WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की गतियाँ

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WBBSE Class 9 Geography Chapter 2 Question Answer – पृथ्वी की गतियाँ

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी क्या है ?
उत्तर :
14 करोड़ 85 लाख (लगभग 15 करोड़) कि॰मी०।

प्रश्न 2.
पृथ्वी को सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में कितना समय लगता है ?
उत्तर :
365 दिन 5 घण्टे 48 मिनट 46 सेकेण्ड अर्थात् 365 1/4 दिन।

प्रश्न 3.
पृथ्वी की किस गति के कारण दिन-रात होता है?
उत्तर :
दैनिक गति या आवर्तन के कारण।

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प्रश्न 4.
किस अक्षांश रेखा पर पृथ्वी के परिभ्रमण या आवर्तन की गति सर्वाधिक है?
उत्तर :
विषुवत रेखा या भूमध्य रेखा (Equator) पर।

प्रश्न 5.
पृथ्वी की कितनी गतियाँ है?
उत्तर :
दो

प्रश्न 6.
पृथ्वी की परिश्रमण दिशा क्या है?
उत्तर :
पश्चिम से पूरब।

प्रश्न 7.
मंगल ग्रह कितने दिन में सूर्य की परिक्रमा करता है?
उत्तर :
687 दिन में।

प्रश्न 8.
कौन से दो ग्रह एक दिन में परिभ्रमण करते हैं?
उत्तर :
पृथ्वी और मंगल।

प्रश्न 9.
किस दिनांक को बसन्त विषुव कहते हैं ?
उत्तर :
21 मार्च।

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प्रश्न 10.
पृथ्वी का अक्ष अपने कक्ष तल से कितना झुका है ?
उत्तर :
6612°

प्रश्न 11.
किस बल के कारण हवाओं एवं धाराओं की दिशा में विचलन होता है?
उत्तर :
कोरियोलिस बल (Coriolis Force) या विक्षेप ढाल।

प्रश्न 12.
आकाशीय पिण्ड किस दिशा में घूमते हुए प्रतीत होते हैं?
उत्तर :
पूरब से पथ्थिम।

प्रश्न 13.
पृथ्वी की दैनिक गति में कितना समय लगता है?
उत्तर :
23 घंटे 56 मी॰ (लगभग 24 घण्टे)।

प्रश्न 14.
दिन रात पृथ्वी की किस गति के कारण होते है?
उत्तर :
दैनिक गति।

प्रश्न 15.
ॠतु परिवर्तन पृथ्वी की किस गति के कारण होते है?
उत्तर :
परिक्रमण गति।

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प्रश्न 16.
कर्क और मकर रेखा का अक्षांश कितना है ?
उत्तर :
23 \(\frac{1}{2}\)° उत्तर कर्क और 23 \(\frac{1}{2}\)° दक्षिण मकर रेखा का अक्षांश है।

प्रश्न 17.
पृथ्वी की किस गति के कारण कोरियालिस बल की उत्पत्ति होती है ?
उत्तर :
परिभ्रमण (Rotation) या घूर्णन या दैनिक गति के कारण।

प्रश्न 18.
दैनिक गति को क्या कहते हैं?
उत्तर :
आवर्तन, घूर्णन या परिभ्रमण गति (Rotation) कहते हैं।

प्रश्न 19.
ऊँचाई से गिरने वाली वस्तु किस प्रकार गिरती है?
उत्तर :
तिरछी।

प्रश्न 20.
पृथ्वी जिस मार्ग पर परिभ्रमण (Rotation) करती है उसे क्या कहते हैं?
उत्तर :
अक्ष।

प्रश्न 21.
शरद विषुव किस दिनांक को होता है?
उत्तर :
22 सितम्बर।

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प्रश्न 22.
पृथ्वी का भूमध्यरेखीय व्यास कितना है ?
उत्तर :
12757 km.

प्रश्न 23.
पृथ्वी का धुवीय व्यास कितना है ?
उत्तर :
12,714 km

प्रश्न 24.
पृथ्वी अपने अक्ष पर किस दिशा से किस दिशा की ओर घूमती है ?
उत्तर :
पश्चिम से पूरब।

प्रश्न 25.
पृथ्वी की परिभ्रमण गति किस परिधि पर सर्वाधिक होती है?
उत्तर :
भू-मध्य रेखा पर (Equator)।

प्रश्न 26.
कोरियॉलिस ने क्या पता लगाया?
उत्तर :
हवा का विचलन।

प्रश्न 27.
वार्षिक गति में पृथ्वी क्या करती है?
उत्तर :
सूर्य की परिक्रमा।

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प्रश्न 28.
कर्क रेखा का अक्षांश कितना है?
उत्तर :
23 \(\frac{1}{2}\)° उत्तर अक्षांश रेखा।

प्रश्न 29.
ऋतु परिवर्तन के लिए पृथ्वी की कौन-सी गति उत्तरदायी है?
उत्तर :
वार्षिक गति या परिक्रमण गति (Revolution)।

प्रश्न 30.
किस रेखा को विषुव रेखा-कहते हैं?
उत्तर :
0° अक्षांश रेखा या भू-मध्य रेखा को।

प्रश्न 31.
दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद ॠतु कब तक रहती है?
उत्तर :
21 मार्च से 23 सितम्बर तक।

प्रश्न 32.
किन अक्षांश रेखाओं के बीच के भाग को उष्ण कटिबन्ध कहते हैं?
उत्तर :
23 \(\frac{1}{2}\)° उत्तरी और 23 \(\frac{1}{2}\)° दक्षिणी अक्षांश रेखा या कर्क और मकर रेखा के बीच।

प्रश्न 33.
किस तिथि को सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत् चमकता है?
उत्तर :
22 दिसम्बर को.।

प्रश्न 34.
पृथ्वी पर सर्वन्र दिन राति की लम्बाई कब बराबर होती है?
उत्तर :
23 सितम्बर।

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प्रश्न 35.
पृथ्वी जहाँ पर कहाँ वर्ष भर दिन रात की लम्बाई बराबर होती है?
उत्तर :
उत्तरी गोलार्द्ध के विषवत रेखा पर।

प्रश्न 36.
कर्क रेखा पर सूर्य की किरणें किस तिथि को लम्बवत् चमकती है।
उत्तर :
21 जून।

प्रश्न 37.
किन-किन तिथियों को सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लम्बवत् चमकती है।
उत्तर :
21 मार्च, 23 सितम्बर।

प्रश्न 38.
22 दिसम्बर को उत्तर गोलार्द्ध में कौन सी ऋतु होती है।
उत्तर :
सर्दियों का मौसम।

प्रश्न 39.
उत्तरी गोलार्द्ध में वसन्त ऋतु कब होती है।
उत्तर :
21 मार्च।

प्रश्न 40.
ग्रहीय पवनों की दिशा में विचलन किस गति से होता है?
उत्तर :
दैनिक गति के कारण।

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प्रश्न 41.
ग्रहीय पवनों के विचलन का पता सर्वप्रथम किसने लगाया?
उत्तर :
1835 ई० में जी०जी०डी० कोरियालिस (G. G. D. Coriolis) ने।

प्रश्न 42.
24 घण्टे में कितनी बार ज्वार-भाटा आते हैं?
उत्तर :
24 घण्टे में दो बार ज्वार तथा दो बार भाटा आते हैं।

प्रश्न 43.
फोकाल्ट कहाँ के विद्वान थे?
उत्तर :
फ्रांस के।

प्रश्न 44.
फोकाल्ट ने अपना प्रयोग कहाँ किया था?
उत्तर :
पेरिस के एक गिरिजाघर में (1851ई०)।

प्रश्न 45.
पृथ्वी की आवर्तन या परिश्रमण किस दिशा में होती है?
उत्तर :
पथिम से पूर्व।

प्रश्न 46.
दक्षिणी ध्रुव के पास शीत ऋतु में रातें कितने घण्टो की होती हैं?
उत्तर :
24 घण्टों की।

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प्रश्न 47.
पृथ्वी के परिक्रमण की औसत गति कितनी है?
उत्तर :
29.6 कि॰मी॰ प्रति सेकेण्ड।

प्रश्न 48.
पृथ्वी के भू-कक्ष की लम्बाई कितनी है?
उत्तर :
96.5 करोड़ कि॰मी० लम्बी है।

प्रश्न 49.
अधिवर्ष (Leap year) कितने दिनों का होता है?
उत्तर :
366 दिनों का।

प्रश्न 50.
अधिवर्ष में फरवरी महिना कितने दिनों का हो जाता है?
उत्तर :
29 दिन का।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS

प्रश्न 1.
बसन्त विषुव क्या है?
उत्तर :
बसंत विषुव (Vernal Equinox) :- 21 मार्च को सूर्य की किरणें पुन: विषुवत् वृत्त पर लम्बवत् पड़ने लगती है। फलस्वरूप दोनों गोलार्द्धो में पुनः दिन और रात बराबर होते हैं तथा उत्तरी गोलार्द्ध में बसंत विषुव तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद ॠतु होती है। 21 मार्च की स्थिति को इत्तरी गोलार्द्ध में बसंत विषुव तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद विषुव कहा जाता है।

प्रश्न 2.
शरद विषुव क्या है?
उत्तर :
शरद विषुव (Autumn Equinox) :- 23 सितम्बर को सूर्य की किरणें विषुवत वृत्त पर लम्बवत् पड़ती है। परिणामस्वरूप दोनों गोलार्द्ध के आवे भाग प्रकाशित रहते हैं। इसलिए इस तिथि को दोनों गोलार्द्ध में दिन और रात बराबर होते हैं। 23 सितम्बर को उत्तरी गोलार्द्ध में शरद त्तु होती है। 23 सितम्बर की स्थिति को शरद विषुव (Autumn Equinox) कहते हैं।

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प्रश्न 3.
पृथ्वी की कौन-कौन सी गतियाँ होती हैं तथा उन गतियों में पृथ्वी क्या कार्य करती है?
अथवा
पृथ्वी के गतियाँ का वर्णन करो।
उत्तर :
पृथ्वी की मुख्य दो गतियाँ हैं- (i) दैनिक गति, (ii) वार्षिक गति।
(i) दैनिक गति :- इसमें पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घण्टे में पश्चिम से पूर्व एक बार घूम जाती है।
(ii) वार्षिक गति :- इसमें पृथ्वी 365 दिन 5 घंटा 48 मिनट 46 सेकेण्ड में अण्डाकार कक्ष से होते हुए सूर्य की एक परिक्रमा पूरी कर लेती है।

