WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 4 पदार्थ : संरचना, पदार्थ के भौतिक तथा रासायनिक गुण

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WBBSE Class 9 Physical Science Chapter 4 Question Answer – पदार्थ : संरचना, पदार्थ के भौतिक तथा रासायनिक गुण

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
पृथ्वी का कितना भाग जल से ढँका हुआ है ?
उत्तर :
पृथ्वी का 75 % भाग जल से ढँका है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल का कितना प्रतिशत जल मीठा जल है ?
उत्तर :
पृथ्वी पर पीने योग्य जल की मात्रा कुल उपलब्थ जल का 0.01 प्रतिशत है।

प्रश्न 3.
जल के किस गुण के कारण पेड़ पौधे फलते-फूलते हैं ?
उत्तर :
रसारोहण।

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प्रश्न 4.
द्रव में द्रव के घोल का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
पानी में अल्कोहल।

प्रश्न 5.
घोल की सान्द्रता की इकाई क्या है ?
उत्तर :
ग्राम/लीटर।

प्रश्न 6.
पायस किस प्रकार का घोल है ?
उत्तर :
द्रव मे द्रव का।

प्रश्न 7.
एक ठोस एरोसॉल का उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
धुआँ।

प्रश्न 8.
एवोगैड्रो संख्या का मान कितना होता है ?
उत्तर :
6.022 × 1023

प्रश्न 9.
हाइड्रोजन के कितने आइसोटोप होते हैं ?
उत्तर :
तीन।

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प्रश्न 10.
इथाइल अल्कोहल का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर :
इथेनॉल।

प्रश्न 11.
निर्देशक क्या है ?
उत्तर :
वह रासायनिक पदार्थ जो स्वयं अपने रंग परिवर्तन द्वारा किसी उदासीन प्रतिक्रिया को पूर्ण होने की सूचना देता है, निर्देशक कहलाता है।

प्रश्न 12.
क्लोरोफार्म का आणविक सूत्र लिखिए।
उत्तर :
CHCl3

प्रश्न 13.
परमाणु के केन्द्रक में पाये जानेवाले कणों के नाम लिखो।
उत्तर :
म्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन।

प्रश्न 14.
शुद्ध जल के pH का मान कितना होता है ?
उत्तर :
7.0

प्रश्न 15.
ऐरोसोल क्या है?
उत्तर :
ऐरोसोल गैस में ठोस कणों के मिश्रण को कहते हैं।

प्रश्न 16.
दो रेडियो सक्रिय तत्व का नाम लिखो।
उत्तर :
यूरेनियम, रेडियम।

प्रश्न 17.
परमाणु के केन्द्रक में कौन धन आवेशित कण रहता है।
उत्तर :
प्रोट्रान।

प्रश्न 18.
एवोगैड्रो संख्या का मान क्या होता है?
उत्तर :
6.023 × 1023

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प्रश्न 19.
1 ग्राम अणु का आयतन कितना होता है?
उत्तर :
22.4 लीटर।

प्रश्न 20.
हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान 1.675 × 10-24 ग्राम है। 1 मोल हाइड्रोजन का द्रव्यमान क्या होगा ?
उत्तर :
1 मोल हाइड्रोजन का द्रव्यमान 3.350 × 10-24 g होगा।

प्रश्न 21.
NA से क्या प्रदर्शित किया जाता है ?
उत्तर :
NA से एवोगैड्रो संख्या को प्रदर्शित किया जाता है।

प्रश्न 22.
1.8 ग्राम जल में अणुओं की संख्या कितनी होगी ?
उत्तर :
6.022 × 1022 होगी।

प्रश्न 23.
यदि STP पर V लीटर हाइड्रोजन में अणुओं की संख्या n हो, तो V10 लीटर CO2 में STP पर अणुओं की संख्या क्या होगी ?
उत्तर :
अणुओं की अभीष्ट संख्या \(\frac{n}{10}\) होगी।

प्रश्न 24.
मनुष्य के शरीर में कितना प्रतिशत जल होता है ?
उत्तर :
मनुष्य के शरीर में 80 % जल होता है।

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प्रश्न 25.
क्या जल एक परिवर्तनशील या बहुमुखी घोलक है ?
उत्तर :
हाँ, जल एक बहुमुखी अथवा सार्वत्तिक (Universal) घोलक (Solvent) है।

प्रश्न 26.
किस उपधातु की अधिकता के कारण जल प्रदूषण होता है ?
उत्तर :
आर्सेनिक !

प्रश्न 27.
किसने बताया कि परमाणु एक समान आवेशित गोला है ?
उत्तर :
जे. जे. थामसंन ने।

प्रश्न 28.
परमाणु का व्यास कितना सेमी० होता है ?
उत्तर :
10-6 से॰मी०।

प्रश्न 29.
समांग मिश्रण का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
जल में चीनो का घोल।

प्रश्न 30.
परमाणु के नाभिक में कैसा विद्युत आवेश रहता है ?
उत्तर :
धनावेश।

प्रश्न 31.
परमाणु उदासीन क्यों होता है ?
उत्तर :
परमाणु में धन आवेशित कण प्रोटॉन एव ऋण आवेशित कण इलेक्ट्रॉन समान संख्या मे पाए जाते है जो एक दूसरे के प्रभाव को नष्ट कर देते हैं।

प्रश्न 32.
नाभिक का आवेश उसके किस कण पर निर्भर करता है।
उत्तर :
प्रोटान पर।

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प्रश्न 33.
परमाणु संख्या क्या है ?
उत्तर :
परमाणु में उपस्थित प्रोटान या इलेक्ट्रॉन की संख्या।

प्रश्न 34.
परमाणु द्रव्यमान क्या है ?
उत्तर :
परमाणु द्रव्यमान का मान परमाणु की द्रव्यमान संख्या अर्थात् परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन की संख्या एवं न्यूट्रॉन की संख्या के योगफल के बराबर होता है।

प्रश्न 35.
आयन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
आयन दो प्रकार के होते हैं – (i) धनायन, (ii) ॠणायन।

प्रश्न 36.
समस्थानिकों के परमाणु द्रव्यमान में क्यों भिन्नता होती है ?
उत्तर :
उनके नाभिक में न्यूट्रॉन की संख्या भित्र-भिन्न होती है।

प्रश्न 37.
विसर्ग नली में कैथोड किरणें कहाँ से निकलती हैं ?
उत्तर :
कैथोड से।

प्रश्न 38.
किसी परमाणु में 13 प्रोटॉन हैं। इसकी परमाणु संख्या क्या होगी ?
उत्तर :
परमाणु संख्या 13 होगी।

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प्रश्न 39.
संकेत \({ }_7^{14} \mathrm{~N}\) में परमाणु संख्या और द्रव्यमान संख्या बताएँ।
उत्तर :
परमाणु संख्या = 7, द्रव्यमान संख्या = 14।

प्रश्न 40.
किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में 3 प्रोटॉन तथा 4 न्यूट्रॉन हैं। उस तत्व की द्रव्यमान संख्या क्या होगी ?
उत्तर :
तत्व की द्रव्यमान संख्या 7 होगी।

प्रश्न 41.
किसी लिटमस पर अमोनियम क्लोरायड के जलीय विलयंन की क्रिया से क्या होता है ?
उत्तर :
नीला लिटमस पत्र लाल हो जाता है।

प्रश्न 42.
मधुमक्खी के डंक मारने से प्रभावित क्षेत्र की राहत के लिए किसी भस्मीय पदार्थ का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर :
क्योंकि भस्मीय पदार्थ के उपयोग से पभावित क्षेत्र की जलन से राहत मिलती है।

प्रश्न 43.
एक ठोस द्रव मिश्रण का उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
चीनी एवं पानी का घोल।

प्रश्न 44.
बारूद एवं चूना पत्थर में कौन मिश्रण है ?
उत्तर :
बारूद।

प्रश्न 45.
STP पर ऑक्सीजन के एक नमूने का आयतन 22.4 लीटर है। इसमें अणुओं की संख्या कितनी है ?
उत्तर :
6.022 × 1023

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प्रश्न 46.
यदि STP पर V लीटर हाइड्रोजन में अणुओं की संख्या n हो, तो लीटर CO2 में STP पर अणुओं की संख्या क्या होगी ?
उत्तर :
\(\frac{n}{10}\)

प्रश्न 47.
परमाणु के मौलिक कणों के नाम बताएँ।
उत्तर :
इलेक्ट्रान, प्रोटॉन, न्यूट्रान 1

प्रश्न 48.
परमाणु के नाभिक में उपस्थित मौलिक कणो के नाम लिखें।
उत्तर :
प्रोटॉन, न्यूट्रान।

प्रश्न 49.
इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन के आविष्कारकों के नाम बताएँ।
उत्तर :
इलेक्ट्रॉन के आविष्कारक के नाम जे॰ जे० थाम्सन है । प्रोटॉन के आविष्कारक के नाम अर्नेस्ट रदरफोर्ड है।

प्रश्न 50.
हाईड्रोजन के तीन समस्थानिकों के नाम बताएँ।
उत्तर :
Protium, Deuterium, Tritium

प्रश्न 51.
उस तत्व का नाम बताएँ जिसके परमाणु में सिर्फ दो मूल कण पाए जाते हैं?
उत्तर :
हाइड्रोजन।

प्रश्न 52.
परमाणु-संरचना के किस भाग पर तत्व के रासायनिक गुण निर्भर करते हैं।
उत्तर :
केन्द्रक।

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प्रश्न 53.
हाइड्रोजन परमाणुओं के नाभिक में क्या होते हैं?
उत्तर :
1 प्रोटॉन।

प्रश्न 54.
किस कण में द्रव्यमान होता है परंतु आवेश नहीं?
उत्तर :
न्यूट्रान।

प्रश्न 55.
कैल्सियम हाइड्राक्साइड के घुलनशीलता पर तापक्रम का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
घटती।

प्रश्न 56.
शुद्ध पेय जल में आर्सेनिक का मात्रा क्या होता है?
उत्तर :
6.5 – 8.5

प्रश्न 57.
पेय जल में आर्सेनिक का मात्रा क्या होता है?
उत्तर :
0.05 mg / L

प्रश्न 58.
फ्लोराइड के अधिकता से होने वाला रोग है?
उत्तर :
दन्तक्षय।

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प्रश्न 59.
इलेक्ट्रॉन पर आवेश का परिमाण कितना होता है ?
उत्तर :
1.60 × 10-19 कुलम्ब (c)

प्रश्न 60.
रेड़ियो सक्रिय तत्व को विद्युतीय क्षेत्र में रखने पर कितनी किरणें निकलती हैं ?
उत्तर :
3 किरणें।

प्रश्न 61.
ग्लाउबर लवण का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर :
सोडियम सल्फेट Na2 SO4 10 H2O।

प्रश्न 62.
हाइपो का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर :
Na2 S2 O3 5 H2O सोडियम थायो सल्फेट।

प्रश्न 63.
वाष्पीकरण क्या है ?
उत्तर :
द्रव का वाष्प में बदलने की क्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं।

प्रश्न 64.
अल्कोहल और जल में किसका क्वथनांक कम होता है ?
उत्तर :
अल्कोहल और जल में अल्कोहल का क्वथनांक कम होता है।

प्रश्न 65.
कच्चे तेल से बिटुमिन प्राप्त करने के लिए तापक्रम कितना ° C चाहिए ?
उत्तर :
कच्चे तेल से बिटुमिन पदार्थ करने के लिए तापक्रम 500° C होना चाहिए।

प्रश्न 66.
पेट्रोलियम का जेट जलावन क्या है ?
उत्तर :
गैसोलीन।

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प्रश्न 67.
परमाणु के मौलिक कणों में सबसे हल्का कण कौन-सा है ?
उत्तर :
इलेक्ट्रॉन।

प्रश्न 68.
एक अम्ल का नाम बताओ।
उत्तर :
नाइट्रिक एसिड (HNO3) ।

प्रश्न 69.
हाइड्रोजन युक्त यौगिक जिनके जलीय घोल विद्युत विच्छेदन करने पर क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर :
हाइड्रोजन युक्त जल का विद्युत विच्छेदन करने पर हाइड्रोजन (H+) एवं हाइड्रांक्सिल (OH) आयन प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 70.
घोल की अम्लीय या भास्मिक प्रकृति किस स्केल से प्राप्त करते हैं ?
उत्तर :
घोल की अम्लीय या भास्मिक प्रकृति pH स्केल से ज्ञात करते हैं।

प्रश्न 71.
एक सूचक (Indicator) का नाम बताओ।
उत्तर :
मिथाइल ऑरेंज है।

प्रश्न 72.
जेल का एक उदाहरण दो।
उत्तर :
जिलेटीन ।

प्रश्न 73.
α-कण क्या होते हैं?
उत्तर :
होलियम नाभिक।

प्रश्न 74.
एक मोल हाइड्रोजन में अणुओं की संख्या कितनी होगी?
उत्तर :
6.022 × 1023

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प्रश्न 75.
STP 16 ग्राम आक्सीजन का आयतन क्या है?
उत्तर :
11.2 लोटर

प्रश्न 76.
पदार्थ के परिमाण की इकाई क्या है?
उत्तर :
Mole

प्रश्न 77.
NA से क्या प्रदर्शित किया जाता है?
उत्तर :
नाइट्रोजन के 4 परमाणु।

प्रश्न 78.
नाइट्रोजन का ग्राम अणुभार कितना है?
उत्तर :
28 ग्राम है।

प्रश्न 79.
वास्तविक घोल में वितरित कणों का आकार क्या होता है?
उत्तर :
वास्तविक घोल में वितरति कणों का आकार 10-8 से॰मी॰ से 10-7 से॰मी०।

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प्रश्न 80.
CaOCl2 यौगिक का प्रचलित का नाम क्या है?
उत्तर :
Calcium oxy chloride

प्रश्न 81.
वह अभिक्रिया क्या कहलाती है जब कोई अम्ल किसी भष्म से अभिक्रिया कर लवण एवं जल बनाते हैं।
उत्तर :
उदासीकरण।

प्रश्न 82.
किसी ऐसे अम्ल का नाम बतायें जिसका प्रयोग स्नानघर साफ करने में किया जाता हैं।
उत्तर :
Hcl

प्रश्न 83.
किसी ऐसे गैस का नाम बतायें जिसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।
उत्तर :
NH3

प्रश्न 84.
विस्थापित हाइड्रोजन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
अम्ल में उपस्थित हाइड्रोज जो धातु द्वारा प्रतिस्थापित होता है । यह H+होता है ।

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प्रश्न 85.
जल की विशिष्ट उष्मा कितनी होती है?
उत्तर :
जल की विशिष्ट ऊष्मा क्षमता 4.186 J / g° C होती है।

प्रश्न 86.
जल का क्वथनांक कितना होता है?
उत्तर :
100° C

प्रश्न 87.
जल की अस्थाई कठोरता को किस विधि दूर किया जा सकता है?
उत्तर :
जल की अस्थायी कठोरता को आयन विनिमय प्रक्रिया द्वारा दूर किया जा सकता है।

प्रश्न 88.
जल में कैल्सियम एवं मैग्नीशियम के सल्फेट एवं क्लोराइड घुले रहने पर किस प्रकार की कठोरता उत्पन्न होती है?
उत्तर :
स्थाई कठोरता।

प्रश्न 89.
अम्ल का स्वाद कैसा होता है ?
उत्तर :
खट्टा।

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प्रश्न 90.
एक तनु अम्ल का नाम बताओ।
उत्तर :
टारटेरिक अम्ल, एसिटिक अम्ल।

प्रश्न 91.
फिनाल्फ्थैलीन का स्वाभाविक तथा क्षारीय रंग कैसा होता है ?
उत्तर :
स्वाभाविक रंग रंगहीन तथा क्षारीय रंग गुलाबी होता है।

प्रश्न 92.
मिथाइल आरेंज का स्वाभाविक तथा अम्लीय रंग कैसा होता है ?
उत्तर :
मिथाइल आरेंज का स्वाभाविक रंग नारंगी तथा अम्लीय रंग गुलाबी होता है।

प्रश्न 93.
Ca(OH)2 की अम्लीयता कितनी है ?
उत्तर :
2 ।

प्रश्न 94.
pH स्केल का मान कितना से कितना होता है ?
उत्तर :
0 से 14 तक।

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प्रश्न 95.
शुद्ध जल का pH colour code क्या है ?
उत्तर :
71

प्रश्न 96.
भास्मिक आक्साइड के दो उदाहरण दें।
उत्तर :
C2O, MgO।

प्रश्न 97.
एक अम्लीय लवण का उदाहरण दो।
उत्तर :
NaHSO4

प्रश्न 98.
एक भास्मिक लवण का उदाहरण दें।
उत्तर :
PbCOHCl।

प्रश्न 99.
भूमिगत जल के अधिक दोहन से क्या होता है ?
उत्तर :
आर्सेनिक युक्त जल निकलता है।

प्रश्न 100.
विभिन्न घनत्व वाले द्रवों के मिश्रण को किस विधि द्वारा अलग करते हैं ?
उत्तर :
पृथक्करण कीप द्वारा अलग करते हैं।

प्रश्न 101.
PVC का पूरा नाम क्या है?
उत्तर :
Poly Vinyl Chloride.

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प्रश्न 102.
ATP का पूरा नाम क्या है?
उत्तर :
Adenosine Triphosphate.

प्रश्न 103.
H2SO4 के घोल में नीले लिटमस को डुबाने पर कौन-सा रंग प्राप्त होता है ?
उत्तर :
लाल रंग प्राप्त होता है।

प्रश्न 104.
जल में कार्बन-डाई-ऑक्साइड के मिलने से कौन-सा अम्ल प्राप्त होता है ?
उत्तर :
कार्बोनिक अम्ल (H2CO3) प्राप्त होता है।

प्रश्न 105.
वर्षा जल की सान्द्रता क्या होनी चाहिए।
उत्तर :
71

प्रश्न 106.
एक लवण का नाम बताओ जिससे जल में स्थाई कठोरता उत्पन्न होती है।
उत्तर :
कैल्सियम क्लोराइड (CaCl2)

प्रश्न 107.
एक मोल Na+ आयन में कणों की संख्या बताओ।
उत्तर :
6.022 × 1023

प्रश्न 108.
एक मोल जल (H2O) में जल अणुओं की संख्या क्या होगी ?
उत्तर :
6.022 × 1023

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प्रश्न 109.
C-12 समस्थानिक के एक मोल में कार्बन की मात्रा कितनी होती है ?
उत्तर :
12 g।

प्रश्न 110.
1 ग्राम ऑक्सीजन मोल में आक्सीजन अणुओं की संख्या कितनी होगी ?
उत्तर :
1.88 × 1022

प्रश्न 111.
6.023 × 1023 हाइड्रोजन परमाणुओं का भार कितना होगा ?
उत्तर :
1.008 g।

प्रश्न 112.
N.T.P. पर 22.4 लीटर गैस के आयतन में अणुओं की संख्या बताओ।
उत्तर :
6.022 × 1023

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प्रश्न 113.
एक मोल CO2 अणु में, अणुओं के कणों की संख्या बताओ।
उत्तर :
6.022 × 1023

प्रश्न 114.
एक नन एक्वश साल्वेन्ट का नाम बताओ।
उत्तर :
अल्कोहल।

प्रश्न 115.
क्या चीनी की घुलनशीलता कोलकाता और दार्जिलिंग में समान होगी ?
उत्तर :
चीनी की घुलनशीलता कोलकाता एवं दार्जिलिंग में समान नहीं होगी।

प्रश्न 116.
प्रोटान और न्यूट्रान परमाणु में कहाँ स्थित है?
उत्तर :
केन्द्रक में।

प्रश्न 117.
परमाणु कौन-सा मौलिक कण केन्द्र के बाहर घूमता रहता है?
उत्तर :
Electron

प्रश्न 118.
क्या संतृत्प घोल को असंतृप्त घोल में तैयार किया जा सकता है?
उत्तर :
हाँ, घोलक की मात्रा बढ़ाकर।

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प्रश्न 119.
आयनमुक्त जल क्या है ?
उत्तर :
आसवित जल (Distilled Water) !

