Detailed explanations in West Bengal Board Class 7 History Book Solutions Chapter 4 दिल्ली सल्तनत तुर्की अफगान शासन offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 7 History Chapter 4 Question Answer – दिल्ली सल्तनत तुर्की अफगान शासन
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
सुल्तान शब्द का क्या अर्थ होता है?
उत्तर :
प्रभुत्व
प्रश्न 2.
कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद कौन था?
उत्तर :
इल्तुत्मीश
प्रश्न 3.
दिल्ली के सिंहासन पर बैठने वाली प्रथम महिला कौन थी?
उत्तर :
रजिया सुलताना।
प्रश्न 4.
सल्तनत के प्रधान शासक कौन होते थे?
उत्तर :
सुल्तान।
प्रश्न 5.
इल्तुत्मिश के पुत्र का क्या नाम था?
उत्तर :
नसीरुद्दीन महमूद शाह
प्रश्न 6.
अल-रिहला नामक किताब किसने लिखी?
उत्तर :
इब्नबतूता।
प्रश्न 7.
देवगिरि किसकी राजधानी थी?
उत्तर :
मुहमम्द-बिन तुगलक की।
प्रश्न 8.
सैयद वंश की स्थापना किसने की?
उत्तर :
रिवजी खाँ।
प्रश्न 9.
पानीपत का प्रथम युद्ध कब हुआ था ?
उत्तर :
1526 ई० में।
प्रश्न 10.
भटिण्डा का ऐतिहासिक नाम बताओ।
उत्तर :
ताबर हिन्द।
प्रश्न 11.
सैनिकों को रहने के लिए सिरि नामक नये शहर का निर्माण किसके शासन काल में हुआ था?
उत्तर :
अलाउद्दीन खिलजी।
प्रश्न 12.
शाइन-ई-मण्डी की नियुक्ति किसके समय में हुई?
उत्तर : अलाउद्दीन खिलजी।
प्रश्न 13.
बंगाल का प्रथम स्वाधीन सुल्तान कौन था?
उत्तर :
सुल्तान शमसुद्दीन इलियास शाह।
प्रश्न 14.
बहमनी सप्राज्य की राजधानी कहाँ थी?
उत्तर :
बिदर शहर।
प्रश्न 15.
बानीहाट का युद्ध कब हुआ था?
उत्तर :
1565 ई०।
प्रश्न 16.
इलियास की राजधानी कहाँ थी।
उत्तर :
पाण्डुआ।
प्रश्न 17.
सिजदा और पाईपस क्या था?
उत्तर :
फारसी प्रथा।
प्रश्न 18.
सैयद और लोदी कौन थे?
उत्तर :
अफगानी।
संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARK
प्रश्न 1.
दिल्ली के सुल्तान को कब खलीफा के अनुमोदन की जरूरत पड़ती थी?
उत्तर :
खलीफा मुसलमानों का धर्म गुरु होता था, उसी के अधिकार में पूरा राष्ट्र चलता था। बहुत बड़ा अंचल सिर्फ अकेले देख पाना सम्भव नहीं होता था। इसलिए खलीफा सुल्तानों की नियुक्ति करता था। लेकिन सुल्तान सिर्फ देखभाल करते थे। जब भी कुछ निर्णय लेना होता था तब सुल्तान को खलीफा का परामर्श लेना होता था और खलीफा जो कहता था वही अंतिम निर्णय होता था। उसकी बात का कोई विरोध नहीं करता था।
प्रश्न 2.
सुल्तान इल्तुत्मिश के सामने तीन प्रधान समस्याएँ कौन-कौन सी थी?
उत्तर :
इल्तुत्मिश (1211-1238 ई०) के समय दिल्ली सल्तनत के संक्ष तीन प्रधान समस्याएँ थी :
(i) साम्राज्य में कैसे विद्रोहों का दमन किया जाये।
(ii) मध्य एशिया के मंगोल शक्ति से कैसे मुकाबला किया जाये।
प्रश्न 3.
सल्तनत में कैसे एक राजवंश की वंशावली तैयार की जाये जिससे उसकी मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी बिना किसी समस्या के सिंहासन पर बैठ जाये।
Or,
रजिया सुलताना के समर्थक कौन थे और उसके विरोधी कौन थे?
उत्तर :
रजिया सैनिकों के अभिजात वर्ग में से एक अंश और दिल्ली को साधारण जनता के समर्थन से सिंहासन पर बैठी थी। उलेमाओ की आपत्ति के बावजूद रजिया ने गैर-मुस्लिमों पर से जजिया कर हटा लिया था। तुर्की अभिजात वर्ग को लगा कि रजिया गैर-तुर्की अभिजात वर्ग को अधिक महत्व दे रही है।
प्रश्न 4.
अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल आक्रमण का सामना कैसे किया था?
