WBBSE Class 9 Life Science Solutions Chapter 4 जीव विज्ञान एवं मानव कल्याण

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WBBSE Class 9 Life Science Chapter 4 Question Answer – जीव विज्ञान एवं मानव कल्याण

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
एण्टिभेनिम का उपयोग किस रोग के उपचार में किया जाता है?
उत्तर :
सर्प-दंश (साँप के काटने के उपचार में)।

प्रश्न 2.
जन्मजात रोग निरोधक क्षमता को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
प्राकृतिक प्रतिरक्षा।

प्रश्न 3.
मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने वाले एक सूक्ष्मजीव का नाम लिखिए।
उत्तर :
राइजोबियम।

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प्रश्न 4.
इन्जेक्शन या मुँह के द्वारा पिलाकर शरीर में प्रविष्ट कराने वाली रोग निरोध क्षमता को क्या कहते हैं?
उत्तर :
टीकाकरण।

प्रश्न 5.
प्रोफाइलैक्सिस क्या है?
उत्तर :
टीकाकरण को वैज्ञानिक भाषा में प्राफाइलैक्सिस कहते हैं।

प्रश्न 6.
इम्यूनोजन्स किसे कहते हैं?
उत्तर :
इम्यूनोजेन्स एक पदार्थ हे जो प्रतिक्षा प्रतिकिया को प्रेरित करता है।

प्रश्न 7.
चेचक के टीका का आविष्कार किसने किया था ?
उत्तर :
एडवर्ड जेनर (Edward Jenner)

प्रश्न 8.
पोलियो वाइरस में किस प्रकार का केन्द्रक अम्ल पाया जाता है।
उत्तर :
RNA

प्रश्न 9.
रेबीज का टीका किसने तैयार किया था?
उत्तर :
लुई पास्वर

प्रश्न 10.
डायरिया नामक बीमारी कैसे होती है ?
उत्तर :
डायरिया नामक बीमारी आँत में जीवाणुओं, विषाणुओं तथा प्रोटोजोआ आदि के संक्रमण से होती है।

प्रश्न 11.
टीका शब्द का आविष्कार किसने किया था?
उत्तर :
एडवर्ड जेनर

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प्रश्न 12.
मलेरिया का कारक कौन हैं?
उत्तर :
प्लाज्मोडियम परजीवी।

प्रश्न 13.
DPT का टीका बच्चों को किस उग्र में लगवाना चाहिए ?
उत्तर :
18-24 माह।

प्रश्न 14.
डेंगू कैसे फैलता है ?
उत्तर :
डेंगू एक संक्रामक बीमारी है। यह मादा एडिस एजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है ।

प्रश्न 15.
मनुष्य के किस उम्र में टिटनस बूस्टर का टीका लगाया जाता है ?
उत्तर :
10 वर्ष के उम्म में टिटनस बूस्टर का टीका लगाया जाता है।

प्रश्न 16.
जल जनित तीन बीमारियों के नाम बताइये।
उत्तर :
जल जनित तीन बीमारियाँ है – हैजा, पेचिश तथा टायफायड।

प्रश्न 17.
AIDS रोग के कारक का नाम बताइये।
उत्तर :
HIV (Human Immunodeficiency Virus)

प्रश्न 18.
लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया किस प्रकार हमारे लिए लाभदायक है?
उत्तर :
लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया दूष को दही में बदलने के लिए काम में आता है।

प्रश्न 19.
WASH का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर :
Water and Sanitation Hygiene.

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प्रश्न 20.
टैब क्या है ?
उत्तर :
टायफायड रोग जैसे हीन संक्रमण से बचाव के लिए उपयोग में लाने वाले टीके को टैब (TAB) कहते हैं।

प्रश्न 21.
मलेरिया रोग किस प्रोटोजोआ के कारण होता है?
उत्तर :
प्लास्मोडियम जाति के प्रोटोजोआ द्वारा।

प्रश्न 22.
डिप्थेरिया रोग के कारक का नाम क्या है ?
उत्तर :
डिप्थेरिया रोग का कारक कोरिन-बैक्टीरियम डिप्थेरा नामक जीवाणु है।

प्रश्न 23.
एक रोगाणुवाहक का नाम लिखिए।
उत्तर :
मच्छर, घरेलू मक्खी ।

प्रश्न 24.
प्रतिरक्षणता किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रतिरक्षणता : हमारे शरीर में पायी जानेवाली रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रतिरक्षणता कहते हैं।

प्रश्न 25.
क्षयरोग की अवधि लिखो।
उत्तर :
2 – 10 सप्ताह।

प्रश्न 26.
ORS क्या है ? यह किस बीमारी में काम करता है ?
उत्तर :
ORS एक प्रकार का पावडर घोल है जो डायरिया बीमारी में काम करता है।

प्रश्न 27.
मिद्टी की उर्वरा शक्ति को किस प्रकार से बनाये रखा जा सकता है ?
उत्तर :
फसल चक्र द्वारा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को कायम रखा जाता है ।

प्रश्न 28.
एक हानिकारक वाइरस का नाम बताइये।
उत्तर :
HIV

प्रश्न 29.
एक लाभदायक जीवाणु का नाम बताइये।
उत्तर :
एजेटोबैक्टर।

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प्रश्न 30.
मलेरिया रोग किस प्रोटोजोआ के कारण होता है।
उत्तर :
प्लाज्मोडियम वाइवेक्स (Plasmodium Vivex)

प्रश्न 31.
एक हानिकारक कवक का नाम लिखिए।
उत्तर :
पक्सिनिया आ्मामिनिस (Puccinia graminis)

प्रश्न 32.
किस मच्छर के द्वारा डेंगू फैलता है?
उत्तर :
एडिस मच्छर।

प्रश्न 33.
एक ऐसे वाइरस का नाम बताइये जिसमें RNA तथा DNA दोनों पाया जाता है।
उत्तर :
पोलियो वाइरस।

प्रश्न 34.
पोलियो वाइरस में किस प्रकार का केन्द्रक अम्ल पाया जाता है।
उत्तर :
RNA

प्रश्न 35.
कौन-सा जीवाणु T.B. रोग फैलाता है ?
उत्तर :
माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस।

प्रश्न 36.
हैजा फैलाने वाले जीव का नाम बताइये।
उत्तर :
Vibrio cholera

प्रश्न 37.
टिटेनस किस जीवाणु के कारण होता है।
उत्तर :
क्लास्ट्रीडियम टेटानी।

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प्रश्न 38.
यकृत में होनेवाला जानलेवा रोग क्या है ?
उत्तर :
हेपेटाइटिस।

प्रश्न 39.
एक लाभदायक कवक का नाम बताइये।
उत्तर :
यीस्ट।

प्रश्न 40.
WHO का पूरा नाम बताइये ?
उत्तर :
वर्ड्ड हेल्य आर्गनाइजेशन (World Health Organisation)

प्रश्न 41.
AIDS का पूरा नाम बताइये ?
उत्तर :
Acquired Immuno Deficiency Syndrome

प्रश्न 42.
जैव उर्वरक क्या है ?
उत्तर :
जैव उर्वरक एक प्रकार का जीव है जो मृदा की उर्वरता तथा पोषक गुणवत्ता को बढ़ाता है।

प्रश्न 43.
डी० पी० टी० का टीका किस रोग का उपचार है।
उत्तर :
डिप्थेरिया, परटयूसिस और टिटनेस।

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प्रश्न 44.
जैव उर्वरक के मुख्य स्रोत क्या हैं ?
उत्तर :
जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्टीरिया आदि जैव उर्वरक के मुख्य सोत हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2/3 MARKS

प्रश्न 1.
इम्यूनिटी किसे कहते हैं ? उदाहरण दें।
उत्तर :
हमारे शरीर में वातावरण में उपस्थित अनेक प्रकार के रोग उत्पादक (Pathogenic) विषाणुओं, जीवाणुओं, कवकों (Fungi) तथा परजीवी जीवधारियों का आक्रमण होता रहता है। वातावरण से अनेक विषेले पदार्थ भी हमारे शरीर में पहुँचते रहते हैं। शरीर के अन्दर भी आक्रमणकारी जीवों द्वारा विषैले पदार्थ मुक्त होते हैं। हमारे शरीर में इन हानिकारक पदार्थों (घतिजन) से प्रतिरोध करने की क्षमता को इम्यूनिटी (Immunity) कहते हैं।

प्रश्न 2.
एन्टीबाडीज़ क्या है ?
उत्तर :
प्रतिरक्षी (Antibodies) : प्रतिरक्षी पदार्थ (Antibodies) लम्फोसाइट्स द्वारा निर्मित वे प्रोटीन्स होते हैं जो शरीर में आने वाले प्रतिजन की क्रियाशीलता को नष्ट कर शरीर को रोगों से बचाते हैं।

प्रश्न 3.
सहज प्रतिरक्षा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सहज प्रतिरक्षा : सहज प्रतिरक्षा (इनेट इम्यूनिटी) एक प्रकार की आवेशिष्ट रक्षा है जो जन्म के समय से मौजूद होती है।

