Students should regularly practice West Bengal Board Class 8 Hindi Book Solutions Chapter 6 अपराजिता to reinforce their learning.
WBBSE Class 8 Hindi Solutions Chapter 6 Question Answer – अपराजिता
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न 1.
डॉ० चन्द्रा का शरीर जन्म से कितने दिनों में पोलियो ग्रस्त हो गया?
(क) आठवें दिन
(ख) अद्ठारहवें दिन
(ग) अट्ठारहवें महीने
(घ) अट्ठारहवें वर्ष
उत्तर :
(ग) अट्ठारहवें महीने।
प्रश्न 2.
किस वर्ष डॉ० चन्द्रा को डॉक्टरेट की उपाधि मिली?
(क) 1966
(ख) 1978
(ग) 1986
(घ) 1976
उत्तर :
(घ) 1976 ई०
प्रश्न 3.
डॉ० चन्द्रा ने किस विषय में एम०एस०सी० पास किया?
(क) रसायन शास्त्र
(ख) प्राणिशास्त्र
(ग) वनस्पति शास्त्र
(घ) भौतिक शास्त्र
उत्तर :
(ख) प्राणि शास्त्र
प्रश्न 4.
डॉ० चन्द्रा ने स्नातकोत्तर किस श्रेणी में पास की?
(क) द्वितीय
(ख) तृतीय
(ग) प्रथम
(घ) सातकोत्तर पास नहीं की
उत्तर :
(ग) प्रथम
प्रश्न 5.
डॉ० चन्द्रा ने कितने वर्षों में शोध कार्य पूरा किया?
(क) सात
(ख) चार
(ग) पाँच
(घ) तीन
उत्तर :
(ग) पाँच
प्रश्न 6.
शिवानी का पूरा नाम क्या था ?
(क) गौरीपंत शिवानी
(ख) गौरापंत शिवानी
(ग) गोरापंत शिवानी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) गौरापंत शिवानी
प्रश्न 7.
शिवानी ने स्नातक की पढ़ाई कहाँ से पूरी की ?
(क) प्रेसीडेन्सी कॉलेज
(ख) शांतिनिकेतन
(ग) रवीन्द्रभारती विश्वविद्यालय
(घ) कलकत्ता विश्वविद्यालय
उत्तर :
(ख) शांतिनिकेतन
प्रश्न 8.
डॉ० चंद्रा का शरीर जन्म के कितने दिनों में पोलियो ग्रस्त हो गया ?
(क) आठवें दिन
(ख) अट्ठारहवें दिन
(ग) अट्टारहवें महीनें
(घ) अद्टारहवें वर्ष
उत्तर :
(ग) अट्टारहवें महीनें
प्रश्न 9.
डॉ० चंद्रा ने किस विषय में एम० एस-सी० पास किया ?
(क) रसायन शास्त्र
(ख) प्राणि शास्त्र
(ग) वनस्पति शास्त्र
(घ) भौतिक शास्त्र
उत्तर :
(ख) प्राणिशास्त्र
प्रश्न 10.
डॉ० चंद्रा ने कितने वर्षों में शोधकार्य पूरा किया ?
(क) सात
(ख) चार
(ग) पाँच
(घ) तीन
उत्तर :
(ग) पाँच
प्रश्न 11.
हवाई द्वीप के ईस्ट-वेस्ट सेंटर में कौन काम करता था ?
(क) डॉ० चंद्रा
(ख) लेखिका
(ग) लेखिका के दामाद
(घ) डॉ० चंद्रा की माँ
उत्तर :
(ग) लेखिका के दामाद
प्रश्न 12.
किस डॉक्टर के उपचार से डॉ॰ चंद्रा के हाथों में थोड़ी-बहुत जान आई ?
(क) इ० एन० टी० सर्जन के
(ख) त्वया रोग विशेष्ज के
(ग) ऑर्थेंपिडिक सर्जन के
(घ) जेनेरल फिजिशियन के
उत्तर :
(ग) ऑर्थोपिडिक सर्जन के
c
प्रश्न 13.
डॉ० चंद्रा की माँ ने उसका दाखिला किस विद्यालय में करवाया ?
(क) सेंट जेवियर स्कूल
(ख) सेंट जोसेफ स्कूल
(ग) माउंट कारमेल कॉन्वेंट
(घ) उपरोक्त कोई नहीं
उत्तर :
(ग) माउंट कारमेल कॉन्वेंट
प्रश्न 14.
डॉ० चंद्रा के माता-पिता ने चंद्रा के लिए कहाँ से व्कील चेयर मँगवाया ?
