Detailed explanations in West Bengal Board Class 9 Life Science Book Solutions Chapter 3 जीवन की शारीरिक क्रियाएँ offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 9 Life Science Chapter 1 Question Answer – जीवन की शारीरिक क्रियाएँ
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
नेफ्रॉन में ग्लोमेरुलस को घेरने वाली रचना का क्या नाम है?
उत्तर :
वोमैन्स कैप्सूल।
प्रश्न 2.
प्राणी शरीर के किस अंग में ग्लोमेरुलस पाया जाता है?
उत्तर :
वृक्क
प्रश्न 3.
सहजीवी पौधे का नाम लिखिए।
उत्तर :
लाइकेन (शैवाल और कवक)
प्रश्न 4.
रक्त की परिभाषा लिखें।
उत्तर :
रक्त (Blood) : रक्त एक विशेष प्रकार का तरल संयोजी ऊतक है जो खाद्य पदार्थ, ऑक्सीजन, कार्बनडाई – आक्साइड, हार्मोन, खनिज लवण, उत्सर्जी पदार्थ आदि के लिए परिवहन माध्यम का कार्य करता है।
प्रश्न 5.
पौधों के किस अंग द्वारा वाष्पोत्सर्जन की क्रिया सबसे अधिक होती है ?
उत्तर :
पौधों में पत्तियों द्वारा वाष्पोत्सर्जन की क्रिया सबसे अधिक होती है ।
प्रश्न 6.
किस प्राणी में खुला रक्त परिवहन पाया जाता है ?
उत्तर :
तिलचट्टा, टिड्डा, झींगा आदि।
प्रश्न 7.
पौधों के पत्तों में बने भोजन का स्थानान्तरण किस उत्तक के द्वारा होता है।
उत्तर :
फ्लोएम।
प्रश्न 8.
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से कौन-सा अंगाणु सम्बन्धित है ?
उत्तर :
क्लोरोप्लास्ट।
प्रश्न 9.
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में ऊर्जा का स्रोत क्या है ?
उत्तर :
सूर्य का प्रकाश।
प्रश्न 10.
प्रकाश संश्लेषण की इकाई क्या है ?
उत्तर :
क्वान्टासोम (Quantasome)
प्रश्न 11.
किस विधि में प्रकाश ऊर्जा का संग्रह स्थिति ऊर्जा में होता है ?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण।
प्रश्न 12.
किस रंग में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सबसे तेज होती है ?
उत्तर :
लाल रंग।
प्रश्न 13.
PGA का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर :
Phospho Glyceric Acid.
प्रश्न 14.
प्रकाश संश्लेषण का नाम सर्वप्रथम किसने प्रतिपादित किया ?
उत्तर :
Barnes (1898) ने।
प्रश्न 15.
किसने सर्वप्रथम प्रकाश अभिक्रिया की खोज की ?
उत्तर :
रोंबिन हिल (Robin Hill) नामक वैज्ञानिक ने।
प्रश्न 16.
श्वसन का केन्द्रस्थल क्या है ?
उत्तर :
माइटोकोण्ड़या तथा साइटोप्लाज्म।
प्रश्न 17.
एक ऐसे जन्तु का नाम बताइये जिसमें अनाक्सी श्वसन होता है।
उत्तर :
मोनोसिस्टिस।
प्रश्न 18.
किस श्वसन क्रिया में O2 आवश्यक है ?
उत्तर :
आक्सी श्वसन।
प्रश्न 19.
एक ऐसे जन्तु का नाम बताइये जो वायु के बिना श्वसन कर सकता है।
उत्तर :
फीताकृमि।
प्रश्न 20.
जल तथा वायु दोनों में श्वसन करने वाले जन्तु का नाम बताइये।
उत्तर :
टोड।
प्रश्न 21.
ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया कहाँ होती है ?
उत्तर :
साइटोप्लाज्म में।
प्रश्न 22.
किस जन्तु में श्वसन गीली त्वचा के द्वारा होती है ?
उत्तर :
केंुुआ।
प्रश्न 23.
तिलचड्टा का श्वसन अंग क्या है ?
उत्तर :
ट्रैकिया।
प्रश्न 24.
झंगा के रक्त में कौन सा श्वसन रंगा पाया जाता है ?
उत्तर :
हीमोसार्यनि।
प्रश्न 25.
शरीर की सतह द्वारा श्वसन करने वाले जन्तु का नाम लिखिए।
उत्तर :
अमीबा।
प्रश्न 26.
मनुष्य के पोषण की दूसरी अवस्था क्या है ?
उत्तर :
पाचन (Digestion)
प्रश्न 27.
कौन सा आहार आदर्श आहार कहलाता है ?
उत्तर :
दूध।
प्रश्न 28.
लार ग्रन्थि से उत्पन्न होने वाले एन्जाइम का नाम बताइये।
उत्तर :
टायलिन (Ptaylin)
प्रश्न 29.
कौन सा एन्जाइम वसा को वसीय अम्ल में तोड़ देता है ?
उत्तर :
लाइपेज।
प्रश्न 30.
किस पाचक रस में विकर अनुपस्थित रहता है ?
उत्तर :
पित्त रस (Bile)
प्रश्न 31.
B. M. R. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर :
Basal Metabolic Rate
प्रश्न 32.
किस पाचक रस द्वारा वसा का इमल्सिफिकेशन होता है ?
उत्तर :
पित्त (Bile)
प्रश्न 33.
जीवधारियों के शरीर में ऊर्जा का स्रोत क्या है ?
उत्तर :
भोजन (Food)
प्रश्न 34.
पाचन के बाद प्रोटीन किस भोज्य पदार्थ के रूप में आँतों में अवशोषित होते हैं ?
उत्तर :
अमीनो अम्ल।
प्रश्न 35.
नेफ्रान किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वृक्क की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को नेफान कहते है।
प्रश्न 36.
कौन सा WBC घाव के भरने में सहायक है ?
उत्तर :
दीर्घ लिम्फोसाइट (Large Lymphosite)
प्रश्न 37.
सजीवों में प्रकाश संश्लेघण की क्रिया किस समय होती है ?
उत्तर :
सजीवों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया दिन में प्रकाश की उपस्थिति में होती है।
प्रश्न 38.
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया किस ऊत्तक में होती है ?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पत्तियों के ऊपरी तथा निचली बाह्य त्वचा के बीच उपस्थित मिजोफिल ऊत्तक में होती है।
प्रश्न 39.
क्या प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सभी जीवधारियों में होती है ?
उत्तर :
नही, प्रकाश संश्लेषण की क्रिया केवल क्लोरोफिल युक्त कोशिकाओं वाले जोवधारियों में होती है।
प्रश्न 40.
प्रकाश संश्लेषण के अवयवों के नाम लिखिए।
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक अवयव कार्बन डाई-आक्साइड, जल, क्लोरोफिल एवं प्रकाश है।
प्रश्न 41.
प्रकाश संश्लेषण का उपक्रिया फल क्या है ?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण में O2 तथा H2O उपक्रिया फल है।
प्रश्न 42.
प्रकाश संश्लेषण क्रिया का कार्य स्थल क्या है ?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण किया का कार्यस्थल क्लोरोप्लास्ट का ग्रेना तथा स्ट्रोमा भाग है।
प्रश्न 43.
फोटान क्या है ?
उत्तर :
प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बण्डलों को फोटान (Photan) कहते हैं।
प्रश्न 44.
उन जन्तुओं के नाम लिखिए जिनमें प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है।
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया युग्लिना, क्रिसअमीबा आदि जन्तुओ में होती है।
प्रश्न 45.
प्रकाश संश्लेषण में आक्सीकारक तथा अवकारक क्या-क्या है ?
उत्तर :
आक्सीकारक – कार्बन डाई-आक्साइड CO2
अवकारक – जल (H2O)
प्रश्न 46.
श्वसन क्यों आवश्यक है ?
उत्तर :
श्वसन से सजीवों में नियमित रूप से ऊर्जा की पर्ति होती है, इसलिए श्वसन आवश्यक है।
प्रश्न 47.
श्वसन की क्रिया सजीवों के शरीर में कहाँ होती है ?
उत्तर :
सजीवों के शरीर में श्वसन की क्रिया सभी जोवित कोशिकाओं मे होती है।
प्रश्न 48.
श्वसन पदार्थ क्या है ?
उत्तर :
वे यौगिक जिनका आक्सीकरण कोशिकाओं के अन्दर होता है, उन्हें श्वसन पदार्थ कहते है ; जैसे – ग्लूकोज।
प्रश्न 49.
आक्सी श्वसन की दोनों अवस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
आक्सी श्वसन को दो अवस्याएँ – ग्लाइकोलाइसिस तथा केष्स चक्र हैं।
प्रश्न 50.
ग्लूकोज में उपस्थित तत्वों के नाम बताइये।
उत्तर :
ग्लूकोज में उपस्थित तत्व कार्बन (C) हाइड्रोजन (H) तथा आक्सीजन (O) होते है।
प्रश्न 51.
माइटोकोण्ड्रया का मुख्य कार्य क्या है ?
उत्तर :
माइटोकोण्डिया का मुख्य कार्य ATP का निर्माण करना है।
प्रश्न 52.
खाद्य के ऐसे दो अवयवों के नाम बताइये जिनसे ऊर्जा प्राप्त नहीं होती है।
उत्तर :
विटामिन तथा खनिज लवण ऊर्जा प्रदान नहीं करते है।
प्रश्न 53.
आमाशय में किस प्रकार के भोजन का पाचन होता है ?
उत्तर :
आमाशय में प्रोटीन तथा वसा का पाचन होता है।
प्रश्न 54.
मनुष्य के आमाशय के विभिन्न भागों के नाम लिखिए।
उत्तर :
आमाशय के तीन भाग हैं – कार्डियक, फंडस तथा पाइलोरिक भाग।
प्रश्न 55.
संतुलित आहार किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर :
संतुलित आहार व्यक्ति के उम्म, लिग, जलवायु तथा कर्म आदि बातों पर निर्भर करता है।
प्रश्न 56.
एक व्यक्ति को प्रतिदिन कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है ?
उत्तर :
एक वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 2500-3000 कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 57.
भोजन के किन-किन अवयवों के लिए पाचन की आवश्यकता नहीं होती है ?
उत्तर :
भोजन के विदामिन, जल तथा खनिज लवण के लिए पाचन की आवश्यकता नहीं होती है।
प्रश्न 58.
ऊर्जा उत्पादक भोजन से क्या समझते हो ?
उत्तर :
पोषण प्रदान करने वाले भोजन को ऊर्जा उत्पादक भोजन कहते है, जैसे – कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा आदि।
प्रश्न 59.
आवश्यक तत्व से क्या समझते हो ?
उत्तर :
वे तत्व जो सजीवों के शरीर की वृद्धि तथा पाषण के लिए अत्यन्त ही अनिवार्य होते है। इन तत्वो की अनुपस्थिती में किसी सजीव का जीवन वक्र ही पृरा नहीं हो सकता है उन्हें आवश्यक तत्व कहते हैं।
प्रश्न 60.
विकर (एन्जाइम) क्या है ?
उत्तर :
जीवित कोशिकाओ में उत्पन्न नाइट्रोजन युक्त कार्वनिक योगिको को जो अपनी उपस्थिति भाग से क्रिया दर को बदलती है उन्हे विकर या एन्जाइम कहते हैं। जैसे – एमाइलेज।
प्रश्न 61.
पेरिस्टेलसिस (Peristaisis) क्या है ?
उत्तर :
आहार नाल के भीतरी दोवारों पर होनेवाली संकुचन तथा परासरण की क्रमबद्ध क्रिया को पेरिस्टेलसिस कहते है।
प्रश्न 62.
मनुष्य के संतुलित आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा का अनुपात क्या है ?
उत्तर :
मनुष्य के संतुलित आहार में कार्बोहाइड्रेट, ग्रोटीन तथा वसा का अनुपात 4: 1: 1 होता है।
प्रश्न 63.
पित्त किस अंग में अस्थाई रूप में जमा होता है ?
उत्तर :
अस्थायी तौर पर पित्त, पित्ताशय (Gail bladder) में जमा होता है।
प्रश्न 64.
पौधे में पोटाशिम के अभाव में कौन सा लक्षण प्रकट होता है ?
उत्तर :
पोटाशियम के अभाव में पौधों का किनारा पोला होने लगता है।
प्रश्न 65.
पाचक रस क्या है ?
उत्तर :
पाचन प्रंथि से स्रावित ऐसे सभी तरल जिससे पाचन क्रिया सम्पन्न होती है, उसे पाचक रस कहते हैं।
प्रश्न 66.
रक्त का रंग लाल क्यों होता है ?
उत्तर :
रक्त के लाल रक्त कणों में हिमोग्लोबिन नामक श्वसन कण पाये जाने के कारण रक्त का रंग लाल होता है।
प्रश्न 67.
चिंगड़ी के रक्त में नीलापन क्यों होता है ?
उत्तर :
चिंगड़ी के रव्त में ताम्रयुक्त तथा प्रोटीन जातीय एक श्वसन कण होता है जो नीला रंग का होता है, हिमोसायनिन कहलाता है। हिमोसायनिन के कारण चिंगड़ी के रक्त का रंग नीला होता है।
प्रश्न 68.
लसिका (Lymph) क्या है ?
उत्तर :
लसिका एक स्वच्छ पोले रंग का क्षारीय तथा तरल यौगिक ऊत्तक है जो लसिका वाहिनियों में पाया जाता है।
प्रश्न 69.
हिमोसायनिन का क्या कार्य है ?
उत्तर :
हिमोसायनिन का प्रमुख कार्य O2 तथा CO2 का परिवहन करना है।
प्रश्न 70.
R. B.C. के दो कार्यों को लिखिए।
उत्तर :
R. B. C. के कार्य –
(i) O2 तथा CO2 का परिवहन करना।
(ii) रक्त की सान्द्रता बनाये रखना है।
प्रश्न 71.
संरक्षक आहार किसे कहते हैं ?
उत्तर :
भोजन के वे उपादान जो शरीर को निरोग रखते है, संरक्षक आहार कहलाते हैं। जैसे – विटामिन, खनिज लवण तथां जल।
प्रश्न 72.
विसरण की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
विसरण वह भौतिक क्रिया है जिसमें पदार्थ के गतिशील अणु अधिक सान्द्रता वाले स्थान से कम सान्द्रता वाले स्थान की ओर बहते हैं।
प्रश्न 73.
मानव शरीर में हिमोग्लोबिन की मात्रा क्या है ?
उत्तर :
मानव शरीर में हिमोग्लोबिन की मात्रा 14-16 ग्राम प्रति 100 मि० ली० है।
प्रश्न 74.
पित्ताशय कहाँ स्थित है ? क्या पित्ताशय एक ग्रंथि है ?
उत्तर :
पित्ताशय यकृत पिण्डों के बीच स्थित होता है। पित्ताशय एक ग्रंथि नहीं है।
प्रश्न 75.
मनुष्य के रक्त में कितने रक्त वर्ग हैं ?
उत्तर :
मनुष्य के रक्त में चार रक्त वर्ग पाए जाते है –
- रक्त वर्ग – A
- रक्त वर्ग – B
- रक्त वर्ग – AB
- रक्त वर्ग – O
प्रश्न 76.
लैटेक्स क्या है ? यह कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर :
लैटेक्स श्वेत, पीला व भूरे रंग का दूध जैसा तरल पदार्थ होता है। यह बरगद, मदार, पीपल, रबर आदि पौधों में पाया जाता है।
प्रश्न 77.
क्वीनिन क्या है ?
उत्तर :
क्वीनिन (Quinine) सिनकोना पेड़ की छाल में पाया जाता है। इससे मलेरिया बुखार की दवा बनाई जाती है।
प्रश्न 78.
मनुष्य में वृक्क के अलावा दूसरा कौन उत्सर्जी अंग है ?
उत्तर :
मनुष्य में वृक्क (किडनी) के अलावा यकृत, त्वचा, छोटी आँत आदि उत्सर्जी अंग हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2/3 MARKS
प्रश्न 1.
क्या है? यह किस पौधे में पाया जाता है?
उत्तर :
लैटेक्स श्वेत, पीला व भूरे रंग का दूष जैसा तरल पदार्थ होता है। यह बरगद, मदार, पीपल, रबर आदि पौधों में पाया जाता है।
प्रश्न 2.
प्रकाशिक अभिक्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रकाशिक अभिक्रिया : प्रकाश-संश्लेषण की इस प्रक्रिया के लिये प्रकाश आवश्यक है। यह प्रक्रिया क्लोरोप्लास्ट के ग्रेना वाले भाग में सम्पन्न होती है। इस प्रक्रिया के प्रारम्भ में प्रकाश की किरणें क्लोरोफिल अणु पर पड़तीहैं।
प्रश्न 3.
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया आक्सीकरण-अवकरण क्रिया कहलाती है, क्यों ?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण क्रिया के अन्तर्गत जल का आक्सीकरण आक्सीजन में तथा कार्बन डाई-आक्साइड का अवकरण ग्लूकोज में होता है। इसलिए प्रकाश संश्लेषण की क्रिया आक्सीकरण-अवकरण क्रिया कहलाती है।
प्रश्न 4.
अप्रकाशिक अभिक्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर :
अप्रकाशिक अभिक्रिया : प्रकाश-संश्लेषण की इस प्रक्रिया में प्रकाश की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह प्रक्रिया क्लोरोप्लास्ट के स्ट्रोमा वाले भाग में होती है। इसे ब्लैकमैन अभिक्रिया (Blackman’s reaction) भी कहतें हैं।
प्रश्न 5.
एक अल्केलाइड के नाम एवं उसके स्रोत बताएँ।
उत्तर :
एक अल्केलाइड का नाम निकोटिन है जिसका स्रोत तम्बाकू की पत्तियाँ है ।
प्रश्न 6.
एक जन्तु का नाम लिखो जिसमें प्रकाश संश्लेषण होता है तथा एक पौधे का नाम लिखो जो प्रकाश संश्लेषण में असमर्थ है।
उत्तर :
जन्तु का नाम – यूग्लिना (Euglena), पौधा का नाम – कवक।
प्रश्न 7.
