Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions Poem 5 कलकत्ता to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions Poem 5 Question Answer – कलकत्ता
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : ‘कलकत्ता’ कविता में वर्णित कवि के कलकत्ता-प्रेम को अपने शब्दों में लिखें।
प्रश्न – 2 : ‘कलकत्ता’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें ।
प्रश्न – 3 : ‘कलकत्ता’ कविता का मूलभाव अपने शब्दों में लिखें ।
प्रश्न – 4 : ‘कलकत्ता’ शीर्षक कविता में व्यक्त कवि के विचारों को अपने शब्दों में लिखें।
प्रश्न – 5 : ‘कलकत्ता’ शीर्षक कविता के आधार पर लिखें कि यह शहर प्राचीन और नवीन का अद्भुत सामंजस्य है ।
प्रश्न – 6 : ‘कलकत्ता’ शीर्षक कविता के आधार पर इस शहर में आए बदलाव का चित्रण करें
प्रश्न – 7 : कवि अरुण कमल ने कलकत्ता शीर्षक कविता के माध्यम से इसमें आए किन बदलावों का वर्णन किया है ?
प्रश्न – 8: ‘कलकत्ता’ कविता के आधार पर कवि की निजी अनुभूतियों का वर्णन करें।
प्रश्न – 9: बायस्कोप से लेकर ट्राम तक के बदलाव को ‘कलकत्ता’ कविता में किस प्रकार वर्णित किया गया है – लिखें
प्रश्न – 10 : कवि अरुण कमल बार-बार कोलकाता क्यों जाना चाहते हैं ? ‘कलकत्ता’ कविता के आधार पर लिखें।
उत्तर :
कोलकाता भारत का एक बड़ा तथा प्रसिद्ध नगर है । इसका संबंध संसार के सभी देशों से है । यहाँ विश्व के विभिन्न भागों से आए लोग निवास करते हैं। यहाँ प्रायः संसार के सभी भाषा-भाषी तथा सभी प्रकार के वस्त्र पहनने वाले लोग देखे जाते हैं । विद्याध्ययन तथा आजीविका की समस्या को हल करने या भ्रमण करने के लिए लाखों की संख्या में लोग यहाँ आते-जाते रहते हैं। कोलकाता का जो रूप आज है वह ढाई सौ वर्ष पहले नहीं था। अपनी कलकत्ता-यात्रा में कवि अरुण कमल ने कोलकाता की इस विकास-यात्रा को अपनी कविता ‘कलकत्ता’ में व्यक्त किया है।
कलकत्ता शहर ने अरुण कमल को काफी आकर्षित व प्रभावित किया है । वे उन दिनों को याद करते हैं जब वे पहली बार कलकत्ता गए थे । उस समय उसका नाम कोलकाता नहीं बल्कि कलकत्ता था। यह उन दिनों की बात है जब सिनेमा की जगह बच्चों के लिए बॉयस्कोप ही मनोरंजन का प्रमुख साधन था तथा बॉयस्कोप दिखानेवाले अपने बॉयस्कोप में कलकत्ता के प्रसिद्ध स्थानों का चित्र लगाना नहीं भूलते थे । कवि को अच्छी तरह याद है कि पहली बार कोलकाता वह अपने दादा के कंधे पर बैठकर गए थे । उन्होंने पालकी की सवारी का भी आनंद उठाया था। पालकी पर बैठकर उन्हें गालिब की याद आई।
यह उन दिनों की बात है जब उनके गाँव का पहला दल रोजी-रोटी की तलाश में कलकत्ता गए थे। कवि भी अपनी पीठ पर सत्तू की गठरी लादे उन लोगों के साथ महिषादल तक गए थे। सुबह-सुबह जब वे हावड़ा पहुँचे तो उन्हें हावड़ा पुल के चमकते मस्तूल ने अपनी और आकर्षित किया था। यह आकर्षण आज भी ज्यों का त्यों है, इसलिए कवि बारबार कलकत्ता जाने के प्रण को दुहराते हैं।
कवि यह महसूस करते हैं कि कोलकातां आज भी उनके दिल के इतने करीब है जैसे गंगा में सागर का अवक्षेप हो या धरती के जितने करीब कंदमूल है । भले ही कोलकाता कवि के घर से काफी दूर है लेकिन यही कोलकाता रात में आकाश में तारा के रूप में उड़हुल बनकर चमकता है। कवि को कोलकाता का साँदर्य, उसका भोलापन ऐसा लगता है मानो हाथी गन्ना चूस रहा हो या फिर कोई दमकल सड़क पर अपनी घंटी की सुरीली आवाज बिखेरता चला जा रहा हो। उन दिनो की याद आज भी ताजी है जब कवि खेत-खलिहानों में चलनेवाले पाँवों से कलकत्ता की सड़कों पर एक लाठी भर जगह को घेरता हुआ नंगे पाँव चलता था ।
कोलकाता में प्राचीन से लेकर नवीन गति वाले यातायात के साधन मौजूद हैं। जहाँ एक ओर धीमी गति से चलने वाले हाथ रिक्शे हैं वहीं दूसरी ओर तेज गति से चलनेवाले मेट्रो भी मौजूद हैं । इन सारी रफ्तारों के बीच कवि अपनी रफ्तार का तालमेल बिठाना चाहते हैं । वे इन सारे छंदों में अपने छंद को ठृंढ़े हैं । इस तेज रफ्तारवाले शहर में पैदल चलनेवाले बेसहारा राहगीर हैं तथा उस जगह की खोज कर रहे हैं जहाँ से वे चौराहे को पार कर सकें । कहने का भाव यह है कि तब के कलकत्ता और आज के कोलकाता की रफ्तार में काफी अंतर आ चुका है । इतनी सारी तेज रफ्तार गाड़ियों के बीच एक पैदल चलने वाला राहगीर चौराहे को पार करने में अपने को बेसहारा पाता है।
लंदन, पेड़चिंग तथा न्यूयार्क विश्वप्रसिद्ध हैं जिन्हें एक बार देख लेने पर पुनः देखने की इच्छा मिट जाती । लेकिन कोलकाता ऐसा शहर है जहाँ बार-बार जाने के बाद भी वहाँ से मन नहीं ऊबता। वहाँ बार-बार जाने को मन करता है । इसलिप कवि बार-बार कोलकाता जाने की दृढ़ इच्छा प्रकट करते हैं।
प्रश्न – 11 : पठित कविता के आधार पर अरुण कमल की काव्यगत विशेषताओं का वर्णन करें।
प्रश्न – 12 : अरुण कमल की साहित्यिक विशिषृताओं का वर्णन करें।
प्रश्न – 13 : अरुण कमल की कविता को भाषा व शैलीगत विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर :
अरुण कमल आधुनिक काल के उन थोड़े कवियों में हैं जिनकी कविताओं में कल्पना की ऊँची उड़ान नहीं बल्कि अपने ही आस-पास के चेहरे तथा अपनी मिट्टी की सोंधी गंध बहुत करीब से महसूस की जा सकती है ।
हमारे पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘कलकत्ता’ इस दृष्टिकोण से उनकी कुछ बेजोड़ कविताओं में से एक कही जा सकती है।
अरुण कमल की काव्यगत विशेषताओं को हम इन शीर्षकों में देख सकते हैं-
1. सामाजिक तथा वैयक्तिक यथार्थ – अरुण कमल सच्चाई पर परदा नहीं डालना चाहते बल्कि उसे सामाजिक तौर पर स्वीकारना जानते हैं । इस कविता में उन्होंने अपनी सामाजिक तथा वैयक्तिक स्थिति का कुछ्ड यूं ही चित्रण किया है –
मैं वहाँ बाबा के कंधे पर बैठकर गया
मैं वहाँ गालिब की पालकी में सजकर गया
जब मेरे गाँव से पहला टोल गया चटकल मजदूरों का
सत्रू की गठरी पीठ पर लादे मैं भी गया महिषादल तक ।
2. प्रकृति प्रेम – अरुण कमल की कविताएँ सामाजिक यथार्थ की कविताएँ हैं । इसके बावजूद उन्होंने प्रकृति से अपना नाता नहीं तोड़ा है । अनेक सामाजिक विसंगतियों का वर्णन करने के क्रम में वे प्रकृति को नहीं भूल पाते । यही कारण है कि अपने गाँव में भी रहने पर कोलकाता का सौंदर्य बार-बार अपना रूप बदलकर उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता है –
मेरे घर से इतनी दूर कि रात को झलके वही तारा बन उड़हुल
