Detailed explanations in West Bengal Board Class 8 History Book Solutions Chapter 2 प्रादेशिक शक्तियों का उत्थान offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 8 History Chapter 2 Question Answer – प्रादेशिक शक्तियों का उत्थान
संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARK
प्रश्न 1.
फर्रूखशियर के फरमान का क्या महत्त्व था?
उत्तर :
फर्रूखशियर के फरमान का निम्नलिखित महत्त्व था।
- ब्रिटिश कम्पनी मात्र तीन हजार रुपयों के विनिमय में व्यापार कर पायेगी।
- उसके लिये कम्पनी को कोई शुल्क भी नहीं देना होगा।
- कम्पनी के चीजों के चोरी होने पर नवाब चोर को दण्ड देंगे एवं कम्पनी की क्षतिपूर्ति करेंगे।
- कम्पनी के जहाज पर अनुमति पत्र रहने पर वह जहाज बेरोक-टोक व्यापार कर पायेगा।
प्रश्न 2.
किसने, किस प्रकार और कब हैदराबाद में शासन की प्रतिष्ठा की थी?
उत्तर :
मीर कमानउद्दीन सिद्दिकी समाट मुहम्मद शाह से आसफ झा की उपाधि पायी थी। आसफ झा ने 1723 ई० में मुबारिज खान को हटा दिया और इसके बाद वाले वर्ष स्वयं दक्षिणोत्तर सूबेदार होकर हैदराबाद में अपना अधिपत्य स्थापित किया। क्रम से स्थायी भाव से हैदराबाद में रहकर प्रशासन करने लगे निजाम। 1740 से ही निजाम के शासन में स्वाधीन हैदराबाद राज्य प्रकाश में आया।
प्रश्न 3.
प्लासी का लूट किसे कहते हैं?
उत्तर :
अंग्रेजों ने कोलकाता पर आक्रमण करने के बदले सिराज से एक करोड़ ग्यारह लाख रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में लिए। कम्पनी के उच्च अधिकारियों ने पर्याप्त धन कमाया। ब्रिटिश कम्पनी ने प्राय: 3 करोड़ रुपये मीरजाफर से लिए थे। इसी धन लूट को प्लासी का लूट कहा जाता है ।
प्रश्न 4.
द्वैत शासन व्यवस्था से क्या समझते हो?
उत्तर :
वास्तव में बंगाल में दो शासक बने थे। एक ओर राजनैतिक एवं दीवानी का दायित्व था, बंगाल के हाथों में और दूसरी ओर आर्थिक कर्त्तव्य एवं राजस्व वसूली का अधिकार ब्रिटिश शासक को र्थ। नवाब के हाथों में आर्थिक क्षमताहीन राजनैतिक दायित्व था। ब्रिटिश कम्पनी को दायित्वहीन अर्थनैतिक क्षमता दिया गया। बंगाल की इस शासन व्यवस्था को द्वैत शासन व्यवस्था (Dual system of administration) कहा जाता है।
प्रश्न 5.
ब्रिटिश रेसिडेन्सों का क्या काम था?
उत्तर :
(i) इनके माध्यम से पूरे भारत की कम्पनी का विस्तार हुआ था।
(ii) कम्पनी की नजर बचाकर स्वाधीन भाव से कार्य करने की क्षमता भारतीय राजाओं में प्राय: नहीं थी। उनके राज्य की परिचालना स्थानीय ब्रिटिश रेसिडेन्स करते थे।
प्रश्न 6.
मुगल साम्राज्य किस प्रकार ध्वस्त हुआ?
उत्तर :
औरंगजेब की मृत्यु 1707 ई० में हुई और प्लासी युद्ध के मध्य में भारतीय उपमहादेश में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी का उत्थान हुआ। औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साप्राज्य ध्वस्त होता चला गया और बाकी मुगल राजाओं में योग्यता की कमी के कारण मुगल साम्राज्य ज्यादा दिनों तक चल नहीं सका।
प्रश्न 7.
मुर्शिदकूली खान के शासन काल में बंगाल में क्या-क्या हुआ?
उत्तर :
बंगाल के लिए औरंगबेज ने मुर्शिदकूली खान को दीवान बनाकर भेजा, साथ ही साथ उसे नाजिम की उपाधि से नियुक्त कर दिया गया जिसके कारण उसकी कार्य करने की क्षमता बढ़ गई। मुर्शिदकूली खान के बल पर जमींदार श्रेणी का उदय हुआ। उसने अपनी सूझबूझ से अपना कार्य किया। बंगाल में व्यापार नीति और राजनैतिक नीति दोनों ठीक किया जिसके कारण बंगाल और ज्यादा आगे बढ़ा।
प्रश्न 8.
जगत सेठ का प्रभाव बंगाल में किस प्रकार फैला?
उत्तर :
जगत सेठ का बंगाल के मुर्शिदाबाद में अच्छा खासा प्रभाव था। वे लोग बंगाल के सूबे और कोषागार का परोक्ष रूप से नियंत्रण करते थे। वे राजाओं के मुख्य व्यक्तियों में गिने जाते थे। जगत सेठ किसी एक व्यक्ति का नाम नहीं। यह वश दर वश चलती गई और उन्हें वणिक के नाम से जाना गया। धीरे-धीरे उन सब का प्रभाव पूरे बंगाल में बढ़ता चला गया। पहला प्रभाव मुर्शिदाबाद में देखा गया था।
प्रश्न 9.
दिल्ली के मुगल सम्राट ने क्या आदेश (फरमान) जारी किया था?
उत्तर :
दिल्ली के मुगल सम्राट ने 1717 ई० में यह आदेश जारी किया कि ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी को कई प्रकार के विशेष वाणिज्यिक सुविधा मिलें। जैसा कि मात्र तीन हजार रुपये में वह व्यापार कर पायेगी और उन्हें कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ेगा। कम्पनी कलकत्ता के आसपास 38 गाँव को खरीद सकेगी और किसी की चोरी होने पर उसका हर्जाना नवाबों को देना पड़ेगा।
प्रश्न 10.
अन्धकूप हत्या क्या है?
उत्तर :
इस हत्या का प्रचार हालवेल के द्वारा किया गया। उसने बताया कि ब्रिटिश के 146 नर-नारियों को एक छोटे से अंधकारमय कमरे में बन्दी बना कर रखा था। अंधेरा एवं त्रासदी के कारण कई लोग मारे गए। कमरे में अंधकार होने के कारण यहाँ हुई हत्या “अन्धकूप हत्या” कहलायी।
प्रश्न 11.
मीर कासिम और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच विवाद किस प्रकार शुरू हुई?
उत्तर :
1760 ई० में मीर जाफर को हटाकर उनके दामाद मीर कासिम को नवाब बनाया गया। मीर कासिम ने कम्पनी को प्राय: 29 लाख की सम्पदा दी थी। साथ ही साथ बर्द्धवान, मेदिनीपुर और चटग्राम की जमींदारी उन्हें दी गई थी। कम्पनी मीर कासिम को अपने वश में करना चाहती थी। मीर कासिम ने मुंगेर को राजधानी बनाया। साथ ही साथ पुरानी सेना को हटा कर नई सेना का गठन किया। कानून विरोधी व्यापार के कारण बंगाल में आर्थिक संकट खड़ा हो गया और इसके साथ ही मीर कासिम और ईस्ट इण्डिया कम्पनी के बीच विवाद बढ़ता चला गया।
प्रश्न 12.
रेसिडेन्स से क्या समझते हो?
उत्तर :
यह एक नई तरह की सुरक्षा व्यवस्था थी जो की व्यापारियों को प्राप्त होती थी। विभिन्न राजदरबारों में उनके प्रतिनिधि रहते थे। उन्हें ही रेसिडेन्स कहा जाता था।
प्रश्न 13.
भारतीय राज्य शक्तियों के लड़ने का कारण क्या था और इसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर :
18 वीं सदी में भारतीय राज्य शक्तियाँ आपस में लड़ा करती थीं। उसका एकमात्र कारण सब अपने राज्यों का विस्तार चाहते थे। इस कारण वे सब आपस में लड़ा करते थे। वे सब ब्रिटिश कम्पनी को एक ताकत के रूप में देखते थे। यही कारण है कि उन्होंने अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए कम्पनी से हाथ मिला लिया।
इसी के बल पर कम्पनी धीरे-धीरे अपने स्वार्थ को पूरा करती गई। वह मजबूत होती गई। अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ाया और शक्तियों को छिन्न-भिन्न कर दिया।
प्रश्न 14.
सिराजुद्दौला के पराजय का कारण क्या था?
उत्तर :
सिराजुद्दोला और ब्रिटिश कम्पनी के साथ विवाद साफ नजर आ रहा था और यह विवाद युद्ध के रूप में उपस्थित हो गया। प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला अंग्रेजों से हार गया। उसके सेनापति ने इस युद्ध में सही भूमिका नहीं निभाई। इसी कारण वह हार गए।
प्रश्न 15.
