Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions Poem 8 कर चले हम फ़िदा to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions Poem 8 Question Answer – कर चले हम फ़िदा
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : कैफी आज़मी की कविता ‘कर चले हम फ़िदा’ का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
प्रश्न – 2 : ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखें।
प्रश्न – 3 : ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता के माध्यम से कवि ने हमें क्या संदेश देना चाहा है ?
प्रश्न – 4 : ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में कवि वतन को किसके हवाले करना चाहते हैं और क्यों? विस्तार से लिखें।
प्रश्न – 5 : ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में व्यक्त कैफ़ी के विचारों को अपने शब्दों में लिखें।
प्रश्न – 6 : ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता हमें देश की रक्षा करने व उसपर बलिदान होने की प्रेरणा देती है – वर्णन करें।
उत्तर :
साहित्य ही वह आईना है जिसमें हम देख सकते हैं कि कैसे एक खालिस (सच्चा) भारतीय खुद को बिल्कुल अपने तरीके से व्यक्त करता है। ‘कर चले हम फिदा’ जैसी नज़्म केवल उसी के द्वारा लिखी जा सकती है, जों भग्तीय संस्कृति में पृरी तरह रम गया हो – जाति तथा धर्म की आँच जिसे छू भी नहीं पायी हों। अख्कर हुरेन किन्ी गेरे केन आज़मी एसं ही शायर है, जिसमें भारतोय और इस्लामिक तत्व एकाकार हो गए हैं। भारत-चौन युद्ध की पृष्ठभूमि में लिखी गई यह नज़्म राष्ट्रीयता की भावना से आं-प्रोत है
वीरगति पाये जवानों के माध्यम से कैफी कहते है कि हमने अपनी जान मातृभूमि की रक्ष के लिए फ़िदा कर दी और अब मैं इसकी रक्षा का भार तुम्हारे ऊपर छोंड़कर जा रहा हूँ। हिमालय की ऊँचाइयों पर मातृभूमि की रक्षा करते-करते वहाँ की हड्डी जमा देने वाली ठंड में हमारी साँसे थम गई, हमारे नब्ज जम गए फिर भी हमने अपने कदम को नहीं रोका। ये कदम आगे बढ़ते ही गए। अगर मातृभूमि की रक्षा के लिए हमने सर भी कटा दिए तो हमें इसका जरा भी गम नहीं है क्योंक हमने हिमालय के सिर को झुकने नहीं दिया। मरते दम तक हमने अपनी वीरता नहीं छोड़ी। अब जब मैं तुमसे, अपनी मातृभूमि से विदा ले रहा हूँ तो इस वतन की रक्षा की जिम्मेवारी तुम्हारे ऊपर छोड़कर जा रहा हूँ।
हमारे जवानों ने सच्चाई को काफी गहराई से महसूस किया कि जीवन में जिंदा रहने के हजारों मौंक आएगें लेकिन मातृभूमि की रक्षा के लिए अपनी जान दनने के मौके रोज-रोज नहीं आते। जिसमें अपनी भारत की सुंदरता तथा उसके प्रति प्रेम का जज़्बा नहीं है उसकी जवानी बेकार है। जवानी तो वह है जो इन दोनों के लिए अपना खून बहाने को तैयार रहे। हमारी प्यारी धरती प्राकृतिक सौदर्य के प्रसाधनों से दुल्हन की तरह सजी-सँवरी है। इस दुलहन की रक्षा का जिम्मा अब तुम्हारा ही है क्योंकि हम अपनी जान न्योछावर कर इस दुनिया से विदा हों रहे हैं।
हमारे सैनिक कहते हैं कि उन्होंने जिस प्रकार मातृभूाम की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया, अपनेआप को कुर्बान कर दिया – कुर्बानी की यह राह कभी वीरान न हो । यह तुम्हारी जिम्मेवारी है कि कुर्बानी की इस राह में नए-नए काफिले सजाते रहां। अभी तों हमारी जिंदगी मौन से गले मिल रही है – पहले इस गले मिलने का जश्न तो मना लें, जीत का जश्न तो हम बाद में मनातं रहेंगे। हम वतन को अब तुम्हारे हवाले करके इस दुनिया से कूच कर रहा हूँ इसलिए अब इसकी रक्षा की जिम्मेवारी तुम्हारी है। इसकी रक्षा के लिए तुम अपने सर पर कफ़न बाँध लो।
आज हमारी सीमा का अतिकमण करके जो भारत में प्रवेश करना चाहते हैं उन्हें रोकने के लिए सीमा पर अपने खून से एक लकीर खींच दो। कहने का भाव यह है कि तुम्हारे जीते-जी कोई रावण हमारी धरती पर पैर न रखने पाए। हमारी सीतारूपी धरती के आँचल को अगर कोई स्पर्श भी करना चाहे तो तुम उसके हाथ तोड़ डालो। अब तुम्हें ही राम और लक्ष्मण बनकर इस सीता की रक्षा करनी है, रावणों का अंत करना है।
अति लघूत्तरीय/लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘कर चले हम फ़िदा’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
कर चले हम फिदा का अर्ध है कि हमने अपनी जान मातृभूमि की रक्षा के लिए निछावर कर दी।
प्रश्न 2.