3. परिवर्तन से कोई शिकायत नहीं – कवि जानते हैं कि परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है और वे इस परिवर्तन को सहर्ष स्वीकारते हैं। कलकत्ता से कोलकाता तथा पालकी से लेकर मेट्रो ट्राम तक आए परिवर्च्तन में वे कोई शिकायत नहीं करते । वे नवीनता को भी प्राचीनता के समान ही सहज रूप में स्वीकार कर लेते हैं –
मेट्रो ट्राम से लेकर हाथ रिक्शे तक सृष्टि के समस्त
छंदों के मध्य अपना छंद बूँढता
मैं एक बेसहारा पैदल राहगीर वो जगह ढूँढ़ रहा हूँ ।
4. स्वदेश-प्रेम – कवि अरुण कमल ने भारत के प्रतिनिधि के तौर पर रूस, कांगो, चीन, इग्लैंड, पाकिस्तान, म्यांमार तथा दक्षिण अफ्रीका की यात्राएँ की हैं फिर भी उनके मन में स्वदेश के प्रति गहरा प्रेम है । सामाजिक वैषम्य एवं अभावो की कटुता के रहते हुए भी अपने देश, अपने समाज, अपने देशवासी, अपने नदी, वन, पर्वत, अपने खेतखलिहान, अपने गाँव-नगर के प्रति उनमें गहरा
अनुराग है । तभी तो वे कह उठते है –
लंदन पेइचिंग न्यूयार्क एक बार
कोलकाता बार बार बार बार कोलकाता
5. अलंकारिता – प्राय: अतुकांत कविताएँ या आधुनिक कविताओं में अलंकार के प्रति मोह नहीं होता । लेकिन अरुण कमल की कविताएँ इसके अपवाद हैं। चाहे-अनचाहे इसमें अलंकार उत्पम्न हो गया मालूम पड़ता है । कविता की कुछ्ड पंक्तियों को उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है-
बार-बार सौ बार कोलकाता जाऊँगा – छेकानुप्रास अलंकार
रात को झलके वही तारा बन उड़हुल – उपमा अलंकार
इतना प्यारा जैसे हाथी गत्ने चूसता कोई – उत्पेक्षा अलंकार
खेत-खलिहान के पाँवों से – अनुप्रास अलंकार
इस तरह के अन्य कई उदाहरण लिए जा सकते है ।
6. बिंब तथा प्रतीक-अरुण कमल ने अपनी कविता में बिंब तथा प्रतीक का भी बड़ा ही सुंदर प्रयोग किया है तब से जब वह बॉयस्कोप के भीतर था – प्राचीनता का प्रतीक
कोई दमकल घंटी बजाता दौड़ता – रफ्तार का प्रतीक
जैसे हाथी गत्ने चूसता कोई – चाक्षुष बिंब, उत्पेक्षा अलंकार आदि ।
7. भाषा – अरुण कमल की भाषा सरल, सहज तथा उसमें झरने के जल के समान प्रवाहमयता है – कोई भी पाठक कहीं ठहराव नहीं महसूस करता । शब्द मानो आँखों के सामने से फिसलते से चले जाते हैं –
मैं बाबा के कंधे पर बैठकर गया
मैं वहाँ गालिब की पालकी में सजकर गया ।
इसलिए अर्थ की प्रतीति में कोई रुकावट नहीं होती। अरुण कमल ने अपनी कविताओं में शब्दों से कोई परहेज नहीं किया है । इस कविता को ही लें तो इसमें हिंदी, उर्दू (गालिब), देशज (सत्तू, टोल, चटकल), विदेशज (बॉंयस्कोप, मेट्रो ट्राम, रिक्शा, ट्रैफिक आदि) सारे शब्दों का इस्तेमाल बखूबो किया है।
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि अरुण कमल की कविता आधुनिक होते हुए भो प्राचीन और नबीन के मध्य पूरे गौरव के साथ एक सेतु (पुल) की तरह है ।
प्रश्न – 14 : पठित कविता के आधार पर कोलकाता का वर्णन करें ।
प्रश्न – 15 : कोलकाता प्राचीनता तथा नवीनता का अद्भुत सम्मिश्रण है – वर्णन करें।
प्रश्न – 16 : पठित कविता के आधार कर कोलकाता (कलकत्ता) की ऐतिह्हासिक यात्रा का बखान करें।
उत्तर :
अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ में वर्णित कोलकाता का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है। समाट अकबर के चुंगी दस्तावेजों में तथा पद्रहवी सदी के कवि विप्रदास की कविताओं में इस शहर का नाम बार-बार आया है। इसके नाम के बारे में कई तरह की कहानियॉ प्रचालित है । सबसे लोकमिय कहानी के अनुसार हिंदुओं की देवो काली के नाम से इस तरह के नाम की उत्पत्ति हुई है । इस शहर का उल्लेख चीनी तथा फारसी व्यापारियों के दस्तावेज में भी मिलते हैं।
महाभारत में भी कुछ राजाओं के नाम हैं जो कौरव सेना की तरफ से युद्ध में शामिल हुए थे। सन् 1690 में इस्ट इडिया कंपनी के अधिकारी जॉब चार्नक ने यहाँ शहर बसाने के लिए स्थानीय जमींदार परिवार सावर्ण रायचौधुरी से तीन गाँव (सूतानाटी, कोलिकाता तथा गोबिंदपुर) पद्टे पर लिया था । सन् 1756 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने कोलिकाता पर आक्रमण कर उसे जीत लिया तथा इसका नाम ‘अलीनगर’ रखा । लेकिन साल भर के अंदर ही यह पुनः अंग्रेजों के अधिकार में चला गया । सन् 1911 तक कलकत्ता अंग्रेजों की राजधानी बनी रही।
ब्रिटिश शासन के दौरान जब कलकत्ता एकीकृत भारत की राजधानी थी, इसे लंदन के बाद व्रिटिश सामाज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर की पहचान ‘महलों का शहर’, ‘पूरब का मोती’ इत्यादि के रूप में थी।
आज भी कोलकाता की पहचान भारत के प्रमुख नगरों में से एक है । भारतीय रेल द्वारा संचालित कोलकाता मेट्रो भारत में सबसे पुरानी भूमिगत धातायात प्रणाली है । शहर के कुछ क्षेत्रों में साइकिल-रिक्शा तथा हाथ-रिव्शा आज भी स्थानीय छोटी दूरियों के लिए प्रचलन में हैं।
शिक्षा, कला, संस्कृति तथा व्यवसाय की दृष्टि से भी कोलकाता की अपनी अलग पहचान है । कोलकाता को लंबे समय से अपने साहित्यिक, क्रांतिकारी तथा कलात्मक धरोहरों के लिए जाना जाता है । यहाँ नयी प्रतिभा को सदा प्रोत्साहन देने की क्षमता ने इस शहर को ‘अत्यधिक सृजनात्मक उर्जा का शहर’ बना दिया है।
कोलकाता-संस्कृति का एक खास अंग है – पाड़ा, यानि पास-पड़ोस के क्षेत्र । प्रत्येक पाड़ा में एक सामुदायिक केन्द्र, कीड़ा स्थल आदि होते है जो समयानुसार अनेक प्रतियोगिताएँ आयोजित करते हैं। पाड़ा के लोग इसमें उत्साहपूर्वक हिस्सा लेते हैं । खाली समय में बैठकर समूहों में बातें करने (अड्डुा मारना) की आदत एक मुक्त-शैली तथा बौद्विक वार्तालाप को उत्साहित करती है । इन्हीं कारणों से कोलकाता को कभी-कभी भारत की ‘सांस्कृतिक राजधानी’ भी कह दिया जाता है ।
कोलकाता में अनेक दर्शनीय स्थल हैं तथा यह रेलमार्ग तथा हवाईमार्ग से पूरे भारत से जुड़ा हुआ है । कोलकाता के खानपान के मुख्य घटक है – चावल और माछेर झेल (मछली-भात) तथा साथ में रॉसोगुल्ला और मिष्षि दोइ (मीठा दही)। बगाली लोगों के प्रमुख मछली आधारित व्यंजनों में हिल्सा (इलिस माछ) बेहद पसंद किया जाता है ।
साठ के दशक में ‘भूखी पीढ़ी’ नाम के एक साहित्यिक आंदोलनकारियों का आगमन हुआ। इसके सदस्यों ने पूरे कलकत्ता शहर को अपने आंदोलनकारी गतिविधियों तथा लेखन के द्वारा हिला दिया था । इनके चर्चे विदेशों तक जा पहुँचे थे । इस आंदोलन के प्रमुख साहित्यकार थे – मलय राय चौधुरी, सुबिमल बसाक, देवी राय, समीर राय चौधुरी, फालगुनि राय, अनिल करनजय, बासुदेव दास गुप्ता, त्रिदिब्ब मित्रा, शक्ति चट्टोपाध्याय तथा नृपेन्द्र चक्रवर्ती।
लघूतरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कवि के गाँव से चटकल मजदूर कलकत्ता क्यों गए थे ?
