Detailed explanations in West Bengal Board Class 9 Physical Science Book Solutions Chapter 2 बल और गति offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 9 Physical Science Chapter 2 Question Answer – बल और गति
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
न्यूटन के गति का कौन-सा नियम जड़त्व का नियम कहा जाता है ?
उत्तर :
पहला:
प्रश्न 2.
गति कितने प्रकार की होती हैं ?
उत्तर :
चार प्रकार की होनी हैं।
प्रश्न 3.
दोलन गति का एक उदाहरण दें।
उत्तर :
सिलाई मशोन की सई ।
प्रश्न 4.
विस्थापन अदैशिक है या दैशिक राशि है ?
उत्तर :
देशिक्र राशि।
प्रश्न 5.
त्वरण कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर :
त्वरण दां प्रकार का हांता है।
प्रश्न 6.
विस्थापन परिवर्तन की दर को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
वंग
प्रश्न 7.
कार में ब्रेक लगाने पर कौन-सा त्वरण उत्पन्न होता है ?
उत्तर :
मदन
प्रश्न 8.
न्यृटन के द्वारा लिखित एक पुस्तिका का नाम दें।
उत्तर :
खगालीय दूरदर्शक की रचना की।
प्रश्न 9.
संवेग की S.I. इकाई बताएँ।
उत्तर :
Ka m / sec.
प्रश्न 10.
v2-u2 किसके बराबर होता है ?
उत्तर :
2 ds.
प्रश्न 11.
बल कौन सी राशि है ?
उत्तर :
द्रेशिक।
प्रश्न 12.
क्या क्रिया एवं प्रतिक्रिया एक ही पिंड पर या भिन्न पिण्डों पर कार्य करते हैं?
उत्तर :
क्रिया एवं प्रतिक्रिया एक ही पिंड पर कार्य करते हैं।
प्रश्न 13.
एक पिण्ड का त्वरण अपने गति के दौरान पाँच गुना हो जाता है। क्या उस पर लगा हुआ बल भी बदल जाता है? यदि हाँ, तो कितने से बदलता है?
उत्तर :
5
प्रश्न 14.
चलती बस में ब्रेक लगाने पर व्यक्ति किधर झुकता है ?
उत्तर :
आगे की तरफ।
प्रश्न 15.
न्यूटन के किस नियम से बल की परिभाषा प्राप्त होती है ?
उत्तर :
गुरुत्वाकर्षेण का नियम।
प्रश्न 16.
डाइन एवं न्यूटन में क्या संबंध है ?
उत्तर :
1 न्यूटन =10^5 डाइन।
प्रश्न 17.
ओडोमीटर से क्या मापा जाता है?
उत्तर :
ओडोमीटर से वाहनों के द्वारा चलाई गयी दूरी मापी जाती है।
प्रश्न 18.
बल दैशिक राशि है या अदैशिक राशि बताइए।
उत्तर :
बल एक दैशिक राशि है।
प्रश्न 19.
जड़त्व का नियम न्यूटन के किस नियम को कहते हैं?
उत्तर :
प्रथम नियम की न्यूटन के जड़त्व का नियम कहते हैं।
प्रश्न 20.
एक न्यूटन का मान बताइए।
उत्तर :
1 न्यूटन = 9.8 kgwt
प्रश्न 21.
चाल की S.I. पद्धति में इकाई क्या है ?
उत्तर :
मीटर/से०।
प्रश्न 22.
गति का कौन-सा नियम बल की परिभाषा देता है ?
उत्तर :
पहला।
प्रश्न 23.
किसी पिंड का त्वरण कब शून्य होता है ?
उत्तर :
वेग स्थिर रहने पर।
प्रश्न 24.
किसी वस्तु के द्रव्यमान और वेग के सम्मिलित प्रभाव को किस भौतिक राशि से व्यक्त करते हैं ?
उत्तर :
संवेग।
प्रश्न 25.
Effect force किस दिशा में कार्य करता है ?
उत्तर :
त्वरण की दिशा में।
प्रश्न 26.
मात्रा x त्वरण क्या होता है ?
उत्तर :
बल।
प्रश्न 27.
न्यूटन किसकी इकाई है ?
उत्तर :
S.I. पद्धति में बल की।
प्रश्न 28.
मात्रा तथा वेग के गुणनफल को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
संवेग।
प्रश्न 29.
गेंद धरती पर लुढ़कने के कुछ समय बाद रूक जाती है क्यों ?
उत्तर :
घर्षण बल के कारण।
प्रश्न 30.
संवेग के परिवर्तन की दर किस राशि को सूचित करती है ?
उत्तर :
बल।
प्रश्न 31.
एक पिंड पर लगे बल और उसमें उत्पन्न त्वरण के बीच क्या संबंघ है ?
उत्तर :
सीधा संबंध।
प्रश्न 32.
बल एक अदिश राशि है या सदिश राशि ?
उत्तर :
सदिश राशि।
प्रश्न 33.
संवेग का S.I मात्रक क्या है ?
उत्तर :
K.G. ms-1
प्रश्न 34.
असंतुलित बल किसी वस्तु पर कैसा त्वरण उत्पत्र करता है – शून्य या अशून्य ?
उत्तर :
अशून्य।
प्रश्न 35.
न्यूटन के तृतीय गति के नियम को लिखें।
उत्तर :
प्रत्येक क्रिया के बराबर एवं विपरित प्रतिक्रिया होती है।
प्रश्न 36.
क्या क्रिया एवं प्रतिक्रिया एक ही पिंड पर या भिन्न पिंडों पर कार्य करते हैं ?
उत्तर :
भिन्न-भिन्न पिण्डों पर।
प्रश्न 37.
निम्नलिखित तथ्यों की व्याख्या किस प्रकार के जड़त्व से होती है ?
(क) कूदने के पहले मनुष्य दौड़ता है।
(ख) साइकिल-सवार द्वारा पैडल चलाना बंद करने के बाद भी साइकिल सड़क पर कुछ दूर तक गति में रहती है।
(ग) यात्री पीछे की ओर झुक जाता है जब रेलगाड़ी एकाएक चल पड़ती है।
उत्तर :
(क) गतिज जड़त्व।
(ख) स्थिर जड़त्व।
(ग) स्थिर जड़त्व।
प्रश्न 38.
गति के उस नियम का नाम लिखें, जो निम्नलिखित में लागू होता है –
(क) पानी में तैरना,
(ख) मेज पर पड़ी पुस्तक का वहीं रहना
(ग) गोली का दौड़ना।
उत्तर :
तृतीय।
प्रश्न 39.
निम्नांकित में किसका जड़त्व अधिक है ?
(क) एक रबर की गेंद एवं उसी आकार का पत्थर
(ख) एक साइकिल और एक रेलगाड़ी
(ग) पाँच रुपये का एक सिक्का।
उत्तर :
रेलगाड़ी।
प्रश्न 40.
घर्षण बल की दिशा क्या होती है ?
उत्तर :
गतिशील वस्तु की दिशा के विपरित।
प्रश्न 41.
2 N का एक बल 2 kg द्रव्यमान के एक पिंड पर कार्य करता है, तो उसमें त्वरण क्या है ?
उत्तर :
4 किलो०/से०।
प्रश्न 42.
किसी वस्तु पर 25 N का बल लगाने से उसमें 5 m / s2 का त्वरण उत्पन्न होता है। वस्तु का द्रव्यमान कितना है ?
उत्तर :
5 kg.
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS
प्रश्न 1.
बल की परिभाषा दें। इसका S.I. मात्रक क्या है ?
उत्तर :
बल की परिभाषा (Definition of force) : न्यूटन के गति के प्रथम नियम के दूसरे भाग से हमें बल की परिभाषा प्राप्त होती है, जिसके अनुसार ‘बल वह वाह्य कारूण है जो किसी वस्तु की वर्तमान अवस्था को बदलने का प्रयास करे या बदल दे।”
प्रश्न 2.
संतुलित और असंतुलित बलों की परिभाषा दें।
उत्तर :
संतुलित बल (Balanced force) : यदि वस्तु पर लगने वाले बलों का परिणाम शून्य हो तो वह बल संतुलित बल कहलाता है।
असंतुलित बल (Unbalanced force) : यदि हम संतुलित बलों से शुरू करें और तब उनमें किसी एक बल को बढ़ा या घटा है तो परिणामी बल शून्य नहीं रह जाएगा और वस्तु उस बढ़े हुए बल की दिशा में गति करना प्रारंभ कर देगी, अर्थात् उसमें त्वरण उत्पन्न हो जाएगा। इस स्थिति में बल असंतुलित रह जाते हैं अर्थात्, अशून्य परिणानी बल को असंतुलित बल कहते हैं।
प्रश्न 3.
जड़त्व का नियम क्या है ? इसे किस वैज्ञानिक ने प्रतिपादित किया था ?
उत्तर :
जड़ता पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण कोई वस्तु अपनी प्रारंभक अवस्था में बनी रहना चाहती है अर्थात् यदि वह विरामववस्था में हो तो विरामावस्था में और सरल रेखा में समरूप गति में हो तो सरल रेखा में ही गमन करना चाहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल न लगाया जाय।
प्रश्न 4.