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प्रश्न 4.
पैथोजेनिक सूक्ष्म जीवों की परिभाषा लिखो।
उत्तर :
शरीर में उपस्थित अनेक प्रकार के रोग उत्पादको जैसे विषाणु, जीवाणु, कवक तथा परजीवी जीवधारिंयों को पैथोजेनिक कहा जाता है।

प्रश्न 5.
अच्छे स्वास्थ्य की तीन मूल शर्तों के नाम लिखो।
उत्तर :

  • पीने का पानी शुद्ध एवं संक्रमणरहित होना चाहिए।
  • भोजन स्वास्थ्यकर तरीके से पकाना चाहिए।
  • वैज्ञानिक विधि से पास्तूरीकृत किया हुआ कीटाणुरहित दूध पीना चाहिए।

प्रश्न 6.
फैगोसाइटोसिस से आप क्या समझते हो ?
उत्तर :
श्वेत रक्त कणिकाओं द्वारा रोगाणुओं के भक्षण की विधि को फैगोसाइटोसिस (Phagocytosis) कहते हैं।

प्रश्न 7.
अर्जित प्रतिरक्षा किसे कहते हैं?
उत्तर :
मनुष्य के शरीर में रोगाणुओं द्वारा कुछ रोगों के होने या उनके मृत या कमजोर रोगाणुओं को शरीर में इंजेक्शन से खा मुँह द्वारा पिलाकर शरीर के अन्दर प्रवेश कराने से भविष्य में उनके प्रति स्थायी अथवा अस्थायी रोग प्रतिरोधकता उत्पन्न हो जाती है जिसे अर्जित प्रतिरक्षा कहते हैं।

प्रश्न 8.
एन्टीबायोटिक क्या है ?
उत्तर :
ये विशिष्ट जीवों जैसे बैक्टीरिया, कवक आदि के उपापचयी उत्पादों (metabolic products) से प्राप्त किये जाते हैं। इनका उपयोग अन्य सूक्ष्म जीवों को नष्ट करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 9.
टीकाकरण (Vaccination) क्या है ?
उत्तर :
ऐसी क्रिया जिसमें मृत या जीवित या विशिष्ट सूक्ष्म जीव के परिवर्तित लक्षण को सूई लगाकर अथवा मुख द्वारा स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कराया जाता है जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है, टीकाकरण कहलाता है।

प्रश्न 10.
चेचक के टीके का आविष्कार कब और किसने किया?
उत्तर :
डॉ॰ एडवर्ड जेनर ने सन् 1898 में चेचक के टीके का आविष्कार किया था ।

प्रश्न 11.
WHO के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा लिखो।
उत्तर :
W.H.O. के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा – “वह स्थिति जिसमें पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक सम्पन्नता हो, न कि केवल बीमारियों या पीड़ा का न होना।”

प्रश्न 12.
निम्न के सम्पूर्ण नाम लिखो – WHO, DPT, BCG, AIDS, HIV तथा DOTS.
उत्तर :
WHO – World Health Organisation
DPT – Diphtheria, Pertussis and Tetanus,
BCG – Bacillus Calmette Guerin,
AIDS – Acquired Immune Deficiency Syndrome
HIV – Human Immuno Deficiency Syndrome Virus,
DOTS – Direct Observed Treatment Short Course.

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प्रश्न 13.
रोग-प्रतिरक्षण क्या है ?
उत्तर :
यह शरीर की स्वाभाविक रूप से या टीको के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने की क्षमता है। जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को टीका के माध्यम से किसी विशेष बीमारी के लिए प्रतिरोधी बनाया जाता है ।

प्रश्न 14.
रोग क्या है ?
उत्तर :
रोग हमारे शरीर की वह अवस्था है जिसमें सामान्य शारीरिक कियाएँ बाधित हो जाती हैं, शारीरिक अंग और अंग तंत्र सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 15.
हेपेटाइटिस की रोकथाम कैसे करोगे?
उत्तर :
हेपेटाइटिस की रोकथाम के लिए हेपेटाइटिस – B का टीका लगवाना चाहिए । दैनिक रहन-सहन पर पूर्ण स्वच्छता रखनी चाहिए, जिससे इस रोग का प्रादुर्भाव न होने पाए। संक्रमण से सुरक्षा के लिए पेयजल आयोडाइज्ड तथा UV-किरणों से उपचारित होना चाहिए।

प्रश्न 16.
हेपेटाइटिस रोग के लक्ष्षण क्या हैं ?
उत्तर :
हेपेटाइटिस रोग के लक्षण : विभिन्न प्रकार के हेपेटाइटिस के लक्षण भिन्न-भिन्न होते हैं। सिर दर्द, हल्का बुखार, जॉन्डिस एवं गहरे रंग का मूत्र इस रोग के साधारण लक्षण हैं। भूख में कमी, शरीर का वजन घटने लगता है। यकृत में जलन होती है।

प्रश्न 17.
डिप्येरिया रोग के लक्षण क्या हैं ?
उत्तर :
तेज बुखार, त्वचा में अलसर, गले में सूजन आदि डिप्थेरिया रोग के लक्षण है r

प्रश्न 18.
प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया की तीन प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :

  • आक्रामक को पहचानना
  • आकामक को नष्ट करना
  • आक्रामक को परद रखना

प्रश्न 19.
जैव नियंत्रण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जैव नियंत्रण का अर्थ है वैज्ञानिक विधि से पौधों को रोगों तथा पोड़कों (Pests) का नियंत्रण करना। आजकल ये समस्याएँ विभिन्न रसायनों, कीटनाशकों एवं पीड़क नाशकों के फ्रयोग से नियत्रित की जाती हैं।

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प्रश्न 20.
उपार्जित प्रतिरक्षण किसे कहते हैं? टीका तथा टीकाकरण में अन्तर बताओ।
उत्तर :
कुछ रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता हम अपने जीवन काल में विकसित करते हैं। ऐसी प्रतिरक्षा को उपार्जित प्रतिरक्षा कहते हैं । टीका एक जीवों के शरीर का उपयोग करके बनाया गया द्रव्य है जिसके प्रयोग से शरीर में किसी रोग विशेष से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। टीकों को शरीर में प्रवेश कराने की विधि को टीकाकरण कहते है ।

प्रश्न 21.
रक्त शून्यता क्या है? इस बीमारी के लक्षण बताओ।
उत्तर :
रक्त शून्यता वह स्थिति है जिसमें आपके शरीर के ऊतकों तक पर्याप्त ऑक्सीजन ले जाने के लिए पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होती है। जिसे कम हीमोग्लोबिन भी कहा जाता है, आपको थका हुआ और कमजोर महसूस कराता है।
लक्षण : थकान या सांस की तकलीफ।

प्रश्न 22.
शारीरिक रोध क्या है ? एक उदाहरण दो।
उत्तर :
शारीरिक रोध : हमारे शरीर पर त्वचा मुख्य अवरोधक है जो सूक्ष्मजीवों के मवेश को रोकता है। श्वसन जठरांत्र (गैस्ट्रोइटेटाइनल) और जननमूत्र पथ को आस्तरित करने वाली एपिथीलियम का श्लेष्मा आलेप (म्यूकस कोटिंग) भी शरीर में घुसने वाले रोगाणुओं को रोकने में सहायता करता है।

प्रश्न 23.
एण्टीजेन तथा एण्टी बॉडी की परिभाषा लिखो।
उत्तर :
एण्टीजेन (Antigen) : शरीर के अन्दर भी आक्रमणकारी जीवों द्वारा विषैले पदार्थ मुक्त होते हैं। इन विषैले पदार्थों (Toxins) को एण्टीजेन (Antigen) कहते हैं।

एण्टीबॉडी : हमारे शरीर में प्रवेश करने वाले हानिकारक वाइरस या विषेलों पदार्थों या वाइरस के प्रभाव को समाप्त करने के लिए एक दूसरा पदार्थ उत्पन्न होता है। उसे एन्टीबॉडी (Antibody) कहते हैं।

प्रश्न 24.
नाइट्रोजन स्थिरीकरण से क्या समझते हो ?
उत्तर :
नाइट्रोजन स्थिरीकरण : वायुमण्डलीय नाइट्रोजन गैस को सरल एवं घुलनशील अकार्बनिक यौगिकों जैसे नाइट्रेट तथा नाइट्राइट आदि के रुप में बदलने की क्रिया को नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कहते हैं।

प्रश्न 25.
राइजोबियम क्या है ?
उत्तर :
राइजोबियम छड़ के आकार का एक लाभदायक बैक्टीरिया है। ये दलहन जातीय पौषे जैसे – चना, मटर आदि पौधों की जड़ों के ग्रंथों में उपस्थिति रहते हैं। इनमें नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्षमता होती है जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।

