WBBSE Class 9 Life Science Solutions Chapter 2 जीवन गठन के स्तर

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WBBSE Class 9 Life Science Chapter 2 Question Answer – जीवन गठन के स्तर

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
कोशिका भित्ति किससे बनी हुई होती है ?
उत्तर :
कोशिका भित्ति सेल्युलोज की बनी होती है।

प्रश्न 2.
सजीवों के शारीरक संरचना के प्रथम स्तर का क्या नाम?
उत्तर :
कोशिका।

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प्रश्न 3.
कोशिका झिल्ली का निर्माण किससे होता है ?
उत्तर :
कोशिका झिल्ली की दोनों बाहा परतें प्रोटीन की और अन्तिम भीतरी परत लिपिड की बनी होती है ।

प्रश्न 4.
मानव शरीर में जल की मात्रा कितनी होती है ?
उत्तर :
60%

प्रश्न 5.
माइटोकोण्ड्रिया की खोज किसने की ?
उत्तर :
माइटोकोण्ड्रिया की खोज बेन्डा (Benda) ने 1897 ई० में की।

प्रश्न 6.
अम्ल सजीवों की किस शारीरिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं ?
उत्तर :
पाचन और श्वसन जैसी क्रियाओं में।

प्रश्न 7.
न्यूक्लिक अम्ल की एकलक इकाई क्या है?
उत्तर :
न्युक्लिओटाइड।

प्रश्न 8.
गैसें शरीर की किस अभिक्रियाओं में भाग लेती हैं ?
उत्तर :
श्वसन एवं उत्सर्जन।

प्रश्न 9.
जीवन की इकाई किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जीवन की इकाई मानव शरीर में पायी जाने वाली कोशिकायें होती हैं।

प्रश्न 10.
जैव अणुओं को कितने भागों में विभक्त किया जाता हैं ?
उत्तर :
दो भागों में

  • लघु अणु
  • दीर्घ अणु।

प्रश्न 11.
केन्द्रकरहित जीवद्रव्य को क्या कहा जाता है ?
उत्तर :
कोशिका द्रव्य (Cytoplasm)।

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प्रश्न 12.
ओलिगोसैकराइड क्या है ?
उत्तर :
यह एक शर्करा यौगिक है जिसमें जल अपषटन के कारण 3-6 अणु सरल शर्करा बनते हैं।

प्रश्न 13.
न्युक्लिक अम्लों के नाम बताइए।
उत्तर :
R.N.A. (राइबो न्यूक्लिक अम्मल), D.N.A. (डिओंक्सी राइबो न्यूक्लिक अम्ल)

प्रश्न 14.
ग्लाइकोजेन कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर :
यकृत एवं पेशियों में।

प्रश्न 15.
रंग लवक कहाँ पाये जाते हैं ?
उत्तर :
रंग लबक फूलों की पंखुड़ी, फलो के छिलके, गाजर आदि में पाये जाते हैं।

प्रश्न16.
जीवद्रव्य के निर्माण के लिए किस प्रमुख जैव अणु की आवश्यकता होती है ?
उत्तर :
वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेड।

प्रश्न 17.
डिक्टिओसम क्या है ?
उत्तर :
पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित गॉल्कीकाय को डिक्टिओसोम कहा जाता है।

प्रश्न 18.
संचित भोजन का कार्य कौन-सा जैव अणु करता हैं ?
उत्तर :
वसा।

प्रश्न 19.
सिनोसाइटिक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
बहु-केन्द्रिक कोशिका को सिनोसाइटिक (coenocytic) कहते है।

प्रश्न 20.
किसी एक एन्जाइम का नाम बताएं।
उत्तर :
पेज्सिन।

प्रश्न 21.
संवहन बण्डल का निर्माण किस स्थायी उत्तक से होता है?
उत्तर :
जटिल स्थायी उत्तक।

प्रश्न 22.
ATP का पूरा नाम बताएँ।
उत्तर :
एडिनोसिन ट्राई फास्फेट (Andenosin Tri Phosphate)

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प्रश्न 23.
मनुष्य के किस अंग से पित्त स्रावित होता है ?
उत्तर :
मनुष्य में यकृत द्वारा पित्त स्रावित होता है।

प्रश्न 24.
सजीवों को प्रोटीन कैसे प्राप्त होते हैं ?
उत्तर :
खाद्य से (भोजन से)।

प्रश्न 25.
अग्नाशय किस प्रकार की ग्रंधि है ?
उत्तर :
मिश्रित ग्रंथि (Mixed gland)।

प्रश्न 26.
किस विटामिन के अभाव में बच्चों में सुखंडी रोग होता है ?
उत्तर :
विटामिन -D

प्रश्न 27.
मनुष्य की कितनी कपाल तंत्रिकाएँ (क्रेनियल नर्व) होती हैं ?
उत्तर :
12 जोड़ी।

प्रश्न 28.
हीमोग्लोबिन के निर्माण में कौन-सा खनिज कार्य करता है ?
उत्तर :
लोहा (iron)

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प्रश्न 29.
फेफड़ा की इकाई क्या है ?
उत्तर :
एल्वेओलाइ (Alveoli)।

प्रश्न 30.
सजीवों की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई कौन हैं?
उत्तर :
कोशिका।

प्रश्न31.
गैस्ट्रिक ग्रंधियाँ कहाँ पायी जाती हैं ?
उत्तर :
आमाशय की भीतरी दीवारों में गैस्ट्रिक ग्रंथियाँ पायी जाती हैं।

प्रश्न 32.
मानव शरीर में अग्नाशय की स्थिति बताइए ?
उत्तर :
मानव शरीर में अग्नाशय, आमाशय एवं ग्रहणी के बीच स्थित होता है।

प्रश्न 33.
मानव शरीर के सबसे बड़े अंग का क्या नाम है?
उत्तर :
यकृत

प्रश्न 34.
जीवन की रचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई क्या है ?
उत्तर :
कोशिका।

प्रश्न 35.
जीवन का भौतिक आधार क्या है ?
उत्तर :
प्रोटोप्लाज्म।

प्रश्न 36.
विटामिन C का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर :
एस्कार्बिक अम्ल।

प्रश्न 37.
प्रोटीन की सरलतम इकाई क्या है ?
उत्तर :
अमीनो अम्ल।

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प्रश्न 38.
कौन सा विटामिन यकृत में संश्लेषित होता है ?
उत्तर :
विटामिन – A

प्रश्न 39.
मानव शरीर में जल की मात्रा कितनी है ?
उत्तर :
60%

प्रश्न 40.
एक मोनोसैकेराइड का उदाहरण दो।
उत्तर :
ग्लूकोज।

प्रश्न 41.
विटामिन D का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर :
कैल्सिफेरल।

प्रश्न 42.
विटामिन B1 का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर :
थायमिन।

प्रश्न 43.
एक संचित प्रोटीन का नाम बताओ।
उत्तर :
एल्बुमिन।

प्रश्न 44.
तंत्रिका तंत्र की इकाई क्या है ?
उत्तर :
न्यूरॉन।

प्रश्न 45.
मनुष्य के शरीर में सबसे लम्बी कोशिका कौन सी है ?
उत्तर :
न्यूरॉन।

प्रश्न 46.
एक वाहक प्रोटीन का नाम लिखो ।
उत्तर :
ट्रान्सफेरिन।

प्रश्न 47.
एक क्षारीय प्रोटीन का नाम लिखो।
उत्तर :
प्रोटामिन या हिस्टोन।

प्रश्न 48.
लिपिड का सरल रूप क्या है ?
उत्तर :
फैटी एसिड एवं गिलसरॉल।

प्रश्न 49.
विटामिन B2 का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर :
राइबोफ्लेभिन।

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प्रश्न 50.
विटामिन B12 का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर :
सायनोकोवालामिन।

प्रश्न 51.
आँवला में सबसे अधिक कौन-सा विटामिन पाया जाता है ?
उत्तर :
विटामिन – C

प्रश्न 52.
ATP का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
ATP -Adenosine Tri Phosphate

प्रश्न 53.
प्लास्टिड वाले एक प्राणी का उदाहरण दो।
उत्तर :
यूग्लिना।

प्रश्न 54.
RNA का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
RNA -Ribo Nucleic Acid

प्रश्न 55.
केन्द्रक के आविष्कारक कौन हैं ?
उत्तर :
राबर्ट ब्राउन।

प्रश्न 56.
DNA का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
DNA – De-oxyribo Nucleic Acid

प्रश्न 57.
किस अंगाणु का दूसरा नाम कोन्ड्रियोज्म है ?
उत्तर :
माइटोकोण्ड्रिया का।

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प्रश्न 58.
फूल की पंखुड़ियों में कौन सा प्लास्टिड पाया जाता है ?
उत्तर :
क्रोमोप्लास्ट।

प्रश्न 59.
पीले रंग के प्लास्टिड का क्या नाम है ?
उत्तर :
जैन्थोफिल।

प्रश्न 60.
एक प्रोकैरियोटिक कोशा का नाम लिखो।
उत्तर :
बैक्टेरिया।

प्रश्न 61.
कार्टिलेज के छत्र को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
कन्ड्रिन।

प्रश्न 62.
गॉली बॉडी के आविष्कारक कौन थे ?
उत्तर :
कैमिलो गॉल्गी।

प्रश्न 63.
एक यूकैरियोटिक जीव का नाम लिखो।
उत्तर :
मनुष्य।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2/3 MARKS

प्रश्न 1.
प्रोकैरियोटिक कोशिका एवं यूकैरियोटिक कोशिका के मध्य अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर :

आधार प्रोकैरियोटिक कोशिका यूकैरियोटिक कोशिका
(i) केन्द्रक (i) केन्द्रीय झिल्ली नहीं पायी जाती है । (i) केन्द्रीय झिल्ली पायी जाती है
(ii) राइबोसोम (ii) 705 प्रकार का । (ii) 805 प्रकार का ।
(iii) क्रोमोसोम (iii) क्रोमोसोम का निर्माण नहीं होता है। (iii) कोशिका विभाजन के समय क्रोमोसोम का निर्माण होता है ।
(iv) कोशिका विभाजन (iv) असूत्रण (iv) समसूत्रण और अर्द्ध-सूत्रण।

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प्रश्न 2.
जल के दो कार्य बताइए।
उत्तर :
जल के कार्य :-

  • विसरण तथा परासरण क्रिया में सहायता,
  • जीवद्रव्य, रक्त तथा लसिका के निर्माण में सह्दायता करना।

प्रश्न 3.
जीवद्रव्य की परिभाषा लिखो।
उत्तर :
जीवद्रव्य : जीवद्रव्य जीवन का सार है। हक्सले (Huxley) ने ‘इसे जीवन का भौतिक आधार शिला’ (physical basis of life) कहा है।

प्रश्न 4.
अम्ल का प्रमुख कार्य क्या होता है ?
उत्तर :
अम्ल का कार्य : अम्ल सजीवों की शारीरिक अभिक्रियाओं में भाग लेकर चपाषचय की क्रिया में मदद करता है।

प्रश्न 5.
ऊर्जा देने वाले भोजन के उपादानों के नाम लिखो।
उत्तर :
कार्बोहाइड्रेट और वसा।

प्रश्न 6.
माइटोकोण्ड्रिया को कोशिका का विद्युत गृह क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
माइटोकोण्ड्रिया ऊर्जा उत्पादन एवं ATP निर्माण का केन्द्र स्थल है। अत: इसे ” विद्युत गृहा” या ” संचित बैटरी” ” कहा जाता है।

प्रश्न 7.
हमारे जीवन के लिए जल क्यों आवश्यक है ?
उत्तर :
जल जीवद्रव्य की क्रियाशीलता को बनाये रखने के लिए एक अनिवार्य उपादान है। यह 80% मात्रा में उपस्थित रहता है। इसकी कमी होने पर जीवद्रव्य में क्रियाशीलता कम हो जाती है। पानी भोज्य पदार्थ के अणुओं के परिवहन का माध्यम बनता है। हार्मोन, अन्य रुावित पदार्थो, उत्सर्जी पदार्थ के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस अकार्बनिक यौगिक के अभाव में हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते इसलिए इसे जीवन की संज्ञा दी गई है। साधारणतः एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन 3 \(\frac{1}{2}\) से 4 लीटर जल की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 8.
क्षार किसे कहते हैं ? इसका मुख्य कार्य क्या है ?
उत्तर :
जल में घुलनशील भस्म को क्षार कहते हैं। उदाहरण – सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) । क्षार उपापचय की क्रिया में सहायता करता है।

प्रश्न 9.
वसा में घुलनशीलत विटामिनों के नाम लिखिए।
उत्तर :
विटामिन – A, विटामिन – D, विटामिन – E, विटामिन – K

प्रश्न 10.
जैव अणु किन्हें कहा जाता है ?
उत्तर :
सजीवों की कोशिकाओं में पाये जाने वाले कार्बनिक अणुओं को जैव अणु कहते हैं। जैसे – कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा आदि।

प्रश्न 11.
जैव अणु की मुख्य विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर :
जैव अणु की विशेषताएँ :

  • जैव अणु प्राय: कार्बनयुक्त जैविक यौगिक होते है।
  • इनकी निथ्रित आकार, आकृति एवं परिषि होती है।
  • इनका कार्य निर्धारित होता है।
  • अणु की कई छोटी इकाइयो को मिलकर इनका निर्माण होता है।

प्रश्न 12.
प्रोविटामिन किसे कहते है ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
वे कार्बनिक पदार्थ जिनसे प्राणी के शरीर में विटामिन का संश्लेषण होता है, उसे प्रोविटामिन कहते हैं। जैसे कैरोटिन, विटामिन-A का प्रोविटामिन है।

प्रश्न 13.
घेंघा का कारण क्या है?
उत्तर :
घेंघा का कारण : आयोडिन की कमी और थायराइड की कमी है ।

प्रश्न 14.
प्रोकैरियोटिक कोशिका की परिभाषा लिखो।
उत्तर :
वह कोशिका जिसमें पूर्ण केन्द्रक का अभाव होता है तथा जिसमें कोशिकांग अनुपस्थित होते हैं उसे प्रोकैरियोटिक कोशिका कहते हैं। उदाहरण : जीवाणु, नील हरित शैवाल।