उत्तर :
अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल आक्रमण का सामना करने के लिए विशाल सेना का गठन किया था। उसने सेना के रहने का अच्छा इंतजाम किया था। उसने सेना के रहने के लिए एक गाँव बसाया था। उस गाँव का नाम सिरी रखा था। उसने सेना के खाने हेतु राशन वगैरह का बहुत सुन्दर इंतजाम किया था। इस प्रकार अच्छी एवं ताकतवर सेना एवं सुनियोजित रणनीति से उसने मंगोल आक्रमण का सामना किया था।
प्रश्न 5.
इलियास शाही और हुसैन शाही के शासन काल में बंगाल की संस्कृति का परिचय दें।
उत्तर :
इलियास शाही और हुसैन शाही के शासन काल में ‘बंगला’ भाषा और साहित्य काफी उन्नत हुआ। उस समय बंगला भाषा और साहित्य आदि क्षेत्रों में काफी विकास हुआ था। उस समय सुल्तान भी अन्य धमों के प्रति उदार थे। सुल्तानों की धर्मगत उदारता ने बंगाल में सभी धर्म के लोगों में आपसी सहयोग बढ़ाया था। उस समय बंगाल में श्री चैतन्य के नेतृत्व में भक्ति आन्दोलन की लहर उठी थी।
प्रश्न 6.
सुल्तान और सल्तनत के बारे में क्या जानते हो लिखो?
उत्तर :
सुल्तान एक उपाधि है जिसका उपयोग अनेक तुकी शासक करते थे। अरबी भाषा में सुल्तान का अर्थ होता है प्रभुत्व क्षमता आदि।
जिन क्षेत्रों में सुल्तानों का प्रभुत्व था उसको सल्तनत कहा जाता था। दिल्ली को केन्द्र बनाकर सुल्तानों ने पूरे भारतवर्ष पर शासन किया। इसलिए इसे दिल्ली सल्तनत कहा जाता था।
प्रश्न 7.
उलाक एवं पाउस से क्या समझते हो?
उत्तर :
इब्नबतुता की किताब अल रिहला से मुहम्मद-बिन-तुगलक के समय की संचार व्यवस्था के बारे में परिचय मिलता है। भारत के डाक में चिट्ठी-पत्री के व्यवहार की दो तरह की व्यवस्था मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासन काल में थी।
(i) घोड़े के डाक की व्यवस्था जिसे उलाक कहा जाता था। इस व्यवस्था में चार मील पर घोड़ा रखा जाता था।
(ii) डाक की पैदल व्यवस्था को पाउमा कहा जाता था। इस व्यवस्था में एक मील के प्रति तिहाई हिस्से पर बने आबादी वाला एक गाँव होता था। गाँव के बाहर तीन तम्बू होता था। जहाँ से डाकिया पत्र लेकर रवाना होते थे और संचार संवहन का कार्य सम्पन्न करते थे।
प्रश्न 8.
तुगलकी काण्ड क्या है?
उत्तर :
किसी व्यक्ति के मनमौजी आचरण को तुगलकी कांड कहा आता है। मोहम्मद-बिन तुगलक को पागल बादशाह कहा जाता है और उनके कार्यो को तुगलकी कांड कहा जाता है।
प्रश्न 9.
पानीपत के प्रथम युद्ध का एक संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर :
1526 ई० में बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत नामक एक स्थान पर युद्ध हुआ इस युद्ध में बाबर के सैनिक कम थे लेकिन स्वयं बाबर युद्ध कौशल में निपुण थे। इस युद्ध में इर्बाहिम लोदी की हार और बाबर की विजय हुई।
युद्ध में ही इब्नाहिम लोदी की मृत्यु हो गयी। इसके फलस्वरूप लोदी वंश का दिल्ली शासन समाप्त हो गया और मुगल वश की दिल्ली में स्थापना हो गयी।
प्रश्न 10.
सल्तनत की शासन व्यवस्था से क्या समझते हो?
उत्तर :
सल्तनत का प्रधान स्वयं सुल्तान होता था। पूरी प्रशासनिक व्यवस्था के केद्र में सुल्तान होता था। युद्ध के नियमकानून, न्याय, शासन-प्रशासन सारी क्षमता सुल्तान के हाथ में होती थी। इन सभी कायों को देखना एक व्यक्ति के वश की बात नहीं थी। इसीलिए सुल्तान मंत्रियों और कर्मचारियों को नियुक्त करते थे। सुल्तान का आदेश ही अंतिम निर्णय हुआ करता था। इस तरह सल्तनत की शासन व्यवस्था चलती थी।
प्रश्न 11.
सिजदा और पाइवस क्या थी, लिखिए?
उत्तर :
सिजदा और पाइवस दोनों फारसी प्रथाएँ थीं। बलबन अपने को फारस की किंवदन्ती नायक का एक उत्तराधिकारी मानता था। राजदरबार में वह चमक-दमकपूर्ण अनुष्ठान किया करता था। सुल्तानों के पद चुम्बनको पाइवस कहा जाता था ये प्रधान सुल्तानों कीसार्वभौम सत्ता का प्रतीक था।
प्रश्न 12.