प्रश्न 4.
शीत संक्रान्ति से क्या समझते हो?
उत्तर :
शीत संक्रान्ति (Winter Solstice) :- इस स्थिति में दक्षिणी धुव सूर्य के सामने झुका होता है तथा उत्तरी धुव सूर्य से दूर होता है। सूर्य की किरणें विषुवत वृत्त के दक्षिण में 23\(\frac{1}{2}\)° अर्थात मकर रेखा (Tropic of Capricorn) पर लम्बवत् फड़ती है। फलस्वरूप वहाँ दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। इसी दिन उत्तरी गोलार्ब में सबसे छोटा दिन व दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता है। अत: दक्षिणी गोलार्द्ध में इस समय ग्रीष्म ॠतु तथा उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ॠतु होती है, जिसे शीत संक्रान्ति (Winter Solstice) कहते हैं।

प्रश्न 5.
नक्षत्र दिवस क्या है?
उत्तर :
नक्षत्र दिवस (Sideral Day) :- समय की वह अवधि है जितनी देर में कोई दूरवर्ती नक्षत्र पृथ्वी के किसी स्थान को लगातार दो बार पार करता है। एक नक्षत्र दिवस की अवधि 23 घण्टा 56 मिनट 24 सेकेण्ड होती है।

प्रश्न 6.
उपसौर बिन्दु से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
उपसौर बिन्दु :- वह बिन्दु जहाँ सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती है, उसे उपसौर बिन्दु (Subsolar Point) कहते हैं। यह उपसौर बिन्दु 22 दिसम्बर से 21 जून तक मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है तथा 21 जून से 22 दिसम्बर तक कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर लौटता है।

प्रश्न 7.
फेरल का नियम क्या है?
उत्तर :
फेरल के नियम के अनुसार धरातल पर स्वतंत्र रूप से चलनेवाली सभी गतिशील वस्तुएँ जैसे हवाएँ एवं धाराएँ पृथ्वी के दैनिक गति के प्रभाव से उत्तरी गोलार्द्ध में अपने से दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपने से बाँयी ओर मुड़ जाती हैं।

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प्रश्न 8.
अधिवर्ष से क्या समझते हैं?
उत्तर :
अधिवर्ष (Leap year) :- 365 दिनों का एक वर्ष माना जाता है। किन्तु प्रतिवर्ष 6 घण्टे अर्थात् 1/4 दिन का अंतर पड़ता है। इस क्रम में 4 वर्षों में 1 दिन का अंतर पड़ता है। इस अंतर को समाप्त करने के लिए प्रत्येक चौथे वर्ष के सबसे छोटे महिने फरवरी को 28 दिन की जगह 29 दिन का कर देते हैं। इसे अधिवर्ष कहा जाता है। यह वर्ष 4 से विभाजित हो जाता है।

प्रश्न 9.
ऋतु परिवर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर :
ॠतु परिवर्तन का मूल आधार ताप है। पृथ्वी को ताप सूर्य से प्राप्त होता है। अतः पृथ्वी के किसी भी भाग में वर्ष के जिस भाग में सूर्य से अधिक ताप प्राप्त होता है, तब वहां गर्मी का ॠतु एवं जब कम ताप प्राप्त होता है तब जाड़े की ॠतु होती है।

प्रश्न 10.
गुरुत्वाकर्षण का नियम क्या है?
उत्तर :
गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त :- न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त (Law of gravity) के अनुसार जो वस्तु जितना विशाल होगा, उसका गुरुत्वाकर्षण बल भी उतना ही अधिक होगा। चूँक पृथ्वी से सूर्य 13 लाख गुणा बड़ा है, अत: सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी की तुलना में अधिक होगा। इसी कारण पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, सूर्य पृथ्वी का नहीं।

प्रश्न 11.
छाया वृत्त या प्रकाश वृत्त क्या है?
उत्तर : छायावृत्त (Shadow Circle) :- पृथ्वी के गोलाकार होने के कारण केवल आधा भाग ही प्रकाशित रहता है एवं शेष आधा भाग अंधकार में रहता है। इस प्रकार वह रेखा या सीमांत जो प्रकाश एवं अंधकार को अलग करता है प्रकाश वृत्त या छाया वृत्त कहलाती है।

प्रश्न 12.
सौर दिवस किसे कहते हैं?
उत्तर :
सौर दिवस (Solar Day) :- समय की वह अवधि है, जितनी देर में मध्याह्नकालीन सूर्य पृथ्वी के किसी स्थान को उत्तरोत्तर दो बार पार करता है। सौर दिवस की अवधि 24 घण्टा होती है।

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प्रश्न 13.
भू-कक्ष क्या है?
उत्तर :
भू-कक्ष (Earth’s Orbit) :- ग्रह का वह निध्चित परिभ्रमण पथ जिसके सहारे कोई ग्रह सूर्य का चक्कर लगाता है। पृथ्वी जिस भाग से होकर सूर्य का परिश्रमण करती है, उसे भू-कक्ष (Earth’s Orbit) कहते हैं।

प्रश्न 14.
विपुव (Equinox) का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
विधुव (Equinox) वे दिन हैं, जब सूर्य की किरणें भूमष्य रेखा पर लम्बवत् चमकती है और सम्पूर्ण विश्थ में रातदिन की लम्बाई एक समान (12-12) घण्टे की होती है। Equinox शब्द लैटिन भाषा के (Equs) अर्थात् ‘समान’ एवं (Nox) अर्थात् ‘रात’ शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है ‘समान रात्रि’।

प्रश्न 15.
अर्द्धरात्रि का सूर्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
नार्वे को अर्द्धरात्रि के सूर्य का देश (Land of midnight sun) कहते हैं क्योंकि यहाँ सूर्य अर्द्धरात्रि में भी दिखाई देता है।

प्रश्न 16.
महाविषुव क्या है?
उत्तर :
21 मार्च को उत्तरी गोलार्द्ध में बसन्त ॠतु होने से 21 मार्च की स्थिति को बसन्त विषुव (Spring Equinox) या महाविषुव (Vernal Equinox) की स्थिति कहते हैं।

प्रश्न 17.
परिभ्रमण एवं परिक्रमण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
परिभ्रमण –
(i) इसमें पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घण्टे में पः्चिम से पूर्व एक बार घूम जाती है।
(ii) इससे दिन-रात होता है।
परिक्रमण –
(i) इसमें पृथ्वी 365 दिन 5 घंटा 48 मिनट 46 सेकेण्ड में अण्डाकार कक्ष से होते हुए सूर्य की एक परिक्रमा पूरी कर लेती है। (ii) इससे ऋतु परिवर्तन होता है।

प्रश्न 18.
कोरियालिस प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कोरियालिस प्रभाव :- हवायें तथा जल-धारायें अपने मार्ग से विचलित हो जाती हैं; जो पृथ्वी के परिभ्रमण गति का परिमाण है। परिभ्रमण गति के कारण एक बल उत्पन्न होता है, जिसके कारण किसी गतिशील वस्तु के मार्ग में विचलन होता है। इस बल का पता सबसे पहले कोरियालिस महोदय ने 1835 ई० में लगाया था, इसीलिए इसे कोरियालिस बल भी कहते हैं।

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प्रश्न 19.
पृथ्वी के परिभ्रमण या आवर्तन से आप क्या समझते हो?
उत्तर :
परिभ्रमण या आवर्तन (Rotation) :- पृथ्वी अपनी कल्पित कीली या अक्ष रेखा पर लट्टू की भाँति अघड़ीवत् दिशा में पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमती हुई लगभग 24 घण्टे में सूर्य के सम्मुख एक पूरा चक्कर लगा लेती है, इसे आवर्तन या घूर्णन कहते हैं। इसी गति के कारण पृथ्वी पर दिन-रात होता है। अत: आवर्तन को दैनिक गति (Durinal or Daily motion) भी कहते हैं।

प्रश्न 20.
पृथ्वी के कक्ष तल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
कक्ष तल (Orbital Plane) :- जिस निर्दिष्ट पथ पर पृथ्वी परिक्रमा करती है, उसे कक्ष कहते हैं तथा जिस निर्दिष्ट समय में एक परिश्रमण पूरा कर लेती है इसे सौर वर्ष (Solar year) कहते हैं। जिस तल के सहारे कक्ष अवस्थित होता है, उसे कक्ष तल (Orbital plane or place of ecliptic) कहते हैं।

प्रश्न 21.
कर्क संक्रान्ति पर टिष्पणी लिखिए।
उत्तर :
कर्क संक्रान्ति में सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में लम्बवत् वमकता है। यह स्थिति 21 जून को आती है। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्म कतु होती है। कर्क संक्रान्ति सूर्य के उत्तरायण को दर्शाता है।

प्रश्न 22.
अक्ष क्या है?
उत्तर :
अक्ष (Axis) : उत्तरी तथा दक्षिणी धुवों को मिलाने वाली रेखा जिस पर पृथ्वी घूर्णन करती है, अक्ष कहलाती है।

प्रश्न 23.
उत्तरायण और दक्षिणायन किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब सूर्य की स्थिति उत्तर की ओर खिसकती है तो इसे उत्तरायण कहा जाता है एवं जब सूर्य की स्थिति दक्षिण की ओर खिसकती है तो इसे दक्षिणायन कहा जाता है।

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प्रश्न 24.
पृथ्वी के उत्तरायण एवं दक्षिणायन होने के क्या कारण हैं?
उत्तर :
यह पृथ्वी के कक्ष (Orbit) का अक्ष (Axis) के साथ 66\(\frac{1}{2}\)° झुके होने एवं अण्डाकार पथ पर सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने के कारण होता है।

प्रश्न 27.
सूर्य की आपात गति क्या है?
उत्तर :
सूर्य की आपात गति :- पृथ्वी के वार्षिक गति के कारण पृथ्वी के सापेक्ष सूर्य की स्थिति बदलती रहती है। सूर्य कभी कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकता है, तो कभी मकर रेखा पर। सूर्य की इस स्थिति परिवर्तन को सूर्य का आपात गति (Apparent movement of the sun) कहते हैं।

प्रश्न 28.
सुमेरूप्रभा किसे कहते हैं?
उत्तर :
उत्तरी ध्रुव पर पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण आकाश में कभी-कभी अस्पष्ट प्रकाश देखा जाता है, जिसे अंरोरा बोरोलिस या सुमेरूप्रभा कहते हैं।

