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WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण अव्यय
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर :-
प्रश्न 1.
अविकारी या अव्यय शब्द से आप क्या समझते हैं ?
उत्तरः
अविकारी या अव्यय शब्द :- अविकारी या अव्यय शब्द वे हैं जिनमें कोई विकार या परिवर्तन नहीं होता है । इनमें लिंग, वचन, कारक तथा काल के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता। जैसे-हाथी जल्दी-जल्दी चलता है। वह कदापि नहीं आएगा। इसमें ‘जल्दी-जल्दी’ और कदापि’ दोनों अविकारी शब्द हैं।
प्रश्न 2.
अविकारी शब्द कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तरः
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया एवं क्रिया-विशेषण के अतिरिक्त भी हिन्दी में विशाल शब्द राशि है, जिनका प्रयोग वाक्यों के अन्वय में अनिवार्य रूप से घटित होता रहता है । यही नहीं, उनमें ऐसे भी शब्द सम्मिलित हैं जो वाक्य को विचित्र स्कूर्ति प्रदान करते है, वाक्यों को चमत्कारपूर्ण बनाकर भावों में मनोहारिता भरते हैं। इसके अन्तर्गत तीन प्रकार के शब्द आते हैं –
- अव्यय रूप संयोजक, आवेगसूचक एवं आलंकारिक शब्दावली
- वाक्य में अन्वय सूचक शब्दावली
- सापेक्ष शब्द युग्म
प्रश्न 3.
अव्यय रूप संयोजक, आवेगसूचक तथा आलंकारिक शब्दावली से आप क्या समझते हैं ?
उत्तरः
अव्यय रूप संयोजक, आवेग सूचक एवं आलंकारिक शब्दावली :- ये सब शब्द वाक्य में शब्द एवं वाक्य-समूह के संयोजन में, मन के आवेग के अनुरूप उच्चारण में एवं वाक्य के अलंकरण (सुंदरता बढ़ाने में) में अद्दुत रूप से उत्कर्ष लाते हैं। इनमें प्रथम अव्यय रूप संयोजक है जिसमें निम्नलिखित प्रकार के शब्द सन्निविष्ट हैं –
- संयोजक
- वियोजक
- संकोचक
- हेतुबोधक
- सिद्धान्तमूलक
- क्रिया-विशेषक तथा
- व्यतिरेकात्मक।
प्रश्न 4.
संयोजक शब्द का परिचय दें ।
उत्तरः
संयोजक शब्द :- ये एकाधिक शब्दों, वाक्यांशों अथवा वाक्यों का संयोजन करके उन्हें वृहत्तम करते हैं। इनमें प्रमुख हैं – और, तथा, एवं आदि ।
- इंग्लैण्ड तथा अमेरिका आतंकवाद का अन्त चाहते हैं।
- पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी अभियान का खुले जगत् में समर्थन करता है साथ ही अपनी सीमा में विभिन्न आतंकवादी संगठनों को प्रशिक्षण भी दिलवाता है ।
- आतंकवाद में जन्मा और आतंकवाद में फला-फूला समुदाय कभी किसी दशा में आतंकरहित नहीं रह सकता।
- आतंकवाद का अन्त होगा एवं बहुत शीघ्र ही होगा ।
- आतंकवादी दूसरों को आतंकित करते हैं उसी तरह स्वयं भी अपने में ही आतंकित रहते हैं।
प्रश्न 5.
वियोजक शब्द क्या है ? सोदाहरण समझाएँ ।
उत्तरः
वियोजक शब्द :- ये एकाधिक शब्दों, वाक्यांशों अथवा वाक्यों में विकल्प बताकर उन्हें एक-दूसरे से पृथक् करते हैं । इनमें प्रमुख है – या, वा, अथवा ।
- तुम अपने देश की संप्रभुता की रक्षा करो या अपनी सीमा के अन्तर-बाहर जी-हजूरी करो।
- मनुष्यों जैसा आचरण अथवा पशुओं जैसी आचरण अपनाने में आज का मनुष्य स्वतंत्र है।
- तुम्हारी मौत का रास्ता तुम चुनो या तुम्हारी मौत ही चुने ।
- विकास वा विनाश अवश्यम्भावी है।
प्रश्न 6.
