Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions सहायक पाठ Chapter 8 मोतीलाल नेहरू to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 8 Question Answer – मोतीलाल नेहरू
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : उनका व्यक्तित्व देखकर हमें रोम के वाणिज्य दूतों की याद आती थी – पंक्ति के आधार पर मोंतीलाल नेहरू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का वर्णन करें ।
प्रश्न – 2 : वे एक महान् वकील थे, महान देश-भक्त, महान व्यक्ति – पंक्ति के आधार मोतिलाल नेहरु की चारित्रिक विशेषताओं को लिखें ।
प्रश्न – 3 : उन्हें मानव की आत्मा में और उससे इतिहास को बदल देने की क्षमता में पूर्ण विश्वास था – के आधार पर मोतीलाल नेहरू का वर्णन करें ।
प्रश्न – 4 : संसदीय संस्थाओं के विकास में मोतिलाल नेहरू के योगदान की चर्चा संकलित पाठ के आधार पर करें।
उत्तर :
भारत में संसदीय संस्थाओं के विकास के लिए मोतीलाल नेहरू के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। मोतोलाल नेहरू उस सर्वदलीय समिति के अध्यक्ष थे जिसे हमारे देश के संविधान का मसौदा तैयार करने का दायित्व दिया गया था । उन्होंने संविधान का निर्माण करने में निम्नलिखित बातों का ध्यान प्रमुखता से रखा –
- संसद का स्वरूप प्रजातांत्रिक हो।
- हम हठधर्मिता का दृष्टिकोण न रखें ।
- अन्तर्रोश्रीय संबंधों में मध्यम मार्ग अपनाएँ।
- धर्म को राजनीति से नहीं जोड़ा जाय।
हमारा भारतीय संविधान समाज के जिन उद्देश्यों तथा सिद्धांतों पर आधारित है – वह मोतीलाल नेइरू की ही देन है। उन उद्देश्यों को पूरा करने में हम आज तक सफल नहीं हो पाए हैं क्योंकि हमारे अंदर वह कर्त्तव्य-भावना, उर्जा, परिश्रम तथा संगठन का अभाव है ।
मोतीलाल नेहरू के व्यक्तित्व तथा कायों से प्रभावित होकर तथा महात्मा गाँधी से पेरित होकर उनका पूरा परिवार ही राट्रीय आंदोलन का हिस्सा बन गया था। वे स्वतंत्र मस्तिष्क, पूर्वाग्रहों से मुक्त थे तथा हिन्दू, मुस्लिम और अंग्रेज सभी के अच्छे प्रभावों को ग्रहण करने वाले थे ।
एक महान वकील, महान देशभक्त तथा महान व्यक्तित्व के धनी होने के कारण उनसे यह उम्मीद नहीं की जा सकती थी कि वे कोई निदनीय कार्य करेंगे त्येक अर्थ में वे एक विशाल हृदय के व्यक्ति थे ।
स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने पर उन्होंने अपनी विदेशी पोशाक का त्याग कर दिया और खादी को अपना लिया और खादी पहनने के बाद उनका व्यक्तित्व और भी आकर्षक हो उठा। इतना ही नहीं, उन्होंने इलाहाबाद की गलियों में खादी भी बेची । सन् 1930 ई० में गाँधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें सजा भी भोगनी पड़ी ।
मोतीलाल नेहरू अपने जीवन के अंतिम दिनों में गायत्री मंत्र का जाप करने लगे थे । लेकिन ऐसा वे किसी ईश्वरीय भय के कारण नहीं करते थे क्योंकि उनका यह मानना था कि ईश्वर न तो कोधी पिता है और न ही कोई कठोर जज।
मोतौलाल नेहरू के बारे में जो अंतिम बात कही जा सकती है – वह यह कि उनमें मानव की आत्मा तथा उनके इतिहास को बदल देने की क्षमता में पूरा पूरा विश्वास था। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है क्शि4 सितंबर, सन् 1924 में मोतोलाल नेहरू ने जिस एकता सम्मेलन की अध्यक्षता की उसमें उन्होंने यह संकल्प पारित किया –
“किसी भी धर्म के पूजा स्थलों को अपवित्र करना या किसी व्यक्ति को धर्म बदलने के लिए यातना या सजा देने जैसे कार्य निन्दा के योग्य हैं । दूसरे लोगों को विवश करके अपना धर्म स्वीकार करवाना या दूसरों की कीमत पर अपना धर्म लागू करना जैसे कार्य भी निन्दनीय हैं।”‘
WBBSE Class 9 Hindi मोतीलाल नेहरू Summary
शब्दार्थ
पृष्ठ सं० – 37
- प्रगति = विकास ।
- विविध = अनेक प्रकार की ।
- उल्लेखनीय = उल्लेख करने योग्य ।
- विशिष्ट = विशेष ।
- योगदान = सहयोग ।
- मसौदा = प्रारूप ।
- सर्वोपरि = सबसे ऊपर ।
- अचूकता = सटीकता ।
- उग्रवाद = हिंसा ।
- फासीवाद = जर्मनी की एक विचारधारा ।
- बहुधा = अक्सर ।
- हठधर्मिता = जिद को ही धर्म बना लेना ।
- अपेक्षित = आवश्यक ।
- दुराग्रह = बुरा आग्रह ।
- एकाधिकार = एक का अधिकार ।
- मध्यस्थता = बीच-बचाव ।
- संयम = संतोष।
पृष्ठ सं० – 38
- सम्पदाय = धर्म ।
- पारित = स्वीकृत ।
- नामित = मनोनीत ।
- कडुता = कड़वाहट ।
- उपनिवेशवाद = साप्राज्यवाद ।
- परिसर = चहारदीवारी, आँगन ।
- स्मरण = याद ।
- मनोग्रंथि = मन की ग्रंधि/गांठ ।
- आधुनिकतम = आधुनिक से आधुनिक ।
- सुसज्जित = अच्छी तरह सजा हुआ ।
- मनमानी = अपने मन की ।
- उद्यम = परिश्रम ।
पृष्ठ सं० – 39
- वृतान्त = कहानी ।
- समस्त = पूरा ।
- ग्रहणशील = ग्रहण करने वाले ।
- शाही = राजाओं की तरह।
- सर्वथा = सब प्रकार से ।
- अमिट = नहीं मिटने वाला ।
पृष्ठ सं० – 40
- तत्कालीन = उस समय का ।
- आदी = अभ्यस्त ।
- कताई = धागा कातना ।
- खद्दर = खादी ।
- सविनय = विनय के साथ।
- अवज्ञा = आज्ञा नहीं मानना ।
- मानक = स्वीकृत रूप ।
- अनुकरणीय = अनुकरण करने योग्य ।
- कुशाग्र = कुश की तरह तेज ।
- अर्द्ध = आधा ।
- सौहार्द् = प्रेम ।
- चाह = इच्छा ।
पृष्ठ सं० – 41
- अतीत = बीता हुआ समय ।
- नासूर = घाव ।
- सुचिंतित = अच्छाई के लिए घिंतित ।
- उन्माद = उग्र भाव ।
- दुर्गम = जहाँ आसानी से नहीं पहुँचा जा सके
- ऊजाड़ = जहाँ कोई पेड़-पौधा न हो ।
- गल्प = कहानी ।
- आधात = चोट।
- सजग = सावधान ।