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प्रश्न 15.
जटील शर्करा की संरचना का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर :
जटिंल शर्करा कई मोनोसैकराइड अणुओं के संयोजन के फलस्वरूप निर्मित होती है। इनका आधारभूत फॉर्मूला C6 H10O5 होता है। ये जल में अघुलनशील होती है।

प्रश्न 16.
गुणसूत्र क्या है?
उत्तर :
गुणसूत्र या क्रोमोजोम सभी वनस्पतियों व प्राणियों की कोशिकाओं में पाये जाने वाले तन्तु पिंड होते हैं, जो सभी अनुवाशिक गुणों को निर्धारित व संचारित करते हैं।

प्रश्न 17.
हुदय पेशी की एक विशेषता तथा स्थिति बताइए।
उत्तर :
हदय पेशी की विशेषता : हुदय पेशी की पेशी तंबु शाखीय होते हैं। इनकी शाखायें आपस में मिलकर एक जाल सा बनाती हैं । इन पेशियों में हमेशा संकुचन और शिथिलन होता है । हृदय पेशी की स्थिति : यह हृदय में स्थित है । इसीसे हृदय का निर्माण होता है ।

प्रश्न 18.
ऐमीनो अम्ल का निर्माण कैसे होता है।
उत्तर :
ऐमीनो अम्ल का निर्माण प्रोटीन के जलीय अपघटन (Hydrolysis) के द्वारा होता है।

प्रश्न 19.
यूकैरिओटिक कोशिका किसे कहते हैं ?
उत्तर :
ऐसी कोशिका जिसमें केन्द्रक झिल्ली, केन्द्रक, केन्द्रक द्रव तथा सुविकसित कोशिकांग पाया जाता है, उसे युकैरिओटिक कोशिका कहा जाता है। जैसे – मनुष्य, मटर, आम आदि की कोशिकाएँ।

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प्रश्न 20.
मानव शरीर में Hcl की क्या भूमिका है ?
उत्तर :
आमाशय में Hcl की भूमिका :-

  • Hcl भोजन के माध्यम को अम्लीय बनाता है।
  • भोजन को सड़ने से बचाता है।
  • भोजन के साथ आये जीवाणुओं को नष्ट कर देता है।

प्रश्न 21.
लिपिड के प्रमुख कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर :
लिपिड के कार्य : लिषिड का जंतु-शरीर में निम्नलिखित रूप में प्रयोग होता है।

  • इसका प्रयोग ऊर्जा-स्रोत के रूप में होता है।
  • इसका परिवर्तन स्टेरॉयड (steroid) विटामिन एवं हॉर्मोन में होता है।
  • यह भोजन के रूप में इस्तेमाल होता है।
  • मनुष्य इसे परिरक्षी (preservative) एवं रोशनी के लिए इस्तेमाल करता है।

प्रश्न 22.
प्रविभाजी ऊतक की परिभाषा लिखो।
उत्तर :
विभाजन की क्षमता रखनेवाली कोशिकाओं से बने उत्तक को प्रविभाजी उत्तक कहते हैं।

प्रश्न 23.
एन्जाइम्स की परिभाषा लिखें।
उत्तर :
“एन्जाइम वे घुलनशील कार्बनिक नाइट्रोजन युक्त जैविक उत्त्रेरक (bio catalyst) है, जो जीवित कोशिकाओं द्वारा गठित होकर बहि: सावी ग्रंथियों (exo-crine glands) द्वारा सावित होते हैं तथा अपनी उपस्थिति मात्र से रासायनिक क्रियाओं की दर को बढ़ा या घटा देते हैं।”

प्रश्न 24.
संवहन पूल क्या है ?
उत्तर :
जड़, तना और पत्ती के आन्तरिक भाग में जल और भोज्य पदार्थ के स्थानान्तरण के लिए जटिल उत्तक से बने रचना को संवहन पूल कहते हैं ।

प्रश्न 25.
प्लीहा के दो कार्य लिखिए ।
उत्तर :
प्लीहा के दो कार्य :-

  • भूरण में R.B.C. का निर्माण करना।
  • लिम्फोसाइट्स का निर्माण करना।

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प्रश्न 26.
वसा में घुलनशील किसी एक विटामिन का वर्णन करें।
उत्तर :
विटामिन A (Vitamins A या Retinol, C20H30O) : यह दूघ, मक्खन, मछली, अंडा इत्यादि में पाया जाता है। गाजर, सब्जो, फल इत्यादि में कैरोटीन (carotene) नामक एक रासायनिक पदार्थ होता है जो शरीर में रासायनिक क्रिया द्वारा विटामिन A में बदल जाता है । इसलिए, इसे प्रोविटामिन A (ptovitamin A) कहते हैं। शरीरवर्द्धक होने के कारण यह छोटे बच्बों के लिए आवश्यक है। इसकी कमी से नेत्र में शुष्क-अक्षिपाक (xerophthalmia), त्वकरूक्षता (phrynoderma), रतौधी (night blindness) अथवा निशांधता (nyctalopia), दुर्बलता (weakness) तथा श्वसन तंत्र के रोग होते हैं।

प्रश्न 27.
न्यूरॉन क्या है ?
उत्तर :
न्यूरॉन तंत्रिका तंत्र की रचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई है।

प्रश्न 28.
मनुष्य का मस्तिष्क कहाँ स्थित होता है ? इसका आयतन कितना होता है ?
उत्तर :
मनुष्य का मस्तिष्क खोपड़ी के क्रेनियम में स्थित रहता है। इसका आयतन लगभग 1500 घन सेटीमीटर होता है।

प्रश्न 29.
जल में घुलनशील किसी एक विटामिन का वर्णन करें।
उत्तर :
विटामिन – C : यह जटिल कार्बनिक पदार्थ होते है । तथा शरीर की उपापघयी क्रियाओं में भाग लेते हैं। इन्हे वृद्धिकारक भी कहते है । इसकी कमी से स्कर्वी (Scurvy) रोग हो जाता है ।

प्रश्न 30.
सूत्र-युग्मन की परिभाषा दो।
उत्तर :
एक न्यूरान के एक्सान दूसरे न्यूरॉन के डेन्द्राइट्स के साथ क्रियात्मक रूप से जुड़े रहते हैं, वह स्थान सूत्र-युग्मन कहलाता है ।

प्रश्न 31.
मानव देह के लिए आवश्यक विभिन्न खनिजों के नाम बताएं।
उत्तर :
मानव देह के आवश्यक खनिज निम्नलिखित हैं –
माइक्रोतत्व : लोहा, ताँबा, आयोडीन, मैगनीज, कोबॉल्ट।
मैक्रोतत्व : सोडियम, पोटाशियम, कैल्शियम, क्लोरिन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सल्फर।

प्रश्न 32.
खाद्य का स्थानान्तरण तथा रसारोहण को सम्मिलित रूप से किस नाम से जानते हैं ?
उत्तर :
संवहन के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 33.
कोशिका की परिभाषा लिखें।
उत्तर :
कोशिका जीवन की प्रारम्भिक रचनाशील एवं क्रियाशील इकाई है।

प्रश्न 34.
मस्तिष्क कहाँ अवस्थित होता है?
उत्तर :
मस्तिष्क सिर में स्थित होता है तथा खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है ।

प्रश्न 35.
कोशिका भित्ति किसे कहते हैं।
उत्तर :
पादप कोशिका के सबसे बाहरी निर्जीव, पारगम्य, कठोर और मोटे आवरण को कोशिका भित्ति कहते हैं।

प्रश्न 36.
वृक्क क्या है?
उत्तर :
वृक्क युम्मित अंग है जिसका प्रधान कार्य मूत्र उत्पादन करना है ।

प्रश्न 37.
सेन्ट्रोसोम किसे कहते हैं।
उत्तर :
“प्राणी कोशिका में केन्द्रक के निकट स्थित तारे के आकार की सेन्ट्रिओल एवं सेन्ट्रोस्कियर से मिलकर बनी हुई वह रचना जो कोशिका विभाजन में मुख्य रूप से भाग लेती है उसे सेन्ट्रोसोम कहते हैं।”

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प्रश्न 38.
अण्डाशय के दो कार्यो को लिखो।
उत्तर :

  • प्रोजेस्टेरोंन, ओएस्ट्रोजेन नामक हार्मोन्स के खाव में ।
  • अण्डों, स्तन-ग्रन्थियों आदि के विकास में ।

प्रश्न 39.
डाइसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट किसे कहते हैं ?
उत्तर :
दो मोनोसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट परस्पर युक्त होकर एवं एक अणु जल मुक्त जो कार्बोहाइड्रेट बनता है, उसे डाइसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट कहते हैं। जैसे – लैक्टोज, माल्टोज, सुक्रोज आदि।

प्रश्न 40.
माइटोकोण्ड्रिया को कोशिका का विद्युत गृह क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
माइटोकोण्ड्रिया ऊर्जा उत्पादन एवं ATP निर्माण का केन्द्र स्थल है। अतः इसे ‘ विद्युत गृह”‘ या ‘ संचित बैटरी” कहा जाता है।

प्रश्न 41.
फ्लोएम के दो कार्य लिखिए।
उत्तर :
फ्लोएम के कार्य :

  • पत्तियों में निर्मित खाद्य पदार्थ का पौधों के विभिन्न भागों में स्थानान्तरण करना
  • पौधों को यांत्रिक शक्ति प्रदान करना।

प्रश्न 42.
एण्टी विटामिन (Anti-vitamin) क्या है ?
उत्तर :
ऐसे कार्बनिक यौगिक जो रचना में विटामिन से मिलते-जुलते हैं, पर विटामिन को ही नष्ट कर देते हैं, उन्हें एण्टी विटामिन कहा जाता है। जैसे – थायमिनेज-B

प्रश्न 43.
ऊत्तक किसे कहते हैं ?
उत्तर :
समरूप कोशिकाओं का वह समूह जो रूप, रचना, उत्पत्ति तथा कार्य में समान हो, उसे उत्तक कहते हैं।

प्रश्न 44.
जाइलम के दो कार्य लिखिए।
उत्तर :
जाइलम के दो कार्य :-

  • जल तथा खनिज लवणों को जड़ से पत्तियों तक पहुँचाना
  • पौधों को यांत्रिक शक्ति प्रदान करना।

प्रश्न 45.
विटामिन B1 का पौधों तथा जन्तुओं में स्रोत बताइए।
उत्तर :
विटामिन B1 का पौधों में स्रोत :- चावल, गाजर, फूलगोभी, वीन्स आदि।
विटामिन – B का जन्तुओं में स्रोत :- अंडे की जर्दी, यकृत आदि।

प्रश्न 46.
विटामिन A की कमी से कौन सा रोग होता है तथा इस विटामिन का स्रोत क्या है ?
उत्तर :
विटामिन A की कमी से रतौधी तथा Xerophthalmia नामक रोग होता है। विटामिन A का स्रोत – गाजर, दूध, मछली, मक्खन, पका पपीता आदि है।

प्रश्न 47.
मृतोपजीवी पौधों से क्या समझते हो ? उदाहरण सहित बताएँ।
उत्तर :
वे पौधे जो सड़े-गले कार्बनिक पदार्थो से अपना भोजन ग्रहण करते है, उन्हे मृतोपजीवी पौधा कहते हैं। जैसे – म्यूकर।

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प्रश्न 48.
फेफड़े के कार्य लिखें।
उत्तर :
फेफड़े के कार्य :

  • यह श्वसन की क्रिया के लिए आवश्यक आक्सीजन गैस की आपूर्ति में सहायता करता हैं।
  • यह जल और तापक्रम को नियमित रखने में मदद करता है ।

प्रश्न 49.
अगन्याशय के दो कार्य लिखें।
उत्तर :
अग्याशय के कार्य :

  • अग्याशय के पिण्डकों की कोशिकाएँ अन्याशयी रस स्रावित करती हैं।
  • इस रस में ट्रिप्सिन, काइमोट्रिप्सिन, एमाइलेज तथा लाइपेज नामक एन्जाइम्स होते हैं तथा ये एन्जाइम्स क्रमश: म्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा के पाचन में सहायक होते हैं।

प्रश्न 50.
यकृत के दो कार्य लिखें।
उत्तर :
यकृत के कार्य :
(i) पित्त आमाशय से ग्रहणी में आए अम्लीय काइम की अम्लीयता को नष्ट कर उसे क्षारीय बना देता है ताकि अग्न्याशयी रस के एंजाइम उसपर क्रिया कर सकें।

(ii) पित्त के लवणों की सहायता से भोजन के वसा का विखण्डन तथा पायसीकरण (emulsification) होता है ताकि वसा को तोड़नेवाले एंजाइम उसपर आसानी से क्रिया कर सकें।

प्रश्न 51.
विटामिन A के तीन कार्य बताइए।
उत्तर :
विटामिन A के कार्य –

  • रेटिना में प्रकाश संवेदी रोडाप्सीन नामक रंग बनाने में मदद करना।
  • आँखों की पुतली, आँखों के पर्दो की आवरणी कला को स्वस्थ एवं सक्रिय रखने में मदद करना।
  • ग्लाइकोप्रोटीन संश्लेषण में महत्वपूर्ण योगदान करना।

प्रश्न 51.
लिपिड के तीन कार्य बताइए।
उत्तर :
लिपिड के मुख्य कार्य :-

  • लिपिड का प्रयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में होता है।
  • यह कोशिका झिल्ली के निर्माण में भाग लेती है।
  • इसका परिवर्तन स्टेरायड विटामिन तथा हार्मोन में होता है।
  • इसका प्रयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में होता है।

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प्रश्न 52.
प्रोटिन्स के क्या-क्या महत्व हैं ?
उत्तर :
प्रोटिन्स के महत्व –

  • यह शारीरिक वृद्धि, नये ऊत्तकों के निर्माण तथा दूट-फूट की मरम्मत में सहायक होते हैं।
  • यह ऊर्जा उत्पादक का कार्य करता है
  • इसके द्वारा विकर, हार्मोन तथा रोग प्रतिरोधक पदार्थ बनते हैं।

प्रश्न 53.
वसा के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :

