Detailed explanations in West Bengal Board Class 9 Life Science Book Solutions Chapter 5 वातावरण तथा उसके संसाधन offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 9 Life Science Chapter 5 Question Answer – वातावरण तथा उसके संसाधन
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
तापीय विद्युत ऊर्जा नवीकरणीय है या अनवीकरणीय ?
उत्तर :
नवींकरणीय।
प्रश्न 2.
वह साधन या वस्तु जिसपर लगातार निर्भर रहना चाहिए, क्या कहलाता है ?
उत्तर :
संसाधन।
प्रश्न 3.
निर्वहनीय जल प्रबंध का एक उपाय लिखिए।
उत्तर :
पानी का आवश्यकतानुसार, उचित एवं बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग करें। पानी अत्यन्त सीमित है उसको भविष्य के लिए बचाएँ।
प्रश्न 4.
सजीवों के चारों ओर जो कारक होते हैं वे उनके लिए क्या निर्माण करते हैं ?
उत्तर :
वातावरण का।
प्रश्न 5.
आबादी किसे कहते हैं?
उत्तर :
किसी क्षेत्र या स्थान पर एक समय विशेष में एक या अनेक जातियों के जीवों की संख्या आबादी कहलाती है।
प्रश्न 6.
ऑक्सीजन चक्र किसे कहते हैं?
उत्तर :
गैस को अपने सोत से निकलकर सजीवों में प्रवेश करने और जैविक क्रियाओं के सम्पन्न होने के बाद पुन: अपने स्रोत में लौट जाने की क्रिया को ऑक्सीजन चक्र कहते हैं।
प्रश्न 7.
पारितंत्र के कुछ कार्बनिक पदार्थों के नाम बताएँ।
उत्तर :
प्रोटीन, वसा, शर्करा।
प्रश्न 8.
‘द्स प्रतिशत नियम’ किसने प्रतिपादित किया है ?
उत्तर :
रेमन्ड लिण्डेमैन (1942)।
प्रश्न 9.
वनों को ज़लवायु का नियंत्रक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
वन आर्द्रता (बादलों) को रोककर वर्षा कराते है। वे विभिन्न भू-जैविक रासायनिक चक्रों को संतुलित रखते है और तापमान का नियत्रण करते हैं। इस कारण वनो को जलवायु का नियत्रक कहा जाता है।
प्रश्न 10.
द्वितीय उपभोक्ता का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
मेढ़क, मछलिया।.
प्रश्न 11.
मनुष्य के शरीर में जल की मात्रा कितनी प्रतिशत होती है ?
उत्तर :
60 %
प्रश्न 12.
हाइड्रा प्राणी के शरीर पर पाये जाने वाले शैवाल का क्या नाम है ?
उत्तर : कवक।
प्रश्न 13.
भारत में किसी व्यक्ति को प्रतिदिन आवश्यक जल की कितनी मात्रा मानी गई है?
उत्तर :
3 से 4 लीटर।
प्रश्न 14.
वायुमण्डल क्या है ?
उत्तर :
पुथ्वी की ऊपरी सतह में स्थित हवा के घेरे को वायुमण्डल (Atmosphere) कहते हैं।
प्रश्न 15.
संरक्षण में रखे गये कुछ जन्तुओं के नाम बताइये ?
उत्तर :
संरक्षण में रखे गये जन्तु-बाघ, गैण्डा, घड़ियाल आदि हैं।
प्रश्न 16.
बयोम क्या है?
उत्तर :
बायोम (जीवोम) स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र का ही एक प्रमुख भाग है।
प्रश्न 17.
ऑटेकोलॉजी क्या है?
उत्तर :
जीवधारियों का पारिस्थितिक अध्ययन को ऑंटेकोलॉजी कहते है।
प्रश्न 18.
सिनेकोलॉजी क्या है?
उत्तर :
एक विशेष जीव समुदाय के पारिस्थितिक तंत्र सम्बन्थ के अध्ययन को सिनेकोलॉजी कहते है।
प्रश्न 19.
समुदाय कहने से तुम क्या समझते हो?
उत्तर :
समुदाय : किसी स्थान पर उपस्थित भिन्न-भिन्न जातियों की आबादी को सम्मिलित रूप से समुदाय कहते है।
प्रश्न 20.
भारतीय भैसों की प्रमुख प्रजातियों के नाम लिखो।
उत्तर :
मुर्रा, सुरती, जाफराबादी, मेहसाना, भदावरी, गोदावरी, नागपुरी, सांभलपुरी, तराई, टोड़ा, साथकनारा।
प्रश्न 21.
इकोतंत्र शब्द सबसे पहले किसने दिया ?
उत्तर :
A. G. Tansley
प्रश्न 22.
प्राथमिक उपभोक्ता कौन है ?
उत्तर :
शाकाहरी प्राणी।
प्रश्न 23.
दालों में किस प्रकार का खाद्य प्रांप्त होता है ?
उत्तर :
प्रोटीन।
प्रश्न 24.
नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले सहजीवी बैक्टीरिया का नाम बताइये ?
उत्तर :
राइ्रोबियम।
प्रश्न 25.
गैर परम्परागत ऊर्जा में कौन प्रमुख ऊर्जा है ?
उत्तर :
सौर ऊर्जा।
प्रश्न 26.
नाइट्रोजन चक्र में कौन बैक्टीरियम नाइट्राइट को नाइट्रेट में बदल देता है ?
उत्तर :
नाइट्रोसोमोनस।
प्रश्न 27.
पश्चिम बंगाल के एक संरक्षित वन का नाम बताइये ?
उत्तर :
गोरूमारा।
प्रश्न 28.
एक संकट में पड़े जंगली जन्तु का नाम बताइये ?
उत्तर : शेर।
प्रश्न 29.
वातावरण के सजीव तथा निर्जीव के मध्य आपसी सम्बन्ध का पता किस शब्द से चलता है ?
उत्तर :
इकोसिस्टम (Ecosystem)
प्रश्न 30.
FAO का पूरा नाम क्या है?
उत्तर :
Food and Agricultre Organisation.
प्रश्न 31.
भारत में बाघ संरक्षण योजंना केन्द्र का नाम बताइये ?
उत्तर :
सुन्दरवन (पशिचम बंगाल)।
प्रश्न 32.
नाइट्रोजन युक्त यौगिकों से अमोनिया बनने की क्रिया को क्या कहा जाता है ?
उत्तर :
अमोनिफिकेशन।
प्रश्न 33.
जलदापाड़ा अभयारण्य किस प्राणी संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर :
एक सींग वाला गैण्डा।
प्रश्न 34.
किस जन्तु के लिए सुन्दरवन प्रसिद्ध है ?
उत्तर :
रॉयल बंगाल टाइगर।
प्रश्न 35.
इकोसिस्टम के दो मुख्य अवयव कौन-कौन हैं ?
उत्तर :
इकोसिस्टम के दो मुख्य अवयव है :-
(a) जैविक (Biotic) तथा
(b) अजैविक (Abiotic)
प्रश्न 36.
आबादी क्या है ?
उत्तर :
किसी निश्चित इकाई क्षेत्र में एक ही जाति के समूह को आबादी कहते हैं।
प्रश्न 37.
जैव मण्डल किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जल, थल एव वायु का वह भाग जिसमें जीवधारी पाये जाते हैं, उसे जैवमण्डल (Biophere) कहते है।
प्रश्न 38.
स्थल मण्डल क्या है ?
उत्तर :
पृथ्वी के उस बाहरी भाग को जिसमें मिट्टी तथा चट्टानें पायी जाती हैं, उसे स्थलमण्डल(Lithosphere) कहते है।
प्रश्न 39.
जल मण्डल किसे कहते हैं ?
उत्तर :
पृथ्वी के जलमग्न भाग को जल मण्डल (Hydrosphere) कहते हैं।
प्रश्न 40.
सजीव और निर्जीव के आपसी सम्बन्यों का अध्ययन है।
उत्तर :
पारिस्थितिकी तंत्र।
प्रश्न 41.
वह जन्तु जो एक दूसरे जन्तु को भोजन के रूप में ग्रहण करता है।
उत्तर :
साँप, चील, शेर इत्यादि।
प्रश्न 42.
वह जीवधारी जो किसी अन्य जीवधारी द्वारा भोजन के रूप में उपयोग कर लिया जाता है।
उत्तर :
मेंढक, खरगोश।
प्रश्न 43.
एक स्वच्छ जल वाली मछली का नाम बताएँ।
उत्तर :
रोहू और कतला।
प्रश्न 44.
परजीविता किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब एक जीव अपने भोजन के लिए दूसरे पर आश्रित होता है, तो उसे परजीविता कहते हैं।
प्रश्न 45.
पौषे किस रूप में नाइट्रोजन प्राप्त करते हैं ?
उत्तर :
पौधे मिट्टी से जड़ों द्वारा घुलनशील लवणों के रूप में N2 अहण करते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2/3 MARKS
प्रश्न 1.
पारिस्थितिकी (Ecology) से आप क्या समझते है ?
उत्तर :
विजान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत सजीवों तथा उनके वातावरण के बीच क्रियात्मक सम्बन्ध का अध्ययन किया जाता है, उसे पारिस्थितिकी (Ecology) कहते हैं।
प्रश्न 2.
एक उदाहरण द्वारा समझाइए कि प्राणियों के उपापचय पर तापमान परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
तापक्रम के परिवर्तन से प्राणियों के उपापचय पर असप्पडता अत्याधिक है । शीत से बचने के लिए प्राणियों का शरीर घने बालों से ढका रहता है । इनकी त्वचा.के नीचे बसा का स्तर पाया जाता है ।
प्रश्न 3.
