Detailed explanations in West Bengal Board Class 9 Physical Science Book Solutions Chapter 3 पदार्थ : गठन तथा गुण offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 9 Physical Science Chapter 3 Question Answer – पदार्थ : गठन तथा गुण
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
दाब के 1 टर (torr) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
1 टर = 133 पास्कल।
प्रश्न 2.
वायुमण्डलीय दाब कितना होता है ?
उत्तर :
1 वायुमण्डलीय दाब =1.013 × 105 पास्कल।
प्रश्न 3.
दाब किस प्रकार की राशि है – अदैशिक या दैशिक ?
उत्तर :
दाब एक दैशिक राशि है।
प्रश्न 4.
किसी पात्र के तलछटी पर दाब कितना होता है?
उत्तर :
किसी पात्र के तलहटी पर दाब hdg होता है। जहाँ h पात्र की गहराई, d घनत्व एवं g गुरुत्वीयतरण है।
प्रश्न 5.
स्टील के तार तथा रबर में कौन अधिक elastic है?
उत्तर :
स्टील के तार
प्रश्न 6.
ब्रश के सूखे अंश को जल में डुबाने पर उसका ब्रश क्या हो जाता है ?
उत्तर :
अलग-अलग रहते हैं।
प्रश्न 7.
प्रतिबल की इकाई SI पद्धति में लिखो।
उत्तर :
न्यूटन/मीटर 2 ।
प्रश्न 8.
वायुमण्डली में सबसे अधिक कौन सी गैस पाई जाती है ?
उत्तर :
N2
प्रश्न 9.
द्रव के पृष्ठ तल तनाव पर तापक्रम का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
द्रवों का पृष्ठ तनाव तापमान बढ़ने पर घटता है।
प्रश्न 10.
बरनौली प्रमेय किस भौतिक राशि के संरक्षण नियम पर आधारित है?
उत्तर :
दबाव के संरक्षण नियम पर बरनौली प्रमेय आधारित है।
प्रश्न 11.
घनत्व की इकाई S.I. पद्धति में क्या है ?
उत्तर :
कि॰ग्रा०/घन मीटर।
प्रश्न 12.
लेड का आपेक्षिक घनत्व कितना है।
उत्तर :
11.4 ।
प्रश्न 13.
किसी एक प्रत्यास्था वस्तु का उदाहरण लिखिए।
उत्तर :
एक प्रत्यास्था वस्तु का उदाहरण स्टील है।
प्रश्न 14.
दूध के गिलास को हिलाकर रख देने पर कुछ देर बाद दूघ विरामावस्था में आ जाता है, क्यों ?
उत्तर :
क्योंकि दूध में श्यानता का गुण पाया जाता है जो दूध के प्रवाह का विरोघ करता है।
प्रश्न 15.
Plastic क्या होता है ?
उत्तर :
जो लचीला नहीं होता है।
प्रश्न 16.
घनत्व तथा viscosity दो राशि है लेकिन इन पर तापक्रम का प्रभाव कैसा पड़ता है ?
उत्तर :
समान प्रभाव।
प्रश्न 17.
बार दाब क्या है ?
उत्तर :
1 बार =105 पास्कल।
प्रश्न 18.
संग्रहण (storage) टैंक तली के समीप मोटे बनाये जाते हैं, क्यों ?
उत्तर :
क्योंकि नीचे की ओर जाने पर द्रव का दबाव बढ़ता जाता है।
प्रश्न 19.
एक कॉर्क जल पर तैर रही है। इसका आभासी भार क्या है ?
उत्तर :
शून्य।
प्रश्न 20.
कमानीदार तुला से क्या ज्ञात करते हैं।
उत्तर :
भार।
प्रश्न 21.
बैरोमीटर के काँच की नली की लम्बाई कितनी होती है।
उत्तर :
1 मीटर ।
प्रश्न 22.
जल, वायु, रक्त तथा शहद में कौन सबसे अधिक श्यान होता है तथा कौन सबसे कम ?
उत्तर :
शहद सबसे अधिक श्यान होता है तथा वायु सबसे कम श्यान होती है।
प्रश्न 23.
बैरोमीटर से क्या मापा जाता है ?
उत्तर :
बैरोमीटर से दबाव मापा जाता है।
प्रश्न 24.
वायुयान किस सिद्धान्त के आधार पर वायु में उड़ता है ?
उत्तर :
वायुयान प्लावन के सिद्धान्त के आधार पर वायु में उड़ता है।
प्रश्न 25.
तरल का बहाव का वेग किस पर निर्भर करता है।
उत्तर :
परिच्छेद के क्षेत्रफल पर।
प्रश्न 26.
Stress की इकाई S.I. पद्धति में क्या है ?
उत्तर :
न्यूटन/मी०2।
प्रश्न 27.
तापमान बढ़ाने पर द्रव का घन का घनत्व में क्या अन्तर होता है?
उत्तर :
घनत्व कम होता है ।
प्रश्न 28.
दाब का विमीय सूत्र लिखें।
उत्तर :
दाब की विमा (ML-1 T-2) है।
प्रश्न 29.
द्रव का वह कौन-सा गुण है जिसके कारण वह अपने मुक्त पृष्ठ का क्षेत्रफल न्यूनतम बनाये रखता है?
उत्तर :
पृष्ठ तनाव।
प्रश्न 30.
पदार्थ के किस गुण के कारण वायु की तुलना में जल में दौड़ना कठिन होता है?
उत्तर :
दवाव के कारण।
प्रश्न 31.
तैरने योग्य वस्तु का, तरल, जिसमें वह तैर सकती है के घनत्व में क्या सम्बन्ध होता है ?
उत्तर :
तैरनेवाली वस्तु का घनत्व तरल के घनत्व से कम होता है।
प्रश्न 32.
आँधी में टीन के उड़ने के कारण की व्याख्या किस सिद्धान्त पर की जा सकती है ?
उत्तर :
बरनॉली के सिद्धान्त पर की जाती है।
प्रश्न 33.
दाब कैसी राशि है : अदिश या सदिश ? अपने उत्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अदिश राशि क्योंकि इसमें केवल परिमाण होता है इससे दिशा का बोध नहीं होता।
प्रश्न 34.
यदि बल नियत रहे तथा क्षेत्रफल दो गुना कर दें, तो दाब पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर :
दाब आधा हो जाएगा।
प्रश्न 35.
परखनली में ऊपर सतह अर्द्धचन्द्राकार क्यों होता है ?
उत्तर :
पृष्ठ तनाव के कारण होता है।
प्रश्न 36.
हवा में पैराशूट लेकर गिरते व्यक्ति का वेग कुछ देर बाद त्वरण रहित क्यों हो जाता है ?
उत्तर :
सीमान्त वेग अर्जित करने के कारण।
प्रश्न 37.
किसी गहराई h पर द्रव दाब का सूत्र लिखिए।
उत्तर :
जहाँ h द्रव स्तम्भ की ऊँचाई, d द्रव का घनत्व एव g गुरुत्वीय त्वरण है।
प्रश्न 38.
यूरेका – यूरेका का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
पा लिया, या लिया।
प्रश्न 39.
कोई वस्तु द्रव में कब तैरती है ?
उत्तर :
जब वस्तु का भार हटाए गए द्रव के भार के बराबर होता है।
प्रश्न 40.
रबर तथा लोहा में कौन अधिक प्रत्यास्थ है ?
उत्तर :
लोहा अधिक प्रत्यास्थ है।
प्रश्न 41.
प्रत्यस्थता का एक उपयोग लिखें।
उत्तर :
एक पदार्थ हुक के नियम का पालन प्रत्यास्थता सीमा (Elastic limit) के अन्दर करता है।
प्रश्न 42.
क्या प्रवाहित द्रव में दो धारा-रेखाएँ एक दूसरे को काट सकती हैं ?
उत्तर :
नहीं।
प्रश्न 43.
नदी के किनारे जल का वेग कम तथा बीच में अधिक होता है, क्यों ?
उत्तर :
क्योंकि बीच में द्रव का स्थैतिक दाब अधिक होता है।
प्रश्न 44.
दाब एवं बल को प्रदर्शित करने वाला सूत्र लिखें।
उत्तर :
दाब = बल/क्षेत्रफल ।
प्रश्न 45.
एक लड़का पृथ्वी पर खड़ा है। किस दशा में उसके पैर का तलुए पर अधिक दबाव लगेगा, जबकि वह –
(i) समतल भूमि पर खड़ा है।
(ii) नूकीली वस्तु पर खड़ा है।
(iii) एक पैर पर खड़ा है।
(iv) (ii) तथा (iii) स्थिति में।
उत्तर :
(iv) नूकीली वस्तु पर एक पैर पर खड़ा है।
प्रश्न 46.
स्प्रिंग इस्पात की बनायी जाती है, ताँबे की क्यों नहीं ?
उत्तर :
क्योंकि इस्पात की प्रत्यास्थता ताँबे से अधिक होती है।
प्रश्न 47.
दबाव एवं चाप की SI इकाई लिखो।
उत्तर :
दबाव की इकाई SI पद्धति में न्यूटन/मी० 2 या पास्कल तथा चाप की इकाई SI पद्धति में न्यूटन है।
प्रश्न 48.
बैरोमीटर का क्या उपयोग है ?
उत्तर :
बैरोमीटर का उपयोग –
(i) वायुमंडलीय दबाव को ज्ञात करने में।
(ii) मौसम का पूर्वानुमान लगाने में।
प्रश्न 49.
SI पद्धति में पृष्ठ तनाव की इकाई क्या है ?
उत्तर :
न्यूटन प्रति मीटर (newton/meter)
प्रश्न 50.
विरूपक प्रतिबल की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को विरूपक प्रतिबल कहते हैं।
प्रश्न 51.
विरूपक विकृति की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
वस्तु के इकाई आकार में होने वाले भिन्नात्मक परिवर्तन को विकृति कहते हैं।
प्रश्न 52.
किसी श्यान द्रव में गिरती गोली का त्वरण कब शून्य होता है ?
उत्तर :
किसी श्यान द्रव में गिरती गोली का त्वरण सीमान्त वेग पर पहुँचने के समय शून्य होता है।
प्रश्न 53.
पैराशूट के खुलने के कुछ समय बाद ही व्यक्ति का त्वरण शून्य हो जाता है, क्यों ?
उत्तर :
सीमान्त वेग अर्जित करने के कारण पैराशूट के खुलने के कुछ समय बाद ही व्यक्ति का त्वरण शून्य हो जाता है।
प्रश्न 54.
किसी एक भंगुर पदार्थ का उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
काँच एक भंगुर पदार्थ का उदाहरण है।
प्रश्न 55.
यंग प्रत्यास्थता गुणांक का मात्रक लिखिए।
उत्तर :
N/m2 ।
प्रश्न 56.
किसी ठोस वस्तु को किसी द्रव में डूबाने पर उसके भार में कितनी कमी आती है?
उत्तर :
ठोस द्वारा विस्थापित किए गए द्रव के भार के बराबर।
प्रश्न 57.
बैरोमीटर का कोई एक उपयोग लिखिए।
उत्तर :
बैरोमीटर से वायुदाब मापा जाता है।
प्रश्न 58.