घूर्णन गति को परिभाषित करें।
उत्तर : यदि कोई गतिशोल वस्तु किसी निश्चित विन्दु को केन्द्र मानकर समान दूरी बनाए रखकर समकेन्द्रीय वृत्तीय पथ पर गमन करे तो इस गति को घूर्णन गति या आवर्त्त गति कहते हैं। जैसे – लट्टू का घूर्णन, विद्युत पंखा, कुम्हार का चाक, घड़ी की सूई इत्यादि ।
प्रश्न 5.
न्यूटन व डाईन में सम्बन्ध स्थापित करें।
उत्तर :
न्यूटन तथा डाइन में सम्बन्ध :
∴ 1 Newton = 1 Kg × 1 m / sec2
= 1000 gm × 100 cm / sec2
= 105 gm . cm / sec2 = 105 dyne.
प्रश्न 6.
रेखीय संवेग संरक्षण के नियम बताएँ।
उत्तर :
रेखीय संवेग संरक्षण के नियम : यदि हम कैरम बोर्ड पर एक ‘गोटी’ और एक ‘स्ट्राइकर’ पर बारी बारी से उंगली के द्वारा समान बल से चोट करें, तो हम देखते हैं कि अधिक द्रव्यमान (Mass) वाला स्ट्राइकर उतने तीव्र वेग से नहीं चलता जितने वेग से कम द्रव्यमान वाली गोटी चलती है। इसी प्रकार यदि हमारी और एक टेनिस की गेंद और एक क्रिकेट की गेंद समान वेग से आ रही हों, तो उन्हें रोकने के लिए कम द्रव्यमान वाली टेनिस की गेंद की अपेक्षा अधिक द्रव्यमान वाली क्रिकेट की गेंद पर अधिक बल लगाना पड़ता है। अतः, किसी वस्तु को चलाने वाला या रोकने वाला बल उस वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है।
प्रश्न 7.
सरल रेखीय गति से क्या समझते हैं ?
उत्तर :
सरल रेखीय गति (Linear motion) : हम घर से स्कूल पैैदल चलकर या किसी वाहन में बैठकर आते हैं। घर से स्कूल आते समय या स्कूल से घर जाते समय हम एक सीधी रेखा में (Linear) गति करते हैं। जब हम घर पर रहते है, तो गह हमारी पहली स्थिति (position) में होते हैं। इस प्रकार एक सरल रेखा में गति करते हुए हम एक स्थिति से दूसरी स्थिति में पहुँच जाते हैं अर्थात् हमारी स्थिति में परिवर्तन (Change in position) हो जाता है। अतः इस प्रकार हम कह सकते है कि, ” किसी वस्त का समय के साथ एक सरल रेखा में स्थिति परिवर्तन को सरल रेखीय गति कहते है।”
प्रश्न 8.
परम विराम किसे कहते हैं ?
उत्तर :
परम विराम (Absolute rest) : जब कोई वस्तु अन्तरारक्ष (Space) में स्थित किसी बिन्दु के सापंपक्ष समय के साथ-साथ अपना स्थान न्हीं बदलती है तो वस्तु परम विराम (Absolute rest) में कहलाती है।
परन्तु अन्तरिक्ष (Space) में कोई ऐसी वस्तु नहीं है जो पूर्णत: स्थिर हो। पृथ्वी, चन्द्रमा, सूर्य इत्यादि किसी न किसी के सापेक्ष गतिमान हैं अतः किसी वस्तु का परम विराम में होना केवल कल्पना मात्र है।
प्रश्न 9.
वृत्तीय गति क्या है ?
उत्तर :
वृत्तीय गति (Circular motion) : इसमें वस्तु वृत्त पर चलती है, जैसे सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति, पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति इत्यादि। ये दो प्रकार की होती है – (i) Circular, (ii) Rotational.
प्रश्न 10.
दोलन गति किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कम्पनिक अथवा दोलन गति (Vibrational motion) : हम दीवार घड़ी के दोलक को गति करते हुए देखते हैं। यह एक ही पथ पर एक निश्चित बिन्दु के आगे-पीछे गति करता रहता है। इसी प्रकार सिलाई मशीन की सूई एवं पेड़ की डाली पर रस्सी का झूला भी दोलन गति करता है। इस प्रंकार हम कह सकते हैं कि ‘जब कोई पिण्ड आवर्ती गति में एक ही पथ पर किसी निध्धित बिन्दु (साम्य स्थिति) के आगे-पीछे गति करता है, तो पिण्ड की गति को कम्पनिक अथवा दोलनी गति कहते हैं।”
प्रश्न 11.
जड़त्व और द्रव्यमान के संबंध को स्पष्ट करें।
उत्तर :
जड़त्व (Inertia) : जड़ता पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण कोई वस्तु अपनी प्रारंभिक अवस्था में बनी रहना चाहती है अर्थात् यदि वह विरामावस्था में हो तो विरामावस्था में और सरल रेखा में समरूप गति में हो तो सरल रेखा में ही गमन करना चाहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल न लगाया जाय।
द्रव्यमान : किसी वस्तु का द्रव्यमान उस वस्तु का अर्न्तनिहित गुण (interinsic property) है जो किसी वाह्य बल के प्रभाव से उसमें उत्पन्न होने वाली गति का विरोध करता है। अत: न्यूटन के गति का द्वितीय नियम किसी वस्तु के द्रव्यमान की जड़ता (Interia to the mass) से सम्बन्धित है।
प्रश्न 12.
किसी बस के अकस्मात चल पड़ने पर यात्री पीछे की ओर झुक जाते हैं, क्यों ?
उत्तर :
इसका कारण यह है कि जब बस विरामावस्था में रहती है तो उसमें सवार यात्री का सम्पूर्ण शरीर भी स्थिर रहता है। बस के अचानक चलने से सवारी का निचला भाग जो बस के सम्पर्क में रहता है, गतिशील हो जाता है, लेकिन उसके शरीर का ऊपरी भाग विराम जड़ता के कारण, विरामावस्था में ही रहना चाहता है। उसे गतिशील होने में समय लगता है जिसके कारण यात्री पीछे की ओर झुक जाते हैं।
प्रश्न 13.
चलती हुई बस में खड़ा व्यक्ति ब्रेक के एकाएक लगाए जाने पर आगे की ओर क्यों झुक जाता है ?
उत्तर :
इसका कारण यह है कि चलती बस के साथ यात्री का शरीर भी गतिशील रहते हैं। लेकिन अचानक बस के रूकने पर यात्रियों के शरीर का निचला भाग गाड़ी के साथ विरामावस्था में आ जाता है लेकिन शरीर का शेष भाग गत्रिज जड़ता के कारण गतिशील रहना चाहता है जिसके कारण यात्री का ऊपरी भाग आगे की ओर झुक जाता है।
प्रश्न 14.
चलती गाड़ी से कूदना क्यों खतरनाक है ? व्याख्या करें।
उत्तर :
गतिशील गाड़ी में खड़े या बैठे आदमी का शरीर गाड़ी के साथ गतिशील रहता है और जब आदमी अचानक कुद जाता है तो आदमी का पैर विरामावस्था में आ जाता है लेकिन शरीर का शेष कमर के ऊपर का भाग गतिज जड़ता के कारण गतिशील रहता है जिसके कारण आदमी आगे की ओर युक जाता है या गिर जाता है। कभी-कभी टायर के नीचे आकर कुचल भी दिया जाता है जिसे मृत्यु या घायल हो जाता है।
प्रश्न 15.
फिसलनेवाली जमीन पर चलना कठिन होता है। व्याख्या करें।
उत्तर :
जब हमें आगे बढ़ना होता है, तो हम जमीन पर पीछे की ओर बल लगाते हैं। भींगे चिकने फर्श पर हमें चलने में कठिनाई होती है, क्योंकि तब घर्षण बहुत कम हो जाता है।
प्रश्न 16.
किसी पेड़ की शाखा को तीव्रता से हिलाने पर कुछ पत्तियाँ झड़ जाती हैं, क्यों ?
उत्तर :
पेड़ की किसी शाखा को जोर से हिलाने पर शाखा तो गतिमान हो जाती है परंतु फल और पत्तियाँ विराम के जड़त्व के कारण वहीं स्थिर रहते हैं। अत:, अपेक्षाकृत पके फल तथा कमजोर या सूखी पत्तियाँ डाल से टूटकर गुरुत्वबल के अधीन नीचे गिर (झड़) जाते हैं।
प्रश्न 17.
जब किसी छड़ी से एक दरी को पीटा जाता है, तो घूल के कण बाहर आ जाते हैं। कारण स्पष्ट करें।
उत्तर :
कम्बल को पीटने पर धूल कणों का नीचे गिरना : जब कम्बल को किसी छड़ी से पीटा जाता है, तो कम्बल बल-प्रयोग के कारण अपने स्थान से हट जाता है किन्तु उसमें उपस्थित धूल कण विराम जड़त्व (intertia of rest) के कारण अपनी स्थिति को नहीं छोड़ते तथा कम्बल का आधार हट जाने पर गुरुत्वबल के अधीन नीचे जमीन पर गिर पड़ते हैं।
प्रश्न 18.
दौड़ते हुए घोड़े के एकाएक रुक जाने पर सवार आगे की ओर फेंका जाता है, क्यों ?