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प्रश्न 26.
माइक्रोब्स (Microbes) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
माइक्रोब्म (Microbes) : ऐसे सारे जीव जिन्हें हम अपनी खुली आँखों से देख नही पाते है, जिन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र (माइकोस्कोप) की आवश्यकता होती है, माइकाब्स कहलाते हैं।

प्रश्न 27.
प्राकृतिक प्रतिरक्षा क्या है ?
उत्तर :
प्राकृतिक प्रतिरक्षा (Natural immunity) : कुछ रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता शरीर में जन्म से ही पाई जाती है, इसे ही प्राकृतिक प्रतिरक्षा कहते हैं।

प्रश्न 28.
वाइरस क्या है ?
उत्तर :
न्यूक्लिओ प्रोटीन गठित वह सूक्ष्मतम रोग कारक, अकोशिकीय परजीवी जिसमें सजीव तथा निर्जीव दोनों के गुण जाये जाते हैं, वाइरस कहलाता है।

प्रश्न 29.
दो रोग उत्पन्र करने वाले जीवाणुओं के नाम बताइये ?
उत्तर :

रोग का नाम जीवाण का नाम
डिष्थेरिया कोरिन बैक्टीरिया डिप्थेरी (Coryne bacterium diphtheriae)
टायफायड साल्मोनेला टाइफी (Salmonella typhi)

प्रश्न 30.
फंगस क्या है?
उत्तर :
फंगस (Fungus) : क्लोरोफिल रहित मृतोपजीवी या परजीवी एक कोशिकीय या बहुकोशिकीय पौधों को फंगस कहते हैं। इसमें जड़, तना तथा पत्ती का अभाव होता है।

प्रश्न 31.
मच्छरों द्वारा संक्रमित रोग के नाम बताएँ ।
उत्तर :
मादा संक्रमित मच्छर द्वारा मलेरिया बुखार तथा मादा क्यूलेक्स मच्छर द्वारा फाइलेरिया संक्रमित होते हैं।

प्रश्न 32.
बैक्टीरिया द्वारा फैलने वाले रोगों के नाम बताइये।
उत्तर :
बैक्टीरिया द्वारा फैलने वाले रोग – न्यूमोनिया, हैजा, डायरिया, टी० बी०, प्लेग, टिटनेस, कोढ़ आदि हैं।

प्रश्न 33.
दो रोग फैलानेवाले प्रोटोजोआ के नाम लिखिए।
उत्तर :

प्रोटोजोआ रोग
प्लाज्मोडियम वाइवेक्स (Plassmodium vivax) मलेरिया (Malaria)
एण्टामिबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba Histolytica) अमीबियोसिस (Amoebiasis)

प्रश्न 34.
क्षयरोग या टी० बी० के लक्षण क्या हैं ?
उत्तर :
सामान्यत: हल्का बुखार होना, लगातार खाँसी आना, खाँसते समय कफ या बलगम के साथ रक्त निकलना तथा रात में शरीर में पसीना निकलना क्षयरोग के प्रमुख लक्षण हैं।

प्रश्न 35.
रक्तधान द्वारा संचारित रोगों के नाम बताइये ?
उत्तर :
रक्तधान द्वारा संचारित रोग :

  • Hepatitis
  • AIDS
  • Malaria

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प्रश्न 36.
मलेरिया रोग के लक्षण बताइए।
उत्तर :
मलेरिया में रोगी को जाड़ा तथा कँपकँपी के साथ तेज बुखार आता है। सिर तथा शरीर में अत्यधिक दर्द होता है।

प्रश्न 37.
जीवाणुओं का आर्थिक महत्व लिखिए।
उत्तर :

  • बैक्टीरिया का उपयोग चाय एवं तम्बाकू उद्योग, चर्म उद्योग, रबर उद्योग, टेक्स्टाइल उद्योग, प्लास्टिक उद्योग आदि में किया जाता है।
  • यह मक्खन, पनीर, दही, घी आदि के उत्पादन में सहायक होते हैं।

प्रश्न 38.
डायरिया से रोकथाम के लिए कुछ उपाय बताइये ।
उत्तर :
डायरिया से रोकेथाम के उपाय :

  • पीने का जल शुद्ध तथा संक्रमण रहित होना चाहिए
  • सभी को व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
  • भोजन को अच्छी तरह पकाना चाहिए।

विवरणात्मक प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS

प्रश्न 1.
प्रतिरक्षा क्या है? प्रतिरक्षा कितने प्रकार की होती है? परिभाषा सहित लिखिए।
उत्तर :
प्रतिरक्षा (Immunity) : शरीर में प्रवेश करने वाले जीवाणु, विषाणु, विषाक्त पदार्थो इत्यादि को निष्किय कर उनके हानिकारक प्रभव से बचने की स्वयं की क्षमता को प्रतिरक्षा कहते हैं। प्रतिरक्षा निम्न दो प्रकार की होती हैं –

  • प्राकृतिक प्रतिरक्षा (Natural immunity) : किसी सजीव में जन्म से ही प्राप्त अपनी रक्षा की क्षमता को प्राकृतिक प्रतिरक्षा कहते हैं। जैसे – प्लाज्मा में एन्टिबोंडिज का पाया जाना
  • उपार्जित प्रतिरक्षा (Acquired immunity) : किसी खास रोग के कीटाणुओं के प्रवेश करने पर इसके हानिकारक प्रभाव से बचने के लिए प्लाज्मा में एन्टिबॉंडिज उत्पन्न करने की घटना को उपार्जित प्रतिरक्षा कहते हैं।

प्रश्न 2.
टी॰ बी० के लक्षण तथा संचरण विधि लिखिए।
उत्तर :
टी० बी० के लक्षण : लगातार खाँसी आना, हल्का बुखार होना, खाँसते समय कफ ग़ा बलगम के साथ रक्त का निकलना, छाती में दर्द होना, थकान महसूस होना, श्वाँस लेने में तकलीफ, बेचैनी तथा शरीर का वजन लगातार घटते जाना आदि लक्षण हैं।
टी० बी० के संचरण : यह रोग संक्रमित रोगी के थूक, कफ, खाँसी के माध्यम से फैलता है।

प्रश्न 3.
AIDS क्या है ? एड्स रोग किस प्रकार फैलता है ?
उत्तर :
AIDS (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) रोग HIV (Human Immuno Deficiency Virus) के कारण होता है। इस अवस्था में शरीर की रोग निरोधी क्षमता कम हो जाती है तथा शरीर विभिन्न प्रकार के रोगजनक संक्रमण से संक्रमित हो जाता है। रोगी का जीवित रहना सम्भव नहीं हो पाता है।

एड्स रोग के फैलने के तरीके : यह रोग निम्नलिखित तरीक से फैलता है :-

  • मुख्यतः यह रोग अनैतिक यौन संबंधों के कारण होता है। एड्स से पीड़ित व्यक्ति से यौन सम्बन्ध स्थापित करने पर स्वस्थ मनुष्य भी एड्स का शिकार हो जाता है।
  • इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के रक्त को दूसरे व्यक्ति में चढ़ाने पर इस रोग के विषाणु का स्थानान्तरण हो जाता है।
  • HIV से संकमित इंजेक्शन की सूई के व्यवहार से भी AIDS का संचरण होता है।
  • एड्स पीड़ित गर्भवती महिला का शिशु भी AIDS का शिकार हो जाता है।

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प्रश्न 4.
जैव नियंत्रण कारक से आप क्या समझते हैं ? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
जैव नियंत्रण कारक (Biocontrol Agents) : फसलों में रोग पैदा करने वाले सूक्ष्म-जीव, फसलों को नष्ट करने वाले कीड़े-मकोड़े तथा खेतों में अनावश्यक उगने वाली घासों को सूक्ष्म जीवधारियों के उपयोग से नियंत्रित करने की प्रक्रिया को जैविक नियंत्रण कहते हैं। जैव नियत्रण के उपयोग में आने वाले जैविक कारको को जैव नियत्रण कारक (Biocontrol Agents) कहा जाता है।

जैव नियंत्रण में उपयोग किये जाने वाले सूक्ष्म जीवधारी : जीवाणु, विषाणु, कवक तथा एक कोशिकीय जन्तु शामिल है। जैव नियंत्रण कारको का उपयोग मुख्यतः फसलों को क्षति पहुँचाने वाले कीटों के नियंत्रण में किया जाता है, कभी-कभी इनका उपयोग खेतों में अनावश्यक घासों तथा फसलों तथा फसलों की बीमारियो को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है।

प्रश्न 5.
टीकाकरण क्या है ? कुछ प्रचलित टीके तथा इनसे दूर होने वाले रोगों के नाम लिखिए ?
उत्तर :
टीकाकरण : टीकों को शरीर में प्रवेश की विधि को टीकाकरण कहते हैं।
कुछ प्रचलित टीके तथा उनसे दूर होने वाले रोगों के नाम निम्नलिखित है :-

टीका बीमारी
BCG T.B.
MMR Mumps, Measles & Rubella
Polio (Oral) Polio
Toxoid serum Diptheria
Cholera Vaccine Cholera
DPT Diptheria, Pertusis & Tetanus
TT Tetanus
Rubella Vaccine Small pox, German measles

