Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions सहायक पाठ Chapter 1 हरिहर काका to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions सहायक पाठ Chapter 1 Question Answer – कालिदास
दीर्य उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : कालिदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का मूल्यांकन करें ।
प्रश्न – 2 : संस्कृत साहित्य के प्रमुख कवि के रूप में कालिदास का परिचय दें ।
प्रश्न – 3 : कालिदास का सामान्य परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कृतियों का उल्लेख करें ।
प्रश्न – 4: भारत की आत्मा, सौंदर्य एवं प्रतिभा के महान प्रतिनिधि कवि के रूप में कालिदास का परिचय दें ।
प्रश्न – 5 : कालिदास संस्कृत साहित्य के प्रथम और अंतिम कवि हैं – अपने विचार लिखें ।
प्रश्न – 6 : कालिदास का जीवन-परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख करें ।
उत्तर :
कालिदास भारत के संस्कृत साहित्य के महान कवि और नाटककार हैं। संस्कृत-साहित्य में उनकी बराबरी करनेवाला कोई दूसरा साहित्यकार पैदा न हुआ । कालिदास और उनकी रचनाएँ कालजयी हैं।
कालिदास के जीवन के बारे में हमें विशेष जानकारी प्राप्त नहीं होती है क्योंकि अपने साहित्य में उन्होंने अपने बारे में विशेष कुछ नहीं लिखा है। उनके जीवन से संबंधित अनेक कहानियाँ प्रचलित हैं लेकिन उनका कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है । प्राप्त ऐतिहासिक साक्ष्य के अनुसार कालिदास उज्जयनी के राजा विक्रमादित्य के राजदरबारी कवि थे ।
अन्य साक्ष्य के अनुसार कालिदास गुप्तकाल के थे । उन्हें विक्रमादित्य की पदवी प्राप्त थी। वे 345 ई० में सत्ता में आए तथा 414 ई० तक शासन किया ।
कालिदास की रचनाओं से प्राप्त विवरण के आधार पर इतना जरूर कहा जा सकता है कि उनका अर्विभाव ऐसे युग में हुआ था, जो वैभव और सुख-सुविधा से परिपूर्ण था। कालिदास को संगीत, नृत्य तथा चित्रकला से विशेष प्रेम था। उन्हें विज्ञान, कानून, दर्शन तथा संस्कारों का भी ज्ञान था।
जहाँ तक कालिदास की रचनाओं का प्रश्न है, निम्नलिखित सात रचनाओं को कालिदास की मौलिक रचना मानी जाती है तथा इनके बारे में कोई विवाद नहीं है –
अभिज्ञान शांकुतल :- यह सात अंकों का नाटक है । इसमें राजा दुष्यंत और शंकुतला के प्रेम और विवाह का वर्णन है ।
विक्रमोर्वशीय :- यह पाँच अंकों का नाटक है । इसमें पुरुखा और उर्वशी के प्रेम और विवाह का वर्णन है। मालविकाग्निमित्र :- यह भी पाँच अंकों का नाटक है। इसमें मालविका और अग्निमित्र के प्रेम का वर्णन है। रघुवंश :- उन्नीस सर्गों के इस महाकाव्य में सूर्यवंशी राजाओं के जीवन चरित्र हैं।
कुमारसम्भव :- सरह सर्गो के इस महाकाव्य में शिव-पार्वती के विवाह तथा युद्ध के देवता कुमार के जन्म का वर्णन हैं। मेघदूत :- इसमें यक्ष द्वारा अपनी प्रेयसी को मेघ द्वारा पहुँचाए गए संदेश का वर्णन एक सौ ग्यारह छंदों में किया गया है।
