Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions Chapter 5 भोलाराम का जीव to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions Chapter 5 Question Answer – भोलाराम का जीव
ससंदर्भ आलोचनात्मक व्याख्या
प्रश्न 1.
महाराज वह भी लापता है।
– पाठ का नाम लिखें। अंश काभाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘भोलाराम का जीव’ है।
जो यमदूत भोलाराम की आत्मा को लेकर आ रहा था – उसका भी कोई अता-पता नहीं था। भोलाराम के जीव के साथ-साथ वह भी गायब था। दोनों ही मृत्युलोक से समलोक के लिए चले थे लेकिन दोनों ही बीच से ही लापता हो गए थे।
प्रश्न 2.
अरे, तू कहाँ रहा इतने दिन – वक्ता और श्रोता कौन हैं ? पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता धर्मराज तथा श्रोता यमदूत है।
यमदूत पाँच दिन पहले भोलाराम के जीव को लाने गया था। चार दिनों तक दोनों में से किसी का कोई अता-पता नहीं था। पाँचवें दिन यमदूत आया लेकिन भोलाराम का जीव उसके साथ नही था। इसलिए जब इतने दिन बाद धर्मराज ने यमदूत को देखा तो उनका क्रोध फूट पड़ा।
प्रश्न 3.
मेरे इन अभ्यस्त हाथों से अच्छे-अच्छे वकील भी नहीं छूट सके – वक्ता कौन हैं। अंश में निहित आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता यमूदत है। धरती के प्राणियों में वकील दूसरों को चकका देने में विख्यात हैं। वे अपनी चालाकी से सच का झूठ और को सच में बदल देते है। वकील ऐसा प्राणी हे जो किसी की भी आँखों में धूल झोंक सकता है। यमदूत के अभ्यस्त हाथा से कभी ऐसे वकील भी नहीं दूर सके, फिर भोलराम के जीव को औकात ही क्या थी !
प्रश्न 4.
वह समस्या तो कब की हल हो गई। – रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें। यहाँ कौन किस समस्या के हल के बारे में बातें कर रहा है ?
उत्तर :
रचना ‘भोलाराम का जीव’ है तथा इसके रचनाकार सुपसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई हैं।
धर्मराज को चिंतित देखकर नारदजी ने सोचा कि शायद नरक में निवास-स्थान की समस्या को लेकर धर्मराज चिंतित हैं। लेकिन धर्मराज ने उन्हें बताया कि नरक में गुणी कारीगर, बड़े-बड़े इंजीनियर, ठेकेदार तथा ओवरसीयर के आ जाने से वह समस्या तो कब की हल हो चुकी है।
प्रश्न 5.
एक बड़ी विकट उलझन आ गई है। – पाठ का नाम लिखें। पंक्ति में निहित आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘भोलाराम का जीव’ है।
धर्मराज ने नारद जी को यह बताया कि भोलाराम नामक व्यक्ति के जीव के गायब हो जाने से बहुत बड़ी समस्या सामने आ गई है। अगर आत्मा ऐसे ही यमदूत को चकमा देकर भागने लगी तो बड़ी विकट स्थिति या आएगी और पाप-पुण्य का अंतर ही मिट जाएगा।
प्रश्न 6.
हो सकता है, उन लोगों ने रोक लिया हो।
– वक्ता कौन है ? उन लोगों से किसके बारे में और क्या कहा गया है?
उत्तर :
वक्ता नारद मुनि हैं
‘उनलोगो’ से तात्पर्य इनकमटैक्स वालों से है। इनका पृथ्वी पर इतना आतंक है कि जब तक कोई अपना टैक्स न चुका दे – उसको आत्मा भी शरीर नहीं छांड़ सकती।
प्रश्न 7.
मैं पृथ्वी पर जाता हूँ। – वक्ता कौन है ? वह पृथ्वी पर क्यों जाना चाहता है ?
उत्तर :
वक्ता नारद जी हैं।
जब नारद ने भालाराम के जीव के गायब होने की कहानी धर्मराज से सुनी तो उन्हें यह मामला बड़ा दिलचस्प लगा और उन्होंन उसका पता लगाने के लिए स्वयं पृथ्वी पर जाने का निर्णय लिया
प्रश्न 8.
चलो स्वर्ग में तुम्हारा इंतजार हो रहा है।
– वक्ता और श्रोता का नाम लिखें। पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता नारद मुनन हैं और श्रोता भोलाराम का जीव है।
जब पेशन की फाईल में से भोलाराम के जीव की आवाज आती है तो नारद उसे कहते हैं कि तुम मेरे साथ चलो क्यांकि स्वर्ग में तुम्हारा इतजार हो रहा है। लेकिन भोलाराम का जीव अपनी फाइल को छोड़कर नहीं जाना चाहता है क्यांकि उसका मन वहीं लग गया है
प्रश्न 9.
ऐसा कभी नहीं हुआ था …
अथवा
प्रश्न 10.
इन पाँच दिनों में मैंने सारा ब्रह्याण्ड छान डाला, पर उसका कहीं पता नहीं चला।
उत्तर :
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्ति हरिशंकर परसाई की कहानी ‘भोलाराम का जीव’ से ली गई है।
व्याख्या : धर्मराज लाखों वर्षों से व्यक्ति को उसके कर्म या सिफारिशों के आधार पर स्वर्ग या नरक में जगह दे रहे थे लैकन यह पहली बार हुआ था कि कोई जीव दंह छाड़ने के बाद पाँच दिनों तक यमलोक नहीं आया हो। यमदूत ने भी सारा बहाड छान मारा था लेकिन भोलाराम का जीव था जो कि पकड़ में ही नहीं आ रहा था। जिन हाथो से अच्छे- अच्छे वकील भी नही छूट पाए – उन्ही को चकमा देकर भोलाराम का जीव गायब हो गया था। धर्मराज के अब तक के समय में ऐसी घटना कभी नहीं घटी थी। इसलिए वे भी हैरान-परेशान थे।
प्रश्न 11.
आजकल पृथ्वी पर इस प्रकार का व्यापार बहुत चल रहा है।
उत्तर :
संद्र : प्रस्तुत पक्ति हरिशंकर परसाई की कहानी ‘भोलाराम का जीव’ से ली गई है।
व्याख्या : जब दूत ने धर्मराज को यह सफाई दी कि उसने भोलाराम के जीव को लाने में कोई असावधानी नहीं कि फिर भी वह गायब हों गया। कहीं किसी ने काई इन्द्रजाल तो नहीं कर दिया। चित्रगुप्त ने दूत की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा कि आजकल पृथ्वी पर एसा हों जाना आश्चर्य की बात नहीं है। उदाहरण के लिए रेलवेवाले फल तथा होजरी के पार्सल गायब कर देते हैं। कभी-कभी तो मालगाड़ी के डब्बे के डब्बे माल रास्ते से ही गायब हो जाते हैं। इतना ही नहीं राजनैतिक दलों के नता तो विरोधो नेता को भी उडाकर गायब कर देते हैं। कहीं भोलाराम के किसी विरोधी ने तो ऐसा कोई काम नहीं किया!
प्रश्न 12.
क्या बताऊँ ? गरीबी की बीमारी थी।
उत्तर :
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्ति हरिशंकर परसाई की कहानी ‘भोलाराम का जीव’ से ली गई है।
व्याख्या : नारद जी के द्रारा भोलाराम की पत्नी से यह पूछने पर कि भोलाराम को क्या बीमारी थी-पत्नी ने बताया कि उसंगरोबी की बीमारी थी। रिटायर होने के पाँच वर्षों बाद भी पेंशन न मिलने से घर के जेवर तथा बर्तन भी खाने के पीछे बिक गए। जब बेचन को कोई सामान नहीं बचा तो चिता तथा भूख से भालाराम की मौत हो गयी। यहाँ परसाई जी ने उस मरकारी तत्र पर प्रहार किया है जिसमें वर्षो तक सरकार की सेवा करने के बाद भी पेंशन के अभाव में कर्मचारियों को भूखों मरना पड़ता है।
यहाँ परसाई जी ने यह कहना चाहा है कि राजनीति, समाज, प्रशासन, न्याय आदि सभी संस्थाएँ भ्रष्टाचार की गिरफ्त में हैं अन्यधा रिटायर होने के पाँच वर्ष बाद भी पेंशन न मिलने का क्या कारण हो सकता है।
प्रश्न 13.
आप हैं वैरागी, दफ्तरों के रीति-रिवाज नहीं जानते।
अथवा
प्रश्न 14.
भई, यह भी एक मंदिर है।
उत्तर :
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्ति हरिशंकर परसाई की कहानी ‘भोलाराम का जीव’ से ली गई है।
व्याख्या : जब नारद जी बगैर अनुमति लिए तथा बिना विजिटिंग कार्ड भिजवाएं बड़े साहब के कमरे में घुस गए तो बंड़ साहब को काफी गुस्सा आया। आने का कारण जानने पर उन्होने नारद जी को यह समझाया कि यह भी एक प्रकार का सरकारी मंदिर है, यहाँ भी भेंट चढ़ाकर दान-पुण्य किया जाता है।
जिस प्रकार अपना काम निकालने के लिए मंदिरों में चढ़ावा चद्वाना पड़ता है, ठीक उसी प्रकार यहाँ भी काम करवाने के लिए दरख्यास्तो पर वज़न रखना पड़ता है। बिना वज़न (रिश्वत) के यहाँ काई काम नहीं होता है। काम निकालना है तो फिर यहाँ के रीति-रिवाज के अनुसार चलना पड़ेगा। दर असल हमारी सारी व्यवस्था ही प्रष्ट है। यह तंत्र इतना संवेदनशून्य हो चुका है कि उसे यह साचने की भी फुर्सत भी नहीं कि जिनकी मौत भूख से हुई – वह घूस के पैसे कहाँ से लाएगा?
प्रश्न 15.
लड़की जल्दी संगीत सीख गयी, तो उसकी शादी हो जाएगी।
उत्तर :
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्ति हरिशकर परसाई की कहानी ‘भोलाराम का जीव’ से ली गई है।
व्याख्या : जब पेंशन-दफ्तर के बड़े बाबू ने यह भली प्रकार देख-समझ लिया कि नारद जी से वज़न मिलना संभव नहीं है तो उन्होंन वज़न के तौर पर उन्हे अपनी वीणा ही देने को कहा। वीणा मांगने के पीछे दो कारण थ -पहला कारण था कि नारद जी से उन्हें रुपये मिलने की उम्मीद नहीं थी तथा दूसरा यह कि वीणा उनकी लड़की के काम आएगी, जो अभी वोणा बजाना सीख ही रही थी। बड़े बाबू को लगा कि साधुओं की वीणा से तो स्वर और भी अच्छे निकलते हैं। यदि उनकी लड़की इससे वोणा बजाना जल्दी सीख जाएगी तो उसकी शादी भी जल्द हो जाएगी।
प्रश्न 16.
मैं तो पेन्शन की दरख्वास्तों में अटका हूँ।
अधवा
प्रश्न 17.
यहीं मेरा मन लगा है। मैं अपनी दरख्वास्तें छोड़कर नहीं जा सकता।
उत्तर :
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्ति हरिशंकर परसाई की कहानी ‘भोलाराम का जीव’ से ली गई है।
व्याख्या : भोलाराम की पेंशन की फाईल मंगवाने पर जब बड़े साहब ने आश्वस्त होने के लिए नाम पूछा तो नारद जी ने जोर से कहा – भॉलाराम । बस यह कहते ही फाईल में से आवाज आई – कौन पुकार रहा है मुझे? पोस्टमैन है क्या? पेशन का ऑर्डर आ गया।’ – नारद जी सारा माजरा समझ गए। उन्होंने कहा – ‘मैं नारद हूँ। मैं तुम्हे लेने आया हूँ। चलो, स्वर्ग में तुम्हारा इन्तजार हो रहा है।’ इस पर भोलाराम के जीव की फाईल में से आवाज आई – ‘मुझे नहीं जाना। मैं तो पंशन की दरखास्तो में अटका हूँ। यहीं मेरा मन लगा है। मैं अपनी दरख्वास्ते छोड़कर नही जा सकता।’
प्रश्न 18.
तुम साधु हो, कोई लुच्चे-लफंगे नहीं हो।
अथवा
प्रश्न 19.
जिंदगी-भर उन्होंने किसी दूसरी खी को आँख उठाकर भी नहीं देखा।
उत्तर :
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्ति हरिशंकर परसाई की कहानी ‘भोलाराम का जीव’ से ली गई है।
व्याख्या : भारतीय खियों की एक बड़ी खासियत है कि वह अपने पति को नैतिकता तथा आदर्श का पुतला समझ बैठती है। अगर जीते-जो नहीं तो मरने के बाद अवश्य ही क्योंकि पति ‘परमेश्वर’ होता है। यही कारण है कि भोलाराम के बारे में किसी अन्य खी या प्रेम-प्रसंग के बारे में पूछे जाने पर पत्नी एकदम से भड़क उठती है – ‘बको मत, महाराज। तुम साधु हो, कोई लुच्चे-लफंगे नहीं हो। जिन्दगी भर उन्होंने किसी दूसरी ख्री को आँख उठाकर भी नहीं देखा।’
भोलाराम की पत्ली के इस कथन पर नारद जी के माध्यम से परसाई जी ने बड़ी अच्छी टिपणी की है – ‘यही भ्रम हर अच्छी गृहस्थी का आधार है।’
प्रश्न 20.