संकोचक शब्द के क्या कार्य हैं ?
उत्तरः
संकोचक शब्द :- ये एकाधिक शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों में से उत्तर द्वारा पूर्व के अर्थ को सीमित या संकोचित करते हैं । इनमें प्रमुख हैं – किन्तु, परन्तु, लेकिन, मगर आदि ।
- इंग्लैण्ड और अमेरिका अब आतंकवाद का अन्त चाह रहे हैं, किन्तु अब भी वे दूसरों को माध्यम बनाकर ही अपना उल्लू सीधा करने के फेर में हैं ।
- सरकारी अनुमान के अनुसार इस वर्ष गेहूँ की उपज कम होगी, परन्तु सरकार आयात करने के पक्ष में नहीं है।
- जाओ मगर आओ भी ।
- हम देश की सेवा के लिए उद्यत हैं, लेकिन परिस्थितियों से अवरुद्ध होने के लिए बाध्य हैं।
प्रश्न 7.
हेतुबोधक शब्द की उपयोगिता क्या है ?
उत्तरः
हेतुबोधक शब्द :- ये एक शब्द, वाक्यांश या वाक्य द्वारा दूसरे शब्द, वाक्यांश या वाक्य की कारणता बताते हैं । इनमें कारण, क्योंकि, चूँकि, ताकि, कि इत्यादि प्रमुख हैं ।
- इस बयान पर हस्ताक्षर करता हूँ, ताकि आपको समय पर काम आए ।
- मैं समय से आया, कारण आप समय से चूकते नहीं ।
- चोरी की क्योंकि भूखा था’ को भारतीय दण्ड संहिता कम देखती है ।
- डरा कि मरा ।
- चूँकि यह आपका मामला था, मुझसे ना करते ना बना ।
प्रश्न 8.
सिद्धांतमूलक शब्द क्या हैं ?
उत्तरः
सिब्धान्तमूलक :- ये दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों में से एक में दूसरे की फल निष्पन्नता या परिणामधर्मिता दिखाते हैं । इनमें प्रमुख हैं – अतएव, फलतः, परिणामस्वरूप, इसलिए, अत: इत्यादि ।
- पिता हो फलत: तुम इस देय के भागी हो ।
- कई बार असफल हुए हो, अतएव अब अवसर से वंचित हो ।
- तुम्हारा बार-बार गिरना, अतः तुम्हारा चरम शिखर पर पहुँचना स्वयंसिद्ध है ।
- तुमने शातिर : अपराधी को धर दबोचने में जान की बाजी लगाकर पुलिस की मदद की है, इसलिए तुम्हारे जालिम को दबाने में ही नहीं, तुम्हारे हर सही काम मेंसाथ देने के लिए थाने में रिकार्ड है।
- इस लड़के ने अबतक अथक परिश्रम किया था, परिणामस्वरूप आज आई० ए० एस० अधिकारी है।
प्रश्न 9.
क्रिया-विशेषण शब्द क्या प्रकट करते हैं ? प्रमुख शब्दों को उदाहरण सहित समझाएँ।
उत्तरः
क्रियाविशेषण शब्द :- ये एकाधिक शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ते हुए एक मे प्रयुक्त क्रिया की विशेषता भी प्रकट करते हैं । इनमें प्रमुख हैं-संयोगतः, निसर्गतः, दिष्ट्या, दैवात्, भाग्येन इत्यादि ।
- मुम्बई में घनघोर वृष्टि से तबाही थी, संयोगतः वहाँ समुद्र जल में आग भी लग गई ।
- मैं सीतान्वेषण में सफलता से निराश हो रहा था, दिष्ट्या ही तुमसे परिचय हुआ।
- वसन्त में आमों की वृक्षों में मजरियाँ लगती हैं, निसर्गत: कोयलों की तान गूँजने लगती है ।
- मुझे अपनी संस्था के लिए स्नातकोत्तर उपाधिधारिणी अंग्रेजी अध्यापिका की आवश्यकता थी, भाग्येन अपनी पौत्री सदृश तू अपने घर की जैसी ही निकली ।
- भरत उधेड़बुन में ही थे कि दैवात् हनुमान् हाथ जोड़े प्रसन्न मुद्रा में सामने खड़े दिखाई दिये।
प्रश्न 10.
