Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions and व्याकरण उपसर्ग to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण उपसर्ग
प्रश्न 1.
उपसर्ग से क्या समझते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तरः
वे शब्दांश जो किसी शब्द के पूर्व अथवा पहले लगकर उस शब्द का अर्थ बदल देते हैं अथवा उसमें नई विशेषता पैदा कर देते है।
अथवा
लघुतम सार्थक शब्द-खंड जो अन्य शब्दों के आदि में जुड़कर उनका अर्थ बदल देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। शब्द के पूर्व जो अक्षर या अक्षर समूह लगाया जाता है उसे उपसर्ग कहते हैं।
जैसे – सु + पुत्र = सुपुत्र। यहाँ ‘सु शब्दांश ‘पुत्र शब्द के साथ जुड़कर नये शब्द का निर्माण करता है। ‘सु’ शब्दांश है शब्द नहीं है। शब्द वाक्य में
स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त हो सकता है, शब्दांश नहीं। शब्दांश तो केवल किसी शब्द से जुड़कर ही नए शब्द या अर्थ की रचना में सहायक होता है। जो शब्दांश शब्द से पूर्व लगता उसे उपसर्ग कहते हैं।
उपसर्ग की उपर्युक्त परिभाषा में तीन बातें सषष्ट हैं-
उपसर्ग सार्थक खंड होते हैं।
वे शब्द-खंड अपने आप में अपूर्ण होते हैं, अतः उनका स्वतंत्र प्रयोग नहीं हो सकता, किसी अन्य शब्द के साथ जुड़ने पर ही वाक्य में उनका प्रयोग होता है।
उपसर्ग किसी शब्द के आदि (आरंभ) में जुड़ते हैं और जिस शब्द के आदि में जुड़ते हैं, उसका मूल अर्थ बदल जाता है, अर्थात् एक नये शब्द की रचना अथवा निर्माण हो जाता है। जैसे-‘हार’ एक शब्द है जिसके सामान्यतः दो अर्थ पराजय’ और गले की माला’ लिए जा सकते हैं, किंतु उपसर्गों के योग से ‘हार’ से अनेक नए शब्दों की रचना हो जाएगी अथवा यह भी कह सकते हैं कि अलग-अलग उपसर्ग उसे अनेक अर्थ प्रदान करेंगे। उदाहरणार्थ-
आ + हार = आहार
प्र + हार = प्रहार
वि + हार = विहार
नि + हार = निहार
उप + हार = उपहार
सम् + हार = संहार
उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि इन शब्दों में आ, वि, उप, प्र, नि तथा सम् उपसर्ग हैं। इन सभी उपसर्गों में ‘हार’ शब्द के जुड़ने से अनेक शब्दों की रचना होती है।
प्रश्न 2.
उपसर्ग शब्द में लगकर क्या-क्या करता है ?
उत्तरः
उपसर्ग शब्द के प्रारंभ में लगकर उनमें निम्नांकित परिवर्तन ला देता है-
- उपसर्ग जोड़ने से नये-नये शब्दों की उत्पत्ति होती है।
- ये शब्द का अर्थ बदल देते हैं।
- उपसर्ग लगने से कभी-कभी तो मूल अर्थ में बिल्कुल परिवर्तन नहीं होता और कभी-कभी परिवर्तन भी होता है।
- कभी-कभी उपसर्ग शब्दार्थ में विशेषता ला देते हैं।
- उपसर्ग के प्रयोग से कभी-कभी शब्द का अर्थ अपने मूल अर्थ के प्रतिकूल हो जाता है।
प्रश्न 3.
हिन्दी भाषा में शब्द रचना के लिए प्रयोग किए जाने वाले उपसर्ग कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तरः
हिन्दी भाषा में शब्द रचना के लिए प्रयोग किए जाने वाले उपसर्ग तीन प्रकार के हैं –
- तत्सम् (संस्कृत के उपसर्ग)
- तद्भव (हिन्दी के उपसर्ग)
- आगत या विदेशी (विदेशी भाषाओं के उपसर्ग)
प्रश्न 4.