प्रश्न 6.
‘WASH’ से आप क्या समझते हैं ? इसके दो उपयोग लिखें।
उत्तर :
जल-सफाई और स्वच्छता (WA-Water, S-Sanitation, H-Hygienc – WASH) : यूनिसेफ एक संस्था है जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को स्वच्छ जल तथा सफाई प्रदान करना और उनको स्वस्थ बनाना है। इस संस्था के कार्यकारी बोई ने 2006 ई० में इस कार्य को करने की मंजूरी दी। जावा और इंडोनेशिया में एक शौचालय के निर्माण से इस संस्था ने अपना कार्य प्रारम्भ किया गया। इस कार्यक्रम के उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित जल और बुनियादी स्वच्छता की सेवाओं को बेहतर ढग से

बढ़ावा देना है। इस संस्था के दो प्रमुख लक्ष्य है –

  • 2015 ई० तक सुरक्षित पीने का पानी और बुनियादी स्वच्छता के लक्ष्य को पूरा करना है।
  • सभी विद्यालयों में पर्याप्त बच्चों के अनुकूल पानी और शौचालय की सुविधा तथा स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम को सुनिश्चित करना है।

WASH के उपयोग : WASH के निम्नलिखित उपयोग हैं –

  • यह राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के लिये योगदान सुनिश्चित करता है कि सभी देश जागरूक होकर स्वच्छता के द्वारा सुधार लायें। यह पारिवारिक स्तर पर अधिक ध्यान केन्द्रित करके जल की गुणावत्ता, उन्नत स्वास्थ्य और आरोग्यता के क्षेत्र में प्रभावी कदम उठाता है।
  • यूनिसेफ डब्ल्यूएचओ (WHO) के साथ वैथ्थिक क्षेत्र में निगरानी करता है। यह राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करता है। यह स्वास्थ सचेतना की उत्नति में तकनीकी सहयोग द्वारा शिक्षा, स्वयं एवं पोषण के माध्यम से व्यावहारिक परिवर्तन को बढ़ावा देगा एवं स्वस्थ जीवन और विकास को क्रियान्वयन में मदद करेगा। संक्षेप में WASH का प्रमुख उद्देश्य सभी को स्वच्छ जल, सफाई के साधन और उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना और उनके विकास में सहयोग करना है।

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प्रश्न 7.
इम्यून प्रतिक्रियाओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
इम्यून प्रतिक्रियाएँ (Immune Responses) : इम्यून प्रतिरक्षा में दो विभिन्न प्रकार की, परन्तु परस्पर सम्बन्धित प्रतिक्रियाएँ होती है और दोनों ही प्रतिजनों (antigens) द्वारा उत्रेरित होती हैं। इनमें से एक प्रकार की प्रतिक्रियाओं को कोशिका-मध्यस्थीय अर्थात् कोशिकीय इम्यून प्रतिक्रियाएँ (cell-mediated or cellular immune responses – CMI) तथा दूसरी को प्रतिरक्षी-मध्यस्थीय अर्थात् इम्यून ह्यूमरल प्रतिक्रियाएँ (antibody-mediated or humoral immune responses – AMI) कहते हैं।

CMI प्रतिक्रियाओं में CD8+T कोशिकाएँ प्रचुरोद्भवन (proliferation) द्वारा अनक विनाशी टी-कोशिकाएँ (killer T-cells) बनाती हैं जो प्रतिजनों पर सीघे आक्रमण करती हैं। AMI प्रतिक्रियाओं में B- कोशिकाएँ प्लाज्मा कोशिकाओं (plasma cells) में रूपान्तरित होती हैं जो भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रतिजनों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की प्रतिरक्षा (antibodies) प्रोटीन्स का संश्लेषण करती हैं। इन प्रतिरक्षी प्रोटीन्स को इम्यूनोग्लोबुलिन्स (immunoglobulins) कहते हैं। ये सम्बन्धित प्रतिजनों से बँधकर इन्हे निष्किय करती हैं।

प्रश्न 8.
चेष्ट एवं निश्चेप्ट प्रतिरक्षा किसे कहते हैं।
उत्तर :
चेष्ट प्रतिरक्षा (Active Immunity) : टीका लगाने के बाद शरीर में अपनी प्रतिरक्षण प्रतिक्रियाओं द्वारा ही उपयुक्त एन्टीबॉडोज का संश्लेषण होता है। इसे इसीलिए चेष्ट प्रतिरक्षा कहते है।

निश्चेष्ट प्रतिरक्षा (Passive Immunity) : कुछ रोगों से बचाव के लिए उपयुक्त एन्टीबॉडीज (antibodies) प्रयोगशालाओं में तैयार करके रोग की सम्भावना से पहले ही, शरीर में इन्जेक्ट कर दिए जाते हैं। किसी ऐसे व्यक्ति के रुधिर सीरम (blood serum) को भी, जो रोग से प्रभावित होकर ठीक हो गया हो, दूसरे व्यक्ति के शरीर में इन्जेक्ट कर सकते है, क्योंकि इस सीरम में उपयुक्त एन्टीबॉडीज होते हैं।

ऐसे रुधिर सीरम को एन्टीसीरम (antiserum) कहते हैं। इसमें उप्पस्थित एन्टीबॉडीज कुछ समय के लिए शरीर में सक्रिय बने रहते हैं। यदि इस बीच सम्बन्धित रोगाणु या पतिजन शरीर में पहुंच जाते हैं तो इन्हें ये एन्टीबॉडीज नष्ट कर देते हैं। इसे शरीर की निश्चेष्ट (passive) प्रतिरक्षा कहते हैं। इसकी ख़ोज सन् 1890 में एमिल वान बेहरिंग (Emil von Behring) ने पशुओं में टिटेनस (tetanus) तथा मनुष्य में रोहिणी रोग अर्थात् डिथ्थीरिया (diptheria) नामक रोगों की रोकथाम के प्रयास के दौरान की।

प्रश्न 9.
एलर्जी क्या है ? यह किस प्रकार से होता है ?
उत्तर :
एलर्जी (Allergy) : यह प्रतिरक्षण का एक महत्वपूर्ण पार्श्व-प्रभाव (side effect) होता है।

एलजी होने की विधि एवं प्रभाव : यदि किसी ऐसे मलिजन की, जिसके लिए प्रतिरक्षण तंत्र अतिसंवेदनशील (hyperserisitive) हो चुका है, बहुत-सी मात्रा अचानक शरीर में पहुँचकर फैलती है, तो कुछ ही मिनटों में प्राय: पूर्ण शरीर में, तीव एवं असाधारण (abnormal) या विपथगामी (aberrant) प्रतिरक्षण प्रतिक्रिया होने लगती है। सभी ऊतकों में प्रदा (inflammation) प्रतिक्रिया के फलस्वरूप, पूरा शरीर फूल सकता है

या त्वचा पर दाने उभर आते हैं। इसे एलर्जी कहते हैं। इसमें उतको की विस्तृत क्षति और व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है। कुछ लोगों को दवाइयों, सौन्दर्य-पसाधन (cosmetics) रंगों आदि से प्रायः सीमित एलर्जी हो जाती है । एलर्जी उत्पत्र करने वाले पदार्थों को एलर्जेन्स (allergens) भी कहते हैं। कभी-कभी अपने ही शरीर में बनने वाले किसी पदार्थ या अपने ही शरीर के किसी ऊतक के प्रति प्रतिरक्षण तंत्र अति संवेदनशील होकर एलर्जी उत्पन्न कर देता है।

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प्रश्न 10.
डेंगू की प्रकृति, लक्षण एवं प्रसार का वर्णन करें।
उत्तर :
डेंगू (Dengue) : डेंगू का वाइरस ऐडीज नामक मच्छरों की मादाओं में पाया जाता है। यह सभी उष्ण कटिबंधीय देशों में परन्तु मुख्यतः दक्षिणी-पूर्वी एशिया; अफ्रीका तथा अमेरिका के दक्षिणी एवं मध्य भागों में पाया जाता है। इसे सामान्यत: हड्डीतोड़ बुखार भी कहते हैं। इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं – तेज ज्वर, सिर दर्द तथा पेशियों में दर्द। पेशियों और हड्डियों में अत्यधिक पीड़ा होती है जिस कारण इसे हड्डीतोड़ बुखार कहा जाता है। प्रायः सभी देशों में इस रोग के वाइरस पाये जाते हैं। एडीज मच्छरों की मादाओं द्वारा इस रोग को फैलाया जाता है। यह एक सक्रामक बीमारी है।

प्रश्न 11.
स्वच्छता का क्या आशय है ? इसे कैसे उपयुक्त बनाया जा सकता है ?
उत्तर :
पीने के लिए शुद्ध जल, रहने के लिए साफ सूथरा जगह और रोगों से रक्षा की व्यवस्था करना, स्वच्छता है। स्वच्छता की योजना को लागू करने के उपाय :-

