Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions Poem 6 सबसे खतरनाक to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions Poem 6 Question Answer – सबसे खतरनाक
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : ‘सबसे खतरनाक’ कविता का सारांश लिखें।
प्रश्न – 2 : ‘सबसे खतरनाक’ कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखें।
प्रश्न – 3 : ‘सबसे खतरनाक’ कविता में निहित संदेश को लिखें।
प्रश्न – 4 : ‘सबसे खतरनाक’ कविता में व्यक्त कवि ने विचारों को अपने शब्दों में लिखें।
प्रश्न – 5 : ‘सबसे खतरनाक’ कविता में कवि ‘पाश’ ने किन स्थितियों की बात की है तथा उनमें से सबसे खतरनाक स्थिति किसे और क्यों बताया है?
प्रश्न – 6 : ‘सबसे खतरनाक’ कविता में वर्णित खत्तनाक स्थितियों का वर्णन करते हुए इसके उदेश्य को अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
कवि ‘पाश’ पजाबी के उन चंद इने-निने कवियों में से हैं जिन्होंने आम आदमी की पीड़ा तथा उसकी पीड़ा के कारणों को अपनी कविता में आवाज दी है। इनकी कविताओं में आम आदमी का संघर्ष, निराशा, दुख की छायाएँ, अपने समय से टकराने की इच्छा और सपनों के बनने-टूटने की गूज शामिल है।
कवि ‘पाश’ का कहना है कि किसी भी समाज में रहने वाले व्यक्ति के लिए किसी के द्वारा उसके मेहनत की कमाई लूट लिए जाने या दोषो न होते हुए भी पुलिस का अत्याचार या किसी के द्वारा किए गए विश्वासधात या फिर रिश्वतखोरी का शिकार होना उतना खतरनाक नहीं है। हलाँकि ये सारी स्थितियाँ भी किसी व्यक्ति के लिए खतर नाक हैं लेकिन कवि इन स्थिथियो को उतना खतरनाक नही मानता क्योंकि समाज में इसमें भी बुरी और खतरनाक स्थितियाँ हैं जिसका शिकार आम आदमी को अपने रोजमर्रा के जीवन में होना पड़ता है।
कवि ने सरकारी तंत्र की पोल खोलते हुए कहा है कि आज की स्थिति बड़ी ही भयावह है। अपराधी समाज में खुले आम घूमते हैं लेकिन अपराध पर नियंग्रण तथा अपराधियों के गिरफ्तारी के नाम पर निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता है । लोग भय के कारण सहम कर चुपी ओढ़े रहते हैं । ये स्थितियाँ अच्छी तो नहीं कही जा सकतीं फिर भी काव इन स्थितियों को उतना खतरनाक नहीं मानते वयोंकि समाज में इससे भी खतरनाक स्थितियों को भोगने के लिए लोग विवश हैं।
कवव ने इस सच्याई को करीब से देखा है कि आज के माहौल में सच्याई की आवाज को दबा दिया जाता है क्योंकि कपटी लोगों की आवाज उनसे ऊँची है। ऐसे में सच्चे व्यक्ति को सही होते हुए भी दब जाना पड़ता है। यह स्थिति आज की नहीं है – सदियों से है। कवि रहीम भी इसी स्थिति के शिकार बने थे –
पावस देख रहीम मन, कोयल साधे मौन।
अब तो दादुर बोलिहैं, हमें पूछिहैं कौन ?