पौधों में विभित्र पदार्थों का स्थानान्तरण कैसे होता है ।
उत्तर :
पौधे में जल का प्रवेश परासरण एवं खनिज पदार्थों का प्रवेश मिट्टी से जड़ में अवशोषण की विधि से होता है । जड़ की कोशिकाओं से जल रसारोहण विधि से पत्तियों में पहुँचता है। पत्तियों में बने भोजन का स्थानान्तरण फ्लोयम उत्तक की सहायता से होता है ।
प्रश्न 8.
रात में पेड़ के नीचे सोना हानिकारक क्यों है ?
उत्तर :
रात में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया रूक जाती है। पौधों के श्वसन के फलस्वरूप पौधों के आसपास कार्बन डाईआक्साइड की सांद्रता बढ़ जाती है जो स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है। अत: रात के समय पेड़ के नीचे नहीं सेना चाहिए।
प्रश्न 9.
NADP, PGA, ATP तथा CAC का सम्पूर्ण नाम लिखो।
उत्तर :
NADP : Nicotinamide Adenine Dinucleotide Phosphate.
PGA : Phospho Glyceric Acid.
ATP : Adenosine Tri Phosphate.
CAC: Citric Acid Cycle.
प्रश्न 10.
दौड़ते समय साँसें तेज चलती हैं क्यों ?
उत्तर :
व्यायाम करते समय शरीर को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अधिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कोशिकाओं में भोज्य पदार्थ का आक्सीकरण तेज गति से होने लगता है। तेज गति से आक्सीकरण के लिए अधिक मात्रा में आक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है अतः श्वसन क्रिया तेज हो जाती है।
प्रश्न 11.
मनुष्य के उत्सर्जन क्रिया में त्वचा की क्या भूमिका होती है?
उत्तर :
उत्सर्जन क्रिया में त्वचा की भूमिका :- त्वचा शरीर का सबसे बाहरी रक्षात्मक ‘आवरण है। त्वचा की भीतरी सतह पर रक्त वाहिनियाँ तथा अनेक पसीना ग्रंथियाँ (Sweat glands) होती हैं जिनसे पसीने (Sweat) का स्राव होता है। पसीना के साथ-साथ अनेक उत्सर्जी पदार्थ जैसे – यूरिया, लवण, अमोनिया इत्यादि बाहर निकलते हैं।
प्रश्न 12.
मनुष्य के गैसीय उत्सर्जी पदार्थ क्या है?
उत्तर :
अमोनिया, एसीटोन, अल्कोहल, आदि ।
प्रश्न 13.
प्रकाश-संश्लेषण की रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर :
प्रश्न 14.
सूक्ष्म पोषक तत्व की परिभाषा लिखो तथा एक उदाहरण दो।
उत्तर :
जिन आवाश्यक तत्वों की कम मात्रा की आवश्यकता पड़ती है, उन्हें सूक्ष्म पोषक तत्व कहते हैं। सूक्ष्म पोषक तत्वों में लोहा, तांबा, बोरान, क्लोरिन, जस्ता और मोलिब्डेनम आदि शामिल हैं।
प्रश्न 15.
वसा में घुलनशील तथा पानी में घुलनशील एक-एक विटामिन का नाम लिखो।
उत्तर :
वसा में घुलनशील एक विटामिन का नाम : विटामिन A
पानी में घुलनशील एक विटामिन का नाम : विटामिन C
प्रश्न 16.
क्यूटिकूलर वाष्पोत्सर्जन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
क्यूटिकूलर वाष्पोत्सर्जन : इस प्रकार का वाष्पोत्सर्जन तने, पत्तियाँ तथा अन्य अंगों की सतह पर पाये जाने वाले क्यूटिकल (Cuticle) के द्वारा होता है।
प्रश्न 17.
वाष्पोत्सर्जन का एक महत्व बताए।
उत्तर :
वाष्पोत्सर्जन की क्रिया की तीव्रता के परिणामस्वरूप कोशिकाओं के अन्दर विलेय पदार्थों (Solutes) की सान्द्रता बढ़ जाती है जिसके फलस्वरूप फलो में शर्करा (Sugar) की मात्रा अधिक हो जाती है।
प्रश्न 18.
विसरण क्या है ?
उत्तर :
विसरण (Diffusion) : विसरण वह भौतिक क्रिया है जिसमें घुल्य के अणुओं का प्रवाह अधिक सान्द्रता से कम सान्द्रता की ओर होता है।
प्रश्न 19.
परासरण की परिभाषा लिखें।
उत्तर :
परासरण वह भौतिक क्रिया है जिसमें जल के अणुओं का प्रवाह कम सान्द्रता से अधिक सान्द्रता की ओर एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा होता है।
प्रश्न 20.
श्वसन क्या है ?
उत्तर :
श्वसन (Respiration) : श्वसन वह जैव रासायनिक क्रिया है जिसमें भोज्य पदार्थों के आक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है।
प्रश्न 21.
जल का प्रकाशीय अपघटन क्या है?
उत्तर :
सूर्य के प्रकाश द्वारा क्लोरोफिल की सहायता से जल (H2O) को उनके आयन H+ तथा OH– में विच्छेदित होने की क्रिया को जल का खिण्डन कहते हैं।
प्रश्न 22.
क्लोरोप्लास्ट के उस भाग का नाम बताइए जहाँ प्रकाश प्रतिक्रिया होती है।
उत्तर :
क्लोरोप्लास्ट के ग्रेना (Grana) में प्रकाश-रासायनिक प्रतिकिया होती हैं।
प्रश्न 23.
ग्रेनम किसे कहते हैं ?
उत्तर :
ग्रेनम : पादप कोशिका के क्लोरोप्लास्ट के उस भाग को जिसमें क्लोरोफिल उपस्थित है और प्रकाश संश्लेषण की पहली अवस्था प्रकाश अभीक्रिया सम्पन्न होती है, उसे ग्रेनम कहते हैं।
प्रश्न 24.
पौधों में क्लोरोफिल अणु के निमार्ण में आवश्यक धात्विक तत्व का नाम बताएँ?
उत्तर :
पौधों में क्लोरोफिल अणु के निमार्ण में आवश्यक धात्विक तत्व का नाम मैग्नेसियम है।
प्रश्न 25.
ऑक्सी श्वसन का अन्तिम उत्पाद क्या है?
उत्तर :
ऑक्सी श्वसन का अन्तिम उत्पाद CO2 तथा H2O है।
प्रश्न 26.
वेनस हद्यय क्या है ? एक उदाहरण दो।
उत्तर :
वेनस हदय (Venous Heart) : वह हृदय जिसमें केवल अशुद्ध रक्त (impure or deoxygenated blood) प्रवाहित होता है उसे वेनस हृदय कहते हैं। इस प्रकार का हदय मछालयों में पाया जाता है।
प्रश्न 27.
पेस मेकर क्या है ?
उत्तर :
पेस मेकर (Pace maker) : हदय के दाहिने अलिन्द की दीवारों पर स्थित उस केन्द्र को जो हुय को स्पंदन करने की प्रेरणा देता है उसे पेस मेकर कहते हैं।
प्रश्न 28.
श्वसन में किसी अणु ग्लूकोज को संपूर्णतया ऑक्सीकृत करने के लिए कितने अणु ऑक्सीजन की आवश्यकता है?
उत्तर :
एक अणु ग्लुकोज के पूर्ण ऑक्सीकरण के लिए 6 (छः) अणु ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है ।
प्रश्न 29.
श्वसन की क्रिया किस कोशकांग में होती है?
उत्तर :
सजीवों के शरीर में श्वसन की क्रिया माइटोकाण्ड्रिया में होती है।
प्रश्न 30.
सहायक श्वसन अंग किस प्राणी में पाया जाता है? उदाहरणदें।
उत्तर :
- कवई (Koi) – Labyrinthine organ (लेबिरिन्थीन आर्गन)
- मांगुर (Mangur) – Arboresent organ (आर्बोरिसेन्ट आर्गन)
- सिंघी (Singhi) – Extrabranchial diverticulum (एक्सट्रा ब्रांकियल डाइवर्टिकुलम)
प्रश्न 31.
प्रकाश-संश्लेषण किस प्रकार की उपापचयी क्रिया है और क्यों?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण क्रिया एक रचनात्मक क्रिया है, व्योंकि इस क्रिया में जल तथा कार्बन डाई-आक्साइड के संयोग से रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप ग्लूकोज के नये अणुओं का निर्माण होता है जिसके फलस्वरूप पौषे के शुष्क भार मे वृद्धि होती है। इस क्रिया के फलस्वरूप जीवद्रव्य का निर्माण होता है। अतः प्रकाश-संश्लेषण एक रचनात्मक क्रिया है।
प्रश्न 32.
अनॉक्सी श्वसन करने वाले एक पौधे और एक प्राणी का नाम बताएँ।
उत्तर :
पौधे का नाम – यीस्ट। प्राणी का नाम – फीताकृमि।
प्रश्न 33.
ग्लाइकोलिसिस किसे कहते हैं?
उत्तर :
ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) : यह आक्सी श्वसन की पहली अवस्था है। यह आक्सीजन की अनुपस्थिति में कोशिका के अन्दर साइटोप्लाज्म में सम्पन्न होती है। इसमे ग्लूकोज का आंशिक आक्सीकरण होता है। इसका नियन्तण कोशिका के साइटोप्लाज्म में उपस्थित विभिन्न एन्जाइम द्वारा होता है। इस क्रिया के फलस्वरूप ग्लूकोज का प्रत्येक अणु आंशिक रूप से आक्सीकृत होकर पाइरूविक अम्ल में बदल जाता है।
प्रश्न 34.
प्रकाश संश्लेषण में क्लोरोफिल की क्या भूमिका है ?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण में क्लोरोफिल की भूमिका :- क्लोरोफिल के अणु विकिरण ऊर्जा ग्रहण करके जल को H+ तथा OH– आयनों में तोड़ देते हैं। क्लोरोफिल विकिरण ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल देता है।
प्रश्न 35.
प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा सौर ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा में किस प्रकार परिवर्तित हो जाती है?
उत्तर :
जीवधारियों के लिए ऊर्जा का एकमात्र स्रोत सूर्य से प्राप्त प्रकाशीय ऊर्जा है, परन्तु यह प्रकाशीय ऊर्जा जीवों के द्वारा प्रत्यक्ष रूप में ग्रहण नहीं की जा सकती है। केवल हरे पौधे ही इस ऊर्जा को ग्रहण कर सकते हैं। हरे पौधों की कोशिकाओं के क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल पाया जाता है। प्रकाशीय ऊर्जा का लगभग 20% भाग क्लोरोफिल के अणुओं द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। यह अवशोषित ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा में बदल दिया जाता है।
प्रश्न 36.
प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डाई-आक्साइड की क्या भूमिका है ?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डाई-आक्साइड की भूमिका :- कार्बन डाई आक्साइड गैस प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए एक कच्यी सामग्री है । इसके कार्वन और आक्सीजन दोनों ही तत्व ग्लूकोज के निर्माण में भाग लेते है ।
प्रश्न 37.
विटामिन ‘C’ का स्रोत क्या है ? इसकी कमी से कौन-सा रोग होता है?
उत्तर :
विटामिन ‘C’ का स्रोत :- यह आवला, नींबू, सतरा, ताजा मांस, टमाटर आदि में पाया जाता है।
कमी से रोग :- इसकी कमी से स्कर्वी नामक रोग होता है।
प्रश्न 38.
ट्रेस तत्व क्या है ? एक ट्रेस तत्व का नाम लिखिए।
उत्तर :
ट्रेस तत्व : वे तत्व जो जीवधारियों के पाषण के लिए अल्प मात्रा में आवश्यक होते हैं उन्हें माइको या ट्रेस तत्व कहा जाता है। उदाहरण : जिंक (Zn), मोलिख्डेनम (MO), बोरान (B) इत्यादि।
प्रश्न 39.
एक पूर्ण परजीवी पौधे का नाम लिखिए।
उत्तर :
पूर्ण परीजवी : ऐसे पौधे जो अपने भोजन के लिए पूर्णतः पोषक पर निर्भर करते हैं, पूर्ण परजोवी कहलाते है। जैसे- अमरलता जैसे पौधों की जड़ें वूषकांग कहलाती है क्योंकि इन्हीं की सहायता से ये पोषक से भोजन चूसते हैं।
प्रश्न 40.
मानव शरीर में प्रोटीन का पाचन कैसे होता है?
उत्तर :
आमाशय में उपस्थित जठर ग्रंधियों द्वारा सावित जठर रस में उपस्थित Hcl भोजन को अम्लीय बनाता है तथा निष्क्रय पेप्सिनोजेन को सक्रिय पेप्सिन में बदलता है। यह एन्जाइम प्रोटीन प्रकृति के खाद्य पदार्थों पर किया करता है। अतः यह आमाशय में आये प्रोटीन प्रकृति के खाद्य पदार्थों पर क्रिया करके, पेप्टोन (Peptone) तथा प्रोटीओजेज (Proteoses) में बदल देता है।
प्रश्न 41.
वृहत् पोषक क्या है?
उत्तर :
कुछ खनिज हैं जिनकी शरीर को अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है और किसी भी अन्य तत्वों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होते है । जैसे – कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, क्रोमियम, कोबाल, आयोडीन, लोहा, सेलेनियम और मैंगंनीज।
प्रश्न 42.
अवशोषण तथा रसारोहण का संबंध बताओ।
उत्तर :
रसारोहण क्रिया का प्रारम्भ अवशोषण से ही होता है । अवशोषण के दौरान जल एवं खनिज लवण विसरण एवं परासरण की क्रिया द्वारा कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं और वहाँ से ये जाइलम वाहिनियों तक पहुँचाये जाते हैं। वाष्पोत्सर्जन खिंचाव और मूल दाब के कारण जड़ की जाइलम वाहिनियों से पत्तियों के जाइलम वाहनियों तक जल का एक निरंतर स्तम्भ बना रहता है जो रसारोहण की क्रिया द्वारा बनता है । इस प्रकार रसाराहण और अवशोषण की क्रिया परस्पर एक दूसरे की पूरक होती है। अवशोषण के अनुपस्थिति में रसारोहण की क्रिया नहीं हो सकती है ।
प्रश्न 43.
रक्त किस प्रकार से जमता है ?
उत्तर :
रक्त साव के समय रक्त में उपस्थित प्लेटेलेट्स हवा के सम्पर्क में आकर टूटने लगते हैं। इनके दूटने से थ्रम्बोप्लास्टीन (Thromboplastin) नामक इन्जाइम उत्पत्न होता है जो प्लाज्मा प्रोटीन के मोध्रोम्बिन के सम्पर्क में आकर विटामिन K की उपस्थिति में सक्रिय ध्रोम्बिन (Thrombin) नामक इन्जाइम बनाता है। सक्रिय वोम्बिन केल्शियम आयन (Ca++)की उपस्थिति में प्लाज्मा प्रोटीन फाइबिनोजेन (Fibrinogen) को फाइबिन (Fibrin) तन्तुओं में बदल देते हैं । रक्त कणिकाएँ इन फाइब्रिन तन्तुओं के जाल में फस कर रक्त का थक्का (clot) बनाती हैं और रक्त का साव बन्द हो जाता है।
प्रश्न 44.
केशिका गुच्छ कहाँ पाया जाता है? इसका कार्य क्या है?
उत्तर :
केशिका गुच्छ वोमेन सम्मुट में पायी जाती है । परानिस्पन्दन द्वारा गलोमेरूलर निस्पन्दन करना ।
प्रश्न 45.
परजीवी की परिभाषा दें। परजीवी पौथे का एक उदाहरण दें।
उत्तर :
परजीवी (Parasite) : जो अपने भोजन के लिए दूसरे जीवधारी या स्वपोषी पर निर्भर होते हैं, उन्हें परजीवी कहते हैं।
उदाहरण : अमरलता।
प्रश्न 46.
वाष्पोत्सर्जन क्या है ?
उत्तर :
पौधों के वायवीय भागों द्वारा आवश्यकता से अंधिक जल का वाष्प बनकर बाहर निकलने की क्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं।
प्रश्न 47.
मनुष्य के हृदय में दाएँ आलिन्द और दाएँ निलय के बीच स्थित कपाटिका (वाल्व) का नाम लिखिए।
उत्तर :
दाएँ आलिन्द और दाएँ निलय के बीच त्रिदलन कपाट (Tricuspid Valve) रहता है ।
प्रश्न 48.
हिमोग्लोबिन में उपस्थित धात्विक तत्व का नाम क्या है?
उत्तर :
हिमोग्लोबिन में उपस्थित धात्विक तत्व का नाम लोहा है।
प्रश्न 49.
रक्तदान क्या है?
उत्तर :
रक्त दान (Blood Donation) : जरूरत मंद व्यक्तियों (रोगियों) को आवश्यकता पड़ने पर उसे दूसरे व्वस्थ व्यक्तियों का रक्त चढ़ाना पड़ता है । ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति का अपना रक्त दूसरे के प्राण की रक्षा के लिए देना । क्तदान कहलाता है ।
प्रश्न 50.
सीरम क्या है?
उत्तर :
कटे भाग पर रक्त स्वाव बन्द हो जाने पर वहाँ तुन्त संकुचित हो जाते हैं और हल्का पीला द्रव निकलता है, सीरम कहलाता है।
प्रश्न 51.
सामान्य अवस्था में रक्त नलिका में रक्त न जमने के दो कारण लिखिए।
उत्तर :
(i) रक्त में उपस्थित हिपैरिन रक्त को धमनी तथा शिराओं में नहीं जमने देती है।
(ii) रक्त वाहिनियों की भीतरी दोवारें चिकनी होती हैं जिससे रक्त का रूकावट नहीं होता है ।
प्रश्न 52.
माइट्रोकॉन्डिया किसे कहते हैं ?
उत्तर :
माइट्रोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) : यह सभी जन्तु तथा पादप कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में बिखरी दण्डरूपी धागेनुमा, दानेदार या गोल छोटी आकृतियाँ हैं।
प्रश्न 53.
श्वसन अंगों की विशेषता बताएं।
उत्तर : इनकी सतह कोमल और नम होती है। इनकी सतह पर रक्त केशिकाओं का जाल बिछा रहता है। नम रहने के कारण इन पर उपस्थित श्लेष्म (mucous) में ऑक्सीजन घुल जाती है। यह ऑक्सीजन विसरण द्वारा रक्त केशिकाओं के रक्त में प्रवेश कर जाती है।
प्रश्न 54.
