Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions Chapter 6 वापसी to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions Chapter 6 Question Answer – वापसी
ससंदर्भ आलोचनात्मक व्याख्या
प्रश्न 1.
अब कहाँ हम गरीब लोग आपकी कुछ खातिर कर पाएँगे।
– वक्ता कौन है ? पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता गणेशी है।
गणेशी रेलवे का एक बतुर्थवर्गीय कर्मचारी है। गजाधर बाबू जब तक रेलवे के क्वार्टर में रहे, गणेशी ने उनकी सुखसुविधा का पूरा-पूरा ध्यान रखा। अब गजाधर बाबू रिटायर होकर अपने घर जा रहे हैं – इस बात से गणेशी काफी दुःखी है कि अब वह उनकी संवा नहीं कर पाएगा। गजाधर बाबू के अच्छे व्यवहार के कारण गणेशी को उनका जाना अच्छा नहीं लग रहा है।
प्रश्न 2.
कभी-कभी हमलोगों की भी खबर लेते रहिएगा।
– ससंदर्भ पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति उषा प्रियवदा की कहानी ‘वापसी’ से लो गई है।
गजाधर बाबू पैंतीस वर्षों तक रेलवे की नौकरी करने के बाद रिटायर होकर अपने घर जा रहे हैं। इतने वर्षों से गणेशी उनके साथ रहा, उनका हर तरह से ध्यान रखा। अब शायद फिर उसका गजाधर बाबू से मिलना न हों – इसलिए वह उनसं निवेदन करता है कि पत्रों के माध्यम सं ही सही, कभी-कभो गणेशी और उसके परिवार की खोज-खबर लेते रहें। उन्हुं भुला न दे।
प्रश्न 3.
आप यहाँ रहते तो शादी में कुछ हौसला रहता।
– रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें। कथन का मूल भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
रचना ‘वापसी’ है तथा इसकी लेखिका उषा प्रियंवदा हैं।
गणणशी की बेटी की शादी जल्द ही होन वाली है। उसे उम्मीद थी कि उनके यहाँ रहने से उसे शादी में काफी सहयोग मिलता, उसका हौसला बना रहता। इसलिए उसे इस बात का दुःख है कि गजाधर बाबू उसकी बेटी की शादी में न रह पाएंगे।
प्रश्न 4.
पल्नी, बाल-बच्चे के साथ रहने की कल्पना में यह बिछोह एक दुर्बल लहर की तरह उठकर विलीन हो गया।
– पाठ का नाम लिखें। यहाँ किसकी कल्पना के बारे में कहा गया है ?
उत्तर :
पाठ का नाम ‘वापसी’ है।
पैंतीस वर्षों तक गणेशी गजाधर बाबू की सेवा करता रहा लेकिन अब वे रिटायर होकर अपने घर जा रहे हैं। गणेशी के विछोंह का उन्हें दु:ख तो है लंकिन जब वे अपनी प्नी और बाल-बच्चे के साथ रहने की कल्पना करते हैं तो उनका दुख वैस ही गायब हा जाता है जैसे जल में उठी हुई दुर्बल लहर खो जाती है।
प्रश्न 5.
गजाघर बाबू खुश थे, बहुत खुश।
– प्रस्तुत वाक्य किस पाठ से लिया गया है ? गजाघर बाबू क्यों खुश थे ?
उत्तर :
प्रस्तुत वाक्य ‘वापसी’ कहानी से लिया गया है।
पैंतौस वर्षों को नौकरी के बाद रिटायर होकर अपने परिवार के साथ अपने ही घर में रहने की कल्पना से हो गजाघर बाबू बहुत खुश हो जाते हैं। लंबे समय से चिर-प्रतिक्षित सपना साकार होने जा रहा है – इसलिए उनका खुश होना स्वाभाविक है।
प्रश्न 6.
इसी आशा के सहारे वह अपने अभाव का बोझ ढो रहे थे।
– पाठ का नाम लिखें। कौन, किसके सहारे अपने अभाव का बोझ ढो रहे थे ?
उत्तर :
पाठ का नाम ‘वापसी’ है।
गजाधर बाबू ने रेलवे की नौकरी में पैतीस वर्ष इसी उम्मीद में काट दिए थे कि रिटायर होने के बाद वह परिबार के साथ हैसी-खुशी से रह सकेंगे। इसी आशा के सहारे उन्हाँने अपने अभाव के बोझ को भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया
प्रश्न 7.
कवि प्रकृति के न होने पर भी उन्हें पत्नी की स्नेहपूर्ण बातें याद आती रहती।
– कवि प्रकृति का क्या अर्थ है ? पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
कवि-प्रकृति का अर्थ है – कवियों की तरह संवेदनशोल होना।
यद्यपि गजाघर बाबू का दिल कवियों का-सा नहीं था फिर भी उन्हे रह-रहकर पल्नी की स्नेहपूर्ण बाते तथा उसका सलज्ज चेहरा अक्सर याद आता रहता था। वह उन दिनों को याद करते थे जब पल्नो आपह करके बड़े प्यार से खिलातो थीं। पत्नी की छोटी से छोटी बातें वे याद करते रहते थे।
प्रश्न 8.
अब कितने वर्षों बाद वह अवसर आया था।
अथवा
प्रश्न 9.
वह फिर उसी स्नेह और आदर के मध्य रहने जा रहे थे।
– पाठ का नाम लिखें। पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘वापसी’ है।
गजाघर बायू के जीवन का सपना पैंतीस वर्षों के बाद पूरा होंने जा रहा था। पैतीस साल तक अंकले नौकरी करते हुए रेलवे क्वार्टर में उन्होंने इस उम्मीद में काट दिए कि रिटायर होने के बाद वे परिवार के लोगों के माथ रह सकेंगे। आज इतने वर्षों के बाद उनके जीवन में यह अवसर आया था कि वे उसी सेहपूर्ण और आदरमय वातावरण में रहने जा रहे थे।
प्रश्न 10.
उनके मन में थोड़ी-सी खिन्नता उपज आयी।
– रचना और रचनाकार का नाम लिखें। पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता गजाधर बाबू की पत्नी हैं।
गजाधर बाबू के आते ही सारे लोग हँसी-मजाक छोड़कर धीरे-धीरे खिसक गए। पत्नी ने आकर देखा कि वे अकेले ही आँगन में बैठे हैं – उसे यह देखकर बुरा लगा कि बेटे-बेटी तथा बहु को तो इस समय उनके साथ रहना था। गजाधर बाबू को यह बात खटक गई लेकिन टालने के खयाल से उन्होंने पत्नी से कहा कि सब अपने-अपने काम में लग गए हैं आखिर बच्चे ही हैं।
प्रश्न 11.
अपने-अपने काम में लग गए हैं – आखिर बच्चे ही हैं।
– वक्ता कौन है ? पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता गजाधर बाबू की पत्नी हैं।
गज्तर : वक्ता गजा का आते ही सारे लोग हँसी-मजाक छोड़कर धीरे-धीरे खिसक गए। पत्ली ने आकर देखा कि वे अंकेले ही आँगन में बैठे है – उसे यह देखकर बुरा लगा कि बेटे-बेटी तथा बहु को तो इस समय उनके साथ रहना था। गजाधर बायू को यह बात खटक गई लेकिन टालन के खयाल से उन्होंन पल्ली से कहा कि सब अपने-अपने काम मे लग गए हैं आखिर बच्चे ही हैं।
प्रश्न 12.
उन्हें अचानक ही गणेशी की याद आ गयी।
– रचनाकार कौन हैं ? किसे और क्यों अचानक गणेशी की याद आ गई है ?
उत्तर :
रचनाकार उषा प्रियंवदा हैं।
गजाधर बाबू घर लौटकर आए तो सब लोग उन्हे अकेला छोड़कर धीरे-धीरे खिसक गए। वे नाश्ता के लिए पत्ली के इंतजार में बेंठ रहें। तभी उन्हें गणेशी की याद आई जो रोज सुबह पैसंजर आने से पहले उनके नाश्ते के लिए गरमगरम पूड़ियाँ और जलेबी बनाता था। पैसेजर भले ही देर से पहुंचे लंकिन गणेशी के चाय लाने में कभी देरी नही होती थी !
प्रश्न 13.
गजाधर बाबू उस कमरे में, कभी-कभी अनायास ही, इस अस्थायित्व का अनुभव करने लगते।
– ससंदर्भ पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तुत प्तक्ति उषा प्रिययंवदा की कहानी ‘वापसी’ से ली गई है।
गजाधर बाबू नौकरी के सिलसिले में पैतीस वर्षो तक घर से बाहर रहे । इस बीच घर में जितने भी कमरे थे, सयंन अपनी-अपनी जरूरत के अनुसार उसे व्यवस्थित कर लिया। किसी ने भी यह नहीं सीचा कि गजाधर बाबू आएं तां वे कहाँ रहेंगे। उनके लिए बैठक में कुर्सियों को दीवार से सटाकर बीच में बची जगह में पतली-सी चारपाई डाल दो गई थी। यह ऐसी व्यवस्था थी जो प्राय: कुछ दिनों के लिए मेहमान के लिए की जाती है। इसी कारण गजाधर बानू को उस कमरं में यह अनुभव होता था कि वे अस्थायी तौर से वहाँ टिके हैं।
प्रश्न 14.
सभी खर्च तो वाजिब-वाजिब हैं, किसका पेट कादूँ ?
अथवा
प्रश्न 15.
