Students should regularly practice West Bengal Board Class 8 Hindi Book Solutions Chapter 8 पानी की कहानी to reinforce their learning.
WBBSE Class 8 Hindi Solutions Chapter 8 Question Answer – पानी की कहानी
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न 1.
‘पानी की कहानी’ पाठ किस शैली में लिखा गया है?
(क) वर्णनात्मक शैली
(ख) पत्र शैली
(ग) आत्मकथात्मक
(घ) डायरी शैली
उत्तर :
(ग) आत्मकथात्मक
प्रश्न 2.
ओस कहाँ से आई थी?
(क) घास से
(ख) पीपल के पेड़ से
(ग) आम के पेड़ से
(घ) बेर के पेड़ से
उत्तर :
(घ) बेर के पेड़ से
प्रश्न 3.
किसके लिए ओस के असंख्य बंधुओं ने अपने प्राण नाश किए?
(क) मनुष्य
(ख) पक्षी
(ग) जीव
(घ) पेड़
उत्तर :
(घ) पेड़
प्रश्न 4.
ओस के पुरखे कौन-कौन से गैस हैं?
(क) नाइट्रोजन ओषजन
(ख) हद्रजन कार्क्म डाईआक्साइड
(ग) हद्रजन – ओषजन
(घ) हद्रजन नाइट्रोजन
उत्तर :
(ग) हद्रजन ओषजन।
प्रश्न 5.
पृथ्वी प्रारंभ में कैसा गोला थी?
(क) लोहे का
(ख) ताँबे का
(ग) मिट्टी का
(घ) आग का
उत्तर :
(घ) आग का।
प्रश्न 6.
रामचंद्र तिवारी की मृत्यु कब हुई ?
(क) 4 जनवरी 2009 ई०
(ख) 4 फरवरी 2009 ई०
(ग) 4 मार्च 2009 ई०
(घ) 4 अप्रैल 2009 ई०
उत्तर :
(क) 4 जनवरी 2009 ई०
प्रश्न 7.
पृथ्वी प्रारंभ में कैसा गोला थी ?
(क) लोहे का
(ख) ताँबे का
(ग) मिट्टी का
(घ) आग का
उत्तर :
(घ) आग का
प्रश्न 8.
ओस की बूँद के अनुसार जड़ों के रोएँ कैसे होते हैं ?
(क) दयालु
(ख) प्रेमी
(ग) निर्द्यी
(घ) कोमल
उत्तर :
(ग) निर्दयी
प्रश्न 9.
बूँद को उड़ने की शक्ति कौन देता है ?
(क) चंद्रमा
(ख) तारें
(ग) ग्रह
(घ) सूर्य
उत्तर :
(घ) सूर्य
प्रश्न 10.
बूँद भाग्य पर भरोसा करके कहाँ सिकुड़ी रही ?
(क) जड़ में
(ख) तना में
(ग) पत्ते में
(घ) धरती पर
उत्तर :
(ग) पत्ते में
प्रश्न 11.
अपने जन्म के आरंभिक काल में बूँद किस रूप में घूमा करती थी ?
(क) जल के रूप में
(ख) भाप के रूप में
(ग) बर्फ के रूप में
(घ) ओस के रूप में
उत्तर :
(घ) ओस के रूप में
प्रश्न 12.
बूँद को आरंभ में समुद्र की कौन-सी चीज अच्छी नहीं लगी ?
(क) विस्तार
(ख) गहराई
(ग) खारापन
(घ) धाराएँ
उत्तर :
(ग) खारापन
प्रश्न 13.
ऊपर आकाश में पहुँचकर बूँद को किस पुरानी सहेली के दर्शन हुए ?
(क) तूफान
(ख) आँधी
(ग) बाढ़
(घ) ज्वार-भाटा
उत्तर :
(ख) आँधी
प्रश्न 14.
कौन धीरे-धीरे आँखों से ओझल हो गई ?
(क) लेखक
(क) बूँद
(ग) सूर्य
(घ) चन्द्रमा
उत्तर :
(क) बूँद
लघुउत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1.
क्रोध और घृणा से कौन काँप उठी?
उत्तर :
ओस क्रोध और घृणा से काँप उठी।
प्रश्न 2.
किसके शरीर से चमक निकलती थी?
उत्तर :
प्रकाश पिंड के शरीर से चमक निकलती थी।
प्रश्न 3.
इनका शरीर कब ओषजन और हद्रजन में विभाजित हो गया?
उत्तर :
उनका शरीर अरबों वर्ष पहले ओषजन और हद्रजन में विभाजित हो गया।
प्रश्न 4.
किस कारण वह बूँद बनकर नीचे कूद पड़ी?
उत्तर :
बहुत से भाप जल कणों के मिलने के कारण उसका शरीर भारी हो चला और नीचे झुक आया और एक बूँद ननकर नीचे कूद पड़ी।
प्रश्न 5.
