Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions Poem 7 यमराज की दिशा to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions Poem 7 Question Answer – यमराज की दिशा
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : ‘यमराज की दिशा’ कविता का सारांश लिखें ।
प्रश्न – 2 : ‘यमराज की दिशा’ कविता का मूलभाव अपने शब्दों में लिखें ।
प्रश्न – 3 : ‘यमराज की दिशा’ कविता के माध्यम से चंद्रकांत देवताले ने क्या संदेश देना चाहा है ?
प्रश्न – 4 : ‘यमराज की दिशा’ कविता में व्यक्त विचारों को लिखें ।
प्रश्न – 5 : ‘यमराज की दिशा’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए ।
प्रश्न – 6 : ‘पर आज जिधर भी पैर करके सोओ
वही दक्षिण दिशा हो जाती है’ – पंक्ति के आधार पर कविता का भाव स्पष्ट करें।
प्रश्न – 7 : ‘यमराज की दिशा’ कविता कविता में मानव-जीवन अपनी विविधता और विडंबनाओं के साथ उपस्थित हुआ है – विवेचना करें।
प्रश्न – 8: कवि के अनुसार माँ द्वारा वर्णित यमराज और आधुनिक यमराज में क्या अंतर है? अपने शब्दों में लिखें ।
उत्तर :
पौराणिक कथाओं को लेकर रचनाओं के सृजन की परंपरा पुरानी रही है। लेकिन चंद्रकांत देवताले उन थोड़े-से कवियों में हैं जिन्होंने पौराणिक कथाओं का प्रयोग आध्धुनिक संदर्भ में किया है। पाठ्य पुस्तक में संकलित यमराज की दिशा’ ऐसी ही कविता है जिसमें यमराज की कथा को आधुनिक समाज की विद्रूपता के साथ जोड़कर देखा गया है।
कवि अपनी माँ को याद करते हुए कहते हैं कि उसकी मुलाकात ईश्वर से हुई थी या नहीं, ठीक से नहीं जानता। लेकन माँ विश्वास से यह बात कहा करती थी कि ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है । ईश्वर समय-समय पर उनका मार्गदर्शन भी करते रहते हैं। उन्हीं के सलाह पर चलकर वह जिदंगी जीने तथा जीने के लिए दु:खों को सहने के रास्ते भी खोज लेती है ।
कवि को यह अच्छी तरह याद है कि एक बार माँ ने चेतावनी देते हुए यह कहा था कि दक्षिण दिशा मृत्यु अर्थात् यमराज की दिशा है। कभी भी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए । ऐसा करने से यमराज को क्रोध आ जाता है । यमराज को क्रोध दिलाना कोई समझदारी की बात नहीं है।
कवि कहते हैं कि माँ के बार-बार समझाने के बाद वे कभी भी दक्षिण-दिशा की ओर पैर करके नहीं सोए। माँ की इस सीख का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि उन्हें दक्षिण दिशा को पहचानने में कभी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा । चूँकि कवि ने माँ की सीख का अनुसरण किया, अत: इस दिशा के बारे में उन्होंने जब कभी सोचा, उन्हें माँ की सीख याद आई।
वे अपने जीवन में दक्षिण दिशा में दूर-दूर तक गए । जब-जब वे दक्षिण दिशा में गए उन्हें माँ और माँ की सीख याद आती रही । उन्होंने यह अनुभव किया कि दक्षिण दिशा को लाँध पाना संभव नहीं है। यदि यह संभव होता कि वे दक्षिण दिशा के छोर तक पहुँच पाते तो निश्चय ही यमराज के उस घर को भी देख लेते जिसके बारे में माँ ने बताया था।
माँ आज नहीं है । उन्हें गुज़रे हुए काफी समय बीत चुका है । कवि कहते हैं कि माँ जिस यमराज की दिशा के बारे में जानती थी वह दिशा भी निश्चित नहीं रही । आज हर ओर दक्षिण दिशा है और हर दिशा में यमराज निवास करते हैं। कहने का भाव यह है कि माँ जिस यमराज को जानती थी उसकी जानकारी का आधार धर्म था। आज के यमराज तो वे है जो शोषक, अन्यायी, समाज में विद्रूपता तथा भय फैलाने वाले हैं । इनकी कोई निश्चित दिशा नहीं । ये हरेक दिशा में अपना स्वामित्व जमाए बैठे हैं । जो भी इनकी सीमा मे प्रवेश करना चाहते हैं उन्हें वे अपनी दहकती आँखों से भस्म कर देना चाहते हैं, अपने रास्ते से हटा देना चाहते हैं । यही कारण है कि आज हर दिशा यमराज की दिशा हो गई है ।
अति लघूत्तरीय/लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई ?