सैनिकों को किस बात का गम नहीं है ?
उत्तर :
सैनिकों को अपना सर कटा देने (बलिदान हो जाने) का गम नहीं है।
प्रश्न 3.
सैनिकों ने किसका सिर झुकने नहीं दिया ? क्यों ?
उत्तर :
सैनिकों ने हिमालय का सिर झुकने नहीं दिया क्योंकि हिमालय हमारा गौरव है, भारत का मुकुट है।
प्रश्न 4.
सैनिक किसको किसके हवाले करने की बात करते हैं ?
उत्तर :
सैनिक अपने वतन को देशवासियों के हवाले करने की बात करते हैं।
प्रश्न 5.
किसके मौसम बहुत हैं ?
उत्तर :
जिंदा रहने के बहुत सारे मौसम (समय) हैं।
प्रश्न 6.
कौन-सी रुत रोज-रोज नहीं आती है ?
उत्तर :
देश के लिए मर-मिटने की रुत रोज-रोज नहीं आती है।
प्रश्न 7.
कवि ने किसे जवानी नहीं कहा है ?
उत्तर :
जो हुस्न और इश्क को रूस्वा करे तथा जो देश के लिए खून में न नहाए उसे कवि ने जवानी नहों कहा है ।
प्रश्न 8.
धरती को किसके समान बताया गया है ?
उत्तर :
धरती को दुल्हन के समान बताया गया है।
प्रश्न 9.
कवि ने किस राह को वीरान न करने को कहा है ?
उत्तर :
कवि ने कुर्बानी की राह को वीरान न करने को कहा है।
प्रश्न 10.
‘तुम सजाते ही रहना नए काफिले’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
नए काफिले सजाते रहने का अर्थ है कि देश के लिए कुर्बान होनेवालों का काफिला कम नहीं होना चाहिएयह निरंतर बढ़ते ही रहना चाहिए।
प्रश्न 11.
किसकी जिंदगी किससे गले मिल रही है ?
उत्तर :
देश के रक्षक सैनिकों की जिंदगी मौत से गले मिल रही है।
प्रश्न 12.
कवि ने साथियों से अपने सर पर क्या बाँधने को कहा है?
उत्तर :
कवि ने साथियों ने अपने सर पर कफ़न बाँधने को कहा है।
प्रश्न 13.
‘रावण’ से किसकी ओर संकेत किया गया है ?
उत्तर :
रावण से आकमणकारियो की ओर संकेत किया गया है।
प्रश्न 14.
कवि ने किसके हाथ तोड़ने की बात कही है ?
उत्तर :
कवि ने उन आक्रमणकारियों के हाथ तोड़ने की बात कही है जो हमारी धरती को छूने का भी साहस करे।
प्रश्न 15.
कवि ने साथियों को किसके समान बताया है ?
उत्तर :
कवि ने साधियों को राम और लक्ष्मण के समान बताया है।
प्रश्न 16.
रावण को रोकने के लिए कवि ने क्या कहा है ?
उत्तर :
रावण को रोकने के लिए कवि ने जमीन पर खून से वैसी ही लकीर खींचने को कहा है जिस प्रकार लक्ष्मण ने सीता की रक्षा के लिए लक्ष्मण रेखा खींची थी।
प्रश्न 17.
‘कर चले हम फ़िदा’ किस प्रकार की कविता है ?
उत्तर :
‘कर चले हम फ़िदा’ देशभक्ति की कविता है।
प्रश्न 18.
‘साँस थमती गई, नब्ज जमती गई’ में कहाँ के वातावरण का वर्णन है ?
उत्तर :
‘साँस थमती गई, नब्ज जमती गई’ में हिमालय के हड्डियों को भी जमा देनेवाली ठंड का वर्णन है।
प्रश्न 19.