जजिया कर और तुरक दण्ड के बारे में बताओ।
उत्तर :
आठवीं शतबब्दी में अरब सेनापति मोहम्मद बिन कासिम ने सिंधु प्रदेश में पहली बार जजिया कर लगाया था। दिल्ली सल्तनत में ब्वाह्मण, नारी, नाबालिग और दासों को जजिया कर देना पड़ता था। इस तरह हिन्दू प्रजा पर जो कर लगाया गया वह जजिया कर कहलाया।
जजिया कर की भाँति ही किसी-किसी हिन्दू राजा ने भी एक प्रकार का कर लागू किया था। यह कर वे अपनी मुसलमान प्रजा पर लगाते थे। यह कर तुरक दंड कहलाता था।
प्रश्न 13.
फिरोज शाह के शासन काल में कितने प्रकार का कर लगाया जाता था? उन करों के बारे में लिखो।
उत्तर :
फिरोज शाह के शासन काल में चार तरह के कर वसूले जाते थे।
- खराज – यह कर कृषि की जमीन पर लगाया जाता था।
- खमस – इस कर के अन्तर्गत युद्ध में लूटी गयी धन सम्पत्ति का एक अंश आता था।
- जजिया – यह कर गैर-मुसलमानों पर लगाया जाता था।
- जकात – यह कर मुसलमानों की सम्पत्ति पर लगाया जाता था।
प्रश्न 14.
विजयनगर साप्राज्य की स्थापना किसने की? इस साप्राज्य पर कितने वंशों ने शासन किया?
उत्तर :
संगम नाम के एक व्यक्ति के पुत्रों ने 1336 ई० में तुंगभद्रा नदी के किनारे विजय नगर साम्राज्य की स्थापना की। इस साम्माज्य पर कुल चार वंशों अर्थात् संगम, सालूम, तुलूम और अराविड 1336 से 1645 ई० तक शासन किया।
प्रश्न 15.
एकडाला दुर्ग के बारे में क्या जानते हो?
उत्तर :
फिरोजशाह तुगलक ने जब पाण्डुआ पर आक्रमण किया तब इलियास शाह ने एकडाला दुर्ग में आश्रय लिया। इस दुर्ग का कोई नामों निशान नहीं है। यह दुर्ग गंगा की दो सहायता नदियों चिरामती और बलिया से घिरा था। इसी एकडाला दुर्ग पर कब्जा न कर पाने के कारण फिरोज शाह बंगाल पर शासन नहीं कर पाया और इलियास शाह का ही शासन बंगाल पर बना रहा।
प्रश्न 16.
इल्तुतमिश के समय दिल्ली सल्तनत के सामने कौन-सी प्रधान समस्यायें थी। इसके बारे में लिखो?
उत्तर :
इल्तुतमिश (1211-1236) के समय दिल्ली सल्तनत के समक्ष तीन प्रधान समस्याएँ थी :
- साम्राज्य में कैसे विद्रोह का दमन किया जाय।
- मध्य एशिया की प्रचंड मंगोल शक्ति से कैसे मुकाबला किया जाये।
- सल्तनत में कैसे एक राजवंश की वंशावली तैयार की जाये।
विस्तृत उत्तर वालें प्रश्न (Detailed Answer Questions) : 5 MARK
प्रश्न 1.
अलाउद्दीन खिलजी के दक्षिण भारत आक्रमण के बारे में उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
अलाउद्दीन खिलजी प्रथम सुल्तान थे जिन्होंने दक्षिण भारत में अपना साम्राज्य स्थापित किया। इस कार्य में उनके सेनापति मलिक काफूर का अहम योगदान है। अपने सेनापति के सहयोग से ही वह 1303 ई० में खान्डु एवं 1311 ई० में देवगिरि आदि को जीते। अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना की ताकत से मइराई एवं पान्डा पर अधिकार कर लिया। इस तरह उसने अपना साम्राज्य दक्षिण-भारत मे विस्तृत कर लिया।
प्रश्न 2.
दिल्ली के सुल्तानों के साथ उनके कुलीन वर्ग का सम्बन्ध क्या था?
उत्तर :
दिल्ली के सुल्तानों के साथ उनके कुलीन वर्ग का समर्थन था। बिना कुलीन वर्ग के समर्थन से कोई सिंहासन हासिल नहीं कर पाता। जैसे रजिया सुल्तान को समर्थन प्राप्त नहीं था। फलत: वह ज्यादा समय तक सिंहासन पर नहीं रह सकी। इसीलिए किसी सुल्तान को सिंहासन हासिल करने हेतु कुलीनों का समर्थन चाहिए था।
प्रश्न 3.
इक्ता क्या है? सुल्तानों ने इक्ता व्यवस्था क्यों चलायी थी?
