्ग अवरूद्ध हो जाना स्वभाविक है। अत: मार्गो को तुरन्त खोलने के लिए विभिन्न यन्त्रों की पर्याप्त व्यवस्था रखनी चाहिए।
आपदा पश्चात् (Post-Disater) :- नदियों में पहले चट्टाने गिरनेसे अल्पकालिक बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अतः स्थल मार्गो के समान ही नदी मार्ग के अवरोध को भी शीघ हटायें। आबादी क्षेत्र में भू-स्खलन हो जाने पर दबे हुए लोगों को शीघ्र निकालकर उनकी चिकित्सा, भोजन व शरण आदि की तुरन्त उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। भू-स्खलन की आशंका वाले क्षेत्रों में पर्वतीय ढालों पर अधिवासों के प्रचार को रोकने के साथ हीं नवीन वस्तियां स्थापित न हो इसके लिए कारगर उपाय किये जाने चाहिए।
प्रश्न 9.
भूकम्प से उबरने के लिए आपदा प्रबन्धन का वर्णन करो।
उत्तर :
भूकम्प से उबरने के लिए आपदा प्रबंघ (Distater Management of earthquacke) : – भूकम्प जैसी आपदा को रोकना मानव के वश में नहीं है। किन्तु दीर्घकालीन उपायों से इससे होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है। भूकम्प प्रबन्धन हेतु निम्नांकित उपाय किये जाने चाहिए :-
(a) आपदा के पहले (Pre-Disaster) :
- भूकम्प की आशंका वाले क्षेत्रों में भूकम्प मापी यन्त्र (Richter Scale) की सहायता से किसी भी असामान्य भू-पृष्ठीय हलचल पर निगरानी रखना तथा प्रारम्भिक झटटकों को अंकित करते ही सूचना को त्वरित प्रसारण करना चाहिए।
- जनसामान्य को तत्काल खुले मैदान में आ जाना चाहिए।
- भवनों को थूकम्परोधी बनाना अधिक हितकारी होता है।
(b) आपदा के बाद (Post-Disaster) :
- भूकम्प आ जाने पर घटना से प्रभावित अधिक घने बसे क्षेत्र में राहत कार्य पर अधिक जोर देना चाहिए।
- घायलों के लिए उपचार व राहत सामग्री शीघ पहुँचाई जानी चाहिए।
- भूकम्प के तुरन्त बाद वहँँ फँसे लोगों को निकालने की व्यवस्था करनी चाहिए।
प्रश्न 10.
आपदा प्रबन्धन में छात्रों की भूमिका का वर्णन करो?
उत्तर :
आपदा प्रबन्थन में छात्रों की मूलभूत भूमिका जागरूकता (AWAENESS) होती है कि आपदा के समय और बाद में क्या करना चाहिए। छात्रों को ऐसी शिक्षा प्रदान करनी चाहिए जिससे आपदा के समय मृतको की संख्या कम की जा सके और प्रभावित लोगों को प्राथमिक-इलाज (First-Aid) करने में छात्र सक्षम हो। यदि छात्र प्रशिक्षित होंगे तो वे आपदा के समय स्वयं की रक्षा करेंगे और प्रभावितों की भी सहायता कर सकेंगे। छात्र निम्न प्रकार से मदद कर सकते हैं :-
(i) छात्र प्रभावित व्यक्तियों के पुर्नवास में मदद कर सकते हैं।
(ii) छात्र आपदा समय में स्वय सेवी के रूप में बुलाये जा सकते हैं।
(iii) छात्र प्रभावित लोगों को मूल राहत पहुँचा सकते हैं।
इस प्रकार छात्र आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे लोगों में आपदा से निपटने का गुण भी सिखा सकते हैं।
प्रश्न 11.
आपदा प्रबंधन पर पश्चिम-बंगाल सरकार के कार्य का वर्णन करो।
उत्तर :
पश्चिम बंगाल की सरकार ने आपदा प्रबंधन पर काफी प्राथमिकता दी है। अतः आग, आकस्मिक सेवा और नागरिक सुरक्षा को एक मंत्रालय के अंतर्गत ला दिया है जिसमें आपदा प्रबंधन को त्वरित किया ज़ा सके। वर्तमान समय में यह आदरणीय मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी और आपदा प्रबंधन मंत्री जावेद अहमद खान के कुशल नेतृत्व में है।
पश्चिम बंगाल आपदा प्रबंधन द्वारा कार्य :- उड़ीसा में फेलिन (Phailin) तुफान के दौरान आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 75000 Pcs तिरपाल, 40,000 Pakts बिस्कुट, 1000 किवंटल चुड़ा, 26.03 .2014 को सप्लाई किया गया।
हुगली जिला में 30.11 .2012 को 48 व्यक्तियों को सरकारी नौकरी और 91 परिवारों को तीन-तीन लाख की सहायता दी गयी। 30.11 .2012 के सरकारी आपदा प्रबंधन घोषणा के अनुसार 107 बहुक्षेत्रीय तूफान शरण (Multipurpose Cyclone Shelter) बनाये गये हैं।
09.05.2012 के सरकारी घोषणा के अनुसार आपदा पीड़ित 2 लाख 79 हजार परिवारों को पुन: घर निर्माण के लिए 211 करोड़ 12 लाख रूपये की घनराशि विभिन्न जिलों के लिए दी गयी है।
प्रश्न 12.
प्राकृतिक आपदा एवं प्राकृतिक संकट का वर्णन सोदाहरण कीजिए?
