Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions Chapter 2 हिंसा परम धर्मः to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi Solutions Chapter 2 Question Answer – हिंसा परम धर्मः
ससंदर्भ आलोचनात्मक व्याख्या
प्रश्न 1.
जामिद इसी श्रेणी के मनुष्यों में था।
– रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें । पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति ‘हिंसा परमो धर्म:’ से संदर्भित है और इसके रचनाकार मुंशी प्रेमचंद हैं।
इस पंक्ति में जामिद की तुलना वैसे व्यक्तियों से की गई है जो किसी के नौकर नहीं होते हुए भी सबके नौकर होते हैं। ये हमेशा दूसरों के काम करने में ही व्यस्त रहते हैं, इन्हें अपनी भी फिक्र नहीं रहती। यह न किसी के दोस्त होते हैं न किसी के दुश्मन। इनके लिए सारे लोग एक जैसे होते हैं और जामिद भी एक ऐसा ही व्यक्ति था।
प्रश्न 2.
बेकाम का काम करने में उसे मजा आता था।
– पाठ का नाम लिखें। पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘हिंसा परमो धर्म:’ है।
प्रेमचंद ने जामिद् का चित्रण करते हुए कहा है कि उसे व्यर्थ का काम, जिससे उसका अपना कोई लाभ न भी हो तो भी ऐसे काम को करने में उसे बहुत मजा आता था। उसके ऐसे कामों में प्रमुख था-बीमार की सेवा करना, आधी रात को भी हकीम के घर दौड़ जाना या फिर किसी जड़ी-बूटी की तलाश में दुनिया की खाक छानना।
प्रश्न 3.
इसीलिए लोग उसे बौड़म समझते थे।
– रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें। लोग उसे बौड़म क्यों समझते थे?
उत्तर :
रचना का नाम ‘हिंसा परमो धर्म:’ है और इसके रचनाकार मुंशी प्रेमचंद हैं ।
यहाँ जामिद के चरित्र का चित्रण करते हुए यह दिखाया गया है कि उसकी सबसे बड़ी कमंजोरी यह थी कि वह किसी पर अत्याचार होते नहीं देख सकता था। अत्याचार को रोकने के लिए वह अपनी जान भी जोखिम में डालने से नहीं चूकता था। यही कारण; था कि आए दिन पुलिस कांस्टेबिल से भी उसकी किसी न किसी बात को लेकर झड़प होती ही रहती थी। जामिद की इन्हीं सब पदतों की वजह से लोग उसे बौड़म कहते थे।
प्रश्न 4.
दीवाना तो थ, जह और उसका गम दूसरे खाते थे।
– दीवाना किसे कहा गया है? पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
जामिद को दोवाना कहा गया है।
जामिद को लोग उसके व्यवहार के कारण दीवाना समझते थे। जामिद के कामों से पूरे गाँव को लाभ होता था लेकिन इसमें उसका अपना भला नहीं होता था। यहाँ तक कि कभी-कभी उसे रोटियों के भी लाले पड़ जाते थे फिर भी वह अपने स्वभाव को नहीं बदलता था। कुछ लोगों को उसकी यह दीवानगी बहुत ही बुरी लगती थी क्योंकि वे संसार की स्वार्थपरता को भली-भांति समझते थे।
प्रश्न 5.
एक दिन उठा और एक तरफ की राह ली।
– यहाँ किसके बारे में कहा जा रहा है? पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
यहाँ जामिद के बारे में कहा जा रहा है।
जामिद अभी तक लोगों की मुफ्त सेवा किया करता था – लेकिन वह रोटियों का भी मुहताज था। जब लोगों ने उसे समझाया कि जिस दिन कोई मुसीबत आ पड़ेगी, उस दिन कोई पूछने वाला भी न होगा, यहाँ तक कि लोग सीधे मुँह बातें भी नहीं करेंगे। तब इन सब बातो को सुनकर जामिद की आँखें खुली और उसने मन ही मन एक निर्णय लिया तथा गाँव को छोड़कर शहर की ओर चल पड़ा।
प्रश्न 6.
ये लोग कितने ईमान के पक्के, कितने सत्यवादी हैं।
– ‘ये लोग’ से कौन संकेतित हैं? पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
‘ये लोग’ से शहरवाले संकेतित हैं।
व्याख्या : जब जामिद शहर पहुँचा तो उसने वहाँ अपने गाँव से एक अलग ही दुनिया पाई। यहाँ जितनी जनसंख्या थी, लगभग उतनी ही मस्जिद और मंदिर भी थे। जबकि गाँव में कोई मंदिर तथा मस्जिद न थी। शहरों में मंदिर तथा मस्जिदों की संख्या को देखकर उसने अंदाजा लगाया कि ये शहर के लोग कितने ईमान के पक्के, और कितने सत्यवादी हैं।
प्रश्न 7.
यहाँ के सभी प्राणी उसे देवता-तुल्य मालूम होते थे।
अथवा
प्रश्न 8.
वह हर आने-जाने वाले को श्रद्धा की दृष्टि से देखता और उसके सामने विनय से सिर झुकाता था।
– ससंदर्भ आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से ली गई है।
शहर के लोगों की धर्मपरायणता देखकर जामिद को ऐसा लगा कि यहाँ के लोग मनुष्य नहीं, देवता के समान हैं। निश्चय ही इनकी सत्यवादिता, ईमान, दया, विवेक तथा सहानुभूति आदि के कारण ही ये खुदा के प्यारे हैं। इसलिए वह हर आने-जाने वाले को श्रद्धा की दृष्टि से देखता तथा उसके समाने विनय से सर झुकाता था।
प्रश्न 9.
ठाकुर जी तो सबके ठाकुर जी हैं – क्या हिंदू, क्या मुसलमान।
– वक्ता कौन है ? वक्ता का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता जामिद है।
जामिदी शहर पहुँचकर दिनभर घूमता रहा। शाम में थककर वह एक मंदिर के संगमरमरी चबूतरे पर बैठ गया। मंदिर में जगह-जगह गंदगी फैली हुई थी। उसे गंदगी से चिढ़ थी इसलिए उसने मंदिर की सफाई शुरू कर दी। यह देख कर लोगों में उसके गति उत्सुकता जगी और लोगों ने उससे तरह-तरह के सवाल करने शुरू कर दिए। मुसलमान होकर भी मंदिर की सफाई करते देख एक ने पूछा कि क्या तुम ठाकुर को मानते हो? जामिद की नज़र में तो ईश्वर एक था इसलिए उसने जवाब में कहा कि ठाकुर हिंदू और मुसलमान में कोई भेदभाव नहीं करते – वे सबके हैं और सब उनके हैं।
प्रश्न 10.
उसका आंदर-सत्कार होने लगा।
– किसका आदर-सत्कार होने लगा ? क्यों ?
उत्तर :
जामिद का आदर-सत्कार होने लगा। जामिद की बातों तथा उसके कायों से प्रभावित होकर लोगों ने उसे मंदिर का पुजारी बना दिया। रहने को हवादार मकान, खाने को बढ़िया भोजन मिलने लगा। जामिद ने नियमपूर्वक भजनकीर्तन करना भी शुरू कर दिया। इससे मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने लगी। इन्हीं गुणों के कारण जामिद का काफी आदर-सत्कार होने लगा।
प्रश्न 11.
वह अपने आश्रयदाताओं की उदारता और धर्मनिष्ठा का और भी कायल हो गया।
– ‘वह’ कौन है ? वह कैसे किसका कायल हो गया ?
उत्तर :
‘वह’ जामिद है।
मदिर का कार्य करते हुए जब जामिद का कुछ समय बीत गया तो एक दिन उसके शुद्धिकरण का आयोजन किया गया। उसका सिर मुड़या गया, नए कपड़े पहनाए गए और हवन के बाद उसके हाथों से मिठाई बँटवाई गई। पहले से ही वह आश्रयदाताओं के प्रेम तथा सहानुभूति से प्रभावित था ही – इस शुद्धिकरण के बाद वह अपने आश्रयदाताओं की उदारता तथा धर्मनिष्ठा का और भी कायल हो गया।
प्रश्न 12.
इसी को सच्चा धर्म कहते हैं।
अथवा
प्रश्न 13. जामिद को जीवन में कभी इतना सम्मान न मिला था।
– ससंदर्भ आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तुत वाक्य प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्मः से लिया गया है ।
शहर के लोगों ने जामिद को न केवल मंदिर में आश्रय दिया बल्कि उसे भोजन और मकान की सुविधा भी दी। उपयुक्त समय पाकर उनलोगों ने विधिपूर्वक उसका शुद्धिकरण भी समारोहपूर्वक किया। जामिद को अपने जीवन में अब तक ऐसा सम्मान न मिला था। मुसलमान होते हुए भी हिंदुओं ने उसके साथ जो अच्छा व्यवहार किया उससे उसके मन में यह बात बैठ गई कि जो जाति और धर्म के आधार पर लोगों में भेदभाव न करे वही सच्चा धर्म है।
प्रश्न 14.
सीधा सादा जामिद इस सम्मान का रहस्य कुछ न समझता था।
– रचनाकार का नाम लिखें। पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रचनाकार प्रेमचंद हैं।
व्याख्या : मंदिर में कुछ समय गुजारने के बाद एक दिन समारोहपूर्वक उसका शुद्धिकरण किया गया। उसके सिर को मुड़ाया गया, नए कपड़े पहनाकर हवन कराया गया और फिर उसके हाथों मिठाई भी बँटवाई गई। जामिद इस सम्मान से काफी प्रभावित था। सीधा-सादा होने के कारण वह इस सम्मान के रहस्य को नहीं जान पा रहा था कि जिसे वह सम्मान समझ रहा है दरअसल वह उसका धर्म-परिवर्तन है।
प्रश्न 15.
उसके लिए यह कोई नयी बात न थी।
– ससंदर्भ आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से ली गई है।
जामिद अभी तक मंदिर में जो कुछ करता आया था वह तो उसकी प्रकृति में शामिल था। साफ-सफाई करना, भजनकीर्तन आदि तो गाँव में भी करता था – यह सब उसके लिए पुरानी बात थी। लेकिन इन चीजों के लिए शहर के लोगों ने जो सम्मान दिया-यह बात उसके लिए नई थी।
प्रश्न 16.
आखिर वह बेदम होकर गिर पड़ा।
– ‘वह’ से कौन संकेतित है ? वह बेदम होकर क्यों गिर पड़ा ?
उत्तर :
‘वह’ से जामिद संकेतित है।
तिलकधारी युवक के घर में उस मुसलमान बुड्दे की मुर्गी घुस गई थी। बुद्दे का इसमें कोई दोष न था लेकिन युवक उसे ही साजा देने पर उतारु था क्योंकि मुर्गियाँ उसी की थीं। इसी बात पर युवक उस बुद्धु को पीट रहा था। जामिद से यह नहीं देखा गया। उसने पहले तो युवक को समझाने की काफी कोशिश की लेकिन न मानने पर उसने युवक को पटक दिया। यह देखकर सारे हिंदुओं ने मिलकर जामिद को इतना पीटा कि वह बेदम होकर गिर पड़ा।
प्रश्न 17.
कभी म्लेच्छों से भलाई की आशा न रखनी चाहिए। कौआ, कौओं के ही साथ मिलेगा।
– ‘मलेच्छ’ और ‘कौआ’ किसे कहा गया है और क्यों ? आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
‘मलेच्छ’ और ‘कौआ’ जामिद को कहा गया है।
जामिद अत्याचारी हिंदू युवक से बुद्ये मुसलमान की रक्षा करता है तथा उस युवक को सबक सिखलाता है। यह देखकर लोगों को यह लगता है कि वे लोग जामिद के लिए कितना कुछ्छ भी करें लेकिन वह हुदय से कभी भी हिंदुओं का नहीं हो सकता। उनकी सोच है कि जामिद जैसे व्यक्ति से किसी भलाई की आशा रखना ही व्यर्थ है। हर हाल में वह अपनी कौम का ही साथ देगा।
प्रश्न 18.
पशु से आदमी बना दिया, फिर भी अपना न हुआ।
– किसे पशु से आदमी बनाने की बात कही गई है ? फिर भी वह अपना क्यों न हआ?
उत्तर :
यहाँ जामिद को पशु से आदमी बनाने की बात कही गई है।
जामिद धर्म के भेद्धाव को नहीं मानता है। ईश्वर-अल्लाह-दोनों ही उसके लिए समान हैं लेकिन उसके आश्रयदाता हिंदुओं की सोच ऐसी नहीं है। आश्रयदाताओं को लगता है कि इतनी भलाई करने, सम्मान देने तथा अपने धर्म में परिवर्तित कर लेने के बाद भी जामिद उनका अपना न हो सका।
प्रश्न 19.
ऐसी यातनाएँ वह कितनी बार भोग चुका था।
– यहाँ किस यातना के बारे में कहा गया है ? उसे बार-बार ऐसी यातनाएँ क्यों भोगनी पड़ती थीं ?
उत्तर :
यहाँ जामिद की उस यातना के बारे में कहा गया है जो उसे सच्चाई का साथ देने तथा अत्याचार का विरोध करने के कारण दी जाती थी।
जामिद स्वभाव से ही भला, सच्चाई का साथ देनेवाला तथा अत्याचार का विरोध करने वाला था। लेकिन उसके इस नेक कार्य के बदले कभी पुरस्कृत नही किया गया बल्कि लोगों द्वारा प्रताड़ित किया गया, उसकी पिटाई की गई। जब अपने आश्रयदाताओं के द्वारा भी उसकी पिटाई होती है तो उसे मार खाने का दुख नहीं होता है क्योंकि ऐसी कितनी ही यातनाएँ वह पहले भी भोग चुका है।
प्रश्न 20.
वह रात भर इसी उलझन में पड़ा रहा।
– ‘वह’ कौन है? वह किस उलझन में पड़ा रहा ?
उत्तर :
‘वह’ जामिद है।
मुसलमान बूढ़े पर अत्याचार करने वाले युवक की पिटाई करने पर उसके आश्रयदाता ही उसे पीटते-पीटते बेदम कर देते हैं। उसे मार खाने का दुःख नहीं है। उसकी उलझन केवल इस बात को लेकर है कि जिन लोगों ने एक दिन उसका इतना सम्मान किया था, आज उन्हीं लोगों ने बिना किसी कारण के उसकी पिटाई क्यों की। उसका तो कोई कुसूर भी नहीं था। उसने तो वही किया जो किसी भी व्यक्ति को करना चाहिए। इन्हीं सब बातों को लेकर जामिद रात भर उलझन में पड़ा रहा।
प्रश्न 21.