उपसर्ग से जुड़े विशेष तथ्यों को लिखें।
उत्तरः
उपसर्ग से जुड़े विशेष तथ्य इस प्रकार हैं :-
1. एक उपसर्ग का एक ही अर्थ नहीं होता। एक ही उपसर्ग एक से अधिक, भिन्न अथवा कभी-कभी बिल्कुल विपरीत अर्थ भी प्रदान करता है। जैसे-‘नि’ उपसर्ग निषेध (नि + यम) भी बनाता है। ‘वि’ विशिष्ट (वि + शिष्ट) और वियोग (वि + योग) दोनों ही बनाता है।
2. तत्सम उपसर्गों में कुछ उपसर्ग ऐसे हैं जो अर्थ तो समान देते हैं, किंतु उनके रूप भिन्न होते हैं। दुर, दुस,, दुष, निर, निस्, नि, ष, इ, त, छ से बनने वाले क्रमशः दुर्भाग्य, दुस्साहस, दुष्काम, निर्जन, उत्थान और उच्छ्वास शब्द उदाहरण रूप में प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
3. आवश्यक नहीं कि तत्सम, तद्भव या विदेशी उपसर्ग उसी कोटि के शब्दों के साथ प्रयुक्त हों। जैसे-‘अप’ तत्सम उपसर्ग ‘अपयश’ में भी है और ‘अपजस’ में भी है। इसी प्रकार तद्भव उपसर्ग अन ‘अनज़ान’ में भी है, और ‘अनवध’ में भी है।
4. उपसर्ग से युक्त किसी शब्द की व्याकरणिक कोटि बदलती है और किसी की नहीं। जैसे –
अन + पढ़ = अनपढ़। अ + ज्ञात = अज्ञात। अ + थाह = अथाह।
यहाँ पढ़, ज्ञात और थाह की व्याकरणिक कोटि में अंतर आ गया है , किंतु अन + होनी = अनहोनी, भर + पूर = भरपूर, भर + मार = भरमार की व्याकरणिक कोटि में कोई अंतर नहीं आएगा।
प्रश्न 5.
उपसर्ग लगाकर शब्द-निर्माण करते समय किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ?
उत्तरः
उपसर्ग लगाकर शब्द-निर्माण करते समय निम्न बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए-
1. प्राय: जिस प्रकार का शब्द है उसी प्रकार का उपसर्ग उस शब्द के साथ लगाना चाहिए, जैसे-तत्सम शब्द के साथ तत्सम उपसर्ग, तद्भव शब्द के साथ तद्भव उपसर्ग तथा विदेशी शब्द के साथ विदेशी उपसर्ग। जैसे-‘सु’ तत्सम उपसर्ग है यह तत्सम शब्द ‘पुत्र के साथ लगकर सुपुत्र बनता है किंतु, पूत’ (तद्भव) के साथ ‘सुपूत’ नहीं।
2. कभी-कभी जब कुछ उपसर्ग भाषा में बहुप्रचलित हो जाते हैं या कभी-कभी साहित्यकार नये-नये प्रयोग करने लगते हैं, तब भिन्न स्रोत के शब्दों के साथ भी प्रयुक्त हो जाते हैं जैस-बेजोड़, अथाह आदि।
3. एक उपसर्ग एक से अधिक अर्थों में भी प्रयुक्त हो सकता है।
4. संस्कृत के निषेधवाची ‘अन् उपसर्ग का रूप हिन्दी में ‘अन’ के रूप में परिवर्तित हो जाता है, जैसे-अनदेखा, अनजाना, अनकहा, अनसुना।
5. उपसर्ग जोड़ते समय संधि-नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए।
6. मूल शब्द के आरंभ के आआ स्वर को नहीं बदलना चाहिए। जैसे-आधारित को अधारित’ नहीं बना देना चाहिए।
7. ध्वनि परिवर्तनों में कहीं एक जगह तो कहीं दो जगह वृद्धि होती है। जैसे-मधुर शब्द को माधुरी बनाने के लिए केवल म + आ = ‘मा’ एक वृद्धि होकर ‘माधुरी’ शब्द बन जाएगा। किंतु परलोक’ को पारलौकिक’ बनाने के लिए प’ के स्थान पर पा’ तथा ‘लो’ के स्थान पर ‘लौ’ हो जाएगा, तब ‘पारलौकिक’ शब्द बनेगा।
प्रश्न 6.