लार्ड कार्नवालिस की नीति क्या थी ?
उत्तर :
लार्ड कार्नवालिस के समय रेसिडेन्स संयमित न होकर आगे बढ़ने की नीति को लेकर चले। उसके समय भारत में रेसिडेन्स की व्यवस्था थम सी गयी थी।
प्रश्न 16.
76 के मन्वन्तर से क्या समझते हो?
उत्तर :
ब्रिटिश कम्पनी का एक मात्र लक्ष्य था अधिक से अधिक राजस्व। इसी कारण इस काल को 76 का मन्वन्तर कहा जाता है।
प्रश्न 17.
मुर्शिदकूली खान के बारे में बताओ।
उत्तर :
मुर्शिदकूली खान एक योग्य व्यक्ति था। इसी कारण उन्हें सन् 1717 ई० में बंगाल के नाजिम पद पर नियुक्त किया गया था। उन्होंने आर्थिक प्रणाली को ठीक करने के लिए हर तरह के कदम उठाय थे- जैसे हिन्दुस्तानी व्यापारी से धन लेकर अपनी दस्तखत की गई पर्ची उन्हें दे देते थे। इस पर्ची के द्वारा जब देशी व्यापारी अपने माल को अंग्रेजों का माल बताकर राज्य की हानि करने लगे। तब मुर्शिदकूली खान ने अंग्रेजों को भी पर्ची देने का आदेश दिया।
प्रश्न 18.
बंगाल के नवाब एवं कम्पनी के बीच विरोध का सूत्रपात्र क्यों हुआ ?
उत्तर :
बंगाल में केवल ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी को ही व्यापार में रियायत थी। लेकिन कर्मचारी भी अपने व्यक्तिगत व्यापार करने के लिए नवाब को धोखा देने लगे। इसी कारण मुर्शिदकूली और कम्पनी के बीच सम्बंध बिगड़ते चले गए। उधर दूसरी तरफ नवाब के कर्मचारी ब्रिटिश व्यापारियों से रुपये ऐठते थे। इसी सब के कारण बंगाल के नवाब और कम्पनी के बीच विरोध का सूत्रपात वहीं से शुरू हुआ।
प्रश्न 19.
व्यापारी का मानदंड ‘राजदंड’ में बदल गया कहने का क्या अर्थ है?
उत्तर :
ईस्ट इण्डिया कम्पनी धीरे-धीरे एक प्रमुख शक्ति बन गई। यह देखने को मिला सन् 1757 ई० से लेकर 1758 ई० तक और उसके बाद ब्रिटिश साम्राज्य-विस्तार की नींव तैयार हो गई। सब जगह कम्पनी का बोलबाला था। इसी तरह व्यापारी नीति में भी बदलाव आता रहा। व्यापारी नीति के मानदंड ‘राजदंड’ में बदल गए।
प्रश्न 20.
हेस्टिंग्स ने आकर अकाल की खोज में क्या देखा?
उत्तर :
हेस्टिंग्स तब आए जब अकाल ने पूरी मनुष्य जाति को अपने में समेट लिया था। लोग त्राहि-त्राहि कर रहे थे। लेकिन कम्पनी अपना कार्य कर रही थी। कर-संग्रह में जरा भी कोताही नहीं बरती जा रही थी। साथ ही साथ बहुत से किसान अकाल की भेंट चढ़ गए। इस पर भी राजस्व संग्रह का काम चालू रहा। कम्पनी अपना कार्य करती रही और अकाल से पीड़ित मनुष्य रोज मरते ही जा रहे थे।
विस्तृत उत्तर वालें प्रश्न : 5 MARK
प्रश्न 1.
अठारहवीं शताब्दी में भारत के प्रमुख प्रादेशिक शक्तियों के उत्थान के पीछे मुगल सम्राटों की व्यक्तिगत अयोग्यता ही क्या उत्तरदायी थी? तर्क पूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर :
1707 ई० में मुगल सम्राट औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल शक्ति का बहुत शीघ पतन होने लगा। फलस्वरूप मुगल साम्माज्य ध्वंस हो गया। मुगल राजाओं की अयोग्यता, उनकी अकुशल शासन व्यवस्था को ही अनेक विद्वानों ने इस प्रतन का कारण माना है।
सम्राट जहाँगीर और शाहजहाँ के समय से ही मुगल शासन में छोटी-बड़ी समस्याएँ दिखलाई देने लगी थी। औरंगजेब के उत्तराधिकारी उन समस्याओं का निदान नहीं कर पाये। उनकी कमजोरी के कारण उन समस्याओं ने और भी भयंकर रूप धारण कर लिया था। मुगल शासकों ने 18 वी सदी में सामरिक-सुधार नहीं किया। अत: आंतरिक विद्रोह हो या बाहरी, मुगल सेना उसका सामना करने में असमर्थ थी। शिवाजी और मराठों के आक्रमण ने मुगल शासन को झकझोर डाला था। दूसरी ओर नादिरशाह के नेतृत्व में पारसी आक्रमणों (1738-39 ई०) तथा अहमद शाह अब्दाली के नेतृत्व में अफगानों के आक्रमण (1757-65) ने दिल्ली को ध्वंस कर डाला था।
जागीरदारी तथा मनसबदारी व्यवस्था के संकट ने मुगल शासन की आधारशिला तोड़ डाली थी। फलस्वरूप अर्थनीति पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा था।
18 वीं सदी में हैदरअली और टीपू सुल्तान के नेतृत्व्व में महीसुर राज्य दक्षिण भारत की अन्यतम प्रधान शक्ति हो उठे थे। महीसुर में सेनावाहिनी यूरोपीय ढंग से गढ़ी गई थी। महीसुर के आंचलिक विस्तार और आर्थिक नीति के तहत अर्थ जमाने के लिए टीपू और हैदर के साथ कई राजाओं का संघर्ष हुआ था। इस द्वन्द्व में अंग्रेज अपनी टांग अड़ाने की चेष्टा करते थे। अत: अपने वाणिज्यिक लाभ के लिए ब्रिटिश ने राजनैतिक युद्ध किया। 1768 से 1799 ई० के बीच में महीसुर और कम्पनी के बीच युद्ध हुआ।
उसे अंग्रेज महीसुर युद्ध कहा जाता है। 1799 ई० में चतुर्थ अंग्रेज-महीसुर युद्ध के माध्यम से वेलेजलि ने महीसुर पर चढ़ाई की। राजधानी श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए टीपू सुल्तान मारे गए। अधीनतामूलक मित्रता की नीति के कारण महीसुर के सारे राजनैतिक अधिकार छिन लिए गए। महीसुर के अंचलों पर कम्पनी का शासन स्थापित हो गया। कम्पनी की सेना महीसुर में नियुक्त की गई। हैदराबाद को महीसुर के कुछ अंश दे दिए गए।
इन सब कारणों से मुगल शासक कमजोर पड़ गये थे। उनकी कमजोरी का लाभ उठा कर प्रादेशिक शक्तियाँ एकाएक सर उठाने लगी थीं।
प्रश्न 2.
प्लासी और बक्सर के युद्ध में से भारत पर ब्रिटिश शक्ति की दृष्टि से कौन अधिक महत्त्वपूर्ण हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
ब्रिटिश सरकार अपना शासन विस्तार कर रही थी। प्लासी के युद्ध में उसे अधिक फायदा नहीं पहुँचा किन्तु इस युद्ध से बंगाल के नवाबों का अंत हो गया और पूरा बंगाल ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। वहीं बक्सर के युद्ध का एक विशेष महत्व है। इसी युद्ध में भारत की तीन महा शक्तियाँ हार गई थी। इस हार के कारण ब्रिटिश की ताकत और बढ़ी। प्लासी का युद्ध हुआ लेकिन यह युद्ध छल से जीता गया किन्तु बक्सर के युद्ध में यह देखा गया कि ब्रिटिश शक्ति सबसे ज्यादा ताकतवर है।
बक्सर युद्ध के बाद ब्रिटिश अपना अधिकार पूरे भारत पर करता गया क्योंकि उसे अब कोई रोकने वाला नहीं था। इधर मुगल सम्माट के हार जाने पर उसे बंगाल, बिहार और ओड़िसा की दीवानी देनी पड़ी।
इसी कारण ब्रिटिश कम्पनी की ताकत और बढ़ गई साथ ही साथ वे राजनीतिक और आर्थिक बातों पर दखल देने लगे। प्लासी का युद्ध बक्सर के युद्ध से पहले हुआ था। अनेक इतिहासकार मानते हैं कि प्लासी का युद्ध तोपों की लड़ाई वाला युद्ध था। परन्तु यह युद्ध ब्रिटिश शासनकाल के शुरू में होने वाला युद्ध था। यह युद्ध उन्हें अधिक फायदा नहीं भी दिया हो परन्तु इसी युद्ध के बाद बिटिश कम्पनी ने अपने विस्तार पर पूरा जोर दिया।
इसी युद्ध के बाद बंगाल धीरे-धीरे ब्रिटिश के अधीन हो गया। इससे उसे काफी बल मिला और उसने आगे की रणनीति के बारे में सोचा।
प्लासी युद्ध ब्रिटिश के लिए विस्तार नीति वाला था और बक्सर का युद्ध अंतिम निर्णय लेने वाला था। यह कह सकते हैं कि प्लासी का युद्ध ब्रिटिश को हौसला प्रदान किया और अंतिम युद्ध बक्सर उसे अपनी मंजिल के नजदीक पहुँचा दिया।
प्रश्न 3.