यही जोड़गांठ करते-करते बूढ़ी हो गयी, न मन का पहना, न ओढ़ा।
– ससंदर्भ पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तूत प्तांक्त उषा प्रियंवदा को कहानी ‘वापसी’ से ली गई है।
गजाधर बाबू घर के रवैये तथा अनाप-शनाप खर्च को देख रहे थे। उन्होंने पत्नी से इसपर रोक लगाने की बात कही तो वह अपना ही खटराग लेकर बैठ गई कि सारं खर्च तो जरूरी ही है। इसी खर्चे के जोड़-घटाव मे वह जीवन में कभी अच्छा पहन-आंढ़ नहों सकी। इसी चक्कर में वह अपनन शौक को कभी पूरा न पाई और बूढ़ी हो गई।
प्रश्न 16.
उनसे अपनी हैसियत छिपी न थी।
– किससे, किसकी हैसियत छिपी नहीं है? पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
पत्ली से गजाधर बावू की हैसियत छिपी न थी।
जब गजाधर बावृ ने पत्नी से घर का खर्च घटाने की बात कही तो पत्लो ने एसा रुखा-सूखा जबाब दिया जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी । वं यह भी जानते थं कि पल्नी से उनकी खर्च करने की हैंसयत नही हिदी है फिर ‘ी पल्नी का यह व्यवहार उन्हे बहुत खटका।
प्रश्न 17.
गजाधर बाबू को लगा कि पल्ली कुछ और बोलेगी तो उनके कान झनझना उठेंगे।
– रचनाकार का नाम लिखें। पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रचनाकार उया प्रयवंदा है।
घर खर्च घटाने के नाम पर गजाधर वाबू की पत्नी ने जो कुछ कहा उसमें उनके लिए सहानुर्भूति की एक बूँद तक नहीं थो। इनना ही नही, बहू ने रात में खाना बनाने में सामान की बर्बादी की अलग से। उसपर से पल्ली का यह ताना -जरा-सा टर्गे नही है, कमाने वाला हाड़ तांड़ और यहाँ चीजें लूटें। – सुनकर गजाधर को ऐसा लगा कि अगर पत्नी ने आगे कुछ और कहा तो उनके कान झनझना उठंगे।
प्रश्न 18.
मैं ऐसा खाना नहीं खा सकता।
– ‘मैं’ से कौन संकेतित है ? वह कैसा खाना नहीं खा सकता ?
उत्तर :
में’ से गजाधर बाबू का बंटा नरंन्द्र संकेतित है।
गजाधर बायृ के कहन पर रात का भाजन उनकी बेटी बसन्तो ने बनाया था। खाना जान-बूझ़ कर खराब बनाया गया था ताकि आगें सं उसं काईं खाना बनाने को न बाले। कहा तो था गजाधर बानू नं इस्सलिए न चाहते हुए भी उन्होंने जैसेनैसं खाना खा लिया लंकिन नरेन्द्र ने यह कहकर थाली खिसका दो कि में एसं खाना नहीं खा सकता।
प्रश्न 19.
उस दिन के बाद बसंती पिता से बची-बची रहने लगी।
– पाठ का नाम लिखें। संदर्भित घटना का उल्लेख करें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘वापसी’ है।
बसंती अवसर पड़ांस की सहेलो शोला के यहाँ अपनी शाम गुजारती थी। उसके घर में बड़े-बड़े लड़के थे। यह बात गजाधर बाबृ को अच्छी नहों लगी। एक दिन शाम में उन्होंन बसंती को शोला के घर जाने से रोक दिया तथा घर में ही पढ़ने को कहा। बस बसंती को यह बात लग गई और उस दिन से वह गजाधर बाबू से बची-बची रहने लगी।
प्रश्न 20.
हमारे आने के पहले भी कभी ऐसी बात हुई थी ?
– वक्ता कौन है ? वक्ता के ऐसा कहने का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
वक्ता गजाधर बाबू है। एक दिन गजाधर बाबू की पली नताया कि उनका लड़का अमर अलग होना चाह रहा है। यद्धापि गजाघर बाबू के आने के पहले सब उसके साथ छाटे की ही तरह व्यवहार करते थे तथा उसकी पत्नी को भी आए दिन फूहड़पन के लिए ताने सुनने पड़ते थे फिर भी उसने कभी इन सब का विरोध नहीं किया था। गजाधर बाबू को ऐसा लगता है कि शायद उनकी वजह से अमर अलग होना चाहता है इसलिए वह पत्नी से पूछते हैं कि क्या उनके आने के पहले भी इस तरह की बात हुई थी ?
प्रश्न 21.
उन्हें लगा कि वे जिन्दगी द्वारा ठगे गये हैं।
अथवा
प्रश्न 22.
उन्होंने जो कुछ चाहा, उसमें से उन्हें एक बूँद भी न मिली।
– संदर्भित व्यक्ति कौन है ? उसे ऐसा क्यों लगता है ?
उत्तरं :
संदर्भित व्यक्ति गजाधर बाबू हैं।
गजाधर बाबू ने पैतीस वर्ष रेलवे क्वार्टर में इस आशा से काट लिए थे कि रिटायर होने के बाद वे परिवार के साथ खुशी-खुशी रहेंगे। लेकिन रिटायरमेंट के बाद घर लौटने पर अपने ही घर में अपनी ही पत्नी, बेटी तथा बेटे-बहू द्वारा उपेक्षा मिलने पर उन्हें निराशा हुई। उन्हें लगा कि जिन्दगी ने उन्हें ठग लिया है। जो उन्हॉने चाहा था उसकी एक यूँद भी उन्हें नसीब नहीं हुआ।
प्रश्न 23.
यदि गृहस्वामी के लिए पूरे घर में एक चारपाई की जगह नहीं है, तो यहीं पड़े रहेंगे।
अथवा
प्रश्न 24.
अगर कहीं और डाल दी गयी तो वहाँ चले जाएँगे।
अथवा
प्रश्न 25.
यदि बच्चों कें नीवन में उनके लिए कहीं स्थान नहीं, तो अपने ही घर में परदेशी की तरह रहेंगे।
– संदर्भित व्यक्ति का नामोल्लेख करें। वह ऐसा क्यों सोचता है ?
उत्तर : संदर्भित व्यक्ति गजाधर बाबू हैं।
घर में हर तरह से अपने आप को उपेक्षित पाकर उन्होंने यह तय कर लिया कि यदि अपने ही घर में उनके लिए जगह नही है तो इसकी शिकायत किसी से नहीं करेंगे। वे अपने ही घर में परदेशी की तरह रहेंग। शायद उनकी किस्मत में ऐसे रहना ही बदा है।
प्रश्न 26.
वह मन ही मन कितना भार ढो रहे हैं, इससे वह अनजान ही बनी रहीं।
– ‘वह’ से कौन संकेतित है ? कौन, किसकी किस बात से अनजान है ?
उत्तर :
‘वह’ से गजाधर बाबू संकेतित हैं।
गजाधर बाबू की पत्नी ने भी अपने पति के व्यथा को समझने से इन्कार कर दिया था। ऐसी बात नही थी कि वह पति के दु:ख को नहीं समझ रही थी पर वह जान बूझकर इससे अनजान ही बनी रहीं। उन्हें भी बात-बात में पति का हस्तक्षेप बुरा लगता था क्योंकि सही बात में भी हस्तक्षेप करने से घर की शांति भंग होती थी।
प्रश्न 27.
उन्होंने अनुभव किया कि वह पत्नी व बच्चों के लिए केवल धनोपार्जन के निमित्त मात्र हैं।
– संदिर्भत व्यक्ति का नामोल्लेख करें। पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
संदर्भि्त व्यक्ति गजाधर बाबू हैं।
अपने ही घर में गजाधर बाबू उपेक्षितों-सा जीवन जी रहे थे। उन्हांने अपना सारा जीवन परिवार के लिए कुर्बान कर दिया लेकिन उनकी कोई कद्र न थी। उन्होंने इस बात को अच्छी तरह से अनुभव कर लिया कि घरवालों कां केवल उनके रुपये से मतलब है, उनसे नहीं।
प्रश्न 28.
गजाधर बाबू उनके जीवन के केंद्र नहीं हो सकते।
– पाठ तथा रचनाकार का नाम लिखें। गजाधर बाबू किसके जीवन के केंद्र नहीं हो सकते ? क्यों ?
उत्तर :
पाठ ‘वापसी’ है तथा इसकी रचयिता उषा प्रियवदा हैं।
गजाधर बाबू अपनी पत्नी के जीवन के केंद्र नहीं हो सकते क्योंकि अब वे रिटायर हो चुके हैं। उनकी पत्नी ने बेटेबेटी तथा बहू के बीच ही अपनी जिंदगी बना ली है। वही उसकी दुनिया है तथा गजाधर बाबू अब केंद्र की परिधि से भी दूर हो गए हैं।
प्रश्न 29.
उनकी सारी खुशी एक गहरी उदासीनता में डूब गयी।
– ‘उनकी’ से किसकी ओर संकेत किया गया है? कौन-सी खुशी गहरी उदासीनता में डूब गयी?
उत्तर :
‘उनकी’ से गजाधर बाबू की ओर संकेत किया गया है।
गजाधर बाबू अपने ही घर में बेमल चीज की तरह उपक्षित हो गए थे। यहाँ तक कि पत्नी की ओर से भी उन्हे उपेक्षा ही मिली। यही कारण था कि वे अंदर ही अंदर दूट चुके थे। जिस खुशी के सपने को उन्होने पैंतीस वर्षों तक संजोया था उनकी वह खुशी गहरी उदासीनता में डूब गई।
प्रश्न 30.
कहते हैं, खर्च बहुत है।
– वक्ता कौन है ? उसके ऐसा कहने का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता गजाधर बाबू के बेंटे अमर को पत्नी है।
गजाधर बाबू ने रिटायरमेंट के बाद घर खर्च को नियंत्रित करने के लिए नौकर को जवाब दे दिया था। अमर के नौकर के वारे में पूछनन पर बहु ने जिस लहजे में यह वाक्य कहा उसने गजाधर बाबू के सीने में घाव कर दिया। इतना ही नहीं, अमर तथा बसंती ने घर के दूसरे काम को करने सं भी इंकार कर दिया, जो वे बखूबी कर सकते थे।
प्रश्न 31.