उत्तर :
दिल्ली का सल्तनत साम्माज्य क्रमश: विस्तार पा चुका था। नया जो अंचल अधिकार में आया था उससे राजस्व वसूलना व शान्ति बनाये रखना बहुत जरूरी था। सुल्तान ने जीत कर विस्तृत राज्य बनाये थे और हर जगह शासन सुव्यवस्थित करने के दृष्टिकोण से पूरे राज्य को छोटे-छोटे प्रदेशों में बाँट देते थे। इन्हीं छोटे-छोटे प्रदेशों को इक्ता कहा जाता था।
मध्य एशिया के इस्लामी साम्राज्य में सैन्य अधिकारियों को इक्ता दिया जाता था। इक्ता कुछ निर्दिष्ट समय के लिए दिया जाता था। नौवीं शंताब्दी में इस व्यवस्था की उत्पत्ति हुई थी। उस समय राजकोष में काफी मात्रा में कर इकट्ठा नहीं हो पा रहा था। इसलिए सेनापतियों को वेतन के बदले इक्ता दिया जाता था। 11 वीं शनाब्दी में सेल्युज तुर्की के साम्राज्य में इक्ता व्यवस्था का प्रचलन था। इसी समय साम्राज्य का प्राय: आधा हिस्सा इक्ता के रूप में व्यव्वस्थित था।
प्रश्न 4.
अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में दिल्ली के बाजार मूल्य नियंत्रण पर आपकी राय क्या है? लिखिए।
उत्तर :
अलाउद्दीन खिलजी ने राजकोष की आय बढ़ाने के लिए कई आर्थिक सुधार किये। पिछले सुल्तानों द्वारा दी गयी इक्ता को जब्त कर लिया, धर्मगत कारणों से दी गयी सम्पत्ति और जमीन को वापस ले लिया एवं सारी जमीन जब्त कर ली गयी। कर भी बढ़ा दिया गया। गंगा-यमुना नदी के मध्यवर्ती क्षेत्र को टोआव क्षेत्र कहते हैं। अलाउद्दीन ने दोआब क्षेत्र के निवासियों से उत्पन्न फसल का आधा हिस्सा कर के रूप में वसूल कियः जमीन क्राफी उपजाऊ थी, अत: फसल अच्छी होती थी। भू-कर के अलावा, गृह कर, पशुओं को चराने वाले क्षेत्र पर भो कर, जाजिया कर इत्यादि विभिन्न प्रकार के कर उगाहने का निर्देश दिया।
अलाउद्दीन खिलजी की शासन व्यवस्था पूरी तरह सैन्य-शक्ति पर निर्भर थी। उसके शासन काल में दिल्ली में चार बड़े बाजार थे। इन बाजारों में खाद्य-सामग्री, घोड़े, कपड़े आदि बेचे जाते थे। काजार मूल्य क नियत्रण के लिए उसने शाहानाई-मंडी और दिवान-ए-रियासत नाम से कर्मबारी नियुक्त किये। सुल्तान द्वारा तग किये गये मूल्य से अधिक लेने अथवा ग्राहक को वजन में ठगने पर दण्ड की व्यवस्था थी। अलाउद्दीन ने शासन व्यवस्था शुरू की थी। जरूरत पड़ने पर प्रजा को सुल्तान की ओर से सामग्री और दैनिक उपयोग की वस्तुएँ भी दी जातो थीं।
प्रश्न 5.
विजयनगर और दक्षिण के राज्यों के बीच के संघर्ष को क्या धार्मिक लड़ाई कहा जा सकता है? लिखिए।
उत्तर :
विंजयनगर एवं दक्षिण के राज्यों के राजाओं के बीच के संघर्ष को धार्मिक लड़ाई-नहीं कहा जा सकता है क्योंकि धार्मिक मुद्दा पर लड़ाई कभी नही हुई । युद्ध केवल राजनीतिक, वाणिज्यिक, सामाजिक या अर्थनैतिक नीतियों के आधार पर होता था। 1336 में विजयनगर राज्य व 1347 ई० में बहमनी राज्य स्थापित हुए। बाद में बह्ममनी व विजयनगर के बीच भी युद्ध हुआ जिसमें विजयनगर पराजित हो गया था
प्रश्न 6.
रजिया सुल्तान कौन थी? उसका शासन शीघ्र ही कैसे समाप्त हो गया?
उत्तर :
रजिया सुल्तान इल्तुत्मिश की बेटी थी, इल्तुत्मिश की सार्थक उत्तराधिकारी रजिया सुल्तान थी। उसका शासन काल 1236-1240 ई० तक था। पहली बार ऐसा हुआ कि एक स्त्री दिल्ली के सिंहासन पर बैठो।
रजिया सैनिकों, कुलीन वर्ग के एक अंश और दिल्ली की साधारण जनता के समर्थन से सिहासन पर बैठी थी। उलेमा की आपत्ति के बावजूद रजिया ने गैर मुस्लिम पर से जजिया कर हटा लिया था। तुर्की कुलीन वर्ग का लगा कि रजिया गैरतुर्की कुलीन वर्ग को अधिक महत्व दे रही है।
इसी के परिणामस्वरूप दिल्ली के बाहर जो तुर्की कुलीन वर्ग था उसने पूरो तरह सं रजिया का विरोध करना शुरू किया। इसके अलावा राजपूत शासक भी उसके विरोधी थे । रजिया ने कुछ विद्रोह को दमन किया। इसके बावजूद शासन साढ़े तीन साल से अधिक नहीं टिका।
प्रश्न 7.