प्रश्न 29.
कुमेरूप्रभा किसे कहते हैं?
उत्तर :
दक्षिणी धुव पर पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण 6 महिने की अवधि में आकाश में कभी-कभी अस्पष्ट प्रकाश देखा जाता है, जिसे कुमेरू ज्योति या कुमेरप्रभा कहते हैं।

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS

प्रश्न 1.
पृथ्वी पर दिन-रात कैसे होते हैं?
उत्तर :
दिन-रात का होना :- पृथ्वी का अपना कोई प्रकाश नहीं है। यह सूर्य के प्रकाश से आलोकित होती है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 66 66\(\frac{1}{2}\)° का कोण बनाते हुए 24 घण्टे में यह अपनी धूरी पर पश्चिम से पूरब एक बार घूम जाती है। इस तरह जो भाग सूर्य के सामने पड़ता है, वहाँ दिन तथा जो भाग सामने नहीं पड़ता वहाँ रात होती है। अत: पृथ्वी की दैनिक गति के कारण दिन और रात होते हैं। दिन और रात वाले स्थानों को अलग करने वाली कल्पित रेखा छाया वृत्त (Circle of illumination or Shadow circle) कहलाती है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी पर दिन के विशिष्ट अवसरों का निर्धारण किस प्रकार होता है?
उत्तर :
दिन के विशिष्ट अवसरों का होना :- आवर्तन के कारण ही दिन के चार विशिष्ट अवसरों- प्रातः, सायं, मष्याह्न और अर्द्धरात्रि का आविर्भाव होता है। आवर्तन के कारण जिस समय किसी स्थान पर सूर्य की प्रथम किरण प्राप्त होती है, उसे प्रात:काल तथा सूर्य के डुबने के समय को संष्याकाल कहते हैं। किसी स्थान पर जब सूर्य ठीक ऊपर होता है, तब वहाँ मध्याह्नकाल तथा जब सूर्य ठीक पीछे होता है, तब वहाँ अर्द्धरात्रि होती है।

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प्रश्न 3.
फोकाल्ट के नियम का वर्णन करो।
उत्तर :
फोकाल्ट का प्रयोग :- प्रसिद्ध फांसीस्भ विद्वान फोकाल्ट ने सन् 1851 ई० में पेरिस के एक गिरिजाघर की ऊँची मीनार से एक 60 मीटर लम्बे बारीक तार में एक गेंद बाँषकर नीचे लटका दिया। गेंद के नीचे एक सूई लगी हुई थी। सूई नीचे एक मेज पर बिछी हुई बालू को छू रही थी। गेंद को उत्तर-दक्षिण दिशा में हिला दिया गया। सूई की नोक से बालू पर पध्चिम से पूर्व खिसकती हुई कई रेखाएँ बन गयी। यदि पृथ्वी स्थिर होती तो बालू पर केवल एक ही रेखा बनती। इससे ज्ञात होता है कि जहाँ पेण्डुलम एक निक्धित दिशा में दोलन कर रहा था, वही पृथ्वी की दैनिक गति के कारण पृथ्वी का धरातल घूम रहा था।

प्रश्न 4.
परिक्रमण को पृथ्वी का वार्षिक गति क्यों कहा जाता है?
(Why Revolution is known as Annual motion ?)
उत्तर :
सूर्य के चतुर्दिक एक पूरा चक्कर लगाने में पृथ्वी को 365 दिन, 5 घण्टा, 48 मिनट एवं 46 सेकेण्ड लगता है। इस समयावचि को एक सौर वर्ष (Solar year) कहा जाता है। किन्तु हम अपनी सुविधा के लिए एक वर्ष को 365 दिन मान लेते हैं और लगभग 6 घण्टा प्रत्येक वर्ष छोड़ देते हैं जो अधिवर्ष (Leap year) का कारण होता है। चूँकि एक वर्ष की अवधि में पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है, अत: इसे वार्षिक गति (Annual Motion) भी कहते हैं।

प्रश्न 5.
ग्रीष्म संक्रोन्ति क्या है?
उत्तर :
21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की कोणिक ऊँचाई सबसे अधिक होती है, अत: इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन तथा सबसे छोटी रात तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बड़ी रात तथा सबसे छोटा दिन होता है। इसी को कर्क संक्रान्ति या ग्रीष्म संक्रान्ति (Summer Solstice) कहते हैं। दोनों गोलार्द के लोगों में भ्रम न हो, अतः इसे जून संक्रान्ति (June Solstice) कहना अधिक उपयुक्त होगा।

प्रश्न 6.
अपसौर और उपसौर में अन्तर स्थापित करो।
(Differentiate between Aphelion and Perihelion.)
उत्तर :

अपसौर (Aphelion) उपसौर (Perihelion)
i.  अपसौर की स्थिति 4 जुलाई को होती है। i. उपसौर की स्थिति 3 जनवरी को होती है।
ii. अपसौर में सूर्य और पृथ्वी के बीच 15 करोड़ 20 लाख कि०मी॰ की दूरी होती है। ii. उपसौर में पृथ्वी और सूर्य के बीच 14 करोड़ 70 लाख कि॰मी० की दूरी होती है।
iii. अपसौर में उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है। iii. उपसौर में उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती है।

प्रश्न 7.
न्यूटन ने पृथ्वी के आवर्तन को किस प्रकार प्रमाणित किया?
उत्तर :
न्यूटन का प्रयोग :- प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्यूटन ने एक बार एक ऊँची मीनार के ऊपरी सिरे से पत्थर का एक टुकड़ा गिराया तो पत्थर पृथ्वी पर ठीक नीचे न गिरकर थोड़ा पूर्व की ओर हटकर गिरा। इससे भी सिद्ध होता है कि पृथ्वी में आवर्तन गति है। मीनार का ऊपरी सिरा उसके आधार की अपेक्षा केन्द्र से अधिक दूर है। अतः सिरा पर आधार की अपेक्षा पूर्व की ओर घूमने की गति तेज है। इस प्रकार तेज गति वाले स्थान से छूटने के कारण पत्थर का टुकड़ा आधार की अपेक्षा पूर्व की ओर अधिक घूमकर लक्ष्य से हट जाता है।

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प्रश्न 8.
अधिवर्ष क्या है?
उत्तर :
अधिवर्ष (Leap Year) :- पुथ्वी जितने समय में सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमा करती है, उसे एक वर्ष कहते हैं। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में 365 दिन 5 घण्टे 48 मिनट 46 सेकेण्ड या 365.2422 दिन अर्थात् लगभग 365 1/4 दिन लगते हैं। परन्तु व्यवहार में हम 365 दिन का ही एक वर्ष मानते हैं। अत: हर वर्ष 1 / 4 दिन बढ़ता जाता है। इसी से हर चार से विभाजित होने वाला वर्ष 365 दिन का न होर 366 दिन का होता है और उस वर्ष फरवरी का महीना 28 दिन के बदले 29 दिन्न का होता है। इस वर्ष को अधिवर्ष (Leap Year) कहते हैं। परन्तु शताब्दी वाले वही वर्ष अधिवर्ष होते हैं जो 400 से विभाजित होते हैं। जैसे- सन् 1948,1952,1996,2000 तो अधिवर्ष हैं परन्तु सन् 1950,1951,1900 अधिवर्ष नहीं हैं।

प्रश्न 9.
कर्क एवं मकर रेखाओं को अयन रेखा क्यों कहते हैं?
उत्तर :
कर्क एवं मकर रेखाओं को अयन रेखा (Tropics) कहते हैं। Tropic का अर्थ घुमाव बिन्दु (Tuming Points) है। उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणों के लम्बवत् चमकने की सीमा का निर्षारण कर्क रेखा एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा करती है। इन दोनों रेखाओं पर पहुँचने के बाद सूर्य विपरीत दिशा में घूम जाता है, इसीलिए इन्हें अयन रेखा (Tropics) कहते हैं।

प्रश्न 10.
आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैण्ड में दिसम्बर एवं जनवरी के महीने सबसे गर्म महीने क्यों रहते हैं?
अथवा
आस्ट्रेलिया में क्रिसमस का पर्व ग्रीष्म ऋतु में क्यों मनाया जाता है?
उत्तर :
आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैण्ड दक्षिणी गोलार्द्ध में हैं। पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण दोनों गोलार्द्ध में विपरीत ॠतुएँ पायी जाती है, अत: भारत में गर्मी के समय वहाँ जाड़े की ऋतु होती है।
जिस समय भारत में क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है, उस समय सूर्य दक्षिणायन होता है। चूँकि भारत उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है, अत: यहाँ जाड़े की ऋतु होती है। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है, और आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैण्ड जो दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है, ग्रीष्म काल में क्रिसमस मनाता है।

प्रश्न 11.
पृथ्वी के सभी स्थानों पर दिन-रात की अवधि एक समान क्यों नहीं रहती है?
उत्तर :
पृथ्वी दिन में सूर्य से जो ताप प्राप्त करती है, रात में वही ताप पृथ्वी से निकलता है। वर्ष के जिस भाग में दिन और रात की लम्बाई समान होती है, उस समय दिन में सूर्य से प्राप्त ताप एवं रात में पृथ्वी से मुक्त ताप बराबर रहता है। उस समय तापक्रम की मध्यम अवस्था रहती है। अत: उस समय न गर्मी और न जाड़े की ऋतु होती है। वर्ष की जिस अवधि में दिन रात से बड़ा होता है उस समय दिन में जितना ताप सूर्य से प्राप्त होता है रात में उतना ताप पृथ्वी से मुक्त नहीं होता। प्रतिदिन ताप की मात्रा बढ़ती जाती है और वहाँ गर्मी की ऋतु होती है। इसके विपरीत वर्ष की जिस अवधि में राते दिन से बड़ी होती है, उस समय दिन में सूर्य से पृथ्वी को जितना ताप माप्त होता है, रात में उससे अधिक ताप निकल जाता है, जिससे वाँ जाड़े की ॠतु होती है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की गतियाँ

प्रश्न 12.
शीत संक्रान्ति क्या है?
उत्तर :
22 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत् चमकता है। इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की कोणिक ऊँचाई सबसे कम होती है, अतः इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ी रात तथा सबसे छोटा दिन तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है। इस स्थिति को मकर संक्रान्ति या शीत संक्रान्ति (Winter Solstice) कहते हैं।