तो मुझसे यह नहीं होगा।
– वक्ता कौन है ? पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता गजाधर बाबू का बेटा अमर है।
गजाधर बाबू द्वारा नौकर हटा देने पर नरेन्द्र ने साफ-साफ शब्दों में माँ को अपना यह निर्णय सुना दिया – अगर बाबूजी यह समझं कि मैं साइकिल पर गहूँ रख आटा पिसाने जाऊँगा, तो यह मुझसे नहीं होगा।
प्रश्न 32.
यह मेरे बस की बात नहीं है।
– पाठ का नाम लिखें। कौन-सी बात किसके बस की नहीं है ? स्पष्ट करें।
उत्तर :
पाठ ‘वापसी’ है।
गजाधर के द्वारा घर का खर्च घटाने के लिए नौकर हटा दिए जाने पर सब अपनी- अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। इसी क्रम मे बसंती भी कहती है कि वह कॉलेज भी जाए और फिर वहाँ से लौटकर घर में झाडू भी लगाए, तो यह उसके बस की यान नही है।
प्रश्न 33.
चुपचाप पड़े रहें। हर चीज में दखल क्यों देते हैं ?
– वक्ता कौन है ? वह ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर :
वक्ता गजाधर बाबू का छोटा बेटा अमर है।
अमर हो चाहे नरेन्द्र, चाहे बसंती-किसी को भी किसी भी बात में गजाधर बाबू का हस्तक्षेप अच्छा नहीं लगता है। घर से नौकर हटा दिए जाने पर वह पिता पर भुनभुनाता हुआ साफ शब्दों में कह देता है कि वे घर मे चुपचाप पड़े रहें तथा घर की हर चीज में दखल देने की उनकी आवश्यकता नहीं है।
प्रश्न 34.
खाली बैठे रहने से तो चार पैसे घर में आयें, वही अच्छा है।
– वक्ता का नाम लिखें। वह ऐसा क्यों सोचता है ?
उत्तर :
वक्ता ‘वापसी’ कहानी के प्रमुख पात्र गजाधर बाबू हैं।
रिटायरमंट के बाद अपनी ही पत्नी, बेटी तथा बेटे- बहू से उपेक्षित होकर गजाधर बाबू पुनः कोई नौकरी करने की बात साचन हैं। इस सोच के मूल में चार पैंस कमाना नहीं है बल्कि वे इस घर से अपने-आपको दूर रखना चाहते हैं। अगर वे काई नौकरी कर लनन है तो इसी बहाने वे घर सं बाहर रह सकेंगे। उनका अपना ही यह घर अब उन्हें काट खाने को दौड़ता है।
प्रश्न 35.
तुम भी चलोगी ?
– वक्ता और श्रोता का नाम लिखें ? पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता गजाधर बायू हैं तथा श्रोता उनकी पत्नी है।
घर मे सबसं उप्षेक्षित होकर गजाधर बाबू पुनः सेठ रामजीमल की चीनी मिल में अपने लिए नौकरी तलाश लेते हैं। एक दिन के बाद उन्हे उस मिल की नौकरी पर जाना है इसलिए न चाहते हुए तथा यह जानते हुए भी कि पत्नी का उत्तर नकारात्मक होगा- एक बार वे पत्नी सं भी साथ चलने की बात कहते हैं। लेकिन पत्नी घर, गृहस्थी तथा जवान बेटी का बहाना बनाकर उनके साथ जाने सं इन्कार कर देती है।
प्रश्न 36.
मैंनें तो ऐसे ही कहा था।
– वक्ता और श्रोता का नाम लिखते हुए पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता गजाधर बाबू हैं तथा श्रोता उनकी पत्नी है।
गजाधर बाबू घर के माहौल से उबकर सठठ रामजीमल की चौनी मिल में नौकरी करने का निर्णय लेते हैं। इसी बहाने वे घर से दूर तो रह सकेंगे। वे पत्नी से भो साथ चलने की बात करते हैं लेकिन वह इन्कार कर दंती है। गजाधर बाबू ज्ञानते थे कि उत्तर यही मिलेगा – और उत्तर भी यही मिलता है। हताशा में उनके मुँह से यही निकल पाता है – “ठोक है, तुम यहीं रहो। मैंन तो ऐसे ही कहा था।”
प्रश्न 37.
उसमें चलने तक की जगह नहीं है।
– पाठ का नाम लिखें। पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘वापसी’ है।
जब गजाधर बाबू घर से उपेक्षित होकर सेठ रामजीमल के चौनी मिल में नौकरी के लिए चले जाते हैं तो घर में सब नेन की साँस लते हैं। किसी को भी अपने व्यवहार तथा उनके लिए कोई दु ख नही होता है। और तो और उनकी पत्नी यो नरेन्द से कहती है कि बाबूजो को चारपाई कमरे से निकाल दे क्यांकि उसमें चलने तक की जगह नही है।
प्रश्न 38.
बझी हुई आग में एक चिनगारी चमक उठी।
– यमंदर्भ पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
मनन्त गांक्त उषा प्रियवदा की कहानी ‘वापसी’ से ली गई है। हो गए। जब उन्होंने सेठ रामजामल क चोनी मिल मे नौकरी करने का निश्चय किसा तो सपने के वुझं हुए भाग में आशा की जो एक चिनगारी शेष थी – वह भी युझ गई, जब पत्नी ने उनके साथ जाने से इन्कार कर दिया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : उषा प्रियंवदा ने ‘वापसी’ कहानी में शहरी जीवन का यधार्थ चित्रण किया है – समीक्षा करें।
प्रश्न – 2 : ‘वापसी’ कहानी परम्परागत मानवीय संबंध के टूटने की कहानी है – अपने विचार लिखें।
प्रश्न – 3 : उषा प्रियंवदा की कहानी ‘वापसी’ में छठे और सातवें दशक के शहरी जीवन का संवेदनापूर्ण चित्रण किया गया है – समीक्षा करें।
प्रश्न-4 : ‘वापसी’ कहानी परिवार के टूटने की कहानी है – समीक्षा करें।
प्रश्न-5: ‘वापसी’ कहानी व्यक्ति के अकेलेपन से टूटने-बिखरने की कहानी है – समीक्षा करें।
प्रश्न-6: ‘वापसी’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
प्रश्न – 7 : ‘वापसी’ कहानी के माध्यम से उषा प्रियंवदा ने जो संदेश देना चाहा है उसे अपने शब्दों में त्बिें।
प्रश्न – 8: ‘वापसी’ के शीर्षक की सार्थकता पर अपने विचार लिखें।
उत्तर :
‘वापसी’ कहानी केवल कहानी नहीं, वह हर ऐसे इंसान की कहानी है जो अकेलेपन से दृटकर बिखरने वाला ही है। इस कहानी के गजाधर बालू भी इसी पीड़ा की दश को झेलनेवालों में से एक हैं –
बुझ जाए सरेशाम ही जैसे कोई चिराग़
वुुछ यूँ है शुरूआत मेरी दास्तान की।
गजाधर बाबू रेलवे की नौकरी में 35 वर्षो तक अकेलेपन से जूझते हैं ताकि रिटायर होने के बाद परिवार के साथ बाकी जिंदगी खुशी-खुशी बिता सकें। लेकिन रिटायर होकर घर आते ही उन्हें यह महसूस होता है कि जिंदगी ने उन्हे ठग लिया है। बेटे (अमर-नरेन्द्र) -बहू तथा बेटी (बसती) के उपेक्षापूर्ण रवैये से भीतर ही भीतर दूटने लगते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि जिन लोगों की जिंदगो को बेहतर बनान के लिए उन्होंने अपनी खुशियों को कुर्बान कर दिया – यह उनकी सबसे बड़ी गलती हों गई। उनके रहने की व्यवस्था भी कुछ इस तरह की गई मानो वे अस्थायी मेहमान हो। रह-रहकर घरवालों द्वारा उनके बारे में जो कुछ कहा जाता है उनसे वे भौतर ही भीतर दूट-से जाते हैं –
चुपचाप पड़े रहें। हर चीज में दखल क्यों देते हैं ?
अत में घर के उपेक्षापूर्ण रवैये से ऊबकर वे सेठ रामजीमल की चीनी मिल में नौकरी तलाश कर वहाँ जाने की तैयारी करते हैं। उन्हें सबसं बड़ा झटका तब लगता है जब पत्नी भी उनके साथ जाने से इंकार कर देती है – ‘ मैं चलूँगी तो यहाँ का क्या होगा ? इतनी बड़ी गृहस्थी, फिर सयानी लड़की पत्नी की इस बात से वे गहरा मौन धारण कर लेते हैं। यह वही पत्नी है, जिसकी यादों के सहारे उन्होंने अपने पैंतीस वर्ष रेलवे क्वार्टर में काट दिए और आज जब उसकी सबसे ज्यादा जरूरत गजाधर बाबू को है तो वह भी स्वार्थ के वशीभूत उनका साथ देने से इन्कार कर देती है –
तेरे इश्क में हमने दिल को जलाया।
कसम सर की तेरे, मजा कुछ न आया।
गजाधर बापू वापस चीनी मिल की नौकरी पर चले जाते हैं लेकिन हमारे लिए कुछ अनुत्तरित प्रश्न छांड़ जाते हैं –
क्या गजाधर बाबू के साथ घरवालों का यह व्यवहार उचित है ?
क्या माँ-बाबू बूढ़े होने के बाद बेकार की चीज हो जाते हैं ?
उन्होंने परिवार के लिए जीवन भर जो त्याग किया है उसकी कोई कीमत नहीं है ?