ॠतुसंहार :- इसमें विभिन्न ॠतुओं का वर्णन है । इन रचनाओं के कारण कालिदास की गणना विश्व के सर्वश्रेष्ठ कवियों और नाटककारों में होती है । उनकी रचनाओं का साहित्य के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी है।
कालिदास ने अपने संपूर्ण काव्य में इतना स्वाभाविक वर्णन किया है कि पाठक आनंदविभोर हो उठता है । उनके शब्द-चित्र मानों हमारी आँखों के सामने साकार हो उठते हैं । उपमा तथा रूपक का जितना सुंदर प्रयोग कालिदास ने किया है – वह दूसरे कवियों में देखने को नहीं मिलता है । अपने इन्हीं गुणों के कारण कालिदास संस्कृत साहित्य के सिरमौर तथा कालजयी कवि हैं।
प्रश्न – 7 : ‘कालिदास’ पाठ के आधार पर उनकी धर्म-संबंधी विचारों पर प्रकाश डालें ।
प्रश्न – 8 : कालिदास सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करनेवाले थे – पठित पाठ के आधार पर लिखें।
प्रश्न – 9 : कालिदास को सभी धर्मों के प्रति सहानुभूति थी – स्पष्ट करें ।
उत्तर :
कालिदास के सारे ग्रंथ हिन्दु धर्म तथा सस्कृति से जुड़े हैं । इसका यह अर्थ नहीं है कि वे कट्टर हिंदू थे । कालिदास सभी धर्मों को समान सम्मान देते थे । धर्म के प्रति उनमें कोई दुराग्रह नहीं था और न ही वे धर्माध थे । उनका यह मानना था कि निराकार ईश्वर एक है भले ही उसके रूप अनेक हैं। इसलिए व्यक्ति को यह स्वतंत्रता है कि ईश्वर तक पहुँचने का कोई भी मार्ग चुन ले ।
भारत में जितने भी धर्म हैं सबका विश्वास पुनर्जन्म में है । पुनर्जन्म का आशय है कि व्यक्ति को अपने पूर्वजन्म के कर्मों के अनुसार फिर से जन्म लेना पड़ता है । यह जन्म हमें पूर्णता की ओर ले जाने वाला हो सकता है अगर हम इस जन्म में अच्छे कर्म कर लें। मनुष्य के कर्म जन्म-जन्मांतर तक उसका पीछा करते हैं।
कालिदास आध्यात्मिक जीवन में विश्वास करते हैं लेकिन काम(Sex) से भी उनका विरोध नहीं है। अगर काम संयमित है तो वह अपनी प्रकृति में आध्यात्मिक है । उनके अनुसार कोई गृहस्थ जीवन जीने के साथ-साथ साधु भी हो सकता है। कबीर इसके उदाहरणस्वरूप रखे जा सकते हैं । उपनिषद में भी कहा गया है – ‘त्यक्तेन भुंजीथा’ ।
अर्थात् त्याग से भोग करो। कहने का भाव यह है कि जीवन का उद्देश्य आंन और सात्विकता है, न कि विलासिता या इन्द्रिय सुख-भोग|
कालिदास का धर्म के प्रति व्यापक दृष्टिकोण था। उन्होंने मानव को ब्रह्नांड तथा धर्म की शक्तियों से अलग करके नहीं देखा । वे जीवन में चार पुरुषार्थों – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में सामंज्यस देखना चाहते थे । उन्होंने राजनीति और कला को भी धर्म से अलग करके नहीं देखने की बात कही। यही कारण था कि तुलसीदास ने जीवन, लोके, चित्रों और फूलों में समान आनंद लिया।
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि कालिदास के लिए धर्म जीवन के विभिन्न उद्देश्यों के समन्वित पालन और व्यक्तित्व के सुगठित विकास में निहित है । कालिदास के लिए जीवन और धर्म एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
प्रश्न – 10 : ‘कालिदास’ ने राजाओं के किन आवश्यक गुणों का उल्लेख किया है ? लिखें।
प्रश्न – 11 : कालिदास के अनुसार एक आदर्श राजा में किन गुणों का समावेश होना आवश्यक है ?