वाह्य श्वसन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वाह्य श्वसन (External respiration) : श्वॉसोच्छ्वास क्रिया में बाहरी वातावरण एवं श्वसन अंगों (जैसे फफड़े) के बोच गैसों का आदान-प्रदान होता है। यह क्रिया दो चरणों में सम्पन्न होती है – नि:श्वसन (Inspiration) अर्थात् फफड़ों में वायु का मवेश करना । सांस लेना और उच्छ्वसन (Expiration) अर्थात् फेफड़ों में श्वसन के फलस्वरूप उत्पन्न कार्बन डाई-ऑक्साइड का वहाँ से बाहर वातावरण में निकलना अर्थात् साँस छोड़ना। यह क्रिया वाह्य श्वसन कहलाती है।
प्रश्न 55.
कोशिकीय श्वसन किसे कहते हैं?
उत्तर :
सजीव कोशिकाओं में भोजन के आक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा उत्पन्न होने की क्रिया को कोशिकीय वसन कहते है। यह एक केटाबोलिक क्रिया है जो आक्सीजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति दोनो ही अवस्थाओं में सम्मन्न हो सकतो है।
प्रश्न 56.
क्रेब्स चक्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
यह आक्सी श्वसन की दूसरी अवस्था है। यह आक्सीजन की उपस्थिति में माइटोकोण्ड़या के अन्दर सम्पन्न होती है। इस क्रिया में Pyruvic acid, O2 तथा कुछ एन्जाइम की उपस्थिति में पूर्णरूप से आक्सीकृत होकर CO2 तथा H2O में बदल जाता है। इस क्रिया में अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। इस बरण की क्रियाएँ एक चक के रूप में चलती रहती हैं। इसमें कुछ कार्बनिक अम्ल मध्यवर्ती पदार्थ के रूप में उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 57.
पोषण क्या है ?
उत्तर :
पोषण (Nutrition) : शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करने वाले, टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत करने वाले तथा शारीरिक वृद्धि में सहायता प्रदान करने वाले पोषक तत्वों के म्रहण तथा उनका समुचित उपयोग करने की किया को पोषण कहते हैं।
प्रश्न 58.
स्वांगीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर :
अवशोषित भोजन का जीवद्रव्य में रूपान्तरण स्वांगीकरण कहलाता है।
प्रश्न 59.
प्रकिण्व की परिभाषा लिखें।
उत्तर :
प्रकिणव : ‘एन्जाइम वे घुलनशील कार्बनिक नाइट्रोजन युक्त जैवकि उत्त्रेरक (bio catalyst) हैं, जो जीवित कोशिकाओं द्वारा गठित होकर बहि: स्वावी ग्रंथियों (exo-crine glands) द्वारा सावित होते हैं तथा अपनी उपस्थिति मात्र से रासायनिक क्रियाओं की दर को बढ़ा या घटा देते हैं।”
प्रश्न 60.
मेटाबोलिज्म की परिभाषा लिखें?
उत्तर :
उपापचय (Metabolism) : जीवधारियों के शरीर निर्माण, ऊर्जा उत्पन्न करने एवं अन्य विभिन्न कायों को सम्पन्न करने के लिये उनकी कोशिकाओं में विभिन्न प्रकार की रासायनिक क्रियायें होती रहती हैं। इन्हें उपापचय(Metabolism) कहते है।
प्रश्न 61.
आहार की परिभाषा लिखें?
उत्तर :
वे सभी कार्बनिक पदार्थ जिन्हें ग्रहण करने से शरीर में वृद्धि, पोषण, ऊर्जा की उत्पत्ति तथा शारोरिक क्षात पूर्ति के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होती है, उसे आहार कहते हैं।
प्रश्न 62.
संतुलित आहार की परिभाषा लिखें।
उत्तर :
संतुलित आहार (Balanced diet) : जिस आहार में भोजन के सभी अवयव या सभी पोषक पदार्थ उचित अनुपात में उपस्थित होते हैं उसे संतुलित आहार कहते हैं। बच्चों के लिए दूध (Milk) एक संतुलित आहार है।
प्रश्न 63.
श्वसन सतह की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर :
- श्वसन की सतह पतली होनी चाहिए ।
- सतह का क्षेत्रफल अधिक होना चाहिए ।
- यह O2 और CO2 के लिए पारगम्य होना चाहिए ।
प्रश्न 64.
रूधिर को परिभाषा लिखें?
उत्तर :
रूधिर (रक्त) एक विशेष प्रकार का तरल संयोजी ऊतक है जो खाद्य पदार्थ, ऑक्सीजन, कार्बनड़ाई आक्साइड, हार्मोन्स, खनिज लवण, उत्सर्जी पदार्थ आदि के लिए परिवहन माध्यम का कार्य करता है।
प्रश्न 65.
उत्सर्जन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
उत्सर्जन (Excretion) : सजीवों के शरीर में चयापचयी कियाओं के फलस्वरूप बने हानिकारक वर्ज्य पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।
प्रश्न 66.
श्वसन अंग इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं ?
उत्तर :
श्वसन सजीवों में जीवन को कायम रखने के लिए अत्यन्त ही आवश्यक क्रिया है । इस क्रिया के लिए और इस क्रिया के अन्त में गैसे उत्पन्न होती है (जैसे आक्सीजन गैस और कार्बन डाइ आक्साइड गैस)। इन गैसो को अन्दर करने और बाहर निकालने के लिए श्सवन अंग आवश्यक है।
प्रश्न 67.
स्वपोषित पोषण किसे कहते है।
उत्तर :
इस प्रकार के पोषण में, जोव सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में सरल कार्बनिक पदार्थो जैसे कार्बन ड़ाइ़ांक्साइड और पानी की मदद से अपना भोजन बनाते हैं। हरे पौधों में स्वपोषी पोषण प्रणाली होती है और ऐस जोवों को आँटोटॉप्र्स (Autotrophs) के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 68.
सिस्टोलिथ की परिभाषा लिखो एवं एक उदाहरण दो।
उत्तर :
वनस्पति विज्ञान में, सिस्टोलिथ त्वचीय कोशिकाओं की सतह के ऊपर निर्मित उभार जैसी संरचना को कहते हैं जो कोशिका के भीतर कैल्सियम कार्बोनेट के जमाव के कारण उत्पन्न होती है और आमतौर पर कुछ विशेष प्रकार के पौधों की पत्तियों में पायी जाती है। जैसे – बरगद।
प्रश्न 69.
रेफाइड की परिभाषा लिखो एवं एक उदाहरण दो।
उत्तर :
रेफाइड अरूई, बंडा, जलकुम्भी, सूरन आदि पौधों का उत्सर्जी पदार्थ है जो रवा के रूप में रहता है। केल्सियम आक्जलेट के लम्बे-लम्बे सूई के आकार के ये रवे समूहों में रहते हैं। ये दोनों सिरों पर नुकीले होते हैं। किसी प्रकार यदि कोशिकाओ को हानि पहुँचती है तो रेफाइड तेजी से कोशिका के नुकोले सिरे से बाहर निकल आते हैं।
प्रश्न 70.
ऑरनिथिन चक्र कहाँ चलता है? ADH का पूरा नाम लिखो।
उत्तर :
ऑरनिथिन चक्र यकृत (Liver) में चलता है।
ADH : Antidiuretic Hormone.
प्रश्न 71.
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कहाँ तथा कब होती है ?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पौधों के सभी क्लोरोफिल युक्त कोशिकाओं तथा मिसोफिल ऊत्तक में होती है। यह क्रिया दिन के समय में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होती है।
प्रश्न 72.
प्रकाश संश्लेषण में प्रकाश की क्या भूमिका है ?
उत्तर :
प्रकांश की तीव्रता को बढ़ाने पर प्रकाश संश्लेषण की दर भी बढ़ जाती है। अधिक प्रकाश में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया रुक जाती है। बहुत तीव्र प्रकाश में संश्लेषण के इस प्रकार रुक जाने को सोलराइजेशन कहते हैं।
प्रश्न 73.
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कार्बन स्वांगीकरण की क्रिया कहलाती है, क्यों ?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण क्रिया में कार्बन डाई-आक्साइड का कार्बन एक जटिल पदार्थ अर्थात कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करता है, इसलिए यह क्रिया कार्बन स्वांगीकरण क्रिया कहलाती है।
प्रश्न 74.
प्रकाश संश्लेषण को ऊर्जा परिवर्तन की क्रिया क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण में क्लोरोफिल सौर ऊर्जा को अवशोषित करता है तथा उसे रासायनिक ऊर्जा में बदल देता है जो ग्लूकोज के अणुओं में संचित हो जाता है। इसलिए प्रकाश संश्लेषण को ऊर्जा परिवर्तन की क्रिया भी कहते हैं।’
प्रश्न 75.
परासरण क्या है ? परासरण कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर :
परासरण (Osmosis) : परासरण वह भौतिक क्रिया है जिसमें घोलक के अणुओं का प्रवाह कम सान्द्रता से अधिक सान्द्रता की ओर एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा होता है। परासरण दो प्रकार का होता है – अन्त: परासरण (Endosmosis) तथा बाह्य परासरण (Exosmosis)
प्रश्न 76.
वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन हैं?
उत्तर :
वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक :-
- वायु की आर्द्रता
- तापमान
- वायु
- प्रकाश
- मिट्टी से प्राप्त जल।
प्रश्न 77.
रसारोहण क्या है ?
उत्तर :
रसारोहण (Ascent of Sap) : पौधों की जड़ों के मूलरोमों द्वारा जल तथा इसमें घुलनशील लवणों के घोल को अवशोषण के बाद जाइलम ऊत्तक द्वारा पत्तियों तक पहुँचाने की क्रिया को रसारोहण कहते हैं।
प्रश्न 78.
अवशोषण क्या है?
उत्तर :
अवशोषण (Absorption) : मिट्टी के कणों के बीच उपस्थित कोशिका द्वारा जल को जड़ के मूल रोमों की सहायता से जाइलम वाहिनियों तक पहुँचने की क्रिया को अवशोषण कहते हैं।
प्रश्न 79.
परिवहन से क्या समझते हो ?
उत्तर :
परिवहन (Circulation) : सजीवों के शरीर में होने वाली वह क्रिया जिसमें भोज्य पदार्थ, उत्सर्जी पदार्थ, हार्मोन्स, गैसें तथा अन्य पदार्थ एक द्रव माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाये जाते हैं, उसे परिवहन कहते हैं।
प्रश्न 80.
वाष्पोत्सर्जन और वाष्पीकरण में अन्तर लिखिए।
उत्तर :
वाष्पोर्त्सजन | वाष्पीकरण |
(i) यह क्रिया केवल पौधों में होती है । | (i) यह क्रिया जन्तु और जल के स्रोत की सतह से होती है । |
(ii) यह वाह्य और आन्तरिक कारक से प्रमाणित है | (ii) यह केवल बाहरी कारक से प्रमाणित है । |
प्रश्न 81.
वाष्पोत्सर्जन पौधों के लिए आवश्यक बुराई है ।
उत्तर :
जल पौधों के लिए अति आवश्यक है । वाष्पोत्सर्जन की क्रिया जल को पौधे के शरीर से बाहर निकालता है। इसके बावजूद भी यह क्रिया पौधों के लिए आवश्यक है क्योंकि जड़ से जल इसी क्रिया की सहायता से पत्तियों तक पहुँचता है। स्टोमेटा के खुलने एवं बंद होने में यह क्रिया सहायक है ।
प्रश्न 82.
फ्लोएम किसे कहते हैं ? इसका क्या कार्य है ?
उत्तर :
फ्लोएम (Phloem) : फ्लोएम एक जटिल ऊत्तक है। यह फ्लोएम पैरेनकाइमा, फ्लोएम तन्तु, चालनी नलिकाएँ तथा सह-कोशिकाओं द्वारा निर्मित होता है ।
कार्य : फ्लोएम का मुख्य कार्य पत्तियों में निर्मित खाद्य पदार्थों को पौधों के विभित्र भागों तक स्थानान्तरित करना है।
प्रश्न 83.
जाइलम क्या है ? जाइलम का क्या कार्य है ?
उत्तर :
जाइलम (Xylem) : जाइलम ट्रैकि, ट्रैकिड्स, जाइलम तन्तु तथा जाइलम पैरेनकाइमा द्वारा निर्मित एक जटिल ऊत्तक है।
कार्य : जाइलम का मुख्य कार्य मूल रोमों द्वारा अवशोषित जल तथा खनिज लवणों को पत्तियों तक पहुँचाना है।
प्रश्न 84.
आक्सी श्वसन क्या है ?
उत्तर :
आक्सी श्वसन (Aerobic respiration) : श्वसन की वह क्रिया जो आक्सीजन की उपस्थिति में होती है, उसे आक्सी श्वसन कहते हैं। इसमें भोज्य पदार्थ के पूर्ण आक्सीकरण के फलस्वरूप CO2 तथा H2O बनता है तथा अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
प्रश्न 85.
अनाक्सी श्वसन क्या है ?
उत्तर :
अनाक्सी श्वसन (Anaerobic respiration) : श्वसन की क्रिया जो आक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है, उसे अनाक्सी श्वसन कहते हैं। इस क्रिया में भोज्य पदार्थ का पूर्ण आक्सीकरण नहीं होता है तथा कम मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
प्रश्न 86.
दहन क्या है ?
उत्तर :
दहन (Combustion) : दहन वह भौतिक क्रिया है जिसे कोई पदार्थ आक्सीजन की उपस्थिति में जलकर बहुत अधिक मात्रा में ताप व प्रकाश उत्पन्न करता है। इस क्रिया के लिए किसी विकर (Enzyme) की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे – लकड़ी, कोयला आदि का जलना।
प्रश्न 87.
श्वसन को अपचयी क्रिया क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
श्वसन को एक विनाशकारी क्रिया (Catabolic process) कहते है, क्योंकि श्वसन क्रिया में जटिल पदार्थ का आक्सीकरण होता है तथा सरल यौगिको का निर्माण होता है।
प्रश्न 88.
जन्तुओं तथा पौधों में परिवहन का माध्यम क्या है ?
उत्तर :
जन्तुओं में परिवहन का माध्यम जल, रक्त्तथा लसिका एवं पौधों में परिवहन का माध्यम जल है।
प्रश्न 89.
पोषक पदार्थ क्या है ?
उत्तर :
पोषक पदार्थ (Nutrients) : ऐसे सभी पदार्थ जो सजीवों की विभिन्न जैविक क्रियाओं के संचालन के लिए आवश्यक हैं, उन्हें पोषक पदार्थ कहते हैं। जैसे – जल, विटामिन, खनिज लवण।
प्रश्न 90.
खुला परिवहन से क्या समझते हो ?
उत्तर :
खुला परिवहन (Open circulation) : परिवहन की वह विधि जिसमें रक्त, रक्त वाहिनियों द्वारा जन्तु शरीर में उपस्थित अनियमित स्थानों में पहुँचा दिया जाता है जहाँ से यह कोशिकाओं के सीधे सम्पर्क में आ जाता है, उसे खुला परिवहन कहते हैं। टिड्डा, झिंगा, तिलचट्टा आदि में खुला परिवहन होता है।
प्रश्न 91.
भोजन क्या है ?
उत्तर :
भोजन (Food) : वे कार्बनिक पदार्थ जिनसे सजीवों को ऊर्जा प्राप्त होती है तथा शरीर में वृद्धि, पोषण तथा नये ऊत्तकों का निर्माण होता है, उसे भोजन कहते हैं।
प्रश्न 92.
रक्त चाप क्या है ?
उत्तर :
रक्त चाप (Blood Pressure) : धमनियों के अन्दर प्रवाहित होने वाला रक्त धमनियों की दीवार पर दबाव डालता है। इस दबाव को रक्त चाप कहते हैं।
प्रश्न 93.
मृतोपजीवी क्या है ?
उत्तर :
मृतोपजीवी (Saprophyte): वे पौधे जो सड़े-ग्ले कार्बनिक पदार्थ पर उगकर उनसे अपना भोजन ग्रहण करते है, उन्हे मृतोपजीवी कहते है। जैसे – यीस्ट, म्यूकर, पेनिसिलियम आदि।
प्रश्न 94.
प्रतिरक्षा क्या है ?
उत्तर :
प्रतिरक्षा (Immunity) : हानिकारक सूक्ष्म जीवों तथा अन्य विषैले पदार्थों के हानिकारक प्रभाव से बचने की स्वयं की क्षमता को प्रतिरक्षा कहते हैं।
प्रश्न 95.
जन्तुओं में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया क्यों नहीं होती है ? कुछ ऐसे जन्तु का नाम बताओ जिनमें प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है ?
उत्तर :
जन्तुओं में क्लोरोफिल के अभाव के कारण इनमें प्रकाश संश्लेषण की किया नहीं होती है, परन्तु यूग्लिना (Euglena), क्रिस अमीबा (Chrysamoeba) नामक जन्तुओं की कोशिकाओं में क्लोरोफिल पाये जाने के कारण इनमें प्रकाश संश्लेषण की किया होती है।
प्रश्न 96.
श्वसन के बिना सजीव जीवित क्यों नहीं रह सकते ?
उत्तर :
श्वसन किया में भोज्य पदार्थो के आक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है। सभी सजीवों की जैविक क्रियाओ को सुचारु रूप से चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। बिना ऊर्जा के सजीव अपनी जैविक क्रिया नहीं चला सकते हैं। जैविक क्रिया नहीं चल पाने के कारण इनकी मृत्यु हो जायेगी। अतः सजीवों को जीवित रहने के लिए श्वसन अति आवश्यक है।
प्रश्न 97.
अन्तःश्वसन तथा नि:श्वसन से क्या समझते हैं ?
उत्तर :
अन्तःश्वसन (Inspiration) : वातावरण से वायु का श्वाँस अंगों के अन्दर जाने की क्रिया को अन्तः श्वसन कहते हैं।
निःश्वसन (Expiration) : श्वसन अंगों में उपस्थित वायु का बाह्म वातावरण में निकलने की क्रिया को निःश्वसन कहते हैं।
प्रश्न 98.
रक्त लयन (Hoemolysis) क्या है ?
उत्तर :
यह रक्त दूषण की एक प्रक्रिया है । इसके कारण रक्त के लाल रक्त कणिका से हीमोग्लोबिन मुक्त होने लगती है ।
प्रश्न 99.