जुगनू की ली में पढ़ना इस बात का प्रतीक है कि जो शिक्षा-व्यवस्था आज है, वह रोजी-रोटी देने की बजाय आँखों की रोशनो भी छीन लेती है। यह बुरा तो है लेकिन कुछ किया नहीं जा सकता क्योंकि हम केवल अपनी मुट्ठियों को भौंचकर, भीतर ही भीतर कोध प्रकट करते हुए किसी भी तरह इस समय को काटते चलें। फिर भी ये स्थितियाँ उतनी खतरनाक नहीं हैं क्योंकि हमे इससे भी खतरनाक स्थितियों को झेलने के लिए विवश होना पडेगा।
कवि पाश तत्कालौन स्थितियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि अन्याय, छल-कपट, शोषण आदि का बिना विरोध किए, मुर्दे की तरह जीना बाकी स्थितियों से खतरनाक स्थिति है। जिस व्यक्ति में इस व्यवस्था को देखकर कोई बेचैनी नहीं पैदा होती है – वह जिंदा नहीं चलती-फिरती लाश के समान है। रोजी-रोटी कमाने के लिए रोज घर से निकलना और फिर वापस घर लौट आना-यह बंधी-बँधायी जिंदगी तो पशु भी जी लेते है। जबतक हमारे दिल में विरोध की चिगारी नहीं पैदा होगी तबतक यह सबसे खतरनाक स्थिति है। कवि दुष्यंत ने ऐसी ही स्थिति के बारे में सचेत करते हुए लिखा है –
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए।
कवि का ऐसा मानना है कि हर हालत में हमें अपने सपने को जिंदा रखना होगा अन्यथा यह सबसे खतरनाक स्थिति होगी। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि तत्कालीन समस्याओं से मुँह मोड़कर उन्हे ज्यों का त्यों सहन न करने का, अपने सपनों को न टूटने देने का संदेश ही ‘पाश’ की इस कविता का लक्ष्य है, उद्देश्य है। कवि को अपने इस प्रयास में पूरीपूरी सफलता मिली है।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बैठे-बिठाए पकड़े जाने का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर :
आज की भ्रष्ट नौकरशाही व्यवस्था में पुलिस भी नेता की तरह भ्रष्ट हो चुकी है। आपराधिक मामले की रोकथाम न कर पाने तथा नेताओं के दबाब में वह भी गलत कदम उठाती है। हाय-हल्ला मचने पर वह खाना-पूर्ति के लिए अपराधियों के बजाय आम आदमी को पकड़ लेती है और अपनो सफलता का ढिढोरा पीटती है।
प्रश्न 2.
‘जुगनू की लौ में पढ़ने’ का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
‘जुगनू की लौ मे पढ़ना’ से आज की शिक्षा-व्यवस्था पर घोट की गई है। आज की शिक्षा-व्यवस्था में गरीबों क लिए जगह नहीं है । न तो इसके पास पैसे हैं न ही उम्मीदों के समान अवसर। आम आदमी आँखेे फोड़कर पढ़ने के बाद भी दो वक्त की रोटी के लिए तरसता है। जिस प्रकार जुगनू के प्रकाश से हमारे जीवन में उजाला नहीं आ सकता, उसी प्रकार आज की शिक्षा-व्यवस्था हमारे काम नहीं आ सकतो।
प्रश्न 3.
सही होते भी दब जाना – का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
आज समाज में भ्रष्टाचारी, बेईमान तथा आपराधिक छविवाले व्यक्तियों का ही बोलबाला है। सच्चा व्यक्ति इनके भय से कुछ बोलने में भी हिचकता है। वह ऐसी शक्तियों के आगे सही होते हुए भी दबने को विवश हो जाता है।
प्रश्न 4.
‘मुर्दा शांति से मर जाना’ का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
जिस प्रकारा मुर्दा संसार से कोई नाता न रखकर शांत रहता है – सही-गलत का कोई असर उसपर नहीं हैंता, ठीक वैसे ही जिस व्यक्ति के सपने मर जाते हैं वह जीवित होते हुए भी मुर्दे की तरह जीता है।
प्रश्न 5.
‘मुद्डियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है’ – आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
कवि ‘पाश’ का ऐसा मानता है कि सामने अनाचार अत्याचार को होते देखकर भी उसका विरोध न कर पाना और केवल मुद्दियों को भींचकर रह जाना तो व्यक्ति के लिए बुरा तो है लेकिन यह स्थिति भी उतनी खतरनाक नहीं है ।
प्रश्न 6.
