WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि

Detailed explanations in West Bengal Board Class 9 Physical Science Book Solutions Chapter 7 ध्वनि offer valuable context and analysis.

WBBSE Class 9 Physical Science Chapter 7 Question Answer – ध्वनि

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
तरंग कितने प्रकार की होती हैं ? उनके नाम बताएँ।
उत्तर :
ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य एवं अनुप्रस्थ दो प्रकार की होती हैं।

प्रश्न 2.
वायु में ध्वनि-तरंगे अनुदैर्घ्य हैं या अनुप्रस्थ ?
उत्तर :
वायु में छ्वनि तरंगें अनुदैर्घ्य होती हैं।

प्रश्न 3.
ध्वनि का संचरण किन-किन माध्यमों में हो सकता है ?
उत्तर :
ध्वनि का गमन ठोस, द्रव एवं गैस तीनों माष्यमों में हो सकता है।

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प्रश्न 4.
क्या ध्वनि के परावर्तन में आपतन कोण और परावर्तन कोण बराबर होता है।
उत्तर :
हाँ, ध्वनि के परावर्तन में आपतन कोण और परावर्तन कोण बराबर होता है।

प्रश्न 5.
सूर्य की सतह पर होनेवाले विस्फोट पृथ्वी से क्यों नहीं सुनाई पड़ते ?
उत्तर :
क्योंकि सूर्य एवं पृथ्वी के बीच का अधिकांश भाग माध्यमहीन अर्थात् शून्य है। अत: पदार्थीय माध्यम के अभाव हैं ध्वनि का गमन नहीं होने के कारण सूर्य की सतह पर होनेवाले धमाकों को पृथ्वी से नहीं सुन पाते।

प्रश्न 6.
मनुष्य के मस्तिष्क पर किसी ध्वनि का प्रभाव कितने समय तक रहता है ?
उत्तर :
\(\frac{1}{10}\) से॰ तक।

प्रश्न 7.
किसी माध्यम के कंपित कणों का माध्यम स्थिति से महत्तम विस्थापन को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
किसी माष्यम के कम्पित कणों की माष्यम स्थिति से अधिकतम विस्थापन को आयाम कहते हैं।

प्रश्न 8.
क्या दो क्रमिक शीर्षों अथवा गर्तो के बीच की दूरी को तरंग का तरंगदैर्ध्य कहते हैं ?
उत्तर :
हाँ, तरंग लम्बाई।

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प्रश्न 9.
सांगीतिक ध्वनि की विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर :

  • तीव्रता
  • तारत्व
  • गुणता।

प्रश्न 10.
ध्वनि की तीव्रता की इकाई क्या है ?
उत्तर :
डेसीबल।

प्रश्न 11.
ध्वनि किस प्रकार की ऊर्जा है?
उत्तर :
गतिज ऊर्जा (यात्रिक ऊर्जा)।

प्रश्न 12.
प्रतिध्वनि उत्पत्र करने के लिए परावर्तक सतः दूरी कितनी होनी चाहिए?
उत्तर :
16.6 m

प्रश्न 13.
कान की सबसे छोटी अस्थि का नाम क्या है ?
उत्तर :
स्टिरप अस्थि या स्टापेस।

प्रश्न 14.
किसी तरंग (जैसे ध्वनि-तरंग) की चाल किन दो राशियों पर निर्भर करती है ?
उत्तर :
किसी माध्यम में तरंग की चाल माध्यम की प्रकृति एवं उसके घनत्व पर निर्भर करती है।

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प्रश्न 15.
एक व्यक्ति अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गया हुआ है। क्या वह व्यक्ति अपने मित्र द्वारा वहाँ उत्पन्न ध्वनि को सुन सकता है ?
उत्तर :
नहीं, चन्द्रमा पर वायुमण्डल (गैसीय माष्यम) की अनुपस्थिति के कारण व्यक्ति अपने मित्र द्वारा उत्पम्न ष्वनि को नहीं सुन सकता।

प्रश्न 16.
किसी ध्वनि-तरंग की आवृत्ति तथा तरंगदैर्घ्य उसकी चाल से किस प्रकार संबंधित है ?
उत्तर :
तरंग की चाल = आवृत्ति x तरंग दैर्ष्य
या, V = π

प्रश्न 17.
क्या किसी माध्यम में ध्वनि की चाल माध्यम के तापमान पर निर्भर करती है ?
उत्तर :
हाँ, किसी माध्यम में ध्वनि की चाल माध्यम के तापमान पर निर्भर करती है।

प्रश्न 18.
वायु, जल तथा लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि की चाल सबसे तेज होती है ?
उत्तर :
लोहे में ध्वनि की चाल सबसे अधिक होती है।

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प्रश्न 19.
क्या आप बता सकते हैं कि (i) सितार तथा (ii) कार का हार्न में से किसके द्वारा उत्पन्न ध्वनि का तारत्व अधिक है ?
उत्तर :
सितार से उत्पत्न ध्वनि का तारत्व (Pitch) अधिक होगा।

प्रश्न 20.
सामान्य मानव कान के लिए श्रव्यता परास क्या है ?
उत्तर :
सामान्य मानव कर्ण के लिए श्रव्यता का परास 20 c/s से 20,000 c/s है।

प्रश्न 21.
हर्ज्ज किस राशि का मात्रक है ?
उत्तर :
आवृत्ति का मात्रक Hz से अधिक।

प्रश्न 22.
प्रतिध्वनि किसे कहते हैं ?
उत्तर :
किसी विस्तृत अवरोध से परावर्तित होकर ध्वनि के पुन: सुनने की घटना को ध्वनि की प्रतिध्वनि कहते हैं।

प्रश्न 23.
एक ध्वनि-तरंग के आवर्तकाल का मान 0.01s ध्वनि-तरंग की आवृत्ति क्या होगी ?
उत्तर :
ध्वनि की तरंग की आवृत्ति  \(\frac{1}{0.01}\) Hz या 100 Hz होगी।

प्रश्न 24.
ध्वनि तरंगों का यांत्रिक तरंगे क्यों कहते हैं?
उत्तर :
यह माध्यम में गमन करती है ।

प्रश्न 25.
क्या प्रकाश-तरंगें अनुप्रस्थ तरंगे हैं?
उत्तर :
हाँ, क्योंकि इसके घटक इसके प्रसार की दिशा के लम्बवत कम्पन करते है।

प्रश्न 26.
तरंग का कौन-सा गुण (i) प्रबलता और (ii) तारत्व को निर्धारित करता है?
उत्तर :
प्रबलता – आयाम पर । तारत्व – आवृत्ति पर ।

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प्रश्न 27.
दिए गए ध्वनियों से संबंधित आवृत्तियों का परास लिखें – (क) अवश्रव्य तरंगे तथा (ख) पराश्रव्य तरंगे।
उत्तर :
अवश्रव्य तरंगे – जिनकी आवृत्ति 20 Hz से नीचे होती है ।
पराश्रव्य तरंगे – जिनकी आवृत्ति 20000 Hz से अधिक होती है ।

प्रश्न 28.
20 Hz से कम आवृत्तिवाली ध्वनि को क्या कहते हैं – अवश्रव्य या पराश्रव्य ध्वनि?
उत्तर :
अवश्रव्य ध्वनि।

प्रश्न 29.
ध्वनि की आवृत्ति 500 Hz है। आवर्तकाल का मान क्या होगा?
उत्तर :
T=\(\frac{1}{t}=\frac{1}{500}\) Sec.

प्रश्न 30.
ध्वनि का तारत्व और ध्वनि स्रोत की आवृत्ति में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर :
ध्वनि का तारत्व ध्वनि सोत की आवृत्ति के सीधा समानुपाती होता है।

प्रश्न 31.
क्या ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है?
उत्तर :
हाँ, ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है।

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प्रश्न 32.
क्या मनुष्य पराश्रव्य ध्वनि सुन सकता हैं?
उत्तर :
नही, मनुष्य पराश्रव्य ष्वनि नहीं सुन सकता है।

प्रश्न 33.
मनुष्यों के लिए श्रव्य-परास कितना होता है?
उत्तर :
मनुष्यों के लिये श्रव्य-परास 20-20,000 cs होता है।

प्रश्न 34.
ध्वनि कैसे उत्पत्र होता है?
उत्तर :
कम्पन से।

प्रश्न 35.
क्या ध्वनि शून्य में गमन करती है?
उत्तर :
नहीं।

प्रश्न 36.
अनुदैर्घ्य तरंग में दो लगातार संपीडन के बीच की दूरी क्या कहलाता है?
उत्तर :
तरंग, दैर्ध्य।

प्रश्न 37.
गर्भस्थ शिशु की जानाकरी किसके द्वारा प्राप्त करते हैं?
उत्तर :
सोनोग्राफी द्वारा।

प्रश्न 38.
कान का कार्य सुनना तथा और क्या है?
उत्तर :
कान का कार्य सुनने के अलावा शरीर का संतुलन बनाये रखना है।

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प्रश्न 39.
ध्वनि के गमन के लिये कैसे माध्यम की आवश्यकता होती है ?
उत्तर :
लचीला तथा अविच्छित्र पदार्थीय माध्यम (Elastic and continuous material medium.)

प्रश्न 40.
आवर्तकाल की SI इकाई क्या है ?
उत्तर :
सेकेण्ड।

प्रश्न 41.
Hertz किस भौतिक राशि की इकाई है?
उत्तर :
आवृत्ति

प्रश्न 42.
ध्वनि के परावर्तन का एक व्यावहारिक उपयोग क्या है?
उत्तर :
Sonar

प्रश्न 43.
प्रतिध्वनि सुनाई देने की कोई एक शर्त लिखिए।
उत्तर :
स्रोत से परावर्त्तक तल की न्यूनतम दूरी 56ft या 16.6m होनी चाहिए ।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS

प्रश्न 1.
ध्वनि के परावर्तन क्या हैं ? ध्वनि के परावर्तन के नियमों को लिखो।
उत्तर :
ध्वनि का परावर्तन (Reflection of Sound) : ध्वनि तरंग जब एक माष्यम से चलकर किसी अन्य माध्यम के संस्पर्श तल (line of separation) पर आपतित होती है, तो इस आपतित ध्वनि तरंग का कुछ्छ अंश पुन: पहले वाले माध्यम में वापस लौट आता है। इस घटना को छ्वनि का परावर्तन (Reflection of Sound) कहते हैं।

ध्वनि के परावर्तन के नियम (Laws of Reflection of Sound) : ध्वनि के परावर्तन के निम्नलिखित दो नियम हैं-

  • आपतित ध्वनि तरंग, परावर्तित ष्वनि तरंग और परावर्तक सतह के ऊपर आपतन बिन्दु से खींचा गया अभिलंब एक ही तल (Plane) में स्थित होते हैं।
  • आपतन कोण और परावर्तन कोण परस्पर समान होते हैं।