पहाड़ों के पत्थरों का रेत रूप कैसे बनता है?
उत्तर :
बूँदों के प्रहार से पहाड़ों के पत्थर टूटकर खंड-खंड हो गए। इस प्रकार वे रेत के रूप में बन गए।
प्रश्न 6.
रामचंद्र तिवारी का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
रामघंद्र तिवारी का जन्म 4 जून, 1924 ई० को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के कुकुढ़ा नामक ग्राम में हुआ था।
प्रश्न 7.
ओस को लेखक के किस भाव से दु:ख हुआ ?
उत्तर :
ओस को लेखक के अविश्वास भाव से दु:ख हुआ।
प्रश्न 8.
बूँद का शरीर कब ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित हो गया ?
उत्तर :
एक ऊँचे तापमान वाले स्थान पर जाने के बाद बूँद का शरीर ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित हो गया।
प्रश्न 9.
बूँद को कब बाहर फेंक दिया गया ?
उत्तर :
बूँद जब ज्वालामुखी के निचले हिस्से में पहुँची, तब लावा के साथ उसे भी बाहर फेंक दिया गया।
प्रश्न 10.
बूँद नल से कैसे निकलकर भागी ?
उत्तर :
नल के पाइप में घूमते हुए बूँद एक ऐसी जगह पहुँची जहाँ नल टूटा हुआ था, वहीं से निकलकर वह भागी।
प्रश्न 11.
समुद्र के तल में कैसे पौधें उगे हुए हैं ?
उत्तर :
समुद्र की गहरी तल के नीचे छोटे ठिंगले मोटे पत्तों वाले पेड़ उगे हुए हैं।
प्रश्न 12.
बूँद ऊँची शिखर पर से कहाँ गिरें ?
उत्तर :
बूँद ऊँची शिखर पर से कूद कर एक चट्टान पर गिरी।
व्याख्या मूलक प्रश्न :
1. निर्देशानुसार मूलक प्रश्न
(क) ‘क्रोध और घुणा से उसका शरीर काँप उठा।’
1. यह पंक्ति किस पाठ से उद्धृत हैं? इसके रचनाकार का नाम लिखिए।
2. इसका पंक्ति का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
3. किसका शरीर काँप उठा और क्यों?
उत्तर :
1. प्रस्तुत पंक्ति ‘पानी की कहानी’ पाठ से उद्धृत है। इसके रचनाकार रामचंद्र तिवारी है।
2. पेड़ जितना बड़ा ऊपर दिखाई देता है, पृथ्वी के भीतर भी उतनी बड़ी उसका जड़ रहती है। उसकी जड़े और जड़ों के रोए अनगिनत जल कणों को सोख लेतें हैं। इस प्रसंग में यह पंक्ति कही गई है।
3. जल की बूँद शरीर के क्रोध और घृणा से काँप उठी। बूँद पेड़ के पास की भूमि में बहुत दिनों तक इधर-उधार घूमती रही, एकाएक पकड़ी गई, पेंड़ की जड़े तथा उनके रोएँ असंख्य जल कणों को बलपूर्वक पृथ्वी से खींच लेती हैं। कुछ को पेड़ बिल्कुल खा जाते है। अधिकांश का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल दूते हैं। यह देख कर बूँद का शरीर काँप उठा।
बोधमूलक प्रश्न :
प्रश्न 1.
पानी का जन्म कैसे हुआ?
उत्तर :
हद्रजन और ओषजन गैसों से उत्पन्न भाप पृथ्वी के चारों ओर घूमने लगी। फिर वह ठोस बर्फ के रूप में बदल गई। फिर नीचे दबे हुए ठोस बर्फ दबकर पानी के रूप में परिवर्तित हो गई।
प्रश्न 2.
प्रारंभ में पानी के शरीर का रूप कैसा था और क्रमशः कैसा हो गया?
उत्तर :
प्रारंभ में पानी का शरीर हद्रजन और ओषजन गैसों के रूप में था। बाद में उन गैसों का अस्तित्व खत्म हो गया। फिर उनसे बनी ओस बूँदें, भाप बन गई। भाप पृथ्वी के चारों ओर घूमती-फिरती थी। उसके बाद वे ठोस बर्फ के रूप में बन गई। ठोस बर्फ ही पिघल कर पानी बन गए।
प्रश्न 3.
समुद्र के भीतर उसने क्या-क्या देखा?
उत्तर :
समुद्र के भीतर उसने धीरे-धीरे रेंगनेवाले घों, जालीदार मछालयाँ, कई-कई मनभारी कछुवे और हाथों वाली मछलियाँ देखा। एक मछली के आठ हाथ थे। उनसे वह अपने शिकार पकड़ लेती थी। समुद्र की गहराई में जाकर एक सुंदर मछली देखा, जिसके शरीर से एक प्रकार की चमक निकलती थी। समुद्र की गहरी तह में छोटे-ठिंगने मोटे पत्ते वाले पेड़, पहाड़ियों, घाटियों, गुफाओं में अनेक जीव-जन्तु को देखा।
प्रश्न 4.