‘न होना तड़प का सब सहन कर जाना’ — से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
सामने सब कुछ गलत होते देखकर भी दिल में किसी प्रकार की बेचैनी का पैदा न होना- यह खतरनाक स्थिति है । अगर आदमी में ऐसी स्थिति में बंचैनी नहीं है तो इसका मतलब यह है कि वह जीते-जी मर चुका है क्योंकि मुरदों में तड़प नहीं होती।
अति लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कवि ने किन परिस्थितियों को खरतनाक नहीं माना है?
उत्तर :
कवि ने मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी, लोभ, कपट के शोर में सच्चे ईमानदार आदमी की आवाज का दब जाना, बैठे-बिठाए पकड़ा जाना, जुगनू की लौ में पढ़ना, समय को यू ही काट लेने को खतरनाक नहीं माना है।
प्रश्न 2.
कवि ने सबसे खतरनाक किसे माना है?
उत्तर :
कवि ने जड़ स्थितियों को बदलने की, प्यास के मर जाने और बेहतर भविष्य के सपनो के गुम हो जाने को सबसे खतरनाक स्थिति माना है।
प्रश्न 3.
कवि मेहनत की लूट को सबसे खतरनाक क्यों नहीं मानता?
उत्तर :
अगर कोई हमारे मेहनत को लूट ले जाय तो फिर से उसे मेहनत करके पाया जा सकता है, इसीलिए कवि ने मेहनत की लूट को सबसे खतरनाक नहीं माना है।
प्रश्न 4.
‘पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती’ – का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
पुलिस की थर्ड डिप्री या उसकी मार हमार सपनों को नहीं मार सकती, इसलिए कवि ने पुलिस की मार को सबसे खतरनाक नहीं माना है।
प्रश्न 5.
‘कपट के शोर’ का तात्पर्य स्पष्ट करें ?
उत्तर :
आज की भ्रष्ट व्यवस्था में गलत, छली और धाखेबाजों की आवाज हो सबसे ऊँची है। इसकी आवाज में सच्चे व्यक्ति की आवाज घुटकर रह जाती है। कपट के शोर का तात्पर्य यही है।
प्रश्न 6.
कवि ‘पाश’ की ‘सबसे खरतनाक’ कविता का उद्देश्य क्या है?
उत्तर :
‘सबसे खतरनाक’ कविता के माध्यन से कवि ने हमें यह संदेश देना चाहा है कि बुरी से बुरी खतरनाक परिस्थितियों में भी हम अपने सपने को न मरने दें।
प्रश्न 7.
कवि ‘पाश’ के कविताओं की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर :
‘पाश’ की कविताओं में विचार, भाव, संस्कृति और परपरा का गहरा बोध मिलता है। इनकी कविताओं में वह व्यवस्था, निराशा और गुस्सा नजर आता है जो गहरे लगाव के बगैर संभव हो नहीं है।
प्रश्न 8.
‘पाश’ किस कवि का उपनाम है ?
उत्तर :
‘पाश’ करतार सिंह संधू का उपनाम है।
प्रश्न 9.
‘सबसे खतरनाक’ कविता का मूल संदेश क्या है ?
उत्तर :
‘सबसे खतरनाक’ कविता का मूल संदेश उस खौफनाक स्थिति की आर इशारा करना करना है, जहाँ विपरीत परिस्थितयों से जुझने की शबित क्षीण पड़ती जा रहो है।
प्रश्न 10.
कवि ‘पाश’ किन घटनाओं पर ‘आउटसाइडर’ की तरह प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते ?
उत्तर :
कवि ‘पाश’ जन-सामान्य के जीवन में घट रही घटनाओं पर ‘आउटसाडर’ की तरह प्रतितिकया व्यक्त नहीं करते
प्रश्न 11.