अगर हम अपने बड़ों से ऐसा व्यवहार करेंगे तो हमारे बच्चे हमारे साथ कैसा व्यवहार करेंगे ?
इस प्रकार हम पातं हैं गजाधर बाबू की सारी पोड़ा, सारा अकेलापन, निराशा तथा जिंदगी द्वारा उगे जाने की सारी पोड़ाइस कहानी के शीर्षक ‘वापसी’ में ही निहित है। आखिर कबतक नई पीढ़ी केबल स्वार्थ और पैसों से ही रिश्ते को आंकतो रहंगी –
दौलत भी आड़े आती है रिश्तों में,
अपनों से अपनों का रिश्ता दूट गया।
निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि उषा प्रियवंदा ने इस कहानी में शहरी जीवन में बढ़ती उदासी, अकेलेपन, ऊब आदि का चित्रण करने में अत्यंत गहरे यथार्थ बोध का परिचय दिया है।
प्रश्न – 9 : ‘वापसी’ कहानी के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण करें।
प्रश्न – 10 : ‘वापसी’ कहानी के जिस पात्र ने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया हो उसकी चारित्रिक विशेषताओं को लिखें।
प्रश्न – 11: ‘वापसी’ कहानी के गजाधर बाबू का चरत्रि-चित्रण करें।
प्रश्न – 12: उन्हें लगा कि वे जिन्दगी द्वारा ठगे गए हैं। उन्होंने जो कुछ चाहा, उसमें से उन्हें एक बूँद भी न मिली – पंक्ति के आधार पर संदर्भित व्यक्ति का चरित्र-चित्रण करें।
प्रश्न – 13 :
यदि बच्चों के जीवन में उनके लिए कहीं स्थान नहीं, तो अपने ही घर में परदेशी की तरह रहेंगे – पंक्ति के आधार पर गजाधर बाबू का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर :
‘वापसी’ उषा प्रियंवदा की चर्चित कहानियों में से एक है। इस कहानी में वैसे तो अनेक पात्र है लेकिन इन सारे पात्रों में मुझे जिस चरित्र ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है – वह है गजाधर बाबू का चरित्र। बाकी सब चरित्र इनके चरित्र के आस-पास ही चक्कर काटते नज़र आते हैं। दर असल गजाधर बाबू का चरित्र ही समूची कहानी का केन्द्र बिन्दु है। गजाधर बाबू की चारित्रिक विशेषताओं को निम्नांकित बिंदुओं के अंतर्गत देखा जा सकता है-
(क) सौम्य एवं सरल व्यक्तित्व :- गजाधर बाबू का व्यक्तित्व साधारण होते हुए भी आकर्षक है। वे स्वभाव से स्वय भी स्नही हैं तथा दूसरों से भी स्नंह की आकांक्षा रखते हैं। यही कारण है कि गणेशी बड़े भक्ति-भाव से उनकी सेवा में लगा रहता है तथा सेठ रामजीमल के मिल के भी कई कर्मचारी उन्हें फुरसत के समय में घंरे रहते हैं। रिटायर होकर घर लौटते समय गणेशी तो अपने आँसू भी नही रोक पाता – “‘ अब आप लोग सहारा न देंगे, तो कौन देगा ! आप यहाँ रहते तो शादी में कुछ हौसला रहता।”
(ख) परिवार से गहरा लगाव रखने वाले :- भले ही गजाधर बाबू ने अपनी नौकरी का अधिकांश समय अकेले ही काटा हो लेकिन वे उस समय की कल्पना करते हैं जब परिवार के साथ रह सकेंगे। जब परिवार और पत्नी उनके साथ थी तो उन दिनों को याद कर उनके जीवन में गहरा सूनापन भर उठता है –
जब आती है तेरी याद कभी शाम के बाद
और भी बढ़ जाती है तड़पन शाम के बाद।
(ग) पत्नी से प्रेम करने वाले :- गजाधर बावू के मन में पत्नी के प्रति बड़ा ही प्रेम है। कवि-प्रकृति के न होने के बावजूद वे उन दिनों को याद करते हैं जब-स्टेशन से वापस आने पर गरम-गरम रोटियाँ सेंकती – उनके खा चुकने और मना करने पर भी थोड़ा-सा कुछ और थाली में परोस देती और बड़े प्यार से आमह करती। जब वह थके-हारे बाहर से आते तो पत्नी दरवाजे पर सलज्ज ऑखों से मुस्कुराते हुए उनका स्वागत करती थीं।
(घ) सांसारिक दृष्टि से सफल :- गजाधर बायू का जीवन सांसारिक दृटि से सफल कहा जा सकता है क्योंक अपनी कमाई से उन्होंन शहर में एक मकान बनवा लिया था, बड़े लड़के अमर और बड़ी लड़की कांति की शादियाँ कर दी थी। छोटा बेटा नरेन्द्र और बेटी बसंतो दोनों कॉलेज में पढ़ रहे थे।
(ङ) अपनी ही संतान से उपेक्षित :- गजाधर बाबू ने अपने जीवन की सारी कमाई परिवार की उन्नात के लिए लगा दी लंकिन रिटायर होकर घर वापस लौटने पर अपने ही बच्चों द्वारा उपक्षित होते हैं। फिर भी वे किसी के सामने शिकायत नहीं करते हैं और सारा दंश मन ही मन स्वय झलतं हैं क्योंकि शिकायत करना उनके स्वभाव में नहीं है। बल्कि वं ये तय कर लते है कि यदि बच्चों के जीवन में उनके लिए काई स्थान नहीं, तो अपन ही यर में परदेशी की तरह रहेंगे –
कभी एहसान का बदला माँगा नहीं करते
जैसे पेड़ साये का किराया माँगा नहीं करते।
ये वही संतान हैं जिन्होने कभी उनकी ऊॅगली पकड़कर चलना सीखा था। लंकिन अब स्थिरित बदल चुकी है है उसकी शर्त की ऊंगली पकड़ वे चलना है फिर उसवे बाद वो रस्ता बताने लगता है ।
(च) पत्नी से भी उपेक्षित :- एसा नहीं हैं कि केवल बच्चे ही गजाधर बाबू की उपक्षा करते हैं बल्कि पत्नी भी समय के साथ अपना रंग बदल लती है। जीवन की शुरू आत में वह गजाधर बाबू को काफी चाहती है, उनका ध्यान रखती है लेकिन आगे चलकर वह भी बेटे-बंटी तथा बहू के साथ मिलकर उनक साथ उपक्षापूर्ण रवैया अपना लेती है –
पत्नी ने बड़े व्यंग्य से कहा, “और कुछ नहीं, तो तुम्हारी बहू को चौके में भेज दिया।”
लेकिन लाईट जलाने पर सामने गजाधर बाबू को लेटे देख वह सिटपिटा जाती है क्योंकि गजाधर बाबू के सामने उसकी पोल खुल चुकी है।
(छ) पुनः वापसी के लिए विवश :- घर के उपक्षापूर्ण रवैये से गजाधर बाबू फिर घर से वापस जाने की सोच लते हैं। वे सेठ रामजीमल की चौनी मिल में नौकरी करना स्वीकार कर लेंत हैं। जब पत्नी से साथ चलन को कहते हैं तो वह भी घर-गृहस्थी संभालने का बहाना बनाकर साथ चलने से मना कर देती है। अंत में गजाधर बाबू अंकेल ही घर से नई नौकरी के लिए रवाना हो जाते हैं –
चलने को चल रहा हूँ मगर जी उचट गया,
आधा सफर तो खाक उड़ाने में कट गया।
प्रश्न – 14 : गजाधर बाबू की पत्नी की चारित्रिक-विशेषताओं को लिखें।
प्रश्न – 15 : गजाधर बाबू की पत्नी का चरित्र-चित्रण करें।
प्रश्न – 16 : ‘बाबू जी की चारपाई कमरे से निकाल दे। उसमें चलने तक की जगह नहीं है – वक्ता का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर :
‘वापसी’ कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार की कहानी है। गजाधर बाबू के बाद प्रमुख पात्रों में उनकी पल्नी का ही स्थान है। कहानी के प्रारंभ से अंत तक वह किसी न किसी रूप मे उनसे जुड़ी रहती है। गजाधर बाबू की पत्नी की चारित्रिक विशेषताओं को इन शीर्षकों के अंतर्गत देखा जा सकता है –
(क) जीवन के शुरूआत में पति का ध्यान रखनेवाली :- गजाधर बाबू की पत्नी जब उनके साथ जीवन प्रारंभ करती है तो वह अपने व्यवहार से उनका दिल जीत लेती है –
“जब वह थके-हारे बाहर से आते, तो उनकी आहट पा वह रसोई से द्वार पर निकल आती और उसकी सलज्ज आँखें मुस्करा उठती।”
(ख) समय के साथ व्यवहार में परिवर्तन :- समय बीतने के साथ-साथ गजाधर बाबू की पत्नी के व्यवहार में परिवर्तन आता है तथा वह पति की बजाय बेटे की सुख-सुविधा का ध्यान रखती है। इतना ही नहीं, वह गजाधर बाबू की उपेक्षा भी करती है। गजाधर बाबू पत्नी में आए इस परिवर्तन को साफ-साफ महसूस करते हैं-
” यही थी क्या उनकी पत्नी, जिसके हायों के कोमल स्पर्श, जिसकी मुस्कान की याद में उन्होने सम्पूर्ण जीवन काट दिया था ? उन्हें लगा कि वह लावण्यमयी युवती जीवन की राह में कहीं खो गई और उसकी जगह आज जो स्त्री है, वह उनके मन और प्राणों के लिए नितांत अपरिचित है।”
(ग) पुत्रों को पति के खिलाफ भड़कानेवाली :- गजाधर बाबू की पत्नी न केवल पति की उपेक्षा करती है बल्कि पुत्रों को भी उनके विरूद्ध भड़काती है –
” और कुछ नहीं सूझा, तो तुम्हारी बहू को चौके में भेज दिया। वह गयी तो पन्द्रह दिन का राशन पाँच दिन में बनाकर रख दिया।”
(घ) पति का दर्द न समझने वाली :- गजाधर बाबू की पत्नी को अपने पति की आंतरिक पौड़ा से कोई लेनादेना नहीं है या फिर वह जान-वूझकर इससे अनजान बनी रहती है। गजाधर बालू भी उसके इस रवैये को साफ-साफ अनुभव करते हैं कि वे केवल पत्ली और बच्चों के लिए धन कमाने वाले साधन मात्र हैं तथा उनकी पीड़ा से किसी का कोई लना-देना नहीं है –
”जिस व्यक्ति के अस्तित्व से पत्नी माँग में सिन्दूर डालने की अधिकारी है, समाज में उसकी प्रतिष्ठा है, उनके सामने वह दो वक्त भोजन की थाली रख देने से सारे कर्त्तव्यों से छुट्टी पा जाती है। वह घी और चीनी के डिब्बों में इतनी रमी हुई थी कि अब वही उनकी सम्पूर्ण दुनिया बन गयी है। गजाधर बाबू उनके जीवन के केन्द्र नहीं हो सकते थी।”
(ङ) गाढ़े समय में पति का साथ नहीं देनेवाली :- अपने ही घर के लोगों से उपेक्षित होकर गजाधर बाबू सेठ रामजीमल की चीनी-मिल में नौकरी करने का निश्चय करते हैं ताकि घर के इस विषाक्त माहौल से दूर रह सके। उन्हे लगता है कि पत्नी भी उनके साथ चलेगी लेकिन घर गृहस्थी का बहाना बनाकर पत्नी कन्नी काट जाती है –
“‘में चलूँगी तो यहाँ का क्या होगा? इतनी बड़ी गृहस्थी, फिर सयानी लड़की ……..”