प्रश्न 120.
अम्ल के गुण बताओ।
उत्तर :
अम्ल का स्वाद खट्टा होता है यह भस्म या क्षार से क्रिया कर लवण बनाते हैं तथा धातु से क्रिया कर H2 देता है।

प्रश्न 121.
नाइट्रिक अम्ल का औद्योगिक उपयोग लिखो।
उत्तर :
खाद्य बनाने में।

प्रश्न 122.
घोल में ठोस घोल का उदाहरण बताइये।
उत्तर :
धुआँ का हवा में मिलना।

प्रश्न 123.
रंग में किरासिन मिलाने से वाष्प के कारण क्या हानियाँ होती हैं ?
उत्तर :
शरीर के चमड़े की पपड़ी जल जाती है अम्लीयता या भस्मीकृत के कारण।

प्रश्न 124.
ग्राम परमाणु से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
किसी तत्व के परमाणु द्रव्यमान को ग्राम में व्यक्त करने पर ग्राम परमाणु कहलाता है।

प्रश्न 125.
किस उपधातु के जल में घुले रहने पर जल प्रदूषित होता है?
उत्तर :
यूरेनियम, थोरियम।

प्रश्न 126.
एवोगैड्रो संख्या का मान कितना होता है ?
उत्तर :
6.023 × 1023

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS

प्रश्न 1.
शुद्ध पदार्थ क्या हैं ? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर :
शुद्ध पदार्थ (Pure matter) : हमारे दैनिक जीवन में शुद्ध पदार्थ अत्यन्त आवश्यक हैं। शुद्ध पदार्थों के अपने निक्वित गुण होते है। सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा तथा सभी रासायनिक योगिक शुद्ध पदार्थों के उदाहरण हैं। सभी ठास शुद्ध पदार्थों का एक निध्चित गलनांक होता है।

प्रश्न 2.
मिश्रण से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर :
मिश्रण : जब किसी शुद्ध पदार्थ में अन्य पदार्थ मिले होते हैं तो वह मिश्रण कहलाता है। मिश्रण में मिले हुए पदार्थों को उनके अवयव कहा जाता है। कुछ मिश्रण ऐसे होते है जिनमें इन अवयवों को आसानी से देखा जा सकता है। किन्तु कुछ मिश्रण में इन्हें अलग-अलग देखना सम्भव नहीं होता।

प्रश्न 3.
समांगी मिश्रण के बारे में उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर :
समांगी मिश्रण (Homogeneous Mixture) : ऐसे मिश्रण जिनमें दो या दो से अधिक अवयव उपस्थित हो किन्तु उन्हें अलग-अलग देखा न जा सके, समांगी मिश्रण कहलाते हैं। जेसै चीनी एवं पानी के मिश्रण में चीनी और पानी को अलग-अलग देखा नहीं जा सकता है। अतः चीनी और पानी का मिश्रण एक समांग मिश्रण है।

प्रश्न 4.
विषमांगी मिश्रण के बारे में उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर :
विषमांगी मिश्रण (Heterogeneous Mixture) : ऐसे मिश्रण जिनमें उनके अवयवी पदार्थों को अलगअलग देखा जा सकता है, विषमांगी मिश्रण कहलाते हैं। जैसे बालू और लोहे के मिश्रण में बालू और लोहे को अलग-अलग देखा जा सकता है।

प्रश्न 5.
कैथोड किरण किस मौलिक कण का गतिशील समूह है ?
उत्तर :
कैथोड किरणे मौलिक कण इलेक्ट्रॉन का गतिशील समूह है।

प्रश्न 6.
प्रोटॉन की खोज का क्या आधार था ?
उत्तर :
प्रोटॉन की खोज का आधार इलेक्ट्रॉन को खोज थी क्योंकि इलेक्ट्रॉन पर ऋण आवेश होता है और परमाणु उदासीन होता है। अत: परमाणुओं में धन आवेश युक्त कण की उपस्थित अनिवार्य थी।

प्रश्न 7.
रदरफोर्ड के α – विकर्णन प्रयोग में α – कण क्या हैं ?
उत्तर :
रदरफोर्ड के α प्रकीर्णन प्रयोग में α-कण हीलियम परमाणु (2H4) के समतुल्य धन आवेशित कण हैं।

प्रश्न 8.
रदरफोर्ड ने α कण विकर्णन प्रयोग किस धातु की पत्तर पर किया ?
उत्तर :
रदरफोर्ड में α – कर्ण प्रकीर्णन का प्रयोग सोने की पत्तर पर किया था।

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प्रश्न 9.
जल को उबालने से जल की किस प्रकार की अशुद्धि दूर होती है ?
उत्तर :
जल को उबालने से जल की अस्थाई कठोरता दूर होती है।

प्रश्न 10.
निथारना से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
निथारना (Decantation) : “वह विधि जिसमें द्रव के रूप में किसी मिश्रण में उपस्थित अघुलनशील ठोस पदार्थों को द्रव के नीचे अवक्षेपित करके ऊपर स्थित द्रव को पृथक कर लिया जाता है, उसे निथारना कहते है। बालू एवं पानी के मिश्रण से अघुलनशील ठोस बालू को पानी से अलग करना।

प्रश्न 11.
छानना क्या है ?
उत्तर :
छानना (Filtration) : “वह विधि जिसमें छन्ना कागज की सहायता से किसी मिश्रण में उपस्थित ठोस एवं तरल पदार्थों को पृथक किया जाता है, उसे छानना कहते हैं।” इस विधि का प्रयोग उस समय किया जाता है जब किसी मिश्रण में अघुलनशील ठोस पदार्थ के कण अत्यन्त छोटे-छोटे रहते हैं एव द्रव में तैरते रहते हैं।

प्रश्न 12.
पृथक्कारी कीप क्या है ? इसके उपयोग का उल्लेख करें।
उत्तर :
पृथक्कारी कीप एवं इसका उपयोग (Use of separating funnel) : पृथक्कारी कीप काँच का एक बल्ब होता है जिसकी डंडी में एक स्टॉप कांक (stopcock) लगा रहता है। इसका उपयोग दो या दो से अधिक अमिश्रणीय द्रवों के मिश्रण के अवयवों को पृथक करने में किया जाता है । उदाहरण के लिए, तेल एवं जल के मिश्रण से तेल और जल को पृथक्कारी कीप की सहायता से पृथक किया जा सकता है।

प्रश्न 13.
मोलर मात्रा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
मोलर मात्रा (Molar mass) : किसी तत्व अथवा यौगिक की मोलर मात्रा का निर्धारण पारमाणविक, आणविक अथवा अणुसूत्र भार ज्ञात करके इस मान को ग्राम/मोल में व्यक्त किया जाता है। यथा बोमिन (Br) की मोलर मात्रा 79.904 ग्राम/मोल तथा क्लोरिन (Cl) की मोलर मात्रा 35.4527 ग्राम/मोल है।.
किसी विशिष्ट प्रकार के प्रारम्भिक कणों (परमाणुओं, अणुओं अथवा आयनो) के एक मोल की ग्राम में अभिव्यक्त मात्रा उस कण की मोलर मात्रा (Molar Mass) कहलाती है। यह वास्तविक रूप उस वस्तु के 6.023 × 1023 कणों की ग्राम में अभिव्यक्त मात्रा है।

प्रश्न 14.
साथारण साबुन के व्यवहार सें जल को वर्गीकृत करो।
उत्तर :
जिस जल के साथ साबुन का जल्द झाग बनता है वह जल मृदुल जल (Soft Water) होता है। जिस जल के साथ सुगमता से झाग कम बनता है वह कठोर जल (Hard Water) होता है।

प्रश्न 15.
परमाणु को परिभाषित करें।
उत्तर :
किसी तत्व की सबसे, छोटी इकाई जो स्वतंत्र अवस्था में नहीं पायी जाती है बल्कि जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकती है उसे परमाणु कहते है। हर ठोस, तरल, गैस, और प्लाज्मा तटस्थ या आयनन परमाणुओं से बना है।

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प्रश्न 16.
घोल से क्या समझते हो?
उत्तर :
दो या दो से अधिक पदार्थों के समांगी मिश्रण को घोल कहते हैं। किसी निश्वित तापमान पर घोल के उपादानों का आपेक्षकि अनुपात एक सीमा तक परिवर्तित किया जा सकता है। जब नमक को पानी में घोला जाता है तो एक समांगी मिश्रण बनता है। यह समांगी मिश्रण नमक का पानी में घोल कहलाता है।

प्रश्न 17.
आसवन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
आसवन (Distillation) : वह प्रक्रिया, जिसमें किसी द्रव को गर्म करके वाष्प में परिवर्तित किया जाता है, फिर उस वाष्य को ठडा करके पुन: द्रव में संघनित किया जाता है, आसवन कहलाती है।

प्रश्न 18.
पेट्रोलियम के शोधन की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर :
पेट्रोलियम के शोधन की आवश्यकता (Necessity of refining of petroleum) : पेट्रोलियम भूरे-काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है। यह एक जीवाश्म ईधन है जो भूमि में जल के गहरे कुए खोद करके प्राप्त किया जाता है। यह तेल अनेक हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण है। इसमें पानी, मिट्टी तथा नमक के कण मिले होते हैं। यह चिपचिपा एक प्रतिदीप्तिशील, दुर्ग्धयुक्त द्रव होता है और इसमें एल्केन हाइड्रोकार्बन भी मिश्रित होता है। इसलिये इसे उपयोग में लाने के लिये इसका परिष्करण करते हैं।

प्रश्न 19.
भंजक आसवन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
भंजक या प्रभाजी आसवन (Fractional distillation) : यह विधि दो या दो से अधिक मिश्रणीय द्रवों के मिश्रण के अवयवी द्रवों को पृथक करने में अपनाई जाती है, जिनके अवयवी द्रवों के क्वथनांक का अंतर बहुत कम (10° C. या कम) हो। उदाहरण के लिए, मेथिल अल्कोहॉल (क्वथनांक 65° C) को ऐसीटोन (क्वथनांक 56° C) से इस विधि द्वारा पृथक किया जा सकता है।

प्रश्न 20.
परमाणु में इलेक्ट्रॉन की स्थिति बताएँ।
उत्तर :
परमाणु में इलेक्ट्रॉन केन्द्रक के चारों तरफ विभिन्न कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं।

प्रश्न 21.
रदरफोर्ड के उस प्रयोग का संक्षिप्त वर्णन करें जिससे किसी परमाणु के नाभिक का पता चलता है।
उत्तर :
रदरफोर्ड ने अपन α – कण प्रकीर्णन प्रयोग के अंतर्गत रेडियोसक्रिय पदार्थ रेडियम द्वारा तीव्र गति से निकले α कणों का सोने की पत्तर (foil) पर प्रहार कराया तो देखा कि अधिकांश α-कण अपने मार्ग से बिना विचलित हुए स्वर्ण पत्तर को पार करके सीधे निकल जाते हैं, तथा कुछ α – कण अपने मार्ग से थोड़ा विचलित हो जाते हैं एवं बहुत ही कम – कण (20,000 में से एक कण) टकराकर अपने मार्ग पर पुन: वापस आ जाते हैं।

इस प्रयोग से रदरफोर्ड ने निम्नांकित निष्कर्ष निकाले।
(i) परमाणु में अधिकतर स्थान रिक्त हैं जिसके कारण अधिकतर α कण उसमें से सीधे निकल जाते हैं। (ii) धन आवेशित α – कणों का सभी दिशाओं में विचलित होना यह दर्शाता है कि परमाणु के मध्य स्थान पर कोई समान आवेश (धन आवेश) उपस्थित है। α-कणों की संख्या बहुत कम होती है, अत: परमाणु के अन्दर उपस्थित धन आवेशित वस्तु का आयतन अत्यंत ही कम होता है।

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प्रश्न 22.
परमाणु की कक्षाओं को ऊर्जा स्तर क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
ऊर्जा स्तर (Energy Level) : केन्द्रक के चारो तरफ विभित्र कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन बिना ऊर्जा क्षय (loss of energy) के लगातार चक्कर लगाते रहते हैं। अत:, इन कक्षों को मुख्य ऊर्जा स्तर (energy level) या क्वांटम स्तर (Quantam level) कहते हैं। इन ऊर्जा स्तरों को क्वाटम संख्या (Quantam Number) n द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। पहली से सातवीं कक्ष अर्थात् K से Q तक के सेल का ऊर्जा स्तर n का मान क्रमशः 1 से 7 तक होता है। n का मान जितना ही कम होगा वह कक्ष केन्द्र से उतना ही नजदीक होगा तथा उसकी ऊर्जा उतनी ही कम होगी।

प्रश्न 23.
समस्थानिक क्या है ?
उत्तर :
समस्थानिक (Isotope) : यदि किसी तत्व के परमाणु इस प्रकार पाये जाएँ कि उनकी परमाणु संख्या समान किन्तु द्रव्यमान संख्या विभिन्न हो, तो उन्हें उस तत्व का समस्थानिक कहते हैं।
जैसे हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक, \({ }_1 H^1\), \({ }_1 H^2\) तथा, \({ }_1 H^3\) हैं।

प्रश्न 24.
मात्रा संख्या किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रोट्रॉन और न्यूट्रॉन की संख्या के योगफल को मात्रा संख्या कहते है।

प्रश्न 25.
केन्द्रक बल किसे कहते हैं ?
उत्तर :
केन्द्रक बल (Nuclear force) : केन्द्रक पर उपस्थित प्रोटानों तथा न्यूट्रॉनों के बीच आवेश का आदानप्रदान होता रहता है जिसके फलस्वरूप एक तीव्र आकर्षण बल की सृष्टि होती है। इस आकर्षण बल को केन्द्रीय बल (Nuclear force) कहते हैं।

प्रश्न 26.
तनु तथा सांद्र घोल में मुख्य किस चीज का अन्तर होता है ?
उत्तर :
तनु में घोलक (जल) की मात्रा अधिक और सान्द्र में जल की मात्रा कम होती है।

प्रश्न 27.
प्रबल अम्ल किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रबल अम्ल या तीव्र अम्ल (Strong Acid) : वह अम्ल जो जलीय घोल में पूर्णत: आयनीकृत होकर अधिक हाइड्रोजन आयन (H+)उत्पन्न करते हैं, प्रबल अम्ल या तीव्र अम्ल कहलाते हैं।
जैसे – HCl, HNO3, H2SO4 आदि।

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प्रश्न 28.
कॉपर तथा चाँदी के साथ तनु सल्फ्यूरिक अम्ल प्रतिक्रिया क्यों नहीं करता है ?
उत्तर :
कॉपर तथा चाँदी हाइड्रोजन से अधिक विद्युतात्मक है।

प्रश्न 29.
सोडियम हाइड्राक्साइड के साथ तनु HCl प्रतिक्रिया करके क्या बनता है ?
उत्तर :
साथारण नमक अैर पानी बनता है।

प्रश्न 30.
Universal Indicator क्या है ?
उत्तर :
Universal Indicator : यह एक Litmus paper की तरह ही एक सूचक है जो यह दिये गये घोल का strength कितना pH है ज्ञात करने में करते हैं। इसक रंग हरा होता है । यदि किसी घोल में इस Universal incicator को डुबा कर उसके रंग में आये परिवर्तन को दिये गये ऊपर रंग chart से मिलाने पर जो रंग मिलता है वही उसका pH होता है। इस तरह तुम अपने रक्त, मूत्र, लार, दूध तथा नींबू का भी pH निकाल सकते हो।

प्रश्न 31.
जल की कठोरता के क्या कारण हैं ?
उत्तर :
जल की कठोरता के कारण : धातुएँ जैसे कैल्सियम (Ca), मैग्नेशियम (Mg) तथा लोहा (Iron) के क्लोराइड, सल्फेटस या नाइट्रेट्स और बाईकार्बोनेट लवणों का प्राकृतिक जल मे घुला होना जल की कठोरता के कारण हैं। इन धातुओं के क्लोराइड और सल्फेट साधारणतया मिट्टी में उपस्थित रहते हैं जो जल में सीधे घुलकर जल को कठोर बना देते हैं। इन धातुओं के बाईकार्बोनेट मिट्टी में उपस्थित नहीं होते लेकिन इनके कार्बेनेटस जल में कुछ मात्रा में घुली वायुमण्डलीय कार्बनडाईक्साईड से प्रतिक्रिया कर बाईकार्बोनेट उत्पन्न करते हैं और जल कठोर हो जाता है।

प्रश्न 32.
समभारिक क्या है ?
उत्तर :
समभारिक (Isobar) : ऐसे तत्वों को समभारिक (isobars) कहा जाता है जिनका परमाणु द्रव्यमान समान होता है, किन्तु परमाणु संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती है। परमाणु संख्या में अन्तर का कारण उन तत्वों के नाभिक में प्रोटॉनों की संख्याओं का भिन्न-भित्र होना है।

प्रश्न 33.
अधिकतर तत्वों के परमाणु द्रव्यमान भिन्नांक क्यों होते हैं ?
उत्तर :
परमाणु भार भिन्न के रूप में होने का कारण : अधिकांश तत्वों के दो या दो से अधिक आइसोटोप होते हैं। चूँक किसी तत्व का परमाणु भार उसके सभी आइसोटोप के भारों का औसत होता है, अत: यह प्राय: भिन्न के रूप में प्राप्त है।

प्रश्न 34.
संकेत \({ }_{17}^{35} \mathrm{Cl}\) क्या सूचना देता है ?
उत्तर :
संकेत \({ }_{17}^{35} \mathrm{Cl}\) क्लोरीन परमाणु की सूचना देता है जिससे पता चलता है कि क्लोरीन की द्रव्यमान संख्या 35 एवं परमाणु संख्या 17 होती है।

प्रश्न 35.
ताजा दूध का pH मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH मान में क्या परिवर्तन होगा ?
उत्तर :
दूध से दही बनने पर यह अम्लीय हो जाता है, अत: इसका pH मान 6 से कम हो जायेगा।

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प्रश्न 36.
क्षार क्या होते हैं ? क्षार के दो उदाहरण दें।
उत्तर :
क्षार (Alkali) : जल में घुलनशील भसम (base) क्षार कहलाते हैं। उदाहगण के लिए, सोडियम एवं पोटैशियम के हाइड्रॉक्साइड, कैल्सियम के हाइड्रॉंक्साइड इत्यादि जल में घुलनशील होते है, अत: ये क्षार हैं। लेकिन कॉपर के हाइड्रॉक्साइड, लोहे के हाइड्रॉक्साइड, अल्युमिनियम का हाइड्रॉक्साइड इत्यादि जल में घुलनशील नहीं हैं, इसलिए ये भस्म क्षार नहीं है।

प्रश्न 37.
निम्नलिखित अम्लों में सामान्य लवण एवं अम्लीय लवण को चुनें –
(a) कैल्सियम सल्फेट (CaSO4)
(b) सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3)
(c) सोडियम हाइड्रोजन सल्फेट (NaHSO4)
(d) द्वि सोडियम हाइड्रोजन-फॉस्फेट (Na2HPO4)
उत्तर :
(a) कैल्सियम सल्फेट (CaSO4) सामान्य लवण
(b) सोडियम काबोंनेट (Na2CO3) सामान्य लवण
(c) सोडियम हाइड्रोजन सल्फेट (NaHSO4) अम्लीय लवण
(d) द्वि सोडियम हाइड्रोजन-फॉस्फेट (Na2 HPO4) अम्लीय लवण

प्रश्न 38.
आप कैसे दिखायेंगे कि मैग्निशियम धातु तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करती है ?
उत्तर :
मैग्नेशियम तथा लोहा जैसी धातुएँ तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया कर सल्फेट लवण उत्पन्न करती हैं तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है।

Mg + H2SO4 arrow MgSO4 + H2
Fe + H2SO4 arrow FeSO4 + H2

प्रश्न 39.
क्या होता है जब कैल्सियम कार्बोनेट हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया करता है ? इस अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण भी लिखें।
उत्तर :
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से केल्सियम कार्बोनेट की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप कैल्सियम लवण एवं कार्बन डाई आक्साइड उत्पव्न होती है।

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प्रश्न 40.
मोल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
मोल (Mole) : अत्यन्त कम मात्रा वाले पदार्थों में भी अणुओं, परमाणुओं या आयनों की संख्या बहुत अधिक होती है। यह संख्या बहुत अधिक होने के कारण उनकी गणना असुविधाजनक होती है। अतः जिस प्रकार अपने दैनिक जीवन की उपयोगी वस्तुओं की गणना दर्जन (1 दर्जन = 12), सैकड़ा (1 सैकड़ा =100), ग्रुस (1 ग्रुस = 144) आदि में करना सुविधाजनक होता है उसी प्रकार से परमाणु, अणु या आयन की संख्या की गणना के लिए 6.022 × 1023 को इकाई मान लिया जाता है। इस इकाई को मोल (Mole) कहते हैं।
अत: 1 mole = 6.022 × 1023 अणु, परमाणु या आयन।

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प्रश्न 41.
मोल के किसी दो महत्व का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
मोल का महत्व (Importance of mole) : मोल से हमें निम्नलिखित बातों की जानकारी प्राप्त होती है।

  1. यह पदार्थ के 6.022 × 1023 काणों का निरूपण करता है।
  2. किसी तत्व के 1 मोल का द्रव्यमान उसके 6.022 × 1023 परमाणुओं के कुल द्रव्यमानों के बराबर होता है।
  3. पदार्थ का एक मोल उस पदार्थ के एक ग्राम-सूत्र द्रव्यमान को व्यक्त करता है।

प्रश्न 42.
एवोगैड्रो संख्या की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
एवोगैड्रो संख्या (Avogadro number) : किसी पदार्थ के 1 ग्राम अणु (1 mole) में उपस्थित अणुओं की संख्या को ऐवोगैड़ो संख्या कहते हैं। इसे ‘NA‘ द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसका मान 6.022 × 1023 होता है। मोल (Mole) का प्रयोग अणु, परमाणु और आयन तीनों के लिए किया जाता है।

प्रश्न 43.
एवोगैड्रो संख्या का संकेत क्या है ? इसका मान कितना होता है ?
उत्तर :
एवोगैड्रो संख्या को NA से प्रदर्शित करते हैं। इसका मान 6.022 × 1023 होता है।

प्रश्न 44.
जल के एक अणु का ग्राम में भार कैसे ज्ञात करेंगे ?
उत्तर :
जल के एक आणु का ग्राम में भार ज्ञात करने के लिए जल के ग्राम अणुभार में एवोगैड्रो संख्या से भाग दिया जाता है। जैसे – जल (H2O) का अणु भार =18
18 ग्राम जल में अणुओं की संख्या = 6.022 × 1023
जल के एक्र उगुण का ग्राम में भार = \(\frac{18}{6.022}\) × 1023 = 2.989 × 10-33

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प्रश्न 45.
ग्राम परमाणु की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
ग्राभ पारमाणविक द्रव्यमान (Gram Atomic Mass Or Weight) : किसी तत्व के परमाणु द्रव्यमान को ग्राम में व्यक्त करने पर वह ग्राम परमाणु द्रव्यमान कहलाता है।
जैसे – आक्सीजन (O) का पारमाणविक द्रव्यमान = 16
अत: आवसीजन का ग्राम पारमाणविक द्रव्यमान = 16 ग्राम।
इसी प्रकार नाइट्रोजन (N) का ग्राम पारमाणविक द्रव्यमान = 14 ग्राम।
हाइड्रोजन (H) का ग्राम पारमाणविक द्रव्यमान = 1 ग्राम।

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प्रश्न 46.
ग्राम अणु की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
ग्राम अणु या ग्राम आणविक द्रव्यमान (Gram-mole or gram molecular mass or Weight) : आणविक द्रव्यमान को ग्राम में व्यक्त करने पर वह ग्राम-अणु या ग्राम-आणविक द्रव्यमान (Gram mole or gram molecular mass) कहलाता है।
जैसे – आवसीजन (O2) का आणविक द्रव्यमान = 32
अत: आक्सीजन (O2) का ग्राम-आणविक द्रव्यमान = 32 ग्राम
इसी प्रकार हाइड़ोजन (H2) का ग्राम-आणविक द्रव्यमान = 2 ग्राम
नाइट्रोजन (N2) का ग्राम-आणविक द्रव्यमान = 28 ग्राम
जल (H2O) का ग्राम आणविक द्रव्यमान =  18 ग्राम