उत्तर :
माँ ने कवि को बार-बार दक्षिण-दिशा के बारे में, उस दिशा में यमराज के घर होने तथा उस दिशा मे पैर करके सोने के बुरे प्रभाव के बारे में बताया था, इसलिए उसे दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई।
प्रश्न 2.
कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था ।
उत्तर :
साधारण अर्थ में दक्षिण दिशा अनंत है, अपार है, इसलिए उसे लाँध लेना संभव नहीं था।
विशेष अर्थ में समाज में जो शोषणकारी हैं उनकी शक्ति असीम है, इसलिए उनकी सीमा को लाँध पाना संभव नहीं है ।
प्रश्न 3.
माँ ने एक बार कवि से क्या कहा था ?
उत्तर :
माँ ने एक बार कवि से यह कहा था कि दक्षिण दिशा मृत्यु की दिशा है और यमराज को क्रुद्ध करना कोई बुद्धिमानी की बात नहीं है।
प्रश्न 4.
माँ ने यमराज के घर की क्या दिशा बताई थी ?
उत्तर :
माँ ने यमराज के घर की दिशा बताते हुए कहा था कि तुम जहाँ कहीं भी रहोगे – वहाँ से दक्षिण दिशा में यमराज का घर होगा।
प्रश्न 5.
कवि को कब हमेशा माँ की याद आई ?
उत्तर :
कवि जब कभी दक्षिण दिशा में दूर-दूर तक गये तब-तब उन्हें हमेशा माँ की याद आई।
प्रश्न 6.
कवि के अनुसार अब यमराज का घर किस दिशा में है ?
उत्तर :
कवि के अनुसार आज सभी दिशाओं में यमराज का घर है ।
प्रश्न 7.
माँ क्या जताती रहती थी ?
उत्तर :
माँ हमेशा यह जताती रहती थी कि ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है।
प्रश्न 8.
कवि की माँ किसकी सलाह से कौन-सी रास्ते खोज लेती थी ?
उत्तर :
कवि की माँ ईश्वर की सलाह से जिन्दगी में जीने और दुःख सहन करने के रास्ते खोज लेती थी ।
प्रश्न 9.
माँ के समझाने का कवि पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर :
माँ के समझाने का कवि पर यह असर पड़ा कि वह कभी दक्षिण दिशा में पैर करके नहीं सोया और उसे कभी दक्षिण दिशा पहचानने में मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा।
प्रश्न 10.
माँ के अनुसार कौन-सी बात बुद्धिमानी की नहीं है ?
उत्तर :
माँ के अनुसार यमराज को क्रुद्ध करना बुद्धिमानी की बात नहीं है।
प्रश्न 11.
‘समी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं’ – का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल होने का अर्थ है कि आज चारो दिशाओं में शोषणकारी तथा विध्वंशकारी लोग सक्रिय हैं।
प्रश्न 12.
माँ के समय तथा अभी के समय में दक्षिण दिशा में क्या अंतर आया है ?