उत्तर :
प्राकृतिक संकट और आपदाओं की धारणा (Concept of Hazards and Disasters) :प्राकृतिक आपदाओं तथा संकट का एक दूसरे के साथ निकट का संबंध है। अधिकतर ये एक दूसरे के पर्यायवाची के रूप में प्रयोग किए जाते हैं, फिर भी इन दोनों में मूल अंतर को स्षष्ट करना आवश्यक है। प्राकृतिक, संकट, प्राकृतिक पर्यावरण में हाल के वे तत्व हैं जिनसे धन-जन या दोनों के नुकसान पहुँचाने की संभाव्यता होती है।
प्राकृतिक संकट की तुलना में प्राकृतिक आपदाएँ अपेक्षाकृत तीव्रता से घटती हैं तथा बड़े पैमान पर घन-जन की हानि तथा सामाजिक तंत्र एवं जीवन को छिन्न-भिन्न कर देता है और इनपर लोंगों को बहुत कम या कुछ भी नियंत्रण नहीं होता है। आपदा एक आशंका है तो संकट एक घटना। संकट दुखद घटना, त्रासदी या आपदा का परिणाम है।
दूसरे शब्दों में ऐसी दुर्घटनाएँ जो अचानक घटित हो और जिनसे अल्पकाल में ही किसी क्षेत्र के जन-जीवन और संपत्ति की व्यापक क्षति हो उसे प्राकृतिक आपदा कहते हैं। यदि यदि प्रभाव स्थायी हो जायें तो उसे प्राकृतिक संकट कहते हैं। प्रकृति में होने वाले विभिन्न परिवर्तन प्राकृतिक संकट और आपदा को आमंत्रित करते हैं और इनके सूचक भी हैं।
प्रश्न 13.
भरत के चार भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए? भूकम्प आते ही आप क्या करेंगे?
उत्तर :
भारत के चार भूकम्प प्रभावित क्षेत्र निम्नलिखित है :-
- जम्मू और काश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार और पश्चिम-बगाल के तराई क्षेत्र एवं सम्पूर्ण उत्तरी पूर्वी भारत भूकम्प का सबसे बड़ा संभावित क्षेत्र है।
- गुजरात का पूर्वोतर भाग, हिमालय की तराई, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड, बिहार, महाराष्ट्र का पश्चिमी भाग और उड़ीसा का उत्तरी-पूर्वी कोना अति संवेदनशील क्षेत्र है।
- मध्य संवदेनशील क्षेत्र सतपुड़ा विघ्याचल के साथ लगी मध्यं पट्टी, मैदानी भाग का मध्य।
- निम्न संवेदनशील क्षेत्र :- संवेदनशील क्षेत्र से सटा भाग।
बचाव के उपाय :- भूकंप अन्य आपदाओं में सबसे भयकर और विनाशकारी होता है तथा यह एकाएक आता है। अत: इसके पूर्वानुमान एवं उसकी पूर्व सूचना संभव नहीं है। भूकम्प से सब कुछ तहस-नहस हो जाता है। बचाव का कार्य भी कठिन हो जाता है। भूकम्प आते ही लोगों को घर से निकल कर खाली स्थान पर आ जाना चाहिए। यदि घर से निकलना संभव न हो तो टेबुल, पलंग आदि के नीचे छिप जाना चाहिए।
प्रश्न 14.
पर्वतीय भागों में आनेवाली दो आपदाओं के नाम बताइये तथा किसी एक का वर्णन किजिए?
उत्तर :
पर्वतीय भागों में दो आपदाएं निम्नलिखित हैं :-
i) भू-स्खलन (Land Slide) ii) हिमघाव (Avalanche)
भू-स्खलन (Land Slide) :- अन्य आपदाओं की तुलना में भू-स्खलन एक छोटी आपदा है, पर इससे भी धन-जन की क्षति होती है। गुरूत्वाकर्षण के प्रभाव से चट्टाने तथा मिट्टी के अचानक ढलान के नीचे की ओर खिसकने की क्रिया को भू-स्खलन कहते हैं।
कारण :- यह भूकम्प तथा वर्षा के कारण चट्टानों के ढीला हो जाने से होता है। मनुष्य द्वारा रेलों, सड़कों, सुरंगों भवनों के निर्माण के लिए चट्टानों को तोड़ने और खाने खोदने से भूस्खलन होता है।
परिणाम :- भूस्खलन का प्रभाव स्थानीय और सीमित लोगों पर होता है। भूस्खलन से मार्ग अवरूद्ध हो जाता है। अत: दूरदूर के यातायात करने वाले लोग इससे प्रभावित होते हैं। इससे बस्तियों को क्षति पहुँचती है, नदियों का मार्ग बदल जाता है।
बचाव :- अधिक स्खलन के क्षेत्रों में सड़क, बाँध-निर्माण आदि के कार्य पर प्रतिबंध होना चाहिए। वनारोपण कार्य से भू-स्खलन की संभावना कम होती है।
प्रश्न 15.
ब्लिजर्ड किन स्थानों पर आता है? इसका क्या प्रभाव होता है?
उत्तर :
ये हवाएँ उत्तरी तथा दक्षिणी धुवीय क्षेत्र, कनाडा, साइबेरिया तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में चलती हैं। अण्टार्कटिका के एडीलीलैण्ड में ये पवनें अधिक सक्रिय होती हैं, अत: इसे ‘ब्लिजाई घर’ कहते हैं।
प्रभाव (Effect) :- इन हवाओं के आगमन से तापमान अचानक हिमांक से नीचे गिर जाता है और सतह पर बर्फ की परत बिछ्छ जाती है और शीत लहरें चलने लगती हैं। इन पवनों से धन-जन की अपार क्षति होती है। सड़क मार्ग पर बर्फ की परत बिछ जाती है, अत: यातायात रूक जाता है।