उत्तर :
गतिशील घोड़े पर सवार आदमी का शरीर घोड़े के साथ गतिशील रहता है और जब घोड़ा अचानक रूक जाता है तो आदमी का पैर घोड़े के साथ विरामावस्था में आ जाता है लेकिन शरीर का शेष कमर के ऊपर का भाग गतिज जड़ता के कारण गतिशील रहता है जिसके कारण आदमी आगे की ओर लुक जाता है। कभी-कभी घोड़े पर सवार आदमी फेंका जाता है।
न्यूटन के गति का द्वितीय नियम (Newton’s Second Law of Motion) : न्यूटन के गति का प्रथम नियम बल के गुणात्मक स्वरूप की व्याख्या करता है, जबकि द्वितीय नियम इसके परिमाण से संबंधित स्वरूप को दर्शाता है। जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है, तो यह वस्तु की गतिशील अवस्था में परिवर्तन लाता है। इसका मतलब यह है कि बल वस्तु में त्वरण उत्पत्र करता है। अर्थात् बल त्वरण का कारण है। अब हम देखेंगे कि न्यूटन के गति का द्वितीय नियम बल का परिमाणात्मक (quantitative) मान प्रदर्शित करता है। अर्थात् त्वरण एवं द्रव्यमान की तरह यह बल को एक मापने योग्य राशि से संबंधित करता है।
प्रश्न 19.
संवेग की परिभाषा दें। इसका S.I मात्रक क्या है ?
उत्तर :
किसी गतिशील वस्तु में स्थित सम्पूर्ण वेग के परिमाण को उस वस्तु का संवेग (Momentum) कहते हैं। अर्थात् संवेग वस्तु की मात्रा तथा वेग का गुणनफल होता है।
माना कि किसी वस्तु की मात्रा m तथा वेग v हो तो वस्तु का संवेग = m v होगा।
∴ संवेग = मात्रा x वेग
S.I. मात्रक : S.I. पद्धति में कि॰ग्राम मीटर/सेकेण्ड होता है।
प्रश्न 20.
खिलाड़ी क्रिकेट बॉल का कैच लेते समय अपने हाथ को पीछे की ओर खींच लेता है, क्यों ?
उत्तर :
क्रिकेट के खेल में तेजी से आती हुई केच पकड़ते समय खिलाड़ी को अपने हाथ को पीछे की तरफ खींचना
पड़ता है। इसका कारण इस प्रकार है – संवेग के सूत्र से P = m \(\frac{(v-u)}{t}\)
अत: कोई खिलाड़ी तेजी से आती हुई कैच को पकड़ने के लिए जितना ही अधिक समय लगायेगा, P का मान उतना ही कम होगा, अर्थात् उसके हाथों में चोट कम लगेगी। अत: खिलाड़ी गेंद को अंगुलियों के बीच आते ही अपना हाथ पीछे की ओर इस प्रकार खींचता है कि t का मान बढ़ जाय। अत: P का मान कम हो जाता है। इस प्रकार हाथों में चोट कम लगती है।
प्रश्न 21.
न्यूटन के तृतीय गति नियम की व्याख्या करें।
उत्तर :
न्यूटन के गति का तृतीय नियम (Newton’s third law of motion) : इस नियम के अनुसार जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु पर बल लगाती है, तो दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर बराबर एवं विपरीत दिशा में बल लगायेगी। पहली वस्तु द्वारा दूसरी वस्तु पर लगाया गया बल क्रिया (Action) और दूसरी वस्तु द्वारा पहली वस्तु पर लगाया गया बल प्रतिक्रिया (reaction) कहलाती है।
प्रश्न 22.
यदि क्रिया सदैव प्रतिक्रिया के बराबर है, तो स्पष्ट कीजिए कि घोड़ा गाड़ी को कैसे खींच पाता है ?
उत्तर :
न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुसार जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु पर कोई बल लगाती है तो दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर बराबर और विपरीत बल लगाएगी। पहली वस्तु द्वारा लगाया बल क्रिया (Action) तथा दूसरी वस्तु के द्वारा पहली वस्तु पर लगाया गया बल प्रतिक्रिया (Reaction) कहलाती है।
घोड़ागाड़ी में घोड़ा जितने बल से गाड़ी को खींचता है उतने ही बल से गाड़ी घोड़े को अपनी तरफ खींचती है फिर भी गाड़ी में गति आ जाती है।
जब घोड़ा गाड़ी को आगे की तरफ खींचता है तो वह अपने पैर के खुर से जमीन को दबाता है। इसके फलस्वरूप जमीन की प्रतिक्रिया (R) होती है जो ऊपर की तरफ कार्य करती है, लेकिन गाड़ी के पहियों तथा सड़क के बीच एक घर्षण बल (F) उत्पन्न हो जाता है जो गाड़ी की गति में बाधक होता है अर्थात् यह बल गाड़ी की गति की विपरीत दिशा में क्रियात्मक होता है तो गाड़ी में गति उत्पन्न हो जाती है।
प्रश्न 23.
संवेग-संरक्षण की व्याख्या करें।
उत्तर :
संवेग का संरक्षण (Conservation of linear momentum) : न्यूटन के द्वितीय गति नियम से स्पष्ट है कि यदि वस्तु पर कोई बल आरोपित न हो, तो उसके संवेग में कोई परिवर्तन नहीं होगा, अर्थात् संवेग नियम बना रहेगा। इस निष्कर्ष के व्यापक (generalized) रूप को संवेग-संरक्षण का सिद्धान्त (Law of conservation of momentum) के नाम से जाना जाता है। इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है –
“वस्तुओं को निकाय (System) पर यदि बाह्म बल आरोपित न हो, तो संयुक्त निकाय का कुल संवेग संरक्षित रहता है।”
प्रश्न 24.
वृत्तीय गति तथा घूर्णन गति में अन्तर लिखो।
उत्तर :
वृतीय गति तथा घूर्णन गति में अन्तर :
वृत्तीय गति | घूर्णन गति |
(i) वृत्तीय गति में कोई वस्तु किसी वस्तु के चारों तरफ वृत्तीय पथ में घूमती है। | (i) घूर्णन गति में कोई गतिशील वस्तु किसी निश्चित बिन्दु को केन्द्र मानकर वृत्तीय पथ पर गमन करती है। |
(ii) सूर्य के चारों तरफ पृथ्वी का घूमना, यृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा का घूमना वृत्तीय गति का उदाहरण है। | (ii) पृथ्वी का अपने अक्ष के चारों तरफ घूमना, विद्युत पंखा का घूमना घूर्णन का उदाहरण है। |
प्रश्न 25.
चाल तथा वेग में अन्तर लिखो।
उत्तर :
चाल तथा वेग में अन्तर :
चाल (Speed) | वेग (Velocity) |
i. किसी गतिशील वस्तु द्वारा इकाई समय में किसी भी दिशा में तय की गई दूरी चाल कहलाती है। | i. किसी गतिशील वस्तु द्वारा इकाई समय में किसी निश्चित दिशा में तय की गई दूरी वेग कहलाती है। |
ii. यह एक अदैशिक (Scalar) राशि है। | ii. यह एक दैशिक (Vector) राशि है। |
iii. इसके द्वारा केवल मान का बोध होता है। | iii. इसके द्वारा मान तथा दिशा दोनों का बोध होता है। |
प्रश्न 26.
रॉकेट या जेट विमान वायुमंडल-रहित आकाश में कैसे चलता है ?
उत्तर :
रॉकेट में एक दहन कक्ष होता है जिसमें नीचे की ओर एक छिद्र होता है। जब ईंधन तेजी से जलता है, तो गर्म गैसें छिद्र से तेजी से पीछे की ओर निकलती है तथा रॉकेंट आगे की ओर बढ़ता जाता है।
रॉकेट द्वारा गैसों पर लगाया गया बल क्रिया-बल है, तो इसके फलस्वरूप गैसों द्वारा रॉकेट पर विपरीत दिशा में लगाया गया बल, प्रतिक्रिया-बल है। इसी प्रतिक्रिया-बल के कारण रॉकेट आगे की ओर गति करता है।
प्रश्न 27.
विस्थापन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
विस्थापन (Displacement) : किसी गतिशील वस्तु का किसी निश्चित दिशा में उसकी प्रारम्भिक तथा अंतिम स्थिति के बीच की सबसे न्यूनतम दूरी को उस वस्तु का विस्थापन (Displacement) कहते है।
प्रश्न 28.
परिणामी बल किसे कहते हैं ?
उत्तर :
परिणामी बल (Resultant force) : किसी वस्तु पर एक साथ कार्य करने वाले अनेक बलों के सम्मिलित प्रभाव के समान प्रभाव उत्पत्र करने वाले एकल बल को उन बलों का परिणामी बल (Resultant force) कहते हैं।
प्रश्न 29.
बल तथा त्वरण के अनुरूप न्यूटन का दूसरा नियम क्या है ?
उत्तर :
‘किसी वस्तु पर लगाया गया बल उस वस्तु की मात्रा तथा उस वस्तु में बल की दिशा में उत्पत्र त्वरण के गुणनफल के समानुपाती होता है।”
प्रश्न 30.
डाइन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
डाइन (Dyne) : यह वह बल है जो 1 ग्राम मात्रा वाली वस्तु पर लगकर उसमें 1 से॰मी॰/सेकेण्ड 2 त्वरण उत्पन्न कर देता है।
अर्थात् 1 Dyne = 1 gm × 1 cm / sec2.
प्रश्न 31.
न्यूटन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
न्यूटन (Newton) : यह वह बल है जो 1 किलोग्राम वाली वस्तु पर लगकर उसमें 1 मीटर/सेकेण्ड 2 त्वरण उत्पत्र कर देता है।
अर्थात् 1 Newton = 1 kg × 1 m / sec2.