मीर कासिम के साथ ब्रिटिश कम्पनी के विरोध के क्षेत्र में व्यापारियों के व्यक्तिगत व्यवसाय की क्या भूमिका थी?बंगाल में द्वैत-शासन व्यवस्था का क्या प्रभाव पड़ा था?
उत्तर :
मीर कासिम के नवाब पद के विनिमय में ईस्ट इंडिया कम्पनी को प्राय: 29 लाख की संपदा दी गई थी। इसके सिवाय बर्द्धवान, मेदिनीपुर और चट्टग्राम की जमींदारी के अधिकार भी उन्हें दिए गए थे। फलस्वरूप कम्पनी ने मीर कासिम को पूर्णता: अपने वश में कर लिया था। लेकिन उनकी यह धारणा गलत निकली। मीर कासिम ने मुर्शिदाबाद के बदले मुंगेर को बंगाल की राजधानी बनाया। साथ ही नवाब की पुरानी सेना को हटा कर नई सेना का गठन किया था। यहाँ तक कि उन्होंने जगत सेठ से भी दूरी बनाए रखी थी। प्रारंभ में मीर कासिम के इन कार्यो को महत्त्व नहीं दिया गया। कालांतर में ब्रिटिश कम्पनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत प्रयास से मीर कासिम और कम्पनी में विवाद शुरू हुआ।
कम्पनी के व्यापारियों के कानून विरोधी व्यापार के कारण बंगाल में आर्थिक समस्या उठ खड़ी हुई थी। कम्पनी को शुल्क देने से राजकीय-कोष खाली पड़ गया था। दूसरी ओर देशी व्यापारी शुल्क देने को बाध्य होकर उस प्रतियोगिता में फंस गये थे। इसके सिवाय दूसरे व्यापारी, व्यापारी-वर्ग भी कम्पनी की क्षमता की दुरूपयोग की शिकायत नवाब से कर रहे थे। अन्त में नवाब ने देशी व्यापारियों पर से भी शुल्क उठा दिया। इससे देशी व्यापारी प्रतियोगिता से तो बच गए, लेकिन कोष अर्थसंकट के मुख में आ पड़ा था।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा एक विदेशी व्यापारी कम्पनी के हाथों में पहली बार दीवानी सौपीं गई। क्रमशः देखा गया कि व्यापार में लगाने के लिए जो मूलधन ब्रिटेन से लेकर आयें थे, उसका परिमाण घटता जा रहा था। बंगाल के राजस्व से ही कम्पनी का व्यापार चलता रहा। वस्तुत: 1757 से 1758 के बीच बंगाल में ईस्ट इंडिया कम्पनी एक प्रमुख शक्ति बन गई। इसके फलस्वरूप भारतीय उपमहादेश में ब्रिटिश साम्राज्य-विस्तार की नींव तैयार हुई। ‘व्यापारी के मानदंड’ ‘राजदंड’ में बदल गया था।
1765 ई० से 1772 ई० तक बंगाल में द्वैत शासन चला। इस ब्रिटिश कम्पनियों का एक मात्र लक्ष्य था अधिक से अधिक राज़स्व या कर वसूल करना। इस कारण 1770 ई० में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा।
1768 ई० के प्रारंभ में कृषकों का दल आशा और उषा के साथ गीत गाते-गाते खेतों में हल चलाने निकल पड़े थे। उनकी आशा उपयुक्त वर्षा के अभाव में, खेत की सिंचाई नहीं होने के कारण निराशा में बदल गई।
1770 ई० के आरंभ होते ही चारों ओर अकाल की चिता धू धू कर जल उठी। अन्न के अभाव के साथ महामारी ने मिलकर ग्राम, नगर सबका सर्वनाश करना शुरू किया।
प्रश्न 4.
भारत में कम्पनी के आधिपत्य विस्तार के क्षेत्र में अधीनतामूलक मित्रता के नीति से लेकर स्वत्व विलोप नीति के बदलाव की व्याख्या किस प्रकार करेंगे?
उत्तर :
भारत में कम्पनी के राज्य विस्तार की प्रक्रिया में अधीनतामूलक मित्रता और स्वत्व विलोप नीति की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। विभिन्न प्रादेशिक शक्तियाँ कभी पराजित होकर और कभी अपनी इच्छा से इन दो नीतियों का ग्रास बन गई थी। एक ओर हैदराबाद के निजाम ने स्वेच्छा से अधीनतामूलक मित्रता की नीति को मान लिया था। वहीं दूसरी ओर महीसुर (मैसूर) के शासक टीपू सुल्तान ने इस नीति का विरोध युद्ध से किया। 18 वीं सदी में भारतीय राज्य शक्तियाँ परस्पर लड़ा करती थी। प्रत्येक अपने राज्य का विस्तार और संपत्ति को बढ़ाना चाहते थे। अत: आपस में द्वन्द्व तो होना ही था। ये राजशक्तियाँ ब्रिटिश कम्पनी को एक नई राजनैतिक शक्ति के रूप में देखती थी।
18 वीं सदी में हैदरअली और टीपू सुल्तान के नेतृत्त्व में महीसुर राज्य दक्षिण भारत की अन्यतम प्रधान शक्ति हो उठे थे। महीसुर में सेनावाहिनी यूरोपीय ढंग से गढ़ी गई थी। महीसुर के आंचलिक विस्तार और आर्थिक नीति के तहत अर्थ जमाने के लिए टीपू और हैदर के साथ कई राजाओं का संघर्ष हुआ था। इस द्वन्द्व में अंग्रेज अपनी टांग अड़ाने की चेष्ट करते थे। अत: अपने वाणिज्यिक लाभ के लिए ब्रिटिश ने राजनैतिक युद्ध किया।
1768 से 1799 ई० के बीच में महीसुर और कम्पनी के बीच युद्ध हुआ। उसे अंग्रेज महीसुर युद्ध कहा जाता है। 1799 ई० में चतुर्थ अंग्रेज-महीसुर युद्ध के माध्यम से वेलेजलि ने महीसुर पर चढ़ाई की। राजधानी श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए टीपू सुल्तान मारे गए। अधीनतामूलक मित्रता की नीति के कारण महीसुर के सारे राजनैतिक अधिकार छीन लिए गए। महीसुर की अंचलों पर कम्पनी का शासन स्थापित हो गया। कम्पनी की सेना महीसुर में नियुक्त की गई। हैदराबाद को महीसुर के कुछ अंश दे दिए गए।
पेशवा पद के लिए मराठों का अन्तः संघर्ष चलता ही रहा। इसका लाभ उठाकर वेलेजलि ने मराठों पर चढ़ाई कर दी। 1802 ई० में कम्पनी ने पेशवा द्वितीय बाजीराव से बेसिन की संधि के माध्यम से अधीनतामूलक मित्रता के समझौते पर दस्तखत करवा लिए। पेशवा दरबार में ब्रिटिश रेसिडेन्स नियुक्त किया गया। कम्पनी का समर्थन पाकर द्वितीय बाजीराव पेशवा अपना शासन चलाते रहे लेकिन दक्षिणोत्तर के विभिन्न स्थानों पर मराठों के साथ कम्पनी की लड़ाई चलती रही।
अन्त में पेशवा द्वितीय बाजीराव ने मराठों के विभिन्न दलों को संगठित कर कम्पनी का सामना किया। यह तृतीय मराठा युद्ध 1817-19 ई० में लड़ा गया और यंग मराठा युद्ध के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में मराठे पराजित हुए। कम्पनी ने पेशवा के सारे राज्य पर अधिकार कर लिया। फलस्वरूप पेशवा विलुप्त हो गया। विभिन्न मराठा शक्तियों ने अधीनतामूलक मित्रता नीति को स्वीकार कर लिया। दक्षिण भारत और दक्षिणार्द्ध में ईस्ट इंडिया कम्पनी का पूर्णत: अधिकार हो गया।
उत्तर भारत में अयोध्या और पंजाब कम्पनी के आमने-सामने हुआ था। 1773 ई० में अयोध्या में कम्पनी का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था। इसके सिवाय कम्पनी की सेना स्थायी रूप से अयोध्या में नियुक्त की गई थी। साथ ही-साथ अयोध्या के उत्तराधिकारी को लेकर विवाद में पड़ गया था। इन सबका अंग्रेजों ने पूरा लाभ उठाया। पूरी अयोध्या का शासन अपने हाथों में करके इसके विभिन्न अंचलों पर अधिकार कर लिया। 1845 ई० में पहले यंग सिख युद्ध में सिखों की हार हुई। लाहौर के समझौते के अनुसार जालन्धर दोआब में ब्रिटिश शासन प्रतिष्ठित हुआ। सिख दरबार में सिख रेसिडेन्स नियुक्त किया गया।
स्वत्व विलोप नीति के प्रयोग के माध्यम से कम्पनी ने अपने अधिकार क्षमता को पूर्ण रूप से बढ़ा लिया था। इस नीति के प्रयोगकर्ता लॉर्ड डलहौसी के शासन काल में (1848-56 ई०) कम्पनी का सर्वग्रासी रूप प्रकट हुआ था। जिन भारतीय शासकों का कोई पुरुष अधिकारी नहीं होता था। उनका राज्य कम्पनी के अधिकार में चला जाता था। कम्पनी की सेना का खर्च पूरा करने के लिए कम्पनी ने हैदराबाद बेरार प्रदेश छीन लिया था। 1856 ई० में कुशासन का दोष लगाकर अयोध्या के बचे-खुचे अंशों को भी कम्पनी ने छिन लिया। द्वितीय यंग सिख युद्ध में पंजाब की हार से सारा पंजाब भी कम्पनी के अधिकार में चला गया। इस प्रकार 1857 ई० के बीच लॉर्ड डालहौसी भारतीय उपमहादेश के 60 भागों से अधिक क्षेत्रों पर उनका राज्य स्थापित कर लिया था।
प्रश्न 5.
