Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions सहायक पाठ Chapter 3 स्वामी दयानंद सरस्वती to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 3 Question Answer – स्वामी दयानंद सरस्वती
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : भारत के उत्थान के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने क्या सुझाव दिए ?
प्रश्न – 2 : स्वामी दयानंद द्वारा समाज-सुधार के लिए दिए गए उपायों पर विचार करें ।
प्रश्न – 3 : सामाजिक तथा व्यक्ति के उत्थान के लिए स्वामी दघानंद सरस्वती ने भारतीयों से किन बातों को अपनाने को कहा ?
प्रश्न – 4 : समाज-सुधारक के तौर पर स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा किए गए कार्यों का उल्लेख करें।
प्रश्न – 5 : स्वामी दयानंद सरस्वती के धर्म संबंधी विचारों को पठित पाठ के आधार पर लिखें।
उत्तर :
आधुनिक भारत के निर्माताओं में स्वामी दयानंद सरस्वती का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इनका अविर्भाव ऐसे समय में हुआ जब भारत की अनेक परंपराएँ क्कृत हो रही थीं । लोग अंध विश्वासों से घिरे थे। ऐसे समय में स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेदों के आधार पर लोगों को धर्म का स्वरूप समझाया।
स्वामी दयानंद के अनुसार ईश्वर सर्वव्यापक है, निराकार है, सर्वोपरि है, उसकी सत्ता को अनुभव किया जा सकता है तथा तर्क के आधार पर जाँचा जा सकता है । उन्होंने कहा कि ईश्वर एक है, हम सब उसकी संतान हैं तो फिर भेदभाव क्यों, जाति-प्रथा क्यों और नारियों पर अनेक पाबंदियाँ क्यों ? मनुष्य होने के नाते, मानवता के नाते प्रत्येक को आध्यात्मिक अराधना का अधिकार है।
दयानंद सरस्वती ने आत्मिक उत्नति तथा सामाजिक सुधार के लिए निम्नोक्त सुझाव दिए –
(क) यदि तुम परमात्मा में विश्वास करते हो तो तुम्हें सभी व्यक्तियों और नारियों की समानता में विश्वास करना पड़ेगा।
(ख) विश्व में किसी पर ऐसी पाबंदी नहीं लगायी जा सकती कि वह वेद न पढ़ सके ।
(ग) इस देश के किसी भी व्यक्ति को आध्यात्मिक क्रिया-कलापों से रोका नहीं जाना-चाहिए।
(घ) प्रत्येक व्यक्ति को सत्यसिद्धि के लिए उसे सर्वोपरि अवसर प्रदान करने का प्रयत्ल करना चाहिए
(ङ) हम अपने राष्ट्र को उसी स्थिति में सबल बना सकते हैं जब मानव द्वारा बनाए गए भेद-भावों कों समाप्त कर दें ।
(च) यदि हम अपने अतीत से सबक नहीं लेंगे तो हमें बार-बार अतीत में जीना पड़ेगा ।
इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उन्होने सन् 1875 में आर्य समाज की स्थापना की तथा आर्य समाज के लिए दस नियमों को बनाया जो निम्नांकित हैं –
- सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उन सबका आदि मूल परमेश्वर है ।
- ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अनत, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है । उसी की उपासना करने योग्य है ।
- वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक हैं । वेदों का पढ़ना-पढ़ाना, सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है ।
- सत्य को ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सर्वदा उद्यत (तैयार) रहना चाहिए ।
- सब काम धर्म के अनुसार सत्य और असत्य का विचार करके करना चाहिए।
- संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है अर्थात् शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उश्नति करना।
- सबसे प्रीतिपूर्वक (प्रेमपूर्वक) धर्मानुसार (धर्म के अनुसार) व्यवहार करना चाहिए ।
- अविद्या (अज्ञान) का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए ।
- प्रत्येक को अपनी ही उत्राति में संतुष्ट नहीं रहना चाहिए । किन्तु सबकी उव्नति में अपनी उन्नति समझानी चाहिए ।
- सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम का पालन करने में परतंत्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतंत्र रहें ।
आज भी आर्य समाज स्वामी दयानंद सरस्वती के बताए मार्ग पर चलकर देश-विदेश में आत्मिक-सामाजिक उश्नति के कार्य कर रहा है।
अति लघूतरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
स्वामी दयानंद सरस्वती में किसके प्रति घनिष्ठ निष्ठा थी ?
उत्तर :
सत्य के प्रति।
प्रश्न 2.