प्रश्न 32.
ग्राम-भार किसे कहते हैं ?
उत्तर :
ग्राम-भार (Gram-weight) : 1 ग्राम मात्रा वाली वस्तु को पृथ्वी जितने बल से अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है उस बल को ग्राम भार (gram-weight) कहते हैं।
प्रश्न 33.
क्रियाबल तथा प्रतिक्रिया बल क्या है ?
उत्तर :
न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुसार जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु पर कोई बल लगाती है तो दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर बराबर और विपरीत बल लगाएगी। पहली वस्तु द्वारा लगाया बल क्रिया (Action) तथा दूसरी वस्तु के द्वारा पहली वस्तु पर लगाया गया बल प्रतिक्रिया (Reaction) कहलाती है।
संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS
प्रश्न 1.
बलों के समूह द्वारा उत्पन्न हो सकने वाले प्रभावों का उल्लेख करें।
उत्तर :
किसी वस्तु में उसके द्रव्यमान के कारण उसमें जड़त्व का गुण पाया जाता है। इस जड़त्व के कारण वस्तु अपनी वर्तमान अवस्था को बनाये रखने का विरोध करती है। अत: विरामावस्था में जब कोई वस्तु रहती है, तो उस पर आरोपित वाह्य बल उसके जड़त्व को निष्क्रिय करता है। बल के परिमाण में वृद्धि करने पर वस्तु धीरे-धीरे गतिशील अवस्था में आती है। बल में लगातार वृद्धि के कारण उसके वेग में लगातार परिवर्तन होता रहता है। इस प्रकार फ्हले की अपेक्षा अधिक बल लगाने से वेग में वृद्धि तथा वर्तमान अवस्था की तुलना में कम बल लगाने से वेग में हास होता है।
प्रभावकारी बल (Effective force) : वह बल जो विरामावस्था में किसी वस्तु की जड़ता (Intertia) को निष्क्रिय करके उसमें गति (motion) उत्पत्र करता है अथवा गतिशील वस्तु के वेग में परिवर्तन करके उसमें त्वरण उत्पन्न करता है, उसे प्रभावकारी बल कहते हैं। अर्थात् वह बल जो वस्तु की वर्तमान अवस्था में परिवर्तन उत्पत्र करता है, उसे प्रभावकारी बल कहते हैं। जैसे – किसी लड़के द्वारा मेज पर बल लगाने के कारण मेज गतिशील हो जाती है। यहाँ लड़के द्वारा मेज पर लगाया गया बल प्रभावकारी बल कहलाता है।
संतुलित बल (Balanced force) : चित्र के अनुसार वस्तु पर दो दिशाओं से समान परिमाण में बल लग रहा है लेकिन वस्तु की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है। यहाँ वस्तु पर समान परिमाण में आरोपित बल एक दूसरे के प्रभाव को निष्क्रिय कर दे रहे हैं। इस प्रकार के बल को संतुलित बल कहते हैं। अत: ” विपरीत दिशाओं से आरोपित बल जो वस्तु की वर्तमान अवस्था में परिवर्तन न ला सके, उन्हें संतुलित बल कहते हैं।”
प्रश्न 2.
न्यूटन के प्रथम गति नियम को लिखें और उसकी व्याख्या करें।
उत्तर :
यदि कोई वस्तु स्थिर है तो स्थिर ही रहेगी और यदि सरल रेखा पर समरूप गति में गमन करती है तो सदैव गमन करती ही रहेगी, जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल द्वारा उसकी अवस्था परिवर्तन के लिए बाध्य न किया जाय।
न्यूटन के गति के प्रथम नियम से हमें दो बाते ज्ञात होती हैं – (i) पदार्थ का मौलिक गुण जड़ता (ii) बल की परिभाषा।
प्रश्न 3.
जड़त्व क्या है ? यह कितने प्रकार का होता है ? व्याख्या करें।
उत्तर : जड़त्व (Inertia) : पदार्थ का वह गुण जिसके कारण कोई वस्तु अपनी प्रारम्भिक अवस्था में ही रहना चाहती है अर्थात् वस्तु विरामावस्था में है तो विरामावस्था में तथा समरूप गति में हो तो सरल रेखा में गति करना चाहती है जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाय। पदार्थ के इस गुण को जड़ता (Inertia) कहते हैं।
अवस्था के आधार पर जड़ता दो प्रकार की होती है –
(i) विराम जड़ता (Inertia of rest)
(ii) गतिज जड़ता (Inertia of motion)
विराम जड़ता (Inertia of rest) : पदार्थ का वह गुण जिसके कारण कोई स्थिर वस्तु सदा विराम अवस्था में रहना चाहती है। उसे विराम जड़ता (Inertia of rest) कहते हैं।
उदाहरण : एक काँच के ग्लास के ऊपर एक पोस्ट कार्ड रखकर उसके ऊपर एक सिक्का रख देते हैं। अब पोस्टकार्ड को अंगुली को सहायता से तेजी से धक्का मारने पर पोस्टकार्ड दूर जा गिरता है किन्तु उस पर रखा हुआ सिक्का विराम जड़ता के कारण ग्लास के ऊपर ही बना रहता है और आधारविहीन हो जाने से ग्लास में गिर जाता है। यदि पोस्टकार्ड को धीरे-धीरे हटाया जाय तो सिक्का भी पोस्टकार्ड के साथ धीरे-धीरे खिसक जायेगा और ग्लास के अन्दर नहीं गिरेगा।
गतिज जड़ता (Inertia of motion) : पदार्थ का वह गुण जिसके कारण कोई गतिशील वस्तु हमेशा गति अवस्था में रहना चाहती है उसे गतिज जड़ता (Interia of motion) कहते हैं।
उदाहरण : साइकिल पर सवार व्यक्ति का शरीर अचानक साइकिल के रूकने पर आगे की ओर घुक जाता है क्योंकि साइकिल की गति के साथ-साथ साइकिल पर सवार व्यक्ति का भी शरीर समान गति से गतिशील रहता है। अचानक ब्रेक लगाने पर साइकिल रूक जाती है लेकिन सवार व्यक्ति का शरीर गतिज जड़ता के कारण आगे की ओर बढ़ना चाहता है। फलत: सवार व्यक्ति आगे की ओर झुक जाता है।
प्रश्न 4.
न्यूटन के द्वितीय गति नियम को लिखकर उसकी व्याख्या करें।
उत्तर :
न्यूटन के गति का द्वितीय नियम (Newton’s Second Law of Motion) : न्यूटन के गति का प्रथम नियम बल के गुणात्मक स्वरूप की व्याख्या करता है जबकि द्वितीय नियम इसके परिमाण से संबंधित स्वरूप को दर्शाता है। जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है, तो यह वस्तु की गत्यावस्था में परिवर्तन लाता है। इसका मतलब यह है कि बल वस्तु में त्वरण उत्पन्न करता है। अर्थात् बल त्वरण का कारण है। अब हम देखेंगे कि न्यूटन के गति का द्वितीय नियम बल का परिमाणात्मक (quantitative) मान प्रदर्शित करता है। अर्थात् त्वरण एवं द्रव्यमान की तरह यह बल को एक मापने योग्य राशि से संबंधित करता है।
यह हमारा सामान्य अनुभव है कि जब हम एक टेनिस की गेंद को हल्के से धक्का देते है, तो इसमें बहुत थोड़ा त्वरण उत्पन्न होता है और एक निश्चित समय में इसमें बहुत कम परिमाण में वेग उत्पन्न होता है, लेकिन यदि गेंद को तेज धक्का दिया जाता है, तो इसमें बहुत अधिक त्वरण उत्पत्न होता है और समान समय अन्तराल में इसमें पहले की अपेक्षा अधिक वेग उत्पन्न होता है। इस प्रकार एक ही वस्तु पर आरोपित दो बलों के परिमाण की तुलना उनके द्वारा उत्पन्न किए गए त्वरण की माप के द्वारा की जा सकती है जबकि वे एक ही वस्तु पर अलग-अलग क्रियाशील हैं। अपने प्रयोगों के आधार पर न्यूटन इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि किसी वस्तु में उत्पत्न त्वरण उस वस्तु पर आरोपित बल के सीधे समानुपाती होता है।
प्रश्न 5.
