Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions सहायक पाठ Chapter 2 गुरु नानक to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 2 Question Answer – गुरु नानक
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : गुरु नानक के धर्म-संबंधी विचारों को लिखें ।
प्रश्न – 2 : ‘ईश्वर ही सत्य है, और सत्य से ऊपर कुछ भी नहीं है’ – गुरु नानक के इस कथन के आलोक में उनके धर्म-संबंधी विचारों को लिखें ।
प्रश्न – 3 : गुरु नानक ने सतनाम के बारे में क्या कहा है ?
प्रश्न – 4 : गुरु नानक ने ईश्वर-प्राप्ति के बारे में क्या कहा है ?
प्रश्न – 5 : गुरु नानक के अनुसार ईश्वर को कैसे अनुभव किया जा सकता है ?
प्रश्न – 6 : गुरु नानक की वाणी को सच्चे धर्म का केन्द्रीय सिद्धान्त कहा जा संकता है – कैसे?
प्रश्न – 7 : हममें से अधिकांश व्यक्ति बाह्य जीवन जीते हैं और जीवन के अंतर में नहीं झांकते – पठित पाठ ‘गुरु नानक’ के आधार पर विवेचना करें ।
उत्तर :
गुरु नानक का जन्म ऐसे समय में हुआ था जब भारत में राजनैतिक या सामाजिक नहीं, बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक संकट छाया हुआ था । लोग धर्म के सच्चे स्वरूप को भूल गए थे। धर्म के नाम पर अंधविश्वास करना तथा अर्थहीन धर्माधंता ही धर्म कहा जाने लगा था। धर्म लोगों को जोड़ने की जगह एक दूसरे से अलग कर रहा था।
ऐसे समय में गुरु नानक ने हमारे सामने ऐसे विचार रखे जो किसी भी सच्चे धर्म के केन्द्रीय सिद्धांत कहे जा सकते हैं। उन्होंने सर्वपथम ‘ओंकार’ पर बल दिया । यह तीन अक्षरों अर्थात् ‘अ’ (अकार), ‘उ’ (उकार) और ‘म्’ (मकार) का संयुक्त रूप है। ‘अ’ का अर्थ जाग्रत अवस्था, ‘उ’ का स्वप्नावस्था तथा ‘म’ का अर्थ है सुपुप्ति अवस्था । ओंकार हमें सत्य से मिलाता है। ओंकार अदृश्य, गुणों से परे तथा भावों से परे है – शिवम् शान्तम् अद्वैतम् ! यह एक मूल सत्य है। सत्य ही सबसे ऊपर है – सतनाम । ईश्वर ही सत्य है और सत्य से बढ़कर कुछ भी नही है।
ये सारी बाते हमारे पाचीन ॠषियों ने भी हमें बतायी थी लेकिन हम उनके बताए हुए मार्ग से भटक गए हैं। जब जब उनके बताए मार्ग से भटक जाते हैं तब-तब अंधकार, दुःख और पराजय का हमारे जीवन में बोलबाला हो जाता है।
गुरु नानक के अनुसार यदि कोई इस सत्य को पाना चाहता है तो उसे अपने छददय के अंदर पवेश करना होगा। परमात्मा, वास, समुद्द, आसमान, तारों, मंदिरों, मस्जिदों आदि में नहीं है, वह तो मनुष्य के हेदय में है । कबीर ने भी कहा है –
कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग दृँढ़े बन मांहि ।
ऐसे घटि घटि राम हैं, दुनियां देखे नांहि ।।
प्रत्येक व्यक्ति के हदयय में एक ऐसा गुप्त स्थान है जहाँ ईश्वर है, जहाँ उसे हुआ जा सकता है, अनुभव किया जा सकता है । प्रार्थना, ध्यान तथा आध्यात्मिक क्रियाएँ उसे पाने के साधन हैं। गुर नानक ने कहा कि सच्चा धर्म प्रेम व्यवहार है, दया की भावना है। जो लोग धर्म के नाम पर लोगों को तोड़ने का काम करते हैं वे ईश्वर के शन्तु हैं। हम सब मिलकर ही परमात्मा-ईश्वर के शरीर हैं।
