WBBSE Class 9 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 7 बाल गंगाधर तिलक

Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions सहायक पाठ Chapter 7 बाल गंगाधर तिलक to reinforce their learning.

WBBSE Class 9 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 7 Question Answer – बाल गंगाधर तिलक

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न – 1 : संकलित पाठ के आधार पर बाल गंगाधर तिलक की चारित्रिक विशेषताओं को लिखें।
प्रश्न – 2 : स्वाधीनता संघर्ष में बाल गंगाधर तिलक के योगदान पर प्रकाश डालें।
प्रश्न – 3 : बाल गंगाधर तिलक के स्वाधीनता संबंधी विचारों पर प्रकांश डालें।
प्रश्न – 4 : तिलक का जीवन कर्म-योग के आदर्श का दृष्टांत था – पठित पाठ के आधार पर लिखें।
प्रश्न – 5 : तिलक का जीवन आध्यात्म और समाजिकता का संयोग था – अपने विचार लिखें।
प्रश्न – 6 : संकलित पाठ के आधार पर तिलक के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
भारत के दूसरे शिवाजी तथा स्वाधीनता संग्राम के ‘सिद्ध महात्मा’ लोकमान्य बाल ‘गंगाधर ने 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के एक ब्राह्यण परिवार में अंधकार में ‘प्रकाश ज्योति’ की तरह जन्म लिया। अभिमन्यु की तरह उनमें सहज प्रतिभा तथा संघर्ष के लिए साहस का असीम भण्डार था।

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सन् 1879 में कानून की डिग्री लेने के बाद वे देश के स्वाधीनता संग्राम से जुड़ गए। अपने विचारों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए उन्होंने दो साप्ताहिक पत्र मराठी भाषा में ‘केसरी’ तथा अंग्रेजी भाषा में ‘मराठा’ प्रकाशित किए। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा, बहिष्कार तथा सत्याग्रह को प्रमुख कार्यक्रम बनाने का समर्थन किया। उन्होंने महाराष्ट्र के लोकप्रिय त्योहारों को भी देशभक्ति से जोड़ दिया।

तिलक उदारवादियों की ‘राजनीतिक भिक्षावृत्ति’ की नीति में विश्वास नहीं करते थे। उनका कहना था ‘हमारा आदर्श दया याचना नहीं, आत्म निर्भरता है।’ उनका मानना था – ‘महान उद्देश्य (पूर्ण स्वराज) की प्राप्ति के लिए सभी साधन न्यायोचित हैं।

तिलक बाँस के वृक्ष की तरह नहीं थे कि जिधर हवा बहे, उधर ही झुक जाए। वे अपने उग्र विचारों पर दृढ़ थे, लेकिन इसकी कीमत उन्हें 1897 में चुकानी पड़ी, जब उन्हें 18 माह का कठोर कारावास मिला। सजा सुनाए जाने के बाद उन्होंने कहा –
“‘इस ट्रिब्यूनल से ऊपर भी कोई सत्ता है जो हमलोगों के भाग्य को शासित करती है और वह उसी सत्ता की इच्छा से हो सकती है कि मैं जिस लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता हूँ वह मेरे मुक्त रहने की अपेक्षा जेल की यातना से अधिक फलीभूत हो।”

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वास्तव में देखा जाए तो वे महात्मा गाँधी के अग्रदूत थे। लगान न देने का आन्दोलन, सरकारी नौकरियों का बहिष्कार, शराबबंदी तथा स्वदेशी जैसे आन्दोलन जो गाँधी जी ने चलाए थे, तिलक पहले ही इन पर प्रयोग कर चुके थे। उनका जीवन दिव्य था।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को भारतीय चेतना का जनक कहा जाता है।भारत-मंत्री मांटेग्यू ने ठीक ही कहा था –
“भारत में केवल एक ही अकृत्रिम उग्र राष्ट्रवादी था और वह थे – तिलक।”
तिलक के व्यक्तित्व, कृतित्व तथा कर्मयोगी होने से देशवासियों ने उन्हें न केवल ‘लोकमान्य’ की उपाधि दी वरन् उन्हें ‘तिलक भगवान’ कहकर भी पुकारा।

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शब्दार्थ

पृष्ठ सं० – 34

  • ज्वलन्त = जलता हुआ।
  • दुर्लभ = जिसे आसानी से पाया न जा सके।
  • अदम्य = जिसका दमन न किया जा सके, जिसे दबाया न जा सके।
  • आकृष्ट = आकर्षित।
  • हाशिये = चौपाई।
  • पारावार = सीमा।
  • कर्मपरक = कर्म करने वाले।
  • मुक्त = आजाद ।
  • लोक-संग्हह = लोगों को एकजुट करना।
  • दृष्टांत = उदाहरण।
  • नि:स्वार्थ = बिना स्वार्थ के।
  • आराधना = पूजा, अर्चना।
  • शोधकर्ता = खोज करने वाला।
  • प्राच्यविद्या = प्राचीन विद्या।
  • सर्वोत्कृष्ट = सबसे उत्कृष्ट/अच्छा।
  • पराधीन = दूसरे के अधीन/गुलाम।
  • विकल्प = पर्याय।
  • स्वराज = अपना राज।

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पृष्ठ सं० – 35

  • अन्तरक = अंतर करने वाला।
  • गणन-विधि = गिनती करने की विधि।
  • बायकाट = बहिष्कार ।
  • सत्याग्रह = सत्य के लिए आग्रह।
  • मद्य-निषेध = शराबबंदी , नशाबंदी।
  • अस्पृश्यता = छुआछूत।
  • उन्मूलन = खात्मा।
  • रक्तपात = खून बहाना।
  • उग्रवाद = हिंसा में विश्वास करने वाली विचारधारा।
  • आत्मघाती = अपने-आप को नष्ट करना।
  • केसरी = सिंह।
  • उकसाना = प्रेरित करना।
  • कायरता = डरपोकपना, भीरूता ।
  • मान्यताओं = विचारों।
  • यातनाएँ = कष्ट।
  • ट्रिब्यूनल = न्यायालय।
  • फलीभूत = फलदायी।

पृष्ठ सं० – 36

  • वर्ग = श्रेणी।
  • अनुचित = जो उचित न हो।
  • भावी = आनेवाला।
  • मतभेद = विचार का भेद।
  • सहिष्णुता = सहने की शक्ति।
  • निष्ठावान = विश्वास रखनेवाला।
  • निर्भय = जिसे भय न हो।
  • स्पष्ट वक्ता = दो टूक कहने वाला/साफ-साफ कहने वाला।

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