तुम-जैसे दीनदारों से इस्लाम का नाम रोशन है।
– ‘तुम-जैसे’ से किसकी ओर संकेत किया गया है? पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
‘तुम जैसे’ से जामिद की ओर संकेत किया गया है।
जामिद के मंदिर में पुजारी बन जाने तथा धर्म-परिवर्तन से काजी साहब को बड़ी तकलीफ पहुँची। जब उन्हें पता चलता है कि जामिद ने मंदिर को छोड़ दिया है तो वे उसकी प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि तुम जैसे दीन-दुखिया की मदद करने वालों के कारण ही इस्लाम का नाम आज सारी दुनिया में रोशन है अर्थात् फैला हुआ है।
प्रश्न 22.
सभी उसकी हिम्मत, जोर और मज़हबी जोश की प्रशंसा करते थे।
– रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें। पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
रचना का नाम ‘हिंसा परमो धर्म:’ है तथा इसके रचनाकार मुंशी प्रेमचंद हैं।
जामिद ने बूढ़े मुसलमान को तिलकधारी युवक से पिटने से बचाया था। इसके लिए उसे भी यातनाएँ सहनी पड़ी थी। इसके बाद वह पुन: मुसलमानों के बीच आ गया था। उसके इसी काम की सभी प्रशंसा कर रहे थे। लोग जामिद की हिम्मत, जोर तथा मजहबी जोश की प्रशंसा करते नहीं थकते थे – सब उसे एक नज़र देखना चाहते थे।
प्रश्न 23.
आराम में खलल पड़ेगा।
– वक्ता कौन है ? वह ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर :
वक्ता ताँगेवाला है।
ताँगेवाला स्र्री को उसके पति के पते पर न ले जाकर काजी के मकान ले आता है। जब स्वी को शक होता है तो वह आवाज देकर अपने पति को बुलाने को कहती है। इस पर ताँगेवाला उसे झूठी दिलासा देते हुए कहता है कि जब जानता हूँ कि साहब का मकान यही है तो बेकार चिल्लाने से क्या फायदा ? वे आराम कर रहे होंगे। चिल्लाने से उनके आराम से खलल पड़ेगा।
प्रश्न 24.
यह विद्या का सागर, यह न्याय का भंडार, यह नीति, धर्म और दर्शन का आगार एक अपरिचित महिला के ऊपर घोर अत्याचार कर रहा है।
अथवा
प्रश्न 25.
यह रहस्य और भी रहस्मय हो गया था।
– ससंदर्भ पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से ली गई है।
जामिद ने देखा कि स्त्री काजी साहब के दरवाजे से लौटना चाहती है लेकिन काजी ने उसका हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया तो एक स्त्री के रात में काजी के पास आने और फिर काजी के इस व्यवहार से जो रहस्य था, वह और भी रहस्यमय हो गया। वह सपने में भी नहीं सोच सकता था कि काजी किसी पराई औरत के साथ ऐसा व्यवहार कर सकते हैं।
प्रश्न 26.
तुम्हें यहाँ किसी बात की तकलीफ न होगी।
अथवा
प्रश्न 27.
बस आराम से जिंदगी के दिन बसर करना।
– वक्ता और श्रोता कौन है ? पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता काजी तथा श्रोता स्वी (इंदिरा) है।
जब काजी अपरिचित स्त्री के साथ जोर दिखकर तथा धमकी देकर भी अपने मंसूबे में सफल नहीं हो पाते हैं तब वे लालच का सहारा लेते हैं। वे स्वी से कहते हैं कि वह जामिद के साथ निकाह करके बाकी जिंदगी आराम से गुजार सकती है। उसे किसी बात की तकलीफ न होगी क्योंकि इस्लाम औरतों के हक़ का जितना लिहाज करता है, उतना और कोई मज़हब नहीं करता।
प्रश्न 28.
मैं आपकी इस नेकी को कभी न भूलूँगी।
– वक्ता और श्रोता का नाम लिखें। ‘नेकी’ का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता स्वी (इन्दिरा) है तथा श्रोता जामिद है।
जामिद मुसलमान होते हुए भी काजी से हिन्दू महिला की रक्षा करता है। इतना ही नहीं वह काजी के डंडे की परवाह न करते हुए उसे उसके पति के घर तक सही-सलामत आदरपूर्वक पहुँचा देता है। जामिद ने उस ख्वी के साथ जो भलाई का काम किया उसके लिए वह उसका शुक्रिया अदा करते हुए कहती है कि वह जामिद के द्वारा किए गए उपकार को कभी नहीं भूलेगी।
प्रश्न 29.
मुझे अब मालूम हुआ कि अच्छे और बुरे सब जगह होते हैं।
– वक्ता कौन है ? वह ऐसा क्यों कह रहा है ?
उत्तर :
वक्ता स्त्री इन्दिरा है।
अगर जामिद ने सही समय पर उस अपरिचित ख्वी का साथ देकर काजी के पंजे से नहीं हुड़ाया होता तो वह कहीं की न रहती क्योंकि ख्वी की आबरू ही सबसे बड़ी चीज होती है। उस स्री की रक्षा करके जामिद ने अपने व्यक्तित्व की छाप उस औरत पर छोड़ दी। अब वह इस सच्चाई को जान गई है कि अच्छे और बुरे लोग सब जगह होते हैं।
प्रश्न 30.
तुम्हें इतनी देर कहाँ लगी ?
– पाठ का नाम लिखें। किसे, कहाँ और कैसे इतनी देर लगी ?
उत्तर :
पाठ का नाम ‘हिंसा परमो धर्म:’ है।
इन्दिरा जो अपने पति के घर जाने के लिए स्टेशन से तांगे पर निकली। तांगेवाला उसे धोखा देकर काजी के पास पहुँचा देता है। जामिद उस स्वी को काजी से बचाकर उसके पति पंडित राजकुमार के पास जो अहियागंज में रहते थे वहाँ पहुँचा देता है। इन सारे चक्करों में स्वी को घर पहुँचने में काफी देर हो जाती है तो घर पहुँचते ही उसके पति इतनी देर होने का कारण पूछते हैं। अभी तक जो भी घटना घटी – उससे पंडित राजकुमार बिल्कुल अनभिज़ थे।
प्रश्न 31.
मेरी जबान में इतनी ताकत नहीं कि आपका शुक्रिया अदा कर सकूँ ।
– वक्ता कौन है ? वह किसका और किसलिए शुक्रिया अदा करना चाहता है ?
उत्तर :
वक्ता स्वी के पति पंडित राजकुमार हैं।
जब पंडित राजकुमार को उनकी स्री सारी घटना के बारे में बताती है तो वे सत्र रह जाते हैं। उन्हें जामिद में ईश्वर का रूप दिखाई देता है। वे जानते हैं कि जामिद ने जो उपकार किया है उसे शब्दों में नहीं चुकाया जा सकता, इसलिए वे कहते हैं कि मेरी जबान में इतनी ताकत नहीं कि आपका शुक्रिया अदा कर सकूँ।
प्रश्न 32.
वह जल्द से जल्द शहर से भागकर अपने गाँव पहुँचना चाहता था।
– ‘वह’ से कौन संकेतित है ? वह गाँव क्यों पहुँचना चाहता है ?
उत्तर :
वह से जामिद संकेतित है।
जब जामिद शहर पहुंबा था तो वहाँ मन्दिर तथा मस्जिदों की संख्या देखकर उसे लगा था कि शहर के लोग कितने ईमानदार, सत्यवादी और खुदा के प्यारे बंदे हैं। लेकिन उसका यह भ्रम जल्द ही दूर हो गया। उसने देख लिया कि चाहे वे हिन्दू हों या मुसलमान, धर्म के नाम पर गंदगियाँ फैला रहे हैं। अब शहर के वातावरण में उसका दम घुटने लगा था, इसलिए वह जल्द से जल्द गाँव पहुँचना चाहता था जहाँ धर्म के सच्चे स्वरूप के दर्शन होते थे।
प्रश्न 33.
धर्म और धार्मिक लोगों से उसे घृणा हो गयी थी।
– रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें। पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रचना ‘हिंसा परमो धर्म:’ है तथा इसके रचनाकार मुंशी प्रेमचंद हैं।
जामिद ने शहर में रहकर हिन्दू तथा इस्लाम दोनों ही धर्मों के ठेकेदारों को अच्छी तरह से देख लिया था। अब उसे अच्छी तरह पता चल गया कि दोनों ही धर्मवाले धार्मिक होने का केवल ऊपरी दिखावा करते है। सच्चे धर्म से उनका कोई लेना-देना नहीं है। इसीलिए उसे धर्म तथा धार्मिक लोगों से घृणा हो गई थी। कबीर ने इस सच्चाई को बहुत पहले ही देखसमझ लिया था –
हिंदुन की हिंदुवाई देखी, तुरकन की तुरकाई ।
कहै कबीर सुनो भाई साधो, कौन राह है जाई ।।
प्रश्न 34.
वहाँ मजहब का नाम सहानुभूति, प्रेम और सौहार्द था।
– ‘वहाँ’ शब्द कहाँ के लिए आया है। पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
‘वहाँ’ शब्द जामिद के गाँव के लिए आया है।
जामिद के गाँव में मंदिर-मस्जिद नहीं थे । मुसलमान चबूतरे पर नमाज पढ़ लेते थे और हिंदू एक वृक्ष के नीचे पानी चढ़ा दिया करते थे । वहाँ के लोग धर्म के नाम पर न कोई दिखावा करते थे और न ही धर्म के नाम पर आपस में लड़ते थे। फिर भी लोगों में एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति, प्रेम और सौहाद्र था धर्म का वास्तविक स्वरूप भी यही है –
ना मैं मंदिर, ना मैं मस्जिद, न काबा कैलाश में ।
मुझको कहाँ बूंढ़े रे बंदे, मैं तो तेरे पास में ।।
प्रश्न 35.
धर्म और धार्मिक लोगों से उसे घृणा हो गयी थी ।
– पाठ का नाम लिखें । धर्म और धार्मिक लोगों से किसे घृणा हो गयी थी और क्यों ?
उत्तर :
पाठ का नाम ‘हिंसा परमो धर्म:’ है।
जामिद ने शहर में मंदिर-मस्जिद दोनों को तथा दोनों धर्मों को चलानेवाले ठेकेदारों को अच्छी तरह देख लिया था। दरअसल वहाँ धार्मिक होने का दिखावा था, धर्म नहीं क्योंकि इकबाल के शब्दों में –
‘मजहब नहीं सिखाता आपस में वैर रखना’।
यही कारण था कि जामिद को दोनों ही धर्म तथा धार्मिक लोगों से घृणा हो गई थी।
प्रश्न 36.
जामिद का रक्त खौल उठा।
अथवा
प्रश्न 37.
ऐसे दृश्य देखकर वह शांत न बैठ सकता था।
– ससंदर्भ आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से ली गई है।
व्याख्या : जामिद की प्रकृति में अन्याय सहन करना नहीं था। इसके लिए वह गाँव में भी पुलिस कांस्टेबिल से भिड़ जाता था और गाँव के लोग इसी कारण से उसे बौड़म कहते थे। शहर में मंदिर के सामने एक बलिष्ठ युवक द्वारा एक बुड्टे को पीटे जाते देखकर यह अन्याय उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तथा उसका खून खौल उठा। ऐसे अत्याधार को देखकर वह किसी भी परिणाम की चिंता न कर शांत न बैठ सकता था।
प्रश्न 38.
इस शरारत का बदला किसी गरीब मुसलमान से न लीजिएगा।
अथवा
प्रश्न 39.
मैं आपकी इस नेकी का क्या बदला दे सकता हूँ ?
– वक्ता और श्रोता का नाम लिखें। श्रोता ने क्या नेकी की थी ?
उत्तर :
वक्ता पंडित राजकुमार है तथा श्रोता जामिद है।
जामिद ने पंडित राजकुमार की पत्नी की आबरू की रक्षा करके इतना बड़ा अहसान किया था जिसे चुकाया नहीं जा सकता था। उसने जामिद से यह निवेदन किया कि वह किस प्रकार इस नेकी का बदला चुका सकता है। जामिद ने जो कुछ भी किया था वह कुछ पाने की लालसा से नहीं बल्कि मानव-धर्म का निर्वाह किया था। फिर भी उसने पंडित राजकुमार से यह निवेदन किया कि वे अपने मन में किसी मुसलमान के प्रति कोई विद्वेष न पाले तथा काजी ने जो कुछ किया – उस शरारत का बदला किसी गरीब मुसलमान से न लें।
प्रश्न 40.
आबरु के सामने जान की कोई हकीकत नहीं।
अथवा
प्रश्न 41.
तुम मेरी जान ले सकते हो मगर आबरु नहीं ले सकते।
– वक्ता कौन है ? वह ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर :
वक्ता स्वी (पंडित राजकुमार की पत्नी इंदिरा) है।
इंदिरा की आबरू पर जब काजी हाथ डालना चाह रहा था तो इंदिरा ने उसे चेतावनी देते हुए कहा कि वह अपने जीते-जी उसे आबरू (इज्जत) पर हाथ न लगाने देगी। इतिहास साक्षी है कि जब-जब भारतीय स्त्रियों पर ऐसी विपदा आई है उन्होंने जान दे दी लेकिन अपनी आबरू पर आँच न आने दिया। मध्यकाल में प्रचलित जौहर-प्रथा इसका अच्छा उदाहरण है।
प्रश्न 42.
शहर की विषाक्त वायु में सांस लेते हुए उसका दम घुटता था।
– शहर की विषाक्त वायु में किसका दम घुट रहा था ? क्यों ?
उत्तर :
शहर की विषाक्त वायु में जामिद का दम घुट रहा था।
जामिद ने शहर में रहते हुए बहुत करीब से धर्म और धर्म के नाम पर फैले दिखावे को देखा था। लोग केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए धर्म का सहारा ले रहे थे। वास्तव में उनका धर्म से कोई लेना-देना नहीं था। वे लोग धार्मिक नहीं धर्म की खाल ओढ़े भेड़िये थे। इन्हीं कारणों से शहर की विषाक्त वायु में सांस लेते हुए उसका दम घुटता था।
प्रश्न 43.
सबको विश्वास हो गया कि भगवान ने यह शिकार चुन कर भेजा है।
– ‘सबको’ और ‘शिकार’ से कौन संकेतित है ? पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
‘सबको’ से मंदिर में इकट्ठे लोग तथा ‘शिकार’ से जामिद संकेतित है।
लोगों ने जब जामिद को अपने दामन से मंदिर के चबूतरे को साफ करते देखा तो लोगों ने अपनी जिज्ञासा का समाधान करने के लिए उससे जाति, धर्म, घर, ठाकुर जी में विश्वास आदि से संबंधित कई सवाल पूछे । संतोषजनक उत्तर पाने पर लोगों को लगा कि भगवान ने ही मंदिर की सेवा करने के लिए यह शिकार चुनकर भेजा है। इसे किसी भी प्रकार हाथ से निकलने नहीं देना चाहिए।
प्रश्न 44.