स्वामी दयानंद सरस्वती ने किसके उद्धार के लिए कार्य किया ?
उत्तर :
धर्म, राजनीति, समाज तथा संस्कृति के उद्धार के लिए।
प्रश्न 3.
इस संसार में किसे सर्वोपरि स्थान दिया गया है ?
उत्तर :
ईश्वर की सर्वव्यापकता को ।
प्रश्न 4.
स्वामी दयानंद सरस्वती के अनुसार ईश्वर को किस विधि से प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर :
ध्यान तथा धारणा की विधि से ।
प्रश्न 5.
वेद हमें क्या बताते हैं ?
उत्तर :
सभी देवों का देव परमात्मा मूलतः एक है और उसके अनेक रूप नहीं हो सकते।
प्रश्न 6.
विश्व का सर्वोपरि देव कौन है ?
उंत्तर :
परमात्मा।
प्रश्न 7.
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने क्या ज्ञात करने को कहा ?
उत्तर :
अंतिम सत्य क्या है ?
प्रश्न 8.
पाणिनी के अनुसार तप क्या है ?
उत्तर :
चिंतन-मनन तथा आलोचना है।
प्रश्न 9.
स्वामी दयानंद सरस्वती के अनुसार परमात्मा में विश्वास करनेवाले को किंसकी समानता में विश्वास करना पड़ेगा ?
उत्तर :
सभी व्यक्तियों तथा नारियों की समानता में ।
प्रश्न 10.
स्वामी जी ने किस नियम की उद्योषणा की ?
उत्तर :
नारी और पुरुष की समानता के नियम की।
प्रश्न 11.
स्वामी जी के हृदय में किसके विरुद्ध आग थी ?
उत्तर :
सामाजिक अन्याय के विरुद्ध।
प्रश्न 12.
स्वामी दयानंद सरस्वती के दो मूल सिद्धान्त क्या थे ?
उत्तर :
एक-एक ईश्वर की उपासना तथा दो – जाति, रंग और संप्रदाय के पेद के बिना मानव की सेवा।
प्रश्न 13.
स्वामी दयानन्द ने किस समाज की स्थापना की ?
उत्तर :
आर्य समाज।
प्रश्न 14.
स्वामी जी का कौन-सा सबक हमेशा मस्तिष्क में रहना चाहिए ?
उत्तर :
यदि हम अतीत से सबक नहीं लेंगे तो बार-बार हमें अतीत में जीना पड़ेगा ।
प्रश्न 15.
स्वतंत्रता के बाद हमारे सामाजिक कानून में क्या परिवर्तन आया है ?
उत्तर :
पुरुष और नारी को समानता प्रदान की गई है।
प्रश्न 16.
धर्म का मार्गदर्शक क्या था ?
उत्तर :
तर्क का नियम ।
प्रश्न 17.
ज्ञानियों के लिए परमात्मा का वास कहाँ है ?
उत्तर :
अपनी ही आत्मा में ।
प्रश्न 18.
समाज में मूर्तिपूजा को स्थान क्यों मिला ?
उत्तर :
हमारी सस्कृति ने ईश्वर तक पहुँचने के लिए सभी माग्गों को स्थान दिया इसालिए मूर्तिपूजा को भी स्थान मिला।
प्रश्न 19.
संसार की प्रगति और व्यवस्था करनेवाला कौन है ?
उत्तर :
एक महान रहस्य अर्थांत् ईश्वर।
प्रश्न 20.
परम सत्य को कैसे समझा जा सकता है ?
उत्तर : हदयय, ज्ञान तथा इच्छा से ।
प्रश्न 21.
स्वामी जी के अनुसार संसार में किसी पर भी कौन-सी पाबंदी नहीं लगाई जा सकती ?
उत्तर : वेद को पढ़ने से रोकना या गायत्री मंत्र का जाप करने से रोकना।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
आधुनिक भारत के निर्माताओं में स्वामी दयानंद सरस्वती का स्थान प्रमुख क्यों है ?
उत्तर :
स्वामी दयानंद सरस्वती का अर्विभाव ऐसे समय में हुआ था जब सम्पूर्ण भारत में आध्यात्मिक प्रांतियों का जाल फैला हुआ था तथा लोग अंधविश्वासों से घिरे थे। स्वामी जी ने उस समय धर्म, राजनीति, समाज तथा संस्कृति का उद्दार करने के लिए पूरे भारत में घूम-घूमकर कार्य किया। यही कारण है कि आधुनिक भारत के निर्माताओं में स्वामी दयानंद सरस्वती का स्थान प्रमुख है ।
प्रश्न 2.