गति कितने प्रकार की होती है ? प्रत्येक प्रकार की गति का उदाहरण सहित व्याख्या करें।
उत्तर :
गति चार प्रकार की होती है –
- सरल रेखीय गति (Linear motion)
- घूर्णन गति (Rotation)
- वृत्ताकार गति (Circular motion),
- कम्पनिक अथवा दोलन गति (Vibrational motion)।
सरल रेखीय गति (Linear motion) : हम घर से स्कूल पैदल चलकर या किसी वाहन में बैठकर आते हैं। घर से स्कूल आते समय या स्कूल से घर जाते समय हम एक सीधी रेखा में (Linear) गति करते हैं। जब हम घर पर रहते हैं, तो यह हमारी पहली स्थिति (position) होती है। जब हम स्कूल पहुँच जाते हैं, तो हमारी स्थिति बदल जाती है। अत:, इस प्रकार हम कह कहते हैं कि, ” किसी वस्तु का समय के साथ एक सरल रेखा में स्थिति परिवर्तन को सरल रेखीय गति कहते हैं।”
घूर्णन गति (Rotation) : हम चलते हुए पंखे को रोज देखते हैं। इसकी पत्तियाँ एक स्थिर बिन्दु के चारों ओर एक वृत्ताकार पथ पर गति करती हैं। पंखों की पत्तियाँ (Blades) एक वृत्ताकार पथ पर लगातार गति करती रहती है। पंखे की इस प्रकार की गति को घूर्णन गति कहते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ‘ ‘ किसी वस्तु का किसी वृत्ताकार पथ पर एक स्थिर केन्द्र बिन्दु के चारों तरफ गति घूर्णन गति कहलाती है।
वृत्ताकार गति (Circular motion) : पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ एक वृत्ताकार पथ पर चक्कर लगाती रहती है। इस वृत्ताकार पथ पर पृथ्वी की स्थिति लगातार बदलती रहती है लेकिन सूर्य से इसकी निध्चित दूरी हमेशा बनी रहती है, जो वृत्ताकार मार्ग के केन्द्र में स्थित होता है। पृथ्वी की इस गति को वृत्ताकार गति (Circular motion) कहते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि, ‘ ‘जब कोई बिन्दु किसी स्थिर बिन्दु से लगातार एक निश्चित दूरी बरकरार रखते हुए किसी वृत्ताकार पथ पर गति करता है, तो उसकी इस गति को वृत्ताकार गति कहते हैं।”
कम्पनिक अथवा दोलन गति (Vibrational motion) : हम दीवार घड़ी के दोलक को गति करते हुए देखते हैं। यह एक ही पथ पर एक निश्धित बिन्दु के आगे-पीछे गति करता रहता है। इसी प्रकार सिलाई मशीन की सूई एवं पेड़ की डाली पर रस्सी का झूला भी दोलन गति करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ‘ ज ब कोई पिण्ड आवर्ती गति में एक ही पथ पर किसी निश्थित बिन्दु (साम्य स्थिति) के आगे-पीछे गति करता है, तो पिण्ड की गति को कम्पनिक अथवा दोलन गति कहते हैं।”
प्रश्न 6.
त्वरण कितने प्रकार का होता है ? मंदन को ऋणात्मक त्वरण क्यों कहते हैं ? त्वरण में समय की इकाई दो बार क्यों सम्मलित होती है ?
उत्तर :
त्वरण दो प्रकार के होते हैं – (i) समान त्वरण (Uniform acceleration), (ii) असमान त्वरण (Nonuniform or variable acceleration) ।
मंदन या ऋणात्मक त्वरण : किसी गतिशील वस्तु के त्वरण के समक्ष धन या ऋण चिह्न का प्रयोग का अर्थ है कि यदि a धनात्मक (a>0) है तो वस्तु की गति त्वरित गति (accelerated) तथा यदि a ॠणात्मक (a < 0) है तो वस्तु की गति मन्दित (deaccelerated) कहलाती है। साथ ही साथ यदि त्वरण a शून्य (a = 0) है, तो वस्तु की गति एक समान (uniform) कहलाती है। त्वरण की इकाई में दो बार समय का आना :
प्रश्न 7.
न्यूटन के गति का प्रथम नियम क्या है ? इस नियम से हमें जड़ता एवं बल की परिभाषा किस प्रकार प्राप्त होती है ? स्पष्ट करें।
उत्तर :
न्यूटन के गति का प्रथम नियम : न्यूटन के गति के प्रथम नियम को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया जा सकता है – “यदि कोई वस्तु स्थिर है तो सदैव स्थिर ही रहेगी और यदि वह सरल रेखा में समरूप गति से गतिशील हो, तो सदैव गतिशील ही रहना चाहती है जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल कार्य न करे।” इस प्रकार न्यूटन के गति के प्रथम नियम से हमें निम्नलिखित दो बातों की जानकारी प्राप्त होती है :
(i) जड़ता (Inertia)
(ii) बल (force)
जड़ता (Inertia): जड़ता पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण कोई वस्तु अपनी प्रारंभिक अवस्था में बनी रहना चाहती है अर्थात् यदि वह विरामावस्था में हो तो विरामावस्था में और सरल रेखा में समरूप गति में हो तो सरल रेखा में ही गमन करना चाहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल न लगाया जाय। जड़ता दो प्रकार की होती है –
(क) विराम जड़ता (Inertia of rest)
(ख) गतिज जड़ता (Inertia of motion)
(क) विराम जड़ता (Inertia of rest) : यह पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण कोई वस्तु विरामावस्था में रहना चाहती है यदि वह पहले से ही विरामावस्था में हो।
(ख) गतिज जड़ता (Inertia of motion) : यह पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण वह गतिज अवस्था में ही रहना चाहती है, यदि वह पहले से ही गतिज अवस्था में हो।
(ii) बल (Force) : न्यूटन के गति के प्रथम नियम के दूसरे भाग से हमें बल की परिभाषा प्राप्त होत्मी है, जिसके अनुसार “बल वह वाह्य कारण है, जो किसी वस्तु की वर्तमान अवस्था को बदलने का प्रयास करे या बदल दे।”
प्रश्न 8.
बल किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार का होता है ? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर :
बल (Force) : न्यूटन के गति के प्रथम नियम के दूसरे भाग से हमें बल की परिभाषा प्राप्त होती है, जिसके अनुसार ‘बल वह वाह्य कारण है, जो किसी वस्तु की वर्तमान अवस्था को बदलने का प्रयास करे या बदल दे।’ बल दो प्रकार के होते हैं –
(i) प्रभावकारी बल (Effective force)
(ii) संतुलित बल (Balanced force)।
प्रभावकारी बल (Effective force) : वह बल जो विरामावस्था में किसी वस्तु की जड़ता (intertia) को निष्क्रिय करके उसमें गति (motion) उत्पन्न करता है अथवा रातिशील वस्तु के वेग में परिवर्तन करके उसमें त्वरण उत्पन्न करता है, उसे प्रभावकारी बल कहते हैं। अर्थात् वह बल जो वस्त की वर्तमान अवस्था में परिवर्तन उत्पत्र करता है, उसे प्रभावकारी बल कहते है। जैसे – किसी लड़के द्वारा मेज पर बल लगाने के कारण मेज गतिशील हो जाती है। यहाँ लड़के द्वारा मेज पर लगाया गया बल प्रभावकारी बल कहलाता है।
संतुलित बल (Balanced force) : चित्र के अनुसार वस्तु पर दो दिशाओं से समान परिमाण में बल लग रहा है लेकिन वस्तु की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है। यहाँ वस्तु पर समान परिमाण में आरोपित बल एक दूसरे के प्रभाव को निष्क्रिय कर दे रहे हैं। इस प्रकार के बल को संतुलित बल कहते हैं। अत: ” विपरीत दिशाओं से आरोपित बल जो वस्तु की वर्तमान अवस्था में परिवर्तन न ला सके, उन्हें संतुलित बल कहते हैं।”
प्रश्न 9.
गति का द्वितीय नियम क्या है ? गति के द्वितीय नियम के आधार पर बताएँ कि मात्रा वस्तु का आंतरिक गुण है। बल की S.I. इकाई क्या है ?
उत्तर :
न्यूटन के गति का द्वितीय नियम (Newton’s second law of motion) : संवेग परिवर्तन की दर लगाए गए बल के समानुपाती एवं उसी दिशा में होती है, जिस दिशा में बल कार्य करता है। न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार चूंकि संवेग परिवर्तन की दर लगाए गए बल के समानुपाती एवं उसी दिशा में होती है जिस दिशा में बल कार्य करता है। अत: मान लिया कि m मात्रा की एक वस्तु का प्रारंभिक वेग u है और F बल उस वस्तु पर t समय तक कार्य किया तो वस्तु का वेग v हो गया। अत: t समय में वेग में परिवर्तन = v-u
∴ इकाई समय में वेग परिवर्तन = \(\frac{v-u}{t}\) लेकिन इकाई समय में वेग परिवर्तन ही त्वरण होता है।
अत: a = \(\frac{v-u}{t}\) यहाँ a त्वरण है I, प्रारम्भिक संवेग = mu t सेकेण्ड के बाद संवेग = mv
∴ t सेकेण्ड में संवेग में परिवर्तन = m(v-u)
∴ संवेग परिवर्तन की दर = \(\frac{m(v-u)}{t}\)
∵ संवेग परिवर्तन की दर = ma लेकिन इस नियम से लगाया गया बाह्ध बल, संवेग परिवर्तन की दर के समानुपाती होता है।
∴ F ∝ ma या, F = Kma, जहाँ K एक स्थिरांक (constant) हैं। यदि K = 1 हो, तो पुन: यदि m = 1 एवं a = 1 हो, तो F = 1 F = ma अत: इकाई बल (Unit force) वह बल है जो इकाई मात्रा वाली वस्तु पर लगाये जाने से उसमें इकाई त्वरण उत्पत्र कर दे।
प्रश्न 10.