क्रेब्स चक्र का महत्व क्या है ?
उत्तर :
केब्स चक्र का महत्व :-
- क्रेब्स चक्र जटिल यौगिकों का विघटन कर CO2 गैस मुक्त करती है।
- यह कोशिका का पारसरिक परिवर्तन केन्द्र है।
- यह इलक्ट्रान के स्थानान्तरण के लिए इलेक्ट्रान्स को अपचयन शक्ति प्रदान करता है।
प्रश्न 100.
रक्त क्या है ? रक्त में उपस्थित कणिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
रक्त (Blood) : रक्त गाढ़े लाल रंग का तरल संयोजी ऊत्तक है। यह भोज्य पदार्थ, आक्सीजन, कार्बन-डाईआक्साइड, हार्मोन्स, खनिज लवण, उत्सर्जी पदार्थ आदि के लिए परिवहन माध्यम का कार्य करता है। रक्त में उपस्थित कणिकाएँ R. B. C. W.B.C तथा रक्त बिम्बाणु हैं।
प्रश्न 101.
श्वसन की परिभाषा और इसका समीकरण लिखिए।
उत्तर :
श्वसन (Respiration) : जीवित कोशिकाओं में जटिल भोज्य पदार्थ का वायुमण्डलीय O2 द्वारा आक्सीकृत होंकर सरल पदार्थों में विधटित हो जाने तथा ऊर्जा मुक्त होने की क्रिया श्वसन कहलाती है।
श्वसन का समीकरण :- C6H12O6+6O2=6H2O+6 CO2+674Kg cals
प्रश्न 102.
लाल रक्त कणिका का वैज्ञानिक नाम बताइए और इसका कार्य लिखिए ।
उत्तर :
लाल रक्त कणणिका का वैज्ञानिक नाम Erythrocyte है।
लाल रक्त कणिका के कार्य :-
- यह आक्सीजन तथा कार्बन डाई-आक्साइड के परिवहन में सहायता करता है।
- यह रक्त में अम्ल क्षार के संतुलन को नियंत्रित करता है।
प्रश्न 103.
रक्त का जमना से क्या समझते हो ?
उत्तर :
शरीर के किसी अग के कटने से रक्त शरीर से निकलने लगता है। जिस प्रक्रिया से रक्त नलिकाओं के कटे भाग से प्रवाहित तरल रक्त अर्द्ध ठोस जेली के समान रचना में बदलकर अपना प्रवाह खो देता है, उस क्रिया को रक्त का जमना कहते है।
प्रश्न 104.
रक्त के कार्य क्या हैं ?
उत्तर :
रक्त के कार्य :-
- पोषक तत्वों को शरीर के अन्य भागों में पहुँचाना।
- O2 को ले जाना।
- CO2 को विभिन्न अंगों से एकत्र कर श्वसन अंग में पहुँचाना।
- उत्सर्जन में सहायता करना।
प्रश्न 105.
हिमोग्लोबिन क्या है ? इसका कार्य क्या है ?
उत्तर :
हिमोग्लोबिन लौह युक्त प्रोटीन से बना एक श्वसन वर्णक है। यह 4% लोह तथा 96% ग्लोबिन से गठित होता है। इसकी उपस्थिति के कारण रक्त का रंग लाल होता है। यह सभी मेरूदण्डी प्राणी के लाल रक्त कणिका में तथा अमेरूप्रण्डी प्राणी के प्लाज्मा में पाया जाता है। कार्य :- इसका मुख्य कार्य O2 तथा CO2 का परिवहन करना है।
प्रश्न 106.
एण्टिजेन तथा एण्टिबॉड़ी क्या है ?
उत्तर :
एणि्टिजे (Antigen) : शरीर में उपस्थित या बाहर से प्रवेश करने वाले शरीर के लिए हानिकारक रोगाणुओं को एण्टिजन कहते हैं।
एण्टिबॉडी (Antibody) : रक्त के प्लाज्मा में उपस्थित उन यौगिकों को जो हानिकारक बाहरी पदार्थों के प्रभाव को निष्किय कर शरीर को स्वस्थ रखते हैं, उन्हें एण्टिबॉडी कहते हैं।
प्रश्न 107.
परजीवी पोषण से क्या समझते हो ?
उत्तर :
परजीवी पोषण (Parasitic Nutrition) : पोषण की वह विधि जिसमें पौधे आवश्यक पोषक पदार्थ किसी दूसरे पोधे या जन्तुओं द्वारा प्राप्त करते है, उसे परजीवी पोषण कहते हैं। जैसे – कस्कूटा, लोरेन्धस आदि।
प्रश्न 108.
अति आवश्यक तत्व से क्या समझते हो ?
उत्तर :
अति आवश्यक तत्व (Marco elements) : वे तत्व जो पौधों तथा जन्तुओं के लिए अति आवश्यक तथा अधिक मात्रा में उपयोग किये जाते हैं तथा जिनकी कमी से विभिन्न प्रकार के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं उन्हें अति आवश्यक तत्व कहते हैं।
इनमें 6 प्रमुख हैं – Ca, Na, Mg, K, P, Cl
प्रश्न 109.
पौधों में परिवहन कितने प्रकार का होता है ।
उत्तर :
पौधों में परिवहन दो प्रकार का होता है –
- निष्क्रिय परिवहन (Passive transport)
- सक्रिय परिवहन (Active transport) ।
प्रश्न 110.
निष्क्रिय परिवहन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस परिवहन में ऊर्जा का उपयोग नहीं होता है, उसे निष्क्रिय परिवहन कहते हैं । जैसे – परासरण, विसरण ?
प्रश्न 111.
सक्रिय परिवहन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
परिवहन की उस विधि को जिसमें कोशिकाओं में उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग किया जाता है उसे सक्रिय परिवहन कहते हैं । जैसे भूमि के जल से लवणों के आयन्स को खींच कर जाइलम में ले आना ।
प्रश्न 112.
आक्सीश्वसन की क्रिया कितनी अवस्थाओं में पूरी होती है ?
उत्तर :
आक्सीश्वसन की क्रिया तीन अवस्थाओं में पूरी होती है –
- ग्लाइकोलिसिस
- क्रेब्स चक्र
- टरमिनल श्वसन
प्रश्न 113.
अनाक्सीश्वसन की क्रिया कितनी अवस्थाओं में पूरी होती है ?
उत्तर :
अनाक्सीश्वसन की क्रिया दो अवस्थाओं में पूरी होती है –
- ग्लाइकोलिसिस
- अल्कोहल का निर्माण
प्रश्न 114.
किण्वन (fermentation) किसे कहते है । इस क्रिया के स्थान एवं प्रकार बताइए।
उत्तर :
किण्वन : सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति में जटिल कार्वनिक योगिकों को विघटित होकर सरल यौगिकों को उत्पन्न करनेवाली क्रिया को किण्वन कहते है।
किण्वन का स्थान : यह क्रिया चीनी के घोल में यीष्ट की उपस्थिति में होती है ।
किण्वन के प्रकार : यह क्रिया चार प्रकार के होती है –
- अल्कोहलिक किण्वन
- लैक्टिक अम्ल किन्वन
- व्यूट्रिक अम्ल किन्वन
- एसिटिक अम्ल किन्वन।
प्रश्न 115.
अनाक्सी श्वसन और किणवन के अन्तर बताइए ।
उत्तर :
अनाक्सी श्वसन | किण्वन |
(i) यह क्रिया सूक्ष्म वर्ग के जीवों की कोशिका में होता है। | (i) यह क्रिया कार्बनिक यौगिकों के घोल में होती है । |
(ii) यह एक जैव रासायनिक क्रिया है । | (ii) यह एक रासायनिक क्रिया है |
प्रश्न 116.
फ्ति में इन्जाइम नहीं है फिर भी यह पाचन की क्रिया में सहायक है । कैसे ?
उत्तर :
पित्त में लवण पाये जाते हैं। ये वसा को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँटने में मदद करते हैं । ये लाइपेज को सक्रिय भी करते हैं। पित्त की प्रकृति क्षारीय है। इसलिये ये अम्लीय भोजन को उदासीन करती है । इन्हीं कारणों से फ्ति पाचन के लिए आवश्यक है ।
प्रश्न 117.
वयस्कों के लिए दूध संतुलित आहार नहीं है – क्यों ?
उत्तर :
- दूध में जल की मात्रा अधिक है
- इसमें आयरन की कमी है ।
- इसमें विटामिन C का अभाव है।
- इसमें उपस्थित प्रोटीन का शिघ्रता से पाचन नहीं होता है।
प्रश्न 118.
वासा वैसोरम (Vasa Vasorum) किसे कहते है ?
उत्तर :
रक्त वाहिनियों के दीवाल में आवश्यक तत्वों के लिए बारीक रक्त वाहिनियों का जाल होता है। इनके रक्त की आपूर्ति को वासा वैसोरम कहते हैं।
प्रश्न 119.
मानव जीवन के लिए रक्त इतना आवश्यक क्यों है ?
उत्तर :
मनुष्य के शरीर में रक्त परिवहन का माध्यम है । यह सभी कोशिकाओं को आवश्यक पदार्थो की आपूर्ति करता है और कोशिकाओं में बने वर्जों पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
प्रश्न 120.
रक्तदान के बारे में लोगों की गलत धारणायें क्या है और इसकी वैज्ञानिक स्थिति क्या है ?
उत्तर :
रक्तदान के बारे में लोगों की धारणा यह है कि रक्त देने से वह व्यक्ति कमजोर हो जायेगा। उसके शररीर में रक्त की कमी हो जायेगी। वह बिमार रहने लगेगा।
रक्तदान के बारे में वैज्ञानिकों का विश्लेषण एवं सुझाव :
- इससे हदय को लाभ मिलता है।
- यह कैंसर के खतरे को कम करता है ।
- लाल रक्त कणिका के उत्पादन की दर में वृद्धि होती है।
- कोलेस्ट्राल का स्तर कम होने लगता है।
- रक्त दान करने वाला व्यक्ति अपने को स्वस्थ समझने लगता है। वह प्रसत्र रहने लगता है ।
प्रश्न 121.
प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन में अन्तर बताइ
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) | श्वसन (Respiration) |
(i) प्रकाश संश्लेषण एक रचनात्मक क्रिया है। | (i) श्वसन एक विनाशकारी क्रिया है। |
(ii) यह क्रिया पौधों की हरी कोशिकाओं में होती है। | (ii) श्वसन की क्रिया सभी जीवित कोशिका |
(iii) इस क्रिया में ऊर्जा का उपयोग होता है। | (iii) श्वसन क्रिया में ऊर्जा मुक्त होती है। |
प्रश्न 122.
श्वसन तथा दहन में अन्तर बताइये।
उत्तर :
श्वसन (Respiration) | दहन (Combustion) |
(i) श्वसन की क्रिया जीवित कोशिका में होती है। | (i) दहन की क्रिया निर्जीव वस्तुओं में होती |
(ii) श्वसन कार्बनिक रासायनिक क्रिया है। | (ii) दहन अकार्बनिक भौतिक रासायनिक |
(iii) इस क्रिया के लिए निम्न तापमान की आवश्यकता होती है। | (iii) इस क्रिया के लिए उच्च तापमान की होती है। |
(iv) इस क्रिया में केवल उष्मा उत्पन्न होती है । | (iv) इस क्रिया में उष्मा तथा प्रकाश दोनों |
(v) इस क्रिया में ATP का निर्माण होता है। | (v) इस क्रिया में ATP का निर्माण नहीं हो |
प्रश्न 123.
आक्सी श्वसन तथा अनाक्सी श्वसन में अन्तर बताइये।
उत्तर :
आक्सी श्वसन (Aerobic Respiration) | अनाक्सी श्वसन (Anaerobic Respiration) |
(i) आक्सी श्वसन की क्रिया आक्सीजन की उपस्थिति में होती है। | (i) अनाक्सी श्वसन की क्रिया आक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है। |
(ii) इस क्रिया में भोज्य पदार्थ का पूर्ण आक्सीकरण होता है। | (ii) इस क्रिया में भोज्य पदार्थ का पूर्ण आक्सीकरण नहीं होता है। |
(iii) इस क्रिया में अधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। | (iii) इस क्रिया में कम मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। |
(iv) यह क्रिया उच्च वर्ग के जीवों में होती है। | (iv) यह क्रिया निम्न वर्ग के जीवों में होती है। |
(v) इस क्रिया में ATP के 38 अणु बनते हैं। | (v) इस क्रिया में ATP के दो अणु बनते हैं। |
प्रश्न 124.
क्रेब्स चक्र तथा ग्लाइकोलाइसिस में अन्तर बताइये।
उत्तर :
क्रेब्स चक्र (Kreb’s Cycle) | ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) |
(i) यह आक्सी श्वसन की दूसरी अवस्था है। | (i) यह आक्सी श्वसन की प्रथम अवस्था है। |
(ii) यह माइटोकोण्ड्रया में होती है | (ii) यह कोशिका द्रव्य में होती है। |
(iii) यह O2 की उपस्थिति में होती है। | (iii) यह O2 की अनुपस्थिति में होती है। |
(iv) इस क्रिया में अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। | (iv) इस क्रिया में कम ऊर्जा उत्पन्न होती है। |
(v) इस क्रिया का अन्तिम उत्पन्न पदार्थ जल तथा CO2 है। | (v) इस क्रिया का अन्तम उत्पन्न पदार्थPyruvic acid है। |
प्रश्न 125.
खुला परिवहन तथा बन्द परिवहन में अन्तर बताइये।
उत्तर :
खुला परिवहन (Open Circulation) | बन्द परिवहन (Closed Ciculation) |
(i) यह परिवहन की एक सरल विधि है। | (i) यह परिवहन की एक विकसित विधि है। |
(ii) इस परिवहन में रक्त कोशिका ऊत्तक के सीधे सम्पर्क में आती है। | (ii) इस परिवहन में रक्त, रक्त वाहिनियों द्वारा ऊत्तक से अलग रहता है। |
(iii) इसमें हमेशा मिश्रित रक्त प्रवाहित होता है । | (iii) इसमें शुद्ध तथा अशुद्ध रक्त अलग-अलग रहता है। |
(iv) इस क्रिया में रक्त हृदय में वापस देहगुहा द्वारा आता है। | (iv) इस क्रिया में रक्त हृदय में रक्त वाहिनियों द्वारा वापस आता है। |
प्रश्न 126.
धमनी तथा शिरा में अन्तर बताइये।
उत्तर :
धमनी (Artery) | शिरा (Vein) |
(i) धमनी द्वारा शुद्ध रक्त का परिवहन होता है। | (i) शिरा द्वारा अशुद्ध रक्त का परिवहन होता है। |
(ii) धमनी में कपाट नहीं पाया जाता है। | (ii) शिरा में कपाट पाया जाता है। |
(iii) धमनी की दीवार मोटी होती है। | (iii) शिरा की दीवार पतली होती है। |
(iv) धमनी के अन्दर रक्त का प्रवाह बहुत तेज होता है। | (iv) शिरा के अन्दर रक्त का प्रवाह धीमी गति से होता है। |
विवरणात्मक प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS
प्रश्न 1.
प्रकाश संश्लेषण का महत्व बताइये।
अथवा, प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से जन्तु जगत किस प्रकार लाभान्वित होता है?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण का महत्व :
(i) भोज्य पदार्थ का निर्माण :- प्रकाश संश्लेषण द्वारा ग्लूकोज का निर्माण होता है। ग्लूकोज से अन्य कार्बनिक पदार्थों जैसे – वसा, प्रोटीन, स्टार्च आदि का निर्माण होता है जो जीवों के लिए भोज्य पदार्थ के काम आते हैं।
(ii) ऊर्जा के स्रोत : ऊर्जा का मुख्य स्रोत सूर्य है। प्रकाश संश्लेषण के दौरान प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण होता है और यह ऊर्जा इस प्रक्रिया के द्वारा कार्बनिक यौगिकों में रासायनिक ऊर्जा के रूप में संग्रहीत हो जाती है। सभी जीव अपनी जैविक क्रिया को पूरा करने के लिए ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
(iii) O2 तथा CO2 का संतुलन : प्रकाश संश्लेषण क्रिया के दौरान कार्बन डाई-आक्साइड प्रहण की जाती है तथा आक्सीजन मुक्त होती है। सभी जीव श्वसन क्रिया में आक्सीजन ग्रहण करते हैं तथा कार्बन-डाई आक्साइड छोड़ते हैं। लकड़ी, कोयला तथा पेट्रोलियम पदार्थ आदि के जलने से CO2 की एक बड़ी मात्रा वायुमण्डल में आ जाती है। प्रकाश संश्लेषण क्रिया में इन गैसों का आदान-प्रदान होता रहता है जिससे वायुमण्डल में O2 तथा CO2 का संतुलन बना रहता है।
(iv) मानव उपयोग तथा अन्य वस्तुओं का स्रोत : मानव जीवन में प्रकाश संश्लेषण का बहुत महत्व है। ईधन, वस्त्र, दवा, मकान तथा फर्नीचर आदि का निर्माण पौधों द्वारा ही होता है।
प्रश्न 2.
आक्सी श्वसन तथा अनाक्सी श्वसन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
आक्सी श्वसन (Aerobic Respiration) : श्वसन की वह विधि जो आक्सीजन की उपस्थिति में होती है, आक्सी श्वसन कहलाती है। इस श्वसन में भोज्य पदार्थ का पूर्ण आक्सीकरण होता है तथा अधिक मात्रा में ( 686k. cal) ऊर्जा मुक्त होती है। श्वसन की यह क्रिया उच्च वर्ग के पौधों तथा जीवों में होती है। जिन जीवधारियों में यह श्वसन की क्रिया होती है, उन्हें Aerobic कहा जाता है।
C6H12O6+6O2=6 CO2+6 H2O+686 K cal ऊर्जा
अनाक्सी श्वसन (Anaerobic Respiration) : श्वसन की वह विधि जो आक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है अनाक्सी श्वसन कहलाती है। इस श्वसन में भोज्य पदार्थ का पूर्ण आक्सीकरण नहीं होता है। इसमें ऊर्जा को कम मात्रा
मुक्त होती है। श्वसन की यह क्रिया निम्न वर्ग के पौधों तथा निम्न श्रेणो के जन्तुओं जैसे – मोनोसिस्टिस, स्केरिस आदि में होती है। जिन जीवधारियों में यह श्वसन की क्रिया होती है उन्हें An-aerobes कहते हैं।
प्रश्न 3.