प्रश्न – 12 : पठित पाठ ‘कालिदास’ के आधार पर बताएँ कि राजा में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
उत्तर :
कालिदास मात्र कवि एवं नाटककार ही नहीं थे, उन्होंने अपने ग्रथथों में राजनीति विषयक बातों का भी उल्लेख किया है । इससे पता चलता है कि वे एक नीतिज़ भी थे । कालिदास के अनुसार एक आदर्श राजा में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है –
(क) धार्मिक, न्यायप्रिय तथा प्रजापालक :- कालिदास के अनुसार राजा को धार्मिक, न्यायप्रिय तथा प्रजापालक होना चाहिए। प्रजा से वसूले गए धन को जन-कल्याण के लिए उसी प्रकार खर्च किया जाना चाहिए जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से लिए गए जल को सहस्त्र गुणा करके लौटा देता है । राजा को प्रजा का सच्चा पिता, शिक्षक, रक्षक तथा जीविका प्रदान करने वाला होना चाहिए ।
‘अभिज्ञान शांकुतल’ में राजा से तपस्वी कहता है – ”आपके शस्त्र दुखी और पीड़ितों की रक्षा के लिए है न कि निदोर्षो पर प्रहार के लिए ।”
(ख) आत्मसंयम :- कालिदास ने राजा के लिए आत्म-संयम को अनिवार्य बताया है। दुष्यंत एवं शंकुंतला का पुत्र भरत, जिसके नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा है – उसका सबसे बड़ा गुण आत्मसयंम था। इसके विपरीत ‘रघुवंश’ में अग्निवर्ण दुराचारी होने के कारण क्षय रोग से असमय ही मर जाता है ।
(ग) अंतरात्मा की आवाज सुननेवाला :- राजा को अंतिम निर्णय के लिए अंतरात्मा की आवाज सुननेवाला होना चाहिए । अर्जुन ने क्षत्रिय होने के नाते समाज द्वारा आरोपित युद्ध करने के अपने दायित्व से मना कर दिया था। दूसरा उदाहरण सुकरात का है जब वे एथेंसवासियों से कहते हैं – “एथेसवासियों ! मैं ईश्वर की आज्ञा का पालन करूँगा, तुम्हरीी आशा का नहीं।”
(घ) निष्कलंक :- राजा को सभी प्रकार के कलंकों से मुक्त होना चाहिए। उदाहरण के लिए रघुवंश के राजा जन्म से ही निष्कलंक थे । इन्होंने धन का संग्रह दान के लिए किया, सत्य के लिए चुने हुए शब्द कहे, विजय की आकांक्षा यश के लिए की और गृहस्थ जीवन पुत्र-प्राप्ति के लिए अपनाया।
अति लघूतरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
साहित्य में कालजयी रचनाएँ कैसे जन्म लेती हैं ?
उत्तर :
गहन-गंभीर मानवीय अनुभवों से ।
प्रश्न 2.
किस चेतना के मूल से कालिदास की कृतियों का जन्म हुआ है ?
उत्तर :
भारतौय राष्र्रीय चेतना के मूल से।
प्रश्न 3.
कालिदास की रचनाओं में कौन-से गुण हैं ?
उत्तर :
भाषा की सरलता, उक्तियों की सटीकता, गहन कवित्व संवेदना तथा भावों व विचारों का प्रस्कुटन आदि।
प्रश्न 4.
कालिदास के नाटकों की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर :
शक्ति, सौदर्य, कथा के गठन तथा पात्रों के चरित्र-चित्रण में अनुपम कौशल।
प्रश्न 5.
भारत के संस्कृत साहित्य में कालिदास का क्या स्थान है ?
उत्तर :
सर्वश्रेष्ठ कवि तथा नाटक कार होने का स्थान ।
प्रश्न 6.
कालिदास किस राजा के समकालीन थे ?
उत्तर :
राजा विक्रमादित्य के समकालीन ।
प्रश्न 7.
विक्रम संवत किसने चलाया ?
उत्तर :
राजा विक्रमादित्य ने ।
प्रश्न 8.
‘अभिज्ञान शाकुंतल’ में किसका वर्णन हैं ?
उत्तर :
दुष्यंत और शकुंतला के प्रेम तथा विवाह का वर्णन।
प्रश्न 9.
‘विक्रमोर्वशीय’ में किसका वर्णन है ?
उत्तर :
पुरुखा और उर्वशी के प्रेम तथा विवाह का।
प्रश्न 10.
‘रघुवंश’ में किसका वर्णन है ?
उत्तर :
सूर्यवंशी राजाओं के जीवन-चरित्र का वर्णन है।
प्रश्न 11.
‘कुमार संभव’ में किसका वर्णन है ?
उत्तर :
शिव-पार्वती के विवाह तथा युद्ध के देवता कुमार के जन्म का वर्णन।
प्रश्न 12.
‘मेघदूत’ में किसका वर्णन है ?
उत्तर :
यक्ष द्वारा अपनी पत्नी को पहुँचाए गए सन्देश का वर्णन।
प्रश्न 13.
‘ऋतुसंहार’ में किसका वर्णन है ?
उत्तर :
सभी ऋतुओं का।
प्रश्न 14.