परितन्त्र में उत्पादक का क्या कार्य है?
उत्तर :
परितंत्र में उत्पादक प्रकाश संश्लेषण द्वारा सूर्य की किरण से प्रकाश को अहण कर उसे रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करके अपने शरीर में भोजन के रूप में संचित कर लेता है । जन्तु अपना भोजन प्रत्यक्ष या अपत्यक्ष रूप में पौधों से ही प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 4.
आबादी वृद्धि दर से क्या समझते हैं ?
उत्तर :
आबादी वृद्धि दर (Growth rate of population) : जन्मदर तथा मृत्यु दर के अन्तर को आबादी अनुपात $37: 14$ था। बच्चों तथा बू़ों की चिकित्सकीय सुविधाओं में वृद्धि के कारण मृत्युदर में काफी वृद्धि हुई है।
प्रश्न 5.
स्थानान्तरण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
स्थानान्तरण (Migration) : जब्न जीवधारी अपने गृह स्थान से स्थानान्तरित होकर दूसरी जगह जाते हैं परन्तु पुन: वापस अपने गृह स्थान आ जाते हैं, तो उसे स्थानान्तरण कहते है। जैसे – अत्यधिक सर्दी के कारण साइबेरिया के पक्षी भारत में आते हैं परन्तु गर्मी के दिनों में पुन: वापस चले जाते हैं।
प्रश्न 6.
आबादी वृद्धि दर को कम करने के दो उपाय बताइये ?
उत्तर :
आबादी वृद्धि दर को कम करने के उपाय :-
- लोगों को परिवार नियोजन के सम्यन्ध में तथा उसके तरीकों की जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए।
- लोगों को शिक्षित कर बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्याओं से अवगत कराना चाहिए।
प्रश्न 7.
परजीविता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
परजीविता (Parasitism) : कुछ जीव ऐसे होते हैं कि बे अपने भोजन के लिए दूसरे असमान जीवधारी पर निर्भर रहते है। जैसे – अमरबेल (Cuscuta) किसी अन्य पौधे से अपना भोजन चूसती है। उसी प्रकार गोलकृमि हमारी आहारनाल में रहकर उससे अपना भोजन ग्रहण करती है। इस क्रिया को परजीविता (Parasitism) कहते हैं। इसमें जो सजीव भोजन के लिए किसी दूसरे पर निर्भर रहता है, उसे परजीवी (Parasite) और जिस पर वह निर्भर रहता है, उसे पोषक (Host) कहते हैं। जैसे – गोलकृमि परजीवी है और मनुष्य पोषक है।
प्रश्न 8.
सहयोगिता किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सहयोगिता (Co-operation) : दो जीव पौधे या जन्तु एक साथ रहकर एक दूसरे को भोजन या आवास में मदद करते हैं। इन दोनों जीवो को सहायोगी तथा एक साथ परस्पर सहयोग को सहयोगिता कहते हैं।
प्रश्न 9.
परितंत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वातावरण के जैविक तथा अजैविक अवयवों के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। यह सम्बन्ध मिलकर एक तंत्र की रचना करते है यह तंत्र पारिस्थितिकी तंत्र या पारितंत्र कहलाता है।
प्रश्न 10.
ऊर्जा पिरामिड की विशेषता बताएँ।
उत्तर :
ऊर्जा पिरामिड की विशेषताएँ : ऊर्जा का पिरामिड हमेशा सीधा होता है, इसके आधार पर उत्पाद्कों में ऊर्जा का परिमाण सबसे अधिक तथा शीर्ष की ओर स्थित उपभोक्ताओं में ऊर्जा का परिमाण घटता जाता है। एक खाद्य स्तर से दूसरे खाद्य स्तर में ऊर्जा का हास लगभग 10%है।
प्रश्न 11.
वन किसे कहते हैं?
उत्तर :
किसी क्षेत्र पर स्थित पेड़-पौधों तथा जानवरों के समूह को वन कहते है। वनों में जंगली जानवर तथा जंगली पौधे पाए जाते है।
प्रश्न 12.
स्वपोषी को परितंत्र में उत्पादक क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
जो जीव स्वंय अपना भोजन बनाते हैं, उन्हें स्वपोषी या उत्पादक कहा जाता है। हरे पेड़-पौधे किसी परितंत्र के उत्पादक होते हैं। ये अकार्बनिक पदार्थों एवं सौर ऊर्जा द्वारा अपने भोजन का निर्माण प्रकाश-संश्लेषण क्रिया द्वारा करते हैं।
प्रश्न 13.
खाद्य श्रृंखला किसे कहते हैं?
उत्तर :
उत्पादक से उच्च श्रेणी के उपभोक्ता तक खाद्य ऊर्जा का स्थानान्तरण खाद्य श्रृंखला कहलाता है। ओडम (Odum) के अनुसार, जिस शक्ति द्वारा खाद्ध ऊर्जा, उत्यादक पौधों से क्रमबद्ध रूपों में उपभोक्ताओं और विभिन्न प्राणी समूहों के मध्य से गुजरती है, उसे खाद्य श्रृंखला कहते हैं।
प्रश्न 14.
बागानी कृषि से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
बागानी कृषि (Horticuture) : सामान्य कृषि के अलावे फलोत्पादन के लिए फलों के बागान लगाए जाते हैं। जिन्हें बागानी कृषि कहा जाता है। यहाँ संख्या के रूप में मचुर मात्रा में विभिन्न प्रकार के फल प्राप्त होते हैं। जैसे – आम, केला, नींबू, अनार, पयीता, अमरूद, चीकू, कटहल, लीची, अंगूर, सेब; नाशपाती, आंलू बुखारा, खुबानी, बादाम, अखरोट आदि।
प्रश्न 15.
खाद्य जाल किसे कहते हैं ?
उत्तर :
खाद्य जाल (Food Web) : किसी इकोसिस्टम के जैव समुदाय में विभिन्न प्रकार की खाद्य शृंखलायें पायी जाती हैं। इन खाद्य श्रृंखलाओं के द्वारा जैव समुदाय एक दूसरे से परस्पर जुड़े रहते हैं। इस प्रकार खाद्य श्रृंखलायें एक जाल बनाती हैं, जिन्हें खाद्य जाल कहते हैं।
प्रश्न 16.
ऊर्जा हमारे लिए क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर :
कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। जीवधारियों को जीवित रहने के लिए तथा अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऊर्जा आवश्यक है। समस्त जीवित तथा अजीवित प्राणियों तथा वस्तुओं के अस्तित्व के लिए ऊर्जा आवश्यक ही नहीं, बल्कि उनकी वृद्धि तथा प्रगति के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी भी देश का विकास भौ ऊर्जा पर ही निर्भर है।
प्रश्न 17.
पोषी स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण देकर विभिन्न पोषी स्तर को बताओ।
उत्तर :
आहार श्रृंखला में उत्पादक और उपभोक्ता का स्थान ग्रहण करने वाले जीव जीवमंडल को कोई संरचना प्रदान करते हैं और इसे पोषी स्तर कहते हैं। आहार श्रृंखला में पहला स्थान उत्पादक का होता है। शाकाहारियों में सिर्फ उत्पादक (पौधे) उपभोक्ता होता है और माँसाहारियों की श्रृंखला में उपभोक्ता अधिक होते हैं।
आहार श्रृंखला का उदाहरण : घास → हिरन → शेर
इस खाद्य शृंखला में विभिन्न पोषी स्तर निम्नलिखित हैं –
- प्रथम पोषी स्तर घास है यह उत्यादक है।
- द्वितीय पोषी स्तर हिरन है यह प्रथम उपभोक्ता है इसे शाकाहारी भी कहते हैं।
- तृतीय पोषी स्तर शेर है यह उच्च मांसाहारी है।
प्रश्न 18.
उत्पादक एवं उपभोक्ता में क्या अन्तर है?
उत्तर :
उत्पादक प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया से अपना भोजन बनाते हैं। हरे पौषे उत्पादक कहलाते हैं। उपभोक्ता अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करते हैं, सभी जन्तु उपभोक्ता कहलाते हैं।
प्रश्न 19.
पशुपालन की परिभाषा लिखो।
उत्तर :
पशु पालन : विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत पालतू पशुओं के भोजन, आवास, प्रजनन, स्वास्थ्य आदि विषयों का अध्ययन किया जाता है, पशु पालन कहलाता है। पालतू पशु के चार वर्ग हैं :
- दुधारू पशु
- श्रमिक पशु
- मांस तथा अण्डा उत्पादक पशु
- चर्म उत्पादक पशु।
प्रश्न 20.
मिश्रित मछली संवर्धन किसे कहते हैं?
उत्तर :
इस तंत्र में एक ही तालाब में 5 से 6 प्रकार की मछलियों का पालन होता है। इसमें मंछलियाँ आहार के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं करतीं, वे अपना-अपना आहार तालाब के अलग-अलग क्षेत्रों से ग्रहण करती हैं। इसमें मछलियों के उत्पादन में दूसरे तंत्रों की अपेक्षा में शीघ्र वृद्धि होती है।
प्रश्न 21.