  • वसा के द्वारा शारीरिक ताप को नियन्त्रित किया जाता है क्योंकि यह ताप रोधक होता है।
  • यह कोशिका झिल्ली के निर्माण तथा A, D, E, K घोलक के रूप में कार्य करता हैं।
  • 1 ग्राम वसा के आक्सीकरण से 9.3 किलो कैलोरी ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 54.
प्रोकैरिओटिक कोशिका किसे कहते हैं ?
उत्तर :
ऐसी कोशिका जिसमें केन्द्रक, केन्द्रक झिल्ली, केन्द्रक द्रव तथा कोशिका के विभिन्न अंग जैसे – माइटोकोण्ड्रेया, लाइसोजोम, इण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम आदि नहीं पाये जाते हैं, उसे प्रोकैरिओटिक कोशिका कहते हैं।

प्रश्न 55.
लाइसोजोम को कोशिका का आत्मघाती थैली क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
लाइसोजोम में उपस्थित अनेक पाचक विकर कोशिका के आन्तरिक पोषण में सहायता करते हैं और कोशिका में किसी भी तरह के रोग की अवस्था में अपने ही अंगाणुओं का पाचन कर देते हैं जिससे कोशिका की मृत्यु हो जाती है। इसलिए लाइसोजोम कोशिका को आत्मघाती थैली कहा जाता है।

प्रश्न 56.
विटामिन E का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
विटामिन E :- इसका रासायनिक नाम टोकोफेरॉल है। इस विटामिन का सूत्र C29 H50 O2 है। यह भी वसा में घुलनशील होता है। हरि सब्जियाँ, गेहूँ, मांस, दूध आदि में पाया जाता है। इस विटामिन द्वारा कोशिका के विभेदन तथा परिपक्व, प्रजनन, भ्रूण के विकास में सहायता मिलती है। इस विटामिन की कमी से बाँझपन नामक रोग होता है।

प्रश्न 57.
विटामिन D का क्या कार्य है?
उत्तर :
विटामिन D का कार्य :-

  • अस्थियों को मजबूत बनाने तथा वृद्धि में मदद करता है।
  • बच्चों के दाँत बनाने में मदद करता है।
  • बच्चों में रिकेट एवं बड़ों में ओस्टिओमलेशिया रोग का प्रतिरोधक है।
  • रक्त में कैल्शियम की मात्रा नियंत्रण करता है।

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प्रश्न 58.
जन्तु कोशिका तथा पादप कोशिका में अन्तर लिखो।
उत्तर :

जन्तु कोशिका पादप कोशिका
(i) जन्तु कोशिका कोशिका झिल्ली से घिरी रहती है। इसमें कोशिका भित्ति अनुपस्थित रहती है। (i) कोशिका झिल्ली के बाहर सेल्युलोज नामक रासायनिक यौगिक की बनी कोशिका भित्ति पाई जाती है।
(ii) जन्तु कोशिका में सेन्ट्रोसोम पाया जाता है। (ii) पादप कोशिका में सेन्ट्रोसोम नहीं पाया जाता है।
(iii) जन्तु कोशिका में लवक अनुपस्थित रहते हैं। (iii) पादप कोशिका में लवक पाये जाते हैं।
(iv) जन्तु कोशिका में छोटी-छोटी रसधानियाँ होती हैं, या नहीं भी होती हैं। (iv) पादप कोशिका के मध्य में एक बड़ी रसधानी पाई जाती है।

प्रश्न 59.
केन्द्रक तथा केन्द्रिका में अन्तर लिखो।
उत्तर :

केन्द्रक केन्द्रिका
(i) केन्द्रक प्रोटोप्लाज्म का हिस्सा है। (i) केन्द्रिका केन्द्रक का हिस्सा है।
(ii) यह कोशिका द्रव्य में पाया जाता है। (ii) यह केन्द्रक द्रव्य में पाया जाता है।
(iii) इसमें D.N.A. पाया जाता है। (iii) इसमें D.N.A. नहीं पाया जाता है।
(iv) इसमें क्रोमोजम पाया जाता है। (iv) इसमें क्रोमोजोम नहीं पाया जाता है।

प्रश्न 60.
प्रोटीन तथा विटामिन में अन्तर लिखो।
उत्तर :

प्रोटीन विटामिन
(i) प्रोटीन से ऊर्जा उत्पन्न होती है। (i) इससे ऊर्जा उत्पन्न नहीं होती है।
(ii) यह शरीर निर्माता भोजन है। (ii) यह विनियंत्रक भोजन है।
(iii) इसका पाचन होता है। (iii) इसका पाचन नहीं होता है।
(iv) प्रोटीन तीन प्रकार के होते है –
(a) सरल प्रोटीन,
(b) यौगिक प्रोटीन तथा
(c) व्युत्पन्न यौगिक।
(iv) विटामिन दो प्रकार के होते हैं –
(a) जल में घुलनशील
(b) वसा में घुलनशील।

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प्रश्न 61.
कार्बोहाइड्रेट तथा वसा में अन्तर लिखो।
उत्तर :

कार्बोहाइड्रेट वसा
(i) कार्बोहाइड्रेट ताप का अवरोधक नहीं होता है। (i) वसा ताप का अवरंषे, हता है।
(ii) इसका सरलतम रूप ग्लूकोज है। (ii) इसका सरलतम रूप वसोय अम्ल तथा ग्लिसरॉल है।
(iii) इसके एक ग्राम के पूर्ण ऑक्सीकरण के फलस्वरूप 4.1 K Cals ऊर्जा मुक्त होती है। (iii) इसके एक ग्राम के पूर्ण ऑक्सीकरण के फलस्वरूप 9.3 K Cals ऊर्जा मुक्त होती है।

प्रश्न 62.
मस्तिष्क तथा रीढ़ रज्जु में अन्तर लिखो।
उत्तर :

मस्तिष्क गीढ़ रज्जु
(i) यह क्रेनियम में स्थित रहता है। (i) यह रीढ़ की हड्डी के न्यूरल कैनाल में स्थित रहता है।
(ii) यह अपेक्षाकृत लम्बा नहीं होता है। (ii) यह अपेक्षाकृत लम्बा होता है।
(iii) इसमें धूसर द्रव्य बाहर तथा श्षेत द्रव्य भीतर की ओर होता है। (iii) इसमें श्वेत द्रव्य बाहर तथा धूसर द्रव्य भीतर की ओर होता है।
(iv) यह ऐच्छिक क्रियाओं पर नियंत्रण करता है। (iv) यह ऐच्छिक तथा अनैच्छिक दोनों क्रियाओं को नियंत्रित करता है।


विवरणात्मक प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS

प्रश्न 1.
तंत्रिका ऊतक की संरचना का वर्णन करें।
उत्तर :
तंत्रिका ऊतक की संरचना : यह ऊतक तन्त्रिका कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। इन कोशिकाओं को न्यूरॉन्स कहते हैं। प्रत्येक कोशिका के कोशिका द्रव्य में एक केन्द्रक मिलता है। तन्त्रिका कोशिका के अगले भाग को साइटान कहते हैं। इससे एक लम्बा और मोटा एक्शॉन तन्तु (छोटे-छोटे प्रवर्द्ध) लगे रहते हैं। साइटन से डेन्ड्रान व डेन्ड्राडद्स लगे रहते हैं।

प्राप्ति स्थान : यह ऊतक मस्तिष्क, रीढ़रज्जु (Spinal cord) और तंत्रिकाओ इत्यादि में गाया जाता है।
कार्य : यह वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी कराना है। यह सभी अन्य ऊतको की क्रियाओं का नियन्र्रण एवं नियमन करता है। यह शरीर के विभिन्न अंगों के कार्यों के मध्य समन्वय स्थापित करता है।

प्रश्न 2.
जीवन के महत्वपूर्ण अजैविक यौगिक कौन-कौन से हैं ? किसी एक का वर्णन करें।
उत्तर :
अजैविक यौगिक (Inorganic Compounds) : जल, अम्ल, क्षार, लवण, गैस समूह इत्यादि जो सजीवों के शारीरिक संघटन में पाये जाते हैं, उन्हें अजैविक यौगिक (Inorganic compounds) कहा जाता है।

जल (Water) : सजीवों के लिए सबसे सर्वोत्तम खाद्य जल है। मानव शरीर में जल (60%) होता है। जल जीव द्रव्य का अभिन्न अंग है। यह जीवद्रव्य, रक्त और लसिका के निर्माण में सहायक है। यह विसरण एवं परासरण क्रिया के लिए भी आवश्यक है। जल का दो भाग हाइड्रोजन H तथा एक भाग ऑक्सीजन (O2)के संयोग से बना है, जल का रासायनिक अथवा अणु सूत्र H2O है।

जल के महत्व :

  • यह भोजन अवशोषण में सहायता करता है।
  • यह मेटाबोलिक पदार्थ का कार्य करता है।
  • यह शरीर के ताप को नियंत्रित करता है।
  • प्रकाश संश्लेषण के समय यह O2 गैस उत्पत्र करता है।
  • यह अनेक हाइड्रोलाइटिक क्रियाओं में भाग लेता है।

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प्रश्न 3.
जाइलम के विभिन्न भागों का कार्य सहित संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर :
जाइलम एक पादप जटिल ऊत्तक है जो विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। इस कोशिकाओं के रूप तथा कार्य एक दूसरे से अलग होते हैं। यह पौधों की जड़, तना तथा पत्ती के वाहनी-बंडल में पाया जाता है। जाइलम के चार अवयव होते हैं :-

(i) वाहिनिका (Tracheids)
(ii) वाहिका (Traehea)
(iii) जाइलम पेरेनकाइमा (Xylem Parenchyma)
(iv) जाइलम तंतु (Xylem fibres)

(i) वाहिनिका (Tracheids) : ये लम्बी तथा एक कोशिकीय होती है। इसकी प्रत्येक कोशिका लम्बी, जीवद्रव्यहीन, दोनों सिरों पर नुकीली तथा मृत होती है। कोशिका भित्ति मोटी तथा लिग्निनयुक्त होती है।

कार्य :

  • पौधों को यांत्रिक शक्ति प्रदान करना
  • जल तथा उसमें धुलित पदार्थों को पत्तियों तक पहुँचाना।
  • वाहिकाएँ (Trachea) : बाहिका की कोशिकाएँ भी लम्बी, नलिका सदृश तथा मृत रचनायें होती हैं। यह कई नलिकाओं के मिलने से बनती हैं। यह अधिकतर सपुष्पक पौधों में पायी जाती है।

कार्य :-

  • इस का प्रधान कार्य जल तथा खनिज लवण के संवहन में सहायता करना है।
  • खाद्य पदार्थों का संचय करता है।
  • जाइलम पैरेनकाइमा (Xylem Parenchyma) : इसकी कोशिकायें समब्यासी और जीवित होती हैं। इनकी कोशिका भित्ति पतली या स्थूलित होती है ।
    कार्य :- इसका कार्य वसा और स्ट्राच का संग्रह करना है ।
  • जाइलम तंतु (Xylem fibre) :- इस ऊत्तक की कोशिकाएँ लम्बी सिरे पर नुकीली तथा निर्जीव होती हैं। ये दृढ़ उत्तक कोशिकाओं की बनी होती है। ये कोशिकाएँ मृत होती हैं।

कार्य :-

  • यह पौधों को यांत्रिक शक्ति प्रदान करती है।

प्रश्न 4.
उत्पत्ति के अनुसार प्रविभाजी ऊत्तक कितने प्रकार के होते हैं ? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर :
उत्पत्ति के अनुसार प्रविभाजी ऊत्तक दो प्रकार के होते हैं :-
(i) प्राथमिक प्रविभाजी उत्तक (Primary meristematic tissue) :- प्रायमिक प्रविभाजी ऊत्तक पौधों के विकास की प्रारम्भिक अवस्था में रहते हैं। यह स्थिति के अनुसार निम्न तीन प्रकार के होते हैं :-

  • अग्रस्थ प्रविभाजी (Apical meristem) :- जब प्रविभाजी ऊत्तक पौधों की जड़ों एवं तने के सिरे पर होता है तो इसे अग्रस्थ प्रविभाजी कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य जड़ तथा तना की लम्बाई में वृद्धि करना है।
  • पाश्व्व प्रविभाजी (Lateral meristem) :- जब प्रविभाजी ऊत्तक पौधों के पाश्व्व भाग में पाया जाता है, तो यह पाश्र्व प्रविभाजी कहलाता है।
  • अन्तर्विप्ट प्रविभाजी (Intercalary meristem) :- जब प्रविभाजी ऊत्तक स्थायी ऊत्तकों के समूह के बीच में रहता है तब इसे इन्टरकैलरी प्रविभाजी कहते हैं। यह उत्तक संबंधित अंगों की लम्बाई में वृद्धि करता है।

(ii) द्वितीयक प्रविभाजी ऊत्तक (Secondary Meristematic tissue) : कुछ प्राथमिक स्थायी ऊत्तक में विभाजन की क्षमता आ जाती है जिससे वे द्वितीयक प्रविभाजी ऊत्तक बनाते हैं। जैसे – जड़ की कैम्बियम, तने की कार्क कैम्बियम आदि।

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प्रश्न 5.
मृदूतक की रचना एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मृदूत्तक या पैरेनकाइमा (Parenchyma) : यह पतली कोशिका भित्ति वाली अन्तरकोशिकीय अवकाशयुक्त जीवित कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। इसकी कोशिकायें अण्डाकार, गोल अथवा बहुभुजी होती हैं। इनकी दीवारें पतली तथा सेल्यूलोज की बनी होती हैं। कोशिकाओं के बीच-बीच में अन्तरकोशिकीय स्थान अधिक विकसित होते हैं। ये जीवित होती है।

कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में रिक्तिका तथा एक-एक स्पष्ट केन्द्रक उपस्थित रहता है। जल में तैरने वाले पौधों के पेरेनकाइमा में वायु स्थान पाये जाते हैं। इन्हें एरेनकाइमा कहते हैं। यह उतक जड़ एवं तने की वाह्यत्वया (Epidermis), कर्टेक्स (Cortex), मज्जा (Pith), मेडुलरी रेज (Medulary rays), पत्तियों के मीसोफिल (Mesophyll) इत्यादि में पाया जाता है।