कालिदास अपने साहित्य का विषय-वस्तु कहाँ से चुनते हैं ?
उत्तर :
देश की सांस्कृतिक विरासत से ।
प्रश्न 15.
सर्वज्ञ, सर्वव्यापक और सर्वशक्तिमान क्या है ?
उत्तर :
चरम सत्य।
प्रश्न 16.
कालिदास को किस धर्म के प्रति सहानुभूति है ?
उत्तर :
सभी धर्मों के प्रति।
प्रश्न 17.
कालिदास किस सिद्धांत को मानते हैं ?
उत्तर :
पुनर्जन्म के सिद्धान्त को।
प्रश्न 18.
कालिदास का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर :
अपनी संबंधो को स्वच्छ और उज्ज्वल बनाना।
प्रश्न 19.
कालिदास के अनुसार इतिहास क्या है ?
उत्तर :
कालिदास के अनुसार इतिहास मानव की नैतिक इच्छा का फल है, जिसकी अभिव्यक्तियाँ स्वतंत्रता और सृजन हैं ।
प्रश्न 20.
रघुवंश का शासन-क्षेत्र क्या था ?
उत्तर :
धरती से लेकर समुद्र तक।
प्रश्न 21.
राजा अज के राज्य में प्रत्येक व्यक्ति का क्या मानना था ?
उत्तर :
राजा प्रजा का व्यक्तिगत मित्र है।
प्रश्न 22.
किसके नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा है ?
उत्तर :
दुष्यंत एवं शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर।
प्रश्न 23.
शालीन मानव-जीवन के लिए क्या अनिवार्य है ?
उत्तर :
संयम अनिवार्य है ।
प्रश्न 24.
राजा के लिए क्या अनिवार्य है ?
उत्तर :
आत्मसंयम अनिवार्य है ।
प्रश्न 25.
कालिदास के काव्य में किसको भव्यता प्रदान की गई है ?
उत्तर :
तप को।
प्रश्न 26.
आरंभिक वैदिक साहित्य में किसका निरूपण है ?
उत्तर :
जड़-चेतन की एकरूपता का निरूपण ।
प्रश्न 27.
कालिदास के पात्र किसके प्रति संवेदनशील हैं ?
उत्तर :
पेड़-पौधों, पर्वतों तथा नदियों तथा पशुओं के प्रति।
प्रश्न 28.
शंकुतला किसकी कन्या है ?
उत्तर :
प्रकृति की।
प्रश्न 29.
सीता के परित्याग का प्रकृति पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर :
सीता के परित्याग के समय मयूरों ने नाचना बंद कर दिया, वृक्ष पुष्परहित हो गए और हिरणों ने मुँह के आधे चबाए हुए दुर्वादलों (घासों) को नीचे गिरा दिया।
प्रश्न 30.
कालिदास का प्रकृति का ज्ञान कैसा था ?
उत्तर :
यथार्थ एवं सहानुभूतिपूर्ण।
प्रश्न 31.
कालिदास को किस विषय ने अपनी ओर आकर्षित किया ?
उत्तर :
पुरुष और नारी के प्रेम ने।
प्रश्न 32.
दुष्यंत शकुंतला को क्यों नहीं पहचान पाते ?
उत्तर :
अपंनो कमजोर स्मरणशक्ति के कारण।
प्रश्न 33.
संस्कृत साहित्य के किस कवि को प्रथम और अंतिम कवि माना जाता है ?
उत्तर :
कालिदास को।
प्रश्न 34.
कालिदास को किन कलाओं से विशेष प्रेम था ?
उत्तर :
संगीत, नृत्य तथा चित्रकला से।
प्रश्न 35.
कालिदास को किन विषयों का विशेष ज्ञान था?
उत्तर :
तत्कालीन ज्ञान-विज्ञान, विधि, दर्शन-शास्त्र तथा संस्कारों का विशेष ज्ञान था।
प्रश्न 36.
कालिदास अपने किन गुणों कें कारण प्रसिद्ध हैं ?
उत्तर :
कम शब्दों में अधिक भा्बि प्रकट करना तथा कथन की स्वाभाविकता।
प्रश्न 37.
कालिदास किन अलंकारों के प्रयोग में सर्वोपरि हैं ?
उत्तर :
उपमा तथा रूपक अलंकार।
प्रश्न 38.
कालिदास की शैली किस प्रकार की है ?
