Students should regularly practice West Bengal Board Class 9 Hindi Book Solutions and रचना कहानी-लेखन to reinforce their learning.
WBBSE Class 9 Hindi रचना कहानी-लेखन
हमें जीवन में नित्य ही नयी घटनाओं एवं अनुभूतियों से रू-ब-रू होना पड़ता है। इन्हीं घटनाओं और अनुभवों का लिखित रूप ‘कहानी’ कहलाती है और इस विधा को कहानी-लेखन कहते हैं। कुछ कहानियों के लिखने का आधार बचपन में दादी-नानी द्वारा सुनायी गयी कहानियाँ भी होती हैं। अत: हमारे अन्दर की संवेदनाओं की आकर्षक प्रस्तुति ही कहानी-लेखन है।
कहानियाँ मुख्यतः कल्पना, सच्ची घटना, चित्र या शब्द-संकेतों के आधार पर लिखी जाती हैं।
कहानी-लेखन के लिए आवश्यक निर्देश –
- सर्वप्रथम कहानी का प्रारूप मन में बना लें।
- फिर शब्दों से भरकर साकार रूप दें।
- कहानी का उचित एवं आकर्षक शीर्षक दें।
- कहानी लिखने में अपने विचारों को न थोपें।
- स्पष्ट, सहज एवं शुद्ध भाषा का प्रयोग करें।
- कहानी के अन्त में नैतिक या वैज्ञानिक सीख अवश्य दें।
यहाँ शब्द-संकेतों के आधार पर कहानी-लेखन के कुछ उदाहरण दिये जा रहे है –
संकेत (1) : एक नदी – साधु का स्नान – पानी में बिच्छू – साधु द्वारा बचाने का प्रयास – बिच्छू द्वारा डंक मारना – साधु द्वारा फिर उठाना – बिन्छू द्वारा फिर से डंक मारना – साधु का उसे पानो से निकालना – बिच्छू को जान बचना।
कहानी :
प्राणी का स्वभाव
एक दिन एक साधु नदी में स्नान कर रहे थे। अचानक उन्हें पानी में एक बिच्छू दिखायी पड़ा जो अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था। साधु दयालु थे। उन्होंने उसे अपने हाथ में उठा लिया। पर, दुप्प बिच्छू ने उन्हें डंक मार दिया। साधु का हाथ हिल जाने से वह फिर से पानी में गिर गया। साधु ने फिर से उसे उठाया, परन्तु उसने फिर उनके हाथ पर डक मार दिया। ऐसा कई बार हुआ। अंतत: साधु ने बिच्छू को नदी के बाहर लाकर जमीन पर छोड़ दिया जिससे वह मरने से बच गया।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक प्राणी अपने स्वभाव के अनुसार कार्य करता है और उसी में उसे आनंद का अनुभव होता है।
संकेत (2) : एक बाह्मण – एक बूढ़ा बाघ-उसके हाथ में सोने का कंगन – वाघ द्वारा बाह्मण को लालन देना लालच में आकर ब्राह्मण का कीचड़ में फँस जाना – बाघ द्वारा उसे खा जाना।
कहानी :
लालच का फल
एक बाह्हण ने एक बूढ़े बाघ के हाथ में सोने का कंगन देखा। बाघ ने उसे पुकारा तो वह उसके नजदीक डरते हुए पहुँचा। बाघ ने कहा कि वह जवानी में किये गये पापों का प्रायश्चित करने के लिए यह सोने का कगन दान करनेवाला है। यह सुनकर बाहाण के मन में लालच आ गया और उसने उस कंगन को प्राप्त करना चाहा। बाय ने कहा कि उसे सामने के पोखरे से स्नान करके आना होगा, तभी उसे वह कंगन मिलेगा। ब्राह्माण जैसे ही पोखरे के नजदीक गया, वह दलदल में फंस गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा। बाघ धीरे – धीरे उसके नजदीक पहुँचा और उसे मारकर खा गया।
यह कहानी हमें बताती है कि लालच का फल सदा ही हानिकारक और अनिप्टकारी होता है।
संकेत (3) : सर्दी की रात – भूखा, काँपता पथिक – पेड़ का सोचना – रूखी-सूखी टहनियाँ, पथिक की मीठी नींद।
कहानी :
परोपकारी पेड़
