WBBSE Class 8 Hindi Solutions Poem 3 प्रियतम

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WBBSE Class 8 Hindi Solutions Poem 3 Question Answer – प्रियतम

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
विष्णु ने नारद को किसे अपना प्रधान भक्त बताया?
(क) लक्ष्मी को
(ख) राम को
(ग) सज्जन किसान को
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) सज्जन किसान को।

प्रश्न 2.
‘प्रियतम’ कविता के रचयिता का उपनाम है ?
(क) नीरज
(ख) निराला
(ग) पंत
(घ) अज्य
उत्तर :
(ख) निराला।

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प्रश्न 3.
सज्जन किसान ने दिन भर में कितनी बार ईश्वर का नाम लिया?
(क) छह बार
(ख) पाँच बार
(ग) चार बार
(घ) तीन बार
उत्तर :
(घ) तीन बार

प्रश्न 4.
नारद का दूसरा नाम है –
(क) भक्त राज
(ख) देवराज
(ग) योगिराज
(घ) मुनिराज
उत्तर :
(ग) योगिराज

प्रश्न 5.
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म किस प्रदेश में हुआ था ?
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) मध्य प्रदेश
(ग) बिहार
(घ) पश्चिम बंगाल
उत्तर :
(घ) पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 7.
‘निराला’ का जन्म किस जिले में हुआ था ?
(क) गढ़ाकोला
(ख) सीही गाम
(ग) मेदिनीपुर
(घ) कौसानी
उत्तर :
(ग) मेदिनीपुर।

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प्रश्न 8.
निराला के अध्यात्मीक गुरु हैं ?
(क) विवेकानंद
(ख) रामकृष्ण परमहंस
(ग) स्वामी रामतीर्थ
(घ) अरविंद
उत्तर :
(क) विवेकानंद।

प्रश्न 9.
‘निराला’ किस कवि का उपनाम है ?
(क) सूर्यकांत त्रिपाठी
(ख) रामनरेश त्रिपाठी
(ग) गुप्त जी
(घ) जयशंकर प्रसाद
उत्तर :
(क) सूर्यकांत त्रिपाठी।

प्रश्न 10.
किसने सज्जन किसान की परीक्षा लेने की बात कही ?
(क) विष्णुजी
(ख) नारदजी
(ग) योगिराज
(घ) रामजी
उत्तर :
(ख) नारदजी

प्रश्न 11.
नारदजी पृथ्वी पर किसके घर पहुँचे ?
(क) योगिराज के
(ख) किसान के
(ग) दुकानदार के
(घ) बनिया के
उत्तर :
(ख) किसान के

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प्रश्न 12.
विषणु जी ने नारद को किसे अपना प्रधान भक्त बताया ?
(क) लक्षमी को
(ख) राम को
(ग) किसान को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) किसान को

प्रश्न 13.
वैकुंठ का क्या अर्थ है ?
(क) नरकलोक
(ख) स्वर्गलोक
(ग) मृत्युलोक
(घ) पताललोक
उत्तर :
(ख) स्वर्गलोक

प्रश्न 14.
कौन लज्जित हुए ?
(क) किसान
(ख) नारदजी
(ग) विष्गुजी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) नारदजी

लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
नारद क्या पूछने विष्णु के पास गए?
उत्तर :
नारद जी विष्णु के पास यह पूछ्छेे के लिए गए कि पृथ्वी परउनका सबसे प्रधान भक्त कौन है।

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प्रश्न 2.
नारद जी किसकी परीक्षा लेने उसके पास गए?
उत्तर :
नारदजी विष्णु के प्रधान भक्त एक सज्जन किसान की परीक्षा लेने उसके पास गए।

प्रश्न 3.
नारदजी भक्त के पास पहुँचकर क्या देखा?
उत्तर :
नारदजी ने भक्त के पास पहुँचकर देखा कि वह किसान दोपहर को हल जोत कर आने पर, फिर शाम को दरवाजे पर आकर, और सबेरे काम पर जाते समय राम का नाम लिया। इस प्रकार दिन-भर में केवल तीन बार राम का नाम लिया।

प्रश्न 4.
नारदजी भगवान विष्णु के पास जाकर क्या बोले?
उत्तर :
नारदजी भगवान विष्णु के पास जाकर बोले कि वह किसान दिन-भर में केवल तीन बार राम का नाम लेता है।

प्रश्न 5.
नारद ने लज्जित होकर क्या कहा?
उत्तर :
नारदजी ने लज्जित होकर कहा कि यह सत्य है।