उत्तर :
कलकत्ता में अनेक कल-कारखाने तथा उद्योग-धधे हैं । इनमें लाखों पढे-लिखे तथा अनपढ़ व्यक्ति कार्य कर अपनी जीविका की समस्या को हल करते हैं। अपनी आजीविका की खोज में ही कवि के गाँव से चटकल मजदूर कलकत्ता गए थे ।
प्रश्न 2.
कलकत्ता शहर की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर :
इस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापारी दल के नेता जॉंब चार्नक ने सन् 1690 ई० में कलकत्ता नगर बसाने का निर्णय लिया । उस समय वहाँ केवल तीन गाँव गोविद्युर, सूतानाटी तथा कलिकाताथे । बाकी स्थानों में घने जंगल थे जिसमें हिसक जगली पशु रहते थे । निकट में हुगली नदी के प्रवाहित होने तथा उसके समुद्र में मिलने के कारण विदेशों से जहाज द्वारा व्यापार करने की विशेष सुविधा थी। अत: जंगलों को काट कर शहर-निर्माण का कार्य आरंभ हुआ तथा इसका नया नाम कलकत्ता रखा गया।
प्रश्न 3.
जाऊँगा जाऊँगा मैं कोलकाता जाउँगा
बार बार सौ बार कोलकाता जाऊँगा ।
– रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें । पंक्ति का भाव स्पष्ट करें ।
उत्तर :
रचना ‘कलकत्ता’ तथा इसके रचनाकार अरुण कमल हैं।
बचपन से ही कलकत्ता तथा वहाँ का सौंदर्य एवं संस्कृति ने कवि को काफी आकर्षित किया है, अत: वे वहाँ बार-बार जाना चाहते हैं।
प्रश्न 4.
मैं वहाँ तब से जा रहा हूँ जब वह कलकत्ता था
तब से जब वह बॉयस्कोप के भीतर था
– पाठ का नाम लिखें । पंक्ति का आशय स्पष्ट करें ।
उत्तर :
पाठ का नाम है – ‘कलकत्ता’।
कवि कहते हैं कि वे कोलकाता तब से जा रहे हैं जब उसे कलकत्ता के नाम से जाना जाता था। यह नाम जॉब-चार्नक ने रखा था जो इस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापारी दल का नेता था। कलकत्ता इतना प्राचीन शहर है कि इसके चित्रों के बिना बॉयस्कोप अधूरा था ।लोग तथा बच्चे कलकत्ता को बॉयस्कोप में देखकर ही संतुष्ट हो जाते थे ।
प्रश्न 5.
मैं वहाँ गालिब की पालकी में सजकर गया –
– ‘मै” से कौन संकेतित है ? गालिब का संक्षिप्त परिचय दें ।
उत्तर :
मैं से कवि अरुण कमल संकेतित हैं।
उर्दू के विख्यात कवि/शायर गालिब का पूरा नाम मिर्जा असदुल्ला खां था । इनका जन्म आगरा शहर में हुआ था। शिक्षा फारसी भाषा में हुई । पहले ये फारसी भाषा में लिखा करते थे । बाद में उर्दू में लिखना प्रारंभ किया और उस भाषा के युग प्रवर्त्तक शायर माने गाए।’दीवाने गालिब’ इनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है ।
प्रश्न 6.
‘जब मेरे गाँव से पहला टोल गया चटकल मजदूरों का’ –
– कवि कौन हैं ? उनके गाँव से चटकल मजदूरों का पहला टोल कहाँ और क्यों गया?
उत्तर :
कवि अरुण कमल हैं।
कवि के गाँव से घटकल मजदूरों का पहला टोल कलकत्ता गया ताकि उन्हे वहाँ के कल-कारखाने में रोजगार मिल सके । आज भी लाखो की संख्या में बिहार के लोग कोलकाता में कहीं न कहीं काम करके अपनी आजीविका चलाते है।
प्रश्न 7.
‘अब भी याद है मुझे वह सुबह’
– कौन किस सुबह की बात कर रहा है ? उसे वह सुबह क्यों याद है ?
उत्तर :
कवि अरुण कमल हावड़ा की पहली सुबह की बात कर रहे हैं|
कवि जब कलकत्ता नहीं गए थे तब उन्होने उसे गाँव में बॉयस्कोप में ही देखा था लेकिन अपनी आँखों से जब हावड़ा पुल के चमकते मस्तूल को उन्होंने पहली बार देखा तो वह दृश्य उन्हें आज भी ज्यों का त्यो याद है ।
प्रश्न 8.
‘मेरे घर से इतनी दूर कि रात को झलके वही तारा बन उड़हुल’
– रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें । पंक्ति का आशय स्पष्ट करें ।
उत्तर :
रचना ‘कलकत्ता’ है तथा इसके रचनाकार अरुण कमल हैं।
कलकत्ता कवि के गाँव से काफी दूर है लेकिन वह उनकी कल्पना में भी रात्रि के समय तारा में उसकी छवि उड़हुल के रूप में देखते हैं।
प्रश्न 9.
‘इतना प्यारा जैसे हाथी गन्ने चूसता’
– यहाँ किसके बारे में कहा जा रहा है ? उसकी विशेषताएँ लिखें ।
उत्तर :
यहाँ कोलकाता के बारे में कहा जा रहा है।
कोलकाता को लंबे समय से अपने साहित्यिक, क्रांतिकारी तथा कलात्मक धरोहरों के लिए जाना जाता है । कोलकातावासियों के मानस पटल पर हमेशा से ही कला और साहित्य के लिए विशेष स्थान रहा है । इसकी पहचान सूजनात्मक उर्जा के शहर के रूप में है । इन्हीं कारणों से कोलकाता को भारत की सास्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है।
प्रश्न 10.
‘बीच चौरंगी पर दौड़ा
और दोनों तरफ ठहर गयी सारी गतियाँ सबकुछ थम’
– बीच चौरंगी पर कौन दौड़ा ? पंक्ति का आशय स्पष्ट करें ।
उत्तर :
बीच चौरंगी पर वह आदिवासी बच्चा दौड़ा जो नंग-धड़ंग था ।
नृपेन्द्र चक्रवर्त्ती की कविता में वर्णित आदिवासी बच्चा जब चौरंगी के बीच दौड़ा तो उसे बचाने के लिए सारा यातायात मानो थम-सा गया । अचानक सभी गाड़ियों की गति एकबारगी रुक गई।
प्रश्न 11.