क्या नर्क में निवास-स्थान की समस्या अभी हल नहीं हुई?
उत्तर :
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्ति हरिशंकर परसाई की कहानी ‘भोलाराम का जीव’ से ली गई है।
व्याख्या : नारद जी ने आने के साथ ही जब धर्मराज को चिंतित देखा तो उन्हें लगा कि शायदे नर्क में निवास-स्थान की समस्या को लेकर वे चिंतित हैं। इस पर धर्मराज ने कहा कि यह उनकी चिंता का कारण नहीं है क्योंकि पिछले कुछ सालों में नर्क में गुणी कारीगर, रद्दी इमारतें बनाने वाले ठेकेदार, पंचवर्षीय योजनाओं का पैसा तथा रिश्वतख़्रोर इंजीनियर तथा हाजिरी बनाकर पैसा खानेवाले ओवसियरों के आ जाने से कई इमारतों का निर्माण हो चुका है।
कहने का भाव यह है कि भवन-निर्माण से लेकर राष्ट्र-निर्माण करने वाली एक-एक ईंट भष्टाचार में डूबी हुई है। यदि पौराणिक कथा की मानें तो इन भश्धाचियों को भी एक दिन नर्क में जाना ही पड़ेगा।
प्रश्न 21.
अच्छा, मुझे उसका नाम पता तो बतलाओ।
उत्तर :
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्ति हरिशंकर परसाई की कहानी ‘भोलाराम का जीव’ से ली गई है।
नारद जी ने धर्मराज, चित्रगुप्त तथा दूत की परेशानी को देखते हुए उनकी मदद करने के लिए भोलाराम का पता पूछा ताकि वे उसके जीव को खोजकर ला सकें। चित्रगुप्त ने नारद जी को रजिस्टर देखकर बताया कि सरकारी कर्मचारी भॉलाराम अपनी पत्नी, दो लड़के और एक लड़की के साथ जबलपुर के घमापुर मुहल्ले में रहता था।
यह पूरा परिवार नाले के किनारे मात्र डेढ़ी कमरे में रहता था। भोलाराम पाँच साल पहले रिटायर हो चुका था। पिछले एक साल से उसने मकान-किराया भी नहीं दिया था। अगर मकान-मालिक वास्तविक होगा तो उसने भोलाराम के मरने के बाद ही उसके परिवार को घर से बाहर कर दिया होगा। ऐसे में भोलाराम के परिवार का अता-पता ढूढना एक कठिन काम होगा। इस पवित के माध्यम से परसाई जी ने सरकारी तथा सामाजिक विसगगतियों के प्रति एक साथ अपना क्षोभ प्रकट किया है।
प्रश्न 22.
उन्हें खुश कर लिया तो अभी काम हो जाएगा।
उत्तर :
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्ति हरिशंकर परसाई की कहानी ‘भोलाराम का जीव’ से ली गई है।
व्याख्या : पेंशन-दफ्तर का चपरासी काफी देर से नारद जी को परेशान होते देख रहा था। हर बाबू उन्हें दूसरे बाबू के पास भेज देता था। इस तरह उन्होंने पच्चीस-तीस सरकारी बाबुओं और अफसरों के दर्शन का लाभ उठाया। यह सब देखकर चपरासी से नहीं रहा गया। क्योंकि उसे पता था कि इस तरह नारद जी का काम तो होने से रहा।
अंत में उसने नारद जी का समझाया – ‘अगर आप साल-भर भी यहाँ चक्कर लगाते रहें, तो भी काम नहीं होगा। आप तो सीधे बड़े साहब से मिलिए। उन्हें खुश कर लिया तो अभी काम हो जाएगा।’ प्रस्तुत्रसंग सरकारी दफ्तर के बाबुओं तथा उनके काम-काज के तरीके की पोल खोलता है। यही जनतंत्र है – अर्थात् यहाँ जनता का तंत्र नहीं, जनता के लिए तंत्र की व्यवस्था की गई है और इस व्यवस्था की कीमत भी चुकानी पड़ती है।
प्रश्न 23.
ऐसा कभी नहीं हुआ था।
अथवा
प्रश्न 24.
पर ऐसा कभी नहीं हुआ था।
– रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें। कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रचना भोलाराम का जोव’ है तथा इसके रचनाकार हरशिकर परसाई हैं।
ऐसा कभी नहीं हुआ था कि किसी की मृत्यु के बाद उसका जीव यमदूत के चगुल से बचकर निकल भागा हो तथा उसका पता नहीं चल पाया हो। लेकिन इस बार भोलाराम के जीव ने यमदूत को चकमा दे दिया था तथा उसका कहीं कोई अता-पता नहीं था।
प्रश्न 25.
गलती पकड़ में ही नहीं आ रही थी।
– पाठ का नाम लिखें। कौन-सी गलती पकड़ में नहीं आ रही थी ?
उत्तर :
पाठ का नाम ‘भोलाराम का जीव’ है।
चित्रगुप्त लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों का हिसाब रख रहे थे। भोलाराम के बारे में भी उनके रजिस्टर में सारी जानकारी सही-सही दर्ज थी। फिर भी उसका जीव कहाँ गायब हो गया – यह गलती पकड़ में ही नहीं आ रही थी।
प्रश्न 26.
महाराज, वह भी लापता है।
– वक्ता कौन है? यहाँ ‘भी’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
वक्ता चित्रगुप्त है ।
धर्मराज ने सोचा था कि केवल भोलाराम का जीव ही गायब है लेकिन बात ऐसी नहीं थी। उसके साथ वह यमदूत भी गायब था जो भोलाराम के जीव को लाने गया था। इसलिए जब धर्मराज ने यमदूत के बारे में पूछा तो चित्रुप्त ने कहा कि महाराज, उसका भी कुछ पता नहीं है।
प्रश्न 27.
उसका मौलिक कुरूप चेहरा परिश्रम, परेशानी और भय के कारण और भी विकृत हो गया था।
– यहाँ किसके बारे में कहा जा रहा है ? उसका चेहरा ऐसा क्यों हो गया था ?
उत्तर :
यहाँ उस यमदूत के बारे में कहा जा रहा है जो भोलाराम के जीव को लाने गया था।
भोलाराम के जौव के गायब हो जाने पर यमदूत उसे लगातार पाँच दिनों तक पूरे ब्रह्माड में ढूंढ़ता रहा। इसीलिए इस मुसीबत के कारण उसका मौलिक चेहरा कुरूप हो गया था।
प्रश्न 28.
मेरे इन अभ्यस्त हाथों से अच्छे-अच्छे वकील भी नहीं छूट सके।
– वक्ता कौन है ? वक्ता के कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता यमदूत है।
वक्ता के कथन का आशय है कि वकील नाम का जीव पृथ्वी पर सबसे चालाक होता है। वह सच को झूठ तथा यूठ को सच बना देता है तथा अच्छे-अच्छे की आँखों में धूल झोंक सकता है। ऐसेवकील भी यमदूत के हाथों से नहीं छूट सके, फिर यह भोलाराम तो एक सीधा-साधा गरीब क्लर्क था।
प्रश्न 29.
महाराज, आजकल पृथ्वी पर इस प्रकार का व्यापार बहुत चला है।
– वक्ता कौन है? वह किस प्रकार के व्यापार की बातें कर रहा है ?
उत्तर :
वक्ता चित्रगुप्त हैं।
भोलाराम के जीव के गायब होने के संबध में चित्रुप्त धर्मराज को समझाते हैं कि ऐसा व्यापार आजकल पृथ्वी पर आम हो गया है। रेलवे से पार्सल के सामान का गायब हो जाना, विरोधी नेता को उड़ाकर कहीं बंद कर देना तो साधारण-सी बात हो गई है। हो सकता है कि भोलाराम के जोव को भी किसी ने गायब कर दिया हो।
प्रश्न 30.
वह समस्या तो कब की हल हो गई।
– रचना का नाम लिखें। कौन-सी समस्या कैसे हल हो गई ?
उत्तर :
रचना ‘भोलाराम का जीव’ है।
नरक में निवास-स्थान की समस्या हो गई थी। अपने युरे कर्मों के कारण नरक में पृथ्वी से अनेक कारीगर, इंजीनियर, ठेकेदार तथा ओवरसियर आ गए थे। इन लोगों ने देखते ही देखते नरक में आवास की समस्या को हल कर दिया था।
प्रश्न 31.
हो सकता है, उन लोगों ने रोक लिया हो।
– वक्ता और श्रोता के नाम लिखें। कथन का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता नारद मुनि हैं तथा श्रोता धर्मराज हैं।
नारद ने भोलाराम के जीव के गायब होने के बारे में यह संभावना व्यक्त की कि कहीं इनकम टैक्स वालों ने तो उसे नहीं रोक लिया। पृथ्वी पर क्या मजाल है कि कोई इनकम टैक्स चुकाए बिना नगर छोड़ सके, लोक को छोड़ना तो दूर की बात है।
प्रश्न 32.
अगर मकान-मालिक वास्तविक मकान-मालिक है, तो उसने भोलाराम के मरते ही, उसके परिवार को निकाल दिया होगा।
– वक्ता और श्रोता कौन हैं ? कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता चित्रगुप्त हैं तथा श्रोता नारद मुनि हैं।
यहाँ चित्रगुप्त ने पृथ्वी पर के उन मकान-मालिको की प्रकृति के बारे में कहा है जो अपना मकान किराये पर देते हैं। भोलाराम ने एक साल से किराया नहीं दिया था, इसलिए चित्रगुप्त संभावना व्यक्त करते हुए कहते हैं कि यदि वह सच्चा मकान-मालिक होगा तो भोलाराम की मृत्यु होने के साथ ही उसने भोलाराम के परिवार को अपने मकान से निकाल बाहर किया होगा।
प्रश्न 33.
गरीबी की बीमारी थी।
– रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें। वक्ता कौन है तथा वह ऐसा क्यों कह रहा है ?
उत्तर :
रचना ‘भोलाराम का जीव’ है तथा इसके रचनाकार हरिशंकर परसाई हैं।
नारद जी को ऐसा लगा कि भोलाराम की मृत्यु किसी बीमारी से हुई होगी इसलिए उन्होंने उसकी पत्नी से पूछा – ‘माता, भोलाराम को क्या बीमारी थी ?’ पत्नी ने बताया कि भोलाराम को गरीबो की बीमारी थी। पाँच साल पहले रिटायर हुए लेकिन अभी तक पेशन नही मिली। घर के गहने-बरतन सब बिक गए। चिता में घुलकर भूख से उनकी मृत्यु हो गई।
प्रश्न 34.
तुम साधु हो, उचक्के नहीं हो।
– वक्ता तथा श्रोता के नाम लिखें। वक्ता उसे ऐसा क्यों कह रहा है ?
उत्तर :
वक्ता भोलाराम की पत्नो तथा श्रोंता नारद मुनि हैं।
नारद जो सांच रहे थे कि किसी के प्रति विशेष आसक्ति के कारण ही भोलाराम का जीव गायब हों गया है। उन्होंने उसकी पत्नी से पूछा कि पारिवारिक जीवन से बाहर किसी स्त्री के प्रति उनकी कोई आसक्ति तो नहीं थी तो भोलाराम की पत्नी ने उन्हे डाँटते हुए कहा कि तुम साधु हो, उचक्के नहीं हो। ऐसी बाते करते तुम्हें शर्म नहीं आती।
प्रश्न 35.
यही हर अच्छी गृहस्थी का आथार है।
– वक्ता कौन है ? वह किसे हर अच्छी गृहस्थी का आधार बता रहा है ?
उत्तर :
वक्ता नारद मुनि हैं।
भालाराम की पल्ली ने किसी अन्य स्त्री के प्रति अपन पति की बात को एक सिरे से नकार दिया। बल्कि उसन यह कहा कि उसके पति ने जीवन भर किसी दूसरी स्त्री की ओर आँख उठाकर नहीं देखा। इस पर नारद जी ने उस पर व्यग्य करते हुए कहा कि पति के प्रति यही विश्वास हर अच्छी गृहस्थी का आधार है।
प्रश्न 36.
पर उन पर वजन नहीं रखा था, इसलिए कहीं उड़ गई होगी।
– वक्ता कौन है ? कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता पेंशन-कार्यालय के पहले कमरे में बैठा बाबू है ।
आज हर सरकारी कार्यालय की यह रीति है कि बिना रिश्वत के काई काम नहीं होता। जिस काम के लिए ‘पंपरवंट’ नहीं रखा जाता, उस फाईल के कागजात यूँ ही उड़ते रहते है। हो सकता है कि पेपरवें न रखने के कारण ही भोलाराम की दरख्वास्तें उड़ गई होगी।
प्रश्न 37.