उत्तर :
माँ के समय में केवल दक्षिण दिश्म में यमराज का घर था लेकिन अब हर दिशा में यमराज का घर हो गया है।
प्रश्न 13.
यमराज को किस बात से कोध आता है ?
उत्तर :
यदि कोई दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोता है तो यमराज को कोध आ जाता है क्योंकि दक्षिण दिशा में यमराज का घर है।
प्रश्न 14.
माँ के अनुसार दक्षिण दिशा किसका प्रतीक था ?
उत्तर :
माँ के अनुसार दक्षिण दिशा मृत्यु का प्रतीक था ।
प्रश्न 15.
कवि की माँ ने किस दिशा को मृत्यु की दिशा कहा था ?
उत्तर :
कवि की माँ ने दक्षिण को मृत्यु की दिशा कहा था ।
प्रश्न 16.
चंड्रकांत देवताले की कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता क्या है ?
उुत्तर :
चंद्रकांत देवताले की कविताओं को सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उत्तर आधुनिकता को भारतीय साहित्यिक सिद्धांत के रूप में न मानने वालो को भी यह स्वीकार करना पड़ता है कि इनकी कविताओं में समकालौन समय की सभी प्रवृत्तियाँ मिलती हैं ।
प्रश्न 17.
चंद्रकांत देवताले की कविता की जडेें कहाँ हैं ?
उत्तर :
चंद्रकांत देवताले की कविता की जड़े गाँव-कस्बों और निम्न-मध्यवर्ग के जीवन मे है।
प्रश्न 18.
चंद्रकांत देवताले की कविताओं की भाषा किस प्रकार की है ?
उत्तर :
चंद्रकात देवताले की कविताओं की भाषा पारदर्शी है तथा उसमें विरल (सुक्ष्य) संगीतात्मकता है।
प्रश्न 19.
‘यमराज की दिशा’ कविता में ‘दहकती आँखों’ शब्द का प्रयोग किसके लिए हुआ है?
उत्तर :
‘यमराज की दिशा’ कविता में दहकती आँखों शब्द् का प्रयोग उन लोगों के लिए हुआ है जो समाज के लोगों के लिए यमराज के समान भयकारी हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
चंद्रकांत देवताले का जन्म कब हुआ था ?
(क) सन् 1930 में
(ख) सन् 1936 में
(ग) सन् 19409 में
(घ) सन् 1942 में
उत्तर :
(ख) सन् 1936 में।
प्रश्न 2.
चंद्रकांत देवताले ने उच्च शिक्षा कहाँ से प्राप्त की?
(क) सागर विश्वविद्यालय
(ख) इंदौर
(ग) दिल्ली
(घ) वाराणसी
उत्तर :
(ख) इंदौर ।
प्रश्न 3.
चंद्रकांत देवताले ने पी-एच.डी. की उपाधि किस विश्वविद्यालय से प्राप्त की ?
(क) दिल्ली विश्वविद्यालय
(ख) कुरुक्षेत्र विश्वववद्यालय
(ग) सागर विश्वविद्यालय
(घ) विश्वभारती विश्वविद्यालय
उत्तर :
(ग) सागर विश्वविद्यालय ।
प्रश्न 4.
‘हड्डियों में छिपा ज्वर’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) कैफी आजमी
(ख) चंद्रकांत देवताले
(ग) दिनकर
(घ) अरुण कमल
उत्तर :
(ख) चंद्रकांत देवताले ।
प्रश्न 5.
‘दीवारों पर खून से’ किसकी रचना है ?
(क) चंद्रकात देवताले की
(ख) पाश की
(ग) कुँवर नारायण की
(घ) सर्वेश्वरदयाल सवसेना की
उत्तर :
(घ) सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की ।
प्रश्न 6.
‘लकड़बग्या हैंस रहा है’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) दिनकर
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) कैफ़ी आजमी
(घ) चंद्रकांत देवताले
उत्तर :
(घ) चंद्रकांत देवताले ।
प्रश्न 7.