कार्य : इसका मुख्य कार्य भोज्य पदार्थों को मण्ड (Starch), प्रोटीन और वसा आदि के रूप में संग्रहीत रखना है। यह प्रकाश-संश्लेषण द्वारा भोज्य पदार्थों के निर्माण में सहायक है। जाइलम एवं फ्लोएम से सम्बन्धित पेरेनकाइमा जल एवं पदार्थों के संवहन (Conduction) में सहायक है।

प्रश्न 6.
केन्द्रक के विभिन्न भागों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर :
केन्द्रक :- कोशिका के कोशिका द्रव्य में रंगहीन, अपारदर्शी, गोलाकार अथवा अण्डाकार रचना पाया जाता है जिसे केन्द्रक कहते हैं।
इलेक्ट्रोंन माइक्रोस्कोप से देखने पर केन्द्रक की निम्न रचनायें पायी जाती हैं :-

(a) केन्द्रक झिल्ली (Nuclear membrane) :- केन्द्रक के चारों ओर उपस्थित दोहरी झिल्ली को केन्द्रक झिल्ली कहते हैं। इसमें कई छिद्र पाये जाते हैं जिनसे होकर कोशिका द्रव्य तथा केन्द्रक द्रव्य के बीच पदार्थो का आदान-प्रदान होता रहता है। केन्द्रक झिल्ली की बाहरी सतह पर रोइबोजोम होने के कारण खुरदरी लगती है।

(b) केन्द्रक द्रव्य (Nucleoplasm) :- केन्द्रक के भीतर पाये जाने वाले द्रव्य को केन्द्रक द्रव्य कहते हैं। यह पारदर्शक, अर्द्धठोस, कणिकामय पदार्थ है। इसमें कई विकर तथा RNA मिलते है। यह केन्द्रक के आधार पदार्थ का कार्य करता है।

(c) केन्द्रक जालिका (Nuclear Reticulum) :- केन्द्रक के अन्दर उलझी हुई धागे सदृश रबनायें होती हैं जिन्हें केन्द्रक जालिका कहते हैं। इसे क्रोमैटिन तन्तु भी कहा जाता है। क्रोमैटिन DNA एवं हिस्टोन प्रोटीन का जटिल यौगिक है। इस पर DNA की बनी आनुवांशिक इकाइयाँ जोन्स होती है जो आनुवाशिक लक्षणों का वाहक होती है।

(d) केन्द्रिका (Nucleolus) :- केन्द्रक के भीतर उपस्थित एक या अधिक गोलाकार अथवा अण्डाकार आकृतियाँ होती हैं जिसे केन्द्रिका कहते हैं। इसका मुख्य कार्य राइबोजोम एवRNA निर्माण तथा प्रोटोन संश्लेषण की क्रिया में वृद्धि करना है।

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प्रश्न 7.
प्लुरा एवं अल्वेओली क्या है? फेफड़ा के दो कार्य लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य के दाहिने फेफड़े में तीन पिण्ड एव बायाँ फेफड़े में दो पिण्ड होते हैं। प्रत्येक फेफड़ा दोहरी झिल्ली द्वारा घिरा रहता है, जिसे प्युरा कहते है। फेफड़े का आन्तरिक गठन अल्वेओली (Alveoli) नामक छोटे-छोटे वायुकोषों एव रक्त कोशिकाओं द्वारा होता है । अल्वेओली द्वारा O2 एव CO2 का आदान प्रदान होता है । सामान्य श्वसन दर 18-20 बार प्रति मिनट है ।

फेफड़ा के कार्य :
(i) श्वाँस क्रिया द्वारा O2 एवं CO2 का आदान मदान फेफड़ों की सहायता से होता है चयापचय के कारण उत्पन्न एसिटोन, अमोनिया, अल्कोहल, जलवाष्प शरीर से बाहर निकालना है ।

प्रश्न 8.
मानव शरीर में वृक्क की भूमिका क्या है ? इसके दो कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
मानव शरीर में वृक्क की भूमिका – वृक्क मनुष्य का सबसे महत्वपूर्ण उत्सर्जी अंग है। यह नेफ्रॉन द्वारा गठित संख्या में दो होता है। प्रत्येक वृक्क ठोस, भूरे-लाल रंग का एवं सेम के बौज के आकार का होता है। प्रत्येक वृक्क से एक मूत्र नली निकलकर मूत्राशय के साथ जुड़ी रहती है। मूत्र नली द्वारा वृक्क में छना हुआ उत्सर्जी पदार्थ मूत्र के साथ मूत्राशय में जमा होता है, फिर मूत्राशय के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

वृक्क के कार्य :-

  • शरीर में उत्पन्न उत्सर्जी पदार्थों को मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकालना।
  • शरीर तथा रक्त में जल की मात्रा को सन्तुलित करने के साथ-साथ रक्त में अम्ल तथा क्षार का सुन्तलन बनाये रखना।

प्रश्न 9.
यकृत की भूमिका एवं कार्य लिखिए।
उत्तर :
बकृत (Liver) : यह शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि (भार = करीब 1.5 kg है जो उदर के ऊपरी दाहिने भाग में स्थित है। यकृत कोशिकाओं से पित्त का साव होता है। साक्ति पित्त का संचय पित्ताशय (gail bladder) नामक एक छोटी थैली जैसी रचना में होता है। यकृत से कई छोटी-छोटी यकृत नलिकाएँ निकलती हैं। यकृत नलिकाएँ पित्ताशय से निकलनेवाली नलिका के साथ जुड़कर एक मूल पित्तवाहिनी बनाती है। पित्त गाढ़ा एव हरा रंग का क्षारीय द्रव है। इसमें कोई एजाइम नहीं होता है।

कार्य :

  • पित्त आमाशय से ग्रहणी में आए अम्लीय काइम की अम्लीयता को नष्ट कर उसे क्षारीय बना देता है ताकि अग्याशयी रस के एंजाइम उसपर क्रिया कर सकें।
  • पित्त के लवणों की सहायता से भोजन के वसा का विखण्डन तथा पायसीकरण (emulsification) होता है ताकि वसा को तोड़नेवाले एंजाइम उसपर आसानी से क्रिया कर सकें।

प्रश्न 10.
मानव शरीर में त्वचा की भूमिका तथा इसके दो कार्य लिखिए ।
उत्तर :
मानव शरीर में त्वचा की भूमिका :- त्वया का बाहरी सतह एपिड्मिस तथा भौतरी सतह डर्मिस कहलाता है। एपिडार्मिस में रोम छिद्र, डर्मिस में पसीना ग्रंधि, रोम कूपिकाएँ अन्त: त्वचीय ग्रंधि संवेदी तंत्रिकाएँ पायी जाती हैं। ये तंत्रिकाएँ उद्दिपनों को ग्रहण कर संवेदना को मस्तिष्क तक पहुँचाती है।

त्वचा के कार्य :-

  • इसका प्रधान कार्य सुरक्षा प्रदान करना है।
  • स्पर्श, ताप, दाब, पीड़ा आदि अनुभूतियों को ग्रहण करना तथा सूर्य के प्रकाश से विटामिन D का संश्लेषण करना है।

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प्रश्न 11.
मेरुरज्जु कहाँ स्थित रहता है ? इसके कार्य लिखें।
उत्तर :
मेरुरज्जु या सुषुम्ना (Spinal Cord) : मस्तिष्क का पश्च भाग लम्बा होकर, खोपड़ी के पश्च छोर पर उपस्थित महारन्द्र से निकलकर, रीढ़ की हड्डी में फैला रहता है। यही मेरु रज्जु या सुषुम्ना है। रीढ़ की हड्डी कशेरुकाओं से बनी होती है तथा इनके मध्य में एक तंत्रिका नाल होती है। इसी तंत्रिका नाल में मेरु रज्जु स्थित रहती है।

कार्य :

  • मेरु रज्जु, मस्तिष्क से प्राप्त तथा मस्तिष्क को जाने वाले आवेगों के लिए पथ प्रदान करता है।
  • प्रतिवर्ती क्रियाओं (reflex actions) का संचालन एवं नियमन मेरु रज्जु द्वारा ही होता है।

प्रश्न 12.
रंग लवक (Chromoplast) की रचना एवं कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर :
जिन लवक में हरा वर्णक छोड़कर अन्य वर्णक पाए जाते हैं, उन्हें रंगलकक कहा जाता है। ये गोल, छड़नुमा या तारानुमा होते हैं इसमें दो झिल्लियाँ पायी जाती है । यह लवक फूलों की पंखुड़ी, फलों के छिलके, गाजर, मूली इत्यादि में पाया जाता है । यह लवक फूलों तथा बीजों को विविध रंग प्रदान करने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 13.
लिपिड का निर्माण कैसे होता है ? इसकी संरचना का वर्णन करें।
उत्तर :
लिपिड्स का निर्माण : ब्लूर (Bloor) ने लिपिड का नाम प्रस्तावित किया था। लिपिड के अंतर्गत बसा, तेल, घौ, मोम एवं इनसे संबधित यौगिक होते हैं। यह कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन का बना होता है। यह जल में अघुलनशील होता है, लेकिन ईथर, क्लोरोफॉर्म, बेन्जिन इत्यादि कार्बनिक विलायक में घुलनशील है। यह कोशिका झिल्ली, विटामिन एव हॉर्मोन का प्रधान अवयव (Constituets) है।

लिपिड्स की संरचना : वसा का निर्माण हाइड्रोजन, ऑंक्सीजन एवं कार्बन से मिलकर होता है। यद्यपि शर्करा भी इन्हीं तत्वों से मिलकर बनी है, किन्तु दोनों में इन तत्त्व का अनुपात भिन्न होता है। वस्तुतः वसा ग्लिसरॉल एवं फैटी अम्ल से मिलकर बना है। फैटी अम्ल में एक CH3 ग्रूप से अनेक CH2 तथा इसमें एक कार्बोक्सिल ग्रुप COOH लगा रहता है। इसका सामान्य सूत्र इस प्रकार है
WBBSE Class 9 Life Science Solutions Chapter 2 जीवन गठन के स्तर 1
इसमें n कभी भी  0 नहीं होगा।  1gm वसा के आक्सीकरण से 9.3 कैलोरी ऊर्जा या  उष्मा प्राप्त होती है।

प्रश्न 14.
मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट का स्रोत एवं भूमिका लिखिए।
उत्तर :
कार्बोहाइड्रेट का स्रोत – यह कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन द्वारा गठित कार्बनिक यौगिक है । यह ऊर्जा उत्पादक भोजन है। यह सभी भोज्य पदार्थों में सरलता सेप्राप्त होता है। इसमें हाइड्रोजन तथा ऑंक्सीजन का अनुपात 2: 1 होता है। इसका सूत्र (CH2O)n है। यह जीवद्रव्य का लगभग 1 % भाग बनाता है। यह आलू, चुकन्दर, मक्का, बाजरा, मधु आदि में पाया जाता है।

कार्बोहाइड्रेट का भूमिका :-

  • यह शरीर में ऊर्जा उत्पत्न करता है। 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट के पूर्ण ऑक्सीकरण से 4.1 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • यह रक्त में शर्करा की मात्रा सन्तुलित करता है। 100 मिलीमीटर रक्त में शर्करा की मात्रा 80-120 ग्राम तक होती है।
  • आवश्यकता से अधिक होने पर यह स्टार्च तथा ग्लाइकोजन के रूप में संचित होता है।
  • यह वसीय अम्ल तथा अमीनो अम्ल के चयापचय में सहायक है।
  • सामान्यतः एक औसत व्यक्ति को प्रतिदिन 450-600 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 15.
केन्द्रक द्रव्य की रचना एवं कार्य लिखिए।
उत्तर :
कोशिका द्रव्य (Cytopalsm) : जीवद्रव्य का यह भाग प्लाज्मा झिल्ली और केन्द्रक के मध्य में उपस्थित रहता है। पादप कोशिका में यह रक्तिका (vacuole) के चारों ओर एक निश्चित क्रम में बहता है। यह एक रवादार. रंगहीन, पारदर्शक, समांगी पदार्थ (Homogeneous substance) है। यह कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, सल्फर, फास्फोरस इत्यादि से मिलकर बना होता है।

इसमें विभिन्न प्रकार के कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ जैसे – खाद्य पदार्थ, लवण और एन्जाइम्स इत्याद घोल या कोलायड रूप में मिलते हैं। इसमें जल की मात्रा 89 % से अधिक होती है। इसकी रचना दो भागों से मिलकर होती है। इसके बाहरी भाग को वाह्यमरस (Ectoplasm) कहते हैं। यह कोशिका झिल्ली से लगा हुआ साइटोप्लाज्म का भाग है, जो स्वच्छ और रवेदार होता है। अन्तः प्ररस (Endoplasm) केन्द्र की तरफ स्थित साइटोप्लाज्म का भाग है, जो अर्द्धपारदर्शक एवं रवादार होता है। इसमें अनेक सजीव कोशिकांग (Living cell organelles) तथा निर्जीव या निष्क्रिय पदार्थ (Non-living-cell inclusions) उपस्थित रहते हैं।

कार्य (Functions) :

  • विभिन्न सजीव कोशिकांग, केन्द्रक और निर्जीव पदार्थ कोशिकाद्रव्य (साइटोप्लाज्म) में ही बिखरे रहते हैं।
  • कोशिकाद्रव्य एक रासायनिक कारखाना है, जिसमें विभिन्न प्रकार के रचनात्मक (Formative) तथा विनाशात्मक (Destructive) क्रियाएँ लगातार चलती रहती हैं।
  • कोशिकाद्रव्य में विभिन्न कोशिकांगों का निर्माण होता है।
  • यह विभिन्न सावी (Secretory) तथा उत्सर्जी पदार्थों के निर्माण का केन्द्रस्थल है।
  • जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न जैविक क्रियाएँ जैसे श्वसन और पाचन इत्यादि इसमें सम्पन्न होती हैं।