प्रश्न 13.
नार्वे को अर्द्धरात्रि के सूर्य का देश क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
पृथ्वी की अक्ष रेखा के 23\(\frac{1}{2}\)° पर ध्युका होने तथा पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण 21 जून को सूर्य कर्क रेखा (23\(\frac{1}{2}\)°N}) पर चमकता है। अत: उस दिन उत्तरी धुववृत्त वाले भागों (661\(\frac{1}{2}\)° N. अक्षांश) में 24 घण्टे का दिन होता है तथा उस दिन वहाँ आधी रात को भी सूर्य दिखाई देता है। इस सूर्य को अर्द्धरात्रि का सूर्य कहते हैं। चूकि नार्वे उत्तरी ध्रुववृत्त (Article Circle) पर स्थित है, अत: वहाँ भी सूर्य अर्द्धरात्रि में भी दिखाई देता है। इस कारण नार्वे को अर्द्धरात्रि के सूर्य का देश (Land of midnight sun) कहते हैं।

प्रश्न 13.
ध्रुवों पर छः-छः महीने के दिन रात क्यों होते हैं?
उत्तर :
पृथ्वी के अपनी किली पर झुका रहने तथा उसकी वार्षिक गति के कारण 22 मार्च से 22 सितम्बर तक सूर्य भूमध्यरेखा के ऊपर चमकता है, जिससे प्रकाशवृत्त उत्तरी धुवों को पार कर जाती है तथा दक्षिणी धुव तक पहुँचता हीं नहीं है। इससे उत्तरी ध्रुव सदा प्रकाश में तथा दक्षिणी ध्रुव अन्धकार में रहता है। अतः उत्तरी धुव में 6 महीने का दिन तथा दक्षिणी ध्रुव में 6 महीने की रात होती है। इसके विपरीत 24 सितम्बर से 20 मार्च तक के सूर्य भूमध्यरेखा के दक्षिण लम्बवत् चमकने के कारण इन दिनों उत्तरी धुवों के समीप 6 महीने की रात तथा दक्षिणी धुवों पर 6 महीने का दिन होता है। 21 मार्च को उत्तरी ध्रुव के समीप सूर्योदय तथा दक्षिणी ध्रुव के समीप सूर्यास्त होता है और 21 सितम्बर को उत्तरी धुव के समीप सूर्यास्त तथा दक्षिणी धुव के समीप सूर्योदय होता है।

प्रश्न 14.
भूमध्यरेखीय क्षेत्र में ऋतु परिवर्तन का अनुभव क्यों नहीं होता है?
(Why change of Season is unknown in the equational areas ?)
उत्तर :
विषुवत रेखीय प्रदेशों में पूरे वर्ष भर सूर्य लम्बवत् चमकता है, अत: यहाँ पर ॠतु परिवर्तन प्राय: न के बराबर रहता है। यहाँ पर ग्रीष्म, वर्षा एवं शीत तीनों ऋतुएँ प्राय: प्रत्येक दिन सक्रिय होती हैं। यही कारण है भूमध्यरेखीय प्रदेशों में ऋतु परिवर्तन नहीं होता।

प्रश्न 15.
वैज्ञानिक अण्टार्कटिका की खोज का अभियान दिसम्बर महीने में क्यों करते हैं?
(Why do the scientist make the expedition to Antarktika in the month of December?)
उत्तर :
वैज्ञानिक अण्टार्कटिका में खोज अभियान दिसम्बर में करते हैं। इसका कारण है- अण्टार्कटिका दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है-अत: यहाँ
(i) सदा दिन का होना :- पृथ्वी अपनी किली पर झुकी है तथा इसकी वार्षिक गति के कारण दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर रहता है। अत: अण्टार्कटिका प्रदेश सूर्य के प्रकाश में रहता है और वहाँ रात नहीं होती। सदा दिन रहने से वैज्ञानिको को काम करने में सुविधा रहती है।
(ii) तापक्रम अधिक होना :- सूर्य की किरणों के अपेक्षतया सीधी पड़ने से एवं रात न होने से तापक्रम अधिक होता है। पर्याप्त तापक्रम के कारण इस हिमाच्छादित भाग में वैज्ञानिको को अनुसंधान कार्य करने में सुविधा होती है।

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प्रश्न 16.
संक्रान्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
संक्रान्ति (Solstice) :- संक्रान्ति (Solstice) वे दिन हैं, जब सूर्य की किरणें कर्क या मकर रेखाओं पर लम्बवत् चमकती हैं। 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकता है, अत: इस स्थिति को कर्क सक्रान्ति कहते हैं तथा 22 दिसम्बर के दिन सूर्य के मकर रखा पर लम्बवत् चमकने के कारण इस स्थिति को मकर संक्रान्ति कहते हैं।

प्रश्न 17.
परिप्रमण गति को दैनिक गति क्यों कहते हैं?
(Why Rotation is also known as Diurnal Motion?)
उत्तर :
पृथ्वी अपने अक्ष पर एक सम्पूर्ण चक्कर 23 घण्टा, 54 मिनट एवं 24 सेकेण्ड (अर्थात् 24 घण्टा) में लगा लेती है। 24 घण्टे का एक दिन होता है, जो दिन एवं रात में विभक्त है। चूंकि एक सम्पूर्ण दिवस में पृथ्वी चक्कर पूरा करती है, जिससे दिन-रात होता है, इसलिए इस गति को दैनिक गति (Diurnal motion) भी कहते हैं।

प्रश्न 18.
अपसूर्य तथा अनुसूर्य किसे कहते हैं?
अथवा
उत्तरायण और दक्षिणायण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
अपसूर्य : जब सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 4 जुलाई को 15 करोड़ 20 लाख कि॰मी॰ की दूरी होती है। इस स्थिति को अपसूर्य कहते हैं। इसे उत्तरायण भी कहा जाता है।
अनुसूर्य : जब सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 3 जनवरी को 14 करोड़ 70 लाख कि॰मी० की दूरी होती है। इस स्थिति को अनुसूर्य कहते हैं। इसे दक्षिणायण भी कहा जाता है।

प्रश्न 19.
धुवतारा उदित और अस्त नहीं होता क्यों?
(Why the polar star does not rise and set?)
उत्तर :
धुवतारा का उदय और अस्त नहीं होना :- पृथ्वी के अपनी किली पर पथ्थिम से पूर्व घूमने के कारण सभी आकाशीय पिण्ड पूर्व से पश्चिम घूमते हुए दिखाई देते हैं, परन्तु धुवतारा सदा उत्तरी धुव पर लम्बवत् चमकता है। अतः पृथ्वी के उत्तर में स्थित इस तारे पर पृथ्वी के परिभ्रमण का प्रभाव नहीं पड़ता है। वह सदा उत्तर में एक ही दिशा में दिखाई पड़ता है और उसमें उदय और अस्त नहीं होता है।

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प्रश्न 20.
जापान को सूर्योदय का देश क्यों कहते हैं?
(Why Japan is called the land of rising sun?)
उत्तर :
पृथ्वी के अपनी घुरी पर पश्चिम सेपूर्व घूमने के कारण पूर्व के स्थानों में सूर्य पहले निकलता है। जापान पूर्वी गोलार्द्ध के सबसे पूरब में स्थित है। नयी दुनिया की खोज के पहले सूर्योदय होता है। इसी से जापान को सूर्योदय का देश (Land of rising sun) कहते हैं।

प्रश्न 21.
पृथ्वी से चन्द्रमा का सदा एक ही भाग क्यों दिखाई पड़ता है ?
उत्तर :
चन्द्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा 27 दिन और 8 घण्टे में पूरी करता है। इतने ही समय में यह अपने अक्ष पर भी एक घूर्णन करता है। यही कारण है कि हमे चन्द्रमा का सदैव एक ही भाग दिखाई देता है और दूसरा हमसे छिपा रहता है।

प्रश्न 22.
धुवों की तरफ पृथ्वी की घूर्णन गति कम क्यों होती जाती है?
उत्तर :
चूँकि पृथ्वी चपटा उपगोल (Oblate spheroid) है, अत: इसकी विषुवतीय परिधि सर्वाधिक है और यहाँ परिभ्रमण की गति सर्वाधिक तीव्र होती जाती है। विषुवत रेखा पर परिभ्रमण गति 1630 कि०मी० प्रति घण्टा है। धुवों की तरफ यह गति कम होती जाती है।

प्रश्न 23.
प्रति चौथे वर्ष, वर्ष में एक नया दिन क्यों जोड़ दिया जाता है?
उत्तर :
पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में 365 \(\frac{1}{4}\) दिन, 5 घण्टे, 48 मिनट एवं 46 सेकेण्ड का समय या 365.2422 दिन लगते हैं। परन्तु व्यवहार में 365 दिन का ही एक वर्ष माना जाता है। अतः हर वर्ष 1/4 दिन बढ़ता जाता है। इसी से बिना शताब्दी वाला हर चार वर्ष से विभाजित होने वाला वर्ष 365 दिन का न होकर 366 दिन का होता है और उस वर्ष फरवरी का महीना 28 दिन का न होकर 29 दिन का होता है।

प्रश्न 24.
कर्क संक्रान्ति और मकर संक्रान्ति में अन्तर बताओ।
(Distingulsh between June Solstice and Decemebr Solstice.)
उत्तर :

कर्क संक्रान्ति मकर संक्रान्ति
i. इस स्थिति में सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में लम्बवत् चमकता है। i. इस स्थिति में सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में लम्बवत् चमकता है।
ii. यह स्थिति 21 जून को आती है। ii. यह स्थिति 22 दिसम्बर को आती है।
iii. इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है। iii. इस समय दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु होती है।
iv. कर्क संक्रान्ति सूर्य के उत्तरायण को दर्शाता है। iv.मकर संक्रान्ति सूर्य के दक्षिणायन को दर्शाता है।

प्रश्न 25.
ॠतु क्या है?
(What is Season?)
उत्तर :
यह देखा जाता है कि साल के कुछ महीनों में दिन बड़ा होता है, इस कारण गर्मी अधिक पड़ती है। साल के कुछ महीनों में दिन छोटा होता है, अतः गर्मी कम और सर्दी अधिक पड़ती है। कभी-कभी रात और दिन बराबर होते है, इससे सर्दी एवं गर्मी दोनों बराबर पड़ते हैं। इस तरह तापमान के मुताबिक वर्ष का विभाजन किया जाता है और बँटा हुआ विभिन्न समय ऋतु (Season) कहलाता है।

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प्रश्न 26.
पृथ्वी का अक्ष और कक्ष-तल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
(Distinguish between Axis and Orbit of the earth.)
उत्तर :