‘पाश’ की राजनीतिक कविताओं की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर :
अपनी सस्कृति नथा परपरा से गहरा लगाव ही ‘पाश’ की राजनोतिक कविताओं की विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 12.
‘सबसे खतरनाक’ कविता में किसका चित्रण किया गया है ?
उत्तर :
‘सबसं खतरनाक’ कविता में दिनोदिन अधिक कूर होनी जा रही दुनिया की विद्यूपताओं का चित्रण किया गय है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘पाश’ का पूरा नाम क्या है?
(क) करतार सिंह सधू
(ख) सरदार सिंह संधु
(ग) परमजीत सिंह संधू
(घ) सरबजीत सिंह संधू
उत्तर :
(क) करतार सिह संधू।
प्रश्न 2.
‘पाश’ का जन्म किस राज्य में हुआ था?
(क) बिहार
(ख) बंगाल
(ग) पजाव
(घ) गुजरात
उत्तर :
(ग) पंज्ञाय ।
प्रश्न 3.
‘पाश’ के गाँव का नाम है –
(क) बाजारबासा
(ख) अमृतसर
(ग) तलवंडी सलेम
(घ) अबू सलंम
उत्तर :
(ग) तलवंडी सलेम ।
प्रश्न 4.
कवि ‘पाश’ का जन्म कब हुआ था?
(क) सन् 1950 में
(ख) सन 1960 में
(ग) सन 1970 में
(घ) सन् 1940 में
उत्तर :
(क) सन् 1950
प्रश्न 5.
‘पाश’ मूलतः किस भाषा के कवि हैं ?
(क) हिंदी
(ख) उर्दू
(ग) पंजाबी
(घ) बग्ला
उत्तर :
(ग) पज्जाबी ।
प्रश्न 6.
‘लौह कथा’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) पाश
(ख) वेखव
(ग) दिनकर
(घ) द्विवेदी
उत्तर :
(क) पाश।
प्रश्न 7.
‘उड़दें बाजां मगर’ किसकी रचना है ?
(क) कुँवर नारायण की
(ख) अरुण कमत्न का
(ग) पाश की
(घ) सर्वेश्वर की
उत्तर :
(ग) पाश की।
प्रश्न 8.
‘साड़े सिमिया बिच’ किस भाषा में रचित है ?
(क) उर्दू में
(ख) बंग्ला में
(ग) मराठी ने
(घ) पज्ञाबी म
उत्तर :
(घ) पजाबी में
प्रश्न 9.
‘लड़ड़ेंगे साथी’ किसकी ग्चना है :
(क) दिनकर की
(ख) धर्मवीर
(ग) शुक देव प्रसाद की
(घ) पाश की
उत्तर :
(घ) पाश की
प्रश्न 10.
‘बीच का रास्ता नहीं होता’ क :
पर क्षान ।
(क) प्रेमचद
(ख) कैफा भाजमा
(ग) पाश
घ्ब अरणा कमल
उत्तर :
(ग) पाश।
प्रश्न 11.
‘लहू है कि तब मी गाता है किस विधा की रचना है ?
(क) कहानं।
(ख) नाटक
(ग) कविता
(घ) उपन्यास
उत्तर :
(ग) कविन्:
प्रश्न 12.
‘साडै सिमिया बिच’ के कवि कौन हैं ?
(क) पाश
(ख) पंत
(ग) पंत
(घ) प्रसाद
उत्तर :
(क) पाश ।
प्रश्न 13.
इन सबमें सबसे खतरनाक है ?
(क) जुगन की लौ में पढ़ना
(ख) सपनों का मर जाना
(ग) मेहनत की लूट
(घ) पुलिस की मार
उत्तर :
(ख) सपनो का मर जाना।
प्रश्न 14.