हिन्दी में प्रयुक्त तत्सम् उपसर्ग किस भाषा से आए हैं ? संस्कृत में कितने उपसर्ग हैं? हिन्दी में प्रयुक्त तत्सम् उपसर्गों के अर्थ लिखते हुए उनसे शब्द-रचना करें।
उत्तरः
हिन्दी में प्रयुक्त तत्सम उपसर्ग संस्कृत से आए हैं। संस्कृत में बाईस उपसर्ग हैं। इन उपसर्गों से बने अनेक शब्द हमें हिन्दी में मिलते हैं। हिन्दी में प्रयुक्त संस्कृत उपसर्ग निम्नलिखित हैं –
प्रश्न 7.
संस्कृत के ऐसे उपसर्गों से शब्द-रचना करें जो प्राय: समास रचना के पहले भाग में आते थे लेकिन अब उनका प्रयोग हिन्दी में उपसर्गों की तरह होने लगे हैं। इन उपसर्गों के अर्थ भी लिखें।
उत्तरः
अंतः/अंतर (भीतर के अर्थ में) :- अन्त:करण, अंतर्जातीय, अंतर्मन, अंतर्देशीय, अंतर्राष्ट्रीय, अंतर्मुखी, अंतर्धान, अंतः करण, अंतःपुर।
अ (अभाव) :- अज्ञान, अविद्या, अभाव, अकाल, अबाध, असाध्य, अधर्म, अहिंसा, अचर, अगम्य, अन्याय, असुन्दर।
अधः (नीचे के अर्थ में) :- अधः पतन, अधाराति, अधोलिखित, अधोमुखी, अधोपतन, अधस्थल।
अन् (अभाव) :- अनुपम, अनर्थ, अनायास, अनादि, अनेक, अनुचित, अनन्त, अनाचार, अनागत, अनिच्छा।
अलम् (बहुत) :- अलंकार, अलंकरण।
कु (बुरा) :- कुकर्म, कुपुत्र, कुरूप, कुयोग, कुपात्र, कुकृत्य, कुख्यात, कुलक्षण, कुमत, कुभाव।
चिर (बहुत देर) :-चिरायु, चिरजीवी, चिरपरिचित, चिरकाल, चिरकुमार, चिरस्थायी, चिरंजीव।
तिरस्/तिर: (निपेध) :- तिरोंभाव, तिरोहित, तिरस्कार।
पर (अन्य) :- परदेश, परलोक, पराधीन, परमुखापेक्षी।
पुनर (फिर) :- पुनर्विवाह, पुनर्जागरण, पुनरागमन, पुनर्मिलन, पुनर्जन्म, पुनरुत्थान, पुनर्निर्माण, पुनरावृत्ति, पुनर्भ, पुनरकाक्ति, पुनर्नवा, पुनर्कथन।
पुरस् (सामने) :- पुरस्कार, पुरस्कर्ता।
पुरा (पहले) :- पुराकाल, पुरातत्व, पुरातन, पुरावृत्त।
प्राक्/प्राग (पहले) :- प्राक्कथन, प्रागैतिहासिक, प्राग्वैदिक।
प्रादुर (प्रकट होना) :- प्रादुर्भाव, प्रादुर्भूत।
बहिस/बहिर (बाहर) :- बहिष्कार, बहिर्मुखी, बहिरंग, बहिर्गमन।
सत् (सच्चा) :- सत्पुरुष, सद्गति, सदाचार, समकोण, सत्कर्म, सज्जन, सत्संग, सद्भावना।
सम (समान) :- समकोण, समकालीन, समकालिक।
सह (साथ) :- सहचर, सहपाठी, सहर्मति, सहगान, सहोदर, सहकारिता।
स्व (अपना) :- स्वराज्य, स्वजन, स्वचालित, स्वतंत्र, स्वदेश, स्वभाव।
प्रश्न 8.
तद्भव उपसर्ग से आप क्या समझते हैं ?
उत्तरः
नद्भव उपसर्ग वे हैं जो तत्सम उपसर्गो से ही विकसित हुए हैं, लेकिन हिन्दी तक आते-आते इनका रूप परिवर्तित हों गया है। इसीलिए इन्हें हिन्दी उपसर्ग भी कहा जाता है।
तद्भव उपसर्ग मुख्यत: अभाव, निषध, संख्या, अच्छाई, बुराई, पूर्णता आदि का अर्थ लिए होते हैं।
उदाहरण :-अनहांनी, अनपढ़, कपूत, कुचाल, अधपका, चौपाया आदि।
प्रश्न 9.