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प्रश्न 47.
ग्राम अणु या मोलर आयतन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
ग्राभ अणु या मोलर आयतन (Molar Volume or gram-molecular volume) : सामान्य तापमान व दाब (STP) पर किसी गैस के एक मोल का आयतन 22.4 लीटर होता है और इस गैस में 6.022 × 1023 अणु होंते हैं। इस आयतन को ग्राम-आणविक आयतन या मोलर आयतन (Molar Volume) कहते हैं। उदाहरण के लिए, STP पर 22.4 लीटर हाइड्रोजन का द्रव्यमान 2.016 ग्राम होता है। अर्थात् 1 मोल H2 का भार =2.016 ग्राम। इतनी से में 6.022 × 10^{33 अणु रहते हैं। इसी प्रकार STP पर 22.4 लीटर ऑक्सीजन का भार 32.00 ग्राम होता है तथा इसमे 6.022 × 10-3 अणु रहते हैं।

प्रश्न 48.
जल की विशिए्ट उष्मा पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति एवं उसके रख-रखाव को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर :
जल की विशिष्ट उष्मा पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति एवं रख-रखाव : जल की विशिष्ट उष्मा 1 कैलोरी/ग्राम ° C = 4.186 जूल/ग्राम ° C होती है जो किसी अन्य सामान्य पदार्थों से उच्च होता है।

परिणामस्वरूप, तापमान के नियत्रण में जल महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसके साथ-साथ जल के वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा भी अधिक हांती है। इसका मान 40.65 किलो जूल/मोल होता है। जल की उच्च विशिष्ट उष्मा एवं उच्च वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा के फलस्वरूप हाइड्रोजन के अणुओं के बीच विस्तृत बंधन (bonding) की उत्पत्ति होती है। जल के ये दोनों असामान्य गुण तापमान के बंड़े उतार-चढ़ाव में प्रतिरोध उत्पन्न करके जल को पृथ्वी की जलवायु (Climate) को संतुलित रखने में मदद करते हैं। इससे पृथ्वी पर प्राणियों एवं वनस्पतियों का लगातार समुचित विकास संभव होता है।

प्रश्न 49.
जल के उच्च क्वथनांक का क्या महत्व है ?
उत्तर :
जल के उच्च क्वथनांक का महत्व (Importance of high boiling point of water) : “‘सामान्य वायुमण्डलीय दबाव पर वह निधित तापक्रम जिस पर किसी द्रव के सम्पूर्ण भाग से तेजी से वाष्पन की क्रिया होने लगती है, उस निध्वित तापक्रम को उस द्रव का ववथनाक कहते हैं।” यह तापक्रम तब तक स्थिर रहता है जब तक सम्पूर्ण दत्र वाष्पित न हो जाये। जल एवं अन्य सभी पदार्थो का क्वथनांक बैरोमीटर के दबाव पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, वृंकि अक्षांश वायुमण्डलीय दबाव में थोड़ा परिवर्तन करता है, अत: समुद्र तल पर जल के 100° C (212° F) पर उबलने की तुलना में माउण्ट एवरेस्ट पर जल 68°C

(154° F) पर उबलता है। इसके त्रिपरोत समुद्र की गहराई में भू-उष्मीय निकास द्वार के पास जल का तापमान सैकड़ों डिग्री तक पहुँच जाता है फिर भी जल द्रव के ही रूप मे रहल है। फलस्वरूप समुद्री जीव-जन्तु एवं वनस्पतियों का लगातार समुचित उद्भव एवं विकास जारी रहता है

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प्रश्न 50.
जल के कोशिकीय कार्य के महत्व का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
जल के कोशिकीय कार्य के महत्व (Importance of capillary action of water) : चाँक जल के अणु रेखीय नहीं हैं और हाइड्रोजन परमाणुओं की तुलना में आक्सीजन परमाणुओं की निद्युत ऋणात्मकता (electrogativity) अधिक होती है, अत: ऑक्सीजन परमाणु थोड़ा ऋणात्मक आवेश वहन करते हैं, जबकि हाइड्रोजन परमाणु थोड़ा धन आवेशित होते हैं। परिणामस्वरूप, जल विद्युतीय द्विधुवोय आघूर्ण वाला एक ध्रुवीय अणु है। जल अपने आकार वाले अणु के लिए एक असाधारण तौर से बड़ी संख्या में (4) अन्तर आणविक हाइड्रोज बच भी उत्पन्न कर सकता है। इन कारकों की वजह से जल के अणुओं के बीच प्रब्बल (strong) आकर्षाण बल पाया जाता है जो जल के उच्च पृष्ट तनाव (surface tension) एवं कोशिकीय बल (capillary force) को उत्पन्न करता है। कोशिकींय क्रिया (capillany action) गुरुत्व बल के विरुद्ध एक पतली नलो से होकर जल के ऊपर चढ़ने की प्रतृत्ति को निर्देशित करती है। जल के इसी गुण पर सभी वैस्कुलर (vascular) पौधे जैसे तृक्ष, निर्भर करते हैं।

प्रश्न 51.
क्लोरीनीकरण क्या है ? इसकी कमियों का उल्लेख करें।
उत्तर :
क्लोरीनीकरण (Chlorination) : इस विधि के द्वारा पेय जल को शुद्ध करने के लिए इसमे क्लोरीन (Cl2) या हाइपोक्लोराइट मिला दिया जाता है। इससे पेय जल में पाए जाने वाले हानिकारक जीवाणु नए्ट हो जाते हैं। इस प्रकार उनकी वृद्धि रुक जाती है और जल हमारे लिए पीने योग्य हो जाता है। इस नरह पोने योग्य जल से उत्पन्न होने वाली बोमारियों को रोका जा सकता है। यह जल शुद्धीकरण की सुस्थापित तकनीक है।

कमियाँ (Limitation) : जल क्लोरीनीकरण विधि की कमियों में से एक disinfection by product प्रोडक्य (HCP) का बनना है जिसमें से अधिकतर ट्राइक्लोरोमीथेन (THM), क्लोरोफार्म, डाइक्लोरोमोशेन, डाइब्रोमोक्लोरोमीथेन एवं बोमोफार्म हैं। इनका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 52.
पराबैंगनी किरणों द्वारा जल को कैसे शुद्ध किया जा सकता है ?
उत्तर :
पराबैंगनी किरणों द्वारा पेयजल का शुद्धीकरण (Purification of drinking water by ultra violet rays) : पराबैंगनी किरणों द्वारा जल का शुद्धीकरण करने के लिए पराबेगनी प्रकाश का उपयोग किया जाता है जो सूर्य के प्रकाश की तरह होती हैं। इन किरणों को पेय जल से गुजारने पर उसमें उपस्थित माइक्रोब्स (microbes) इसके सम्पर्क में आकर नष्ट हो जाते हैं। पेय जल के शुद्धीकरण मे रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया के कोटाणुओं को नष्ट करने के लिए यह विधि सबसे अधिक प्रभावी है।
पेय जल आपूर्ति के लिए पराबेंगनी शुद्धीकरण लैम्प का इस्तेमाल करना चाहिए। जल शुद्धीकरण के लिए पराबेगनी लैप ही एकमात्र विधि है। पराबैंगनी जल शुद्धीकरण लैम्प UVC या “germicidal UV” उत्पन्न करते हैं जिनकी तीवता (intensity) सूर्य की किरणों से कहीं अंधिक होती है।

प्रश्न 53.
मृदु जल एवं कठोर जल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
कठोर जल (Hard Water) : वह जल जा साबुन के साथ कम झाग उत्पन्न करता है, कठोर जल कहलाता है। जल की कठोरता जल में कैल्सियम व मैग्नीशियम लवणों की उपस्थिति के कारण होंती है। ये लवण साबुन से रासायनिक अभिक्रिया करके अविलेय पदार्थ बनाते हैं। इसलिए कठोर जल से कपड़ा धोना कठिन होता है।
मृदु जल (Soft Water) : वह जल जो साबुन के साथ आसानी से अधिक झाग उत्पत्र करता है, मृदु जल कहलाता है। इसलिए मृदु जल से कपड़ा धोना आसान होता है।

प्रश्न 54.
जल प्रदूषण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
जल प्रदूषण (Water Pollution) : जल में आवश्यकता से अधिक खानज पदार्थ, लवण, कार्बीनक और अकार्बनिक पदार्थ, कल-कारखाने और औद्योगिक प्रंतिष्ठानों से निर्गत कचरा, मल-मूत्र, कूड़ा-करक्रट आदि के मिश्रत हो जाने से जल के लाभदायक गुण नष्ट हो जाते हैं और वह पीने योग्य नहीं रह जाता। ऐसा जल प्रदूषित जल (Polluted water) कहलाता है।
अत: “मानव के क्रिया-कलापों के फलस्वरूप जल के प्राकृतिक गुणों में प्रतिकूल परिवर्तन का उत्पन्न होना जिससे उसकी उपयोगिता में कमी आ जाती है, जल प्रदूषण कहलाता है।”

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प्रश्न 55.
जल प्रदूषण के कारण तालाबों में शैवाल प्रस्फुट का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर :
जल प्रदूषण के कारण तालाबों में शैवाल प्रस्फुट़न डिटर्जेंट द्वारा वातावरण प्रदूषण : डिटर्जेट में उपस्थित फास्फेट साल्ट के कारण जलाशयों में एल्गी (algae) की उत्पत्ति जभ वन्कि लहुन तेजी से होती है जिसके फलस्वरूप जल का अनाक्सीकरण (Deoxygenation) होता है जिससे जलाशयों में उपस्थित मछली जैसे जलीय जन्तु आक्सीजन की कमी के कारण मर जाते हैं। साबुन की अपेक्षा अंधिक उपयोगी होने के बावजूद डिटर्जेंट का उपयोग करने पर जल प्रदूषण अधिक खतरनाक हो सकता है।

प्रश्न 56.
पेट्रोलियम के शोधन की क्यों आवश्यकता है ?
उत्तर :
पेट्रोलियम के शोधन की आवश्यकता है क्योकि इसमें अनेक पदार्थ मौजूद पाये जाते हैं।

प्रश्न 57.
पेयजल गुणवत्ता के मापदंड क्या हैं ?
उत्तर :
पेयजल गुणवत्ता के मापदंड (Quality parameters of drinkings water) : पेय जल रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन एवं स्वच्छ होना चाहएि । इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थ या अवांछित तत्व, बैक्टीरिया के कीटाणु इत्यादि; जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हों, नहीं घुले होने चाहिए।
पेय जल के pH का मान (pH value of drinking water) : पेय जल में अम्लीबता एवं क्षार के अंश का अभाव होना चाहिए। यह पूर्ण रूप से उदासीन (neutral) होना चाहिए। इसका pH मान 7 होना चाहिए।
पेयजल में घुलित आक्सीजन की मात्रा (Quantity of dissolved oxygen in drinking water) : (i) एल्बेर्टा पर्यावरण 1977 (Alberta Environment 1977) के अनुसार स्वच्छ पेय जल में घुलित ऑक्सीजन की न्यूनतम मात्रा किसी भी समय 5 mg / L होनी चाहिए। (ii) अलास्का (Alaska) 1979 के अनुसार पेय जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा 4 mg / L होनी चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) के अनुसार पीने योग्य जल में –

  1. घुलित आर्सेनिक की मात्रा 10 μ g / L
  2. घुलित फ्लूराइड की मात्रा 1.5 mg / L या 1500 μ g / L
  3. कार्बन ट्रेटाक्लोराइड की मात्रा 4 μ g / L
  4. विनालय क्लोराइड की मात्रा (यूरोपियन यूनिनय स्टैण्डर्ड के अनुसार) 0.50 μ g / L होनी चाहिए।

प्रश्न 58.
जल की कठोरता दूर करने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं ?
उत्तर :
जल की कठोरता दूर करने की विधियाँ :
कठोर जल के साथ साबुन का अधिकांश भाग कैल्सियम या मैग्नेशियम के विलेय लवणों से अभिक्रिया करने में व्यय हो जाता है। केवल अभिक्रिया के बाद शेष बचा साबुन ही जल के साथ झाग बनाता है। चूँकि झाग के द्वारा ही मैल दूर होती है। अत: धुलाई के काम के लिए कठोर जल उपयुक्त नहीं है।

जल उबालने के पात्रों में जब कठोर जल उबाला जाता है, तो जल वाष्मीकृत हो जाता है और पात्र की दीवारों पर जल में घुले लवणों की पपड़ी जम जाती है। यह पपड़ी उष्मा की कुचालक है। अत:, पपड़ी लगे पात्रों में जल उबालने से अधिक उष्मा लगती है। अत: कठोर जल उपयुक्त नहीं है।

WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 4 पदार्थ : संरचना, पदार्थ के भौतिक तथा रासायनिक गुण

प्रश्न 59.
जल में किसकी अधिकता से दंत क्षय, हडी क्षय, पैर में काले चकते जैसे रोग होते हैं ?
उत्तर :
जल में आर्सेनिक एवं प्लूराइड जैसे तत्वों के अधिक मात्रा में घुले रहने से दंत क्षय, पैर में काले चकते जैसे रोग होते हैं।.

प्रश्न 60.
छानना विधि द्वारा किस प्रकार के मिश्रण को अलग किया जाता है ?
उत्तर :
छानना विधि द्वारा द्रव मिश्रण में मिले ठोस पदार्थो को अलग किया जाता है।

प्रश्न 61.
केन्द्रक किसे कहते हैं ?
उत्तर :
केन्द्रक (Nucleus) : परमाणु का वह भीतरी भाग जहाँ परमाणु की लगभग सम्पूर्ण मात्रा निहित होती है, उसे केन्द्रक (Nucleus) कहते हैं। यह परमाणु के आयतन की तुलना में अति सूक्ष्म आयतन वाला क्षेत्र है।

प्रश्न 62.
न्यूट्रॉन के आविष्कारक कौन थे ? परमाणु में ये कहाँ उपस्थित होते हैं ?
उत्तर :
न्यूट्रॉन के आविष्कारक सर जेम्स चैडविक थे। यह परमाणु के केन्द्रक में उपस्थित होते हैं।

प्रश्न 63.
अम्ल एवं भस्म में दो अन्तर बताओ।
उत्तर :
अम्ल का स्वाद खट्टा है, अम्ल धातु से क्रिया कर हाइड्रोजन देता है। भस्म कड़वा होता है, यह OH देता है।

प्रश्न 64.
सभी क्षार भस्म है परन्तु सभी भस्म क्षार नहीं – की व्याख्या करो ?
उत्तर :
सभी क्षार भस्म हैं परन्तु सभी भस्म क्षार नहीं : सभी क्षार भस्म है परन्तु सभी भस्म क्षार नहीं क्योंकि वे भस्म जो जल में घुलनशील होते हैं, क्षार कहलाते हैं। सभी भस्म जल में घुलनशील नहीं होते। इसलिए सभी भस्म क्षार नहीं होते। बल्कि सभी क्षार भस्म होते हैं।.जैसे -Na2 O भस्म है लेकिन यह जल में घुलकर NaOH उत्पन्न करता है इसलिये यह क्षार है और OH आयन उत्पत्न करता है। इसी प्रकार Zn(OH)2 या Fe(OH)3 भस्म है, क्षार नहीं क्योंकि ये जल में घुलनशील नहीं होते हैं।

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प्रश्न 65.
1 amu का मान कितना है?
उत्तर :
1 amu सामान्य कार्बन परमाणु के बारहवे हिस्से के बराबर द्रव्यमान का होता है। एक हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान लगभग 1 amu के बराबर होता है ।

प्रश्न 66.
वास्तविक घोल किसे कहते हैं?
उत्तर:
वास्तविक घोल (True Solution) : वास्तविक घोल में ठोस घुलित होकर वितरण (dispersion) के कारण घोलक में घुल जाते हैं। घुलित के इस प्रकार वितरित (dispersed) कणों का आकार 1-10 A°(108-10. 7 सेमी० व्यास) होता है। दूसरे शब्दों में घुलित के कण True घोल में अणु के रूप में (non-electrolyte दशा में) या lonic size (Electrolyte दशा) में रहते हैं।

प्रश्न 67.
इमल्सन किसे कहते हैं? जल में तेल का एक उदाहरण दो।
उत्तर :
इमल्सन दो या इससे अधिक अमिश्रणीय तरल पदार्थो से बना एक मिश्रण है। इमल्सन के उदाहररण में शामिल हैं, मक्खन और मार्जरीन, दूध और क्रीम, फोटो फिल्म का प्रकाश संवेदी पक्ष, मैग्मा और धातु काटने मे काम आने वाले तरल। जल में तेल का उदाहरण दूध और वैनिशिंग क्रीम है ।

प्रश्न 68.
असंतृप्त घोल किसे कहते हैं?
उत्तर :
किसी निश्चित ताप पर यदि किसी घोल में विलेय की ओर अधिक मात्रा को घोला जा सकता है अर्थात जब किसी विलयन में इतना सामर्थ्य हो कि वह ओर विलेय को घोलने की क्षमता रखे तो एसे घोल को असतृत्त घोल कहते है ।

प्रश्न 69.
pH स्केल क्या है?
उत्तर :
pH किसी विलयन की अम्लता या क्षारकता का एक माप है। इसे द्रवीभूत हाइड्रोजन आयनों (H+)की गतिविधि के सह-लघुगण़क (कॉलॉगरिदम) के रूप में परिभाषित किया जाता है।

प्रश्न 70.
अम्लीय आक्साइड किसे कहते हैं?
उत्तर :
अधातुओं के ऑक्साइड जो जल के साथ अभिक्रिया करके अम्ल बनाते है, उसे अम्लीय ऑक्साइड कहते हैं। (CO2),(SO2)(P2 O5),(SO3),(NO2) आदि ।

प्रश्न 71.
उभयधर्मी आक्साइड किसे कहते हैं?
उत्तर :
अधिकतर धात्विक ऑक्साइड क्षारीय ऑक्साइड होते हैं। लेकिन कुछ धात्चिक ऑक्साइड अम्लीय और क्षारीय दोनों अभिलक्षण दर्शाते हैं, अर्थात यह अम्ल और क्षारों दोनों से अभिक्रिया करके लवण और पानी बनाते हैं। ऐसे ऑक्साइडों को उभयधर्मी ऑक्साइड कहते हैं। जिंक, ऐलुमिनियम, काँच और टिन के ऑक्साइड उभयधर्मी होते हैं।

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प्रश्न 72.
एन्टासीड क्या है इसका उपयोग क्यो करते हैं?
उत्तर :
एंटासिड ऐसी दवाएं होती हैं जो अपच और सीने की जलन को दूर करने के लिए आपके पेट में एसिड को बेअसर करती हैं ! एंटासिड का उपयोग एसिडिटी, पेट फूलना और पेट का अल्सर के इलाज में किगा जाता है। यह पेट में दर्द या जलन जैसे लक्षणों से राहत देने में मदद करता है।

प्रश्न 73.
कोलाइडल घोल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
समांगी (Homogeneous) तथा विषमांगी (Heterogeneous mixture) मिश्रणों के बीच के गुण वाला एक मिश्रण जिसके कण घोल में समान रूप से फैले होते हैं, कोलाइडल घोल कहलाते है।

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प्रश्न 74.
रवाकरण से क्या समझते हैं?
उत्तर :
रसायन विज्ञान में रवाकरण विधि के द्वारा अकाबनिक ठोस मिश्रण को अलग किया जाता है। इस विधि में अशुद्ध ठोस मिश्रण को उचित विलायक के साथ मिलाकर गर्म किया जाता है तथा गर्म अवस्था में ही कीप द्वारा छान लिया जाता है। छानने के बाद विलयन को कम ताप पर धीरे-धीरे ठण्डा किया जाता है।

प्रश्न 75.
पेयजल में आर्सेनिक की अधिकता से उत्पन्न रोगों का नाम बताओ।
उत्तर :
आर्सेनिक प्रदूषित जल के उपयोग से चर्म रोग, चर्म कैंसर, यकृत, फेफड़े, गुर्दे एवं गक्त विकार संबंधी रोगों के अलावा हाइपर केरोटोसिस, काला पांव, मायोकॉर्डयल, स्थानिक अरक्तता आदि होने का खतरा होता है।

प्रश्न 76.
पेयजल में उपस्थित फ्लोराइड की अधिकता से उत्पन्न रोगों के नाम बताओ।
उत्तर :
पेयजल में अधिक फ्लोराइड की उपस्थिति गर्दन, पीठ, कंध व घुटनों के जोड़ों व हट्द्धियों को प्रभावित करता है। कैंसर, स्मरण शक्ति कमजोर होना, गुर्दे की बीमारी व बाझझपन जैसी समस्या भी इससे हो सकती है। विदेश में पानी में फ्लोराइड की मात्रा 0.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक सामान्य मानी जाती है, जबकि भारत में यह दर 1.0 मिलीग्राम निर्धारित है।

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS

प्रश्न 1.
मिश्रण के अवयवों को पृथक करने की क्या आवश्यकता है ? पृथक्करण की खास विधियों का चुनाव आप कैसे करेंगे ?
उत्तर :
मिश्रण के अवयवों को पृथक करने की आवश्यकता : किसी मिश्रण से उसके अवयवों को निम्नलिखित उद्देशयों की पूर्ति के लिए अलग किया जाता है।

  1. अवांछित अवयवों को पृथक करने के लिए,
  2. लाभदायक अवयवों को प्राप्त करने के लिए,
  3. शुद्ध पदार्थ प्राप्त करने के लिए,
  4. मिश्रण के अवयवों की तुलनात्मक मात्रा ज्ञात करने के लिए।

पृथक्करण की खास विधियों का चुनाव : किसी मिश्रण के अवयवों को एक दूसरे से पृथक करने के लिए एक अवयव के उन गुणों को जानना होता है जो दूसरे अवयव के गुण से अलग हों। इसी गुण के आधार पर प्रथक्करण की खास विधियों का चयन करते हैं।

उदाहरण के लिए लोहे एवं गंधक के मिश्रण से लोहे को पृथक करने में लोहे के चुम्बकीय गुण को आधार माना जाता है। चुम्बक लोहे को आकर्षित करता है, गन्धक को नहीं। इसी प्रकार चीनी एवं बालू के मिश्रण से चीनी को पृथक करने की प्रक्रिया में पानी में चीनी की घुलनशीलता को आधार माना जाता है। चीनी पानी में घुलनशील है किन्तु बालू पानी में अघुलनशील है। इस प्रकार पृथक्करण की प्रक्रिया में मिश्रण के एक अवयव के उस गुण का उपयोग किया जाता है जो दूसरे अवयवों में न हों।

किसी मिश्रण से उनके अवयवों को पृथक करने के लिए उनके भार, आकार, आकृति, रंग, घुनलशीलता तथा चुम्बक के प्रति आकर्षण इत्यादि को आधार मानकर निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जाता है।