  • यूनिसेफ सुधार स्वच्छता को बढ़ावा देगा। इसके साथ ही तीन स्तम्भ दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जायेगा।
  • स्वच्छता, सफाई और पानी के कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर बच्चों का समुचित विकास किया ज़ायेगा और उन्हें स्वस्थ रखा जायेगा।
  • संतुलित राष्ट्रीय कार्यक्रमों के ढांचे को बढ़ावा देना।
  • स्थायी ‘WASH’ कार्यक्रमों को स्केलिंग के लिए उत्मेरक और निरंतर समर्धन प्रदान करना।
  • यह संस्था सक्रिय रूप से ‘WASH’ की सेवा को स्थिरता प्रदान करेगी।
  • सहायक यूनिसेफ नगर निगम, जिला और प्रांत आदि में मजबूत संस्थानों को बनाने में मदद करेगा।
  • जल संसाधन प्रबंधन के माध्यम से स्थाई जल की आपूर्ति को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही मीठे जल के संसाधनों को बचाने का उपाय भी करना इसका उद्देश्य है।

प्रश्न 12.
आरोग्य विज्ञान क्या है ? विशेष अवस्थाओं के लिए सफाई-प्रबन्ध का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर :
व्यक्तिगत स्तर तथा घरेलू स्तर पर सफाई (Hygiene) स्वस्थ रहने के लिए नितान्त आवश्यक है । सोकर उटने के बाद नित्य कर्मो से निवृत्त होकर हमे प्रतिदिन स्नान करना चाहिए। गर्मी के दिनों में सम्भव हो सके तो दो बार स्नान करना लाभप्रद होता है। स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। यदि कपड़े साफ और शरीर स्वच्छ नहीं तो इनकी गंदगी सूक्ष्म जोवाणुओं की वृद्धि में सहायक होती है। गंदगी केवल दुर्गध ही पैदा नहीं करती, बल्कि यह शरीर को भी अस्वस्थ कर सकती है।

प्रतिदिन सुबह एवं रात्रि को सोने से पहले दाँतों को भी प्रभावित करते हैं, जिससे पायरिया नामक रोग हो सकता है । बढ़े हुए नाखूनों को काटना तथा उन्हें साफ करना भी निहायत आवश्यक है अन्यथा नाखूनों में मैल के जमा होने पर हंम प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते। खाने के पहले तथा खाने के बाद में हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना, अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। बच्चों को यह शिक्षा घर के वातावरण से प्राप्त होनी वाहिए जिससे उनमें अच्छी आदते विकसित हों।

विद्यालयों में भी मध्याह्ल भोजन (Mid-day meal) के समय इस म्रकार की आदतों के विकास के लिए शिक्षिक/शिक्षिका की निगरानी में साबुन द्वारा हाथों को साफ करवाया जाता है। विद्यार्थियों के बर्तनों की जाँच समय-समय पर होती है, ताकि वे साफ व सुखे रहैं।

अच्चे स्वास्थ्य के लिए घर को साफ तथा हवादार रखना भी आवश्यक है। ऐसा नहीं होने पर कोटाणुओं (germs) का विकास होने लगता है। इसलिए यह भी आवश्यक है कि घर के अगल-बगल का स्थान स्वच्छ रहे, कहीं पानी का जमाव नहीं हो, नहीं तो मच्छर, मक्खियाँ वृद्धि करने लगते हैं। रोग उत्पन्न करने वाले जीव तथा रसायन, हमारे शरीर में भोजन तथा पानी के माष्यम से प्रवेश कर जाते हैं। इसलिए स्वच्छ भोजन के साथ स्वच्छ जल का सेवन अच्छे स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है

प्रश्न 13.
जैव-खाद क्या है ? जैविक खाद का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर :
जैव उर्वरकों के मुख्य सोत जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्टीरिया (Cyanobateria) होते हैं। लेग्यूमिनस पौधों की जड़ों की गाँठों के अन्दर पाये जाने वाले राइजोबियम हवा की N2 को मिट्टी में स्थिर करने का कार्य करते हैं। यही N2 पौधे के शरीर में पादप प्रोटीन बनाने के काम आता है तथा हम जन्तुओं को भी प्रोटीन की प्राप्ति होती है । दुसरे जीवाणु जैसे ऐजोस्पाइरिलम तथा एजोबैक्टर मिट्टी में स्वतन्त्र अवस्था में रहकर नाइट्रोजन स्थिरीकरण का कार्य करते है। इस तरह मिट्टी में N2 की मात्रा बढ़ जाती है।

सायनोबैक्टीरिया स्वपोषित सूक्ष्म जीव है। जो जलीय तथा स्थलीय वातावरण में मिलते हैं तथा नाइट्रोजन के स्थिरीकरण (Nitrogen fixation) का कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए-ऐनाबीना, नॉसटाक, आंसिलेटोरिया आदि। धान के खेत के लिए सायनोबैक्टीरिया महत्वपूर्ण जैव-उर्वरक की भूमिका निभाते हैं। कवक पादपों के साथ सहजीवी सम्बन्ध (Mycorrhiza) बनाते हैं। ग्लोमस जीनस के बहुत से सदस्य माइकोराइजा बनाते हैं। इससे भोजन में कवकीय सहजीवी मृदा से फॉस्फोरस (P) का अवशोषण कर उसे पादपों में भेज देते हैं।

इस प्रकार हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि हमारे किसानों द्वारा जैव-उर्वरकों का व्यवहार बढ़ रहा है। हमें यह भी मालूम होना चाहिए कि जैव-उर्वरकों की एक बड़ी संख्या, बड़े पैमाने पर बाजार में उपलब्य है। इनके प्रयोग से मृदा का संरक्षण निश्चित रूप में होगा और रासायनिक उर्वरकों पर हमारी निर्भरशीलता घटेगी।

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प्रश्न 14.
मलेरिया क्या है ? मलेरिया के लक्षण क्या हैं ? मलेरिया की रोकथाम के उपाय क्या हैं ?
उत्तर :
मलेरिया (Malaria) : मलेरिया एक प्रोटोजोआ प्लाज्मोडियम की विभिन्न प्रजातियों से होने वाला रोग है। प्लाज्मोडियम की चार प्रजातियाँ हैं – वाइवेक्स, ओवेल, फैल्सीपेरम तथा मलेरिआई। यह परजीवी मनुष्य के यकृत एवं R.B.C. में तथा मादा एनोफिलीज मच्छर के आमाशय में विभाजित होकर वृद्धि करता हैं। जब संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर किसी मनुष्य को काटता है तो उसके लार के साथ अनेक परजीवी मनुष्य के रक्त में चले जाते हैं।

लक्षण (Symptoms) : मलेरिया का साधारण लक्षण है – कंपन के साथ तेज बुखार, सिर दर्द एवं पेशियों में दर्द। RBC टूटने से रक्त शून्यता होने लगती है। प्लीहा का आकार बढ़ जाता है। रोगी को प्रति 48 घंटे पर तेज बुखार आता है। RBC के फटने से रक्त में एक विषैला पदार्थ हीमोजोइन (Haemozoin) मुक्त होता है। इसी विषैले पदार्थ के कारण मनुष्य को तेज बुखार होता है।

रोकथाम :

  • सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए तथा खुले भागों में मच्छर-निरोधक कीम या सरसों का तेल लगाना चाहिए।
  • मच्छर के प्रजनन स्थानों पर कीटनाशक रसायनों जैसे – DDT का छिड़क्तव करना चाहिए।
  • छोटे-छोटे नालों या गद्दे को भर देना चाहिए ताकि मच्छरों का नाश हो
  • मकान के आसपास टूटे-फूटे बरतन या ऐसे पात्र जिसमें जल जमा रहता है, नहीं रहने देना चाहिए।

प्रश्न 15.
संक्रामक बीमारी किसे कहते हैं ? कुछ संक्रामक रोग तथा उनके रोगाणुओं के नाम बताइये।
उत्तर :
संक्रामक बीमारी (Infectious disease) : सूक्ष्म जीव रोगाणुओं द्वारा होने वाले रोगों को संक्रामक बीमारी कहते हैं। जैसे – T.B., AIDS, मलेरिया आदि।

कुछ संक्रामक रोग तथा उनके रोगाणु |

रोग रोगाणु
1. AIDS, चेचक, डेंगू, पित्तज्वर आदि विषाणु
2. हैजा, डायरिया, प्लेग, न्यूमोनिया, कोढ़, टिटेनस, T.B. आदि जीवाणु
3. मलेरिया, कालाजार आदि प्रोटोजोआ
4. फाइलेरिया, हाथी रोग आदि कृमि
5. चर्मरोग, भोजन का विषाक्त होना आदि कवक