‘जो गति उसकी वही गति मेरी’
– यह पंक्ति किस पाठ से ली गई है ? पंक्ति का आशय स्पष्ट करें ।
उत्तर :
यह पंक्ति अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ नामक पाठ से ली गई है।
यहाँ कवि उस आदिवासी बच्चे की स्थिति से अपनी तुलना करते हैं जो द्रैफिक की लाल हरी पीली को न समझ अचानक ही दौड़ पड़ा था । कवि को भी इन बत्तियों से उलझन-सी होती है और वे कहते हैं कि हम दोनों की दशा एक जैसी है ।
प्रश्न 12.
‘लंदन, पेइचिग, न्यूयार्क एक बार कोलकाता बार बार बार बार कोलकाता’
– ‘एक बार’ और ‘बार-बार’ का अतंर स्पष्ट करें ।
उत्तर :
कविता की इस पंक्ति में कवि अरुण कमल कहते हैं कि लंदन, पेइचिंग तथा न्यूयार्क शहर को मैं एक ही बार देखना चाहूँगा लेकिन कोलीकाता को बार-बार देखना चाहूँगा । कारण यह है कि कवि के मन में उन शहरों की अपेक्षा कोलकाता का आकर्षण अधिक है।
प्रश्न 13.
‘जब वह कलकत्ता था’ – कलकत्ता तथा कोलकाता में क्या फर्क है ?
उत्तर :
कलकत्ता शहर, भारत के प्राचीनतम शहरों में से है। सन् 1600 ई० में इस शहर की स्थापना की गई और सन् 2001 में इसका नामकरण ‘कोलकाता’ किया गया। कहने का भाव यह है कि कवि ने कलकत्ता को कोलकाता में परिवर्तित होते देखा है।
प्रश्न 14.
‘गालिब की पालकी’ का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
‘गालिब की पालकी’ का तात्पर्य है कि मिर्जा गालिब को अपना वजीफ़ा लेने के लिए बनारस से कोलकाता तक नाव से यात्रा करनी पड़ती थी। और फिर अंग्रेजों के राजदरबार तक जाने के लिए बुढ़ापे के कारण पालकी की सहायता लेनी पड़ती थी। पालकी पर बैठकर कवि भी खुद को गालिब से कम नहीं समझता।
अति लघूतरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कँवि अरुण कमल ब्वार-बार कहाँ जाना चाहते हैं ? क्यों ?
उत्तर :
कवि अरुण कमल बार-बार कोलकाता जाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें बचपन से ही कोलकाता ने बहुत आकर्षित किया है ।
प्रश्न 2.
कवि कब से कोलकाता जा रहे हैं ?
उत्तर :
कवि तब से कोलकाता जा रहे जब लोग उसे कलकत्ता के नाम से जानते थे । आम लोग तो कलकत्ता को बॉयस्कोप में देखकर संतोष कर लेते थे ।
प्रश्न 3.
‘गालिब की पालकी में सजकर गया’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
कीभी गालिब अपने अंतिम दिनों में लाई बेंटिक से वजीफा पाने की उम्मीद में पालकी द्वारा उनके दरबार जाया करते थे । कवि भी पालकी में बैठकर उसी गालिय को याद करते हैं।
प्रश्न 4.
पहली बार अरुण कमल किसके साथ कलकत्ता गए थे ?
उत्तर :
अरुण कमल पहली बार बाबा के साथ उनके कुंधे पर बैठकर कलकत्ता गए थे ।
प्रश्न 5.
पहली बार अरुण कमल किन लोगों के साथ कलकत्ता गए थे ?
उत्तर :
अरुण कमल जब बच्चे थे तो उनके गाँव से चटकल मजदूरों का दल कलकत्ता गया था – कवि भी उन्हीं लोगों के साथ पहली बार कलकत्ता गए थे ।
प्रश्न 6.
कवि को हावड़ा की कौन-सी सुबह आज भी याद है ?
उत्तर :
कवि जब पहली बार हावड़ा आए तो हवड़ा पुल का चमकता हुआ मस्तूल ने उन्हें काफी आकर्षित किया और वह सुबह उन्हें आज भी याद है।
प्रश्न 7.
कवि को रात में कोलकाता किस रूप में नजर आता है ?
उत्तर :
कवि को रात में कोलकाता तारा या उड़हुल के रूप मे नजर आता है
प्रश्न 8.
कवि ने कोलकाता की तुलना किससे की है ?
उत्तर :
कवि ने कोलकाता की तुलना गत्ना चूसते हाथी एव घटी बजाकर दौड़ते हुए दमकल से की है।
प्रश्न 9.
कवि के लिए चौरस्ता पार क्ररना कठिन क्यों है ?
उत्तर :
कोलकाता में तेज रफ्तार वाली गाड़ियों की इतनो भीड़ है कि उन्हे चौरस्ता षार करना कठिन लगता है।
प्रश्न 10.
कवि ने ट्रैफिक की तुलना किससे की है ?
उत्तर :
कवि ने ट्रैफिक की तुलना फुटते नकसीर से की है ?
प्रश्न 11.
कोलकाता के किस कवि ने अपनी कविता में नंग-धड़ंग आदिवासी बच्चे का जिक्र किया है ?
उत्तर :
कोलकाता के नुपेन्द्र चक्रवर्त्ती ने अपनी कविता में नंग-धड़ंग आदिवासी बच्चे का जिक्र किया है ।
प्रश्न 12.
कवि किन शहरों को एक बार और किस शहर को बार-बार देखना चाहते हैं ?
उत्तर :
कवि लंदन, पेइिंग तथा न्यूयॉर्क शहर को एक बार लंकिन कोलकाता को बार-बार देखना चाहते हैं।
प्रश्न 13.
कवि को ट्रैफिक की बत्तिबों को देखकर क्या उलझन होती है ?
उत्तर :
जब कवि ट्रैफिक की लाल, पीली और हरी बत्तियों को देखते हैं तो उन्हे यह उलझन होती है कि न जाने उनमें से कौन-सी बत्ती उनके लिए है ।
प्रश्न 14.
अरुण कमल की कौन सी कविता आपकी पाठच-पुस्तक में संकलित है ?
उत्तर :
अरुण कमल की ‘कलकत्ता’ कविता हमारी पाठ्य-पुस्तक में सकालत है।
प्रश्न 15.
‘बार-बार, सौ बार कोलकाता जाऊँगा’ से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि कवि कि तनी ही बार कालकाता जाएँ, उनका मन ऊबने वाला नहीं है।
प्रश्न 16.
‘मैं वहाँ बाबा के कंधों पर बैठ कर गया’ – कौन, कहाँ बाबा के कंधों पर बैठ कर गया?
उत्तर :
अरुण कमल पहली बार बचपन में अपने दादा के कंधों पर बैठ कर कलकता आए थे।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
अरुण कमल का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) बिहार
(ख) बंगाल
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) महाराप्र
उत्तर :
(क) बिहार ।
प्रश्न 2.
अरुण कमल पेशे से हैं :
(क) व्यापारी
(ख) डॉक्टर
(ग) वकील
(घ) प्रध्यापक
उत्तर :
(घ) प्रध्यापक ।
प्रश्न 3.
अंग्रेजी-काव्य-संग्रह जो अरुण कमल द्वारा रचित है :
(क) वायसेज
(ख) डेफोडिल्स
(ग) सोल्जर
(घ) आर्मस् एव मैन
उत्तर :
(क) वायसेज ।
प्रश्न 4.
अरुण कमल का पहला काव्य-संग्रह कौन-सा है ?
(क) नये इलाके में
(ख) अपनो कवल धार
(ग) सबूत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
अपनी केवल धार ।
प्रश्न 5.
अरुण कमल का दूसरा काव्य-संग्रह कौन-सा है ?