हुजूर, मारते-मारते अधमरा कर दिया।
– वक्ता कौन है ? ‘हुजूर’ कहकर किसे संबोधित किया जा रहा है ? उसे किसने और क्यों अधमरा कर दिया ?
उत्तर :
वक्ता मुसलमान बुड्षा है जिसे एक बलिष्ठ युवक पीट रहा था। ‘हुजूर’ कहकर जामिद को संबोधित किया जा रहा है।
उस बूढेे मुसलमान की मुर्गी ने उस युवक के घर को गंदा कर दिया था इसलिए वह युवक मुर्गी की गलती की सजा उस बूढ़े को दे रहा था। उसका दोष केवल इतना ही था कि मुर्गी उसकी थी । इसी छोटी-सी बात पर उस तिलकधारी युवक ने बूढ़े मुसलमान को पीटते-पीटते अधमरा कर दिया।
प्रश्न 45.
गलती यही हुई कि तुमने एक महीने भर तक सब्र नहीं किया।
अथवा
प्रश्न 46.
शादी हो जाने देते, तब्ब मजा आता।
अथवा
प्रश्न 47.
एक नाजनीन साथ लाते और दौलत मुफ्त।
– ससंदर्भ आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से ली गई है।
जब जामिद की मुलाकात काजी से होती है तो वे उससे मिलकर बहुत खुश होते हैं। उनका कहना था कि यदि जामिद ने थोड़ा सब्न से काम लिया होता तो बहुत मजा आता क्योंकि उसकी शादी किसी सुंदर हिन्दू युवती से हो जाती और दहेज मिलता सो अलग। सबसे बड़ी बात यह होती कि वह एक हिन्दू स्त्री को धर्म-परिवर्तन कराकर उसे इस्लाम धर्म कुबूल करवा लेता।
प्रश्न 48.
क्या तुम्हें खुदा ने यही सिखाया है।
– वक्ता और श्रोता का नाम लिखें। पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
वक्ता इंदिरा है तथा श्रोता काजी है।
जब काजी इंदिरा की आबरू लेना चाहता है तो इंदिरा उसे फटकारते हुए कहती है कि धर्म की आड़ में वह यह घिनौना खेल क्यों खेल रहा है। क्या उसे उसके खुदा ने यही सीख दी है कि पराई स्त्री की इज्ज़त से खेले, उसकी जिंदगी बर्बांद कर दे।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – 1 : ‘हिंसा परमो धर्म:’ कहानी का सारांश अपने शब्दो में लिखें।
प्रश्न – 2 : ‘हिंसा परमो धर्म:’ कहानी में व्यक्त लेखक के विचारों को अपने शब्दों में लिखें।
प्रश्न – 3 : ‘हिंसा परमो धर्म:’ के माध्यम से प्रेमचंद ने हमें क्या संदेश देना चाहा है ?
प्रश्न – 4 : ‘हिंसा परमो धर्म:’ हमें मानव-धर्म का पाठ पढ़ाती है – समीक्षा करें।
प्रश्न – 5 : ‘हिंसा परमो धर्म:’ धर्म की आड़ में चल रहे कुत्सित व्यापार, धर्माधता का पोल खोलती है – समीक्षा करें।
प्रश्न – 6 : प्रेमचंद ने हिंसा को परम धर्म क्यों कहा है – अपने विचार व्यक्त करें।
प्रश्न – 7 : धर्म और धार्मिक लोगों से उसे घृणा हो गयी थी – पंक्ति के आधार पर ‘हिंसा परमो धर्म:’ की समीक्षा करें।
उत्तर :
प्रेमचंद अपनी रचनाओं में सामाजिक यथार्थ को पाठकों के सामने रखनेवाले अपने समय के साहित्यकारों में सबसे आगे हैं। उन्होंने अपनी अनेक रचनाओं में धर्म की आड़ में पंडितों, मौलवियों के भ्रष्टाचारी जीवन का चित्र खींचा है कि धर्म की आड़ में ये किस प्रकार स्त्री समाज को पतित करते हैं। ‘हिंसा परमो धर्म:’ एक ऐसी ही कहानी है।
‘हिंसा परमो धर्म:’ का मुख्य पात्र जामिद है जो अपना सारा समय दूसरों की सेवा करने तथा अत्याचार के विरोध में ही बिताता है। लोगों की नजरों में उसका यह काम बेकाम है क्योंकि इससे दूसरों का तो भला होता है लेकिन उसका खुद का भला नहीं होता। कुछ लोगों को यह नागवार गुजरता था क्योंकि वह अपनी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा था। एक दिन लोगों के समझाने पर वह गाँव छोड़कर शहर की ओर चल पड़ता है।
शहर पहुँच कर जामिद पाता है कि वहाँ मंदिर और मस्जिदों की संख्या मकानों से कम नहीं हैं। वह मन ही मन शहरवासियों की धार्मिकता का कायल हो जाता है। घूमते-घूमते शाम हो जाने पर वह एक मंदिर के चबूतरे पर बैठे जाता है। वहाँ चारों ओर गंदगी ही गंदगी फैली है। वह अपने दामन से वहाँ की गंदगी साफ करने लगता है। भक्तों की नज़र उस पर पड़ती है तथा उससे वे तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। अंत में उन्हें लगता है कि भगवान ने ही उनके लिए यह शिकार भेजा है। जामिद को वहीं रहने की सारी सुविधाएँ दी जाती है तथा एक समारोह का आयोजन कर उसका धर्मातरण भी करवा दिया जाता है। जामिद सच्चाई से अनभिज्ञ अपने आश्रयदाताओं के एहसान तले दब जाता है।
एक दिन जामिद जब भक्तों के साथ बैठा पुराण पढ़ रहा था तभी उसने एक युवक को बूढ़े को पीटते देखा। दरअसल उस बूढ़े की मुर्गी युवक के घर में घुस गई थी। यह अत्याचार जामिद से सहन नहीं होता है तथा वह उस युवक को उठाकर पटक देता है। यह देखकर मंदिर के सारे भक्त जामिद की अच्छी तरह धुलाई कर देते हैं। जामिद की समझ में यह बात नहीं आती कि मुसलमान बूढ़े का पक्ष लेने से ही उसकी यह दशा की गई है।
दूसरे दिन जामिद की मुलाकात उस मुसलमान बूढ़े से होती है। वह उसे काजी जोरावर हुसैन के पास ले जाता है। काजी जामिद की काफी प्रशंसा करता है तथा उसे अपने यहाँ शरण दे देता है।
एक रात जामिद ने देखा कि एक तांगेवाला एक स्त्री (इंदिरा) को बहका कर काजी के कमरे में लाता है। काजी उसकी आबरू लेना चाहता है तथा यह भी चाहता है कि वह इस्लाम धर्म कुबूल कर जामिद से विवाह कर ले। जामिद से यह अत्याचार देखा नहीं जाता तथा वह उसे काजी के पंजे से छुड़ाकर सही-सलामत उसके पति के पास पहुँचा देता है।
अब तक जामिद ने धर्म की आड़ में चलनेवाले सारे व्यापार को अच्छी तरह देख और समझ लिया है। अत: वहाँ के विषाक्त माहौल से निकल कर वह अपने गाँव के लिए चल देता है-
“‘तुम और हमसे प्यार करोगे ? झूठ है लोभी बंजारो
बेचोगे, व्यापार करोगे, तुमसे दूर भले प्यारो !'”
इस प्रकार हम पाते हैं इस कहानी के माध्यम से प्रेमचंद् ने हमें यह संदेश देना चाहा है कि जो धर्म के मर्म को नहीं समझते – वही धर्म के ठेकेदार बने बैठे हैं तथा घृणा का व्यापार कर रहे हैं। सच्चा धर्म तो मानव धर्म है जिसकी साक्षात जीती-जागती प्रतिमा जामिद है लेकिन वही दोनों ओर से उपेक्षित हो जाता है। कोई भी धर्म हिंसा का पाठ नहीं पढ़ाता लेकिन लोभी दानवों में हिंसा फैलाकर लोगों को धर्म के अलग-अलग खाने में बाँट दिया है।
प्रश्न – 8 : ‘हिंसा परमो थर्म:’ कहानी के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण करें।
प्रश्न – 9 : ‘हिंसा परमो धर्म:’ कहानी के किस पात्र ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है वर्णन करें।
प्रश्न – 10 : मानव-धर्म का सच्या उदाहरण जामिद की चारित्रिक विशेषताओं को लिखें।
प्रश्न – 11 : जामिद का चरत्रि-चित्रण करें।
प्रश्न – 12 : ‘हिसा परमो धर्म:’ कहानी के आधार पर जामिद का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर :
‘हिंसा परमो धर्म:’ कहानी का पात्र जामिद ने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया है। वह प्रेमचंद की कहानियों के आदर्श पात्रों में से एक है। जामिद धर्म के सच्चे स्वरूप को हमारे सामने रखता है – इसलिए वह प्रिय पात्र है।
जामिद की चारित्रिक विशेषताओं को निम्नांकित बिंदुओं के अंतर्गत देखा जा सकता है-
(क) भोला-भाला ग्रामीण युवक : जामिद् गाँव का भोला-भाला युवक है जिसके जीवन का उद्देश्य ही परोपकार तथा लोगों का सेवा करना है। दूसरों की मुसीबत के समय वह मदद करने के लिए देवदूत के समान सामने आकार खड़ा हो जाता है।
(ख) अत्याचार-अनाचार का विरोध करने वाला : जामिद के लिए यह असहनीय है कि उसके सामने किसी पर अत्याचार हो और वह चुप बैठा रह जाय। अपने इसी स्वभाव के कारण वह कई बार पुलिस कांस्टेबिल से भी उलझ चुका है। विरोध की इसी प्रवृत्ति के कारण उसे मंदिर से और फिर काजी से भी प्रताड़ित होना पड़ता है –
माँगा मिलन और पाई फ़ीरी
गलियों में घूमे रमता किसी का
बेचैन-बेचैन ख़ामोश-खामोश
ये जो था इक रोज प्यारा किसी का।
(ग) प्रेम तथा मानवता का पाठ पढ़ानेवाला : जामिद के दिल में दूसरों के लिए प्रेम भरा हुआ है तथा दूसरे से भी यही चाहता है क्योंकि मानवता का पाठ यही है। प्रेमचंद ने उसकी इस प्रवृत्ति के बारे में लिखा है – ”जो जरा हँस कर बोला, उसका बेदाम का गुलाम हो गया।”
(घ) ईश्वर तथा अल्लाह को एक मानने वाला : जामिद ईश्वर तथा अल्लाह को एक मानता है, यह बात उसके इस कथन से प्रमाणित हो जाती है – “ठाकुर जी को कौन न मानेगा, साहब ? जिसने पैदा किया, उसे न मानूँगा तो किसे मानूँगा।” उसके लिए ईश्वर या अल्लाह सबके हैं और सब उसके हैं।
(ङ) सुन्दर भजन गायक : जामिद एक सच्चा युवक होने के साथ ही अच्छा भजन गायक भी है। वह रोज मंदिर में कीर्तन करता है तथा उसके सुंदर भजन से आकर्षित होकर कितने ही लोग मंदिर में आने लगे। उसके भजन से मंदिर के रौनक में चार चाँद लग जाते हैं।
(च) स्त्रियों की इज्ज़त करने वाला : जामिद के मन में स्त्रियों के लिए बहुत इज्ज़त है। यही कारण है कि वह अपरिचित हिंदू स्री इंदिरा की आबरू को बचाने के लिए काजी से भी भिड़ जाता है तथा उसे सही-सलामत उसके पति पंडित राजकुमार के पास पहुँचाता है। जहाँ काजी स्त्री को मात्र खिलौना समझकर उससे खेलना चाहता है वहीं जामिद उसे सम्मान की वस्तु समझता है।
(छ) बदले की भावना से कोसों दूर : लोग भले ही जामिद के साथ बुरा व्यवहार करते हैं लेकिन उसके मन में किसी के लिए बदले की कोई भावना नहीं है। इतना ही नहीं, जब पंडित राजकुमार उससे नेकी का बदला देने की बात करते हैं तो वह कहता है –
“इस शरारत का बदला किसी गरीब मुसलमान से न लीजिएगा, मेरी आपसे यही दरखास्त है।”
(ज) दोनों ही धर्म के लोगों से प्रताड़ित : जामिद सच्चा धार्मिक है, वह धर्म के आधार पर किसी में कोई भेदभाव नहीं करता। फिर भी अपने सच्चे व्यवहार के कारण क्या हिन्दू और क्या मुसलमान – दोनों से ही उसे प्रताड़ित होना पड़ता है और अंतत: निराश होकर गाँव लौटने के लिए विवश हो जाता है –
हर कोई देखके जाल बिछाए, हर कोई उठके वार करे, बस्तियाँ-करिये (गाँव) घूम चुके हम, कोई न हमसे प्यार करे।
(ग) प्रेम तथा मानवता का पाठ पढ़ानेवाला : जामिद के दिल में दूसरों के लिए प्रेम भरा हुआ है तथा दूसरे से भी यही चाहता है क्योंकि मानवता का पाठ यही है। प्रेमचंद ने उसकी इस प्रवृत्ति के बारे में लिखा है – “जो जरा हँस कर बोला, उसका बेदाम का गुलाम हो गया।”
(घ) ईश्वर तथा अल्लाह को एक मानने वाला : जामिद ईश्वर तथा अल्लाह को एक मानता है, यह बात उसके इस कथन से प्रमाणित हो जाती है – ”ठाकुर जी को कौन न मानेगा, साहब ? जिसने पैदा किया, उसे न मानूँगा तो किसे मानूँगा।’ उसके लिए ईश्वर या अल्लाह सबके हैं और सब उसके हैं।
(ङ) सुन्दर भजन गायक : जामिद एक सच्चा युवक होने के साथ ही अच्छा भजन गायक भी है। वह रोज मंदिर में कीर्तन करता है तथा उसके सुंदर भजन से आकर्षित होकर कितने ही लोग मंदिर में आने लगे। उसके भजन से मंदिर के रौनक में चार चाँद लग जाते हैं।
(च) स्त्रियों की इज्ज़त करने वाला : जामिद के मन में स्वियों के लिए बहुत इज्जात है। यही कारण है कि वह अपरिचित हिंदू स्वी इंदिरा की आबरू को बचाने के लिए काजी से भी भिड़ जाता है तथा उसे सही-सलामत उसके पति पंडित राजकुमार के पास पहुँचाता है। जहाँ काजी स्त्री को मात्र खिलौना समझकर उससे खेलना चाहता है वहीं जामिद उसे सम्मान की वस्तु समझता है।
(छ) बदले की भावना से कोसों दूर : लोग भले ही जामिद के साथ बुरा व्यवहार करते हैं लेकिन उसके मन में किसी के लिए बदले की कोई भावना नहीं है। इतना ही नहीं, जब पंडित राजकुमार उससे नेकी का बदला देने की बात करते हैं तो वह कहता है –
“इस शरारत का बदला किसी गरीब मुसलमान से न लीजिएगा, मेरी आपसे यही दरखास्त है।”
(ज) दोनों ही धर्म के लोगों से प्रताड़ित : जामिद सच्चा धार्मिक है, वह धर्म के आधार पर किसी में कोई भेदभाव नहीं करता। फिर भी अपने सच्चे व्यवहार के कारण क्या हिन्दू और क्या मुसलमान – दोनों से ही उसे प्रताड़ित होना पड़ता है और अंतत: निराश होकर गाँव लौटने के लिए विवश हो जाता है –
हर कोई देखके जाल बिछाए, हर कोई उठके वार करे,
बस्तियाँ-करिये (गाँव) घूम चुके हम, कोई न हमसे प्यार करे।
निष्कर्ष: हम यह कह सकते हैं कि जामिद सच्चा मानब है, मानव-धर्म का देवदूत है तथा अपनी इन्हीं चारित्रिक विशेषताओं के कारण वह मुझे सबसे अधिक प्रभावित करता है। जामिद एक आदर्श चरित्र है तथा उसका चरित्र धर्म के ठेकेदारों के गालो पर करारा तमाचा है।
प्रश्न – 13: ‘हिंसा परमो धर्मः’ कहानी के काज़ी का चरित्र-चित्रण करें।
प्रश्न – 14: ‘हिंसा परमो धर्म:’ के जोरावर हुसैन का चरित्र-चित्रण करें।
प्रश्न – 15 : काजी (जोरावर हुसैन) के चरित्र के माध्यम से प्रेपचंद ने हमें क्या संदेश देना चाहा है ?