निम्नांकित तद्भव उपसर्गों से शब्द-रचना करें :- अ, अन, उन, औ, क, कु, नि, पर, स, सु, अध, दु, बिन, भर, चौ।
उत्तरः
अ/अन-अभाव, निषेध :- अनहोनी, अनपढ़, अनजान, अछूत, अथाह, अनबन, अचेत, अनमोल, अलग, अटल, अभागा, अपढ़, अमोल, अजर, अनसुनी, अनकहा, अनबोला।
उन-कम :- उनचास, उनसठ, उनहत्तर, उनतालीस।
औ :- औगुन, औघट, औतार।
क/कु-बुरा :- कपूत, कुचाल, कुढंग, कुलक्षण, कुरूप।
नि-रहित :- निडर, निपूता, निहत्था, निकम्मा, निधड़का।
पर-परदादा, परनाना, परपोता
स/सु-अच्छा :- सुजान. सुडौल, सुघड़, सपूत, सहित, सुफल, सचेत, सकाम।
अध-आधा :- अधकचरा, अधपका, अधजला, अधमरा।
दु :- दुलारा, दुसाध्य, दुधारू, दुबला।
बिन-बिना :- बिनब्याही, बिनमाँगे, बिनजाने, बिनखाये।
भर-पूरा :- भरपेट, भरसक, भरपूर, भरमार।
चौ-चार :- चौपाई, चौमासा, चौराहा, चौकन्ना, चौपाया।
प्रश्न 10.
आगत या विदेशी उपसर्ग किसे कहते हैं ?
उत्तरः
वे उपसर्ग जो विदेशी भाषाओं से हिन्दी में आए हैं, उन्हें आगत या विदेशी उपसर्ग कहते हैं। ब, बा, बे, बद, खुश, ना, गैर, ला, सब, हाफ, डिप्टी आदि विदेशी उपसर्ग हैं।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित अरबी-फारसी के उपसर्गों के अर्थ लिखकर शब्द-रचना करें :-ब, बा, बे, बढ़, खुश, ना, गैर, ला, हम, हर, कम, दर, सर।
उत्तरः
ब-के साथ’, ‘स’-बगैर, बदौलत, बखूबी, बनाम।
बा-साथ’ से-बाकायदा, बाअदब, बावजूद।
बे – बिना’ बेघर, बेहोश, बेसमझ, बेईमान, बेवफा, बेरहम, बेगुनाह, बेअदब, बेखटके, बेदाग, बेबुनियाद, बेइज्जत, बेकसूर।
बद-बुरा-बदनाम, बदमाश, बदचलन, बदतमीज, बदसूरत, बदहज़मी, बदकिस्मत, बदबू।
खुश-अच्छा-खुशकिस्मत, खुशहाल, खुशनसीब, खुरमिजाज, खुशदिल।
ना-अभाव-नालायक, नाकाराज, नाराज़, नासमझ, नाउम्मीद, नाबालिग, नापसंद, नाचीज़।
गैर-भिन्न-गैरहाज़िर, गैरसरकारी, गैरजरूरी, गैरज़िम्मेदारी, गैरकानूनी।
ला-नहीं, अभाव-लाजवाब, लाइलाज, लापरवाह, लावारिस, लापता।
हम-आपस में, साथ-हमउम्न, हमजोली, हमवतन, हमसफ़, हमनाम, हमशक्ल, हमराह, हमराज।
हर-प्रत्येक-हरवक्त, हरदिल, हरहाल, हररोज़, हरघड़ी, हरतरफ, हरएक।
कम-थोड़ा-कमसमझ, कमबख़, कमअक्ल, कमजोर, कमउम्र।
दर-में-दरगुजर, दरअसल, दरमियान, दरकार।
सर – मुख्य – सरपंच, सरताज।
प्रश्न 12.