(क) लंदन
(ख) न्यूयार्क
(ग) वाशिंगटन
(घ) पेंसिलवानिया
उत्तर :
(घ) पेंसिलवानिया
प्रश्न 15.
कौन नूरमंजिल में शरण लिया है ?
(क) नवयुवक
(ख) शिवानी
(ग) लेखिका
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) नवयुवक
प्रश्न 16.
कौन ‘जननी पुरस्कार’ ग्रहण कर रही है ?
(क) लेखिका
(ख) डॉ॰ चन्द्रा
(ग) श्रीमती सुबह्मणयम
(घ) लड़की
उत्तर :
(ख) डॉ० चन्द्रा
लघुउत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1.
लेखिका किसके जीवन में प्रभावित हुई?
उत्तर :
लेखिका डॉ॰ चन्द्रा के जीवन से प्रभावित हुई,
प्रश्न 2.
डॉ० चन्द्रा कब पोलियोग्रस्त हुई?
उत्तर :
डा० चन्द्रा जन्म के अट्ठारहवें महीने में पोलियोग्रस्त हुई।
प्रश्न 3.
डॉ० चन्द्रा की माँ का नाम लिखिए।
उत्तर :
डॉ॰ चन्द्रा की माँ का नाम श्रीमती शारदा सुबह्हण्यम था।
प्रश्न 4.
विज्ञान के अतिरिक्त डॉ०चन्द्रा किन-किन कार्यों में दक्ष थी?
उत्तर :
विज्ञान के अतिरिक्त डॉ॰ चन्द्रा काव्य रचना, कढ़ाई, बुनाई, जर्मन भाषा का ज्ञान, भारतीय एवं पाश्चात्य संगीत आदि में दक्ष थी।
प्रश्न 5.
डॉ० मेरीवर्गीज कौन थी?
उत्तर :
डॉ॰ मेरीवर्गीज एक अपंग महिला होते हुए भी मेडिकल की शिक्षा प्राप्त कर सेवा कार्य किया था।
प्रश्न 6.
डॉ॰ चन्द्रा ने अपनी माँ का चित्र कहाँ लगा रखा था?
उत्तर :
डॉ॰ चन्द्रा ने अपने एलबम के अन्तिम पृष्ठ पर अपनी माँ का बड़ा-सा चित्र लगा रखा था।
प्रश्न 7.
लखनऊ का मेधावी युवक इलाहाबाद क्यों गया था ?
उत्तर :
लखनऊ का मेधावी युवक आई० ए० एस० की परीक्षा देने इलाहाबाद गया था।
प्रश्न 8.
डॉ० चंद्रा ने किसके निर्देशन में शोधकार्य पूरा किया ?
उत्तर :
डॉ॰ चंद्रा ने प्रोफेसर सेठना के निर्देशन में शोधकार्य पूरा किया।
प्रश्न 9.
चंद्रा की माता को कौन-सा पुरस्कार मिला ?
उत्तर :
चंद्रा की माता को ‘वीर जननी’ पुरस्कार मिला।
प्रश्न 10.
डॉ० चंद्रा के प्रोफेसर ने उनकी प्रशंसा में क्या कहा ?
उत्तर :
डॉ० चंद्रा के प्रोफेसर ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि डॉ० चंद्रा ने विज्ञान की प्रगति में महान् योगदान दिया है।
प्रश्न 11.
‘अपराजिता’ किस विधा की रचना है ?
उत्तर :
‘अपराजिता’ शिवानी द्वारा लिखित एक संस्मरण है।
प्रश्न 12.
रवीन्द्रनाथ टैगोर शिवानी को क्या कहकर बुलाते थे ?
उत्तर :
रवीन्द्रनाथ टैगोर शिवानी को ‘गोरा’ कहकर बुलाते थे।
बोधमूलक प्रश्न :
प्रश्न 1.
लेखिका का परिचय डॉ० चन्द्रा से कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
लेखिका ने डॉ० चन्द्रा को पहली बार कार से उतरते देखा। किस प्रकार वह निर्जीव धड़ के होते हुए भी कार से उतर कर कील चेयर पर बैठकर घर के भीतर जाती थी। लेखिका नित्य अपनी कोठी से उसे देखती। आश्चर्य चकित होकर प्रभावित हुई। धीरे-धीरे लेखिका का उससे परिचय हो गया।
प्रश्न 2.
डॉ० चन्द्रा को मेडिकल में प्रवेश क्यों नहीं मिला?
उत्तर :
निचला धड़ निर्जीव होने के कारण वह सफल शल्य चिकित्सक नहीं बन सकती थी। यही सोचकर डॉ० चन्द्रा को मेड़िकल में प्रवेश नहीं मिला।
प्रश्न 3.