किस गुण धर्म के कारण, द्रव का मुक्त पृष्ठ अपने क्षेत्रफल, को न्यूनतम रखने का प्रयास करता है ?
उत्तर :
पृष्ठ तनाव के कारण।
प्रश्न 59.
दूघ के गिलास को हिलाकर छोड़ देने पर कुछ ही देर में दूध विरामावस्था में आ जाता है, किसके कारण ?
उत्तर :
श्यानता के कारण।.
प्रश्न 60.
आदर्श द्रव किसे कहते हैं?
उत्तर :
अश्यान (non-viscous) द्रव को आदर्श द्रव कहते हैं ।
प्रश्न 61.
लगभग पूर्ण प्रत्यास्थ वस्तु का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
क्वार्ट (Quartz)
प्रश्न 62.
लगभग पूर्ण सुघटच्य वस्तु का उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
मोम।
प्रश्न 63.
द्रव के अंदर किसी बिन्दु पर द्रव के दाब का सूत्र लिखिए।
उत्तर :
द्रव के अंदर किसी बिन्दु पर द्रव के दाब का सतत्र hdg है।
प्रश्न 64.
गहराई बढ़ने पर दाब पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
गहराई बढ़ने पर दाब पर प्रभाव बढ़ जाता है।
प्रश्न 65.
किसी वस्तु का भार 2 कि०ग्रा० है। जल में डुबोने पर इस पर 5 कि०ग्रा० का उक्षेप बल लगता है, तो बताइए वस्तु जल में डूबेगी या तैरेगी ?
उत्तर :
वस्तु जल में तैरेगी।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS
प्रश्न 1.
आर्किमीडीज के सिद्धांत के क्या उपयोग हैं ?
उत्तर :
आर्किमीडीज के सिद्धान्त के अनुसार किसी स्थिर द्रव या गैस में किसी वस्तु को पूर्ण या आंशिक रूप से डूबाया जाता है तो वस्तु अपने डूबे हुए भाग के आयतन के बराबर उस द्रव या गैस को विस्थापित करती है। यह विस्थापित द्रव या गैस वस्तु के ऊपर लम्बवत् ऊर्ध्व बल का प्रयोग करता है। इस बल का मान विस्थापित द्रव या गैसीय पदार्थ के भारं के बराबर होता है। विस्थापित द्रव या गैसीय पदार्थ के द्वारा वस्तु पर लगाए जाने वाले इस ऊर्ध्वाधर बल को उत्प्लावकता कहते हैं। अत: ‘ किसी वस्तु को स्थिर द्रव या गैसीय पदार्थ में पूर्ण या आंशिक रूप से डुबाने पर वस्तु के ऊपर लम्बवत् लगने वाले ऊर्ष्वाधर बल को उत्प्लावकता कहते हैं।”
प्रश्न 2.
ठण्डा तथा गर्म के मौसम में स्नेहक (Lubricant) का गुणांक क्या होता है ?
उत्तर :
ठण्ड में मशीन में प्रयोग होने वाले स्नेहक जम जाते हैं जिसके कारण मशीन को बीच-बीच में चला करके गर्म कर दिया जाता है जिससे सेहक का Viscosity गुणांक कम हो जाये। गर्म के दिनों में प्रयोग होने वाले स्नेहक की गुणवत्ता उच्च होनी चाहिए जिससे कि तापक्रम बढ़ने पर स्नेहक का गुणांक कम न हो जाये।
प्रश्न 3.
उत्प्लावकता किसे कहते हैं ?
उत्तर :
उत्प्लावकता (Buoyancy) : कुएँ से पानी निकालते समय पानी से भरी बाल्टी जब तक पानी के अंदर रहती है, हल्की मालूम पड़ती है; परंतु पानी से बाहर आते ही वह भारी मालूम पड़ती है। जब हम पानी में डुबकी लगाते हैं तो पानी हमें ऊपर की ओर उछलता-सा लगता है। इन बातों से यह स्पष्ट है कि द्रव में डूबी हुई वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लग़ता है जिसके कारण उसके भार में एक आभासी कमी आ जाती है। इस उपरिमुखी बल को उस वस्तु पर द्रव की उत्प्लावकता (buoyancy) कहते हैं और इस तरह के बल के लगने को उत्प्लावन कहते हैं।
प्रश्न 4.
ऊर्ध्वद्रवघात किसे कहते हैं ?
उत्तर :
ऊर्ध्वद्रवघात (Upward thrust) : द्रव द्वारा किसी वस्तु के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले ऊर्ष्व लम्बवत् बल को ऊर्ष्व्रद्रवात (Upward thrust) कहते हैं।
प्रश्न 5.
आर्कमिडीज का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर :
आर्किमिडीज के सिद्धान्त के अनुसार, “जब कोई वस्तु किसी द्रव या गैस में पूर्णतः या अंशत: डुबाई जाती है, तो उसके भार में आभासी कमी होती है। यह कमी वस्तु के डूबे हुए भाग द्वारा हटाये गये द्रव या गैस के भार के बराबर होती है।”
प्रश्न 6.
टॉरीसेली निर्वात क्या है?
उत्तर :
किसी परखनली के भरे पारे के स्तम्भ के ऊपरी भाग में निर्मित स्थान, जबकि परखनली का ऊपरी सिरा बंद हो तथा निचला खुला सिरा किसी बर्तन में हो जिसमें पारा भरा हो।
प्रश्न 7.
श्यानता किसे कहते हैं?
उत्तर :
किसी द्रव का वह गुण जिसके सामर्थ्य की बदौलत, द्रव अपनी विभिन्न परतों के बीच की सापेक्ष गति का विरोध करता है, द्रव की श्यानता, अथवा आंतरिक घर्षण कहलाता है। यह गुण, जो एक द्रव से दूसरे द्रव में केवल डिग्री या कोटि में ही अंतर रखता है, हर एक तरल का एक अंतर्निहित गुणधर्म है।
प्रश्न 8.
Terminal वेग किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सीमान्त वेग (Terminal Velocity) : समरूप वेग को Terminal velocity कहते हैं। जब एक पतनशील वस्तु viscous fluid से गुजर कर अधिकतम वेग प्राप्त कर लेती है, तो उसे सीमान्त वेग (Terminal velocity) कहते हैं।
प्रश्न 9.
चाप या प्रणोद किसे कहते हैं ?
उत्तर :
चाप या प्रणोद (Thrust) : प्रणोद एक विशेष दिशा में लगने वाला बल है। किसी वस्तु या पिंड की सतह के लंबवत लगने वाले बल को प्रणोद कहते हैं। इसका S.I. मात्रक वही है जो बल का है, अर्थात् इसका S.I. मात्रक न्यूटन (\mathrm{N}) है।
प्रश्न 10.
धारारेखीय प्रवाह एवं विक्षुब्ध प्रवाह किसे कहते हैं ? उनका उदाहरण दो।
उत्तर :
द्रव का ऐसा प्रवाह जिसमें द्रव का प्रत्येक कण उसी बिन्दु से होकर गुजरता है, जिससे होकर उसका पहले वाला कण गुजरा था, धारा रेखीय प्रवाह कहलाता है।
प्रश्न 11.
चलनशील द्रव तथा चिपचिपा द्रव किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वह द्रव जो तेजी से प्रवाहित होता है उसे चलनशील तरल (Mobile Liquid) कहते हैं। जैसे : जल, दूध, अल्कोहल इत्यादि।
वह द्रव जो धीरे-धीरे प्रवाहित होता है उसे चिपचिपा तरल (Viscous Liquid) कहते है। जैसे : तेल, ग्लिसरीन इत्यादि।
प्रश्न 12.
द्रव अपना तल ढूढ़ँ लेते हैं प्रयोग द्वारा दिखाओ।
उत्तर :
द्रव का अपना एक विशेष गुण होता है कि स्थिर अवस्था में इसकी ऊपरी सतह का प्रत्येक बिन्दु एक सरल रेखा में होता है। द्रव के इस गुण को समोच्चशीलता कहते हैं।
क्रिया कलाप : विभित्र आकार वाली काँच की कई नलियाँ जो आपस में एक क्षैतिज नली द्वारा जुड़ी रहती है। इसमें से किसी एक नली में पानी डालने पर देखा जाता है कि पानी प्रत्येक नली में बराबर ऊँचाई तक चढ़ जाता है। इससे सिद्ध होता है कि जल अपना तल स्वयं ढुँढ़ लेता है तथा ऊपरी तल हमेशा क्षैतिज रहता है।
प्रश्न 13.
प्लवन का सिद्धांत क्या है ?
उत्तर :
प्लवन या तैरने का सिद्धान्त (Principle of Floatation) : ‘जब कोई वस्तु किसी द्रव में आंशिक या पूरी डूबी हुई तैरती है तो वस्तु का कुल भार वस्तु के डूबे हुए भाग द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होता है।” इसे प्लवन (Floatation) का नियम कहते हैं। इस स्थिति में तैरती हुई वस्तु का आभासी भार शून्य होता है।
प्रश्न 14.
नदी के जल की अपेक्षा समुद्र के जल में तैरना आसान है – क्यों ?
उत्तर :
नदी के जल की अपेक्षा समुद्र के जल में तैरना आसान होता है क्योंकि समुद्र के जल में नमक घुले होने के कारण तैराक द्वारा विस्थापित किए गए समान आयतन के द्रव का भार अधिक होने के कारण उसके ऊपर लगनेवाला उत्प्लावक बल नदी के जल की अपेक्षा समुद्र के जल में अधिक होता है।
प्रश्न 15.
कारण बताओ –
(i) तेजी से गति करती हुई ट्रेन के पास खड़ा होना खतरनाक है-क्यों ?
(ii) आँधी में घर की छत की टीन उड़ जाती है-क्यों ?
उत्तर :
(i) तेजी से गति करती हुई ट्रेन के पास खड़ा होना खतरनाक है : यदि हम प्लेटफॉर्म पर खड़े हों और तेजी से रेलगाड़ी आ जाये, तो हम स्वय ही रेलगाड़ी की ओर झुक जाते हैं। इसका कारण यह है कि जब रेलगाड़ी तेजी से आती है, तो हमारे तथा रेलगाड़ी के बीच की वायु का दाब कम हो जाता है। अत: हमारे पीछे की वायु जो अधिक दाब पर है, हमें गाड़ी की ओर घक्का देती है। अत: तेज चलती गाड़ी के पास खड़ा रहना खतरनाक है।
(ii) आँधी में घर की छत की टीन उड़ जाती है : तूफान के समय जब टीन के ऊपर से बहुत अधिक वेग से वायु बहती है तो टीन के ऊपर वायुदाब बहुत कम हो जाता है जबकि टीन के नीचे वायुमंडल का दाब रहता है। इस दाबान्तर के कारण टीन ऊपर उठ जाती है।
प्रश्न 16.
श्यान बल क्या है ?
उत्तर :
श्यान बल (Viscous force) : किसी द्रव या गैस की दो क्रमागत परतों के बीच उनकी आपेक्षिक गति का विरोध करने वाले घर्षण बल को श्यान बल कहते हैं।
प्रश्न 17.
दाब क्या है ? इसके मात्रक तथा विमाएँ लिखिए। यह अदिश राशि है अथवा सदिश ?