उत्तर :
निवेदन-शैली।
प्रश्न 39.
किसकी अनेक पंक्तियाँ संस्कृत में सूक्तियाँ बन गयी हैं ?
उत्तर :
कालिदास की।
प्रश्न 40.
कालिदास किसके उपासक थे ?
उत्तर :
भगवान शिव के।
प्रश्न 41.
कालिदास ने किन चीजों का समान आनंद लिया ?
उत्तर :
जीवन, लोक, चिर्रों तथा फूलों का।
प्रश्न 42.
मानव जीवन के चार पुरुषार्थ कौन-से हैं ?
उत्तर :
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ।
प्रश्न 43.
कालिदास किसकी रचना में बेजोड़ हैं ?
उत्तर :
मानस-चित्रों की रचना में ।
प्रश्न 44.
कालिदास के अनुसार जीवन का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर :
आनंद और सात्विकता न कि विलासिता या इन्द्रयय सूख- भोग।
प्रश्न 45.
शिव और पार्वती के जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर :
कुमार का जन्म ।
प्रश्न 46.
कालिदास किन चीजों में चेतन व्यक्तित्व मानते हैं ?
उत्तर :
नदियों, पर्वतों, वन-वृक्षों में ।
प्रश्न 47.
कालिदास के अनुसार प्रत्येक को सही आचरण के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर :
अपने अंत:करण में झांकना चाहिए ।
प्रश्न 48.
रात और दिन, ॠतु-परिवर्तन – ये सब किसके प्रतीक हैं ?
उत्तर :
मानव-मन के परिवर्तन, विविधता और चंचलता के प्रतीक हैं।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कालिदास की रचनाओं से उनके जीवन के बारे में हमें क्या जानकारी प्राप्त होती है ?
उत्तर :
कालिदास की रचनाओं से उनके जीवन के बारे में यह जानकारी प्राप्त होती है कि वे ऐसे युग में हुए थे जो वैभव और सुख-सुविधाओं से पूर्ण था। संगौत, चृत्य, चित्र कला से उन्हें विशेष प्रेम था। उन्हें तत्कालौन ज्ञान-विज्ञान, विधि (कानून), दर्शन-शास्त्र तथा संस्कार विधि का विशेष ज्ञान था। वे हिमालय से कन्याकुमारी तक की भौगोलिक स्थिति से पूरी तरह परिचित थे।
प्रश्न 2.
कालिदास की प्रमुख रचनाओं के नाम लिखें ।
उत्तर :
कालिदास की पमुख रचनाएँ है – अभिज्ञान, शकुंतला, विक्रमोर्वशीय, मालविकागिन्निन्र, रघुवंश, कुमार संभव, मेघदूत, ऋतुसंहार।
प्रश्न 3.
धर्म के बारे में कालिदास के क्या विचार थे ?
उत्तर :
कालिदास सभी धर्मों को समान आदर देते थे । धर्म के बारे में उनका कोई पू प्वाग्रह या अंधविश्वास नहीं था 1 उनका यह मानना था कि ईश्वर एक है, निराकार है तथा उसके विभिन्न रूप एक ही हैं।
प्रश्न 4.
कालिदास की रचनाओं से किस गलत धारणा का निराकरण हो जाता है ?
उत्तर :
कालिदास की रवनाओं से हिन्दू धर्म की इस गलत धारणा का निराकण हो जाता है कि हिन्दुओं ने भाव की अपेक्षा ज्ञान को अधिक महत्व दिया तथा उन्होंने सासारिक दु:ख-दद्दों की अवहेलना की।
प्रश्न 5.
प्राचीन काल में राजा राजस्व की वसूली क्यों करते थे ?
उत्तर :
प्रायीन काल में राजा राजस्व की वसूली इसालिए किया करते थे ताकि उस राशि से जन-कल्याण का काम किया जा सके । ठीक वैसे ही जैसे सूर्य जितना जल लेता है उसका सहस्तगुणा करके लौटा देता है ।
प्रश्न 6.
शकुंतला कौन थी ? उसका लालन-पालन किसने किया ?
उत्तर :
शंकुतला प्रकृति की कन्या (पुत्री) थी। कठोर हृदय की माँ मेनका ने जब उसे त्याग दिया तो आकाश में विचरण करनेवाले पक्षियों ने उसे उठाया तथा उसका पालन-पोषण तब तक किया जब तक कि कण्व ॠषि उसे अपने आश्रम में नहीं ले गए । कण्व ॠषि ने ही उसे पाल-पोष कर बड़ा किया।
प्रश्न 7.