‘मुर्दा-शांति से भर जाना’ का अर्थ है –
(क) मुर्दा का शांति से मर जाना
(ख) मुर्दा का जाग जाना
(ग) तटस्थ हो जाना
(घ) मुर्दे का उठ बैठना
उत्तर :
(ग) तटस्थ हो जाना।
प्रश्न 15.
‘मुद्वियाँ भीचकर’ का अर्थ है ?
(क) गुस्सा व्यक्त करना
(ख) मुट्री खोलना
(ग) मुट्री गर्म करना
(घ) मुट्ठी भरना
उत्तर :
(क) गुस्सा व्यक्त करना।
प्रश्न 16.
‘सबसे खतरनाक’ मूलतः किस भाषा की कविता है?
(क) उर्दू
(ख) मराठी
(ग) तेलगू
(घ) पंजाबी
उत्तर :
(घ) पंजाबी।
प्रश्न 17.
‘वक्त निकाल लेना’ का अर्थ है ?
(क) वक्त चुराना
(ख) वक्त को समझना
(ग) वक्त बिता देना
(घ) वक्त पर निकल आना
उत्तर :
(ग) वक्त बिता देना ।
प्रश्न 18.
‘सबसे खतरनाक’ कविता किस वाद की कविता है ?
(क) छायावाद
(ख) प्रयोगवाद
(ग) प्रर्गतिवाद
(घ) नकेनवाद
उत्तर :
(ग) प्रर्गतिवाद ।
प्रश्न 19.
कवि ‘पाश’ पंजाब के किस जिला में पैदा हुए थे ?
(क) जलंधर
(ख) लुधियाना
(ग) अमृतसर
(घ) तरनतारन
उत्तर :
(क) जलंधर ।
प्रश्न 20.
‘बीच का रास्ता नहीं होता’ मूलतः किस भाषा में रचित है ?
(क) मलदालम
(ख) हिन्दी
(ग) पंजाबी
(घ) गुजराती
उत्तर :
(ग) पंजाबी।
प्रश्न 21.
‘लहू है कि तब भी गाता है’ किस भाषा की कविता है?
(क) पंजाबी
(ख) उर्दू
(ग) ब्रज
(घ) मराठी
उत्तर :
(क) पंजाबी।
प्रश्न 22.
इनमें के कौन-सी बात सबसे खतरनाक नहीं है ?
(क) किसी जुगनू की लौ में पढ़ना
(ख) मुर्दा शांति से भर जाना
(ग) न होना तड़प का
(घ) सपनों का मर जाना
उत्तर :
(क) किसी जुगनू की लौ में पढ़ना।
टिप्पणियाँ
1. पुलिस : प्रस्तुत शब्द कवि ‘पाश’ की कविता ‘सबसे खतरनाक’ से लिया गया है।
लोक प्रशासन को सुचारु रूप से चलाने की जिम्मेवारी पुलिस पर ही होती है। उसका काम लोगों की सुरक्षा करना है लेकिन कभी-कभी वह ऐसे गैर-कानूनी कार्य को अंजाम देती है जिससे लोगों में उसकी छवि धूमिल हो गयी है।
2. लोभ की पुट्ठी :प्रस्तुत शब्द कवि ‘पाश’ की कविता ‘सबसे खतरनाक’ से लिया गया है।
लोभ की मुट्री का तात्पर्य रिश्वतखोरी से है। आज पूरा का पूरा भारत रिश्वतखोरो की गिरफ्त में आ चुका है। कार्यालयों में फेले भ्रष्टाचार
के बारे में शायर रहमान ने लिखा है-
मेरी अर्जी बाबू की टेबल तक कैसे जाए
पेपरवेट नहीं, फाइल पर बाबू बैठा है।
3. मुर्दा-शांति : प्रस्तुत शब्द कवि ‘पाश’ की कविता ‘सबसे खतरनाक’ से लिया गया है।
जिस व्यक्ति के दिल में अनाचार, अत्याचार तथा गलत को देखकर भी कोई तड़प पैदा न हो उसकी तुलना मुद्राशांति से की गई है। मुर्दा-शांति का तात्पर्य है जीते-जी भावना-शून्य हो जाना।
4. जुगनू : प्रस्तुत शब्द कवि ‘पाश’ की कविता ‘सबसे खतरनाक’ से लिया गया है।
जुगनू एक प्रकार का कीट होता है। उड़ने के समय इसकी दुम से एक तेज रोशनी निकलती है जो रात में काफी आकर्षक लगता है।
5. सपना : प्रस्तुत शब्द कवि ‘पाश’ की कविता ‘सबसे खतरनाक’ से लिया गया है।