उत्तर :
दाब (Pressure) : किसी पृष्ठ के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर समान रूप से लगने वाले अभिलम्बवत् बल को पृष्ठ पर पड़ने वाला दाब कहते है। यदि पृष्ठ क्षेत्रफल A पर कार्यरत् अभिलम्बवत् बल F हो, तो पृष्ठ पर दाब P = F / A ।
मात्रक : दाब के S.I. मात्रक का नाम Pascal, प्रतीक Pa रखा गया। 1 पास्कल = 1 न्यूटन/मीटर 2 । (N / m2) .1 वायुमण्डल (atm) = 1.013 × 105 Pa .1 बार = 105 Pa, 1 टर = 133 Pa.
दाब की विमा (ML-1 T-2) है। दाब एक अदिश राशि है।
प्रश्न 18.
सूटकेसों के हैंडिल चौड़े लगाये जाते हैं। क्यों ?
उत्तर :
किसी पृष्ठ पर लगने वाला दाब पृष्ठ पर आरोपित अभिलम्बवत् बल तथा पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर करता है। समान बल के लिए यदि क्षेत्रफल छोटा है तो दाब अधिक होगा। इसीलिए दाब को कम करने के लिए सूटकेसों इत्यादि के हैंडिल चौड़े लगाए जाते हैं जिससे पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ जाने पर पृष्ठ पर आरोपित अभिलम्बवत् बल घट जाता है।
प्रश्न 19.
प्रतिबल किसे कहते हैं ? इसे कैसे मापते हैं ?
उत्तर :
प्रतिबल (Stress) : यदि किसी वस्तु पर deforming force (विकृति बल) लगता है तो वस्तु का आन्तरिक बल (Internal force) उसके विरुद्ध कार्य करता है और अपने पूर्व स्थिति के अनुसार बनाये रखना चाहता है। इसे प्रतिबल (Stress) कहते हैं।
किसी वस्तु के इकाई क्षेत्रफल पर उत्पन्न होने वाले विकृति बल आरोपित बल का Stress कहते हैं।
प्रश्न 20.
हुक का नियम लिखो एवं व्याख्या करो।
उत्तर :
हुक का नियम (Hooke’s law) : सन् 1679 ई० में रार्बट हुक ने यह बताया कि ”प्रत्यस्थता की सीमा में किसी वस्तु में उत्पत्र विकृति (Strain) उस पर लगाये गये प्रतिबल (Stress) के अनुक्रमानुपाती होता है।”
प्रतिबल α विकृति
प्रतिबल = E x विकृति, जहाँ E = एक स्थिरांक है।
= E = “प्रत्यास्थता गुणांक” (Modulus of elasticity)
किसी पदार्थ का प्रत्यास्थता गुणांक (E) जितना अधिक होगा वह उतना ही अधिक प्रत्यास्थ्य (Elastic) कहलाता है।
प्रश्न 21.
किसी श्यान द्रव में गिरती हुयी एक गोली का सीमान्त वेग किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर :
किसी श्यान द्रव में गिरती हुई एक गोली का सीमान्त वेग गोली के द्रव्यमान एवं द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है।
प्रश्न 22.
बरनौली प्रमेय में दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा के सूत्र लिखिए।
उत्तर :
बरनौली की प्रमेय : P + \(\frac{1}{2}\) pv2 + pgh = नियतांक 1 जहाँ p = द्रव के इकाई आयतन की दाब ऊर्जा,
\(\frac{1}{2}[latex] pv2 द्रव के इकाई आयतन की गतिज ऊर्जा तथा pgh द्रव के इकाई आयतन की स्थितिज ऊर्जा।
प्रश्न 23.
पिनों तथा कीलों के सिरे नुकीले बनाये जाते हैं। क्यों ?
उत्तर :
किसी पृष्ठ पर लगने वाला दाब पृष्ठ पर आरोपित अभिलम्बवत् बल तथा पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर करता है। समान बल के लिए यदि क्षेत्रफल छोटा है तो दाब अधिक होगा। इसीलिए दाब को अधिक करने के लिए पिनों तथा कीलों के सिरे नुकीले बनाए जाते हैं जिससे वे आसानी से धँस जाती हैं।
प्रश्न 24.
एक तेल के डिब्बे को खाली करने के लिये, दो छेद किये जाते हैं। क्यों ?
उत्तर :
तेल से भरे डिब्बे में दो छेद करने पर एक छेद से बाहर स्थित वायु डिब्बे के अन्दर प्रवेश करना चाहती है। अत: वायु तेल पर दबाव डालती है। इस दबाव की वजह से तेल दूसरे छिद्र से बाहर निकलने लगता है।
प्रश्न 25.
तैरना तथा डूबना क्या है।
उत्तर :
तैरना (Floatation) : कोई वस्तु किसी द्रव में तैरता हुआ तभी कहा जा सकता है जबकि वस्तु द्रव में किसी भी गहराई पर स्थित रहे लेकिन पात्र की पेंदी को स्पर्श न करें। इसे तैरना (Floatation) कहते हैं।
डूबना (Immersion) : किसी वस्तु को किसी द्रव में डालने पर वस्तु पात्र की पेंदी तक पहुँच जाय तो इस अवस्था को डूबना (Immersion) कहते हैं।
प्रश्न 26.
प्रत्यास्थता (Elasticity) किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रत्यास्थता (Elasticity) : Elasticity का शाब्दिक अर्थ लचीलापन है। किसी पिण्ड का वह गुण, जिससे वह प्रत्यारोपित बल को हटा लेने पर अपनी प्रारंभिक आकृति एवं आकार को पुन: प्राप्त कर लेता है, उसे Elasticity कहते हैं।
अत: प्रत्यास्थता पदार्थ के उस गुण को कहते हैं जिसके कारण उस पर बाह्य बल लगाने पर उसमें विकृति आती है परन्तु बल हटा लेने पर वह अपनी मूल स्थिति में आ जाता है उसे प्रत्यास्थता (Elasticity) कहते हैं।
प्रश्न 27.
Deforming elasticity क्या है ?
उत्तर :
प्रत्यास्थता विरूपण (Deforming Elasticity) : जब एक वस्तु पर बल लगाते हैं तो वस्तु में अपना प्रारंभिक आकार प्राप्त करने की प्रवृति नहीं होती है और यह स्थायी रूप से विरूपित (deform) हो जाता है उसे प्रत्यास्थता विरूपण (Deforming Elasticity) कहते हैं। ऐसे पदार्थ को प्लास्टिक (Plastic) कहते हैं। वस्तु के इस गुण को (Plasticity) कहते हैं। जैसे – गीली मिट्टी तथा मोम में यह गुण मिलता है।
प्रश्न 28.
तेज आँधी में टीन शेड क्यों उड़ जाती हैं ? इसके सिद्धान्त का नाम लिखिए।
उत्तर :
आँधी में टीन का उड़ना : तूफान के समय जब टीन के ऊपर से बहुत अधिक वेग से वायु बहती है, तो टीन के ऊपर वायुदाब बहुत कम हो जाता है जबकि टीन के नीचे वायुमण्डल का दाब अधिक रहता है। इस दाबान्तर के कारण टीन ऊपर उठ जाती है।
प्रश्न 29.
पृथ्वी की सतह से ऊपर उठने पर वायुमण्डलीय दाब में किस प्रकार कमी आती है ?
उत्तर :
जैसे-जैसे हम पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर चढ़ते जाते हैं, वायुमण्डलीय दबाव कम होता जाता है क्योंकि जैसे-जैसे हम ऊपर की ओर बढ़ते हैं, वायु का घनत्व क्रमशः कम होता जाता है। दुनिया की सबसे ऊँची चोटी पर इसका मान 1.2 कि०ग्रा० प्रति वर्ग इच रह जाता है।
प्रश्न 30.
मरकरी बैरोमीटर क्या है ?
उत्तर :
मरकरी बैरोमीटर (Mercury Barometer) : “बैरोमीटर वह यंत्र है जिसकी सहायता से किसी स्थान के वायुमण्डलीय दाब की माप की जाती है।” बैरोमीटर में पारे का उपयोग होने के कारण इसे पारद या मरकरी बैरोमीटर (Mercury Barometer) कहते हैं।
प्रश्न 31.
बैरोमीटर किस सिद्धान्त पर आधारित है ?
उत्तर :
बैरोमीटर का सिद्धान्त (Principal of Mercury Barometer) : सरकारी बैरोमीटर का सिद्धान्त टॉरीसेली के प्रयोग पर आधारित है। यदि 1 मीटर लम्बी एवं 1 से॰मी० एक समान व्यास वाली नली जिसका एक सिरा बन्द तथा दूसरा सिरा खुला हो, उसे पारे से भर कर लम्बवत् पारे से भरे एक नाद में उलटकर खड़ा कर दें तो पारा उस नली में 30 इंच या 76 से॰मी० की ऊँचाई तक स्थिर रहता है तथा शेष पारा नीचे गिर जाता है। नली में पारे का स्तम्भ वायुमण्डलीय दाब के कारण 76 से॰मी॰ तक स्थिर रहता है। यदि वायुमण्डलीय दांब न होता तो गुरुत्वबल के कारण पारा नली में नीचे गिर जाता है। इस प्रकार पारद बैरोमीटर का सिद्धान्त निम्न दो तथ्यों पर आधारित है – (i) वायुमण्डलीय दाब बढ़ने पर बैरोमीटर की नली में पारे की ऊँचाई बढ़ जाती है। (ii) वायुमण्डलीय दाब में हास होने पर बैरोमीटर की नली में पारे की ऊँचाई कम हो जाती है।
प्रश्न 32.
बैरोमीटर में पारे के प्रयोग का दो कारण लिखिए।
उत्तर :
बैरोमीटर में पारे के प्रयोग का कारण :
(i) इसका घनत्व अन्य द्रवों की अपेक्षा अधिक होता है।
(ii) यह बैरोमीटर की नली की दीवार से चिपकता नहीं है।
प्रश्न 33.
द्रवों में श्यानता गुणांक का S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर :
किसी तरल पदार्थ की श्यानता को श्यानता गुणांक (Co-efficient of viscosity) द्वारा मापा जाता है। इसे ग्रीक अक्षर η (ईटा) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
C.G.S. पद्धति में श्यानता गुणांक की इकाई प्वाइज (Poise) होती है तथा S.I. पद्धति में इसकी इकाई डेका प्वाइज या पास्कल सेकेण्ड है। इसकी विमा [ML-1 T-1] होती है।
प्रश्न 34.
गहरा जल सदैव शान्त रहता है, कारण बताइए।.
उत्तर :
गहरा जल सदैव शान्त बहता है : जहाँ जल गहरा होगा वहाँ द्रव स्थैतिक दाब (hydrostatic presure) अधिक होगा। बरनौली प्रमेय के समीकरण के अनुसार, वहाँ जल का वेग कम होगा अर्थात् जल शांत होगा।
प्रश्न 35.
सीमान्त वेग किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सीमान्त वेग : ‘किसी श्यान माध्यम में गिरती हुई गोली द्वारा प्राप्त नियत वेग को सीमान्त वेग कहते है।” इस प्रकार, श्यान बल द्रव में गिरते पिण्ड के वेग को सीमित करता है। किसी गोली का सीमान्त वेग जल की अपेक्षा वायु में अधिक होता है।
प्रश्न 36.