प्रश्न 16.
सूक्ष्म जीव मानव कल्याण में किस प्रकार सहायक हैं ?
उत्तर :
मानव कल्याण में सूक्ष्म जीव :- सूक्षजीव सर्वव्यापी होते हैं। सूक्ष्म जीव उन स्थानों पर भी उपस्थित रहते हैं, जहाँ जीवन सम्भव नहीं है। ये सूक्ष्म वायु, जल, मिट्टी, प्राणी, पौषे आदि में व्याप्त होते हैं। ये सूक्ष्म जीव हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में कार्य करते हैं। सभी सूक्ष्म जीव रोग पैदा नहीं करते हैं, इनमें से कुछ तो बहुत ही लाभदायक होते हैं दूध को दही में बदलने का काम लैक्टोबैसिलस नामक जीवाणु करता है।

डोसा, इडली, बनाने में जीवाणु द्वारा किण्वन होता है। पावरोटी बनाने में भी आटे के साथ खमीर (Yeast) सारकोमाइसजी सेरीविसी का प्रयोग किया जाता है। सूक्ष्म जीवों का प्रयोग सोयाबिन, किण्वित मछली आदि के भोजन तैयार करने में किया जाता है। लाभप्रद सूक्ष्म जीवों द्वारा पेनिसिलीन नामक एन्टीबायोटिक का उत्पादन किया जाता है। सूक्ष्म जीव द्वारा उत्पन्न बायोगैस का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा के रूप में किया जाता है। इस प्रकार मानव कल्याण में सूक्ष्म जीवों का बहुत बड़ा योगदान है, ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 17.
एडवर्ड जेनर कौन थे ? इन्होंने किसका आविष्कार किया ? किस प्रकार से टीकाकरण द्वारा हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है ? लिखो।
उत्तर :
टीकाकरण की क्रिया का विचार सर्वप्रथम एडवर्ड जेनर (Edward Jenner 1748-1823) के मस्तिष्क में उत्पन्न हुआ। एडवर्ड जेनर एक डॉक्टर थे। एकबार इंग्लैण्ड में स्माल पॉक्स की बहुत ही भयकर बीमारी फैल गई। इसके प्रभाव से अधिकतर शहरी निवासियों की मृत्यु हो गई। परन्तु गायो के निवास स्थानों (गोशाला) में रहने वाले ग्रामीण लोगों अर्थात् ग्वालों पर इसका प्रभाव बहुत ही कम था।

अधिकतर किसान और दूथ उद्योग से संबंधित काउ पॉक्स द्वारा प्रभावित होकर शीघ्र ही स्वस्थ हो गये। इसे देखकर उन्होंने अनुभव किया कि ऐसे व्यक्ति जो काउ पोंक्स के वैक्सिन लिये हैं उनको स्माल पॉक्स से सुरक्षा हो जाती है। डॉ० जेनर ने मई 1796 ई० में अपनो इस टीकाकरण की विधि एक बच्चे के ऊपर प्रयोग करके सफलता प्राप्त की।

जेनर ने शरीर में जीवाणु के विषैले प्रभाव को नष्ट करने के लिए उत्पन्न हुए प्रतिरक्षी पदार्थ का नाम वैविसन (Vaccine) रखा और शरीर के अन्दर इसे प्रदान करने की क्रिया को टीकाकरण (Vaccination) कहा। किसी रोग से सुरक्षा करने के लिए वैक्सिन के उपयोग की विधि को वैक्सिनोधिरापी (Vaccinotherapy) कहते हैं। लुईस पास्तूर ने जेनर के सिद्धान्त को स्वीकार करके ऐंच्थेक्स, चिकेन पोंक्स, हैजा, रैबिस(Hydrophobia) का वैक्सिन तैयार किया।

प्रश्न 18.
वैक्सिन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
वैक्सिन के प्रकार (Types of vaccine) : वैक्सिन निम्न प्रकार की होती हैं –

  • जीवित वैक्सिन (Live vaccine): यह सजीवों के शरीर से प्राप्त की जाती है। यह निर्जीव वैक्सिन से अधिक सक्रिय है। जैसे – ओरल पोलियो (B.C.G.), स्मालपॉक्स, मीजील्स (Measles) और मम्पस (Memps) की वैक्सि।
  • मृतजीवों से प्राप्त वैक्सिन (Killed vaccines) : इस वैक्सिन को प्राप्त करने के लिए पहले जीवधारी को उष्मा या रासायनिक पदार्थों द्वारा जान से मार दिया जाता है। इनकी कोशिकाओं से प्राप्त वैक्सिन को जब शरीर में प्रेषित किया जाता है तो यह शरीर में इम्यूनिटी उत्पत्र करती है।

प्रश्न 19.
जैव उर्वरक के रूप में सायनो बैक्टीरिया तथा माइकोराइजा के महत्व पर प्रकाश डालो।
उत्तर :
जीवाणु जैविक उर्वरक के रूप में (Bacteria as biofertilizer) : कुछ जीवाणु भूमि में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके उसकी उर्वरा शक्ति को बढ़ाते है। इस प्रकार पौधों को कृत्रिम उर्वरक की आवश्यकता नहीं पड़ती है। ये जीवाणु सहजीवी (Symbiotic), स्वतंत्र रहने वाले और उच्च श्रेणी के पौधों की जड़ों के पास में जैसे-तैसे रहने वाले है।

जैविक उर्वरक (Biofertilizer) : जैविक उर्वरक वे सूक्ष्म जीवधारी हैं, जो अपनी जैविक क्रियाओं से भूमि में पोषक पदार्थो (Nutrients) की पूर्ति करते हैं। जीवाणु और साइनोजीवाणु वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को भूमि में नाइट्रोजन के यौगिकों के रूप में परिवर्तित कर देते हैं। इस कार्य में कुछ फफुंद (Fungi) भी सहायता करते हैं। जैसे माइकोराइजा।

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प्रश्न 20.
जैव उर्वरकों से क्या समझते हो ? इसके प्रयोग को किस प्रकार से प्रोत्साहित किया जायेगा ? जैव कृषक किनको कहते हैं ?
उत्तर :
जैव उर्वरकों : नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने के कारण कुछ जीवाणु जैव उर्वरक का कार्य करते हैं। एजोला एक तैरने वाला और तीव्र गति से उगने वाला फर्न का पौधा है। इसकी पत्तियों में उपस्थित रिक्त स्थानों में साइनोवैक्टिरियम और एनाबिना एजोला (Cynsbacterias and Anabaena azolla) रहते हैं।

ये वायु की स्वतंत्र नाइट्रोजन को पत्तियों के रिक्त स्थानों में ग्रहण कर नाइट्रोजन के यौगिकों के रूप में परिवर्तित करते हैं। यह एक उत्तम उर्वरक का कार्य करता है। इसके उपयोग से लगभग 50% फसल की उपज बढ़ जाती है। एनाबिना और नोस्टाक (Anabaena and Nostoc) भी प्रकाश-संश्लेषण से नाइट्रोजन के स्थिरीकरण के लिये ऊर्जा प्राप्त करते है। अत: ये भी उर्वरक का कार्य करते हैं।

जैविक उर्वरक के रूप में फफूंद (Fungi as biofertilizer) : कुछ फंजाई वर्ग के पौधे परजीवी के रूप में पौरों की जड़ों के ऊपर या उनकी कोशिकाओ में रहते हैं। वाह्म माइकोराइजा (Ectomycorrhiza) पाइनस और ओक की रेशेदार जड़ों के साथ रहता है। यह पौधे से अपना पोषक पदार्थ प्राप्त करता है और उसे पोषण के लिए नाइट्रोजन फॉस्फोट और केल्शियम प्रदान करता है। अन्तः माइकोराइजा (Endomycorrhiza) फंगस पौधों की कोशिकाओं के मध्य या कॉर्टेक्स की कोशिकाओं के अन्दर सहजीवी के रूप में रहता है। यह तम्बाकू, बाय, रबर और आर्किड आदि पौथों की जड़ों में पाया जाता है।

प्रश्न 21.
एक शिशु को विभिन्न समय की किन-किन बीमारियों से बचाव हेतु टीके लगाये जाते हैं ?
उत्तर :
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प्रश्न 22.
हेपेटाइटिस क्या है ? हेपेटाइटिस के लक्षण क्या हैं ? यह रोग कैसे फैलता है ?
उत्तर :
हेपेटाइटिस यकृत में होने वाला मुख्य रूप से वाइरस से फैलने वाला एक रोग है। हेपेटाइटिस का नाम वाइरस के विभिन्न प्रकार के अनुसार दिया जाता है। इस रोग को उत्पन्न करने वाले 6 प्रकार के वाइरस होते हैं। ये Hepatitis A से लेकर Hepatitis F हैं।

लक्षण : विभिन्न प्रकार के हेपेटाइटिस के लक्षण भिन्न भिन्न होते हैं। सिर दर्द, बुखार, जांन्डिस एवं गहरे पीले रंग का मूत्र इस रोग के साधारण लक्षण हैं। भूख न लगना, के होना, लिवर का आकार बढ़ जाना तथा जोड़ों में दर्द होना आदि भी इस रोग के लक्षण हैं।