प्रश्न – 16 : जोरावर हुसैन का चरित्र थर्म की आड़ में पलने वाला दरिदे का चरित्र है – समीक्षा करें।
उत्तर :
जहाँ प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में एक-से बढ़कर एक आदर्श चरित्रों की सृष्टि की है वहीं अनेक पात्र ऐसे भी हैं जो खलनायक बनकर आए हैं। काजी भी ऐसे ही पात्रों में से एक है तथा ‘हिंसा परमो धर्म:’ कहानी में हमारे सामने वह खलनायक के रूप में सामने आता है। काज़ी के चरित्र का विश्लेषण हम निम्नांकित शीर्षकों के अंतर्गत कर सकते हैं –
(क) छली तथा धूर्त्त : काज़ी उर्फ जोरावर हुसैन एक नंबर का छलिया तथा धूर्त है। जब जामिद उससे पहली बार मिलता है तो वह अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से उसे अपने जाल में फंसा लेता है –
“‘वल्लाह ! तुम्हें आँखें बूँढ़ रही थी। तुमने अकेले इतने काफिरों के दाँत खट्टे कर दिए ! क्यों न हो मोमिन का खून है ! …….. तुम-जैसे दीनदारों से ही इस्लाम का नाम रोशन है।”
(ख) बदले की भावना से भरा हुआ : काजी में बदले की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। जामिद के साथ मंदिर के भक्तों ने जो किया वह उसे बदले से चुकाना चाहता था ताकि हिंदुओं को उससे सबक मिल सके । वह जामिद से कहता है – ”गलती यही हुई कि तुमने एक महीने भर सब्न नहीं किया। शादी हो जाने देते, तब मज़ा आता। एक नाजनीन साथ लाते और दौलत मुफ्त।”
(ग) औरतों की आबरू से खेलने वाला : काजी कहने को धर्म का नुमाइदा है लेकिन वह स्तियों की आबरू से खेलनेवाला दरिदा है। अपने इस धिनौने शौक को पूरा करने के लिए उसने ताँगेवाले जैसे लोग भी पाल रखा है जो स्त्रियों को बहला कर, धोखा देकर उसके पास ले आते हैं। वह इंदिरा की आबरू के साथ भी खेलना चाहता है लेकिन जामिद के हस्तक्षेप के कारण अपने मंसूबे में सफल नहीं हो पाता है।
(घ) इस्लाम को बदनाम करनेवाला : काजीी अपनी ऐग्याशी के लिए इस्लाम धर्म का सहारा लेकर उसे भी बदनाम करता है जब वह यह कहता है – “हाँ”, खुदा का यही हुक्म है कि काफिरों को जिस तरह मुमकिन हो, इस्लाम के रास्ते पर लाया जाय। अगर खुशी से न आयें तो जब्न से ।’
(ङ) औरतों को बहका-धमका कर धर्म-परिवर्तन के लिए विवश करनेवाला : काजी एक न० का शैतान है तथा अपने मंसूबो को सफल करने के लिए वह हर प्रकार के हथकंडे अपनाता है। वह इंदिरा को भी बहकाने की कोशिश करते हुए कहता है – ‘मुसलमान मर्द तो अपनी औरतों पर जान देता है। मेरा यह नौजवान दोस्त (जामिद) तुम्हारे सामने खड़ा है, इसी के साथ तुम्हारा निकाह कर दिया जाएगा। बस, आराम से जिदगी के दिन बसर करना।”
इस पर भी जब इंदिरा उसकी बात नहीं मानती है तो वह धमकी देने से भी बाज नहीं आता –
” अगर तुमने जबान खोली, तो तुम्हें जान से हाथ धोना पड़ेगा ! बस, इतना समझ लो।”
ऐसे ही दरिंदों के कारण न जाने कितनी स्त्रियों का जीवन बर्बाद होता आया है –
“‘शहर का काज़ी फतवे छापे, गली-गली फैलाए
मोड़-मोड़ पर दुखिया गोरी याद के दीप जलाए
सोच रही है इतने दिन में कितने पाप कमाए
किसको गिनती आए।”
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि काजी का चरित्र उन कठमुल्लों का प्रतीक है जो धर्म की आड़ में लोगों के जीवन से खिलवाड़ करते हैं तथा धर्म का नाम बदनाम करते है।
अति लघूतरीय/लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
जामिद किस श्रेणी के मनुष्यों में से था ?
उत्तरं :
जामिद उस श्रेणी के मनुष्यो में से था, जो किसी का नौकर न होते हुए भी सबके नौकर होते हैं, जिन्हें अपना कोई काम न होते हुए भी सिर उठाने की फुर्सत नहीं होती है।
प्रश्न 2.
बेकाम का काम करने में किसे मजा आता था ?
उत्तर :
बेकाम का काम करने में जामिद को मजा आता था।
प्रश्न 3.
कौन-से सैकड़ों मौके जामिद के सामने आ चुके थे ?
उत्तर :
किसी पर अत्याचार होते देख जामिद उसका प्रतिकार (विरोध) करता था और इसका परिणाम भी उसे भुगतना पड़ता था – यही सैकड़ो मौके जामिद के सामने आ चुके थे।
प्रश्न 4.
जामिद के कार्यों से उसे क्या लाभ होता था ?
उत्तर :
जामिद को अपने द्वारा किए गए कार्यों से खुद को कोई लाभ नहीं होता था। हाँ, दूसरों को इससे लाभ जरूर पहुँचता था।
प्रश्न 5.
जामिद की आँखें कब खुलीं ?
उत्तर :
जब गाँव के लोगों ने जामिद को धिक्कारते हुए यह कहा कि तुम जिसके लिए अपना जीवन नष्ट कर रहे हो, बौमा पड़ जाने पर कोई चुल्लू भर पानी भी न देगें। जिस दिन मुसीबत आ पड़ेगी उस दिन कोई सीधे मुँह बात भी न करेगा। यह सुनकर जामिद की आखें खुलीं।
प्रश्न 6.
जामिद जिस शहर में पहुँचा, वहाँ का दृश्य कैसा था ?
उत्तर :
जामिद जिस शहर में पहुँचा वहाँ के महल आसमान से बातें करने वाले, सड़कें चौड़ी और साफ, बाजार गुलजार तथा मस्जिदों और मंदिरों की संख्या मकानों से कम न थी।
प्रश्न 7.
जामिद के गाँव के लोग धार्मिक क्रिया-कलाप कैसे संपन्न करते थे ?
उत्तर :
जामिद के गाँव में कोई मन्दिर-मस्जिद न थी । मुसलमान एक चबूतरे पर नमाज पढ़ लिया करते थे तथा हिन्दू एक वृक्ष के नीचे पानी चढ़ा दिया करते थे।
प्रश्न 8.
जामिद की दृष्टि में किसका सम्मान सबसे बड़ा था ?
उत्तर :
जामिद की दृष्टि में मजहब का सम्मान सबसे बड़ा था।
प्रश्न 9.
जामिद ने शहर के लोगों को देखकर, क्या सोचा ?
उत्तर :
जामिद ने शहर के लोगों को देखकर यह सोचा कि शहर के लोग कितने ईमान के पक्के, सत्यवादी, दयावान, विवेकशील तथा खुदा के प्यारे बंदे हैं।
प्रश्न 10.
जामिद का शहरवालों के प्रति कैसा व्यवहार था ?
उत्तर :
जामिद की दृष्टि में शहरवालों का स्थान काफी ऊँचा था तथा वह हर आने-जाने वाले को श्रद्धा की दृष्टि से देखता और विनय से सर झुकाता था।
प्रश्न 11.
कहाँ के प्राणी जामिद को देवता-तुल्य मालूम होते थे ?
उत्तर :
शहर के प्राणी जामिद को देवता-तुल्य मालूम होते थे।
प्रश्न 12.
जामिद जिस मंदिर में पहुँचा, वहाँ की दशा कैसी थी?
उत्तर :
जामिद जिस मंदिर में पहुँचा वहाँ की दशा बहुत ही बुरी थी। मंदिर के आँगन में जगह-जगह गोबर और कूड़ा-कचड़ा पड़ा हुआ था। चारों ओर गंदगी ही गंदगी फैली हुई थी।
प्रश्न 13.
‘जिसने पैदा किया, उसे न मानूँगा तो किसे मानूँगा ?
वक्ता कौन है ? वह किसे मानने की बात कर रहा है ?
उत्तर :
वक्ता जामिद है। वह हिन्दुओं के ठाकुर (ईश्वर) को मानने की बात कर रहा है।
प्रश्न 14.
जामिद को मंदिर में क्या-क्या सुविधाएँ मिलीं ?
उत्तर :
जामिद को मंदिर में रहने के लिए एक हवादार मकान, खाने में उत्तम पदार्थ की सुविधा मिली।
प्रश्न 15.
जामिद के बारे में भक्तों ने आपस में क्या सलाह की ?
उत्तर :
जामिद के बारे में भक्तों ने आपस में यह सलाह की कि यह देहाती है, इसे फाँस लेना चाहिए, जाने न पाए।
प्रश्न 16.
एक दिन मंदिर में बहुत से लोग क्यों जमा हुए ?
उत्तर :
उस दिन जामिद के शुद्धिकरण का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर जामिद का सिर मुड़ाया गया, उसे नये कपड़े पहनाए गए, हवन हुआ तथा उसके हाथों मिठाई बँटवाई गई। इसी आयोजन के कारण एक दिन मंदिर में बहुत-से लोग जमा हुए।
प्रश्न 17.
‘मुझ जैसे फटेहाल परदेशी की इतनी खातिर’ – फटेहाल परदेशी कौन है ? उसकी क्या खातिर हुई?
उत्तर :
फटेहाल परदेशी जामिद है। धर्म-परिवर्तन तथा शुद्धिकरण के नाम पर उसे जो नए कपड़े पहनाए गए, हवन कराया गया तथा मिठाई बँटवाई गई – उसे ही वह अपनी खातिर समझ्श रहा था।
प्रश्न 18.
जामिद के कीर्तन का लोगों पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर :
जामिद् के कीर्तन से लोग बहुत ही प्रभावित हुए। कितने लोग तो संगीत के लोभ से ही मंदिर आने लगे।
प्रश्न 19.
जामिद भक्तों का सिरमौर क्यों बना हुआ था ?
उत्तर :
जामिद ने मुसलमान होते हुए भी मंदिर में ठाकुर जी की सेवा तथा कीर्तन करना स्वीकार कर लिया। इतना ही नहीं, उसका शुद्धिकरण कर उसे हिन्दू धर्म में परिवर्तित कर दिया – इन्हीं कारणों से जामिद भक्तों का सिरमौर बना हुआ था।
प्रश्न 20.
किसकी प्रकांड विद्वूता की कितनी ही कथाएँ प्रचलित हो गयीं ?
उत्तर :
जामिद की प्रकांड विद्वता की कितनी ही कथाएँ प्रचलित हो गयीं थीं।
प्रश्न 21.
किसके लिए कौन-सी बात नयी नहीं थी ?
उत्तर :
जामिद के लिए नित्य पूजा-पाठ करना तथा भजन गाना नई बात नहीं थी व्योंक वह गाँव में यह सब करता था।
प्रश्न 22.
एक दिन पुराण पढ़ते समय जामिद ने क्या देखा ?
उत्तर : एक दिन पुराण पढ़ते समय जामिद ने देखा कि सामने सड़क पर एक तगड़ा, तिलकधारी युवक, जनेऊ पहने, एक बूढ़े दुर्बल व्यक्ति को मार रहा है।
प्रश्न 23.
‘तो क्या इसने मुर्गी को सिखा दिया था कि तुम्हारा घर गंदा कर आए’ – वक्ता और श्रोता कौन है?
उत्तर :
वक्ता जामिद है तथा श्रोता वह बलिष्ठ युवक है जो दुर्बल बूढ़े को पीट रहा था।
प्रश्न 24.
दोनों में मलयुद्ध होने लगा – दोनों कौन थे ?
उत्तर :
दोनों में से एक जामिद था तथा दूसरा वह युवक था जो बूढ़े को पीट रहा था।
प्रश्न 25.
‘दगा दे गया’ – कौन, किसको, क्यों दगा दे गया ?
उत्तर :
भक्तों के अनुसार जामिद हिंदुओं को दगा दे गया क्योंकि उसने बूढ़े मुसलमान का पक्ष लिया था।
प्रश्न 26.