  1. ठोस को ठोस से पृथक करने के लिए : इस प्रकार के पृथक्करण में पटकना और ओसाना, बीनना, चालना, चुम्बकीय पृथक्करण तथा ऊर्ष्वपातन जैसी विधियों का प्रयोग किया जाता है।
  2. अघुलनशील ठोस पदार्थों को द्रव से पृथक करने के लिए : इस प्रकार के पृथक्करण में तलछटीकरण और निथारना, छानना तथा भारण इत्यादि विधियों का प्रयोग किया जाता है।
  3. घुलनशील ठोस पदार्थों को द्रव से पृथक करने के लिए : इस प्रकार के पृथक्करण में आंशिक आसवन तथा क्रीस्टलीकरण जैसी विधियों का प्रयोग किया जाता है।
  4. अघुलनशील द्रव पदार्थों को अन्य द्रवों से पृथक करने के लिए पृथक्कारी कीप का उपयोग किया जाता है।
  5. ठोस पदार्थों को गैसों से पृथक करने के लिए : धुआँ, कार्बन के छोटे-छोटे कणों तथा वाष्पशील गैसों का मिश्रण होता है।

इस प्रकार के मिश्रण से कार्बन के कणों को पृथक करने के लिए आजकल कल-कारखानों की चिमनी की निचली सतह पर विशेष चुम्बकीय युक्ति द्वार कार्बन के कणों को गैसों से पृथक कर दिया जाता है। यह कार्बन पृथक होकर चिमनी की निचली सतह पर एकत्र होता रहता है। समय समय पर इसे चिमनी से हटा दिया जाता है। इस विधि का उपयोग आजकल थर्मल पावर स्टेशनों में किया जाता है।

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प्रश्न 2.
मिश्रण के अवयवों को पृथक करने की आसवन विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तरं :
आसवन (Distillation) : वह प्रक्रिया, जिसमें किसी द्रव को गर्म करके वाष्प में परिवर्तित किया जाता है, फिर उस वाष्प को ठंडा करके पुन: द्रव में संघनित किया जाता है, आसवन कहलाती है।

आसवन की क्रिया एक गोल पेंदी वाले फ्लास्क में कराई जाती है। इसे आसवन फ्लास्क कहते हैं। इस फ्लास्क की गरदन में एक पाश्श्व नली (sidetube) रहती है जो एक संघनक से जुड़ी रहती है। इसे लीबिंग संघनक (Libig condenser) कहते हैं। इसी संघनक में द्रव की वाष्प ठंड़क पाकर द्रवीभूत हो एक ग्राहक (receiver) में एकत्र होती है। उपकरणों की सजावट को पाश्व्व चित्र में दिखाया गया है। द्रव को आसवन फ्लास्क में लेकर बालू ऊष्मक पर धीरे-धीरे गर्म करके उबालते हैं तथा द्रव की वाष्प को संघनक से होकर प्रवाहित होने देते हैं। वाष्प संघनक में ठंडी होकर द्रव में परिणत हो जाती है जिससे ग्राहक में एकत्र कर लिया जाता है। द्रव में उपस्थित ठोस अशुद्धियाँ आसवन फ्लास्क में ही रह जाती हैं।

प्रश्न 3.
मिश्रण के अवयवों को अलग करने की प्रभाजी आसवन विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर :
प्रभाजी आसवन (Fractional distillation) : यह विधि दो या अधिक मिश्रणीय द्रवों के मिश्रण के अवयवों को पृथक करने में अपनाई जाती है, जिनके अवयवी द्रवों के क्वथनांक का अंतर बहुत कम (10° C. या कम) हो। उदाहरण के लिए, मेथिल एल्कोहॉल (ववथनांक 65° C) को एसीटोन (क्वथनांक 56° C) से इस विधि द्वारा पृथक किया जा सकता है।

मिश्रण को एक गोल पेंदी वाले फ्लास्क में लेकर बालू उष्मक पर गर्म करते हैं। यह फ्लास्क एक प्रभाजक स्तभ (factionating column) से जुड़ा रहता है, जैसा कि पार्श्व चित्र में दिखाया गया है। प्रभाजक स्तभ में कई फदे (traps) होते हैं जिनमें उच्च क्वथनांक वाले या काम वाष्पशील द्रव की वाष्प संघनक में जाकर संघनित हो जाते है, जिसे एक अलग ग्राहक में एकत्र कर लिया जाता है। इस द्रव के क्वथनांक पर तापमान तब तक स्थिर रहता है जब तक कि यह द्रव पूर्णत: वाष्पित होकर निकल नहीं जाता। इसके पश्थात तापमान बढ़ने लगता है और अगले उच्च क्वथनांक वाले द्रव के क्वथनांक पर पुन: स्थिर हो जाता है। यह द्रव भी पूर्णतः वाष्पित होकर संघनक में द्रवीभूत होता है जिसे एक दूसरे ग्राहक में एकत्र कर लिया जाता है। इस प्रकार से मिश्रण के सभी अवयवों को अलग-अलग प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 4.
पृथक्कारी कीप क्या है ? इसके उपयोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पृथक्कारी कीप एवं इसका उपयोग (Use of separating funnel) : पृथक्कारी कीप काँच का एक बल्ब होता है जिसकी डंडी में एक स्टॉप कॉक (stopcock) लगा रहता है। इसका उपयोग दो या दो से अधिक अमिश्रणीय द्रवों के मिश्रण के अवयवों को पृथक करने में किया जाता है उदाहरण के लिए, तेल और जल को इसके मिश्रण से पृथक्कारी कीप की सहायता से पृथक किया जा सकता है।

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जब द्रवों के मिश्रण के अवयव अमिश्रणीय (Immiscible) होते हैं, तो उन्हें पृथक्कारी कीप द्वारा अलग करते हैं। सर्वप्रथम दो द्रवों के मिश्रण को पृथक्कारी कीप में डालते हैं। पृथक्कारी कीप में डालने पर दोनों द्रव अलग-अलग सतहों में बँट जाते हैं। अब पृथक्कारी कीप में लगी टोटी को खोलकर भारी द्रव को, जो नीचे की सतह में जमा है, अलग कर लिया जाता है। पुन: पृथक्कारी कीप के हल्के द्रव को भी अलग पात्र में निकाल लिया जाता है। जल एवं किरासन तेल के मिश्रण से जल एवं किरासन तेल को इसी विधि से अलग करते हैं। किरासन तेल से जल का घनत्व अधिक होने के कारण यह नीचे की सतह में जमा होता है। इस प्रकार उपरोक्त प्रक्रिया के द्वारा इसे मिश्रण से पृथक कर लिया जाता है।

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प्रश्न 5.
प्रकृति में आर्सेनिक की उपस्थिति एवं इसके दुष्मभाव का उल्लेख कीजिए ?
उत्तर :
प्रकृति में आर्सेनिक की उपस्थिति (Occurrance of arsenic in nature) : प्रकृति में आर्सेनिक की उपस्थिति मुख्य रूप से दो कारणों से है – प्राकृतिक एवं मानव विकास के इतिहास से संबंधित। प्रकृति में आर्सेनिक वृहत रूप में उपस्थित है एवं प्रधान रूप से अकार्बनिक एवं कार्बनिक यौगिकों के रूप में पायी जाती है न कि मुक्त अवस्था में आर्सेनिक तत्व के रूप में। अकार्बनिक यौगिकों आर्सेनाइट, सबसे अधिक विषेले रूप में एवं आर्सेनिक कम विषेले रूप में पाया जाता है।

आर्सेनिक के मुख्य अयस्क आर्सेनोपाइराइट, एर्पीमिट, रीलगर एवं आर्सेनोपैलेडेनाइट हैं। यह प्रकृति में आयरन आर्सेनेट, आयरन, सल्फेट एवं कैल्केरियस मिट्टी में कैल्केरियस आर्सेनोलाइट के रूप में पाया जाता है। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में यह आर्सेनाइट के रूप में पाया जाता है। मानव विकास के इतिहास के क्षेत्र में इसके मुख्य स्रोत औद्योगिक वर्ज्य पदार्थ, फास्फेट, उर्वरक, कोयला, तेल, सीमेंट, भूमिगत खनन के उत्पाद, स्मेल्टिंग, अयस्क प्रसंस्करण, धातु निष्कर्षण, धातु शुद्धीकरण रासायनिक पदार्थ, सीसा, चमड़ा, वस्त, क्षार, पेट्रोलियम शोधक कारखाने, अम्ल की खाने, मिश्र धातुएँ वर्णक (pigments), कीटनाशक एवं उत्पेरक इत्यादि हैं।

आजकल कृषि कार्य में अनेक प्रकार की कीटनाशक दवायें उपयोग में लायी जाती हैं। इनमें से कुछ कीटनाशक दवाओं में आर्सेनिक मौजूद होता है, जैसे – कैल्शियम आर्सेनेट, सोडियम आर्सेनेट आदि। इन कीटनाशकों के प्रयोग से इनमे उपस्थित आर्सेनिक मिट्टी में मिल जाता है जो वर्षा के जल या कृषि कार्य में प्रयुक्त जल के माध्यम से नदियों, झीलों तथा तालाबों में प्रवाहित होता है जिससे प्राकृतिक जल स्रोत प्रदूषित हो जाते हैं।

आर्सेनेट, आर्सेनाइट एवं फ्लूराइड का विषैला प्रभाव (Toxic effects of arsenate, arsenite and fluride) : (i) पीने योग्य जल में आर्सेनिक की अधिक मात्रा की उपस्थिति से ब्लैक फुट (Black foot), लकवा मारना (paralysis of nerves) तथा अस्थिमज्जा का प्रभावित होना, आर्सेनिक डर्मेटोसिड (Arsenic Dermatosis), हाइपरकेराटोसिस (hyper keratosis), मेलानोसिस (melanosis) विभिन्न अंगों में कैसर तथा अन्य स्वास्थ्य संबंधित बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं।

पीने योग्य जल में फ्लूराइड की अधिक मात्रा घुली रहने के कारण दाँत की बीमारी, श्वसन तंत्र का ठीक ढंग से काम न करना, अस्थिपंजर का क्षतिग्रस्त होना, लकवा मारना (paralysis) जैसी बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 6.
जल प्रदूषण से आप क्या समझते हैं ?-जल प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
जल प्रदृषण : जल में आवश्यकता से अधिक खनिज पदार्थ, लवण, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ, कलकारखानों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों से निर्गत कचरा, मल-मूत्र, कूड़ा-करकट आदि के मिश्रित हो जाने से जल के लाभदायक गुण नष्ट हो जाते हैं और वह पीने योग्य नहीं रह जाता है। ऐसा जल प्रदूषित जल (Polluted water) कहलाता है।
अत:’ ‘मानव के क्रिया-कलापों के फलस्वरूप जल के प्राकृतिक गुणों में प्रतिकूल परिवर्तन का उत्पन्न होना जिससे उसकी उपयोगिता में कमी आ जाती है, जल प्रदूषण कहलाता है।”
जल प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव (Harmful effects of water pollution) :

  1. प्रदूषित जल का सेवन करने से हैजा, टायफाइड एवं पेचिश जैसी जानलेवा बीमारियाँ पैदा होती हैं।
  2. जल प्रदूषण के कारण पेय जल संकट का सामना करना पड़ता है।
  3. प्रदूषित जल से सिंचाई करने पर फसलों के उत्पादन में कमी आती है तथा कृषि क्षेत्र से प्राप्त होने वाले अनाज, फल-फूल एवं साग सब्जी की गुणवत्ता में कमी आती है।
  4. जल प्रदूषण के कारण जलाशयों में शैवाल की तेजी से वृद्धि होने पर जल में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आती है। इसके फलस्वरूप जलीय जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है।

प्रश्न 7.
कैथोड किरण की नली का प्रायोगिक उपयोग क्या है ?
उत्तर :
कैथोड किरण नली का प्रायोगिक उपयोग :
इलेक्ट्रॉन की खोज (Discovery of electron) : काँच की एक विसर्ग नली (discharge tube) में किसी गैस को लेकर अत्यंत कम दाब (0.01 mmHg) तथा उच्च विभवांतर (10.000 v) पर विद्युत धारा प्रवाहित करने पर विसर्ग नली के कैथोड से एक प्रकार की किरणें निकलती हैं जो सीधी रेखा में गमन करते हुए सामने की दीवार पर पड़ती हैं। इन किरणों का नाम कैथोड किरण रखा गया है।

कैथोड किरणों के गुण (Properties of cathod rays) :

  1. ये किरणें कैथोड से निकलकर अतितीव्र वेग से सीधी रेखा में गमन करती हैं।
  2. इनके मार्ग में अपारदर्शक वस्तु के रखने पर वस्तु की छाया कैथोड के दूसरी तरफ बनती है। इससे प्रमाणित होता है कि ये किरणें सीधी रेखा में चलती हैं।
  3. इन किरणों के मार्ग में हल्का पाद-चक्र (paddle wheel) रखने पर यह अपनी धुरी पर नाचने लगंती है। इससे सिद्ध होता है कि ये किरणें अत्यंत छोटे-छोटे द्रव्यकणों से बनी होती हैं।
  4. वैद्युत या चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव से ये किरणें विचलित होती हैं।

इनके विचलन की दिशा से ज्ञात होता है कि ये किरणे ऋण आवेशित हैं। विसर्ग नली में भित्र-भिन्न गैसों तथा भिन्न-भिन्न धातुओं के कैथोडों का प्रयोग करने पर पता चलता है कि हर हालत में एक ही प्रकार के कण निकलते हैं। अत: ॠण आवेशित ये कण प्रत्येक तत्व के प्रत्येक परमाणु के मौलिक अवयव हैं। टॉमसन (Thomson) ने इन कणों के आवेश (θ) और द्रव्यमान (m) का अनुपात (e / m) प्रयोगों द्वारा ज्ञात किया। इन्होंने विभिन्न विसर्ग नलियों का उपयोग किया, विभिन्न धातुओं के इलेक्ट्रोडों को काम में लाया तथा विसर्ग नली में विभिन्न गेसों का प्रयोग किया। हर हालत में (e / m) का मान (1.76 × 103) कूलॉम/ग्राम ही पाया गया। इससे सिद्ध होता है कि वे कण सभी परमाणुओं के मौलिक अवयव हैं। इन्हीं कणों का नाम इलेक्ट्रॉन (electron) रखा गया।

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प्रश्न 8.
वास्तविक घोल, कोलायडी घोल एवं निलंबन की उदाहरण सहित परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
आलम्बन (Suspension) : जब एक ठोस पदार्थ को महीन चूर्ण के रूप में एक द्रव (माना जल) जिसमें ठोस पदार्थ अघुलनशील है, में डालकर हिलाते हैं, तो ठोस के महीन कण कुछ समय तक घोल में फैले रहते हैं और फिर बर्तन की पेंदी में बैठ जाते हैं। इस प्रकार प्राप्त मिश्रण आलम्बन (Suspension or Course suspension) कहलाता है। परीक्षणों से ज्ञात होता है कि द्रव में इस प्रकार निलंबित (suspended) ठोस के कणों का आकार 1000 AO(10-5 – 10-3 सेमी॰ व्यास) से अधिक होता है। ये खुली आँख शक्तिशाली Hand-lens या साधारण सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा अक्सर देखे जाते है।

वास्तविक घोल (True Solution) : वास्तविक घोल में ठोस घुलित होकर वितरण (dispersion) के कारण घोलक में घुल जाते हैं। घुलित के इस प्रकार वितरित (dispersed) कणों का आकार 1-10 A°(10-6-10-7. सेमी० व्यास) होता है। दूसरे शब्दों में घुलित के कण True घोल में अणु के रूप में (non-electrolyte दशा में) या lonic size (Electrolyte दशा) में रहते हैं।
कोलाइडल घोल में कण, द्रव माष्यम में ही वितरित रहते हैं। इसमें पदार्थ के कणों का आकार निलंबन (suspension) और वास्तविक (True) घोल के बीच का होता है। अर्थात् इसमें पदार्थ के कणों का व्यास 10-7-10-5 सेमी० का होता है।

कोलायड (Colloidal solution) की परिभाषा : कोलायड घोल एक स्थाई असमांग सिस्टम (Stable hetrogenerous system) है जिसमें वितरित प्रावस्था (disperesed phase) एवं वितरण माध्यम (dispersion medium) दो अवस्थाएँ (phases) होती हैं। वितरित पावस्था (dispersed phase) पदार्थ के सूक्ष्म कणों का बना होता है जिसका व्यास 10-7 से॰मी॰ से 10-5 से॰मी॰ होता है तथा लगातार माध्यम (continuous medium) वितरण माध्यम (dispersion medium) कहलाता है। इसमें घुलित के कण समान रूप से बिखरे (dispersed) होते हैं। कोलायडल घोल साधारण फिल्टर पेपर से पार हो सकता है लेकिन पार्चमेंनट पेपर से नहीं। ऐसे घोल के वितरित कण (dispersed particle) घोल को काफी देर तक स्थिर छोड़ देने पर भी नीचे नहीं बैठ पाते हैं।

प्रश्न 9.
विभिन्न कोलायडी घोल को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कुछ प्रमुख कलिलीय गोल (कोलायड) के उदाहरण नीचे दिये गये हैं –
साल (Sols) : इनमें वितरित प्रावस्था ठोस और वितरण माध्यम द्रव होता है। जैसे – गोल्ड, सिल्वर, फेरिक हाइड्राक्साइड आदि कलिलीय घोल हैं। जब वितरण माध्यम जल होता है तो साल को हाइड्रोसाल (Hydrosol) कहते हैं।

पायस (Emulsions) : इनमें वितरित प्रावस्था और वितरण माध्यम दोनों ही द्रव होते हैं अर्थात् यदि किसी द्रव में कोई दूसरा अमिश्रणीय (Immiscible) द्रव कलिलीय आकार के कणों में वितरित हों, तो उस घोल को पायस कहते हैं। दूध प्राकृतिक पायस का एक अच्छा उदाहरण हैं। इसमें द्रव वसा (fat) के कण जल में वितरित रहते हैं। किरासन तेल की कुछ बूँदों को पानी के साथ एक बोतल में हिलाने से पानी में वितरित तेल का पायस मिलता है। यह पायस अस्थायी होता है क्योंकि थोड़ी ही देर में पानी तथा तेल अलग-अलग हो जाते हैं।

जेल्स (Gels) : जब किसी ठोस में द्रव वितरित रहता है तो उसे जेल्स (gels) कहते हैं। जैसे – जेली, पनीर; मक्खन। मक्खन में वितरित प्रावस्था द्रव और वितरण माध्यम ठोस वसा होता है। इसी प्रकार द्रव में गैस का कलिलीय घोल फेन (Forth) है। ठोस में गैस के कलिलीय घोल का उदाहरण प्यूमिस पत्थर है।

प्रश्न 10.
घोल में कणों की गति की व्याख्या करें।
उत्तर :
घोल में कणों की गति (Motion of particles in solution) : अति सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा यह देखा गया है कि कलिलीय घोल में कोलायड के कण स्थिर रूप से और टेढ़ी-मेढ़ी (Zig-Zag) तीव्र गति में रहते हैं, जिसे बाउनियन गति (Brownian movement) कहते हैं। इस महत्वपूर्ण घटना का परीक्षण रॉबर्ट ब्राउन ने 1827 ई० में किया था। निलम्बन एवं वास्तविक घोल में बाउनियन गति नहीं पायी जाती है।

ब्राउनियन गति की व्याख्या : कलिलीय घोल में ब्राउनियन गति वितरण माध्यम (dispersion medium) के अणुओं का कोलायड के कणों पर बमबारी (bombardment) के कारण होती है। जब दूसरी तरफ की अपेक्षा एक तरफ से अधिक अणु टकराते हैं, तो गति की दिशा बदल जाती है। इस तरह इस लगातार बमबारी के प्रभाव में कलिलीय घोल के कण लगातार टेढ़ी-मेढ़ी गति से गतिशील रहते हैं।

महत्व (Significance): (a) गतिज सिद्धान्त (Kinetic theory) के अनुसार घोल के अणुओं में अनवरत बिना रुके गति होती रहती है। (b) तीव्र एवं टेढ़ी-मेढ़ी गति कोलायडल कणों को गुरुत्व के प्रभाव से स्थिर होकर जमा होने से रोकती है और इस तरह कलिलीय घोल को कुछ हद तक स्थिर रखने में मदद करती है।

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प्रश्न 11.
मोल की अवधारणा के बारे में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
मोल की अवधारणा (Molar concept) : हमलोग जानते हैं कि किसी पदार्थ का अंतिम कण परमाणु या अणु होता है। प्रयोगशाला में कार्य करते समय हमें किसी पदार्थ के परमाणुओं या अणुओं की एक निश्चित संख्या का ही उपयोग करना पड़ता है। अत: हमें प्रयुक्त होने वाले परमाणुओं या अणुओं की संख्या की स्पष्ट जानकारी रखना आवश्यक है। इसके लिए मोल की परिकल्पना अधिक महत्वपूर्ण सिद्ध हुई है।
लैटिन भाषा में मोल शब्द का अर्थ ढेर या अंबार होता है।

परमाणुओं का एक मोल, परमाणुओं का वह अंबार है जिसका कुल द्रव्यमान एक ग्राम-परमाणु द्रव्यमान के बराबर होता है। चूँकि विभिन्न तत्वों के मोलों की समान संख्या में उनके परमाणुओं की संख्या समान रहती है, अतः तत्वों की मात्रा को मोल में व्यक्त करना अधिक सुविधाजनक होता है। मोल कणों (परमाणु, अणु, आयन या इलेक्ट्रॉन) की एक निध्चित संख्या को व्यक्त करता है । इस निश्थित संख्या को एवोगेड्रो संख्या कहा जाता था परन्तु अब हम इस संख्या को एवोगैड्रो स्थिरांक कहते हैं, जो कुल 6.022 × 1023 कणों के बराबर होता है। अत: मोल को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है।

” मोल किसी पदार्थ की वह मात्रा है जिसमें मूल कणों (परमाणु, अणु, आयन, इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन आदि) की संख्या उतनी ही होती है जितनी कार्बन – 12 के ठीक, 12 ग्राम में उसके परमाणुओं का संख्या होती है।”

किसी तत्व के परमाणुओं के एक मोल का द्रव्यमान ग्राम में व्यक्त उसका सापेक्ष परमाणु द्रव्यमान है। उदाहरण के लिए, सोडियम (Na) का परमाणु द्रव्यमान 23.0 amu होता है। अत: 1 मोल सोडियम का द्रव्यमान ठीक 23.0 ग्राम है। 1 मोल सोडियम = 23.0 ग्राम सोडियम