शकुंतला के विवाह के अवसर पर किसने क्या किया ?
उत्तर :
शंकुतला के विवाह के अवसर पर वन के वृक्षों ने उपहार दिया, वन की देवियों ने उस पर फूलों की वर्षा की तथा कोयलों ने खुशियों के गौत गाए ।
प्रश्न 8.
जब राम ने सीता का परित्याग किया तो उसका प्रकृति पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर :
राम के द्वारा सीता के परित्याग किए जाने पर मयूरों ने नृत्य करना बंद कर दिया, वृक्षों ने अपने पुष्षों का त्याग कर दिया तथा मृगियों (हिरणियों) ने मुँह के आधे चबाए हुए दुर्वादलों (घासों) को अपने मुँह से गिरा दिया।
प्रश्न 9.
शकुंतला की विदाई का आश्रमवासियों, प्रकृति तथा वन्यप्राणियों पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर :
शकु गला की विदाई के समय सारे आश्रमवासी दुःखी हो उठे । मयूरों ने नृत्य करना बंद कर दिया। मृगों के मुखों से चारा छूट कर रडड़ा तथा लताओं ने अश्रु के रूप में अपने पत्रों (पत्तों) को गिराया।
प्रश्न 10.
कालिदास प्रक्ति को किस रूप में देखते हैं ?
उत्तर :
कालिदास प्रकृतति को निर्जाव-रूप में नहीं देखते हैं। उनके लिए नदियों, पर्वतो, वन-वृक्षों में भी प्राण हैं जैसा कि पशुओं, मनुष्यों तथा देवताओं में है।
प्रश्न 11.
यक्ष मेघ को अपनी पत्नी का विवरण किस प्रकार देता है ?
उत्तर :
यक्ष मेघ को अपनी पत्नी का विवरण देते हुए कहता है कि समस्त नारियों में वह इतनी सुंदर है मानो ईश्वर ने सबसे पहले उसी की रचना की है। वह पतली, गोरी है, उसके दाँत सुंदर है । नोचे के ओठ बिम्ब फल की तरह लाल हैं। कमर पतली है । आँखें चकित हिरणी की आँखों के समान हैं । नाभि गहरी है । नितंब के भार से उसकी चाल धीमी है तथा स्तन के भार से वह आगे की ओर झुकी हुई है ।
प्रश्न 12.
कालिदास के समय में लोगों का सामाजिक जीवन कैसा था ?
उत्तर :
कालिदास के समय में लोगों का सामाजिक जीवन समृद्ध था। लोगों की रुचि विभिन्न कलाओं में थी। राजा जनकल्याण के कार्य में रुचि लेते थे । नारियों का समाज में सम्मानपूर्ण स्थान था तथा पुरुषों का जीवन संदेहमुक्त था। पुरुषों के लिए एक से अधिक विवाह करना साधारण बात थी। पत्नी पति की सहर्धर्मिणी हुआ करती थी।
प्रश्न 13.
कालिदास का जीवन के प्रति क्या दृष्टिकोण था ?
उत्तर :
कालिदास आध्यात्मिक जीवन को सर्वोच्च मानते थे लेकिन जीवन में काम (Sex) से भी विरोध नहीं था। उनका यह मानना था कि नियम और संयम में बँधा हुआ काम भी अपनी प्रकृति में आध्यात्मिक ही है । इसलिए कोई गृहस्थ-जीवन बिताते हुए भी स्वभाव से साधु हो सकता है।
प्रश्न 14.