जन्तु उत्प्लावी किसे कहते हैं? उदाहरण दो।
उत्तर :
प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता जन्तु उत्लावी तथा बेन्थोस होते हैं। (जल की सतह पर तैरने वाले सूक्ष्मदर्शीय जन्तुओं को जन्तु उत्त्लावी कहते है। जैसे – अमीबा, कीट, लार्वा इत्यादि। जल की तलहटी में रहने वाले जन्तुओ को बेन्थोस कहते हैं; जैसे – सीप, घोधा इत्यादि।) ये हरे पौधों को अपने भोजन के रूप में उपयोग करते हैं।
प्रश्न 22.
विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तन्न्रों के नाम लिखो।
उत्तर :
पारिस्थितिकी तंत्र के दो प्रकार हैं :
(i) प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र,
(ii) मानवनिर्मित पारिस्थितिकी तंत्र।
(i) प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र : माकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र वह होता है जो पूरी तरह से प्राकृतिक द्वारा निर्मित होता है। इसके निर्माण में मनुष्य का कोई योगदान नहीं होता। प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को दो भागों में बाटा जाता है :
- जलीय पारिस्थितिकी तंत्र,
- स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र।
(ii) मानवमिर्मित पारिस्थितिकी तंत्र : पारिस्थितिक तंत्र को मनुष्यों द्वारा अपने आवश्यकता के अनुसार ढालने के क्रिया मानव निर्मित पारिस्थितिकी तंत्र कहलाता है।
मानव निर्मित पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार : कृषि परितंत्र, वृक्षारोपण परितंत्र, नगरीय परितंत्र, एग्रीकल्वर परितंत्र, बाँध परितंत्र, जलाशय परितंत्र, ग्रामीण परितंत्र, आघ्योगिक परितंत्र, प्रयोगशाला परितंत्र।
प्रश्न 23.
जैव-भू-रासायनिक चक्र क्या है?
उत्तर :
जीवमंडल में प्राणियों तथा वातावरण के बीच रासायनिक पदार्थों के आदान-प्रदान की चक्रीय गति को जैव-भू -रासायनिक चक्र कहते है। पृथ्वी के वातावरण में सभी तत्वों की एक निध्चित मात्रा होती है। जिसकी आवश्यकता जीवधारियों को हमेशा रहती है।
प्रश्न 24.
ऊर्जा संरक्षण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation) : अधिकतर उद्योगों एवं यातायात के साधनों में ऊर्जा का उपयोग हो रहा है। उद्योगों को प्रदृषण का जनक कहा जाता है। ऊर्जा की बर्बादी इन्हीं उद्योगों में मुख्य रूप से होती हैं। पेट्रो रसायन उद्योग, लौह-इस्पात उद्योग, वस्त्र उद्योग, कागज उद्योग के अतिरिक्त यातायात व्यवस्था में भी ऊर्जा की भारी बरादी होती है। हम अपने दैनिक जीवन में ऊर्जा की बचत के लिए बहुत सारे उपाय कर सकते हैं।
प्रश्न 25.
वातावरण के चार प्रमुख भाग कौन-कौन हैं ?
उत्तर :
वातावरण के निम्नलिखित चार भाग होते हैं –
- वायुमण्डल (Atmosphere)
- जल मण्डल (Hydrosphere)
- स्थलमण्डल (Lithosphere)
- जीवमण्डल (Biosphere)
प्रश्न 26.
उत्पादक से क्या समझते हैं ?
उत्तर :
किसी इकोतंत्र का वह जैविक अवयव जो प्रकाश संश्लेषण द्वारा सूर्य की किरण ऊर्जा को प्रहण कर उसे रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करके अपने शरीर में संचित कर लेता है, उत्पादक कहलाता है। जैसे – हरे पौधे ।
प्रश्न 27.
वातावरण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सजीवों के चारों तरफ पाये जाने वाले अवयवों को उसका वातावरण कहते हैं ।
प्रश्न 28.
उपभोक्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वे सभी सजीव जो अपने भोजन का निर्माण स्वयं नहीं करते हैं तथा अपने पोषण के लिए प्रत्यक्ष या अग्रत्यक्ष रूप में उत्पादक पर निर्भर रहते है, उन्हें उपभोक्ता कहते हैं।
प्रश्न 29.
अपघटनकर्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वे सूष्मदर्शी जीव जो पौधों तथा जन्तुओं के शरीर के जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में विघटित कर देते हैं, अपघटनकर्ता कहलाते हैं। जैसे – फंगस, मृतोपजीवी बैक्टीरिया आदि।
प्रश्न 30.
ऊर्जा प्रवाह क्या है ?
उत्तर :
ऊर्जा प्रवाह (Energy) : सूर्य के प्रकाश में उपस्थित विकिरण ऊर्जा के रूपान्तरित होकर इकोसिस्टम के उत्पादक स्तर में प्रवेश कर तथा वहाँ से उपभोक्ता तथा अपघटनकर्ता स्तरों में स्थानान्तरित तथा रूपान्तरित होने की क्रिया को ऊर्जा प्रवाह कहते हैं।
प्रश्न 31.
जैवमण्डल की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
जैवमण्डल : स्थलमण्डल, जलमण्डल, वायुमण्डल तथा इसमें पाये जाने वाले सभी जन्तुओं तथा पौघों को सम्मिलित रूप से जैवमण्डल कहा जाता है। इसका विस्तार वायुमण्डल से 40,000 फुट से अधिक ऊँचाई तक, समुद्र में 30,000 फुट से अधिक गहराई जक तथा जमीन पर 10,000 फुट नीचे तक होता है।
प्रश्न 32.
जीव आपसी सम्बन्ध बनाये रखने के लिए कौन-कौन सी क्रियाएँ करते हैं ?
उत्तर :
जीव आपसी सम्बन्ध बनाये रखने के लिए निम्नलिखित कियाएँ करते हैं।
- परजीविता (Parasitism)
- सहयोगिता (Co-operation)
- प्रतियोगिता (Competition)
- अन्योन्याश्रय (Predation)
प्रश्न 33.
मुख्य प्राकृतिक साधन क्या-क्या हैं ?
उत्तर :
मुख्य प्राकृतिक साधनों में सौर ऊर्जा, वायु, जल, भूमि, पेड़-पौघे, प्रकाश, पृथ्वी का ताप, जीवाश्म ईधन, खनिज, जन्तु तथा सूक्ष्म जीव सम्मिलित हैं।
प्रश्न 34.
वैकल्पिक भोजन क्यों आवश्यक हैं।
उत्तर :
अनाओं की कमी और जनसंख्या में वृद्धि के कारण लोग भोजन के प्रमुख सोतों के अलावे कुछ अन्य सोतों का भी उपयोग कर रहें हैं। इन्हें वैकल्पिक खाद्य सोत कहते है। कुछ लोग भोजन के रूप में कीटो को तथा कुत्ते की मांस को भी खाते हैं। कीट पोषक पदार्थों के अच्छे स्रोत हैं। कुत्ते की मांस में अन्य मांस की अवेक्षा ऊर्जा अधिक मिलती है। मांस महंगा होने के कारण आजकल लोग उसके स्थान पर सोयाबीन का भी प्रयोग करते हैं। ये सभी भोजन के वैकल्पिक सोत हैं।
प्रश्न 35.
इकोसिस्टम के तीन कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थो के नाम बताइये ?
उत्तर :
कार्बनिक पदार्थ : कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड्स
अकार्बनिक पदार्थ : कैल्शियम, नाइट्रोजन, सल्फर, फास्फोरस, ज़ल, मिट्टी आदि।
प्रश्न 36.
वनों की उपयोगिता क्या-क्या है ?
उत्तर :
वनों की उपयोगिता :
- वायुमण्डलीय कायों का नियंत्रण (Atmospheric Regulation)
- अपरदन नियंत्रण (Erosion Control)
- जल सम्पदा का संरक्षण (Watershed Protection)
- स्थानीय तथा उत्पादन मूलक उपयोग (Local and productive use)
प्रश्न 37.
जल संरक्षण के कोई,तीन उपाय बताइये।
उत्तर :
जल संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए :
- कारखानों से निकले बेकार पदार्थो से उपफल (By Prdocut) बनाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
- शहरों के मलमूत्र को नदियों में नहीं गिराना चाहिए बल्कि इसे एकत्र कर किसी आर्थिक लाभ वाले काम में लगाना चहिए।
- समुद्र तथा नदी में तेल से चलने वाले वाहनों पर प्रतिबंष लगा देना चाहिए।
प्रश्न 38.
प्राकृतिक संसाधनों को कितने भागों में बाँटा गया है, वर्णन कीजिए।
उत्तर :
प्राकृतिक संसाधनों को निम्न तीन भागों में बाँटा गया है –
- नवीनीकरण योग्य प्राकृतिक साधन (Renewable natural Resourse) : वे प्राकृतिक संसाधन मिट्टी, जल, पेड़, जन्तु आदि हैं जिनकी पुन: आपूर्ति हो सकती है।
- नवीनीकरण अयोग्य प्राकृतिक साघन (Non-renewable natural Resource): जिन प्राकृतिक सम्पदाओं की आपूर्ति क्षय के बाद सम्भव नही है। जैसे – प्राकृतिक गैसें, कोयला, पेट्रोलियम आदि।
- अपरिवर्तनशील प्राकृतिक साधन (Unalterable natural Resource) : जिन प्राकृतिक साथनों का क्षय जल्दी सम्भव नहीं होता, जैसे – समुद्र, प्राकृतिक दृश्य आदि।
प्रश्न 39.