इसी प्रकार 1 मोल अणुओं का द्रव्यमान 17.031 ग्राम होता है। अतः 1 मोल अमोनिया का द्रव्यमान 17.031 ग्राम है। 1 मोल आमोनिया = 17: 031 ग्राम अमोनिया।

प्रश्न 12.
मोल का क्या महत्व है ?
उत्तर :
मोल का महत्व (Importance of mole) : मोल से हमें निम्नलिखित बातों की जानकारी प्राप्त होती है।

  1. मोल का द्रव्यमान उसके 6.022 × 1023कणों का निरूपण करता है।
  2. किसी तत्व के 1 मोल का द्रव्यमान उसके 6.022 × 1023परमाणुओं के कुल द्रव्यमानों के बराबर होता है।
  3. पदार्थ का एक मोल उस पदार्थ के एक ग्राम-सूत्र द्रव्यमान को व्यक्त करता है।

उदाहरण के लिए, हाइड्रोजन क्लोराइड (HCl) का 1 मोल = (1 + 35.5) g या 36.5 g हाइड्रोजन क्लोराइड अत:, मोल हाइड्रोजन क्लोराइड के 6.022 × 1023 अणुओं के कुल द्रव्यमान का निरूपण करता है।
4 मानक तापमान और दाब पर किसी गैस के एक मोल का आयतन 22.4 l होता है। (मानक तापमान = 0° C या 273 K और मानक दाब = पारा का 76 cm दाब।

प्रश्न 13.
एवोगैड्रो संख्या के बारे में विस्तार से समझाइए।
उत्तर :
एवोगैड्रो संख्या (Avogadro’s Number) NA : एवोगैड्रो के नियम के अनुसार, तापमान एवं दबाव को समान शर्तों पर बराबर आयतन वाली सभी गैसों में अणुओं की संख्या समान होती है। पुन: यह प्रमाणित किया जा चुका है कि मानक तापमान एवं दबाव (S.T.P.) पर किसी गैस या वाष्प के एक मोल या ग्राम मोल का आयतन 22.4 लीटर होता है। इस प्रकार यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि किसी पदार्थ के एक ग्राम मोल में अणुओं की संख्या समान होती है यद्यपि विभिन्न पदार्थो के एक मोल का भार भिन्न-भिन्न होता है।
‘किसी पदार्थ (तत्व या यौगिक) के एक मोल में उपस्थित कणों की संख्या को एवोगैड्रो संख्या (Avogadro’s Number) कहते हैं।”
एवोगैड्रो संख्या का मान 6.022 × 1023 होता है। एवोगैड्रो संख्या को NA से प्रदर्शित किया जाता है।

इस प्रकार, किसी पदार्थ (तत्व या यौगिक) के एक ग्राम मोल में अणुओं की संख्या 6.022 × 1023 होती है एवं किसी तत्व के एक ग्राम परमाणु में परमाणुओं की संख्या 6.022 × 1023 होती है।
चूँकि S.T.P. पर किसी गैस के एक मोल का आयतन 22.4 लीटर होता है, अत: एवोगैड्रो संख्या को इस प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है कि “S.T.P. पर किसी गैस के 22.4 लीटर में उपस्थित अणुओं की संख्या को एवोगैड्रो संख्या कहते हैं।”

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प्रश्न 14.
एवोगैड्रो संख्या की व्यापकता का उल्लेख करें।
उत्तर :
एवोगैड्रो संख्या की व्यापकता (Enormity of Avogadro’s number (NA) :
भौतिक विज्ञान एवं जीव विज्ञान में महत्व (Importance in Physics and Biology) : एवोगैड्रो संख्या स्थूल दुनिया एवं सूक्ष्म दुनिया के बीच कड़ी का काम करता है।

6.022 × 1023 संख्या के परिमाण के बारे में कल्पना करना कठिन है। इसके बारे में कुछ जानकारी के लिए, 1 मोल सेकेण्ड उस समयावधि के 4 मिलियन (1 मिलियन = दस लाख) गुना समय को प्रदर्शित करता है जितना पृथ्वी को अपने अस्तित्व में आए हुए बीता है अर्थात् जितना अभी तक पृथ्वी की उम्र है एवं एक मोल संगमरमर के द्वारा पूरी पृथ्वी को 40 मील की गहराई तक ढ़का जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ, चूँकि परमाणु इतने छोटे होते हैं कि एक मोल परमाणुओं अथवा अणुओं को रासायनिक क्रिया में प्रयोग के लिए पूर्णरूपेण प्रबंध किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
एवोगैड्रो संख्या के रसायन विज्ञान में महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
एवंगैड्रो संख्या का रसायन विज्ञान में महत्व : ऐवोगैड्रो संख्या की सहायता से तत्वों के परमाणुओं तथा तत्वों या यौगिकों के वास्तविक द्रव्यमान निकाले जा सकते हैं।

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हाइड्रोजन परमाणु का वास्तविक द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए, हाइड्रोजन के ग्राम परमाणु भार में एवोगैड्रो संख्या से भाग देते हैं। जैसे – हाइड्रोजन का परमाणु भार = 1.008
∴ हाइड्रोजन का ग्राम परमाणु भार = 1.008 ग्राम
∴ 1.008 ग्राम हाइड्रोजन में परमाणुओं की संख्या = 6.022 × 1023
∴ हाइड्रोजन के 1 परमाणु का द्रव्यमान = \(\frac{1.008}{6.022}\) × 1023 ग्राम = 1.67386 × 10-24 ग्राम
∴ H परमाणु का द्रव्यमान = 1.67358 × 10-24 ग्राम

प्रश्न 16.
परमाणु द्रव्यमान इकाई क्या है ? इसके आधार पर तत्व के सापेक्ष परमाणु द्रव्यमान को परिभाषित कीजिए।
उत्तर :
परमाणु द्रव्यमान इकाई : परमाणु के द्रव्यमान को सरलतापूर्वक व्यक्त करने के लिए एक इकाई का चुनाव किया गया है जिसे परमाणु द्रव्यमान इकाई (Atomic mass unit) कहते हैं। इसे संक्षेप में a.m.u. लिखा जाता है। \({ }^{12} \mathrm{C}\) = 12.00 स्केल पर सापेक्ष परमाणु द्रव्यमान :
किसी तत्व का परमाणु द्रव्यमान एक संख्या है जो यह बताती है कि उस तत्व के परमाणु का द्रव्यमान कार्बन 12 परमाणु के द्रव्यमान के 12 वे भाग से कितना गुना अधिक है।

अत: किसी तत्व का परमाणु द्रव्यमान एक सापेक्ष राशि है।

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1 amu = \(\frac{1}{12}\) × C – 2 परमाणु का द्रव्यमान = 1.66 × 10-24 g = 1.66 × 10-27 kg

प्रश्न 17.
STP पर गैसों के मोलर आयतन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
मानक तापमान एवं दबाव पर गैसों का मोलर आयतन (Molar Volume of Gases at S.T.P.) : एवोगैड्डो के नियमानुसार समान तापमान एवं दबाव पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है। इसके विपरीत सभी गैसों के समान अणुओं का आयतन समान दबाव और समान तापक्रम पर बराबर होता है। किसी भी पदार्थ के एक मोल में अणुओं की संख्या 6.022 × 1023 होती है। अत: S.T.P. पर सभी गैसो के एक मोल का आयतन भी एक समान होगा।
S.T.P. पर किसी भी गैस के एक मोल का आयतन 22.4 लीटर होता है, इस आयतन को 22.4 लीटर होता है, इस आयतन को S.T.P. मोलर आयतन (S.T.P. Molar Volume) कहते हैं।
S.T.P. पर गैसों के मोलर आयतन का मान दबाव स्थिर रखते हुए तापमान बढ़ाने पर बढ़ता है तथा तापमान स्थिर रखते हुए दबाव बढ़ाने पर आयतन घटता है।

उदाहरण के लिए, ऑक्सीजन के एक मोल (32gram) या नाइट्रोज़न के एक मोल (= 28 gram) या CO2 के एक मोल (= 44 gram) का आयतन S.T.P. पर 22.4 लीटर होता है।.

प्रश्न 18.
उदासीनीकरण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं ? इसे दो उदाहरण के द्वारा समझायें।
उत्तर :
उदासीनीकरण (Neutralisation) : जिस रासायनिक प्रतिक्रिया में अम्ल तथा क्षार परस्पर प्रतिक्रिया करके अपने-अपने गुणों को त्याग कर लवण तथा जल उत्पन्न करते हैं, उसे उदासीनीकरण (Neutralisation) कहते हैं।

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इस क्रिया में अम्ल तथा क्षार क्रमश: अम्लीय तथा क्षारीय गुणों को त्याग कर उदासीन (Neutral) हो जाते हैं।

प्रश्न 19.
‘जल ही जीवन है’-क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
जल की व्यापकता तथा प्रचुरता के कारण यह सभी जीवधारियों के लिए अति आवश्यक पदार्थ है। यह मुक्त अवस्था में पृथ्वी के 75 % भागों में पाया जाता है। इसकी अनुपस्थिति में पृथ्वी के सभी जीव-जन्तु, पेड़-पौधे तथा मनुष्य जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। अत: जल ही जीवन है।

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प्रश्न 20.
जल के कौन से भौतिक गुण जीवन की उत्पत्ति एवं रख-रखाव को प्रभावित करते हैं ?
उत्तर :
जल की भूमिका (Role of Water) :
जल की विशिष्ट उष्मा उच्चतम होती है। इसी कारण से स्वचालित वाहनों के रेडिएटरों में शीतलता के लिए जल का प्रयोग किया जाता है। सेकने के लिए Water bottle में जल को तापक (heater) के रूप में व्यवहार किया जाता है।
जल की उच्च वाष्पन उष्मा तथा उच्च उष्मा धारिता ही जीवों के शरीर तथा जलवायु के ताप को सामान्य बनाए रखते हैं। वनस्पतियों तथा प्राणियों के Matabolism (उपापचय) में जल एक उत्तम घोलक का कार्य करता है।
जल ठोस में बदलता है तो उसका आयतन बढ़ता है क्योकि जल के हाइड्रोजन अणु कठोरता से एक दूसरे के साथ होते हैं, जिसके कारण इनके अणु को तोड़ने के लिए बहुत अधिक ताप शक्ति की आवश्यकता होती है। इसीलिए जल का क्वथनांक तथा गलनांक अधिक होता है।
जल में Capillary action (केशिकाएँ प्रभाव) के कारण ही पौधे के पतले-पतले मूल रोम (Root hair) मिट्टी के कणों से जल का अवशोषण कर लेते हैं। Cappilary action के कारण ही Paint करनेवाले ब्रश के Hair में रंग उठ जाता है तथा पतली नली में गुरुत्व बल के विरुद्ध में भी जल भर जाता है।

प्रश्न 21.
किसी घोल में घोलक तथा घुलित का निर्णय कैसे करते हैं ? उदाहरण सहित समझाओ।
उत्तर :
घोल के जिस उपादान की मात्रा अपेक्षाकृत कम हो एवं जो किसी अन्य पदार्थ (ठोस, द्रव या गैस) में घुल कर समांग मिश्रण बनाए उसे घुलित (Solute) कहते हैं। जैसे – चीनी, नमक, तूतिया, शोरा आदि जल में घुल जाता है। अत: चीनी, नमक, तूतिया, शोरा आदि को घुलित (Solute) कहेंगे।
घोल में जिस उपादान की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक हो एवं उसकी भौतिक अवस्था के समान घोल की भौतिक अवस्था हो तो उसे घोलक (Solvent) कहते हैं।

साधारणत: किसी घोल में घोलक द्रव रूप में होता है और घुलित ठोस रूप में किन्तु घोलक का सदैव द्रव अवस्था में होना आवश्यक नहीं है। यदि किसी घोल में घुलित तथा घोलक की भौतिक अवस्था समान हो तो उन दोनों में जिसकी मात्रा अधिक होगी वह घोलक के रूप में माना जाता है।
घोल, घोलक तथा घुलित से बना होता है। घोल सदा द्रव रूप में नहीं होता। यह घोलक तथा घुलित की अवस्था पर निर्भर करता है। जिसकी मात्रा अधिक होगी वही घोल की अवस्था होगी।

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प्रश्न 22.
परमाणु के अन्दर में कण कहाँ एवं कैसे स्थित होते हैं तथा इनपर कौन सा आवेश होता है ?
उत्तर :
परमाणु के मौलिक कण के नाम (i) इलेक्ट्रॉन, (ii) प्रोटॉन, (iii) न्यूट्रॉन।

इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान एवं आवेश (Mass and charge of Electron):
द्रव्यमान (Mass) : एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1 × 10-28 ग्राम (लगभग) 9.1 × 10-31 kg होता है। एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान (Mass) एक हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का लगभग \(\frac{1}{1838}\) होता है।

आवेश (Charge) : प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर 1.602 × 10-19 कूलम्ब ऋण आवेश रहता है। सबसे हल्का और सबसे कम आवेग वाला कण इलेक्ट्रॉन ही है। अत: इलेक्ट्रॉन के ॠण आवेश को ही विद्युत आवेश की न्यूनतम इकाई मानी गयी है।
अत: इलेक्ट्रॉन एक ऐसा कण है, जिसका द्रव्यमान लगभग शून्य होता है तथा जिस पर इकाई ऋण-आवेश (Negative charge) रहता है।
प्रोटॉन का द्रव्यमान एवं आवेश (Mass and charge of Proton) : किसी एक प्रोटॉन का द्रव्यमान (Mass of Proton) हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है। यह मान 1.00753 amu = 1.6726 × 10-24 ग्राम = 1.6726 × 1-27 किलोग्राम होता है।

प्रोटॉन का आवेश : प्रोटॉन एक धन-आवेशयुक्त कण है। इसका आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर, किन्तु विपरीत आवेश वाला होता है.। इसके आवेश का परिमाण 1.602 × 10-19 कूलॉम होता है। इस इकाई को इकाई धन आवेश (Unit positive charge) कहते हैं।

न्यूट्रॉन का द्रव्यमान एवं आवेश (Mass and charge of Neutron)
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान : न्यूट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है। न्यूट्रॉन का द्रंव्यमान = 1.008 amu = 1.67493 × 10-24 ग्राम या 1.67493 × 1-27 किलोग्राम होता है।

प्रश्न 23.
चार्ट बनाकर इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन की प्रकृति, स्थिति, मात्रा, आवेश की मात्रा, त्रिज्या का विवरण दें।
उत्तर :
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प्रश्न 24.
निम्न का परिचय देते हुए उनका उपयोग लिखें – (a) क्लोरोफार्म (b) एसीटोन (c) मिथाइल अल्कोहल।
उत्तर :
(a) क्लोरोफार्म : इसका दूसरा नाम ट्राई क्लोरो मिथेन है। इसका सूत्र CHCl3 है। यह जल से भारी है तथा जल में नहीं घुलते हैं।
उपयोग : (i) यह कार्बनिक घोल में घुलनशील है। (ii) इसका उपयोग शल्य चिकित्सा में रोगी को बेहोश करने में किया जाता है।
(b) एसीटोन : इसका दूसरा नाम डाई मिथाइल किटोन है तथा इसकां सूत्र CH3 COCH3 है। यह एक रंगहीन द्रव है। उपयोग : (i) इसका उपयोग क्लोरोफार्म के उत्यादन में होता है। (ii) रेजिन, प्लास्टिक, एसीटिलिन इसमें घुल जाते हैं।
(c) मिथाइल अल्कोहल : इसका दूसरा नाम मेथेनाल है तथा इसका सूत्र CH3 OH है। यह एक रंगहीन द्रव है।
उपयोग : (i) इसका उपयोग वार्निश तथा पालिश में घोलक के रूप में प्रयोग किया जाता है। (ii) इसका उपयोग मोटरगाड़ी के ईंधन के रूप में होता है।

प्रश्न 25.
जल की स्थायी अशुद्धि दूर करने की एक विधि का सचित्र वर्णन करें। सान्द्र व तनु अम्ल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
जल की स्थायी कठोरता को lon-exchange resins process का प्रयोग किया जाता है। रेजिन दो प्रकार के होते हैं।
(i) धनायन विनिमय रोजिन में अघुलनशील अम्लीय कार्बनिक रेजिन का दाना तथा -SO3 H या – COOH का बहुलक अणु होता है।
(ii) ॠणायन विनिमय रेजिन में Amines से प्राप्त क्षारीय वर्ग का कार्बनिक बहुलक अणु होता-है।

जल को सबसे पहले Cation Exchanger रेजिन से भरे स्तम्भ में प्रवाहित करके कठोर जल में उपस्थित Ca+, Na+, Mg+आदि धनायनों का रेजिन के H+में विनिमय हो जाता है।
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धनायन विनिमय रेजिन में से प्रवाहित करने के बाद जल को ऋणायन विनिमय रेजिन से भरे स्तम्भ से प्रवाहित करने पर जल उपस्थित \(\mathrm{Cl}^{-1}, \mathrm{SO}_4^{-2}, \mathrm{NO}_3^{-1}\) ॠण्यायनों का रेजिन के OHआयनों से विनिमय हो जाता है।

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H+, OHद्वारा उदासीन कर देता है तथा H2 O बनाते हैं।
H+ + OH + = H2 O

इस विधि द्वारा आसुत जल या मृदुजल प्राप्त होता है जो प्रयोगशाला में व्यवहार किया जाता है। प्रथम टैंक की रेजिन को पुन: काम में लाने के लिए सान्द्र HCl से अभिक्रिया कराते हैं।

(RCOO) 2 Ca + 2 HCl → CaCl2 + 2 RCOOH

इसी प्रकार दूसरे टैंक की रेजिन को पुन: काम में लाने के लिए सोडियम हाइड्राक्साइड से अभिक्रिया कराते हैं।

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सान्द्र अम्ल : जिस अम्ल में सतृप्त करने योग्य जंल मौजूद रहता है उस अम्ल को सान्द्र अम्ल कहते हैं।
तनु अम्ल : जिस अम्ल में संतृप्त करने योग्य जल की मात्रा से अधिक जल मौजूद रहता है उसे तनु अम्ल कहते हैं। सान्द्र अम्ल तनु अम्ल से ज्यादा सक्रिय होता है।

प्रश्न 26.
निम्न में इलेक्ट्रॉन, प्रोट्रॉन व न्यूटॉन की संख्या ज्ञात करें :
\({ }_{11} \mathrm{Na}^{+}, 19^{\mathrm{K}^{+}}, 20^{\mathrm{Ca}^{++}}, 12^{\mathrm{Mg}^{+}}\)
उत्तर :
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प्रश्न 27.
रदरफोर्ड का α-कण के प्रयोग को लिखो।
उत्तर :
रदरफोर्ड का α-कण का प्रयोग (Rutherford’s alpha Particle experiment) :
प्रयोग : रदरफोर्ड ने सन् 1911 ई० में एक वायु शुन्य नली में सोने की पतली पत्तर (लगभग 0.0004 ~mm} मोटाई वाले) पर α किरणों का आघात करने पर α किरणों के गमन पथ का सूक्ष्म निरीक्षण करने पर पाया कि :

  • α-कणों का अधिकांश सूक्ष्म धनावेशित भाग बिना विक्षेपित हुए सोने की पत्तर का भेद कर सरल रेखीय पथ से बाहर निकल जाता है।
  • कुछ α-कण 90° या उससे अधिक कोण में विक्षेपित होते हैं।
  • बहुत कम संख्या में (लगभग 20,000 में से एक कण) α-कण जिस पथ से आते हैं, उसी पथ पर 180° पर मुड़ जाते हैं।

निष्कर्ष : (i) परमाणु के अन्दर अधिकांश भाग खाली (Empty) होता है।
क्योंकि सोने की पत्तर परमाणुओं का बना होता है। यदि परमाणु के अन्दर खाली स्थान नहीं होते तो α-कण परमाणुओं से टकराकर अपने मूल पथ से विचलित हो जाते। लेकिन ऐसा न होकर अधिकांश α-कण बिना विचलित हुए पत्तर को पार करके सीधा निकल जाते हैं। अत: परमाणुओं के अन्दर अधिकांश खाली स्थान होता है।

(ii) कुछ ही धनावेशित α-कण विक्षेपित होते हैं।
क्योंकि यह विक्षेपण अवश्य ही अत्यधिक प्रतिकर्षण बल (Repulsive force) के कारण होगा। परमाणु के अन्दर धनावेश समान रूप से बँटा हुआ नहीं है। धनावेश बहुत कम आयतन के अन्दर संकेन्द्रित होगा, जिससे धनावेशित अल्फा कणों का प्रतिकर्षण और विक्षेपण हुआ है।
ऊंपर दिये गये परिणामों के आधार पर रदरफोर्ड ने परमाणु का केन्द्रक (Nucleus) मॉडल प्रस्तुत किया जो निम्न है :

(i) परमाणु का धनावेश तथा अधिकांश मात्रा एक अति अल्प क्षेत्र में केन्द्रित होती है। इस क्षेत्र को परमाणु का रदरफोर्ड ने केन्द्रक (Nucleus) कहा 1

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(ii) परमाणु की सम्मूर्ण मात्रा तथा सम्पूर्ण धन आवेश केन्द्रक में केन्द्रित होता है इसलिए केन्द्रक पर धन आवेश पाया जाता है।
(iii) परमाणु ठोस नहीं होते हैं क्योंकि परमाणु के भीतर अधिकांश भाग रिक्त होता है। क्योंकि केन्द्रक का अर्द्धव्यास 10-13 से॰मी॰ तथा सम्पूर्ण परमाणु के अर्द्धव्यास 10-8 से॰मी॰ होता है। अर्थात् केन्द्रक का अर्द्धव्यास, परमाणु के अर्द्धव्यास का \(\frac{1}{100000}\) भोग होता है। यदि केन्द्रक को क्रिकेट की गेंद जितना माना जाए तो परमाणु का अर्द्धव्यास लगभग 5 किलोमीटर होगी।
(iv) इन्हीं कारणों से केन्द्रक का आयतन परमाणु के कुल आयतन की तुलना में नगण्य होता है।
(v) परमाणु उदासीन होता है। इसका कारण यह है कि केन्द्रक के धन आवेश को संतुलित करने के लिए इसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार पथ में अनवरत परिक्रमा करते रहते हैं।
(vi) केन्द्रक तथा इलेक्ट्रॉन के बीच अपकेन्द्र बल (Centrifugal force) उत्पन्न होता है, वह इलेक्ट्रॉन को बाहर की ओर खींचकर केन्द्रक से दूर रखने का चेष्टा करता है, किन्तु धन आवेश युक्त केन्द्रक स्थिर-विद्युत बल के द्वारा विपरीत आवेश (ऋण आवेश) वाले इलेक्ट्रॉन को अपनी ओर आकृष्ट करता है जिसे अभिकेन्द्र बल (Centripetal force) कहते हैं।
इन्हीं दोनों विपरीतमुखी बल के कारण इलेक्ट्रॉन केन्द्रक के चारों तरफ एक निश्धित कक्ष (orbit) में परिभ्रमण करते रहते हैं।