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि गजाधर बाबू के दु:ख का कारण उनके स्वार्थी बच्चे तो हैं ही लेकिन इन सबके मूल में उनकी पल्नी ही है। यदि वह चाहती तो घर का माहौल बिगड़ने से रोक सकती थी तथा गजाधर बाबू को पीड़ा का यह दर्श नहीं झलना पड़ता। इसीलिए संस्कृत में कहा गया है –
“त्रियाचरित्रम, पुरूषस्य भाग्यं दैवो न जानति कुतो मनुष्यः ।”
अति लघूत्तरीय/लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
अब कहाँ हम गरीब लोग आपकी कुछ खातिर कर पाएँगे?
– पाठ का नाम लिखें । वक्ता और श्रोता कौन हैं ?
उत्तर :
पाठ का नाम ‘वापसी’ है ।
वक्ता गणेशी और श्रोता गजाधर बाबू हैं।
प्रश्न 2.
अब आप लोग सहारा न देंगे, तो कौन देगा ?
– रचनाकार का नाम लिखें । यह कौन, किससे कह रहा है ?
उत्तर :
रचनाकार उषा प्रियंवदा हैं।
यह गणेशी गजाधर बाबू के कह रहा है ।
प्रश्न 3.
यह विछोह एक दुर्बल लहर की तरह उठकर विलीन हो गया।
– कौन-सा विछोह दुर्बल लहर की तरह उठकर किसमें विलीन हो गया ?
उत्तर :
गणेशी का विछोह अपने परिवार के साथ रहने की खुशी में दुर्बल लहर की तरह विलीन हो गया।
प्रश्न 4.
इसी आशा के सहारे वह अपने अभाव का बोझ ढो रहे थे।
– पाठ का नाम लिखें । कौन, किस आशा के सहारे अपने अभाव का बोझ ढो रहे थे ?
उत्तर :
पाठ का नाम ‘वापसी’ है।
गजाधर बाबू रिटायरमेंट के बाद पत्ली तथा बाल-बच्चों के साथ रहने की आशा के सहारे अपने अभाव का बोझ हो रहे थे ।
प्रश्न 5.
गजाधर बाबू स्वभाव से कैसे व्यक्ति थे ?
उत्तर :
गजाधर बालू ख्वभाव से सेही तथा दूसरों से भी सेह का आकांक्षा रखनेवाले व्यक्ति थे।
प्रश्न 6.
गजाधर बालू को तब हर छोटी बात याद आती और वह उदास हो उठते।
– गजाधर बाबू कौन-सी छोटी बात याद आने पर उदास हो जाते थे ?
उत्तर :
जब गजाधर बानू को अपने पत्नी के स्नेहपूर्ण व्यवहार, गरमा-गरम रोटियाँ खिलाना, आग्रह करके थोड़ा अधिक परोसना तथा आने पर दरवाजे पर सलज्ज आँखों से स्वागत करने की बात याद आती तो वे दुखी हो उठते थे।
प्रश्न 7.
अब कितने वर्षों बाद वह अवसर आया था ?
– किसके जीवन में कितने वर्षों बाद कौन-सा अवसर आया था ?
उत्तर :
गजाधर बाबू के जीवन में पैंतीस वर्षों के बाद अपने परिवार के बीच रहने का अवसर आया था।
प्रश्न 8.
उनके मन में थोड़ी-सी खिन्रता उपज आयी।
– यहाँ किसके बारे में कहा जा रहा है ? उनके मन में खिन्नता क्यों उपज आयी ?
उत्तर :
यहाँ गजाधर बाबू के बारे में कहा जा रहा है । वे जैसे ही घर पहुँचे मनोविनोद का वातावरण शांत हो गया तथा सबने घुप्पी साध ली । जबकि वे भी उनलोगों के मनोविनोद में शामिल होना बाह रहे थे । ऐसा न होने पर उनके मन में खिन्रता उपज आई ।
प्रश्न 9.
अरे आप अकेले बैठे हैं – ये सब कहाँ गए
– पाठ का नाम लिखें । ‘आप’ और ‘ये सब’ से कौन संकेतित हैं ?
उत्तर :
पाठ का नाम ‘वापसी’ है।
‘आप’ से गजाधर बाबू तथा ‘ये सब’ से उनके बेटे-बहू तथा बेटी संकेतित हैं।
प्रश्न 10.
संसार की दृष्टि से गजाधर बाबू का जीवन कैसे सफल कहा जा सकता था ?
उत्तर:
गजाधर बावू ने रेलवे की नौकरी से शहर में एक मकान बनवा लिया था, बड़े लड़के अमर और कांति की शादी तय कर दी थी तथा नरेन्द्र और बसंती ऊँची कक्षाओं में पढ़ रहे थे । मध्यम वर्ग की यही उपलब्धि बड़ी उपलब्धि होती है इसलिए सांसारिक दृष्टि से गजाधर बाबू का जीवन सफल कहा जा सकता था।
प्रश्न 11.
उन्हें अचानक ही गणेशी की याद आ गई ।
– ‘उन्हें’ शब्द किसके लिए आया है ? उन्हें गणेशी की याद क्यों आ गई ?
उत्तर :
उन्हें’ शब्द गजाधर बाबू के लिए आया है ।
घर पर वे चाय-नाश्ते का इंतजार कर रहे थे। नौकरी के दौरान गणेशी उन्हें सही समय पर चाय-नाश्ता दे दिया करता था जब्बकि यहाँ इतजार करना पड़ रहा था। यही कारण था कि उन्हें अचानक ही गणेशी की याद आ गई।
प्रश्न 12.
क्या मजाल कि कभी उससे कुछ कहना पड़े ?
– पाठ का नाम लिखें । पंक्ति का आशय स्पप्ट करें ।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘वापसी’ है।
गणेशी गजाधर बाबू के सारे काम बिल्कुल सही समय पर कर देता था। उसे याद दिलाने या कुछ कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी।
प्रश्न 13.
कोई जरा हाथ भी नहीं बँटाता ।
– वक्ता कौन है ? कौन किस काम में उसका हाथ नहीं बँटाता है ?
उत्तर :
वक्ता गजाधर वावू की पत्ली है । उसे रसोई का काम अकेले ही देखना पड़ता है। बहू और बेटी भी उसकी सहायता नहीं करती, उसे इसी बात का रोना है।
प्रश्न 14.
मना करूँ तो सुनती नहीं ।
– पाठ और लेखक का नाम लिखें । कौन, किसे, किस बात के लिए मना करने पर नहीं सुनता है ?
उत्तर :
पाठ ‘वापसी’ है तथा इसकी लेखिका उषा प्रियंवदा हैं।
गजाधर बाबू की लड़की बसंती पड़ोसिन तथा सहेली शीला के घर में घुसी रहती है। बड़े-बड़े लड़के भी उस घर में हैं इसलिए गजाधर बावू की पत्नी को यह अच्छा नहीं लगता । जब वह बसंती को मना करती है फिर भी उस पर बातों का असर नहीं होता।
प्रश्न 15.
उन्हें याद हो आती उन रेलगाड़ियों की ।
– किसे और क्यों रेलगाड़ी की याद हो आती है ?
उत्तर :
गजाधर बाबू जब अपने ही घर में अपना अस्थायी ठिकाना देखते हैं तो उन्हें उन रेलगाड़ियों की याद आती है जो कुछ देर स्टेशन पर रुककर अपने लक्ष्य की ओर चली जाती है। गजाधर बाबू की दशा भी इन रेलगाड़ियों की तरह ही है ।
प्रश्न 16.
वह एक दिन चटाई लेकर आ गयीं ।
– रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें। चटाई लेकर कौन और क्यों आया ?