इकोसिस्टम में ऊर्जा प्रवाह की तीन विशेषताएं बताइये।
उत्तर :
इकोसिस्टम में ऊर्जा प्रवाह की विशेषताएँ :
- ऊर्जा प्रवाह एक मुखी होता है। अर्थात यह प्रवाह उत्पादक से उपभोक्ता की ओर होता है।
- पदार्थीय चक्रों (N, O, C आदि) की तरह ऊर्जा प्रवाह का चक्र नहीं चलता।
- जब ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित होती है तब कुछ ऊर्जा का नाश होता है।
प्रश्न 40.
जैव भू-रासायनिक चक्र का महत्व बताइये।
उत्तर :
जैव भू-रासायनिक चक का महत्व :
- इन चक्रों के द्वारा सजीवों को आवश्यक तत्वों की आपूर्ति होती है।
- इकोसिस्टम को संतुलित करने के लिए ये चक्र अत्यन्त आवश्यक होते हैं।
- पृथ्वी पर सभी सजीवों का अस्तित्व बनाये रखने के लिए यह चक्र आवश्यक है।
- मिट्टी की उर्वराशक्ति को बनाये रखने में इन चकों का महत्वपूर्ण योगदान है।
- इन चकों के माष्यम से निर्जीव उपादान सजीव उपादान में परिवर्तित हो जाते हैं।
प्रश्न 41.
चरण खाद्य मृंखला क्या है ?
उत्तर :
चरण खाद्य श्रृंखला (Grazing food chain) : वह भोजन भृंखला जो पौधों से शुरू होकर मांसाहारी जन्तुओं के साथ समाप्त हो जाती है उसे चरण खाह श्रृंखला कहते हैं।
जैसे – उत्पादक → खरगोश → सियार → शेर
हरे पौधे → प्रथम उपभोक्ता → द्वितीय उपभोक्ता → तृतीय उपभोक्ता।
प्रश्न 42.
खाद्य शंखला तथा खाद्य जाल में अन्तर बताइये।
उत्तर :
खाद्य शृंखला (Food Chain) तथा खाद्य जाल (Food Web) में अन्तर :
- खाद्य शृंखला का निर्माण खाब्ध जाल से नहीं होता है बल्कि खाध जाल का निर्माण खाद्य भृंखला से होता है।
- खाद्य जाल का कोई प्रकार नहीं होता है, जबकि खाद्य शृंखला कई प्रकार की होती है।
- इकोसिस्टम के लिए खाद्य जाल, खाद्य भृंखला से अधिक मौलिक होता है।
प्रश्न 43.
इकोसिस्टम में ऊर्जा प्रवाह की तीन अवस्थायें बताइये।
उत्तर :
इकोसिस्टम में ऊर्जा प्रवाह की तीन अवस्थायें –
- ऊर्जा का ग्रहण
- ऊर्जा का उपयोग
- ऊर्जा का स्थानान्तरण
प्रश्न 44.
खाद्य मृंखला तथा खाद्य जाल के बीच आपसी सम्बन्य को बताइये।
उत्तर :
खाद्य शृंखला तथा खाद्य जाल के बीच आपसी सम्बन्थ : किसी इकोसिस्टम में उत्पादक के उपभोक्ताओं तक भोज्य पदार्थ के क्रमबद्ध स्थानान्तरण से उत्पन्न शृंखला को खाद्य-शृंखला का सुंयक्त रूप खाद्य जाल (Food Web) कहलाता है। इसलिए खाद्य जाल का निर्माण खाद्य शृंखलाओं से होता है तो आपस में मिलकर इकोतंत्र का मूल आधार बनाता है। अत: खाद्य श्रृंखला तथा खाद्य जाल के बीच घनिष्ठ सम्बन्ष है।
प्रश्न 45.
प्रकृति में सजीव किस प्रकार संगठित होते हैं ?
उत्तर :
प्रकृति में सजीव चार स्तरों पर संगठित होते हैं –
- व्यक्तिगत स्तर
- आबादी स्तर
- समुदाय स्तर
- इकोतंत्र स्तर ।
प्रश्न 46.
अनुकूलन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सभी सजीवों के उस गुण को जिनके द्वारा ये अपने वातावरण में सहज ढंग से जीवन यापन करते हुए अपनी वंश परम्परा को कायम रखते हैं, उसे अनुकूलन कहते हैं।
प्रश्न 47.
पौधो में प्रकाश के प्रति अनुकूलन बताइए ।
उत्तर :
कुछ पौधे छाया में रहना पसंद करते है तो कुछ प्रकाश में । छाया में उगनेवाले पौधों की पत्तियों में क्लोरोफिल का वितरण असमान होता है । जैसे क्रोटान प्रकाश में उगने वाले पौधों में प्रकाश संश्लेषण और श्वसन की दर तेज होती है ।
प्रश्न 48.
जन्तुओं में प्रकाश के प्रति अनुकूलन बताइए।
उत्तर :
सुबह में सूर्य का प्रकाश मिलने के साथ ही जन्तुओं की दैनिक क्रिया का मारम्भ हो ज़ाता है । अंधकार में रहनेवाले जन्तुओं को दैनिक क्रिया और व्यवहार में भी अन्तर देखने को मिलता है । जैसे -ऊल्लू।
प्रश्न 49.
आर्द्रता के प्रति पौधों में अनुकूलन बताइए ।
उत्तर :
जल की अधिकता वाले पौधों की पत्तिया बड़े आकार की होती है। इनकी सतह पर स्टोमेंटा की संख्या अधिक होती है । जैसे – कमल । जल की कमी वाले स्थान में उगनेवाले पौधों की पत्तियाँ काँटे के रूप यें परिवर्तित हो जाती है। जैसे – नागफनी।
प्रश्न 50.
मानव जनसंख्या के वृद्धि के क्या कारण है ?
उत्तर :
मानव जनसंख्या के वृद्धि के कारण –
- शिक्षा की कमी एवं बेरोजगारी।
- मृत्यु दर में कमी।
- अकाल एवं महामारी पर नियंत्रण ।
प्रश्न 51.
आबादी के विस्फोट के परिणाम के बारे में बताइए ।
उत्तर :
आबादी में अत्यधिक वृद्धि के निम्नलिखित परिणाम होंगे –
- भूखमरी बढ़ेगी
- बेरोजगारी बढ़ेंगी
- पीने के जल की कमी होगी
- कपड़े एवं आवास की भी कमी होगी।
प्रश्न 52.
किसी समुदाय में जंतु और पौधे किस प्रकार से एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं ?
उत्तर :
भोजन : सभी जन्तु अपने भोजन के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में प्रकाश संश्लेषी पौधों पर निर्भर रहते हैं।
प्रजनन : पौधे परागण की क्रिया के लिए जन्तुओं जैसे कीट, चमगादड़, पक्षी इत्यादि पर निर्भर रहते हैं।
सुरक्षा : कुछ कीट पौधों में छिप कर रहते है । कुछ सुक्ष्म शैवाल मालुस्क जन्तुओं के शरीर पर चिपके हुए आश्रित रहते हैं।
प्रश्न 53.
प्राकृतिक संसाधन किसे कहते हैं ? इनके नाम बताइए।
उत्तर :
प्रकृति में मिलने वाले पदार्थो को प्राकृतिक संसाधन कहते हैं।
नाम :
- जंगल
- जल
- भोजन
- ऊर्जा।
प्रश्न 54.
भोजन के स्रोत क्या है ?
उत्तर :
भोजन के सोत दो है –
- पौधा
- जन्तु ।
प्रश्न 55.
कृषि की शाखाओं का नाम बताइए ।
उत्तर :
कृषि की निम्नलिखित शाखाएँ है –
- एग्रोनामी
- हार्टिकल्बर
- ओलोरी कल्चरं।
प्रश्न 56.
फसल के कितने प्रकार होते हैं ?
उत्तर :
फसल के चार प्रकार होते हैं-
- धान्य फसल – जैसे धान, गेहूँ, बाजरा ।
- दाल फसल – जैसे बना, मटर, अरहर ।
- तेल बीज फसल – जैसे सरसो, मूँगफली, सूर्यमुखी।
- मसाले – जैसे मिर्चा, हल्दी, काली मिर्च ।
विवरणात्मक प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS
प्रश्न 1.
इकोसिस्टम के विभिन्न जैविक घटक की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
इकोसिस्टम के विभिन्न जैविक घटक की भूमिका :-
उत्पादक की भूमिका (Role of Producer) :
- उत्पादक अजैविक वातावरण से जल, CO2 की सहायता से प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा ग्लूकोज़ का निर्माण कहते हैं।
- ये सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं।
- ये अजैविक अवयवों को जैविक अवयवों में बदलने में सहायता करते हैं।
उपभोक्ता की भूमिका (Role of Consumer) : प्रत्यक्ष रूप का अप्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता उत्पादक पर निर्भर हैं। ये उत्पादक द्वारा निर्मित भोजन को ग्रहण कर इकोसिस्टम को संतुलित बनाये रखने में सहायता करते हैं।
अपघटन कर्ता की भूमिका (Role of Decomposer): अपघटनकर्ता मृत जीवद्रव्य के जटिल यौगिकों को इन्जाइम की सहायता से सरल रूप में तोड़ देते हैं। इस क्रिया में अपघटित पुदार्थों को भोजन के रूप में अवशोषित करते हैं तथा कुछ सरल रूपों को वातावरण में लौटा देते हैं।
प्रश्न 2.