अक्ष (Axis) कक्ष-तल (Orbit)
i. पृथ्वी अपने अष्ष तल पर 66 1/2° के कोण पर हुकी है। i. यह तल अण्डाकार है तथा निश्चित है।
ii. यह एक काल्पनिक रेखा है जिस पर पृथ्वी एक लद्टू की तरह घूमती है। यह केन्द्र से गुजरती हुई उत्तरी तथा दक्षिणी धुव को मिलाती है। ii. कक्ष-तल वह अण्डाकार पथ है जिस पर पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है।
iii. पृथ्वी का अक्ष सदैव एक ही दिशा में झुका रहता है। iii. इस कक्ष-तल पर पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य दूरी सदा समान नहीं रहती।

प्रश्न 27.
अण्टार्कटिक वृत्त क्या है?
(What is Antarctic Circle?)
उत्तर :
22 दिसम्बर को सूर्य की किरणें मकर रेखा (23\(\frac{1}{2}\)°S) पर लम्बवत् पड़ती है। अत: इस दिन दक्षिणी धुव वृत्त (66\(\frac{1}{2}\)° S) का सम्पूर्ण भाग सूर्य के प्रकाश में रहता है। अत: इस वृत्त के सभी स्थानो पर 24 घण्टे का दिन होता है। इस प्रकार यह हमें एक काल्पनिक वृत्त का ज्ञान कराता है जिसे अण्टार्कटिक वृत्त (Antarctic Circle) कहते हैं।

प्रश्न 28.
आर्कटिक वृत्त क्या है?
(What is Arctic Circle?)
उत्तर :
21 जून को सूर्य की किरणें विषुवत रेखा से (23\(\frac{1}{2}\)°N) अर्थात् कर्क रेखा पर लम्बवत् पड़ती है। इस विस्तार या बिन्दु से जहाँ तक सूर्य की किरणें उत्तरी धुव को पार करके पहुँच सकती है, हमें एक काल्पनिक वृत्त का ज्ञान होता है, जिसे आर्कटिक वृत्त (Arctic Circle) या 66\(\frac{1}{2}\)° उत्तरी अक्षांश रेखा कहा जाता है।

प्रश्न 29.
महाविषुव क्या है?
(What is Vernal Equinox ?)
उत्तर :
21 मार्च व 23 सितम्बर को सूर्य की किरणें भूमध्यरेखा पर लम्बवत् चमकती हैं। प्रकाश-वृत्त दोनों धुवों से होकर गुजरता है। अत: इन दोनों दिनों सभी अक्षांश रेखाओं का आधा भाग सूर्य के प्रकाश में तथा आधा भाग अन्धकार में रहता है तथा पृथ्वी के सभी भागों पर दिन-रात की लम्बाई समान (12-12 घण्टे की) होती है। प्रकाश वृत्त किसी मध्याह्न रेखा तथा उसके प्रति मध्याह्न रेखा (Anti Meridian) से होकर गुजरता है। सूर्य ठीक पूर्व में निकलता है तथा ठीक पश्चिम में डूबता है। अत: इन दोनों दिनों की ऋतुएँ सम होती हैं। 21 मार्च को उत्तरी गोलार्द्ध में बसन्त ॠतु होने से 21 मार्च की स्थिति को बसन्त विषुव (Spring Equinox) या महाविषुव (Vernal Equinox) की स्थिति कहते हैं।

प्रश्न 30.
युगल ग्रह प्रणाली क्या है?
(What is Double Planetary?)
उत्तर :
पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है जो सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। यह पृथ्वी की एक परिक्रमा 27 दिन 8 घण्टे में करता है। इसके चारों ओर वायुमण्डल नहीं है। इसी कारण यहाँ जीव नहीं मिलते। चन्द्रमा दूसरे उपग्रहों की तुलना में बहुत बड़ा है। इसी कारण विद्वान लोग चन्द्रमा को उपग्रह न मानकर ग्रह मानते हैं। पृथ्वी स्वयं एक ग्रह है। इसी कारण पृथ्वी और चन्द्रमा दोनों को मिलाकर युगल ग्रह प्रणाली कहा जाता है।

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प्रश्न 31.
बदलते आकाश से क्या समझते हो?
(What is meant by changing sky?)
उत्तर :
बदलता आकाश (Changing sky) :- रात शुरू होने के 4 मिनट पूर्व ही तारे उदय हो जाते हैं। पूर्वी आकाश में ये तारे जुड़तें (बढ़ते) जाते हैं तो पथिमी आकाश की तरफ से घटते (कम होते) जाते हैं। रात को आकाश का चित्र साल भर बदलता हुआ नजर आता है। इसी घटना को बदलता आसमान (Changing sky) कहा जाता है।

विवरणात्मक प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS

प्रश्न 1.
दैनिक गति की परिभाषा लिखिए। दैनिक गति के प्रमाण को समझाइए। (Define rotation. Explain the proofs of rotation.)
अथवा
पृथ्वी के परिभ्रमण से क्या समझते हैं? पृथ्वी के परिभ्रमण के सम्बन्ध में कम से कम तीन प्रमाण दीजिए। (What do you understand by Rotation of earth? Give at least three proofs supporting Rotation of the earth.)
उत्तर :
पृथ्वी की दैनिक गति (Rotation of the earth) :- पृथ्वी एक कल्पित रेखा (अक्ष) के चारों ओर 23 घण्टा 56 मिनट 4 सेकेण्ड में (सुविधा के लिए इसे 24 घण्टा मान लेते है) पश्चिम से पूरब की ओर पूरी तरह लद्टू की भाँति घूमती है। इसे पृथ्वी की दैनिक गति या रोजाना चाल कहते हैं।

दैनिक गति के प्रमाण (Proof of Diurnal Motion or Rotation) :-
सूर्य का पूर्व में उगना एवं पश्चिम में अस्त होना (Sunrise and Sunset) :- सूर्य, चन्द्रमा एवं अन्य तारे प्रतिदिन पूरब में उगते हैं एवं पथिम में अस्त हो जाते हैं। इससे यह मालूम पड़ता है कि ये सभी ग्रह पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते हैं या पृथ्वी 24 घण्टे में चारों ओर घूम जाती है जिससे इसका भिन्न-भिन्न भाग सूर्य तथा अन्य दूसरे तारों के सामने पड़ता है। परन्तु यह संभव नहीं है कि सूर्य जैसा बड़ा पिण्ड पूथ्वी जैसे छोटे ग्रह के चारों ओर 24 घण्टे में घूम जाए। अत: पृथ्वी ही अपनी धूरी पर चक्कर लगाती है।

सभी ग्रहों का घूमना (Rotation of all Planets) :- सभी ग्रहों को दूरबीन से देखने पर वे घूमते हुए नजर आते हैं। पृथ्वी भी एक ग्रह है, अत: यह भी अपनी धूरी पर घूमती है।

भूमध्य रेखा तथा अन्य अक्षांशों पर वस्तु-भार में अन्तर (Weight difference on different latitudes) :- भूमध्य रेखा पर वस्तु-भार अन्य अक्षांशों की अपेक्षा कम होता है। दैनिक गति में अन्य अक्षांशों की अपेक्षा भूमध्य रेखीय स्थानों की गति अधिक है। इसके कारण अपकेन्द्र बल (Centrifugal Force) में अन्तर पड़ जाता है और भार में अन्तर पड़ जाता है। इससे मालूम पड़ता है कि पृथ्वी घूमती है।

रेल यात्रा में निकट की चीजों को घूमते दिखाई देना :- चलती हुई रेलगाड़ी के बाहर देखने से बाहर की चीजें भागती नजर आती है। इससे विद्वान अनुमान लगाते है कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।

व्यापारिक वायु का दिशा बदलना (Deflection of planetary wind) :- उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में जो व्यापारिक वायु विषुवत रेखा की ओर चलती है, वह उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर की ओर से तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण की ओर से आती है। फेरल के नियमानुसार वह उत्तरी गोलार्द्ध में दाँयी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाँयी ओर मुड़ जाती है। इससे सिद्ध होता है कि पृथ्वी अपनी धूरी पर चक्कर लगाती है।

फोकाल्ट का प्रयोग :- सन् 1851 ई० में एक फ्रांसिसी विद्वान फोकाल्ट ने पेरिस में पृथ्वी की दैनिक गति को सिद्ध करने के लिए एक प्रयोग किया। उसने एक 61 मीटर लम्बे तार में एक दोलक (Pendulum) इस प्रकार लटकाया कि उसकी नोक नीचे बिछाये गये बालू के रेत को छूती रहे। जब दोलक घुमाया जाता था तो उसकी नोक से बालू पर एक रेखा खिंच जाती थी। बाद में पता चला कि दोलक के नोक से अंकित रेखाएँ भिन्न-भिन्न हैं। अगर पृथ्वी स्थिर होती तो केवल एक रेखा बनती। अतः पृथ्वी घूमती है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की गतियाँ 1

न्यूटन का प्रयोग :- प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्यूटन ने एक बार एक ऊँची मीनार के ऊपरी सिरे से एक पत्थर का टुकड़ा गिराया। पत्यर पृथ्वी पर ठीक नीचे ना गिरकर थोड़ा पूर्व की ओर हटकर गिरा। इससे भी सिद्ध होता है कि पृथ्वी में आवर्तन गति है। मीनार का ऊपरी सिरा उसके आधार की अपेक्षा केन्द्र से अधिक दूर है।

अत: सिरे पर आधार की अपेक्षा पूर्व की ओर घूमने की गति तेज है। इस प्रकार तेज गति वाले स्थान से छूटने के कारण त्थर का टुकड़ा आधार की अपेक्षा पूर्व की ओर अधिक घूमकर लक्ष्य से घूम जाता है।

बन्दूक की गोली का लक्ष्य से हटना :- बन्दूक से निशाना लगाने वालों का यह अनुभव है कि जब किसी दूर स्थित वस्तु पर लक्ष्य करके निशाना लगाया जाता है तो (उत्तरी गोलार्द्ध में) गोली लक्ष्य से हटकर कुछ दाँयी ओर लगती है। इसी से बन्दूक की गोली जब लक्ष्य तक पहुँचती है तब तक पृथ्वी के आवर्तन के कारण लक्ष्य स्थान घूमकर पूर्व की ओर खिसक जाता है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की गतियाँ