मुर्शिदकूली खान और अलवर्दी खान के साथ बंगाल के मुगल बादशाहों के संबंधों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
औरंगजेब ने बंगाल से राजस्व प्राप्त करने के लिए मुर्शिदकूली खान को दीवान बनाकर भेजा। कुछ समय बीतने के बाद उसकी नाजिम पद पर नियुक्ति भी कर दी गयी। क्षमता बढ़ता देखकर मुर्शिदकूली खान ने अपना कार्य और बेहतर ढंग से करना चालू किया। उसके शासन की अवधि में बंगाल काफी आगे बढ़ा साथ ही साथ बंगाल में जमीदार श्रेणी का भी उदय हुआ। वे निजाम को नियमित राजस्व देकर पूर्ण क्षमता का भोग करते थे। उनके शासन प्रणाली में राजनैतिक परिस्थिति भी ठीक थी। समुद्री मार्गों से सामानों का निर्यात होता था। हिन्दू और मुसलमान दो प्रमुख समुदाय व्यवसाय करने में योग्य थे। इनकी व्यवस्था में भी उद्योगपतियों का बोलबाला हुआ और एक नया नाम उजागर हुआ ‘जगत सेठ।’
मुर्शिदकुली के समान ही अलवर्दी खान ने भी बंगाल में यूरोपीय व्यापारियों के वाणिज्य के प्रति सकारात्मक रूख दिखलाया था। उन्हें लग रहा था इससे बंगाल की अर्थनीति समृद्ध होगी। परन्तु विदेशी व्यापारियों और कम्पनियों को किसी भी हालत में राजनैतिक, सामरिक क्षमता को बढ़ने नहीं दिया जायेगा। अलवर्दी इस बात का ख्याल रखते थे। जिससे ये विदेशी केवल व्यापार तक ही सीमित रहें। नवाब की सार्वभौम क्षमता के विरोधी के रूप में विदेशी व्यापारियों का उत्थान न हो सके, इसके प्रति अलवर्दी सर्वदा सजग रहते। साथ ही बंगाल की अर्थनीति की समृद्धि के वाहको पर कोई अत्याचार न हो पाये इसका ख्याल भी वे रखते थे। वस्तुत: बंगाल से विदेशियों को हटा देने की चिन्ता अलवर्दी खान को नहीं थी।
विदेशी व्यापारियों के व्यापार के प्रति उत्साह दिखलाते हुए भी वणिक कम्पनी जिससे अपने आपस में लड़े झगड़े न इस पर अलवर्दी की कड़ी नजर थी। इसी कारण बंगाल में फ्रांसीसी और ब्रिटिश कम्पनी के बीच संघर्ष नहीं हुआ। इन दोनों कम्पनियों को ही दुर्ग तैयार करने की अनुमति नहीं दी थी अलवर्दी ने। उनका तर्क था-व्यापारी वर्ग को दुर्ग का क्या प्रयोजन? इसके अतिरिक्त उनकी निरापदता की नवाब स्वयं ही देखभाल करते थे।
प्रश्न 6.
मुगल साम्राज्य के पतन का क्या कारण था?
उत्तर :
औरंगजेब की मृत्यु सन् 1707 ई० में हुई। फिर प्लासी युद्ध के माध्यम से ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी का उदय हुआ। सम्राट औरंगजेब के बाद ऐसा कोई मुगल शासक नहीं हुआ जो मुगल साम्राज्य को आगे बढ़ाता। इसलिए धीरेधीरे मुगल साम्राज्य का पतन होना आरम्भ हो गया। जहाँ तक जहाँगीर और शाहजहाँ की बात है तो, उन लोगों को भी छोटी-बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा। औरंगजेब के अंतिम शासन काल के समय समस्याओं का दायरा बढ़ता ही गया और पूरे मुगल शासकों पर हावी होने लगा।
उनलोगों ने 18 वीं सदी में सामाजिक सुधार नहीं किया जिसके कारण समस्याएँ जो बाहरी या आन्तरिक थी। बड़ा विकराल रूप ले लिया। वहीं दूसरी तरफ शिवाजी और मराठों के बीच आक्रमण ने मुगल शासकों की नींव हिला दी थी। जागीरदारी व्यवस्था भी एक कारण था। खजाना बिल्कुल खाली हो गया था। मुगल साम्माज्य को सब तरफ से मुसीबत झेलनी पड़ रही थी। ऐसा कोई भी हिस्सा नहीं था जो उसे हिम्मत या साहस प्रदान कर सके। अतः उसका पतन होने लगा।
प्रश्न 7.
मुर्शिदकूली खान के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
औरंगंजेब ने बंगाल से राजस्व प्राप्त करने के लिए मुर्शिदकूली खान को दीवान बनाकर भेजा। कुछ समय बीतने के बाद उसे नाजिम पद पर नियुक्ति भी कर दी गयी। क्षमता बढ़ता देखकर मुर्शिदकूली खान ने अपना कार्य और बेहतर ढंग से करना चालू किया। उसके शासन की अवधि में बंगाल काफी आगे बढ़ा साथ ही साथ बंगाल में जमींदार श्रेणी का भी उदय हुआ। वह निजाम को नियमित राजस्व देकर पूर्ण क्षमता का भोग करता था। उसके शासन प्रणाली में राजनैतिक परिस्थिति भी ठीक थी। समुद्री मार्गों से सामानों का निर्यात होता था। हिन्दू और मुसलमान दो प्रमुख समुदाय व्यवसाय करने में योग्य थे। इनकी व्यवस्था में भी उद्योगपति का बोलबाला हुआ और एक नया नाम उजागर हुआ ‘जगत सेठ।’
प्रश्न 8.
इतिहास की राजनीति और आर्थिक दृष्टि से जगत सेठ का क्या प्रभाव था?
उत्तर :
इतिहास की राजनीति हो या आर्थिक लेखा-जोखा। ‘जगत सेठ’ का बोलबाला अच्छा था। उन्हें हम वणिक कह कर बुलाते थे। उनका प्रभाव और ताकत दिनों दिन आगे बढ़ता जा रहा था। वे राजाओं के मुख्य व्यक्तियों में से एक होते थे। सबसे पहले मुर्शिदाबाद से उनकी उत्पत्ति हुई फिर धीरे-धीरे वह सारे बंगाल में फैल गए। समय जिस तरह बीत रहा था वणिक अपनी जड़े उतनी ही ज्यादा मजबूत कर रहे थे। उनकी क्षमता और नियंत्रण करने के ढंग में कोई दिक्कत नहीं होती थी। धीर-धीरे सभी एक जगह एकजुट होते गए ताकि उनकी ताकत और मजबूत हो। उन दिनों की राजनीति में उनका प्रभाव बहुत ज्यादा था। वे अपनी धन-सम्पदा से अपने प्रभावों को और गहरा करते जा रहे थे।
प्रश्न 9.
ब्रिटिश कम्पनी ने किस प्रकार अपना विस्तार किया?