कौआ कौओं ही के साथ्य मिलेगा – कौआ किसे कहा गया है, क्यों ?
उत्तर :
कौआ जामिद को कहा गया है क्योंकि उसने धर्म-परिवर्तन के बाद भी हिंदु युवक का पक्ष न लेकर मुसलमान बूढ़े का पक्ष लिया था।
प्रश्न 27.
पशु से आदमी बना दिया – किसने, किसे पशु से आदमी बना दिया ?
उत्तर :
भक्तों ने जामिद को पशु से आदमी बना दिया।
प्रश्न 28.
इनके धर्म का तो मूल ही यही है – वक्ता कौन है ? वह किसके घर्म के बारे में कह रहा है
उत्तर :
वक्ता मंदिर में आनेवाले भक्त हैं तथा वे जामिद के धर्म के बारे में कह रहे हैं।
प्रश्न 29.
जामिद को दु:ख और आश्चर्य किस बात का था ?
उत्तर :
जामिद को दुःख इस बात का था कि जिन लोगों ने एक दिन उसका सम्मान किया था उन्हीं लोगों ने बिना कारण के उसकी दुर्गति की। उसे आश्चर्य इस बात का था कि उनकी सज्जनता आज कहाँ गई ?
प्रश्न 30.
देवता क्यों राक्षस बन गए – वक्ता कौन है ? देवता किसे कहा गया है ?
उत्तर :
वक्ता जामिद है तथा देवता मंदिर में आनेवाले भक्तों को कहा गया है ?
प्रश्न 31.
जामिद को लेकर बुद्धा मुसलमान किसके पास गया ?
उत्तर :
बुद्धा मुसलमान जामिद को लेकर काजी के पास गया।
प्रश्न 32.
काजी का नाम क्या था ?
उत्तर :
काजी का नाम जोरावर हुसैन था।
प्रश्न 33.
काफिरों की हकीकत क्या – काफिर किसे कहा गया है ?
उत्तर :
काफिर हिन्दुओं को कहा गया है।
प्रश्न 34.
गलती यही हुई – किससे क्या गलती हुई ?
उत्तर :
काजी के अनुसार जामिद से गलती हुई कि उसने एक महीने तक सब्र नहीं किया।
प्रश्न 35.
तब मजा आता – यह कौन कह रहा है ? किसे, क्या मज़ा आता ?
उत्तर :
यह काजी कह रहा है। उसके अनुसार यदि जामिद ने एक महीना तक सब किया होता तो उसकी शादी किसी सुंदर हिन्दू युवती से होती, दहेज मिलता सो अलग- तब जामिद को मजा आ जाता।
प्रश्न 36.
काजी साहब के पास अक्सर कौन आया करता था ?
उत्तर :
काजी साहब के पास अव्सर उसके मुरीद (चाहनेवाले) आया करते थे।
प्रश्न 37.
तुम-जैसे दीनदारों से इस्लाम का नाम रोशन है – ‘तुम-जैसे’ से कौन संकेतित है ?
उत्तर :
तुम-जैसे से जामिद संकेतित है।
प्रश्न 38.
औरत को आते देख काजी साहब ने क्या किया ?
उत्तर :
काजी साहब ने औरत को ज्योंहि आते देखा, उन्होंने कमरे की खिड़कियाँ चारों तरफ से बंद करके खूँटी पर लटकती तलवार उतार ली और दरवाजे पर आकर खड़े हो गए।
प्रश्न 39.
काजी साहब को क्या-क्या बताया गया है ?
उत्तर :
काजी साहब को विद्या का सागर, न्याय का भंडार, नीति, धर्म तथा दर्शंन का आगार बताया गया है।
प्रश्न 40.
तुम तो मुझे कोई मौलवी मालूम होते हो – यह कौन, किससे कह रहा है ?
उत्तर :
यह इंदिरा, जोरावर हुसैन (काजी) से कह रही है।
प्रश्न 41.
काजी के अनुसार खुदा का क्या हुक्म है ?
उत्तर :
काजी के अनुसार खुदा का हुक्म यही है कि काफिरों को जिस तरह मुमकिन हो, इस्लाम के रास्ते पर लाया जाय। अगर खुशी से न आयें तो जबरदस्ती।
प्रश्न 42.
जैसा तुम हमारे साथ करोगे वैसा ही हम तुम्हारे साथ करेंगे – ‘तुम’ और ‘हम’ से कौन संकेतित है ?
उत्तर :
‘तुम’ से हिन्दू तथा ‘हम’ से मुसलमान संकेतित हैं।
प्रश्न 43.
इस्लाम कबूल करने से आबरू बढ़ती है, घटती नहीं है – पाठ का नाम लिखें। वक्ता कौन है ?
उत्तर :
पाठ का नाम है – हिंसा परमो धर्म: तथा वक्ता काजी (जोरावर हुसैन) है।
प्रश्न 44.
मगर तुम इतना घबराती क्यों हों – वक्ता और श्रोता कौन हैं ?
उत्तर :
वक्ता जोरावर हुसैन (काजी) है तथा श्रोता इंदिरा है।
प्रश्न 45.
‘मैं अभी शोर मचा दूँगी’ – वक्ता कौन है? वह शोर मचाने की बात क्यों कर रही है ?
उत्तर :
वक्ता इदिरा है। काजो उसकी आबरू लूटने के लिए बेचैन है इसलिए वह शोर मचाने की बात कर रही है।
प्रश्न 46.
मुझे अब मालूम हुआ कि अच्छे और बुरे सब जगह होते हैं – वक्ता कौन है ? ‘अच्छे और बुरे’ से कौन संकेतित है ?
उत्तर :
वक्ता इंदिरा है। ‘अच्छे’ से जामिद तथा ‘बुरे’ से तांगेवाला और काजी संकेतित हैं।
प्रश्न 47.
अहियागंज में कौन रहता था ?
उत्तर :
अहियागंज में इंदिरा के पति पंडित राजकुमार रहते थे।
प्रश्न 48.
तुम्हें इतनी देर कहाँ लगी ? – वक्ता और श्रोता कौन हैं ?
उत्तर :
वक्ता पंडित राजकुमार तथा श्रोता उसकी पत्नी इंदिरा है।
प्रश्न 49.
भाई साहब, शायद आप बनावट समझें – वक्ता कौन है ? वह श्रोता को भाई साहब क्यों कह रहा है ?
उत्तर :
वक्ता पंडित राजकुमार है। वह श्रोता अर्थात जामिद् को भाई साहब इसलिए कह रहा है क्योंकि उसने इंदिरा की आबरू बचाकर भाई के समान ही कार्य किया है।
प्रश्न 50.
कहाँ की वायु में साँस लेते हुए किसका दम घुटता था ?
उत्तर :
शहर की विषाक्त वायु में सांस लेते हुए जामिद का दम घुटता था।
प्रश्न 51.
गाँव में मजहब का नाम क्या था ?
उत्तर :
गाँव में मजहब का नाम सहानुभूति, प्रेम और सौहार्द था।
प्रश्न 52.
जामिद कौन था ? उसे किससे घृणा हो गई थी ?
उत्तर :
जामिद गाँव का एक भोला-भाला युवक था। उसे बनावटी धर्म तथा धार्मिक लोगों से घृणा हो गयी थी।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
प्रेमचंद का वास्तविक नाम क्या था ?
(क) प्रेम प्रकाश
(ख) धनपतराय
(ग) नबाब राय
(घ) मुंशीराय
उत्तर :
(ख) धनपतराय ।
प्रश्न 2.
प्रेमचंद का जन्म कब हुआ था ?
(क) सन् 1880 में
(ख) सन् 1882 में
(ग) सन् 1884 में
(घ) सन् 1886 में
उत्तर :
(क) सन् 1880 में ।
प्रश्न 3.
प्रेमचंद् ने किस वर्ष शिक्षा विभाग से त्यागपत्र दे दिया ?
(क) सन् 1890 में
(ख) सन् 1895 में
(ग) सन् 1920 में
(घ) सन् 1930 में
उत्तर :
(ग) सन् 1920 में ।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किस पत्र का संपादन प्रेमचंद ने किया था ?
(क) माधुरी
(ख) प्रदीप
(ग) कादम्बिनी
(घ) भारतेंदु पत्रिका
उत्तर :
(क) माधुरी ।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से किस पत्र का संपादन प्रेमचंद ने किया था ?
(क) कादम्बिनी
(ख) मर्यादा
(ग) धर्मयुग
(घ) हिन्दुस्तान
उत्तर :
(ख) मर्यादा ।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किस पत्रिका का प्रकाशन प्रेमचंद ने किया ?
(क) हंस
(ख) मर्यादा
(ग) धर्मयुग
(घ) माधुरी
उत्तर :
(क) हंस ।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से किस पत्रिका का प्रकाशन प्रेमचंद ने किया ?
(क) मर्यादा
(ख) माधुरी
(ग) जागरण
(घ) धर्मयुग
उत्तर :
(ग) जागरण ।
प्रश्न 8.
‘रूठी रानी’ उपन्यास के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) अरूण कमल
(ग) दिनकर
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर :
(क) प्रेमचंद।
प्रश्न 9.
‘प्रेमा’ उपन्यास के लेखक कौन हैं ?
(क) पाश
(ख) चंद्रकांत देवताले
(ग) प्रेमचंद
(घ) धर्मवीर भारती
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद ।
प्रश्न 10.
‘वरदान’ उपन्यास किसकी रचना है ?
(क) दिनकर की
(ख) पाश की
(ग) कुँवर नारायण की
(घ) प्रेमचंद की
उत्तर :
(घ) प्रेमचंद की।
प्रश्न 11.
‘सेवासदन’ उपन्यास किसकी रचना है ?
(क) प्रेमचंद की
(ख) कैफ़ी आज़मी की
(ग) चखेव की
(घ) हरिशंकर परसाई की
उत्तर :
(क) प्रेमचंद की।
प्रश्न 12.
‘प्रेमाश्रम’ उपन्यास के रचनाकार कौन हैं ?
(क) पाशा
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) प्रेमचंद
(घ) उषा प्रियंवदा
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद।
प्रश्न 13.
‘रंगभूमि’ उपन्यास किसके द्वारा रचित है ?
(क) महादेवी वर्मा
(ख) प्रेमचंद्य
(ग) धर्मवीर भारती
(घ) शुकदेव प्रसाद
उत्तर :
(ख) प्रेमचंद ।
प्रश्न 14.
‘कायाकल्प’ उपन्यास के रचनाकार कौन हैं ?
(क) द्विवेदी
(ख) पंत
(ग) निराला
(घ) प्रेमचंद
उत्तर :
(घ) प्रेमचंद।
प्रश्न 15.
‘निर्मला’ उपन्यास के लेखक कौन हैं ?
(क) कुँवर नारायण
(ख) अरूण कमल
(ग) प्रेमचंद
(घ) दिनकर
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद ।
प्रश्न 16.
‘प्रतिज्ञा’ उपन्यास के रचनाकार कौन हैं ?
(क) हरिशेंकर परसाई
(ख) उषा प्रियंवदा
(ग) दिनकर
(घ) प्रेमघंद
उत्तर :
(घ) प्रेमघंद ।
प्रश्न 17.
‘गबन’ उपन्यास किसकी रचना है ?
(क) सर्वेश्वर की
(ख) प्रेमचंद की
(ग) अरूण कमल की
(घ) महादेवी वर्मा की
उत्तर :
(ख) प्रेमचंद की।
प्रश्न 18.
‘कर्मभूमि’ उपन्यास के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) चेखव
(ग) कैफी आज्रमी
(घ) पाश
उत्तर :
(क) प्रेमचंद ।
प्रश्न 19.
‘गोदान’ उपन्यास किसकी कृति है ?
(क) शुकदेव प्रसाद की
(ख) चेखव की
(ग) प्रेमचंद की
(घ) महादेवी वर्मा की
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद की।
प्रश्न 20.
‘मंगलसूत्र’ उपन्यास किसकी रचना है ?
(क) प्रेमचंद की
(ख) सर्वेश्वर की
(ग) अरूप कमल की
(घ) हरिशंकर परसाई की
उत्तर :
(क) प्रेमचंद की।
प्रश्न 21.
निम्न में से कौन प्रेमचंद का अधूरा उपन्यास है ?
(क) निर्मला
(ख) गोदान
(ग) मंगलसूत्र
(घ) प्रतिज्ञा
उत्तर :
(ग) मंगलसूत्र ।
प्रश्न 22.
‘सप्तसरोज’ कहानी-संग्रह किसकी रचना है ?
(क) प्रेमचंद की
(ख) अरूण कमल की
(ग) दिनकर की
(घ) महादेवी वर्मा की
उत्तर :
(क) प्रेमचंद की।
प्रश्न 23.
‘नवनिधि’ कहानी-संग्रह किसकी रचना है ?
(क) पाश की
(ख) चंद्रकांत देवताले की
(ग) प्रेमचंद की
(घ) धर्मवीर भारती की
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद की ।
प्रश्न 24.
‘प्रेमपूर्णिमा’ कहानी-संग्रह के रचनाकार कौन हैं ?
(क) दिनकर
(ख) पाश
(ग) कुँवर नारायण
(घ) प्रेमचंद
उत्तर :
(घ) प्रेमचंद ।
प्रश्न 25.
‘प्रेमपचीसी’ कहानी-संग्रह के रचयिता कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) कैफ़ी आज़मी
(ग) चखेव
(घ) हरिशंकर परसाई
उत्तर :
(क) प्रेमचंद ।
प्रश्न 26.
‘प्रेमप्रसून’ कहानी-संग्रह किसके द्वारा लिखा गया है ?
(क) पाश
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) प्रेमचंद
(घ) उषा प्रियंवदा
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद ।
प्रश्न 27.
‘प्रेमप्रतिमा’ कहानी-संग्रह के रचनाकार कौन हैं ?
(क) महादेवी वर्मा
(ख) प्रेमचंद
(ग) धर्मवीर भारती
(घ) शुकदेव प्रसाद
उत्तर :
(ख) प्रेमचंद ।
प्रश्न 28.
‘प्रेम द्वादशी’ कहानी-संग्रह किसकी रचना है ?
(क) द्विवेदी की
(ख) पंत की
(ग) निराला की
(घ) प्रेमचंद की
उत्तर :
(घ) प्रेमचंद की।
प्रश्न 29.
‘अग्नि समाधि’ कहानी-संग्रह के रचनाकार कौन हैं ?
(क) कुँवर नारायण
(ख) अरूण कमल
(ग) प्रेमचंद
(घ) दिनकर
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद ।
प्रश्न 30.