गति का द्वितीय नियम लिखें। तृतीय नियम की सहायता से बन्दूक-गोली की गति को समझाएँ।
उत्तर :
न्यूटन के गति का द्वितीय (Newton’s second law of motion) : किसी वस्तु का संवेग (Momentum) परिवर्तन की दर लगाये गये बल के सीधा समानुपाती होता है और यह परिवर्तन उसी दिशा में होता है जिस दिशा में बल कार्य करता है। तृतीय नियम की सहायता से बन्दूक-गोली की गति : जब बन्दूक से गोली दागी जाती है तो बन्दूक से गोली बड़ी वेग से आगे की ओर जाती है। इससे गोली में आगे की दिशा से संवेग उत्पत्न हो जाता है। गोली भी बन्दूक पर प्रतिक्रिया बल लगाती है जिससे बन्दूक भी पीछे की दिशा में उतना ही संवेग उत्पन्न करती है जिसके कारण बन्दूक वाले को भी पीछे को ओर धक्का लगता है और वह हटता है। माना कि गोली की मात्रा M तथा गोली का वेग V एवं बन्दूक की मात्रा m एवं बन्दूक का वेग v है। चूंकि प्रारम्भ में बन्दूक और गोली दोनों स्थिर थे, इसलिए इनका संवेग शून्य था। इनके प्रारम्भिक संवेगों का योग भी शून्य था। अत: गोली दागने के पश्चात् भी इनके संवेग का योगफल शून्य होगा। अर्थात् M V + m v = 0 या M V = -mv यहाँ M > m होने के कारण v > V होगा।
अर्थात् गोली की तुलना में बन्दूक बहुत कम वेग से पोछे की ओर हटेगी जिसके प्रभाव से हल्का धक्का का अनुभव होता है।
प्रश्न 11.
बल की अभिधारणा स्पष्ट करें।
उत्तर :
बल की संकल्पना : मोटर साइकिल की अपेक्षा कार को गति में लाने के लिए उपेक्षाकृत बड़े बल की जरूरत होती है। अत: बल का संख्यात्मक मान बड़ा या छोटा हो सकता है, अर्थात् बल का परिमाण है।
यदि हम गेंद पर अपने पैर से ठोकर मारेंगे, तो गेंद निश्चित दिशा में चलेगी, कितु: यद्यपि उसी गेद पर करीब-करीब समान बल से भिन्न दिशा में हम ठोकर मारेंगे, तो गेंद पहली दिशा से भिन्न दिशा में चलेगी। अत: किसी वस्तु पर आरोपित बल का प्रभाव बल के सिर्फ परिमाण पर निर्भर नहीं करता, अपितु बल की दिशा पर भी निर्भर करता है, अर्थात् बल की दिशा भी है। अत: बल एक सदिश राशि है।
वह बिंदु जिस पर बल लगता है उस बल का लगाव-बिंदु (point of action) कहलाता है।
किसी बल की क्रिया-रेखा (line of action) वह सरल रेखा है जिस पर बल विरामावस्था में पड़ी हुई वस्तु को गतिमान करता है, जबकि उस पर अन्य बल नहीं लग रहे हैं।
किसी बल के विषय में पूरी जानकारी के लिए हमें उसके सम्बन्ध में निम्नलिखित बातो का ज्ञान होना आवश्यक है।
- वह बल किस वस्तु पर लग रहा है ?
- उसे कौन लगा रहा है ?
- उसका लगाव-बिंदु वया हैं ?
- उसकी क्रिया-रेखा तथा दिशा क्या है ?
- उसका परिमाण क्या है
- उस बल की प्रकृति (nature) क्या है, अर्थात् वह किस प्रकार का बल है ?
प्रश्न 12.
जड़त्व के प्रदर्शन के लिए एक प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर :
जड़ता पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण कोई वस्तु अपनी प्रारंभिक अवस्था में बनी रहना चाहती है अर्थात् यदि वह विरामावस्था में हो तो विरामावस्था में और सरल रेखा में समरूप गति में हो तो सरल रेखा में ही गमन करना चाहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल न लगाया जाय।
न्यूटन के गति के पहले नियम के दूसरे भाग से बल की परिभाषा प्राप्त होती है। किसी विराम वस्तु को गतिशील या गतिशोल वस्तु को विराम अवस्था में परिवर्तित करने के लिये किसी बाह्य कारक का प्रयोग करना पड़ता है, लेकिन आवश्यक नहीं कि बाह्य कारक अवस्था में परिवर्तन ला ही देगा। जैसे हम किसी दीवार को अपने हाथ द्वारा धक्का दें तो यह आवश्यक नहीं है कि दीवार विराम अवस्था से गति अवस्था में आ ही जायेगी।
अत: ‘बल (Force) वह बाह्य कारण है जो किसी वस्तु की अवस्था बदल दे या बदलने की चेष्टा करे। बल एक दैशिक राशि (vector quantity) है।
प्रश्न 13.
न्यूटन के द्वितीय गति नियम से बल, द्रव्यमान और त्वरण का संबंध स्थापित करें।
उत्तर :
कुछ सामान्य अनुभवों के आधार पर हमें यह जानकारी प्राप्त होती है कि किसी पिण्ड की गति पर बल के प्रभाव को निर्धारित करने वाले दो महत्वपूर्ण कारक हैं – द्रव्यमान एवं चाल। न्यूटन के गति के दूसरे नियम के अनुसार – किसी वस्तु का संवेग परिवर्तन की दर वस्तु पर लगे बल के समानुपाती होती है और यह परिवर्तन उस बल की दिशा में ही होता है।
यदि एक भारी और एक हल्का पत्थर समान ऊँचाई से गिर रहे हों तब पृथ्वी तल पर भारी पत्थर की तुलना में हल्के पत्थर को लपकना आसान होगा। इस प्रकार स्पष्ट है कि किसी पिण्ड का द्रव्यमान गति पर बल के प्रभाव को निर्धारित करता है।
यदि समान द्रव्यमान वाले दो पत्थर भिन्न-भिन्न चाल से गति कर रहे हों तब अधिक चाल वाले पत्थर को एक निश्चित समय के अन्तराल में रोकने के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि किसी पिण्ड की चाल गति पर बल के प्रभाव को निर्धारित करती है।
इस आधार पर किसी पिण्ड का द्रव्यमान तथा उसकी चाल का गुणनफल अर्थात् पिण्ड का संवेग गति का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो गति पर बल के प्रभाव को निर्धारित करता है। किसी पिण्ड के संवेग में अधिक परिवर्तन के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है। यह बल केवल संवेग परिवर्तन पर ही निर्भर नहीं करता है वरन् इस बात पर भी निर्भर करता है कि यह परिवर्तन कितनी तीवता से किया जाता है।
यदि समान वेग में आ रही क्रिकेट की गेंद को एक खिलाड़ी हाथों को स्थिर रखकर कम समय में रोक लेता है तो उसे गेंद को रोकने के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है तथा उसके हाथों में अधिक चोट लगती है, जबकि दूसरा खिलाड़ी हाथों को पीछे की ओर हटाकर गेंद को रोकने में अधिक समय लगाता है तो गेंद को रोकने के लिए कम बल की आवश्यकता होती है तथा उसके हाथों में चोट कम लगती है। इस तरह यदि संवेग समान संवेग परिवर्तन की अपेक्षा कम समय में किया जाता है तब अपेक्षाकृत अधिक बल की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 14.
न्यूटन के तृतीय गति नियम को लिखकर उसे एक प्रयोग द्वारा सत्यापित करें।
उत्तर :
न्यूटन के तृतीय गति नियम (Newton’s third law of motion) : दो वस्तुओं की अन्योन्य क्रिया में, पहली वस्तु द्वारा दूसरी वस्तु पर लगाया गया बल दूसरी वस्तु द्वारा पहली वस्तु पर लगाये गये बल के बराबर और विपरीत दिशा में होता है।
इसका अर्थ यह हुआ कि बल सदैव जोड़े में होते हैं। जब हम एक पुस्तक को हाथ से बायी हाथ से ढकेलते हैं तो हाथ पुस्तक पर बायीं ओर तथा वस्तु हाथ पर दायीं ओर एक बल लगाती है। न्यूटन के तृतीय गति नियम के अनुसार वस्तु भी हाथ पर बल लगाती है। यह बल F2 दायीं ओर लगता है और इसका परिमाण F1 बल के बराबर होता है।
यदि एक लड़के के सिर पर एक भारी भार (जैसे सूटकेस) रख दिया जाए तो यह भार उसके सिर को बल F1 से नीचे की और दबाता है। तब लड़के का सिर भी भार पर ऊपर की ओर बल F2 लगाता है। ये दोनों बल F1 और F2 भी परिमाण में बराबर होंगे।
प्रश्न 15.
संवेग-संरक्षण का नियम लिखें और उसे एक ही सरल रेखा पर गति करते हुए टकराने वाले दो गोलों के लिए प्रमाणित करें।
उत्तर :
संवेग परिवर्तन का अर्थ केवल संवेग के परिमाण में परिवर्तन नहीं है बल्कि संवेग की दिशा में परिवर्तन भी है। इसलिए संवेग की केवल दिशा में परिवर्तन के लिए भी बल की आवश्यकता होती है जैसे किसी पत्थर को एक रस्सी में बाँधकर क्षैतिज तल में वृत्तीय पथ पर एक समान चाल से घुमाया जाता है तब पत्थर के संवेग का परिमाण तो निरन्तर नियत रहता है परन्तु उसकी दिशा निरन्तर परिवर्तित होती रहती है।
संवेग सदिश इस परिवर्तन के लिए बल की आवश्यकता होती है। यह बल रस्सी से होकर पत्थर को हमारे हाथों द्वारा प्रदान किया जाता है। यदि पत्थर को अपेक्षाकृत अधिक चाल से या कम त्रिज्या के पथ पर घुमाएं तब संवेग में परिवर्तन की तीव्रता होती है। अत: हमारे हाथों को अधिक बल लगाना पड़ता है।
अत: स्पष्ट है कि किसी पिण्ड के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगाए गए बल पर निर्भर करती है अथवा लगाए गए बल के अनुरूप ही पिण्ड के संवेग में परिवर्तन की दर होती है। इस निष्कर्ष को ही न्यूटन ने अपने गति विषयक द्वितीय नियम के रूप में व्यक्त किया है।
प्रश्न 16.