‘रोशनी के मैदान की तरफ’ किसकी रचना है ?
(क) चंद्रकांत देवताले की
(ख) दिनकर की
(ग) कैफ़ी आजमी की
(घ) अरणण कमल की
उत्तर :
(घ) अरुण कमल की।
प्रश्न 8.
‘भूखंड तप रहा है’ – के रचनाकार कौन हैं ?
(क) अरुण कमल
(ख) उषा प्रियंवदा
(ग) चंद्रकांत देवताले
(घ) दिनकर
उत्तर :
(ग) चंद्रकांत देवताले ।
प्रश्न 9.
‘हर चीज आग में बताई गई थी’ किसकी रचना है ?
(क) चंद्रकांत देवताले की
(ख) पाश की
(ग) कुँवर नारायण की
(घ) महांदेवी वर्मा की
उत्तर :
(क) चंद्रकांत देवताले की ।
प्रश्न 10.
‘पत्थर की बेंच’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) कुँवर नारायण
(ख) चद्रकांत देवताल
(ग) दिनकर
(घ) पाश
उत्तर :
चंद्रकांत देवताले ।
प्रश्न 11.
‘इतनी पत्थर रोशनी’ किसकी रचना है ?
(क) धर्मवीर भारती की
(ख) प्रमयंद की
(ग) चंद्रकांत देवताले की
(घ) दिनकर की
उत्तर :
(ग) घंद्रकांत देवताले की।
प्रश्न 12.
‘उजाड़ में संग्रहालय’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) दिनकर
(ख) अवतार सिंह ‘पाश’
(ग) पाश
(घ) चंद्रकात देवताले
उत्तर :
(घ) चद्रकांत देवताले।
प्रश्न 13.
कवि के लिए क्या कहना मुश्किल है ?
(क) माँ की ईश्वर से मुलाकात के बारे में
(ख) यमराज के बारे में
(ग) दक्षिण दिशा के बारे में
(घ) उत्तर दिशा के बारे में
उत्तर :
(क) माँ की ईश्वर से मुलाकात के बारे में ।
प्रश्न 14.
माँ की बातचीत किसके साथ होती रहती थी ?
(क) कवि के साथ
(ख) ईश्वर के साथ
(ग) यमराज के साथ
(घ) अपन साथ
उत्तर :
(ख) ईश्वर के साथ।
प्रश्न 15.
दक्षिण को किसकी दिशा बताया गया है ?
(क) यमराज की
(ख) गणेश की
(ग) लक्ष्मी की
(घ) कुबेर की
उत्तर :
(क) यमराज की।
प्रश्न 16.
किसे कुछ्ध करना बुद्धिमानी की बात नहीं ?
(क) माँ को
(ख) ईश्वर को
(ग) यमराज को
(घ) अपन-आप को
उत्तर :
(ग) यमराज को।
प्रश्न 17.
किसने माँ से यमराज के घर का पता पूछा था ?
(क) कवि ने
(ख) पड़ोसी ने
(ग) ईश्वर ने
(घ) पिता ने
उत्तर :
(क) कवि ने ।
प्रश्न 18.
यमराज का घर किस दिशा में बताया गया है ?
(क) उत्तर
(ख) दक्ष्णण
(ग) पूरब
(घ) पश्चिम
उत्तर :
(ख) दक्षिण ।
प्रश्न 19.
कवि दक्षिण दिशा में पैर करके नहीं सोया क्योंकि
(क) ईश्वर प्रसन्न हां जाते
(ख) यमराज क्रुद्ध हो जाते
(ग) माँ गुस्सा करतो
(घ) गंदगी फैली थी
उत्तर :
(ख) यमराज क्रुद्ध हो जाते ।
प्रश्न 20.
कवि को किस बात में कभी मुशिकल का सामना नहीं करना पड़ा ?