ज्वालामुखी किसे कहते हैं?
उत्तर :
पृथ्वी के फट जाने से उसमें धुआँ, रेत, पिघली, धातुएँ तथा लपटें निकलती हैं। इसे ज्वालामुखी कहते हैं।
प्रश्न 5.
पहाड़ से गिर सरिता बन वह क्या करती है और कहाँ पहुँचती है?,
उत्तर :
पहाड़ से गिर सरिता बन वह कभी भूमि को काटती, कभी पेड़ों, की खोखला कर उन्हें गिरा देती है। बहते-बहते वह एक दिन एक नगर के पास पहुँचती है।
भाषा बोध :
1. संस्कृत के वे शब्द जिनका हिन्दी में वैसे ही प्रयोग किया जाता है, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। जैसे-दुर्ध, दधि, अग्न, वर्षा आदि।
संस्कृत के जिन शब्दों को हिन्दी में बदलकर प्रयोग किया जाता है, उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं। जैसे- दूध, दही, आग, बारिश।
निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम शब्द और तद्भव शब्द को अलग कीजिए-
मोती, उज्ज्वल, हाथ, कार्य, दृश्य, छेद, क्षण, पत्थर, मुँह, कार्य, धुँआ, पुरखे, भूमि, प्रत्यक्ष, मनुष्य।
तत्सम शब्द – तद्भव शब्द
- उज्ज्यल – मोती
- कार्य – हाथ
- दृश्य – छेद
- क्षण – पत्थर
- कार्य – मुंह
- भूमि – धुआँ
- प्रत्यक्ष – पुरखे
मनुष्य
2. जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उन्हें विशेषण कहते हैं। जैसे- दयालु, भारतीय, सुन्दर आदि।
निम्नलिखित शब्दों के विशेषण रूप बनाइए-
- अंगल – जंगली
- प्रकृति – प्राकृतिक
- नगर – नागरिक
- दर्शन – दर्शनीय, दार्शनिक
- श्रद्धा – श्रद्यालु
- साहस – साहसी
- अनुभव – अनुभवी
- शक्ति – शक्तिमान, शक्तिशाली
3. निम्नलिखित शब्द युग्मों को वाक्य में प्रयोग कीजिए –
- इधर-उधर – इधर-उधर देखकर चलना चाहिए।
- उथल-पुथल – वर्षा के कारण उथल-पुथल मच गई।
- बंधु-बांधवों – मैने जन्म-दिन पर बंधु बाँधनों को निमंत्रित किया।
- जैसे-तैसे – जैसे-तैसे उसने अपना काम सम्पन्न कर लिया।
- चहल-पहल – मेले में बड़ी चहल-पहल थी।
- आस-पास – हमारे घर के आस-पास वृक्षों की छाया बनी रहती है।
- मैली-कुचैली – भिखारिन मैली-कुचैली धोती पहन रखी है।
- लाल-पीला – मुझे देखते ही वह लाल-पोला हो गया।
- उछलने-कूदने – बच्चों को उछलने-कूदने में मजा आता है।
4. निम्नलिखित शब्दों के अंग्रेजी के समान अर्थ वाले शब्द लिखिए –
- हद्रजन – हाइड्रोजन
- ओषजन – ऑक्सीजन
- रासायनिक क्रिया – कैमिकल रिएक्शन
- तापक्रम – टेम्परेचर
- दुर्घटना – एक्सीडेंट
- धुन्यवाद – थैंक्स
WBBSE Class 8 Hindi पानी की कहानी Summary
लेखक-परिचय :
आचार्य रामचंद्र तिवारी का जन्म सन् 1924 ई० में वाराणसी जनपद के कुकुढ़ा ग्राम में हुआ था। हिन्दी साहित्य में ये आलोचक के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनकी महत्वपूर्ण रचनाएँ- हिन्दी का गद्य साहित्य, मध्ययुगीय काल साधना, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, कबीर मीमांसा, आलोचना का दायित्व आदि है। सन् 2009 में इनका देहावसान हो गया।
सारांश :