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प्रश्न 2.
ध्वनि के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखो।
उत्तर :
ध्वनि के परावर्तन का व्यावहारिक उपयोग (Practical Applications of Reflection of Sound) : ध्वनि के परावर्तन के निम्नलिखित व्यावहारिक उपयोग होते हैं –

(i) स्टेथोस्कोप (Stethoscope) : रोगी के हृय की घड़कन, फेफड़ों (lungs) या श्वॉस नली में जमे कफ की प्रवृत्ति को जाँचने के लिए डॉक्टर स्टेथोस्कोप यंत्र की सहायता लेते हैं। इसमें रबर की दो नलियाँ, ग्राहक (receiver) से जुड़ी होती हैं। दोनों नलियों के सिरो को कान में लगाकर और गोल चकतीनुमा ग्राहुक को रोगी की छाती या पीठ पर रख कर शरीर के भीतर की धीमी ध्वनि को भी सुना जा सकता है। इस यंत्र में इदय के स्पंदन की धीमी ध्वनि नलियों के भीतरी दीवार से बार-बार परावर्तित होकर चिकित्सक के कान तक पहुँचती हैं। इसमें ध्वनि तरंगे बाहर की ओर फैल नहीं पातीं, इसलिए धीमी होने पर भी स्पष्ट सुनाई देती हैं।

(ii) बात-चीत की नली (Speaking Tube) : एक ही समान व्यास की नली के सिरे पर धीरे से भी बोली गई बात या अक्षर दूसरे सिरे पर स्थित व्यक्ति को स्पष्ट सुनाई पड़ती है। वास्तव में ध्वनि, नली की दीवारों के बीच बार-बार परावर्तित होकर श्रोता तक पहुँचती है। इस व्यवस्था में ध्वनि ऊर्जा का कहीं हास नहीं होता।

प्रश्न 3.
श्रुति निर्बध क्या है ?
उत्तर :
किसी ध्वनि को कान से सुनने पर जितने समय तक घ्वनि का प्रभाव मष्तिष्क में बना रहता है, श्रुति निर्बध (Persistence of Hearing) कहलाता है।

प्रश्न 4.
ध्वनि किसे कहते हैं ?
उत्तर :
ध्वनि (Sound) : किसी कंपनशील वस्तु से उत्पत्र वह ऊर्जा जो किसी प्रत्यास्थ पदार्थीय माष्यम से होकर तरंगों के रूप में गमन करते हुए हमारे कानों में पहुँचती है और मस्तिष्क मे एक विशेष प्रकार की संवेदना की अनुभूति उत्पन्न करती है, उसे छ्वनि (Sound) कहते हैं।

प्रश्न 5.
प्रतिध्वनि सुनने के लिए आवश्यक शर्त क्या हैं ?
उत्तर :
प्रतिध्वनि सुनने के लिए आवश्यक शर्त (Essential conditions for hearing an echo) :

  • परावर्तक तल विशाल होना चाहिये।
  • मूल ध्वनि और परावर्तित ध्वनि के श्रोता के पास पहुँचने का कम से कम \(\frac{1}{10}\) से० का अंतर होना चाहिए क्योंकि किसी ध्वनि की अनुभूति हमारे कान में \(\frac{1}{10}\) से॰ तक बनी रहती है। यदि परावर्तित ध्वनि \(\frac{1}{10}\) से॰ के अंदर ही हमारे कान तक पहुँच जाएगी तो दोनों छ्वनियाँ मिल जाएंगी एवं प्रतिष्वनि नहीं सुन पायेंगे।

प्रश्न 6.
किसी ध्वनि की गुणवत्ता किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर :
ध्वनि की गुणवत्ता को प्रभावित करनेवाले कारक निम्नलिखित हैं –

  • मूलसुर के साथ उपस्थित उपसुर की संख्या।
  • ध्वनि द्वारा उत्पत्र तरंग।
  • मूलसुर तथा उपसुर की आवृत्ति का अनुपात।

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प्रश्न 7.
ध्वनि प्रदूषण से क्या समझते हो ?
उत्तर :
ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution) : विभिन्न म्रकार की अवाछ्छीय ध्वनियों के कारण हमारे वातावरण मे जो हलचल उत्पन्न होती है उसे ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution) कहा जाता है। ष्वनि प्रदूषण ओद्योगिकीकरण तथा आधुनिक सभ्यता की देन है। ध्वनि पदूषण को डेसीबल (Decibel) ‘db’ में मापा जाता है। वह ध्वनि जिसकी तीव्रता 70 db या इससे अधिक होती है ष्वनि प्रदूषण उत्पन्न करती है। साधारणतया मनुष्य 30 -40 डेसिबल ‘db’ तक की ध्वनि सहन कर सकता है।

प्रश्न 8.
प्रतिध्वनि किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रतिध्वनि (Echo) : जब कोई ध्वनि दूर स्थित किसी विस्तृत परावर्तक तल से परावर्तित होकर पुन: अलग एवं स्पष्ट सुनाई पड़ती है तो वह दुहराई गई छ्वनि, मूल ध्वनि की प्रतिष्वनि कहलाती है।

प्रश्न 9.
प्रतिध्वनि कैसे उत्पन्न होती है ?
उत्तर :
जब हम किसी पहाड़ी के सामने या किसी गहरी घाटी के दूर के सिरे पर या किसी भवन की बड़ी दीवार के सामने बोलते हैं तो हमें प्रतिष्वनि सुनाई देती है। यहाँ प्रतिष्वनियों के बनने में पहाड़ी, घाटी या भवन परावर्तक तल का कार्य करते है।

प्रश्न 10.
छोटे कमरे में प्रतिध्वनि क्यों नहीं सुनाई देती है ?
उत्तर :
छोटे कमरे में प्रतिध्वनि का सुनाई नहीं देना : चूँकि छोटे कमरे की लंबाई 16.6 मीटर से कम होती है। अतः परावर्तित ध्वनि \(\frac{1}{10}\) सेकेंड के अंदर ही हमारे कान में पहुँच जाती है, जबंकि मूल ध्वनि की अनुभृति अभी बनी रहती है। फलतः दोनों ध्वाियाँ मिल जाती हैं एवं हम प्रतिष्वनि सुन नहीं पाते हैं।

प्रश्न 11.
ध्वनि की गूँज से क्या समझते हो ?
उत्तर :
गुँज (Reverberation): जब ध्वनि विभिन्न विशाल परावर्तक तलों से बार-बार परावर्तित होकर काफी देर तक सुनाई देती है तो इसे ध्वनि की गूँज (Reverberation of sound) कहते हैं।

प्रश्न 12.
चमगादड़ रात में भी अपने शिकार को पकड़ने के लिए पराश्रय तरंगों का उपयोग किस प्रकार करता है ?
उत्तर :
चमगादड़ों की श्रवण सीमा बहुत अधिक होती है। ये 100,000 Hz की तरंगें उत्पन्न कर सकते हैं एव सुन सकते हैं। इसलिए वे प्रतिष्वनि का उपयोग कर अपने रास्ते में पड़नेवाले अवरोष का पता कर लेते हैं एवं बचकर निकल जाते हैं। पराश्रव्य ध्वनि की प्रतिष्वनि को सुनने में लगे समय अंतराल से परावर्तक सतह अर्थात् अवरोध की दूरी का अनुमान लगा लेते हैं एवं उनसे टकराने से बच जाते है। अवरोघ यदि उनका शिकार ही हो तो उसे पकड़ लेते हैं।

प्रश्न 13.
किसी मोटरगाड़ी के निकट पहुँचने के पहले ही उसके हॉर्न की आवाज क्यों सुनाई पड़ जाती है ?
उत्तर :
मोटर गाड़ी के होर्न द्वारा उतन ध्चनि की तीबता अधिक होने के कारण इसकी मबल्ता अधिक होती है। अतः ध्वनि अधिक जोर तथा अधिक दूरी तक सुनाई पड़ती है, जिससे मोटर गाड़ी के निकट पहुँनने के पहले ही हार्न की आवाज सुनाई पड़ जाती है।

प्रश्न 14.
ध्वनि-तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है ?
उत्तर :
ध्वनि तरंगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर माध्यम के कणों के संपीडन एवं विरलन के माध्यम से होता है, जिसमें माध्यम के कणों का कंपन तरंग संचरण की दिशा के समानान्तर होता है। अत: ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्घ्य होती है।

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प्रश्न 15.
ध्वनि-तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
छ्वनि-तरंगों को यांत्रिक तरंगे कहते हैं क्योंकि इनके संचरण के लिए किसी द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 16.
एक व्यक्ति अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गया हुआ है। क्या वह व्यक्ति अपने मित्र द्वारा वहाँ उत्पन्न ध्वनि को सुन सकता है ?
उत्तर :
नहीं क्योंकि वहाँ वायुमण्डल नहीं है।

प्रश्न 17.
अनुप्रस्थ तरंग और अनुदैर्ध्य तरंग में क्या अंतर है ?
उत्तर :
अनुप्रस्थ तरंग और अनुदैर्ध्य तरंग में अंतर :

अनुप्रस्थ तरंग (Transverse wave) अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal wave)
(i) इसमें माध्यम के कणों का कम्पन ध्वनि संचरण की दिशा के लम्बवत् होता है। (i) इसमें माध्यम के कणों का कम्पन ध्वनि संचरण की दिशा के समानान्तर होता है।
(ii) पानी में पत्थर फ़ेंकने से उत्पन्न तरंग एवं प्रकाश तरंग। (ii) गैस एवं वायु में उत्पत्न तरंग इसके उदाहरण हैं।

प्रश्न 18.
किसी ध्वनि की तीव्रता और प्रबलता में क्या अंतर है ? समझाइए।
उत्तर :
ध्वनि की तीव्रता एवं प्रबलता में अन्तर :

तीव्रता (Intensity) प्रबलेता (Loudness)
(i) ध्वनि गमन की दिशा के लम्बवत् रखे तल के इकाई क्षेत्रफल से होकर प्रति सेकेण्ड गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा के परिमाण को तीव्रता कहते हैं। (i) यह ध्वनि का वह लक्षण है जिससे पता चलता है कि ध्वनि तेज है या धीमी।
(ii) अधिक तीव्रता वाली ध्वनि की प्रबलता अधिक होती है। (ii) ध्वनि प्रबलता की माप उसकी तीव्रता से की जाती है।

प्रश्न 19.
वैसे तो आकाश में तड़ित (बिजली) की चमक तथा मेघगर्जन साथ-ही-साथ उत्पत्र होते हैं, परंतु चमक पहले दिखाई पड़ती है और मेघगर्जन कुछ समय बाद। क्यों ?
उत्तर :
वायु में प्रकाश का वेग ष्वनि के वेग से बहुत अधिक होता है। वर्षा के समय आकाश में बादलों के आपस में टकराने से उत्पत्र होने वाली बिजली की चमक एवं आवाज दोनों एक साथ ही उत्पन्न होते हैं। लेकिन बिजली की चमक तुरन्त दिखाई देती है और बादलों की गरज कुछ देर बाद सुनाई पड़ती है। इस प्राकृतिक घटना के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वायु में प्रकाश का वेग ध्वनि के वेग से काफी अधिक होता है।