अक्सर सपना उसे कहा जाता है जो हम रात में सोये हुए अवस्था में देखते हैं। कवि ‘पाश’ के अनुसार सच्चे सपने वे होते हैं जो हम दिन में जगी हुई आँखों से बेखते हैं क्योंकि इसी पर हमारा जीवन निर्भर करता है।
पाठयाधारित व्याकरण
WBBSE Class 9 Hindi सबसे खतरनाक Summary
कनीवि- परिचिया
9 सितंम्बर सन् 1950 को तलबंडी सलेम, तहसील नकोदर, जिला जालंधर (पंजाब) में जन्मे ‘पाश’ का पूरा नाम अवतार सिंह संधू ‘पाश’ है।
पाश आधुनिक पंजाबी साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक हैं। इनका परिवार मध्यमवर्गीय किसान परिवार था। इन्होंने गुरू नानकदेव यूनिवर्सिटी, अमृतसर से स्नातक (बी.ए) किया। विभिन्न जन-आंदोलनों से जुड़े रहने के कारण इनकी कविताओं में विद्रोह का तीखा स्वर सुनाई देता है। इनकी राजनीतिक कविताओं में विचार और भाव के साथ-साथ लोकसंस्कृति और परंपरा में जो व्यथा, निराशा और गुस्सा नज़र आता है, वह आम आदमी से गहरे जुड़ाव के बिना संभव नहीं है।
‘पाश’ की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं –
लौहकथा, उड़दे बाजां मगर, साडै समिया बिच, लड़ेंगे साथी, बीच का रास्ता नहीं होता, लहू है कि तब भी गाता है।
पंजाबी साहित्य के इस प्रतिनिधि कवि का देहांत मात्र 37 वर्ष की उम्र में 23 मार्च सन् 1988 को हो गया।
ससंदर्भ आलोचनात्मक व्याख्या
1. मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्वारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
शब्दार्थ : गद्दारी = विश्वासघात करना।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ अवतार सिंह संधू ‘पाश’ की कविता ‘सबसे खतरनाक’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कविता की इन पंक्तियों में कवि ‘पाश’ का कहना है कि किसी भी समाज में रहने वाले व्यक्ति के लिए किसी के द्वारा उसके मेहनत की कमाई लूट लिए जाने या दोषी न होते हुए भी पुलिस का अत्याचार या किसी के द्वारा किए गए विश्वासघात या फिंर रिश्वतखोरी का शिकार होना उतना खतरनाक नहीं है। हलाँकि ये सारी स्थितियाँ किसी भी व्यक्ति के लिए खतरनाक है लेकिन कवि इन स्थितियों को उतना खतरनाक नहीं मानता क्योंकि समाज में इससे भी बुरी और खतरनाक स्थितियाँ हैं जिसका शिकार आम आदमी को अपने रोजमर्रा के जीवन में होना पड़ता है।
काव्यगत विशेषताएँ :
1. कविता के प्रस्तुत अंश में कवि ने दिनोंदिन नृशंस और कूर होती जा रही स्थितियों का वर्णन किया है।
2. वर्णित सारी स्थितियाँ खतरनाक तो हैं लेकिन इससे भी बुरी और खरतनाक स्थिथियों का हमें रोजाना सामना करना पड़ता है, इसलिए कवि इन स्थितियों को उतना खतरनाक नहीं मानते हैं।
3. मेहनत की लूट, पुलिस की मार तथा गहारी-लोष की मुट्ठो- जैसे शब्द हमारे समाज की, व्यवस्था की, सरकारी तंत्र की पोल खोलते हैं।