प्रश्न 16.
हरित लवक की रचना एवं कार्य लिखिए।
उत्तर :
हरित लवक (Chloroplast) : यह लवक केवल हरी पादप कोशिकाओं में मिलता है। यह गोल, अण्डाकार का चपटा या तारानुमा हो सकता है। यह दोहरी झिल्ली द्वारा घिरा रहता है। इसके अन्दर प्रोटीन से बना पारदर्शी तरल पदार्थ स्ट्रोमा (Stroma) भरा रहता है। स्ट्रोमा में कुछ राइबोसोम्स और एक DNA का अणु रहता है। स्ट्रोमा के अन्दर एक दूसरे के समान्तर फैली हुई अनेक झिल्लियाँ रहती हैं। इन्हें पटलिकाएँ (Lamellae) कहते हैं।

ये पटलिकाएँ एक दुसरे के ऊपर सिक्के के बने एक ढेर के समान होती है। प्रत्येक गोल पटलिका को थाइलेक्वाएडस (Thylakoid) कहते हैं। थाइलेक्वाएड के बने ढेर को ग्रेनम (Granum) कहते है। इन पर सूक्ष्म कण क्वाण्टोसोम (quantosome) मिलते हैं। प्रत्येक क्वाण्टोसोम पर 230 क्लोरोफिल के अणु मिलते हैं। इसलिए इसे प्रकाश संश्लेषण की इकाई भी कहते हैं। स्ट्रोमा में स्टार्च के कण मिलते हैं।

प्रश्न 17.
एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम की रचना एवं कार्य लिखिए।
उत्तर :
एण्डोप्लाजिक रेटिकुलम : झिल्लीदार, अनियमित, जालिका के समान नलिका तंत्र जो साइटोप्लाज्म में पाया जाता है, उसे एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम कहते हैं । यह निम्नवर्गीय पौधों, जीवाणु, स्तनपायी के R. B. C. एवं लवक (Fungi) में अनुपस्थित होता है ।

संरचना (Structure) : E R में तीन रचनाएँ सिस्टर्नी, भेसिकल्स एवं द्यूब्यूल्स होती है ।

  • सिस्टर्नी (Cisternae or Lamellae) : यह लम्बी, चपटी अशाखित प्लेट समान्तर कतार में सजी होती है जिसकी सतह की झिल्ली पर राइबोसोम जुड़े रहते हैं ।
  • भेसिकल्स (Vescicles) : साइटोप्लाज्म में गोल या अण्डाकार थैली के समान रचना है।
  • द्युब्युल्स (Tubules) : यह अनियमित रूप से शाखित नली के समान रचना होती है जिसकी सतह पर राइबोसोम नहीं पाए जाते हैं । ER दो प्रकार का होता है – चिकना ER (SER) एवं खुरदरा ER (RER) ।

कार्य (Functions) :

  • साइटोप्लाज्म का ढाँचा तैयार करता है एवं यांत्रिक सहारा प्रदान करता है ।
  • जैविक क्रियाओं के लिए अधिकतम स्थान उपलब्ध कराता है
  • साइटोप्लाज्म को कई भागो में बाँटकर विभिन्न क्रियाओं को एक साथ चलाने में सहायक होता है।
  • प्रोटीन, वसा, विटामिन संश्लेषण, कोशिका भित्ति के निर्माण में सहायक है ।

प्रश्न 18.
पुरुषों में वृषण की भूमिका एवं कार्य लिखिए।
उत्तर :
पुरुषों में वृषण की भूमिका :- मनुष्य में दो अण्डाकार वृषण, वृषण कोष में अवस्थित होते हैं। असामान्य स्थिति में वृषण में शुक्राणु उत्पन्न नहीं होते हैं जिससे नपुंसकता हो सकती है। शरीर का उच्च तापक्रम शुक्राणुओं को परिपक्व होने से बचाता है। वृषण में उपस्थित सेमिनिफेरस नलिकाओं द्वारा शुक्राणु का निर्माण होता है। वृषण में शुक्राणुओं के निर्माण होने की क्रिया को स्पर्मेटोजेनेसिस कहते हैं।

कार्य :

  • यह शुक्र जनन नलिकाओं में शुक्राणु का निर्माण करता है।
  • वृषण द्वारा टेस्ट्रोस्टेरॉन नामक हार्मोन का स्राव किया जाता है।

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प्रश्न 19.
स्त्रियों में अण्डाशय की भूमिका तथा कार्य लिखिए।
उत्तर :
अण्डाशय की भूमिका :- मादा जनन अंग अण्डाशय, अण्डवाहिनी तथा गर्भाशय के मध्य स्थित है। स्रियों में प्रत्येक महीना एक-एक अण्डा, अण्डाशय से बारी-बारी करके निकलता है। ग्राफियन फौलिकल के फटने से अण्डा निकलता है। यह क्रिया ओव्यूलेशन (Ovulation) कहलाती है। निकले हुए अण्डवाहिनी कीप से होकर गर्भशय की नली में पहुँचा दिया जाता है। गर्भाशय का निचला पेशीयुक्त नली मादा जनन छिद्र (Vagina) कहलाती है। अण्डाशय से प्रोजेस्टेरॉन, ओएस्ट्रोजेन नामक हार्मोन का साव होता है।

अण्डाशय के कार्य :- अण्डाशय के ग्रैफियन फौलिकल द्वारा सावित एस्ट्रोजेन नामक हार्मोन अण्डाशय से अण्डा उत्पन्न करने में सहायता करता है। अण्डाशय से प्रत्येक महीना बारी-बारी से अण्डा निकलने से खियों में मासिक चक्र कायम रहता है।

प्रश्न 20.
माइटोकोण्ड्रिया क्या है ? इसके गठन तथा कार्य का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
माइटोकोण्ड्रिया :- कोशिका द्रव्य में पाया जाने वाला वह कोशिकांग है जिसका सम्बन्ध श्वसन क्रिया से है तथा जिसमें A.T.P. के अणु संचित रहते हैं, माइट्रोकोण्ड्रिया कहलाता है।

गठन :- माइट्रोकोण्ड्रिया वसा तथा प्रोटीन की बनी हुई दोहरी परतों द्वारा घिरी रहती है। इसकी बाहरी परत चिकनी होती है तथा भीतरी परत पर अनेक अनियमित उभारें होती हैं जिन्हें क्रिस्टा कहते हैं। भीतरी परत के अन्दर स्थिर गुहा में प्रोटीनयुक्त अर्द्धतरल पदार्थ होता है, जिसे मैट्रिक्स (Matrix) कहते हैं। इसे कोशिका का विद्युत गृह भौ कहा जाता है।

कार्य :- इसका मुख्य कार्य कोशिका को क्वसन क्रिया में सहायता करना तथा ऊर्जा शक्ति का निर्माण करना होता है।

प्रश्न 21.
फ्लोएम की रचना तथा कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
फ्लोएम एक जटिल संवहन पादप ऊत्तक है। यह मी संवहन पुल के एक भाग का निर्माण करता है। यह पौधों की जड, तना तथा पत्ती के वाहिनी बंडल में पाया जाता है। इसके निम्न चार अवयव होते हैं :-

(a) चालनी नलिकाएँ (Sieve tubes) :- ये कोशिकाएँ लम्बी तथा पतली दीवारों वाली एक के ऊपर एक सजीरहती हैं। ये कोशिकाएँ केन्द्रकविहीन तथा जीवित होती हैं। इनकी दीवरें सेल्युलोज की बनी होती हैं जिसमें अनेक छेद होते हैं।
कार्य :- इसके द्वारा भोज्य पदार्थों का स्थानान्तरण होता है।

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(b) सह कोशिकाएँ (Companion cells) :- प्रत्येक घालनी नलिका के साथ एक पतली दीवार वाली लम्बी कोशिका होती है। जिसे सह-कोशिका कहते हैं। यह कोशिका जीवित तथा केन्द्रक युक्त होती हैं। सपुष्पक पौधों में ये कोशिकाएँ अधिकता से मिलती हैं।
कार्य :- भोज्य पदार्थों के संवहन में चालनी नलिकाओं की सहायता करना है।

(c) फ्लोएम पैरेनकाइमा (Phloem Parenchyma) :- इस ऊत्तक की कोशिकायें जीवित, लम्बी तथा केन्द्रकयुक्त होती है। ये चालनी नलिकाओं तथा सह-कोशिकाओं के पास पायी जाती हैं। इस कोशिका की भित्ति में सेल्युलोज पाया जाता है।
कार्य :- भोज्य पदार्थों का संचय करना तथा भोज्य पदार्थों के स्थानान्तरण में सहायता करना।

(d) फ्लोएम तंतु (Phloem fiber) :- इस उत्तक की कोशिकायें लम्बी, नुकीली तथा लिग्निनयुक्त होती हैं। इसकी कोशिकाएँ मृत होती हैं। कार्य :- इसका मुख्य कार्य पौधों को यांत्रिक शक्ति प्रदान करना है।

प्रश्न 22.
एमीनो अम्ल किसे कहते हैं ? इसकी संरचना का वर्णन करें।
उत्तर :
एमीनो अम्ल (Amino acid) : एमिनो अम्ल में दोनों अर्थात् एमिनो और कार्बोक्सिलिक अम्ल कार्यकारी वर्ग (Functional groups) के रूप में रहते हैं। सामान्यत: प्रोटीन की पाचन क्रिया में विघटन से एमिनो अम्ल प्राप्त होते हैं। एमिनो अम्ल रंगहीन एवं रवेदार पदार्थ हैं। ये प्राय: जल में घुलनशील है। ये सुगमता से विसरित भी हो जाते हैं।

प्रायः सभी एमिनो अम्ल (एक या दो को छोड़कर) अधिक क्रियाशील होते हैं। एमिनो अम्ल की संख्या अधिक है। इनमें केवल दस एमिनो अम्ल आवश्यक एमिनो अम्ल (Essential amino acids) कहलाते हैं। ये आर्जिनिन (Arginine), वैलिन (Valine), हिस्टिडिन (Histidine), आइसोल्यूसिन (Isoleucine), लाइसिन (Lysin), ल्यूसिन (Leucine), इत्यादि है।

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प्रश्न 23.
अति आवश्यक फैटी एसिड क्या है? मनुष्य के शरीर में इसका क्या कार्य है?
उत्तर :
अति आवश्यक फैटी अम्ल – जो फैटी अम्ल जीव के शरीर में स्वाभाविक पुष्टि तथा बुद्धि के लिए आवश्यक है परन्तु शरीर में संश्लेषित न होकर, खाद्य के जरिये लेना पड़ता है, उसे अति आवश्यक फैटी एसिड कहते हैं। जैसे लिनोलेनिक एसिड, लिनोलेथिक एसिड।

मानव शरीर में इसके कार्य :-

  • यह शारीरिक वृद्धि में सहायता करता है तथा प्रजनन क्षमता को कायम रखता है।
  • त्वया को सूखने तथा फटने से बचता है।
  • शरीर में जल सन्तुलन को बनाये रखता है।
  • रक्त के कोलेस्ट्रोल परिवहन में सहायक होता है।
  • वृक्क के कार्य को प्रभावित करता है।

प्रश्न 24.
न्यूक्लिओटाइड किसे कहते हैं ?
उत्तर :
न्यूक्लिओटाइड (Nucleotide) : केन्द्रीय अम्लों (जैसे DNA और RNA) के निर्माण में भाग लेने वाली इकाई को न्यूक्लियोटाइड कहते हैं। यह पाँच कार्बन वाली एक शर्करा पेन्टोज, एक फास्फोरिक अम्ल और एक नाइट्रोजन बेस (base) से बनती है ।

प्रश्न 25.
बहुशर्करा का निर्माण कैसे होता है ? ये भोज्य पदार्थ के रूप में कैसे महत्वपूर्ण होते हैं ?
उत्तर :
बहुशर्करा की संरचना (Structure of Polysaccharides) : यह कई मोनोसैकराइड अणुओं के संयोजन से बनता है। ये मोनोसैकराइड एक ही प्रकार के या विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। जब यह एक ही प्रकार के मोनोसैकराइड के संयोजन से बनता है तो इसे होमोबहुशर्करा (homopolysaccharides) एवं जब विभिन्न प्रकार के मोनोसैकराइड के बनता है इसे हेट्रोबहुशर्करा (heteropolysaccharide) कहते हैं। पहले प्रकार का उदाहरण है स्टार्च (starch), सेल्यूलोज (cellulose) एवं दूसरे प्रकार का उदाहरण है – पैक्टिन (pectin), काइटिन (chitin) आदि। 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट के आक्सीकरण से 4.1 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होता है।

प्रश्न 26.
प्रोटीन कैसे पदार्थ हैं? इसके प्रमुख कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर :
प्रोटीन : प्रोटीन वह कार्बनिक यौगिक है जो कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन के अतिरिक्त नाइट्रोजन का बना होता है इसके अतिरिक्त कुछ प्रोटीन में लोहा, सल्फर, आयोडिन जैसे तत्व भी पाये जाते हैं। दूध, अण्डा, मंस, मछली, सोयाबीन आदि से हमारे शरीर को पोटीन प्राप्त होता है। प्रोटीन जन्तु तथा पौधों दोनों से प्राप्त होते हैं। पादप प्रोटीन में अमीनों अम्ल की मात्रा कम होने के कारण इसे द्वितीय श्रेणी का प्रोटीन कहा जाता है।

प्रोटीन के कार्य :-

  • शारीरिक वृद्धि, नये ऊत्तकों के निर्माण तथा दूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत के लिए मोटीन आवश्यक है।
  • यह शरीर में ऊर्जा और उष्मा के लिए सहायक होता है।
  • शरीर के विकास के लिए भी प्रोटीन आवश्यक है।
  • प्रोटीन के द्वारा विकर, हार्मोन तथा रोग प्रतिरोधक पदार्थ बनते हैं।
  • किसी-किसी एमिनो अम्ल से रोगनिरोधी पदार्थ भी बनते है।

प्रश्न 27.
न्यूक्लिक अम्ल कितने प्रकार के होते हैं ? इसकी रासायनिक संरचना का वर्णन करें।
उत्तर :
साधारणतया न्यूक्लिक अम्ल दो प्रकार के होते हैं –

  • DNA अर्थात् डिऑंक्सीराइ न्यूक्लिक अम्ल एवं
  • RNA अर्थात् राइबोन्यूक्लिक अम्ल।

