Students should regularly practice West Bengal Board Class 8 Hindi Book Solutions Poem 8 वापसी to reinforce their learning.
WBBSE Class 8 Hindi Solutions Poem 8 Question Answer – वापसी
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न 1.
कवि लौटकर किस वृक्ष पर बसेरा बनाया चाहता है?
(क) आम
(ख) बरगद
(ग) नीम
(घ) पीपल
उत्तर :
(ग) नीम।
प्रश्न 2.
पलाश के फूलों का रंग होता है-
(क) पीला
(ख) हरा
(ग) नीला
(घ) लाल
उत्तर :
(घ) लाल।
प्रश्न 3.
हम किसे लक्ष्य नहीं कर पाएँगे?
(क) कवि को
(ख) नई छाल को
(ग) फूलों को
(घ) हरियाली को
उत्तर :
कवि को।
प्रश्न 4.
हरियाली से हमें क्या मिलता है?
(क) दुःख और पीड़ा
(ख) राहत और सुख
(ग) क्रोध और घृणा
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) राहत और सुख।
प्रश्न 5.
कौन पक्षी के रूप में वापस आएगी ?
(क) पंरपराएँ
(ख) लेखक
(ग) जीवन
(घ) हरियाली
उत्तर :
(क) पंरपराएँ
प्रश्न 6.
‘वापसी’ कविता किस काव्य-संग्रह से ली गई है ?
(क) शहर अब भी संभावना है
(ख) बहुरि अकेला
(ग) तत्पुरूष
(घ) घास में दूब का आकाश
उत्तर :
(क) शहर अब भी संभावना है
प्रश्न 7.
हो सकता है हम लौटें –
(क) पक्षी की तरह
(ख) हवा की तरह
(ग) रेत की तरह
(घ) नदी की तरह
उत्तर :
(क) पक्षी की तरह
प्रश्न 8.
कवि कहाँ घोंसला बनाने की बात करता है ?
(क) पेड़ पर
(ख) छत पर
(ग) दरवाजे पर
(घ) बरामदे के पंखे के ऊपर
उत्तर :
(घ) बरामदे के पंखे के ऊपर
प्रश्न 9.
कवि के अनुसार कौन वापस आयेंगे और पहचाने न जायेंगे ?
(क) पक्षी
(ख) परंपरा
(ग) बगीचा
(घ) फूल-पेड़
उत्तर :
(ख) परंपरा
प्रश्न 10.
गडुमडु का अर्थ है –
(क) आपस में मिल जाना
(ख) अलंग-अलग होना
(ग) अबोध होना
(घ) विलुप्त होना
उत्तर :
(क) आपस में मिल जाना
प्रश्न 11.
कौन एक जैसे रहेंगे ?
(क) प्राकृतिक तत्व
(ख) लेखक
(ग) पक्षी
(घ) जीवन
उत्तर :
(क) प्राकृतिक तत्व
लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1.
कवि कहाँ घोंसला बनाना चाहता है ?
उत्तर :
कवि बरामदे में पंखे के ऊपर घोंसला बनाना चाहता है।
प्रश्न 2.
कवि को क्यों लगता है कि हम उसे नहीं पहचान सकेंगे?
उत्तर :
कवि पक्षी की तरह रूप बदलकर आएगा, और बारिश के बाद हरियाली में वह बिखरा हुआ रहेगा। इसी से उसे लगता है कि हम उसे पहचान नहीं सकेंगे।
प्रश्न 3.
बारिश के बाद क्या छा जाती है?
उत्तर :
बारिश के बाद हरियाली छा जाती है।
प्रश्न 4.
कवि की पहचान को कौन बदल देगा?
उत्तरः
कवि की पहचान को आधुनिक जीवन संस्कृतियों की चकाचौंध में बेसुध लोग बदल देंगे।
प्रश्न 5.
अशोक वाजपेयी का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
अशोक वाजपेयी का जन्म 16 जनवरी सन् 1941 को मध्य प्ददेश के दुर्ग जिला में हुआ था।
प्रश्न 6.
कवि के अनुसार हम कैसे बदल जाएँगे ?
उत्तर :
कवि के अनुसार हम बिना रूप बदले ही बदल जाएँगे।
प्रश्न 7.
परंपरा को क्यों लक्ष्य नहीं किया जा सकता ?
उत्तर :
परंपरा विविध प्रकार के चकाचौंध के मध्य छिपी रहती है, जिसे आसानी से लक्ष्य नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 8.
कवि के अनुसार हमें क्या पता नहीं चलेगा ?
उत्तर :
कभी-कभी परंपराएँ और मूल्य बहुत ही चुपके से हमारे जीवन के आकर्षणों के बीच सरल रूप से प्रवेश कर जाएँगे कि हमें पता भी नहीं चलेगा।
प्रश्न 9.