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प्रश्न 20.
क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका प्रकाश-तरंगें करती हैं ? इन नियमों को लिखें।
उत्तर :
ध्वनि का परावर्तन (Reflection of Sound) : प्रकाश तरंगों के परावर्तन के समान ही ध्वनि तरंगों में भी परावर्तन होता है। ध्वनि का परावर्तन भी समतल अथवा गोलाकार सतह पर होता है तथा ध्वनि तरंगें परावर्तन के निम्नलिखित दो नियमो का पालन करती है –

  • आपतित ध्वनि, परावर्तित ष्वनि और आपतन बिन्दु से परावर्तक सतह पर डाला गया अभिलम्ब तीनों एक ही
    समतल में होते हैं।
  • आपतन कोण और परावर्तन कोण बराबर होते हैं।

प्रश्न 21.
प्रतिध्वनि किसे कहते हैं ? यह कब सुनाई पड़ती है ?
उत्तर :
प्रतिष्वनि (Echo) : किसी ध्वनि से उत्पन्न ध्वनि दूर स्थित किसी विशाल अवरोध से परांवर्तित होकर उसे पुन : सुने जाने की घटना को ध्वनि की प्रतिध्वनि (Echo) कहते हैं। विशाल परावर्तक तल जैसे पहाड़ी, घाटी, ऊँची दीवार, गहरा कुआँ अदि से ध्वनि परावर्तन होती है। जब हम कुएँ के मुँह पर बोलते है तो हमारी आवाज दोहराई जाती है। यह दोहराई जानेवाली ध्वनि ही हमारी मूल ध्वनि (आवाज) की प्रतिध्वनि होती है। यहाँ प्रतिष्वनि के बनने में कुएँ का जल परावर्तक तल का काम करता है।

प्रश्न 22.
पराश्रव्य तरंगों का उपयोग वस्तुओं को साफ करने में कैसे किया जाता है ?
उत्तर :
पराश्रव्य तरंगों का उपयोग वस्तुओं को साफ करने में : पराश्रव्य तरंगों का उपयोग वस्तु के उन भागों को साफ करने में किया जाता है जिन तक पहुँचना कठिन होता है; जैसे – सर्पिलाकार नली, इत्यादि। जिन वस्तुओं को साफ करना होता है उन्हें साफ करनेवाले घोल में रखा जाता है और इस घोल में पराश्रव्य तरंगें भेजी जाती हैं। इन तरंगों की उच्च आवृत्ति के कारण घूल, गंदगी के कण तथा चिकने पदार्थ (greasy material) अलग होकर नीचे गिर जाते हैं और वस्तु पूरी तरह साफ हो जाती है।

प्रश्न 23.
क्या ध्वनि निर्वात में गमन कर सकती है ? मान लो दोनों आपस में बातचीत कर सकते हो ?
उत्तर :
छ्वनि निर्वात या शून्य में गमन नहीं कर सकती। चंद्रमा पर बातचीत संभव नहीं हो सकता क्योंकि वहाँ पर कोई वायुमंडल या माध्यम नहीं है जिससे छ्वनि गमन कर सके।

प्रश्न 24.
ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव को लिखो।
उत्तर :

  • ध्वनि प्रदूषण हमारे शरीर और मस्तिष्क को प्रभावित करता है। ध्वनि प्रदूषण से व्यक्ति चिड़िंड़ा स्वभाव का हो जाता है एवं वह अच्छी तरह से सो भी नहीं सकता है। उसकी निद्रा भंग हो जाती है।
  • ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। व्यक्ति को घीरे-धीरे कम सुनाई देने लगता है एवं अंत में वह बहरा भी हो सकता है।
  • खासतौर से एयरपोर्ट इलाके के लोग कम सुनते हैं। कल-कारखानों की मशीनों की भीषण आवाज से उसमें काम करने वाले लोग क्रोधी एवं चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाते है।
  • छात्र अपनी पढ़ाई में ठीक ढ़ंग से अपने मस्तिष्क को केंद्रित नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 25.
ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के दो उपाय बताइए।
उत्तर :

  • कल कारखानों को आबादी से दूर लगाना चाहिए।
  • सड़कों के किनारे पेड़-पौधों को लगाना चाहिए।

प्रश्न 26.
ध्वनि की गुणवत्ता किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर :
ध्वनि की गुणवत्ता निम्न कारकों पर निर्भर करती हैं –

  • मूल स्वर के साथ उपस्थित उपसुर की संख्या
  • मूल सुर तथा उपसुर की मस्तिष्क का अनुपात
  • मूलसुर तथा उपसुर की आपेक्षिक तीवत्रता
  • ध्वनि सोत से उत्पन्न ध्वनि तरंग का रूप
  • उपसुर की आवृत्ति में विभिम्नता।

प्रश्न 27.
सुरीली ध्वनि की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :

  • तीव्रता (Intensity) : यह ष्वनि का वह लक्षण है, जिससे पता चलता है कि ध्वनि तेज है या धीमी।
  • तारत्व (Pitch) : यह सुरीली ध्वनि का वह लक्षण है, जिससे पता चलता है कि कौन ध्वनि मोटी और कौन पतली है।

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प्रश्न 28.
पराश्रव्य ध्वनि का एक उपयोग लिखिए।
उत्तर :
पराश्रव्य ध्वनि का एक उपयोग : पराश्रव्य ध्वनि का उपयोग समुद्रु की गहराई तथा पनहुब्बी का पता लगाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 29.
श्रुतिनिबंध किसे कहते हैं ? इसका मान कितना है ?
उत्तर :
जब कोई ध्वनि हमारे कानों से टकराती है, तो इसका असर हमारे मस्तिष्क में \(\frac{1}{10}\) सेकेंड होता है।

प्रश्न 30.
प्रतिध्वनि या पराश्रव्य ध्वनि की सहायता से निम्नलिखित को कैसे ज्ञात करेंगे-
(i) समुद्र की गहराई
(ii) उड़ते हुए हवाई जहाज की ऊँचाई।
उत्तर :
(i) समुद्र की गहराई ज्ञात करने में (Depth of Sea) : पराश्रव्य ध्वनि तरंग द्वारा समुद्र की गहराई ज्ञात करने में तथा समुद्र के अन्दर उपस्थित दुश्मनो की पनडुल्बो की स्थिति को ज्ञात किया जाता है।

(ii) वायुयान की ऊँचाई (Height of an aeroplane) : इसी प्रकार पराश्रव्य ध्वनि द्वारा वायुयान की ऊँचाई ज्ञात की जाती है कि वायुयान पृथ्वी तल से कितनी ऊंचाई पर उड़ान भर रहा है। हवाई अड्डों पर वायुयानों के मार्ग दर्शन में किया जाता है।

प्रश्न 31.
ध्वनि के गमन से क्या समझते हो ?
उत्तर :
ध्वनि का गमन (Propagation of Sound) : ध्वनि के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की क्रिया को ध्वनि का गमन कहते हैं। ध्वनि ऊर्जा के रूप में तरंग द्वारा आगे बढ़ती है और हमारे कान तक पहुँचती है। जब कोई वस्तु किसी माध्यम में कंपन करती है तो वह माध्यम के उन कणो को, जो वस्तु के समीप हैं, गति में ला देती है। ये कण अपने समीपवर्ती कणों को भी उसी प्रकार से गतिमय कर देते हैं। इस प्रकार माध्यम में हलचल (Disturbance) उत्पन्न हो जाती है जो उस माध्यम में आगे बढ़ती है।

प्रश्न 32.
किसी कंपित वस्तु के संदर्भ में परिभाषा दो –
(i) पूर्ण कंपन
(ii) आयाम
(iii) आवर्तकाल
(iv) आवृत्ति
उत्तर :
(i) पूर्ण कंपन (Complete Oscillation) : जब कोई कंपन करता हुआ कण, अपने किसी स्थान से चलकर पुन: उसी स्थान पर दुबारा उसी दिशा में गति करता हुआ पहुँचता है तो इस पूरी यात्रा को एक पूर्ण कंपन कहते हैं।

(ii) आयाम (Amplitude) : कोई मी कंपित कण अपनी मध्यमान स्थिति के दोनों तरफ जितनी अंधिकतम दूरी तक विस्थापित होता है, उस दूरी को कंपन का आयाम (Amplitude) कहते हैं।

(iii) आवर्तकाल (Time Period) : किसी कपित वस्तु को एक पूर्ण कंपन में जितना समय लगता है, आवर्तकाल (Time Period) कहलाता है। इसे प्राय: ‘T ‘ अक्षर से सूचित किया जाता है। आवर्तकाल की S.I. इकाई सेकेंड है।

(iv) आवृत्ति (Frequency) : कोई भी कंपित कण एक सेकेंड में जितनी बार पूर्ण कपन करता है, उसे उसकी आवृत्ति (Frequency) कहते हैं। इसकी इकाई साइकिल/सेकेंड है। आवृत्ति को ‘n’ अक्षर से सूचित करते हैं।

C.G.S. या S.I. पद्धति में आवृत्ति की इकाई सायकिल्स प्रति सेकेंड cycles/second या c.p.s. अथवा हटर्ज (Hertz या Hz) होती है। प्रसिद्ध जर्मन वैज्ञानिक हेनरिख हट्र्ज के नाम पर आवृत्ति (Frequency) की इकाई Hertz ली गई है।

प्रश्न 33.
तरंग के संदर्भ में निम्नलिखित की परिभाषा दो।
(i) तरंग आयाम
(ii) आवर्तकाल
(iii) तरंग आवृत्ति
(iv) तरंग-दैर्घ्य
(v) तरंग वेग
उत्तर :
(i) तरंग आयाम (Wave amplitude) : एक तरग के किसी कण का उसकी मध्यमान स्थिति से दायें या बायें जितना अधिकतम विस्थापन होता है, उसे ही तरंग आयाम कहते हैं। चित्र में BP या QD तरंग आयाम हैं।

(ii) आवर्तकाल (Time period) : किसी तरंग कण (Wave particle) को एक पूर्ण कंपन करने में जो समय लगता है, उसे ही तरंग का आवर्त काल कहते हैं। इसे ‘ T ‘ द्वारा पदरशित करते है।

(iii) तरंग आवृत्ति (Wave frequency) : किसी माध्यम में तरंग संचारित होने पर, माध्यम का कोई कण एक सेकेण्ड में जितनी बार कंपन करता है, उसे ही तरंग आवृत्ति कहते है। इसे ‘n’ द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