वनों के कार्य के बारे में लिखिए।
उत्तर :
वनों के कार्य :
(i) जल सम्पदा की सुरक्षा (Watershed Protection): वर्षा जल को सोखने तथा उसके प्रवाह को धीमा करने में वन भूमि की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके कारण भूमि में जल-स्तर और ऊपर आ जाता है और कुएं तथा ट्यूबवेल नहीं सूखते हैं। जल का संरक्षण कर इसे धीमी गति से नदियों, तालाबों झीलों तथा बाँध की ओर प्रवाहित करतें हैं। वनों से वायुमण्डलीय आर्द्रता बढ़ती है तथा वायुमण्डल में नमी बनी रहती है।
(ii) वायुमण्डलीय कार्यों में नियंत्रण (Atmospheric Regulation) : जलवाष्प के उत्सर्जन के दौरान सौर ऊर्जा का अवशोषण करना
- पौधों की वृद्धि के लिए CO2 का स्तर बनाए रखना
- स्थानीय जलवायु की दशायें बनायें रखना। मनुष्यों तथा सभी जीवों के श्वसन के लिए विभिन्न प्रकार के दहनों के लिए आवश्यक आक्सीजन तथा जो कार्बनडाईआक्साइड त्यागा जाता है, उसे अवशोषित करने के लिए हम पौधों पर ही निर्भर हैं।
- अपरदन नियंत्रण (Erosion Control) : मृदा अपरदन रोकने के लिए पौधे मृदा का आवरण बनाते हैं। पौधों की जड़े, घास, झाड़ियाँ इत्यादि भूमि की ऊपरी उपजाऊ परत को जकड़े रखती हैं जिसमें भूमि का कटाव नहीं होता है। मिट्टी के पोषक तत्वों तथा ढाँचे को बनाए रखता है।
(iv) उत्पादक उपयोग (Productive use) : वन इकोसिस्टम में संतुलन बनाये रखने का काम करते हैं। वन अनेक जीव जन्तुओं के प्राकृतिक आवास होते हैं। वनों से प्राप्त उपयोगी काष्ठ (Timber) द्वारा अनेक घरेलू तथा औद्योगिक कार्यों तथा परिवहन के साधन तथा उपकरण बनाये जाते हैं। गोंद, रबर, रेजिन, कार्क, रेशे, मोम, तेल, तारपीन, कपूर, कुनैन, औषधीय पदार्थ आदि बहुत सारे उपयोगी पदार्थ वनों से प्राप्त होते हैं।
बहुत सारे आदिवासी वर्ग वनों में निवास करते है तथा इनसे आजीविका प्राप्त करते हैं। वनों से जलाने की लकड़ी प्राप्त होती है। लकड़ी एक उपयोगी कच्चा माल भी है जो कागज, लुगदी, दियासलाई, प्लाईडड, पैकिंग, सामर्गी, सिन्थेटिक रेशम आदि बनाने में प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 3.
ऊर्जा प्रवाह क्या है ? समझाकर लिखिए।
उत्तर :
ऊर्जा प्रवाह (Energy Flow) : सौर ऊर्जा का रूपान्तरण होकर उत्पादक स्तर में तथा यहाँ से उपभोक्ता व अपघटनकर्ता स्तरों में स्थानान्तरित होने की क्रिया को ऊर्जा प्रवाह कहते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का स्रोत सूर्य है। पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का बहाव एक ही दिशा में (Unidirectional) होता है। सौर ऊर्जा को अवशोषित कर हरे पड़े पौधे उसे रासायनिक ऊर्जा के रूप में परिवर्तित कर अपने शरीर में संचित कर लेते हैं।
उत्पादक में संचित इस ऊर्जा का उपयोग उनकी विभिन्न क्रियाओं में होता है तथा शेष ऊर्जा का स्थानान्तरण प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता में होता है। इस प्रकार प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता द्वारा ग्रहण की गई ऊर्जा का कुछ भाग उनके मेटाबोलिक क्रियाओं में खर्च हो जाता है तथा शेष भाग द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता में स्थानान्तरित हो जाता है।
उपभोक्ता के प्रत्येक स्तर पर ऊर्जा का क्षय होता है अत: उत्पादको द्वारा अर्जित कुल ऊर्जा (Gross energy) का कुछ भाग ही प्रथम उपभोक्ता ग्रहण करते है। उसी प्रकार प्रथम उपभोक्ता से क्रमश: द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता ऊर्जा का कुछ भाग ही ग्रहण करते हैं। उसका उपयोग करते हैं और कुछ ऊर्जा ताप ऊर्जा (Heat energy) में बदल जाती है।
प्रश्न 4.
प्रवासन क्या है ? समझाकर लिखिए।
उत्तर :
प्रवासन (Migration) : जब जीवधारी अपने गृह स्थान से स्थानान्तरित होकर अन्यत्र जाते हैं लेकिन पुन: अपने गृह क्षेत्र में लौट आते हैं, तो उसे स्थानान्तरण या प्रवासन कहा जाता है। इसे आव्रजन-प्रवजन भी कहा जाता है। इसका प्रभाव आबादी पर कम पड़ता है। उदाहरण के लिए साइबेरिया की कड़के की सर्दों से आक्रान्त बहुत सारे पक्षी भारत में आते हैं लेकिन ग्रौष्म ऋतु में पुन: वापस चले जाते हैं। बहुत सारे श्रमिक नगरों में अर्थोपार्जन के बाद अपने ग्रामीण गृह में लौट जाते हैं और कुछ समय के बाद पुन: शहर वापस आते हैं।
इसके अन्तर्गत आप्रवासन तथा उत्पवासन का उल्लेख किया जा सकता है।
आप्रवासन : उसी जाति के व्यक्तियों की वह संख्या है जो दी गई समय अवधि के दौरान आवास में कहतं और से आये हैं।
उत्रवासन : आबादी के व्यक्तियों की वह संख्या है जो दी गई समयावधि के दौरान आवास छोड़कर अन्यत्र चले गये हैं।
प्रश्न 5.
समुदाय स्तर किसे कहते हैं ? जीवों के आपसी सम्बन्धों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर :
समुदाय स्तर (Community Level) : प्रकृति में विभिन्न जीवों की आबादियाँ या समष्टियाँ मिल-जुलकर रहती है, अर्थात् ये समष्टियाँ जोवन-संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु परस्पर आश्रित होती हैं। ऐसा कभी भी नहीं होता है कि हमें किसी स्थान पर एक ही प्रकार की जाति दिखाई पड़े, क्योंकि यह काफी समय तक जीवित नहीं रह सकती, जैसे गौरैया को खाने के लिए कीड़े, बीज आदि चाहिए एवं रहने के लिए वृक्ष भी चाहिए जहाँ उसका आवास-स्थान (habitat) या घोंसला बन सकता है।
इस तरह एक स्थान पर वातावरणीय अनुकूलता के अनुसार विभिन्न जाति के जीवधारी (जंतु तथा पौधे) एक साथ समूह बनाकर रहते हैं। अतः किसी विशिष्ट आवास-स्थान की जीव-समष्टियों का स्थानीय संघ समुदाय कहलाता है। इसे प्रायः बायोटा (biota) अथवा जैव समुदाय (biotic community) भी कहते हैं।
आवास-स्थान की भिन्नता के आधार पर जैव समुदाय में भी विभिन्नताएँ पाई जाती हैं, जैसे जीव की विभिन्न जातियाँ जो तालाब में रहती हैं, उन्हें तालाब समुदाय (pond community) कहते है। इसी प्रकार, किसी भी पर्यावरण, जैसे वन, घास के मैदान, मरुस्थल आदि में पाई जानेवाली जीवो की जातियाँ पारस्परिक निर्भरता के आधार पर वन समुदाय (forest community), घासस्थली समुदाय (grassland community), मरुस्थल समुदाय (desert community) आदि बनाती हैं।
प्रश्न 6.
जंगल की कटाई के क्या-क्या कारण हैं ? वर्षा जल संचय क्या है?
उत्तर :
जंगल की कटाई के कारण : वर्तमान समय में जंगल की कढाई बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए चिन्ता का विषय है। बढ़ती आबादी, कृषि के लिए जमीन, नये-नये शहरों की बढ़ती खपत, औद्योगिक इकाइयों की स्थापना, आवासीय मकान आदि जंगल की कटाई के मुख्य कारण हैं। औद्योगिक फैलाव, सड़को का निर्माण, घाटी-बाँध योजनायें, खनिज उत्बन्न के कारण भी जंगल नष्ट होते जा रहे हैं।
वर्षा जल संचय (Rain Water Harvesting) : वर्षा के दिनों में छोटे-छोटे तालाब, जलाशय, झील बनाकर उसमें जल संचय करने से भूमिगत जल स्तर में वृद्धि होती है। सूखाप्रस्त या जल की कमी वाले क्षेत्रो में इस संचय किये गये जल का घरेलू उपयोग, सिंचाई, उसे स्वच्छ कर पेय जल की आपूर्ति की जा सकती है। नगरों में छत के ऊपर टंकी बनाकर उसमें जल का संचय कर उसका उपयोग कपड़े घोने, बर्तन धोने, बागवानी आदि में किया जा सकता है। वर्षा के जल का इस तरह संचय कर भविष्य में इसके उपयोग करने की प्रकिया को जल-संचय कहते हैं।
प्रश्न 7.