हमारे सैनिकों ने मरते-मरते भी अपने किस गुणों को नहीं छोड़ा ?
उत्तर :
देशभक्ति तथा वीरता दो ऐसे गुण है जिन्हें हमारे सैनिकों ने मरते-मरते दम तक नहीं छोड़ा।
प्रश्न 20.
फतह का जश्न किस जश्न के बाद है ?
उत्तर :
फतह का जश्न कुर्बानी के जश्न के बाद है ।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
अखतर हुसैन रिजवी फिल्मी दुनिया में किस नाम से जाने जाते हैं?
(क) शेलेन्द्र
(ख) कैफ़ी
(ग) अख्नर हुसैन
(घ) कैफ़ी आजमी
उत्तर :
(घ) कैफी आज़मी।
प्रश्न 2.
कैफ़ी के ‘आज़मी’ किस स्थान का सूचक है?
(क) आज़गढ़ का
(ख) आजमपुरा का
(ग) आजाममुहल्ला का
(घ) आज़म नगर का
उत्तर :
(क) आज़गढढ का।
प्रश्न 3.
कैफ़ी आज़मी का जन्म किस जिला में हुआ था ?
(क) बलिया
(ख) मेदिनीपुर
(ग) आजमगढ
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर :
(ग) आजमगढ़।
प्रश्न 4.
कैफ़ी आज़मी का जन्म किस राज्य में हुआ था?
(क) मध्य प्रदेश
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) छत्तोसगढ
(घ) बिहार
उत्तर :
(ख) उत्तर प्रदेश।
प्रश्न 5.
कैफ़ी आज़मी ने अपनी पहली गज़ल किस उप्र में लिखा ?
(क) 19 वर्ष
(ख) 10 वर्ष
(ग) 11 वर्ष
(घ) 12 वर्ष
उत्तर :
(ग) 11 वर्ष।
प्रश्न 6.
कैफ़ी आज़मी किस विचारधारा से प्रभावित थे?
(क) वामपंधी
(ख) प्रग्गतिवादी
(ग) साम्यवादी
(घ) छायावादी
उत्तर :
(ग) साम्यवादी।
प्रश्न 7.
कैफ़ी आज़मी किस विचारधारा से परेशान थे?
(क) धार्मिक रूढ़िवादिता
(ख) राजनीतिक
(ग) सामाजिक
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर :
(क) धार्मिक रूढ़िवादिता।
प्रश्न 8.
कैफ़ी आज़मी को किस विचारधारा से अपनी सारी समस्याओं का हल मिल गया ?
(क) प्रगतिवादी
(ख) प्रयोगवादी
(ग) साम्यवादी
(घ) साम्माज्यवादी
उत्तर :
(ग) साम्यवादी।
प्रश्न 9.
कैफ़ी आज़मी ने किसके संदेश के लिए लेखन का लक्ष्य निश्चय किया ?
(क) राजनीतिक संदेश
(ख) सामाजिक संदेश
(ग) आर्थिक संदेश
(घ) धार्मिक संदेश
उत्तर :
(ख) सामाजिक संदेश।
प्रश्न 10.
कैफ़ी आज़मी ने किस दल की सदस्यता ग्रहण की ?
(क) कांग्रेस
(ख) साम्यवादी
(ग) साम्माज्यवादी
(घ) जनता दल
उत्तर :
(ख) साम्यवादी।
प्रश्न 11.
कैफ़ी आज़मी किस भाषा के शायर थे ?
(क) हिन्दी
(ख) पंजाबी
(ग) उर्दू.
(घ) अरबी
उत्तर :
(ग) उर्दू।
प्रश्न 12.
कैफ़ी आज़मी की शैली क्या है?
(क) गज़ल-नज़्म
(ख) भक्तिगीत
(ग) कहानी
(घ) उपन्यास
उत्तर :
(क) गजल-नज्म।
प्रश्न 13.
कैफ़ी आज़मी ने किस उर्दू अखबार का संपादन किया ?
(क) हिन्दुस्तान
(ख) आजाद हिन्द
(ग) मजदूर मोहल्ला
(घ) सलाम दुनिया
उत्तर :
(ग) मजदूर मोहल्ला।
प्रश्न 14.
कैफ़ी आज़मी की पत्नी का नाम क्या था ?
(क) शाजिया
(ख) शौकत
(ग) शैकत
(घ) शबनम
उत्तर :
(ख) शौकत।
प्रश्न 15.