आप साधु हैं, आपको दुनियादारी समझ में नहीं आती।
– वक्ता और श्रोता कौन हैं ? यहाँ दुनियादारी का आशय क्या है ?
उत्तर :
वक्ता पेंशन-कार्यालय का बाबू है तथा श्रोता नारद मुनि हैं।
नारद जो को ‘पेपरवेट’ का अर्थ समझ में नहीं आया था इसलिए बाबू ने उनसे कहा कि साधु होने के कारण आपको दुनियादारी की बातें समझ नहीं आती। पेपरवंट का मतलब रिश्वत की उस राशि से है जो किसी को काम करने के लिए दिया जाता है।
प्रश्न 38.
उन्हें खुश कर दिया, तो अभी काम हो जाएगा।
– पाठ का नाम लिखें। किसे खुश करने से कौन-सा काम हो जाएगा ?
उत्तर :
पाठ का नाम ‘भोलाराम का जीव’ है।
नारद जी पेशन-कार्यालय के पच्यीस-तीस बाबुओं से मिल चुके थे – लेकिन कुछ काम होता नजर नही आ रहा था। उनकी इस परेशानी तथा भागम- भाग को एक चपरासी देख रहा था। उसने सहानुरूति दिखाते हुए नारद जी को समझाया कि अगर सालों भर ऐसे चवकर लगाते रहे तो भी काम नहीं होगा। यदि बड़े साहब को आपने खुश कर दिया ता आपके भोलाराम के पेंशन का रूका हुआ काम तुरंत हो जाएगा।
प्रश्न 39.
इसलिए उन्हें किसी ने छेड़ा नहीं।
– किसे, किसी ने क्यों नहीं छेड़ा ?
उत्तर :
नारद जी को पेशन-कार्यालय के बड़े साहब के कमरे में घुसने के दौरान किसी ने नहीं छेड़ा। कारण यह था कि कमरे के दरवाजे पर जिस चपरासी की ड्यूटी थी, वह बैठा-बैठा ऊंध रहा था फिर उन्हें कमरे के अंदर जाने से कौन रोकता?
प्रश्न 40.
यह भी एक मंदिर है। यहाँ भी दान-पुण्य करना पड़ता है।
– पाठ का नाम लिखें। ‘मंदिर’ तथा ‘दान-पुण्य’ का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
पाठ का नाम है – “भोलाराम का जीव’।
प्रस्तुत अंश में ‘मंदिर’ का आशय सरकारी कार्यालय तथा ‘दान-पुण्य’ का आशय रिश्वत से है। जैसे भक्तजन किसी माददर मे जाने पर वहाँ आवश्यक रूप से दान-पुण्य करते हैं वैसे ही सरकारी कार्यालयों रूपी मंदिर में चपरासी से लंकर बड़े बाबू तक को रिश्वत देना ही दान-पुण्य है। बिना चढ़ावे के तो भगवान भी खुश नहीं होते फिर एक साधारण मनुष्य तां बंचारा कमजोंरियों का पुतला है।
प्रश्न 41.
इसका भी वजन भोलाराम की दरख्वास्त पर रखा जा सकता है।
अथवा
प्रश्न 42.
मेरी लड़की गाना-बजाना सीखती है। यह मैं उसे दे दूँगा।
– वक्ता कौन है ? कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता पेंशन कार्यालय के बड़े साहब हैं।
जब बड़े साहब ने देख लिया कि इस साधु से कोई रकम हासिल होनवाली नहीं है तो उन्होने रिश्वत के तौर पर नारद से उनकी वीणा ही माँग ली। वीणा लेन के बारे में उसने तर्क देते हुए कहा कि मेरी लड़की गाना-बजाना सीखती है। यदि उसे साधु-संतों की वीणा मिल जाएगी तो वह जल्द ही सीख जाएगी।
प्रश्न 43.
कौन पुकार रहा है मुझे।
– किसने, कब और क्यों कहा ?
उत्तर :
नारद जी से रिश्वत के रूप में वीणा ले लेने पर बड़े साहब ने भोलाराम की फाईल मंगवाई। नाम निश्चित करने के लिए उसनेन नारद जी से पेशन पानेवाले का नाम पूछा। नारद जी ने यह सांचकर कि साहब ऊँचा सुनते हैं – जार से कहा – भोलाराम। तभी पेशन की फाईल में से आवाज आई – “‘कौन पुकार रहा है मुझे ? पोस्टमैन है क्या? क्या पेंशन का ऑर्डर आ गया?”
प्रश्न 44.
पर दूसरे ही क्षण बात समझ गए।
– कौन किस ब्वात को दूसरे ही क्षण समझ गए ?
उत्तर :
जब भोलाराम के पेशन की फाईल से यह आवाज आई कि कौन पुकार रहा है मुझे ? पोस्टमैन है क्या ? क्या पेशन का आर्डर आ गया – तो एक क्षण के लिए नारद जी को यह समझ में नहीं आया कि यह आवाज कहाँ से आई। लेकिन दूसरे ही क्षण वे समझ गए कि इसी पेंशन की फाइल में से आवाज आ रही है तथा भोलाराम का जीव भो इसी फाईल मे छिपा है।
प्रश्न 45.
चलो स्वर्ग में तुम्हारा इंतजार हो रहा है।
– वक्ता कौन है ? किसका इंतजार स्वर्ग में क्यों हो रहा है ?
उत्तर :
वक्ता नारद मुनि हैं।
भोलाराम के जीव का इतजार स्वर्ग में हो रहा है क्योंकि उसने अपने जीवन में ऐसा कोई पाप नही किया जिसके कारण उसे नरक में जाना पड़े। अगर भोलाराम भी अन्य क्लको की तरह रिश्वतखोर होता तो उसे पेशन मिलन में देर नहीं होती और न ही उसे पेशन के कारण भूखों मरना पड़ता।
प्रश्न 46.
मुझे नहीं जाना। मैं तो पेंशन की दरख्यास्तों पर अटका हूँ। यहीं मेरा मन लगा है। मैं अपनी दरख्वास्तें छोड़कर नहीं जा सकता।
– वक्ता कौन है ? वह ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर :
वक्ता भोलाराम का जीव है।
भोलाराम ने रिटायर होने के बाद पाँच वर्षों तक पेंशन मिलने का इंतजार किया। पेंशन न मिलने से उसके घर के गहने-बरतन सब बिक गए। जब बेचने को घर में कुछ भी न बचा तो फाके की नौबत आई और भूख के कारण भोलाराम की मौत हो गई। भोलाराम की मृत्यु के बाद उसका बचा-खुचा पेंशन ही उसके परिवार का एकमात्र सहारा था, इसलिए उसकी आत्मा पेंशन की फाईल से ही बस गई थी।
प्रश्न 47.
अगर आप साल भर भी यहाँ चक्कर लगाते रहे, तो भी काम नहीं होगा।
– वक्ता कौन है ? कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता चपरासी है।
चपरासी ने नारद जी को एक-बाबू से दूसरे बाबू और इस तरह पच्यीस-तीस बाबुओं के पास भटकते देखा। वह ऑफिस के रीति-रिवाज से भली-भांति परिचित था – वह जानता था कि नारद जी का काम कैसे हो सकता है। इसलिए उसन नारद जी को समझाया कि उनका काम एक टेबल से दूसरे टेबल तक भटकने से नहीं होगा। अगरवे बड़े साहब को खुश कर दे तो उनका काम तुरंत हो जाएगा। और नारद जी को चपरासी की यह बात पसंद भी आई।
प्रश्न 48.
दरख्वास्तें ‘पेपरवेट’ से नहीं दबतीं।
– वक्ता कौन है ? वह क्या समझाना चाहता है ?
उत्तर :
वक्ता पेंशन-कार्यालय के बाबू हैं।
जब बाबू ने नारद जी को पेंशन के काम के लिए ‘पेपरवेट’ रखने की बात कही तो नारद जी ने वहाँ टेबल पर रखे पेपरवेंट की और इशारा किया कि इन पेपरवेटो को भी तो उस पर रखा जा सकता है। बाबू को नारद जी के भोलेपन पर हंसी आई। उन्होने समझाया कि ऐसे काम इन पेपरवेटों से नहीं होते। उसका इशारा था कि जबतक आप रिश्वत नहीं देंगे. आपका काम नहीं हो पाएगा।
प्रश्न 49.
मेरा मतलब है, किसी स्त्री।
– पाठ का लिखें। पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
पाठ का नाम है – ‘भोलाराम का जीव’।
जब नारद जी ने भोलाराम की पत्नी पूछा कि कहीं भोलाराम का किसी के साथ विशेष प्रेम तो नहीं था तो यह बात उसकी पत्नी को समझ में नहीं आई। तब नारद जी ने खुलासा किया कि कहीं वे किसी अन्य स्र्री के प्रेम में नहीं पड़े थे। नारद जी की इस बात का भोलाराम की पत्नी बुरा मान गई।
प्रश्न 50.
साधुओं की बात कौन मानता है।
– यह कौन, किससे और क्यों कह रहा है ?
उत्तर :
यह कथन नारद जी भोलाराम की पत्नी से कह रहे हैं क्योंकि उसने नारद जी से यह आग्रह किया था कि आप तो सिद्ध पुरूष हैं। क्या आप कुछ ऐसा नहीं कर सकते कि उनकी रूकी हुई पेंशन चालू हो जाय ताकि मेरे बच्यों का पेट तो कुछ दिन तक भर सके।
प्रश्न 51.
यह लीजिए।
– कौन, किसे, क्या दे रहा है और क्यों ?
उत्तर :
नारद जी पेंशन-कार्यालय के बड़े साहब को ‘पेपरवेट’ अर्थात् रिश्वत के तौर पर अपनी वीणा दे रहे हैं। उन्हें अपनी प्रिय वीणा इसलिए देनी पड़ रही है क्योंकि वे इस बात को अच्छी तरह समझ गए थे कि बिना रिश्वत के भोलाराम की पेंशन मिलने वाली नहीं है।
प्रश्न 52.
क्या करोगी माँ ?
– रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें। कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रचना का नाम ‘भोलाराम का जीव’ है तथा इसके रचनाकार हरिशंकर परसाई जी हैं।
नारद जी जब भालाराम की पत्नी से मिले तो उसका दुख कम करने के लिए उन्होंन सहानुभूति के तौर पर यह कहा – “क्या करोगी माँ? उनकी इतनी ही उम्न थी।” – नारद जी की इस बात का विरोंध करते हुए भोलाराम की पत्नी ने कहा कि उनकी उम्म तो अभी काफी थी लंकिन पेशन न मिलने से चिता तथा भुखमरो के कारण असमय हो उनकी मृत्यु हो गयी।
प्रश्न 53.
तुप्हारी भी रिटायर होने की उमर आ गई।
– वक्ता और श्रोता कौन हैं? कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता धर्मराज है तथा श्रॉता चित्रगुप्त हैं।
जब पृथ्वो पर चल रह व्यापार के बारं में बतांत हुए चित्रगुप्त ने भोलाराम के बारे में यह आशंका प्रकट की कि कहीं भालाराम के जीव का भी तो किसी विरोधो ने मरने के बाद खराबी करने के लिए ता नहीं उड़ा दिया – तो यह बात सुनकर धर्मराज न व व्यंग्य करते हुए चित्रगुप्त से कहा कि तुम्हारो भी रिटायर होन की उम्र आ गई है क्योंकि भालाराम एक नगण्य और दीन-हीन आदमी था। वैसे भुखमर व्यक्ति का किसी से क्या लेना-देना ?
प्रश्न 54.
इनकम होती तो टैक्स होता। भुखमरा था।
– पाठ का नाम लिखें। पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
पाठ का नाम है – ‘भालाराम का जोव’।
भालाराम के गायब जीव के बारे मे नारद जी ने चित्रगुप्त से यह पूछ्छा कि कहीं इनकम टैक्स वालों ने तो उसे नही रोंक लिया। इसपर चित्रगुप्त ने कहा कि यदि उसके पास इनकम होता तो टैक्स होंता। भोलाराम जैसे भुखमरं इसान से इनकम टैक्स वालों का तों दूर-दूर तक काई नाता नहीं होता।
प्रश्न 55.
अब कुछ नहीं बचा था ?