तैरने की शर्त क्या है ?
उत्तर :
तैरने की शर्ते : (i) द्रव में डूबी हुई वस्तु का कुल भार सदैव वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होता है। (ii) वस्तु का गुरुत्व केन्द्र (वस्तु के अन्दर या बाहर स्थित वह बिन्दु जिससे होकर वस्तु का सम्पूर्ण भार गुजरता है) तथा हटाए गए द्रव का उत्प्लावन केन्द्र एक ही ऊर्ष्वाधर रेखा में होने चाहिए।
प्रश्न 37.
किसी लोहे के बने पुल की उम्र सीमा 100 वर्ष क्यों आँकी जाती है ?
उत्तर :
किसी लोहे के बने पुल की उम्र 100 वर्ष आँकी जाती है क्योंकि 100 वर्ष के बाद लोहे के पुल की प्रत्यस्था कम हो जाती है और यह यातायात के लिए असुरक्षित साबित होता है।
प्रश्न 38.
कुएँ से जल खींचते समय जल से भरी बाल्टी जल की सतह से ऊपर आने पर धीरे-धीरे भारी क्यों प्रतीत होने लगती है ?
उत्तर :
कुएँ से जल खींचते समय जल से भरी बाल्टी जल की सतह से ऊपर आने पर धीरे-धीरे भारी प्रतीत होने लगती ैै क्योंकि उसके ऊपर लगने वाला उत्लावक बल काम नहीं करता।
प्रश्न 39.
दबाव किसे कहते हैं ?
उत्तर :
दबाव (Pressure) : किसी सतह के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले बल दबाव (pressure) कहलाता है। यदि किसी तल के क्षेत्रफल A पर लम्बवत् कोई बल F समान रूप से कार्य करता है तब,
प्रश्न 40.
Stremlined flow क्या है ?
उत्तर :
Stremlined or Laminar Flow : तरल का बहाव Stremlined or Laminar तब कहा जाता है जब किसी बिन्दु पर अणु का वेग संकुचित हो जाता है।
माना कि अनियमित आकार की नली से द्रव प्रवाहित करने पर A, B, C बिन्दु पर द्रव का वेग V1, V2 तथा V3 है तो इस गति को Stremlined or Laminar बहाव कहते हैं।
प्रश्न 41.
Trabulent flow क्या है।
उत्तर :
Trabulent Flow : द्रव का वह बहाव जो किसी बिन्दु पर वेग के परिमाण तथा दिशा पर स्थिर नहीं रहता है बल्कि हमेशा अनियमित रूप से बदलता रहता है। उस बहाव को Trabulent या disorderly flow कहते हैं।
जैसे – हवा का बहाव, तेज Boat हो जाने पर जल का बहाव तथा तेज गति से वाहन चलने पर trabulent flows उत्पन्न होता है।
प्रश्न 42.
श्यानता का एक उपयोग लिखें।
उत्तर :
द्रवों में श्यानता के कारण कुछ द्रवों का प्रयोग मशीनों के कल पूर्जो में स्नेहक रूप में प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 43.
प्रतिबल एवं विकृति में क्या संबंध है?
उत्तर :
प्रतिबल (stress), विकृति (strain) के समानुपाती होता है।
प्रश्न 44.
Elasticity Limit किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रत्यास्थता सीमा (Elasticity Limit) : जब किसी वस्तु पर लगने वाला विरूपण बल (deforming force) एक निश्चित अधिकतम सीमा (Maximum Limit) को पार कर जाता है उसे प्रत्यास्थता सीमा (Elastic Limit) कहते हैं।
यदि वस्तु पर से आरोपित बल को हटा लेने पर वस्तु अपनी प्रारम्भिक आकार तथा आकृति में नहीं लौट पाता है और एक स्थायी विरूपण (deformation) पा जाता है। भिन्न-भिन्न पदार्थ का Elastic limit भिन्न-भिन्न होता है।
प्रश्न 45.
Brittleness क्या है तथा इसका उदाहरण दो।
उत्तर :
भंगुरता (Brittleness) : पदार्थों के उस गुण को जिसके कारण उन्हें जोर-जोर से पीटने पर चूर-चूर हो जाते है, उसे भंगुरता (Brittleness) कहते हैं।. उदाहरण – मिट्टी के चूर, ईंट के चूर तथा पत्यर के चूर इत्यादि।
संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS
प्रश्न 1.
(a) बैरोमीटर किस सिद्धान्त पर कार्य करता है ?
(b) फोर्टिन्स बैरोमीटर का वर्णन करो।
उत्तर :
(a) बैरोमीटर का सिद्धान्त पर कार्य : पानी कल का पिस्टन खींचने पर पानी ऊपर की ओर चढ़ता है। इसका कारण सर्वप्रथम टारीसेली ने मालूम किया। इसने पता लगाया कि पानी के ऊपर चढ़ने का कारण वायु दबाव है। अत: दबाव के द्वारा अन्य द्रव भी ऊपर की ओर उठाये जा सकते हैं। वायु दबाव के कारण पानी 34 फीट की ऊँचाई तक चढ़ाया जा सकता है। पानी से 13.6 गुना भारी पारा होता है। अत: यदि काँच की नली में पानी की जगह पारा भरा जाय तो साधारणतः पारा 30 इंच की ऊँचाई तक चढ़ेगा। यदि कांच की एक नली में पारा भरकर इसे किसी पारे वाले बरतन में उलट दिया जाय तो वायु दबाव के कारण पारा 30 इंच की ऊँचाई तक संतुलित रहेगा। इस स्थान का वायु दबाव पारे को 30 इंच से नीचे नहीं गिरने देगा। इसी सिद्धान्त पर टारीसेली ने बैरोमीटर का निर्माण किया।
(b) फोर्टिन्स बैरोमीटर : यह समान व्यासवाली एक मीटर लम्बी काँच की नली होती है। जिसका एक सिरा बन्द तथा दूसरा सिरा एक पारे से भरे चमड़े की थैली से लगा रहता है। इस थैले के नीचे एक स्कू E होता है जिसकी सहायतां से चमड़े की थैली के पारे का तल ऊपर-नीचे किया जा सकता है। सम्पूर्ण काँच की नली एक खोखली पीतल की नली के अन्दर बन्द रही है। इस नली का कुछ भाग खुला होता है जहाँ पाठ्यांक ज्ञात करने के लिये स्केल लगा रहता है। इस पीतल की खोल के ऊपरी सिरे पर एक हूक H लगा होता है जिसकी सहायता से बैरोमीटर को दीवार पर लटका दिया जाता है।
वायुमण्डलीय दाब की जानकारी करने के लिए स्कू E को ऊपर नीचे घूमा करके पारे को सूचक C से स्पर्श कराकर नली में पारे की ऊँचाई की जानकारी कर लेते हैं। अतः यह उस स्थान का वायुमण्डलीय दाब हुआ।
आजकल फोर्टिन्स बैरोमीटर के साथ थर्मामीटर भी लगा रहता है जिससे यह ज्ञात होता है कि यह वायुमण्डलीय दाब किस तापक्रम पर था।
प्रश्न 2.
तरल क्या है ? सिद्ध कीजिए कि द्रव की साम्यावस्था में द्रव में डूबे ठोस पर लगने वाला बल उसके पृष्ठ के लम्बवत् होता है।
उत्तर :
तरल (Fluid) : तरल पदार्थ वे हैं जिनकी अपनी कोई निश्चित आकृति (shape) नहीं होती अर्थात् वे अपनी आकृति परिवर्तन का विरोध नहीं करतें। उन्हें जिस बर्तन में रखा जाता है उसी की आकृति ग्रहण कर लेते हैं। द्रव तथा गैस दोनों ही तरल पदार्थ हैं। ठोसों एवं द्रवों का निश्धित आयतन होता है जबकि गैस पात्र के कुल आयतन को भर देती है। गैसों की तुलना में बाह्य दाब के कारण ठोस एवं द्रव के आयतन में परिवर्तन बहुत कम होता है। तरल पदार्थ अपरूपण बल (deforming force) के विरुद्ध बहुत ही कम प्रतिरोध लगाते हैं, थोड़े से बल से ही उनकी आकृति बदल जाती है। ठोसों की तुलना में तरल पदार्थो का अपरूपक प्रतिबल लगभग दस लाखवाँ भाग होता है।
स्थिर अवस्था में प्रत्येक तरल पदार्थ (गैस अथवा द्रव) अपने सम्पर्क में आने वाले ठोस के तल के प्रत्येक बिन्दु पर तल के लम्बवत् बल लगाता है। जब कोई पिण्ड किसी शान्त जल में डूबा होता है, तो जल उस पिण्ड पर बल आरोपित करता है। यह बल सदैव पिण्ड के पृष्ठ के लम्बवत् होता है। ऐसा इस कारण से है कि यदि बल का अवयव पिण्ड के पृष्ठ के समान्तर होता तो न्यूटन के तृतीय नियमानुसार, पिण्ड भी अपने पृष्ठ के समान्तर जल पर एक बल आरोपित करता जिस कारण यह बल जल को पृष्ठ के समान्तर बहने के लिए बाध्य करता। परन्तु यह सम्भव नहीं है, क्योंकि जल विरामावस्था में है। अत: विरामावस्था में जल द्वारा लगने वाला बल पिण्ड के सम्पर्क पृष्ठ के अभिलम्बवत् ही आरोपित हो सका है। अत: तरलों के कार्यरत् बल को दाब के रूप में व्यक्त करना अधिक प्रचलित है।
प्रश्न 3.
द्रव-स्तम्भ द्वारा लगने वाले दाब का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
तरल स्तम्भ के कारण दबाव (Pressure Exerted by a Fluid Column) : तरल दाब पर गुरुत्व का प्रभाव : माना तरल से भरा एक पात्र है जिसमें तरल साम्यावस्था में है। इसके कारण इसके भीतर का प्रत्येक आयतन अवयव (volume element) भी साम्यावस्था में होगा।
माना तरल के भीतर C व D दो बिन्दु है जिसके बीच ऊर्ध्वाधर ऊँचाई h है तरल के भीतर एक बेलनाकार स्तम्भ की कल्पना कीजिए जिसका परिच्छेद क्षेत्रफल A है तथा बिन्दु C व D इसके ऊपर व नीचे के केन्द्र हैं। अब, इस कल्पित बेलनाकार तरल स्तम्भ का भार mg = आयतन × घनत्व = Ah × d × g = Ahdg.
यह ऊष्ष्वाधर नीचे की ओर लगता है। यहाँ पर यह माना गया है कि तरल का घनत्व सब जगह एक समान है तथा दाब पर निर्भर नहीं करता है। यह सामान्यत: द्रवों के लिये सत्य है (जो लगभग सम्पीड्य है) परन्तु गैसों के लिये नहीं। माना बिन्दुओं C व D पर दाब क्रमश: 1 व p2 है। तब, काल्पनिक बेलन के सभी फलक पर बल p, A होगा जो ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर कार्यरत है तथा निचले फलक पर बल p2 A} होगा जो ऊर्ष्वाधर ऊपर की ओर कार्यरत है। बेलन के वक्र पृष्ठ पर लगने वाले क्षैतिज बल परस्पर संतुलित होंगे। चूँकि बेलनाकार तरल स्तम्भ साम्यावस्था में हैं, अतः इस पर प्रभावकारी बल शून्य होना चाहिए, अर्थात्
(p1 A + mg)-p2 A=0 ;(p1 A + Ahdg)-p2 A = 0 ; (p2 – p1) A = hdg A ; p2 – p1 = hdg ….