इकोसिस्टम क्या है ? पारिस्थितिकी तंत्र के जैविक तथा अजैविक अवयवों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
इकोसिस्टम (Ecosystem) : किसी स्थान विशेष में रहने वाले जैव समुदाय तथा अजैविक वातावरण में स्थापित में स्थापित परस्पर क्रियात्मक संबंध को इकोसिस्टम कहते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र के अवयव (Components of Ecosystem) :
- अजैविक (Abiotic) तथा
- जैविक (Biotic)
अजैविक अवयव (Abiotic Component) : यह निम्न तीन प्रकार के होते हैं :-
- अकार्बनिक पदार्थ (Inorganic substance) : आक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर, फास्फोरस, कैल्शियम, खनिज लवण आदि।
- कार्बनिक पदार्थ (Organic substance) : प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट लिपिड आदि। ये सभी जीवधारियों के शरीर में पाये जाते हैं। अपघटन कर्ता इनका विघटन कर देते हैं जिसे हरे पौधे पुन: ग्रहण कर लेते हैं।
- भौतिक पदार्थ (Physical substance) : प्रकाश, तापक्रम, सौर ऊर्जा, वायु, जल, आर्द्रता, आदि सभी भौतिक अवयव हैं जो सजीवों की प्राणशक्ति को बनाये रखने में सहायक है।
जैविक अवयव (Biotic component) : इकोसिस्टम के जैविक अवयव निम्न है : –
- उत्पादक (Producer),
- उपभोक्ता (Consumer) तथा
- अपघटनकर्ता (Decomposer)
उत्पादक (Producer) : वे जीवधारी जो अपने भोजन का निर्माण स्वय करते हैं, उत्पादक कहलाते हैं। ये हरे पौधे होते हैं जो प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। आम, कटहल, पीपल, जल में तैरने वाले छोटेछोटे पौधे सभी उत्पादक कहलाते हैं।
उपभोक्ता (Consumer) : वे जीवधारी जो अपने भोजन के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर निर्भर करते हैं; उपभोक्ता कहलाते हैं। उपभोक्ता को निम्नलिखित तीन श्रेणीयों में बाँटा गया है :-
- प्रथम श्रेणी का उपभोक्ता (Primary Consumer) : वे उपभोक्ता जो अपने भोजन के लिए पूर्णरूप से उत्पादक अर्थात हरे पेड़-पौधों पर निर्भर रहते हैं, उन्हें प्रथम श्रेणी का उपभोक्ता कहते हैं। जैसे – बकरी, गाय, टिड्डा, खरगोश, चूहा आदि।
- द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता (Secondary Consumer) : वे उपभोक्ता जो अपने भोजन के लिए प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता पर निर्भर रहते हैं, उन्हें द्वितीय श्रेणी का उपभोक्ता कहते हैं। जैसे – मकड़ी, टोड, सर्प, छूछून्दर आदि।
- तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता (Teriary Consumer) : वे उपभोक्ता जो द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं को खाते है, उन्हें तृतीय श्रेणी का उपभोक्ता कहते हैं। जैसे – चील, गिद्ध, बड़ी मछली, बाघ, शेर, चिता, शार्क, बाज आदि।
अपघटन कर्ता (Decomposer) : वे जीवधारी जो मृत पौधों तथा जन्तुओं के शरीर के जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में विघटित कर देते हैं, अपघटनकर्ता कहलाते हैं। जैसे – जीवणु, फंगस आदि।
प्रश्न 8.
खाद्य के वैकल्पिक स्रोतों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर :
खाद्य के वैकल्पिक स्रोत (Alternate food sources) : वर्तमान में विश्व में वैकल्पिक खाद्य के संसाधन काफि सिमटे हुए हैं। फिर भी खोज तथा प्रयास जारी है। ऐसी पैदावार की खोज हो रही है जो किसी भी मिट्टी तथा वातावरण में उपज सके तथा कम समय में ज्यादा उपज दे सकें।
उदाहरण स्वरूप मान्निगा ओलिफेरा (Mornige oleifera) जो सहजन वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है जो किसी भी मिट्टी तथा वातावरण में उगाया जा सकता है। इसके बीज में पाए जाने वाला एन्टिबोयोटिक जल को स्वच्छ बनाते हैं। इसकी पत्ती में प्रोटीन, गाजर से चार गुना विटामिन A तथा संतरे से सात गुना अधिक विटामिन C पाया जाता है। खाद्य का अभाव होने पर इसे पकाकर खाया जा सकता है।
ब्रोकली (Broccoli), काले (Kale), एवोकेडिज (Avocadoes), वी पोलेन (Bee pollen) इत्यादि भी अधिक उपजाक वाले कुछ अन्य वैकल्पिक खाद्य हैं। मैक्सिको, कोरिया तथा अफ्रीका आदि में कीटों को वैकल्पिक खाद्य में रूप में व्यवहार किया जाता है।
झींगुर, झींगा तथा तथा गोबरेला आदि ऐसे कीट है जो प्राय: सभी देशों में सामान्य हैं प्रोटीन, लौह तथा कैल्शियम आदि कीटों में पाये जाते हैं।कीटों को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। खाद्य के अभाव में वैकल्पिक खाद्ध के रूप में उपयोग करके जीवन की रक्षा हो सकती है।
प्रश्न 9.
विश्व खाद्य समस्या का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर :
विश्व खाद्य समस्या : विश्व की जनसंख्या में से 1.3 अरब लोग भुखमरी की हालत में रहते हैं और 80 करोड़ लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता तथा 50 करोड़ लोग कुपोषण की समस्याओं से ग्रस्त हैं। बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में अनेक देशों में हरित क्रान्ति के एक या दूसरे स्वरूपों में उपयोग के परिणामस्वरूप विश्व का खाद्य उत्पादन तीन गुना से भी अधिक बढ़ गया है, परन्तु मानव आबादी की तीव्र वृद्धि, विशेषकर विकासशील राष्ट्रों ने खाद्य उत्पादन की इस प्रभावशाली वृद्धि को बहुत पीछे छोड़ दिया है। इसके बावजूद लगभग एक सौ से अधिक राष्ट्रों को आज भी विकसित राष्ट्रों से खाद्य सामग्रियाँ आयात करनी पड़ती हैं।
खाध्य पदार्थों की कमी के कारण अनेक विकासशील देशों में कुपोषण एवं भूखमरी फैली रहती है। ऐसे विकासशील राष्ट्रों में भुखमरी का मुख्य कारण निर्धनता या गरीबी होती है। निर्धनता खाद्य पदार्थ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद गरीबों के उत्थान और उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामगी खरीदने से रोकती है।
प्रश्न 10.
पारिस्थितिकी व्यवस्था के कितने स्तर होते हैं ? किसी एक का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर :
परिस्थितिकी व्यवस्था के चार स्तर होते हैं –
- जीव या व्यष्टि स्तर (Individual Level)
- जनसंख्या स्तर (Population Level)
- समुदाय स्तर (Community Level)
- परितंत्र स्तर (Ecosystem Level)
जीव या व्यष्टि स्तर (Individual Level) : यद्यपि जैव व्यवस्था के बहुत से स्तर हैं, लेकिन सबसे सुस्पष्ट इकाई जीव है। किसी जीव में अपनी जीव क्रिया होती है जो किसी अन्य जीव से भिन्न होती है। कुछ जीव, जैसे अमीबा, क्लेमाइडोमोनास आदि एक-कोशिकीय होते है, अर्थात् ऐसे जीवों का शरीर केवल एक कोशिका का बना होता है और इसी कोशिका के द्वारा जीवन-संबंधी सारे कार्य सम्पन्न होते है।
लेकिन जटिल जीव जैसे वृक्ष, अधिकांश जंतुएँ, मनुष्य आदि बहुकोशिकीय होते है, अर्थात् उनका शरीर असंख्य कोशिकाओं का बना होता है, जो अनेक विशिष्ट कार्य सम्पन्न करते हैं। प्राय: जीवों की गणना की जा सकती है, लेकिन बहुत से मामलों, जैसे घास, स्पंज या कोरल की कॉलोनियों में जीव कार्बनिक आधार पर एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं एवं ऐसे मामलों में जीवों के अष्ययन के लिए विशेष दक्षता की आवश्यकता होती है। कायिक, अलैंगिक या लेंगिक जनन-क्रिया द्वारा जीव जनन करते हैं एवं संतति गुणों में अपने माता-पिता सें मिलती-जुलती है।
इससे जीवन की तारतम्यता कायम रहती है। पृथ्वी तल पर पाये जाने वाले पौधे और प्राणी हजारों जातियों और प्रजातियों में विभक्त हैं जिनकी आनुवंशिकी, आकृति, संख्या और पारिस्थितिकी क्षमता भिन्न-भिन्न हैं । कुछ जातियों (Species), में पर्यावरण से अनुकूलन (Adaptation) की क्षमता अधिक होती है जबकि कुछ में यह बहुत कम पायी जाती है। फलत: जिन जातियों में यह क्षमता अधिक होती है उनकी कुल संख्या अधिक और पृथ्वी तल पर वितरण भी विस्तृत क्षेत्र में पाया जाता है।
एक विशेष भौतिक परिवेश में पलने वाली जैव जाति अपने जीवन चक्र को यथासम्भव संतुलित बनाये रखने का प्रयास करती है ताकि उसकी वंश पर म्परा चलती रहे। इस प्रकार पर्यावरण और जीवों की अन्त:प्रक्रिया एक निश्चित व्यवस्था से संचालित होती है जिसे हम प्राकृतिक नियम कह सकते हैं। इस शाश्वत नियम का अनुपालन प्रत्येक जीव को करना पड़ता है जो उसके आचरण से प्रकट होता है।
इस प्रकार पर्यावरण और जीवों की अन्तःप्रक्रिया पारिस्थितिकी तंत्र में दो रूप में देखने को मिलती है – पहला एकांकी जाति की अन्त:प्रक्रिया से उत्पन्न पारिस्थितिकी और दूसरी अनेक जातियों की सामूहिक अन्त:पक्रिया से उत्पन्न पारिस्थितिकी। जब एकाकी जाति (individual species) की पारिस्थितिकी के संदर्भ में उसके जीवन- चक्र की विविध अवस्थाओं की अन्त:प्रक्रिया को पर्यावरण और अन्य जीवों के संदर्भ में अध्ययन किया जाता है तो उसे स्वपारिस्थितिकी (Autecology) कहते हैं।
प्रश्न 11.