उत्तर :
रचना ‘वापसी’ है तथा इसकी रचयिता उषा प्रियंवदा हैं।
चटाई लेकर गजाधर बानू की प्ली बैठठक में आई जहाँ उनकी चारपाई बिछी थी। पत्ली को जब भी घर-गृहस्थी की बाते या किसी की शिकायत करनी होती थी तो वह चटाई लेकर बैठक में आ जाती थीं।
प्रश्न 17.
यही थी क्या उनकी पत्नी ?
– कौन, किसकी पत्ली के बारे में सोच रहा है और क्यों ?
उत्तर :
गजाधर बाबू अपनी पत्ली के बारे में सोच रहे हैं।
गजाधर बाबू ने पाया कि उनकी पत्नी पहले वाली पत्नी नहीं रह गई है। न तो वह कोमल स्पर्श रहा, न वह मुस्कान जिसकी याद में उन्होंने रेलवे की नौकरी में पैतीस वर्ष काट दिए थे।
प्रश्न 18.
मैं ऐसा खाना नहीं खा सकता ।
– वक्ता कौन है ? वह ऐसा क्यों कह रहा है ?
उत्तर :
वक्ता गजाघर बायू का छोटा बेटा नरेन्द्र है। गजाधर बायू के कहने पर बसंती ने नाक-भौं सिकोड़कर खाना बनाया – वह भी ऐसा जो खाने के लायक नहीं था। इसलिए नरेन्द्र ने खाने से इन्कार कर दिया।
प्रश्न 19.
रूठी हुई है।
– कौन रूठी हुई है और क्यों ?
उत्तर :
गजाधर बाबू की बेटी बसंती रूठी हुई है क्योंकि उन्होंने उसे पड़ोस की शीला के घर जाने से मना किया था। शीला के घर में बड़े-बड़े लड़के थे इसालिए उसका वहाँ जाना गजाधर बाबू की पत्नी को भी अच्छा नहीं लगता था।
प्रश्न 20.
जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं है।
– वक्ता का नाम लिखें। किस बात में किसे जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं की ब्ञात कही जा रही है ?
उत्तर :
वक्ता गजाधर बाबू हैं।
अमर तथा उसकी प्नी गजाधर बाबू को घर में रहने तथा छोटी-छोटी बातों में हस्तक्षेप करना पसंद नहीं था। बैठक में गजाधर बाबू का खाट बिन्छ जाने के कारण ही अमर के मित्रों की अड्डुबाजी खत्म हो गयी थी। इन्हीं सब कारणों से वह घर से अलग होना चाहता था। इसपर गजाधर बाबू ने पल्नी से कहा कि उसे कहो कि अभी जल्दीबाजी करने की कोई जरूरत नहीं है ।
प्रश्न 21.
उन्हें लगा कि वे जिन्दगी द्वारा ठगे गए हैं ।
– पाठ और लेखक का नाम लिखें । किसे ऐसा लगता है और क्यों ?
उत्तर :
पाठ ‘वापसी’ है तथा इसकी लेखिका उषा प्रियंवदा हैं।
गजाधर बाबू को ऐसा लगता है कि वे जिंदगी द्वारा ठगे गए हैं क्योंकि पूरी जिंदगी उन्होंने जिस परिवार के लिए अकेलेपन में काट दी, आज उन्हीं के द्वारा वे उपेक्षित हो गए हैं।
प्रश्न 22.
उन्होंने जो कुछ चाहा, उसमें से उन्हें एक बूँद भी न मिली ।
– किसने, किससे क्या चाहा और उन्हें वह क्यों नहीं मिल पाया ?
उत्तर :
गजाधर बाबू ने रिटायर होने के बाद परिवार के साथ बाकी की जिंदगी गुजारनी चाही थी लेकिन बदले में उपेक्षा और प्रताड़ना ही मिली । उन्होंने जितना चाहा था उसका एक बूँद भी उन्हें नहीं मिल पाया। इसके पीछे कारण यह है कि उनके बेटे, बेटी, बहू और यहाँ तक कि उनकी पत्नी भी अपने स्वार्थ तथा मनमानी जिंदगी जीने की इच्छा के सामने उनकी उपेक्षा कर दी ।
प्रश्न 23.
उनकी सारी खुशी एक गहरी उदासीनता में डूब गई ।
– किनकी सारी खुशी गहरी उदासीनता में और क्यों डूब गई ?
उत्तर :
गजाधर बाबू की रिटायरमेंट के बाद पत्नी तथा बाल-बच्चों के साथ रहने की खुशी गहरी उदासीनता में डुब गई । घर में उनकी स्थिति ऐसे पुराने फर्नीचर की तरह हो गई थी कि उसे जहाँ भी रखो बेमेल ही नजर आता है । अपने ही घर में वे उपेक्षितों की तरह जीवन जीने को विवश हो गए थे तथा उन्होंने इस स्थिति की कभी कल्पना भी न की थी।
प्रश्न 24.
उन्होंने तो पहले ही कहा था, मैंने ही मना कर दिया था।
– किसने, किससे क्या कहा था और उन्होंने क्यों मना कर दिया था ?
उत्तर :
बाबू रामजीमल ने गजाधर बाबू से रिटायर होने के बाद अपने चीनी मिल की देखरेख करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया । उनकी सोच यह थी कि रिटायर होने के बाद की जिंदगी अपने भरे-पूरे परिवार के साथ हँसी-खुशी के साथ गुरारेंगे, जिसकी उम्मीद उन्होंने पैंतीस वर्षों से लगा रखी थी।
प्रश्न 25.
मैं चलूँगी तो यहाँ का क्या होगा?
– वक्ता कौन है ? ‘यहाँ का क्या होगा’ का आशय स्पष्ट करें ।
उत्तर :
वक्ता गजाधर बाबू की पत्नी है।
उसके कथन का आशय यह है कि घर में बेटे-बहू, तथा एक जवान बेटी है । यदि वह भी गजाधर बाबू के साथ चली जाएगी तो फिर इस घर तथा यहाँ के लोगों की देखभाल कौन करेगा। दरअसल वह भी अपने पति का साथ देना नहीं चाहती है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उषा प्रियंवदा का जन्म कब हुआ था ?
(क) 24 दिसम्बर सन् 1930
(ख) 20 जनवरी सन् 1925
(ग) 15 फरवरी सन् 1931
(घ) 24 मार्च सन् 1930
उत्तर :
(क) 24 दिसम्बर सन् 1930।
प्रश्न 2.
उषा प्रियंवदा का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) रायपुर
(ख) विलासपुर
(ग) कानपुर
(घ) जमालपुर
उत्तर :
(ग) कानपुर।
प्रश्न 3.
‘वनवास’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) अरूण कमल
(ख) अज्ञेय
(ग) यशपाल
(घ) उषा प्रियंवदा
उत्तर :
(घ) उषा प्रियेंवदा।
प्रश्न 4.
‘कितना बड़ा झूठ’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) दिनकर
(ख) प्रेमचंद
(ग) उषा प्रियंवदा
(घ) अमृता प्रीतम
उत्तर :
(ग) उषा प्रियंवदा।
प्रश्न 5.
‘शून्य’ (कहानी-संग्रह) के रचयिता कौन हैं ?
(क) पाश
(ख) निराला
(ग) कैफी आज़मी
(घ) उषा प्रियंवदा
उत्तर :
(घ) उषा प्रियंवदा
प्रश्न 6.
‘जिंदगी और गुलाब के फूल’ (कहानी-संग्रह) के रचयिता कौन हैं ?
(क) उषा प्रियंवदा
(ख) प्रेमचंद
(ग) नागार्जुन
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर :
(क) उषा प्रियंवदा।
प्रश्न 7.
‘एक कोई दूसरो’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) चेख़्रव
(ख) प्रेमचंद्
(ग) उषा प्रियंवदा
(घ) बंग महिला
उत्तर :
(ग) उषा प्रियंवदा।
प्रश्न 8.
मेरी प्रिय कहानियाँ (कहानी-संग्रह) किसकी रचना है ?
(क) उषा प्रियंवदा
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) अमृता प्रीतम
(घ) अरूण कमल
उत्तर :
(क) उषा प्रियंवदा।
प्रश्न 9.
‘संपूर्ण कहानियाँ (कहानी-संग्रह) किसकी कृति है ?
(क) महादेवी वर्मा
(ख) उषा प्रियवंदा
(ग) धर्मवोर भारती
(घ) हरिशंकर परसाई
उत्तर :
(ख) उषा प्रियवंदा।
प्रश्न 10.
‘रूकोगी नहीं राधिका’ (उपन्यास) के उपन्यासकार क्रौन हैं ?
(क) उषा प्रियंवदा
(ख) प्रेमचंद
(ग) शुकदेव प्रसाद
(घ) हरिशंकर परसाई
उत्तर :
(क) उषा प्रियवंदा।
प्रश्न 11.
‘शेष यात्रा’ (उपन्यास) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) अन्तो चेखव
(ख) कुँवर नारायण
(ग) उषा प्रियंवदा
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर :
(ग) उषा प्रियंवदा।
प्रश्न 12.
‘पचपन खंभे लाल दीवारें’ (उपन्यास) के रचयिता कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) उषा प्रियंवदा
(ग) दिनकर
(घ) निराला
उत्तर :
(ख) उषा प्रियंवदा।
प्रश्न 13.
‘अंतर्वेशी’ (उपन्यास) किसकी कृति है ?
(क) निराला
(ख) प्रेमचंद
(ग) प्रसाद
(घ) उषा प्रियंवदा
उत्तर :
(घ) उषा प्रियंवदा।
प्रश्न 14.
‘भया कबीर उदास’ (उपन्यास) किसकी रचना है?
(क) चेख्रव
(ख) शुकदेव
(ग) अरूण कमल
(घ) उषा प्रियंवदा
उत्तर :
(घ) उषा प्रियंवदा।
प्रश्न 15.