(iv) तरंग-दैर्ध्य (Wave-length) : किसी तरंग गति में समान काल में दोलन करने वाले दो क्रमागत कणों के बीच की दूरी को तरंग लंबाई कहते हैं। चित्र में BF या DH दूरी तरंग-लंबाई है।

(v) तरंग वेग (Wave velocity) : तरंग द्वारा एक सेकेण्ड में तय की गई दूरी को तरग वेग कहते है, इसे ‘v’ द्वारा प्रदर्शिंत करते हैं।

प्रश्न 34.
पराश्रव्य ध्वनि के क्या उपयोग हैं ?
उत्तर :
पराश्रव्य ध्वनि के उपयोग (Uses of Uitrasonic sound) :

  • समुद्र की गहराई ज्ञात करने में,
  • वायुयान की ऊँचाई ज्ञात करने में,
  • दुर्घटनाग्रस्त जलयान या वायुमान के अवशेषों का समुद्र के अंदर जानकारी करने एवं निशानदेही करने में,
  • मत्स्यसमूहो की गहराई एवं उनकी गतिविधियों की जानकारी करने में,
  • मानव शरीर में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने में,
  • गर्भस्थ शिशु की जानकारी प्राप्त करने में,
  • वृक्क (Kidney) के पत्थर को तोड़ने में।

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प्रश्न 35.
SONAR क्या है ?
उत्तर :
SONAR का पूरा नाम है – Sound Navigation And Ranging.
यह वह विधि है जिसमें जल के अंदर ध्रनि के गमन का उपयोग मार्ग निर्देशन के लिये या जल की सतह के नीचे की वस्तुओं, जैसे पनड्बी या जल के ऊपर की वस्तुओं का पता लगाने के लिये या दूसरे जहाज से वार्ता करने के लिये किया जाता है।

प्रश्न 36.
शेर की दहाड़ एवं मच्छर की भिनभिनाहट में क्या अंतर है ?
उत्तर :
शेर को दहाड़ जोर से सुनाई पड़ती है क्योंकि शेर की दहाड़ की तीवता अधिक एवं तारत्व कम होता है, जबकि मच्छर की भिनभिनाहट में तीव्रता कम एवं तारल्व अधिक होता है। इसलिए मच्छर की आवाज में तीक्षणा अधिक होती है।

प्रश्न 37.
ध्वनि किस माध्यम में सुचारु रूप से गमन करती है ?
उत्तर :
ध्वनि का संचरण (Propogation of Sound) : यदि ध्वनि सोत और हमारे कान के बीच कोई माध्यम न हो, तो हमें कोई ध्वनि सुनाई नहीं पड़ेगी। ध्वनि शून्य (vaccum) से होकर नहीं जा सकतो है। ध्वनि के संघरण के लिए, किसी पदार्थीय माध्यम का होना आवश्यक है।

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 4 MARKS

प्रश्न 1.
0°C पर वायु का वेग 332 मी॰/से॰ होने पर प्रतिध्वनि सुनने के लिए श्रोता एवं परावर्तक तल के बीच कम से कम दूरी कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर :
मनुष्य के मस्तिष्क में सुनी हुई ध्वनि का प्रभाव लगभग \(\frac{1}{10}\) सेकेंड तक रहता है। इसे श्रुतिनिबंध (persistence of hearing) कहते हैं। अत: दूसरी ष्वनि (यहाँ प्रतिष्वनि) उसे साफ-साफ उसी अवस्था में सुनाई पड़ेगी, जब वह पहली ध्वनि के पहुँचने के \(\frac{1}{10}\) सेकेंड के बाद उसके पास पहुँचे। ध्वान का वेग 0°C पर हवा में 332 मी०/सेकेंड होता है। धन्वनि का हा में वेग =332 मी॰/से०
∴ \(\frac{1}{10}\) सेकेंड में छ्वनि द्वारा तय की गई दूरी =33.2 मी०
1 सेकेंड में ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी =332 मी०
∴ \(\frac{1}{10}\) सेकेंड में ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी = 332 x \(\frac{1}{10}\) = 33.2 मी०

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अर्थांत् ध्वनि द्वारा ध्वनि सोत तथा परावर्तक सतह तक तथा परावर्तक सतह से परावर्तित होकर ध्वनि स्रोत तक तय की गई दूरी 33.2 मी० है। अत: श्रोता तथा परावर्तक तल के बीच की आवश्यक न्यूनतम दूरी =\(\frac{33.2}{2}\) = 16.6 मी०

प्रश्न 2.
एक प्रयोग से सिद्ध करो कि ध्वनि के गमन के लिए पदार्थीय माध्यम की आवश्यकता होती है।
उत्तर :
ध्वनि का गमन ठोस माध्यम से होकर होता है। इसे निम्नलखित उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
(i) एक लम्बे मेज के एक सिरे पर एक घड़ी को रखकर, मेज के दूसरे सिरे से कान को सटाकर रखने पर घड़ी की टिक्टिक् की ध्वनि स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ती है। यहाँ ध्वनि का विस्तार ठोस माध्यम (लकड़ी) द्वारा होती है।

(ii) एक लोहे के लम्बे पाइप के एक सिरे को धीरे-धीरे लकड़ी द्वारा चोट करने पर यदि दूसरे सिरे पर कोई कान लगाकर रखता है तो यह ध्वनि स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ती है। यहाँ ध्वनि ठोस माध्यम (पाइप) द्वारा होती है।

(iii) यदि दूर से आती हुई अदृश्य ट्रेन की आवाज वायु में सुनाई नहीं पड़ती है लेकिन रेल की पटरी पर कान रख करके सुनने पर ट्रेन के पहिये का घर्षण की आवाज सुनाई पड़ती है। यह आवाज पटरी (ठोस) के माध्यम से पहुँचती है। ठोस में ध्वनि का वेग वायु की अपेक्षा अधिक होता है।

प्रश्न 3.
तरंग और तरंग गति से क्या समझते हो ? तरंग कितने प्रकार की होती हैं ? उदाहरण के साथ परिभाषा दो।
उत्तर :
तरंग (Wave) : तरंग किसी विक्षोभ का वह रूप है जो किसी पदार्थीय माध्यम के एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ऊर्जा को संचालित करती है, किन्तु माध्यम के कण स्थान परिवर्तन नहीं करते।

तरंग गति (Wave motion) : जिस पद्धति द्वारा ऊर्जा एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक स्थानांतरित होती है, उसे तरंग गति (Wave motion) कहते हैं। तरंग दो प्रकार की होती है –

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(i) अनुप्रस्थ तरंग (Transverse wave) : वह तरंग जिसमें माध्यम के कंणों का कंपन तरंग चलने की दिशा के लंबवत् होता है, अनुप्पस्थ तरंग (Transverse wave) कहलाती है। तालाब के शांत जल में एक पत्थर के टुकड़े को फेकने से जल में उत्पत्न तरंगें अनुप्थ तरंगें होती हैं।
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(ii) अनुदैध्ध्य तरंग (Longitudinal wave) : वह तरंग जिसमें माध्यम के कण अपनी मध्यमान स्थिति के आगे और पीछे उसी दिशा में कंपन करते हैं जिस दिशा में माध्यम में तरंग आगे बढ़ती है अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal wave) कहलाती है। स्वरित्र, घंटी, ढोल आदि के कंपन से आस-पास की हवा में उत्पत्न तरंग अनुदैर्ध्य तरंग होती है।
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प्रश्न 4.
मानव कान की संरचना का वर्णन करो।
उत्तर :
मानव कान की संरचना (Structure of human ear) : मनुष्य के कान को तीन भागों में बाँटा जा सकता है –

  • बाह्य कर्ण (External ear),
  • मध्य कर्ण (Middle ear),
  • अंतःकर्ण (Internal ear)।

बाह्य कर्ण (External ear) : बाह्य कर्ण में तीन भाग होते हैं –

  • कर्ण पल्लव (Ear Pinna),
  • बाह्य कर्ण नलिका (External auditory canal),
  • कर्ण पटल (Eardrum or Tympanic membrance or Tympanum)।

कर्ण पल्लव (Ear Pinna) : यह बाह्य कर्ण का सबसे बाहरी भाग है जो अनियमित एवं कीप के आकार का होता है। यह कार्टिलेज से बना होता है।

बाह्य कर्ण नलिका (External auditory canal) : कर्ण पल्लव से कर्णपटल तक फैली हुई नलिका को बाह्य कर्ण नलिका कहते हैं। इसकी दीवारें कार्टिलेज की बनी होती है जिसमें ग्रंथियाँ (Cerumen glands) पाई जाती हैं जो सेरूमेन या ear wax का स्राव करती है।

कर्ण पटल (Ear drum or Tympanic membrane or Tympanum) : बाह्य कर्ण नलिका एवं मध्यकर्ण के संयोग स्थल पर उपस्थित पतली झिल्ली को कर्ण पटल कहते हैं।

मध्यकर्ण (Middle ear) : कर्ण पटल से अंत:कर्ण के बीच के भाग को मध्य कर्ण कहते हैं।

कर्ण अस्थियाँ (Ear ossicles) : मध्य कर्ण में तीन छोटी-छोटी अस्थियाँ – मैलियस (Malleus), इन्कस (Incus) तथा स्टापेस (Stapes) पाई जाती हैं जो लिगामेंद्स के द्वारा एक-दूसरे से जुड़ी रहती हैं।

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प्रश्न 4.
मानव कान की संरचना का वर्णन करो।
उत्तर :
मानव कान की संरचना (Structure of human ear) : मनुष्य के कान को तीन भागों में बाँटा जा सकता है –
(i) बाह्य कर्ण (External ear)
(ii) मध्य कर्ण (Middle ear)
(iii) अंतःकर्ण (Internal ear)।

(i) बाद्य कर्ण (External ear) : बाह्य कर्ण में तीन भाग होते हैं –
(a) कर्ण पल्लव (Ear Pinna), (b) बाह्य कर्ण नलिका (External auditory canal), (c) कर्ण पटल (Ear drum or Tympanic membrance or

Tympanum)।

  • कर्ण पल्लव (Ear Pinna) : यह बाह्य कर्ण का सबसे बाहरी भाग है जो अनियमित एवं कीप के आकार का होता है। यह कार्टिलेज से बना होता है।
  • बाह्य कर्ण नलिका (External auditory canal) : कर्ण पल्लव से कर्णपटल तक फैली हुई नलिका को बाह्य कर्ण नलिका कहते हैं। इसकी दीवारें कार्टिलेज की बनी होती है जिसमें ग्रंथियाँ (Cerumen glands) पाई जाती हैं जो सेरूमेन या ear wax का साव करती है।
  • कर्ण पटल (Ear drum or Tympanic membrane or Tympanum) : बाह्य कर्ण नलिका एवं मध्यकर्ण के संयोग स्थल पर उपस्थित पतली झिल्ली को कर्ण पटल कहते हैं।