मूर्त्रि-पूजा के प्रचलन के बारे में स्वामी दयानंद सरस्वती ने क्या बताया है ?
उत्तर :
भारतीय संस्कृति में ईश्वर तक पहुँचने के लिए लोग जलाशयों, नदियों, पेड़, पर्वतों, ग्रहों आदि की पूजा किया करते थे । इसी क्रम में कुछ लोग मिट्टी और पत्थर की प्रतिमाओं की भी पूजा करते थे क्योंकि हमने ईश्वर तक पहुँचने के लिए सभी मार्गो को अपनाया। इसी कारण से मूर्त्ति-पूजा का भी प्रचलन हो गया।
प्रश्न 3.
वेदों में परमात्मा के बारे में क्या कहा गया है ?
उत्तर :
वेदों में परमात्मा के बारे में कहा गया है कि परमात्मा एक है और उसके अनेक रूप नहीं हो सकते। परमात्मा ही सर्वोपरि देव है – अजन्मा, अंनत, अनादि, निराकार, अजर, अमर और सृष्टिकर्ता है।
प्रश्न 4.
स्वामी दयानंद सरस्वती का विश्वास किसमें था ?
उत्तर :
स्वामी दयानंद सरस्वती का विश्वास एक मानव, एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर और एक ही पूजा-पद्धति में अटूट विश्वास था।
प्रश्न 5.
पाणिनी के अनुसार तप क्या है ?
उत्तर :
पाणिनी के अनुसार तप चिंतन-मनन की प्रक्रिया है । इसके अंतर्गत विश्व की रचना, इसका कर्ता, आदि पर विचार किया जाता है तथा उसे तर्क और ज्ञान के नियमों से जाँच किया जाता है।
प्रश्न 6.
स्वामी दयानंद सरस्वती ने परमात्मा में विश्वास करने के बारे में क्या कहा ?
उत्तर :
ख्वामी दयानद ने परमात्मा में विश्वास करने के बारे में यह कहा कि यदि हम परमात्मा में विश्वास करते हैं तो हमें नर-नारी की समानता में विश्वास करना पड़ेगा। हम किसी पर यह पाबंदी नहों लगा सकते कि कोई जाति, धर्म अथवा लिंग के आधार पर वेदों को नहीं पढ़ सकता या फिर गायत्री मंत्र का जाप नहीं कर सकता।
प्रश्न 7.
असहिष्णुता भारत के लिए विनाशकारी रही है – कैसे ?
उत्तर :
स्वामी दयानंद ने कहा कि हम भारतवासी – जाति, धर्म, भाषा आदि के आधार पर आपस में लड़ते रहे हैं। आपसी लड़ाई के कारण ही हम गुलामी में फंसे। यदि हमने सहिष्युता से काम लिया होता तो भारत का विनाश नहीं होता।
प्रश्न 8.
स्वामी दयानंद सरस्वती के अनुसार अगर हम अपने अतीत से सबक नहीं लेंगे तो क्या होगा ?
उत्तर :
स्वामी दयानंद सरस्वती के अनुसार हमें अतीत से शिक्षा लेनी चाहिए तथा आपसी मतभेदों, लड़ाई-झगड़ों को मिटाकर एक ही परमात्मा में विश्वास करना चाहिए। अगर हम अपने अतीत से सबक नहीं लेंगें तो हमें बार-बार अतीत में जाना पड़ेगा।
WBBSE Class 9 Hindi स्वामी दयानंद सरस्वती Summary
शब्दार्थ
पृष्ठ सं० – 17
- भांतियाँ = भ्रम ।
- विकृत = बुरा ।
- सशक्त = मजबूत ।
- सर्वव्यापकता = जो हरेक जगह मौजूद है ।
- घुमंतू = घुम्मकड़
- प्रकृति = स्वभाव ।
पृष्ठ सं० – 18
- ज्ञात = पता, मालूम ।
- औचित्य = अर्थ ।
- स्फुलिंग = चिनगारी ।
- पाबंदियाँ = रोक ।
पृष्ठ सं० – 19
- यत्न = कोशिश ।
- अपितु = बल्क ।
पृष्ठ सं० – 20
- भ्रमण = घूमना ।
- सबल = मजबूत ।
- सर्वोपरि = सबसे ऊपर ।
- सहिष्णुता = सहन नहीं करना ।
- अतीत= बीता हुआ समय।