व्यतिरेकात्मक शब्द को सोदाहरण समझाएँ :-
उत्तरः
व्यतिरेकात्मक शब्द :-वियोजक शब्दों से मिलते-जुलते फिर भी उनसे भिन्न ये व्यतिरेकात्मक शब्द दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों में अन्यथा परिणाम की घोषणा करते हैं । इनमें प्रमुख हैं – अन्यथा, नहीं तो, फिर तो, तब तो इत्यादि ।
- प्रत्याशियों को समस्त बाध्यताओं को अंगीकार करना होगा, अन्यथा रिक्तिपूर्ति परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित होना होगा ।
- तुम प्रशिक्षित नहीं, तब तो तुमसे अधिक योग्यतावाले ही इस पद के योग्य ठहरे ।
- निर्धारित आयु सीमा के नीचे हो, फिर तो कुछ दिन प्रतीक्षा के बाद प्रयास करना ।
- कम्प्यूटर, कामर्स और अंग्रेजी का ज्ञान प्राप्त करो, नहीं तो आज किसी प्राइवेट फर्म में काम न मिलेगा ।
- पन्द्रह जुलाई तक सारा सरकारी बकाया चुका दो अन्यथा जेल में बन्द कर दिया जाएगा।
प्रश्न 11.
आवेग सूचक शब्द क्या हैं ?
उत्तरः
आवेग सूचक शब्द :- इस प्रकार के शब्दों द्वारा मन के हर्ष, विस्मय, विषाद, घुणा, कामना आदि आकस्मिक भाव प्रकट किये जाते हैं।
- कामना :- काश! आज सरदार वल्लभ भाई पटेल होते !
- घृणा :- धिक्कार! आडवानी जी, आपसे ऐसी आशा न थी ।
- विषाद :- हाय ! श्यामा प्रसाद मुखर्जी को खोकर देश आज हताश है ।
- हर्ष :- सच ! मनमोहनजी ने कई देशों से सम्बन्ध सुधारा है !
- विस्मय :- गजब । सुभाष बाबू के निधन की गुत्थी देश अब तक सुलझा न सका !
प्रश्न 12.
आलंकारिक शब्द का परिचय देते हुए उसके प्रयोग के बारे में लिखें ।
उत्तरः
आलंकारिक शब्द :- यद्यपि काव्यशास्त्र में आज रस तत्व के सामने ध्वनि, रीति, अलंकार आदि सब पिछड़े सिद्ध हो चुके हैं, तथापि आज भी अलंकारों का महत्व कम नहीं हैं।
भाषा में मुख्य शब्दावली के साथ-साथ कुछ गौण शब्दावली भी प्रयुक्त होती रहती है, जो भावगाम्भीर्य व्यक्त करने के स्थान पर चामत्कारिक प्रभाव तो उत्पन्न कर ही देती है । हिन्दी भाषा में प्रयुक्त होने वाले कतिपय शब्द ये हैं – न, तो, वह, अब, और, जो, क्या, ही, नहीं ।
उदाहरण :- हरगोबिन ने फिर लम्बी साँस ली । जब तक यह मोदिआइन आँगन से नहीं टलती, बड़ी बहुरिया हरगोबिन से कुछ नहीं बोलेगी । वह अब चुप नहीं रह सका – (फणीश्वर नाथ रेणु)।
यहाँ ‘नहीं का प्रयोग तीन स्थानों पर बोली की तीन भिन्न शैलियों में, तीन भिन्न अर्थों को व्यक्त करते हुए हुआ है। इन तीनों स्थानों पर इस शब्द के उच्चरित होने वाले स्वरों की मात्रा की भिन्नता और भी आकर्षक है।
प्रश्न 13.
सम्बन्धसूचक अव्यय क्या है ?