इब्नबतूता कौन था? उसने मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासन काल की संचार-व्यवस्था के बारे में क्या बताया है?
उत्तर :
उत्तर अफ्रीका के मोरक्को देश के ताजिया शहर का वासी इलबतूता एक विदेशी यात्री था जो भारत में मुहम्मद-बिन-तुगलक के समय आया था।
इब्नबतूता अपनी किताब अल-रिहला में लिखा है कि मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासन काल में भारत के डाक में चिट्टी-पत्री के व्यवहार की दो तरह की व्यवस्थाएं थी- घोड़ा और पैदल।
घोड़े के डाक की व्यवस्था को उलाक कहा जाता था। इस व्यवस्था में चार मील पर घोड़ा रखा जाता था। इसी घोड़े के द्वारा डाक की व्यवस्था संचालित होती थी। डाक की पैदल व्यवस्था भी थी। डाक की पैदल व्यवस्था को पाउआ कहा जाता था। इस व्यवस्था में एक मोल में तीन गाँवों का चुनाव होता था। इन तीनों घनी आबादी वाले गाँवों के बाहर तीन तम्बू होते थे। इस तंबू में डाकिया कमर बाँधकर रवाना होने के लिए तैयार रहते थे। देश में किसी नये व्यक्ति के आगमन की खबर गुप्तचर विभाग के लोग पत्र के माध्यम से सुल्तान को सूचित करते थे। उस चिट्ठी में आंगतुक का नाम, शरीर की बनावट और पोशाक वगैरह का वर्णन उसके साथियों की संख्या, नौकर चाकर, घोड़ा इत्यादि का वर्णन हुआ करता था। रास्ते पर चलते वक्त अथवा विश्राम के वक्त उनके द्वारा व्यवहार की गई बाते भी इस चिट्ठी के माध्यम से सूचित की जाती थी।
प्रश्न 8.
पुरोहित और उलेमा कौन थे? दिल्ली सल्तनत की इक्ता व्यवस्था से क्या समझते हो?
उत्तर :
राजा को परामर्श पुरोहित दिया करते थे और सुल्तानो को परामर्श उलेमा देते थे।
दिल्ली के सुल्तानों ने साप्राज्य का आकर धीरे – धीरे बहुत बढ़ा लिया था। अधिकार में आये नये क्षेत्रों से कर वसूली की आवशयकता तथा शांति बनाये रखने की भी जरूरत थी। मुल्तानों ने जिन राज्यों पर विजय पायी उन राज्यों को एक-एक प्रदेश के रूप में मान लिया गया। इन प्रदेशों को इक्ता कहा जाता था। इक्ता के अधिकार में एक सेनापति होता था। उसको इक्तायार या मुक्ति बालि कहा जाता था। इक्ता को छोटा और बड़ा दो भागों में बाटा गया था। छोटे इक्ता का शासक सिर्फ सैन्य दायित्व का पालन करता था और बड़े इक्ता के शासको को सैन्य दायित्व के साथ प्रशासनिक दायित्व का पालन भी करना पड़ता था। सैन्यवाहिनी की देख भाल करना, अतिरिक्त कर सुल्तान तक पहुंचाना तथा शान्ति बनाए रखने इत्यादि का दायित्व भी बड़े इक्ता के शासक को लेना पड़ता था। इक्तादार पूर्णतः सुल्तान के नियंत्रण में थे।
प्रश्न 9.
विजयनगर साप्राज्य की स्थापना कैसे हुई? इस पर कितने राजवंशों ने शासन किया? इसका एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
संगम नामक एक व्यक्ति के पुत्रो ने 1336 ई॰ में तुंगभद्रा नदी के किनारे विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की। उनमें से दो हरिहर और बुक्का है।
विजयनगर पर 1336 ई० से 1645 ई० के बीच कुल चार राजवंशों ने शासन किया था-संगम राजवंश, सालूम राजवंश, तुलूम राजवंश और अराविडु राजवं।
हरिहर और बुक्का द्वारा प्रतिष्ठित पहला संगम राजवश ने प्राय 150 वर्षो तक शासन किया था। देव राय द्वितीय इस वंश के सर्वश्रेष्ठ राजा थे। संगम वंश के कमजार, शासक वीरु पक्ष का हटाकर नरसिंह सुलभ ने विजयनगर साम्राज्य पर सालुभ वंश की स्थापना की। किन्तु शासक की अयोग्यता के कारण सालूम वंश का का पतन हो गया। सालूम राजवंश के सेनापति का पुत्र वीर सिंह सालूम राजवश का खात्मा कर तुलूम राजवंश को स्थापना की। इस वंश का कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य का विख्यात शासक था। उसके शासनकाल में विजयनगर साम्राज्य को काफी प्रसिद्धि प्राप्त थी। उस समय राज्य का विस्तार हुआ था। व्यवसाय और वाणिज्य का प्रसार हुआ। इसके बाद कला, साहित्य, संगीत और दर्शनशास्त की उन्नति का भी परिचय मिलता है।
प्रश्न 10.