कालिदास के अनुसार जीवन का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर :
कालिदास के अनुसार जीवन का उद्देश्य आनंद और सात्विकता है । केवल विलासिता या सुखों का भोग करना जीवन का उद्देश्य नहीं है। इनके अनुसार जीवन में प्रेम का उद्देश्य पुरुष और नारी का सुखद सामंजस्य है । दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, एक-दूसरे से मिलकर ही दोनों का जीवन पूर्ण हो सकता है।
WBBSE Class 9 Hindi कालिदास Summary
शब्दार्थ
पृष्ठ सं० – 1
- कालजयी = काल पर विजयी ।
- गहन = गहरा ।
- अंतराल = अंतर ।
- नितान्त = बिल्कुल ।
- परे = अलग ।
- कृतियों = रचनाओं ।
- आत्मसात = आत्मा में लीन करना ।
- परिवेश = वातावरण ।
- आयामों = पहलुओं ।
- प्रस्कुटन = खिलना।
- अनुपम = जिसकी उपमा न दी जा सके ।
- शृंगों = शिखरों, वोटियों।
- गणना = गिनती ।
- समकालीन = बराबर समय के ।
पृष्ठ सं० – 2
- सुविख्यात = बहुत प्रसिद्ध ।
- विशिष्टता = महत्व ।
- उत्कर्ष = उत्थान ।
- शिलालेख = पत्थर पर खुदा लेख ।
- मान्यता = विचार ।
- सर्गों = अध्याय, पर्व ।
पृष्ठ सं० – 3
- अनुरूप = अपने अनुसार ।
- वियोग = विछोह, बिद्धुड़ना ।
- समग्रता = संपूर्णता ।
- माधुर्य = मधुरता
- किंवदंतियाँ = कहावत ।
- विदित = मालूम ।
- विधि = कानून ।
- विशद = विस्तृत ।
पृष्ठ सं० – 4
- उपदेशात्मक = उपदेश देनेवाली ।
- मनुहार = मनाना ।
- समक्ष = सामने ।
- आचरण =व्यवहार ।
- मोक्ष = जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाना ।
- अवगत = जानकारी ।
- विखण्डता = अनेकता ।
- संरक्षित = सुरक्षित ।
- प्रारब्ध = भाग्य, किस्मत ।
- नित = रोज ।
- वर्णनातीत = वर्णन से परे ।
- सूक्तियाँ = कथन।
- आध्यात्मिक = आत्मा से जुड़ी।
- संकीर्ण = संकरी ।
- कालातीत = काल, समय से परे ।
- सर्वज्ञ = सब जानने वाला ।
- कर्ता = जन्म देनेवाला ।
- पालक = पालन करनेवाला ।
- संहारक = संहार करने वाला।
- उपासक = उपासना करने वाले ।
- श्लोक = दोहा ।
- दृष्टिकोण = देखने का तरीका, नज़रिया।
पृष्ठ सं० – 5
- दुराग्रह = बुरा आग्रह ।
- धर्मान्धता = धर्म को अंधे की तरह मानना ।
- निराकार = बिना आकार के।
- अवहेलना = उपेक्षा ।
- निष्कलंक = बिना कलंक के ।
- आकांक्षा = इच्छा ।
- पुत्रेष्ण = पुत्र-प्राप्ति ।
पृष्ठ सं० – 6
- राजस्व = कर (टैक्स) ।
- दुराचारी = बुरे आचरण वाला ।
- क्षय = यक्ष्मा (टी०बी०) ।
- जड़ = निर्जीव।
- नाना = विविध ।
पृष्ठ सं० – 7
- यन्त्रवत् = यंत्र (मशीन) की तरह ।
- भातृभावना = भाई की तरह भावना ।
- षट = छ: ।
- हृदयस्पर्शी = हदय को छूने वाला ।
- चेतन = सजीव ।
- अमानुषी = जो मानवी न हो ।
- आकाशगामी = आकाश में गमन करनेवाला ।
- दुर्वादलों = घास।
- सतही = ऊपरी ।
- अन्तरतम = हृदय ।
पृष्ठ सं० – 8
- सुसंस्कार = अच्छे संस्कार ।
- सामंज्यस = तालमेल ।
- विधाता = ईश्वर ।
- निष्ठावान = विश्वास रखना ।
- प्रेममय = प्रेम से भरा हुआ ।
- यातनाएँ = दु:खों ।
- धरिणी = धरती ।
- अविवेकी = बिना विवेक के ।
- इन्द्रियपरक = शारीरिक।
- स्वार्थजन्य = स्वार्थ से जन्मा हुआ ।
पृष्ठ सं० – 9
- विस्मरणशीलता = भूलने की आदत ।
- काम = इंद्रिय-सुख, शारीरिक मिलन ।
- सहधर्मकारिणी = साथ-साथ धर्म का कार्य करनेवाली।
पृष्ठ सं० – 10
- हृषित = खुश ।
- निहित = समाया हुआ ।
- सर्वाधिक = सबसे अधिक ।