उत्तर :
ब्रिटिश कम्पनी अपनी सूझ-बूझ से धीरे-धीरे अपना व्यवसाय फैला रही थी, साथ ही साथ अपनी व्यापारिक नीति को और बेहतर करती जा रही थी। अपने व्यापार की सुरक्षा प्रबन्ध करने के लिए विभिन्न राजदरबारों में उनके प्रतिनिधि रहते थे। इन्हें हम रेसिडेन्स के नाम से जान सकते हैं। इसी माध्यम से पूरे भारत में कम्पनी का विस्तार पूर्ण रूप से हुआ। भारतीय राजाओं को स्वाधीन भाव से कार्य करने की क्षमता नहीं थी। राजाओं के अधीन राज्यों को रेसिडेन्स प्रायोजित करते थे। बक्सर युद्ध के बाद अनेक स्थानों, जैसे – बंगाल, अयोध्या आदि जगह पर रेसिडेन्स नियुक्त किए गए। जब लार्ड कार्नवालिस भारत आए तो वह ‘रेसिडेन्स’ तक ही नहीं रहना चाहते थे। उन्होंने मित्रता की भी नीति अपनाई जिस कारण बिटिश सरकार को फायदा भी मिला। लेकिन उनके चले जाने के बाद पुरानी नीति ने कार्य को और तेजी पकड़ी।
प्रश्न 10.
प्लासी के युद्ध का बंगाल पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
सन् 1757 ई० में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला तथा अंग्रेजी सेना के बीच घमासान युद्ध हुआ। इसी युद्ध में मिराज ने छल किया और प्रधान सेनापति मीरजाफर को सेना सहित तटस्थ बना डाला और सिराज का सिर काट लिया गया। इसके कारण बंगाल में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ किन्तु मीरजाफर को बंगाल का नवाब बना दिया गया। उस पर अंग्रेजों की कृपादृष्टि बनी रही। फिर अंग्रेजों ने मीरजाफर के राजकोष पर अधिकर करना चाहा साथ ही साथ शोषण करना भी आरम्भ कर दिया। उसे ही प्लासी की लूट कहा गया। इसी कारण बंगाल की आर्थिक नीति पर भी असर पड़ने लगा और बंगाल का आर्थिक ढाँचा खत्म हो गया। धीरे-धीरे अंग्रेजों ने अपना अधिकार स्थापित कर लिया।
अंग्रेजों ने एक तरफ अपनी कृपा दृष्टि बरसाई वहीं दूसरी तरफ वे हावी होते गए जिस कारण पूरे बंगाल में अंशांति का माहौल देखने को मिला।
प्रश्न 11.
अंग्रेजों और फारसों में द्वन्द्व से क्या समझते हो?
उत्तर :
अंग्रेजों और फारसी में द्वन्द्व करीब 20 वर्षों तक चलता रहा। एक तरफ अंग्रेज अपने उपनिवेश का गठन और उस पर अच्छा नियंत्रण चाहते थे, वहीं दूसरी तरफ फारसी के साथ स्वार्थ के कारण बना संघर्ष। यह संघर्ष दक्षिण भारत के हिस्सों तक सीमित रहा। मण्डलघाटी और उसके पथ्चिमी घाटी को कर्नाटक के नाम से पुकारते थे। इसी अंचल के कारण अंग्रेजों और फारसों में द्वन्द्व हुआ था।
प्रश्न 12.
18 वीं सदी में भारत की राज शक्तियाँ किस कारण लड़ा करती थी?
उत्तर :
18 वीं सदी में जहाँ एक तरफ भारत की राज शक्तियाँ जैसे राजा महाराजा आपस में लड़ रहे थे वहीं दूसरी तरफ ब्रिटिश शक्तियों का उदय हो रहा था। राजा- महाराजा आपस में लड़ रहे थे। उनके लड़ने का कारण यह था कि वे अपना साम्राज्य बढ़ाना चाहते थे। वे सब एकजुट होकर ब्रिटिश के साथ लड़ने के बजाए उनसे हाथ मिलाने लगे। ब्रिटिश कम्पनी दलाली के द्वारा अपना स्वार्थ पूरा कर रही थी। वे भी इस राजनीतिक अशांति से वंचित न हो सके। तभी उन्होंने अधीनतामूलक नीति के द्वारा सभी राजाओं और उनके राज्यों पर कब्जा जमाने लगे। कई राजाओं ने जैसे टीपू सुल्तान और हैदरअली कम्पनी के खिलाफ युद्ध करने की चेष्टा की लेकिन और कोई सहारा न देखते हुए उन्हें पराजय के साथ अपनी मृत्यु देखनी पड़ी।
प्रश्न 13.
अंग्रेज-मैसूर युद्ध के बारे में बताओ ।
उत्तर :
मैसूर और अंग्रेजों के बीच युद्ध सन् 1768 से 1799 ई० के बीच हुआ। सन् 1799 ई० में चतुर्थ अंग्रेज-मैसूर युद्ध में अंग्रेजों ने मैसूर पर चढ़ाई की। इसमें वेलेजली माध्यम बने। लेकिन यह युद्ध मैसूर जीत न सका और अधीनतामूलक मित्रता की नीति क्रे कारण उसके सारे राजनैतिक अधिकार छिन लिए गए। मैसूर के कई स्थानों पर कम्पनी ने अपना शासन स्थापित कर लिया और कम्पनी की सेना में मैसूर की नियुक्ति की गई।
प्रश्न 14.
बक्सर का युद्ध किस प्रकार ब्रिटिश शक्ति के लिए महत्वपूर्ण है?
उत्तर :
ब्रिटिश सरकार अपना शासन विस्तार कर रही थी। प्लासी के युद्ध में उसे अधिक फायदा नहीं पहुँचा किन्तु इस युद्ध से बंगाल के नवाबों का अंत हो गया और पूरा बंगाल ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। वहीं बक्सर के युद्ध का एक विशेष महत्व है। इसी युद्ध में भारत की तीन महा शक्तियाँ हार गई थी। इस हार के कारण. बिटिश की ताकत और बढ़ी। प्लासी का युद्ध हुआ लेकिन यह युद्ध छल से जीता गया किन्तु बक्सर के युद्ध में यह देखा गया कि ब्रिटिश शक्ति सबसे ज्यादा ताकतवर है।
बक्सर युद्ध के बाद ब्रिटिश अपना अधिकार पूरे भारत पर करता गया क्योंकि उसे अब कोई रोकने वाला नहीं था। इधर मुगल समाट के हार जाने पर उसे बंगाल, बिहार और ओड़िसा की दीवानी देनी पड़ी।
इसी कारण ब्रिटिश कम्पनी की ताकत और बढ़ गई साथ ही साथ वे राजनीतिक और आर्थिक बातों दखल देने लगे।
प्रश्न 15.
प्लासी के युद्ध का ऐतिहासिक महत्व लिखो।
उत्तर :
प्लासी का युद्ध बक्सर के युद्ध से पहले हुआ था। अनेक इतिहासकार मानते हैं कि प्लासी का युद्ध तोपों की लड़ाई वाला युद्ध था। परन्तु यह युद्ध ब्रिटिश शासनकाल के शुरू में होने वाला युद्ध था। यह युद्ध उन्हें अधिक फायदा नहीं भी दिया हो परन्तु इसी युद्ध के बाद ब्रिटिश कम्पनी ने अपने विस्तार पर पूरा जोर दिया।
इसी युद्ध के बाद बंगाल धीर-धीरे ब्रिटिश के अधीन हो गया। इससे उसे काफी बल मिला और उसने आगे की रणनीति के बारे में सोचा।
प्लासी युद्ध ब्रिटिश के लिए विस्तार नीति वाला था और बक्सर का युद्ध अंतिम निर्णय लेने वाला था। यह कह सकते हैं कि प्लासी का युद्ध ब्रिटिश को हौसला प्रदान किया और अंतिम युद्ध बक्सर उसे अपनी मंजिल के नजदीक पहुँचा दिया।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (Multiple Choice Question & Answer) : (1 Mark)
प्रश्न 1.
मुगल सम्राट औरंगजेब की मृत्यु कब हुई थी ?
(a) सन् 1907 ई० में
(b) सन् 1757 ई० में
(c) सन् 1751 ई० में
(d) सन् 1957 ई० में
उत्तर :
(a) 1907 ई० में ।
प्रश्न 2.
प्लासी के युद्ध में किसका उत्थान हुआ था?
(a) ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी का
(b) भारत का
(c) मुगलों का
(d) पठानों का
उत्तर :
(a) बिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी का ।
प्रश्न 3.
नादिरशाह के नेतृत्व मे पारसी आक्रमण कब हुआ था?
(a) सन् 1783-89 ई० में
(b) सन् 1738-40 ई० में
(c) सन् 1738-39 ई० में
(d) सन् 1735-36 ई० में
उत्तर :
(c) सन् 1738-39 ई० में।
प्रश्न 4.
अफगानों के आक्रमण ने किस जगह को ध्वस्त कर डाला?