(i) यदि बिन्दु C व D तरल में एक ही तल में हैं (h = 0) तो सेमी० (i) से p2 – p1 = 0 अथवा p1 = p2
सभी (i) से स्पष्ट है कि ऊँचाई h के तरल स्तम्भ द्वारा आरोपित दाब p = p2 – p1 = hdg.
अत: तरल के भीतर किसी बिन्दु पर दाब, तरल के स्वतन्त्र तल से उस बिन्दु की गहराई, तरल के घनत्व तथा गुरुत्वीय त्वरण पर निर्भर करता है। यह बर्तन की आकृति, तली के क्षेत्रफल तथा बर्तन में भरे तरल की मात्रा पर निर्भर नहीं करता। तरल के स्वतन्त्र तल पर वायुमण्डल का दाब पड़ता है, अतः कुल दाब = वायुमण्डलीय दाब + hdg.
प्रश्न 4.
वायुमण्डलीय दाब से आप क्या समझते हैं ? दैनिक जीवन में इसके किसी एक प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
वायुमण्डलीय दाब (Atmospheric Pressure) : प्रत्येक वस्तु जिसमें भार होता है, वह दबाव डालती है। वायुमण्डल की वायु में भी भार होता है। अत: वायु भी दबाव डालती है, यह प्रयोगों के आधार पर सिद्ध हो चुका हैं। इस प्रकार वायुमण्डल में उपस्थित वायु के दाब को वायुमण्डलीय दाब कहते हैं।.
“किसी स्थान के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लम्बवत् पड़ने वाले वायुमण्डलीय भार को वायुमण्डलीय दाब कहते हैं।” वायु मण्डलीय दाब पृथ्वी की सतह पर सबसे अधिक होता है। पृथ्वी की सतह पर इसका मान लगभग 1 किलोग्राम प्रति वर्ग से॰मी॰ होता है। समुद्र की सतह पर पड़ने वाले वायुमण्डलीय दाब को प्रामाणिक वायु-मण्डलीय दाब माना जाता है। इसका मान 6.7 किग्रा० प्रतिवर्ग इंच होता है।
जैसे-जैसे हम पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर चढ़ते जाते हैं, वायुमण्डलीय दबाव कम होता जाता है क्योंकि जैसे-जैसे इम ऊपर की ओर बढ़ते हैं, वायु का घनत्व क्रमशः कम होता जाता है। दुनिया की सबसे ऊँची चोटी पर इसका मान 1.2 कि०ग्रा० प्रति वर्ग इंच रह जाता है।
वायुमण्डलीय दाब का प्रभाव (Effect of Atmospheric Pressure)
ड्रापर में स्याही का भरना : जब ड्रापर के ऊपर स्थित थैली को पकड़कर स्याही में डूबोकर दबाते हैं, तो ड्रापर के अन्दर की वायु बाहर निकल जाती है। इससे ड्रापर के अन्दर दबाव पैदा हो जाता है। इस वजह से बाहर स्थित वायु ड्रापर के अन्दर पवेश करना चाहती है। अत: वायु स्याही पर दबाव डालकर इसे ड्रापर की नली के भीतर ठेल देता है और स्याही इ्रापर में भर जाती है।
प्रश्न 5.
मरकरी बैरोमीटर क्या है ? यह किस सिद्धान्त पर कार्य करता है ?
उत्तर :
मरकरी बैरोमीटर (Mercury Barometer): “बैरोमीटर वह यंत्र है जिसकी सहांयता से किसी स्थान के वायुमण्डलीय दाब की माप की जाती है।” बैरोमीटर में पारे का उपयोग होने के कारण इसे मरकरी बैरोमीटर (Mercury Barometer) कहते हैं।
मरकरी बैरोमीटर का सिद्धान्त (Principal of Mercury Barometer) : मरकरी बैरोमीटर का सिद्धान्त गरंरोसेली के प्रयोग पर आधारित है। यदि 1 मीटर लम्बी एवं 1 से॰मी॰ एक समान व्यास वाली नली जिसका एक सिरा बन्द नथा दूसरा सिरा खुला हो, उसे पारे से भर कर लम्बवत् पारे से भरे एक नाद में उलटकर खड़ा कर दें तो पारा उस नली में 30 इंच या 76 से॰मी॰ की ऊँचाई तक स्थिर रहता है तथा शेष पारा नीचे गिर जाता है। नली में पारे का स्तम्भ वायुमण्डलीय दाब के कारण 76 से॰मी० तक स्थिर रहर्त है। यदि वायुमण्डलीय दाब न होता तो गुरुत्वबल के कारण पारा नली में नीचे गिर जाता। इस प्रकार पारद बैरोमीटर का सिद्धान्त निम्न दो तथ्यों पर आधारित है।
(i) वायुमण्डलीय दाब बढ़ने पर बैरोमीटर की नली में पारे की ऊँचाई बढ़ जाती है। (ii) वायुमण्डलीय दाब में ह्रास होने ‘गर बैरोमीटर की नली में पारे की ऊँचाई कम हो जाती है।
प्रश्न 6.
बैरोमीटर में पारे का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर :
यदि बैरोमीटर में पारे की जगह पानी का इस्तेमाल किया जाय तो पारे वाली नली का 13.6 गुना लम्बी नली लेनी पड़ेगी क्योंकि पारा पानी से 13.6 गुना भारी होता है। बैरोमीटर की नली में पारे के उपर का स्थान शून्य होता है। उसमें न नो पारा रहता है और न वायु! इस खाली स्थान को टारीसेली का शून्य स्थान कहा जाता है किन्तु यह स्थान पूर्ण रूप से शून्य नहीं होता बाल्क इसमें पारे की भाप होती है, जिसका दबाव उपेक्षणीय होता है। यदि नली में ऊपर एक छेद कर दिया जाय तो सम्पूर्ण पारा नीचे गिर जाता है क्योंक उस छेद से होकर नली में हवा प्रवेश कर जाती है और पारे पर दबाव ड्डालती है जिसे पारा नीचे गिरने लगता है।
प्रश्न 7.
बैरोमीटर से मौसम की पूर्व जानकारी कैसे प्राप्त होती है ?
उत्तर :
मौसम की पूर्व जानकारी : पारे के स्तम्भ से मौसम से सम्बन्थित पूर्वाभास किया जाता है । जिसका विवरण इस प्रकार है
- वायुमण्डल में निम्न दाब की स्थिति में बैरोमीटर की नली में पारे का स्तम्भ एकाएक गिर जाता है। इससे नूफान आने की सम्भावना होती है।
- वायुमण्डल की वायु में जलवाष्प की मात्रा अधिक होने पर पारे का तल धीरे-धीरे नोचे गिरता है। इससे वर्षा होने की सम्भावना होती है।
- नली में पारे के तल में एकाएक वृद्धि होने पर वायु में जलवाष्प की मात्रा में पर्याप्त कमी की सूचना मिलती है जिसकी वजह से शुष्क हवा या तेज तूफान का पूर्वानुमान लगाया जाता है।
- जब पारे का तल धीरे-धीरे सामान्य होने लगता है तो वायु में जलवाष्प।
प्रश्न 8.
आर्किमिडीज का सिद्धान्त लिखिए और इसका सत्यापन कीजिए।
उत्तर :
आर्किमिडीज का सिद्धान्त (Archimedes’ Principle) : जब कोई वस्तु किसी द्रव में डुबाई जाती है, तो वह नीचे से ऊपर की ओर लगते हुए एक बल (force) का अनुभव करती है। ऊपर की ओर लगते हुए इस बल को उत्प्लावन बल (Force of buoyancy) कहते हैं। ज्यों-ज्यों वस्तु द्रव में अधिक डूबती है, त्यों-त्यों उत्प्लावन बल की मात्रा अधिक होती जाती है, किन्तु जब वस्तु द्रव में पूर्णत: डूब जाती है, तब उत्प्लावन बल स्थिर हो जाता है। एक साधारण पयोग द्वारा इस तथ्य की जाँच कर सकते हैं। कुएँ से पानी निकालते समय पानी से भरी बाल्टी जब तक पानी के अन्दर रहती है, हल्की मालूम पड़ती है, परन्तु पानी के बाहर आने पर वह भारी मालूम पड़ती है। इस उत्लावन बल के कारण जब किसी वस्तु को किसी तरल (द्रव या गैस) में डुबाया जाता है। तब उस वस्तु के भार में आभासी कमी आ जाती है। इस सिद्धान्त को सबसे पहले यूनानी वैज्ञानिक आर्किमिडीज ने मालूम किया था। इसलिए इसे आर्किमिडीज का सिद्धान्त कहते हैं।
आर्किमिडीज के सिद्धान्त के अनुसार, “जब कोई वस्तु किसी द्रव या गैस में पूर्णत: या अंशत: डुबाई जाती है, तो उसके भार में आभासी कमी होती है। यह कमी वस्तु के डूबे हुए भाग द्वारा हटाये गये द्रव या गैस के भार के बराबर होती है।”
प्रश्न 9.
वस्तुओं के संतुलन की अवस्था में तैरने की शर्तों का उल्लेख करें।
उत्तर :
तैरने का सिद्धान्त (Principle of Floation) : जल या किसी द्रव में डूबी हुई वस्तुओं के ऊपर दो तरह का बल कार्य करता है। एक वस्तु का अपना भार होता है जो सदैव नीचे की ओर काम करता है। दूसरा बल वस्तु द्वारा हटाये गए द्रव का भार होता है, तो वस्तु पर ऊपर की ओर काम करता है। इन दोनों बलों के संयुक्त प्रभाव से वस्तुएँ द्रव में तैरती हैं या डूंब जाती हैं।
अत: “जब कोई वस्तु किसी द्रव में आंशिक या पूरी डूबी हुई तैरती है तो वस्तु का कुल भार वस्तु के डूबे हुए भाग द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होता है।” इसे प्लवन (Floation) का नियम कहते हैं। इस स्थिति में तैरती हुई वस्तु का आभासी भार शून्य होता है।
अत: वस्तुओं के सन्तुलन की अवस्था में तैरने की निम्न दो शर्ते हैं :
(i) द्रव में डूबी हुई वस्तु का कुल भार सदैव वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होता है।
(ii) वस्तु का गुरुत्व केन्द्र (वस्तु के अन्दर या बाहर स्थित वह बिन्दु जिससे होकर वस्तु का सम्मूर्ण भार गुजरता है) तथा हटाए गए द्रव का उत्त्लावन केन्द्र एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा में होने चाहिए।
प्रश्न 10.