न्यूक्लिक अम्ल की रासायनिक संरचना (Chemical composition of nucleic acid) : न्यूक्लिक अम्ल जटिल कार्बनिक यौगिक हैं। इस यौगिक की इकाई न्यूक्लियोटाइड है। एक न्यूक्लियोटाइड की रचना में तीन छोटी इकाईयाँ भाग लेती है –

  • एक नाइट्रोजन बेस
  • एक पेंटोज शर्करा
  • एक फास्फेट।

नाइट्रोजन बेस एक चक्रिय यौगिक है जिसमें प्यूरिन (एडेनिन और गुआनीन) और पाइरीमिडिन (थायमिन, साइटोसिन, यूरासिल) DNA में पूरासिल को छोड़ कर चारो नाइट्रोजन बेस पाये जाते है । RNA में थायमिन को छोड़ कर चारों नाइट्रोजन बेस पाये जाते हैं ।

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प्रश्न 28.
प्रकिण्व को पारिभाषित करते हुए इसकी विशेषता बताइए।
उत्तर :
प्रकिण्व : “एन्जाइम वे घुलनशील कार्बनिक नाइट्रोजन युक्त जैवकि उत्रेरक (bio catalyst) है, जो जीवित कोशिकाओं द्वारा गठित होकर बहिः स्रावी ग्रंधियों (exo-crine glanads) द्वारा स्रावित होते हैं तथा अपनी उपस्थिति मात्र से रासायनिक क्रियाओं की दर को बढ़ा या घटा देते हैं।”प्रकिण्व जिस पर क्रिया करते हैं उनको किण्वभोज (substrate) कहते हैं।

एन्जाइम पाचन की रासायनिक क्रिया की गति को बढ़ा देते हैं। प्राय: एन्जाइम का नाम उनके क्रिया करने वाले पदार्थो के अन्त में ‘ase’ जोड़ने से होता है। जैसे माल्टोज (maltose) से माल्टेज (maltase), लैक्टोज (lactose) से लैक्टेज (lactase) आदि। ग्रंथियों से निकले सावों में एन्जाइम उपस्थित रहते हैं। जैसे – जठर रस (gastric juice) और अग्न्याशय रस (pancreatic juice) इत्यादि।

प्रकिण्व की विशेषताएँ :

  • सभी एन्जाइम प्रोटीन प्रकृति के होते हैं।
  • साधारणतया ये कललीय (colloidal) प्रकृति के होते है जो विसरण करने में असमर्थ होते हैं।
  • किसी भी रासायनिक क्रिया को प्रारंभ करने के लिए इनकी अल्प मात्रा ही पर्याप्त है।
  • प्रत्येक प्रकिण्व किसी विशेष किण्डभोज (substrate) पर ही क्रिया करते हैं।
  • इनके लिए सबसे अनुकूल ताप 37°C-45°C}तक होता है।
  • ये पानी तथा ग्लिसराल (glycerol) में घुलनशील होते हैं।
  • इसकी क्रियाशीलता माध्यम की अम्लीयता और क्षारीयता पर निर्भर रहती है। जैसे – पेप्सीन केवल अम्लीय माध्यम में ही कार्य करता है।
  • इनका अणुभार बहुत अधिक होता है तथा ये polyvalent होते हैं।
  • अमोनियम सल्फेट के संतृप्त घोल तथा अल्कोहल की अधिकता में एन्जाइम अवक्षेप बनाते है।
  • समस्त एन्जाइम जीवित कोशिकाओं के उत्पाद है, अतः इनको जीव उत्परेक कहते हैं। ये अकार्बनिक उत्प्रेरको से अधिक शक्तिशाली होते हैं।

प्रश्न 29.
ATP से आप क्या समझते हैं तथा इसकी क्या उपयोगिता है ?
उत्तर :
ATP : एडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट (Adenosine triphosphate) का एक अणु नाइट्रोजनी बेस (Nitrogenous base), राइबोज शर्करा (Ribose sugar) तथा तीन फॉस्फेट वर्गो से मिलकर बनता है। ATP में तीन फॉस्फेट वर्ग होते हैं। जब ATP का टर्मिनल-फॉस्फेट बंघन टूटता है तब एडिनोसीन डाइफॉस्फेट या ADP तथा एक फॉस्फेट का निर्माण होता है एवं ऊर्जा निकलती है।

इसके विपरीत, जब ADP का एक अणु एक फॉस्फेट वर्ग से ऊर्जा ग्रहण करके संयोजित होता है तब ATP के एक अणु का निर्माण होता है। जीवित कोशिकाओं में ये दोनो ही लघु मात्रा में उपस्थित रहते हैं। कोशिकाओं के विभित्न उपापचयी क्रियाओं (metabolic processes) में कुछ ऐसी अभिक्रियाएँ (reactions) होती है जिनमें ऊर्जा निकलती है एवं कुछ अभिक्रियाएँ तभी हो सकती हैं जब वे ऊर्जा अवशोषित करें। दोनों में ATP की आवश्यकता होती है।

श्वसन की क्रिया में अधिकांश ATP का निर्माण माइटोकॉण्ड्रिया (mitochondria) के भीतर होता है। एक अणु ग्लूकोज के पूर्ण उपचय (oxidation) से 38 ATP के अणुओं का निर्माण होता है।

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सभी संश्लेषण (synthesis) की क्रियाएँ, जैसे प्रकाशसंश्लेषण, प्रोटीनसंश्लेषण, वसासंश्लेषण, न्यूक्लिक अम्ल संश्लेषण इत्यादि तभी हो सकते हैं जब उनमें ATP की ऊर्जा का प्रयोग हो। इनकी ATP आवश्यकता श्वसन की क्रिया में ग्लूकोज के उपचयन द्वारा ATP ऊर्जा मे ही पूरी होती है। निर्माण के उपरांत ATP कांशिका के किसी भाग में जहाँ ऊर्जा की आवश्यकता हो, स्थानांतरित हो जाता है।

प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया में ATP का निर्माण फोटोफॉंस्फोरिलेशन (photophosphorylation) द्वारा होता है। ATP की ऊर्जा से कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण मध्यवर्ती यौगिकों (intermediate compounds) का निर्माण होता है जिनके फलस्वरूप पॉलीसैकेराइड (polysaccharides), प्रोटीन (protein), लिपिड (lipids), RNA तथा DNA जैसे उपयोगी पदार्थ बनते हैं।

प्रश्न 30.
विटामिन A और D का वर्णन करें।
उत्तर :
विटामिन A : इस विटामिन का प्रमुख कार्य दृष्टि रंगाओं (Visual pigments) के संश्लेषण में भाग लेना है। यह शरीर की कोशिकाओं (विशेष रूप से एपिथिलियल कोशिकाओं) में प्रोटीन-संश्लेषण, हड्डियों और शरीर की वृद्धि, जनन क्षमता और कार्बोहाइड़ेट मेटाबोलिज्म आदि में सहायक है।

विटामिन D : विटामिन ड़ी आहारनाल में भोजन से कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण और उनके मेटाबोलिज्म में सहायक है। यह हड्डियो और दाँतो की वृद्धि में भी सहायक है। अत: यह दाँतों और हड्डियों को स्वस्थ रखने और उनके विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है।

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प्रश्न 32.
प्लाजमालेमा का वर्णन करें।
उत्तर :
कोशिका झिल्ली या प्लाजमालेमा (Cell membrane or plasmalemma) : ‘पादप तथा जन्तु दोनों कोशिकाओं के जोवद्रव्य (protoplasm) के चारों ओर उपस्थित पतली, अर्द्धपारगम्य, सजीव्र आवरण को कोशिका झिल्ली कहते हैं।”
गठन (Structure) : यह झिल्ली जीवित रासायनिक पदार्थो से बनी (made of living material) छिद्रयुक्त होती है। कोशिका के इस अंश का निर्माण तीन परतों को मिलाकर होता है। इसकी बाहरी एवं भीतरी परतें प्रोटीन द्वारा तथा मध्य वाली परत वसा या लिषिड से मिलकर बनी होती है।

कार्य (Function) :

  • कोशिका झिल्ली कोशिका को आकृति प्रदान करती है।
  • कोशिका से जीवाणुओं के आवागमन पर नियंत्रण करती है।
  • कोशिका की सीमा नियंत्रक झिल्ली (limiting membrane of cell) का कार्य करती है।
  • आवरण के रूप में अन्य कोशिकांगों को सुरक्षा प्रदान करती है।

प्रश्न 33.
कोशिका द्रव्य का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर :
कोशिका द्रव्य : कोंशिका के भीतर का सारा जीवद्रव्य, कोशिका द्रव्य कहलाता है (केन्द्रक को छोड़कर)। वर्तमान जोव- विज्ञान शाखिव यों ने साइटोप्लाज्म के स्थान पर साइटोसोम (Cytosome) शब्द का प्रयोग किया है। यह द्रव्य जेली सदृश, पारदर्शी, कणात्मक तथा अर्द्ध तरल होता है जिसमें जीवन सम्बन्धी क्रियाओं को सुवारु रूप से चलाने के लिए कोशिकांग (Cell organelles) उपस्थित होते हैं।

प्रश्न 34.
लवक किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार के होते हैं ? किसी एक का वर्णन करें।
उत्तर :
लवक (Plastid) : पादप कोशिकाओं में दोहरी झिल्ली से ढकी अण्डाकार गोल या छड़ के तरह कोशिकांग को लवक कहते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं –
(i) हरित लवक (Chloroplast)
(ii) वर्णी लवक (Chromoplast)
(iii) अवर्णी लवक (Leucoplast)।

(i) हरित लवक (Chloroplast) : यह लवक केवल हरी पादप कोशिकाओं में मिलता है। यह गोल, अण्डाकार का चपटा या तारानुमा हो सकता है। यह दोहरी झिल्ली द्वारा घिरा रहता है। इसके अन्दर प्रोटीन से बना पारदर्शी तरल पदार्थ स्ट्रोमा (Stroma) भग रहता है। स्ट्रोमा में कुछ राइबोसोम्स और एक DNA का अणु रहता है। स्ट्रोमा के अन्दर
उत्तर :
कोशिका द्रव्य : कोंशिका के भीतर का सारा जीवद्रव्य, कोशिका द्रव्य कहलाता है (केन्द्रक को छोड़कर)। वर्तमान जीव-विज्ञान शारिव यों ने साइटोप्लाज्म के स्थान पर साइटोसोम (Cytosome) शब्द का प्रयोग किया है। यह द्रव्य जेली सदृश, पारदर्शी, कणात्मक तथा अर्द तरल होता है जिसमें जीवन सम्बन्धी क्रियाओं को सुवारु रूप से चलाने के लिए कोशिकांग (Cell organelles) उपस्थित होते हैं।

प्रश्न 34.
लवक किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार के होते हैं ? किसी एक का वर्णन करें।
उत्तर :
लवक (Plastid) : पादप कोशिकाओं में दोहरी झिल्ली से ढकी अण्डाकार गोल या छड़ के तरह कोशिकांग को लवक कहते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं –
(i) हरित लवक (Chloroplast)
(ii) वर्णी लवक (Chromoplast)
(iii) अवर्णी लवक (Leucoplast)।

(i) हरित लवक (Chloroplast) : यह लवक केवल हरी पादप कोशिकाओं में मिलता है। यह गोल, अण्डाकार का चपटा या तारानुमा हो सकता है। यह दोहरी झिल्ली द्वारा घिरा रहता है। इसके अन्दर प्रोटीन से बना पारदर्शी तरल पदार्थ स्ट्रोमा (Stroma) भग रहता है । स्ट्रोमा में कुछ राइबोसोम्स और एक DNA का अणु रहता है। स्ट्रोमा के अन्दर एक दूसरे के समान्तर फैली हुई अनेक झिल्लियाँ रहती हैं।

इन्हें पटलिकाएँ (Lamellae) कहते हैं। ये पटलिकाएँ एक दूसरे के ऊपर सिक्के के बने एक ठेर के समान होती है । प्रत्येक गोल पटलिका को थाइलेक्वाएडस (Thylakoid) कहते हैं। थाइलेक्वाएड के बने ढेर को ग्रेनम (Granum) कहते हैं। इन पर सूक्ष्म कण क्वाण्टोसोम (quantosome) मिलते है। प्रत्येक क्वाण्टोसोम पर 230 क्लोरोफिल के अणु मिलते हैं। इसलिए इसे प्रकाश संश्लेषण की इकाई भी कहते हैं। स्ट्रोमा में स्टार्च के कण मिलते हैं।

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प्रश्न 35.
जन्तु ऊतक कितने प्रकार के होते हैं ? उनका नाम लिखते हुए किसी एक का वर्णन करें।
उत्तर :
जन्तु उतक के प्रकार (Types of animal tissue) : जन्तु उत्तक चार प्रकार के होते है –
(i) उपकला ऊतक (Epithelical tissue or Epithelium)
(ii) संयोजी ऊतक (Connective tissue)
(iii) पेशीय ऊतक (Muscular tissue)
(iv) तंत्रिका ऊतक (Nervous tissue)

(i) उपकला ऊतक (Epithelial tissue or Epithelium) :
रचना : इस ऊतक की कोशिकायें चपटी घनाकार अथवा स्तम्भाकार होती हैं। ये एक दूसरे से सटी रहती हैं।
प्राप्ति-स्थान : यह ऊतक त्वचा के बाहर, मुखगुहा की सतह, फेफड़े, हुय की बाहरी झिल्ली, ग्रान्थियो, वृक्क नलिकाओं, रक्त वाहिनियों, आहारनली, मूत्रवाहिनी, श्वाँसनली और नासिका गुहा इत्यादि की सतह पर पाया जाता है। कार्य : इसका मुख्य कार्य शरीर के अंगों एवं तंत्रों के भीतरी भागों की सुरक्षा करना है। यह शरीर में हानिकारक रोगाणुओं के प्रवेश को रोकता है। यह विभिन्न प्रकार के पदार्थों जैसे पसीना, पाचक रस, दूध और लार इत्यादि के साव में सहायता करता है। यह अवशोषण में सहायता करता है।