कैफ़ी आज़मी को किस फिल्म में पहला मौका मिला?
(क) बुजदिल
(ख) हकीकत
(ग) आखिरी खत
(घ) शमा
उत्तर :
(क) बुजदिल।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से कौन-सी रचना कैफ़ी आज़मी की नहीं है?
(क) आवरा सजदे
(ख) इंकार
(ग) आखिरे-शब
(घ) साये में धूप
उत्तर :
(घ) साये में धूप।
प्रश्न 17.
कैफ़ी आज़मी का नया जीवन क्या था ?
(क) अपने लिए जीना है
(ख) केवल अपने परिवार के लिए जीना है
(ग) दूसरों के लिए जीना है
(घ) केवल फिल्मों के लिए जौना है
उत्तर :
(ग) दूसरों के लिए जीना है।
प्रश्न 18.
कैफ़ी आज़मी के पैतृक गाँव का नाम क्या है ?
(क) मिजवान
(ख) सुपौल
(ग) आजमपुर
(घ) आजमपुरा
उत्तर :
(क) मिजवान।
प्रश्न 19.
कैफ़ी आज़मी की पल्नी उनकी किस बात से प्रभावित थीं ?
(क) लेखन से
(ख) व्यक्तित्व से
(ग) अमीरी से
(घ) राजनीति से
उत्तंर :
(क) लेखन से ।
प्रश्न 20.
कैफ़ी आज़मी को किस वर्ष षद्मश्री से सम्मानित किया गया ?
(क) सन् 1960 में
(ख) सन् 1974 में
(ग) सन् 1990 में
(घ) सन् 1980 में
उत्तर :
(ख) सन् 1974 में ।
प्रश्न 21.
कैफ़ी आज़मी को पद्मश्री के अलावे और कौन-सा पुरस्कार मिला ?
(क) ऊंस्कर अवार्ड
(ख) कबीर सम्मान
(ग) फिल्मफेयर अवार्ड
(घ) लाइफ टाईम एचीव अवार्ई
उत्तर :
(ग) फिल्मफेयर अवाई
प्रश्न 22.
कैफ़ी आज़मी की मृत्यु कब हुई ?
(क) सन् 1999 में
(ख) सन् 2000 में
(ग) सन् 2001 में
(घ) सन् 2002 में
उत्तर :
(घ) सन् 2002 में ।
प्रश्न 23.
‘कर चले हम फ़िदा’ के शायर कौन हैं ?
(क) कैफ़ी आज़मी
(ख) मिर्जा गालीब
(ग) कुमार विश्वास
(घ) गुल्जार
उत्तर :
(क) कैफ़ी आज़मी।
प्रश्न 24.
‘सर कटाना’ का अर्थ है ?
(क) सर कट जाना
(ख) मर जाना
(ग) हत्या करना
(घ) अपने-आपको बलिदान कर देना
उत्तर :
(घ) अपने-आपको बलिदान कर देना।
प्रश्न 25.
‘सर न झुकने देना’ का अर्थ है ?
(क) सर उठाए रखना
(ख) सर गिरने न देना
(ग) सम्मान को बनाए रखना
(घ) सम्मान करना
उत्तर :
(ग) सम्मान को बनाए रखना ।
प्रश्न 26.
यहाँ किसके सर को न झुकने देने की ब्ञात कही गई है ?
(क) हिमालय के
(ख) देश के
(ग) दुल्हन के
(घ) वतन के
उत्तर :
(क) हिमालय के ।
प्रश्न 27.
किसके रहने के मौसम बहुत हैं ?
(क) मरते रहने के
(ख) जिंदा रहने के
(ग) शत्रु के रहने के
(घ) जान रहने के
उत्तर :
(ख) जिंदा रहने के ।
प्रश्न 28.
घरती की तुलना किससे की गई है ?
(क) युवती से
(ख) दुल्हन से
(ग) खेत से
(घ) वतन से
उत्तर :
(ख) दुल्हन से ।
प्रश्न 29.
किसके वीरान न होने की जात कही गई है ?
(क) राजमार्ग के
(ख) गली के
(ग) कुर्बानी की राह के
(घ) इश्क की राह के
उत्तर :
(ग) कुर्बानी की राह के।
प्रश्न 30.
कवि ने किसे सजाते रहने की बात कही है ?
(क) हिमालय को
(ख) स्वयं को
(ग) दुल्हन को
(घ) काफिले को
उत्तर :
(घ) काफिले को।
प्रश्न 31.