(a) पटना को
(b) कोलकाता को
(c) दिल्ली को
(d) मद्रास को
उत्तर :
(c) दिल्ली को।
प्रश्न 5.
कौन दीवान बनकर बंगाल आया था?
(a) मुर्शिदकूली खान
(b) औरंगजेब
(c) अंग्रेज
(d) पठान
उत्तर :
(a) मुर्शिदकूली खान।
प्रश्न 6.
मुर्शिदकूली खान को कौन-सा पद दिया गया?
(a) नौकरशाही का
(b) नजिम का
(c) राजा का
उत्तर :
(b) नजिम का।
प्रश्न 7.
मूलधन ब्याज देने वाले का नाम क्या था?
(a) जगतू सेठ
(b) मुगल सेठ
(c) जागीदार
(d) वर्गादार
उत्तर :
(a) जगतू सेठ।
प्रश्न 8.
मुर्शिदकूली की मृत्यु कब हुई?
(a) सन् 1725 ई० में
(b) सन् 1727 ई० में
(c) सन् 1700 ई० में
(d) सन् 1717 ई० में
उत्तर :
(b) सन् 1727 ई० में।
प्रश्न 9.
अलवर्दी खान की मृत्यु कब हुई?
(a) सन् 1756 ई० में
(b) सन् 1765 ई० में
(c) सन् 1795 ई० में
(d) सन् 1785 ई० में
उत्तर :
(a) सन् 1756 ई० में ।
प्रश्न 10.
अलवर्दी खान का पौत्र कौन था?
(a) सिराजुद्दौला
(b) मीरकासीम
(c) मनिकचंद
(d) जाफर खाँ
उत्तर :
(a) सिराजुद्दौला।
प्रश्न 11.
किसने वर्गी के अत्याचार का विवरण किया?
(a) गंगाराम
(b) कबीर
(c) मोहनदास
(d) करमचन्द
उत्तर :
(a) गंगाराम।
प्रश्न 12.
बंगाल और मराठों की बीच सन्धि कब हुई?
(a) सन् 1715 ई॰ में
(b) सन् 1751 ई० में
(c) सन् 1700 ई० में
(d) सन् 1705 ई॰ में
उत्तर :
(b) सन् 1751 ई० में।
प्रश्न 13.
मुगल दरबार में शक्तिशाली कौन था?
(a) कुलीन
(b) अकबर
(c) अनवर
(d) जफर
उत्तर :
(a) कुलीन।
प्रश्न 14.
हैदराबाद की स्थापना कब हुई?
(a) सन् 1724 ई० में
(b) सन् 1742 ई० में
(c) सन्. 1714 ई० में
(d) सन् 1741 ई॰ में
उत्तर :
(a) सन् 1724 ई० में ।
प्रश्न 15.
अयोध्या कब स्वशासित प्रादेशिक शक्ति के रूप में उभरा?
(a) 1725 ई० में
(b) 1722 ई० में
(c) 1721 ई० में
(d) 1727 ई० में
उत्तर :
(b) 1722 ई० में।
प्रश्न 16.
शहादत खान की मृत्यु कब हुई?
(a) सन् 1740 ई० में
(b) सन् 1704 ई० में
(c) सन् 1751 ई० में
(d) सन् 1727 ई० में
उत्तर :
(a) सन् 1740 ई० में।
प्रश्न 17.
किसकी मृत्यु सन् 1758 ई० में हुई थी?
(a) सफदर जंग की
(b) सआदत खान की
(c) मुर्शिदकूली की
(d) बहादुर शाह की
उत्तर :
(a) सफदर जंग की।
प्रश्न 18.
मुगल सम्राट ने कब फरमान जारी किया था ?
(a) सन् 1717 ई० में
(b) सन् 1771 ई० में
(c) सन् 1709 ई० में
(d) सन् 1727 ई॰ में
उत्तर :
(a) सन् 1717 ई० में।
प्रश्न 19.
ब्रिटिश कम्पनी ने एक साथ कितने गाँव की जमीन्दारी खरीदी?
(a) 38 गाँव
(b) 40 गाँव
(c) 41 गाँव
(d) 45 गाँव
उत्तर :
(a) 38 गाँव।
प्रश्न 20.
अलवर्दी खान ने ब्रिटिश कम्पनी से कितने रुपये की माँग की थी?
(a) 30 लाख
(b) 20 लाख
(c) 25 लाख
(d) 35 लाख
उत्तर :
(a) 30 लाख।
प्रश्न 21.
आर्मेनियन व्यापारी का नाम क्या था ?
(a) खोजा वाजिद
(b) हामिद
(c) नासीर
(d) यासीर
उत्तर :
(a) खोजा वाजिद।
प्रश्न 22.
किसने ब्रिटिश की सेना को हटाकर कोलकाता पर अधिकार कर लिया ?
(a) नवाब की सेना
(b) कबीर की सेना
(c) हामिद की सेना
(d) सुल्तान की सेना
उत्तर :
(a) नवाब की सेना।
प्रश्न 23.
रॉबट क्लाईव कब इंग्लैड लौट गए?
(a) सन् 1760 ई० में
(b) सन् 1706 ई० में
(c) सन् 1710 ई० में.
(d) सन् 1766 ई० में
उत्तर :
(a) सन् 1760 ई० में ।
प्रश्न 24.
मीर कासिम और ब्रिटिश कम्पनी के बीच युद्ध कब हुआ था?
(a) सन् 1763 ई० में
(b) सन् 1736 ई० में
(c) सन् 1752 ई० में
(d) सन् 1725 ई० में
उत्तर :
(a) सन् 1763 ई० में ।
प्रश्न 25.
लॉर्ड क्लाईव दुबारा भारत कब आया?
(a) सन् 1755 ई० में
(b) सन् 1760 ई० में
(c) सन् 1706 ई० में
(d) सन् 1766 ई० में
उत्तर :
(a) सन् 1755 ई० में।
प्रश्न 26.
ईस्ट इंडिया कम्पनी कब प्रमुख शक्ति बन गई?
(a) स् 1757 से 1758 ई० में
(b) सन् 1760 से 1767 ई० में
(c) सन् 1790 से 1795 ई० में
(d) सन् 1970 से 1975 ई० में
उत्तर :
(a) सन् 1757 से 1758 ई० में।
प्रश्न 27.
बक्सर का युद्ध कब हुआ था?
(a) सन् 1764 ई० में
(b) सन् 1746 ई० में
(c) सन् 1701 ई० में
(d) सन् 1721 ई० में
उत्तर :
(a) सन्. 1764 ई० में ।
प्रश्न 28.
राजदरबारों में प्रतिनिधि को क्या बोला जाता है?
(a) प्रधानमंत्री
(b) दास
(c) रेसिडेन्स
(d) विदेश मंत्री
उत्तर :
(c) रेसिडेन्स।
प्रश्न 29.
मैसूर और कम्पनी के बीच युद्ध कब हुआ था?
(a) 1768 से 1799 ई० के बीच
(b) 1799 से 1800 ई० के बीच
(c) 1765 से 1770 ई० के बीच
(d) 1755 से 1760 ई० के बीच
उत्तर :
(a) 1768 से 1799 ई० के बीच।
प्रश्न 30.
भारत में फारसी (फ्रांसिसी) का एक मुख्य केन्द्र कौन सा था?
(a) कलकत्ता
(b) चंदननगर
(c) दिल्ली
(d) गोवा
उत्तर :
(b) चंदननगर।
प्रश्न 31.
महीसुर (मैसूर) का शासक कौन था ?
(a) टीपू सुल्तान
(b) अकबर
(c) इसमें से कोई नहीं
(d) शेरशाह
उत्तर :
(a) टीपू सुल्तान।
प्रश्न 32.
1845 ई० में किसकी हार हुई?
(a) मुगलों की
(b) अंग्रेजों की
(c) सिखों की
(d) मराठों की
उत्तर :
(c) सिखों की।
प्रश्न 33.
सलबाई समझौता कब हुआ था?
(a) सन् 1782 ई० में
(b) सन् 1728 ई॰ में
(c) सन् 1791 ई॰ में
(d) सन् 1719 ई० में
उत्तर :
(a) सन् 1782 ई० में ।
प्रश्न 34.
तृतीय मराठा युद्ध कब लड़ा गया था?
(a) सन् 1817-1819 ई० में
(b) सन् 1820-1825 ई० में .