उत्तरः
सम्बन्धसूचक या सम्बोधन अव्यय (Preposition) :- जिन अव्यय का प्रयोग वाक्य में किसी संज्ञा या सर्वनाम के साथ आकर वाक्य के किसी दूसरे शब्द के सम्बन्ध को सूचित करने के लिए किया जाता है, उसे सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं । जैसे-रमेश अपने भाइयों सहित रहता है । कमला के बिना सबकुछ शून्य है।
इसमें ‘सहित’ और बिना, सम्बन्धसूचक अव्यय हैं, जो सम्बन्ध बताते हैं।
प्रश्न 14.
समुच्चयबोधक अव्यय की परिभाषा सोदाहरण लिखें ।
उत्तरः
जो अव्यय दो शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों को मिलाते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं जैससे- मुकेश और सुदेश परम मित्र हैं । उसने कहा पर नहीं आया । ऊपर दोनों वाक्यों में ‘और’ तथा पर’ क्रमशः दो शब्दों और उपवाक्यों को जोड़ रहे हैं, इसलिए ‘और’ तथा पर’ समुच्चयबोधक अव्यय हैं।
प्रश्न 15.
समुच्चयबोधक अव्यय के भेदों के नाम लिखें ।
उत्तरः
समुच्चयबोधक अव्यय के दो भेद हैं –
1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक
2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक।
प्रश्न 16.
टिप्पणी लिखें :-
(क) स्वरूपबोधक व्यधिकरण
(ख) सम्बोधनसूचक शब्द
(ग) सादृश्यमूलक शब्द
(घ) प्रश्नसूचक शब्द
(ङ) निषेधसूचक शब्द
(च) संशयमूलक शब्द।
उत्तरः
(क) स्वरूपबोधक व्यधिकरण :- जिस अव्यय से प्रथम शब्द या उपवाक्य का स्पष्टीकरण द्वितीय शब्द या उपवाक्य से होता है, उसे स्वरूपबोधक व्यधिकरण कहते हैं। जैसे-अपने गुरुजन की पूजा करना अर्थात् ईश्वर की पूजा करना है । यहाँ ‘अर्थात्’ स्वरूपबोधक है ।
इसी प्रकार – माने, यानी, याने, कि, जो आदि भी स्वरूपबोधक हैं।
(ख) सम्बोधनसूचक शब्द :-जिन शब्दों का प्रयोग किसी को सम्बोधित करने के लिए किया जाता है, उन्हें सम्बोधनसूचक शब्द कहते हैं । जैसे – हे, अरं, ओ, रे आदि । हे राम ! सुनो। अरे! यह क्या किया । अरे भाई! यहाँ बैठो।
(ग) सादृश्यमूलक शब्द :- सादृश्यमूलक शब्द उनको कहते हैं, जिनका प्रयोग तरह, सामान्य, जैसा, सादृश्य आदि के द्वारा किया जाता है । जैसे-वह राम की तरह है । तुम अपने पिता जैसे हो।
(घ) प्रश्नसूचक शब्द :- जिन शब्दों का प्रयोग प्रश्न के रूप में आता है, उनको प्रश्नसूचक शब्द कहते हैं। जैसे-क्यों ? क्या ? क्यों नहीं ? जैसे-क्या तुम देखते रहते हो ? क्यों कायर की तरह जा रहे हो ?
(ङ) निषेधसूचक या असम्मतिसूचक :- जिन शब्दों का प्रयोग असम्मति या निषेध के रूप में किया जाता है, उनको असम्मतिसूचक अथवा निषेधसूचक कहते हैं । जैसे- नहीं, न, मत, ना, बिल्कुल नहीं आदि ।
उदाहरण – राम और श्याम एक जैसे नहीं है । मैं नहीं जा सकता।
(च) संशयमूलक शब्द :-जिस शब्द से संशय या संदेह का बोध होता है, उसे संशयमूलक शब्द कहते हैं। जैसे-शायद, सम्भवतः आदि । उदाहरण-शायद कल वर्षा हो । हो सकता है राम आज आए ।
प्रश्न 17.