प्रश्न 28.
कोई घोल संतृप्त है, असंतृप्त या अति संतृप्त है, इसकी पहचान कैसे करेंगे ?
उत्तर :
किसी निध्वित तापक्रम पर जब किसी घोलक में घुलित की अधिकतम मात्रा घुली हो और उस घोलक में और अधिक घुलित घुलने की क्षमता न हो तो उस विशेष तापक्रम पर उस घोल को संतृप्त घोल (Saturated solution) कहा जाता है।
साधारण तापक्रम पर एक बीकर में कुछ जल लेकर थोड़ा-थोड़ा साधारण नमक मिलाते हैं तथा काँच की छड़ से मिश्रण को हिलाते रहते हैं। साधारण नमक मिलाने की क्रिया तब तक करते हैं जब तक साधारण नमक जल में घुलता रहे। कुछ समय के पश्वात् हम देखते हैं कि साधारण नमक बीकर की पेंदी में अघुलित के रूप में बैठ जाता है अर्थात् उस जल में और अधिक साधारण नमक घोलने की क्षमता नहीं है। अब इस घोल को फिल्टर पेपर से छान लेते हैं। छानने के पश्वात् जो घोल प्राप्त होता है उस तापक्रम पर साधारण नमक के संतृप्त घोल होता है।
इस संतृप्त घोल का तापक्रम बढ़ाने से तथा घोलक के परिमाण को बढ़ाने से घोल को असंतृप्त घोल में बदला जा सकता है। किसी निथित तापक्रम पर वह घोल जिसमें घुलित की मात्रा संतुप्त करने वाली मात्रा से अधिक घुली हो तो वह घोल अतिसंतृप्त घोल कहलाता है।

प्रश्न 29.
बोर परमाणु संरचना क्या है ?
उत्तर :
बोर मॉडल के अनुसार (According to Bohr’s model) :
इलेक्ट्रॉन जिस किसी अर्द्धव्यास वाले वृत्ताकार कक्ष में परिभमण नहीं करता है। इलेक्ट्रॉन केवल निश्चित अर्द्धव्यास वाले वृत्ताकार कक्षों में ही परिभ्रमण कर सकते हैं। यह कक्ष स्थायी होते हैं।
प्रत्येक कक्ष की ऊर्ज़ा निर्दिष्ट होती है। जिसे कक्ष का ऊर्जा स्तर (Energy level) कहते हैं। इसलिए परिभ्रमण के समय इलेक्ट्रॉन में से ऊर्जा का विकिरण नहीं होता है। जिसके कारण इलेक्ट्रॉन को केन्द्रक में गिररे की सम्भावना नहीं रहती है।
जब कोई इलेक्ट्रॉन बाहर कक्ष से अन्दर के कक्ष में जाता है तब इस इलेक्ट्रॉन से तरंग के रूप में एक निश्चित परिमाण की ऊर्जा बाहर निकलती है और अन्दर वाले कक्ष से कोई इलेक्ट्रॉन बाहर वाले कक्ष में जाता है तो वहाँ ऊर्जा का शोषण होता है। यहाँ ऊर्जा का निकलना तथा ऊर्जा का शोषण होना बराबर होता है। अत: केन्द्रक के निकट कक्ष की ऊर्जा कम होती है तथा दूर स्थित कक्ष की ऊर्जा का स्तर अधिक होता है।
इसमें कक्षों की संख्या सात होती है, जो क्रमश: K, L, M,N …. आदि अक्षरों द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

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प्रश्न 30.
घुलनशीलता किसे कहते हैं ?
उत्तर :
घुलनशीलता या विलेयता (Solubility) : किसी निध्वित तापक्रम और दाब पर 100 ग्राम घोलक में घुलने वाली घुलित की अधिकतम मात्रा को उस घुलित पदार्थ की उस घोलक में घुलनशीलता (Solubility) कहलाता है।
माना कि t° C तापक्रम पर W ग्राम जल में किसी घुलित पदार्थ के अधिक से अधिक w ग्राम घुले हुए हैं तो उस तापक्रम पर उस घुलित की जल में घुलनशीलता होगी।
घुलनशीलता = \(\frac{w \times 100}{w}\) होगी।

प्रश्न 31.
सोल तथा जेल कोलायडल क्या हैं ? उदाहरण सहित बतायें।
उत्तर :
सोल (Sols) : वे कोलाइडल जिसमें ठोस कण द्रव में परिक्षेपित (Dispersed) होते हैं। उसे सोल (sols) कहते हैं। जैसे – कोशिका का तरल, पेन्ट इत्यादि।
जेल (Gels) : वे कोलाइडल जिसमें ठोस कण द्रव में परिक्षेपित (Dispersed) होते हैं लेकिन उसमें प्रवाह (Flow) नहीं होता है, इसलिए कि वे जम जाते हैं। जैसे – जेली तथा जिलेटिन।

प्रश्न 32.
मोलरता किसे कहते हैं ?
उत्तर :
1 लीटर घोलक में घुले हुए घुलित के मोलों की संख्या को उस घोल की मोलरता (Molarity) (M) कहते हैं।

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प्रश्न 33.
अजलीय घोलक किसे कहते हैं ?
उत्तर :
अजलीय घोलक (Non-aqueous solvent) : जल के अतिरिक्त अन्य घोलक जो कुछ्छ पदार्थों को ही घोल पाता है उसे अजलीय घोलक (Non-aqueous solvent) कहलाता है। जैसे – इथाइल अल्कोहल, मिथाइल अल्कोहल, एसीटोन, क्लोरोफार्म तथा केरोसिन इत्यादि।

प्रश्न 34.
आरहेनियस के अनुसार अम्ल की परिभाषा दें।
उत्तर :
आरहेनियस के अनुसार अम्ल की परिभाषा : वे हाइड्रोजन युक्त यौगिक जिनका जलीय घोल का विद्युत विच्छेदन करने पर धनायन (cation) के रूप में केवल H+ आयन प्राप्त होता है, उन्हें अम्ल (acid) कहते हैं। जैसे –

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प्रश्न 35.
आरहेनियस के अनुसार भस्म की परिभाषा उदाहरण सहित दें।
उत्तर :
आरहेनियस के अनुसार भस्म की परिभाषा : जिन योगिकों के जलीय घोल आयनित (lonised) होकर हाइड्राक्साइड (OH) आयन उत्पन्न करते हैं और OHके अलावा अन्य कोई ॠणायन (anion) उत्पत्र नहीं करते हैं उन्हें भस्म (Base) कहते हैं। जैसे –

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प्रश्न 36.
सोडियम हाइड्राक्साइड का औद्योगिक क्षेत्र में क्या उपयोग है ?
उत्तर :
सोडियम हाइड्राक्साइड (NaOH) : सोडियम हाइड्राक्साइड का उपयोग औद्योगिक क्षेत्र में निम्न हैं –

  1. साबुन तथा डिटर्जेण्ट बनाने में।
  2. कृत्रिम रेयॉन का सूता बनाने में।
  3. अखबार और पेपर उद्योग में।
  4. बाक्साइड अयस्क का शुद्धीकरण करके अल्यूमिनियम धातु निकालने में।
  5. तेलशोधन में, रंग तथा ब्लीचिंग करने में।

प्रश्न 37.
सल्फ्यूरिक अम्ल की पहचान की रासायनिक प्रतिक्रिया क्या है ?
उत्तर :
सल्फ्यूरिक अम्ल की पहचान (Identification of H2 SO4) : एक परखनली में स्वच्छ बेरियम क्लोराइड (BaCl2) का स्वच्छ घोल बनाकर उसमें कुछ बूँद सान्द्र या तनु सल्फ्यूरिक अम्ल को डालते हैं तो इस परख नली में सफेद अपक्षय प्राप्त होता है। जो सान्द्र HCl या HNO3 में अघुलनशील होता है। लेकिन BaCl2 का HCl या HNO3 के साथ कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है। अत: यह अम्ल H2 SO4 है।

BaCl2 + H2 SO4 = BaSO4 ↓ + 2 HCl

प्रश्न 38.
मत्स्य पालन पर अम्ल वर्षा का प्रभाव क्या पड़ता है ?
उत्तर :
मत्स्य पालन में (Pisciculture) : जिस तरह मनुष्य के शरीर का pH 7 से 7.8 के बीच रहने पर वह सही ढंग से कार्य करता है उसी प्रकार जलीय प्राणी (मछली) के लिए भी झील तथा नदियों का pH इसी श्रेणी में रहना चाहिए। लेकिन अम्ल वर्षा (Acid rain) के कारण झील तथा तालाबों का जल का pH 5.6 हो जाता है जिससे जलीय प्राणी का बचना कठिन हो जाता है और यह अम्लीय जल जलीय प्राणी (मछली) को मार देता है। अत: अम्लीय जल को उदासीन करने के लिए जल में बीच-बीच में कैल्सियम कार्बेनेट का छिड़काव करते रहना चाहिए जो मछली को मरने से बचाता है।

मछली पालन में भी उस तालाब में बीच-बीच में कैल्सियम आक्साइड (Calcium oxide) का छिड़काव किया जाता है जिससे छोटी-छोटी मछलियों को कोई रोग न हो जाय।

प्रश्न 39.
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल क्या है तथा इस मॉडल की त्रुटियाँ क्या हैं ?
उत्तर :
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल (Rutherford’s model of an atom) : रदरफोर्ड ने अपने प्रयोगों के आधार पर जो निष्कर्ष निकाला उसके अनुसार, परमाणु का केन्द्र धनावेशित होता है जिसे नाभिक (nucleus) कहा जाता है। अपने निष्कर्षो के आधार पर रदरफोर्ड ने परमाणु का नाभिकीय मॉडल प्रस्तुत किया। इसके अनुसार,

  1. परमाणु का संपूर्ण द्रव्यान उसके नाभिक में स्थित होता है।
  2. परमाणु के अन्दर अधिकांश स्थान रिक्त (empty) होता है।
  3. परमाणु में ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉनों और धन आवोशित प्रोटॉनों की संख्याएँ समान होने के कारण परमाणु विद्युत: उदासीन (electrically neutral) होता है।
  4. नाभिक का आयतन परमाणु के आयतन की तुलना में काफी कम (नगण्य) होता है।
  5. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्तीय पथों पर चक्कर लगाते हैं। इन वृत्तीय पथों को कक्षाएँ (Orbit) कहते हैं। इलेक्ट्रॉन के वेग से उत्पन्न अपकेन्द्री बल (centrifugal force) नाभिक और इलेक्ट्रॉन के बीच लगे आकर्षण बल (centripetal force) को संतुलित करता है।

रदरफोर्ड परमाणु मॉडल के दोष (Limitations of Rutherford’s model of an atom) : रदरफोर्ड परमाणु मॉडल के निम्नलिखित दोष हैं –
रदरफोर्ड के अनुसार, इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाया करते हैं, युक्तिसंगत नहीं लगता, व्योंकि इस प्रकार का परमाणु कभी स्थायी नहीं हो सकता। विद्युत-चुंबकीय सिद्धांत के अनुसार चक्कर लगाने वाले ऋण-आवेशित इलेक्ट्रॉन से लगातार ऊर्जा का हास होता रहेगा और नाभिक के आकर्षण बल के कारण यह नाभिक मे गिर जाएगा और परमाणु का विनाश हो जाएगा। लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि परमाणु स्थायी है।
रदरफोर्ड मॉडल की कक्षाओं में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या निश्चित नहीं की गई थी।

प्रश्न 40.
नगरों में वितरित होनेवाले पेय जल के शुद्धीकरण की विधियों का वर्णन करो।
उत्तर :
नदियों, कुओं तथा नलकूपों से प्राप्त जल को उबाल कर शुद्ध करके नगरों में पेयजल का वितरण करना सम्भव नहीं है। उसे निम्नलिखित जलशोधन प्रक्रिया द्वारा शुद्ध करके नगरों में वितरण किया जाता है।
जो निम्नलिखित है :
(a) एकत्रीकरण : नगर को पेय जल उपलब्ध कराने होते जल का शोधन करने के लिए सर्वप्रथम नदी में से पम्प द्वारा जल खींचकर टैंकों में एकत्रित किया जाता है जिसे निलम्बित (suspension) अशुद्धिया टैंकों के पेंदे में बैठ जाती हैं। इस टैंक को अवसादन टैंक कहते हैं। कोलायड (Colloid) अशुद्धियों का अवक्षेपण करने के लिए जल में थोड़ी फिटकरी भी डाली जाती है जिससे अशुद्धियाँ जमा हो जाती हैं।
(b) छानना : अवसादन टैंकों से अशुद्ध जल फिल्टर टैंकों में डाला जाता है। फिल्टर में नीचे से ऊपर की ओर क्रमश: ककड़, ईंट, रेत तथा लकड़ी के कोयले की मोटी परत बिछि होती है। अशुद्धियों के सूक्ष्म कण इन परतों में रह जाते है तथा शुद्ध जल छनकर नीचे निकल जाता है।
(c) जल का जीवाणुनाशक (Sterilization) : अब जल में उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट करना भी आवश्यक होता है। इसके लिए निम्न विधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं।

क्लोरोनीकरण : क्लोरीन जीवाणुनाशक पदार्थ है। जल में जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए द्रव क्लोरीन या विरंजक चूर्ण (CaOCl2) की उचित मात्रा प्रयोग में लायी जाती है।
ओजोनीकरण : ओजोन (O3) भी जीवाणुनाशक है । जल में ओजोन गैस प्रवाहित की जाती है जिससे जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। जल को एक स्तम्भ में ऊपर से डाला जाता है, स्तम्भ में कोक के टुकड़े भरे होते हैं। नीचे से ओजोन गैस प्रवाहित की जाती है। जल की धारा ओजोन से मिलती है जिसमें जल के जीवाणु नष्ट हो जाते है।
पराबैंगनी किरणों से (U.V. Method) : पराबैंगनी किरणें भी जीवाणु नष्ट करने का उपयुक्त साधन हैं। इन किरणों को मरकरी लैम्प से प्राप्त करके जल की धारा पर प्रवाहित किया जाता है। इससे बहुत ही कम समय में जीवाणुओं का नाश हो जाता है तथा जल में कोई अन्य गन्थ या स्वाद भी नहीं उत्पत्र होता है।
वायु प्रवाह द्वारा : जल को वायु में फव्वारों के रूप में उछाला जाता हैं जिसमें सूर्य की पैराबैंगनी किरणें प्रभावित होती हैं तथा जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

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प्रश्न 41.
समांग एवं विषमांग मिश्रण की परिभाषा देते हुए दोनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
समांग पदार्थ : यह दो या दो से अधिक पदार्थों का समांग मिश्रण है। इसके कणों का आकार 10-8 ~cm} होता है जो परिक्षेपण माध्यम में इस प्रकार घुल जाता है कि उनका विभेद करना कठिन हो जाता है। यह छन्न पत्र से पार हो जाते हैं। यह स्थायी तथा पारदर्शक होते हैं। जैसे नमक पानी का घोल, चीनी पानी का घोल।
विषमांग पदार्थ : यह दो या से अधिक पदार्थों का विषमांग मिश्रण है। इसका आकार Colliode से बड़ा 10-5 cm इससे अधिक होता है। यह छन्ना पत्र के आर-पार नहीं जा सकता है। इसे खुली आँखों से देख सकते हैं। यह अस्थायो होता है। इसे परिक्षेपण माध्यम से अलग किया जा सकता है। जैसे – नदी का गंदा जल, वायु में धुआँ आदि।.

प्रश्न 42.
आयन विनिमय रेजिन विधि द्वारा जल की कठोरता को कैसे दूर किया जा सकता है ?
उत्तर :
lon Exchange resins process : आजकल प्रयोगशालाओं तथा उद्योगों में, अस्थाई तथा स्थायी भारीपन दोनों तरह के भारी जल को lon Exchange resins द्वारा मुदु जल बनाया जाता है। जल में उपस्थित ion या Mineral को बहुत उच्च अणुभार, जल में अघुलनशील तथा कार्बनिक बहुलक (Polymer) पदार्थ आयन विनिमय रेजिन हटा दिया जाता है। रेजिन दो प्रकार का होता है।
(i) धनायन विनिमय रेजिन में अघुलनशील अम्लीय कार्बनिक रेजिन का दाना तथा -SO3 H या – COOH का बहुलक अणु होता है।
(ii) ऋणायन विनिमय रेजिन में Amines से प्राप्त क्षारीय वर्ग का कार्बनिक बहुलक अणु होता है।

जल को सबसे पहले Cation Exchanger रेजिन से भरे स्तम्भ में प्रवाहित करके कठोर जल में उपस्थित Ca+, Na+, Mg}+आदि धनायनों का रेजिन के H+में विनिमय हो जाता है।

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धनायन विनिमय रेजिन में से प्रवाहित करने के बाद जल को ऋणायन विनिमय रेजिन से भरे स्तम्भ से प्रवाहित करने पर जल उपस्थित Cl-1, \(\mathrm{NO}_3\), \(\mathrm{NO}_3^{-1}\) ॠणायनों का रेजिन के OH आयनों से विनिमय हो जाता है।

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H+, OH द्वारा उदासीन कर देता हैं तथा H2 O बनाते हैं।
H+ + OH = H2 O

इस विधि द्वारा आसुत जल या मृदुजल प्राप्त होता है जो प्रयोगशाला में व्यवहार किया जाता है।-
प्रथम टैंक की रेजिन को पुन: काम में लाने के लिए सान्द्र HCl से अभिक्रिया कराते हैं।

(RCOO)2 Ca + 2 HCl → CaCl2 + 2 RCOOH

इसी प्रकार दूसरे टैंक की रेजिन को पुन: काम में लाने के लिए सोडियम हाइड्राक्साइड से अभिक्रिया कराते हैं।

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प्रश्न 43.
बोर के परमाणु मॉडल के मुख्य तथ्य लिखो।
उत्तर :
बोर परमाणु मॉडल (Bohr’s atomic model) : रदरफोर्ड मॉडल के दोषों को दूर करने के लिए नील बोर ने सन् 1913 में परमाणु की संरचना के संबंध में संशोधित सिद्धांत प्रस्तुत किया जिसे बोर का परमाणु मॉडल कहा जाता है। इसके अनुसार –
(i) परमाणु में इलेक्ट्रान केवल निश्चित अर्द्धव्यास वाले वृत्ताकार कक्षों में ही परिभ्रमण कर सकते हैं। ये कक्ष स्थायी होते हैं।
(ii) प्रत्येक कक्ष की ऊर्जा निर्दिष्ट होती है, जिसे कक्ष का ऊर्जा स्तर (Energy level) कहते हैं। इसलिए परिभ्रमण के समय इलेक्ट्रान से ऊर्जा का विकिरण नहीं होता है जिसके कारण इलेक्ट्रान को केंद्रक में गिरने की संभावना नहीं रहती है।
(iii) इन कक्षाओं को ऊर्जा स्तर (Energy level) या ऊर्जा शेल (Energy shell) कहते हैं। इनमें कक्षों की संख्या सात होती है जो क्रमशः अंदर से बाहर की ओर K, L, M, N, ….. या 1, 2, 3, 4, ….. द्वारा प्रदर्शित की जाती हैं।
(iv) जब कोई इलेक्ट्रान बाहरी कक्ष से अंदर के कक्ष में जाता है, तब इस इलेक्ट्रान से तरंग के रूप में एक निश्चित परिमाण की ऊर्जा बाहर निकलती है और अंदर वाले कक्ष से कोई इलेक्ट्रान बाहरी कक्ष में जाता है तो वहाँ ऊर्जा का शोषण होता है। यहाँ ऊर्जा का उत्सर्जन तथा ऊर्जा का शोषण दोनों समान होता है। अतः केंद्रक के निकटवर्ती कक्ष की ऊर्जा कम होती है तथा दूरवर्ती कक्ष की ऊर्जा का स्तर अधिक होता है।

प्रश्न 44.
जे०जे० थामसन परमाणु मॉडल का वर्णन करो।
उत्तर :
तत्वों के परमाणु में तीन प्रकार के मौलिक कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन उपस्थित रहते हैं। केवल साधारण हाइड्रोजन के परमाणु में न्यूट्रॉन नहीं पाया जाता है। परमाणु पर कोई आवेश नहीं होता है। अत: इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की संख्या परस्पर समान होती है। परमाणु में ये तीन कण किस रूप में उपस्थित है, इसके विषय में विभिन्र वैज्ञानिकों ने समयसमय पर विभिन्न मॉडल प्रस्तुत किये।
इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन के आविष्कार के बाद 1901 ई० में जोसेफ जॉन थॉमसन (J.J. Thomson) ने परमाणु के स्वरूप के सम्बन्ध में अपनी अवधारणा को प्रस्तुत किया। इनके अनुसार, (i) परमाणु एक भारी धनाविष्ट गोला है, जिसमें धनाविष्ट कण प्रोटॉन समान रूप में वितरित रहते हैं। (ii) गोले के अन्दर इलेक्ट्रॉन इस प्रकार से समाए (Embeded) रहते हैं कि परमाणु विद्युतः उदासीन बन जाता है।

प्रश्न 45.
pH स्केल का सिद्धान्त बताइये।
उत्तर :
सन् 1909 ई० में Sorenson ने अम्ल तथा क्षार के घोल की अम्लीयता तथा क्षारीयता का ताकत (Strength) ज्ञात करने के लिए एक स्केल का निर्माण किया जिसे pH स्केल (pH Scale) कहते हैं।
pH की कोई इकाई नहीं होती है, यह एक शुद्ध संख्या है। इस स्केल में स्केल का मान 0 से 14 है।
pH, हाइड्रोजन आयन H+ की सान्द्रता का अर्थ अधिक pH से होता है।
अत: किसी घोल में हाइड्रोजन आयनों के सान्द्रता के व्युत्क्रम Logaithm को उस घर का pH कहते हैं।
pH = log \(\frac{1}{\left[\mathrm{H}^{+}\right]}\)
या pH = -log10[H+]

चूँकि उदासीन जल में हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता 10-7 M होती अत: [H+] = 10-7 M.