एक रात की बात है, सर्दियों की बरफानी हवा चल रही थी और सर्दी इतनी अधिक थी कि शरीर सुन्र होता जाता था। ऐसे समय में एक थका-माँदा, काँपता-ठिठुरता, भूखा-प्यासा पथिक एक पेड़ के नीचे आया और आराम करने की कोई जगह देखने लगा। पेड़ समझ गया कि यह सर्दी का सताया हुआ है। यदि इसे तापने को जाग न मिली तो यह सर्दी से अकड़कर मर जाएगा। मेरा यह कर्तव्य बनता है कि मुझसे इस मुसाफिर के लिए जो भी बन पड़े मै करूँ।
उस बूढ़े पेड़ के पास अब किसी को देने के लिए भला और बचा ही क्या था ? केवल कुछ रूखी -सूखी टहनियाँ ही दिखाई दे रही थीं। पेड़ ने अपनी वे सूखी टहनियाँ भी उस पथिक के लिए गिरा दी, जिन्हें जलाकर पथिक ने सारी रात आग तापी। आग की गर्मी से उसकी कँपकपी मिट गई, थकान जाती रही और वह आग के उसी ढेर के किनारे रात भर मीठी नींद सोया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि धन्य हैं वे जिनका शरीर आखिरी समय तक दूसरों के उपकार के काम आता है।
संकेत (4) : मुन्ना – चीजें जगह पर न रखना – कलम, पेंसिल, किताब का न मिलना – पेपर खराब – माँ की सीख।
कहानी :
मुत्रा की कहानी
एक था मुन्ना। उसको शिकायत थी कि उसकी चीजें सही जगह और समय पर नहीं मिलती। एक दिन उसकी परीक्षा थी। स्कूल जाने के समय जब वह ढूंढ़ने लगा तो उसे पेंसिल, कलम, किताब कुछ भी जगह पर न मिली। इन सब चीजों को ढुंढ़ने के बाद जब वह स्कूल पहुँचा तो परीक्षा समाप्त हो चुकी थी।
दूसरे दिन भी वह इसी तरह परीक्षा में काफी देर से पहुँचा और उसकी परीक्षा खराब गई। मुत्रा अपनी इस लापरवाही से खुद भी परेशान था। घरवाले तो परेशान थे ही। तब माँ ने उसे समझाया – “‘बेटा, हर चीज को ठीक जगह पर रखा करो। कपड़े कपड़ों की अलमारी में टाँगा करो। किताबें अपने वस्ते में या अपनी मेज पर सजाकर रखा करो। जूते भी सही जगह पर उतारा करो। फिर सब चीजें सही जगह और सही समय पर मिल जाया करेंगी।
मुन्ना ने माँ की बात मानकर वैसा ही करना शुरु किया और उसकी परेशानी खत्म हो गयी। हमें भी मुन्ना की तरह हमेशा बड़ों की सीख माननी चाहिए।
संकेत (5) : एक ट्रक – सुंदर नहीं – काम सुंदर – खेतों में कूड़े डालना – फसल अच्छी होना – पुरस्कार।
कहानी :
कूड़ेवाला ट्रक
एक ट्रक था। शक्ल-सूरत में वह सुंदर नहीं था। लेकिन वह शहर को साफ-सुथरा और सुन्दर बनाने में सबसे अधिक मदद करता था। फिर भी लोग उसे देखकर नाक-भौं सिकोड़ते और उससे दूर भागते। लोगों के रुखे व्यवहार के बावजूद वह अपना कर्त्तव्य पूरी ईमानदारी से निभाता था।
किसान ट्रक का कूड़ा अपने खेतों में डलवाते थे। कूड़े से खाद बना और उसका एक-एक कण सोने से भी कीमती बनकर गेहूँ, चावल और मक्का की शक्ल में प्रकट हुआ। जिसे गंदगी कहकर लोग नाक-भौं सिकोड़ते थे, वही गंदगी अमृत बनकर फसल के हरे-हरे पत्तों में पहुँची। पत्तियों को गाय-भैंस ने खाया तो फिर से ज्यादा दूध देने लगों। कूड़े के खाद की ताकत से ईख की फसल भी अच्छी हुई। फिर धड़ाधड़ गुड़ भी बना, चीनी भी बनी और बच्चों के लिए मिठाइयाँ भी बनीं।
कुछ दिनों के बाद ट्रकों की एक प्रतियोगिता हुई। अनेक रंग-बिरंगे चमचमाते ट्रकों के बीच कूड़ेवाले ट्रक को पहला पुरस्कार मिला।पुरस्कार देनेवाले अधिकारी ने घोषणा की –