दूसरी महत्वपूर्ण शिक्षा जो गुरू नानक ने हमें दी-वह यह कि हम ईश्वर के विभिन्न रूपों को लेकर आपस में लड़ते हैं। यह भूल जाते हैं कि हम सभी एक ही लक्ष्य की खोज में तीर्थयात्री हैं । सभी जानना चाहते हैं कि वह परमात्मा कहाँ है ? कुरान और पुराण हमें एक ही शिक्षा देते हैं ? मंदिर हो या मस्जिद हमें एक ही परमात्मा दिखायी देता है।
अब वह समय आ गया है कि गुरु नानक की वाणी को स्वीकार करें । सतनाम और सदावार के महान् उपदेशों को याद रखें । हमें अपने जीवन के पत्येक क्षण अपने-आप से यह पूछना चाहिए कि हम जो उपदेश दूसरो को देते हैं क्या अपने दैनिक जीवन में उसका पालन भी करते हैं ? जिस दिन हम जीवन के प्रात ऐसा दृष्टिकाण अपनाएंगे उस दिन हमारी आत्मा सच्ची धार्मिक आत्मा होगी । अगर हम इसकी अवहेलना करते हैं तो अपने अंतःकरण से विमुख हो जाते हैं। हम जीवन में गहरे प्रवेश न करके केवल ऊपरी जीवन, दिखावे का जीवन जीते हैं।
प्रश्न – 8 : गुरु नानक के अनुसार सच्चा धार्मिक व्यक्ति कौन है ?
प्रश्न – 9 : गुरु नानक के अनुसार किन दोषों को अपने से दूर कर हम सच्चे धार्मिक हो सकते हैं?
प्रश्न – 10 : नानक के फटकार की हमें आज भी उतनी ही आवश्यकता है – पठित पाठ के आधार पर ल्बिखें ।
प्रश्न – 11 : गुरु नानक के अनुसार व्यक्ति सच्चा धार्मिक कैसे बनता है ?
प्रश्न – 12 : सन्त जीवन गैर-संसारी नहीं है – गुरु नानक के विचार को स्पष्ट करें ।
प्रश्न – 13 : गुरु नानक के अनुसार सबसे बड़े पैगेम्बर कौन हैं – विवेचना करें ।
प्रश्न – 14 : साघुता या पविव्रता संसार-विमुखता नहीं है – इस बारे में गुरु नानक के विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं।
प्रश्न – 15 : गुरु नानक ने धार्मिक जीवन किसे कहा है ? पठित पाठ के आधार पर लिखें ।
उत्तर :
गुरु नानक ने हमें यह कहा था कि हम हमेशा धर्म का पालन अपनी रीद़ की हड्डी, मन्रोवारण तथा जप आदि के माध्यम से करते रहे हैं और यह सोचते रहे हैं कि हम धार्मिक हैं। हम धोखे में हैं। ऐसा करके कोई सच्चा धार्मिक व्यक्ति नहीं बना है और न ही बनेगा।
गुरु नानक के अनुसार जो व्यक्ति अपने अंतः करण में ईश्वर का अनुभव करता है, जिसे परमात्मा का नशा है, जो परमात्मा को अपने में मानता है तथा जिसने अपने होने का अर्थ समझ लिया है – वही सच्चा धार्मिक है। वैसे लोग जो मंदिर-मस्जिदों में जाते हैं लेकिन जीवन में नाना प्रकार के पाप करते हैं – कभी धार्मिक नहीं हो सकते।
जो गेरुआ वस्र धारण कर लेता है तथा हायों में भिक्षा पात्र थाम लेता है, सांसारिक जीवन से विमुख हो जाता हैवह कभी भी धार्मिक या पैंगेम्बर नहीं हो सकता। सबसे बड़े पैगेम्बर तो वे हैं जो भूखों को खिलाते हैं, बीमारों का उपचार करते हैं तथा पापियों को क्षमा करते हैं । ऐसे व्यक्ति की साधुता या पविव्रता को हम संसार-विमुखता नहीं कह सकते।
अगर हमने अंदर के ईश्वर को अनुभव नहीं किया है, यदि हम आपस में लड़ते हैं, यदि हम किसी को सूली पर चढ़ाते हैं तो हम धर्म, संस्कृति तथा मानवता के हत्यारे हैं। ईश्वर हमें कभी भी ऐसा करने को नहीं कहता क्योंकि उसी ने तो सबों को रचा है।