– ‘कुछ’ से क्या तात्पर्य है ? पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
‘कुछ’ का तात्पर्य उन चीजों से है जिसे बंचकर पेट की आग बुझाई जा सकती।
पाँच वर्षो तक पशन मिलन के इतजार में भौलाराम ने पहाड़ के समान दिन काटे। पहले घर के जंवर, बर्तन आदि बिंके जब कुछ भी बिकने के लायक चीज न बची ता अंत में फांक को नौबत आई और इसी फांक तथा परिवार के भरणपोषण की चिता में घुलं-घुलते भोलाराम चल बसा।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : ‘भोलाराम का जीव’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
प्रश्न – 2: ‘भोलाराम का जीव’ कहानी की मूल संवेदना पर विचार करें।
प्रश्न – 3 : ‘भोलाराम का जीव’ कहानी में व्यंग्य की तीखी मार स्पष्ट झलकती है – विवेचना करें।
प्रश्न – 4 : ‘भोलाराम का जीव’ में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालें।
प्रश्न – 5 : ‘भोलाराम का जीव’ पाठ में व्यक्त लेखक के विचारों को लिखें।
प्रश्न – 6 : ‘भोलाराम का जीव’ वर्तमान भारत के सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पोल खोलती है – लिखें ।
प्रश्न – 7 : ‘भोलाराम का जीव’ पाठ में निहित संदेश को लिखें।
प्रश्न – 8: ‘भोलाराम का जीव’ पाठ में निहित परसाई जी के उद्देश्य को लिखें।
उत्तर :
‘भालाराम का जीव’ हरिशंकर परसाई की एक ऐसी कहानी है जिसमें सामाजिक विसंगतयां के साथ-साथ प्रशासनिक स्तर पर व्याप्त भ्रष्धान को केन्द्र में रखा गया है। भोलाराम का जीव धर्मराज के दरबार में इसलिए नहीं प्रस्तुत हो पाता है चूंक वह पेंशन की फाइलो में अटका पड़ा है।
लंकिन चितगुप्त को यह आशंका है कि इस तरह गायब करनेकराने का व्यापार धरती पर बहुत तेजी से चल रहा है। लोगो के द्वारा भंजे गए फल, होजरी के सामान रेलवे से रास्ते में ही गायब हो जाते हैं। कभी-कभी ता मालगाड़ी के डब्बे के डब्ब रास्त में ही कट जाते है। इतना ही नहीं, राजनैतिक दलों के नेता विरांधी नेता को उड़ाकर कहीं बंद कर देते हैं। कहीं भालाराम के साथ भी ता एसा नहीं हुआ?
अंतत: नारद जी चित्रगुप्त से भोलाराम का पता लगाने पृथ्वी पर जाते हैं। उन्हें भोलाराम की पत्नी से मिलकर पता चलता है कि अगर उन्हें पेशन मिल जाती तो उनको मृत्यु नहीं होती। उनकी मृत्यु भूख से हुई।
अंत में उसके पेंशन का पता लगाने नारद जो सरकारी दफ्तर जाते हैं। कई बाबुओं के पास चक्कर काटने पर भी कुछ पता वहीं चलता। आखिर एक चपरासी की सलाह पर वे सीधे बड़ साहब सं मिलत हैं। बड़े साहब ‘वज़न’ के तौर पर वीणा लेकर भोलाराम की पेशन को फाईल, निकलवाते हैं। तभी नाम पूछे जाने पर जब नारद जार से ‘भालाराम’ कहतं हैं तो फाईल में से आवाज आती है – ‘कौन पुकार रहा है मुझे? पोस्टमैन है क्या? पंशन का ऑर्डर आ गया।’
नारद जी को यह बात समझ आ जाती है कि यह भोलाराम के जीव की आवाज है। वे कहते हैं कि मै तुम्हे लेन आया हूँ। चलो, स्वर्ग में तुम्हारा इन्तजार हो रहा है। लेकिन भोलाराम का जीव स्पष्ट कह देता है – ‘मुझे नहीं जाना। मैं तो पंशन की दरखास्तों में अटका हृं। यहीं मेरा मन लगा है। मैं अपनी दरख्वास्ते छोंड़कर नहीं जा सकता।’
यही यह कहानी का चरम बिन्दु है जिसमें परसाई जी ने दिखाना घाहा है कि आज हमारी सारी व्यवस्था ही भ्रष्ट हो चुकी है। चाहे वह राजनीति, समाज, शिक्षा, प्रशासन या न्याय का क्षेत्र हो – सभी की सभी संस्थाएँ ही भष्टाचार की गिरफ्त में आ चुकी हैं। हमारी व्यवस्था का तंग्र इतना निर्मम, अमानवीय और संवेदनशून्य हो चुका है कि उसं यह सोचने की फुर्सत नहीं कि जो आदमी जिन्दगी-भर ‘भुखमरा’ रहा और ‘गरीबी की बीमारी’ के कारण जिसकी जान गई, वह वज़न अर्थात् घूस के लिए पैसे कहाँ से लाएगा।
परसाई जी अपन मूल रूप में व्यंग्यकार हैं। जो सामाजिक विसंगतियां के प्रात गहरा सरोकार रखता है, वही लेखक सच्चा व्यंग्यकार हो सकता है। ‘भालाराम का जीव’ में स्थितियों, व्यक्तियों तथा प्रवृत्तियों पर व्यंग्य करके वे सामाजिक विसर्गतयों के प्रति अपना क्षोभ ता प्रकट करते हो है, सामाजिक सरांकारों के बीच एक नैतिक हस्तक्षेप भी करते हैं। परसाई जो की रचनाओं की यह एक अन्यतम विशेषता है कि विसंगतियों के प्रति सारी कटुता के बावजूद आम आदमी के प्रति उनकी गहरी संवेदना प्रकट होती है।
अति लघूत्तरीय/लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
चित्रगुप्त को कौन-सी गलती पकड़ में नहीं आ रही थी?
उत्तर :
चित्रगुप्त लाखों सालों से व्यक्ति को मरने के बाद उसके कर्म या सिफारिश के आधार पर स्वर्ग या नर्क में निवास-स्थान ‘अलाट’ करते आ रहे थे। लेकिन एसा कभी नहीं हुआ था कि कोई जीव देह त्यागने के बाद दृत के साथ पाँच दिनों तक गायब रहा हो। ऐसा आखिर किस प्रकार हुआ – यही गलती चिन्रगुप्त को पकड़ में नहीं आ रही थी।
प्रश्न 2.
दूत ने भोलाराम के जीव को लाने की सावधानी के बारे में क्या कहा?
उत्तर :
दूत ने अपनी सावधानी के बारे में धर्मराज से कहा कि मेंरे इन अभ्यस्त हाथों से अच्छे से अच्छे वकील भी नहीं छूट सके लंकिन लगता है कि इस ब्बार तो कोई इन्द्रजाल (जादू) ही हो गया।
प्रश्न 3.
चित्रगुप्त ने रेलवे में चल रहे किस व्यापार के बारे में धर्मराज को बताया?
उत्तर :
चित्रगुप्त ने रेलवे में चल रहे व्यापार के बारं में बताते हुए धर्मराज से कहा कि अगर लोग रेलवे से अपने दास्तों को फल भजजे हैं तो उसे रेलवे वाले ही उड़ा लंते हैं। पार्सल मे भेज गए होजरी के मोजे रेलवे के अफसर पहनते है। कभीकभी तो मालगाड़ी के डब्बे के डब्बे ही रास्ते में कट जाते है।
प्रश्न 4.
चित्रगुप्त ने नारद जी से ऐसा क्यों कहा कि भोलाराम के परिवार की तलाश में आपको काफी घूमना पड़ेगा?
उत्तर :
भोलाराम ने मरने से पहले मकान का किराया एक साल से नहीं दिया था और मकान-मालिक उसं मकान से निकालना चाह रहा था। अगर वह वास्तविक मकान मालिक है नो निश्चित तौर पर उसने भोलाराम के मरते ही उसके परिवार को मकान से निकाल बाहर किया होगा । यही कारण था कि चित्रगुप्त ने नारद से यह कहा कि भोलाराम के परिवार की तलाश में आपको काफी घूमना पड़ेगा।
प्रश्न 5.
भोलाराम की पत्नी ने नारद जी से उसकी किस बीमारी के बारे में बताया?
उत्तर :
भोलाराम की पत्मी ने नारद जी से भोलाराम की गरोबी की बीमारी के बारे में बताया। रिटायर होने केबाद पाँच वर्षो में भोलाराम की पत्ली के सारे गहने बिक गए, फिर बर्तन भी बिके। अब उनके पास कुछ नहीं बचा था जिसे बेचकर पेट की भूख भिटाई जाय। अंत में चिंता में घुलते-घुलते तथा भूख के कारण भोलाराम ने दम तोड़ दिया
प्रश्न 6.
भोलाराम की पत्नी ने नारद को लुच्चा-लफंगा क्यों कहा?
उत्तर :
नारद जी ने भोलाराम की पत्नी से यह पूछा था कि क्या भोलाराम का किसी से कोई विशेष प्रेम था जिसमें उसकी जी लगा हो। नारद के कहने का तात्पर्य किसी दूसरी खी के साथ प्रेम-प्रसंग से था। यह समझकर ही भोलाराम की पत्वी ने नारद को लुच्चा-लफंगा कहा क्योंकि कोई साधु तो ऐसी बात कर नहीं सकता।
प्रश्न 7.
सरकारी दफ्तर के बाबू ने भोलाराम के दरख्वास्त के बारे में नारद जी को क्या बताया?
उत्तर :
सरकारी दफ्तर के बाबू नारद जी को भोलाराम के दरख्यास्त के बारे में यह बताया कि दरख्वास्त तो भेजीं धीं पर उनपर वजन नहीं रखा था, इसलिए कहीं उड़ गयी होंगी।
प्रश्न 8.
दफ्तर के चपरासी ने नारद जी को क्या सलाह दी?
उत्तर :
दफ्तर के चपरासी ने नारद जी को यह सलाह दी – ” अगर आप साल-भर भी यहाँ चक्कर लगाते रहे, तो भी काम नही होगा। आप तो सीधे बड़े साहब से मिलिए। उन्हें खुश कर लिया तो अभी काम हो जाएगा।
प्रश्न 9.
बड़े साहब नारद जी से क्यों नाराज़ हुए?
उत्तर :
बड़े साहब का चपरासी दरवाजे पर ऊंघ रहा था इसलिए नारद जी उसे बिना बताएं दफ्तर में प्रवेश कर गए। नारद जी ने अपना विजिटिंग कार्ड भी नहीं भिजवाया था – इन्हीं कारणों से बड़े साहब नारद जी से नाराज हुए।
प्रश्न 10.
बड़े साहब ने नारद जी को दफ्तर के रीति-रिवाज के बारे में क्या बताया?
उत्तर :
बड़े साहब ने नारद जी को दफ्तर के रीति-रिवाज के बारे में बताते हुए कहा कि, ” भई, यह भी एक मंदिर है। यहाँ भी दान-पुण्य करना पड़ता है, भेंट-चढ़ानी पड़ती है। आप भोलाराम के आत्मीय मालूम होते हैं। भोलाराम की दरख्वास्ते उड़ रही है, उन पर वजन रखिए।’
प्रश्न 11.
बड़े साहब ने नारद जी को ‘वज़न’ के बारे में क्या समझाया?
उत्तर :
बड़े साहब ने नारद जो को ‘वज़न’ के बारे में समझाते हुए कहा – ‘भई, सरकारी पैसे का मामला है। पेशन का केस बीसों दप्तर में जाता है। देर लग ही जाती है। बीसों बार एक ही बात को बीस जगह लिखना पड़ता है, तब पक्की होती है। जितनी पेंशन मिलती है उतनी कीमत की स्टेशनरी लग जाती है। हाँ जल्दो भी हो सकती है, मगर वज़न चाहिए। आपकी यह सुन्दर वीणा है, इसका भी वजन भोलाराम की दरखास्त पर रखा जा सकता हैं।
प्रश्न 12.
भोलाराम के जीव को स्वर्ग ले चलने की बात कहने पर भोलाराम के जीव ने क्या कहा?
उत्तर :
जब नारद जी ने भोलाराम के जीव से जब यह कहा कि ‘मैं नारद हूँ। मैं तुम्हें लेने आया हूँ। चलो, स्वर्ग में तुम्हारा इतजार हो रहा है।” – इस पर भोलाराम के जीव ने कहा कि “मुझे नही जाना। मैं तो पेंशन की दरख्वास्तों में अटका हूं। यहीं मेरा मन लगा है। मैं अपनी दरख्यास्ते छोड़कर नहीं जा सकता ।”
प्रश्न 13.
भोलाराम कौन था ?
उत्तर :
भोलाराम एक गरीब क्लर्क था जिसके रिटायर हो जाने के बाद भी रिश्वत के अभाव में उसकी पेशन की फाईल अटकी पड़ी थी।
प्रश्न 14.
धर्मराज यमदूत पर क्रोधित क्यों थे ?
उत्तर :
धर्मराज को ऐसा लगा कि यमदूत की लापरवाही के कारण ही भोलाराम का जीव चकमा देकर भाग गया। इसलिए वे यमदूत पर कोधित थे।
प्रश्न 15.
गलती पकड़ने के लिए चित्रगुप्त क्या कर रहे थे ?
उत्तर :
गलती पकड़ने के लिए चित्रगुप्त चश्मा पोंछ कर बार-बार थूक। से पन्ने पलट रजिस्टर पर रजिस्टर देखे जा रहे थे।
प्रश्न 16.