प्रकृति जीवधारी को संगठित किस प्रकार से करती है ? संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर :
प्रकृति जीवों की जननी, पालनहारी और विनाशक है । जीव भी प्रकृति का उत्पादक, उपभोक्ता, आक्रामक एवं स्वार्थी तत्व हैं। प्रकृति द्वारा उत्पन्न जीव पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मानव पर्यावरण की गोद में पलते हैं और अपनी पारिस्थितिकी से अन्तःप्रक्रिया करते हुए पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं। इस परस्पर सम्बन्ध को जीवन का आधार कहा जा सकता है क्योंकि बिना जीव प्रकृति का मूल्य नहीं है, और बिना प्रकृति का जीवन सम्भव नहीं है।
इसी गहरे सम्बन्ध की अभिव्यक्ति पारिस्थितिकी संतुलन में प्रकट होती है। वास्तव में परस्पर सम्बन्ध को संतुलित बनाये रखने में प्राकृतिक नियम अपने ढंग से क्रियाशील रहते है। पारिस्थितिकी तंत्र में भौतिक और जैविक शक्तियाँ एक दूसरे को प्रभावित करने में कभीकभार सीमा का अतिक्रमण भी कर जाती है, जिसे प्रकृति अपने ढंग से नियंत्रित करती है।
पारिस्थितिकी तंत्र में भौतिक तथा जैविक शक्तियाँ अपने ढंग से एक दूसरे को प्रभावित करती हैं। अतः पौधे की सफलता का कारण ज्ञात करना अत्यन्त कठिन कार्य है। इसके अतिरिक्त पौधे आनुवंशिक गुणों की सुघट्यता (Plasticity) में एक दूसरे से भिन्न होते हैं।
प्रश्न 12.
जल का कृषि और उद्योग में क्या महत्व है ?
उत्तर :
जल का कृषि और उद्योग में महत्व :
(i) पीने के लिए (Drinking) : हम प्यास लगने पर पानी पीते हैं। जितने भी जीवधारी (भाणी या पौधे) हैं उनकी संरचना में पानी का एक बड़ा भाग है। मनुष्य के स्वयं की बनावट में 60 प्रतिशत पानी है। यही नहीं बल्कि उसकी सम्पूर्ण क्रियाओं में और उसके स्वयं के रखरखाव में भी पानी का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह हड्डियों के बीच के जोड़ों को चिकना बनाये रखता है, ताकि वे आपस में रगड़कर एक दूसरे को हानि न पहुँचाए।
ऊतक (Tissues) और पेशियों (Muscles) को घेर कर उन्हें आपस में चिपकने से रोकता है। शरीर के अत्यन्त महत्तूर्ण अवयव जैसे हृदय, मस्तिष्क आदि को पानी से बने द्रव का एक कवच संरक्षण प्रदान करता है, और तो और यह शरीर के अन्दर महत्वपूर्ण संचार माध्यम भी है तथा शरीर के विभिन्न हिस्सों के बीच सम्पर्क बनाये रहता है। यही पोषक तत्व, ऑक्सीजन, कार्बन डाई-ऑक्साइड का वाहक है और शरीर के मालन पदार्थों को पसीना, मल और मूत्र के जरिये बाहर ले जाती है। इसी कारण पानी की कमी मनुष्य को सहन नहीं हो पाती और अधिक जल की कमी से उसकी मृत्यु हो जाती है।
(ii) कृषि कार्य के लिए (Agricultural Use) : पूर्वी तथा दक्षिणी एशिया विश्व के सघन आबाद प्रदेश हैं। इन देशों में विशाल जनसंख्या के पोषण के लिए वर्ष में दो या तीन फसले उगायी जाती हैं। ये मानसूनी जलवायु के देश है जहाँ वर्षा वर्ष के सीमित महीनों में संकेन्द्रित होती हैं। अतएव यहाँ कृषि के लिए सिंचाई की बहुत आवश्यकता होती है। भारत, चीन एवं पाकिस्तान में गेहूँ, जौ, चना, तिलहन आदि शीतकालीन फसलों के लिये भी सिंचाई की बहुत आवश्यकता होती है।
(iii) औद्योगिक जल आपूर्ति (Industrial water supply) : औद्योगिक संयन्त्रों (plants) को घरेलू कार्यों की अपेक्षा अधिक जल की आवश्यकता होती है। उद्योगों में भाप (Steam) बनाने, रसायनों के घोलने, आर्द्रका (humidifierrs) एवं प्रशीतकों (refrigerators), गर्म धातुओं को ठण्डा करने (cooling) कोक धोने, रासायनिक उद्योगों में अम्लों (acids) तथा क्षारों (alkalies) के निर्माण खालों (hides) को धोने तथा रगने आदि में बड़ी मात्रा में जल की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 13.
पारिस्थितिकी तंत्र क्या है ? पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा प्रवाह से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
इकोसिस्टम : वातावनण के जैविक तथा अजैविक अवयवों के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। यह सम्बन्ध मिलकर एक तंत्र की रचना करते हैं यह तंत्र पारिस्थितिकी तंत्र कहलाता है।
पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा प्रवाह : हरे पौधें प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सूर्य से विकिरण ऊर्जा लेकर भोजन बनाते हैं। बनाये गये भोजन को जन्त अपना भोजन बनाते हैं। इस भोजन के माध्यम से सूर्य की विकिरण ऊर्जा रूपान्तरित होकर जीवमण्डल में प्रवेश करती है।
अब विकिरण ऊर्जा का रूप स्थितिज ऊर्जा के रूप में हो गया है। शाकाहारी जन्तुओं के भोजन का मुख्य स्रोत पौधे हैं अत: पौधों में संचित स्थितिज ऊर्जा भोजन के साथ जन्तु शरीर में चला जाता है। जन्तु शरीर ऊर्जा का उपयोग जन्तु अपने जैव कार्यों में करते हैं। इस प्रकार हम देखते है कि ऊर्जा का प्रवाह जीव मण्डल में एक श्रृंखला में होता है जिसको ऊर्जा प्रवाह कहते हैं।
प्रश्न 14.
खाद्य जाल से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर :
खाद्य जाल (Food Web) : किसी इकोसिस्टम के जैव समुदाय में विभिन्न प्रकार की खाद्य- शृंखलायें पायी जाती है। इन खाद्य भृंखलाओं के द्वारा जैव समुदाय एक दूसरे से परस्पर सम्बन्धित रहते हैं। इस प्रकार खाध भृंखलायें एक जाल बनाती है, जिसे परस्पर सम्बन्धित रहते हैं। इस प्रकार खाद्य शृंखलाये एक जाल बनाती है, जिसे खाद्य जाल कहते हैं। जैसे –
(a) हरे पौधे → टिद्ड़ा → छिपकली → बाज
(b) हरे पौथे → खरगोश → बाज
(c) हरे पौधे → चूहा → साँप → बाज
(d) हरे पौधे → चूहा→ बाज
(e) हरे पौधे → कौट पतंग → मेढ़क → साँप → बाज
इस प्रकार हम देखते हैं कि हरे पेड़-पौधे (उत्पादक) तथा उच्च उपभोक्ता (बाज) विभिन्न खाद्य शृंखलाओं द्वारा परस्पर जुड़े हुए है। अत: ये पाँच खाद्य-श्रृंखलायें परस्पर मिलकर खाद्य जाल बनाती हैं।
प्रश्न 15.
समुदाय और इसके सदस्यो के बीच अन्त: सबंध का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर :
समुदाय (Community) : प्रकृति में जीवधारी अकेले न रहकर एक दूसरे के साथ रहना पसन्द करते हैं। अर्थात् विभिन्न प्रकार के जीवधारी एक समूह के रूप में ऐसे स्थान पर रहते हैं जहाँ पर उनकी आवश्यकताएं पूरी होती हैं। अत: हम यह कह सकते हैं कि समुदाय किसी भी प्राकृतिक क्षेत्र में रहने वाले पौधों और जन्तुओं का एक ऐसा समूह है जिसमें प्रत्येक जीवधारी अपनी कम से कम आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। जीवधारियों के इस समूह को समुदाय या
जैव समुदाय (Biotic community) कहते हैं। इसमें पौधे, जन्तुओं और सूक्ष्म जीवों के समुदाय ऊर्जा संसाधन और वास-स्थान के लिये एक दूसरे से अन्तःक्रियाएँ करते हैं। पौधे जन्तुओं को भोजन और ऑक्सीजन पदान करते हैं। इसके बदले उन्हे जन्तुओं से कार्बन डाई-आक्साइड प्राप्त होती है। जन्तु पौधों में परागण (Pollination) तथा उनके बीजों के विकिरण में सहायक हैं। सूक्ष्मजीव जन्तुओं और पौधों से विभिन्न प्रकार की पारस्परिक क्रियाएँ करते हैं।
ये जीयों में रोग उत्पत्र कर सकते हैं, नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर सकते हैं और मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ा या घटा सकते है और ये कार्बनिक मृत पदार्थों को विघटित कर सकते हैं। इस पदार्थ को पुनः यौधे ग्रहण कर सकते हैं। सभी जीव पारिस्थितिकीतंत्र के सफल संचालन में तथा ऊर्जा-प्रवाह और पोषक तत्वों के चक्रण में मुख्य भूमिका निभाते हैं। किसी विशेष समुदाय में रहने वाले जीवधारियों के बीच कई प्रकार की अन्त: क्रियाएँ होती रहती हैं।
प्रश्न 16.