प्लावन के नियम के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर :
प्लावन के नियम के उपयोग :
नदी के जल की अपेक्षा समुद्र के जल में तैरना आसान होता है : समुद्र के जल में तैरते समय मनुष्य को अपेक्षाकृत जल का कम आयतन हटाना पड़ता है क्योंकि नमक धुले होने के कारण समुद्र के जल का घनत्व नदी के जल के घनत्व से अधिक होता है। अत: मनुष्य द्वारा हटाए गए समुद्र के जल का भार आसानी से मनुष्य के भार के बराबर हो जाता है। अत: नदी की अपेक्षा सुमद्र के जल में तैरना आसान होता है।
जल में तैरती और डूब जानेवाली वस्तुओं की चर्चा : लकड़ी और लोहे का लगभग समान आकार का एकएक टुकड़ा लेते है। जल में लकड़ी का टुकड़ा डालने पर वह जल में अंशत: डूबकर तैरता रहता है। इसका कारण यह है कि लकड़ी का घनत्व (प्रति एकांक आयतन द्रव्यमान) जल के घनत्व से कम होता है। अब, जल में लोहे का टुकड़ा डालते हैं तो पाते हैं कि लोहे का टुकड़ा जल में डूब जाता है। इसका कारण यह है कि लोहे का घनत्व, जल के घनत्व से अधिक होता है।
प्रश्न 11.
घनत्व एवं आपेक्षिक घनत्व की परिभाषा लिखिए तथा इनमें संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर :
घनत्व (Density) : यदि लकड़ी, लोहा, जल, ग्लिसरीन एवं पारा इत्यादि के समान आयतन को साधारण तुला से तौला जाय, तो उनके द्रव्यमान भिन्न-भिन्न होंगे। यह स्पष्ट करने के लिए कि समान आयतन वाले पदार्थों का द्रव्यमान भिन्न-भिन्न होता है या उनके समान द्रव्यमान का आयतन भिन्न-भिन्न होता है, हम एक पद का प्रयोग करते हैं जिसे घनत्व कहते हैं। इसकी परिभाषा निम्नलिखित हैं – ” किसी पदार्थ के इकाई आयतन की मात्रा को घनत्व कहते हैं।”
आपेक्षिक घनत्व (Relative density) : जैसा कि हम जानते हैं कि 4° C तापमान पर जल का घनत्व 1 ग्राम/घन से॰मी॰ या 1000 कि॰ग्रा०/घन मी॰ होता है, अत: इसे मानक मानते हुए, 4° C पर जल के घनत्व से अन्य पदार्थो के घनत्व की तुलना की जा सकती है और इस प्रकार से प्राप्त अनुपात उस पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व होता है। इस प्रकार, ‘ किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व (R.D.) उस पदार्थ के घनत्व का 4° C पर जल के घनत्व का अनुपात होता है।”
अत:, किसी पदार्थ के आपेक्षिक घनत्व को इस प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है कि ‘ किसी पदार्थ के निश्चित आयतन के द्रव्यमान एवं उसी आयतन के 4° C पर जल के द्रव्यमान के अनुपात को आपेक्षिक घनत्व कहते है।।”
घनत्व एवं आपेक्षिक घनत्व में संबंघ : किसी पदार्थ का इसके घनत्व से आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करते समय (या इसके आपेक्षिक घनत्व से घनत्व), हमें ध्यान रखना चाहिए कि –
(i) C.G.S. पद्धति में 4° C पर जल का घनत्व 1 ग्रा०/घन से॰मी॰ होने के कारण किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व उस पदार्थ के घनत्व के आंशिक मान के बराबर होगा। इस प्रकार,
या, आपेक्षिक घनत्व = ग्राम/घन से॰मी॰ में घनत्व
(ii) S.I. पद्धति में, 4° C पर जल का घनत्व 1000 Kg / m3 होने के कारण, पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व
या, Kg / m3 में घनत्व = R.D. × 1000
उदाहरण :
(i) कापर का घनत्व 8.9 g / cm3 है, अत: इसका आपेक्षिक घनत्व 8.9 होगा।
(ii) पारे का घनत्व 13.6 × 103 Kg / m3 है, अत: इसका आपेक्षिक घनत्व 13.6 होगा।
प्रश्न 12.
द्रवों के प्रवाह की दर का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
द्रवों के प्रवाह की दर (Rate of flow of liquid) : ‘एक निश्चित समय में प्रवाहित होने वाले द्रव की मात्रा द्रवों के प्रवाह की दर कहलाती है।” इसे गैलन प्रति मीटर (g pm) या लीटर प्रति मीटर, (Lpm) द्वारा व्यक्त करते हैं। यह Q = AV से प्रदर्शित होता है, जहाँ, A प्रवाह का क्षेत्रफल एवं V पवाह का वेग है। ‘द्रवों के प्रवाह की दर से एक निश्चित समय में संग्रहित होने वाले द्रव की धारिता (capacity) ‘ C ‘ से भी व्यक्त किया जा सकता है।’ इसे निम्नलिखित रूप में व्यक्त करते हैं। Q = C t, जहाँ C एकत्र होने वाले द्रव की धारिता एवं t द्रव प्रवाहु का समय है। ‘द्रवों के प्रवाह की दर से एक निश्चित समय में विस्थापित होने वाले द्रव के आयतन का पता चलता है।”
द्रवों के प्रवाह की दर के माध्यम से द्रव शक्ति पद्धति द्वारा किए गए कार्य की चाल (speed) का भी पता चलता है। द्रव्यमान पवाह की दर को m = P V के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। यहाँ, V या Q = आयतन प्रवाह की दर है। “द्रव्यमान प्रवाह की दर पदार्थ के द्रव्यमान की वह मात्रा है जो एक निध्थित सतह से इकाई समय से गुजरता है।” इसे m से प्रद्रार्शित करते हैं तथा इसकी S.I. इकाई कि॰ग्रा०/से॰ (kg/ s) होती है।
प्रश्न 13.
बरनौली प्रमेय का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
बरनौली का प्रमेय (Bernoulli’s Theorem) : जब कोई असंपीड्स तथा अश्यान द्रव (अथवा गैस) एक स्थान से दूसरे स्थान तक धारा रेखीय प्रवाह में प्रवाहित होता है, तो इसके मार्ग के प्रत्येक बिन्दु पर इसके प्रति एकांक आयतन की कुल ऊर्जा अर्थात् दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग एक नियतांक होता है। P + [latex]\frac{1}{2}\) p v2 + pgh = नियतांक 1 जहाँ p = द्रव के इकाई आयतन की दाब ऊर्जा, \(\frac{1}{2}\) pv}2 द्रव के इकाई आयतन की गतिज ऊर्जा तथा pgh = द्रव के इकाई आयतन की स्थितिज ऊर्जा।
इस प्रकार बरनौली का प्रमेय एक प्रकार से प्रवाहित द्रव अथवा गैस के लिए ऊर्जा-संरक्षण का सिद्धान्त ही है।
प्रश्न 14.
बैरोमीटर की सहायता से किस प्रकार हम मौसम की विभिन्न जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हैं ?
उत्तर :
बैरोमीटर का उपयोग :
बैंरोमीटर से किसी स्थान का वायु दबाव मालूम किया जाता है।
इसकी सहायता से किसी स्थान की समुद्र तल से ऊँचाई मालूम की जाती है। प्रत्येक 900 फीट की ऊँचाई पर पारे का दबाव एक इंच कम हो जाता है अत: किसी स्थान पर पारे की ऊँचाई जितना इंच कम होगी उसमें 900 से गुणा करेंगे। जितना गुणनफल होगा उतना ही फ़ीट समुद्र तल से वह स्थान ऊँचा होगा। जैसे – मान लिया किसी स्थान पर पारे की ऊँचाई बैरोमीटर की नली में 4 इंच नीचे आ जाता है तो वह स्थान समुद्र तल से 900 × 4 = 3600 फीट ऊँचा होगा।
बैरोमीटर की सहायता से मौसम के विषय में भविष्यवाणी की जाती है। यदि बैरोमीटर में पारे की ऊँचाई अचानक कम हो जाये तो आँधी-तूकान या वर्षा की सम्भावना रहती है। यदि पारे की ऊँचाई अचानक बढ़ जाय तो मौसम शुष्क रहेगा।
प्रश्न 15.
‘जल अपना तल स्वयं ढूँढ़ लेता है’ – सिद्ध करो।
उत्तर :
जल अपना तल स्वयं ढूँढ़ लेता है (Water Finds its own level) : जहाँ कहीं भी पानी गिरता है, यह एक धारा के रूप में बहने लगता है। जल की धारा का यह प्रवाह सदेव उच्च धरातल से निम्न धरातल की ओर होता है। स्थिर अवस्था में जल की ऊपरी सतह पर स्थित प्रत्येक बिन्दु एक सरल रेखा में स्थित होते हैं। जल के इस विशेष गुण को समोच्चशीलता का गुण कहते हैं। इस गुण के कारण ज़ल अपना तल स्वयं ढ़ँढ़ लेता है।
उपयोग – जल वितरण (Water Supply) : जल अपना तल स्वयं ढूँढ़ लेता है। जल के इस गुण का उपयोग करते हुए शहरों एवं कस्बों में जल वितरण की व्यवस्था की जाती है। इस व्यवस्था के लिए शहर के विभिन्न भागों में आवश्यकता के अनुसार ऊँचे स्थानों पर विशाल टंकियाँ बनायी जाती हैं जिसकी ऊँचाई शहर के लगभग सभी मकानों से अधिक होती है। तालाब, नदी, झील इत्यादि जल स्रोतों के जल को विभित्र विधियों से शुद्ध करके पंप की सहायता से इन टकियों में पहुँचाया जाता है। एक मोटे पाइप के द्वारा इस टंकी से जल नीचे लाया जाता है। इस मोटे पाइप से अनेक पतले-पतले पाइप जुड़े रहते हैं जिनके माध्यम से शहर के विभिन्न भागों में विभिन्न ऊँचाई पर स्थित घरों में पेय जल वितरित किया जाता है। पानी की टंकी में जिस ऊँचाई तक पानी भरा रहता है, उस ऊँचाई तक के मकानों में पानी पहुँच जाता है।
प्रश्न 16.
Stream lined तथा Turbulent प्रवाह किसे कहते हैं, स्पष्ट करो ?
उत्तर :
Stream lined या Linear प्रवाह : किसी द्रव का वह प्रवाह जिसमें द्रव का प्रत्येक कण अपने आगे के कण के वेग का अनुसरण् करता है तथा उसके वेग का परिमाण तथा दिशा सामने के कण के परिमाण और दिशा के बराबर होता है। जब दोनों एक निश्चित बिन्दु को पार करते हैं। लेकिन कणों का वेग अलग अलग बिन्दु पर समान हो ऐसा आवश्यक नहीं है। इस प्रकार का नियमित प्रवाह Stream lined प्रवाह कहलाता है।
पर्ण दलीय प्रवाह (laminar) : यदि कोई द्रव किसी क्षैतिज सतह पर नियमित रूप से प्रवाहित हो रहा हो तथा उसका विभिन्न स्तर भिन्न-भिन्न वेग से गति कर रहा हो तथा आपस में कहीं भी मिश्रित नहीं होते हैं तो ऐसा प्रवाह Laminar प्रवाह कहलाता हैं। इस प्रकार ऐसे प्रवाह में द्रव स्तरों में गति करता है। इस प्रकार के द्रव के प्रवाह में एक स्तर के ऊपर दूसरा स्तर slide करता है। इस प्रकार के प्रवाह में द्रव का वेग हमेशा द्रव के critical वेग से कम होता है।
टर्बलेन्ट बहाव (Turbulent Flow) : टर्बलेन्ट्र बहाव के वर्णन के पहले हमे तरल के क्रांतिक वेग (critical velocity) को जानना जरूरी है। किसी द्रव का क्रांतिक वेग, वह वेग है जिसके पहले द्रव का प्रवाह Stream line होता है तथा जिसके बाद वह Turbulent हो जाता है। अत: जब कोई द्रव अपने क्रांतिक वेग से अधिक वेग से प्रवाहित होता हैं, तो तरल पदार्थ के अणु अनियमित या अस्वाभाविक गति में प्रवाहित होते हैं, ऐसे में तरल पदार्थ की गति को Turbulent flow कहा जाता है।
प्रश्न 17.