किसका चेहारा विकृत हो गया था और क्यों ?
उत्तर :
यमदूत का चेहरा परिश्रम, परेशानी और भय के कारण विकृत हो गया था।
प्रश्न 17.
धर्मराज ने किसके रिटायर होने की बात कही, क्यों ?
उत्तर :
धर्मराज ने चित्रगुप्त के रिटायर होने की बात कही क्योंकि उसने भोलाराम के जीव के गायब होने के जितने भी कारण बताए, वह भोलाराम पर लागू नहीं होता था।
प्रश्न 18.
चित्रगुप्त ने रजिस्टर देखकर भोलाराम के बारे में क्या बताया ?
उत्तर :
चित्रगुप्त ने राजस्टर देखकर भोलाराम के बताया कि वह जबलपुर शहर में धमापुर मुहल्ले में नाले के किनारे एक डढढ़ कमरे के दूटे-फूटे मकान में सपरिवार रहता था। उसकी एक स्ती, दो लड़के तथा एक लड़की थी। सरकारी नौकरी से वह पाँच साल रिटायर हो चुका था।
प्रश्न 19.
नारद जी ने भोलाराम के दरवाजे पर पहुँचकर उसकी बेटी से क्या कहा ?
उत्तर :
नारद जी ने भोलाराम के दरवाजे पर पहुँचकर उसकी बेटी से कहा कि उन्हें भिक्षा नहीं चाहिए केवल भोलाराम के बारे में कुछ पूछताछ करनी है।
प्रश्न 20.
भोलाराम की स्त्री ने भोलाराम की बीमारी के बारे में नारद को क्या बताया ?
उत्तर :
भोलाराम की स्त्री ने उसकी बीमारी के बारे में नारद जो को यह बताया कि रिटायर होने के पाँच साल बाद भी पेंशन नहीं मिली। हरेक दस-पंद्रह दिन पर दरखवास्त देने पर एक ही जवाब आता था – तुम्हारे पेंशन के मामले में विचार हों रहा है।
प्रश्न 21.
भोलाराम की स्त्री ने भोलाराम की मृत्यु का क्या कारण बताया ?
उत्तर :
भोलाराम की स्त्री ने भोलाराम की मृत्यु का कारण पेंशन न मिलने को बताया। पहले घर के गहने बिके, फिर बरतन और कुछ न बचने पर चिता में घुलते-घुलते उन्होंने दम तोड़ दिया।
प्रश्न 22.
नारद जी ने हर अच्छी गृहस्थी का आधार किसे बताया ?
उत्तर :
स्वी का अपने पति पर आँखें मूँदकर विश्वास करने को नारद जी ने हर अच्छी गृहस्थी का आधार बताया।
प्रश्न 23.
भोलाराम की स्त्री में नारद जी से क्या विनती की ?
उत्तर :
भोलराम की स्वी ने नारद जी से यह विनती की – ”महाराज, आप तो साधु है, सिद्ध पुरूष है। कुछ ऐसा नहीं कर सकने कि उनकी रुकी हुई पेंशन मिल जाए। इन बच्चों का पेट कुछ दिन भर जाए।”
प्रश्न 24.
सरकारी दफ्तर के चपरासी ने नारद जी को क्या सलाह दी ?
उत्तर :
सरकारी दफ्तर के चपरासी ने नारद जी को यह सलाह दी – “महाराज, आप क्यों इस झंझट में पड़ गए। अगर आप यहाँ साल भर चक्कर लगाते रहे, तो भी काम नहीं होगा। आप तो सीधे बड़े साहब से मिलिए। उन्हें खुश कर दिया तो अभी काम हो जाएगा।
प्रश्न 25.
बड़े साहब नारद से क्यों बड़े नाराज हुए ?
उत्तर :
नारद जी बड़े साहब के दफ्तर में बिना किसी अनुमात के, बिना चपरासी को भेजे या अंदर जाने के पहले न तो विर्जिटिंग कार्ड भंज – धड़धड़ाते चले आए। नारद की इसी हरकत से बड़े साहब काफी नाराज़ हुए।
प्रश्न 26.
साहब ने रौब के साथ नारद जी से क्या पूछा ?
उत्तर :
साहब ने रौब के साथ नारद जी से यह पूछा, “इसे कोई मंदिर-वदिर समझ लिया है क्या ? धड़धड़ाते चले आए ! चिट क्यों नहीं भेजी ? क्या काम है ?’.
प्रश्न 27.
बड़े साहब ने नारदजी को क्या समझाया ?
उत्तर :
बड़े साहब ने नारदजी को यह समझाया कि, “ आप हैं बैरागी। दफ्तरों के रीति-रिवाज नहीं जानते।. भई, यह भी एक मन्दिर है। यहाँ भौ दान-पुण्य करना पड़ता है। आप भोलाराम के आत्मीय मालूम होते हैं। भोलराम की दरख्वास्ते उड़ रही हैं। उन पर वजन रखिए।”
प्रश्न 28.
बड़े साहब ने नारदजी को सरकारी काम के तरीके के बारे में क्या समझाया ?
उत्तर :
बड़े साहब ने नारदजी को सरकारी काम के तरीके के बारे में यह समझाया – “भई, सरकारी पैसे का मामला है। पेंशन का केस बीसों दफ्तर में जाता है। देर लग ही जाती है। बीसों बार एक ही बात को बीस जगह लिखना पड़ता है, तब पक्की होती है। जितनी पेंशन मिलती है उतने ही स्टेशनरी लग जाती है।”
प्रश्न 29.
बड़े साहब ने भोलाराम की फाईल के वजन के बारे में नारद जी को क्या कहा ?
उत्तर :
बड़े साहब ने भोलराम की फाईल के वजन के बारे में नारदजी को कहा – “जैसे आपकी यह सुन्दर वीणा है, इसका भी वजन भोलाराम की दरख्यास्त पर रखा जा सकता है। मेरी लड़की गाना-बजाना सीखती है। यह मैं उसे दे दूगा। ${ }^{\prime \prime}$
प्रश्न 30.
कौन पुकार रहा है मुझे ? – वक्ता कौन है ? इस अंश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता भोलराम का जोव है।
जब बड़े साहब के नाम पूछने पर नारद जी ने जोर से भोलाराम का नाम लिया तो सहसा फाईल में से भोलाराम के जीव ने कहा — ” कौन पुकार है मुझे ? पोस्टमैन है ! क्या पेंशन का ऑर्डर आ गया?
प्रश्न 31.
धर्मराज किस आधार पर लोगों को स्वर्ग या नरक में निवस-स्थान ‘अलॉट’ करते आ रहे थे?
उत्तर :
लॉगो को उनके कर्मो (पाप-पुण्य) के आधार पर धर्मराज स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान ‘अलॉट’ करते आ रहे थे ।
प्रश्न 32.
ऐसा कभी न हुआ था – क्या कभी न हुआ था ?
उत्तर :
एसा कभी न हुआ था कि किसी की आत्मा यमलोक के लिए चली हो और रास्ते से ही गायब हो गई हो।
प्रश्न 33.
धर्मराज के पास बदहवास कौन आया ? उसके बदहवास होने का पता कैसे चल रहा था ?
उत्तर :
धर्मराज के पास बदहवास हाल में यमदूत आया। उसके बदहवास होने का पता उसके चेहरे से लग रहा था जो परिश्रम, भय और परेशानी के कारण विकृत हो गया था।
प्रश्न 34.
“अरे, तू कहाँ रहा इतने दिन ?” – वक्ता और श्रोता कौन हैं ?
उत्तर :
वक्ता धर्मराज है तथा श्रांता यमदूत है।
प्रश्न 35.
किसने सारा ब्रहांड छान मारा और किसका पता नहीं चला ?
उत्तर :
यमदूत ने सारा ब्रहांड छान मारा लेकिन भोलाराम के जीव का पता नहीं चला।
प्रश्न 36.
‘इस बार तो कोई इन्द्रजाल ही हो गया’ – वक्ता कौन है ? इन्द्रजाल होने का क्या अर्थ है?
उत्तर :
वक्ता यमदूत है। इन्द्रजाल होने का अर्थ है भोलाराम के जीव का अचानक गायब हो जाना।
प्रश्न 37.
आजकल पृथ्वी पर किस प्रकार का व्यापार बहुत चल रहा है ?
उत्तर :
रेलवे के पार्सल से चीजों का गायब हो जाना तथा विरोंधी नेता को उड़ाकर बंद कर देने जैसा व्यापार आजकल पृथ्वी पर बहुत चल रहा है।
प्रश्न 38.
‘तुम्हारी भी रिटायर होने की उमर आ गई’
– कौन, किसके रिटायर होने की बात कह रहा है ?
उत्तर :
धर्मराज चित्रगुप्त के रिटायर होने की बात कह रहे हैं।
प्रश्न 39.
‘वह समस्या तो कब की हल हो गई’
– कौन-सी समस्या कब की हल हो गई ?
उत्तर :
नरक में निवास-स्थान की समस्या कब की हल हो गयी।
प्रश्न 40.
नरक के आवास की समस्या किस प्रकार हल हो गई ?
उत्तर :
नरक में गुणी कारीगर, बड़े-बड़े इंजीनियर, ठेंकेदार, तथा भुष्ट ठेकेदार के आ जाने से नरक के आवास की समस्या हल हो गई।
प्रश्न 41.
‘इनकम होती तो टैक्स होता’ – यहाँ किसके बारे में कहा जा रहा है ?
उत्तर :
यहाँ भोलाराम के बारे में कहा जा रहा है।
प्रश्न 42.
धर्मराज ने नारद मुनि को विकट उलझन के बारे में क्या बताया ?
उत्तर :
धर्मराज ने नारद मुनि को विकट उलझन के बारे में यह बताया कि भोलाराम नामक व्यक्ति का जोव पाँच दिन पहले ही यमदूत को चकमा देकर रास्ते से भाग गया। यमदूत के पूरा ब्यांड छान लेने के बावजूद भी वह कहीं नहीं मिला।
प्रश्न 43.
‘मामला बड़ा दिलचस्प है’ – वक्ता कौन है? उसे कौन-सा मामला दिचलस्प लगा ?
उत्तर :
वक्ता नारद मुनि हैं। भोलाराम के जीव के बीच रास्ते से ही यमदूत को चकमा देकर भाग जाने का मामला उन्हं बड़ा दिलचस्प लगा।
प्रश्न 44.
चित्रगुप्त ने नारद मुनि को भोलाराम के बारे में क्या बताया ?
उत्तर :
चित्रगुप्त ने नारद मुनि को भोलाराम के बारे में यह बताया कि भोलाराम जबलपुर के घमापुर मुहल्ले में स्त्री, दो लड़के तथा एक लड़की के साथ दृटे-फूटे मकान में रहता था। वह सरकारी नौकर था तथा पाँच दिन पहले उसकी मृत्यु हो गैयी।
प्रश्न 45.
नारद मुनि भोलाराम का मकान कैसे पहचान गए ?
उत्तर :
माँ-बटटी के सम्मिलित रोने की आवाज से ही नारद मुनि भोलाराम का मकान पहचान गए।
प्रश्न 46.
नारद मुनि ने भोलाराम की बेटी से क्या कहा ?
उत्तर :
नारद मुनि ने भोलाराम की बेटी से यह कहा – ‘मुझे भिक्षा नहीं चाहिए, मुझे भोलाराम के बारे में कुछ पूछताछ करनी है। अपनी माँ को जरा बाहर भेजो, बेटी।”
प्रश्न 47.
भोलाराम की पल्नी ने नारद जी को भोलाराम के बारे में क्या बताया ?
उत्तर :
भोलाराम की पत्नी ने नारद जी को भोलाराम के बारे में बताते हुए कहा कि रिटायर होने के पाँच सालों बाद भी पेशन नहीं मिली। दरख्वास्त भेजने पर एक ही जवाब आता था कि पेंशन के मामले में विचार हो रहा है। पहले गहने फिर बरतन बिके और फिर भूखे रहने से उनकी मौत हो गई।
प्रश्न 48.
भोलाराम की मृत्यु किस बीमारी से हुई ?
उत्तर :
भोलाराम की मृत्यु गरीबी की बीमारी से हुई।
प्रश्न 49.
नारद जी ने अच्छी गृहस्थी का आधार किसे बताया ?
उत्तर :
पति पर आँखे मूँदकर विश्वास करने को ही नारद जी ने अच्छी गृहस्थी का आधार बताया।
प्रश्न 50.
नारद जी ने क्या कहकर भोलाराम की स्त्री को आश्वासन दिया ?
उत्तर :
नारद जी ने भोलाराम की स्त्री को यह कहकर आश्वासन दिया – ‘साधुओं की बात कौन मानता है? मेरा यहाँ कोई मठ ता है नहीं। फिर भी मैं सरकारी दफ्तर जाऊँगा और कोशिश करूँगा।
प्रश्न 51.
नारद मुनि से ऐसा क्यों कहा कि साधुओं की बात कौन मानता है ?