प्रश्न 6.
कौन-सा व्यक्ति श्रेष्ठ एवं ईश्वर को प्रिय होता है ?
उत्तर :
कर्त्तव्य का पालन करने वाला व्यक्ति ही श्रेष्ठ तथा ईश्वर को प्रिय होता है।

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प्रश्न 7.
नारदजी को आश्चर्य क्यों हुआ ?
उत्तर :
नारदजी को आश्चर्य इसलिये हुआ कि दिन में केवल तीन बार ही भगवान का नाम लिया हैं।

प्रश्न 8.
विष्णुजी ने नारदजी को क्या दिया ?
उत्तर :
इन्होंने नारदजी को तेल से भरा हुआ एक बर्तन दिया।

प्रश्न 9.
नारदजी ने विष्णु भगवान को क्या उत्तर दिया ?
उत्तर :
नारदजी ने विष्णु भगवान को उत्तर दिया कि आपके दिये हुए काम पर ही ध्यान लगा रहा, फिर नाम क्या लेता।

प्रश्न 10.
विष्णु भगवान ने नारदजी को अंत में क्या समझाया ?
उत्तर :
भगवान विष्णुजी नारदजी को समझाए की किसान का काम भी मेरा दिया हुआ है, किसान अपने परिवार का उत्तरदायित्व निभाते हुए भी मेरा नाम तीन बार लेता है। यह उसकी मेरे प्रति सच्ची निष्ठा है।

बोध मूलक प्रश्न :

प्रश्न 1.
नारदजी क्यों परेशान थे? उनकी परेशानी का समाधान किस प्रकार्र हुआ?
उत्तर :
नारदजी इस बात को लेकर परेशान थे कि किसान दिनभर में केवल तीन बार राम का नाम लेता है, फिर भी वह विष्णु भगवान का सबसे प्रधान भक्त क्यों है। भगवान विष्णु ने उनकी परेशानी का समाधान करने के लिए उन्हें एक तेल से भरा पात्र देकर पृथ्वी की परिक्रमा कर आने के लिए कहा। नारदजी परिक्रमा करके सानंद सफल होकर लौट आए विष्यु के पूछने पर उन्होंने बतलाया कि इस परिक्रमा के समय उन्होंने एक बार भी ईश्वर का नाम नहीं लिया, क्योंकि वे उनके द्वारा दिए गए काम में पूरा ध्यान लगाए रहे। विष्णुजी ने समाधान करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वह किसान भी मेरे द्वारा दिए गए काम तथा जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए भी दिनभर में तीन बार राम का नाम लेता है। इसी कारण वह प्रधान भक्त है। इस प्रकार नारदजी की परेशानी का समाधान हो गया।

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प्रश्न 2.
निरालाजी ने कर्म और भक्ति का सामंजस्य किस प्रकार दर्शाया है, स्पष्ट करें?
उत्तर :
निरालाजी ने सष्ट किया है कि जीवन में कर्म ही पूजा और भक्ति है। अपने कर्त्तव्य तथा उत्तरदायित्व को निभानेवाला व्यक्ति ही सच्ची भक्ति का भी निर्वाह करता है। कर्म की उपेक्षा कर भक्ति करनेवाला कभी भगवान का सच्चा भक्त नहीं हो सकता। मनुष्य को संसार में रहकर अपने कर्त्तव्य का पालन करना चाहिए और ईश्वर का नाम भी लेना चाहिए। कविता में निरालाजी ने किसान के उदाहरण से इस सत्य को स्पष्ट किया है कि किसान दिन भर अपना काम करता है, फिर भी समय निकाल कर तीन बार राम का नाम भी ले लेता है। इसी कारण वह विष्णु काम सबसे प्रधान भक्त है। अत: कर्म की उपेक्षा कर भक्ति का महत्व नहीं हो सकता। क्योंकि यह संसार कर्म भूमि है, सभी को अपना कर्म करना ही पड़ता है। अतः जो कर्म की उपेक्षा कर भक्ति का ढोंग रचता है वह भगवान को प्रिय नहीं। इसलिए वह सच्चा भक्त भी नहीं। अतः कर्म करते हुए भक्ति करना सर्वथा उचित और सही मार्ग है।