∴ pH = -log [H+]
= -log 10-7
= -(-7) log 10
= 7.

प्रश्न 46.
H2SO4 HCl का रासायनिक गुण लिखो।
उत्तर :
सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) का रासायनिक गुण : H2SO4 के रासायनिक गुण निम्न हैं :
क्षार के साथ H2SO4 की प्रतिक्रिया : H2 SO4 तीव अम्ल तथा द्विभास्मिक अम्ल है। इसलिए H2SO4 क्षार के साथ प्रतिक्रिया करके प्रथम अम्लीय लवण तथा बाद में भार की अधिकता में सामान्य लवण उत्पन्नकरता है।

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A कार्बोनेट से प्रतिक्रिया : H2SO4 कार्बोनेट लवणों के साथ क्रिया करके सल्फेट लवण, CO2 तथा जल उत्पत्न करता है।

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B बाई कार्बोनेट से प्रतिक्रिया : यह बाई कार्बोनेट लवणों के साथ प्रतिक्रिया करके बाइसल्फेट लवण, CO2 तथा जल उत्पन्न करता है।

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धातुओं से प्रतिक्रिया : विद्युत रासायनिक श्रेणी में रखी गयी धातुओं में हाइड्रोजन के ऊपर के सभी धातु में ठण्डे तथा तनु H2 SO4 से प्रतिक्रिया करके हाइड्रोजन उत्पत्न करता है।

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लेकिन विद्युत रासायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन के नीचे के धातु ठण्डा तथा तनु H2SO4 से कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है। यह धातु सान्द्र तथा गर्म H2SO4 से Zn Al, Sn, Fe तथा Cu आदि धातुओं को उसके सल्फाइड लवण में ऑक्सीकृत करता है तथा स्वयं अवकृत होकर SO2 गैस उत्पत्र करता है।

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सान्द्र तथा ठण्डे H2 SO4 के साथ हाइड्रोजन के नीचे वाली धातुओं में जैसे Pb, Ag, Cu, Au से प्रतिक्रिया नही करता है। HCl अम्ल का रासायनिक गुण : सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) के घोल में HCl.अम्ल मिलाने पर सफेद अवक्षेप सिल्वर क्लोराइड प्राप्त होता है। यह अवक्षेप नाइट्रिक अम्ल (HNO3) अघुलनशील होता है, लेकिन अतिरिक्त NH4 OH में घुलनशील होता है।

प्रश्न 47.
अम्ल और क्षार का उपयोग करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ?
उत्तर :
अम्ल तथा भस्म (कार) से सावधानियाँ : सान्द्र अम्ल तथा सान्द्र क्षार का प्रयोग करते हुए बहुत ही सावधानियाँ रखनी पड़ती हैं।
खनिज से प्राप्त अम्ल जैसे HCl, H2SO4 तथा HNO3 से अधिक सावधान रहना चाहिए क्योंकि यदि किसी असावधानी से हमारे शरीर पर गिर जाये तो यह त्वचा को जला देता है तथा लकड़ी पर गिर जाये तो उस पर काला धब्बा उत्पन्न कर देता है। यह तीनों अम्ल सान्द्र रूप में बहुत ही क्षयकारी होते हैं। इसका प्रभाव धातु के वस्तु तथा संगमरमर पर भी पड़ता है तथा उसे भी क्षय कर देता है। इसलिए प्रयोगशाला में अम्ल को धातु के बर्तन में न रख कर कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन में रखते हैं।

उसी प्रकार प्रबल क्षार (भस्म) (Strong bases) भी हमारी त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं जैसे सोडियम हाइड्राक्साइड। इसकी भी सान्द्र प्रकृति (गुण) क्षयकारी होती है। इसलिए खनिज अम्ल तथा सान्द्र सोडियम हाइडाक्साइड रखे बर्तन पर आकास्मिक दुर्घटना का चि्न बना होता है। सान्द्र अम्ल में जल मिलाने पर तन् अम्ल प्राप्त होता है लेकिन यह एक उष्मादायक विधि है इसलिए यहाँ भी सावधानी रखनी पड़ती है कि जल में सान्द्र अम्ल धीरे-धीरे मिलना चाहिए कभी भी सान्द्र अम्ल में जल नहीं डालना चाहिए अन्यथा दुर्घटना घट सकती है।

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प्रश्न 48.
कृषि और मछली पालन में pH मान का क्या महत्व है ?
उत्तर :
कृषि क्षेत्र (Agriculture) : कृषि भूमि का pH 7 के लगभग रहने पर पैदावार अच्छी होती है। लेकिन मिट्टी यदि अधिक अम्लीय तथा अधिक क्षारीय हो जाने दोनों ही कारण से पैदावार में कमी आ जाती है।
यदि मिट्टी अम्लीय हो जानें पर उसे उदासीन करने के लिए क्षार, जैसे चूना (Calcium oxide), बुझा चूना (Calcium Hydroxide) या चाक (Calcium Carbonate) का छिड़काव किया जाता है। यदि मिट्टी क्षारीय हो जाने पर उसे उदासीन करने के लिए अम्ल जैसे कार्बनिक खाद का प्रयोग किया जाता है जो मिट्टी की क्षारीयता को कम कर देता है। मछली पालन में (Pisciculture): जिस तरह मनुष्य के शरीर का pH 7 से 7.8 के बीच रहने पर वह सही ढंग से कार्य करता है उसी प्रकार जलीय प्राणी (मछली) के लिए भी झील तथा नदियों का pH इसी श्रेणी में रहना चाहिए। लेकिन अम्ल वर्षा (Acid rain) के कारण झील तथा तालाबों का जल का pH 5.6 हो जाता है जिससे जलीय प्राणी का बचना कठिन हो जाता है और यह अम्लीय जल जलीय प्राणी (मछली) को मार देता है। अतः अम्लीय जल को उदासीन करने के लिए जल में बीच-बीच में केल्सियम कार्बेनिट का छिड़काव करते रहना चाहिए जो मछली को मरने से बचाता है।
मछली पालन में भी उस तालाब में बीच-बीच में कैल्सियम आक्साइड (Calcium oxide) का छिड़काव किया जाता है जिससे छोटी-छोटी मछलियों को कोई रोग न हो जाय।

प्रश्न 49.
20° C पर लेड नाइट्रेट की घुलनशीलता 54.4 है। इस कथन का अर्थ क्या है ?
उत्तर :
20° C पर लेड नाइट्रेट की घुलनशीलता 54.4 है इस कथन का अर्थ है कि 20° C पर 100 gm जल में 54.4 gm लेड नाइट्रेट घुलकर संतृप्त घोल बनता है।

प्रश्न 50.
सोडियम क्लोराइड के भारानुसार 10 प्रतिशत (w/w) जलीय घोल का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
100 m / घोलक (जल) में घुल घुलित (सोडियम क्लोराइड) के द्रव्यमान को द्रव्यमान-आयतन प्रतिशत कहते हैं। यह इकाई औषधियों तथा फार्मेसी में उपयोग होता है। इसका इकाई % \(\frac{W}{V}\) होता है।

प्रश्न 51.
जल के भौतिक गुणों को लिखो।
उत्तर :
जल का भौतिक गुण (Physical Properties of water) :

  1. द्ध जल एक रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधहीन द्रव है।
  2. जल 0° C पर जम जाता है तथा 100° C पर क्वथन होता है।
  3. जल का घनत्व 4° C पर 1 gm cm3 होता है।
  4. यह विद्युत का कुचालक है।
  5. जल की विशिष्ट उष्मा सबसे अधिक होती है।

प्रश्न 52.
कैथोड किरणों के गुण लिखो।
उत्तर :
कैथोड किरणों के गुण निम्नलिखित हैं –

  1. ये सरल रेखा में गमन करती हैं।
  2. इनमें गतिज ऊर्जा होती है।
  3. इनमें ऋण आवेश होता है।
  4. ये विद्युतीय तथा चुम्बकीय क्षेत्र में विक्षेपित होती हैं।
  5. ये प्रतिदीप्ति उत्पन्न करती हैं।

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प्रश्न 53.
प्रोटॉन का आविष्कार कैसे हुआ ?
उत्तर :
चूँकि परमाणु विद्युतीय रूप से उदासीन होता है एवं इलेक्ट्रान परमाणु का एक मौलिक कण है जो ऋणावेशित होता है। अतः परमाणु में कोई धनावेशित कण अवश्य होना चाहिए। इस धनआवेश युक्त कणों के अस्तित्व का प्रमाण गोल्डस्टीन (Goldstein) ने 1886 ई० में विसर्जन नली में कैशोड के लिए किद्रयुक्त इलेक्ट्रोड का प्रयोग करके दिया। विसर्जन नली में कम दबाव पर विद्युत विसर्जन करने पर कैथोड से कैथोड किरणें निकलने के साथ ही साथ एनोड से कैथोड की ओर अदृश्य किरणें तीव्र वेग से निकलती हैं एवं कैथोड के छिद्रों से होकर सरल रेखा में बाहर निकल जाती हैं जो जिंक सल्फाइड लेप किये हुए दीवार से टकराकर हरे रंग की प्रतिदीप्ति उत्पन्न करती है।

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सन् 1907 में सर ज़ेजेे॰ थॉमसन ने इसे धनात्मक किरण (Positive rays) कहा। एनोड से निकलने के कारण इसे एनोड किरण (Anode rays) भी कहा जाता है। ये किरणे विद्युत धनात्मक क्षेत्र द्वारा विकर्षित होती हैं, किन्तु विद्युत ॠणात्मक क्षेत्र द्वारा आकर्षित होती हैं। अत: इनमें धनावेशित कण उपस्थित हैं। सन् 1920 में लॉर्ड रदरफोर्ड ने इस कण का नाम म्रोटॉन (Proton) रखा।

प्रश्न 54.
जल एक उत्तम एवं बहुआयामी घोलक है – व्याख्या करो।
उत्तर :
जल व्यापक घोलक है (Water as versatile solvent) : जल एक उत्तम घोलक है तथा इसे व्यापक घोलक कहते हैं। इसका कारण यह है कि अधिकांश पदार्थ – ठोस, तरल या गैस जल में घुलनशील हैं। वह घोल जिसमें जल घोलक हो उसे जलीय घोल (aqueous solution) कहते हैं। जल एक अकार्बनिक घोलक है। जल में सभी लवण, क्षार, अम्ल घुल जाते हैं। सभी विद्युत संयोजक यौगिक (Electrovalent compound) जल में घुलनशील होते हैं साथ ही कुछ सह संयोजक यौगिक (Co-valent compound) भी ज़ल में घुलनशील होते हैं जैसे चीनी, यूरिया, एसीटान, इथाईल अल्कोहल, मिथाईल अल्कोहल आदि।

जल के अतिरिक्त और भी घोलक है। जैसे – अल्कोहल, ईथर, बेन्जीन, क्लोरोफार्म, कार्बन-ट्रेटा-क्लोराइड आदि। लेकिन जल की व्यापकता सभी घोलक से अधिक है। अत: जल एक Versatile solvent है।

प्रश्न 55.
न्यूट्रॉन का आविष्कार कैसे हुआ ?
उत्तर :
सन् 1930 में बूथ तथा बेकर ने दिखाया कि जब हल्की धातु बेरिलियम (Be9) के ऊपर अल्फा किरणों से आघात किया जाता है तो विशेष प्रकार की अदृश्य किरणें निर्गत होती हैं जो विद्युतीय या चुम्बकीय क्षेत्र से श्रभावित नहीं होती हैं।
ये किरणें उदासीन या आवेशरहित होती हैं।

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बूथ और बेकर इसका सही नामकरण नहीं कर पाये, किन्तु लॉर्ड रदरफोर्ड के छात्र जेम्स चैडविक (James Chadwick) ने 1932 ई० में प्रयोगों के आधार पर प्रमाणित किया कि ये किरणे विद्युतीय रूप से उदासीन किरणों के समूह हैं जिनका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के समान है। उन्होंने इसका नाम न्यूट्रान (Neutron) रखा।

लीथियम, बोरॉन, इत्यादि अन्य हल्के तत्वों पर अल्फा-कणों की बमबारी करने पर न्यूट्रॉन प्राप्त होते हैं, अनेक नाभिकीय अभिक्रियाओं के अध्ययन से अब यह ज्ञात हो चुका है कि केवल साधारण हाइड्रोजन के परमाणु को छोड़कर सभी तत्वों के परमाणु में न्यूट्रॉन उपस्थित है, अर्थात् न्यूट्रॉन द्रव्य (Matter) का एक मूल कण है।

प्रश्न 56.
रदरफोर्ड के प्रयोग से क्या निष्कर्ष निकलता है ?
उत्तर :
रदरफोर्ड के प्रयोग से निष्कर्ष : विभिन्न स्थानों पर उत्पत्र चमक की जाँच से यह ज्ञात हुआ कि-

  1. अधिकतर α-कण धातु की पन्नी को पार करके एक सीधी रेखा में चले जाते हैं। चित्र में यह प्रदर्शित करता है कि परमाणु में अधिकांश स्थान रिक्त (खोखला) है।
  2. कुछ α-कण अपने मूल पथ से थोड़ा विक्षेपित (deflect) हो जाते हैं। यह प्रदर्शित करता है कि परमाणु के केंद्र में धनावेशित भाग है जो कि अति सूक्ष्म स्थान घेरे हुए हैं।
  3. बहुत कम α-कण 90° के कोण से अधिक कोण पर विक्षेपित हो पाते हैं। यह प्रदर्शित करता है कि परमाणु के केंद्र में जो अति सूक्ष्म धनावेशित भाग है वह भारी (सघन) और दृढ़ (rigid) है.।

α-कण प्रकीर्णन से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि परमाणु का कुल धनावेश और लगभग समस्त द्रव्यमान परमाणु के केंद्र में एक अति सूक्ष्म स्थान में संचित है। परमाणु के केंद्रीय भाग को, जिसमें परमाणु का कुल धनावेश और लगभग समस्त द्रव्यमान संकेंद्रित हैं, परमाणु का नाभिक (nucleus) कहते हैं।

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α-कण प्रकीर्णन प्रयोग से प्राप्त जानकारी के आधार पर रदरफोर्ड नें परमाणु संरचना के संबंध में यह विचार अकट किया कि परमाणु में भिन्न प्रकार के दो भाग है – (i) अति सूक्ष्म धनावेशित नाभिक और (ii) नाभिक के बाहर का अपेक्षाकृत विशाल क्षेत्र, जिसमें इलेक्ट्रान रहते हैं। नाभिक की त्रिज्या लगभग 10-13 से 10-12 सेमी० और इलेक्ट्रान की त्रिज्या लगभग 10-13 सेमी० होती है। परमाणु की तुलना में नाभिक बहुत सघन (dense) और दृढ़ (rigid) होता है, वयोंकि परमाणु का लगभग समस्त द्रव्यमान बहुत छोटे आयतन के नाभिक में संकेद्रित रहता है। नाभिक का आयतन परमाणु के आयतन का लगभग 10-12 भाग होता है तथा नाभिक का घनत्व परमाणु के घनत्व से लगभग 10^{12} गुना अधिक होता है।

इलेक्ट्रान परमाणु के नाभिक में नहीं रहते हैं, वे नाभिक के बाहर जो विशाल क्षेत्र है उसमें रहते हैं तथा नाभिक के चारों ओर कक्षाओं (orbits) में गतिशील रहते हैं। परमाणु में इलेक्ट्रानों की संख्या परमाणु नाभिक पर स्थित धनावेश की यूनिटों की संख्या के बराबर होती है, इसीलिए परमाणु विद्युत उदासीन होते हैं।

WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 4 पदार्थ : संरचना, पदार्थ के भौतिक तथा रासायनिक गुण

प्रश्न 57.
समस्थानिकों के उपयोग क्या हैं ?
उत्तर :
समस्थानिकों का उपयोग : किसी तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती है किन्तु केन्द्रक (Nucleus) पर उपस्थित न्यूट्रॉनों की संख्या में विभित्रता के कारण उनकी मात्रा संख्या (mass number) भिन्न-भिन्न होती है उन्हें आइसोटोप (Isotope) कहते हैं।

आइसोटोप को किसी रासायनिक विधि द्वारा पृथक नहीं किया जा सकता है क्योंकि इनका रासायनिक गुण समान होता है। आइसोटोप की खोज केवल Mass number के विभिन्नता के आधार पर की जाती है।

हिलियम के दो समस्थानिक (isotopes) होते हैं। इसके भारी परमाणु में 2 इलेक्ट्रॉन तथा केन्द्रक में 2 प्रोटॉन और 2 न्यूट्रॉन होते हैं। इसे 2 He4 द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसके हल्के परमाणु में 2 इलेक्ट्रॉन तथा केन्द्रक में 2 प्रोटॉन और 1 न्यूट्रॉन होते हैं। इसे 2 He3 द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 4 पदार्थ संरचना, पदार्थ के भौतिक तथा रासायनिक गुण 30

हिलियम के दोनों Isotopes का Atomic number -2 , Proton no, -2 तथा Electron no. -2 होती है। परन्तु Mass number क्रमश: 4 और 3 होता है। इस Isotopes में न्यूट्रान की संख्या क्रमशः (4-2) = 2 तथा (3 -2) = 1 होती है।

प्रश्न 58.
हाइड्रोजन के समस्थानिकों के केन्द्रक में क्या अंतर है ? उनके परमाणु की संरचना दिखाओ।
उत्तर :
हाइड्रोजन के समस्थानिक (Isotopes of hydrogen) : हाइड्रोजन के तीन Isotopes हैं।
(a) साधारण हाइड्रोजन (Ordinary Hydrogen) या प्रोटियम (Protium) : इसके केन्द्रक में केवल एक प्रोटॉन पाया जाता है, न्यूट्रॉन नहीं होता है। इसका atomic number 1 तथा mass number भी 1 होता है। इसे \({ }_1 H^{\prime}\) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

(b) भारी हाइड्रोजन (Heavy hydroge) या ड्यूटीरियम (Deuterium) : इसके केन्द्रक में एक प्रोटॉन तथा एक न्यूट्रॉन होता है। अत: इसका atomic number 1 तथा mass number 2 होता है। इसे, H2 द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 4 पदार्थ संरचना, पदार्थ के भौतिक तथा रासायनिक गुण 31

(c) ट्राइटियम (Tritium) : 2 इसके केन्द्रक में एक प्रोटॉन तथा दो न्यूट्रान होता है। इसका atomic number 1 तथा Mass number 3 होता है। इसे H3 द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
अतः हाइड्रोजन के तीनों Isotopes में atomic number 1 लेकिन mass number क्रमशः 1, 2 और 3 है जो भिन्न-भिन्न हैं।

प्रश्न 59.
सोडियम (11 Na23) की परमाणु संरचना बताओ। सोडियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखो एवं सोडियम की संयोजकता बताओ।
उत्तर :
इलेक्ट्रॉन की संख्या = 11
प्रोटॉन की संख्या = 11
न्यूट्रॉन की संख्या = 23 – 11 = 12
सोडियम का इलेक्ट्रानिक विन्यास 2,8,1 इसकी संयोजकता 1 है।

प्रश्न 60.
वृहत् जगत एवं सूक्ष्म जगत के बीच एवोगैड्रो संख्या एक कड़ी का कार्य करती है – कैसे ?
उत्तर :
एवोगैड्रो संख्या स्थूल दूनियाँ एवं सूक्ष्म दुनिया के बीच कड़ी का काम करता है।
6.022 × 1023 संख्या के परिमाण के बारे में कल्पना करना कठिन है। इसके बारे में कुछ जानकारी के लिए, 1 मोल सेकेण्ड उस समयावधि के 4 मिलियन (1 मिलियन = दस लाख) गुना समय को प्रदर्शित करता है जितना पृथ्वी को अपने अस्ति में आगे बीता है अर्थात् जितना अभी तक पृथ्वी की उम्र है एवं एक मोल संगमरमर के द्वारा पूरी पृथ्वी को 40 मील की गहराई तक ढंका जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ, चूँकि परमाणु इतने छोटे होते हैं कि एक मोल परमाणुओं अथवा अणुओं को रासायनिक क्रिया में प्रयोग के लिए पूर्णरूपेण प्रबंध किया जा सकता है।

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प्रश्न 61.
वायु को प्रदूषित करने वाले कौन-कौन से निलंबित पदार्थ हैं ?
उत्तर :
यदि किसी छिद्र से सूर्य का प्रकाश आता है तो उस प्रकाश में देखते हैं कि धूल के छोटे-छोटे कण उड़ते हुए दिखाई पड़ते है यही घूल कण वायु को प्रदूषित कर देता है। इन कणों का आकार निलंबन के आकार का होता है।

वायु में उड़नेवाले ठोस तथा द्रव कण जिसका आकार Colloide के समान होता है उसे Suspended particulate matter (SPM) कहते हैं।
इन्हीं Suspended particulate matter के कारण वायु प्रदूषित होता है।

ये suspended particulate पदार्थ धूलकण है, जो शहरों तथा खेतों की धूल होते हैं, राख (Fly ash), जो Thermal Power station से निकलता है, कार्बन, जो गाड़ियों से निकलता है तथा धातु के कण जो उद्योग से तथा खदान से निकलता है। ये suspended particulate वायु से मिलकर उसे मदूषित कर देता है।
इन धूलकणों से फेफड़े की बीमारी, त्वचा की बीमारी, श्वास की बीमारी तथा कैंसर आदि रोग हो जाता है।

प्रश्न 62.
तेल-जल तथा साबुन-जल से इमल्सन कैसे बनाया जा सकता है ?
उत्तर :
किरासन तेल की कुछ बूँदों को पानी के साथ एक बोतल में हिलाने पर पानी में वितरित (dispersed) तेल का पायस (emulsion) प्राप्त होता है। यह पायस अस्थाई होता है क्योंकि थोड़ी देर बाद पानी तथा तेल अलग-अलग हो जाते हैं।
इसी प्रकार एक बरतन में पानी लेकर उसमें साबुन को पानी में घोलते हैं। पानी में साबुन के वितरीत होने पर साबुन का पायस (Emulsion) प्राप्त होता है। यह पायस भी अस्थाई होता है क्योंकि कुछ समय पश्चात् साबुन बरतन की पेंदी में जमा हो जाता है और पानी उसके ऊपर अलग जमा रहता है।