उत्तर :
आज के जमान में सरकारी अधकारी भी या तो मंत्रियो की बात मानते हैं या फिर वैसं किसी व्यक्ति की जिसका राजनीति में दबदबा हो। इसीलिए नारद जी ने साधुओं की बात न मानने की बात कही।
प्रश्न 52.
नारद जी को भोलाराम की पत्नी की किस बात से दया आ गई ?
उत्तर :
जब भोलाराम की पत्नी ने यह कहा कि, “महाराज आप तो साधु हैं, सिद्ध पुरूष हैं। कुछ ऐसा नही कर सकते कि उनकी रूकी हुई पेंशन मिल जाए। इन बच्चों का पेट कुछ्छ दिन भर जाए’ — तो यह सुनकर नारद जी को दया आ गई।
प्रश्न 53.
दरख्वास्तें ‘पेपरवेट’ से नहीं दबतीं – यह किसने, किससे कहा ?
उत्तर :
यह सरकारी दफ्तर के पहले बाबू ने नारदजी ने कहा।
प्रश्न 54.
आप क्यों झंझट में पड़ गए – वक्ता और श्रोता कौन हैं ?
उत्तर :
इस कथन का क्क्ता सरकारी दफ्तर का चपरासी तथा श्रोता नारद मुनि हैं।
प्रश्न 55.
“अगर आप साल भर भी यहाँ चक्कर लगाते रहे तो भी काम नहीं होगा” – वक्ता और श्रोता कौन हैं?
उत्तर :
वक्ता सरकारी दफ्तर का चपरासी तथा श्रोता नारद मुनि हैं।
प्रश्न 56.
उन्हें खुशश कर दिया तो अभी काम हो जाएगा – ‘उन्हें’ से कौन संकेतित है। उनके खुश होने से कौन सा काम हो जाएगा ?
उत्तर :
‘उन्हे’ से सरकारी दफ्तर के बड़े साहब संकेतित हैं। उनके खुश होने से भोलाराम के पेंशन का काम हो जाएगा।
प्रश्न 57.
आप हैं बैरागी – वक्ता कौन है ? वह किसे बैरागी कह रहा है और क्यों ?
उत्तर :
वक्ता सरकारी दफ्तर के बड़े साहब हैं। वे नारदजी को बैरागी कह रहे हैं क्योंकि उन्हें दफ्तर के रीतिरिवाजों का पता नहीं कि दफ्तर में काम निकालने का तरीका क्या है?
प्रश्न 58.
असल में भोलाराम ने गलती की – भोलाराम ने कौन-सी गलती की ?
उत्तर :
अपना पेंशन चालू करवाने के लिए भोलाराम ने दफ्तर के साहब को रिश्वत नहीं दिया – उसने यही बड़ी गलती की।
प्रश्न 59.
बड़े साहब ने नारद जी को सरकारी दफ्तर के रीति-रिवाज के बारे में क्या समझाया ?
उत्तर :
बड़े साहब ने नारद जी को सरकारी दफ्तर के रीति-रिवाज के बारे में यह समझाया – ‘ भई, यह भी एक मन्दिर है। यहाँ भी दान-पुण्य करना पड़ता है। … भोलाराम की दरख्नास्तें उड़ रही हैं । उन पर वज़न रखिए।
प्रश्न 60.
बड़े साहब ने नारद जी को वज़न (पेपरवेट) के बारे में क्या सलाह दी ?
उत्तर :
बड़े साहब ने नारद जी को वजन के बारे में यह सलाह दी कि आपकी सुन्दर वीणा को भी भोलाराम की दरख्वास्त पर पेपरवेट की जगह रखा जा सकता है।
प्रश्न 61.
सरकारी दफ्तर के बड़े साहब की कौन-सी बात सुनकर नारद जी घबराए ?
उत्तर :
जब सरकारी दफ्तर के बड़े साहब ने भोलाराम के पेंशन का काम कर देने के बदले में पेपरवेट (रिश्वत) के तौर पर वीणा रखने को कहा तो नारद जी घबड़ा गए क्योंकि उन्हें अपनी वीणा काफी प्रिय थी।
प्रश्न 62.
बड़े साहब ने रिश्वत के तौर पर नारद जी की वीणा क्यों लेनी चाही ?
उत्तर :
बड़े साहब की बेटी संगीत सीखती थी इसलिए उन्नोने नारद जी की वीणा रिश्वत के तौर पर लेनी चाही।
प्रश्न 63.
नारद जी के भोलाराम कहने पर पेंशन की फाईल में से कौन-सी आवाज आई ?
उत्तर :
पेंशन की फाईल से यह आवाज आई – ‘कौन पुकार रहा है मुझ़े ? पोस्टमैन है ? क्या पेशन का आर्डर आ गया?
प्रश्न 64.
नारद चौंके – नारद क्या सुनकर चौंके ?
उत्तर :
जब भोलाराम की फाईल में से यह सुनाई दिया कि ” कौन पुकार रहा है मुझे ? पोस्टमैन है? क्या पेशन का ऑर्डर आ गया?’ – तो यह सुनकर नारद जी चौक पड़े।
प्रश्न 65.
नारद जी ने भोलाराम के जीव से क्या कहा ?
उत्तर :
नारद जी ने भोलाराम के जीव से यह कहा – “मैं नारद हूँ। तुम्हे लेने आया हूँ। चलो स्वर्ग में तुम्हारा इंतजार हो रहा है।”
प्रश्न 66.
नारद जी द्वारा भोलाराम की आत्मा को स्वर्ग ले चलने की बात सुनकर उसके जीव ने क्या कहा ?
उत्तर :
नारद की स्वर्ग ले चलने की बात सुनकर भोलाराम के जीव ने कहा कि, “मुझे नहीं जाना। मैं तो पेंशन की दरख्यास्तों पर अटका हूँ। यहीं मेरा मन लगा हैं। मैं अपनी दरखास्ते छोड़कर नहीं जा सकता।’
प्रश्न 67.
मुझे नहीं जाना – वक्ता कौन है ? वह कहाँ नहीं जाना चाहता है ?
उत्तर :
प्रश्न 68.
‘भोलाराम का जीव’ कहानी में किस पर व्यंग्य किया गया है ?
उत्तर :
‘भोलाराम का जीव’ कहानी में सरकारी दफ्तरों में फैले भ्रष्टाचार तथा रिश्वतखोरी पर व्यंग्य किया गया है।
प्रश्न 69.
महाराज, रिकार्ड सब ठीक है – वक्ता कौन है ? कौन-सा रिकार्ड ठीक है ?
उत्तर :
वक्ता चित्रगुप्त है। उन्होने भोलाराम के बारे में जो विवरण लिखा था – वह रिकाई ठीक था।
प्रश्न 70.
भोलाराम का जीव कहाँ है – यह कौन, किससे पूछता है ?
उत्तर :
यह धर्मराज यमदूत से पूछते हैं।
प्रश्न 71.
चित्रगुप्त ने धर्मराज से राजनीतिक दलों के नेता के बारे में क्या कहा ?
उत्तर :
चिन्रगुप्त ने धर्मराज से राजनीतिक दलों के नेता के बारे में कहा कि वे विरोधी नेता को उड़ाकर बंद कर देते हैं।
प्रश्न 72.
धर्मराज ने किसे नगण्य और दीन कहा है ? क्यों ?
उत्तर :
धर्मराज ने भोलाराम को नगण्य और दीन कहा है क्योंकि उस जैसे भुखमरे व्यक्ति की औकात कुछ्छ भी नहीं थी।
प्रश्न 73.
भोलाराम की पत्नी ने भोलाराम की बीमारी के बारे में नारद जी को क्या बताया ?
उत्तर :
भोलाराम की पत्नी ने उसकी बीमारी के बारे में नारद जी को यह बताया कि उन्हें गरीबी की बीमारी थी।
प्रश्न 74.
तुम साधु हो, उच्चके नहीं हो – किसने, किससे और क्यों कहा ?
उत्तर :
यह भोलाराम की पत्ली ने नारद जी से इसलिए कहा क्योंकि उन्होंने भोलाराम के किसी संभावित प्रेम-प्रसंग के बारे में पूछ लिया था।
प्रश्न 75.
यह भी एक मंदिर है – यहाँ किस मंदिर के बारे में कहा जा रहा है और वक्ता कौन है ?
उत्तर :
यहाँ सरकारी दफ्तर रूपी मंदिर के बारे में कहा जा रहा है। इस कथन का वक्ता दफ्तर के बड़े साहब है।
प्रश्न 76.
मगर वज़न चाहिए – वक्ता कौन हैं ? वजन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता पेंशन कार्यालय के बड़े साहब हैं। वज़न का आशय है कि यदि भोलाराम की रूकी हुई पेंशन चालू करवानी है तो रिश्वत देनी पड़ेगी।
प्रश्न 77.
यहीं मेरा मन लगा है – वक्ता कौन है ? उसका मन कहाँ और क्यों लगा है?
उत्तर :
वक्ता भोलाराम का जीव है। उसका मन अपनी पेंशन की फाईल में लगा है क्योंकि पेंशन न मिलने से ही उसकी मृत्यु हुई।
प्रश्न 78.
‘मेरा मतलब है किसी स्त्री’ – वक्ता कौन है ? किसी स्त्री से क्या आशय है?
उत्तर :
वक्ता नारद मुनि हैं। किसी स्त्री से आशय किसी अन्य स्त्री से है, जिसके साथ भोलाराम का काई प्रेम-प्रसंग हो।
प्रश्न 79.
‘हाँ जल्दी भी हो सकती है मगर’ – वक्ता और श्रोता कौन हैं? वक्ता का उ.शय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता पेशन-कार्यालय के बड़े साहब तथा श्रोता नारद मुनि हैं। वक्ता के कहने का आशय यह है कि यदि नारद जी चाहें तो धोलाराम के पेंशन का काम जल्दी हो सकता है लेकिन इसके लिए उन्हें रिश्वत देनी होगी।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
हरिशंकर परसाई का जन्म कब हुआ था ?
(क) 21 अगस्त सन् 1923
(ख) 22 अगस्त सन् 1924
(ग) 23 अगस्त सन् 1925
(घ) 24 अगस्त सन् 1926
उत्तर :
(ख) 22 अगस्त सन् 1924 ।
प्रश्न 2.
परसाई जी का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) होशंगाबाद
(ख) औरंगाबाद
(ग) जहानाबाद
(घ) हजारीबाग
उत्तर :
(क) होशंगाबाद ।
प्रश्न 3.
परसाई जी की ख्याति किस रूप में है ?
(क) इतिहासकार
(ख) राजनीतिज्ञ
(ग) व्यंग्य निबधकार
(घ) उपन्यासकार
उत्तर :
(ग) व्यंग्य निबंधकार ।
प्रश्न 4.
परसाई जी की समग्र रचना किस पुस्तक में संकलित है ?
(क) कवितावली
(ख) दोहावली
(ग) परसाई रचनावली
(घ) परसाई समग्र
उत्तर :
(ग) परसाई रचनावली ।
प्रश्न 5.
‘भूत के पाँव पीछ’ के रचयिता कौन हैं ?
(क) नागार्जुन
(ख) श्रोलाल शुक्ल
(ग) परसाई
(घ) आचार्य शुक्ल
उत्तर :
(ग) परसाई ।
प्रश्न 6.
‘जैसे उनके दिन फिरे’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) मुक्तिबोध
(ख) परसाई
(ग) यशापाल
(घ) धर्मवीर भारती
उत्तर :
(ख) परसाई ।
प्रश्न 7.
‘रानी नागफनी की कहानी’ किस विधा की रचना है ?
(क) नाटक
(ख) कहानी
(ग) उपन्यास
(घ) कविता
उत्तर :
(ग) उपन्यास ।
प्रश्न 8.
‘हँसते हैं रोते हैं’ – के रचनाकार हैं –
(क) गुलाब राय
(ख) रामकुमार वर्मा
(ग) जैनेन्द्र
(घ) परसाई
उत्तर :
(घ) परसाई।
प्रश्न 9.
‘सदाचार का ताबीज’ तथा ‘बेइमानी की परत’ किसकी कृति है ?
(क) राही मासूम रजा
(ख) यशपाल
(ग) परसाई
(घ) इलाचंद्र जोशी
उत्तर :
(ग) परसाई
प्रश्न 10.
‘तब की के T और थी’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) अज्ञेय
(ग) परसाई
(घ) भगवानदीन
उत्तर :
(ग) परसाई ।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित में कौन-सा निबंध-संग्रह परसाई जी की नहीं है ?
(क) शिकायत मुझे भी है
(ख) निठल्ले की डायरी
(ग) और अंत में
(घ) पर्दा उठाओ-पर्दा गिराओ
उत्तर :
(घ) पर्दा उठाओ-पर्दा गिराओ।
प्रश्न 12.
‘तट की खोज’ किसका उपन्यास है ?