प्रश्न 2.
दैनिक गति के प्रभाव को समझाइए।
(Explain the effects of earth’s rotation.)
उत्तर :
दैनिक गति के प्रभाव (Effects of Rotation) :- दैनिक गति के निम्न प्रभाव हैं-
दिन-रात का होना :- पृथ्वी का अपना कोई प्रकाश नहीं है। यह सूर्य के प्रकाश से आलोकित है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 66 %_2 का कोण बनाते हुए 24 घण्टे में अपनी धूरी पर पथिम से पूरब एक बार घूम जाती है। इस तरह जो भाग सूर्य के सामने पड़ता है, वहाँ दिन तथा जो भाग सामने नहीं पड़ता, वहाँ रात होती है। इस तरह पृथ्वी की दैनिक गति के कारण दिन और रात होते हैं। दिन और रात वाले स्थानों को अलग करने वाली कल्पित रेखा छाया वृत्त (Circle of illumination or shadow circle) कहलाती है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की गतियाँ 2

पवन एवं धाराओं का दिशा परिवर्तन :- हवायें तथा जलधारायें अपने मार्ग से विचलित हो जाती हैं जो पृथ्वी के परिभ्रमण गति का परिणाम है। परिभ्रमण गति के कारण एक बल उत्पन्न होता है, जिसके कारण किसी वस्तु में विचलन होता है। इस बल का पता सबसे पहले करियॉलिस महोदय ने लगाया था, इसलिए इसे कोरियॉॉलिस बल (Coriolis Force) भी कहते हैं। इसी तथ्य के आधार पर अमरीकी विद्वान फेरल ने एक नियम का प्रतिपादन किया, जिसे फेरल का नियम कहते हैं। इसके अनुसार “पृथ्वी पर स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाली सभी गतिशील वस्तुएँ पृथ्वी की दैनिक गति के प्रभाव से उत्तरी-गोलार्द्ध में अपनी दाँयी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपने बाँयी ओर विक्षेपित हो जाती है।”

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काल परिवर्तन :- पृथ्वी के परिभ्रमण के समय जो भाग सबसे पहले सूर्य के सामने आता है, वहाँ प्रातःकाल होता है। जिस भाग के ठीक ऊपर सूर्य चमकता है वहाँ दोपहर और जो उस समय बिल्कुल पीछे होता है वहाँ सायंकाल होता है जबकि विपरीत दिशा में रात्रि और मध्यरात्रि होती है। सूर्योदय के ठीक पहले पूरब दिशा में और सूर्यास्त के ठीक बाद पथिम दिशा में प्रकाश हो जाता है, इसे क्रमश: उषाकाल (Dawn) और गोधूलि (Dusk) कहते हैं। इस समय ऐसा देखा जाता है कि सूर्य तो नहीं दिखाई देता पर सूर्य की किरणें आकाश में दिखाई देती है और आकाश को प्रकाशित करती है, इसे Twilight कहते हैं। पूरब की ओर पहले दिन निकलता है, क्योंकि पृथ्वी पश्चिम से पूरब की ओर घूमती है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की गतियाँ 4

ज्वार-भाटा :- समुद्र मे ज्वार-भाटा विशेषकर चन्द्रमा के आकर्षण बल से होता है। किसी स्थान पर और उसके ठीक विपरीत धरातल पर स्थित स्थान पर ज्वार-भाटा एक साथ होता है। पृथ्वी तो 24 घण्टे में सूर्य का एक चक्कर लगाती है पर चन्द्रमा पृथ्वी का एक चक्कर एक महीने में लगाता है। इसलिए पृथ्वी का हर स्थान दो बार चन्द्रमा के सामने पड़ता है, अत: 24 घण्टे में दो बार किसी स्थान पर ज्वार-भाटा आता है।

समय का निर्धारण :- पृथ्वी को अपनी धूरी पर एक चक्कर पूरा करने में प्राय: 24 घण्टे लगते हैं। 24 घण्टे की अवधि दिन-रात को प्रकट करती है। विश्ष में घड़ियाँ इसी प्रकार समय बनाती हैं। इन्हीं से समय की माप सम्भव हो सकी है।

दिशा निर्धारण :- सूर्य पूरब में उगता है। अत: पूरब दिशा का निर्धारण हो जाने से पश्चिम, दक्षिण तथा उत्तर दिशाओं का निर्धारण आसान हो जाता है।

किसी स्थान की स्थिति का निर्धारण :- किसी भी स्थान का ज्ञान अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं के सम्बन्ध से ही किया जाता है। 360° देशान्तर घूमने में पृथ्वी को 24 घण्टे लगते हैं। 1° देशान्तर पार करने में 4 मिनट का समय लगता है। यह समय पूरब से पश्चिम कम होता है तथा पशिम से पूरब बढ़ता है। यदि हमे किसी स्थान का समय मालूम हो तो हम उसका देशान्तर ज्ञात कर उस स्थान की स्थिति का पता लगा सकते हैं।

आकाशीय पिण्डों का पूर्व से पश्चिम घूमते हुए प्रतीत होना :- जिस प्रकार रेलगाड़ी में यात्रा करते समय बाहर के पेड़, पौधे, पशु, मनुष्य और पर्वत आदि विपरीत दिशा में भागते नजर आते हैं उसी प्रकार आकाश में अन्य ग्रह, उपग्रह, नक्षत्र और तारे पूरब से पश्धिम की ओर परिक्रमा करते नजर आते हैं क्योंकि पृथ्वी पथ्धिम से पूरब की ओर घूम रही है।

जीवों एवं वनस्पतियों का विकास :- पृथ्वी की परिभ्रमण गति के कारण ही वनस्पतियों एवं जीवों का विकास सभव हो पाया है। यदि पृथ्वी स्थिर होती तो सूर्य के सम्मुख वाला भाग सदैव सौर-विकिरण पाकर गर्म हो जाता तथा विपरीत स्थित भाग शीतल शुष्क मरूस्थल हो जाता। इस प्रकार जैव विविधता समाप्त हो जाती एवं जीवन के विकास के लिए आवश्यक अनुकूल दशायें उपलब्ध नहीं हो पाती।

प्रश्न 3.
परिक्रमण की परिभाषा लिखिए। परिक्रमण के प्रमाण को समझाइए।
(Define Revolution. Explain the proofs of revalution)
अथवा
पृथ्वी के वार्षिक गति के प्रभाव का वर्णन करो।
उत्तर :
वार्षिक गति या परिक्रमण (Revolution of the Earth) :- पृथ्वी अपनी धूरी पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर चक्कर भी लगाती है, जैसे एक ॠचता हुआ लट्टू अपने चारों ओर घूमता हुआ आगे भी बढ़ जाता है। पृथ्वी की इस चाल को परिक्रमण या वार्षिक गति (Revolution) कहते हैं। जिस मार्ग से पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है उसे कक्ष या ग्रह पथ (Orbit) कहते हैं। यह अण्डाकार होता है। पृथ्वी की यह परिक्रमा 365 दिन 5 घण्टे 48 मिनट और 46 सेकण्ड में समाप्त होती है। लेकिन गणना की सुविधा के लिए साल 365 दिनों का ही माना जाता है और 5 घण्टे 48 मिनट और 46 सेकण्ड का जो अधिक समय बच जाता है वह चार साल में करीब 1 दिन पूरा होता है जिससे हर चौथा वर्ष अधिवर्ष (Leap Year) होता है और यह 366 दिनों का होता है। बढ़ा हुआ 1 दिन फरवरी महीना में जोड़ा जाता है।

वार्षिक गति के प्रमाण (Proofs of Revolution) :- पृथ्वी के अपने कक्ष-पथ (Orbit) पर सूर्य की परिक्रमा करने के कुछ प्रमाण निम्न हैं-

ताराओं (Stars) का एक वर्ष के बाद फिर प्राय: उसी स्थान पर दिखाई देना :- रात के समय हम आकाश में देखते हैं कि तारे पूर्व में उदित होकर पश्चिम में अस्त हो जाते हैं। कुछ दिनों के बाद धीर-धीरे ये अदृश्य हो जाते हैं और उनके स्थान पर दूसरे तारे दिखाई देते हैं। इस तरह ये सभी तारे या नक्षत्र धीरे-धीरे अदृश्य हो जाते हैं। पर ठीक एक वर्ष के बाद फिर ये ही तारे हमें प्राय: उसी स्थान पर दिखाई देते हैं जहाँ एक वर्ष पहले थे। इस तरह हम देखते हैं कि पृथ्वी एक वर्ष में सूर्य का एक चक्कर लगाती है।

सभी ग्रहों का सूर्य की परिक्रमा करना :- शक्तिशाली दूरबीन से यह देखा गया है कि सौरमण्डल के अन्य सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। पृथ्वी भी सौरमण्डल का एक ग्रह है। अत: इसका भी सूर्य की परिक्रमा करना स्वाभाविक है।

सूर्य का उत्तरायण और दक्षिणायन होना :- 21 मार्च और 23 सितम्बर को सूर्य ठीक भू-मध्य रेखा (0°) पर लम्बवत् पड़ता है। इन दोनों तिथियों को सूर्य ठीक पूर्व में उदय होता है और ठीक पथिम में अस्त होता है। 21 मार्च के बाद यदि हम उग्ते हुए सूर्य को प्रतिदिन देखें तो हमें यह कुछ उत्तर की ओर घिसक कर उदय होता दिखाई देता है और 21 जून को यह कर्क रेखा पर अर्थात् (23 \(\frac{1}{2}\)°) या पूर्ण रूप से उत्तर की ओर उदय होता दिखाई देता है। फिर 21 जून के बाद धीरे-धीरे दक्षिण की ओर उदय होता दिखाई देने लगता है और अन्त में 23 दिसम्बर को फिर भूमध्य रेखा पर उदय होता है।

इसी समय 21 मार्च और 23 सितम्बर के बाद सूर्य प्रत्येक दिन दक्षिण की ओर घिसक कर उदय होता दिखाई देता है और दिसम्बर को मकर रेखा पर (23 \(\frac{1}{2}\)°) लम्बवत् पड़ता है। इसके बाद उत्तर की ओर घिसक कर उगते हुए 21 मार्च को फिर भूमध्य रेखा पर लम्बवत् पड़ता है। इसी समय को (23 सितम्बर से 21 मार्च के बीच) हम सूर्य को दक्षिणायन कहते हैं। सूर्य का उत्तरायण-दक्षिणायन होना पृथ्वी की वार्षिक गति का प्रमाण है।

ऋतु परिवर्तन एवं दिन रात का छोटा-बड़ा होना :- यदि पृथ्वी अपनी ही धूरी पर चक्कर काटती तो एक स्थान पर हमेशा एक ही तरह की ऋतु रहती।

गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त :- न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत (Law of Gravity) के अनुसार जो वस्तु जितना विशाल होगी, उसका गुरुत्वाकर्षण बल भी उतना ही अधिक होगा। चूँकि पृथ्वी से सूर्य 13 लाख गुना बड़ा है, अत: सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी की तुलना में अधिक होगा। इस कारण पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करेगी, सूर्य पृथ्वी का नहीं।

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प्रश्न 4.
पृथ्वी की वार्षिक गति के प्रभाव को समझाइए।
(Explain the effects of revolution or Annual motion of the earth.)
उत्तर :
वार्षिक गति का प्रभाव (Effects of Revolution) :- पृथ्वी की वार्षिक गति के निम्नलिखित प्रभाव हैं-
वर्ष का निर्माण :- पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण ही वर्ष का निर्धारण होता है। पृथ्वी परिभ्भमण करती हुई सूर्य की 365 % दिन में एक चक्कर लगा लेती है। इस चक्कर की अवधि ही एक वर्ष है। सुविधा के लिए 365 दिन को ही एक वर्ष मान लेते हैं तथा चार वर्ष बाद शेष (\(\frac{1}{4}\) × 4) को 1 दिन के रूप में फरवरी में जोड़ देते हैं। इस तरह हर चौथे वर्ष को अधिवर्ष (Leap Year) कहते हैं।

धुव वृत्तों का निर्धारण :- उत्तरी तथा दक्षिणी धुवों के पास कुछ क्षेत्रों में 24 घण्टे से अधिक दिन तथा 24 घण्टे से अधिक रात होती है। इसकी सीमा का निर्धारण 66 \(\frac{1}{2}\)° अक्षांश रेखा करती है। 66\(\frac{1}{2}\)° उत्तरी अक्षांश रेखा को उत्तरी धुर्व वृत्त तथा 66 \(\frac{1}{2}\)° दक्षिणी अक्षांश रेखा को दक्षिणी धुव वृत्त कहते हैं।

कर्क एवं मकर रेखाओं का निर्धारण :- भू-अक्ष के 23 \(\frac{1}{2}\)° युका होने के कारण भूमण्डल पर एक ऐसा क्षेत्र है जिसके विभिन्न स्थानों पर वर्ष में किसी न किसी दिन सूर्य की लम्बवत् किरणें अवश्य प्राप्त होती है। इस सीमा के बाहर सूर्य की किरणें कभी भी लम्बवत् नहीं पड़ती। 23\(\frac{1}{2}\)° उत्तरी अक्षांश रेखा सूर्य की किरणों के लम्बवत् पड़ने की उत्तरी सीमा है। इसे कर्क रेखा कहते हैं। 23\(\frac{1}{2}\)° दक्षिणी अक्षांश रेखा सूर्य की किरणों के लम्बवत् पड़ने की दक्षिणी सीमा है। इसे मकर रेखा कहते हैं। कर्क एवं मकर रेखाओं को अयन रेखायें (Tropics) कहते हैं।

धुवों पर छ: महीने का दिन एवं छ: महीने की रात :- पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण छः महीने तक उत्तरी धुव तथा छ: महीने तक दक्षिणी धुव सूर्य के सामने रहता है। सूर्य के सामने वाले धुव पर छः महीने का दिन तथा विपरीत धुव पर छ: महीने की रात होती है।

मध्याह्नकालीन सूर्य की ऊँचाई में अन्तर :- एक ही स्थान पर मध्याह्लकाल में सूर्य की किरणे कभी सीधी तथा कभी तिरछी पड़ती है। इसका मुख्य कारण पृथ्वी की वार्षिक गति है। यदि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा नहीं करती तो सूर्य की किरणें हमेशा एक ही स्थान पर समान रूप से पड़ती।

ताप कटिबन्धों का निर्धारण :- वार्षिक गति के कारण ही कर्क एवं मकर रेखा तथा धुव वृत्तों की कल्पना की गई है। इन्हीं के आधार पर ताप कटिबन्धों का निर्धरण होता है। कर्क तथा मकर रेखाओं के बीच के स्थान को उष्णकटिबन्ध (Tropical Zone) कहते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा तथा उत्तरी भुव वृत्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध मे मकर रेखा एवं दक्षिणी धुव वृत्त के बीच के भाग को समशीतोष्ण कटिबन्ध (Temperate Zone) कहते हैं। ध्रुव वृत्तो तथा धुवों के बीच के भाग को शीत कटिबन्ध (Freezed Zone) कहते हैं।

ऋतु का परिवर्तन :- पृथ्वी अपने कक्ष-तल के साथ 66 \(\frac{1}{2}\)° का कोण बनाती हुई सूर्य की परिक्रमा विभिन्न स्थितियों में करती है। पृथ्वी की ये चार स्थितियाँ हैं जिनसे ऋतुओं का जन्म होता है-
(क) 21 जून की स्थिति
(ख) 23 सितम्बर की स्थिति
(ग) 22 दिसम्बर की स्थिति
(घ) 21. मार्च की स्थिति।

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प्रश्न 5.
ॠतु परिवर्तन कैसे होता है?
(How are season rotate?)
अथवा
ॠतु परिवर्तन के क्या कारण हैं?
(What are the causes of change of seasons?)
उत्तर :
ॠतु-परिवर्तन के कारण (Causes of change of seasons) :-
पृथ्वी का परिक्रमण :- यदि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा न करती तो सूर्य से उसकी दूरी हमेशा समान रहती और उत्तरी गोलार्द्ध में सदा सूर्य की ओर झुके रहने के कारण वहाँ वर्ष भर गर्मी रहती तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में शीत ऋतु रहती। परन्तु ऐसा नहीं होता है। भू-परिक्रमण के कारण दोनों में समय-समय पर शीत तथा ग्रीष्म ऋतुएँ आती रहती है। बसन्त एवं शिशिर की स्थिति तब होती है जब दोनों गोलार्द्धों में सूर्य की सापेक्ष स्थितियाँ एक-सी होती हैं।

पृथ्वी के अक्ष का झुका होना :- पृथ्वी का अक्ष लम्बवत्स्थिति से 23\(\frac{1}{2}\)° सुका है। यह अक्षतल से 6612^0 का कोण बनाता है। अत: जो धुवीय भाग सूर्य की ओर सुका रहता है उस पर अधिक ताप प्राप्त होता है। पृथ्वी के अक्षीय डुकाव के कारण जब उत्तरी ध्रुव क्षेत्र सूर्य से प्रकाश एवं ताप प्राप्त करता है तो दक्षिणी धुव इससे वंचित रह जाता है। अतः ऋतु में भिन्नता आती है।

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सूर्य की कोणिक ऊँचाई में अन्तर :- सूर्य की लम्बवत् किरणें तिरछी किरणों की अपेक्षा अधिक गर्मी देती है। वर्ष के जिस भाग में सूर्य की कोणिक ऊँचाई अधिक होती है, उस समय वहाँ गर्मी की ऋतु तथा जिस भाग में कोणिक ऊँचाई कम होती है, उस समय जाड़े की ऋतु होती है।

पृथ्वी के अक्ष का एक ही ओर झुका रहना :- पृथ्वी का अक्ष सदा एक ही दिशा में युका रहता है। परिक्रमा काल में अक्ष की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता है। अत: कभी उत्तरी ध्रुव सूर्य के सामने रहता है तो कभी दक्षीणी ध्रुव। जो गोलार्द्ध सूर्य के सामने झुका रहता है उस गोलार्द्ध में दिन बड़ा तथा रात छोटी होती है। इसके विपरीत गोलार्द्ध में प्रतिकूल दशा रहती है।

दिन-रात की लम्बाई में अन्तर :- पृथ्वी दिन में सूर्य से जो गर्मी प्राप्त करती है रात में वही गर्मी पृथ्वी से निकलती है। वर्ष के जिस भाग में दिन और रात की लम्बाई बराबर होती है उस समय दिन में सूर्य से प्राप्त ताप से रात में मुक्त ताप बराबर रहता है। अतः उस समय न तो गर्मी और न तो जाड़े की ऋतु होती है। जिस अवधि में दिन रात से बड़ा होता है उस समय दिन में जितना ताप सूर्य से प्राप्त होता है उतना ताप पृथ्वी से मुक्त नहीं होता। अतः वहाँ गर्मी की ऋतु होती है। इसके विपरीत जिस अवधि में रात दिन से बड़ी होती है उस समय दिन में सूर्य से जितना ताप प्राप्त होंता है उससे अधिक ताप निकल जाता है जिससे वहाँ जाड़े की ऋतु होती है।

प्रश्न 6.
पृथ्वी के अक्षीय झुकाव के महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पृथ्वी के अक्ष का झकाव एवं महत्व (Inclination of the Earth’s axis and its signifi- cance) :- पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 \(\frac{1}{2}\) ° झुकी हुई है और इसी अवस्था में 24 घण्टे में पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती हुई एक चक्कर पूरा करती है। इस प्रकार पृथ्वी के अक्ष से 23 \(\frac{1}{2}\)° झुकाव के कारण स्पष्ट एव निर्धारित समययुक्त दिन और रात होता है साथ ही कर्क (23\(\frac{1}{2}\)° N) और मकर (23 \(\frac{1}{2}\)° S) रेखाओं का निर्धारण होता है। इस प्रकार पृथ्वी के अक्षीय घुकाव (23\(\frac{1}{2}\)°). के कारण ही कर्क संक्रान्ति एवं मकर संक्रान्ति जैसी घटनायें होती हैं। कर्क संक्रान्ति यानि सूर्य का 23\(\frac{1}{2}\)° \mathrm{N} पर चमकना उत्तरी गोलार्द्ध के लिए महत्वपूर्ण घटना है जो सूर्य द्वारा प्रदत्त इस गोलार्द्ध के निवासियों विशेषकर उच्च अक्षाशों (66\(\frac{1}{2}\)° W से 80° N अक्षांश) के लिए वरदान है।