सापेक्ष शब्द-युग्म से क्या तात्पर्य है ?
उत्तरः
सापेक्ष शब्द-युग्म से तात्पर्य उन शब्दों से है, जो जोड़े में आते हैं । युग्म या जोड़े के शब्दों में एक शब्द दूसरे पर आधारित रहता है । जिन वाक्यों में सापेक्ष युग्म शब्दों का उपयोग होता है, उनमें दो वाक्यांश रहते हैं और दोनो इन शब्दों द्वारा जुड़े रहते हैं; जैसे-ज्यों-ज्यों, ऐसा-वैसा, जिधर-उधर, जहाँ-वहाँ, जैसा-वैसा, जितना-उतना, जो-सो, या तो, ना तो आदि । जैसे तुम दूसरों से जैसे अपेक्षा करते हो, वैसे ही दूसरे तुमसे । जिधर जाओगे, उधर ही तुम्हारा स्वागत होगा। जहाँ रहो, वहाँ की प्रतिष्ठा का ख्याल रखो । जैसा कर्म करोगे, वैसा फल मिलेगा आदि ।
प्रश्न 18.
सम्बन्धबोधक अव्यय के भेदों के नाम लिखें ।
उत्तरः
सम्बन्धबोधक अव्यय के भेद :-
(क) प्रयोग के अनुसार,
(ख) अर्थ के अनुसार और
(ग) व्युत्पत्ति के अनुसार।
प्रश्न 19.
प्रयोग के अनुसार सम्बन्धबोधक अव्यय के कितने भेद हैं ?
उत्तरः
प्रयोग के अनुसार सम्बन्धबोधक अव्यय के दो भेद हैं – (1) सम्बद्ध और (2) अनुबद्ध।
1. सम्बव्ध सम्बन्धसूचक अव्यय :- जो अव्यय सम्बन्धसूचक संज्ञा अथवा कारक चिह्नों से सम्बद्ध होते हैं, उन्हें सम्बद्ध सम्बन्धसूचक अव्यय कहते हैं । जैसे-पशु की नाई, आपके पास, रमेश बिना, डर के मारे आदि ।
2. अनुबद्ध सम्बन्धसूचक अव्यय :- संज्ञा के विकृत रूप के साथ आने वाले सम्बन्धसूचक अव्यय को अनुबद्ध सम्बन्धसूचक अव्यय कहते हैं।
जैसे-साधियों सहित, कमरों तक, थैली भर आदि ।
प्रश्न 20.
अर्थ के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय के भेदों के नाम उदाहरणसहित लिखें ।
उत्तरः
अर्थ के अनुसार सम्बन्धसूचक अव्यय के निम्नलिखित भेद हैं –
- कालवाचक – बाद, पश्चात्, पीछे, उपरान्त आदि ।
- स्थानवाचक – ऊपर, नीचे, भीतर, पास, निकट आदि ।
- दिशावाचक – ओर, तरफ, प्रति, आर-पार आदि ।
- विषयवाचक – भरोसे, लेखे, नामक, बाबत आदि ।
- विरोधवाचक – विपरीत, विरुद्ध, खिलाफ आदि ।
- विनिमयवाचक – बदले, जगह, पलटे आदि ।
- सादृश्यवाचक – जैसा, समान, सरीखा, बराबर आदि ।
- तुलनावाचक – अपेक्षा, सामने, आगे आदि ।
- सामनावाचक – द्वारा, जरिए, सहारे आदि ।
- भिन्नतावाचक – अतिरिक्त, गैर, सिवा आदि।
- सहकारवाचक – संग, साथ, सहित, समेत आदि ।
- संग्रहवाचक – पर्यन्त, मात्र, भर, तक आदि ।
- कार्यकालवाचक -लिए, कारण, हेतु, खातिर आदि ।
प्रश्न 21.
व्युत्पत्ति के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय के भेदों के नाम उदाहरण सहित लिखें।
उत्तरः
व्युत्पत्ति के अनुसार सम्बन्धसूचक अव्यय के निम्नलिखित भेद हैं :-
1. मूल सम्बन्धसूचक – भर, तक, नाई, पर्यंत आदि ।
2. यौगिक सम्बन्धसूचक – अपेक्षा, मार्फत, समान, ऐसा, वैसा, बाहर, भीतर, पास, जाने, लिए आदि।
प्रश्न 22.