वैसे गुरु जो जाति प्रथा तथा बुआघूत को दूर करने को कहते हैं लेकिन स्वयं उस पर अमल नहीं करते या हम उसपर अमल नहीं करते तो भला हम किस प्रकार धार्मिक हो सकते हैं।
प्राचीन काल में हमारे ॠषियों ने हमें ‘वसुधैव कुटंबकम’ अर्थात् सम्पूर्ण मानवता के लिए सद्भावना का संदेश दिया था – लेकिन हममें से कितने लोग इसे अपने जीवन में उतार पाते हैं। गुरु नानक ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि धर्म ऐसी चीज़ नहीं जिसे हम दक्षिणा देकर खरीद सकते हैं, मंदिर, मस्जिद या गुरुद्धारे में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।
यदि हम सच्चा धार्मिक बनना चाहते हैं तो हमें इन बुराइयों से अपने-आप को दूर रखना होगा । हमें महान ऋषि तथा गुरु की बातों को अपने जीवन में उतारना होगा।
निष्कर्ष के तौर पर गुरु नानक हमें यह सीख देते हैं कि जात-पाँत, छूआवूत, धार्मिक मतभेद – हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि भेद-भावों से अपने-आप को दूरखें क्योंकि हम सभी उसी एक परमात्मा के परिवार के सदस्य हैं।
अति लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
नानक ने किस पर बल दिया ?
उत्तर :
‘ओंकार’ (ओइम) पर ।
प्रश्न 2.
‘ओंकार’ कितने अक्षरों से मिलकर बना है ?
उत्तर :
‘ओंकार’ तीन अक्षरों से मिलकर’ बना है – अ, उ और म्।
प्रश्न 3.
‘ओंकार’ ‘अ’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
जाग्रत अवस्था।
प्रश्न 4.
‘ओंकार’ के ‘उ’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
स्वपावस्था या स्वप्न की अवस्था।
प्रश्न 5.
‘ओंकार’ के ‘म्’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
सुषुप्तावस्था या सोने की अवस्था।
प्रश्न 6.
ओंकार किससे हमारा साक्षात्कार कराता है ?
उत्तर :
सत्य से ।
प्रश्न 7.
गुरु नानक किस विवाद में नहीं पड़ते थे ?
उत्तर :
धार्मिक हठवादिता के विवाद में।
प्रश्न 8.
‘ओंकार’ को क्या कहा गया है ?
उत्तर :
अदृशय, गुणों से परे तथा भाव से परे ।
प्रश्न 9.
मूल सत्य क्या है ?
उत्तर :
ओंकार।
प्रश्न 10.
परमात्मा का वासं कहाँ है ?
उत्तर :
मनुष्य के अंतःकरण (हदय) में ।
प्रश्न 11.
हमारे देश में कैसे लोगों को धार्मिक कहा गया है ?
उत्तर :
जो परमात्मा को अपने में मानते हैं।
प्रश्न 12.
हमारा कर्त्तव्य क्या है ?
उत्तर :
ईश्वर को अपने हृय में अनुभव करना।
प्रश्न 13.
किसके माध्यम से ईश्वर को अनुभव किया जा सकता है ?
उत्तर :
प्रार्थना, ध्यान तथा आध्यात्मिक क्रियाओ से।
प्रश्न 14.
कैसे लोगों को गुरु नानक ने ईश्वर का शब्रु कहा है ?
उत्तर :
जो लोग केवल ईश्वर का नाम लेते हैं लेकिन अपना कर्त्तव्य नहीं करते ।
प्रश्न 15.
अज्ञानी पुरुष कौन हैं ?
उत्तर :
जिन्हें यह नहीं पता कि सत्य क्या है ?
प्रश्न 16.
सच्चा धार्मिक कौन है ?
उत्तर :
जिसने ईश्वर को अनुभव किया है ?
प्रश्न 17.
गुरु नानक के अनुसार सतनाम क्या है ?
उत्तर :
जीवन में सदाचार या सात्विक जीवन बिताना।
प्रश्न 18.