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प्रश्न 7.
पृथ्वी पर दिन-रात छोटे बड़े क्यों होते हैं?
उत्तर :
दिन-रात का छोटा-बड़ा होना :- आप जानते हैं कि वर्ष भर रात-दिन की लम्बाई समान नहीं होती। जिस अक्षांश रेखा का जितना ही अधिक भाग सूर्य के प्रकाश में रहता है, वहाँ उतना ही बड़ा दिन होता है। प्रकाश वृत्त भूमध्य रेखा को वर्ष भर दो समान भागों में बाँटता है। अतः वर्ष भर इस रेखा का आधा भाग सूर्य के प्रकाश में तथा आधा भाग अन्धकार में रहता है। अतः भूमध्य रेखा पर वर्ष भर दिन और रात की लम्बाई बराबर होती है। इसी से भूमध्य रेखा को विषुव रेखा (Line of Equinox) भी कहते हैं। परन्तु अन्य अक्षांशों पर रात-दिन की लम्बाई वर्ष भर समान नहीं होती। इसके निम्नलिखित कारण हैं-

पृथ्वी के अक्ष का कक्ष-तल पर झुका होना :- यदि पृथ्वी अपनी धुरी पर सीधी खड़ी होती तो प्रकाश वृत्त (Circle of illumination) वर्ष भर दोनों धुवों से होकर गुजरता तथा सभी अक्षांश रेखाओं को दो बराबर भागों में बाँटता। सभी अक्षांश रेखाओं का आधा भाग सूर्य के प्रकाश में तथा आधा भाग अन्धकार में रहता और सर्वन्र वर्ष भर रातदिन की लम्बाई बराबर होती। परन्तु पृथ्वी की अक्ष रेखा अपने कक्षतल पर 90° के स्थान पर 66\(\frac{1}{2}\)° का कोण बनाती है या अक्ष रेखा लम्ब रूप से 23 \(\frac{1}{2}\)° टुकी हुई रहती है। अत: भूमध्य रेखा के अतिरिक्त उत्तरी तथा दक्षिणी दोनों गोलार्द्धों के अन्य किसी भी अक्षांश रेखा को प्रकाश वृत्त दो समान भागों में नहीं बाँटता। फलस्वरूप भूमध्य रेखा के अतिरिक्त शेष सभी भागों में दिन-रात की लम्बाई में अन्तर होता रहता है।

पृथ्वी की वार्षिक गति :- यदि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा न करती होती तो सर्वदा पृथ्वी के एक गोलार्द्ध में दिन बड़े तथा राते छोटी होती और दूसरे गोलार्द्ध में दिन छोटे तथा रातें बड़ी होती। परन्तु पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध बारी-बारी से सूर्य के सामने आते रहते है जिससे वर्ष के विभिन्न भागों में रात-दिन की लम्बाई में परिवर्तन होता रहता है।

पृथ्वी के अक्ष का सदा एक ही ओर झुका रहना :- सूर्य की परिक्रमा करते समय वर्ष भर पृथ्वी की अक्ष रेखा अपने कक्ष-तल पर सदा एक ही ओर हुकी रहती है। इस कारण कभी उत्तरी धुव तथा कभी दक्षिणी धुव सूर्य की ओर झुक जाता है। जब उत्तरी धुव सूर्य की ओर झुक जाता है, तो उत्तरी गोलार्द्ध की अक्षांश रेखाओं का आधे से अधिक भाग सूर्य के प्रकाश में आ जाता है जिससे वहाँ दिन बड़े तथा राते छोटी होती हैं। इसके विपरीत जब सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में लम्बवत् चमकता है तो दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन बड़े तथा रात छोटे होने लगते हैं।

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प्रश्न 8.
पृथ्वी की दैनिक और वार्षिक गति में क्या अन्तर है?
उत्तर :
दैनिक गति एवं वार्षिक गति में अन्तर (Difference between Rotation and Revolution):-

दैनिक गति (परिभ्रमण) [Rotation] वार्षिक गति (परिक्रमण) [Revolution]
1. दैनिक गति में पृथ्वी अपने अक्ष (Axis) पर पश्चिम से पूरब घूमती है। 1. वार्षिक गति में पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है।
2. इस गति में पृथ्वी को 24 घण्टे का समय लगता है। 2. इस गति में पृथ्वी को 365 दिन का समय लगता है।
3. दैनिक गति के कारण रात-दिन होते हैं। 3. इस गति के कारण रात-दिन की अवधि में अन्तर आता है
4. इस गति के कारण काल परिवर्तन होता है। 4. इस गति के कारण ऋतुपरिवर्तन की अवधि में अन्तर आता है
5. इसमें पृथ्वी की गति अपेक्षाकृत मन्द 1630 km / hr. होती है। 5. इसमें पृथ्वी की गति अत्यधिक तीव्र 30  km / s होती है

प्रश्न 9.
पृथ्वी पर दिन-रात कैसे होते हैं? वर्णन करो।
अथवा
एक प्रयोग द्वारा पृथ्वी पर दिन-रात के होने का प्रमाण दो।
अथवा
सुर्योदय और सुर्यास्त कैसे होता है? प्रयोग द्वारा सिद्ध करो।
उत्तर :
सूर्योदय तथा सूर्यास्त (Sunrise and Sunset) :- आइये प्रयोग द्वारा यह समझने का प्रयल करें कि किसी स्थान पर सूर्य कैसे उदय तथा अस्त होता है। एक गोलक लें और मान ले कि यह पृथ्वी है। किसी स्थान ‘अ’ को प्रदर्शित करने के लिए गोलक पर एक बिन्दु अंकित करें।

अब किसी अंधेरे कमरे में एक जलती हुई बत्ती के सामने गालक को इस प्रकार रखें कि ‘अ’ स्थान अंधेरे में रहे। यह जलती हुई बत्ती सूर्य को प्रदर्शित करती है। अब गोलक को बायें से दायें धीरे-धीर घुमायें। ‘अ’ स्थान धीरे- धीरे सूर्य (बत्ती) की और घूमता है और कुछ समय बाद धुँघले से प्रकाश में आता है। इसका अर्थ यह हुआ कि वहाँ ऊषाकाल (सूर्योदय से पहले का समय) हो रहा है। गोलक को थोड़ा और आगे घुमाने पर सूर्य की प्रथम किरणे ‘अ’ स्थान पर पड़ने लगेंगी और वहाँ सूर्योदय का समय होगा। सूर्योदय के समय सूर्य की किरणे धरातल पर तिरछी पड़ती है।

जैसे-जैसे गोलक घूमता है सूर्य आकाश में चढ़ता हुआ प्रतीत होता है और फिर सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ने लगती है। इस समय ‘अ’ बिन्दु पर मध्याह्न होता है। इसके बाद यह बिन्दु जैसे-जैसे सूर्य से दूर होती है त्यों-त्यों सूर्य आकाश में उतरता प्रतीत होता है। सूर्यास्त के बाद सूर्य क्षितिज के नीचे चला जाता है। उस समय वहां आधी रात होती है। इस तरह पृथ्वी के विभिन्न भागों में सूर्य पूर्व में उदय होकर पश्चिम में अस्त होता है। फलस्वरूप पृथ्वो पर सूर्योदय, दोपहर तथा रात होती है। इसे सूर्य की आपात दैनिक गति कहते हैं।

प्रश्न 10.
ग्रहीय हवाओं अथवा स्थायी पवनों के विचलन का वर्णन करो।
उत्तर :
भूमण्डलीय अथवा स्थायी पवनों का विचलन (Deflection of planetary winds) :- पृथ्वी के उपर जो भी प्रवाहमान वस्तुएँ (हवाएँ एवं धाराएँ) हैं वह प्रथ्वी के घूर्णन के कारण सीधी न चलकर विचलित हो जाया करती है।

इस विचलन का पता सर्वप्रथम सन् 1835 ई० में जी०जी०डी० कोरियोलिस ने लगाया था। अत: उन्हीं के नाम पर इस बल को कोरियोलिस बल (Coriolis Force) कहा गया। उनके इस सिद्धान्त को और आगे बढ़ाते हुए 1855 ई० मे विलियम फेरल ने वायु के विचलन सम्बन्वी एक स्पष्ट नियम बनाया जिसे उन्हीं के नाम पर फेरल का नियम (Ferrel’s Law) कहते हैं।

इस नियम के अनुसार धरातल पर स्वतंत्र रूप से चलनेवाली सभी गतिशील वस्तुएँ जैसे हवाएँ एव धाराएँ पृथ्वी की दैनिक गति के प्रभाव से उत्तरी गोलार्द्ध में अपने से दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपने से बायों ओर मुड़ जाती हैं। फेरल के नियम के आधार पर हॉलैण्ड के बाइजबैलेट ने यह नियम निकाला- ‘यदि हम उत्तरी गोलार्द्ध में आती हुई पवन की ओर पीठ करके खड़े हो जायें तो हमारे दाहिनी ओर उच्च वायुदाब तथा बाई ओर निम्न वायु दाब होगा। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में हमारी दाहिनी ओर निम्न वायुदाब तथा बाई ओर उच्च वायुदाब होगा।”

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प्रश्न 11.
अपसौर और उपसौर क्या हैं ?
(What are Aphelion and Perihelion?)
उत्तर :
अपसौर या उत्तरायण रविउच्च (Aphelion) :- सूर्य एवं पृथ्वी के बीच औसत दूरी 149.6 लाख कि०मी० है। परन्तु पृथ्वी अण्डाकार मार्ग पर सूर्य की परिक्रमा करती है जिसके कारण सूर्य से पृथ्वी की अधिकतम दूरी 15.20 करोड़ कि॰मी॰ होती है। यह स्थिति 4 जुलाई को होती है। इसे अपसौर (Aphelion) कहते हैं। अतः वह स्थिति जब पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर अवस्थित होता है, अपसौर या रविउच्च या उत्तरायण कहते हैं। Aphelion दो शब्दों Ap (Away From) एवं Helion (सुर्य) से मिलकर बना है जिसका तात्पर्य सूर्य से दूरस्थ स्थिति है।

उपसौर या अनुसूर्य या दक्षिणायन रविनिच्च (Perihelion) :- चूँकि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा अण्डाकार पथ पर चलते हुए करती है जिससे केन्द्र में सूर्य नहीं रह पाता वरन थोड़ा हटकर अवस्थित रहता है। इससे पृथ्वी सूर्य के समान दूरी पर नहीं रहती है। जब पूथ्वी एवं सूर्य के बीच की दूरी सबसे कम 14 करोड़ 70 लाख कि॰मी० होती है तब यह स्थिति उपसौर या अनुसूर्य या दक्षिणायन (Perihelion) कहलाती है। यह स्थिति 3 जनवरी को होती है। Perihelion दो शब्दों Peri (near निकट) और helion (सूर्य) से मिलकर बना है जिसका तात्पर्य है सूर्य से समीपस्थ स्थिति।

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