फतह का जश्न किस जश्न के बाद होगा ?
(क) जीत के जश्न
(ख) कुर्बानी के जश्न
(ग) इशक के जश्न
(घ) हुस्न के जश्न
उत्तर :
(ख) कुर्बानी के जश्न
प्रश्न 32.
‘सर पर कफ़न बाँधना’ का अर्थ है ?
(क) सर पर कपड़ा बाँधना
(ख) मर जाना
(ग) मरने के लिए तैयार रहना
(घ) जिंदा न रहना
उत्तर :
(ग) मरने के लिए तैयार रहना ।
प्रश्न 33.
‘रावण’ किसके प्रतीक के रूप में इस कविता में आया है ?
(क) डाकू के
(ख) चोर के
(ग) आक्रमणकारी के
(घ) विद्वान के
उत्तर :
(ग) आक्रमणकारी के।
प्रश्न 34.
राम और लक्ष्मण किसके प्रतीक है ?
(क) रक्षक
(ख) भक्षक
(ग) आक्रमणकारी
(घ) महान पुरुष
उत्तर :
(क) रक्षक।
प्रश्न 35.
‘जमीं पर लकीर खींचना’ का तात्पर्य है ?
(क) सीमा-रेखा तय कर देना
(ख) जमीन पर निशान लगाना
(ग) लकीर का फकीर होना
(घ) बेकार बैठे रहना
उत्तर :
(क) सीमा-रेखा तय कर देना ।
प्रश्न 36.
‘कर चले हम फ़िदा’ किस रस की कविता है ?
(क) रौद्र रस
(ख) वौर रस
(ग) हास्थ रस
(घ) करुण रस
उत्तर :
(ख) वौर रस ।
प्रश्न 37.
‘कर चले हम फ़िदा’ किस कोटि की रचना है ?
(क) हास्य
(ख) व्यंग्य
(ग) प्रकृति-चित्रण
(घ) देशरक्ति
उत्तर :
(घ) देशारक्ति
प्रश्न 38.
कवि ने किस जवानी को जवानी नहीं कहा है ?
(क) जो इश्क न किया हो
(ख) जो हुस्न का दीवाना न हो
(ग) जिसने मातृभूमि के लिए अपना खून न बहाया हो
(घ) जिसने सबको रूस्वा किया हो
उत्तर :
(ग) जिसने मातृभूमि के लिए अपना खून न बहाया हो।
टिप्पणियाँ
1. हिमालय : प्रस्तुत शब्द कैफी आजमी की कविता ‘कर चले हम हम फ़िदा’ से लिया गया है।
हिमालय भारत का सबसे ऊँचा पर्वत है जो उत्तर में देश की लगभग 2500 कि०मी० लंबी सीमा बनाता है तथा देश को उत्तर एशिया से अलग करता है। कश्मीर से लेकर असम तक इसका विस्तार है।
2. वतन : प्रस्तुत शब्द कैफी आजमी की कविता ‘कर चले हम हम फ़िदा’ से लिया गया है।
जो व्यक्ति जिस वतन (देश) में पैदा होता है उसे वह अपने जान से भी प्यारा होता है। अपने वतन की रक्षा के लिए जो भी कीमत चुकाई जाए वो कम है।
3. रूत : प्रस्तुत शब्द कैफी आजमी की कविता ‘कर चले हम हम फ़िदा’ से लिया गया है।
रूत अर्थात् समय परिवर्तनशील है। यह किसी का इंतजार नहीं करता। रूत के फेर से आदमी क्या से क्या कर जाता हैसमय के एक
तमाचे की देर है प्यारे
मेरी फकीरी भी क्या, तेरी बादशाही क्या।
4. कफ़न : प्रस्तुत शब्द कैफी आजमी की कविता ‘कर चले हम हम फ़िदा’ से लिया गया है।
मृतक को जिस सफेद कपड़े में लपेटा जाता है उसे कफ़न कहते हैं । कोई दुनिया में कितना ही धन जमा कर ले लेकिन कफ़न सबके लिए एक ही होता है फिर भी आदमी की इच्छाओं का कोई अंत नहीं होता। कैफी आज़मी ने लिखा है|
इन्साँ की ख्वाहिशों की कोई इन्तिहा नहीं
दो गज जमीं भी चाहिए, दो गज़ कफ़न के बाद।
5. रावण : प्रस्तुत शब्द कैफी आजमी की कविता ‘कर चले हम हम फ़िदा’ से लिया गया है।
लंका का राजा रावण पुलस्त्य का पौत्र और विश्रवा का पुत्र था। इसकी माता का नाम कैकसी था। रावण अवनी वीरता के लिए प्रसिद्ध था लेकिन सीता के स्वयंकर में वह शिव-धनुष को उठा भी न सका। सीता-हरण तथा राम-रावण का युद्ध तो विश्वपसिद्ध है।
पाठ्याधारित व्याकरण
WBBSE Class 9 Hindi कर चले हम फ़िदा Summary