उन शब्दों को लिखे जिनके निर्माण में एक से अधिक उपसर्गों का प्रयोग किया जाता है।
उत्तरः
वे शब्द निम्नांकित हैं जिनके निर्माण में एक से अधिक उपसर्गों का प्रयोग किया जाता है :
असुरक्षित = अ + सु + रक्षित
समाचार = सम् + आ + चार
समालोचना = सम् + आ + लोचना
सुसंगठित = सु + सम् + गठित
पर्यावरण = परि + आ + वरण
व्याकरण = वि + आ + करण
निराकरण = नि + आ + करण
प्रत्याघात = प्रति + आ + घात
निरभिमानी = निर + अभि + मानी
अनासक्ति = अन् + आ + सक्ति
अत्याचार = अति + आ + चार
अण्रत्यक्ष = अ + प्रति + अक्ष
अनियंत्रित = अ + नि + यन्त्रित
अप्रत्याशित = अ + प्रति + आशित
प्रत्युपकार = प्रति + उप + कार
प्रत्यालोचना = प्रति + आ + लोचना
निरभिमानी = निर + अभि + मानी
प्रश्न 13.
इन अंग्रेजी के उपसर्गों से दो-दो शब्द-निर्माण करें :- डिप्टी, सब, हेड।
उत्तरः
डिप्टी – डिप्टी इस्पेक्टर, डिप्टी कलेक्टर।
सब – सबजज, सबइन्सपेक्टर।
हेड – हेडमास्टर, हेडक्लर्क।
प्रश्न 14.
उन शब्दों को उदाहरणस्वरूप प्रस्तुत करें जिनके निर्माण में एक से अधिक उपसर्गों का प्रयोग होता है।
उत्तरः
वे शब्द निम्नांकित हैं, जिनके निर्माण में एक से अधिक उपसर्गों का प्रयोग होता है –
समालोचना = सम् + आ + लोचना
व्याकरण = वि + आ + करण
अप्रत्याशित = अ + प्रति + आशित
निराकरण = नि: + आ + करण
सुसंगठित = सु + सम्+ गठित
प्रत्याघात = प्रति + आ + घात
अप्रत्यक्ष = अ + प्रति + अक्ष
अनियंत्रित = अ + नि + यंत्रित
पर्यावरण = परि + आ + वरण
दुर्व्यवहार = दुर + वि + अव + हार
प्रत्यालोचना = प्रति + आ + लोचना
प्रत्युपकार = प्रति + उप + कार
समाचार = सम + आ + चार
अनासक्ति = अन् + आ + सक्ति।
निरभिमानी = निर + अभि + मानी
असुरक्षित = अ + सु + रक्षित
प्रश्न 15.
हिन्दी शब्दों की रचना मुख्यत: कितने प्रकार से होती है ?
उत्तरः
हिन्दी शब्दों की रचना मुख्यत: पाँच प्रकार से होती है। जैसे-
- उपसर्ग जोड़कर – अध + पका = अधपका।
- प्रत्यय जोड़कर – लड़ + आका = लड़ाका।
- समास द्वारा – राजा + महल = राजमहल।
- संधि द्वारा – रवि + इन्द्र = रवीन्द्र।
- पुनरुक्ति या द्विरुक्ति द्वारा – गाँव-गाँव, लाल-लाल आदि।
प्रश्न 16.
निम्नांकित संस्कृत के उपसर्गो के अर्थ लिखें तथा उनसे शब्द-निर्माण करें – अति, अधि, अनु, अप, अपि, अभि, अव, आ, उत्, उद्, उप, दुर, दुस, नि, निर,, निस्, प्र, परा, प्रति, परि, वि, सु, सम्।
उत्तरः
प्रश्न 17.
निम्नलिखित हिन्दी के उपसर्गों के अर्थ लिखें तथा इनसे शब्द-निर्माण करें।
उत्तरः
प्रश्न 18.
अल्, ऐन, गैर, फी, बिल, बिला, ला अरबी के उपसर्ग हैं। इनका अर्थ लिखकर इनसे शब्दों का निर्माण करें।
उत्तरः
प्रश्न 19.
निम्नांकित फारसी के उपसर्गो के अर्थ लिखें तथा इनसे शब्द की रचना भी करें।
उत्तरः
प्रश्न 20.
डबल, डिप्टी, फुल, सब, हाफ, हेड आदि अंग्रेजी के उपसर्ग हैं। इनका अर्थ लिखकर इनसे शब्दों का निर्माण करें।
उत्तरः
नोट-1. संस्कृत में कुछ ऐसे शब्द है, जिनमें दो या तीन उपसर्ग भी मिलते हैं। जैसे –
पर्यावरण = परि + आ + वरण।
समालोचन = सम् + आ + लोचन।
व्याकरण = वि + आ + करण।
दुर्व्यहार = दुर + वि + अव + हार।