(ii) मध्यकर्ण (Middle ear) : कर्ण पटल से अंत:कर्ण के बीच के भाग को मध्य कर्ण कहते हैं।

  • कर्ण अस्थियाँ (Ear ossicles) : मध्य कर्ण में तीन छोटी-छोटी अस्थियाँ – मैलियस (Malleus), इन्कस (Incus) तथा स्टापेस (Stapes) पाई जाती हैं जो लिगामेंद्स के द्वारा एक-दूसरे से जुड़ी रहती हैं।
  • यूस्टेचियन नलिका (Eustachian tube) : यह मध्य कर्ण तथा ग्रसनी के बीच एक वायुपूर्ण नली है जो मध्य कर्ण तथा ग्रसनी के बीच के वायुदाब को नियंत्रित करती है।
  • फेनेस्ट्रा ओवैलिस (Fenestra Ovalis) : स्टापेस का अंतिम सिरा एक अंडाकार झिल्लीदार खिड़की से जुड़ा होता है जिसे फेनेस्ट्रा ओवैलिस या Oval window कहते हैं।

(iii) अंतःकर्ण (Internal ear) : इसकी रचना दो प्रकार के लेबिरिन्थ अस्थिलेबिरिन्थ (Bony Labyrinth) तथा मेम्ब्रेनस लेबिरिन्थ (Membraneous labyrinth) से होती है। दोनों लेबिरिन्थ में पेरिलिम्फ (PArilymph) नामक द्रव पाया जाता है। मेम्ब्रेनस लेबिरिन्थ में चार प्रकार की रचनाएँ – सेकुल (Saccule), यूट्रीकल (Utricle), अर्द्धचंद्राकार नलियाँ (Semicircular Canals) तथा काक्लिया (Cochlea) पाई जाती है। इनमें प्रथम तीन रचनाओं को वेस्टीबुलर ऐपरेटस (Vestibular Apparatus) कहते हैं। इसमें इण्डोलिम्फ (Endolymph) नामक द्रव भरा रहता है। सेकुल एक छोटी-सी गोल रचना है जो पीछे की तरफ बढ़कर घुमावदार काक्लिया का निर्माप्प करता है।

काक्लिया (Cochlea) : यह एक घुमावदार रचना है जो सेकुल के पिछ्ले भाग से बनती है। इसकी आंतरिक गुहा तीन समानांतर नलियों में बँटी होती है जो झिल्ली द्वारा एक-दूसरे से अलग रहती है। इनमें से ऊपरी एवं निचली नलिकाओं में पेरिलिम्फ तथा मध्यवाली नलिका में इण्डोलिम्फ भरा रहता है। मध्य नलिका में एक ध्वनिग्राहक संवेदी अंग पाया जाता है जिसे ऑर्गन ऑफ कार्टी (Organ of corti) कहते हैं। यह संवेदी अंग ध्वनि तंत्रिका द्वारा जुड़ा होता है।

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प्रश्न 5.
मानव कान द्वारा ध्वनि के सुनने की क्रियाविधि का वर्णन करो।
उत्तर :
मानव कान द्वारा ध्वनि सुनने की क्रियाविधि (Mechanism of hearing of sound by human ear) : कोई भी कंपित ध्वनि-स्रोत हवा में संपीडन एवं विरलन उत्पन्न करते हैं। जब ये बाह्य कान पर पहुँचते हैं तब ये कर्णनलिका में प्रवेश करके कर्णपट के निकट पहुँच कर इसे धकेलते हैं जिससे यह कंपन करने लगता है। कर्णपट के कंपित होने से आपस में जुड़ी तीनों अस्थियाँ कंपन करने लगती हैं। ये अस्थियाँ एक लीवर का कार्य करती है, जिससे कंपन के समय विस्थापन बढ़ जाता है।

इससे वलयक (Stirrup or stapes) का विस्थापन कर्णपट के कंपन के आयाम से कई गुना बढ़ जाता है। इस तरह जब कपन वलयक तक पहुँचता है तो कंपन का आयाम बढ़ जाता है। वलयक, जो कर्णावर्त (Cochlea) से जुड़ा होता है, कर्णावर्त के तरल में संपीडन और विरलन के स्पन्दन को प्रतिष्ठापित करता है और ये स्पन्दन विद्युत संकेतों में परिवर्तित हो जाते हैं जो श्रवण तंत्रिका (Auditory nerve) द्वारा मस्तिष्क को भेज दिये जाते हैं। मस्तिष्क इनकी व्याख्या ध्वनि के रूप में करता है।

प्रश्न 6.
एक स्वच्छ चित्र की सहायता से बताएँ कि ध्वनि के स्रोत के निकट की वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर :
अनुदैर्ध्य तरंग-गति के प्रदर्शन के लिए एक प्रयोग : एक सर्पिल कमानी (spiral spring) को किसी टेबुल पर रखकर इसके एक सिरे B को दीवार में लगी कील से जकड़कर, दूसरे सिरे, A को हाथ से लम्बाई की दिशा में दबाकर छोड़ देते हैं। दबाने से बाएँ सिरे के पास कमानी के फेरे (turns) एक-दूसरे के निकट हो जाते हैं। इस सिकुड़े भाग, को संपीडन (compression), C कहते हैं। दाब हटाते ही दबे हुए फेरे कमानी के लचीलेपन के कारण अपनी पुरानी स्थिति में आना चाहेंगे, जिस कारण कमानी की लंबाई की दिशा में आगे के कुछ फेरों को दबाएँगे और इस प्रकार संपीडन, C दाएं ओर निश्चित चाल से बढ़ता जाएगा।

अब यदि कमानी के सिरे A को बायीं ओर खींचकर छोड़ दिया जाए, तो इस सिरे के पास कमानी के फेरे एक-दूसरे से दूर होकर फैल जाएंगे ऐसे फैले हुए भाग को विरलन (rarefaction) R कहते हैं। कमानी के लचीलेपन के कारण विरलन निश्चित चाल से दायीं ओर बढ़ेगा।

यदि सर्पिल कमानी के सिरे A को किसी ऐसे दोलक से जोड़ दें, जो कमानी की लंबाई की दिशा में दोलित हो, तो कमानी पर एक के बाद एक संपीडन C तथा विलन, R उत्पन्न होंगे और ये निश्चित चाल से आगे बढ़ते जाएंगे, किन्तु कमानी के फेरे आगे नहीं बढ़ंगे केवल अपनी विरामावस्था की स्थिति के आगे-पीछे कंपन करेंगे। कमानी के फेरे पर कागज के छोटे टुकड़े को रखकर यह आसानी से देखा जा सकता है।

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प्रश्न 7.
ध्वनि की प्रबलता से आप क्या समझते हैं ? यह किन-किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर :
ध्वनि की प्रबलता : ध्वनि की प्रबलता (loudness) इसका वह गुण है जिसके कारण यह कान को धीमी अथवा तेज सुनाई पड़तीं है। वस्तुतः ध्वनि की प्रबलता कान में उत्पत्र एक संवेदना है जिसके आधार पर ध्वनि को तेज (तीव्र) अथवा धीमी कहते हैं। ध्वनि की प्रबलता मूल रूप से श्रोता के कान की सुग्राहिता पर निर्भर करती है। ध्वनि की प्रबलता ध्वनि के आयाम (amplitude) से जानी जा सकती है। चूँकि ध्वनि ऊर्जा से संबंधित है, इसलिए प्रबल ध्वनि में ऊर्जा अधिक होती है और मृदु ध्वनि में कम।

ध्वनि की तीव्रता या प्रबलता (Intensity of loudness) निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है –

  • ध्वनि स्रोत की दूरी पर
  • माध्यम के घनत्व पर
  • कम्पन आयाम पर तथा
  • ध्वनि स्रोत के आधार पर।

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प्रश्न 8.
बताएँ कि चमगादड़ हवा में अपने शिकार को पकड़ने के लिए पराश्रव्य तरंगों का उपयोग किस प्रकार करता है ?
उत्तर :
चमगादड़ तथा डालफिन के द्वारा उपयोग : चमगादड़ रात को भोजन की खोज में निकलते हैं तो यह अपना रास्ता आँखों से देखकर नहीं तय करते हैं बल्कि पराश्रव्य तरंगों को सुनकर करते हैं। इस तरंग को सुनने की क्षमता उसमें है।

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इसी कारण यदि कोई बाधा उसके रास्ता में आती है तो तुरन्त अपना रास्ता बदल लेता है। चमगादड़ शिकार को पकड़ने के लिए एक लाख हर्ज्ज की आवृत्तिवाला कम्पन उत्पन्न करता है तथा इसके मार्ग में आनेवाले किसी शिकार से परावर्तित होने वाली प्रतिध्वनि को सुनकर शिकार को पकड़ता है।

प्रश्न 9.
ध्वनि, वस्तु के कंपन से उत्पन्न होती है- सिद्ध करो।
उत्तर :
निम्नलिखित प्रयोग से यह सिद्ध किया जा सकता है कि किसी वस्तु के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है एक स्वरित्र द्विभुज को रबर के पैड से चोट करते हैं तो उससे ध्वनि उत्पत्र होती है। इसकी भुजाएँ बहुत तेजी से कंपन करती हैं। इन कंपनों को हम स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते, परंतु कंपन करती हुई भुजाएँ धुँधले रूप से दिखाई देती हैं। अब यदि एक सरकण्डे की गोली (Pith ball) को धागे से लटकाया जाता है। अत: इस प्रयोग से इस बांत की पुष्टि होती है कि कंपित वस्तुएँ ही ध्वनि के स्रोत हैं।

प्रश्न 10.
सुरीली ध्वनि और कोलाहल में दो अन्तर का उल्लेख कीजिए। ध्वनि प्रदूषण नियंत्रित करने के एक संभावित उपाय का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
सुरीली ध्वनि और कोलाहल में अन्तर :

सुरीली ध्वनि (Musical sound) कोलाहल (Noise)
सुरीली ध्वनि कर्णप्रिय ध्वनि होती है। कोलाहल का प्रभाव कानों के लिये अप्रिय होता है।
सुरीली ध्वनि कर्णप्रिय ध्वनि होती है। कोलाहल के रूप में ध्वनि निम्न आवृत्ति की होती है।

ध्वनि प्रदूषण नियंत्रित करने के एक संभावित उपाय :

  • कल-कारखानों में ध्वनिविहीन यंत्रों को लगाना चाहिए।
  • कल-कारखानों के निकट लोगों को नहीं बसने देना चाहिये।
  • घनी आबादी वाले क्षेत्रों में कानून बनाकर कल-कारखानों के बनने पर रोक लगानी चाहिये।
  • कानून बनाकर अनावश्यक रूप से वाहनों द्वारा हॉर्न (horn) के बजाने पर रोक लगानी चाहिए।
  • ध्वनि विस्तारक यंत्र (loud speaker) के बजने पर रोक लगानी चाहिए।
  • कानून बनाकर पटाखों के बजाने पर रोक लगानी चाहिए।
  • विज्ञापन द्वारा ध्वनि प्रदूषण के कुप्रभाव से लोगों को अवगत कराना चाहिए।