(क) उत्तर दिशा पहचानने में
(ख) पूरब दिशा पहचानने में
(ग) दक्षिण दिशा पहचानने में
(घ) पश्चिम दिशा पहधानने में
उत्तर :
(ग) दक्षिण दिशा पहचानने में ।
प्रश्न 21.
कवि किस दिशा में दूर-दूर तक गया ?
(क) उत्तर
(ख) दक्षिण
(ग) पूरब
(घ) पश्चिम
उत्तर :
(ख) दक्षिण ।
प्रश्न 22.
कवि को दक्षिण दिशा में हमेशा किसकी याद आई ?
(क) यमराज की
(ख) सामान की
(ग) कविता की
(घ) माँ की
उत्तर :
(घ) माँ की।
प्रश्न 23.
आज कौन-सी दिशा दक्षिण हो जाती है ?
(क) पृरब
(ख) पश्चिम
(ग) उत्तर
(घ) सभी दिशाएँ
उत्तर :
(घ) सभी दिशाएँ,
प्रश्न 24.
आज यमराज के आलीशन महल किस दिशा में हैं ?
(क) हर दिशा में
(ख) उत्तर दिशा मे
(ग) पूरब दिशा में
(घ) पश्चिम दिशा में
उत्तर :
(क) हर दिशा में।
प्रश्न 25.
‘समझाइश’ का अर्थ है ?
(क) मेहनत
(ख) समझाना
(ग) डाँटना
(घ) बताना
उत्तर :
(ख) समझाना ।
प्रश्न 26.
चंद्रकांत देवताले को निम्न में से कौन-सा पुरस्कार प्राप्त हुआ ?
(क) माखनलाल चतुवेदी पुरस्कार
(ख) साहित्य अकादमी पुरस्कार
(ग) कबीर सम्मान
(घ) पद्मश्री
उत्तर :
(क) माखनलाल चतुर्वेदो पुरस्कार ।
प्रश्न 27.
चंद्रकांत देवताले को निम्न में से कौन-सा पुरस्कार प्राप्त हुआ ?
(क) शलाका सम्मान
(ख) शिखर सम्मान
(ग) कबीर सम्मान
(घ) पद्म भूषण
उत्तर :
(ख) शिखर सम्मान ।
प्रश्न 28.
निम्न में से कौन-सा पुरस्कार मध्य प्रदेश का है ?
(क) शिखर सम्मान
(ख) पद्म भूषण
(ग) साहित्य अकादमी पुरस्कार
(घ) मंगला प्रसाद पारितोषिक
उत्तर :
(क) शिखर सम्मान
प्रश्न 29.
चंद्रकांत देवताले की कविता में है ?
(क) छंद
(ख) अलंकार
(ग) व्यवस्था की कुरूपता के खिलाफ गुस्सा
(घ) नारी-सौंदर्य का चित्रण
उत्तर :
(ग) व्यवस्था की कुरूपता के खिलाफ गुस्सा।
टिप्पणियाँ
1. ईश्वर : प्रस्तुत शब्द चंद्रकांत देवताले की कविता ‘यमराज की दिशा’ से लिया गया है।
भारत्तीय दर्शन में ईश्वर शब्द का प्रयोग सृष्टि के रचयिता, पालनकर्ता और सहारकर्ता के लिए होता है । वह सर्वोच्च है, शक्तिमान है और सबकुछ करने में समर्थ है। वह जीवों को उनके कर्म का फल देता है और दुखो से मुक्ति दिलाता है।
2. दक्षिण : प्रस्तुत शब्द चंद्रकांत देवताले की कविता ‘यमराज की दिशा’ से लिया गया है।
दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा बताया गया है । यही कारण है कि पुराणों में दक्षिण दिशा में कुआं, तालाब, मंदिर आदि बनवाने तथा इस दिशा में पैर करके सोने को मना किया गया है।
3. यमराज : प्रस्तुत शब्द चंद्रकांत देवताले की कविता ‘यमराज की दिशा’ से लिया गया है।
पुराणों में यम को मृत्यु का देवता माना गया । इसके दो रूप हैं – यमराज तथा धर्मराज। यमराज के रूप में यह दुष्टों को दंड देकर नरक भेजता है । धर्मराज के रूप में इसका काम धर्मात्मा मनुष्यों को पुरस्कार देना और स्वर्ग भेजना है। यम की नगरीं गमपुरी कहलाती है।
पाठ्याधारित व्याकरण
WBBSE Class 9 Hindi यमराज की दिशा Summary
कवि परिचय