‘वापसी’ कहानी के नायक निम्न में से कौन है ?
(क) गणेशी
(ख) गजाधर बाबू.
(ग) अमर
(घ) सेठ रामजीमल
उत्तर :
(ख) गजाधर बाबू।
प्रश्न 16.
गजाधर बाबू को भेंट के तौर पर गणेशी ने क्या दिया ?
(क) कपड़े
(ख) बेसन के लडु
(ग) सत्तू.
(घ) जलेबी
उत्तर :
(ख) बेसन के लड़े।
प्रश्न 17.
गजाधर बाबू की नौकरी कहाँ थी ?
(क) रेलवे
(ख) बैंक
(ग) कचहरी
(घ) स्कूल
उत्तर :
(क) रेलवे।
प्रश्न 18.
गजाधर बाबू ने कितने वर्षों तक नौकरी की ?
(क) 30 वर्ष
(ख) पैतीस वर्ष
(ग) चालीस वर्ष
(घस) बीस वर्ष
उत्तर :
(ख) पैंतीस वर्ष।
प्रश्न 19.
गजाधर बाबू किस दिन रिटायर होकर घर लौटे ?
(क) सोमवार
(ख) बुधवार
(ग) शुकवार
(घ) इतवार
उत्तर :
(घ) इतवार।
प्रश्न 20.
गजाधर बाबू के बड़े बेटे का नाम क्या है ?
(क) गणेशी
(ख) अमर
(ग) नरेन्द्र
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) अमर।
प्रश्न 21.
गजाधर बाबू के छोटे बेटे का क्या नाम है ?
(क) अमर
(ख) नरेन्द्र
(ग) गणेशी
(घ) इनमें से कौन नहीं
उत्तर :
(ख) नरेन्द्र।
प्रश्न 22.
गजाधर बाबू की शादीशुदा (विवाहिता) बेटी का नाम क्या है ?
(क) बसंती
(ख) शांति
(ग) कांति
(घ) दीज्ति
उत्तर :
(ख) शांति।
प्रश्न 23.
गजाधर बाबू की कुंवारी बेटी का नाम क्या है ?
(क) शांति
(ख) कांति
(ग) बसंती
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर :
(ग) बसंती।
प्रश्न 24.
गजाधर बाबू के कितने बेटे-बेटियाँ थीं ?
(क) दो बेटे दो बेटी
(ख) एक बेटा दो बेटी
(ग) दो बेटा तीन बेटी
(घ) एक बेटा एक बेटी
उस्तर :
(क) दो बेटे दो बेटी।
प्रश्न 25.
चाय-नाश्ते का इंतजार करते समय गजाधर बाबू को किसकी याद आई ?
(क) हलवाई की
(ख) पत्नी की
(ग) गणेशो की
(घ) बसंती की
उत्तर :
(ग) गणेशी की।
प्रश्न 26.
कोई जरा हाथ भी नहीं बँटाता-वक्ता कौन है ?
(क) गणेशी
(ख) गजाधर बाबू की पल्ली
(ग) बसंती
(घ) वह्
उत्तर :
(ख) गजाधर बाबू की पत्नी।
प्रश्न 27.
गजाधर बाबू किस रेलवे स्टेशन पर कार्यरत् थे?
(क) रानीपुर
(ख) बर्णपुर
(ग) गाजीपुर
(घ) रामपुर
उत्तर :
(क) रानीपुर।
प्रश्न 28.
शाम का खाना बनाने की जिम्मेवारी गजाधर बाबू ने किसे दी ?
(क) बसंती को
(ख) बहू को
(ग) कांति को
(घ) पत्नी को
उत्तर :
(क) बसंती को।
प्रश्न 29.
गजायर बाबू का खाट घर में कहाँ लगाया गया ?
(क) बैठक में
(ख) बरामदे में
(ग) आँगन में
(घ) छत पर
उत्तर :
(क) बैठक में।
प्रश्न 30.
गजाधर बाबू को अपने कमरे में किसकी याद आती थी ?
(क) रेलगाड़ियों की
(ख) स्टेशन की
(ग) गणेशी की
(घ) पत्ली की
उत्तर :
(क) रेलगाडियों की।
प्रश्न 31.
मैं ऐसा खाना नहीं खा सकता – वक्ता कौन है ?
(क) अमर
(ख) नरेन्द्र
(ग) गजाधर बाबू
(घ) सेठ रामजीलाल
उत्तर :
(ख) नरेन्द्र।
प्रश्न 32.
हमारे आने के पहले भी कभी ऐसी बात हुई थी ? – वक्ता कौन है ?
(क) गजाधर बाबू
(ख) नेरन्द्र
(ग) अमर
(घ) पत्नी
उत्तर :
(क) गजाधर बाबू।
प्रश्न 33.
‘वापसी’ कहानी में किसे लगता है कि वह जिंदगी द्वारा ठगा गया है ?
(क) अमर
(ख) नरेन्द्र
(ग) नौकर
(घ) गजाधर बालू
उत्तर :
(घ) गजाधर बाबू।
प्रश्न 34.
गजाधर बाबू किसके जीवन के केन्द्र नहीं बन सकते ?
(क) पत्नी
(ख) बेटे
(ग) बेटी
(घ) बहू
उत्तर :
(क) पत्नी।
प्रश्न 35.
किसकी उपस्थिति घर में असंगत लगने लगी थी ?
(क) नरेन्द्र
(ख) अमर
(ग) नौकर
(घ) गजाधर बाबू.
उत्तर :
(घ) गजाधर बाबू।
प्रश्न 36.
गजाधर बाबू को बहू की कौन-सी बात खटक गई ?
(क) बायू जी ने नौकर छुड़ा दिया है।
(ख) कहते हैं खर्च बहुत है।
(ग) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) कहते हैं खर्च बहुत है।
प्रश्न 37.
यह मेरे बस की बात नहीं है – वक्ता कौन है ?
(क) नरेन्द्र
(ख) नौकर
(ग) बसंती
(घ) अमर
उत्तर :
(ग) बसंती।
प्रश्न 38.
खाली बैठे रहने से तो चार पैसे घर में आयें – वक्ता कौन है ?
(क) गजाधर बाबू
(ख) नरेन्द्र
(ग) पत्नी
(घ) बहू
उत्तर :
(क) गजाधर बाबू।
प्रश्न 39.
गजाधर बाबू के लिए चिट्ठी कहाँ से आई थी ?
(क) रेलवे से
(ख) बैंक से
(ग) चीनी मिल से
(घ) तेल मिल से
उत्तर :
(ग) चीनी मिल से।
प्रश्न 40.
मैंने तो ऐसे ही कहा था – वक्ता कौन है ?
(क) नरेन्द्र
(ख) बसंती
(ग) पत्नी
(घ) गजाधर बायू
उत्तर :
(घ) गजाधर बाबू।
प्रश्न 41.
ठीक है तुम यहीं रहो – वक्ता कौन है ?
(क) गजाधर बाबू
(ख) नरेन्द्र
(ग) अमर
(घ) पत्नी
उत्तर :
(क) गजाधर बाबू।
प्रश्न 42.
तुम भी चलोगी ? — वक्ता कौन है ?
(क) बसंती
(ख) बहू
(ग) अमर
(घ) गजाधर बाबू
उत्तर :
(घ) गजाधर बाबू।
प्रश्न 43.
खैर परसों जाना है — वक्ता कौन है ?