प्रश्न 11.
कुछ उदाहरण दो जिनसे यह सिद्ध होता है कि किसी वस्तु के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है।
उत्तर :
वस्तुओं के कपन से ध्वनि उत्पन्न होती है – निम्नलिखित उदाहरणों से इसकी पुष्टि की जा सकती है –
(i) पीतल के घंटे को लकड़ी के हथौड़े से चोट करने पर घंटा बजता है। घंटे को स्पर्श करने पर अनुभव होता है कि घंटे में कंपन हो रहा है।

(ii) एक नगाड़े (बाजा) पर बालू के कुछ कण को फैला देते हैं। अब एक छड़ी से नगाड़े पर हल्के-हल्के चोट करते हैं तो नगाड़े पर रखे हुए बालू के कण थिरकते हुए दिखाई पड़ते हैं, साथ ही साथ क्वनि भी उत्पत्र होती है। जैसे ही नगाड़े को अंगुली से स्पर्श करते हैं, ध्वनि उत्पत्र होना बंद हो जाता है तथा बालू के कण स्थिर हो जाते हैं। अत: वस्तु के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है।

(iii) सितार, वायलिन, गिटार आदि वाद्ययंत्रों के तारों को जब अंगुलियों से छेड़ते हैं तो एक मधुर ध्वनि उत्पन्न होती है। इन वाद्य-यंत्रों में तार, ध्वनि के स्रोत हैं। बाँसुरी, शहनाई आदि को मुँह से फूँकने पर एक मधुर ध्वनि निकलती है। यहाँ वायु की परतें, ध्वनि के स्रोत का कार्य करती हैं। तबला, ढोलक आदि में चमड़े की झिल्ली को हाथों से ठोंकने पर ध्वनि उत्पत्न होती है। यहाँ चमड़े की झिल्ली ध्वनि के स्रोत हैं।

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प्रश्न 12.
मानव वाक् तंतु द्वारा ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है ?
उत्तर :
सामान्य तौर पर मुनष्य द्वारा उत्पन्न की जानेवाली ध्वनि की क्रियाविधि को तीन भागों में बाँटा जा सकता है फेफड़ा (Lungs), लारिक्स (Larynx) के अंदर वोकल फोल्ड्स (Vocal folds) एवं शब्दों का सही उच्चारण करने वाला अंग (articulaters) है। वाक् तंतु या वोकल कॉड्र्स (Vocal cords) ध्वनि के प्राथमिक स्रोत हैं। मनुष्य के गले में स्थित स्वरयंत्र (Vocal cord) में दो पतली झिल्लियाँ होती हैं जिनके कंपन के फलस्वरूप ध्वनि उत्पन्न होती है। जैसे यदि कागज के दो पतले टुकड़ों को एक साथ सटाकर दोनों किनारों को जोर से पकड़ कर उन टुकड़ों के बीच में मुँह से फूँकते हैं तो दोनों कागज के टुकड़ों में कंपन उत्पन्न होता|
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है तथा विभिन्न प्रकार की ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं। हमारे फूँकने की क्रिया में परिवर्तन के साथ-साथ कागज के टुकड़ों के फड़फड़ाने एवं उनसे निकलनेवाली आवाजों के लक्षणों में भी परिवर्तन देखने को मिलता है। स्वरयंत्र (Vocal cord) जिस तरह से क्रियाशील होते हैं, उसी के अनुसार मुँह के बाहर फेफड़े से वायु बाहर आती है और कागज के टुकड़ों में कपन उत्पन्न होता है। तदनुसार कागज के टुकड़ों के कंपन से उनके मध्य उपस्थित वायु में कंपन होने से विभिन्न प्रकार की आवाजें उत्पत्र होती हैं।
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प्रश्न 13.
समतल सतह से ध्वनि के परावर्तन को दिखाने के लिए एक प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर :
समतल सतह पर ध्वनि का परावर्तन : टेबुल पर लकड़ी का एक समतल तख्ता AB सीधा खड़ा किया जाता है। एक-एक मीटर लम्बी दो नलियाँ (A और B) ली जाती हैं। इसमें एक नली को टेबुल पर इस प्रकार रखा जाता है कि इसका अक्ष तख्ते के Q बिन्दु पर कुछ कोण बनाए। नली के दूसरे मुँह पर एक टेबुल पर इस प्रकार रखते हैं कि उसका अक्ष भी Q बिन्दु पर पड़े।

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दूसरी नली के दूसरे मुँह पर कान लगाकर नली को टेबुल पर इस प्रकार रखते हैं कि घड़ी की टिक्-टटिक् की स्पष्ट ध्वनि सुनाई पड़े। दोनों नलियों के बीच लकड़ी का एक पर्दा खड़ा कर दिया जाता है जिससे घड़ी की आवाज सीथे कान तक न पहुँचे। इससे पता चलता है कि ध्वनि पहली नली के भीतर से चलकर समतल तख्ता AB से टकराती है और वहाँ से परावर्वित होकर दूसरी नली से होते हुए कान तक पहँचती है। यहाँ PQ आपतित ध्वनि, QR परावर्तित ध्वनि तथा QS अभिलम्ब को दर्शाते हैं। ये तीनों एक ही समतल में स्थित हैं। तथा आपतन कोण <PQS= परावर्तन कोण <RQS

प्रश्न 14.
कम्पन से सम्बन्धित भौतिक राशियाँ कौन-कौन हैं ? प्रत्येक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर :
कम्पन से सम्बन्धित भौतिक राशियाँ निम्नलिखित हैं –
(i) आयाम (Amplitude),
(ii) आवर्त काल (Time Period),
(iii) आवृत्ति (Frequency)।

(i) आयाम (Amplitude) : कोई कम्पन करने वाली वस्तु अपनी मध्यमान स्थिति की किसी एक तरफ जितना अधिक से अधिक विस्थापित होती है, उस विस्थापन को आयाम (Amplitude) कहते हैं। इसकी S.I. इकाई मीटर है।

(ii) आवर्त काल (Time Period) : कम्पन करने वाली किसी वस्तु को एक पूर्ण कम्पन करने में जो समय लगता है, उस समय को आवर्तकाल कहते हैं तथा इसे T द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

(iii) आवृत्ति (Frequency) : किसी कम्पित वस्तु द्वारा एक सेकेण्ड में किये गये पूर्ण कम्पनों की संख्या को उस वस्तु की आवृत्ति कहते हैं। इसे n द्वारा प्रदर्शित करते हैं। कम्पनशील वस्तु जितनी देर में एक कम्पन करती है, उतने समय में एक तरंग की सृष्टि होती है। ∴ n = \(\frac{1}{\mathrm{~T}}\)

अत:, किसी माध्यम में प्रति सेकेण्ड उत्पन्न होने वाली पूर्ण तरंगों की संख्या को आवृत्ति (Frequency) कहते हैं। S.I. पद्धति में आवृत्ति की इकाई सायकिल प्रति सेकेण्ड (Cycle/second) या हुर्ज (Hertz) होती है।

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प्रश्न 15.
ध्वनि के गुण क्या हैं ?
उत्तर :
ध्वनि के गुण (Quality or Timbre of Sound) : एक ही तारत्व और एक ही तीवता की दो ध्वनियों की पहचान जिस गुण द्वारा करते हैं, उसे गुणता (Quality or Timbre) कहते हैं। गुणता के द्वारा ही सिर्फ आवाज सुनकर हम उस व्यक्ति की पहचान कर लेते है।
सुरीली ध्वनि की गुणता स्वर (note) में उपस्थित उप सुरों (over tones) की संख्या एवं तरंग-रूप पर निर्भर करती है। विभिन्न स्वरों का तरंग रूप (wave form) भिन्न-भिन्न होता है।

प्रश्न 16.
श्रव्य, अपश्रव्य तथा पराश्रव्य ध्वनि से क्या समझते हो ?
उत्तर :
20 से 20,000 Cycle/sec आवृत्ति वाली ध्वनियों को श्रव्य ध्वनि (Audible sound) कहते हैं। 20 Cycle/sec से कम आवृत्ति वाली ध्वनियों को अपश्रव्य ध्वनि (Infrasonic sound) कहते हैं। इसे हम नहीं सुन सकते हैं। 20,000 Cycle/sec से अधिक आवृत्ति वाली छ्वनियों को पराश्रव्य घ्वनि (Super or ultra sonic sound) या अति श्राविक ध्वनि कहते हैं। इसे कुत्ता, बिल्ली, चमगादड़ आदि जन्तु सुन सकते हैं, लेकिन मनुष्य नहीं सुन सकता।

प्रश्न 17.
ध्वनि के परावर्तन का व्यावहारिक उपयोग क्या है ?
उत्तर :
ध्वनि परावर्तन का व्यावहारिक उपयोग (Practical application of reflection of sound) :

(i) दूर से आती हुई धीमी आवाज्ज को स्षष्ट रूप से सुनने के लिए हम अपनी हथेली को कर्ण पल्लव से सटाकर रखते हैं। यहाँ हथेली परावर्तक तल का कार्य करती है, जिससे ध्वनि परावर्तित होकर कर्ण मार्ग में प्रवेश करती है और ध्वनि स्पष्ट सुनाई पड़ने लगती है।

(ii) बोलने की नलिका (Speaking tube) : यह धातु की बनी चोगा के आकार (Conical shape) वाली एक नली होती है। इसके पतले सिरे पर बोलने से ध्वनि तरंग बाहर नहीं फैलने पाती बल्कि नली की दीवार से परावर्तित होकर नली के दूसरे सिरे से बाहर निकलती है, जिससे ध्वनि स्पष्ट सुनाई पड़ती है। इसका उपयोग दूर से बोलने, भीड़ी-भाड़ या जनसमूह को सम्बोधित करने आदि में किया जाता है।

(iii) स्टेथोस्कोप (Stethoscope) : हुदय की धड़कन, फेफड़े में श्वसन नाड़ी की गति आदि की परीक्षा करने के लिए चिकित्सकों द्वारा इस यंत्र का उपयोग किया जाता है। इसकी कार्यपणाली भी ध्वनि के परावर्तन पर आधारित है।

(iv) मर्मश्रावी गैलरी (Whispering gallery) : बड़े-बड़े हालों, गिरजाघरों या संगीत घरों की दीवारें तथा छते अवतल आकार (concave shape) की बनाई जाती हैं, जिससे एक किनारे पर बोली गई ध्वनि लगातार परावर्तित होकर दूसरे सिरे पर स्षष्ट सुनाई पड़ती है। यह ध्वनि इतनी स्सष्ट होती है कि ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे पास में ही बैठा कोई व्यक्ति बात कर रहा है। इस प्रकार की गैलरी सर्वपथम लंदन में सेटपाल गिरिजाघर में बनाई गयी थी।

WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि

प्रश्न 18.
स्वरित्र क्या है ? ध्वनि के प्रयोग में स्वरित्र का इतना महत्वपूर्ण स्थान क्यों है ?
उत्तर :
स्वरित्र (Tuning Fork) : यह स्टील का बना हुआ U आकार का होता है। इसमें दो भुजाएँ होती हैं। इसके मोड़ पर एक हैंडिल लगा होता है। जब हैंडिल को पकड़ कर इसकी एक भुजा पर रबर पैड से चोट करते हैं तो इसकी दोनों भुजायें कपन करने लगती हैं।ध्वनि के प्रयोग में स्वरित्र का महत्व इसलिए है कि इससे उत्पत्न ध्वनि एक निर्दिष्ट आवृत्ति (Frequency) वाली होती है। इसलिए स्वरित्र से उत्पन्न ध्वनि को सुर (Tone) कहते हैं। ध्वनिविज्ञान में विभिन्न प्रयोगों में स्वरित्र का उपयोग किया जाता है।
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प्रश्न 19.
वायु में ध्वनि के गमन की क्रिया विधि को समझाओ।
उत्तर :
वायु में ध्वनि के गमन की क्रिया विधि (Mechanism of Propagation of Sound through air) : वायु में ध्वनि का गमन, संपीडन (compression) तथा विरलन (rarefaction) के बनने से होता है। संपीडन तथा विरलन ध्वनि उत्पादक वस्तु के कंपन करने से, वायु या किसी अन्य गैसीय माध्यम में उत्पन्न हो जाती है, जो एक निश्चित वेग से तरंग के रूप में आगे बढ़ती है और ये कान तक पहुँच कर ध्वनि का आभास कराती है। चित्र में ध्वनि उत्पादक वस्तु स्वरित्र (Tunning fork) है जिसकी एक भुजा RO के सामने बराबर दूरी पर स्थित सामानांतर वायु की असंख्य परतें हैं।

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चित्र में जब स्वरित्र की भुजा RP स्थिति से RQ स्थिति में कंपन करती हुई आती है तो अपने सामने की वायु परतों को दबाती हैं। ये परतें अपने से आगे वाली परतों को दब्वाती हैं। यह दबाव माध्यम की लगातार परतों पर पहुँचता जाता है और इस तरह संपीडित परत (compresed layer) A1 B1 की रचना हो जाती है। चूँकि स्वरित्र की भुजा के प्रत्येक बिंदु पर कंपन की गति समान नहीं होती। अत: A1B1 के सभी भागों पर संपीडन भी समान नहीं होता। स्वरित्र की भुजा की RO

स्थिति में वेग अधिकाधिक और सिरों RP तथा RQ स्थिति में करीब नहीं के बराबर होता है। अत: A1 B2 के बीच वाले भाग में संपीडन अधिकाधिक तथा A1 और B1 सिरों पर करीब-करीब नहीं के बराबर होता है। यह संपीडित परत A1 B1 इस संपीडन से स्वयं मुक्त होना चाहती है। अत: अपना संपीडन समान लंबाई की दूसरी परत को दे देती है।

यही क्रम लगातार जारी रहता है और संपीडन एक परत से दूसरी परत में एक निश्चित गति से आगे की तरफ बढ़ता चला जाता है। जब स्वरित्र की भुजा R Q स्थिति में पुन: लौटती है तो वह अपने पीछे आंशिक शून्य छोड़ने की कोशिश करती है जिससे उसके संपर्क वाली परत A2B2 से दबाव हटने से वह भुजा की ओर फैलती है। इस प्रकार A2B2 के अंदर विरलन.

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प्रश्न 20.
अनुप्रस्थ एवं अनुदैर्ध्य तरंगों में अंतर लिखो।
उत्तर :
अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में अन्तर :

अनुप्रस्थ तरंग अनुदैर्ध्य तरंग
(i) इसमें माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा के लम्बवत् कम्पन करते हैं। (i) इसमें माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा के अनुदिश (समानान्तर) कम्पन करते हैं।
(ii) यह तरंग श्रृंगों तथा गर्तों के रूप में आगे बढ़ती है। एक श्रृंग तथा एक गर्त से मिलकर एक अनुप्थस्थ तरंग बनाती है। (ii) यह तरंग संपीडनों तथा विरलनों के रूप में आगे बढ़ती है। एक संपीडन तथा एक विरलन से मिलकर एक अनुदैर्ष्य तरंग बनाती है।
(iii) यह तरंग केवल ठोस माध्यम में तथा द्रव के ऊपरी तल पर उत्पन्न हो सकती है। द्रव के भीतर अथवा गैसों में नहीं। (iii) यह तरंग ठोस, द्रव तथा गैस तीनों प्रकार के माध्यमों में उत्पन्न हो सकती है।
(iv) इसमें दाब तथा घनत्व में परिवर्तन नहीं होते हैं। (iv) इसमें द्रव तथा घनत्व में परिवर्तन होते हैं।

प्रश्न 21.
प्रयोग विधि द्वारा ध्वनि के परावर्तन को प्रदर्शित करो और इसके नियमों की सत्यता को प्रमाणित करो।
उत्तर :
ध्वनि तरंग का परावर्तन (Reflection of Sound Waves) : समतल द्वारा ध्वनि परिवर्तन दिखाने के लिए दो नलियाँ N1 और N2 जो लगभग 1 मीटर लम्बी तथा 6 से॰मी॰ व्यासवाली लेते हैं। इसके लिए लकड़ी का (पद्दा) टुकड़ा, एक लकड़ी का बोर्ड तथा एक घंटी लेते हैं।

एक लकड़ी के मेज पर समतल लकड़ी का बोर्ड A B को लम्बवत् सीधा खड़ा करके रखते हैं। अब N1 और N2 को मेज पर इस प्रकार रखते हैं कि दोनों का अक्ष बोर्ड A B के C बिन्दु पर मिलते हैं। C से A B के लम्बवत् एक सरल रेखा C D खींचा जो N1 तथा N2 के साथ समान कोण बनायें।

अब C D (ध्वनि निरोधक पर्दा) को खड़ा करके रखते हैं। इसी अवस्था में N1 नली के मुख के पास एक घंटी को रखतें हैं तथा N2 नली के मुख के पास कान लाने से घंटी की टन-टन की ध्वनि सुनाई पड़ती है। यहाँ C D पर्दा घंटी की टन-टन सीधा कान तक आने से रोकता है। इस तरह घंटी की ध्वनि N1 से

होकर A B पर आपतित होती है तथा परावर्तित होकर N2 नली से होकर कान में प्रवेश करती है । यदि N2 नली की स्थिति को इधर-उधर खिसका देने पर ध्वनि सुनने की चेष्टा करते हैं किन्तु कोई ध्वनि नहीं सुनाई पड़ती है। इस अवस्था में हम देखते हैं कि दोनों नलियों का अक्ष, मेज पर खींचे गये अभिलम्ब C D के साथ बराबर कोण बनाता है। अत: आपतन तथा परावर्तन कोण बराबर है और आपतित ध्वनि तरंग तथा परावर्तित ध्वनि तरंग आपतन बिन्दु पर खींचा हुआ अभिलम्ब एक ही तल में स्थित रहते हैं।

प्रश्न 22.
ध्वनि की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर :
ध्वनि की प्रमुख विशेताएँ : हम प्रतिदिन विभिन्न प्रकार की ध्वनियों को सुनते हैं। सितार या बाँसुरी की ध्वनि, तबला या वायलिन की ध्वन्वनि से भित्र होती है। मंदिर में बजनेवाली घंटी वहीं खड़े व्यक्ति को कर्णकटु लगती है, परंतु मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित व्यक्ति को वह कर्णप्रिय प्रतीत होती है । हमें छ्वनि सुनने में कैसी लगती है यह बहुत सी बातो पर निर्भर करता है। अभी हम उन्ही बातो की चर्चा करेंगे। सुरीली या संगीतात्मक ध्वनि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं।

  • प्रबलता (Loudness)
  • तारत्व (Pitch)
  • गुणता (Quality)।

प्रबलता (Loudness) : ध्वन का वह लक्षण, जिससे यह ज्ञात होता है कि ध्वनि तेज है या धीमी, उसे ध्वनि की प्रबलता (Loudness) कहते हैं। यह गुण सांगीतिक तथा कोलाहल दोनों प्रकार की ध्वनि में पाया जाता है । ध्वनि-प्रबलता की माप उसकी तीव्रता (Intensity) द्वारा की जाती है। ध्यनि गमन की दिशा के लम्बवत रखे तल के इकाई क्षेत्रफल से होकर प्रति सेकेण्ड जिस परिमाण में छ्वनि ऊर्जा गुजरती है, उसे ध्वनि की तीव्रता (Intensity) कहते हैं। अधिक तीव्रता वाली ध्वनि की प्रबलता (Loudness) अधिक होती है। अर्थांत् अधिक जोर (Loud) तथा अधिक दूरी तक सुनाई पड़ती है।

तारत्व (Pitch) : यह संगीतात्मक ध्वनि का वह लक्षण है, जिससे पता चलता है कि कौन ध्वनि मोटी है और कौन पतली है।
यह सांगीतिक ध्वनि का मौलिक गुण (Fundamental Property) है। यह वह गुण है जिसके आधार पर समान तीव्रता वाली ध्वानयों से पतली सुरीली (Shril) तथा मोटी (Flat) ध्वनियों को पृथक किया जाता है।

तारत्व ध्व्वान खोत की आवृत्ति (Frequency) पर निर्भर करता है अर्थांत् तारत्व आवृत्ति के सीधा समानुपाती होता है। अधिक आवृत्ति वाली ष्वनियाँ उच्च तारत्व (High Pitch) वाली होती हैं तथा Shrill और Sharp होती हैं। बच्चों की आवाज पतली अर्थात् उच्व तारत्व की होती है। पुरुषों की आवाज से स्त्रियों की आवाज पतली अर्थात् उच्च तारत्व की होती है।

गुणता (Quality) : गुणता सागीतात्मक ध्वनि का वह लक्षण जिसके द्वारा समान नीव्रता तथा तारत्व वाली ध्वनियों में अन्तर स्पष्ट किया जाता है, उसे गुणता (quality) कहते है। जैसे – सितार, सारंगी, बांसुरी या हारमोनियम आदि वाद्य यन्त्रों से समान तीव्रता एव तारत्व वाली कोई तार जैसे – सा, रे, गा, मा – सा बजाई जाए तो बिना आँख से देखे केवल ध्वनियों को सुनकर हम कह सकते है कि विभिन्न वाद्ययन्त्रो की गुणता (Quality) भिन्न-भिन्न होती है।