(क) सबूत
(ख) नये इलांक में
(ग) अपनी केवल धार
(घ) इनमें से कांड नहीं
उत्तर :
(क) सबूत ।
प्रश्न 6.
अरुण कमल का तीसरा काव्य-संग्रह कौन-सा है ?
(क) सबूत
(ख) नये इलाके में
(ग) अपनी केवल धार
(घ) इनमें से कोई नहीं
‘उत्तर :
(ख) नये इलाके में ।
प्रश्न 7.
‘अपनी केषल धर’ का प्रकाशच्व-वर्ष क्या है ?
(क) सन् 1980
(ख) सन् 1981
(ग) सन् 1982
(घ) सन् 1983
उत्तर :
(क) सन् 1980 ।
प्रश्न 8.
‘सबूत’ का च्रकाशन-ष्ये चापा है ?
(क) सन् 1988
(ख) सन् 1989
(ग) सन् 1990
(घ) सन् 1991
उप्तर :
(ख) सन् 1989 ।
प्रश्न 9.
किपलिंग की ‘अगल बुक’ के अनुवादक कौन हैं ?
(क) पाश
(ख) कैफ़ी आज़ामी
(ग) धर्मवीर भारती
(घ) अरुण कमल
उत्तर :
(घ) अरुण कमल ।
प्रश्न 10.
अरुण कमल को उनके किस काव्य-संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला?
(क) सबूत
(ख) नये इलाके में
(ग) अपनी केवल धार
(घ) जागल-लुक
उत्तर :
(ख) नये इलाके में ।
प्रश्न 11.
अरुण कमल को निम्न में से कौन-सा पुरस्कार नहीं मिला ?
(क) पद्म भूष्षण
(ख) भारत भूक्षण अश्रवाल पुरस्कार
(ग) सोवियत भूमि नेहरु पुरस्कार
(घ) श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार
उक्षर :
(क) पद्म भूषण ।
प्रश्न 12.
अरुण कमल को निम्न में से कौन-सा पुरस्कार नहीं मिला ?
(क) रधुवीर संहाय स्मृति पुरस्कार
(ख) कबीर सम्मान
(ग) शमशेर सम्मान
(घ) साहित्य अकादमी पुरस्कर
उत्तर :
(क) कबीर सम्मान ।
प्रश्न 13.
‘कविता और समय’ (आलोचना) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) अरुण कमल
(ख) शमशेर
(ग) प्रेमचंद
(घ) धर्मवीर भारती
उत्तर :
(क) अरुण कमल ।
प्रश्न 14.
‘गोलमेज’ (आलोचना) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) दिनकर
(ख) अरुण कमल
(ग) धर्मवीर भारती
(घ) कुँवर नारायण
उत्तर :
(ख) अरुण कमल।
प्रश्न 15.
‘कलकत्ता’ कविता के रचनाकार हैं।
(क) प्रेमचंद
(ख) धर्मवीर भारती
(ग) चंद्रकांत देवताले
(घ) अरुण कमल
उत्तर :
(य) अरुण कमल ।
प्रश्न 16.
‘कलकत्ता’ कविता में बंगाल के किस कवि का नाम आया है ?
(क) शततचंद्र
(ख) नुपेन्द्र चक्रवर्ती
(ग) रवीन्द्र नाथ ठाकुर
(घ) काजी नजरुल इस्लाम
उत्तरं :
(ख) नृपेन्द्र चक्रवर्ती ।
प्रश्न 17.
अरुण कमल बार-बार कहाँ जाना चाहते हैं ?
(क) लंदन
(ख) पेइचिंग
(ग) कलकत्ता
(घ) न्यूयार्क
उत्तर :
(ग) कलकत्ता ।
प्रश्न 18.
अरुण कमल कितनी बार कोलकाता जाने की बात करते हैं ?
(क) पचास बार
(ख) सौ बार
(ग) दो सौ बार
(घ) तीन बार
उत्तर :
(ख) सौ बार ।
प्रश्न 19.
अरुण कमल कब से कोलकाता जा रहे हैं ?
(क) जब वह कोलकाता था
(ख) जब वह सूतानाटी था
(ग) जब वह कोलिकाता था
(घ) जब वह कलकत्ता था
उत्तर :
(घ) जब वह कलकत्ता था।
प्रश्न 20.
पहली बार अरुण कमल किसके कंधे पर कलकत्ता गए ?
(क) भाई के
(ख) बाबा के
(ग) पिता के
(घ) नौकर के
उत्तर :
(ख) बाबा के ।
प्रश्न 21.
अरुण कमल कलकत्ता में कहाँ गए थे ?
(क) धर्मतल्ला
(ख) दक्षिणेश्वर काली
(ग) महिषादल
(घ) कालीघाट
उत्तर :
(ग) महिषादल ।
प्रश्न 22.
गालिब कौन थे ?
(क) उपन्यासकार
(ख) शायर
(ग) कहानीकार
(घ) नाटककार
उत्तर :
(ख) शायर ।
प्रश्न 23.
हावड़ा की किस चीज ने कवि को आकर्षित किया ?
(क) हावड़ा पुल
(ख) विद्यासागर सेतु
(ग) सूती-वस्त्र कारखाना
(घ) हावड़ा स्टेशन
उत्तर :
(क) हावड़ा पुल ।
प्रश्न 24.
कवि ने कोलकाता की तुलना इनमें से किससे नहीं की है ?
(क) तारा
(ख) कमल
(ग) दमकल
(घ) उड़हुल
उत्तर :
(ख) कमल।
प्रश्न 25.
कवि ने कोलकाता की तुलना डुनमें से किससे नहीं की है ?
(क) हाथी
(ख) तारा
(ग) गुलाब
(घ) उड़हुल
उत्तर :
(ग) गुलाब।
प्रश्न 26.
अरुण कमल कोलकाता में अपने को किस रूप में पाते हैं ?
(क) यात्रो
(ख) पर्यटक
(ग) बेसहारा पैदल राहगीर
(घ) साहित्यकार
उत्तर :
(ग) बेसहारा पैदल राहगीर ।
प्रश्न 27.
‘सृष्टि के समस्त छंदों’ किसे कहा गया है ?
(क) मेट्रो ट्राम से लेकर हाथ रिक्शे तक को
(ख) कलकत्ता से कौलकाता तक को
(ग) गाँच से महिषादल तक को
(घ) गंगा से सागर तक को
उत्तर :
(क) मंट्रो ट्राम से लेकर हाथ रिक्शे तक को।
प्रश्न 28.
‘कलकत्ता’ कविता में ‘बेसहारा पैदल राहगीर’ कौन है ?
(क) सड़क पर चलने वाला
(ख) कवि
(ग) मेट्रो ट्रेन
(घ) हाथ-रिक्शा
उत्तर :
(ख) कवि ।
प्रश्न 29.
‘आदिवासी बचचे’ का चित्रण किसकी कविता में किया गया है ?
(क) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
(ख) अरुण कमल
(ग) नृपेन्द्र चक्रवर्तो
(घ) कैफी आजमी
उत्तर :
(ग) नृपेन्द्र चक्रवर्ती ।
प्रश्न 30.
‘जो गति उसकी वही गति मेरी’ – किसकी गति की तुलना किससे की गई है ?
(क) ट्राम की तुलना हाथ-रिक्शे से
(ख) आदिवासी बच्चे की तुलना कवि से
(ग) कवि की तुलना आदिवासी बच्चे से
(घ) हाथी की तुलना दमकल से
उत्तर :
(ख) आदिवासी बच्चे की तुलना कवि से ।
प्रश्न 31.
कवि को हावड़ा की कौन-सी चीज अब भी याद है ?
(क) हावड़ा स्टेशन की चहल-पहल
(ख) हावड़ा में चलनं वाले हाथ रिक्शे
(ग) हावड़ा के पुल का मस्तूल
(घ) विद्यासागर सेतु का मस्तूल
उत्तर :
(ग) हावड़ा के पुल का मस्तूल।
प्रश्न 32.