बहमनी साम्राज्य का इतिहास संक्षेप्त में लीखिए।
उत्तर :
मोहम्मद-बिन-तुगलक के शासन काल में हसन गगू ने 1347 ई० में अलाउद्दीन हसन बहमन शाहनाम से दक्षिण में बहमनी सामाज्य की स्थापना को। उसने गुलबर्ग में राजधानी स्थापित कर उसका नाम अहसनाबाद रखा। प्रशासन की सुविधा के लिए बहमन शाह ने अपने साम्राज्य को चार भागों में बाँट दिया। गुलबर्ग, दौलताबाद बरार और बिंदर। प्रत्येक प्रदेश में एक एक कर पादेशिक शासक नियुक्त किये गये। बहमनी वंश का सुल्तान ताजउद्दीन फिरोज शाह एक वीर योद्धा था। कला के प्रति उसका रुझान था।
बहमनी साम्राज्य के शासक माहम्मद तुतीय के शासन काल में उसके मंत्री महमूद ने बहमनी राज्य का गौरव बढ़ाया।
प्रश्न 11.
अलाउद्दीन हुसैन शाह के समय के बंगाल का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
अलाउद्दीन हुसैन शाह मध्यकाल में बंगाल का एक श्रेष्ठ शासक था। उसने बंगाल पर 26 वर्षो तक शासन किया। उसके शासन काल में हिन्दुओं को महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद दिये जाते थे। अलाउद्दीन का वजीर, प्रधान, उसका प्रधान अंगरक्षक और टकसाल का अध्यक्ष सभी हिन्दू थे। सुल्तान हुसैन शाह स्वयं भद्र, विनयी और सभी धर्मो के प्रति समान श्रद्धा रखने वाले थे। अलाउद्दीन हुसैन शाह श्री चैतन्य का भक्त था। उस समय बंगला भाषा और साहित्य का काफी विकास हुआ था। उस समय सुल्तान भी अन्य धर्मों के प्रति उदार थे।
प्रश्न 12.
विजयनगर के बारे में पर्यटक पेज ने क्या लिखा है?
उत्तर :
विजयनगर रोम की तरह बड़ा शहर था। यह बहुत सुन्दर था। बहुत सारे पौधे दिखते थे। स्वच्छ पानी की अनेक झीलें शहर में थीं। थोड़े- थोड़े दूर पर तालाब थे। राजभवन के पास ही ताड़ का वन था और अन्य किस्म के भी बहुत सारे पेड़ थे। इस शहर में काफी लोग रहते थे। इस शहर की खाने-पहनने की व्यवस्था अन्य जगहों से काफी भिन्न थी। यहाँ चावल, गेहूँ आदि फसल प्रचुर परिमाण में होती थी।
कल्पना कर लिखे:-
प्रश्न 1.
यदि आप सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में दिल्ली के एक बाजार में जाते हो तो आपको कैसा अनुभव हुआ?
उत्तर :
यदि मैं सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में दिल्ली के एक बाजार में जाता हूँ तो मैं देखता हूँ कि बाजार में सब दुकानदार एक निश्चित दाम पर सामान बेचते हैं और कोई भी दुकानदार ठगता नहीं है। सुल्तान द्वारा नियुक्त शहाना-इ-मंडि व दीवान-ए-रियासत लोग ठीक से काम करते हैं। यदि कोई भी दुकानदार अनुचित मूल्य लेता है तो वह दण्डित होता है।
प्रश्न 2.
मान लो कि आप अलाउद्दीन हुसैन शाह के दरबार के एक कर्मचारी हैं। उस युग की धार्मिक स्थिति के सम्बन्ध में यदि आप एक किताब लिखते तो उसमें क्या लिखते?