(c) सन् 1806-1836 ई० में
(d) सन् 1815-1817 ई० में
उत्तर :
(a) सन् 1817-1819 ई० में ।
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो (Fill in the blanks) : (1 Mark)
1. औरंगजेब के शासन काल में मुर्शिदकूली खान बंगाल के _______ थे। (दीवान/फौजदार/नवाब)
उत्तर : दीवान।
2. अहमद शाह अब्दाली _______ थे। (मराठा/अफगान/पारासिक)
उत्तर : अफगान।
3. अलीनगर की संधि हुई _______ थी। (मीर जाफर और ब्रिटिश कंपनी के बीच/सिराज और ब्रिटिश कंपनी के बीच/मरिकासिम और ब्रिटिश कंपनी के बीच)।
उत्तर : सिराज और ब्रिटिश कंपनी के बीच।
4. ब्रिटिश कम्पनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी के अधिकारण _______ ने दिये थे। (सप्राट शाह आलम द्वितीय/ सम्राट फारूखशियर/ सम्राट औरंगजेब)।
उत्तर : सम्माट फारूखशियर।
5. अपनी इच्छा से अधीनता मूलक नीति _______ मान ली थी। (टीपू सुल्तान/शहादत खान/निजाम)
उत्तर : निजाम।
6. _______ ई० में चतुर्थ अंग्रेज – महीसुर युद्ध के माध्यम से बेलेजलि ने महीसुर पर चढ़ाई की। (1799ई० / 1899 ई०)
उत्तर : 1799 ई०।
7.18वीं सदी में _______ शक्तियाँ परस्पर लड़ा करती थीं।
उत्तर : भारतीय राज्य।
8. 1717 में _______ को बंगाल के नाजिम पद पर नियुक्त किया गया। (मुर्शिदकूली / जहाँगीर)
उत्तर : मुर्शिदकूली।
9. राजदरबारी में प्रतिनिधि _______ के नामों से जाने जाते थे। (रेसिडेन्स/ रसीडेस)
उत्तर : रेसिडेन्स।
10. बंगाल के अनुसार वर्ष 1776 को _______ कहा जाता है। (बंगाब्द/ बंगाली)
उत्तर : बंगाब्द।
11. 1765 ई० से 1772 ई० तक बंगाल में _______ शासन चला। (द्वैध / रावण)
उत्तर : द्वैत।
12. _______ से _______ के दौरान ईष्ट इण्डिया कम्पनी एक प्रमुख शक्ति बन गई। (1757 से 1758 / 1857 से 1880)
उत्तर : 1757 से 1758 ।
13. व्यापारी का मानदंड _______ में बदल गया। (राजदंड / राजहंस)
उत्तर : राजदंड।
14. ईस्ट इंडिया कंपनी _______ थी (फ्रांसिसी/डच/ब्रिटिश)।
उत्तर : ब्रिटिश।
15. सम्राट जहाँगीर और शाहजहाँ _______ थे (मुगल/मराठा/अफगान)
उत्तर : मुगल।
16. मुर्शिदकूली खान बंगाल के नाजिम _______ बने। (1717 ई० में / 1718 ई० में /1719 ई० में)
उत्तर : 1717 ई० में।
17. बंगाल के सूबा और कोषागार टकसाल पर _______ नियंत्रण था। (अमीनचंद्र का/खोदा वाजिद का/जगत सेठ का)
उत्तर : जगत सेठ का।
18. अलीवर्दी खान की मृत्यु _______ हुई। (1755 ई० में/ 1756 ई० में/ 1757 ई० में)
उत्तर : 1756 ई० में।
19. मुर्शिदकूली खान की मृत्यु _______ हुई। (1727 ई० में/ 1728 ई० में/ 1729 ई० में)
उत्तर : 1727 ई० में।
20. हैदराबाद राज्य की स्थापना _______ हुई। (1724 ई० में/ 1725 ई० में/ 1726 ई० में)
उत्तर : 1724 ई० में।
21. _______ के मध्य में लार्ड क्लाईव दुबारा भारत आया। (1755 / 1765)
उत्तर : 1755 ई०।
22. _______ ई० में मीर कासिम के साथ ब्रिटिश कम्पनी का खुलकर संघर्ष शुरू हुआ। (763/1743)
उत्तर : 17631
23. _______ ई० के आरंभ में राबर्ट क्लाईव इंग्लैंड वापस लौट गया। (1760/1740)
उत्तर : 1760 ।
24. _______ ई० को नवाब ने ब्रिटिश को हटा कर कोलकाता पर अधिकार कर लिया। (20 जून, 1756 / 20 जनवरी 1765)
उत्तर : 20 जून 1756 ।
25. _______ ई० में दिल्ली के मुगल सप्राट ने एक आदेश जारी किया था। (1717/1817)
उत्तर : 1717।
26. सफदरजंग के पुत्र का नाम _______ था। (सिराजुद्दौला / मीर कासिम)
उत्तर : सिराजुद्दौला।
27. _______ ई० में सफदरजंग की मृत्यु हो गई। (1758 / 1748)
उत्तर : 1758 ।
28. मुगल दरबार का एक शक्तिशाली कुलीन _______ था। (मीर कमानउद्दीन सिद्धिकी / मीर कासिम)
उत्तर : मीर कमानउद्दीन सिद्धिकी।
29. मुर्शिदाबाद के विख्यात मूलधन ब्याज देने वाला _______ का नाम प्रसिद्ध है। (जगत सेठ / भगत सेठ)
उत्तर : जगत सेठ।
30. मुगल सप्राट औरंगजेब की मृत्यु _______ ई० में हुई। ( 1707/1709)
उत्तर : 1707।
सही एवं गलत का निर्णय करो : True or False (1 mark)
1. मुगल सम्राट औरंगजेब की मृत्यु सन् 1707 में हुई।
उत्तर :
(सही)
2. सन् 1757 ई० में प्लासी युद्ध हुआ।
उत्तर :
(सही)
3. औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल शक्ति और बढ़ी।
उत्तर :
(गलत)
4. मुगल शासको ने 18 वीं सदी में सामरिक सुधार किया।
उत्तर :
(गलत)
5. नादिरशाह के नेतृत्व में पारसी आक्रमण (1738-39) में हुआ।
उत्तर :
(गलत)
6. मुर्शिदकूली खान को बंगाल में दीवान बनाकर भेजा गया।
उत्तर :
(सही)
7. सन् 1717 ई० में मुर्शिदकूली खान को नाजिम पद पर नियुक्त किया गया।
उत्तर :
(सही)
8. मुर्शिदकूली के शासन में बंगाल की काफी उन्नति हुई।
उत्तर :
(सही)
9. मूलधन ब्याज देने वाले का ‘जगतं सेठ’ बोला जाता था।
उत्तर :
(सही)
10. मुर्शिदकूली की मृत्यु सन् 1772 ई० में हुई।
उत्तर :
(गलत)
11. सन् 1756 ई० में अलवर्दी खान की मृत्यु हुई।
उत्तर :
(सही)
12. बंगाल और मराठा के बीच सन्धि 1715 ई० में हुई।
उत्तर :
(गलत)
13. मुगल दरबार में एक शक्तिशाली कुलीन था ‘ मीर कमान सिद्दिकि’।
उत्तर :
(सही)
14. सफदरजंग का पुत्र सिराजुद्दौला था।
उत्तर :
(सही)
15. सन् 1740 ई० में शहादत खान की मृत्यु हुई।
उत्तर :
(सही)
16. सन् 1748 ई० में ब्रिटिश कम्पनी ने आर्मोनियन जहाज अटका रखा था।
उत्तर :
(सही)
17. रॉबर्ट क्लाईव सन् 1760 ई० में इंग्लैण्ड वापस लौट गए।
उत्तर :
(सही)
18. सन् 1763 ई० में मीर कासिम के साथ ब्रिटिश कम्पनी का खुलकर विरोध हुआ।
उत्तर :
(सही)
19. सन् 1765 ई० रॉबट क्लाईव दुबारा भारत आए।
उत्तर :
(गलत)
20. सन् 1757 से लेकर 1758 ई० तक ब्रिटिश कम्पनी एक प्रमुख शक्ति बनी।
उत्तर :
(सही)
21. व्यापारी दण्ड ‘राजदंड’ में नहीं बदला।
उत्तर :
(गलत)
22. सन् 1765 से 1722 ई० तक बंगाल में द्वैध शासन चला।
उत्तर :
(सही)
23. हेस्टिंग्स ने आकाल पर अनुसंधान किया।
उत्तर :
(सही)
24. राजदरबार के प्रतिनिधि को रेसिडेन्स कहा जाता है।
उत्तर :
(सही)
25. सन् 1845 ई० के प्रथम सिख युंद्ध में सिखों की हार हुई।
उत्तर :
(सही)
सही मिलान करो Match the following : (1 Mark)
प्रश्न 1.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) अयोध्या | (क) प्रथम यंग युद्ध |
(b) 1764 ई० | (ख) शहादत खान |
(c) स्वत्व विलोप नीति | (ग) बक्सर का युद्ध |
(d) लाहौर समझौता | (घ) महीसुर |
(e) टीपू सुल्तान | (ङ) लार्ड डलहौजी |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) अयोध्या | (ख) शहादत खान |
(b) 1764 ई० | (ग) बक्सर का युद्ध |
(c) स्वत्व विलोप नीति | (ङ) लार्ड डलहौजी |
(d) लाहौर समझौता | (क) प्रथम यंग युद्ध |
(e) टीपू सुल्तान | (घ) महीसुर |
प्रश्न 2.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) 1707 ई० | (क) 1756-57 ई० |