(क) परसाई
(ख) अश्क
(ग) कमल जोशी
(घ) कमलेश्वर
उत्तर :
(क) परसाई ।
प्रश्न 13.
‘वैष्णव की फिसलन’ किसका व्यंग्य-संग्रह है ?
(क) कमलेश्वर
(ख) निर्मल वर्मा
(ग) परसाई
(घ) रेणु
उत्तर :
(ग) परसाई।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से कौन-सा व्यंग्य-संग्रह परसाई जी का नहीं है ?
(क) जार्ज पंचम की नाक
(ख) तिरछी रेखाएँ
(ग) ठिठुरता हुआ गणतंत्र
(घ) विकलांग श्रद्धा का दौर
उत्तर :
(क) जार्ज पंचम की नाक।
प्रश्न 15.
‘भोलाराम का जीव’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) कमलेश्वर
(ख) निर्मल वर्मा
(ग) परसाई
(घ) मोहन राकेश
उत्तर :
(ग) परसाई ।
प्रश्न 16.
‘तीसरे दर्जे का श्रद्धेय’ के रचयिता का नाम क्या है ?
(क) मोहन राकेश
(ख) भगवानदीन
(ग) मणिमधुकर
(घ) परसाई
उत्तर :
(घ) परसाई ।
प्रश्न 17.
‘ठिठुरता हुआ गणतंत्र’ किसकी रचना है ?
(क) विष्णु प्रभाकर
(ख) राही मासूम रजा
(ग) हरिशंकर परसाई
(घ) श्रौलाल शुक्ल
उत्तर :
(ग) हरिशंकर परसाई।
प्रश्न 18.
‘मुर्गा दिन में सबसे पहले क्रांति का आद्वान करता है’ — किसकी पंक्ति है ?
(क) हारिशंकर परसाई
(ख) कमलेश्वर
(ग) निर्मल वर्मा
(घ) श्रीलाल शुक्ल
उत्तर :
(क) हरिशंकर परसाई।
प्रश्न 19.
हरिशंकर परसाई की मृत्यु कब हुई ?
(क) सन 1994
(ख) सन् 1995
(ग) सन् 1996
(घ) सन् 1997
उत्तर :
(ख) सन् 1995।
प्रश्न 20.
‘विकलांग श्रद्धा का दौर’ किसकी रचना है ?
(क) श्रीलाल शुक्ल
(ख) हरिशंकर परसाई
(ग) कमलेश्वर
(घ) उषा प्रियंवदा
उत्तर :
(ख) हरिशंकर परसाई।
प्रश्न 21.
परसाई जी ने निम्न में से किस पत्रिका का संपादन किया था ?
(क) वसुधा
(ख) कादम्बिनी
(ग) हंस
(घ) आजकल
उत्तर :
(क) वसुधा।
प्रश्न 22.
किस विश्वविद्यालय ने परसाई जी को डी. लिट. की उपाधि प्रदान की ?
(क) भागलपुर विश्वविद्यालय
(ख) दिल्लो विश्वविद्यालय
(ग) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
(ग) जबलपुर विश्वविद्यालय
उत्तर :
(घ) जबलपुर विश्वविद्यालय।
प्रश्न 23.
परसाई जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार कब मिला ?
(क) सन् 1980
(ख) सन् 1981
(ग) सन् 1982
(घ) सन् 1983
उत्तर :
(ग) सन् 1982।
प्रश्न 24.
‘लिटरेचर ने मारा तुम्हें’ के रचयिता कौन हैं ?
(क) मोहन राकेश
(ख) निराला
(ग) परसाई
(घ) रमेश बख़ी
उत्तर :
(ग) परसाई ।
प्रश्न 25.
परसाई जी का ‘ज्वाला और जल’ किस विधा की रचना है ?
(क) कविता
(ख) नाटक
(ग) उपन्यास
(घ) कहानी
उत्तर :
(ग) उपन्यास।
प्रश्न 26.
‘तट की खोज’ किस कोटि की रचना है ?
(क) लम्बी कथा
(ख) छोटी कहानी
(ग) व्यंग्या
(घ) कविता
उत्तर :
(क) लम्बी कथा।
प्रश्न 27.
‘सुदामा के चावल’ किसकी रचना है ?
(क) सुदर्शन
(ख) अज्ञेय
(ग) भुवनेश्वर
(घ) परसाई
उत्तर :
(घ) परसाई ।
प्रश्न 28.
‘त्रिशंकु बेचारा’ के रचयिता कौन हैं ?
(क) भुवनंश्वर
(ख) धर्मवीर भारती
(ग) उग्म
(घ) परसाई
उत्तर :
(घ) परसाई ।
प्रश्न 29.
‘मन्नू भैया की बारात’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) परसाई
(ख) पंत
(ग) यशापाल
(घ) अश्क
उत्तर :
(क) परसाई ।
प्रश्न 30.
परसाई जी की रचना ‘हनुमान की रेलयात्रा’ किस विधा की है ?
(क) व्यंग्य निबंध
(ख) कहानी
(ग) कविता
(घ) उपन्यास
उत्तर :
(क) व्यंग्य निबंध ।
प्रश्न 31.
‘इस्पेक्टर मातादीन चाँद पर’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रसाद
(ख) विनोद रस्तोगी
(ग) परसाई
(घ) राजपूत मलिक
उत्तर :
(ग) परसाई ।
प्रश्न 32.
‘देशभक्ति का पॉलिश’ के रचयिता कौन हैं ?
(क) रांगेय राघव
(ख) जैनेन्द्र
(ग) बच्चन
(घ) परसाई
उत्तर :
(घ) परसाई ।
प्रश्न 33.
‘गाँधीजी का ओवरकोट’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) परसाई
(ख) उदयशंकर भट्ट
(ग) रामकुमार वर्मा
(घ) उप्र
उत्तर :
(क) परसाई ।
प्रश्न 34.
‘चमचे की दिल्ली-यात्रा’ किसकी रचना है ?
(क) अशोक वाजपेयी
(ख) दिनकर
(ग) परसाई
(घ) अझेय
उत्तर :
(ग) परसाई ।
प्रश्न 35.
‘बेचारा कॉमन मैन’ (परसाई) किस विधा की रचना है ?
(क) व्यंग्य-निबंध
(ख) उपन्यास
(ग) कहानी
(घ) संस्मरण
उत्तर :
(क) व्यंग्य-निबंध ।
प्रश्न 36.
‘प्रेमचंद के फटे जूते’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) हरिशंकर परसाई
(ख) उग्र
(ग) अशक
(घ) जयनाथ मलिन
उत्तर :
(क) हरिशंकर परसाई।
प्रश्न 37.
‘अपनी-अपनी बीमारी’ किसकी रचना है ?
(क) प्रेमचंद
(ख) पंत
(ग) इलाचंद्र जोशी
(घ) परसाई
उत्तर :
(घ) परसाई ।
प्रश्न 38.
‘माटी कहे कुम्हार से’ के रचियता हैं ?
(क) भवानी प्रसाद
(ख) निर्मल वर्मा
(ग) निराला
(घ) परसाई
उत्तर :
(घ) परसाई ।
प्रश्न 39.
‘काग भगोड़ा’ तथा ‘आवारा भीड़ के खतरे’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) पत
(ख) नेमिचंद्र जैन
(ग) परसाई
(घ) अज्ञेय
उत्तर :
(ग) परसाई ।
प्रश्न 40.
निम्नांकित में से कौन-सी रचना परसाई जी की नहीं है ?
(क) एसा भी सोचा जाता है
(ख) पगडण्डयों का जमाना
(ग) शिकायत मुझे भी है
(घ) जहाज का पंछी
उत्तर :
(घ) जहाज का पंछी ।
प्रश्न 41.
‘तुलसीदास चंदन घिसे’ के रचयिता कौन हैं ?
(क) भारतंदु
(ख) निराला
(ग) परसाई
(घ) कुबेरनाथ राय
उत्तर :
(ग) परसाई ।
प्रश्न 42.
परसाई जी को उनकी किस रचना के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला ?
(क) काग भगोड़ा
(ख) वैष्गव की फिसलन
(ग) विकलाग श्रद्धा का दौर
(घ) प्रेमचंद के फटे जूते
उत्तर :
(ग) विकलांग श्रद्धा का दौर ।
प्रश्न 43.
‘और अंत में’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) अज्ञेय
(ख) जैनेन्द्र
(ग) परसाई
(घ) नेमीचंद्र जैन
उत्तर :
(ग) परसाई ।
प्रश्न 44.
‘हम एक उप्र से वाकिफ हैं’ – किसकी रचना है ?
(क) परसाई
(ख) निर्मल वर्मा
(ग) महादेवी वर्मा
(घ) कृष्मांदर
उत्तर :
(क) परसाई ।
प्रश्न 45.
मध्यप्रदेश सरकार की ओर से परसाई जी को कौन-सा पुरस्कार दिया गया ?
(क) शिक्षा-सम्मान
(ख) साहित्य अकादमी पुरस्कार
(ग) मंगला प्रसाद पुरस्कार
(घ) ज्ञानपौठ पुरस्कार
उत्तर :
(क) शिक्षा-सम्मान ।
प्रश्न 46.
थर्मराज किस आधार पर लोगों को स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान ‘अलॉट’ करते थे ?
(क) जाति के आधार पर
(ख) कर्म के आधार पर
(ग) धर्म के आधार पर
(घ) रंग के आधार पर
उत्तर :
(ख) कर्म के आधार पर।
प्रश्न 47.
चित्रगुप्त बार-बार क्या देख रहे थे ?
(क) रजिस्टर
(ख) यमदूत
(ग) धर्मराज
(घ) भोलाराम का जीव
उत्तर :
(क) रजिस्टर।
प्रश्न 48.
भोलाराम के जीव ने गायब होने के कितने दिन पहले देह त्यागा था ?
(क) चार दिन
(ख) पाँच दिन
(ग) छ: दिन
(घ) सात दिन
उत्तर :
(ख) पाँच दिन।
प्रश्न 49.
कौन बदहवास धर्मराज के पास आया ?
(क) चित्रगुप्त
(ख) भोलाराम का जीव
(ग) यमदूत
(घद) नारद
उत्तर :
(ग) यमदूत।
प्रश्न 50.
यमदूत के हाथों से अच्छे-अच्छे कौन नहीं छूट सके ?
(क) डॉक्टर
(ख) इनकम टैक्स वाले
(ग) शिक्षक
(घ) वकील
उत्तर :
(घ) वकील ।
प्रश्न 51.
तुम्हारी भी रिटायर होने की उप्र आ गई – किसे कहा जा रहा है ?
(क) चपरासी को
(ख) बड़े बाबू को
(ग) चिद्रगुप्त को
(घ) यमदूत को
उत्तर :
(ग) चित्रगुप्त को।
प्रश्न 52.
नरक की कौन-सी समस्या हल हो गई थी ?
(क) आवास की
(ख) ठेकेदारों की
(ग) इंजीनियरों की
(घ) गुणो कारीगरों की
उत्तर :
(क) आवास की।
प्रश्न 53.
मामला बड़ा दिलचस्प है – वक्ता कौन है ?
(क) धर्मराज
(ख) चित्रगुप्त
(ग) नारद
(घ) यमदूत
उत्तर :
(ग) नारद।
प्रश्न 54.
भोलाराम जबलपुर के किस मुहल्ले में रहता था ?
(क) धौलापुर
(ख) धमापुर
(ग) माधपुर
(घ) बेलापुर
उत्तर :
(ख) धमापुर।
प्रश्न 55.
भोलारम की उप्र कितनी थी ?
(क) 55 वर्ष
(ख) 60 वर्ष
(ग) 65 वर्ष
(घ) 70 वर्ष
उत्तर :
(ग) 65 वर्ष।
प्रश्न 56.
भोलाराम के परिवार में कौन-कौन थे ?
(क) पत्नी और पुत्री
(ख) पत्ली, एक पुत्री और दो पुत्र
(ग) पत्नी, बूढ़ी माँ
(घ) पत्नी और बूढ़़ पिताजी
उत्तर :
(ख) पत्नी, एक पुत्री और दो पुत्र।
प्रश्न 57.
नारद भोलाराम का मकान कैसे पहचान गए ?
(क) चित्र से
(ख) मकान-मालिक से
(ग) माँ बेटी के क्रंदन से
(घ) भोलाराम के शव से
उत्तर :
(ग) माँ बेटी के कंदन से।
प्रश्न 58.
भोलाराम को रिटायर हुए कितने साल हो गए थे ?
(क) दो साल
(ख) तीन साल
(ग) चार साल
(घ) पाँच साल
उत्तर :
(घ) पाँच साल।
प्रश्न 59.
भोलाराम की पत्नी ने भोलाराम की किस बीमारी के बारे में बाताया ?
(क) गले की
(ख) पेट की
(ग) गरीबी की
(घ) अमीरी की
उत्तर :
(ग) गरीबी की।
प्रश्न 60.
भोलाराम को कितने रुपये महीने पेंशन के मिलते ?