किन-चीजों को अलग कर पाना संभव नहीं हो पायेगा ?
उत्तर :
जीवन-मूल्य और परंपराएँ इस कदर एकाकार हो जायेंगे कि उनको इन चीजों से अलग कर पाना संभव नहीं हो पायेगा।
प्रश्न 10.
किसका मात्र रूप बदलेगा ?
उत्तर :
परंपराओं का मात्र रूप बदलेगा।
बोध मूलक प्रश्न :
प्रश्न 1.
‘तुम बिना रूप बदले भी, बदल जाओगे….. का क्या आशय है?
उत्तर :
इस प्रश्न का उत्तर व्याख्या-३ में देखिए।
प्रश्न 2.
हमें अपनी परंपरा, अपने पूर्वजों और अपनी प्रकृति के प्रति सहिष्णु क्यों होना चाहिए?
उत्तर :
मनुष्य व्यक्तित्व का निर्माण उसकी परंपरा, पूर्वजों के संस्कार तथा अपनी स्वाभाविक प्रकृति से होता है। अपनी पुरानी परंपरा ने हमारे रीति रिवाज का गठन किया है। हमें एक सुव्यस्थित संस्कार दिया है। परंपराएँ ही हमारी पहचान है। कुछ विकृत रूढ़िवादी विचारों का हम त्याग कर सकते हैं, पर पुराना सब खराब है अनुपयोगी है यह कहा नहीं जा सकता। हमारे सामाजिक ढाँचे की रचना इसी परंपरा की है। हमारे पूर्वजों ने अपने ज्ञान, आदर्श से दुनिया में अपना स्थान बनाया था। इसलिए हम अपनी परंपरा तथा पूर्वजों को नजर अंदाज नहीं कर सकते। अतः हमें अपनी परंपरा, पूर्वजों तथा अपनी प्रकृति के प्रति सहिष्णु होना चाहिए।
व्याख्या मूलक प्रश्न :
1. या फिर थोड़ी सी बारिश के बाद
तुम्हारे घर के सामने छा गयी
हरियाली की तरह वापस आएँ हम
जिससे राहत और सुख मिलेगा तुम्हें
पर तुम जान नहीं पाओगे कि
उस हरियाली में हम छिटके हुए हैं।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त पंक्तियाँ किस कवि की किस कविता से उद्ध्धत है?
(ख) बारिश के बाद क्या परिवर्तन हो जाता है?
(ग) इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ अशोक बाजपेयी रचित कविता ‘वापसी से उद्धृत है।
(ख) बारिश के बाद वातावरण में शीतलता का सुखद अहसास होता है। चांरों ओर हरियाली छा जाती है।
(ग) कवि का कथन है कि बारिश के बाद हरियाली छा जाने पर वह अपनी प्रकृति तथा परंपरा में आएगा। लोगों को सुख-सुविधा की अनुभूति होगी। पर वे कवि को पहचान नहीं पाएँगे।
भाषा बोध :
1. निम्नलिखित वाक्यांश में आए कारक विभक्तियों का नाम लिखिए-
(क) पक्षी की तरह
(ख) पलाश के पेड़ पर नई छाल की तरह
(ग) हमारी पहचान हमेशा क लिए गड्डमड्ड हो जाएगी।
उत्तर :
(क) पक्षी की – सम्बंध कारक।
(ख) पलाश के – संबंध कारक
पेड़ पर-अधिकरण कारक
छाल की – संबंध कारक।
(ग) हमारी – संबंध कारक, के लिए संप्रदान कारक।
2. वाक्यों में प्रयोग कर लिंग निर्णय कीजिए-
पक्षी – पक्षी डाल पर बैठा है- पुल्लिंग।
बगिया – हमारे घर के सामने छोटी-सी बगिया है- स्त्रीलिंग।
घोंसला – वृक्ष पर घोंसला बना हुआ है- पुल्लिग।
हरियाली – बारिश के बाद हरियाली छा गई – स्त्रीलिंग।
रूप – लड़का का रूप अच्छा लग रहा है- पुल्लिंग।
WBBSE Class 8 Hindi वापसी Summary
कवि परिचय :
अशोक वाजपेयी का जन्म सन् 1941 ई० में मध्य प्रदेश में हुआ था। वाजपेयी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम०ए० की परीक्षा पास की। उन्होने भारत सरकार के संस्कृति विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर भी कार्य किया। इनकी प्रमुख रचनाएँ – शहर अब भी संभावना है, एक पतंग अनंत में, तत्पुरुष, बहुरि अकेला, कहीं नहीं वहीं इनके काव्य संग्रह है। वाजपेयी जी रागवृत्ति के कवि हैं। उनकी कविता के मुख्य विषय हैं- प्रेम, प्रकृति जीवन और मृत्यु। इनकी भाषा सरल, बोधगाम्य है। इन्होंने काव्य को नये राग में सँवारा।