चंद्रकांत देवताले का जन्म सन् 1936 में मध्य प्रदेश के बैतूल जिला के जौलखेड़ा नामक गाँव में हुआ था । इनकी उच्च शिक्षा इंदौर में हुई । सागर विश्वविद्यालय, सागर से इन्हें पीएच० डी० की उपाधि मिली। पेशे से प्रोफेसर चंद्रकांत देवताले की पह्चान साठोत्तरी हिंदी कविता के प्रमुख कवि के रूप में है ।
चंद्रकांत देवताले की कविता मुख्य रूप से समय की कविता है । इनके आलोचकों को भी यह मानने में कोई दुविधा नहीं है कि आधुनिकता की सभी सर्जनात्मक प्रवृत्तियाँ इनकी कविताओं में दिखाई पड़ती है । आधुनिकता अर्थात् जो समय से आगे हो।
देवताले की कविताओं की जड़ेे गाँव, कस्बों तथा निम्न मध्यवर्गीय लोगों के जीवन में है। यही कारण है कि इनकी कविताओं में मानव-जीवन अपनी संपूर्ण विविधता तथा विडंबनाओं के साथ चित्रित है । एक ओर जहाँ इनकी कविताओं में इस व्यवस्था की कुरूपता के लिए क्रोध है वहीं दूसरी ओर आम आदमी के लिए मानवीय प्रेम भी है । देवताले जो भी कहना चाहते हैं वे सीधे-सीधे तथा लक्ष्य पर चोट करने की तरह कहते हैं इसीलिए इनकी भाषा में पारदर्शिता है, कहीं कोई रहस्यात्मकता नहीं है।
प्रमुख रचनाएँ : हड्डुयों में छिपा ज्वर, दीवारों पर खून से, लकड़बग्धा हँस रहा है, रोशनी के मैदान की तरफ, भूखंड तप रहा है, हर चीज आग में बताई गई थी, पत्थर की बेंच, इतनी पत्थर रोशनी, उजाड़ में संग्रहालय आदि ।
सम्मान : माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, मध्यप्रदेश शासन का शिखर सम्मान ।
ससंदर्भ आलोचनात्मक व्याख्या
1. माँ की ईश्वर से गल्नाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे
ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
जिन्दगी जीने और दुख वरदाश्त करने के
रास्ते खोज लेती है ।
शब्दार्थ्य :
- मुलाकात = भंट, मलना ।
- जतातो = विश्वासपूर्वक कहना ।
- सलाह = मार्गदर्शन।
संदर्भ : प्रस्तुत पांकितयाँ चंद्रकांत देवताले की कविता ‘यमराज की दिशा’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कविता की इन पंक्तियों में कवि अपनो मॉँ को याद करते हुए कहते हैं कि उसकी मुलाकात ईश्वर से हुई थी या नहों, ठोक से नहीं जानता। लेकिन माँ विश्वास से यह बात कहा करती थी कि ईश्वर से उसकी बातचीत होती गहती है । ईश्वर समय-समय पर उनका मार्गदर्शन भी करते रहते है । उन्ही के सलाह पर चलकर वह जिदगी जीने तथा जोंन के लिए टु खां को सहन के रास्तं भो खांज लंती है ।
काव्यगत विशेषताएँ :
1. चंद्रकात टंबताले की कविता में समय तथा समाज का गहरा सरोकार दिखाई देता है।
2. मो की सीख का अनुसरण करने में परपरा के प्रति गहरा लगाव दिखाई देता है।
3. कविता में समकालौन व्यवस्था की कुरूपता के खिलाफ गुस्सा झुलकता है।
4. मिथक के प्रसंग का आध्नुनिक प्रसंग में सफलतापूर्वक प्रयांग किया गया है।
5. भाषा पारदर्शी तथा सीधि-सीधि लक्ष्य कों भंदनवाली है ।
2. माँ ने एक बार मुझसे कहा था –
दक्षिण मृत्यु की दिशा है
और यमराज को कुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नहीं
तब मैं छोटा था
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