सतनाम से भी बड़ा क्या है ?
उत्तर :
प्रेम तथा दया का व्यवहार ।
प्रश्न 19.
सही अर्थों में धार्मिक व्यक्ति कौन है ?
उत्तर :
जिसके हुदय में प्रकाश, आनंद और संपूर्ण मानवता के लिए दयाभाव है ।
प्रश्न 20.
मानक जैसे महापुरुषों के वचन हमारे लिए क्या है ?
उत्तर :
प्रेरणा और प्रताड़ना देने वाले ।
प्रश्न 21.
हममें से अधिकांश व्यक्ति कैसा जीवन जीते हैं ?
उत्तर :
बाहरी जीवन।
प्रश्न 22.
नानक हमें क्यों फटकारते हैं ?
उत्तर :
अपना सही स्वरूप भूल जाने के कारण।
प्रश्न 23.
कौन-सी चीज संसार-विमुखता नहीं है ?
उत्तर :
साधुता या पवित्रता।
प्रश्न 24.
गुरु नानक की पहली शिक्षा क्या है ?
उत्तर :
ईश्वर ही सत्य है और सत्य से ऊपर कुछ भी नहीं है।
प्रश्न 25.
गुरु नानक की दूसरी शिक्षा क्या है ?
उत्तर :
संसार के अनेक धर्मो का एक सामान्य आधार है ।
प्रश्न 26.
हम सभी क्या क्या जानना चाहते हैं ?
उत्तर :
परमात्मा कहाँ है।
प्रश्न 27.
किसके फटकार की हमें आज भी जरुरत हैं ?
उज्ञर :
गुरु नानक के फटकार की।
प्रश्न 28.
गुरु नानक के फटकार की जरूरत क्यों है ?
उत्तर :
क्योंकि हम दिखावटी जीवन जी रहे हैं।
प्रश्न 29.
कौन-सा जीवन संसार से पलायन नहीं है ?
उत्तर :
सन्त-जीवन।
प्रश्न 30.
महान कलाएँ किसके आस-पास घूमती हैं ?
उत्तर :
धार्मिक पथ-प्रदर्शकों के आसपास।
प्रश्न 31.
महान गुरुओं ने हमें क्या अपनाने को कहा था ?
उत्तर :
नयी चेतना ।
प्रश्न 32.
हम सब किसके परिवार के सदस्य हैं ?
उत्तर :
परमात्मा के परिवार के सदस्य हैं।
प्रश्न 33.
हमारे देश में कौन-से काल (समय) आते रहे हैं ?
उत्तर :
प्रकाश और अंधकार, सुख और दुःख तथा जय और पराजय के ।
प्रश्न 34.
हम किसके बताए मार्ग से भटक गए हैं ?
उत्तर :
महान ॠषियों के बताए मार्ग से।
प्रश्न 35.
गुरु नानक का जन्म कैसे समय में हुआ था ?
उत्तर :
नैतिक और आध्यात्मिक संकट के समय में ।
प्रश्न 36.
गुरु नानक का युग कैसा था ?
उत्तर :
सामाजिक अव्यवस्था का ।
प्रश्न 37.
मूल सत्य क्या है ?
उत्तर :
ओकार।
प्रश्न 38.
सच्चे अर्थों में धार्मिक कौन है ?
उत्तर :
जिसे परमात्मा का नशा है ।
प्रश्न 39.
अब कौन-सा समय आ गया है ?
उत्तर :
गुरु नानक की वाणी को अपने जीवन में उतारने का।
प्रश्न 40.
हमें सतनाम के बारे में किसने बताया ?
उत्तर :
गुरुनानक ने ।
प्रश्न 41.
क्या करना ईश्वर को सूली पर चढ़ाने जैसा है ?
उत्तर :
जाति, धर्म आदि के आधार पर मानवों को अलग-अलग करना ईश्वर को सूली पर चढ़ाने के जैसा है।
प्रश्न 42.
हमारा जीवन नीरस क्यों होता जा रहा है ?
उत्तर :
सांसारिक माया-मोह के कारण।
प्रश्न 43.
गुरुनानक की वाणी से हम क्या अनुभव करते हैं ?
उत्तर :
जीवन के आध्यात्मिक पहलू को ।
प्रश्न 44.