‘सप्तसुमन’ कहानी-संग्रह किसकी रचना है?
(क) हरिशंकर परसाई की
(ख) उषा प्रियंवदा की
(ग) दिनकर की
(घ) प्रेमचंद की
उत्तर :
(घ) प्रेमचंद की।
प्रश्न 31.
‘समर यात्रा’ कहानी-संग्रह के रचनाकार कौन हैं ?
(क) सर्वेश्वर
(ख) प्रेमचंद्
(ग) अरूण कमल
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर :
(ख) प्रेमचंद ।
प्रश्न 32.
‘प्रेम सरोवर’ कहानी-संग्रह के लेखक कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) चेखव
(ग) कैफ़ी आजमी
(घ) पाश
उत्तर :
(क) प्रेमचंद् ।
प्रश्न 33.
‘प्रेरणा’ कहानी-संग्रह के रचयिता कौन हैं ?
(क) शुकदेव प्रसाद
(ख) चेखव
(ग) प्रेमचंद
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद ।
प्रश्न 34.
‘नवजीवन’ कहानी-संग्रह के लेखक कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद्न
(ख) सर्वेश्वर
(ग) अरूण कमल
(घ) हरिशांकर परसाई
उत्तर :
(क) प्रेमचंद ।
प्रश्न 35.
‘मानसरोवर’ कहानी-संग्रह किसकी कृति है ?
(क) प्रेमचंद की
(ख) अरूण कमल की
(ग) दिनकर की
(घ) धर्मवीर भारती की
उत्तर :
(क) प्रेमचंद की।
प्रश्न 36.
शहर में क्या देखकर जामिद को बड़ा कौतूहल और आनंद हुआ ?
(क) धर्म का माहात्म्य
(ख) ज्ञान का महात्म्य
(ग) रुपये का माहात्म्य
(घ) भजन का महात्म्य
उत्तर :
(क) धर्म का महात्म्य ।
प्रश्न 37.
‘कुत्ते की कहानी’ कहानी-संग्रह के लेखक कौन हैं ?
(क) दिनकर
(ख) पाश
(ग) कुँवर नारायण
(घ) प्रेमचंद्
उत्तर :
(घ) प्रेमचंद ।
प्रश्न 38.
‘कफ़न’ किसकी कहानी है?
(क) प्रेमचंद की
(ख) कैफी आज़मी की
(ग) चखेव की
(घ) हरशिंकर परसाई की
उत्तर :
(क) प्रेमचंद् की ।
प्रश्न 39.
‘जंगल की कहानियाँ’ कहानी-संग्रह के रचनाकार कौन हैं ?
(क) पाश
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) प्रेमचंद्
(घ) उषा प्रियंवदा
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद् ।
प्रश्न 40.
‘कर्बला’ नाटक के रचनाकार कौन हैं ?
(क) महादेवी वर्मा
(ख) प्रेमचंद
(ग) धर्मवीर भारती
(घ) शुकदेव प्रसाद
उत्तर :
(ख) प्रेमचंद ।
प्रश्न 41.
‘संग्राम’ नाटक के लेखक कौन हैं ?
(क) द्विवेदी
(ख) पंत
(ग) निराला
(घ) प्रेमचंद
उत्तर :
(घ) प्रेमचंद ।
प्रश्न 42.
‘प्रेम की वेदी’ नाटक किसके द्वारा लिखा गया है?
(क) कुँवर नारायण
(ख) अरूण कमल
(ग) प्रेमचंद
(घ) दिनकर
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद ।
प्रश्न 43.
‘स्वराज के फायदे’ निबंध-संग्रह किसकी रचना है ?
(क) हरिशंकर परसाई की
(ख) उषा प्रियंवदा की
(ग) दिनकर की
(घ) प्रेमचंद की
उत्तर :
(घ) प्रेमचंद की ।
प्रश्न 44.
‘कुछ विचार’ निबंध-संग्रह के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) चेखव
(ग) कैफ़ी आज़मी
(घ) पाश
उत्तर :
(क) प्रेमचंद ।
प्रश्न 45.
‘साहित्य का उद्देश्य’ निबंध-संग्रह किसकी रचना है ?
(क) सर्वेश्वर की
(ख) प्रेमघंद की
(ग) अरूण कमल की
(घ) महादेवी वर्मा की
उत्तर :
(ख) प्रेमचंद की।
प्रश्न 46.
‘महात्मा शेखसादी’ जीवनी के रचनाकार कौन हैं ?
(क) शुकदेव प्रसाद
(ख) चेखव
(ग) प्रेमचंद
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद ।
प्रश्न 47.
‘राम चर्चा’ जीवनी किसकी रचना है ?
(क) दिनकर की
(ख) पाश की
(ग) कुँवर नारायण की
(घ) प्रेमघंद की
उत्तर :
(घ) प्रेमचंद की ।
प्रश्न 48.
‘कलम’ जीवनी किसकी कृति है ?
(क) पाश की
(ख) महादेवी वर्मा की
(ग) प्रेमचंद की
(घ) उषा प्रियंवदा की
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद की ।
प्रश्न 49.
‘तलवार और त्याग’ जीवनी के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रेमघंद
(ख) चेखव
(ग) कैफ़ी आज़मी
(घ) पाश
उत्तर :
(क) प्रेमचंद ।
प्रश्न 50.
‘दुर्गादास’ जीवनी के लेखक कौन हैं ?
(क) द्विवेदी
(ख) पंत
(ग) निराला
(घ) प्रेमचंद
उत्तर :
(घ) प्रेमचंद ।
प्रश्न 51.
‘मनमोदक’ के संपादक कौन हैं ?
(क) सर्वेश्वर
(ख) प्रेमचंद
(ग) अरूण कमल
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर :
(ख) प्रेमचंद ।
प्रश्न 52.
‘गल्पसमुच्च’ के संपादक कौन हैं ?
(क) हरिशंकर परसाई
(ख) उषा प्रियंवदा
(ग) दिनकर
(घ) प्रेमचंद
इत्तर :
(घ) प्रेमचंद ।
प्रश्न 53.
‘गल्परत्न’ के संपादक कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) अरूण कमल
(ग) दिनकर
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर :
(क) प्रेमचंद ।
प्रश्न 54.
निम्नलिखित में से कौन-सी रचना प्रेमचंद द्वारा अनूदित है ?
(क) कुछ विचार
(ख) आजाद क्या
(ग) प्रेरणा
(घ) मानसरोवर
उत्तर :
(ख) आजाद क्या ।
प्रश्न 55.
निम्न में से कौन-सी रचना प्रेमचंद द्वारा अनूदित है ?
(क) दुर्गादास
(ख) चाँदी की डिबिया
(ग) कलम
(घ) कर्बला
उत्तर :
(ख) चाँद की डिबिया।
प्रश्न 56.
निम्न में से कौन-सी रचना प्रेमचंद द्वारा अनूदित है ?
(क) अहंकार
(ख) कुछ विचार
(ग) कफन
(घ) रंगभूमि
उत्तर :
(क) अहंकार।
प्रश्न 57.
निम्न में से कौन-सी रचना प्रेमचंद द्वारा अनूदित है ?
(क) समरयात्रा
(ख) प्रेमाश्रय
(ग) हड़ताल
(घ) संग्राम
उत्तर :
(ग) हड़ताल ।
प्रश्न 58.
निम्न में से कौन-सी रचना प्रेमचंद द्वारा अनुदित है ?
(क) सृष्टि का आरंभ
(ख) सेवासदन
(ग) कलम
(घ) गबन
उत्तर :
(क) सृष्टि का आरंभ ।
प्रश्न 59.
निम्न में से कौन-सी रचना प्रेमचंद द्वारा अनूदित है ?
(क) सुखदास
(ख) प्रेरणा
(ग) वरदान
(घ) कायाकल्प
उत्तर :
(क) सुखदास ।
प्रश्न 60.
निम्न में से कौन-सी रचना प्रेमचंद द्वारा अनूदित है ?
(क) दुर्गादास
(ख) सप्तसरोज
(ग) पिता के पत्र पुत्री के नाम
(घ) कफ़न
उत्तर :
(ग) पिता के पत्र पुत्री के नाम ।
प्रश्न 61.
‘हिंसा परमो धर्म:’ किसकी रचना है ?
(क) प्रेमचंद की
(ख) हरिशंकर परसाई की
(ग) धर्मवीर भारती की
(घ) अरूण कमल
उत्तर :
(क) प्रेमचंद की।
प्रश्न 62.
‘हिसा परमो धर्म:’ का अर्थ है ?
(क) हिंसा धर्म नहीं है
(ख) हिंसा धर्म दूसरे के लिए है
(ग) हिंसा परम धर्म है
(घ) हिंसा धर्म का नाम है
उत्तर :
(ग) हिंसा परम धर्म है।
प्रश्न 63.
‘हिंसा परमो धर्म:’ का नायक कौन है ?
(क) आबिद
(ख) हामिद
(ग) जामिद
(घ) वाहिद
उत्तर :
(ग) जामिद
प्रश्न 64.
जामिद को किस काम में मजा आता था ?
(क) आम चुराने में
(ख) बेकाम का काम करने में
(ग) अत्याचार करने में
(घ) स्वियों की रक्षा करने में
उत्तर :
(ख) बेकाम का काम करने में।
प्रश्न 65.
लोग किसे बौड़म समझते थे ?
(क) हामिद् को
(ख) वाहिद को
(ग) काजी को
(घ) जामिद् को
उत्तर :
(घ) जामिद को ।
प्रश्न 66.
जामिद की आए दिन किससे छेड़छाड़ होती रहती थी ?
(क) पंडितों से
(क) मौलवियों से
(ग) स्व्रियों से
(घ) कांस्टेबिल से
उत्तर :
(घ) कांस्टेबिल से ।
प्रश्न 67.
रोटियों के लिए कौन मुहताज था ?
(क) पंडित
(ख) काजी
(ग) जामिद
(घ) लेखक
उत्तर :
(ग) जामिद।
प्रश्न 68.
‘दीवाना’ कौन है ?
(क) हामिद
(ख) जामिद्न
(ग) पंडित
(घ) लेखक
उत्तर :
(ख) जामिद ।
प्रश्न 69.
जामिद को ‘देवता-तुल्य’ कौन मालूम होते थे ?
(क) गाँव के लोग
(ख) नगर के लोग
(ग) पंडित
(घ) काजी
उत्तर :
(ख) नगर के लोग ।
प्रश्न 70.
जामिद को क्या खूब याद था ?
(क) गीत
(ख) कविता
(ग) भजन
(घ) कहानी
उत्तर :
(ग) भुजन ।
प्रश्न 71.
लोगों पर जामिद की किस बात का बड़ा असर पड़ा ?
(क) उसके कद् का
(ख) उसके कीर्तन का
(ग) उसकी भक्ति का
(घ) उसकी सफाई का
उत्तर :
(ख) उसके कीर्तन का।
प्रश्न 72.
जामिद किसकी उदारता और धर्मनिष्ठा का कायल हो गया ?
(क) नगर के लोगों का
(ख) मंदिर के पुजारी का
(ग) काज़ी साहब का
(घ) अपने आश्रयदाताओं का
उत्तर :
(घ) अपने आश्रयदाताओं का ।
प्रश्न 73.
‘सैलानी युवक’ कौन है ?
(क) हामिद
(ख) जामिद
(ग) पंडित
(घ) काजी
उन्नर :
(ख) जामिद ।
प्रश्न 74.
कौन भक्तों का सिरमौर बना हुआ था ?
(क) जामिद्ध
(ख) काजी
(ग) आश्रयदाता
(घ) लेखक
उत्तर :
(क) जामिद ।
प्रश्न 75.
एक दिन जामिद क्या पढ़ रहा था ?
(क) गीता
(ख) कुरान
(ग) पुराण
(घ) वेद्
उत्तर :
(ग) पुराण ।
प्रश्न 76.
‘रक्त खौलना’ का अर्थ क्या है ?
(क) तेज बुखार होना
(ख) रक्तचाप बढ़ना
(ग) खून गर्म होना
(घ) काफी गुस्सा आना
उत्तर :
(घ) काफी गुस्सा आना।
प्रश्न 77.
किसे अपनी ताकत का नशा था ?
(क) काजी को
(ख) तांगेवाले को
(ग) जामिद् को
(घ) बलिष्ठ युवक को
उत्तर :
(घ) बलिष्ठ युवक को ।
प्रश्न 78.
दोनों में मलयुद्ध होने लगा – ‘दोनों’ कौन हैं ?
(क) बलिष्ठ युवक और बुद्धुा
(ख) बलिष्ठ युवक और जामिद
(ग) ताँगेवाला और जामिद
(घ) काज़ी और जामिद
उत्तर :
(ख) बलिष्ठ युवक और जामिद ।
प्रश्न 79.
आखिर वह बेदम होकर गिर पड़ा – ‘वह’ कौन है ?
(क) जामिद्र
(ख) काजी
(ग) बलिष्ठ युवक
(घ) बुड्डा
उत्तर :
(क) जामिद् ।
प्रश्न 80.
इनकी वह सज्जनता आज कहाँ गई ‘इनकी’ से कौन संकेतित है ?
(क) जामिद
(ख) काजी
(ग) आश्रयदाता
(घ) बलिष्ठ युवक
उत्तर :
(ग) आश्रयदाता ।
प्रश्न 81.
कल हम दोनों अकेले पड़ गए थे – वक्ता कौन है ?
(क) काज़ी
(ख) बलिष्ठ युवक
(ग) बुड्डा
(घ) जामिद
उत्तर :
(ग) बुद्धा ।
प्रश्न 82.
‘आटे-दाल का भाव मालूम होना’ का अर्थ क्या है ?
(क) आटा और चावल की कीमत जानना
(ख) आटे-दाल के बारे में जानना
(ग) असलियत का पता चलना
(घ) आटा-दाल खरीदना
उत्तर :
(ग) असलियत का पता चलना ।
प्रश्न 83.
काजी का नाम क्या है?
(क) अख्तर हुसैन
(ख) मुश्ताक हुसैन
(ग) काजी हुसैन
(घ) जोरावर हुसैन
उत्तर :
(घ) जोरावर हुसैन ।
प्रश्न 84.
शादी हो जाने देते, तब मजा आता – वक्ता कौन है ?
(क) लेखक
(ख) बलिष्ठ युवक
(ग) काजी
(घ) लोग
उत्तर :
(ग) काजी ।
प्रश्न 85.
सभी उसकी हिम्मत, जोर और मज़हबी जोश की प्रशंसा करते थे – ‘उसकी’ से कौन संकेतित है ?