एक Sipon की क्रियाशीलता की क्या-क्या शर्ते हैं ?
उत्तर :
एक Sipon की क्रियाशीलता की शर्तें : साइफन पद्धति की सहायता से जल को ऊँचे स्थानों से निम्न स्थानों पर पहुँचाया ज़ाता है। चित्र में साइफन पद्धति को दिखाया गया है जिसमें P एव Q दो पात्र होते हैं। पात्र Q की तुलना में पात्र P ऊँचाई पर होता है। पात्र P में रखा हुआ जल एक काँच या रबर की नली A B द्वारा पात्र Q में पहुँचाया जाता है जिसका A सिरा प्रात्र P के जल में डूबा रहता है जबकि दूसरा सिरा B पात्र Q में खुला रहता है।
पात्र A से पात्र B में जल को स्थानान्तरित करने के लिए सर्वप्रथम नली के B सिरे से वायु को खींचा जाता है जिससे नली के अन्दर दबाव घट जाता है और पात्र P में जल की सतह के ऊपर वायुमण्डलीय दाब सक्रिय होने के कारण जल को नली के A सिरे से ऊपर उठने के लिए बाध्य करता है, और इस तरह से नली में C बिन्दु तक जल ऊपर उठ जाता है। इस प्रकार C और B बिन्दु के मध्य द्रव दाब में अन्तर होने के कारण जल उच्च स्तर C से निम्न स्तर B की ओर पात्र Q में प्रवाहित होता है।
प्रश्न 18.
सेविंग ब्लेड पानी में तैरता है क्यों, विस्तार से लिखिए। पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारकों के विषय में लिखिए।
उत्तर :
दाढ़ी बनाने वाली ब्लेड का जल की सतह पर तैरना : जब एक स्वच्छ दाढ़ी बनाने वाली ब्लेड को स्याही के सोखते पर रखकर धीरे से जल की सतह पर रख देते हैं, तो कुछ देर बाद सोखता तो जल में डूब जाता है लेकिन ब्लेड तैरती रहती है। चूंकि ब्लेड का घनत्व जल के घनत्व से अधिक होता है, अतः उत्प्लावक बल (आर्किमीडीज का सिद्धान्त) के कारण जल की सतह पर नहीं तैर सकती। इसके तैरने का कारण पृष्ट तनाव है।
जब ब्लेड़ को जल की सतह पर रखा जाता है, तो यह अपने भार के कारण जल की सतह को थोड़ा नीचे दबा देती है, जिससे जल के मुक्त सतह का क्षेत्रफल थोड़ा सा बढ़ जाता है। पृष्ठ तनाव के कारण जल अपने पृष्ठ क्षेत्रफल को कम करने के लिए ब्लेड पर प्रत्यानयन बल FT, FT लगाता है। प्रत्यानयन बल FT, FT को क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर घटको में वियोजित करने पर, क्षैतिज-घटक एक दूसरे को निष्क्रिय कर देते हैं तथा उर्ष्वाधर घटक आपस में जुड़कर ब्लेड के भार को संतुलित किए रहते हैं। अतः ब्लेड जल पर तैरती रहती है।
द्रव के पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारक (Factors effecting the surface tension of a liquid) :
(i) यदि जल की सतह पर तेल या ग्रीस के रूप में कोई चिकनाई वाले पदार्थ तथा धूल के कण उपस्थित हो, तो जल का पृष्ठ तनाव घट जाता है।
(ii) तापमान बढ़ने पर ससंजक बल का मान घट जाता है। अतः पृष्ठ तनाव घट जाता है। क्रांतिक तापमान पर पृष्ठ तनाव शून्य हो जाता है।
(iii) यदि विलेय पदार्थ बहुत घुलनशील है, तो द्रव का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है। जैसे जल में नमक डालने पर जल का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है। यदि विलेय पदार्थ कम घुलनशील है, तो पृष्ठ तनाव घट जाता है। जैसे जल में साबुन या फीनॉल घुले होने पर जल का पृष्ठ तनाव घट जाता है।
प्रश्न 19.
प्रत्यास्थता क्या है ? हुक का नियम विस्तार से लिखिए। प्रत्यास्थता के दैनिक जीवन में दो उपयोग बताइए।
उत्तर :
प्रत्यास्थता (Elasticity) : Elasticity का शाब्दिक अर्थ लचीलापन है। किसी पिण्ड का वह गुण, जिससे वह प्रत्यारोपित बल को हटा लेने पर अपनी प्रारंभिक आकृति एवं आकार को पुनः प्राप्त कर लेता है, उसे Elasticity कहते हैं।
अत: प्रत्यास्थता पदार्थ के उस गुण को कहते हैं जिसके कारण उस पर बाह्य बल लगाने पर उसमें विकृति आती है परन्तु बल हटा लेने पर वह अपनी मूल स्थिति में आ जाता है उसे प्रत्यास्थता (Elasticity) कहते हैं।
हुक का नियम : सन् 1679 ई० में रार्बट हुक ने यह बताया कि ‘पत्यस्थता की सीमा में किसी वस्तु में उत्पत्र विकृति (Strain) उस पर लगाये गये प्रतिबल (Stress) के अनुक्रमानुपाती होता है।”
प्रतिबल α विकृति
प्रतिबल = E × विकृति, जहाँ E = एक स्थिरांक है।
= E = “प्रत्यास्थता गुणांक” (Modulus of elasticity)
किसी पदार्थ का प्रत्यास्थता गुणांक (E) जितना अधिक होगा वह उतना ही अधिक प्रत्यास्थ (Elastic) कहलाता है। दैनिक जीवन में प्रत्यास्थता का निम्नलिखित उपयोग होता है –
- घरों में तथा दुकानों में प्रयोग आने वाले प्लास (Plier) तथा स्कूड्रावर (Screw driver) कंठोर पदार्थ का बना होता है जिसके कारण यह अधिक stress को सहन कर सकें।
- गाडर या रेल की पटरी को एक निश्चित आकार का बनाया जाता है जिससे अधिक ताकत मिले तथा गाडर में प्रयोग आने वाले पदार्थ की बचत हो।
- नदी पर बने पुल को एक निश्चित आकार दिया जाता है जिससे हमें अधिक विकृति (Strain) मिले तथा छोटा प्रतिबल (Stress) उत्पत्र हो तो उस पुल को अधिक सुरक्षित कहा जाता है।
प्रश्न 20.
घनत्व तथा आपेक्षिक घनत्व में अन्तर लिखो।
उत्तर :
घनत्व तथा आपेक्षिक घनत्व में सम्बन्ध : किसी पदार्थ का इसके घनत्व से आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करते समय (या इसके आपेक्षिक घनत्व से घनत्व), हमें ध्यान रखना चाहिए कि
(i) C.G.S. पद्धति में 4° C पर जल का घनत्व 1 ग्रा०/घ० से॰मी॰ होने के कारण किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व उस पदार्थ के घनत्व के आकिक मान के बराबर होगा। इस प्रकार,
यां, आपेक्षिक घनत्व = ग्राम/घन सें० मी॰ में घनत्व।
(ii) S.I. पद्धाति में, 4° C पर जल का घनत्व 1000 kg / m3 होने के कारण, पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व।
उदाहरण :
(i) कॉपर का घनत्व 8.9 g / cm3 है, अत: इसका आपेक्षिक घनत्व 8.9 होगा।
(ii) पारे का घनत्व 13.6 × 103 kg / m3 है, अत: इसका आपेक्षिक घनत्व 13.6 होगा।
प्रश्न 21.
किसी द्रव का Surface tension किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर :
माना एक बर्तन में (P) घनत्व वाला द्रव भरा हुआ है जो स्थिर है। गहराई में स्थित एक बिन्दु या एक वृत्ताकार सतह जिसका क्षेत्रफल A है तथा गहराई (h) है। उस पर आरोपित दबाव को निकालना है। P Q सतह के क्षेत्रफल पर आरोपित दबाव का मान निकालने के लिये PQRS एक बेलनाकार रचना लेते हैं जिसका आधार P Q है तथा ऊपरी सतह R S है और ऊँचाई h हैं।
P Q सतह पर आरोपित thrust = PQRS रचना का भार
= PQRS रचना में
स्थित जल का आयतन × घनत्व × गुरुत्वजनित त्वरण
= (आधार का क्षेत्रफल × ऊँचाई) × p × g
= A × h × p × g
दबाव = \(\frac{\text { Ahpg }}{A}\) = hpg
दबाव = गहराई × द्रव का घनत्व × गुरुत्व जनित त्वरण
इस प्रकार द्रव में स्थित किसी बिन्दु पर आरोपित दबाव निम्न कारकों पर निर्भर करता है –
- उस बिन्दु का मूल सतह से गहराई (h)
- द्रव का घनत्व (P)
- गुरुत्व जनित त्वरण (g)
प्रश्न 22.
बरनौली के सिद्धान्त के आघार पर तूफान में झोपड़ी की छत के उड़ जाने की घटना की व्याख्या करो?
उत्तर :
बरनौली के सिद्धान्त के आधार पर तूफान में झोपड़ी की छत के उड़ जाने की घटना : तूफान के समय बिना झोपड़ी को नुकसान पहुँचाये छत उड़ जाती है। तूफान के समय छत के ऊपर से हवा बहुत तेज गति से बहती है। फलस्वरूप छत के ऊपर दबाव कम हो जाता है। छत के नीचे अर्थात् झोपड़ी के अन्दर हवा का बहाव नहीं रहने के कारण ऊपरी दबाव अधिक रहता है। इस प्रकार दबाव के अंतर के कारण झोपड़ी की छत के ऊपर ऊर्ध्वाधर रूप से ऊपर की ओर दबाव कार्य करता है। जब यह ऊपरी दबाव, छत के गुरुत्व खिंचाव बल से अधिक हो जाता है तब छत झोपड़ी के ऊपर से हवा केबहव में बह या उड़ जाती है।
प्रश्न 23.
(a) शहरों में जल की आपूर्ति किस सिद्धांत पर आधारित होती है ?