‘जो गति उसकी’ में किसकी गति के बारे में कहा गया है ?
(क) काव की गति के बारे में
(ख) ट्राम की गति के बारे में
(ग) आदिवासी बच्चे की गति के बारे में
(घ) हाथ-रिक्शा की गति के बारे में
उत्तर :
(ग) आदिवासी बच्चे की गति के बारे में ।
प्रश्न 33.
‘वही गति मेरी’ में मेरी से कौन संकेतित है ?
(क) कवि
(ख) आदिवासी बच्चा
(ग) ट्रैफिक
(घ) कोलकाता
उत्तर :
(क) कवि।
प्रश्न 34.
कवि के गाँव से किसका पहला दल कलकत्ता गया ?
(क) कवियों का
(ख) चटकल मजदूरों का
(ग) हाथियो का
(घ) दमकल का
उत्तर :
(ख) चटकल मजदूरों का ।
प्रश्न 35.
‘चौरंगी’ क्या है ?
(क) चौराहा
(ख) कोलकाता का एक स्थान
(ग) चार रंगों वाला
(घ) कोलकाता का पुराना नाम
उत्तर :
(ख) कोलकाता का एक स्थान ।
प्रश्न 36.
सरकारी तौर पर कलकत्ता का नामकरण ‘कोलकाता’ कब किया गया ?
(क) सन् 2000 में
(ख) सन् 1900 में
(ग) सन् 2001 में
(घ) सन् 2005 में
उत्तर :
(ग) सन् 2001 में ।
टिप्पणियाँ
1. कलकत्ता/कोलकाता :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है।
कोलकाता भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवाँ सबसे बड़ा बदरगाह है। इस शहर का इतिहास अन्यंत प्राचीन है । इसक आधुनिक स्वरूप का विकास अग्रेज एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा हुआ है । भारत के प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का बहुत अधिक महत्व है ।
2. बॉयस्कोप :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है ।
बॉयस्कोप बॉंवस की तरह का एक यंत्र होता है जिसमें लंस लगा होता है। अंदर एक पट्टी पर आकर्षक चित्र चिपकाए रहते हैं जिन्हें एक हैंडल की सहायता से लेंस के सामने से गुजारा जाता है तथा चित्र आकर्षक दिखाई देते हैं। पहले बॉयस्कोप दिखाने वाला गा-गाकर चित्रों के बारे मे बताता था। आगे चलकर इसके साथ ग्रामाफोन भी लागाया जाने लगा जिससे गाने सुनाए जाते थे ।
3. गालिब :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है ।
उर्दू के विख्यात कवि/शायर गालिय का पूरा नाम मिर्जा असदुल्ला खां था । इनका जन्म आगरा शहर में हुआ था। शिक्षा फारसी भाषा में हुई । पहले ये फारसी भाषा में लिखा करते थे । बाद में उर्दू में लिखना प्रारंभ किया और उस भाषा के युग प्रवर्तक शायर माने गाए।’दीवाने गालिब’ इनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है।
4. हावड़ा :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है ।
हावड़ा पश्चिम बगाल का एक प्रमुख शहर है । हावड़ा तथा कोलकाता के बीच में गंगा बहती है। कोलकाता आने वाले प्राय: हावड़ा रेलवे जंक्शन पर ही उतरते हैं । हावड़ा से पूरे देश के लिए रेलगाड़ी है । यहाँ विभिन्न प्रकार के इजीनियरिंग उद्योग, जूते तैयार करने के कारखाने, होजरी उद्योग तथा चाय विक्रय केन्द्र हैं।
5. हावड़ा पुल :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है ।
हावड़ा तथा कोलकाता को जोड़ने वाला पुल ही हावड़ा पुल है । अब इसका नाम बदलकर ‘रवींद्र सेतु’ कर दिया गया है । हावड़ा स्टेशन से बाहर निकलते ही हावड़ा पुल एक अनोखा दृश्य उपस्थित करता है । इससे थोड़ीदूरी पर नया पुल ‘विद्यासागर सेतु’ बनाया गया है । इसके बनने से हावड़ा पुल पर यातायात का भार काफी कम हुआ है।
6. गंगा :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कवित्ता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है ।
कोलकाता में गंगा नदी की शाखा हुगली होने से इसका धार्मिक महत्व बढ़ गया है । गंगा तट पर एक और दक्षिणेश्वर का मंदिर है तो दूसरी और बेलूर मठ कोलकाता का विशेष धार्मिक स्थान है ।
7. चटकल :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है।
पहले सारे कार्य मानव-शक्ति से ही होते थे । आगे चलकर इनका स्थान भाप से फिर बिजली से चलनेवाली मशीनों ने ले लिया। इन मशीनों से चटपट कार्य हो जाने के कारण आगे चलकर कारखाने के पर्याय के रूप में चटकल शब्द का हीं प्रचलन हों गया । चटकल शब्द का प्रयोग बंगाल में पाट कारखाने के लिए भी होता है।
8. सत्तू :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है ।
सतू चने से बना खानेवाली सामग्री है । इसे पानी तथा नमक के साथ मिलाकर खाया जाता है। इससे अनेक प्रकार के व्यजन बनाए जाते हैं । सस्ता, स्वाध्यवर्धक तथा शक्तिप्रदान करनेवाले भोजन के रूप में यह पहले मजदूरों के बीच काफी प्रचल्चलत था ।
9. उड़हुल :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है।
उडहुल एक प्रकार का फूल है । बंगाल में यह काफी लोकप्रिय है क्योंकि यह माता काली को काफी प्रिय है। वैसे तो उड़हुल कई प्रकार के होते हैं लेकिन लाल रंग के उड़हुल का तंत्र-विद्या में काफी महत्व है । लाल उड़हुल को ‘रक्तजावा’ के नाम से भी जाना जाता है।
10. खलिहान :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है।
खलिहान उस स्थान को कहते हैं जहाँ खेत से पकी फसल को लाकर जमा किया जाता है। फिर यहाँ बैल या मशीन की सहायता से फसल से अनाज के दाने अलग किए जाते हैं । कहीं-कहीं गाँवों में सार्मूहिक खलिहान भी तैयार किए जाते हैं।
11. मेट्रो :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है ।
भारतीय रेल द्वारा संचालित मेट्रो कोलकाता में सबसे पुरानी भूमिगत यातायात म्रणाली है। ट्राम सेवा कैल्कटा ट्रामवेज कपनी द्वारा सचालित है । बढ़ती जनसख्या तथा आवागमन के सस्ते साधन के कारण कोलकाता मेट्रों रेलवे से शहर को काफी राहत मिला है ।
12. हाथ-रिक्शा :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकता’ से लिया गया है।
हाथ-रिकशा कोलकाता का प्रमुख आकर्षण है । यह रिकशा हाथ से खींचा जाता है । इसका ग्रचलन अंग्रेजों के समय से ही है । मानवीयता की दृष्टि से अब इस हाथ-रिक्शे पर रोक लगाया जा रहा है ।
13. छंद :- प्रस्तुत शव्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्रा’ से लिया गया है।
मात्रा, वर्णसख्या, विराम, गति अथवा लय या तुक आदि के नियमों से युक्त रचना को ‘बन्दू’ या ‘पद्ग’ कहते हैं। छंद के घार भेद हैं – वर्णवृन, मात्रिकवृत्त, अभयवृत्त तथा स्वच्छंद या मुक्त वृत्त।