” जो मुसीबत में काम आता है वही सच्चा मित्र होता है। कूड़े वाला ट्रक देखने में भले ही सुंदर न हो लेकिन उसके द्वारा किए गए काम ने खेतों को उजड़ने से बचाया, इसलिए उसी की सेवा सबसे अधिक कीमती है।”
सच ही है – कोई अपने अपने सुन्दर रंग-रूप से सुन्दर नहीं होता। सुन्दर वही है जो सुन्दर काम करता है।
संकेत (6) : राजा का शिकार पर जाना – एक साधु को देखना – मदद की इच्छा – साधु का इन्कार करना – सोने के पर्वत बनाने की बात कहना – राजा का साधु का शिष्य बनना – राजा को ज्ञान होना – सोना पाने से इन्कार करना।
कहानी :
स्वर्ण रसायन
एक बार एक राजा घोड़े पर चढ़कर शिकार को जा रहा था। जाड़े का समय था। थोड़ी-थोड़ी वर्षा भी हो रही थी। उसने देखा कि एक साधु जंगल में अकेला बैठा है। न तो उसके पास खाने का सामान है, न पहनने के लिए कोई कपड़ा है, न रहने के लिए झोपड़ी आदि ही है। राजा को उसकी दशा पर दया आई।
राजा ने साधु की सहायता करनी चाही लेकिन साधु ने कहा – हम कंगाल नहीं हैं। हम रसायन बनाना जानते हैं। यदि हम चाहें तो सोने के पर्वत बना लें। राजा ने सोचा यदि उसके पास ढ़ेर सारा सोना होता तो वह एक-दो राज्य को जीत लेता। उसने साधु से कहा, “भगवन मुझे रसायन बनाना सिखला दीजिए।”
साधु ने कहा कि सोना बनाना एक दिन में नहीं सीखा जा सकता। तुम रोज आया करों, सीख जाओगे।
राजा ने साधु के पास जाना शुरू कर दिया। साधु के उपदेश से एक वर्ष में ही राजा बड़ा ही धर्मात्मा और ज्ञानी हो गया। वह ईश्वर-प्रेम में इतना मग्न हो गया कि सारे संसार के राज्यों को ईश्वर-प्रेम के आगे तुच्छ समझने लगा। एक दिन साधु ने राजा से हँसी-हँसी में कहा कि तुम बहुत-सा ताँबा लाओ, हम सोना बना दें।
राजा ने उत्तर दिया कि महाराज, जिस ताँबे को सोना बनाने की आवश्यकता थी वह सोना बन गया, अब मुझे सांसारिक सोने की कोई आवश्यकता नही रही।
सच ही है कि जो व्यक्ति स्वयं धर्म का आचरण करते हैं वे दूसरों को भी अपने रंग में रंग लेते हैं।
संकेत (7) : किसान का खेत को सींचना – एक व्यक्ति का जल के सोत के बारे मे पूछना – किसान द्वारा जल के विभिन्न स्रोत तथा सबका स्रोत हिमालय को बताना – ईश्वर एक है का संदेश देना।
कहानी :
ईश्वर एक है
एक किसान अपने खेत को नहर की नाली से सींच रहा था। यह देखकर एक व्यक्ति ने पूछा कि आजकल तो वर्षाऋतु नहीं है फिर यह जल कहाँ से आता है ?
किसान ने उत्तर दिया, “यह जल इस छोटे-से बम्बे में से होकर आता है।”
व्यक्ति ने फिर पूछा, ” इस बम्बे में जल कहाँ से आया ?”
किसान ने कहा, “भाई! यह जल बड़े बम्बे में से आता है।”
व्यक्ति ने फिर पूछा, “इसमें जल कहाँ से आता है ?”
किसान ने कहा, “नहर से।”
- और नहर में जल कहाँ से आता है ?
- गंगा नदी से।
- गंगा में जल कहाँ से आता है ?
- हिमालय पर्वत से।
उस व्यक्ति ने अंत में कहा, ‘”तुमने पहले ही क्यों न बता दिया कि यह जल हिमालय से आता है।
जिस प्रकार सभी नदी-नालों में हिमालय से जल जाता है और केन्द्र एक है, ठीक उसी प्रकार संसार में जितने मतमतान्तर फैले हुए हैं, सभी एक हैं और उनका निवास-स्थान वेद ही है।
इसका दूसरा भाव यह है कि व्यक्ति चाहे जिस देश, जिस धर्म का हो लेकिन जगत्-पिता एक है। इसलिए आपस में हमें भेद-भाव नहीं रखना चाहिए।