उत्सर्जन क्या है ? पौथों में उत्सर्जन की क्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
उत्सर्जन (Excretion): सजीवों के शरीर में मेटाबोलिज्म क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न वर्ज्य पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना उत्सर्जन कहलाता है।
पौधों में उत्सर्जन क्रिया : पौधों में कोई विशेष उत्सर्जी अंग नहीं होता है। ये अपने उत्सर्जी पदार्थो को निम्नलिखित विधियों द्वारा बाहर निकालते है :-
(i) पत्तियों का झड़ना : कुछ पौधों के उत्सर्जी पदार्थ पर्ण फलक आधार पर जमा रहते हैं। ये पत्तियाँ धीरे-धौरे पीली पड़कर पौधों से अलग हो जाती हैं। जब पत्तियाँ टूटती हैं तो उत्सर्जी पदार्थ भी अलग हो जाते हैं।
(ii) छालों का अलग होना : कुछ पौधों की छालों की कोशिकाओं में उत्सर्जी पदार्थ पाये जाते हैं। जब ये छाल पौधों से छूटकर अलग हो जाती है तो उत्सर्जी पदार्थ भी अलग हो जाता है। जैसे – अमरूद, अर्जुन आदि।
(iii) फलों का गिरना : नीबू, इमली, सेब आदि में साइट्रिक अम्ल, टारटेरिक अम्ल तथा मौलिक अम्ल आदि उत्सर्जी पदार्थों के रूप में जमा रहते है जो फलों के गिरने के साथ-साथ पौधो से अलग हो जाते हैं।
(iv) लैटेक्स द्वारा : रबर, युफोब्रिया आदि पौधे दूष जैसा सफेद, चिपचिपा जल में घुलनशील पदार्थ उत्पन्न करते हैं जिसके माध्यम से उत्सर्जी पदार्थ अलग होता है।
(v) फूलों का गिरना : कुछ पौधों के उत्सर्जी पदार्थ फूलों में जमा रहते हैं जो फूलों के झड़ने के साथ-साथ पौधों से अलग हो जाते हैं। उत्सर्जी पदार्थ के कारण ही फूलो में सुगन्ध होता है।
(vi) रेजिन द्वारा : पाइन, देवदार आदि पौधों के तना, शाखाओं तथा पत्तियों के रेजिन नलिकाओं में एक प्रकार का पीले रंग का उत्सर्जी पदार्थ जमा रहता है जिसे रेजिन कहते हैं। रेजिन नली को काटकर या इसमें छिद्र करके रेजिन बाहर निकाला जाता है।
प्रश्न 4.
उत्सर्जी पदार्थ क्या है ? पौधों के नाइट्रोजनविहीन उत्सर्जी पदार्थों के नाम तथा उनका आर्थिक महत्व बतायें।
उत्तर :
उत्सर्जी पदार्थ (Excretory Product) : सजीवों के शरीर में केटाबोलिक क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पत्र अनुपायोगी पदार्थों को उत्सर्जी पदार्थ कहते हैं।
पौधों के नाइट्रोजनविहीन उत्सर्जी पदार्थो के नाम तथा उनका आर्थिक महत्व निम्नलिखित हैं :-
(i) गोंद (Gum) : म्रोत : बबुल, आम, सैजन, कटहल, नीम आदि पौधे।
आर्थिक महत्व :
- दवाओं के निर्माण में गोंद का उपयोग होता है।
- काठ उद्योग, पौष्टिक पदार्थों के निर्माण तथा कागज को चिपकाने में गोंद का उपयोग होता है।
- रेजिन (Resin) : स्रोत : यह देवदार, चीड़ आदि के तने से प्राप्त होते हैं।
आर्थिक महत्व :
- रंग, पेन्ट आदि के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
- जल निरोधक के रूप में उपयोग किया जाता है।
(iii) लैटेक्स (Latex) : स्रोत : बरगद, पीपल, पपीता, रबर, मदार, कटहल, आकन्द मनसा आदि पौधों की पत्तियों तथा तने में पाया जाता है।
आर्थिक महत्व :
- व्यापारिक तौर पर रबर उद्योग में उपयोग किया जाता है।
- विद्युत निरोधक के निर्माण में उपयोग होता है।
(iv) टैनिन (Tanin) : स्रोत : चाय की पत्ती, इमली, बहेरा आदि पौधों के फलों से प्राप्त होता है।
आर्थिक महत्व :
- बमड़ा उद्योग में उपयोग किया जाता है।
- रंग बनाने, औषधि निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है।
(v) कार्बनिक अम्ल (Organic acid) : स्रोत : सेब, नींबू, अंगूर, गत्रे आदि के रस में पाया जाता है।
आर्थिक महत्व :
- दवाओं के निर्माण में।
- विभिन्न शिल्प उद्योग में इसका उपयोग किया जाता है।
(vi) सुगंधित तेल (Perfumed Oil) : स्रोत : गुलाब, जूही, गेंदा, चमेली, चम्पा आदि पौधों की पत्तियों तथा फूलों से प्राप्त होता है।
आर्थिक महत्व :
- सुगन्धित साबुन, औषधि तथा विभिन्न प्रसाधन सामग्री के निर्माण में इसका उपयोग होता है।
(vii) खनिज लवण (Minerals) : बरगद की पत्तियों पर अंगूर के गुच्छे के रूप कैल्शियम कार्बोनेट के रवे पाये जाते हैं, जिन्हें सिस्टोलिथ (Cystolith) कहते हैं।
कैल्शियम आक्जेलेट के रवे सूई के आकार में कच्चू, ओल, सूरन आदि पौधों से प्राप्त होता है,
आर्थिक महत्व : औषधि के निर्माण में इनका उपयोग होता है।
प्रश्न 5.
उत्सर्जन का महत्व क्या है ?
उत्तर :
उत्सर्जन का महत्व : सजीवों में उत्सर्जन के निम्नलिखित महत्व हैं :-
- शरीर की रक्षा : शरीर से दूषित तथा हानिकारक पदार्थो के उत्सर्जन से शरीर स्वस्थ तथा निरोग रहता है।
- जीवद्रव्य की रक्षा : सजीवों में मेटाबोलिक क्रियायें कोशिकाओं के जीवद्रव्य में सम्पन्न होती है। इन मेटाबोलिक क्रियाओं के फलस्वरूप हानिकारक एवं वज्य पदार्थ उत्पन्न होते हैं। इन वर्ज्य पदार्थों को शरीर से बाहर नहीं निकालने पर मेटाबालिक क्रियायें बन्द होने लगती हैं तथा कोशिकाओं की मृत्यु होने की सम्भावना रहती है। अतः जीवद्रव्य की रक्षा के लिए इन दूषित पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना आवश्यक है।
- संतुलन : सजीव द्वारा अपने पोषण के लिए प्रकृति से विभित्र प्रकार के पदार्थों को ग्रहण किया जाता है। उत्सर्जन क्रिया द्वारा अनेक पदार्थ शरीर से बाहर निकलकर प्राकृतिक संतुलन को बनाये रखते हैं।
जैसे — O2 का ग्रहण तथा CO2 का त्याग।
प्रश्न 6.
पौधे तथा जन्तुओं के मुख्य उत्सर्जी पदार्थों के नाम बताओ।
उत्तर :
पौधों के नाइट्रोजन विहीन उत्सर्जी पदार्थ (Non-nitrogenous excretory produts of plants):
- गोंद (Gum)
- रेजिन (Resin)
- लैटेक्स (Latex)
- टैनिन (Tanin)
- कार्बनिक अम्ल (Organic acid)
- सुगन्धित तेल (Perfumed oil), खनिज रवे (Mineral crystals),
- इटिओलिन (Etioline)
पौधों के नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जी पदार्थ (Nitrogenous excretory products of plants) :
- क्वीनिन (Quinine),
- निकोटीन (Nicotine)
- कैफिन (Caffine)
- रिसर्पिन (Reserpine)
- मारफिन (Morphine)
- एट्रोपिन (Atropine)
- डेटुरिन (Daturine)
- स्ट्रिकनिन (Strychnine)
- थीन (Theine)
जन्तुओं के उत्सजी पदार्थ :
A. प्रोटीन के विघटन से बने उत्सर्जी पदार्थ :-
- यूरिया (Urea),
- यूरिक अम्ल (Uric acid)
- अमोनिया (Ammonia)
B. कार्बोहाइड्रेट के विघटन से बने वर्ज्य पदार्थ :- CO2 और H2O
प्रश्न 7.
अनॉक्सी एवं ऑक्सी श्वसन में तीन अन्तर लिखिए। सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक क्यों है ?
उत्तर :
अनॉक्सी एवं ऑक्सी श्वसन में अन्तर :
ऑक्सी श्वसन (Aerobic repiration) | अनॉक्सी श्वसन (Anaerobic respiration) |
(i) ऑक्सी श्वसन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है। | (i) अनॉक्सी श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। |
(ii) इस क्रिया द्वारा भोज्य पदार्थों का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है। | (ii) इस क्रिया द्वारा भोज्य पदार्थों का पूर्ण ऑक्सीकरण नहीं होता है। |
(iii) यह श्वसन क्रिया उच्च वर्ग के जीवों में होती है। | (iii) यह श्वसन क्रिया निम्न वर्ग के जीवों में होती है। |
सिगरेट के सेवन से फेफड़े ठीक ढंग से अपना कार्य सम्पन्न नहीं कर पाते। अधिक समय तक उपयोग करने पर फेफड़ों का कैंसर (Cancer) जैसी असाध्य बीमारियाँ हो जाती हैं जिससे निदान पाना मुश्किल हो जाता है।
प्रश्न 8.
जंक्शनल उत्तक क्या है ? S.A Node एवं A.V. Node के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर :
जंक्शनल उत्तक : हृदय में उपस्थित विभिन्न प्रकार की रूपान्तरित पेशियाँ पायी जाती हैं जिनके प्रसारण या संकुचन के फलस्वरूप हृदय में गति या स्पन्दन उत्पन्न होता है। इन पेशियों को जंक्शनल उत्तक कहते हैं।
S.A. Node (Sino atrial node) : यह हृदय गति का प्रधान संचालक अंग है। यह दाहिने आलिन्द के ऊपर तथा महाधमनी (Aorta) के समीप स्थित रहता है। यह प्रति मिनट 70 से 80 बार स्पन्दन करता है तथा हृदय की गति को नियंत्रित करता है। अत: इसे पेसमेकर (Pacemaker) कहते हैं।
A.V. Node (Atrio ventricular node) : कोरोनरी साइनस (Coronary sinus) के निकट तथा अन्त: आलिन्द की सतह के पीछे स्थित रहता है। यह S.A. Node के स्पन्दन को ग्रहण कर स्वयं प्रतिमिनट 40 से 60 बार कम्पन करता है।
प्रश्न 9.
एल्केलॉयड क्या है ? कुछ प्रमुख एल्केलॉयड के स्रोत तथा उपयोग बताइये ?
उत्तर :
एल्केलॉयड (Alkaloid) : पौधों के नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जी पदार्थ जिनका निर्माण कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन तथा नाइट्रोजन से होता है, उन्हें एल्केलॉयड कहते हैं। कुछ प्रमुख एल्केलॉयड के स्रोत तथा उपयोग :-
एल्केलॉयड के नाम | स्रोत | उपयोग |
1. क्वीनिन (Quinine) | सिनकोना पेड़ की छालों से | मलेरिया बुखार की दवा के निर्माण में |
2. निकोटिन (Nicotine) | तम्बाकू की पत्तियों से | मादक पदार्थ के रूप में तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करने में |
3. रिसर्पिन (Reserpine) | सर्पगन्धा पौधों की जड़ से | उच्च रक्त चाप की दवा |
4. कैफिन (Caeffine) | काफी के बीजों में | दर्द निवारण औषधि बनाने में |
5. डेटुरिन (Daturine) | धतूरा के पत्तों तथा फलों में | दमा या श्वाँस की दवा बनाने में |
6. स्ट्रिकनिन (Strychnine) | कुचला पौधों के बीज में | पेट दर्द निवारक औषधि के निर्माण में |
7. मारफिन (Morphine) | अफीम के कच्चे फल से | नींद तथा दर्द की दवा बनाने में |
8. एट्रोपिन (Atropine) | बेलाडोना की पत्ती तथा जड़ से | नेत्र सम्बन्धो रोगों की दवा बनाने में |
प्रश्न 10.
एल्केलायड की प्रकृति तथा महत्व बताइये।
उत्तर :
एल्केलायड की प्रकृति (Nature of alkaloids) :
- ये जटिल कार्बनिक यौगिक हैं।
- ये कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन तथा आक्सीजन द्वारा बने होते हैं।
- ये नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जी पदार्थ हैं।
- ये विपैले तथा कड़वे स्वाद वाले होते हैं।
- ये जल में अघुलनशील तथा कार्बनिक घोलकों में घुलनशील होते हैं।
- इनका निर्माण प्रोटीन द्वारा होता है।
- ये कार्बनिक अम्ल के रूप में पौधों के संचय अंगों में जमा रहते हैं।
- ये द्रव के रूप में या कोशा द्रव में ठोस पदार्थ के रूप में मिलते हैं।
एल्केलायड का आर्थिक महत्व (Economic importance of alkaloids) :
- इनका उपयोग दवाओं के निर्माण में होता है।
- इनका उपयोग मादक पदार्थो के निर्माण में होता है।
- ये भक्षक जीवों से पौधों की रक्षा करते हैं।
प्रश्न 11.
उत्सर्जन क्रिया में त्वचा, यकृत तथा फेफड़े की क्या भूमिका है ?
उत्तर :
उत्सर्जन क्रिया में त्वचा की भूमिका :- त्वचा शरीर का सबसे बाहरी रक्षात्मक आवरण है। त्वचा की भीतरी सतह पर रक्त वाहिनियाँ तथा अनेक पसीना प्रंथियाँ (Sweat glands) होती हैं जिनसे पसीने (Sweat) का साव होता है। पसीना के साथ-साथ अनेक उत्सर्जी पदार्थ जैसे – यूरिया, लवण, अमोनिया, NaCl इत्यादि बाहर निकलते हैं। जलीय प्राणियों में प्रायः त्वचा द्वारा अमोनिया का उत्सर्जन होता है।
उत्सर्जन में यकृत की भूमिका : प्रोटीन मेटाबोलिज्म के फलस्वरूप यकृत में आवश्यकता से अधिक अमीनो अम्ल यकृत की कोशिकाओं में विघटित हो जाते हैं। फलस्वरूप यूरिया का निर्माण होता है। यूरिया मूत्र द्वारा शरीर से बाहर निकलता रहता है। पुरानी तथा मृत RBC पित्त (Bile) के रूप में लिवर द्वारा पित्ताशय में जमा होता रहता है जो भोजन के साथ ग्रहणी में मिलकर मल (Faeces) के रूप में बाहर निकलता रहता है।
उत्सर्जन में फेफड़े की भूमिका : श्वसन क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न CO2 का त्याग फेफड़े द्वारा होता है। CO2 के साथ-साथ जलवाष्प तथा कुछ वाष्पशील पदार्थ जैसे – अल्कोहल, एसीटोन, आमोनिया आदि भी श्वसन के समय बाहर निकाल दिये जाते हैं।
प्रश्न 12.
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में क्लोरोफिल तथा जल की भूमिका तथा स्रोत बताइये।
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में क्लोरोफिल की भूमिका : क्लोरोफिल प्रकाश ऊर्जा में उपस्थित फोटॉन नामक कणों को अवशोषित कर उत्तेजित हो जाते हैं तथा जल को H+ तथा OH– में विखण्डित कर देते हैं। इस प्रकार क्लोरोफिल प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में रूपान्तरित कर देते है तथा पुन: अपनी मौलिक अवस्था में आ जाते हैं।
क्लोरोफिल के स्रोत : यह पत्ती के मिजोफिल ऊत्तक की कोशिकाओं के क्लोरोप्लास्ट के ग्रेना भाग में पाया जाता है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में जल की भूमिका : वायुमण्डल में मुक्त होने वाले O2 का मुख्य स्रोत जल है। फोटोलाइसिस क्रिया में जल के अणुओं का H+ तथा OH– आयनों में विखण्डन हो जाता है। जल से प्राप्त H+ आयन का ग्लूकोज अणु के गठन के उपयोग होता है तथा OH– आयन से पुनः जल का निर्माण होता है तथा O2 गैस मुक्त होती है।
जल के स्रोत : पौधों के लिए जल का मुख्य सोत मिट्टी है। स्थलीय पौधे मिट्टी के अन्दर स्थित कोशिका जल को अपनी जड़ों के मूलरोमों की सहायता से अवशोषित करते हैं। जलीय पौधे अपने वातावरण में उपस्थित जल को अपने पूरे शरीर की बाह्ल सतह से परासरण विधि द्वारा प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 13.
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सूर्य के प्रकाश की भूमिका तथा स्रोत बताइए।
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सूर्य के प्रकाश की भूमिका :
- सूर्य के प्रकाश की विकिरण ऊर्जा क्लोरोफिल द्वारा अवशोषित होती है और क्लोरोफिल के अणु उत्तेजित होकर प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रारम्भ करते हैं।
- सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ही स्टोमेटा के मुँह खुलते हैं तथा गैसों का विनिमय होता है।
सूर्य के प्रकाश का स्रोत : पौधों को सूर्य का प्रकाश सूर्य से प्राप्त होता है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सूर्य प्रकाश के लाल तथा नीले रग में होती है। प्रकाश किरणों के छोटे-छोटे कण फोटॉन (Photon) कहलाते हैं। फोटॉन में उपस्थित ऊर्जा को क्वान्टम कहते हैं।
प्रश्न 14.