4. वर्तमान व्यवस्था के प्रति विद्रोह का भाव इन पंक्तियो में साफ-साफ झलकता है।
5. भाषा सीधी-सपाट लेकिन गहरी चोट करने वाली है।
2. बैठे-बिठाए पकड़े जाना-दुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना-बुरी तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होता
शब्दार्थ :
- बैठे-बिठाए = बेवजह, बिना किसी कास्य के।
- सहमी-सी चुप = भय से उपजी हुई चुपी।
- जकड़े जाना = फेंदे में फैस जाना ।
संदर्भ : प्रस्तुत पंवितयाँ अबतार सिंह संधू ‘षाश’ की कविता ‘सबसे खतरनाक’ से लो गई हैं।
व्याख्या : कवि ने विता की इन पंक्तियों में सरकारी तंन्र की पोल खोलते हुए कहा है कि आज की स्थिति बड़ी ही भयावह है। अपराधी समाज में खुले आ छूयके सीजिय अभराध पर नियंन्रण तथा अपराधियों की गिरफ्तारी के नाम पर निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर लिया आता है। लोग भख्व के कारण सहम कर चुप्पी साधे रहेते है । यं स्थितियाँ अच्छी तो नहीं कही जा सकतीं फिर भी कवि इन स्थितियों के अतना खतरनाक नहीं मानते क्योंकि समाज में इससे भी खतरनाक स्थितियों को भोगने के लिए लोग विवश हैं। इसी स्थिति का चित्रण करते हुए नागार्जुन ने लिखा था –
‘बदूकें ही हुई अभ्ब माध्वम शासन का
गाली ही पर्याय बन गयी है राशन का।’
काव्यगत विशेषताएँ :
1. कविता के प्रस्तुत अंश्यें कवि ने दिनोंदिन नृशंस और कूर होती जा रही स्थितियों का वर्णन किया है।
2. वर्णित सारी स्थितियाँ खतर नाक तो हैं लॉकिम इससे धी बुरी और खरतनाक स्थितियों का हमें रोजाना सामना करना पड़ता है, इसलिए कवि इन स्थितियों को उतना खतरनाक नहीं मानते हैं।
3. ‘बैठे-बिठाए पकड़े जाना’ तथा ‘सहतमी-सी धुप में छक्डे जाना’ पुलिसिया खेल का वर्णन करती हैं।
4. वर्तमान व्यवस्था के प्रति विद्रोह का भाव इन पंक्तियों में साफ-साफ झलकता है।
5. भाषा सीधी-सपाट लेकिन गहरी घौट करने काली है।
3. कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-छुरा तो है
मुद्वियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता
शब्दार्थ :
- कपट = छल ।
- लौ = रोशनी ।
- भींचकर = कसकर ।
- वक्त निकाल लेना = समय को बिता लेना ।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ अवतार सिंह संधू ‘पाश’ की कविता ‘सबसे खतरनाक’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कविता की इन पंक्तियों में कवि ‘पाश’ का व्यवस्था के प्रति विद्रोह-भाव प्रकट हुआ है।
कवि ने इस सच्चाई को करीब से देखा है कि आज के माहौल में सच्चाई की आवाज को दबा दिया जाता है क्योंक कपटी लोगों की आवाज उनसे ऊँची हैं । ऐसे में सच्चे व्यक्ति को सही होते हुए भी दब जाना पड़ता है। यह स्थिति आज की नहीं है – सदियों से है। कवि रहीम भी इसी स्थिति के शिकार बने थे –
पावस देख रहीम मन, कोयल साधे मौन।
अब तो दादुर बोलिहैं, हमें पूछिहैं कौन ?