प्रश्न 63.
सान्द्र HCl से भींगे हुए ग्लास छड़ को एक गैसजार में प्रवेश कराते हैं जिससे सफेद घुआँ उत्पन्न होता है। गैसजार में गैस का नाम बताओ। समीकरण दो।
उत्तर :
गैस से भरे गैस जार के अन्दर सान्द्र HCl से भींगे ग्लास छड़ को प्रवेश कराने पर जो सफेद धुआँ बनता है वह धुआँ अमोनियम क्लोराइड (NH4 Cl) का होता है। गैस जार में अमोनिया (NH3) गैस है।

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प्रश्न 64.
Na2O एक भास्मिक ऑक्साइड है, जबकि ZnO एक उभयधर्मी ऑक्साइड है-क्यों ?
उत्तर :
Na2 O एक भास्मिक ऑक्साइड है क्योंकि यह केवल अम्ल से क्रिया कर लवण तथा जल देते हैं। यह क्षार से क्रिया नहीं करता है।
Na2 O + 2 HCl = 2 NaCl + H2O
ZnO एक उभय धर्मी ऑक्साइड है जो अम्ल और क्षार प्रतिक्रिया लवण तथा जल बनाते हैं।

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प्रश्न 65.
रासायनिक समीकरण की सहायता से बताओ क्या होता है जब –
(i) सान्द्र HNO3 को ताँबे की छीलन के साथ गर्म करते हैं ?
(ii) अल्युमिनियम पावडर को सान्द्र NaOH के जलीय घोल के साथ गर्म करते हैं।
उत्तर :
(i) (क) सान्द्र HNO3 को ताँम्बे की छीलन के साथ गर्म करते हैं।
(ख) अल्युमीनियम पाउडर को सान्द्र NaOH के जलीय घोल के साथ गर्म करते हैं।
(ii) (क) सान्द्र HNO3 को ताँबे की छीलन के साथ गर्म करते हैं तो नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (NO2) भूरे रंग के साथ निकलता है।

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(ख) अल्युम्मिनियम पाउडर को सान्द्र NaOH के जलीय घोल के साथ गर्म करते हैं तो हाइड्रोजन गैस निकलती है और सोडियम अल्युमिनेट बनता है।

2 Al + NaOH + 2 H2O = 2 NaAlO2 + H2

प्रश्न 66.
गैसीय ऑक्साइडों को जल में घुलने से जल का अम्लीकरण कैसे होता है ?
उत्तर :
जल का अम्लीकरण (Acidification of water) : कल-कारखानों, बिजलीघरों तथा स्वचालित वाहनों में जीवाश्म ईंधनों (Fossil fuels), (डीजल, पेट्रोल आदि), का प्रयोग किया जाता है। इन इधनों के जलने से SO2CO2 तथा NO2 गैस उत्पन्न होती है जो वायु में मिलकर वायु को प्रदूषित कर देती है। वायु में उपस्थित जलवाष्प में SO2 ऑक्सीकृत होकर H2SO4 में CO2 ऑक्सीकृत होकर H2CO3 में तथा NO2 ऑक्सीकृत होकर HNO3 में परिवर्तित जाता है। यही अम्ल वर्षा के रूप में पृथ्वी पर आते हैं, जिसे अम्ल वर्षा (Acid rain) कहते हैं।
2 SO2 + 2 H2O = 2 H2SO4 सल्फ्यूरिक अम्ल
CO2 + H2O = H2CO3 कार्बोनिक अम्ल
3 NO2 + H2O = 2 HNO3 + NO नाइट्रिक अम्ल

प्रश्न 67.
अम्ल वर्षा के हानिकारक प्रभाव बताओ।
उत्तर :
अम्ल वर्षा का हानिकारक प्रभाव (Harmful effects of Acid Rains) :

  1. यह पेड़-पौधों की पत्तियों को क्षति पहुँचाता है तथा उसके पोषक तत्वों को निष्कासित कर देता है।
  2. नदियों, झीलों तथा तालाबों के जल को यह अम्लीय बना देता है जिससे स्वच्छ जल में रहनेवाले जीव-जन्तु प्रभावित होते है तथा उनकी आबादी काफी कम हो जाती है।
  3. यह मिट्टी में मिलकर उसे अम्लीय बना देता है जिससे मिट्टी की उर्वराशक्ति नष्ट हो जाती है।
  4. इससे बड़ी-बड़ी ऐतिहासिक इमारतो जो संगमरमर से बनी होती हैं, जैसे ताजमहल, विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता, बिड़ला तारामण्डल कोलकाता को काफी क्षति पहुँचती है।

अम्ल वर्ष संगमरमर से प्रतिक्रिया करके कैल्सियम सल्फेट बनाता है तथा CO2 गैस मुक्त करता है जिससे उसकी सुन्दरता तथा चमक नष्ट हो रही है।

CaCO3 + H2 SO4 = CaSO4 + H2O + CO2

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प्रश्न 68.
दंतक्षय, कृषि एवं मत्स्य पालन में pH का महत्व बताओ।
उत्तर :
pH का प्रभाव (Effect of pH ) : pH का प्रभाव हमारे दैनिक जीवन तथा हमारे शरीर पर पड़ता है।
दन्त क्षय (Tooth decay) : जब हम चीनी युक्त कोई पदार्थ खाते हैं, तो मुख के अन्दर का बैक्टीरिया उस चीनी को अम्ल में तोड़ देता है। यह अम्ल हमारे मुख के pH को कम कर देता है। जब मुख का pH 5.5 से नीचे होने पर यह अम्ल हमारे दन्त के मसूड़ों (Enamel) को जो कैल्शियम फॉस्फेट नामक कठोरतम पदार्थ से बना होता है, उसको भी नष्ट कर देता है।

सुरक्षा : (i) इससे बचने का सरल उपाय यह कि प्रत्येक खाने के बाद कुल्ला करें तथा मुख को अच्छी तरह से धो लें।
(ii) उत्पन्न अम्ल को उदासीन करने के लिए अच्छे Tooth Paste से बश करें, जो अम्ल को क्षार में बदल देता है।
(iii) मिठाई, चॉकलेट, आइसक्रीम इत्याद का प्रयोग कम करना चाहिए।

कृषि क्षेत्र (Agriculture) : कृषि भूमि का pH 7 के लगभग रहने पर पैदावार अच्छी होती है। लेकिन मिट्टी यदि अधिक अम्लीय या अधिक क्षारीय हो जाती है, तो इन दोनों ही कारणों से पैदावार में कमी आ जाती है।
मिट्टी की अम्लीयता सामान्य करने हेतु क्षार, जैसे चूना (Calcium oxide) बुझा चूना (Calcium Hydroxide) या चॉक (Calcium Carbonate) का छिड़काव किया जाता है। इसी प्रकार मिट्टी क्षारीय हो जाने पर उसकी क्षारीयता नियत्रित करने के लिए अम्ल, जैसे कार्बनिक खाद, का प्रयोग किया जाता है।

मत्स्य पालन में (Pisciculture) : जिस तरह मनुष्य के शरीर का pH 7 से 7.8 के बीच रहने पर वह सही ढंग से कार्य करता है, उसी प्रकार जलीय प्राणी (मछली) के लिए भी झील तथा नदियों का pH इसी श्रेणी में रहना चाहिए। लेकिन अम्ल वर्षा (Acid rain) के कारण झील तथा तालाबों के जल का pH 5.6 हो जाता है, जिससे यह जलीय प्राणी (मछली) को मार देता है। अत: अम्लीय जल को सामान्य करने के लिए जल में बीच-बीच में कैल्सियम कार्बोनेट का छिड़काव करते रहना चाहिए।
मछली पालन में भी उस तालाब में Calcium oxide का छिड़काव किया जाता है, जिससे छोटी-छोटी मंछलियों को कोई रोग न हो जाय।

आंकिक प्रश्नोत्तर (Numrical Answer Type) : 3 MARKS

प्रश्न 1.
यदि 18 ग्राम जल में अणुओं की संख्या n हो, तो 100 ग्राम CaCO3 एवं 44 ग्राम CO2 में अणुओं की संख्या कितनी होगी ?
हल : जल (H2 O) के अणुभार = 2 × 1 + 2 × 16 = 18 g
CaCO3 का अणुभार = 40 + 12 + 16 × 3 = 100 g
CO2 का अणुभार = 12 + 16 × 2 = 44 g
एवोग्गड्रो के नियमानुसार, चूँकि प्रत्येक पदार्थ के 1 मोल में अणुओं की संख्या समान होती है एवं एक मोल जल (H2O) अर्थात् 18 ग्राम जल में अणुओं की संख्या n हैं।
∴ 1 मोल CaCO3 एवं 1 मोल CO2 अर्थात् 100 ग्राम CaCO3 एवं 44 ग्राम CO2 में भी अणुओं की संख्या n होगी।
उत्तर :
अणुओं की अभीष्ट संख्या = n

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प्रश्न 2.
STP पर 8 ग्राम आक्सीजन का आयतन ज्ञात करें।
हल : ऑक्सीजन का अणुभार = 2 × 16 = 32 g
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उत्तर :
5.6 लीटर।

प्रश्न 3.
22 ग्राम कार्बन डाई आक्साइड में आक्सीजन परमाणुओं की संख्या क्या है ?
हल : 44 ग्राम CO2 में अणुओं की संख्या = 6.022 × 1023

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उत्तर :
6.022 × 1023

प्रश्न 4.
STP पर 4 ग्राम सल्फर डाई आक्साइड का आयतन क्या है ?
हल : सल्फर डाई ऑक्साइड (SO2) का अणुभार = 32 + 2 × 16 = 64 g
∵ S.T.P. पर 64 g SO2 का आयतन 22.4 लीटर है।
∴ S.T.P. 1 g का आयतन \(\frac{22.4}{64}\) लीटर
∴ S.T.P. 1 g का आयतन \(\frac{4 × 22.4}{64}\) लीटर = 1.4 ली०
उत्तर :
1.4 लीटर।

प्रश्न 5.
द्रव्यमान प्रतिशत के रूप में उस घोल के सान्द्रण की गणना करें जिसके 150 g जल में 10 g पोटैशि़यम नाइट्रेट घुला हुआ है।
हल : ग्राम प्रतिशत में घोल का सान्द्रण

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= \(\frac{10}{160}\) × 100 = 6.25 %
उत्तर :
6.25 %

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प्रश्न 6.
40 g साधारण नमक 320 ml जल में घुला हुआ है। इस घोल का सान्द्रण द्रव्यमान प्रतिशत में ज्ञात करें। हल : घोल का सान्द्र OP द्रव्यमान प्रतिशत में
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उत्तर :
12.5 %

प्रश्न 7.
मैंगनीज डाई ऑक्साइड मिश्रित 122.5 ग्राम पोटैशियम क्लोरेट गर्म करने पर N.T.P. पर कितना ग्राम पोटैशियम क्लोराइड बनेगा ? यहाँ मैंगनीज डाई ऑक्साइड की क्या भूमिका है ?
हल : 2 KclO3+[MnO2] heat = 2 KCl + 3 O2 + [MnO2]
2[39 + 35.5 + 16 × 3] = 2[39 + 35.5]
= 2 × 122.5 = 2 × 74.5
= 245 gm = 149 gm
∵ 245 gm KclO3 से N.T.P. पर 149 gm Kcl प्राप्त होता है।

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उत्तर :
यहाँ MnO2 एक धन उत्प्रेरक का काम करता है।

प्रश्न 8.
260 ग्राम K2 SO4 में कितना मोल K2 SO4 होगा ?
हल :
K2 SO4 = 39 × 2 + 32 + 16 × 4
= 78 + 32 + 64
= 174 gm
∵ 174 gm K2SO4 में 1 mole K2 SO4 है।
∴ 260 gm ” ” = \(\frac{1}{174}\) × 260 = 1.5 mole K2 SO4
उत्तर :
1.5 mole 2 SO4

प्रश्न 9.
यदि S.T.P पर 22.4 लीटर CO2 गैस में अणुओं की संख्या 6.022 × 1023 हों, तो, S.T.P पर 11.2 लीटर O2 गैस में अणुओं की संख्या कितनी होगी ?
हल :
∵ 22.4 लीटर O2 गैस में S.T.P. पर 6.022 × 1023 अणु
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उत्तर :
3.011 × 1023 अणु

प्रश्न 10.
प्रमाणित तापक्रम एवं दाबव पर 7 ग्राम नाइट्रोजन गैस का आयतन क्या होगा ?
हल :
∵ 14 gm नाइट्रोजन गैस का N.T.P. आयतन 22.4 लीटर है।
∴ 7 gm ” ” ” “= \(\frac{22.4}{14}[latex] × 7 = 11.2 लीटर
उत्तर :
11.2 लीटर

प्रश्न 11.
27° C और 750 मि० मी० पारे के दबाव पर 500 C . C HCl गैस में 1.2 × 1023 अणु उपस्थित हैं। सामान्य तापक्रम एवं दाबव पर 2.5 लीटर गैस में अणुओं की संख्या ज्ञात कीजिए।

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उत्तर :
6.6 × 1022 अणु।

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प्रश्न 12.
2.3 ग्राम सोडियम में Na परमाणुओं की संख्या कितनी है ? हल :
∵ 23 ग्राम सोडियम में 6.023 × 1023 परमाणु है।

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प्रश्न 13.
0.2 मोल H2 अणुओं का द्रव्यमान बताओ (H2 का अणु भार = 2 )
हल :
∵ 1 मोल H2 अणुओं को द्रव्यमान 2 ग्राम है।
∴ 0.2 ” ”  ” ” ” = 2 × 0.2
उत्तर :
= 0.4 gm है।

प्रश्न 14.
साधारण नमक की घुलनशीलता 30° C पर 45 gm है। नमक साधारण घोल का 90 gm तैयार करने के लिए जल का भार ज्ञात कीजिए।
हल :
∵ 45 gm नमक 30° पर घुले हैं 100 gm जल में
∴ 90 gm ” ” ” ” = [latex]\frac{100}{45}\) × 90
= 200 gm जल।
उत्तर :

प्रश्न 15.
जब 100 gm संतुप्त घोल 50° C वाष्पित होता है और 50 gm ठोस रह जाता है तब 50° C पर पदार्थ की घुलनशीलता क्या होगी ?
हल : 100 घोल से 50 gm ठोस मिला
∴ घोलक = 100-50 = 50 gm
∵ 50 gm घोलक में 50° C पर ठोस 50 gm घुले हैं

∴ 100gm ” ” ” ” = \(\frac{50gm}{50gm}\) × 100 = 100gm
उत्तर :
ठोस की घुलनशीलता = 100 gm है।

प्रश्न 16.
10 ग्राम कैल्सियम कार्बोनेट में उसके कितने मोल होंगे। परमाणु संख्या : Ca = 40, C = 12, O = 16]
हल : CaCO3 = 40 + 12 + 16 × 3 = 100
∵ 100 gm CaCO3 में CaCO3 का 1 मोल है।
∴ 10gm ” ” ” = \(\frac{1}{100}\) × 10 = 0.1 मोल
उत्तर :
0.1 मोल।

प्रश्न 17.
यदि हाइड्रोजन के एक परमाणु द्रव्यमान 1.6736 × 10-24 ग्राम हो तो amu में हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान कितना होगा ?
हल :
∵ 1 a.m.u. = 1.6603 × 10-24
∴ 1.6603 × 10-24 का H2 परमाणु का द्रव्यमान 1 a.m.u
WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 4 पदार्थ संरचना, पदार्थ के भौतिक तथा रासायनिक गुण 42
= 1.008 a.m.u
उत्तर :
1.008 a.m.u

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प्रश्न 18.
(a) हाइड्रोजन (b) ऑक्सीजन एवं (c) कार्बन परमाणुओं का द्रव्यमान a m u में व्यक्त करो। (1 amu = 1.6603 × 10-24 ग्राम)
हल : (a) हाइड्रोजन का एक परमाण द्रव्यमान = 1.6736 × 10-24

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उत्तर :
H = 1.008 a.m.u, O = 15.99 a.m.u, C = 12.0002 a.m.u

प्रश्न 19.
(a) एक हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान एवं
(b) जल के एक अणु का द्रव्यमान ज्ञात करो।
हल : (a) हाइड्रोजन का परमाणु द्रव्यमान = 1.6603 × 10-24 × 1.008 = 1.67358 × 10-24 gm
(b) जल के एक अणु का द्रव्यमान = 1.6603 × 10-24 × 6.03 = 2.989 × 10-23
उत्तर :
हाइड्रोजन (H) = 1.67358 × 10-24 ग्राम, H2 O = 2.989 × 10-23 ग्राम

प्रश्न 20.
हीलियम (He) के 9.033 × 1024 परमाणुओं में कितने मोल हैं ?
हल : 1 मोल हीलियम में 6.023 × 1024 परमाणु हैं।
∵ 6.023 × 1024 परमाणु हीलियम के 1 मोल में हैं।

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उत्तर :
15 मोल।

प्रश्न 21.
ऑंक्सीजन के 0.2 मोल में अणुओं की संख्या बताओ। हल : 0.2 मोल में आक्सीजन के अणु = 6.023 × 1024 × 0.2 अणु
= 1.2046 × 1024 अणु
उत्तर :
1.2046 × 1024 अणु।

प्रश्न 22.
11 ग्राम कार्बन डाई-ऑक्साइड में कितने मोल होंगे ?
हल : CO2 = 12 + 16 × 2 = 44 gm
∵ 44 gm CO2 में कार्बन-डाई-आक्साइड का 1 मोल
∴ 11gm ” ” ” ” ” ” \(\frac{1}{44}\) × 11=0.25 मोल।
उत्तर :
0.25 मोल।

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प्रश्न 23.
0.5 मोल सोडियम में परमाणुओं की संख्या बताओ।
हल :
∵ 1 मोल सोडियम 6.023 × 1023 परमाणु
∴ 0.5 ,, = 6.023 × 1023 × 0.5
= 3.0115 × 1023 परमाणुं
उत्तर :
3.0115 × 1023 परमाणु।

प्रश्न 24.
4 मोल अल्युमिनियम परमाणुओं की मात्रा ज्ञात करो। (AI का पारमाणविक द्रव्यमान = 27 U) हल :
∵ 1 मोल अल्यूमिनियम परमाणु की मात्रा 27
∴ 4 मोल अल्यूमिनियम परमाणु की मात्रा = 27 × 4 = 108 u

प्रश्न 25.
यदि 18 ग्राम जल में अणुओं की संख्या n हो, तो 100 ग्राम CaCO3 और 44 ग्राम CO2 में अणुओं की संख्या कितनी होगी ?
हल : 18 ग्राम जल में अणुओं की संख्या n है।
100 ग्राम CaCO3 में भी अणुओं की संख्या n है।
44 ग्राम CO3 में भी अणुओं की संख्या n है।

प्रश्न 26.
22 ग्राम कैल्सियम कार्बोनेट तनु HCl की अधिकता में प्रतिक्रिया करके NTP पर कितना लीटर CO2 गैस उत्पन्न करता है? (Ca = 40 u, O = 16 u, C = 12 u)
हल :

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प्रश्न 27.
24.5 ग्राम पोटैशियम क्लोरेट NTP पर कितना लीटर ऑक्सीजन गैस उत्पन्न करता है ?
(K = 39 u, Cl = 3 5 . 5 u,O = 16u)
हल :
2 KClO3 = 2 Kacl + 3 O2
2[39 + 35.5 + 16 × 3] ,, 3[16 × 2]
= 2 × 122.5 = 96 gm
= 245 gm
∵ 245 gm KClO3 से 96 gm आक्सीजन मिलती है

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प्रश्न 28.
60° C पर 80 ग्राम जल में 16 ग्राम पोटैशियम सल्फेट घुलता है, तो इसी तापमान पर पोटैशियम सल्फेट की घुलनशीलता बताओ।
हल : पोटाशियम की घुलनशीलता (60° C) = \(\frac{16}{80}\) × 100 = 20

प्रश्न 29.
यदि 20 ग्राम जल में 13 ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट 40° C तापमान पर घुलकर संतृप्त घोल बनाता है तो 40° C पर पोटैशियम नाइट्रेट की घुलनशीलता निर्णय करो।
हल : 40° C पर पोटैशियम नाइट्रेट की घुलनशीलता = \(\frac{13}{20}\) × 100 = 65

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प्रश्न 30.
सोडियम क्लोराइड की घुलनशीलता 20° C पर 36 है। यदि सोडियम क्लोराइड के संतृप्त घोल को 20° C तापमान पर वाष्पीकृत किया जाय तो 25 ग्राम संतृप्त घोल में कितना लवण रहेगा?
हल :
100 gm जल में 36 gm NaCl है
संतृप्त घोल की मात्रा = 100+36 = 136 gm
∵ 136 gm संतृप्त घोल (20° C. पर) में 36 gm सोडियम क्लोराइड है

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प्रश्न 31.
5 लीटर सोडियम हाइड्राक्साइड के जलीय घोल में 40 ग्राम NaOH है तो घोल की सान्द्रता ग्राम प्रति लीटर में ज्ञात करो।
हल :
5 लीटर घोल में 40 gm NaOH
1 ,, ,, ,, = \(\frac{40}{5}\) = 8 ग्राम/लीटर

प्रश्न 32.
1 लीटर सोडियम क्लोराइड के जलीय घोल में 25 ग्राम सोडियम क्लोराइड घुला हुआ है तो घोल की सांद्रता प्रतिशत में ज्ञात करो।
हल :
∵ 1000 gm NaCl के जलीय घोल में 25 gm सोडियम क्लोराइड है
∴ 100 ,, ,, ,, = \(\frac{25}{1000}\) × 100 = 2.5 gm

प्रश्न 33.
यदि 6 ग्राम तूतिया 44 ग्राम जल में घुला हो तो तूतिया का प्रतिशत भार ज्ञात करो।
हल : 6 ग्राम तूतिया 44 ग्राम जल में घुला है
संतृप्त घोल की मात्रा = 44 + 6 = 50
∵ 50 gm संतृप्त घोल में 6 gm तूतिया है
∴ 100 ,, ,, ,, = \(\frac{6}{50}\) × 100 = 12 gm

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प्रश्न 34.
किसी घोल के 250 मिलीलीटर में एक पदार्थ का 0.5 ग्राम अणु घुला हुआ हो तो घोल की मोलरता क्या होगी ?
हल :
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