समान गति तथा असमान गति से क्या समझा जाता है ?
उत्तर :
इसके लिये एक क्षैतिज तख्षे से कब्जा द्वारा जुड़े एक नत (या आनत) तख्ते पर एक गुटका (या ब्लॉक) रखते हैं और नत तख़े का झुकाव-कोण बढ़ाते हैं। हम देखते हैं कि एक निश्चित युकाव कोण पर गुटका को नत तख्ते पर नीचे की ओर चलाने पर वह समान समय अंतरालों में समान (बराबर) दूरियाँ तय करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि गुटके की गति समान (या एकसमान, (uniform)) है।
अतः नत तख्के का झुकाव-कोण बढ़ाते हैं। हम देखते हैं कि गुटका तेज गति से नत तख्के पर नीचे की ओर चलने लगता है और वह समान समय अंतरालों में बढ़ी हुई (अर्थात् अधिक) दूरियाँ तय करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अब गुटके की गति असमान (या नैकसमान, nonuniform) है।
वेग का मात्रक : यह स्पष्ट हैं कि वेग का वही मात्रक है जो चाल का है। अत: वेग का मात्रक मीटर/सेकेंड (m / s) या किलोमीटर/घंटा (km / h) इत्यादि हो सकता है।
प्रश्न 17.
वेग तथा समय ग्राफ द्वारा विस्थापन कैसे ज्ञात होगा ?
उत्तर :
यह सरल रेखा इसलिए होता है कि वेग में समय के साथ कोई परिवर्तन नहीं होता है।
वेग-समय ग्राफ द्वारा विस्थापन को ज्ञात करना (Displacement by velocity-time graph) : निम्न ग्राफ चित्र में आयत OABc का क्षेत्रफल = Oc × Oa = v.t
अतः वेग-समय ग्राफ में वेग अक्ष तथा समय अक्ष द्वारा घेरे गए क्षेत्रफल का मान वस्तु के विस्थापन के मान के बराबर होता है। विस्थापन (s) = v.t.
प्रश्न 18.
संतुलित बल क्या है तथा कैसे कार्य करता है ?
उत्तर :
यदि वस्तु पर लगने वाले बलों का परिणाम शून्य हो तो वह बल संतुलित बल (Balanced force) कहलाता है।
उदाहरण : एक लकड़ी के Block की दो विपरीत सतहों पर दो धागे बाँधते हैं। जब हम Block के Right (R) धागे को खींचते हैं तो Block दाहिने ओर खिंच जाता है तथा जब हम Block के बायीं धागे को खींचते हैं तो Block बाँयी ओर खींच जाता है। लेकिन यदि हम Block के दोनों धागे को समान बल से खींचे तो वह अपने स्थान से नहीं हटता है।
अत: शून्य बल के कारण वस्तु के वेग में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।
प्रश्न 19.
बलों का समानान्तर चतुर्भुज नियम क्या है ?
उत्तर :
यदि किसी वस्तु के एक ही बिन्दु पर एक साथ आरोपित दो बल एक समानान्तर चतुर्भुज की आसत्र भुजाओं द्वारा परिमाप और दिशा में निरूपित किए जाय तो समानान्तर चतुर्भुज के उस बिन्दु से खींचा गया विकर्ण उसके परिणामी बल (Resultant force) को परिणाम तथा दिशा दोनो को निरूपित करेगा। इसे बलों का समानान्तर चतुर्भुज नियम (Parallelogram law’s of forces) कहते हैं।
माना कि \(\overrightarrow{\mathrm{P}}\) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{Q}}\) दो घटक बल (Component force) O बिन्दु पर कुछ कोणीय झुकाव के साथ कार्य कर रहा है तथा \(\vec{P}\) तथा \(\vec{Q}\) का परिणामी बल \(\vec{R}\) समानान्तर चतुर्भुज OACB का विकर्ण OC है।
अत: \(\overrightarrow{O C}=\vec{R}\)
बल का का सूत्र :
कोण θ, Vector \(\vec{P}\) तथा \(\vec{Q}\) के बीच का कोण है।
प्रश्न 20.
कमानीदार तुला द्वारा सिद्ध करो कि क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल समान तथा विपरीतमुखी होता है।
उत्तर :
दो समान आकार का कमानीदार तुला लेकर दोनों के पलड़े वाले हुकों को आपस में फँसा कर स्वतंत्र सिरों रिंगों को दाहिने तथा बायें हाथ से पकड़कर एक दूसरे के विपरीत खिंचने पर दोनों तुलाओं का पाठ्यांक समान रहता है। इससे स्पष्ट है कि दूसरी तुला जितने बल से खींचती है पहली भी दूसरे को उतना ही बल से खींचती है जिससे दोनों तुलाओं पर पाठ्यांक समान रहता है। अत: क्रिया और प्रतिक्रिया हमेशा एक दूसरे के बराबर एवं विपरीत होती है।
प्रश्न 21.
दो चुम्बक को एक दूसरे के करीब रखते हैं तो उसके धुवों के बीच कौन-कौन सा बल उत्पन्न होता है ?
उत्तर :
दो चुम्बक्र को जब कुछ दूरी पर रखते हैं (When two magnet are separated by a distance): चुम्बक एक लोहे के टुकड़े को अपनी ओर आकर्षित करता है, लेकिन यदि दो चुम्बक का विपरीत ध्रुव एक दूसरे के करीब रखते हैं तो उसमें आकर्षण होता है और चुम्बक का दो समान ध्रुव एक दूसरे के करीब रखते हैं तो उनमें विकर्षण होता है।
अत: दो विपरीत ध्रुवों में जो आकर्षण होता है उसे आकर्षण बल (Force of attraction) तथा दो समान धुवों में जो विकर्षण होता है उसे विकर्षण बल (Force of repulsion) कहते हैं।
प्रश्न 22.
संवेग संरक्षण का नियम बन्दूक से गोली दागने पर व्यवहार होता है।
उत्तर :
बन्दूक से गोली दागने पर (Firing of bullet from a gun) : जब बन्दूक से गोली दागी जाती है तो बन्दूक से गोली बड़ी वेग से आगे की ओर निकलती है। इससे गोली में आगे की दिशा से संवेग उत्पन्न हो जाता है। गोली भी बन्दूक पर प्रतिक्रिया बल लगाती है जिससे बन्दूक भी पीछे की दिशा में उतना ही संवेग उत्पन्न करती है जिसके कारण बन्दूक वाले को भी पीछे की ओर धक्का लगता है और वह हटता है।
माना कि गोली की मात्रा M तथा गोली का वेग V एवं बन्दूक की मात्रा m एवं बन्दूक का वेग v है।
चूंकि प्रारम्भ में बन्दूक और गोली दोनो स्थिर थे, इसलिए इनका संवेग शून्य था। इनके प्रारम्भिक संवेगों का योग भी शून्य था। अत: गोली दागने के पक्षात् भी इनके संवेग का योगफल शून्य होगा।
अर्थात् MV + mv = 0
या MV = -mV
यहाँ M > m होने के कारण v > V होगा।
अर्थात् गोली की तुलना में बन्दूक बहुत कम वेग से पीछे की ओर हटेगी जिसके प्रभाव से हल्का धक्का का अनुभव होता है।
प्रश्न 23.
रॉकेट की गति पर संवेग संरक्षण किस प्रकार कार्य करता है ?
उत्तर :
रॉकेट (Rocket) : ‘रॉकेट के उड़ने का सिद्धान्त न्यूटन के गति के तीसरे नियम से प्राप्त संवेग के संरक्षण सिद्धान्त (Principle of conservation of momentum) पर आधारित होता है।’ अन्तरिक्ष में उड़ने वाले रॉकेट में द्रव ईंधन को जलाने के लिए द्रव आक्सीजन या रासायनिक द्रव जिससे ऑक्सीजन प्राप्त हो सके काम में लाया जाता है। ईंधन के जलने से अधिक दबाव पर गैस रांकेट के सिर पर नोजल (Nozzle) से होकर वायु अन्दर प्रवेश करती है जो इंजन के मध्य रखे ईंधन के साथ जलकर पीछे की तरफ निकलती है। जिसके कारण जेट पर तीव्र प्रतिक्रियात्मक बल इसे आगे की ओर ठेलता है। जेट विमान गतिशील हो जाता है। जेट विमान को अधिक ऊँचाई तक नहीं ले जाया ज़ा सकता है क्योंकि इसको आगे बढ़ने के लिए वायु आवश्यक है जो केवल शान्त मण्डल तक ही उपलब्ध है। अतः यह शान्त मण्डल में ही उड़ सकता है इसके ऊपर नहीं। इस विमान से निकली हुई गैस का तापक्रम तुरन्त गिर जाता है और उस पर जलवाष्प जम जाता है जो हमें सफेद धुआँ के रूप में दिखाई देता है।
प्रश्न 24.