प्रश्न 3.
नारद लज्जित हुए
कहा, ‘यह सत्य है।’
– उपरोक्त पंक्तियों का आशय सप्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
भगवान विष्णु द्वारा सौपे हुए कार्य को संपन्न कर नारदजी प्रसन्न होकर विष्णु के पास आए। विष्णु ने नारद से पूछा कि पृथ्वी की परिक्रमा करते समय उन्होंने कितनी बार अपने इष्ट देव का नाम लिया। नारदजी ने कहा कि वह तो उन्हीं के द्वारा दिए हुए काम में ध्यान मग्न रहे, इसलिए एक बार भी नाम नहीं लिया। विष्यु ने कहा कि वह किसान भी मेंरे द्वारा ही दिए गए काम करता है, फिर दिनभर में तीन बार राम का नाम लेता है। यह सुनकर नारदजी लज्जित हो गए। उन्होंने सत्य को स्वीकार कर लिया। यह मान लिया कि सचमुच वह किसान भगवान को सबसे प्रिय है, यह सर्वथा उचित और सत्य है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
नारदजी ने किस प्रकार किसान की परीक्षा ली ? विष्णु वे उनकी शंका का समाधान किस प्रकार किया?
उत्तर :
एक दिन योगिराज नारद, विष्णुजी के पास जाकर उनके सर्वश्रेष्ठ भक्त के बारे में पूछे। विष्णुजी ने एक सज्जन किसान को अपना सबसे प्रिय भक्त बतलाया। नारद, विष्णुजी की स्वीकृति लेकर उस प्रियतम के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए पृथ्वी पर उस किसान के पास पहुँचे। वह किसान दोपहर के समय हल जोत कर घर आया और प्रभु के नाम का स्मरण किया। स्नान, भोजन के पुन: बाद अपने काम पर चला गया। संध्या समय पर आकर फिर ईश्वर का नाम लिया। सबेरे काम पर जाते समय राम के नाम का स्मरण किया। नारद की आश्चर्य हुआ कि दिन में केवल तीन बार स्मरण करने वाला किसान ही भगवान को परम प्रिय क्यों है ?

नारदजी भगवान विष्णु के यास जाकर यह जानना चाहे कि दिन भर में केवल तीन बार ही भगवान का नाम लेने वाला किसान उन्हें प्रिय क्यों है। विष्णुजी बड़ी ही युक्ति से नारद की जिज्ञासा का समाधान करना चाहते थे। इसलिए नारदजी से एक आवश्यक काम करने के लिए कहे और इस विषय पर बाद में चर्चा करने का प्रस्ताव रखे। विध्यु ने नारदजी से कहा कि तेल से भरे हुए इस पात्र को लेकर समस्त पृथ्वी की प्रदक्षिणा कर आएँ, पर विशेष रूप से ध्यान रहे कि तेल की एक बूँद भी पात्र से गिरने न पाए। नारदजी लक्ष्य को निश्चित कर विश्व का भ्रमण पूरा कर स्वर्गधाम पहुँचे। उन्होंने भगवान विष्णु द्वारा आदिष्ट कर्म का निर्वाह कर दिया था। पात्र से एक बूँद भी तेल गिराए बिना विश्व की परिक्रमा की थी। तेल के इस रहस्य की जानकारी के लिए उनके मन में उल्लास भरा हुआ था।

नारदजी को देखकर भगवान विष्णु ने उन्हें प्रेम से बैठाकर कहा कि उनके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा। भगवान ने उुनसे पूछा कि तेल पात्र ले जाते समय उन्होंने कितनी बार अपने इष्ट देव का नाम लिया। नारदजी ने शंकित हुदय से कहा कि नाम तो मैंने एक बार भी नहीं लिया, क्योंकि आप के द्वारा सौंपे गए काम में ही ध्यान लगा रहा। भगवान विष्णु ने नारदजी की जिज्ञासा का समांधान करते हुए बतलाया कि वह किसान भी उनके द्वारा दिए गए कार्य करता है। वह अपने घर-गृहस्थी के कर्त्रव्य व उत्तरदायित्व का भली-भाँति निर्वाह करते हुए भी उनका नाम लेता है, इसी से वह भगवान का सबसे प्रिय और श्रेष्ठ भक्त है। लज्जित होकर नारदजी ने इस सत्य को स्वीकार कर लिया।

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भाषा बोध :

1. निम्नलिखित शब्दों का समास-विग्रह कर समास का नाम लिखिए-

मृत्युलोक-मृत्यु का लोक-तत्पुरुष समास।
सज्जन-सत् है जो जन-कर्मधारय समास।
दोपहर – दूसरा पहर – द्विगु समास
नाम स्मरण – नाम का स्मरण – तत्पुरुष समास।

2. निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कर संधि का नाम लिखिए-

उल्लास – उल् + लास – व्यंजन संधि
प्रात:काल – प्रात: + काल – विसर्ग संधि

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3. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए-

विष्णु – हरि, नारायण, श्रीपति।
परीक्षा – इम्तहान, समीक्षा, निरीक्षण।
प्रांतःकाल – प्रभात, भोर, सबेरा।
इष्ट – इच्छित, अभीष्ट, वांछनीय।
विश्व – संसार, दुनिया, जगत्।