वाक्य में अन्वय करने वाले शब्दों का संक्षिप्त परिचय दें ।
उत्तरः
वाक्य में अन्वय करने वाले शब्द :- छोटे शब्द जो वाक्य में व्यवहतत होकर शब्द के साथ शब्द का, वाक्य के साथ वाक्य का अन्वय करते हैं अथवा सम्बन्ध स्थापित करते हैं, उन्हें अन्वयसूचक शब्द कहते हैं, जैसे हे, अरे, रे, नहीं, सदृश, क्यों, ना, हाँ, है आदि । इन शब्दों को पाँच भागों में बाँटा गया है, जिनका वर्णन नीचे दिया गया है –
सम्बोधन-सूचक :- इन शब्दों का उपयोग किसी के सम्बोधन के लिए होता है, जैसे – है, अरे, आओ, बढ़ो आदि । हे भगवन्, तुम सबके कष्टों को दूर करो । अरे, तुम कहाँ गये थे । अरे भाई, तुम्हारा मन्तव्य क्या है, बताओ तो । आओ, आगे बढ़ो, सब कष्ठ भगवान् दूर करेंगे ।
सादृश्य-मूलक :- इन शब्दों का उपयोग सादृश्य दिखाने के लिये होता है । जैसे-सदृश, समान । तुम्हारे सदृश उपकारी इस पृथ्वी पर कोई नहीं । गांधी के समान सत्यवादी आधुनिक युग में कौन हुआ ? पृथ्वी सदृश सहनशील कौन है ?
प्रश्न-सूचक :- इन शब्दों का प्रयोग प्रश्न करने के लिए होता है, जैसे – कौन, कैसा, कितना, क्यों, ताकि, तो आदि । कौन लड़का बिना पढ़े पास हो सकता है ? कितना खाओगे कि तुम्हारा पेट भरेगा ? कैसा कपड़ा पाने पर तुम संतुष्ट होगे ? आदि ?
निषेध या असम्मति सूचक :- इन शब्दों का प्रयोग असहमति या निषेध के लिए होता है, जैसे-न, नहीं, मत, अहँ, असम्भव, किसी प्रकार नहीं आदि । जैसे-सत्य और असत्य एक नहीं है । चाँद और सूरज की तुलना नहीं हो सकती। तुम मत जाओ । यह काम असम्भव है । मैं किसी प्रकार इस पर सहमत नहीं हूँ ।
संशय-मूलक :- इन शब्दों का प्रयोग संशय व्यक्त करने के लिए किया जाता है; जैसे शायद, यदि, न तो, जैसे आदि । शायद वह आये । यदि वह आये तो अच्छा हो । तुम न तो जाओगे न चुप रहोगे । दिसम्बर महीने में जैसे वर्षा होगी ।
प्रश्न 23.
व्यधिकरण समुच्चयबोधक क्या है ? इसके भेदों की परिभाषा उदाहरण सहित लिखें।
उत्तरः
व्यधिकरण समुच्चयबोधक :- जिन अव्ययों के योग से एक मुख्य वाक्य में एक से अधिक आश्रित वाक्य जोड़े जाते हैं, उन्हें व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। जैसे-तुमने कहा था कि वह कल आएगा। इस वाक्य में ‘कि व्यधिकरण है ।
व्यधिकरण समुच्चय के प्रमुख भेद – (क) कारणबोधक व्यधिकरण, (ख) उद्देश्यबोधक व्यधिकरण, (ग) संकेतबोधक व्यधिकरण और (घ) स्वरूपबोधक व्यधिकरण।
(क) कारणबोधक व्यधिकरण – जिस अव्यय से प्रथम उपवाक्य का कारण दूसरे के व्यापार अथवा अर्थ से ज्ञात होता है, उसे कारणबोधक व्यधिकरण कहते हैं । जैसे – राम सब कुछ जानता है, क्योंकि पास रहता है। यहाँ क्योंकि कारणबोधक व्यधिकरण है ।
इसी प्रकार – इसीलिए, जो, कि आदि भी कारणबोधक हैं।
(ख) उद्देश्यबोधक व्यधिकरण :-जिस अव्यय से दूसरे वाक्य के कार्य या व्यापार के उद्देश्य का बोध होता है, उसे उद्देश्यबोधक व्यधिकरण कहते हैं। जैसे-पिताजी रात-दिन काम में लगे रहते हैं, ताकि हम पढ़ सकें । यहाँ ‘ताकि उद्देश्यबोधक व्यधिकरण है ।
इसी प्रकार – कि, जो, इसलिए आदि भी उद्देश्यबोधक हैं ।
प्रश्न 24.