कौन-से लोग समाज के दु:ख या विफलताओं के प्रति कठोर दृष्टिकोण नहीं रखते हैं ?
उत्तर :
जो परमात्मा का साक्षात्कार करते हैं।
प्रश्न 45.
कौन-से दो ग्रंथ एक ही शिक्षा देते हैं ?
उत्तर :
‘पुराण’ और ‘कुरान’।
प्रश्न 46.
गुरु नानक ने किन बातों पर बल दिया ?
उत्तर :
आन्तरिक सजगता और बाह्म कुशलता ।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
गुरु नानक का जन्म कैसे समय में हुआ था ?
उ्तर :
गुरु नानक का जन्म ऐसे समय में हुआ था जब देश में नैंतिक और आध्यात्मिक संकट छाया हुआ था। लोग दिखावे के लिए धर्म का आचरण कर रहे थे । एक-दूसरे से जुड़ने की बजाय वे अलग हो रहे थे। चारों ओर असामाजिक अव्यवस्था फैली हुई थी ।
प्रश्न 2.
गुरु नानक ने ‘ओंकार’ के बारे में क्या बताया ?
उत्तर :
गुरु नानक ने ओंकार को काफी महत्व दिया है । यह अ, उ ओ म् के मिलने से बना है जिसके अर्थ क्रमशः जाग्रतवस्था, स्वप्नावस्था तथा सुपुज्तावस्था हैं। ये तीनों अवस्थाएँ मिलकर ओंकार में एकाकार हो जाती है। ओंकार ही हमें सत्य से साक्षात्कार कराता है । यह औंकार अदृश्य, गुणातीत और भावातीत है।
प्रश्न 3.
गुरु नानक ने परमात्मा के बारे में क्या कहा है ?
उत्तर :
गुरू नानक के अनुसार परमात्मा का वास आसमान, तारे या समुद्र में नहीं है। वह तो मनुष्य के हृदय में रहता है। व्यक्ति चाहे तो प्रार्थना, ध्यान तथा आध्यात्मिक क्रियाओं से उसे अनुभव कर सकता है ।
प्रश्न 4.
गुरु नानक ने सतनाम के बारे में क्या बताया है ?
उत्तर :
गुरु नानक के अनुसार सतनाम का अर्थ है – जीवन में सदाघार या सात्विक जीवन व्यतीत करना।
प्रश्न 5.
गुरु नानक के अनुसार कैसा व्यक्ति धार्मिक है ?
उत्तर :
गुरु नानक के अनुसार वह व्यक्ति धार्मिक है जिसने ईश्वर को अनुभव किया है । धार्मिक व्यक्ति कभी कोई ऐसा काम नहीं करता जो उसकी आत्मा के प्रतिकूल है या किसी भी तरह से अपविव्र है । धार्मिक व्यक्ति के मन में प्रकाश, आनंद और संपूर्ण मानवता के लिए दयाभाव रहता है।
प्रश्न 6.
गुरु नानक जैसे महापुरुषों के वचन हमारे लिए किस प्रकार के हैं ?
उत्तर :
गुरु नानक जैसे महापुरुषों के वचन हमारे लिए प्रेरणा और प्रताड़ना देनेवाले हैं। प्रेरणा इसलिए कि उनसे हम आध्यात्मिक जीवन के बारे में जानते है। नानक के वघन प्रताड़ना इस अर्थ में हैं कि हम धर्म का सही स्वरूप भूल गए है , सतही जीवन जी रहे हैं तथा दिखावे का व्यवहार कर रहे हैं।
प्रश्न 7.
गुरु नानक की शिक्षा क्या है ?
अथवा
प्रश्न 8.
गुरु नानक की धर्म के बारे में क्या धारणा है ?
उत्तर :
गुरु नानक की धर्म के बारे में सबसे बड़ी शिक्षा यह है कि सभी धर्मो का एक सामान्य आधार है। ‘पुराण’ तथा ‘कुरान’ दोनों ही लोगों को प्रेम तथा भाइचारे का संदेश देते हैं। मान्दिर हो या मस्जिद परमात्मा एक है तथा ईश्वर का निवास मंदिर, मस्जिद, तारे या आसमान में नहीं है। वह तो सबके हूदय में वास करता है ।
प्रश्न 9.