कवि परिचय
कैफी आज़मी का मूल नाम अख्तर हुसैन रिज़वी था । इनका जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के छोटेसे गाँव मिजवां में 14 जनवरी सन् 1919 को हुआ था। गाँव के भोले-भाले माहौल में कविताएँ पढ़ने के शौक ने आगे चलकर इन्हें शायर बना दिया। 11 साल की उम्र में इन्होंने अपनी पहली गज़ल लिखी।
सन् 1936 में साम्यवादी विचारधारा से प्रभावित होकर इन्होंने साम्यवादी दल की सदस्यता ग्रहण कर ली। साम्यवादी विचारधारा से जुड़कर कैफी आजमी को धार्मिक रूढ़िवादिता से जुड़ी समस्याओं का भी समाधान मिल गया और उन्होंने यह निश्चय कर लिया कि वे अपनी कलम और कविता का उपयोग सामाजिक संदेश के लिए ही करेंगे।
सन् 1943 में साम्यवादी दल ने बंबई में कार्यालय शुरू किया और उन्हें जिम्मेदारी देकर भेजा। यहाँ आकर कैफी ने उर्दू अखबार ‘मजदूर मोहल्ला’ का संपादन कार्य भी संभालना। यहीं उनकी मुलाकात शौकत से हुई। शौकत आर्थिक रूप से संपत्र तथा साहित्यिक संस्कारोंवाली थीं। उन्हें कैफी के लेखन ने प्रभावित किया। शादी के बाद शौकत ने रिश्ते को इस तरह निभाया कि खेतबाड़ी नामक स्थान में कैफ़ी के साथ ऐसी जगह रहीं जहाँ उन्हें सार्वजनिक शौचालय में जाना पड़ता था। वहीं शबाना और बाबा का जन्म हुआ। शबाना आज़मी हिंदी फिल्मों की मशूहर अभिनेत्री बनीं।
बाद में कैफ़ी जुहू स्थित बंगले में आए। फिल्मों में मौका ‘बुजदिल’ (1951) से मिला। स्वतंत्र रूप से लेखनकार्य भी चलता रहा। आगे चलकर कैफ़ी ने हकीकत, कागज के फृल, शमा, शोला और शबनम, नकली नवाब, कोहरा, दो दिल, आखिरी खत, अनुपमा, हीर रांझा जैसी फिल्मों के लिए गीत लिखे।
कैफ़ी की भावुक, रोमांटिक और प्रभावी लेखनी से प्रगति के रास्ते खुलते गए और वे केवल गीतकार ही नहीं बल्कि पटकथाकार के रूप में भी स्थापित हो गए। सादगीपूर्ण व्यक्तित्व वाले कैफी अपने व्यक्तिगत जीवन में काफी हँसमुख थे।
वर्ष 1973 में ब्रेनहैमरेज से लड़ते हुए नया जीवन-दर्शन मिला कि बाकी जिदगी दूसरों के लिए जीना है। अपने गाँव मिजवाँ में कैफी ने स्कूल, अस्पताल, पोस्ट ऑफिस तथा सड़क बनवाने में मदद की । उत्तर प्रदेश सरकार ने सुल्तानपुर से फूलपुर जानेवाली सड़क का नामकरण ‘कैफ़ी मार्ग’ किया। 10 मई 2002 को ‘ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं गुन-गुनाते हुए इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
प्रमुख रचनाएँ : आवारा सज़दे, इंकार, आखिरे-शब आदि।
सम्मान : वर्ष 1974 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री के अलावे कई बार फिल्म फेयर अवार्ड से भी सम्मानित।
ससंदर्भ आलोचनात्मक व्याख्या
1. कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
साँस थमती गई, नब्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
शब्दार्थ :
- फ़िदा = न्योछावर ।
- हवाले = सहारे, जिम्मे ।
- जानो-तन = शरीर और ग्रणा ।
- वतन = देश।
- थमती = रूकती।
- नब्ज = धड़कन ।
- जमती गई = कम होती गई ।
- बाँकपन = बहादुरी, वीरता।
संदर्भ : प्रस्तुत अंश कैफ़ी आज़मी की ‘कर चले हम फ़िदा’ नामक नज़्म (कविता) से लिया गया है। यह कविता भारत-चीन युद्ध में वीरगति पाए सैनिकों की श्रद्धाज्जाल में लिखो गयो थो।