जुगनू की लौ में पद्ना इस बात का प्रतीक है कि जो शिक्षा-व्यवस्था आज है, वह रोजी-रोटी देने की बजाय आँखों की रोशनी भी छीन लती है। यह बुरा तो है लेकिन कुछ किया नहीं जा सकता क्योंकि हम केवल अपनी मुद्वियों को भींचकर, भीतर ही भीतर कोध प्रकट करते हुए किसी भी तरह इस समय को काटते चलें। फिर भी ये स्थितियाँ उतनी खतरबाक नहीं हैं क्योंकि हमें इससे भी अधिक खतरनाक स्थितियों को झेलने के लिए विवश होना पड़ेगा।
काव्यगत विशेषताएँ :
1. कविता के प्रस्तुत अंश में कवि ने दिनोंदिन नृशंस और कूर होती जा रही स्थितियों का वर्णन किया है।
2. वर्णित सारी स्थितियाँ खतरनाक तो हैं लेकिन इससे भी बुरी और खरतनाक स्थितियों से हमें रोजाना दो चार होना पड़ता है, इसलिए कवि इन स्थितियों को उतना खतरनाक नहीं मांनते हैं।
3. ‘कपट के शोर में दब जाना’ सच्चे व्यक्ति की दयनीय स्थिति को दर्शाता है।
4. ‘जुगनू की लौ में पढ़ना’ हमारी शिक्षा-व्यवस्था की ओर संकेक्ष करता है जिसके बारे में भारतेंदु ने भी लिखा थाआँखें फूटीं भरा न पेट क्यों सखी साजन नहिं ग्रेजुएट।
5. वर्तमान व्यवस्था के प्रति विद्रोह का भाव इन पंक्तियों मे साफ-साफ झलकता है।
6. भाषा सीधी-सपाट लेकिन गहरी चोट करने वाली है।
4. सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना
घ० से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना।।
शब्दार्श्थ :
- मुद्वा शार्त = निष्किय, बिना किसी विरोध के ।
- तड़प = बेचैनी ।
संदर्भ : प्रस्तुत पंद्तथां अवतार सिंदू संधू ‘पाश’ की कवित्ता ‘सबसे खतरनाक’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कवि पाश तत्कालीन स्थितियों का चिंता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि अन्याय, छल-कपट, शोषण आदि का विना विरोध किए, मुर्दें की तरह जीना बाकी स्थितियों से खतरमाक स्थिति है। जिस व्यक्ति में इस व्यवस्था को देखकर कोई बैचैनी नहीं पैदा होती है – वह जिदा नहीं चलती-फिरती लाश के समान है। रोजी-रोटी कमाने के लिए रोज घर से निकलना और फिर वापस घर लौट आना-यह बंधी-बँधायी जिंदगी तो पशु भी जी लेते हैं। जबतक हमारे दिल में विरोध की चिगारी नहीं पैदा होगी तबतक यह सबसे खतरनाक स्थिति है। कवि दुष्यंत ने ऐसी ही स्थिति के बारे में सचेत करते हुए लिखा है –
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए।
काव्यगत विशेषताएँ :
1. कविता के प्रस्तुत अंश में कवि ने दिनोदिन नृशंस और कूर होती जा रही स्थितियों का वर्णन किया है।
2. वर्णित सारी स्थितियाँ खतरनाक तो हैं लेकिन इससे भी बुरी और खतरनाक स्थितियों से हमें रोजाना दो-चार होना पड़ता है, इसलिए काव इन स्थितियों को उतना खतरनाक नहीं मानते हैं।
3. पाश ने विरोध न करने को सबसे खतरनाक स्थिति माना है।
4. वर्तमान व्यवस्था के प्रति विद्रोह का भाव इन पंक्तियों में साफ-साफ झलकता है।
5. भाषा सीधी-सपाट लेकिन गहरो चोट करने वाली है।