14. चौरस्ता :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है।
चौरस्ता के लिए ‘चौराहा’ शब्द का भो प्रयोग किया जाता है । जहाँ पर चार सड़कें आकर एक जगह मिलती हैं उसे चौरस्ता कहते हैं। चौरस्ते पर गाड़ययों के आने-जाने के लिए ट्रैफिक साधनो तथा नियमों को प्रयोग में लाया जाता है।
15. नकसीर :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल को कविता ‘कलकत्ता’ से अचानक ही लिया गया है।
नकसीर एक प्रकार की बीमारी है। इसमें अक्सर नाक से रक्त निलकना शुरू हो ज्ञाता है।
16. ट्रैफिक :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल को कविता ‘कलकता’ से लया गया है।
ट्रैफिक गाड़ियों के आन-जान (आवागमन) को कहते हैं । दुर्घटनारहित आवागमन के लिए ट्रॉफिक के नियम बनाए गए हैं जिनका पालन सभी को करना होता है। रूकने, तैयार रहने तथा आगे बढ़ने के लिए क्रमशः लाल, नारंगी एवं हरो रंग की बत्तियों का प्रयोग किया जाता है ।
17. आदिवासी :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ सं लिया गया है ।
आदिवासी का अर्थ ही है प्रारंभिक काल से रहनेवाले । वैसी जातियाँ जो मानव-सभ्यता के प्रारभिक काल से ही जंगलों में अपनी भाषा तथा रीति-रिवाज के साथ रहते आए है उन्हें आदिवासी कहते हैं। आज भी कई ऐसी आदिवासी जातियाँ है जिनकी अपनी ही दुनिया है तथा इनका संपर्क बाहरी दुनिया से नही है । अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए ये पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर रहते हैं।
18. नृपेन्द्र चक्रवर्त्ती :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकक्ता’ से लिया गया है।
साठ के दशक में भूखी पोढ़ी (हंगरी जनरेशन) नाम के साहित्यिक आदोलनकारियों ने अपनी लंखनी से पूरे कालकाता शहर को हिला दिया था। इनके चर्चे विंदेशों तक जा पहुँचे थे। नृपन्द्र चक्रवर्तो इन्हीं साहित्यकारों में से एक थे
19. लंदन :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल को कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है।
लंदन संयुक्त राजशाही तथा इग्लैंड की राजधानी है । आज यह्न विश्व का प्रमुख सांस्कृतिक एवं व्यावसायिक केन्द्र है। राजनीति, शिक्षा, मनोरजन, मीडिया, फैशन तथा कला के क्षेत्र में यह विश्व में प्रमुख स्थान रखता है ।
20. पेइचिंग :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकता’ से लिया गया है।
यह जापान का एक प्रमुख पारंपरिक शहर है जो समुराई योद्धाओं के लिए भी विख्यात है। संस्कृति के मामले में ये किसी के साथ कोई समझौता करना पसंद नहीं करते हैं ।
21. न्यूयार्क :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल की कविता ‘कलकता’ से लिया गया है।
यह अमेरिका का सबसे बड़ा और प्रमुख नगर है । यह विश्व का एक प्रमुख महानगर है और विश्व व्यापार, वाणिज्य, सस्कृति, फैशन और मनारंजन पर इसका बहुत प्रभाव है । विशाल बंदरगाहवाले इस महानगर में पाँच प्रशासनिक इकाइयाँ हैं ।
22. भेरी :- प्रस्तुत शब्द अरुण कमल को कविता ‘कलकत्ता’ से लिया गया है।
एक प्रकार का वाद्ययंत्र जिसे युद्धभूमि में सैनिकां का उत्साह बढ़ाने के लिए बजाया जाता था, भेरी कहते थे। कोलकाता में गाड़ियों के इतन सारे हॉन्न एक साथ बज उठने पर एसा प्रतीत होता है मानो युद्ध भूमि में भेरी बज रही हो।
पाठ्याधारित व्याकरण
WBBSE Class 9 Hindi कलकत्ता Summary
कवि परिचय
अरुण कमल का जन्म 15 फरवरी, 1954 ई० को बिहार के रोहतास जिले के नासरीगंज गाँव में हुआ था। इनकी पहचान हिंदी कवि तथा साहित्यिक निबंधकार के रूप में है । अरुण कमल आधुनिक काल के उन कवियों में अपना प्रमुख स्थान रखते हैं जिन्होंने मध्यम एवं निम्नवर्ग की समस्याओं, उनके जीवन-यथार्थ को अपनी कविताओं का विषय बनाया है। भाषा सहज एवं बोधगम्य होने के कारण पाठकों को आकर्षित करती हैं।
अरुण कमल की रचना-संसार का परिचय इस प्रकार है –
कविता-संग्रह : ‘अपनी केवल धार’, ‘सबूत’, ‘नए इलाके’, ‘पुतली में’ ।
अनुवाद : रूसी कवि तोहू की कविताओं का अनुवाद, किपलिंग की पुस्तक ‘जंगल बुक’ का अनुवाद ।
अंग्रेजी कविता-संकलन : ‘वापसेज’ ।
साक्षात्कार : केथोपकथन ।
आलोचना : ‘कविता और समय’, ‘गोलमेज’ ।
पुरस्कार : भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार, सोवियत भूमि नेहरु पुरस्कार, श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार, रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार, शमशेर सम्मान तथा कविता-संग्रह ‘नए इलाके’ के लिए वर्ष 1998 का साहित्य अकादमी पुरस्कार ।
ससंदर्भ आलोचनात्मक व्याख्या
1. जाऊँगा मैं जाऊँगा कोलकाता जाऊँगा
बार बार सौ बार कोलकाता जाऊँगा
मैं वहाँ तब से जा रहा हूँ जब वह कलकत्ता था
तब से जब वह बॉयस्कोप के भीतर था
मैं वहाँ बाबा के कंधे पर बैठकर गया
मैं वहाँ गालिब की पालकी में सजकर गया
जब मेरे गाँव से पहला टोल गया चटकल मजदूरों का
सत्तू की गठरी पीठ पर लादे मैं भी गया महिषादल तक
अब भी याद है मुझे वह सुबह जब मैं हावड़ा में उतरा
और चमके हावड़ा पुल के मस्तूल
शब्दार्थ :
- कल = कोलकाता का पुराना नाम ।
- बाबा = दादा ।
- गालिब = उर्दु के प्रसिद्ध कवि/शायर ।
- पालकी = आवागमन का पुरान धधन जिसके अंदर लोग बैठते थे तथा दो-चार व्यक्ति उसे कंधे पर उठाकर चलते थे ।
- टोल = झुंड ।
- चटकल = चट कार्य करनेवाला मशीन (पाट के कारखाने को भी चटकल कहा जाता है।)
- महिषादल = बंगाल का एक स्थान ।
- वड़ा = बंगाल का प्रसिद्ध स्थान – यहीं पर विश्वविख्यात हावड़ा पुल है जो गंगा नदी पंर बना है ।
- मस्तूल = ऊपरी सिरा ।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कलकत्ता शहर ने अरुण कमल को काफी आकर्षित व प्रभावित किया है । वे उन दिनो को याद करते हैं जब वे पहली बार कलकत्ता गए थे । उस समय उसका नाम कोलकाता नहीं बल्कि कलकत्ता था । यह उन दिनों की बात है जब सिनेमा की जगह बच्चों के लिए बॉयस्कोप ही मनोरंजन का प्रमुख साधन था तथा बॉयस्कोप दिखानेवाले अपने बॉंयस्कोप में कलकत्ता के प्रसिद्ध स्थानों का चित्र लगाना नहीं भूलते थे । कवि को अच्छी तरह याद है कि पहली बार कोलकाता अपने बाबा के कंधे पर बैठकर गए थे । उन्होंने पालकी की सवारी का भी आनंद उठाया था । पालकी पर बैठकर उन्हें गालिब की याद आई ।