उत्तर :
मैं यदि अलाउद्दीन हुसैन शाह के दरबार का एक कर्मचारी होता तो में उस युग की धार्मिक स्थिति के बारे में एक किताब लिखता और उसमें धार्मिक नीतियों का उल्लेख करता। उस समय हिन्दुओं से अच्छे सम्बन्ध रखे जाते थे और हिन्दुओं को अच्छे प्रशासनिक पद दिये जाते थे। सुल्तान का प्रधान चिकित्सक, प्रधान अंगरक्षक आदि महत्वपूर्ण लोग हिन्दू हुआ करते थे। सुल्तान सभी धर्मों की कदर करता था।
काल इतिहास की प्रमुख घटनाएँ
1206 ई०- मोहम्मद गोरी की मृत्यु
1229 ई०- इल्तुतमिश शासक बना
1236 ई०- सुल्तान इल्तुतमिश की मृत्यु
1266 ई० – ग्यासुद्दीन बलबन दिल्ली का सुल्तान बना
1290 ई० – जलालुद्दीन फिरोज खिलजी द्वारा दिल्ली में खिलजी वंश की स्थापना
1296 ई० – अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का सुल्तान बना
1320 ई० – गयासुद्दीन तुगलक द्वारा दिल्ली में तुगलक वंश की स्थापना
1336 ई० – संगम नामक एक व्यक्ति के पुत्र हरिहर एवं बुक्का ने विजयनगर राज्य की स्थापना की
1347 ई० – अलाउद्दीन बहमन शाह ने दक्षिण में बहमनी राज्य की स्थापना की
1414 ई० – दिल्ली में शैयद वंश की स्थापना
1447 ई० – बहलोल लोदी द्वारा दिल्ली में लोदी वंश का आरम्भ
1526 ई० – लोदी वंश का अन्त के साथ-साथ दिल्ली सल्तनत का भी अन्त हुआ तथा पानीपत का प्रथम युद्ध बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच हुआ।
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो (Fill in the blanks) : (1 Mark)
1. इस्लाम धर्म के अनुसार प्रधान शासक ______ होता है।
उत्तर : खलीफा
2. ______ को मिला गजनी का अधिकार।
उत्तर : ताजुद्दीन इयालदूज
3. ______ शब्द संस्कृत से आया है।
उत्तर : राजा
4. इल्तुत्मिश को खलीफा की मान्यता ______ में मिली।
उत्तर : 1229 ई०
5. फिरोजशाह तुगलक को ______ खलीफा की मान्यता प्राप्त हुई।
उत्तर : दो बार
6. इल्तुत्मिश की सार्थक उत्तराधिकारी ______ थी।
उत्तर : रजिया सुल्तान
7. सल्तनत के प्रधान शासक ______ होते थे।
उत्तर : सुल्तान
8. ______ में जलालुद्दीन फिरोज ने बलबन के वंशजों को सत्ता से हटाकर सुल्तान बना।
उत्तर : 1290 ई०
9. डाक की पैदल व्यवस्था को ______ कहा जाता था।
उत्तर : पाउआ
10. ______ के शासन काल में जौनपुर दिल्ली सल्तनत में शामिल हो गया।
उत्तर : बहलोल लोदी
11. ______ अपने को फारस की किंवदन्ती नायक का एक उत्तराधिकारी मानता था।
उत्तर : बलबन
12. अलाउद्दीन खिलजी की शासन व्यवस्था पूरी तरह ______ पर आधारित थी।
उत्तर : सैन्य शक्ति
13. 1342 ई० में ______ शाह ने लखनऊ के सिंहासन पर कब्जा किया।
उत्तर : शमसुद्दीन इलियस
14. कृष्णा और तुंगभद्रा नदी के दोआब क्षेत्र को ______ दोआब कहा जाता है।
उत्तर : रायचूर
सही विकल्प पर (✓) का चिह लगाओ।
1. कुतुबद्दीन ऐबक ने सल्तनत की स्थापना – दिल्ली / गाजीपुर / जौनपुर को केन्द्र बना कर किया।
उत्तर :
दिल्ली
2. साम्राज्य कहा जाता है – एक छोटे क्षेत्र को। विशाल क्षेत्र को/ गाँव को।
उत्तर :
विशाल क्षेत्र को
3. रजिया सुल्ताना की मृत्यु हुई थी – 1240 ई० में / 1420 ई० में / 1242 ई० में।
उत्तर :
1240 ई० में
4. इन्नबतूता ने लिखा है किताब – उर-रहमान। किताब-उर-रिहला/अल हला।
उत्तर :
किताब-उर-रिहला
5. कुतुबुद्दीन ऐबक का दमाद था – इल्तुत्मिश / बलबन / हुमायूँ।
उत्तर :
इल्तुत्मिश
6. सुलताना का अर्थ होता है – आई / स्त्री / माता।
उत्तर :
स्त्री
7. सैयद और लोदी शासक थे – अफगानी / अरबी / फारसी
उत्तर :
अफगानी
8. इल्तुल्तमिश की बेटी थी – रजिया सुलताना / जजिया सुलताना / झजिया सुलताना।
उत्तर :
रजिया सुलताना
9. सिजदा और पाईवस प्रथाएँ थी – फारसी / अरबी / गुजराती।
उत्तर :
फारसी
10. घोड़े की डाक व्यवस्था को कहा जाता है – उलाक/ झलाक/कालाक।
उत्तर :
उलाक
11. डाक की पैदल व्यवस्था को कहा जाता है – झाउआ/पाउआ/अलाक।
उत्तर :
पाउआ
12. पागल बादशाह कहा जाता था – मुहम्मद-बिन-तुगलक को / गयासुद्दीन बलबन को/ समसुद्दीन बलबन को।
उत्तर :
मुहम्मद-बिन-तुलगक को
13. मुहम्मद-बिन तुगलक की राजधानी थी – देवगिरि / पावापुरी / बनारस ।
उत्तर :
देवगिरि
14. चंगेज खां था – मंगोल नेता / सैनिक / अफगानी नेता।
उत्तर :
मंगोल नेता
निम्नलिखित शब्दों में जो शब्द बेमेल है उसे रेखांकित करे।
1. इल्तुतमिश, रजिया, इब्न बतुता, बलबन
उत्तर :
इब्न बतुता।
2. तबर हिन्द, सुनाम, सामाना, झेलम
उत्तर :
झेलम।
3. खराज, खमस, जजिया, अमीर, जकात
उत्तर :
अमीर।
4. अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा, पंजाब
उत्तर : पंजाब।
5. बारबोसा, महमूद गवान, पेज, तूनिज
उत्तर : महमूद गवान
6. बाबर, पानीपत, इब्राहिम लोदी, चंगेज।
उत्तर : चंगेज।
7. बहमनी, गुलबर्ग, मुहम्मद तृतीय, महमूद गवान।
उत्तर : गुलबर्ग।
8. गुलबर्ग, दौलताबाद, बीदर, दिल्ली।
उत्तर : दिल्ली।
9. संगम, सालुभ, तुलुभ, अराविडु, देवगिरि।
उत्तर : देवरिरि।
सही मिलान करो Match the following : (1 Mark)
प्रश्न 1.