रोग का फैलना : अनैतिक यौन संबंध स्थापित करने से, एक ही ब्लेड या रेजर से दाढ़ी बनवाने से, एक ही सीरिंज से कई लोगों को सूई लगाने से, नाक कान छेदाने से, थूक, लार आदि द्वारा यह रोग फैलता है। इस रोग से पीड़ित गर्भवती महिला का शिशु भी इस रोग का शिकार हो जाता है।

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प्रश्न 23.
प्राकृतिक प्रतिरक्षा के विभिन्न रोधों का वर्णन कीजिए?
उत्तर :
प्राकृतिक प्रतिरक्षा के निम्न चार रोध है :-

  • शारीरिक रोध (Physical barriors) : हमारे शरीर पर त्वचा मुख्य अवरोधक है जो सूक्ष्म जीवों के प्रवेश को रोकती है।
  • कायकीय रोध (Physiological barriors) : आमाशय में अम्ल, मूँह में लार, आँखों के आँसू आदि कायकीय रोध हैं।
  • कोशिकीय रोध (Cellular barriors) : W.B.C. में उपस्थित मोनोसाइट्स, लिम्फोसाइट्स आदि।
  • साइटोकाइन रोध (Cytokine barriors) : विषाणु संक्रमित कोशिकायें इन्टरफेरॉन नामक प्रोटीन का स्नाव करती है जो असकमित कोशिकाओं को और आगे विषणणु के संक्रमण से बचाती है।

प्रश्न 24.
डायरिया क्या है ? डायरिया के लक्षण क्या हैं ? इसकी रोकथाम के उपाय क्या हैं ?
उत्तर :
डायरिया (Diarrhoea) : डायरिया आँत में जीवाणुओं, विषाणुओं तथा अमीबा आदि के संक्रमण से होता है। इसके रोगाणु आँत को संकमित करते हैं। तीक्ष्ण डायरिया में प्रायः उदरशूल तथा ज्वर भी हो जाता है।

लक्षण :

  • दस्त तथा उल्टी का बार-बार होना डायरिया के सामान्य लक्षण हैं।
  • लगातार दस्त होने के कारण शरीर में जल तथा आवश्यक लवण की कमी हो जाती है।

इसके कारण निर्जलीकरण होता है एवं रोगी प्यास का अनुभव करता है। आँखे अन्दर की ओर धँसने लगती है, साँसे तेज चलने लगती हैं, वजन घटने लगता है, रोगी को बुखार तथा जोड़ों में दर्द हो सकता है।

रोकथाम :

  • इस रोग के संक्रमण से बचने के लिए सभी को व्यक्तिगत सफाई पर ध्यान देना चाहिए।
  • पीने का ज़ल शुद्ध तथा संक्रमण रहित होना चाहिए।
  • भोजन स्वस्थकर तरीके से पकाना चाहिए तथा इसे ढंककर रखना चाहिए।
  • हमेशा ताजा तथा गर्म भोजन करना चाहिए।
  • इस रोग के रोगी को ORS पिलाना चाहिए।

प्रश्न 25.
संक्रामक रोग क्या है ? संक्रामक रोग कितने तरीके से स्थानान्तरित होते हैं ?
उत्तर :
संक्रामक रोग (Communicable disease) : प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक कुछ कीटाणुओं द्वारा स्थानान्तरित होने वाले रोगों को संक्रामक रोग कहते है। इस प्रकार के रोग को छुआछूत की बीमारी (Infectious disease) भी कहा जाता है । यह रोग जीवाणु, विषणु, कवक तथा प्रोटोजोआ द्वारा फैलता है। संकामक रोग का स्थानान्तरण निम्नलिखित तरीके से होता है।

प्रश्न 26.
बैक्टीरिया से होने वाले विभिन्न रोगों तथा बैक्टीरिया के नाम लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य में होंने वाले विभिन्न रोग तथा रोग को फैलाने वाले बैक्टीरिया के नाम निम्नलिखित हैं :-

(i) वायु द्वारा डिप्थेरिया, इन्फ्लूएंजा।
(ii) स्पर्श द्वारा Chiken pox
(iii) जल द्वारा हैजा, पेचिश
(iv) भोजन द्वारा वादुलिज्म (Batulism)
(v) काटने से रैबिज
(vi) कीटों द्वारा मलेरिया

प्रश्न 27.
घरेलू मक्खी मानव रोगों को फैलाने में किस प्रकार भूमिका निभाती है ?
उत्तर :
मक्खी एक कीटर समुदाय का प्राणी है जो गन्दे स्थानों, जैसे – थूक, खखार, मल, धाय, उल्टी आदि पर अपना भोजन महहण करने के लिए बैठती है। इन गन्दे स्थानों में उपस्थित रोग के कीटाणु उनके पैरों तथा मुखांग में चिपक जाते हैं।

पुन: जब यह भोजन खुले खाद्य पदार्थों, मिठाई आदि पर बैठती है तो पैरों तथा मुखांगों में चिपके रोग के कीटाणु भोज्य पदार्थें में मिल जाते हैं। जब कोई व्यक्ति इन भोज्य पदार्थों को खाता है तो रोगाणु शरीर में पहुँचक्र रोग उत्पन्न करते हैं।
हैजा के कीटाणु टायफायड के कीटाणु, T.B. के कीटाणु, डायरिया आदि के कीटाणुओं का संवहन मविखयों द्वारा होता है।

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प्रश्न 28.
रक्तधान से होने वाली बीमारियों के नाम लिखिए ? इन बिमारियों से होने वाली प्रमुख समस्यायें क्या हैं ?
उत्तर :
रक्तधान (Blood transfussion) से होने वाली बीमारियाँ :-

  • AIDS
  • मलेरिया
  • हेपेटाइटिस

इन बीमारियों से होने वाली समस्यायें :

  • AIDS : AIDS में मनुष्य के शरीर में प्रतिरक्षा क्षमता समाप्त हो जाती है।
  • मलेरिया : इसमें रोगी को कँपक्रेपी तथा जाड़े के साथ बुखार आता है। सिर तथा शरीर मे अत्यधिक दर्द होता है।
  • हेपेटाइटिस : इसमें यकृत की कोशिका नष्ट हो जाती है, जिसंमें पाचन तंत्र बिगड़ जाता है। इसमें भूख में कमी, सिर दर्द, तेज बुखार आदि होने लगता है।

प्रश्न 29.
रोग क्या है ? मनुष्य के मच्छर तथा घरेलू मक्खियों द्वारा संचारित रोग का नाम बताइये ? मनुष्य में मलेरिया, फाइलेरिया, हैजा टायफायड पेचिश, पीत ज्वर आदि रोगों का संक्षेप में वर्णन कीजिए ?
उत्तर :
रोग :- रोग हमारे शरीर की वह व्यवस्था है जिसमें सामान्य शारीरिक क्रियाएँ बाधित हो जाती हैं, शारीरिक अंग तथा अंग तंत्र सामान्य रूप से कार्य नहीं कर पाते हैं। मच्छरों द्वारा फैलाने वाले रोग :

  • मलेरिया
  • फाइलेरिया
  • पीत ज्वर
  • इन्सेफलाइटिस।

घरेलू मक्खियों द्वारा फैलने वाले रोग :

  • हैजा
  • पेचिश
  • टायफायड।

A. मलेरिया (Malaria) : यह एक प्रोटोजोआ द्वारा होने वाला रोग है जो मादा एनाफिलीज के कारण फैलता है। मलेरिया रोग प्लाज्मोडियम वाइवेक्स (Plasmodium Vivax) नामक एक प्रोटोजोआ द्वारा होता है। इसमें रोगी को कँपकंपी होकर तेज़ बुखार आता है तथा सिर दर्द होने लगता है, बदन दूटने लगता है। जाड़ा होकर बुखार आता है तथा बाद में पसीना आता है।

B. फाइलेरिया (Filaria) : फाइलेरिया रोग मादा क्यूलेक्स मच्छर द्वारा फैलता है। इस रोग के परजीवी मनुष्य के रक्त तथा लसिका को प्रभावित करते हैं। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति का हाथ-पाँव फूल जाता है, तेज बुखार आ जाता है। इस रोग से ग्रसित रोगी का पैर इतना फूल जाता है कि हाथी पाँव के नाम से जाना जाता है।

C. हैजा (Cholera) : हैजा से ग्रसित रोगी को दस्त तथा उल्टी होने लगता है, शरीर में जल की कमी हो जाती है। पेट में दर्द होने लगता है। शरीर सुस्त हो जाता है। रोगी को बुखार आ जाता है। पेशाब बन्द हो जाता है। ऐसे रोगी का शीष्र उपचार आवश्यक हो जाता है, अन्यथा मृत्यु भी हो सकती है।

D. टायफायड (Typhoid) : टायफायड साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु द्वारा होता है। इस रोग से प्रसित व्यक्ति को लगातार 3-4 सप्ताहों तक बुखार रहता है। इस रोग में हुदय की धड़कन कम हो जाती है। मस्तिष्क disorder हो जाता है। मल का रंग हरा हो जाता है। रोगी के शरीर में गुलाबी दाग आ जाता है।