गुरु नानक के अनुसार कैसे लोग ईश्वर के शत्रु हैं ?
अथवा
प्रश्न 10.
कैसे लोग ईश्वर को सूली पर चढ़ा रहे हैं ?
उत्तर :
जो लोग ईश्वर की अनुभूति अपने द्वयय में न करके धर्म के नाम पर लोगों के बीच द्वेष की भावना फैलाते है, आपस में लड़ाते हैं वे लोग ईश्वर के शत्रु हैं तथा ईश्वर को सूली पर चढ़ा रहे हैं।
प्रश्न 11.
पहले की तुलना में हिंसा आज कहीं अधिक आम हो गयी है – क्यों ?
उत्तर :
इतिहास के प्रारंभ से ही हमारे अषियों ने हमें ‘वसुधैव कुटुम्यकम्’ का पाठ पढ़ाया था । कहने का भाव यह है कि हमें सम्मूर्ण मानवता के लिए सद्भावना रखनी चाहिए। लैकिन अधिकांश लोगों ने इस सीख को अनदेखा किया है । यही कारण है कि पहले की तुलना में हिंसा आज कहीं अधिक आम हो गयी है।
WBBSE Class 9 Hindi गुरु नानक Summary
शब्दार्थ
पृष्ठ सं० – 11
- जय = जीत ।
- पराजय = हार ।
- अवतरित = प्रकट ।
- अपितु = बल्कि ।
- धर्माचरण = धर्म का आचरण।
- अरुचिकर = नापसंद ।
- ओंकार = ओहम् (तीन अक्षरों अ, उ और म का मेल) ।
- समाहित = मिली हुई ।
- हठधर्मिता = हठ को धर्म बना लेना
- विवाद = झमेले ।
- अदृश्य = जो दिखायी न दे।
- गुणातीत = गुण से परे ।
- भावातीत = भाव से परे ।
- शिवम् = कल्याणकारी
- अद्वैतम् = एक ।
- सर्वोपरि = सबसे ऊपर ।
- सतनाम = सच्चा नाम ।
पृष्ठ सं० – 12
- अनिवार्य = जरूरी
- अन्त:करण = हृदय ।
- अभिप्राय = अर्थ, तात्पर्य ।
- मठ = मंदिर ।
- विहार = बौद्ध-मंदिर।
- यातना = कष्ट ।
- अवहेलना = उपेक्षा ।
- आचरण = व्यवहार ।
- गहन = गहरा ।
- निष्ठा = विश्वास ।
- व्यक्त = प्रकट।
- सदाचार = सच्चा व्यवहार।
पृष्ठ सं० – 13
- मतभेद = विचार का अंतर ।
- संयम = अपने पर काबू रखना ।
- सहिष्णुता = सहने की शक्ति ।
- दृष्टिकोण = देखने का तरीका ।
- अंधविश्वास = वह विश्वास जो अंधा हो ।
- यन्त्रवत = मशीन की तरह।
- बुद्धिवादी = केवल बुद्धि में विश्वास
- रखने वाले ।
- धर्मनिरपेक्ष = धर्म से अलग ।
- आयाम = पहलू।
- अपूर्ण = अधूरा ।
- प्रताड़ना = कष्ट ।
पृष्ठ सं० – 14
- अवहेलना = उपेक्षा ।
- विमुख = दूर ।
- सतही = ऊपरी ।
- बाह्य = बाहरी ।
- कालातीत = काल से परे।
- विद्यमान = मौजूद ।
- हेतु = कारण ।
- आचरण = व्यवहार ।
- गैर-संसारी = संसार से अलग ।
- पैगम्बर = देवदूत ।
पृष्ठ सं० =15
- पलायन = भागना ।
- वस्तुत: = वास्तव में ।
- स्थापत्य = वास्तु, गृह-निर्माण कला ।
- अमल = अपनाना।
पृष्ठ सं० – 16
- प्रवृत्तियों = गुणों ।
- एषणाओं = इच्छाओं ।
- चरितार्थ = उतारना ।
- आम = सामान्य ।
- मन्त्रोचारण = मंत्र का उच्चारण।
- अस्पर्श्यता = छुआछूत ।