सहायक श्वसन अंग क्या है ? तीन जन्तुओं का उदाहरण दो जिनमें सहायक श्वसन अंग पाया जाता है। प्रत्येक सहायक श्वसन अंग की स्थिति बताइये।
उत्तर :
सहायक श्वसन अंग : कुछ जलीय जन्तुओं में मुख्य श्वसन अंग के अतिरिक्त विशेष प्रकार के अंग पाए जाते है, जो प्रतिकूल वातावरण में श्वसन में सहायता करते है, उन्हे सहायक श्वसन अंग कहते हैं।
जैसे –
- कंवई (Koi) – Labyrinthine organ (लेबिरिन्थीन आर्गन)
- मांगुर (Mangur) – Arboresent organ (आर्बोरिसेन्ट आर्गन)
- सिंघी (Singhi) – Extrabranchiai diverticulum (एक्सट्रा ब्रांकियल डाइवर्टिकुलम)
सहायक श्वसन अंग की स्थिति :
- मागुर में श्वसन अंग Arboresent organ शाखान्वित नलिका के समान होता है और गलफड़ से सटा हुआ रहता है।
- कवई में सहायक श्वसन अंग Labyrithine organ गलफड़ के ऊपर दोनों और पंखें के समान स्थित रहता है।
- सिंधी में सहायक श्वसन अंग Extrabranchial diverticulum लम्बी नलिका के समान Gill chamber में ऊपर की ओर लगा रहता है।
प्रश्न 15.
रसारोहण क्या है ? पौधों में रसारोहण की क्रिया विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
रसारोहण (Ascent of Sap) : पौधों के मूलरोमों द्वारा अवशोषित जल तथा घुलित खनिज पदार्थो को जाइलम ऊत्तक द्वारा पोधों के ऊपरी भागों विशेषकर पत्तियों तक पहुँघाने की क्रिया रसारोहण क्रिया कहलाती है।
रसारोहण की क्रिया विधि :
डिक्सन तथा जाली का सिद्धान्त : Dixon तथा Joly ने सन् 1894 में Transpiration pull and coheison theory के रूप में अपना मत प्रतिपादित किया। यह मत अब तक सर्वमान्य है।
- जल के अणुओं के बीच लगने वाला परसर आकर्षण बल
- जल का लगातार स्तम्भ
- वाष्पोत्सर्जन खिंचाव
पत्तियों की मिजोफिल कोशिकाओं की भित्तियों में जल का वाष्पन होता है। वाष्पन के कारण कोशिकाओं की परासरणसान्द्रता तथा उनमें जल की विसरण-दाब-य्यूनता अधिक हो जाती है जिसके कारण जल जाइलम वाहिनियों से खिंचकर परासरण द्वारा मिजोफिल कोशिकाओं में प्रवेश करता है।
इस क्रिया में पत्ती के जाइलम वाहिनी में उपस्थित जल में एक प्रकार का खिंाव बल उत्पन्न होता है जिसके कारण पिछले भाग से जल इस स्थान को भरने के लिए ऊपर की ओर वढ़ने लगता है। इस ख़ंचाव को वाष्पोत्सर्जन खिंचाव (Transpiration pull) कहते हैं। इसी खिंचाव बल के कारण जल जड़ से तना तथा तना से पत्ती तक लगातार वढ़ता रहता है।
प्रश्न 16.
वाष्पोत्सर्जन क्या है ? विभित्र प्रकार के वाष्पोत्सर्जन का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) : पौधों के वायवीय भागो द्वारा आवश्यकता से अधिक जल को वाष्म के रूप में बाहर निकालने की क्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं।
वाष्पोत्सर्जन के प्रकार :- वाष्योत्सर्जन निम्न तीन प्रकार के होंते है :-
- स्टोमेटल वाष्पोत्सर्जन (Stomatal Transpiration) : वाष्पोत्सर्जन की वह किया जो स्टोमेटा द्वारा होती है, स्टोमेटल वाष्पोत्सर्जन कहलाते हैं। लगभग 90% वाष्पोत्सर्जन की क्रिया स्टोमेटा द्वारा होती है।
- क्यूटिकूलर वाष्पोत्सर्जन (Cuticular Transpiration) : जब वोष्पोत्सर्जन की क्रिया तने, पत्तियों तथा अन्य भागों की सतह पर पायी जाने वाली क्यूटिकल द्वारा होती है, तो यह क्यूटिकूलर वाष्मोत्सर्जन कहलाती है।
- लेन्टीकूलर वाष्पोत्सर्जन (Lenticular Transpiration) : तनों पर उपस्थित छिद्रों अर्थात लेन्टीसेल्स द्वारा होने वाली वाष्षोत्सर्जन क्रिया को लेन्टीकूलर वाष्षोत्सर्जन कहते हैं। केवल 1% वाष्मोत्सर्जन लेन्टीसेल्स द्वारा होता है।
प्रश्न 17.
वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं ?
उत्तर :
वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं :-
- प्रकाश (Light)
- तापक्रम (Temperature)
- आर्द्रता (Humidity)
- वायुमण्डल का दबाव (Atmospheric Pressure)
- वायु (Wind)
- मिट्टी-जल (Soil-Water)
- पत्तियों का आकार (Size of Leaves)
- क्यूटिकल की मोटाई (Thickness of Cuticle)
- लेन्टिसेल की उपस्थिति (Presence of Lentical)
प्रश्न 18.
परिवहन क्या है ? परिवहन का महत्व बताइये।
उत्तर :
परिवहन (Circulation) : सजीवों के शरीर में होने वाली वह विशेष क्रिया जिसमें द्रव माध्यम द्वारा भोज्य पदार्थ, वर्ज्य पदार्थ तथा अन्य पदार्थ एक अंग से दूसरे अंग तक पहुँचाये जाते है, उसे परिवहन कहते हैं।
परिवहन का महत्व : सजीवों में परिवहन के महत्व निम्नलिखित हैं :
(i) पोषण : पौधों की पत्तियों में निर्मित भोज्य पदार्थ फ्लोएम वाहिनी द्वारा पौधों की विभिन्न कोशिकाओं में पहुँचते हैं। जन्तुओं में पाचन के पश्यात् अवशोषण के द्वारा सरल भोज्य पदार्थ सभी जीवित कोशिकाओं में रक्त माध्यम द्वारा पहुँचाये जाते हैं। फलस्वरूप पोषण की क्रिया सम्पन्न होती है।
(ii) श्वसन : श्वसन के लिए O2 गेस परिवहन द्वारा ही विभिन्न कोशिकाओं में पहुँचायी जाती है तथा श्वसन के पश्चात् उत्पन्न CO2 पुन: रक्त माध्यम द्वारा ऊत्तकों से श्वसन अंगो में पहुँचायी जाती है जहाँ से वह शरीर से बाहर निकाला जाता है।
(iii) संचय : परिवहन द्वारा ही आवश्यकता से अधिक भोज्य पदार्थ संचय अंगों में पहुँचा दिये जाते हैं जहाँ पर ये भविष्य के लिए संचय किया जाता है।
(iv) हार्मोंन का परिवहन : परिवहन द्वारा अन्त सावी प्राथियों से सावित हार्मोन लक्ष्य अंगों तक पहुँचा दिये जाते हैं।
(v) उत्सर्जन : विभिन्न मेटाबोलिक कियाओं के फलस्वरूप कोशिकाओं में वर्ज्य पदार्थ का निर्माण होता है। ये वर्ज्य पदार्थ परिवहन द्वारा उत्सर्जी अंगों में पहुँचा दिये जाते हैं, जहाँ से ये शरीर से बाहर त्याग दिये जाते हैं।
(vi) शरीर में ताप का नियंत्रण : श्वसन किया द्वारा उष्मा प्राय: शरीर के आन्तरिक भागों में उत्पन्न होती है, जो परिवहन द्वारा शरीर के सभी भागों में समान रूप से पहुँचा दिये जाते हैं। फलस्वरूप शरीर मै ताप का नियंत्रण रहता है।
(vii) रक्त चाप : रक्त दाब को बनाये रखने में रक्त का परिवहन सहायक होता है। रक्त दाब के कारण ही विभिन्न प्रकार के घुलित पदार्थों तथा आयनों का आदान-प्रदान क्रमशः ऊत्तकों तथा रक्त के बीच होता रहता है।
प्रश्न 19.
रक्त वर्ग से क्या समझते हैं ? रक्त जमने की क्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर :
रक्त वर्ग (Blood group) : एन्टीजेन्स या ऐन्टीबॉडीज के आधार पर मानव रक्त को चार वर्गों A, B, A B तथा O में बाँटा गया है। रक्त को इन चार वर्गों में विभाजित करने की पद्धति को A B O system कहते हैं। मनुष्य के R.B.C. में A तथा B ये दो प्रकार के ऐन्टिजेन्स होते हैं। किसी व्यक्ति में केवल एक प्रकार का और किसी में दोनों प्रकार का ऐन्टिजेन्स हो सकता है या दोनों प्रकार का ऐन्टिजेन्स अनुपस्थित भी हो सकता है। प्लाज्मा में भी दो प्रकार के एन्टिबॉडजी a तथा b होते हैं।
रक्त जमने की क्रिया विधि (Process of blood clotting) : रक्त जमने की क्रिया विधि एक जटिल क्रिया है जो निम्न अवस्थाओं में पूरी होती है :
- जब कोई रक्त नलिका कट जाती है या कोई अंग कट जाता है और रक्त बाहर निकलने लगता है, तब क्षतिग्रस्त रक्त बिम्बाणु हवा के सम्पर्क में आकर थोम्बोप्लास्टिन (Thromboplastion) नामक एक एन्जाइम स्रावित करते हैं, जो हिपैरिन को नष्ट कर देता है।
- थोम्बीप्लास्टिन केल्शियम आयनों के साथ मिलकर निष्किय प्रोधोम्बिन को सक्रिय थोम्बिन में बदल देता है।
- थ्रोम्बिन एक अन्य प्लाज्मा प्रोटीन फ्राइब्रिनोजेन को फाइबिन में बदल देता है। फाइब्रिन अघुलनशील तथा तन्तुमय जाली का निर्माण करता है। इस जाली में रक्त कणिकाएँ उलझ जाती हैं। इस प्रकार चोट लगे हुए या कटे भाग पर रक्त का थक्का बन जाता है और रक्त निकलना बन्द हो जाता है।
प्रश्न 20.
परासरण क्या है ? विभिन्न प्रकार के परासरण की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए।
उत्तर :
परासरण (Osmosis) : परासरण वह भौतिक क्रिया है जिसमें जल के अणुओं का प्रवाह कम सान्द्रता से अधिक सान्द्रता वाले अणुओं की ओर एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा होता है। परासरण दो प्रकार का होता है –
- अन्तः परासरण (Endosmosis) : वह परासरण जिसमें अणुओं का प्रवाह अर्द्धपारगम्य झिल्ली से होकर कम घनत्व वाले स्थान से अधिक घनत्व वाले स्थान की ओर होता है, उसे अन्तः परासरण कहते है। जैसे – किशमिश के दाने को जल में रखने पर उसका फूल जाना।
- बहि: परासरण (Exosmosis) : वह परासरण जिसमें अणुओं का प्रवाह अर्द्धपारगम्य झिल्ली से होकर अधिक घनत्व वाले स्थान से कम घनत्व वाले स्थान की ओर होता है, बहि: परासरण कहलाता है। जैसे – अगूर को चीनी के घोल में ड़ालने पर उसका सिकुड़ जाना।
प्रश्न 21.
उपापचय से आप क्या समझते हैं? स्वांगीकरण क्या है?
उत्तर :
उपापचय (Metabolism) : जीवधारियों के शरीर निर्माण, ऊर्जा उत्पन्न करने एवं अन्य विभित्र कार्यो को सम्पन्न करने के लिये उनकी कोशिकाओं में विभिन्न प्रकार की रासायनिक क्रियायें होती रहती हैं। इन्हे उपापचय(Metabolism) कहते हैं। यह शब्द ग्रीक भाषा के मेटोबल (Metabol) परिवर्तन से बना है। मेटबोलिक क्रियाये जीवद्रव्य में सम्पन्न होती हैं। इन्हें संचालन हेतु कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोज), प्रोटीन और वसा के ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त होती है।
इस क्रिया मे कुछ वर्ज्य पदार्थ भी बनते हैं। जिन्हें सजीव के शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। उपापचय की क्रिया रचनात्मक एवं विनाशात्मक दो प्रकार की होती है। उपापचय की रचनात्मक प्रक्रिया में जीवद्रव्य का निर्माण होता है। इसे उपचय (Anabolism) कहते है। जैसे प्रकाश-संश्लेषण।
उपापचय की जो क्रिया विघटनकारी होती है अर्थात् जिसमे कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोज), वसा और प्रोटीन का विघटन होता है, उसे अपचय (Catabolism) कहते हैं। जैसे श्वसन। उपापचय की क्रिया कोशिकाओं के निर्माण, उनकी वृद्धि एव क्षतिपूर्ति के साथ ऊर्जा उत्पन्न करने एवं विभिन्न जैविक क्रियाओ के संपादन में सहायक हैं।
स्वांगीकरण (Assimilation) : अवशोषित भोजन का जीवद्रव्य में रूपान्तरण स्वांगीकरण कहलाता है। जीवद्रव्य हमारे जीवन का भौतिक आधार है।
प्रश्न 22.
प्राणियों के विभिन्न श्वसन अंगों के बारे में लिखिए।
उत्तर :
आवास स्थान के अनुकूल विभिन्न प्रकार के प्राणियों में विभिन्न प्रकार के श्वसन अंग पाये जाते हैं। कुछ प्राणियों के श्वसन अंग निम्नलिखित है :-
- शरीर की बाह्य सतह (Body surface) : अमीबा, स्पंज, हाइड्रा आदि प्राणियों में कोई निश्चित श्वसन अंग नहीं होता है। ये प्राणी अपने शरीर की बाहरी सतह से विसरण विधि द्वारा श्वसन करते हैं।
- त्वचा.(Skin) : कुछ जन्तुओं जैसे केंचुआ तथा जोंक आदि प्राणियों में पतली एवं नम त्वचा पाई जाती है। इन प्राणियों में आक्सीजन नम त्वचा से विसरण विधि के द्वारा अन्दर प्रवेश करती है तथा कार्बन डाई-आक्साइड शरीर से बाहर निकाल दी जाती है।
- ट्रेकिया (Trachea) : तिलचट्टा, मक्खी, मच्छर आदि कीट जाति के प्राणियों में ट्रेकिया नामक नलियों का जाल पाया जाता है। ये नलियाँ बारीक शाखाओं में विभाजित होकर प्रत्येक उत्तक एवं कोशिका में जाती हैं। इन कीट जाति के प्रणियों में ट्रेकिया द्वारा श्वसन की किया सम्मन्न होती है।
- फुलका (Gilis) : मछली, चिंगड़ी तथा घोधा आदि में श्वसन अंग फुलका होता है जो जल में घुली आव्सीजन को ग्रहण करते हैं तथा कार्बन डाई-आक्साइड को जल में त्यागते हैं।
- बुक लंग (Book Lung) : मकड़ी, बिच्छु आदि का श्वसन अंग बुक लंग है।
- बाह्य फुलका (External Gills) : टैडपोल का श्वसन अंग बाह्म फुलका है।
- फेफड़ा (Lung) : सरीसृप, पक्षी तथा सभी स्तनधारी प्राणियों का मुख्य श्वसन अग फेफड़ा है।
प्रश्न 23.
पौधों में खनिज पोषण तत्व में मैग्नीशियम का कार्य बताएँ। मालिब्डीनम से आप क्या समझते हैं।
उत्तर :
पौधों में खनिज पोषण तत्व में मैग्नीशियम का कार्य : इस धात्विक आवश्यक तत्व को पौधे जमीन से मैग्निशीयम लवण के रूप में प्राप्त करते हैं। इसके द्वारा क्लोरोफिल के निर्माण में सहायता मिलतो है।
मालीब्डेनम : मालीब्डेनम आयन के रूप में अवशोषित होने वाला यह तत्व नाइट्रेट के अवकरण के लिए उत्पेरक का कार्य करता है। इसकी कमी से क्लोरोसिस (Chlorosis) रोग हो जाती है।
प्रश्न 24.
पोषण की अवधारणा तथा उसके पाँच चरण के नाम बताएँ।
उत्तर :
पोषण की अवधारणा (Concept of nutrition) : किसी जीव के पोषण का अर्थ उन क्रियाओं के सम्मिलित रूप से है जिनके द्वारा जीव अपना भोजन ग्रहण करता है, उसे पचाता है, पाचन के फलस्वरूप प्राप्त पोषक पदार्थ (nutrients) को जीवद्रव्य (Protoplasm) में सम्मिलित करता है तथा अनपवे भोजन का बहिष्कारण करता है।
इस तरह शारीरिक वृद्धि, कोकिाओं की दूट-फूट की मरम्मत तथा भोजन में संचित स्थितिज ऊर्जा (Potential energy) को गतिज ऊर्जा (Kinetic energy) में रूपान्तरित कर अपने जीवन सम्बन्धी क्रियाओं को सम्पन्न कराता है। कहने का तात्पर्य “पोषण वह क्रिया है जिसमें पोषक पदार्थों को ग्रहण कर शरीर में उनका समुचित उपयोग किया जाता है।”
पोषण की अवधारणा के पाँच चरण के नाम :
- अन्त:ग्रहण
- पाचन
- अवशोषण
- स्वांगीकरण
- वहिष्करण।
प्रश्न 25.
मनुष्य के आहार नाल के विभिन्न भाग के नाम बताएँ।
उत्तर :
मनुष्य के आहार नाल : मनुष्य का आहार नाल एक लम्बी नली होती है जिसका व्यास एवं आकार विभिन्न स्थानों पर भिन्न होता है। यह मनुष्य के मुखगुहा से मल द्वार तक फैली रहती है। आहार नाल के मुख्य भाग निम्नलिखित हैं –
- मुँह एव मुखगुहा (Mouth and Buccal cavity)
- ग्रसनी (Pharynx)
- ग्रास नली (Oesophagus),
- आमाशय (Stomach)
- छोटी आंत (Small Intestine)
- बड़ी आँत (Large Intestine)।
प्रश्न 26.