E. पेचिश (Dysentry) : पेचिश ऐन्ट-अमीबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba Histolytica) के कारण होता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के मल-मूत्र त्यागने पर उनके मल के साथ ट्रोफोज्वाएट सिस्ट (Trophozoit cyst) भी बाहर निकल जाते हैं एवं अगल-बगल की सब्जियों तथा जल को दूषित कर देते हैं.। ये मक्खियो द्वारा भी संक्रमित होते हैं। हरी सब्जियाँ या जल इनको स्वस्थ पुरुष के शरीर में ले जाता है।

F. पीत ज्वर (Yellow fever) : पीत ज्वर मादा मच्छर द्वारा फैलता है। जब कोई व्यक्ति रोग से ग्रसित हो जाता है तो उसे तेज बुखार आ जाता है। रोगी कुछ ही दिनों में पीलिया रोग से प्रसित हो जाता है, ऐसे में रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

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प्रश्न 30.
जीवित वैक्सिन क्या है ? वैक्सिन उपयोग की विधि को क्या कहते हैं।
उत्तर :
जीवित वैक्सिन (Live vaccine) : यह सजीवों के शरीर से प्राप्त की जाती है। यह निर्जीव वैक्सिन से अधिक सक्रिय है। जैसे – ओरल पोलियो (B.C.G.), स्मालपॉक्स, मीजील्स (Measles) और मम्पस (Memps) की वैक्सिन। टीकों को शरीर में प्रवेश कराने की विधि टीकाकरण (Vaccination) कहलाती है। यह वह विधि है जिसके द्वारा सूक्ष्म रोगाणुओं को किसी विशिष्ट रसायन के माध्यम से विकसित कर, अत्यन्त कम मात्रा में, किसी मनुष्य के शरीर में प्रवेश कराया जाता है । रोगाणु मिश्रित इस विशिष्ट रसायन को टीका (Vaccine) कहते हैं।

इसे सूई लगाकर अथवा दवा के रूप में पिलाकर शरीर में प्रवेश कराया जाता है। किसी विशेष रोग का टीका जब शरीर में प्रवेश करता है तब शरीर का प्रतिरक्षक तन्न (Immune system) उस रोक के विरोध में एण्टीव विकसित कर लेता है जो शरीर में अस्थायी अथवा स्थायी रूप से उपस्थित रहता है। जब कभी रोग फैलाने वाला वह सूक्ष्म जीव शरीर के अन्दर पहुँच जाता है तो पहले से उपस्थित इस एण्टीबोंडीज के द्वारा वह नष्ट कर दिया जाता है। इस प्रकार से उस विशेष रोग से हमारे शरीर को छुटकारा

मिल जाता है। हैजा, पोलियो, चेचक जैसी बीमारियों के लिए टीकों का विकास किया जा चुका है तथा इसके प्रभावी नतीजे भी प्राप्त हुए है। भारत सरकार की योजना है कि देश से विभित्र बीमारियों; जैसे – मलेरिया, पोलियो आदि को जड़ से समाप्त कर दिया जाये। इस अभियान में राज्य सरकारे तथा विभिन्न संगठन अपनी-अपनी विशेष भूमिका निभा रहे हैं, ताकि भारत का हर बच्चा स्वस्थ रहे एवं स्वस्थ भारत के निर्माण में अपनी जिम्मेदारी को निभाये।

टीका बीमारी
BCG T.B.
MMR Mumps, Measles & Rubella
Polio (oral) Polio
Toxoid serum Diptheria
Cholera vaccine Cholera
Rubella vaccine German measles, Small pox
TT Tetanus
DPT Diptheria, Pertussis & Tetanus

हमें यह ज्ञात हो चुका है कि रोग उत्पन्न करने वाले कई सूक्ष्म जीवों के शरीर में प्रवेश करने से शारीरिक रोगों की उत्पत्ति होती है। अत: सूक्ष्म जीव रोगाणुओं (Pathogens) द्वारा होने वाले रोगों को संक्रामक बीमारी (Infectious disease) कहते हैं; जैसे – हैजा, T.B., AIDS, मलेरिया आदि।

प्रश्न 31.
द्यूबरकुलोसिस किस जीवधारी के कारण होता है ? इसके लक्षण लिखें।
उत्तर :
क्षयरोग या टी.बी. (Tuberculosis) : क्षयरोग या टी.बी. एक प्रकार के बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) के कारण होता है। शरीर में पहुँचने के बाद यह बैक्टीरिया एक जहरीला पदार्थ द्यूबरकुलीन (Tuberculin) मुक्त करता है। यह रोगाणु सामान्यत: फेफड़ा को प्रभावित कर उसके ऊतकों को क्षतिग्रस्त कर देता है।

रोग का समुचित इलाज न होने पर यह फेफड़ा के अतिरिक्त आहारनाल, मस्तिष्क तथा हड्डियों तक फैलकर उन्हें भी प्रभावित करता है। मनुष्य के शरीर में टी.बी. के बैक्टीरिया का उद्भव अवधि कुछ सप्ताह से कई वर्षों तक का होता है। यह रोग संक्रमित रोगी के थूक, कफ, खाँसी के माध्यम से फैलता है। क्षयरोग से ग्रसित गाय के दूध को बिना अच्छी तरह उबाले पीने से भी यह रोग होता है। यह तीव्रता से फैलने वाला संक्रामक रोग है।

WBBSE Class 9 Life Science Solutions Chapter 4 जीव विज्ञान एवं मानव कल्याण

लक्षण :

  • सामान्यत: हलका बुखार होना, लगातार खाँसी आना, खाँसते समय कफ या बलगम के साथ रक्त निकलना तथा रात में शरीर से पसीना निकलना क्षयरोग के प्रमुख लक्षण हैं।
  • रोग के शीम्य उपचार न होने पर भूख लगना सामान्य से कम हो जाता है जिससे शरीर का वजन लगातार घटते जाता है।
  • इस रोग के लक्षण घीरे- धीरे प्रकट होते हैं। करीब 3 महीने सें ज्यादा खाँसी के साथ-साथ हलका बुखार रहना इस रोग के प्रारम्भिक लक्षण हैं। रोग पुराना होने पर कफ के साथ रक्त निकलता है। सीने में दर्द रहता है तथा चलने पर रोगी हाँफने लगता है।

प्रश्न 32.
जल स्वच्छता क्यों जरूरी है ? तथा इसके क्या उपाय किये जा सकते हैं ?
उत्तर :
यूनिसेफ एक संस्था है जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को स्वच्छ जल तथा सफाई प्रदान करना और उनको स्वस्थ बनाना है। इस संस्था के कार्यकारी बोर्ड ने 2006 ई० में इस कार्य को करने की मंजूरी दी। इसका जावा और इंडोनेशिया में एक शौचालय के निर्माण से कार्य प्रारम्भ किया गया। इस कार्यक्रम के द्वारा बच्चों को सुरक्षित जल और बुनियादी स्वच्छता की सेवाओं को बेहतर ढंग से बढ़ावा देना है।

इस संस्था के दो प्रमुख लश्ष्य हैं –

  • 2015 ई० तक सुरक्षित पीने का पानी और बुनियादी स्वच्छता के लक्ष्य को पूरा करना है।
  • सभी विद्यालयों में पर्याप्त बच्चों के अनुकूल पानी और शौचालय की सुविधा तथा स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम को सुनिध्धित करना है।

प्रश्न 33.
स्वास्थ्य संरक्षण के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए ?
उत्तर :
स्वास्थ्य संरक्षण के लिए हमें निम्नलिखित उपाय करना चाहिए :-

  • व्यक्तिगत स्तर पर तथा घरेलू स्तर पर सफाई पर ध्यान रखना चाहिए।
  • हमे प्रतिदिन स्नान करना चाहिए।
  • भोजन को हमेशा ढंककर रखना चाहिए।
  • स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए।
  • प्रतिदिन सुबह तथा रात को सोने से पहले दाँतों की सफाई अवश्य करनी चाहिए।
  • बढ़े हुए नाखून को काटना तथा साफ करना चाहिए।
  • शौचालय के उपयोग के बाद, घर की सफाई के पहले और बाद, भोजन बनाने के पहले, खाद्य पदार्थ सम्भालते समय, खाने के पहले तथा खाने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए।
  • घर के आस-पास की सफाई करनी चाहिए। कचरा एकत्र करने के लिए कूड़ा-दान का व्यवहार करना चाहिए।
  • हमें अपशिष्ट पानी का खुले में बहाव नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि यह बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं तथा विषाणुओं को आकर्षित करता है।
  • पकाए हुए भोजन को साफ-सुथरे एवं ढ़ँके हुए बर्तन में रखना चाहिए।
  • शुद्ध पानी न होने पर पानी को उबालकर ठण्डा कर लेना चाहिए इसके बाद व्यवहार में लाना चाहिए।

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