व्याख्या : कविता की इन पंक्तियों में भारतीय सैनिको की भावनाओं को व्यक्त करने हुए कैफी कहते हैं कि हमने अपने जान मातृरूमि की रक्षा के लिए फ़िदा कर दी और अब मैं इसकी रक्षा का भार तुम्हारे ऊपर छोड़कर जा रहा हूँ। हिमालय की ऊँचाइयों पर मातृभूमि की रक्षा करते-करते वहाँ की हड्दु जमा देने वाली ठंड में हमारी साँसे थम गई, हमारे नब्ज जम गए फिर भी हमने अपने कदम को नहीं रोका। ये कदम आग बढ़ते ही गए। अगर मातृभ्भूमि को रक्षा के लए हमने सर भी कटा दिए तो हमें इसका जरा भी गम नहीं है क्योंकि हमने हिमालय के सिर को झुकने नहीं दिया। मरते दम तक हमने अपनी वीरता नहीं छोड़ी। अब जब मै तुमसे, अपनो मानृभूमि से विदा ल रहा हूं तो इस बत्न की रक्षा की जिम्मेवारी तुम्हारे ऊपर छोड़कर जा रहा हूँ।
विशेष :
1. यह कैफ़ी आज़मी का प्रसिद्ध नज्म है जो भारत-चीन युद्ध के दौरान लिखा गया थां।
2. कवि ने वीरगति पाए सैनिकों के माध्यम से देशवासियों को यह संदेश दिया है कि व अपने कर्ग््य का भलीभांत निभाया, अब बारी देशवासियों की है।
3. हिमालय हमारे गौरव तथा शौर्य के प्रतीक के रूप में आया है।
4. कविता की इन पंक्तियों में कैफी आजमी का ज़ज्बा देश के प्रति स्पष्ट रूप से झलकता है।
5. कविता में उत्साह के साथ करूण रस भी है।
6. भाषा ओजपूर्ण है।
2. जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नहीं
हुस्न और इशक दोनों को रुस्वा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
शब्दार्थ :
- मौसम = अवसर,मौका।
- रुत = समय।
- हुस्न = सुंदरता।
- इश्क = प्रेम ।
- रस्वा = नाराज।
- ग्वँ = खृन, लहू।
संदर्भ : प्रस्तुत अंश कैफ़ी आज़मी की ‘कर चले हम फिदा’ नामक नज्म (कविता) से लिया गया है। यह कविता भारत-चौन युद्ध में वीरगति पाए सैनिको की श्रद्धार्जाल में लिखो गयो थी।
व्याख्या : हमारे जवानों ने सच्चाई को काफी गहराई से महसूस किया कि जीवन में जिंदा रहने के हजारों मौंक आएगं लेकिन मातृभूमि की रक्षा के लिए अपनी जान देने के मौके रोज-रोज नहीं आते। जिसमें अपनी भारत की सुंदरता नथा उसके प्रति प्रेम का जज्बा नही है उसकी जवानी बेकार है। जवानी तो वह है जो इन दानोों के लिए अणना खन बहाने को तैयार रहे। हमारी प्यारी धरती प्राकृतिक सौंदर्य के प्रसाधनों से दुल्हन की तरह सजी-सँवरी है। इस दुल्हन की रक्षा का जिम्मा अब तुम्हारा ही है क्योंकि हम अपनी जान न्योछावर कर इस दुनिया से विदा हो रहे हैं।
विशेष :
1. यह कैफ़ी आज़मी का प्रसिद्ध नज़्म है जो भारत-चीन युद्ध के दौरान लिखा गया था।
2. कवि ने वोरगाति पाए सैनिकों के माध्यम से देशवासियों को यह्ह संदेश दिया है कि वे अपने कर्त्तव्य को भलीभाति निभाया, अब बारी देशवासियों की है।
3. हिमालय हमारे गौरव तथा शौर्य के प्रतीक के रूप में आया है।
4. कविता की इन पंक्तियों में कैफी आज़मी का ज़ज्बा देश के प्रति स्पष्ट रूप से झलकता है ।
5. भारतभूमि की कल्पना दुल्हन रूप में की गई है अत: मानवीकरण अलंकार है।
6. भाषा ओजपूर्ण है।
3. राह कुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नए काफिले
फ़त का जश्न इस जश्न के बाद है
जिंदगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साधियों
शब्दार्थ :
- कुर्बानियों = बलिदानों।
- वीरान = सूना।
- काफिले = दल।
- फ़तह = जीत, विजय।
- जश्न = खुशी।
- कफ़न = मृतक कों पहनाया जाने वाला कपड़ा ।
संदर्भ : प्रस्तुत अंश कैफ़ी आज़मी की ‘कर चले हम फ़िदा’ नामक नज़्म (कविता) से लिया गया है। यह कविता भारत-चीन युद्ध में बीरगति पाए सैनिकों की श्रद्धांजलि में लिखी गयी थी।
व्याख्या : हमारे सैनिकों का कहना है कि उन्होंने जिस प्रकार मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया, अपने-आप को कुर्बान कर दिया – कुर्बानी की यह राह कभी वीरान न हो। यह तुम्हारी जिम्मेवारी है कि कुर्बानी की इस राह में नए-नए काफ़िले सजाते रहो। अभी तो हमारी जिंदगी मौत से गले मिल रही है – पहले इस गले मिलने का जश्न तो मना ले, जीत का जश्न तो हम बाद में मनाते रहेंगे। हम वतन को अब तुम्हारे हवाले करके इस दुनिया से कूच कर रहा हूँ इसलिए अब इसकी रक्षा की जिम्मेवारी तुम्हारी है। इसकी रक्षा के लिए तुम अपने सर पर कफ़नन बाँध लो।
विशेष :
1. यह कैफ़ी आज़मी का पसिद्ध नज़्म है जो भारत-चीन युद्ध के दौरान लिखा गया था।
2. काव ने वीरगति पाए सैनिकों के माध्यम से देशवासियों को यह संदेश दिया है कि उन्होंने अपने कर्त्तव्य को भलीभांति निभाया, अब बारी देशबासियों की है।
3. हिमालय हमारे गौरव तथा शौर्य के प्रतीक के रूप में आया है।
4. कविता की इन पंक्तियों में कैफी आज़मी का ज़ज्बा देश के प्रति स्पष्ट रूप से झलकता है ।
5. देश के लिए मर-मिटने की प्रेरणा देशवासियों को दी गई है।
6. भाषा ओजपूर्ण है।
4. खींच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावन कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाए न सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुप्हीं लक्ष्मण साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
शब्दार्थ :
- रावन = रावण, आततायी।
- दामन = आँचल ।
संदर्भ : प्रस्तुत अंश कैफ़ी आजमी की ‘कर चले हम फ़िदा’ नामक नज़्म (कविता) से लिया गया है। यह कविता भारत-चीन युद्ध में वोरगति पाए सैनिको की श्रद्धाजलि में लिखी गयी थी।
व्याख्या : आज हमारी सीमा का अतिक्रमण करके जो भारत में प्रवेश करना चाहते हैं उन्हें रोकने के लिए सीमा पर अपने खून से एक लकीर खींच दो। कहने का भाव यह है कि तुम्हारे जीत-जी कोई रावण हमारी ध्रग्ती पर पैर न रखने पाए। हमारी सीतारूपी धरती के आँचल को अगर कोई स्पर्श भी करना चाहे तो तुम उसके हाथ तोड़ डालो। अब तुम्हे ही राम और लक्ष्मण बनकर इस सीता की रक्षा करनी है, रावणों को अंत करना है।
विशेष :
1. यह कैफ़ी आज़मी का प्रसिद्ध नज़्म है जो भारत-चीन युद्ध के दौरान लिखा गया था।
2. कवि ने वीरगति पाए सैनिकों के माध्यम से देशवासियों को यह संदेश दिया है कि उन्होंन अपने कर्तव्य को भलीभांति निभाया, अब बारी देशवासियों की है।
3. हममालय हमारे गौरव तथा शौर्य के प्रतीक के रूप में आया है।
4. कविता की इन पक्तियों में कैफी आजमी का जज्बा देश के प्रति स्पष्ट रूप से झलकता है ।
5. राम लक्ष्मण – सैनिकों के, सीता भारत भूमि तथा रावण-चीन क प्रतीक के रूप में आए है।
6. भाषा ओजपूर्ण है।