यह उन दिनों की बात है जब उनके गाँव का पहला दल रोजी-रोटी की तलाश में कलकत्ता गया था कवि भी अपनी पीठ पर सत्तू की गठरी लादे उन लोगों के साथ महिषादल तक गए थे। सुबह-सुबह जब वे हावड़ा पहुँचे तो उन्हें हावड़ा पुल के चमकते मस्तूल ने अपनी ओर आकर्षित किया था। यह आकर्षण आज भी ज्यों का त्यों है, इसलिए कवि बारबार कलकत्ता जाने के प्रण को दुहराते हैं।
काव्यगत विशेषताएँ :
1. प्रस्तुत अंश में कवि के बचपन तथा कलकत्ता की पहली यात्रा का वर्णन कुछ इस तरह किया है कि दोनों को एक-दूसरे से अलग करके देखना संभव नहीं है।
2. ‘कलकत्ता’, बॉयस्कोप, गालिब की पालकी, चटकल तथा महिषादल जैसे शब्द न केवल कलकत्रा की पाचीनता को दर्शाते है बल्कि उसकी साहित्यिक, सांस्कृतिक वैभव के साथ उसके आर्थिक महत्व को भी दर्शाते हैं।
3. कलकत्ता शहर का जो वर्णन कवि ने किया है वह उनके निजी अनुभव पर आधारित है।
4. कविता की भाषा सरल होते हुए भी आकर्षक है।
2. इतना पास कोलकाता
गंगा में समाया हुआ सागर का अवक्षेप धरती में कंदमूल
मेरे घर से इतनी दूर कि रात को झलके वही तारा बन उड़हुल
इतना प्यारा जैसे हाथी गन्रे चूसता कोई दमकल घंटी बजाता दौड़ता
अब भी याद है मुझे वो दिन जब मैं कलकत्ता की सड़को पर
खेत खलिहान के पाँवों से चला लाठी भर जगह छेकता
शब्दार्थ :
- सागर = समुद्र ।
- अवक्षेप = अवशिष्ट (बचा हुआ) पदार्थ ।
- कदमूल = पौधे का जमीन के अंदर का वह हिस्सा जिसे खाया जाता है ।
- उड़हुल = एक प्रकार का फूल जो बंगाल में ‘जावा’ के नाम से जाना जाता है ।
- खलिहान = वह स्थान जहाँ तैयार फसल से अनाज के दाने अलग किए जाते हैं ।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कवि यह महसूस करते हैं कि कोलकाता आज भी उनके दिल के इतने करीब है जैसे गगा में सागर का अवक्षेप हो या धरती के जितने करीब कंदमूल है । भले ही कोलकाता कवि के घर से काफी दूर है लेकिन यही कोलकाता रात में आकाश में तारा के रूप में उड़हुल बनकर चमकता है । कवि को कोलकाता का सौंदर्य, उसका भोलापन ऐसा लगता है मानो हाथी गन्ना चूस रहा हो या फिर कोई दमकल सड़क पर अपनी घंटी की सुरीली आवाज बिखेरता चला जा रहा हो । उन दिनों की याद आज भी ताजी है जब कवि खेत-खलिहानों में चलनेवाले पाँवों से कलकत्ता की सड़को पर एक लाठी भर जगह को घेरता हुआ नंगे पाँव चलता था ।
काव्यगत विशेषताएँ :
1. प्रस्तुत अंश में कवि के बचपन तथा कलकत्ता की पहली यात्रा का वर्णन कुछ इस तरह किया है कि दोनों को एक-दूसरे से अलग करके देखना संभव नहीं है।
2. कवि कोलकाता से अपने-आप को इतना निकट महसूस करते हैं जैसे गंगा में सागर का अवक्षेप या धरती के अंदर कंदमूल ।
3. कोलकाता के भोलेपन तथा उसके संगीत-प्रेम की तुलना गत्ना चूसते हाथी तथा दमकल की घंटी से किया गया है।
4. कवि ने कोलकाता की धरती को भी इतनी ही निकटता से जाना है जितनी निकटता से अपने गाँव के खेतखलिहान को ।
5. कलकत्ता शहर का जो वर्णन कवि ने किया है वह उनके निजी अनुभव पर आधारित है।
6. कविता की भाषा सरल होते हुए भी आकर्षक है ।
3. एक बार फिर मैं बूँढ़ा हूँ अपनी चाल अपनी
गति दुनिया की समस्त गतियों के मध्य
मेट्रो ट्राम से लेकर हाथ रिक्शे तक सृष्टि के समस्त
छंदों के मध्य अपना छंद ढूँढता
मैं एक बेसहारा पैदल राहगीर वो जगह दूँढ़ रहा हूँ
जहाँ से पार कर सकूँ यह चौरस्ता
शब्दार्थ :
- समस्त = सभी ।
- गतियों = रफ्तारों ।
- मध्य = बीच ।
- मेट्रो = जमीन के अंदर चलने वाली रेलगाड़ी।
- ट्राम = सड़कों पर पटरी पर रेलगाड़ी की तरह बिजली से चलनेवाली गाड़ी।
- हाथ रिक्शे=वह रिक्शा जिसे पैडल मारकर नहीं बल्कि दाथ से खींचा जाता है ।
- सृष्टि = प्रकृति ।
- छंदों = कविता लिखने की शैली ।
- बेसहारा = बिना सहारे के ।
- राहगीर = राह में चलनवाला ।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कविता के इस अंश में कवि कहते हैं कि आज कोलकाता में पाचीन से लेकर नवीन गति वाले यातायात के साधन मौजूद हैं । जहाँ एक ओर धीमी गति से चलने वाले हाथ रिक्शे हैं वहीं दूसरी और तेज गति से चलनेवाले मेट्रो भी मौजूद हैं । इन सारी रफ्तारों के बीच कवि अपनी रफ्तार का तालमेल बिठाना चाहते हैं। वे इन सारे छंदों में अपने छंद को ढूंढ़ेते हैं । इस तेज रफ्तारवाले शहर में पैदल चलनेवाले बेसहारा राहगीर हैं तथा उस जगह की खोज कर रहे हैं जहाँ से वे चौराहे को पार कर सकें । कहने का भाव यह है कि तब के कलकत्ता और आज के कोलकाता की रफ्तार में काफी अंतर आ चुका है । इतनी सारी तेज रफ्तार गाड़ियों के बीच एक पैदल चलनेवाला राहगीर चौराहे को पार करने में अपने को बेसहारा पाता है।
काव्यगत विशेषताएँ :
1. कविता के इस अंश में कलकत्ता तथा कोलकाता के बीच आए रफ्तार की तुलना की गई है ।
2. कोलकाता – नाम भले ही नया हो लेकिन आज भी यहाँ पुराने और नए का अद्भुत सामंजस्य देखने को मिलता है।
3. हाथ रिव्शा प्राचौनता का तो ट्राम और ट्रैफिक की लाल-हरी-पोली बत्तियाँ आधुनिकता की प्रतीक हैं।
4. कलकत्ता शहर का जो वर्णन कवि ने किया है वह उनके निजी अनुभव पर आधारित है।
5. कविता की भाषा सरल होते हुए भी आकर्षक है ।
4. लंदन पेइचिंग न्यूयॉर्क एक बार
कोलकाता बार बार बार बार कोलकाता ।
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ अरुण कमल की कविता ‘कलकत्ता’ से ली गई हैं।
व्याख्या : कविता के इस अंश में कवि यह कहना चाहते हैं लंदन, पेइचिंग तथा न्यूयार्क विश्वप्रसिद्ध हैं जिन्हें एक बार देख लेने पर पुन: देखने की इच्छा मिट जाती । लेकिन कोलकाता ऐसा शहर है जहाँ बार-बार जाने के बाद भी वहाँ से मन नहीं ऊबता । वहाँ बार-बार जाने को मन करता है । इसलिए कवि बार-बार कोलकाता जाने की दृढ़ इच्छा प्रकट करते हैं।
काव्यगत विशेषताएँ :
1. कवि को कोलकाता का सौदर्य लंदन, पेइघिंग तथा न्यूयार्के से भी अच्छा लगता है ।
2. हाथरिक्शा प्राचीनता का तो ट्राम और ट्रैफिक की लाल-हरी-पीली बत्तियाँ आधुनिकता की प्रतीक हैं।
3. कलकत्ता शहर का जो वर्णन कवि ने किया है वह उनके निजी अनुभव पर आधारित है।