डाइन एवं न्यूटन किसे कहते हैं ? उनके संबंध लिखो।
उत्तर :
डाइन (Dyne) : यह वह बल है जो 1 ग्राम मात्रा वाली वस्तु पर लगकर उसमें 1 से॰मी॰/सेकेण्ड 2 त्वरण उत्पत्र कर देता है।
अर्थात् 1 Dyne = 1 gm × 1 cm / sec2.
न्यूटन (Newton) : यह वह बल है जो 1 किलोग्राम वाली वस्तु पर लगकर उसमें 1 मीटर/सेकेण्ड 2 त्वरण उत्पन्न कर देता है।
अर्थात् 1 Newton = 1 kg: × 1 m / sec2.
न्यूटन तथा डाइन में संबंध :
∴ 1 Newton = 1 kg × 1 m / sec2
= 1000 gm × 100 cm / sec2
= 105 gm.cm / sec2 = 105 dyne.
प्रश्न 25.
परिभाषा लिखो – विस्थापन, चाल, वेग, त्वरण एवं मंदन।
उत्तर :
विस्थापन : किसी गतिशील वस्तु का किसी निश्चित दिशा में उसकी प्रारम्भिक तथा अंतिम स्थिति के बीच की सबसे न्यूनतम दूरी को उस वस्तु का विस्थापन (Displacement) कहते हैं।
चाल : किसी गतिशील वस्तु द्वारा इकाई समय मे तय की गई दूरी को उस वस्तु की चाल (Speed) कहते हैं।
वेग : किसी गतिशील वस्तु द्वारा किसी निश्चित दिशा में इकाई समय में तय की गयी दूरी को उस वस्तु का वेग (Velocity) कहते हैं।
त्वरण : किसी गतिशील वस्तु द्वारा इकाई समय में वेग में जो वृद्धि होती है उसे त्वरण (Acceleration) कहते हैं। अथवा किसी गतिशील वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण (Acceleration) कहते है।
मंदन : जब किसी गतिशील वस्तु के वेग में प्रति सेकेण्ड जो कमी या हास होता है उसे ॠणात्मक त्वरण या मंदन (Retardation) कहते हैं।
आंकिक प्रश्नोत्तर (Numrical Answer Type) : 3 MARKS
प्रश्न 1.
किसी वस्तु पर 1.5 s समय के लिए एक कोई बल लगाने पर उसकी चाल 1.5 m / s से 4.5 m / s हो जाती है। बाद में उसी बल को 2 s के लिए लगाया है। 2 सेकेंड में चाल में परिवर्तन कितना होगा ?
हल : P Time = 1.5 s
Force = m.acc
= m \(\frac{4.5-1.5}{1.5}\)
Force = m \(\frac{3}{1.5}\) = 2 m …….(i)
Again,
Force = macc.
= m \(\frac{(n-1.5)}{2}\) (n-1.5) = Change in velocity
2 m = m \(\frac{n-1.5}{2}\)
(n-1.5) = 4 m / s
Answer:
4 m / s
प्रश्न 2.
5 kg द्रव्यमान का एक पिंड 10 m / s के वेग से चल रहा है। उस पर कोई एक बल लगाया गया है, जिससे वह 25 सेकेण्ड में 35 m / s का वेग प्राप्त कर लेता है। लगे बल का मान ज्ञात करें।
हल : ∴ Force = mass. rate of change of velocity.
= 5 . \(\frac{(35-10)}{25}\)
= 5 . \(\frac{25}{25} = 5 N\)
Answer:
5 N
प्रश्न 3.
30 N का बल 5 kg द्रव्यमान पर कितनी देर कार्य करे कि उसका वेग 15 m / s2 हो जाए ?
हल: 30 = 5\(\frac{(15-0)}{t}\)
= t = 2.5 s
Answer:
2.5 s
प्रश्न 4.
एक वस्तु की मात्रा 260 ग्राम तथा वेग 20 m / sec होने पर उस वस्तु का संवेग ज्ञात करें। हल : m=260 gm
v = 20 m / sec
mom = mv = \(\frac{200}{1000}\) × 20 = 5.2 kg m / sec.
Answer:
5.2 kg m / sec.
प्रश्न 5.
एक वस्तु की मात्रा 12.5 kg तथा वेग 3.5 m / sec2 हो तो उस वस्तु का बल ज्ञात करें।
हल : m = 12.5 kg
a = 3.5 m / s
F = ma = 43.75 N
Answer:
43.75 N
प्रश्न 6.
एक वस्तु की मात्रा 2 g है तथा उस पर 1 न्यूटन बल कार्य कर रहा हो तो त्वरण कितना होगा?
हल : m = 2 g a = 2 Hence, m = 2 kg. mol.
F = W
F = m a
a = \(\frac{F}{m}\) = \(\frac{1}{2}\) = 0.5 m / s2
Answer:
0.5 m / sec2
प्रश्न 7.
किसी वस्तु का मात्रा 10 ग्राम तथा त्वरण 5 cm / sec2 हो तो उस पर कार्य करने वाला बल का मान कितना होगा ?
हल : M = 10 gm
a = 5 cm / s2
F = ma
= 10 × 5
= 50 gm cm / s2
dyne = gm cm2
Answer:
50 dyne
प्रश्न 8.
एक वस्तु पर 500 न्यूटन बल कार्य करके 2 m / sec2 त्वरण उत्पन्न करता है तो वस्तु की मात्रा कितनी होगी ?
हल : F = 500 N
a = 2 m / s2
F = ma
100 = m .2
m = 250 kg
Answer:
250 kg
प्रश्न 9.
1 कि०ग्राम मात्रा वाले वस्तु पर 700 डाइन बल लगाने पर उसमें कितना त्वरण उत्पन्न होगा ?
हल :
m = 1 kg
F = 700 dyne
a = \(\frac{F}{m}\) = \(\frac{700}{1000}\) = 0.7 cm / s2
Answer:
0.7 से॰मी०/सेकेण्ड 2
प्रश्न 10.
किसी वस्तु पर 100 न्यूटन बल लगाने पर 20 मी०/से० 2 त्वरण उत्पन्न होता है तो उस वस्तु की मात्रा कितनी है ?
हल : F = 100 N
a = 20 m / s2
m = \(\frac{F}{m}\) = \(\frac{100}{20}\) =5 kg .
Answer:
5 कि०ग्राम
प्रश्न 11.
5 कि० ग्राम मात्रा पर 12 न्यूटन बल प्रयोग करने पर उस वस्तु पर कितना त्वरण उत्पन्न होगा ?
हल : m = 5 kg
F = 12 N
a = \(\frac{12}{5}\) = 2.4 m / s2
Answer:
2.4 मी०/सेकेण्ड2
प्रश्न 12.
एक मोटरगाड़ी जिसका द्रव्यमान 3000 kg है, 36 km / h के वेग से चल रही है। 30 सेकेण्ड में गाड़ी का वेग घटकर 27 km / h हो जाता है। गाड़ी पर लगा हुआ औसत मंदन बल मालूम करें।
हल: m = 3000 kg
v1 = 36 km / h
v2 = 27 km / h
t = 30 sec .
F = m \(\frac{v_2-v_1}{t}\)
= 3000 \(\frac{10 \times 7.5}{30}\) = \(\frac{3000 \times 2.5}{30}\) = 250
Answer:
250 Newton.
प्रश्न 13.
30 N का बल 5 kg द्रव्यमान पर कितनी देर कार्य करे कि उसका वेग 15 m / s हो जाए ?
हल : F = 30 N
m = 5 kg
30 = 5 \(\frac{15-0}{t}\)
t = 2.5 sec.
Answer:
2.5 sec.
प्रश्न 14.
किसी द्रव्यमान m1 पर 5 N का बल लगाने पर 8 m / s2 का त्वरण उत्पत्र होता है जबकि इसी परिमाण का बल द्रव्यमान m2 में 24 ms2 का त्वरण उत्पन्न करता है। यदि दोनों द्रव्यमान को परस्पर बाँधकर एक कर दिया जाए तो इस बल द्वारा संयुक्त द्रव्यमान में कितना त्वरण उत्पन्न होगा ?
हल : m=m, F = 5 N
a1 = 8 m / s2 F = m1 8 …..(i)
a2 = 24 m / s2 F = m2 24 …..(ii)
Total mass = (m1 + m.
Diving eqn (i) and (ii)
m1 8 = m2 24
m1 = 3 m2
Total mass = (m1+m2)
Diving eqn (i) and (ii)
m1 8 = m2 24
m1 = 3 m2
∴ a = \(\frac{F}{m_1 + m_2}\)
= \(\frac{F}{3 m_1 + m_2}\) = \(\frac{F}{4 m_2}\)
= 6 m / sec.
Answer:
F = 6 m / sec.
प्रश्न 15.
किसी बन्दूक से 0.06 kg की गोली 40 m / s के वेग से छोड़ी जाती है। यदि बन्दूक 20 m / s के वेग से पीछे हटती है तो इसका द्रव्यमान निकालें।
हल : Bullet weight = 0.06 kg
final velocity = 40 m / s
Force of bullet = (v1-v1) 0.06
= (40-0) 0.06
= 2.4 N
From 3rd Law
For energy action there is equal and opposite relation
Force on gm=m × 20
= 2.4 m × 20
= m = 0.12 kg
Answer:
0.12 kg.