WBBSE Class 8 Hindi प्रियतम Summary

कवि परिचय :

निरालाजी का जन्म सन् 1896 ई. में बंगाल के महिषा-दल राज्य में हुआ था। इनके पिता उत्तरप्रदेश के उन्नाव जनपद के निवासी थे। वे महिषादल राज्य में रियासत के उच्च कर्मचारी थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा महिषादल में हुई। इन्होंने घर पर ही संस्कृत, बंगला और अंग्रेजी का अध्ययन किया। सन् 1961 ई में इनका देहावसान हो गया। निरालाजी छायावाद के प्रमुख कवि थे। बहुमुखी प्रतिमा संपन्न निराला जी ने कविता कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध, संस्मरण सभी पर अपना सिक्का जमाया। इनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ- परिमल, गीतिका, अनामिका, अपरा, तुलसीदास, अर्चना, सरोज स्मृति, आराधना आदि है। इनकी भाषा परिमार्जित हिन्दी खड़ी बोली है। हिन्दी साहित्य में निराला जी का गौरवपूर्ण स्थान है।

शब्दार्थ :

  • प्रियतम = सबसे प्रिय।
  • स्मरण = याद।
  • पुण्यश्लोक = यशस्वी।
  • प्रदक्षिणा = परिक्रमा।
  • मृत्युलोक = पृथ्वी।
  • सविशेष = विशेष प्रकार से।
  • साधारण = मामूली।
  • घृत = रखकर ।
  • विवाद = वार्ता, बहस।
  • पर्यटन = भ्रमण।
  • पात्र = बर्तन।
  • योगिराज = श्रेष्ठ योगी, नारदजी।
  • उल्लास = खुशी।
  • रहस्य = भेद।
  • अवगत = मालूम।
  • उत्तरदायित्व = जिम्मेदारी।
  • धृत लक्ष्य = एकाग्र।
  • इष्ट = आराध्य।

1. एक दिन विष्णुजी के पास गए नारदजी
‘पूछा मृत्युलोक में वह कौन है पुण्यश्लोक
भक्त तुम्हारा प्रधान”‘?
विष्णुजी ने कहा, “एक सज्जन किसान है
प्राणें से प्रियतम।”
उसकी परीक्षा लूँगा।’
हँसे विष्णु सुनकर यह
“कहा ले सकते हो।”

सन्दर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक साहित्य मेला की ‘प्रियतम’ नामक कविता से ली गई है। इसके रचयिता सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है।

प्रसंग : प्रस्तुत कविता में कवि ने विष्णु और नारद से संबंधित एक पौराणिक प्रसंग के माध्यम से स्पष्ट किया है कि अपने कर्त्तव्य का पालन करने वाला व्यक्ति ही श्रेष्ठ तथा ईश्वर को प्रिय होता है।

व्याख्या : कवि कहते हैं कि एक दिन नारद जी भवगान विष्णु के पास आए। उन्होंने भगवान से पूछा कि पृथ्वी पर कौन यशस्वी पुण्यात्मा उनका प्रधान भक्त है। विष्णुजी ने उत्तर दिया कि एक सज्जन किसान उनका प्राणों से भी प्यारा सबसे प्रिय भक्त है। नारदजी ने उसकी परीक्षा लेने की बात कही, तो विष्णुजी ने हँसकर कहा कि परीक्षा ले सकते हैं।

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2. नारदजी चल दिए
पहुँचे भक्त के यहाँ
देखा, हल जोत कर आया वह दोपहर को
दरवाजे पहुँच कर रामजी का नाम लिया,
स्नान-भोजन करके
फिर चला गया काम पर
शाम को आया दरवाजे पर
फिर नाम लिया राम का,
प्रात:काल चलते समय
एक बार फिर उसने
मधुर नाम-स्मरण किया।

व्याख्या – नारदजी वहाँ से चलकर पृथ्वी पर उस किसान के घर पहुँचे। नारदजी ने देखा कि वह किसान हल जोत कर दोपहर को घर आया और दरवाजे पर पहुँचकर रामजी का नाम लिया। स्नान और भोजन करके अपने काम पर चला गया। शाम को वह दरवाजे पर पहुँचकर फिर रामजी का नाम लिया। सुबह काम पर जाते समय फिर राम का मुधर नाम लिया।

3. “बस केवल तीन बार’।”
नारद चकरा गए
किन्तु भगवान को किसान ही क्यों याद आया?
गए विष्णु लोक, बोले भगवान से
“देखा किसान को
दिन-भर में तीन बारं
नाम उसने लिया है राम का।”