उसने बताया था –
तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में ।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ चं्रकात देवताले की काविता ‘यमराज को दिशा’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कवि को यह अन्छी तरह याद है कि एक वार मां ने चतावनी देते हुए यह कहा था कि दक्षिण दिशा मृत्यु अथान यमराज की दिशा है । क्री भी दक्षिण दिशा को आर पैर करके नहीं सोना चाहिए । ऐसा करने से यमराज को क्रंध आ जाता है। यमराज कों क्रांध दिलाना कोई समझदारी की बात नहीं है ।
यह बात तब की है जब कवि छाटा था । उसने उत्सुकतावश यमराज के घर का पता पूछ लिया। माँ ने यमराज का प्ता ग्रतांत हुए यही कहा कि – तुम जहाँ कही भी रहोगे, वहाँ से जो दक्षण दिशा हांगी, वही यमराज का घर होगा। तब से कवि के मन में यह बात अच्छी तरह सं वैठ गई कि दक्षिण की और पैर करके नहीं सोना है क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज का घर है।
काव्यगत विशेपताएँ :
1. चद्रकात दंवताले की कविता में समय तथा समाज का गहरा सरोकार दिखाई देता है।
2. माँ की सीख का अनुसरण करने में परुपरा के प्रति गहरा लगाव दिखाई देता है ।
3. कविता में समकालीन व्यवस्था को कुरूपता के खिलाफ गुस्सा इलकता है।
4. मिथक के प्रसंग का आध्रुनिक गसंग में सफलतापूर्वक्क प्रयांग किया गया है।
5. भाषा पारदर्शीं तथा सोधे-सोधे लक्ष्य का भदननवाली हैं।
3. माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फायदा जरूर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा ।
संदर्भ : प्रस्तुत पक्तियाँ वंद्रकांत देवताले की कविता ‘यमराज की दिशा’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कविता के इस अंश में कवि कहते हैं कि माँ के बार-बार समझाने के बाद वे कभी भी दक्षिण-दिशा की आर पैर करके नहीं सोए। माँ की इस सीख का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि उन्हे दक्षिण दिशा को पहचानने में कभी भी काउनाई का सामना नही करना पड़ा। चूँकि कवि ने माँ की सीख का अनुसरण किया, अतः इस दिशा के बारे में उन्हॉन जब कभी सोचा, उन्हें माँ की सीख याद आई ।
काव्यगत विशेषताएँ :
1. चद्रकात देवताले की कविता में समय तथा समाज का गहरा सरोकार दिखाई देता है ।
2. माँ की सीख का अनुसरण करने में परपरा के प्रति गहरा लगाव दिखाई देता है।
3. कविता में समकालीन व्यवस्था की कुरूपता के खिलाफ गुस्सा इलकता है।
4. मिथक के प्रसंग का आध्धुनिक प्रसंग में सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है ।
5. भाषा पारदर्शी तथा सीधे-सीधे लक्ष्य को भेदनेवाली हैं।
4. मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और मुझे हमेशा माँ याद आई
दक्षिण को लाँध लेना सम्भव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख लेता
शब्दार्थ :
- लाँध लेना = पार कर लेना ।
- छोर = किनारा ।