क | ख |
(i) खलीफा | (a) बांग्ला |
(ii) बलबन | (b) दूरवाश |
(iii) खिलजी विद्रोह | (c) बाबर |
(iv) रूमी कौशल | (d) तुर्कान-इ-चिलगानी |
(v) राजा गणेश | (e) इलबादी तर्की अभिजातों की क्षमता का अवसान |
उत्तर :
क | ख |
(i) खलीफा | (b) दूरवाश |
(ii) बलबन | (d) तुर्कान-इ-चिलगानी |
(iii) खिलजी विद्रोह | (e) इलबादी तर्की अभिजातों की क्षमता का अवसान |
(iv) रूमी कौशल | (c) बाबर |
(v) राजा गणेश | (a) बांग्ला |
प्रश्न 2.
क | ख |
(i) इलियासशाही | (a) अल्लाउद्दीन |
(ii) हुसैनशाह | (b) सिकंदरशाह |
(iii) राजा गणेश का वंश | (c) पेज |
(iv) परवर्ती इलियासशाही | (d) जलालुद्दीन मुहम्मद शाह |
(v) कृष्णदेव राय | (e) नसीरूद्दीन महमूद शाह |
उत्तर :
क | ख |
(i) इलियासशाही | (b) सिकंदरशाह |
(ii) हुसैनशाह | (a) अल्लाउद्दीन |
(iii) राजा गणेश का वंश | (d) जलालुद्दीन मुहम्मद शाह |
(iv) परवर्ती इलियासशाही | (e) नसीरूद्दीन महमूद शाह |
(v) कृष्णदेव राय | (c) पेज |
प्रश्न 3.
क | ख |
(i) मामेलुक | (a) बहलोक |
(ii) अलाउद्दीन | (b) रजिया |
(iii) फिरोज शाह | (c) खिज्र खाँ |
(iv) सैयद | (d) खिलजी |
(v) लोदी | (e) तुगलक |
उत्तर :
क | ख |
(i) मामेलुक | (b) रजिया |
(ii) अलाउद्दीन | (d) खिलजी |
(iii) फिरोज शाह | (e) तुगलक |
(iv) सैयद | (c) खिज्र खाँ |
(v) लोदी | (a) बहलोक |
पाठ सारांश :
1206 ई० में मोहम्मद गोरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली को केन्द्र बनाकर दिल्ली सल्तनत की स्थापना की। सुलतान अरबी भाषा का शब्द है। जिसका अर्थ प्रभुत्व, क्षमता आदि होता है। कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद दिल्ली के सिंहासन पर इल्तुत्मिश आया और उसके बाद उसकी बेटी जिसका नाम रजिया सुल्तान था। इल्तुत्मिश के बाद दिल्ली सल्लतनत की बागडोर सुल्तान ने ली जिसने इतिहास रच दिया। वह दिल्ली के सिंहासन पर बैठने वाली पहली महिला थी। 1240 ई० में उसकी मृत्यु हो गयी। इसके बाद कई वर्षों तक दिल्ली की गद्दी के लिए लड़ाई हुई 1266 ई० में इल्तुतमिश के वंश का पतन हो गया और कियामुद्दीन बलबन दिल्ली सिंहासन पर बैठा। बलबन ने एक शक्तिशाली केन्द्रीभूत शासन की स्थापना की।
चौदहवीं शताब्दी के प्रथम बीस साल खिलजी सुल्तानों ने दिल्ली पर शासन किया। मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासन-काल में इब्नबतुता टूटा आया। उन्होंने अपनी किताब ‘अल रिहला’ में मुहम्मद-बिन-तुगलक के युग के सम्बन्ध में लिखा है। लोदी वंश का आगमन तुगलक वंश के बाद हुआ। लोदी वंश के समय दिल्ली सल्तनत का आकार काफी छोटा हो गया था। इस समय कश्मीर भी एक स्वाधीन राज्य का रूप ले चुका था।
अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में व्यवस्था बड़ी कड़ी थी। उसने बाजार मूल्य नियंत्रण पर ध्यान दिया। उसके समय में दिल्ली में चार बड़े बाजार थे। इन बाजारों के मूल्य नियंत्रण हेतु शहन-इ मंडी और दिवान-ए-रियासत के नाम से कर्मचारी नियुक्त किए गए। ग्राहक को ठगने पर दुकानदार दण्ड का पात्र होता था।