पाचन क्या है ? रीढ़धारी के आमाशय में प्रोटीन का पाचन किस प्रकार होता है ? बताइये।
उत्तर :
पाचन (Digestion) : भोजन के जटिल, अमुलनशील तथा जटिल भोज्य पदार्थों को एन्जाइम की सहायता से सरल, घूलनशील तथा तरल अणुओं में तोड़ने की जैविक क्रिया को पाचन कहते हैं।
रीढ़धारी के आमाशय में प्रोटीन का पाचन : आमाशय में उपस्थित जठर प्रथियों द्वारा स्रावित जठर रस में उपस्थित HCl भोजन को अम्लीय बनाता है तथा निष्क्रय पेप्सिनोजेन को सक्रिय पेष्सिन में बदलता है। यह एन्जाइम प्रोटीन प्रकृति के खाद्य पदार्थों पर क्रिया करता है। अतः यह आमाशय में आये प्रोटीन प्रकृति के खाद्य पदार्थों पर क्रिया करके, पेप्टोन (Peptone) तथा प्रोटीओजेज (Proteoses) में बदल देता है।
प्रश्न 27.
परजीवी किसे कहते हैं ? विभिन्न प्रकार के परजीवी पौधों की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए। अथवा, परपोषित पोषण किसे कहते हैं? इसके प्रकार बताएँ।
उत्तर :
परजीवी (Parasite) : जा अपने भोजन के लिए दूसरे जीवधारी या स्वपोषी पर निर्भर होते हैं, उन्हें परजीवी कहते हैं। ये भोजन के लिए जिनपर निर्भर होते हैं वे पोषक (Host) कहलाते हैं तथा यह क्रिया परजीविता (Parasitism) कहलाती है। परजीवी पौधों में मिलने वाले पोषण को परपोषी पोष्ण (Parasitic nutrition) कहा जाता है।
परजीवी दो प्रकार के होते हैं –
- पूर्ण परजीवी (Total Parasite)
- आंशिक परजीव्री (Partial Paratite)
पूर्ण परीजवी : ऐसे पौषे जो अपने भोजन के लिए पूर्णतः पोषक पर निर्भर करते है, पूर्ण परजीवी कहलाते है। जैसेअमरलता जैसे पौधों की जड़ें घूषकांग कहलाती है क्योंकि इन्हीं की सहायता से ये पोषक से भोजन चूसते हैं।
आंशिक परजीवी : ऐसे पौधे जो अपने भोजन का कुछ अंश स्वयं बनाते हैं तथा कुछ पोषक से प्राप्त करते हैं, आंशिक परजीवी कहलाते हैं। जैसै – विस्कम।
प्रश्न 28.
जन्तु सम पोषण की कितनी अवस्थायें हैं ? इन अवस्थाओं के नाम लिखो।
उत्तर :
जन्तुसम पोषण (Holozoic Nutrition) : पोषण की वह विधि जिसमें प्राणी ठोस तथा जटिल पदार्थों (कार्बनिक पदार्थो) को भोजन के रूप में ग्रहण करता है, जन्तुसम पोषण कहलाता है । इस पोषण में भोजन का अन्तर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण, स्वीकरण तथा बहिष्करण नामक दशायें होती हैं। भोजन प्राप्ति के आधार पर जन्तु शाकाहारी, मांसाहारी, कीटभक्षी, शवाहारी, सर्वाहारी इत्यादि हो सकते हैं। शाकाहारी जन्तु (Herbivorous animals) जेसे गाय, खरगोश इत्यादि तृणभोजी होते हैं।
मांसाहारी जन्तु (Carnivorous animal) दूसरे जन्तुओं के मांस को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। उदाहरण के लिए बाघ, सिंह आदि। छिपकली, टोड इत्यादि कीट पतंगों का भक्षण करते हैं अत: इन्हें कीटभक्षी जन्तु (insectivorous animals) कहा जाता है। कुछ ऐसे भी जन्तु होते है जैसे – कौआ, गिद्ध इत्यादि जो सड़े-गले मांस का भोजन के रूप में उपयोग करते है शवाहारी (Carrion feeders) कहलाते हैं। मनुष्य सर्वाहरी का सबसे उत्तम उदाहरण माना जाता है क्योंकि यह पेड़-पौधों से प्राप्त भोजन के साथ-साथ जन्तुओं के मांस को भौ भोजन के रूप में प्रयोग करता है।
जन्तुसम पोषण की अवस्थाएँ :
- भोजन का अर्न्तग्रहण (Ingestion)
- पाचन (Digestion)
- अवशोषण (Absorption)
- स्वीकरण या स्वांगीकरण (Assimilation) तथा
- बहिष्करण (Egestion)।
प्रश्न 29.
विकर किसे कहते हैं ? विकर की विशेषताओं को लिखो। पाचक विकरों का वर्णन करो।
उत्तर :
विकर (Enzyme) : विकर एक विशिष्ट घुलनशील तथा प्रोटीनयुक्त कार्बनिक उत्मेरक है जो जीवित कोशिकाओं द्वारा सावित होते हैं तथा स्वय अप्रभावित रहते हुए विभिन्न जैव रासायनिक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं।
विकर के गुण (Characteristics of Enzymes) :
- ये घुलनशील एवं कललीय (colloidal) प्रकृति के होते हैं।
- ये जैव रासायनिक क्रियाओं में उत्र्रेरक का कार्य करते हैं।
- ये एक निर्दिष्ट तापक्रम पर क्रियाशील होते हैं। तापक्रम अधिक होने पर ये नष्ट हो जाते हैं।
- इस प्रकार के इन्जाइम किसी एक प्रकार के खाद्य पर ही क्रिया करते हैं।
- ये माध्यम की अम्लीयता एवं क्षारीयता से प्रभावित होते हैं।
- ये अपने कार्य के बाद नष्ट नहीं होते हैं और पुन: उपयोग में लाये जाते हैं।
- प्राय: सभी विकर प्रोटीन जातीय होते हैं।
- इनका अणु भार अधिक होता है।
वे विकर जो भोजन के पाचन में भाग लेते हैं उन्हें पाचक विकर (Digestive enzymes) कहते हैं। पाचक विकर निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं –
- एमाइलोलिटिक विकर (Amyloytic enzyme) : वे विकर जो कार्बोहाइड्रेट के पांचन में सहायता करते हैं उन्हें एमाइलोलिटिक विकर कहते हैं। उदाहरण : टाइलिन, माल्टेज, सूक्रेज, आइसो माल्टेज आदि।
- प्रोटियोलिटिक विकर (Proteolytic enzyme) : वे विकर जो प्रोटीन के पाचन में सहायक होते हैं, उन्हें प्रोटियोलिटिक विकर कहते हैं। उदाहरण : पेप्सिन, रेनिन, ट्रिप्सिन आदि।
- लिपोलाइटिक विकर (Lipolytic enzyme) : वे विकर जो वसा के पाचन में सहायता करते हैं उन्हें लिपोलाइटिक विकर कहते हैं। जैसे – लाइपेज।
प्रश्न 30.
एक नेफ्रॉन का स्वच्छ तथा नामांकित चित्र खींचो।
उत्तर :
प्रश्न 31.
श्वसन क्या है ? श्वसन तथा पोषण में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
अथवा
श्वसन किसे कहते हैं? दिन के समय प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन की क्रियायें किस प्रकार साथ-साथ होती है?
उत्तर :
श्वसन : यह कोशिका के अन्दर होने वाली एक ऐसी जैव रासायनिक क्रिया है जिसके फलस्वरूप भोज्य पदार्थ आक्सीकृत होकर ऊर्जा मुक्त होता है। C6H12O6+6O2=6 CO2+6 H2O+686 Kg Call ऊर्जा
श्वसन तथा पोषण में सम्बन्ध : श्वसन तथा पोषण दोनों ही जैव रासायनिक क्रियाएँ हैं जो सजीवों के शरीर में होती हैं। इन दोनों का आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध है। इन क्रियाओं के सम्पन्न होने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा की आपूर्ति श्वसन क्रिया के फलस्वरूप ही होती है। श्वसन में आक्सीकरण के लिए आवश्यक ग्लूकोज पोषण के दौरान ही बनता है।
पोषण के फलस्वरूप जीव को ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए आवश्यक पदार्थ ग्लूकोज प्राप्त होता है। इस तरह दोनों का एक दूसरे से बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध है। पोषण द्वारा कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज में बदलकर शरीर के ऊत्तकों तथा कोशिका के कोशिकाद्रव्य में पहुँचता है। वहाँ O2 की उपस्थिति या अनुपस्थिति दोनों ही अवस्था में ग्लूकोज का आक्सीकरण होता है, जिसके फलस्वरूप ऊर्जा उत्पन्न होती है तथा श्वसन की क्रिया होती है।
प्रश्न 32.
विटामिन किसे कहते हैं? मानव शरीर में विटामिन के महत्व का संक्षेप में वर्णन कीजिए। विटामिन C तथा विटामिन D के कमी के लक्षण बताइये।
उत्तर :
विटामिन (Vitamin) : भोजन में अल्प मात्रा में पाये जाने वाले वे विशिष्ट कार्बनिक पदार्थ जो सजीवों में जैविक क्रियाओं के सम्पन्न करने के लिए आवश्यक है, विटामिन कहलाते हैं।
महत्व :
- यह शरीर को स्वस्थ रखकर उसकी सुरक्षा करता है।
- विटामिन A नेत्र व त्वचा सम्बन्धी दोषों को दूर करता है।
- विटामिन D हड्डियों को मजबूत करता है।
- विटामिन E जनन क्षमता को संतुलित रखता है।
- विटामिन K रक्त को जमने में सहायता करता है।
- विटामिन B Complex तन्त्रिका तन्त्र, रक्त-क्षीणता, वृक्क तथा वृद्धि व विकास इत्यादि से सम्बन्धित दोषों को दूर करके शरीर को स्वस्थ रखता है।
विटामिन C की कमी के लक्षण : दाँत के मसूड़े फूल जाते हैं तथा रक्त निकलने लगता है। त्वचा फट जाती है। शरीर कमजोर हो जाता है। मुख से दुर्ग्धन निकलने लगती है।
विटामिन D की कमी के लक्षण : बच्चों में सुखण्डी नामक रोग होता है जिसमें कंकाल टेढ़ा हो जाता है। विशेषकर रीढ़, पैर तथा खोपड़ी की हड्डियाँ टेढ़ी हो जाती हैं।
प्रश्न 33.
प्रकाश संश्लेषण की परिभाषा लिखिए । प्रकाश संश्लेषण की रासायनिक क्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण : प्रकाश संश्लेषण वह जैव रासायनिक क्रिया है जिसमें हरे पौधे सूर्य के प्रकाश में क्लोरोफिल की सहायता से जल तथा कार्बन डाई-आक्साइड की उपस्थिति में रासायनिक क्रिया करके कार्बोहाइड्रेट आर्थात ग्लूकोज का निर्माण करते हैं।
प्रकाश संश्लेषण की रासायनिक क्रिया :- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया एक बहुत ही जटिल क्रिया है। ये क्रियाएँ क्रमशः कई चरणों में पूरी होती हैं। Barnes, Calvin तथा Ruben आदि वैज्ञानिकों ने इन क्रियाओं को एक साथ निम्नलिखित समीकरण द्वारा प्रदर्शित क्रिया है।
अर्थात् CO2 के छ: अणु जल के बारह अणुओं के साथ मिलकर ग्लूकोज का एक अणु बनार्ते हैं। इस क्रिया में जल के छः अणु तथा आक्सीजन के छ: अणु सह-उत्पाद के रूप में बनते हैं।
प्रश्न 34.
प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डाई-आक्साइड की भूमिका क्या है, लिखिए ?
उत्तर :
प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डाई-आक्साइड की भूमिका :
- CO2 के अवकरण के फलस्वरूप ग्लूकोज का निर्माण होता है। अतः ग्लूकोज में कार्बन तथा आक्सीजन अणु CO2 द्वारा गठित होते हैं।
- मिजोफिल ऊत्तक में CO2 जल से प्रतिक्रिया कर कार्बनिक अम्ल का निर्माण करती है जो प्रकाश की उपस्थिति में पुन: CO2 तथा H2O में विखंडित हो जाता है। यह CO2 प्रकाशीय क्रिया के समय प्रकाश संश्लेषण के काम आता है।
प्रश्न 35.
वातावरण में O2 तथा CO2 का संतुलन कैसे बना रहता है ?
उत्तर :
विभिन्न जीवधारियों के श्वसन तथा तेल, कोयला आदि के दहन के फलस्वरूप CO2 गैस उत्पन्न होती है। यह गैस जीवधारियों के लिए हानिकारक है । इस क्रिया में आक्सीजन गैस उत्पन्न होती है । श्वसन और प्रकाश संश्लेषण की क्रियायें मिलकर वातावरण में O2 और CO2 का संतुलन कायम रखती हैं । परन्तु हरे पेड़-पौधे वातवरण में उपस्थित CO2 का उपयोग प्रकाश संश्लेषण में करते हैं।
प्रश्न 36.
मनुष्य में साँस की क्रिया विधि का वर्णन करो।
उत्तर :
मनुष्य में सांस लेने की क्रिया विधि दो अवस्थाओं में पूरी होती है।
(i) नि:श्वसन (Inspiration) : इसके अन्तर्गत इंटर कोस्टल पेशियों के संकुचन से डायाफ्राम चिपटा हो जाता है तथा वक्षगुहा का आयतन बढ़ जाता है जिससे फेफड़ों में प्रसार होता है। परिणामस्वरूप O2 युक्त शुद्ध वायु इनमें प्रवेश करती है। इस वायु में O2 की मात्रा 20-21 % तथा CO2 की मात्रा 0.03- 0.04 % तक होती है।
(ii) उच्छश्वसन (Expiration) : उच्छश्वसन के समय श्वाँस पेशियाँ फैलने लगती हैं। डायाग्राफ के फैलने के फलस्वरूप वक्षगुहा का आयतन घट जाती है। इस प्रकार फेफड़ों के ऊपर दबाव पड़ने से ये सिकुड़ने लगते हैं। फलस्वरूप Alveoli में उपस्थित CO2 युक्त वायु श्वाँस मार्गों द्वारा होती हुई वायुमण्डल में बाहर निकल जाती है। CO2 युक्त वायु का फेफड़े से बाहर निकलना उच्छश्वसन कहलाता है।
प्रश्न 37.
श्वसन क्या है ? इसका रासायनिक समीकरण लिखिए। श्वसन का महत्व क्या है?
उत्तर :
श्वसन (Respiration) : श्वसन वह जैव रासायनिक क्रिया है जिसके अन्तर्गत भोज्य पदार्थो के आक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है। रासायनिक समीकरण :- C6H12O6+6O2 =+6CO2+6H2O+686 Kg Cal ऊर्जा
श्वसन का महत्व :
- श्वसन के फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है।
- श्वसन की क्रिया द्वारा उत्पत्र ऊर्जा शरीर के तापक्रम को नियंत्रित रखता है।
- वायुमण्डल में आक्सीजन तथा कार्बन डाई-आक्साइड का संतुलन बना रहता है।
प्रश्न 38.
आक्सी श्वसन क्या है ? किन-किन जन्तुओं तथा पौधों में आक्सी श्वसन की क्रिया होती है ?
उत्तर :
आक्सी श्वसन (Aerobic respiration) : जब किसी कोशिका के अन्दर आक्सीजन की उपस्थिति में भोज्य पदार्थ पूर्ण रूप से आक्सीकृत होकर जल तथा कार्बन डाई-आक्साइड गैस एवं 686kgcal. ऊर्जा उत्पन्न करता है तो उस श्वसन की क्रिया को आक्सी श्वसन कहते हैं। C6H12O6+6O2 → 6 CO2+6 H2O+686 k.Cal
मोल अर्थात 180 ग्राम ग्लूकोज के पूर्ण आक्सीकरण के फलस्वरूप 686 K. Cal ऊर्जा मुक्त होती है। आक्सी श्वसन दो चरणों में पूरा होता है –
- ग्लाकोलाइसिस
- क्रेब्स चक्र
जन्तु – टोड, मछली, चौपाया जन्तु, मनुष्य आदि
पौधे – आम, कटहल, नीम, अमरूद आदि
प्रश्न 39.
पौधों के श्वसन अंगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पौधों के श्वसन अंग : पौधों में कोई विशेष श्वसन अंग या श्वसन तंत्र नहीं होता है। पौधों में आक्सीजन तथा कार्बन डाई- आक्साइड का बिनिमय शरीर की बाह्य त्वचा या स्टोमेटा आदि के माध्यम से होता है। निम्न श्रेणी के पौधों में तथा जलीय पौधों में शरीर की बाह्य त्वचा द्वारा विसरण विधि से आक्सीजन लिए जाते हैं तथा CO2 को शरीर से बाहर निकाले जाते हैं। उच्य श्रेणी के पौषे निम्नलिखित अंगों द्वारा श्वसन क्रिया को पूरा करते है।
(i) स्टोमेटा (Stomata) : पत्तियों के सतह पर असंख्य छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, जिन्हें स्टोमेटा कहते है। प्रत्येक स्टोमेटा का निर्माण दो रक्षक काशिकाओं के द्वारा होता है। ये गार्ड सेल स्टोमेटा के खुलने तथा बन्द होने को नियत्रित करते हैं। स्टोमेटा से होकर हवा पत्ती के अन्दर प्रवेश करती है तथा विसरण विधि से आक्सीजन कोशिकाओं में पहुँच जाती है।
(ii) लेन्टिसेल (Lenticel) : पुराने पेड़ों के तने पर उपस्थित छाल पर अनेक छोटे-छांटे छिद्र पाये जाते हैं जिन्हें लेन्टिसे कहते हैं। इसमें रक्षक कोशिकाएँ नहीं पायी जाती हैं। ये क्यूटिकल विहीन होते हैं तथा हर समय खुले रहते हैं। इन छिद्रों से होकर भी गैसीय आदान-प्रदान होता है।
(iii) न्यूमैटोफोर (Pneumatophore) या श्वसन मूल : मैम्रोव जातीय पौधे जैसे – सुन्दरी, गोरान आदि में श्वसन मूल पाये जाते हैं। श्वसन मूल के ऊपर असंख्य छिद्र पाये जाते हैं जिन्हें न्यूमैटोथोड्स कहते हैं। इन्हीं छिद्रों से पौधे वायु से आक्सीजन ग्रहण करते हैं।
प्रश्न 40.