संकेतबोधक व्यधिकरण किसे कहते हैं ?
उत्तरः
संकेतबोधक व्यधिकरण :- जिस अव्यय से पहले उपवाक्य की घटना से दूसरे उपवाक्य की किसी घटना की सूचना देने का बोध होता है, उसे संकेतबोधक व्यधिकरण कहते हैं। जैसे-आप में दम है तो उसका सामना करें । यहाँ ‘तो’ संकेतबोधक व्यधिकरण है ।
इसी प्रकार – जो, यदि, तो, यद्यपि, तथापि, चाहे, परन्तु, कि आदि भी संकेतबोधक हैं।
प्रश्न 25.
समानाधिकारण समुच्चयबोधक से आप क्या समझते हैं ?
उत्तरः
समानाधिकरण समुच्चयबोधक :- जो अव्यय दो मुख्य शब्दों या मुख्य वाक्यों को जोड़ता या अलग करता है, उसे समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। जैसे – राम और श्याम टहल रहे हैं। यहाँ और राम और श्याम दो शब्दों को जोड़ रहा है ।
प्रश्न 26.
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेदों की चर्चा करें ।
उत्तरः
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के निम्नलिखित मुख्य चार भेद हैं –
(क) संयोजक समानाधिकरण अव्यय :- जो अव्यय दो या दो से अधिक शब्दों या वाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें संयोजक समानाधिकरण अव्यय कहते हैं । जैसे -वल बनाता है और प्रमोद बिगाड़ता है। नरेश एवं सुरेश पढ़ते हैं। इनमें ‘और तथा ‘एवं संयोजक समानाधिकरण अव्यय हैं।
कुछ अन्य संयोजक – तथा, व आदि ।
(ख) विभाजक समानाधिकरण अव्यय :-जो अव्यय दो या दो से अधिक वाक्यों में विभाजन करते हैं, उन्हें विभाजक समानाधिकरण कहते हैं। जैसे- यह पुस्तक सुनन्दा की है अथवा सुलेखा की । इसमें ‘अथवा विभाजक समानाधिकरण अव्यय है।
इसी प्रकार – या, वा, किंवा, कि, चाहे-चाहे, न-न, न कि, नहीं तो आदि भी विभाजक समानाधिकरण अव्यय हैं।
(ग) विरोधदर्शक समानाधिकरण अव्यय :- दो या अधिक वाक्यों में विरोध बतानेवाले अव्यय को विरोधदर्शक समानाधिकरण अव्यय कहते हैं ।जैसे-आप आए पर सुलेखा नहीं आई। यहाँ पर विरोधदर्शक समानाधिकरण अव्यय है।
कुछ अन्य विरोधदर्शक समानाधिकरण अव्यय :-किन्तु, लेकिन, परन्तु, बल्कि, वरन् आदि।
(घ) परिणामदर्शक समानाधिकरण अव्यय :- जिस समुच्चयबोधक अव्यय से किसी वाक्य का परिणाम दूसरे वाक्य पर पड़ता है, उसे परिणामदर्शक समानाधिकरण अव्यय कहते हैं। जैसे-वह सो रहा था, इसलिए खेलने न जा सका । इसमें इसलिए परिणामदर्शक है ।
इसी प्रकार अतः, सो, अतएव अदि भी परिणामदर्शक समानाधिकरण अव्यय है ।