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प्रश्न 23.
स्वतंत्र कम्पन और प्रेरित कम्पन किसे कहते हैं ? प्रत्येक का एक एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
स्वतंत्र या स्वाभाविक कम्पन (Free or natural vibration) : जब कोई वस्तु अपने स्वत: के गुण जैसे लम्बाई, मात्रा आदि के आधार पर कम्पन करती है, तो इस कम्पन को स्वतः कम्पन (Natural vibration) कहते हैं। जैसे स्वरित्र का कम्पन।

प्रेरित कम्पन (Forced vibration) : जब कोई वस्तु एक शक्तिशाली आवर्त बल (Strong periodic force) के प्रभाव में कम्पन करती है, जिसकी आवृत्ति उसकी मूल आवृत्ति (Natural frequency) से भिन्र होती है, तो ऐसे कम्पन को प्रेरित कम्पन (Forced vibration) कहते हैं।

प्रश्न 24.
प्रतिध्वनि सुनने की शर्ते क्या हैं ?
उत्तर :
प्रतिध्वनि सुनाई देने की शर्ते (Conditions for hearing echo) : प्रतिष्वनि सुनाई देने के लिए निम्नलिखित शर्ते हैं –

  • परावर्तक तल का विस्तार अधिकतम होना चाहिए।
  • ध्वनि उत्पन्न करने वाले सोत से परावर्तक तल की कम से कम दूरी 16.6 मीटर होनी चाहिए।
  • एक अक्षर के उच्चारण वाली ध्वनि (articulate sound) की प्रतिध्वनि सुनने के लिये परावर्तक तल की दूरी 33.2 मीटर होनी चाहिए।

आंकिक प्रश्नोत्तर (Numrical Answer Type) : 3 MARKS

प्रश्न 1.
उस तरंग की आवृत्ति ज्ञात करें जिसका आवर्तकाल 0.002 s है।
हल : T = 0.002
WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि 11
∴ n=500 Hz
उत्तर :
n=500 Hz.

प्रश्न 2.
ध्वनि तरंग का आवर्तकाल निकालें जिसकी आवृत्ति 400 Hz है।
हल:
n = 400 Hz
T = \(\frac{1}{\mathrm{n}}=\frac{1}{400}\) = 0.0025 s
उत्तर :
0.0025s

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प्रश्न 3.
उस ध्वनि- तरंग की तरंगदैर्ध्य की गणना करें जिसकी आवृत्ति 300 Hz और चाल 330ms है। हल : n=300 Hz, V =330m/s, λ= ?
λ = \(\frac{V}{n}\)
= \(\frac{330}{300}\) = 1.1m
उत्तर :
1.1m

प्रश्न 4.
एक ध्वनि-तरंग की आवृत्ति 1,000 Hz और तरंगदैर्ध्य 34 cm है। इस ध्वनि-तरंग को 1 km की दूरी तय करने में कितना समय लगेगा ?
WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि 12
उत्तर :
2.94 सेकेण्ड

प्रश्न 5.
एक ध्वनि-तरंग 340 m/s की चाल से चलती है। यदि इसका तरंगदैर्ध्य 2 cm हो, तो तरंगों की आवृत्ति क्या है ? क्या यह श्रव्य परास में होगा ?
WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि 13
उत्तर :
17000Hz

WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि

प्रश्न 6.
एक पहाड़ी से 100 m दूर ध्वनि उत्पन्न होती है तथा 3/5 s पश्चात् प्रतिष्वनि सुनाई देती है। ध्वनि कीं चाल ज्ञात करें।
हल : D=100 × 2=200 मी०
WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि 14
उत्तर :
333.3 m/s

प्रश्न 7.
एक पहाड़ी से कुछ दूरी पर एक तीव्र ध्वनि वाले पटाखे से उत्पन्न ध्वनि की प्रतिध्वनि एक व्यक्ति 6 5 के बाद सुनता है। उस व्यक्ति से पहाड़ी की दूरी निकालें (हवा में ध्वनि की चाल =340m/s)
हल : v=340 m/s, t=6s, D= ?
D = vt
=340 × 6
= 2040 मी०
व्यक्ति से पहाड़ी की दूरी =\(\frac{D}{2}\)
=\(\frac{2040}{2}=1020 \) मी०
उत्तर :
1020 मी०

WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि

प्रश्न 8.
एक गोताखोर A समुद्र के अंदर एक-दूसरे गोताखोर B को जो उससे 3km की दूरी पर है ध्वनिसंकेत भेजता है। B उस ध्वनि-संकेत को कितनी देर के बाद सुनेगा? (समुद्री जल में ध्वनि की चाल = 340 m/s)
हल : v=340m/s, t= ?, D=31 cm × 2=6 km
WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि 15
उत्तर :
17.6 sec.

प्रश्न 9.
एक मनुष्य 1.6 km की दूरी पर स्थित कारखाने की दोपहर वाली सीटी से अपनी घड़ी मिलाता है। बताएँ कि कारखाने की घड़ी से उसकी घड़ी कितनी सुस्त है। (हवा में ध्वनि की चाल =332 m/s)
WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि 16
उत्तर :
4.8s

प्रश्न 10.
सोगार का उपयोग कर पानी की सतह पर ध्वनि संकेत उत्पन्न किए जाते हैं। इन संकेतों का संस्चन पानी की तली से परावर्तन के बाद किया जाता है। यदि ध्वनि संकेत के उत्पादन से इनके संसूचन में लगा समय 4 s हो, तो पानी की गहराई निकालें। (पानी में ध्वनि की चाल =1530 m/s.
हल : केवल तल तक जाने में समय = \(\frac{4 \mathrm{~s}}{2}\) = 2s
पानी की गहराई d = v × t
=1530 × 2
=3060 × मी॰
उत्तर :
3060 मी०

WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि

प्रश्न 11.
जब एक स्वरित्र को वायु में कपित किया जाता है तो 0.85 मीटर से तरंग लंबाई पैदा होती है। यदि ध्वनि का वेग वायु में 340 मी०/से० हो, तो स्वरित्र आवृत्ति ज्ञात करो।
उत्तर :
यहाँ v=340 m/s, x=0.85 m, n = ?
WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि 17
प्रश्न 12.
एक स्वरित्र वायु में कम्पन कर रहा है जिससे 1.7 मी॰ तरंग दैर्ध्य वाली तरंग उत्पन्न हो रही है। यदि वायु में ध्वनि का वेग 340 मी०/से० हो, तो स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
हल : v=340 m/s, λ=1.7 m, n= \(\frac{\mathrm{v}}{\lambda}\)
= \(\frac{340}{1.7}=\frac{3400}{17}\) = 200 Hz
उत्तर :
200 Hz

प्रश्न 13.
एक स्वरित्र की आवृत्ति 200 कम्पन/ सेकेण्ड है। ध्वनि का वेग यदि 330 मीटर/ से० हो, तो ध्वनि की तरंग की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल : v=330m/s, n=200 कम्पन/s
\(\lambda=\frac{v}{n}=\frac{330}{200}\) =1.65 मी०
उत्तर :
1.65 मीटर

WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि

प्रश्न 14.
एक स्वरित्र हवा में कम्पन्न कर 1 1/2 मीटर लम्बी तरंग उत्पन्न करता है। हवा में ध्वनि की गति 330 मीटर/ सेकेण्ड है। उत्पन्न ध्वनि की आवृत्ति और आवर्त काल ज्ञात करो।
WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि 18
उत्तर :
0.0045 sec

प्रश्न 15.
ध्वनि का वेग गैस में 320 मीटर/ सेकेण्ड और स्वरित्र की आवृत्ति 500 cycle/sec है। ध्वनि तरंग लम्बाई ज्ञात करो।
हल : v=320 m/s, n=500 cycles/s
λ = \(\frac{v}{n}=\frac{320}{500}\) =0.64m
उत्तर :
0.64 metre

प्रश्न 16.
स्वरित्र की आवृत्ति 400 Cycle/sec और ध्वनि की तरंग लम्बाई 0.83 मीटर है। ध्वनि का वेग ज्ञात क
हल : λ =400 cycles/ s, λ = 0.83 m
v=n λ
=400 × 0.83
=332.00
=332 m/sec
उत्तर :
332 m/sec

प्रश्न 17.
ध्वनि का वेग हवा में 335 मीटर/सेकेण्ड और तरंग लम्बाई 0.8 मीटर है। स्वरित्र की आवृत्ति बताओ।
हल : v=335 m/s, λ = 0.8 m
WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि 19
उत्तर :
418.75 cycles/s

प्रश्न 18.
एक किले में निश्चित समय पर बन्दूक दागने पर प्रेक्षक अपनी घड़ी का समय ठीक करता है। बाद में पता लगता है कि घड़ी आधा मिनट देर से है। प्रेक्षक से किले की दूरी बताओ। ध्वनि का वेग 332 m/sec है।
हल : समय (t)= \(\frac{1}{2}\) मिनट =\(\frac{1}{2}\)×60 = 30sec
वेग (v)=332 m/sec
दूरी = वेग x समय
=332 × 30
=9960 × मी॰
उत्तर :
9960 मी०

प्रश्न 19.
बन्दूक से गोली दागने पर चमक के 6 sec के बाद ध्वनि प्रेक्षक को सुनाई पड़ती है। ध्वनि की गति 332 m/sec है। प्रेक्षक और बन्दूक दागने की जगह की दूरी बताओ।
हल : वेग =332 m/s} समय = 6 सेकेण्ड
दूरी = वेग x समय
=332 × 6
=1992  मी॰
उत्तर :
1992 मी०

प्रश्न 20.
प्रतिध्वनि छः अक्षरों को दोहराती है, तो परावर्तक तल की दूरी कितनी है ? ध्वनि की गति 332 m/sec है। हल : किसी मी ध्वनि का असर  \(\frac{1}{10}\) sec रहता
∴ \(\frac{1}{10}\) second में चली दूरी = \(\frac{332}{10}\) = 33.2
चूंकि प्रतिध्वनि दोहराता है अत:
दूरी =33.2 × 2=66.4
कुल दूरी λ से० में =332+66.4
= 398.4 मी०
उत्तर :
398.4 मी०

WBBSE Class 9 Physical Science Solutions Chapter 7 ध्वनि

प्रश्न 21.
दूर स्थित फैक्टरी के सायरन की आवाज सुनकर एक व्यक्ति अपनी घड़ी का समय ठीक करता है, पता चलता है कि घड़ी 5 सेकेण्ड देर से चल रही है। व्यक्ति से फैक्टरी की दूरी कितनी है ? ध्वनि की गति 332 m/sec है।
हल : दूरी = वेग x समय
=332 × 5
=1660 × मी॰
उत्तर :
1660 मी०

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