शब्दार्थ :
- बरजो = मना करना।
- बसेरा = आश्रय।
- राहत = आराम, छुटकारा।
- छिटके = बिखरा होना, अलग होना।
- बगिया = बगीचा। रक्तिम = लाल।
- लक्ष्य = निशाना, उद्देश्य।
- चकाचौंध = तिलमिलाहट, रंगीनियाँ।
- गड्डमड्ड = घालमेल, तालमेल अव्यवस्थित रूप से एक दूसरे से मिलाया हुआ।
1. जब हम वापस आयेंगे
तो पहचाने न जायेंगे –
हो सकता है हम लौटें
पक्षी की तरह
और तुम्हारी बगिया के किसी नीम पर बसेरा करें
फिर जब तुम्हारे बरामदे के पंखे के ऊपर
घोंसला बनायें
तो तुम्हीं हमें बार-बार बरजो –
सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश ‘वापसी’ कविता से उद्धृत है। इसके रचयिता अशोक वाजपेयी है।
सन्दर्भ – इस कविता में कवि ने ‘आज के जीवन में परपपरा और स्थापित जीवन मूल्यों के प्रति लोगों की अनभिज्ञता को दिखलाया हैं।
व्याख्या – कवि का कथन है कि जब वह लौटकर पुनः आएगा तो लोग उसे पद्नचान नहीं सकेंगे। संभव है कि वह पक्षी की तरह लौटकर तुम्हारे बगीचे में किसी नीम के पेड़ पर अपना बसेरा घोसला बनाए। फिर वह तुम्हारे बरामदे में पंखे के ऊपर अपना घोसला बनाए। लेकिन बार-बार तुम ना करोगे, हटाने की चेष्टा।
2. या फिर थोड़ी सी बारिश के बाद
तुम्हारे घर के सामने छा गयी
हरियाली की तरह वापस आयें हम
जिससे राहत और सुख मिलेगा तुम्हें
पर तुम जान नहीं पाओगे कि
उस हरियाली में हम छिटके हुए हैं
व्याख्या – कवि कह रहा है कि यदि थोड़ा-सी वर्षा हो जाएगी तो बारिश के बाद तुम्हारे घर के सामने हरियाली छा जाएगी। उस समय वह हरियाली की तरह उल्लास पूर्वक आएगा। हरियाली से तुम्हें आराम और सुख-शांति की अनुभूति होगी। पर तुम अपने सुख-चैन में इस प्रकार बेसुध बने रहोगे कि हमें पहचान नहीं पाओगे। उस हरे भरे वातावरण में हम बिखरे हुए रहेंगे।
3. हो सकता है हम आयें
पलाश के पेड़ पर नयी छाल की तरह
जिसे फूलों की रक्तिम चकाचौंध में
तुम लक्ष्य भी नहीं पर पाओगे
हम रूप बदलकर आयेंगे
तुम बिना रूप बदले भी
बदल जाओगे –
व्याख्या : कवि ने स्पष्ट किया है कि संभव है कि वह दुबारा पलाश वृक्ष पर नवीन छाल की तरह आए। पलास के लाल-लाल फूलों की चमक में तुम मुझे देख भी न पाओगे। इस प्रकार कवि ने स्पष्ट किया है कि आधुनिक जीवन संस्कृति तथा शैली में लोग अपने पुरानी संस्कृति परंपरा से अनजान बन गए हैं। फिर कवि कह रहा है कि वह तो रूप बदलकर आएगा। पर तुम बिना बदले ही बदल जाओगे।
4. हालाँकि घर, बगिया,पक्षी-चिड़िया,
हरियाली फूल-पेड़ वहीं रहेंगे
हमारी पहचान हमेशा के लिए गड्डमड्ड कर जायेगा
वह अन्त
जिसके बाद हम वापस आयेंगे
और पहचाने न जायेंगे
व्याख्या : कवि ने स्पष्ट किया है कि घर, बाग-बगीचे, पक्षी-चिड़िया फूल, वृक्ष तथा वातावरण की हरियाली वैसे ही अपरवर्तित बनी रहेगी। पर हमारी पहचान खो जाएगी। सदा के लिए हमारी पहचान अव्यवस्थित रूप से एक दूसरे से मिल जाएगी। इस घालमेल के कारण हमारी पहचान अबोध बन जाएगी। इस प्रकार हमारा अन्त इसी रूप में होगा कि पुन: वापस आने पर पहचाने नहीं जाएँगे। हमारी पहचान ही विलुप्त हो जाएगी।