(क) काजी
(ख) जामिद
(ग) बलिष्ठ युवक
(घ) बुड्दा
उत्तर :
(ख) जामिद्व ।
प्रश्न 86.
महिला के पति का नाम क्या है ?
(क) सुन्दरलाल
(ख) जामिद
(ग) पंडित राजकुमार
(घ) पंडित शेखर
उत्तर :
(ग) पंडित राजकुमार ।
प्रश्न 87.
‘विद्या का सागर’ किसे कहा गया है ?
(क) जामिद को
(ख) तांगेवाले को
(ग) लोगों को
(घ) काजी को
उत्तर :
(घ) काजी को।
प्रश्न 88.
‘न्याय का भंडार’ किसे कहा मया है ?
(क) काजीी को
(ख) जामिद्द को
(ग) पुजारी को
(घ) लेखक को
उत्तर :
(क) काज़ी को।
प्रश्न 89.
‘नीति, धर्म और दर्शन का आगर’ किसे कहा गया है ?
(क) प्रेमचंद को
(ख) जामिद को
(ग) काजी को
(घ) नगरवासी को
उत्तर :
(ग) काज़ी को।
प्रश्न 90.
हम कमजोर हैं – ‘हम’ का प्रयोग किसके लिए किया गया है ?
(क) हिन्दू
(ख) मुसलमान
(ग) सिख
(घ) ईसाई
उत्तर :
(ख) मुसलमान
प्रश्न 91.
तुम कुत्ते हो – किसे कुत्ते कहा गया है ?
(क) तांगवाले को
(ख) जामिद को
(ग) काजी को
(घ) पंडित राजकुमार को
उत्तर :
(ग) काजी को ।
प्रश्न 92.
औरत के पति का घर किस मुहल्ले में था ?
(क) दारागंज
(ख) सुल्तानगंज
(ग) अहिवागंज
(घ) नूरगंज
उत्तर :
(ग) अहियागंज ।
प्रश्न 93.
जामिद पर किसने लदु चलाया ?
(क) बलिष्ठ युवक ने
(ख) बुड्धा ने
(ग) काज़ी ने
(घ) तांगेवाले ने
उत्तर :
(ग) काज़ी ने ।
प्रश्न 94.
स्त्री-पात्र का नाम क्या है ?
(क) सुमित्रा
(ख) इंदिरा
(ग) लक्ष्मी
(घ) सीता
उत्तर :
(ख) इंदिरा ।
प्रश्न 95.
वहाँ मजहब का नाम सहानुभूति, प्रेम और सौहार्द था – ‘वहाँ’ से कौन-सा स्थान संकेतित है ?
(क) गाँव
(ख) शहर
(ग) मंदिर
(घ) मस्जिद
उत्तेर :
(क) गाँव ।
प्रश्न 96.
वह हिमायत करने से बाज न आता था – ‘वह’ कौन है ?
(क) लेखक
(ख) काजी
(ग) जामिद
(घ) तांगेवाला
उत्तर :
(ग) जामिद ।
प्रश्न 97.
लोगों ने किसे बहुत धिक्कारा ?
(क) जामिद को
(ख) काज़ी को
(ग) तांगेवाले को
(घ) लेखक को
उत्तर :
(क) जामिद को ।
प्रश्न 98.
‘आँखें खुली’ का अर्थ है ?
(क) सोकर उठा
(ख) आँखें सूज गई
(ग) आँखे बंद थी
(घ) ज्ञान हुआ
उत्तर :
(घ) ज्ञान हुआ ।
प्रश्न 99.
‘सीधे मुँह बात न करना’ का अर्थ है ?
(क) मुँह टेढ़ा होना
(ख) रूठना
(ग) मनाना
(घ) उपेक्षा करना
उत्तर :
(घ) उपेक्षा करना।
प्रश्न 100.
जामिद के गाँव में क्या नहीं था ?
(क) मंदिर-मस्जिद
(ख) मंदिर-गुरूद्वारा
(ग) मस्जिद-चर्च
(घ) मस्जिद-गुरूद्वारा
उत्तर :
(क) मंदिर-मस्जिद ।
प्रश्न 101. जामिद की दृष्टि में किसका सम्मान था ?
(क) धन का
(ख) ज्ञान का
(ग) मजहब का
(घ) भजन का
उत्तर :
(ग) मजहब का ।
प्रश्न 102.
‘ईमान के पक्के, सत्यवादी’ – किसे कहा गया है ?
(क) गाँव के लोगों को
(ख) मंदिर के लोगों को
(ग) शहर के लोगों को
(घ) मस्जिद् के लोगों को
उत्तर :
(ग) शहर के लोगों को ।
प्रश्न 103.
प्रेमचंद के जन्म स्थान का नाम क्या था?
(क) सोरों
(ख) लमही
(ग) विसपी
(घ) छतरपुर
उत्तर :
(ख) लमही।
प्रश्न 104.
प्रेमचंद के प्यार का नाम क्या था?
(क) नबाबराय
(ख) राम
(ग) धनपतराय
(घ) अजबराय
उत्तर :
(क) नबाबराय ।
प्रश्न 105.
प्रेमचंद के पिता का नाम क्या था?
(क) शिवचंद्रराय
(ख) अजायब राय
(ग) सुंधनीसाहू
(घ) श्रीरामचंद्र
उत्तर :
(ख) अजायब राय ।
प्रश्न 106.
प्रेमचंद् की माता का नाम क्या था?
(क) आनंदी देवी
(ख) लक्ष्मी देवी
(ग) राधा देवी
(घ) मंगला देवी
उत्तर :
(क) आनंदी देवी ।
प्रश्न107.
प्रेमचंद हिंदी से पूर्व किस भाषा में लिखते थे?
(क) बंगला
(ख) अवधी
(ग) पंजाबी
(घ) उर्दू
उत्तर :
(घ) उर्दू।
प्रश्न 108.
प्रेमचंद ने हिंदी में कब से लिखना शुरु किया?
(क) सन् 1914
(ख) सन् 1915
(ग) सन् 1916
(घ) सन् 1917
उत्तर :
(घ) सन् 1917 ।
प्रश्न 109.
निम्नलिखित में से कौन-सा कहानी-संग्रह प्रेमचंद का नहीं है।
(क) सप्तसरोज
(ख) विपथगा
(ग) प्रेमसरोवर
(घ) मानसरोवर
उत्तर :
(ख) विपथगा ।
प्रश्न 110.
प्रेमचंद ने कितनी कहानियाँ लिखीं?
(क) लगभग दो सौ
(ख) लगभग तीन सौ
(ग) लगभग चार सौ
(घ) लगभग पाँच सौ
उत्तर :
(ख) लगभग तीन सौ ।
प्रश्न 111.
‘ठाकुर का कुआँ’ के रचनाकार कौन हैं?
(क) प्रेमचंद्र
(ख) अजेय
(ग) सुदर्शन
(घ) प्रसाद
उत्तर :
(क) प्रेमचंद्र
प्रश्न 112.
निम्नलिखित में से कौन-सी कहानी प्रेमचंद की नहीं है?
(क) आत्माराम
(ख) ईश्वरीय न्याय
(ग) रानी सारंधा
(घ) खेल
उत्तर :
(घ) खेल ।
प्रश्न 113.
निम्नलिखित में से कौन-सी कहानी प्रेमचंद की है?
(क) सज्जनता का दंड
(ख) बाणवधू
(ग) चाकलेट
(घ) हत्या
उत्तर :
(क) सज्जनता का दंड ।
प्रश्न 114.
‘बड़े घर की बेटी’ तथा ‘पंच-परमेश्वर’ किसकी रचना है?
(क) जैनेन्द्र
(ख) अजेय
(ग) भारतेंदु
(घ) प्रेमघंद
उत्तर :
(घ) प्रेमचंद ।
प्रश्न 115.
‘बूढ़ी काकी’ तथा ‘ईदगाह’ के रचनाकार हैं ।
(क) प्रेमचंद
(ख) अजेय
(ग) भारतेंदु
(घ) जैनेन्द्र
उत्तर :
(क) प्रेमचंद ।
प्रश्न 116.
निम्नलिखित में से कौन-सा उपन्यास प्रेमचंद का नहीं है?
(क) सेवासदन
(ख) परीक्षागुरु
(ग) निर्मला
(घ) गबन
उत्तर :
(ख) परीक्षागुरु ।
प्रश्न 117.
प्रेमचंद किस संघ के अध्यक्ष थे?
(क) मजदूर संघ
(ख) श्रमिक संघ
(ग) बेरोजगार संघ
(घ) प्रगतिशील लेखक संघ
उत्तर :
(घ) प्रगतिशील लेखक संघ।
प्रश्न 118.
निम्नलिखित में से कौन-सा उपन्यास प्रेमचंद का नहीं है?
(क) प्रेमा
(ख) वरदान
(ग) प्रेमाश्रम
(घ) कंकाल
उत्तर :
(घ) कंकाल।
प्रश्न 119.
‘प्रेमचंद युग’ का नामकरण किस विधा पर आधारित है?
(क) उपन्यास
(ख) नाटक
(ग) एकांकी
(घ) कविता
उत्तर :
(क) उपन्यास ।
प्रश्न 120.
‘उपन्यास-सम्राट’ की उपाधि किस उपन्यासकार को मिली?
(क) प्रसाद
(ख) प्रेमचंद्
(ग) सुदर्शन
(घ) अमृतलाल नागर
उत्तर :
(ख) प्रेमचंद।
प्रश्न 121.
प्रेमचंद का पहला उपन्यास कौन-सा है?
(क) प्रेमा
(ख) गबन
(ग) गोदान
(घ) निर्मला
उत्तर :
(क) प्रेमा ।
प्रश्न 122.
प्रेमचंद द्वारा हिंदी में लिखित प्रथम मौलिक उपन्यास का नाम लिखें।
(क) प्रेमाश्रम
(ख) कायाकल्प
(ग) सेवासदन
(घ) प्रेमा
उत्तर :
(ख) कायाकल्प ।
प्रश्न 123.
प्रेमचंद का नामकरण ‘प्रेमचंद’ किसने किया?
(क) जैनेन्द्र ने
(ख) उपेन्द्रनाथ अश्क ने
(ग) महावीर प्रसाद द्विवेदी ने
(घ) दयानारायण निगम ने
उत्तर :
(घ) दयानारायण निगम ने ।
प्रश्न 124.
प्रेमचंद को ‘पूँजीवाद यथार्थवाद’ का रचनाकार किसने कहा?
(क) रामविलास शर्मा ने
(ख) शिवदान सिंह चौहान ने
(ग) नंद दुलारे वाजपेयी ने
(घ) डॉ. नगेन्द्र ने
उत्तर :
(ख) शिवदान सिंह चौहान ने ।
प्रश्न 125.
प्रेमचंद का सबसे प्रसिद्ध और अंतिम उपन्यास कौन-सा है ?
(क) गबन
(ख) रंगभूमि
(ग) गोदान
(घ) कर्मभूमि
उत्तर :
(ग) गोदान ।
प्रश्न 126.
प्रेमचंद का कौन-सा उपन्यास ‘ग्रामीण-जीवन और कृषि-संस्कृति का महाकाव्य’ कहलाता है?
(क) गोदान
(ख) गबन
(ग) रंगभूमि
(घ) निर्मला
उत्तर :
(क) गोदान
प्रश्न 127.
प्रेमचंद की हिंदी की पहली कहानी कौन-सी है?
(क) पंच परमेश्वर
(ख) बलिदान
(ग) बड़े घर की बेटी
(घ) सौत
उत्तर :
(घ) सौत
प्रश्न 128.
‘सौत’ कहानी किस वर्ष प्रकाशित हुई?
(क) सन् 1915
(ख) सन् 1916
(ग) सन् 1917
(घ) सन् 1918
उत्तर :
(ग) सन् 1917
प्रश्न 129.
प्रेमचंद की अंतिम कहानी कौन-सी है?
(क) नशा
(ख) बड़े भाई साहब
(ग) कफ़न
(घ) ईंदगाह
उत्तर :
(ग) कफ़न ।
प्रश्न 130.
प्रेमचंद को ‘कबीर के बाद हिन्दी का सबसे बड़ा व्यंग्यकार’ किसने माना है?
(क) आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने
(ख) रामविलास शर्मा ने
(ग) नगेन्द्र ने
(घ) निराला ने
उत्तर :
(क) आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने।
प्रश्न 131.
प्रेमचंद की ‘शतरंज के खिलाड़ी’ किस प्रकार की रचना है?
(क) आंचलिक
(ख) ऐतिहासिक
(ग) सामाजिक
(घ) धार्मिक
उत्तर :
(ख) ऐतिहासिक ।
प्रश्न 132.
‘हिंदी गल्पकला का विकास’ निबंध के निबंधकार हैं?
(क) प्रसाद
(ख) प्रेमचंद
(ग) जैनेन्द्र
(घ) निराला
उत्तर :
(ख) प्रेमचंद ।
प्रश्न 133.
प्रेमचंद् की पत्नी का नाम क्या था?
(क) शारदा
(ख) मालती
(ग) शिवरानी
(घ) हेमरानी
उत्तर :
(ग) शिवरानी ।
प्रश्न 134.
‘प्रगतिशील लेखक संघ’ के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता किसने की?
(क) प्रेमचंद
(ख) रामचंद्र शुक्ल
(ग) अज्ञेय
(घ) निराला
उत्तर :
(क) प्रेमचंद ।
प्रश्न 135.
‘साहित्य का उद्देश्य’ किसकी रचना है?
(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ख) नगेन्द्र
(ग) प्रेमचंद
(घ) आचार्य शुक्ल
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद ।
प्रश्न 136.
‘कलम का सिपाही’ नाम से कौन-सा लेखक प्रसिद्ध है?
(क) यशापाल
(ख) प्रसाद
(ग) प्रेमचंद
(घ) अजेय
उत्तर :
(ग) प्रेमचंद ।
प्रश्न 137.
प्रेमचंद किस कोटि के रचनाकार थे?
(क) राजनीतिक
(ख) सांस्कृतिक
(ग) आदर्शोन्मुख यथार्थवादी
(घ) सामाजिक
उत्तर :
(ग) आदर्शोन्मुख यथार्थवादी।
प्रश्न 138.
प्रेमचंद किस युग के रचनाकार थे?
(क) द्विवेदी युग
(ख) भारतेंदु युग
(ग) छायावादी
(घ) रीति युग
उत्तर :
(क) द्विवेदी युग ।
प्रश्न 139.
प्रेमचंद्ध की कहानियों में किसका जीवंत-चित्रण मिलता है?