(b) द्रव का दबाव गहराई बढ़ने से बढ़ता है – सिद्ध करो।
उत्तर :
(a) उपयोग – जल वितरण (Water Supply) : जल अपना तल स्वयं ढूँढ़ लेता है। जल के इस गुण का उपयोग करते हुए शहरों एवं कस्बों में जल वितरण की व्यवस्था की जाती है। इस व्यवस्था के लिए शहर के विभिन्न भागं। में आवश्यकता के अनुसार ऊँचे स्थानों पर विशाल टंकियाँ बनायी जाती है जिसकी ऊँचाई शहर के लगभग सभी मकानो से अधिक होती है। तालाब, नदी, झील इत्यादि जल स्रोतों के जल को विभिन्न विधियों से शुद्ध करके पंप की सहायता से इन टंकियों में पहुँचाया जाता है। एक मोटे पाइप के द्वारा इस टंकी से जल नीचे लाया जाता है। इस मोटे पाइप से अनेक पतले-पतले पाइप जुड़े रहते हैं जिनके माध्यम से शहर के विभिन्न भागों में विभिन्न ऊँचाई पर स्थित घरों में पेय जल वितरित किया जाता है। पानी की टंकी में जिस ऊँचाई तक पानी भरा रहता है, उस ऊँचाई तक के मकानों में पानी पहुँच जाता है
(b) द्रव का दबाव गहराई बढ़ने से बढ़ता है : तरल के भीतर किसी बिन्दु पर दाब, तरल के स्वतन्त्र तल से उस बिन्दु की गहराई, तरल के घनत्व तथा गुरुत्वीय त्वरण पर निर्भर करता है। यह बर्तन की आकृति, तलो के क्षेत्रफल तथा बर्तन में भरे तरल की मात्रा पर निर्भर नहीं करता। तरल के स्वतन्त्र तल पर वायुमण्डल का दाब पड़ता है, अत: कुल दाव = वायुमण्डलीय दाब + hdg.
प्रश्न 24.
(a) पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ? या, पृष्ठ तनाव किन-किन बातो पर निर्भर करता है ?
(b) सिद्ध करो कि द्रव का मुक्तपृष्ठ सिकुड़ कर न्यूनतम क्षेत्रफल बना लेता है।
उत्तर :
तरल के पृष्ठ तनाव पर विभिन्न कारकों का प्रभाव (Factors effecting on the surface tension of a liquid) : तरल के पृष्ठ तनाव को प्रवाहित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
घुलित का प्रभाव (Effect of Solute) : किसी तरल में कोई अन्य पदार्थ घुला हुआ होने पर पृष्ठ तनाव का मान बदल जाता है।
(क) तरल में अकार्बनिक पदार्थ घुले रहने पर पृष्ठ तनाव का मान बढ़ जाता है।
(ख) तरल में कार्बनिक पदार्थ के घुले रहने पर पृष्ठ तनाव का मान घट जाता है।
अघुलनशील अघुलित अशुद्धि (Effect of insoluble impurity) : अघुलनशील अयुलित के रहने पर तरल का पृष्ठ तनाव घट जाता है।
तापक्रम का प्रभाव (Effect of temperature) : तापक्रम बढ़ने पर तरल का पृष्ठ तनाव घटता है।
घनत्व का प्रभाव (Effect of density) : घनत्व का भी प्रभाव पृष्ठ तनाव पर पड़ता है।
प्रश्न 25.
तरल के अन्दर किसी बिन्दुपर द्रव का दबाव hdg होता है, प्रमाणित कीजिए? द्रव के दाब के गुण बताइए।
उत्तर :
तरल के भीतर किसी बिन्दु पर दाब, तरल के स्वतन्त्र तल से उस बिन्दु की गहराई, तरल के घनत्व तथा गुरुत्वीय त्वरण पर निर्भर करता है। यह बर्तन की आकृति, तली के क्षेत्रफल तथा बर्तन में भरे तरल की मात्रा पर निर्भर नहीं करता। तरल के स्वतन्त्र तल पर वायुमण्डल का दाब पड़ता है, अत:
कुल दाब = वायुमण्डलीय दाब + hdg.
प्रश्न 26.
तन्य पदार्थ, भंगुर पदार्थ एवं प्रत्यास्थालक पदार्थ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
पदार्थों में पाया जाने वाला तन्यता (ductility) का गुणा : हम अपने दैनिक जीवन में धातुओं से बने विभिन्न मकार के तारों (Wires) का प्रयोग करते हैं। ये तार धातुओं पर बल लगाकर उन्हें तान कर बनाए जाते हैं अर्थात् हम कह सकते हैं कि धातुओं में एक विशेष प्रकार का गुण पाया जाता है जिसके कारण उन्हें तानकर लम्बा करके तार के रूप में बदला जा सकता है। अत: “धातुओं के उस गुण को जिसके कारण उन्हें तानकर तार के रूप में बदला जा सके उसे तन्यता (ductility) कहते हैं।”
पदार्थों में पाया जाने वाला भंगुरता (Brittleness) का गुण : हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं कि जब मिट्टी के ढेले, ईट या पत्थर के दुकड़े को जोर से हर्थोड़े से पीटते हैं, तो ये चूर-चूर हो जाते हैं।
अत: “पदार्थों के उस गुण को जिसके कारण उन्हें जोरे-जोर से पीटने पर चूर-चूर हो जाते हैं, उसे भंगुरता (Brittleness) कहते हैं।’
पदार्थों में पाया ज़ाने वाला आघातवर्धनीयता (malleability) का गुण : विभिन्न प्रकार की धातुओं के टुकड़ों को गर्म करके उन्हें हथौड़े से पीटने पर वे अपने आयतन में फैलती हैं। कई बार गर्म कर के उन्हें बार-बार पीटने पर वे चादर के रूप में बदल जाती हैं। धातुओं के इस गुण को आघातवर्धनीयता (malleability) कहते हैं।
अत: “धातुओं के उस गुण को जिसके कारण उन्हें पीटने पर चादर के रूप में बदल जाती है, उसे आघातवर्धनीयता कहत्ते हैं।”
आंकिक प्रश्नोत्तर (Numrical Answer Type) : 3 MARKS
प्रश्न 1.
एक नाखून पर 80 न्यूटन का बल लगाया गया है, जिसके किनारे का परिच्छेद क्षेत्रफल 0.002 सेमी ^2 है, किनारे पर दाब ज्ञात कीजिए।
हल : दिया गया है, आरोपित बल = 80 N,
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल = 0.002 cm2 = \(\frac{.002}{100 \times 100}\) m2 = 2 × 109 N / m2
= 4 × 10° N / m2
उत्तर :
4 × 105 Pascal.
प्रश्न 2.
1 वर्ग से०मी० अनुप्रस्थ परिच्छेद के तार के निचले सिरे से 1.0 किग्रा भार लटकाने पर तार में उत्पत्र प्रतिबल का मान एवं दिशा बताइए। (g = 9.8 m / s2)
हल : दिया गया है, आरोपित बल (mg), 1 × 9.8 N=9.8 N
उत्तर :
9.8 × 108 N / m2; ऊपर की ओर।
प्रश्न 3.
एक तार में 2 × 10-4 रेखीय विकृति उत्पत्न करने से 2.4 × 107 न्यूटन/मी०2 का प्रतिबल उत्पन्न होता है। तार के पदार्थ का यंग प्रत्यास्थता गुणांक ज्ञात कीजिए।
हल : दिया गया है, प्रतिबल =2.4 × 107 N / m2
विक्रुति = 2 × 10-4 N / m2
उत्तर :
1.2 × 1011 N / m2
प्रश्न 4.
यदि 20 न्यूटन का बल 4 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर लग रहा हो, तो दाब की गणना कीजिए।
हल : दिया गया है, बल =20 N, क्षेत्रफल =4 m2
उत्तर :
5 न्यूटन / मीटर 2
प्रश्न 5.
एक बाँध की गहराई 150 मीटर है। इसकी पेंदी पर जल का दाब कितना होगा ? [g का मान 10 मीटर/से० 2 हल : दिया गया है, बाँध की गहराई (h)=150 m; जल का घनत्व =1000 kg / m3 गुरुत्वीय त्तरण (g) = 10 m / s2 .
∴ बाँध की पेंदी पर लगने वाला दबाव (P) = h d g = 150 m × 1000 kg / m2 × 10 m / s2
= 1500000 N / m2 = 1.5 × 106 N / m2
उत्तर :
1.5 × 106 न्यूटन/ मीटर 2
प्रश्न 6.
पानी की एक घनाकार टंकी की गहराई 2 मीटर है। इसकी पेंदी पर पानी का दाब निकालिए। पानी का घनत्व 1000 कि०ग्रा०/ मीटर 3 तथा g = 9.8 मीटर / सेकेण्ड 2 है।
हल : दिया गया है घनाकार टंकी की गहराई (h)=2 m; जल का घनत्व (d) = 1000 kg / m3;
गुरुत्वीय त्तरण (g)=9.8 m / s2
∴ टंकी की पेंदी पर जल का दबाव (P)=h d g. =2 m × 1000 kg / m3 × 9.8 m / s2
= 19600 N / m2=1.96 × 104 N / m2 T
उत्तर :
1.96 × 104 न्यूटन/मीटर 2
प्रश्न 7.
20 तथा 25 ग्राम के दो कॉर्क के टुकड़े पानी में इस प्रकार तर रहे हैं कि प्रस्येक का \(\frac{1}{4}\) भाग पानी में ड्बा रहता है। कॉर्क के टुकड़े का पानी में आभासी भार क्या होगा ?
हल : यहाँ कॉर्क के टुकड़ोंका भार उत्स्लावक बल से कम होगा। अत: कॉर्क के टुकड़ों का उल में आभासी भार शून्य (0) होगा।
प्रश्न 8.
किसी वस्तु का वायु में भार 19 कि०ग्रा० है। यदि जल में डूबने पर इसके भार में 2.5 कि०ग्रा० की कमी आती है, तो उस वस्तु का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात कीजिए।
हल : दिया गया है वायु में वस्तु का भार (W) = 19 kg
तथा जल में डूबोने पर भार में कमी (w) = 2.5 kg.
∴ वस्तु का आपेक्षिक घनत्व = \(\frac{W}{W}\) = \(\frac{19 kg}{2.5 kg}\) = \(\frac{190}{25}\) = 7.6
उत्तर :
7.6
प्रश्न 9.
10 मि०मी० समान परिच्छेद के तार के निचले सिरे से 1.0 किग्रा-भार लटकाने पर तार में उत्पन्न प्रतिबल का मान बताइए। (g = 9.8. मीटर / सेकेण्ड 2)
हल : दिया गया है तार पर आरोपित बल (F) = m g = 1 × 9.8 N = 9.8 N
तार के अनुप्स्थ काट का क्षेत्रफल =10 mm2 = 10 mm × 1 mm = \(\frac{10}{1000}\) m × \(\frac{1}{100}\) m = \(\frac{1}{100000}\) m2
= 9.8 × 105 N / m2
उत्तर :
9.8 × 105 N / m2
प्रश्न 10.
4.0 मीटर लम्बे तार की अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल 1.2 सेमी है। यह तार 4.8 × 103 न्यूटन के बल द्वारा खींचा जाता है। यदि तार का यंग-गुणांक 1.2 × 1011 न्यूटन/ मीटर 2 होती तो (i) प्रतिबल, (ii) विकृति (iii) लम्बाई में वृद्धि का मान बताइए।
हल : दिया गया है तार की लम्बाई (L) = 4 m, तार के अनुप्रस्थ काट का
उत्तर :
(i) 4 × 107 न्यूटन/मीटर 2
(ii) 3.3 × 10-4
(iii) 1.33 मिमी