प्रश्न 36.
प्लीहा का संक्षिप्त वर्णन करते हुए उसके प्रमुख कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर :
प्लीहा (Spleen) : मनुष्य की प्लीहा आमाशय तथा तन्तुपट (diaphragam) के बीच में यकृत की बायीं ओर में स्थित लगभग 12 सेमी॰ लम्बी गहरे लाल रंग की एक सँकरी एवं चपटी लसिका ग्रन्धि (Lymph gland) है। यह रेटिकुलो इण्डोथिलियमी (Reticulo-endothelial) ऊतक का शरीर में सबसे बड़ा पिण्ड है। यह एक जालमय प्लीहा पल्प (Splenic pulp) की बनी होती है।

प्लीहा के कार्य (Functions of Spleen) :

  • प्लीहा की कोशिकाएँ रक्त के टूटे-फूटे और शिथिल रक्त कणिकाओं तथा अनुपयोगी एवं हानिकारक रंगद्रव्य और अन्य पदार्थों का भक्षण करके रक्त की सफाई करती है।
  • भूणावस्था में इसमें लाल रक्तकणिकाओं तथा वयस्क में लिम्फोसाइट्स का सक्रिय निर्माण होता है।

प्रश्न 37.
कार्बोहाइड्रेट किसे कहते हैं ? शर्करा इकाइयों के आधार पर यह कितने प्रकार का होता है ? अधवा, ऊर्जा देने वाले भोजन के उपादानों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करो तथा एक-एक कार्यों को लिखो।
उत्तर :
कार्बोहाइड्रेट – यह कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन द्वारा गठित कार्बनिक यौगिक है। यह ऊर्जा उत्पादक भोजन है। यह सभी भोज्य पदार्थों में सरलता से प्राप्त होता है। इसमें हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का अनुपात 2: 1 होता है। इसका सूत्र (CH2O)n है। यह जीवद्रव्य का लगभग 1% भाग बनाता है। यह आलू, चुकन्दर, मक्का, बाजरा, मधु आदि में पाया जाता है।

साधारण शर्करा इकाइयों के आधार पर इसे निम्न तीन श्रेणी में विभक्त किया जा सकता है –

  • मोनोसैकेराइड :- यह केवल एक शर्करा अणु से गठित होता है। यह सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट है । जैसे – राइबोज़ (C5H12O5), ग्लूकोज C6 H12O6) आदि।
  • डाइसकेराइड :- यह दो मोनोसैकेराइड अणुओं से निर्मित होता है। इसमें कार्बन परमाणुओं की संख्या 12-18 होती है। जैसे – सुक्रोज, माल्टोज आदि।
  • पोलीसैकेराइड :- यह कई मोनोसैकेराइड अणुओं से गठित कार्बोहाइड्रेट है। जैसे – स्टार्च, ग्लाइकोजन आदि।

प्रश्न 38.
जीवद्रव्य की प्रकृति पर संक्षिप्त टिष्पणी लिखो।
उत्तर :
जीवद्रव्य की प्रकृति (Nature of Protoplasm) : जीवद्रव्य की प्रकृति की चर्चा करने पर भौतिक दृष्टि से यह स्वच्छ, रंगहीन, श्याम (viscous), अर्द्ध-तरल (semi-fluid) तथा कुछ दानेदार पदार्थ है जो अलग-अलग रूपों में कोशिका द्रव्य (cytoplasm) एवं केन्द्रक द्रव्य (nucleo plasm) के नाम से जाना जाता है। जीवद्रव्य के रासायनिक संगठन की चर्चा करने पर यह 95% चार तत्वों-क्रमशः ऑक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोज़न तथा नाइट्रोजन द्वारा निर्मित होता है।

इन तत्वों के अलावा नौ तत्व-क्रमशः कैलिशायम, पोटैशियम, सोडियम, लोहा, गंधक, आयोडीन, मैग्निशियम, फास्फोरस तथा क्लोरिन हैं जिनका प्रतिशत लगभग 4.25 होता है। शेष 0.75% में सिलिकॉन, मैंगनीज आदि सूष्म मात्रिक तत्व होते हैं। ये तत्व आयनों (ions) के रूप में होते हैं या यौगिक के रूप में। यौगिक कार्बनिक (organic) अथवा अकार्बनिक (inorganic) होते हैं। अकार्बनिक यौगिक पानी, लवण तथा गैसें हैं जबकि कार्बनिक यौगिक के रूप में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विकर केन्द्रकीय अम्ल (Nucleic acid) तथा विटामिन होते हैं।

जीवद्रव्य प्रदान करने वाले भोज्य पदार्थो को कार्बन तत्व की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति के आधार पर अकार्बनिक (inorganic) तथा कार्बनिक (organic) इन दो समूहों में बाँट सकते हैं जिनके वर्णन निम्नलिखित हैं –
अकार्बनिक यौगिक :

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(i) पानी (H2O) : जीवद्रव्य की क्रियाशीलता को बनाये रखने के लिए यह एक अनिवार्य उपादान है। यह 80% मात्रा में उपस्थित रहता है। इसकी कमी होने पर जीवद्रव्य की क्रियाशोलता क्रम हो जाती है। पानी भोज्य पदार्थ के अणुओं के परिवहन का माध्यम बनता है। हार्मोन, अन्य स्नावित पदार्थो, उत्सर्जी पदार्थो के परिवहन में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाता है।

(ii) अकार्बनिक लवण (Inorganic salts) : अल्प मात्रा में उपस्थित Ca, P, Mg, K,Na,Fe, I, S जैसे लवण चयापचय क्रिया (Metabolic process) में महत्वपूर्ण भाग लेते हैं। ये हमारे शरीर में रचनात्मक घटक के रूप में तथा जीवद्रव्य के उपादान के रूप में, दो प्रकार से कार्य करते हैं।

प्रश्न 39.
जाइलम तथा फ्लोएम ऊतकों के वर्णन के साथ इनके मध्य अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर :
जाइलम तंतु अथवा काष्ठ तंतु (Xylem Fibres or Wood Fibres) : इस ऊतक की कोशिकायें लम्बी, दोनों सिरों पर नुकीली और निर्जीव होती है। कोशिकाओं की कोशिका भित्ति मोटी होती है एवं इनमें गर्त भी मिलते हैं। कार्य : जाइलम तंतु की उपस्थिति पौधों को दृढ़ता प्रदान करती है।

फ्लोएम तंतु (Phloem Fibres) : यह फ्लोएम का मृत भाग है। इस ऊतक को बनाने वाली कोशिकायें लम्बी, नुकीली तथा लिग्विनयुक्त होती हैं। उच्च श्रेणी के पौधों में पायी जाने वाली इस फ्लोएम तंतु को बास्ट रेर्श (Bast Fibres) भी कहते हैं।
कार्य : फ्लोएम तंत का कार्य पौधों को यांत्रिक शक्ति प्रदान करना है।

आधार जाइलम फ्लोएम
(i) अवयव (i) ट्रैकिड, ट्रैकिया, जाइलम पैरेनकाइमा जाइलम तंतु (i) सिमनली, सइकोशिकायें, फ्लोयन पैरेनकाइमा, फ्लोयम तंतु
(ii) प्रकृति (ii) पैरेनकाइमा को छोड़कर सभी अन्य अवयव मृत (ii) सिम नली को छोड़कर सभी अवयव जीवित
(iii) कार्य (iii) जल और घुल्य पदार्थों का संहवन (iii) भोज्य पदार्थों का स्थानान्तरण

प्रश्न 40.
घुलनशीलता के आधार पर विभिन्न प्रंकार के विटामिन्स के संक्षिप्त विवरण दो।
उत्तर :
विटामिन्स को निम्न दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है –
(i) जल में घुलनशील विटांमिन्स (Water soluble vitamins) : जैसे – विटामिन ‘बी कम्प्लेक्स (Vitamin.B complex)’ और विटामिन सी (Vitamin C)

(ii) वसा में घुलनशील विटामिन्स (Fat soluble vitamins) : जैसे विटामिन ए (Vitamin A), विटामिन डी (Vitamins D), विटामिन ई (Vitamin E) और विटामिन के (Vitamin K)।

विटामिन बी कम्प्लेक्स (Vitamins B Complex) : बिटामिन B के कई सदस्य हैं । इसलिए इसे विटामिन ‘बी’ कम्मेक्स कहते हैं।

विटामिन बी कम्प्लेक्स का मानव शरीर में योगदान (Role of Vitamin B complex in human body) : यह विटामिन बी, हाइड्रेट और एमिनो अम्ल के मेटाबोलिज्म के लिए आवश्यक है। यह वसीय अम्लो के अलावा कई अन्य अम्लों के संश्लेषण में सहायक है। यह वृद्धि, रक्त कणिकाओं के निर्माण एवं D.N.A. के संश्लेषण में सहायक है। विटामिन ‘सी’ (Ascorbic acid) का मानव शरीर में

योगदान (Role of Vitamin. ‘C’ in human body) : इसका प्रमुख कार्य ऊतको में कोशिकाओं को बाँधे रखने वाले मैट्रिक्स, कोलेजन तन्तुओं तथा दाँतो के डेन्टाइन का निर्माण करना है।

विटामिन ‘ए’ (Retinol) का मानव शरीर में योगदान (Role of Vitamin ‘A’ in human body) : इस विटामिन का प्रमुख कार्य दृष्टि रंगाओं (Visual pigments) के संश्लेषण में भाग लेना है।

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विटामिन ‘डी’ (Calciferol) का मानव शरीर में योगदान (Role of Vitamin ‘D’ in human body): विटामिन डी आहारनाल में भोजन से केल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण और उनके मेटाबोलिज्म में सहायक है।

मानव शरीर में विटामिन ‘ई’ (Tocopherol) का योगदान (Role of Vitamin ‘E’ in human) :

  • यह लाल रक्त कणिका को हीमोलायसीन से बचाती है ।
  • यह प्रजनन को सामान्य रखने में सहायक है।
  • यह इलेक्ट्रान ट्रान्सपोर्ट तंत्र में एक सह-कारक के रूप में कार्य करता है।

मानव शरीर में विटामिन ‘के’ (Anti haemorrhagic) का योगदान (Role of Vitamin ‘ K ‘ in human body) : यह यकृत (Liver) में प्रोथ्रॉम्बिन (Prothrombin) नामक पदार्थ के संश्लेषण में सहायक है। यह प्रोथोंम्बिन कटे हुए स्थान पर रक्त का थक्का (Blood clot) के निर्माण के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 41.
न्यूरॉन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए ।
उत्तर :
न्यूरॉन की रचना :- न्यूरॉन के निम्नलिखित भाग होते हैं –
(i) साइटॉन (Cyton) :- यह न्यूरॉन का सबसे बड़ा अनियमिताकार भाग है। जिसके प्राय: बीचोंबीच एक बड़ा गोलाकार केन्द्रक पाया जाता है। साइटोंन लाइपोप्रोटीन की बनी झिल्ली द्वारा घिरी रहती है। जीवद्रव्य में कुछ धूसर रंग के कण एवं महीन तन्तुक बिखरे रहते है। ये निसिल के कण (Nissle granules) कहलाते हैं। साइटॉन में सेन्द्रोजोम नहीं पाया जाता है। इसके जीवद्रव्य में माइटोकोण्ड्रिया, गोल्गीकाय आदि भी बिखरे रहते हैं।
कार्य :- इसका मुख्य कार्य डेन्ड्रान द्वारा प्राप्त संवेदनाओं को ग्रहण कर न्यूरॉन तक भेजना है।

(ii) डेन्ड्रान (Dendron) :- साइटॉन से निकले हुए एक या अधिक सूत्र होते हैं जिन्हें डेन्ड्रान कहते हैं। डेन्ड्रान से निकली पतली-पतली सूत्रवत रचनाएँ (Dendrites) कहलाती हैं। यह संवेदनाओं को ग्रहण कर साइटॉन तक पहुँचाने का कार्य करता है।
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(iii) एक्सॉन (Axon) :- साइटॉन के नीचले भाग एक्सान हिल्लाक से निकले सबसे मोटे तथा लम्बे प्रवर्द्धन को एक्सॉन कहते है। एक्सॉन के भीतर पाये जाने वाले गाढ़े द्रव को एक्सोप्लाज्म कहते हैं। एक्सॉन दो या दो सेअधिक आवरणों से घिरा रहता है। इस आवरण युक्त एक्सॉन को तंत्रिका तन्तु (Nerve fibre) कहते हैं।

एक्सॉन के वारों ओर एक पतली झिल्ली पायी जाती है जिसे न्यूरीलेमा (Neurilemma) कहते हैं। एक्सॉन तथा न्यूरीलेमा के बीच वाले स्तर को माइलिन आच्छद (Myelin Sheath) कहते है। माइलिन आच्छद थोड़ी-थोड़ी दूरी पर दूटी होती है। ऐसे स्थानों को रैनवियर की गाँठ (Ranvier’s node) कहते हैं। मेडुलरी शीथ तथा न्यूरीलेमा झिल्ली के बीच केन्द्रकयुक्त अण्डाकार कोशिकाएँ पायी जाती हैं जिन्हे भान-कोशिकाएँ (Schwann Cells) कहते हैं।

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प्रश्न 42.
प्रोकैरियोटिक कोशिका एवं यूकैरियोटिक कोशिका के मध्य अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर :
प्रोकैरियोटिक कोशिका एवं यकैरियोटिक कोशिका के मध्य अन्तर :
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प्रश्न 43.
जन्तु एवं वनस्पति कोशिकाओं के मध्य तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करो।
उत्तर :
वनस्पति एवं जन्तु कोशिका में अन्तर :
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प्रश्न 44.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो –
(क) फेफड़ा
(ख) हदय
(ग) सुपुम्ना
(घ) आमाशय
(ङ) अण्डाशय।
उत्तर :
(क) फेफड़ा (Lungs) : मनुष्य के दोनों फेफड़े हदय के दोनों और वक्षगुहा (Thoracic cavity) का अधिकांश भाग घेरे रहते हैं। इनके चारों और एक प्लूरा द्वारा घिरी प्लूरल गुहा (Plural cavity) होती है।

कार्य :
(i) यह श्वास क्रिया (Breathing) में सहायक है। अर्थात् फेफड़े श्वसन अंग का कार्य करते हैं।
(ii) फेफड़ों द्वारा उच्छ्वसन (Expiration) के समय कार्बन-डाइ-ऑक्साइड गैस बाहर निकाल दी जाती है। अंग का भी कार्य करते हैं।