व्याख्या – नारदजी को आश्चर्य हुआ कि दिन में केवल तीन बार ही भरगवान का नाम लिया हैं, फिर भी भगवान को वह किसान ही क्यों याद आया और वह भगवान का परम प्रिय भक्त क्यों हैं। नारदजी ने विष्णु लोक जाकर भगवान से कहा कि उन्होंने उस किसान को देखा। उसने दिन-भर में केवल तीन बार राम का नाम लिया।

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4. बोले विष्णु, “नारदजी
आवश्यक दूसरा
एक काम आया है
तुम्हें छोड़कर कोई
और नहीं कर सकता
साधारण विषय यह।
बाद को विवाद होगा
तब तक यह आवश्यक कार्य पूरा कीजिए।”
“तेल-पूर्ण पात्र यह
लेकर प्रदक्षिणा कर आइए भूमंडल की
ध्यान रहे सविशेष
एक बूँद भी इससे
तेल न गिरने न पाए।”
लेकर चले नारद जी
आज्ञा पर धृत लक्ष्य
एक बूँद तेल उस पात्र से गिरे नहीं।

व्याख्या – विष्णुजी नारदजी की बात सुनकर बोले कि नारदजी एक दूसरा आवश्यक काम आ गया है। यह काम उन्हें छोड़कर दूसरा कोई नहीं कर सकता। इस साधारण विषय की चर्चा तो बाद में हो जाएगी। इस आवश्यक काम को तब तक पूरा कर लीजिए। इन्होंने नारदजी को तेल से भरा हुआ एक बर्तन दिया और कहा कि इस पात्र को लेकर समस्त पृथ्वी की परिक्रमा कर आइए। पर विशेष रूप से ध्यान रहे कि इस पात्र में से तेल की एक बूँद भी पात्र से गिरने न पाए। नारदजी विष्णु की आज्ञा पर ध्यान रखा कि उस पात्र से एक बूँद भी तेल नीचे न गिरे।

5. योगिराज जल्द ही
विश्व पर्यटन करके
लौटे बैकुण्ठ को
तेल एक बूँद भी उस पात्र से गिरा नहीं
उल्लास मन में भरा था।
यह सोचकर तेल का रहस्य एक
अवगत होगा नया।

व्याख्या – योगिराज नारदजी जल्द ही पृथ्वी की परिक्रमा करके विष्णु लोक लौट आए। उनके मन में प्रसन्नता थी कि पात्र से एक बूँद भी तेल नीचे नहीं गिरा। उनके मनमें उल्लास तथा उत्सुकता थी कि उन्हें इस तेल का रहस्य मालूम पड़ जाएगा।

6. नारद को देखकर विष्णु भगवान ने
बैठाया स्नेह से
कहा-‘यह उत्तर तुम्हारा यहीं आ गया
बतलाओ, पात्र लेकर जाते समय कितनी बार
नाम इष्ट का लिया?’
‘एक बार भी नहीं,’
शंकित हददय से कहा नारद ने विष्णु से-
‘काम तुम्हारा ही था
ध्यान उसी में लगा रहा
नाम फिर क्या लेता और।’

व्याख्या – नारदजी को देखकर भगवान विष्णु ने प्रेम से उन्हें बैठाया और कहा कि तुम्हारे प्रश्न का उत्तर यहीं आ गया। बतलाओ तेल पात्र लेकर जाते समय तुमने कितनी बार अपने इष्ट देव का नाम लिया। नारदजी ने मन में शंकित होकर कहा कि उन्होंने एक बार भी नाम नहीं लिया, क्योंकि उनका ध्यान तो उनके (विष्णुजी) द्वारा दिए गए काम में ही लगा रहा, फिर वे कैसे नाम लेते।

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7. विष्णु ने कहा – “नारद!
उस किसान का भी काम
मेरा दिया हुआ है
उत्तरदायित्व भी लादे है
एक साथ सबको निभाता और
काम करता हुआ
नाम भी वह लेता है
इसी से है प्रियतम”
नारद लज्जित हुए
कहा “यह सत्य है।”

व्याख्या – विष्गुजी ने नारद से कहा उस किसान का भी काम मेरे द्वारा ही दिया हुआ है। उस पर घर गृहस्थी की अनेक जिम्मेदारियाँ भी है। वह उन सभी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए तथा सभी काम करते हुए भी राम का नाम लेता है, इसी कारण वह हमारा सबसे प्रिय श्रेष्ठ भक्त है। नारदजी यह सुनकर लज्जित हुए और बोले कि यह सत्य है। इस प्रकार नारदजी ने सत्य स्वीकार कर लिया।

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