एक दिन लेखक के हाथ पर मोती-सी एक बूँद आ पड़ी। वह बूँद लेखक को अपनी कहानी सुनाने लगी। बूँद कहने लगी कि में बेर के पेड़ से आई हूँ। सामने का पेड़ का ऊपरी हिस्सा जितना बड़ा है पृथ्वी के नीचे उसकी जड़ भी उतनी बड़ी है। हमारे असंख्य बन्धुओं ने इसे इतना बड़ा बनाने में अपने प्राण नाश किए हैं। पेड़ के रोएँ असंख्य जल कणों को खींचकर खा जाते हैं, कुछ को बाहर निकाल देते हैं। लगभग तीन दिन तक मैं एक कोठरी में साँसत भोगती रही। फिर पत्तों के छेदों से होकर भागी। रक्षा पाने के लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी। सूर्य के निकलने पर उड़ने को शक्ति मिल जाएगी। मेरा जीवन विभिन्न घटनाओं से परिपूर्ण है। उसकी कहानी मैं तुम्हें सुना रहा हूँ।
बहुत दिन पहले मेरे पुरखे हद्रजन और ओषजन नामक दो गैसें सूर्य मंडल में लपटों के रूप में विद्धमान थीं। एक दिन बाह्मण्ड के उथल पुथल होने से अनेक ग्रह और उपग्रह बन गए। एक दिन एक प्रचंड प्रकाश पिंड सूर्य की ओर बढ़ने लगा। उसकी आकर्षक शक्ति से सूर्य का एक भाग टूट कर फिर से कई टुकड़ों में टूट गया। उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी पृथ्वी है। यह प्रारंभ में एक बड़ा आग का गोला थी। अरबों वर्ष पहले हद्रजन और ओषजन के रासायनिक क्रिया के कारण मैं पानी बन गई। मेरा शरीर पहले भाप रूप में था। बाद में मैं ठोस बर्फ के रूप में परिवर्तित हो गई।
भार के कारण मेरे कुछ भाई पानी हो गए। कई मास मैं समुद्र में घूमती रही। एक दिन गर्म धारा से पिघल कर मैं पानी बनकर समुद्र में मिल गई। समुद्र का दृश्य अद्भुत था। समुद्र में दूसरे जीवों की चहल पहल है। उसमें निरा नमक भरा है। एक दिन समुद्र की गहराई में जाकर मैने विचित्र विचित्र जीव देखें। धीरे-धीरे रेंगने वाले घोंघे, जालीदार, मछलियाँ, कई कई मन भांरी कछुये, और हाथों वाली मछलियाँ देखी। एक लंबी मछली के आठ हाथ थे।
और गहराई में जाने पर अँधकार में एक सुन्दर मछली दिखलाई पड़ी, जिसके शरीर से चमक निकल रही थी। छोटी-छोटी मछलियों को वह खा जाती थी। नीचे समुद्र की गहरी तल में जंगल में छोटे ठिंगले मोटे पत्तों वाले पेड़ उगे हुए हैं। वहाँ पर पहाड़ियों घाटियों की गुफाओं में जीव जन्तु रहते हैं। फिर मैं चट्टान में घुल गई। एक जगह ताप क्रम बहुत ऊँचा था। एक जोर के धक्के से ऊँचे आकाश में उड़ चलो। देखा कि पृथ्वी से धुँआ, रेत, पिघली, धातुएँ तथा लपटें निकल रही है। इसे ज्वाला मुखी कहते हैं।
बहुत से भाप जल कणों के मिलने के कारण भारी होकर एक दिन बूँद बनकर नीचे कूद पड़ी। ऊँची शिखर पर से कूद कर एक चट्टान पर गिरी। हमारे प्रहार से टूटकर खंड-खंड होकर पत्थर रेत बन गया। फिर समतल भूमि देखने की इच्छा से मैं एक छोटी धारा सरिता में मिल गई। नदी के तट पर एक मीनार से निकलनेवाली हवा को देखने के लिए मैं आगे बढ़ी और साथियों के साथ एक मोटे नल में खींच ली गई। एकाएक टूटे नल में पहुँचकर उसमें से भाग निकली। पृथ्वी के अंदर घूमते-घूमते इस बेर के पेड़ के पास पहुँची। सूर्य के निकलते ही मैं लेखक के पास न रह सकी। इस प्रकार ओस की बूँद धीरे-धीरे आँखों से ओझल हो गईई।
शब्दार्थ :
- टटोलना – जाँच करना, परखना
- साँसत – कठिनाई में पड़ना
- दीर्घ जीवी – लंबे समय तक जीनेवाला
- ज्ञान – जानकारी
- वार्तालाप – बातचीत
- किलकारी – हर्षध्वनि
- खंड-खंड – टुकड़े-टुकड़े
- रेत – धूल
- विद्यमान – मौजूद
- अस्तिव – विद्यमानता, सत्ता
- ओझल-लुप्त, आँखों से परे
- बहुतायत – अधिक
- असहय – न सहने योग्य
- अबाध – बाधा रहित, निर्विघ्न
- किलोले- आनन्दं लहर
- दृश्य – नजारा
- अगुवा – आगे चलने वाला
- शिखर – चोटी
- प्रहार – आघात, हनन
- वर्णनातीत – जिसका वर्णन न किया जा सके