पशुपालन से होने वाले आर्थिक लाभों का विवरण दो। अधिक अण्डे तथा मांस के उत्पादन हेतु मुर्गी पालन में कैसे सुधार लाया जा सकता है ? गाय की उन्नत प्रजातियों के नाम लिखो।
उत्तर :
पशुपालन (Animal husbandry) : विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत पालतू पशुओं के भोजन, आवास, स्वास्थ्य, प्रजनन आदि पक्षों का अध्ययन किया जाता है । उपयोगिता के आधार पर पालतू पशुओं के चार वर्ग है – दुधारू पशु (milk animals), मांस तथा अण्डा उत्पादक पशु (meat and egg giving animals), श्रमिक पशु (working animals) तथा चर्म उत्पादक पशु (skin-yielding animals)।
दुधारू पशुओं की अत्यधिक संख्या होने के बावजूद हमारे देश में दूध का उत्पादन संतोषजनक नहीं है। हमारे देश में औसतन एक गाय 200 किलो दूध प्रतिवर्ष देती है, जबकि यह औसत आस्ट्रेलिया तथा नीदरलैण्ड में 3500 किग्रा० तथा स्वीडेन में 3000 किग्रा० प्रतिवर्ष है। अत: हॉल्सटाइन-फीसिऑन, जर्सी जैसी गायों के विकास की आवश्यकता है जिससे क्षेत क्रान्ति (White revolution) आ सके।
हमारे देश की प्रति व्यक्ति भोजन के रूप में मांस की खपत (वार्षिक) 131 ग्राम है जबकि अमेरिका में यह 1318 किग्रा०। जनसंख्या के अनुरूप भोजन की बढ़ती आवश्यकता की पूर्ति के लिए अधिक पुष्ट, मांसल तथा जल्दी बढ़ने वाली नस्ल की मुर्गियाँ तथा अण्डा उत्पादन के लिए मुर्गियाँ प्रजनन के द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं क्योंकि जनसंख्या के अनुरूप हमारे देश में अण्डे की खपत दिनोदिन बढ़ती जा रही है।
भारत में भोजन के रूप में अण्डे की प्रति व्यक्ति वार्षिक खपत केवल 6 है जबकि अमेरिका में यह 295 । मछली उत्पादन (Fishery) की सम्भावना हमारे देश में बहुत अधिक है, प्रथानत: मृदुजल की मछलियाँ। हमारे देश में भोजन का एक प्रमुख सोत मछलियाँ हैं। इनसे पौष्टिक भोजन के अतिरिक्त तेल, उर्वरक जैसे अन्य उपयोगी पदार्थ भी मिलते हैं। देश को मछली उत्पादों के निर्यांत से करीब 4000 करोड़ रुपये की वार्षिक आमदनी होती है।
प्रश्न 17.
खाद्य श्रृंखला क्या है ? विभिन्न प्रकार के खाद्य श्रृंखला का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर :
खाद्य शृंखला (Food Chain) : उत्पादक से उच्य श्रेणी के उपभोक्ता तक खाद्य ऊर्जा का स्थानान्तरण खाद्य श्रृंखला कहलाता है। ओडम (Odum) ने सन् 1966 ई० में खाद्य श्रंखला की वैज्ञानिक विधि से व्याख्या की? उनके अनुसार, जिस शक्ति द्वारा खाद्य ऊर्जा, उत्पादक पौधों से कमबद्ध रूपों में उपभोक्ताओं और विभिन्न प्राणी समूहों के मध्य से गुजरती है, उसे खाद्य भृखला कहते हैं।
पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण क्रिया में सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं। यह ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा के रूप में पौधों के विभिन्न संचयी अंगों में संचित हो जाती है। प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता उत्पादक को अपने भोजन के रूप में प्रहण करते हैं, फलस्वरूप पौधों में संचित ऊर्जा प्रथम श्रेणी के उपभोक्ताओं के शरीर में पहुँच जाती है। पुन: द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता में स्थानान्तरित हो जाती है। इस तरह खाद्य ऊर्जा उत्पादक से क्रमश: प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी के उपभोक्ताओ में स्थानान्तरित होती रहती है तथा खाद्य शृंखला का अट्टूट क्रम बलता रहता है।
खाद्य शृंखला का प्रकार :-
(i) चारण आहार श्रृंखला (Grazing Food Chain) : वह भोजन श्रृंखला जो उत्पादक से शुरू होकर मांसाहारी जन्तु के साथ समाप्त हो जाती है। इसे चारण आहार श्रृखला कहते हैं।
(ii) परजीवी आहार शृंखला (Parasitic Food Chain) : वह भोजन शृखला जो उत्पादक से शुरु होकर बड़ेबड़े जीवों से होते हुए अन्त में परजीवी जन्तु के साथ समाप्त होती है। इसे परजीवी आहार शृंखला कहते है।
हरे पौधे → मनुष्य → फीताकृमि या एन्ट अमीबा
(iii) अरपद आहार शृंखला (Saprophytic food chian) : वह भोजन श्रृंखला जो मृत कार्बनिक पदार्थों से प्रारम्भ होकर अन्य उपभोक्ताओं से होते हुए जीवाणुओं के साथ अन्त होती है, जिसे मृतोपजीवी भोजन श्रृंखला कहते हैं। मृत कार्बनिक पदार्थ → केंचुआ → जीवाणु
(iv) डीट्रिटस भोजन शृंखला (Detritus food chain) : इस प्रकार की खाद्य श्रृंखला सड़े-गले पदार्थों से शुरू होकर विघटनकर्ता अर्थात सूक्ष्म जीवाणुओं से गुजरती हुई उपभोक्ता के शरीर में पहुँचती है। इसे डीट्रिटस भोजन शृंखला कहते हैं।
प्रश्न 18.
जनसंख्या स्तर किसे कहते हैं ? जन्म दर का आकलन कैसे किया जाता है ?
उत्तर :
जनसंख्या स्तर (Population Level) : समुदाय पारिस्थितिकी के अध्ययन में आबादी पारिस्थितिकी का अध्ययन विशेष महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे किसी क्षेत्र के सम्पूर्ण जैविक समाज का मूल्यांकन किया जाता है। किसी क्षेत्र या स्थान पर एक समय विशेष में एक या अनेक जातियों (Species) के जीवों की संख्या आबादी कहलाती है। उदाहरण के लिए एक जनपद में किसी निश्चित समय पर मनुष्यों की संख्या या गोपशुओं की संख्या या फलदार पौधों की संख्या वहाँ की आबादी कहलाती है।
जातीय और भौतिक परिवेश के कारण विविध जातियों के जीवों की आबादी अनेक विशिष्टताओं से युक्त होती है। जैसे उनकी संख्या में उतार-चढ़ाव, लिंग अनुपात, जन्म एवं मृत्युदर, जनन क्षमता, आयु रचना, वितरण प्रतिरूप एवं आव्रजन-प्रव्रजन आदि में अन्तर पाया जाता है। जब आबादी के इन लक्षणों का अध्ययन व्याख्यामक दृष्टिकोण से किया जाता है तो उसे जनांकिकी (Demography) कहा जाता है। लेकिन जब आबादी का अध्ययन भौतिक पर्यावरण और जैविक गुण के संदर्भ में किया जाता है तो उसे आबादी पारिस्थितिकी कहा जाता है। एक जैव जाति की आबादी उसकी प्रजनन प्रक्रिया से जुड़ी रहती है।
अनुकूल परिवेश में एक जाति के जीव प्रजनन प्रक्रिया से अपनी आबादी बढ़ा लेते हैं और परिवेश के प्रतिकूल होने पर उनकी वशवृद्धि रुक जाती है जिससे आबादी घट जाती है। आबादी के बढ़ने से पर्यावरण भी प्रभावित होता है। एक समय ऐसा भी आ जाता है कि बदले हुए पर्यावरण के कारण उस जाति की प्रजनन प्रक्रिया बाधित होती है जिससे आबादी का ह्रास होता है। पर्यावरणीय बाधाओं के कारण प्राणियों का विसरण भी होता है।
जिससे आबादी का वितरण प्रभावित होता है। कहा जाता है कि मध्य एशिया की जलवायु के शुष्क होने के कारण आदिमनुष्य अपने गृह स्थल को त्यागने के लिये बाध्य हुआ जिसके फलस्वरूप अनेक दिशाओं में प्रत्रजित होकर मानव प्रजातियों (Human Races) में विभक्त हो गया। नये पर्यावरण से समायोजन स्थापित करने की प्रक्रिया में उसमें अनेक शारीरिक-मानसिक अन्तर आ गये। पृथ्वी तल पर पर्यावरण की विविधता के कारण कोई एक जाति के जीव सर्वव्यापी नहीं हो सकते हैं क्योंकि किसी भी जाति के जीवों की पारिस्थितिकीय क्षमता (Ecological Tolerance) ऐसी नहीं होती कि वह सभी प्रकार के पर्यावरण में अपना जीवन-चक्र पूरा कर सके।