(क) गणेशी
(ख) गजाधर बाबू
(ग) अमर
(घ) कांति
उत्तर :
(ख) गजाधर बाबू।
टिप्पणियाँ
1. रिटायर (अवकाश) :- प्रस्तुत शब्द उषा प्रियंवदा की कहानी ‘वापसी’ से लिया गया है।
सरकारी या अर्द्धसरकारी नौकरी में जिस प्रकार नौकरी पाने के लिए न्यूनतम उम्म 18 साल होती है उसी प्रकार 60 वर्ष उम्र हो जाने के बाद व्यक्ति को नौकरी से रिटायर कर दिया जाता है। रिटायर को हिन्दी में अवकाश माप्त करना भी कहते हैं।
2. रेलवे क्वार्टर :- प्रस्तुत शब्द उषा प्रियंवदा की कहानी ‘वापसी’ से लिया गया है।
भारतीय रेलवे का जाल पूरेरे भारतवर्ष में फेला हुआ है। इसमें काम करनेवालों का ट्रांसफर भी होता रहता है। ऐसे में आवास की व्यवस्था करना एक बड़ी समस्या बन जाती है । इस समस्या के समाधान के लिए भारतीय रेलवे अपने कर्मचारियों के लिए स्टेशन के आसपास ही उनके रहने की व्यवस्था उनके पद के अनुसार करती है। जिस मकान में उनके रहने की व्यवस्था की जाती है, वह रेलवे क्वार्टर कहलाता है।
3. तुलसी :- प्रत्तुत शब्द उषा पियंवदा की कहानी ‘वापसी’ से लिया गया है।
तुलसी एक छोटा-सा औषधि के गुणों से युक्त पौधा होता है । इसे अत्यंत पवि्र माना जाता है तथा हिन्दू इसका व्यवहार पूजा-पाठ में करते हैं। इसका पौधा आँगन में लगाया जाता है। प्रात काल इसमें जल घढ़ाते और सायंकाल इसके नीचे दिया जलाते हैं।
पुराणों की कथा के अनुसार तुलसी का एक नाम वृन्दा है । अपने पतिव्वता धर्म के कारण विष्णु के लिए भी वंदनीय थी। इसी वृन्दा के नाम पर श्रीकृष्ण की लीलाभूमि का नाम वृंदावन पड़ा।
4. फिल्म :- प्रस्तुत शब्द उषा प्रियंवदा की कहानी ‘वापसी’ से लिया गया है।
आज से लगभग सौ साल पहले 3 मई, 1913 ई० को दादा साहब फाल्के ने पहली भारतीय फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाई थी । तब से अब तक भारतीय सिनेमा ने एक लंबी यात्रा तय की है। मूक फिल्मों से शुरू होकर यह मल्टीप्लैक्स तक पहुँच गया है । विषय-वस्तु तथा टेक्नीक की दृष्टि से आज की फिल्में न जाने कहाँ से कहाँ पहुँच गई है।
5. हैसियत :- प्रस्तुत शब्द उषा प्रियंवदा की कहानी ‘वापसी’ से लिया गया है।
किसी भी व्यक्ति के पास जो चल-अचल संपत्ति तथा आय का सोत होता है वही उस व्यक्ति की हैसियत होती है। अपनी हैसियत से आगे बढ़कर खर्च करना व्यक्ति के दु ख का कारण होता है।
6. परदेशी :- प्रस्तुत शब्द उषा प्रियंवदा की कहानी ‘वापसी’ से लिया गया है।
अपने देश या स्थान को छोड़कर जो दूसरी स्थान पर जाता या बस जाता है, वह परदेशी अर्थात् दूसरे देश का कहलाता है । अपना देश सभी को स्वर्ग से भी ज्यादा प्यारा होता है क्योंकि परदेश में वह स्नेह और आत्मीयतावाला व्यवहार नहीं मिलता जो अपने देश में मिलता है।
7. साइकिल :- प्रस्तुत शब्द उपा प्रियंयदा की कहानी ‘वापसी’ से लिया गया है।
दोपहिया वाहन साइकिल का प्रचन 19 वीं शताब्दी में यूरोप में आरंभ हुआ । इस समय पूरे विश्व में लगभग दस करोड़ सायकिलें हैं। चौन और नीदरलैण्ड आदि देशों में साइकिल आवागमन का मुख्य साधन है । संस्कृति तथा उद्योग दोनों पर इसका प्रभाव पड़ा है ।
8. रिक्शा :- प्रस्तुत शब्द उषा प्रियंबदा की कहानी ‘वाषसी’ से लिया गया है ।
रिक्शा एक तीन पहिया वाला वाहन आवागमन का सस्ता साधन है, जिसे साइकिल की तरह पैडल मारकर चलाया जाता है । अभी कई देशों में इसपर प्रतिबंध लगाया गया है तथा इसके स्थान पर ऑटो रिक्शा का प्रचलन बढ़ रहा है।
9. परिवार :- प्रस्तुत शब्द उषा प्रियंवदा की कहानी ‘वापसी’ से लिया गया है।
साधारण परिवार का अर्थ होता है जिसमें माँ-बाप और बच्चे हों । संयुक्त परिवार में एक साथ दो या तीन पीढ़ी के लोग रहते हैं। भारतीय परिमेक्ष्य में एकल परिवार का प्रचलन बढ़ रहा है।
10. पैसेन्जर ट्रेन :- प्रस्तुत शब्द उषा प्रियवंदा की कहानी ‘वापसी’ से लिया गया है।
19वर्वीं शताब्दी में पैसेंजर ट्रेन का अविष्कार हुआ। 19 वीं शताब्दी के मध्य तक पैसेंजर ट्रेन के बॉगी लकड़ी से बने होते थे। पैसेंजर ट्रेन लम्बी दूरी के बजाय कम दूरी तय करते है क्योंकि इन्हें हर हॉल्ट या स्टेशन पर रुकना होता है। इसमें प्राय: वैसे लोग यात्रा करते हैं जो अपनी नौकरी या व्यवसाय के सिलसिले में एक छोटी निश्चित दूरी तक रोज आना-जाना करते हैं।
पाठ्याधारित व्याकरण
WBBSE Class 9 Hindi वापसी Summary
उषा प्रियंवदा (जन्म 24 दिसम्बर 1930) प्रवासी हिंदी साहित्यकार हैं । कानपुर में जन्मी उषा प्रियंवदा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. तथा पी-एच. डो. की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली के लेडी श्रीराम कालेज और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। इसी समय उन्हें फुलब्राइट स्कालरशिप मिली और वे अमरीका चली गई ।
अमरीका के ब्लूमिंगटन, इंडियाना में दो वर्ष पोस्ट डाक्टरेट अध्ययन की और 1964 में विस्कांसिन विश्वविद्यालय, मैडिसन में दक्षिण एशियाई विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्य प्रारंभ किया। आजकल वे सेवानिवृत्त होकर लेखन और भ्रमण कर रही हैं । उषा प्रियंवदा के कथा साहित्य में छठे और सातवें दशक के शहरी परिवारों का संवेदनापूर्ण चित्रण मिलता है । उस समय शहरी जीवन में बढ़ती उदासी, अकेलेपन, ऊब आदि का अंकन करने में उन्होंने अत्यंत गहरे यथार्थबोध का परिचय दिया है ।
प्रमुख कृतियाँ :-
कहानी-संग्रह : वनवास, कितना बड़ा झूठ, शून्य, जिन्दगी और गुलाब के फूल, एक कोई दूसरा, मेरी प्रिय कहानियाँ, संपूर्ण कहानियाँ।
उपन्यास : रुकोगी नहीं राधिका, शेष यात्रा, पचपन खंभे लाल दीवारें, अंतर्वेशी, भया कबीर उदास।
शब्दार्थ
पृष्ठ सं० – 65
- खातिर = स्वागत, आदर ।
- विषाद = दु ख ।
- सहज = आसान, जहाँ कोई बनावटीपन न हो ।
- अगहन = अग्रहन, हिंदी का एक महीना ।
- हौसला = साहस, हिम्मत ।
- अँगोछे = गमछा ।
पृष्ठ सं० – 66
- विछोह = वियोग, बिछडड़ना ।
- दुर्बल = कमजोर ।
- विलीन = गायब ।
- रिटायर = सेवानिवृत्त ।
- स्नेही = प्रेमी ।
- आकांक्षी = इच्छा रखनेवाले ।
- मनोविनोद = मनोरंजन ।
- गहन = गहरा ।
- कवि-प्रकृति = कवि की तरह स्वभाव ।
- सेहपूर्ण = प्रेम से भरी ।
- आग्रह = अनुरोध, विनती ।
- सलज्जा = लज्जा से भरी।
- कहकहों = हँसी ।
- गत = पिछला।
- दुहरी = लोट-पोट।
- उन्मुक्त = खुलकर ।
पृष्ठ सं० -67
- झट = तुरंत ।
- सिटपिटाकर = सकपकाकर ।
- खिन्नता = कोध ।
- लिहाज = सम्मान।
- अर्ध्य = जल, जो किसी को अर्षण किया जाता है ।
- स्तुति = मंत्रपाठ।
- चौके = रसोई घर ।
- लबालब = पूरा-पूरा भरा हुआ ।
- मजाल = हिम्मत, गुस्ताखी ।
- व्याघात = रुकावट ।
- हाथ बँटाना = सहयोग, मदद करना ।
पृष्ठ सं० – 68
- जी न लगना = मन न लगना ।
- फुरसत = छुट्टी, अवकाश ।
- सुहाता = अच्छा लगता ।
- अनायास = अचानक
- मर्तवान = शीशे का बर्तन ।
- अलगनी = कपड़े फैलाने की रस्सी ।
- लापरवाही = बिना किसी के परवाह के ।
- भरसक = कोशिश भर ।
- कुशन = रवैया = चाल-चलन ।
पृष्ठ सं – 69
- वाजिब = सही, जायज ।
- जोड़गांठ = जोड़ घटाव ।
- मन का = पसंद का ।
- आहत = दुखी ।
- विस्मित = आश्चर्यवकित।
- हैसियत = औकात ।
- तंगी = अभाव mid
- आन्तरिक = हदय की ।
- लावप्यमयी = तोखे नैनन-नक्शवाली, नमकीन ।
- नितान्त = बिस्कुल ।
- अपरिचित = बिना जान-पहचान के ।
- कुरूप = भद्दा ।
- श्रीहीन = सौदर्य से हीन ।
- निस्संग = अकेला ।
- पतीली = एक बर्त्तन जो पीतल का बना होता है, देगची ।
- हाड़ = हड्डु ।
- भींच = कस ।
- तुनककर = चिढ़कर ।
- शऊर = अक्ल।
पृष्ठ सं – 70
- मुँह लपेटे = मुँह ढके, मुँह फुलाए ।
- पिछवाड़े = मकान का पिछला हिस्सा ।
- रोष = कोध ।
- बेमौके = बिना मौके के ।
पृष्ठ सं – 71
- चारपाई = खाट, खटिया ।
- चिरपरिचित = लंबे समय से पहचाना हुआ ।
- निधि = खजाना, धरोहर।
- दायरा = सीमित स्थान ।
- विविध = अनेक ।
- झड़प = झगड़ा ।
- गौरैयों = एक प्रकार की चिड़िया जो घरों में ही अक्सर अपना घोसला बनाती है ।
- गम = दुख ।
- लक्ष्य = गोल ।
- आहत = घायल, दुखी ।
- धनोपार्जन = धन का उपार्जन (कमाना) ।
- निमिन्त = साधन ।
पृष्ठ सं – 72
- वार्तालाप = बातचीत ।
- टोन = लहजे, स्वर ।
- खटक = बुरा ।
- भुनभुनाना = अपने-आप से बालना।
- सिटपिटायी = झेंप गई मानो उसकी चोरी पकड़ी गई हो।
- मुख-मुद्रा = चेहरे का भाव।
- अवकाश = छुट्टी, सेवानिवृत ।
पृष्ठ सं – 73
- सयानी = जवान ।
- हताश = निराश ।
- मौन = चुप्पी ।
- मठरी = मैदे से बनी नमकीन जो आकार में गोल होती है :