(क) शहरी – जीवन
(ख) सैनिक-जीवन
(ग) ग्राम्य-जीवन
(घ) वन्य जीवन
उत्तर :
(ग) ग्राम्य-जीवन।
प्रश्न 140.
निम्नलिखित में से कौन-सा नाटक प्रेमचंद का नहीं है?
(क) संग्राम
(ख) कर्बला
(ग) रुठी रानी
(घ) आवाढ़ का एक दिन
उत्तर :
(घ) आषाढ़ का एक दिन ।
प्रश्न 141.
निम्नलिखित में से कौन-सा नाटक प्रेमचंद् का है?
(क) हल्लाबोल
(ख) प्रेम की वेदी
(ग) चरणदास चोर
(घ) अंधेर नगरी
उत्तर :
(ख) प्रेम की वेदी।
प्रश्न 142.
प्रेमचंद ने उर्दू में कब से लिखना शुरु किया?
(क) सन् 1907
(ख) सन् 1908
(ग) सन् 1909
(घ) सन् 1910
उत्तर :
(क) सन् 1907 ।
प्रश्न 143.
प्रेमचंद ने किस साहित्यकार की कहानियों का अनुवाद हिंदी में किया था?
(क) हबीब तनवीर
(ख) रसखान
(ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(घ) अश्क
उत्तर :
(ग) रवीन्द्रनाथ ठाकुर ।
प्रश्न 144.
प्रेमचंद् की कौन-सी पुस्तक अंग्रेज सरकार द्वारा जब्त कर ली गई थी?
(क) सोजे वतन
(ख) निर्मला
(ग) गबन
(घ) मानसरोवर
उत्तर :
(क) सोजे वतन
प्रश्न 145.
प्रेमचंद का पहला हिंदी उपन्यास कौन-सा था ?
(क) सेवासदन
(ख) निर्मला
(ग) गबन
(घ) कायाकल्प
उत्तर :
(घ) कायाकल्प ।
प्रश्न 146.
‘प्रेमचंद घर में’ (जीवनी) के रचनाकार कौन हैं?
(क) महादेवी वर्मा
(ख) सुभद्रा कुमारी चौहान
(ग) शिवरानी देवी
(घ) राधिका देवी
उत्तर :
(ग) शिवरानी देवी ।
प्रश्न 147.
‘टॉलस्टाय की कहानियाँ’ के रचनाकार हैं?
(क) टालस्टाय
(ख) प्रेमचंद
(ग) निर्मल वर्मा
(घ) सुरेन्द्र वर्मा
उत्तर :
प्रेमचंद्।
प्रश्न 148.
प्रेमचंद की तुलना निम्नलिखित में से किस साहित्यकार से की जाती है?
(क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ख) मौविसम गोर्की
(ग) शेक्सपियर
(घ) टॉलस्टाय
उत्तर :
(ख) मौक्सिम गोर्की।
प्रश्न 149.
प्रेमचंद अंत तक किस पत्रिका से जुड़े रहे?
(क) हंस
(ख) आजकल
(ग) कादम्बिनी
(घ) जागरण
उत्तर :
(क) हंस ।
प्रश्न 150.
‘बेटों वाली विधवा’ तथा ‘बूढ़ी काकी’ किसकी रचना है?
(क) निराला
(ख) महादेवी
(ग) प्रसाद
(घ) प्रेमचंद
उत्तर :
(घ) प्रेमघंद ।
टिप्पणियाँ
नमाज : प्रस्तुत शब्द्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से लिया गया है।
नमाज मुसलमानों की ईश्वर-प्रार्थना है जो पाँच वक्त होती है। इसमें 42 रक्अत नमाज़ पढ़ी जाती है। एक रक्अत एक बार खड़े होकर बैठने तक की होती है।
निकाह : प्रस्तुत शब्द प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से लिया गया है।
निकाह मुसलमानों के विवाह को कहते हैं। निकाह से संबंधित सारी शर्ते निकाहनामा में लिखी रहती है। शादी-शुदा औरत को निकाही कहते हैं।
काफिर : प्रस्तुत शब्द प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से लिया गया है।
जो व्यक्ति सच्चाई पर परदा डालने वाला होता है तथा अल्लाह की नेमत के लिए उसका शुक्रिया अदा नहीं करता है, वह ‘काफिर’ कहलाता है।
काज़ी : प्रस्तुत शब्द प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से लिया गया है।
काज़ी साधारणत: निकाह पढ़ानेवाले को कहते हैं लेकिन इस शब्द का इस्तेमाल न्यायकर्ता तथा मुंसिफ के लिए भी होता है।
इस्लाम : प्रस्तुत शब्द प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से लिया गया है।
साधारणतः इस्लाम का अर्थ एक धर्म-विशेष है जिसे हजरत पैगे्बर ने चलाया था। इस्लाम के अन्य दो अर्थ भी लिए जाते है – ‘शांति चाहना’ तथा ‘अल्लाह के हुक्म के आगे सर झुकाना’।
शोहदे : प्रस्तुत शब्द प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से लिया गया है।
शोहदे मनचलों के लिए व्यवहार किया जाता है जो सामाजिक नियमों को अनदेखा कर अपनी मनमानी करते हैं।
खुदा : प्रस्तुत शब्द प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से लिया गया है।
खुदा उर्दू का शब्द है। इसे अल्लाह, परमात्मा या ईश्वर के पर्यायवाची के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस्लाम के अनुसार इस दुनिया को बनाने वाला खुदा है और सारे मुसलमान खुदा के बंदे हैं।
देवंता : प्रस्तुत शब्द प्रेमचंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से लिया गया है।
प्रारंभ में देवताओं को तीन वर्ग में रखा गया था — पृथ्वी स्थानीय देवता, अंतरिक्ष स्थानीय देवता और भूस्थानीय देवता। ये क्रमशः अग्नि, वायु और सूर्य थे। फिर इन्हीं तीन से 33 और आगे चलकर 33 करोड़ देवता कल्पित कर लिए गए।
राक्षस : प्रस्तुत शब्द प्रेमंद की कहानी ‘हिंसा परमो धर्म:’ से लिया गया है।
राक्षस को असुर भी कहा जाता है। एक मान्यता के अनुसार पहले आर्य ‘सुर’ और ‘असुर’ दोनों देवों की पूजा करते थे। बाद में असुर पूजक ईरान की ओर चले गए, सुर को पूजने वाले भारत में ही रह गए। कहीं-कहीं भिन्न धार्मिक विश्वास और रीति-रिवाजवालों को भी राक्षस कहा गया है।
पाठ्याधारित व्याकरण
WBBSE Class 9 Hindi हिंसा परम धर्मः Summary
लेखक परिचय
प्रेमचन्द् का वास्तविक नाम धनपत राय था और उन्हे नवाब राय भी कहा जाता था। उनका जन्म काशी के निकट लमही नामक ग्राम में श्रावण कृष्ण पक्ष 10 , शनिवार सं० 1937 वि० (31 जुलाई सन् 1880 ई०) को हुआ था। वे एक साधारण कायस्थ परिवार के बालक थे और उनके पिता का नाम अजायबराय तथा माता का नाम आनन्दी देवी था। बहुत ही छोटी आयु में इन्हें मातृ-स्नेह से वंचित हो जाना पड़ा।
हाईस्कूल की परीक्षा पास कर अध्यापक की नौकरी कर ली। अथ्यापन कार्य में रहते हुए भी प्रेमचंद ने अपना अध्ययन जारी रखा और घर पर ही पढ़कर इण्टर एवं बी० ए० की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की। उन्नति करते हुए वे सरकारी शिक्षा विभाग में सब-डिप्टी इस्पेक्टर हो गये – सन् 1920 के राजनीतिक आन्दोलनों से प्रभाबित होकर सरकारी नौकरी से स्यागपत्र दे दिया । इसके पश्चात् वे कानपुर के मारवाड़ी विद्यालय में प्रधानाध्यापक हो गये लेकिन कुछ दिनों के भीतर ही वहाँ से भी त्यागपत्र देकर उन्होंने मर्यादा पत्र का सम्पादन किया और लखनक आकर माधुरी मासिक पत्रिका का सम्पादकत्व भी संभाला।
इसके बाद वह काशी चले गये और स्वतंत्र रूप से हंस तथा जागरण का प्रकाशन करते रहे। काशी में उन्होंने सरस्वती प्रेस की भी स्थापना की। उन्हीं दिनों बम्बई की एक फिल्म कम्पनी ने भी उन्हें अपने यहाँ कार्य करने के लिए आमंत्रित किया पर वह अधिक दिनों तक वहाँ न रह सके और काशी लौट आये। 16 जून सन् 1936 को बीमार पड़े किन्तु चिकित्सा से उन्हें कुछ भी लाभ नहीं पहुँचा और अक्टूबर सन् 1936 (सं० 1993) के प्रात: काल उनकी मृत्यु हो गयी।
कृतियाँ – प्रेमचंद ने हिन्दी-साहित्य को समुन्नत करने में अपना महत्वपूर्ण योग दिया है और उनकी रचनाओं को हम कई रूपों में पाते हैं –
- उपन्यास – रूठी रानी, प्रेमा, वरदान, सेवासदन, प्रेमाश्रय, रंगभूमि, कायाकल्प, निर्मला, प्रतिज्ञा, गबन, कर्मभूमि, गोदान और मंगलसूत्र (अपूर्ण)।
- कहानी-संग्रह – सप्तसरोज, नवनिधि, प्रेम पूर्णिमा, प्रेम पचीसी, प्रेम-प्रसून। प्रेम प्रतिमा, प्रेम द्वादशी, अग्नि समाधि, सप्तसुमन, समर यात्रा, प्रेम सरोवर, प्रेरणा, नवजीवन, मानसरोवर (आठ भाग), कुत्ते की कहानी, कफन, जंगल की कहानियाँ।
- नाटक – कर्बला, संग्राम और प्रेम की वेदी।
- निबन्ध-संग्रह – स्वराज्य के फायदे, कुछ विचार, साहित्य का उद्देश्य।
- जीवनियाँ – महात्मा शेखवादी, राम चर्चा, कलम, तलवार और त्याग, दुर्गादास।
- सम्पादित – मनमोदक, गल्पसमुच्चय, गल्परत्न।
- अनूदित – अहंकार सृष्टि का आरम्भ आजाद-क्या, सुखदास, चाँदी की डिबिया, हड़ताल, न्याय, पिता के पत्र पुत्री के नाम।
पृष्ठ सं० – 37
- बेफिक्र = बिना फिक्र (चिंता) के ।
- बेदाम = बिना कीमत के ।
- बेकाम = व्यर्थ का काम।
- हकीम = चिकित्सक।
- हाजिर = उपस्थित।
- हिमायत = तरफदारी, पक्ष लेना।
- बाज न आना = नहीं चूकना।
- बौड़म = बेवकूफ।
- उपकार = भलाई।
- मुहताज = आश्रित।
- गम = चिढ़।
- धिक्कारा = भला-बुरा कहा।
- खैरात = दान।
- गुलजार = रौनक, हलचल से भरा हुआ।
- माहात्म्य = महिमा।
- मजहब = धर्म।
- सत्यवादी = सत्य बोलने वाला।
- देवता-तुल्य = देवता के समान।
पृष्ठ सं० – 38
- सुनहला = सोने के रंग का ।
- देवालय = मंदिर ।
- निगाह = नज़र ।
- दामन = आँचल, धोती का छोर।
- मेहतर = सफाई करने वाला।
- भेदिया = जासूस।
- मुरीद = शिष्य, चेला।
- परदेशी = दूसरे देश (स्थान) का।
- स्वरलालिस्य = अच्छी आवाज।
- फर्श = जमीन की सतह ।
- जाजिम = जमीन पर बिछाया जानेवाला सफेद चादर ।
पृष्ठ सं० – 39
- कायल = प्रभावित।
- फटेहाल = बुरा हाल।
- खातिर = सम्मान।
- सैलानी = इधर-उधर घूमते रहने वाला।
- धर्मपरायण = धर्म का पालन करने वाला ।
- सहृदय = दयालु ।
- नित्य = रोज।
- कदर = इज्ज़त, महत्व।
- बलिष्ठ = ताकतवर ।
- दुर्बल = कमज़ोर।
- कसूर = गलती।
- खुदाबंद = खुदा के बंदे ।
- खाँचे= बड़ी टोकरी।
- गफलत = भूल।
- अधमरा = आधा मरा हुआ।
- मलयुद्ध = कुश्ती।
- करारा = तगड़ा।
पृष्ठ सं० – 40
- बेदम = निर्जीव।
- यातनाएँ = दुःख।
- अकारण = बिना किसी कारण के।
- दुर्गति = बुरी दशा।
- जालिमों = अत्याचारियों, जुल्म करने वाले।
- बेकरार = बेचैन।
- तलाश = खोज।
- लठैत = लाठी चलाने वाले।
- तीन कोड़ी = साठ।
- वजू = नमाज पढ़ने के पहले हाथ-पैर-चेहरा आदि धोना।
- काफिरों = धर्म को नहीं माननेवाले।
- मोमिन = हकीकत = सच्चाई।
- मनसूबे = मन की इच्छा।
- खादिमों = दीनदारों = गरीब-दुखियों की मदद करने वाला।
- सब्न = संतोष।
- नाजनीन = सुदंर युवती।
पृष्ठ सं० – 41
- ताँता = कतार।
- मजहबी = धार्मिक।
- आमदरफ्त = आना-जाना।
- असबाब = सामान।
- तब्दील = बदल।
- नाहक = बेकार।
- खलल = निसाखातिर = निश्चित ।
- गुमसुम = चुपचाप ।
- जीना = सीढ़ी।
- विस्मित = आश्चर्यचकित।
पृष्ठ सं० – 42
- अपरिचित = अनजान।
- आबरु = इज्ज़त।
- मुमकिन = संभव।
- बे आबरु = बेइज्जत।
- कबूल = स्वीकार ।
- कौम = जाति।
- बीड़ा उठाना = संकल्प लेना।
- मुल्क = देश।
- जब = जबरदस्ती।
- शरारत = शैतानी।
- शोहदे = मनचले।
- इमकान भर = ताकत भर।
- तालीम = शिक्षा।
- तहजीब = सभ्यता।
पृष्ठ सं० – 43
- हक = अधिकार।
- निकाह = विवाह।
- दिन बसर करना = दिन गुज़ारना।
- खैरियत = भलाई, अच्छाई।
- नेकी = भलाई।
पृष्ठ सं० – 44
- शौहर = पति।
- लट्ठ = लाठी।
- दम = चैन ।
- इजाजत = अनुमति ।
- दरखास्त = विनती, प्रार्थना।
- विषाक्त = जहरीला।
- घुणा = नफरत।