श्वसन के महत्व को बताइये।
उत्तर :
श्वसन का महत्व :
(i) ऊर्जा उन्मोचन (Release of Energy) : श्वसन क्रिया में भोज्य पदार्थों के आक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा मुक्त होती है जिससे जीवधारियों की सभी क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं।
(ii) भोजन का निर्माण (Manufacturing of Food) : श्वसन की क्रिया में विभिन्न जीवधारियों द्वारा त्यागा गया CO2 प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिए पौधों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है । पौधों द्वारा बने भोजन को सभी जीवधारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गहण करते हैं।
(iii) O2 तथा CO2 का संतुलन (Balance of O2 and CO2) :- प्रकाश संश्लेषण के समय पौधे CO2 ग्रहण करते हैं तथा O2 त्यागते हैं। O2 श्वसन क्रिया में जन्तुओं द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है तथा CO2 मुक्त किया जाता है। इस प्रकार श्वसन क्रिया द्वारा O2 तथा CO2 गैस का संतुलन वायुमण्डल में बना रहता है।
(iv) ऊर्जा का संचय (Storage of energy) : श्वसन के समय मुक्त ऊर्जा का कुछ भाग ATP के रूप में संचित हो जाता है। ATP के रूप में संचित यह ऊर्जा जीवधारियों की विभिन्न जवविक क्रियाओं के संचालन में प्रयुक्त होती है।
प्रश्न 41.
पोषण की दृष्टि से प्रोटीन, कोर्बोहाइड्रेट, विटामिन तथा वसा के महत्व को बताइये।
उत्तर :
प्रोटीन का महत्व :
- इसका मुख्य कार्य शरीरिक वृद्ध, क्षति-पूर्ति तथा नयी कोशिकाओं का निर्माण करना है।
- यह शरीर में ताप ऊर्जा उत्पन्न करता है।
- यह एन्जाइम तथा हार्मोन का निर्माण करता है।
- यह शरीर के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल उपलग्व कराता है।
- 1 ग्राम प्रोटीन के आक्सीकरण से 4.3 K.Cal ऊर्जा उत्पन्न होता है।
कार्बोहाइड्रेट का महत्व :
- यह शरीर के ढाँचे के निर्माण तथा मरम्मत के लिए आवश्यक पदार्थ उपलब्ध कराता है।
- यह शरीर के लिए आवश्यक कैलोरी का मुख्य खोत है। 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट के आक्सीकरण के फलस्वरूप 4.2 K. cal ऊर्जा उत्पत्र होती है।
- कार्बोहाड्रेट जन्तुओं के यकृत तथा पेशियों में ग्लाइकोजेन के रूप में तथा पौधों में शर्करा के रूप में संचित हो जाता है।
विटामिन का महत्व :
- यह कार्बोहाड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के चयापचय में सहायता करता है।
- यह कई एन्जाइम को एन्जाइम के रूप में कार्य कराता है।
वसा का महत्व :
- इसमे ऊर्जा उत्पत्र करने की क्षमता बहुत अधिक होती है। 1 ग्राम वसा में 9.3 K.Cal ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- यह त्वचा के नीचे जमा हांकर शरीर को बाहरी आघत्तों से रक्षा करता है।
- यह अनेक हार्मोन तथा विटामिन D का संश्लेषण करता है।
- यह कोशिका झिल्ली के निर्माण में सहायक है।
प्रश्न 42.
आमाशय में भोजन के पाचन की क्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर :
आमाशय में भोजन के पाचन की क्रिया : भोजन मुख गुहा से ग्रासनली की दोवारों में होने वाली क्रमाकुंचन गति (Peristalsis) के कारण आमाशय में पहुँचता है। अमाशय में भोजन पहुँचते ही गैस्ट्रिन नामक हार्मोन के प्रभाव से आमाशय की भीतरी दीवारों पर उपस्थित जठर प्रंथियाँ उत्तेजित हो जाती हैं और लगभग 500-1000 ml जठर रस का साव करती हैं।
जठर रस में Hcl, पेष्सिन (Pepsin, गैस्ट्रिक लाइपेज, म्यूसिन आदि होते हैं। Hcl भोजन के साथ मिलकर उनमें उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट करता है तथा भोजन को अम्लीय बनाता है। पेप्सिन भोज्य पदार्थों में मौजूद प्रोटीन को पचाकर पेट्टोन में बदलती है। रेनिन दूध के प्रोटीन को केसिन में बदलती है। गैस्ट्रिक लाइपेज वसा के पाचन तथा अवशोषण में मदद करता है। गैस्ट्रिक लाइपेज वसा को वसीय अम्ल (Fatty acid) तथा गिलसरॉल (Glycerol) में बदल देता है।
प्रश्न 43.
छोटी आँत में भोजन के पाचन का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
छोटी आँत में भोजन का पाचन : भोज्य पदार्थ के छोटी आँत के प्रहणी के अन्दर पहुँचते ही पित्ताशय से पित्त तथा पैंक्रियास से पैक्रियाटिक जूस और आन्त्र प्रन्धियों से आन्त्र रस आकर भोज्य पदार्थ से मिल जाता है। सबसे पहले पित्त अम्लीय भोजन को क्षारीय बना देता है। पैक्रियेटिक जूस में एमाइलेज, माल्टेज, ट्रीप्सिन एव पैक्रियेटिक लाइपेज नामक एन्जाइम पाया जाता है। अन्य रस में एमाइलेज, माल्टेज, सुकेज, लैक्टेज, इरोप्सिन एवं इन्टेस्टिनल लाइपेज एन्जाइम पाया जाता है। ये एन्जाइम निम्न रूप में कार्य करते है
- एमाइलेज, स्टार्च को पचाकर माल्टोज में बदलता है।
- माल्टेज, माल्टोज को सुकोज में बदलता है।
- सेकेज, सुकोज को ग्लूकोज तथा फ्रुक्टोज में बदलता है।
- लैक्टेज, लैक्टोज को पचाकर ग्लूकोज तथा ग्लैक्टोज में बदलता है।
- ट्रीप्सिन, प्रोटीन अथवा पेप्टोन को पेप्टाइड में बदलता है।
- इरेप्सिन, पेप्टाइज को पचाकर अमीनो अम्ल में बदलता है।
- लाइपेज वसा को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदलता है।
प्रश्न 44.
चयापचय से क्या समझते हो ? उपचय तथा अपचय की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
चयापचय (Metabolism) : जीव के शररोर में भोज्य पदार्थो के प्रवेश से प्रारम्भ होकर उनके उत्सर्जित होने तक जो विशिष्ट जैव रासायनिक क्रियाएँ होती हैं, उन्हें ही सम्मिलित रूप में मेटाबोलिज्म कहा जाता है। मेटोबोलिज्म को निम्नलिखित दो भागो में बाँटा जाता है :-
- उपचय (Anabolism) : सजीवों की जीवित कोशिकाओं के जीवद्रव्य मे होने वाली वह रचनात्मक क्रिया जिसमें सरल पदार्थो से जटिल पदार्थों का निर्माण होता है तथा जिसके फलस्वरूप शारीरिक वृद्धि, क्षतिपूर्ति तथा शुष्क भार में वृद्धि होती है, उपचय (Anabolism) कहलाती है। जैसे – प्रकाश संश्लेषण।
- अपचय (Catabolism) : यह सजीवों की जीवित कोशिकाओं में होने वाली एक विघटनकारी किया है जिसमें जटिल कार्बनिक पदार्थ सरल कार्बनिक पदार्थ में टूट जाते हैं तथा ऊर्जा मुक्त होती है, सजीवों के शरीर का शुष्क भार घटता है। इसे अपचय (Catabolism) कहते हैं। जैसे – श्वसन।
प्रश्न 45.
रक्त परिवहन तंत्र के अवयव कौन-कौन हैं ? रक्त परिवहन तंत्र के विभित्र अवयवों के आपसी सम्बन्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
रक्त परिवहन तंत्र के अवयव निम्नलिखित है :-
(i) रक्त (Blood)
(ii) हदय (Heart)
(iii) रक्त वाहिनियाँ (Blood vessels) –
- धमनी (Artery),
- शिरा (Vein),
- केशिका (Capillary)
रक्त परिवहन तंत्र के विभिन्न अवयवों का आपसी सम्बन्ध : ऐसा तंत्र जो नलिकाओं के माध्यम से शरीर के विभिन्न भागों में रक्त पहुँचाने, पोषक पदार्थों एवं आक्सीजन को ऊत्तकों तक ले जाने तथा कार्बन डाई-आक्साइड तथा अन्य वर्ज्य पदारों को बाहर निकालने का कार्य करता है, परिवहन तंत्र कहलाता है।
रक्त परिवहन तंत्र का मुख्य अवयव रक्त है। रक्त परिवहन का माध्यम है। धमनी, शिरा तथा केशिकाओं में रक्त हमेशा रहता है। हृदय से धमनियाँ निकलती हैं। इन धमनियों द्वारा शुद्ध रक्त का परिवहन होता है।
धमनियाँ शाखाओं में बँटकर केशिकाएँ बनाती हैं। ये केशिकाएँ पुनः आपस में मिलकर शिरा बनाती हैं जो हुदय से मिल जाती है। हदय में संकुचन तथा प्रसार (Systole and diastole) के कारण रक्त वाहिनियों मे प्रवाहित होता रहता है। सबसे पहले हुदय से रक्त धमनियों द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों में प्रवाहित होता है और केशिकाओं में पहुँचता है। केशिकाओं में उपस्थित रक्त और ऊत्तकों के बीच पदार्थों, गैसों इत्यादि का आदान-प्रदान होता है। इसके बाद रक्त दूषित
होकर पुन: शिराओं में आता है तथा शिरा द्वारा हदय में लौट जाता है। इस प्रकार रक्त परिवहन तंत्र के सभी अवयव एक दूसरे से सम्बन्धित होते हैं।
प्रश्न 46.
रक्त क्या है ? रक्त के विभिन्न कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
रक्त (Blood) : रक्त एक अपारदर्शक, अल्प क्षारीय, गाढ़ा लाल रंग युक्त, जटिल, तरल संयोजी ऊत्तक है।
रक्त के कार्य (Functions of Blood) :
- पोषक पदार्थों का परिवहन : रक्त द्वारा पाचित भोज्य पदार्थ, विटामिन, जल आदि आहार नाल से शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाये जाते हैं।
- O2 तथा CO2 का आदान-प्रदान तथा परिवहन : फेफड़े से O2 को रक्त द्वारा ही विभिन्न ऊत्तको में पहुँचाया जाता है तथा ऊत्तकों से O2 को फेफड़े तक पहुँचाया जाता है।
- हार्मोन का परिवहन : अन्तः स्रावी प्रन्थियों द्वारा सावित हार्मोन को रक्त द्वारा ही अन्य अंगों तक पहुँचाया जाता है।
- वर्ज्य पदार्थों का परिवहन : मेटाबोलिक क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न वर्ज्य पदार्थों को ऊत्तकों से उत्सर्जी अंगों तक पहुँचाया जाता है।
- जल का संतुलन : रक्त शरीर में जल का संतुलन बनाये रखता है।
- शरीर का ताप नियंत्रण : रक्त के प्रवाह के कारण शरीर में तापमान नियंत्रित रहता है।
- रक्त के कारण ही अम्ल तथा क्षार का संतुलन बना रहता है।
- WBC हानिकारक जर्म जीवाणुओं को निगल कर शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- रक्त जमने के गुण के कारण ही शरीर से रक्त क्षय को रोकने में सक्षम है।
प्रश्न 47.
लाल रक्त कणिका तथा श्वेत रक्त कणिका के कार्य क्या हैं ?
उत्तर :
लाल रक्त कणिका के कार्य (Function of R.B.C.) –
- O2 तथा CO2 का परिवहन करना।
- R.B.C. रक्त के अम्ल क्षार का संतुलन नियंत्रित करता है।
- रक्त की सान्द्रता को बनाये रखना।
- शरीर के ताप नियंत्रण में सहायता करना।
- Bilrubin तथा Bilverdin नामक वर्णक के निर्माण में सहायता करना।
श्वेत रक्त कणिका के कार्य (Function of W.B.C)
- इओसिनोफिल एलर्जी प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करता है।
- बेसोफिल हिपैरिन का निर्माण करता है, जो ऊत्तकों के पोषण तथा वृद्धि में सहायक है।
- न्यूट्रोफिल हानिकारक जीवाणुओं का भक्षण करता है या उन्हें निगल जाता है।
- लिम्फोसाइट एन्टीबॉडीज तथा फाइब्रिप्लास्ट का निर्माण करता है।
- कुछ W.B.C. ट्रीफोन (Trephone) का निर्माण करता है जो ऊत्तको के पोषण तथा वृद्धि में सहायक है।
प्रश्न 48.
मनुष्य के हृदय में रक्त सचार की क्रिया विधि का वर्णन स्वच्छ तथा नामांकित चित्र सहित कीजिए।
उत्तर :
मनुष्य के हृदय में रक्त संचार की क्रिया विधि दो अवस्थाओं में पूरी होती है – संकुचन (Systole) तथा प्रसार (Diastole)। सबसे पहले पल्मोनरी शिराओं द्वारा शुद्ध रक्त बायें अलिन्द में आता है। ठीक इसी समय अग्र तथा पश्च महाशिराओं द्वारा अशुद्ध रक्त दायें अलिन्द में आता है। दाहिने अलिन्द में स्थित S. A. Node से संकुचन प्रारम्भ होती है जिससे अलिन्दों में संकुचन होता है।
संकुचन के फलस्वरूप अलिन्दों में भरे रक्त में द्बाव पड़ता है। इसलिए दायें अलिन्द का अशुद्ध रक्त Tricuspid valve के खुल जाने से दायें निलय में आ जाता है। बायें अलिन्द का शुद्ध रक्त Biscuspid valve के खुल जाने से बायें निलय में आ जाता है। दोनों निलय में रक्त भर जाने के बाद निलय में संकुचन की क्रिया प्रारम्भ हो जाती है जिससे निलय से भरे रक्त पर दबाव पड़ता है। दबाव पड़ने से दाहिने निलय का रक्त पल्मोनरी धमनी से होकर फेफडे में चला जाता है। इसी समय बायें निलय का शुद्ध रक्त महाधमनी (Aorta) से होकर शरीर के विभिन्न भागों में जाता है।.
फेफड़े में गया अशुद्ध रक्त फिर शुद्ध होकर पल्मोनरी शिरा द्वारा बायें अलिन्द में वापस आ जाता है। शरीर के विभिन्न अंगों में जमा अशुद्ध रक्त अग्र तथा पश्च महाशिराओं द्वारा वापस दायें अलिन्द में आ जाता है। इस प्रकार मनुष्य में रक्त को एक चक्र पूरा करने में हृदय से दो बार गुजरना पड़ता है। इसलिए मनुष्य के रक्त परिवहन को द्विगुना परिवहन(Double Circulation) कहते हैं।
प्रश्न 49.
उत्सर्जन तथा उत्सर्जन तंत्र से क्या समझते हैं ? अमीबा, टेपवर्म, कीट, केंचु, झिंगा, टोड, हाइड्रा, स्पंज एवं मनुष्य का उत्सर्जी अंग बताइये।
उत्तर :
उत्सर्जन (Excretion) : जिस प्रक्रिया द्वारा सजीव उत्सर्जी या दूषित पदार्थों को बाहर निकालते हैं, उसे उत्सर्जन कहते हैं।
उत्सर्जन तंत्र (Excretory system) : जन्तुओं के उत्सर्जन क्रिया में भाग लेने वाले अंगों के सम्मिलित रूप को उत्सर्जन तंत्र कहते हैं।
जन्तुओं का नाम | उत्सर्जी अंग |
1. अमीबा | 1. संकुचनशील रसधानी |
2. टेप वर्म (टेनिया सोलियम, प्लेनेरिया आदि) | 2. ज्वाला कोशिका |
3. कीट (तिलचट्टा, टिड्डा, मच्छर आदि) | 3. मालपिजियन नलिकाएँ |
4. केंचुआ, जोंक आदि | 4. नेफ्रिडिया (Nephrida) |
5. झिंगा (Prawn) | 5. हरी ग्रंथि (Green gland) |
6. टोड | 6. वृक्क |
7. हाइड्रा, स्पंज | 7. शारीरिक सतह |
8. मनुष्य (मेरूदण्डी) | 8. वृक्क, त्वचा, फेफड़ा, बड़ी आँत तथा यकृत मुख्य उत्सर्जी अंग- वृक्क |
प्रश्न 50.
मानव वृक्क की संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मनुष्य का मुख्य उत्सर्जी अंग वृक्क (Kideny) है।
मनुष्य के वृक्क की संरचना (Structure of human kidney) :
बाह्य संरचना (External structure) : वृक्क का आकार सेम के बीज की तरह होता है। यह गाढ़े भूरा लाल रंग का होता है। प्रत्येक वृक्क 11 cm. लम्बी, 6 cm चौड़ी तथा 2 cm मोटी होती है। एक पूर्ण वयस्क मनुष्य में इसका वजन लगभग 150 ग्राम होता है। इसकी बाहरी सतह उत्तल (Convex) तथा भीतरी सतह अवतल (Concave) होती है।
भीतरी सतह के मध्य में एक गर्त (Cavity) पायी जाती है जिसे हाइलम (Hilum) कहते हैं। हाइलम से होकर रीनल धमनी तथा रीनल शिरा वृक्क में प्रवेश करती है तथा मूत्र नलिका (Ureter) बाहर निकलती है। वृक्क एक आवरण द्वारा घिरा रहता है जिसे कैप्सूल (Capsule) कहते हैं।
आन्तरिक संरचना (Internal structure) : किडनी को लम्बवत् दो भागों में काटने पर निम्नलिखित रचनाएँ दिखायी पड़ती हैं।
- कार्टेक्स (Cortex) : यह किडनी का बाहरी लाल भाग है।
- मेडूला (Medulla) : यह कार्टेक्स के भीतर का हल्का लाल भाग है। इस भाग में कई शक्वाकार पिरामिड जैसी रचनायें पायी जाती हैं जिन्हें रीनल पिरामिड (Renal Pyramid) कहते हैं।
- पेल्विस (Pelvis) : यह कीप के आकार वाला भाग है जिससे युरेटर (Ureter) जुड़ा रहता है। यह भाग हाइलम द्वारा बाहर निकलता है। प्रत्येक वृक्क अंसख्य पतले-पतले धागे के समान कुण्डलित रचनाओं से बने होते हैं जिसे नेफ्रान कहते हैं। नेफ्रान कार्टेक्स तथा मेडूला दोनों ही भाग में फैले रहते हैं।