(b) 1757 ई。 | (ख) 1738-39 ई० |
(c) सम्राट जहाँगीर और शाहजहाँ | (ग) मुगल शासन |
(d) पारसी आक्रमण | (घ) प्लासी युद्ध |
(e) अफगानी आक्रमण | (ङ) औरंगजेब की मृत्यु |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) 1707 ई० | (ङ) औरंगजेब की मृत्यु |
(b) 1757 ई。 | (घ) प्लासी युद्ध |
(c) सम्राट जहाँगीर और शाहजहाँ | (ग) मुगल शासन |
(d) पारसी आक्रमण | (ख) 1738-39 ई० |
(e) अफगानी आक्रमण | (क) 1756-57 ई० |
प्रश्न 3.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) 1717 में | (क) मानिकचंद |
(b) मुर्शिदकूली का शासनकाल | (ख) जगत सेठ |
(c) हिन्दू उद्योगपति | (ग) मूलचाँद |
(d) मूलधन ब्याज देने वाला | (घ) जमींदार श्रेणी का उदय |
(e) हिरापद शाह का बेटा | (ङ) मुर्शिदकूली का बंगाल के नाजिम |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) 1717 में | (ङ) मुर्शिदकूली का बंगाल के नाजिम |
(b) मुर्शिदकूली का शासनकाल | (घ) जमींदार श्रेणी का उदय |
(c) हिन्दू उद्योगपति | (ग) मूलचाँद |
(d) मूलधन ब्याज देने वाला | (ख) जगत सेठ |
(e) हिरापद शाह का बेटा | (क) मानिकचंद |
प्रश्न 4.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) बंगाल में अकाल | (क) बंगाल में द्वैध शासन |
(b) 1765 ई०- 1772 ई० | (ख) 1769 ई० |
(c) महीसुर | (ग) महीसुर |
(d) राजधानी श्रीरंगपट्टनम | (घ) बेसिन की संधि |
(b) 1802 ई० | (ङ) मैसूर |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) बंगाल में अकाल | (ख) 1769 ई० |
(b) 1765 ई०- 1772 ई० | (क) बंगाल में द्वैध शासन |
(c) महीसुर | (ङ) मैसूर |
(d) राजधानी श्रीरंगपट्टनम | (ग) महीसुर |
(b) 1802 ई० | (घ) बेसिन की संध |
प्रश्न 5.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) तृतीय मराठा युद्ध | (क) सलबाईबेट समझौता |
(b) 1782 ई० | (ख) यंग मराठा युद्ध |
(c) पेशवा | (ग) मराठा |
(d) नारायण राव की हत्या | (घ) रघुनाथ राव |
(e) टीपू सुल्तान | (ङ) मैसर के अंतिम शासक |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) तृतीय मराठा युद्ध | (ख) यंग मराठा युद्ध |
(b) 1782 ई० | (क) सलबाईबेट समझौता |
(c) पेशवा | (ग) मराठा |
(d) नारायण राव की हत्या | (घ) रघुनाथ राव |
(e) टीपू सुल्तान | (ङ) मैसर के अंतिम शासक |
प्रश्न 6.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) मीरजाफर | (क) नवाब बनाया गया |
(b) 1727 ई。 | (ख) अलवर्दी खान की मृत्यु |
(c) 1756 ई० | (ग) सिराजुद्दौला |
(d) अलवर्दी खान का पौत्र | (घ) वर्गीर्द्धाना |
(e) कहावत | (ङ) मुर्शिदकूली की मृत्यु |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) मीरजाफर | (क) नवाब बनाया गया |
(b) 1727 ई。 | (ङ) मुर्शिदकूली की मृत्यु |
(c) 1756 ई० | (ख) अलवर्दी खान की मृत्यु |
(d) अलवर्दी खान का पौत्र | (ग) सिराजुद्दौला |
(e) कहावत | (घ) वर्गीर्द्धाना |
प्रश्न 7.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) बंगाली कवि | (क) बंगाल के नवाब और मराठा में संधि |
(b) 1751 ई० | (ख) कलकत्ता |
(c) मराठा खाई | (ग) हैदराबाद राज्य की स्थापना |
(d) कुलीन | (घ) मीर कमान उद्दीन सिद्धिकी |
(e) 1724 में | (ङ) गंगाराम |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) बंगाली कवि | (ङ) गंगाराम |
(b) 1751 ई० | (क) बंगाल के नवाब और मराठा में संधि |
(c) मराठा खाई | (ख) कलकत्ता |
(d) कुलीन | (घ) मीर कमान उद्दीन सिद्धिकी |
(e) 1724 में | (ग) हैदराबाद राज्य की स्थापना |
प्रश्न 8.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) शहादत खान की मृत्यु | (क) सफदर जंग की मृत्यु |
(b) 1758 ई० | (ख) 1764 ई० |
(c) बक्सर युद्ध | (ग) सिराजुद्दौला |
(d) अयोध्या में एकछत्र राज | (घ) 1717 ई० |
(e) मुगल सम्राट का फरमान | (ङ) 1740 ई० |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) शहादत खान की मृत्यु | (ङ) 1740 ई० |
(b) 1758 ई० | (क) सफदर जंग की मृत्यु |
(c) बक्सर युद्ध | (ख) 1764 ई० |
(d) अयोध्या में एकछत्र राज | (ग) सिराजुद्दौला |
(e) मुगल सम्राट का फरमान | (घ) 1717 ई० |
प्रश्न 9.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) 1740 ई० | (क) अफगान आक्रमण |
(b) प्लासी का युद्ध | (ख) पारसी आक्रमण |
(c) 1758 ई० | (ग) शहादत खान की मृत्यु |
(d) नादिरशाह | (घ) 1757 ई० |
(e) अहमदशाह अब्दाली | (ङ) सफदर जंग की मतत्य |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) 1740 ई० | (ग) शहादत खान की मृत्यु |
(b) प्लासी का युद्ध | (घ) 1757 ई० |
(c) 1758 ई० | (ङ) सफदर जंग की मतत्य |
(d) नादिरशाह | (ख) पारसी आक्रमण |
(e) अहमदशाह अब्दाली | (क) अफगान आक्रमण |
प्रश्न 10.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) मुर्शिदकूली | (क) उपाधि |
(b) जगत सेठ | (ख) बंगाल के नाजिम |
(c) 1748 ई० | (ग) मीर कमानउद्दीन सिद्दिकी की |
(d) 1760 ई० | (घ) आर्मेनियम जहाज |
(e) चिन कुलीन खान | (ङ) मीर जाफर का निष्कासन |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) मुर्शिदकूली | (ख) बंगाल के नाजिम |
(b) जगत सेठ | (क) उपाधि |
(c) 1748 ई० | (घ) आर्मेनियम जहाज |
(d) 1760 ई० | (ङ) मीर जाफर का निष्कासन |
(e) चिन कुलीन खान | (ग) मीर कमानउद्दीन सिद्दिकी की |
प्रश्न 11.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) 1744 ई० | (क) सिराजुद्दौला |
(b) बंगाल का नवाब | (ख) 146 ब्रिटिश नर-नारियों को कमरे में बंद |
(c) अन्धकूप हत्या | (ग) राबर्ट क्लाईव इंग्लैंड लौटे |
(d) 1760 ई० | (घ) द्वैध शासन |
(e) 1756 ई० – 1772 ई० | (ङ) मराठा आक्रमण |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) 1744 ई० | (ङ) मराठा आक्रमण |
(b) बंगाल का नवाब | (क) सिराजुद्दौला |
(c) अन्धकूप हत्या | (ख) 146 ब्रिटिश नर-नारियों को कमरे में बंद |
(d) 1760 ई० | (ग) राबर्ट क्लाईव इंग्लैंड लौटे |
(e) 1756 ई० – 1772 ई० | (घ) द्वैध शासन |
प्रश्न 12.
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) 1770 ई० | (क) महीसुर युद्ध |
(b) 1768 ई० से – 1799 ई० | (ख) 1782 ई० |
(c) सलबाईट समझौता | (ग) 1767 ई० के बाद |
(d) 1845 ई० के पहले | (घ) सिखों की हार |
(e) रेसिडेन्स की नियुक्ति | (ङ) बंगाल में भयानक अकाल |
उत्तर :
‘क’ स्तंभ | ‘ख’ स्तंभ |
(a) 1770 ई० | (ङ) बंगाल में भयानक अकाल |
(b) 1768 ई० से – 1799 ई० | (क) महीसुर युद्ध |
(c) सलबाईट समझौता | (ख) 1782 ई० |
(d) 1845 ई० के पहले | (घ) सिखों की हार |
(e) रेसिडेन्स की नियुक्ति | (ग) 1767 ई० के बाद |