(ख) हृदय (Heart) : हमारा हदय डायफ्राम के ठीक ऊपर तिरछा स्थित रहता है।

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कार्य :
(i) यह एक पम्पिग स्टेशन के रूप में कार्य करता है। इसके संदन से रक्त शरीर के विभिन्न भागों में प्रवाहित होता है।
(ii) यह ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के विभिन्न भागों में भेजता है तथा इसमें ऑक्सीजन विहीन रवत आता है।

(ग) सुषुम्ना या मेरुरज्जु (Spinal cord) : यह मस्तिष्क का पिछला भाग है। यह मेडुला से निकल कर मेरुदण्ड (vertibral column) के भीतर तंत्रिकीय नाल (Neural canal) से होकर मेरुद्ड के निचले सिरे तक जाता है।

कार्य :
(i) यह शरीर के विभिन्न भागों से संवेदनाओं को मस्तिष्क तक और वहाँ से प्रेरणाओं या आदेशों को शरीर के विभिन्न भागों की पेशियों तक पहुँचाता है।
(ii) यह प्रतिवर्ती क्रियाओं (Reflex actions) का संचालन एवं नियंत्रण करता है।

(घ) आमाशय (Stomach): यह ‘J’ आकार के धैले के समान होता है । यह देहगुहा (Body cavity) में बाईई ओर हुदय के पास स्थित होता है। इसे कार्डियक शिरा कहते हैं। इससे भोजन आमाशय में आता है।

कार्य :

  • यह भोजन का पाचन और उसका संग्रह करता है।
  • यह भोजन के साथ आये जीवाणुओं को नष्ट करता है।

(ङ) अण्डाशय (Ovary) : अण्डाशय स्त्री जनन अंग है। स्त्री में एक जोड़ी अण्डाशय वृक्क के नीचे उदर गुहा के पृष्ठ तल पर चिपकी रहती हैं। ये चपटी एवं लगभग 2 सेमी॰ लम्बी और 8 मिमी॰ मोटी होती है।

कार्य :

  • अण्डाशय अण्ड जनन विधि (Oogenesis) द्वारा मादा गैमेट्स अण्डाणु (Ova) का निर्माण करता है।
  • अण्डाशय से मादा जनन हार्मोन इस्ट्रोजेन (Estrogen) तथा प्रोजेस्ट्रान (Progestron) का साव होता है।

प्रश्न 45.
विटामिन क्या है? वसा में घुलनशील विटामिन का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
विटामिन :- विटामिन एक ऐसा सरल कार्बनिक यौगिक है जो शरीर की वृद्धि तथा सुरक्षा के साथ-साथ चयापचयी क्रियाओं का नियत्रण करता है। विटामिन को सुरक्षात्मक भोजन कहा जाता है क्योंकि इसके द्वारा ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
वसा में घुलनशील बिटामिन निम्न प्रकार के होते हैं :-

विटामिन-A :- इसका रासायनिक नाम रेटिनॉल है। इसका सूत्र C20H30O है। यह गाजर, टमाटर, सब्जी, फल, दूध, मक्खन, मछली, अंडा आदि में पाया जाता है। इसकी कमी से मनुष्य में रतौधी (Night blindness) रोग हो जाता है। शरीरवर्द्धक होने के कारण यह छोटे बच्चों के लिए आवश्यक है।

विटामिन – D :- इसका रासायनिक नाम कैल्सिफेरॉल है। इसका सूत्र C28H30O है। यह यकृत, तेल, पत्तागोभी, दूध, मक्खन, पनीर, मलाई इत्यादि में पाया जाता है। यह वृद्धि तथा हड्डी के निर्माण में सहायक है। इसकी कमी से बच्चों में सुखण्डी (Rickets) रोग हो जाता है, जिसमें हड्डियाँ ठीक से बन नहीं पाती हैं। वयस्क में इसकी कमी से ऑस्ट्रियोमैलेशिया (Osteomalacia) नामक रोग हो जाता है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के दाँत तथा हड्डी का क्षय होने लगता है।

विटामिन-E :- इसका रासायनिक नाम टोकोफेरॉल है। इसका सूत्र C29 H50 O है। यह हरी सज्जियों, गेहूँ, मांस, दूध, अंकुरित बीजों, सोयाबीन आदि में पाया जाता है। इसकी कमी से पेशीय तथा परिवहन तंत्रों में गड़बड़ी हो सकती है।

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विटामिन – K :- इसका सूत्र C31H45O2 है। यह पालक, टमाटर, पत्तागोभी, दूध, मक्खन, इत्यादि में पाया जाता है। इसके द्वारा मोथौम्बिन का निर्माण होता है जो रक्त का थक्का बनाने के लिए जरूरी है। इसकी कमी से रक्त नहीं जमता है अर्थांत् हिमरेज होता है।

प्रश्न 46.
मानव मस्तिष्क की रचना, स्थिति तथा कार्य का संक्षिप्त वर्णन कीजिए ।
उत्तर :
मानव मस्तिष्क की रचना :- मस्तिष्क केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का बेलनाकार विकसित भाग है। यह बाहर की ओर डुरामेटर तथा भीतर की ओर पायामेटर झिल्लियों से धिरा रहता है। इन दोनो झिल्लियों के मध्य आक्रेन्वाएड स्तर मिलता है। मस्तिष्क की ये तीनो झिल्लियाँ सम्मिलित रूप से मस्तिष्कावरण (Meninges) कहलाती है। मस्तिष्क के तीन भाग है –

  • अग्र मस्तिष्क
  • मध्य मस्तिष्क
  • पश्व मस्तिष्क।

स्थिति : मानक मस्तिष्क के खोपड़ी के क्रेनियम या ब्रेनवाक्स नामक गढ़े में स्थित होता है ।

कार्य :-

  • यह सभी संबेदी अंगों से आवेगों को ग्रहण करता है।
  • यह हमारे शरीर के लिए आदेश व नियन्त्रण तन्त्र के सदृश कार्य करता है। इसके द्वारा शरीर की बहुत सी क्रियायें जैसे – गंध, ताप, नीद, शरीर का संतुलन आदि सम्पन्न होती है।
  • यह बुद्धि, स्मरण, कल्पना तथा विचार का केन्द्र माना जाता है।

प्रश्न 47.
प्रोटीन वसा तथा कार्बोहाइड्रेट के महत्व को लिखिए।
उत्तर :
प्रोटीन का महत्व :-

  • यह शरीर की वृद्धि तथा नये ऊत्तकों के निर्माण में सहायता करता है।
  • यह जीवद्रव्य के निर्माण में सहायक है।
  • यह DNA तथा RNA के निर्माण में भी सहायता करता है।
  • शरीर में अमीनो अम्ल की आपूर्ति प्रोटीन द्वारा ही होती है।
  • प्रोटीन आवश्यकता पड़ने पर ऊर्जा उत्पन्न करता है।

वसा का महत्व :-

  • वसा शरीर के अन्दर जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा उत्पादन में एक मुख्य सोत का कार्य करता है।
  • यह विटामिन D बनाने में मदद करता है।
  • इसका संचय शरीर के भीतरी भागों में होता है।
  • यह शरीर के अन्दर उपस्थित झिल्लियों के निर्माण में भी भाग लेता है।

कार्बोहाइड्रेट का महत्व :-

  • कार्बोहाइड्रेट शरीर निर्माता भोजन है।
  • यह ऊर्जा प्राप्ति का मुख्य सोत है।
  • यह एमीनो अम्ल तथा वसीय अम्ल के उपापचय में सहायक है।
  • यह ग्लाइकोजोन के रूप में शरीर के अन्दर जमा होता है तथा आवश्यकता पड़ने पर ग्लूकोज के रूप में बदलता रहता है।

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प्रश्न 48.
पेशी ऊत्तक क्या है ? विभित्र प्रकार के पेशी ऊत्तकों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पेशी ऊत्तक (Musculas tissue) :- पेशी ऊत्तक पेशी कोशिकाओं से बना होता है। यह ऊत्तक प्रचलन तथा विभिन्न प्रकार की गतियों में सहायक होता है। पेशी ऊत्तक मुख्य रूप से निम्न तीन प्रकार के होते हैं :-

(a) रेखित पेशी या ऐच्छिक पेशी (Striped or vascular muscular tussue) :- ऐसी पेशी ऊत्तक जिन्हें अपनी इच्छानुसार इधर-उधर घुमाया-फिराया जा सकता है, रेखित या ऐच्छिक पेशी कहलाती है । यह पेशी ऊत्तक हाथ, पैरों, कंधों इत्यादि में मिलते है। इस ऊत्तक की प्रत्येक कोशिका लम्बी तथा बेलनाकार होती है। इसके चारों और एक पारदर्शक, समांग दोहरी झिल्ली पायी जाती है, जिसे सारकोलेमा कहते हैं। कोशिका के अन्दर केन्द्रक उपस्थित रहता है। कोशिका के अन्दर पाये जाने वाले द्रव को सारकोप्लाज्म कहते हैं।

(b) अरेखित पेशी या अनैच्छिक पेशी ऊत्तक (Unstriped or Involuntary muscular tissue) :जन्तुओं की इच्छाओं पर इस पेशी उत्तक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, इसलिए इसे अनैच्छिक पेशी ऊत्तक कहते हैं। ये पेशियाँ आहारनाल की दीवार में, रक्त वाहिनियों में एवं मूत्राशय में मिलती हैं।

(c) हदय पेशी ऊत्तक (Cardial tissue) :- यह पेशी हदय की दीवार को बनाती है। यह भी अनैच्छिक पेशी होती है। इसकी पेशी तन्तु शाखीय होते हैं तथा शाखायें आपस में मिलकर जाल सा बनाती हैं। इसके चारों ओर सारकोलेमा होता है। इन पेशियों में हमेशा संकुचन तथा प्रसार होता है, इसलिए हुय में कभी भी थकान का अनुभव नहीं होता है।

प्रश्न 49.
D.N.A. क्या है ? इसके एक अणु की रचना लिखें।
उत्तर :
डीऑक्सीरोइबो न्यूक्लिक अम्ल (DNA) : यह एक प्रमुख एवं स्थाई रूप से जीवधारियों में मिलने वाला यौगिक है। इसका निर्माण अनेक छोटी-छोटी इकाइयो से मिलकर होता है। इन्हें न्यूक्लियोटाइड्स (Nucleotides) कहते हैं। D.N.A. की रचना के सम्बन्ध में वॉटसन और क्रिक नामक वैज्ञानिकों ने 1962 ई० में एक मॉडल प्रस्तुत किया। इनके अनुसार D.N.A. अणु द्विचक्राकार (Double helical structure) रचना है।

इसमें दो पॉली न्यूक्लियोटाइइस के चेन एक अक्ष रेखा, पर एक दूसरे के विपरीत दिशा में कुण्डलित रहते हैं। प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड का निर्माण डिऑंक्सिराइबोज शर्करा (S), फॉस्फेट (P) और नाइट्रोजन बेस से मिलकर होता है। नाइट्रोजन बेस प्यूरिन और पिरिमिडिन (Purine and pyrimidine) दो प्रकार के होते हैं। प्यूरिन एडिनीन और ग्वॉनीन (Adenine and Guanine) तथा पिरिमिडन साइटोसिन और थायमिन (Cytosine and Thymin) दो प्रकार के होते हैं। पॉली न्यूक्लियोटाइड्स के चेन एक लम्बी अक्ष रेखा के सीधे कोणीय तल में लगे रहते हैं और सीढ़ी की डंडी जैसी रचना बनाते हैं।

प्रश्न 50.
R.N.A. की रचना लिखें। इसके उपयोग बताएं।
उत्तर :
R.N.A. की रचना : यह केन्द्रकद्रव्य एवं कोशिकाद्रव्य इन दोनों में उपस्थित रहता है। इसमें कई न्यूक्लियोटाइड्स का बना एक ही चेन होता है। इसके एक सूत्र का निर्माण राइबोज शर्करा, फास्फेट, एडिनिन, ग्वाँनीन, साइटोसीन और यूरेसिल से मिलकर होता है।
R.N.A. का उपयोग :(i) यह प्रोटीन संश्लेषण में सहायक है और संदेश वाहक का कार्य करता है।

प्रश्न 51.
कोशिका भित्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कोशिका भित्ति (Cell Wall) : सभी वनस्पति कोशिकाओं (जनन कोशिकाओं को छोड़कर) के बाहर की ओर एक निर्जीव, छिद्रदार एवं कठोर आवरण कोशिका भित्ति होती है। इसकी जानकारी हमलोगों को प्याज की झिल्ली को संयुक्त सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा देखने पर होती है। कोशिका भित्ति का निर्माण सेल्यूलोज, लिग्निन और पेक्टिन जैसे कड़े पदार्थों से होती है। संलग्न कोशिकाओं की कोशिका भित्तियों के मध्य एक पतली स्तर मध्य पटल (middle lamelia) होती है।

यह पेक्टिन की बनी होती है। यह दो संलग्न कोशिकाओं को जोड़े रहती है। इसके अन्दर कोशिकाद्रव्य के खाव के लिए सेल्यूलोज के माइक्रोफाइबिल की बनी एक पतली परत होती है। इसे प्राथमिक भित्ति (Primary wall) कहते हैं। पुरानी कोशिकाओं में प्राथमिक भित्ति के अन्दर की ओर लिग्निन या क्यूटीन की बनी स्तर को द्वितीयक भित्ति (Secondary wall) कहते हैं।

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यह कोशिका को एक निध्चित आकार एवं दृढ़ता प्रदान करती है। कोशिका भित्ति पर स्थान-स्थान पर छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। कोशिका द्रव्य के महीन तन्तु इन छिद्रों से होकर संलग्न कोशिकाओं को परस्पर बाँधते हैं। इन तन्तुओं को जीवद्रव्ययी तन्तु (Plasmodesmata) कहते हैं। इनके द्वारा कोशिकाओं के मध्य खाद्य पदार्थों का परिवहन होता है। कोशिका भित्ति कोशिका को बाहरी आयात से सुरक्षा करती है।

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