Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions सहायक पाठ Chapter 6 गोपाल कृष्ण गोखले to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 6 Question Answer – गोपाल कृष्ण गोखले
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : गोपाल कृष्ण गोखले एक सच्चे राजनैतिक कार्यकर्ता थे – पठित पाठ के आधार पर उनकी चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालें।
प्रश्न – 2 : ‘वे हमारे राष्ट्रीय आचरण के सबसे बड़े संत सिपाही थे’ – पंक्ति के आधार पर गोपाल कृष्ण गोखले के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालें।
प्रश्न – 3 : गाँधी जी गोखले की किन विशेषताओं के आधार पर उन्हें गुरू मानते थे – उल्लेख करें।
प्रश्न – 4 : गोपाल कृष्ण गोखले के राजनीतिक विचारों पर प्रकाश डालें।
प्रश्न – 5 : संकलित पाठ के आधार पर बताएँ कि गोपाल कृष्ण गोखले के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर :
युग पुरूष, अहिंसा के पुजारी, मानवता के उद्धारक, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के राजनीतिक गुरू – गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 ई० को महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के कोतलुक नामक प्राम में हुआ था। 13 वर्ष की अवस्था मे पिता का देहांत हो जाने पर अपने जीवन का निर्माण उन्होंने अपने चिंतन, लगन एवं अथक परिश्रिम से किया। 1884 ई० में एलफिन्सटन कॉलेज, बम्बई से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। सन् 1886 ई० में फर्ग्युसन कॉलेज में इतिहास और अर्थशास्त्र के प्राध्यापक नियुक्त हुए। वे अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत 22 वर्ष की आयु में बाम्बे विधान परिषद का सदस्य बनकर की।
गोखले आधुनिक भारत के सर्वपथम कूटनीतिज्ञ थे। काउंसिल के सदस्य के रूप में उन्होने नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा प्रारंभ करने, नमक कर को समाप्त करने और राजकीय सेवा में भारतीयों को अधिक संख्या में नियुक्त किए जाने पर जोर दिया।
गोखले का ब्रिटिश उदारवाद में अत्यधिक विश्वास था। वे अंग्रेजों की न्यायप्पियता, निष्पक्षता एवं सदाशयता में पूर्ण विश्वास करते थे। वे भारत के भविष्य के प्रति काफी आशावान थे। उदारवादी होने के कारण संवैधानिक साधनों तथा तोड़फोड़ की प्रवृत्ति में उनका विश्वास नहीं था। उनके संवैधानिक साधनों में प्रार्थना, विरोध, अनशन एवं सुधार का प्रमुख स्थान था। उन्होंने अंग्रेजी शासन की अच्छाइयों की प्रशंसा और बुराइयों का विरोध किया।
ब्रिटिश शासन के पक्षधर होते हुए भी उनके लिए राष्ट्रीय हित सबसे बड़ा था। सरोजिनी नायडू ने गोखले के बारे. में कहा था कि, “वे हमारे राष्ट्रीय आचरण के सबसे बड़े संत सिपाही थे, जिनका जीवन पवित्र था।”
गोखले की इन्हीं खूबियों से प्रभावित होकर गाँधी जी ने गोखले के बारे में कहा था –
” वे मुझे ऐसे लगे जैसा कि मैं एक सच्चे राजनैतिक कार्यकर्ता को देखना चाहता हूँ – स्फटिक की भांति स्वच्छ, मेमने की तरह सीधे, सिंह की भांति साहसी और हद पार करने की सीमा तक उदार। …….”
ऐसी महान प्रतिभा का देहावसान 19 फरवरी, 1915 को 49 वर्ष की अल्पायु में ही हो गया। उनके आश्चर्यजनक कार्यों को देखकर उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी, उग्रदल के प्रमुख नेता बाल गंगाधर तिलक जी से भी उनकी प्रशंसा के शब्द नियंत्रित न हो सके। उनके अनुसार –
“गोखले भारत का रत्न तथा महाराष्ट्र का सपूत था। वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अग्रणी था।”
उनके बारे में महात्मा गाँधी ने भी कहा –
“मेरे लिए इतना ही पर्याप्त है कि इसके विपरीत उनमें कोई दोष नहीं मिला। मेरे लिए वे हमेशा राजनीति के क्षेत्र के पूर्ण व्यक्ति थे और रहेंगे।”
WBBSE Class 9 Hindi गोपाल कृष्ण गोखले Summary
शब्दार्थ
पृष्ठ सं० – 29
- जटिल = उलझा हुआ।
- पूर्वाग्रहों = पूर्व के विचार से ग्रसित।
- बहुधा = अक्सर ।
- जमाखोरी = आवश्यकता की चीजों को छिपाकर रखना ताकि अभाव की स्थिति में उसे ऊँचे मूल्य पर बेचा जा सके।
- सत्यनिष्ठा = सच्चे विश्वास।
- लगन = रुचि।
- राजद्रोह = राष्ट्र के प्रति विद्रोह की भावना।
पृष्ठ सं० – 30
- तर्क सम्मत = तर्क की कसौटी पर खरा।
- आदिम जाति = आदिवासी।
- मध्यमार्गी = बीच का रास्ता अपनाने वाला।
- ध्येय = लक्ष्य।
- अनुलंघनीय = उल्लंघन न करने लायक।
- इतिश्री = समाप्ति।
- आकृष्ट = आकर्षित।
- दुर्भावना = बुरी भावना।
- आगामी = आने वाला।
- हेतु = कारण।
पृष्ठ सं० – 31
- तिलांजलि = त्याग।
- एकत्र = जमा, इकट्ठा।
- व्यवसाय = रोजगार।
- कर्तव्यनिष्ठ = जिनमें कर्त्वव्य के प्रति निष्ठा हो।
- निकाय = संस्था।
- विधान = नियम।
- सुसज्जित = अच्छी तरह सजकर ।
- संघर्षरत = संघर्ष में रहना।
- प्रकोष्ठों = खानों।
- नि:शुल्क = बिना शुल्क के।
- अनिवार्य = जरूरी।
पृष्ठ सं० – 32
- उदारवाद = उदारता में विश्वास करनेवाली विचारधारा।
- दमन = अत्याचार।
- सम्मति = सहमति।
- तत्परता = जल्दीबाजी।
- अंतर्मन = हृदय।
- सत्याग्रह = सत्य के लिए आग्रह।
- विलीन = गायब।
- कृतज्ञ = उपकार को माननेवाला।
- सन्मार्ग = सही मार्ग।
- हित = भलाई।
पृष्ठ सं० – 33
- अजनबी = अपरिचित।
- विकार = दोष।
- सुधारवाद = सुधार में विश्वास करने वाली विचारधारा।
- न्यायोचित = न्याय की दृष्टि से उचित।
- समानता = बराबरी।
- निरर्थक = जिसका कोई अर्थ नहीं है।
- आदर्श = अच्छा रूप, वह जो होना चाहिए ।
- कर्मठ = कर्म में विश्वास रखने वाला।
- सत्यनिष्ठा = सत्य में श्रद्धा रखने वाला।
- खड्यंत्र = कुचक्र।
- विधर्मी = धर्म को नहीं माननेवाला।
- स्फटिक = मणि।