(क) पचास-साठ
(ख) सत्तर-अस्सी
(ग) अस्सी-नव्ये
(घ) नब्बे-सौ
उत्तर :
(क) पचास-साठ।
प्रश्न 61.
भोलाराम की पत्नी ने ‘उचक्के’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया ?
(क) बड़े साहब
(ख) चपरासी
(ग) मकान-मालिक
(घ) नारद जी
उत्तर :
(घ) नारद जी ।
प्रश्न 62.
नारद जी अंत में किसके पास पहुँचे ?
(क) चित्रगुप्त
(ख) बड़े साहब
(ग) भालाराम की पत्नी
(घ) धर्मराज
उत्तर :
(ख) बड़े साहब।
प्रश्न 63.
क्या काम है ? – किसने पूछा ?
(क) नारद ने
(ख) चित्रगुप्त ने
(ग) बड़े साहब ने
(घ) चपरासी ने
उत्तर :
(ग) बड़े साहब ने।
प्रश्न 64.
सरकारी पैसे का मामला है – किसने कहा ?
(क) बड़े साहब ने
(ख) नारद ने
(ग) धर्मराज ने
(घ) चपरासी ने
उत्तर :
(क) बड़े साहब ने।
प्रश्न 65.
किसकी लड़की गाना-बजाना सीखती है ?
(क) नारद की
(ख) बड़े साहब की
(ग) चपरासी की
(घ) भोलाराम की
उत्तर :
(ख) बड़े साहब की।
प्रश्न 66.
मुझे नहीं जाना – किससे कहा ?
(क) भोलाराम के जीव ने
(ख) भोलाराम ने
(ग) भोलाराम की बेटी ने
(घ) भोलाराम की पत्नी ने
उत्तर :
(क) भोलाराम के जीव ने।
टिप्पणियाँ
धर्मराज : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रबना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है। धर्मराज मृत्यु के देवता का नाम है। इनका रंग हरा है, लाल वस्व धारण करते हैं, भैंस पर सवार होते हैं। इनके मुंशी चित्रगुप्त सब प्राणियों का लेखा-जोखा रखते हैं। ये यमपुरी में अपने कालित्री नामक राजमहल में निवास करते हैं। यमों की संख्या 14 बताई गई है।
चित्रगुप्त : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
पुराणों में चित्रगुप्त का उल्सेख यमराज के यहाँ मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखनेवाले लिपिक के रूप में मिलता है। वर्तमान कायस्थ जाति के लोंग इन्हें अपना पूर्व पुरूष मानते हैं और यम द्वितीया को इनकी पूजा करते हैं। भीष्म पितामह को चित्रगुप्त की अराधना से ही इच्छा-मृत्यु का वरदान मिला था।
नरक : प्रस्तुत शब्द हरिशेंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
हिंदू धर्म शाख्वो के अनुसार नरक एसा लोक है जहाँ पाप करनेवालो की आत्मा को दंड भोगने के लिए भंजा जाता है। ऐसे नरकों की संख्या कहीं 21 और कही-कही 27 बताई गई है।
पाप : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जोव’ से लिया गया है।
पाप का संबंध मन से होता है। सामान्यत समाज तथा धर्म के नियमों के विरूद्ध काम करना ही पाप कहलाता है। गौतम बुद्ध के अनुसार जो करने योग्य है उसे न करना तथा जो नहीं करने योग्य है उसे करना ही पाप कहलाता है। श्रुति, स्मृति आदि ने जिस कार्यों को करने से मना किया है उन्हें पाप कहा गया है।
नारायण : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
नारायण एक देवता थे। कृष्ण को इन्हीं का अवतार माना जाता है। देव और दानवों को समुद्रमंथन के लिए नारायण ने ही प्रेरित किया था। इन्होंने ही मोहिनी रूप धारण करके देवताओं को अमृत पिलाया।
नारद : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
नारद एक वैदिक द्रष्टा और यज्ञवेना थे जो ब्रह्या के मानस पुत्र और विष्णु के तीसरे अवतार थे। नारद त्रिकालदर्शी और वंद-वेदाग में पारंगत थे। इन्हे ॠग्वेद के कुछ सूक्तो का द्रष्टा भी बताया जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार पहल ये गंधर्व थें।
स्वर्ग : प्रस्तुत शब्द हरिशकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
पुराणों से सात लोकों की कल्पना की गई है। ये सूर्यलोक से लेकर धुवलोक तक फेले हुए हैं। इन्हीं में सं एक स्वर्गलोक भी है। यह मुख्य रूप से देवताओ का निवास-स्थान माना जाता है। इस संसार में जो व्यक्ति पुण्य और अच्छे कर्म करता है, उसकी आत्मा मृत्यु के बाद इसी लोक में निवास करती है। पुण्य की अवधि समाप्त होने पर वह कर्मों के अनुसार फिर शरीर धारण करता है।
पुण्य : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
समाज तथा धर्म के नियमों का पालन करना ही पुण्य कहलाता है। पुण्य अर्थात् अच्छे कर्म करनेवालों को मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है – एसा विश्वास किया जाता है।
सिद्ध पुरूष : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
भागवत में आठ सिद्धियों का उल्लेख किया गया है – अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईश्वरत्व और वशित्व। जिस साधक को इनमें से किसी भी सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है वह सिद्ध पुरूष कहलाता है।
इन्द्रजाल : प्रस्तुत शब्द हरिशकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
जादू को ही इन्द्रजाल के नाम से जाना जाता है। जादू के द्वारा जादूगर ऐसे-एसे करतब दिखाते है जिन्हे देखकर विश्वास न होते हुए भी विश्वास करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
वकील : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
वे लोग जो कानून के ज्ञाता होते हैं तथा न्यायालय में अपने मुवक्किल की ओर से मुकदमे लड़ते हैं, वकील कहलाते हैं। वकीलों का कार्य पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलवाना है। न्यायालय में वकीलों के लिए एक निर्धारित वेश – सफेद फुलपैंट, सफेज कमीज तथा काला कोट है।
वीणा : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘ भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
वीणा अत्यंत ही प्राचीन वाद्य है। तार से बजने के कारण इसका एक नाम तंत्री भी है। वीणा अपनी बनावट तथा आवाज की विभिन्रता के कारण कई प्रकार की होती है।
पेंशन : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
सरकारी नौकरों को उनकी सेवा-समाप्ति (रिटायरमेंट) के बाद सरकार की ओर से प्रत्येक महीने जो राशि दी जाती है, उसे पेंशन कहते हैं। यदि पेंशनधारी की मृत्यु हो जाती है तो उसकी पत्नी यदि जीवित है तो उसे आधा पेंशन मिलता है। एक शायर ने पेंशन के बारे में लिखा है –
मेरे अहबाब (मित्र) क्या कारे नुमांया (चमत्कार) कर गए
बी.ए. हुए, नौकर हुए, पेंशन मिली और मर गए।
साधु : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
माया-मोह से दूर तथा दूसरों के उपकार में लगा रहने वाला व्यक्ति ही साधु कहलाता है। कबीर ने साधु के लक्षण बतातं हुए कहा है कि जो आवश्यकतानुसार ही भोजन-वस्त्र धारण करे तथा आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह न करे वही सच्चे अर्थों में साधु है।
पोस्टमैन : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
पहले जब मोबाइल का प्रचलन नहीं था, पत्र का ही प्रचलन था । डाकघर का जो कर्मचारी पत्रों को घर तक पहुँचने का काम करता था, वह डाकिया या पोस्टमैन कहलाता था।
पेपरवेट : प्रस्तुत शब्द हरिशंकर परसाई की रचना ‘भोलाराम का जीव’ से लिया गया है।
जैसा कि नाम से ही यह जाहिर होता है कि पेपरवेट कागज पर रखा जाने वाला वजन है। पहले काँच के बने पेपरवेट का प्रचलन था लेकि अब अनेक प्रकार के पेपरवेट बनने लगे हैं। इसका उपयोग मुख्यत: कार्यालयों में कागज को हवा से उड़ने से बचाने में होता है।
पाठ्याधारित व्याकरण
WBBSE Class 9 Hindi भोलाराम का जीव Summary
हिन्दी के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्रो हरिशंकर परसाई का जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में 22 अगस्त, सन् 1924 को हुआ था।
परसाई जी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उनकी रचनाओं में कल्पना की आतिशबाजी नहीं, जीवन की मिट्टी से जुड़ाव है। वे अपने आस-पास के जीवन से जुड़कर चलते दिखाई देते हैं। ‘मौलाना का लड़का’, ‘राग-विराग’, ‘सदाचार का ताबीज’, ‘भोलाराम का जीव’, ‘मुंडन’, ‘एक तृप्त आदमी की कहानी’, ‘मैं हूं तोता प्रेम का मारा’, ‘वैष्णगव की फिसलन’ और ‘सत्य साधक मंडल’ इनकी चर्चित कहानियाँ हैं, जिनमें परसाई जी की सामाजिक दृष्टि की व्यापकता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
परसाई जी की रचनाओं को देखने-परखने के बाद यह कहा जा सकता है कि सामाजिक विसंगतियों के प्रति गहरा सरोकार रखने वाला लेखक ही सच्चा व्यंग्यकार हो सकता है। सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करके वह अपना क्षोभ तो प्रकट करता ही है, अपने लेखन से वह समाज में एक नैतिक हस्तक्षेप भी करता है। परसाई जी के व्यंग्य में गहरी आस्था दिखाई देती है क्योंकि इसमें मनुष्य की बेहतरी की प्रबल आकांक्षा होती है। हम ऐसा कह सकते हैं कि परसाई जी के व्यंग्य में उनका लक्ष्य केवल हास्य पैदा करना नहीं होता, बल्कि इसके मूल में करुणा छिपी होती है। परसाई जी की रचनाएँ इसका प्रमाण हैं। व्यंग्य-विधा की इस अप्रतिम प्रतिभा का निधन 10 अगस्त, सन् 1995 ई。को जबलपुर में हुआ।
परसाई जी का रचना-संसार इस प्रकार है –
कहानी-संग्रह : हँसते हैं, रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे।
व्यंग्य-संग्रह : वैष्णव की फिसलन, तिरछी रेखाएँ, ठिठुरता हुआ गणतंत्र, विकलांग श्रद्धा का दौर, परसाई रचनावली (छ: भागों में) ।
निबंध-संग्रह : तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, पगडंडियों का जमाना, सदाचार का ताबीज, बेइमानी की परत, शिकायत मुझे भी है, निठल्ले की डायरी, और अंत में।
उपन्यास : रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज।
शब्दार्थ
पृष्ठ सं० – 59
- धर्मराज = यमराज ।
- असंख्य = जिनकी निश्चित संख्या न हो ।
- सिफारिश = अनुसंशा।
- अलॉट = तय ।
- खीझ = गुस्सा ।
- खाना = चला, प्रस्थान ।
- लापता = गायब ।
- द्वार = दरवाजा।
- बदहवास = बुरे हाल में मौलिक = असली।
- कुरूप = बदसूरत ।
- विकृत = भयंकर ।
- जीव = आत्मा ।
- दयानिधान = दया के निधि, सागर ।
पृष्ठ सं० – 60
- चकमा = धोखा ।
- त्यागा = छोड़ा ।
- तीव्र = तेज ।
- चंगुल = पकड़ ।
- कसर = कमी ।
- अभ्यस्त = अच्छी तरह अभ्यास किए हुए ।
- इन्द्रजाल = जादू ।
- व्यापार = काम ।
- होजरी = गंजी, जांघिये, मोजे आदि ।
- रिटायर = अवकाश लेने का समय ।
- नगण्य = बिल्कुल मामूली, जो गिनती करने योग्य न हो।
- दीन = दुखी ।
- गुमसुम = चुपचाप।
- गुणी = कुशल ।
- कारीगर = मिप्र्री ।
- रद्दी = बेकार ।
- हड़पा = खा गये ।
- विकट = भयंकर ।
- भेद = अंतर ।
- इनकम टैक्स = आयकर,
- आमदनी पर लगने वःग्गा कर । बकाया = बाको ।
- भुखमरा = भूखों मरनेवाला ।
- दिलचस्प = आकर्षक।
पृष्ठ सं० – 61
- समेत = सहित, साध ।
- तलाश = खोज ।
- सम्मिलित = मिला हुआ ।
- क्रंदन = रोना भिक्षा = भीख ।
- दरखास्त = आवेदन पत्र ।
- फुरसत = खाली समय ।
- मुद्दे = मामले ।
- जी = दिल ।
पृष्ठ सं० – 62
- गुर्रा कर = गुस्से से उचक्के = लफंगे ।
- मठ = मंदिर ।
- दुनियादारी = दुनिया के तौर – तरीकी ।
पृष्ठ सं० – 63
- धड़धड़ाते = बिना किसी रोक-टोक के ।
- बैरागी = संसार से विरक्त ।
- आत्मीय = अपने लांग।
- स्टेशनरी = कागजकलम-फाईल आदि ।
- सहसा = अचानक ।
- पोस्टमैन = डाकिया।