संदर्भ : प्रस्नुत पक्तियाँ चद्रकांत देवताल की कविता ‘यमराज की दिशा’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कवि कहते हैं कि वे अपन जीवन में दक्षिण दिशा में दूर-दूर तक गए । जब-जब वे दक्षिण दिशा में गए उन्हे माँ और माँ की सीख याद आती रही । उन्हाने यह अनुभव किया कि दक्षिण दिशा को लाँध पाना संभव नहीं है । यदि यह संभव होता कि वे दक्षिण दिशा के छोर तक पहुँच पाते तो निश्चय ही यमराज के उस घर को भी देख लेते जिसके बरे में माँ ने बताया था ।
काव्यगत विशेषताएँ :
1. चंद्रकांन देवताल की कविता में समय तथा समाज का गहरा सरोकार दिखाई देता है।
2. माँ की सीख का अनुसरण करने में परपरा क प्रति गहरा लगाव दिखाई देता है।
3. कविता में समकालीन व्यवस्था की कुरूपता के खिलाफ गुस्सा झलकता है
4. मिथक क प्रसग का आधुनिक प्रसंग में सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है ।
5. भाषा पारदर्शी तथा सीधे-सौधे लक्ष्य को भेदनवाली हैं।
5. पर आज जिधर भी पैर करके सोओ
वही दक्षिण दिशा हो जाती है
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महलें हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं
माँ अब नहीं है
और यमराज की दिशा भी वह नहीं रही
जो माँ जानती थी ।
शब्दार्थ :
- आलीशान = भव्य, शानदार ।
- दहकती = जलती हुई ।
- विराजते = रहते ।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ चंद्रकांत देवताले की कविता ‘यमराज की दिशा’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कविता के इस अंतम अंश में कवि कहते हैं कि पहले तो यमराज की दक्षिण दिशा निश्चित थी । लेकिन आज जिधर भी पर करके सांता हूँ, वही दक्षिण दिशा हो जाती है आज यमराज का घर केवल दक्षिण दिशा मे नही सभी
दिशाओं में है । इन आलीशान महलों में रहने वाले यमराज अपनी दहकती हुई आँखों से उन्हें घूरते है जो जो उनकी दिशा में आते हैं|
माँ आज नहीं है । उन्हें गुज़े हुए काफी समय बीत चला है । कवि कहते हैं कि माँ जिस यमराज की दिशा के बारे में जानती थी वह दिशा भी निश्चित नहीं रही। आज हर ओर दक्षिण दिशा है और हर दिशा में यमराज निवास करते हैं।
कहने का भाव यह है कि माँ जिस यमराज को जानती थी उसकी जानकारी का आधार धर्म था। आज के यमराज तो वे हैं जो शोषक, अन्यायी, समाज में विद्रुपता तथा भय फैलाने वाले हैं। इनकी कोई निश्चित दिशा नहीं । ये हरेक दिशा में अपना स्वामित्व जमाए बैठे हैं।जो भी इनकी सीमा में प्रवेश करना चाहते हैं वे अपनी दहकती आँखों से उसे भस्म कर देना चाहते हैं, अपने रास्ते से हटा देना चाहते हैं। यही कारण है कि आज हर दिशा यमराज की दिशा हो गई है ।
काव्यगत विशेषताएँ :
1. चंद्रकांत देवताले की कविता में समय तथा समाज का गहरा सरोंकार दिखाई देता है
2. माँ की सीख का अनुसरण करने में परंपरा के प्रति गहरा लगाव दिखाई देता है
3. कविता में समकालीन व्यवस्था की कुरूपता के खिलाफ गुस्सा झलकता है
4. मिथक के प्रसंग का आधुनिक प्रसंग में सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है।
5. भाषा पारदर्शी तथा सीधे-सीधे लक्ष्य को भेदनेवाली हैं।