चन्द्रा की माँ को चन्द्रा को शिक्षा प्राप्ति में किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर :
चन्द्रा की माँ कील चेयर लेकर प्रत्येक पीरिएड में उसके पीछे खड़ी रहती। अपने सारे सुख त्याग कर नित्य छाया बनी पुर्री की पहिया लगी कुर्सी के पीछे चक्र सी घूमती रहती। पच्चीस वर्ष तक सहिष्यु माँ पुर्री के साथ-साथ कठिन साधना की।
प्रश्न 4.
‘वीर जननी’ का पुरस्कार किसे और क्यों दिया गया?
उत्तर :
‘वीर जननी’ का पुरस्कार डॉ० चन्द्रा की माँ श्रीमती टी० सुबह्मण्यम को मिला। चन्द्रा की माँ ने जीवन के सारे सुख त्याग कर पुत्री की चिकित्सा तथा उसकी शिक्षा के लिए अपना जीवन लगा दिया। उनकी कठिन साधना के कारण डा० चन्द्रा सफल हुई और डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। सचमुच वे अद्भुत साहसी तथा कष्ट सहिष्णु महिला थी। इसी कारण उन्हें यह पुरस्कार दिया गया।
प्रश्न 5.
डॉ० चन्द्रा के विषय में उनके प्रोफेसर का क्या विचार है?
उत्तर :
डॉ० चन्द्रा के विषय में उनके प्रेफ्फेसर का विचार है कि चन्द्रा ने विज्ञान की प्रगति में महान योगदन दिया है।
प्रश्न 6.
डॉ० चन्द्रा का चिरित्र चित्रण लिखिए।
उत्तर :
डॉ॰ चन्द्रा का व्यक्तित्व विलक्षण है। उस में अद्भुत साहस, अदम्य उत्साह उत्कृट.निजीविषा का भाव तथा महत्वाकांक्षाएँ भरी हुई है। अपने अद्भुत साहस से नियति को अंगूठा दिखा डॉक्टरेट प्राप्त कर ली। उसमें अद्भुत प्रतिभा थी। प्रत्येक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक जीत सकी। कढ़ाई बुनाई तथा संगीत में भी उसकी रुचि है। अपने प्रयोगशाला में अपना संचांलन उसने सुगम बना लिया। अपना सारा काम स्वयं निपटा लेती है। ऐसी भयंकर परिस्थिति में भी वह दृढ़ता से खड़ी रही। नियति के कठोर आघात को धैर्य और साहस से झेलती हुई वह देवांगना से कम नहीं लगी। विज्ञान की प्रगति में डा० चन्द्रा ने महान योगदान दिया है।
प्रश्न 7.
‘चिकित्सा ने जो खोया, वह विज्ञान ने पाया’ उक्त गद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
डॉ० चन्द्रा की डॉक्टर बनने की प्रबल इच्छा थी। परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने पर भी उसे मेडिकल में प्रवेश नहीं मिला, क्यों कि उसका निचला धड़ निर्जीव था। इसलिए वह चिकित्सा के क्षेत्र में अपना योगदान न कर सकी। चिकित्सा ने इस प्रकार आदर्श सेविका को खो दिया। डॉ० चन्द्रा डॉक्टर नहीं बनी पर अच्छीवैज्ञानिक बन गई। विज्ञान उसे पाकर गैरवान्वित हुआ। विज्ञान की प्रगति में डॉ० चन्द्रा ने महत्पूपर्ण योगदान दिया है।
व्याख्या मूलक प्रश्न :
1. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –
‘नियति के प्रत्येक कठोर आघात को अति मानवीय धैर्य एवं साहस के झेलती वह वित्ते मर की लड़की मुझे किसी देवांगना से कम नहीं लगी।
(क) उद्धृत पंक्तियाँ किस रचनाकार की किस रचना से उद्धृत है?
(ख) यहाँ ‘वहाँ तथा ‘मुझे’ शब्द का प्रयोग किसके लिए हुआ है?
(ग) इस अवतरण की व्यख्या कीजिए।
उत्तर :
(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ सुश्री श्विानी कृत ‘अपराजिता’ से उद्धुत है।
(ख) यहाँ ‘वह’ शब्द का प्रयोग चन्द्रा के लिए तथा ‘मुझे’ शब्द का प्रयोग लेखिका शिवांनी के लिए हुआ है।
(ग) प्सस्तुत अवतरण में लेखिका ने चन्द्रा के धैर्य एवं साहस का वर्णन किया है। धीरे-धीरे लेखिका का परिचय चन्द्रा से हुआ। चन्द्रा की कहानी सुनकर लेखिका आश्चर्य चकित रह गई। चन्द्रा पक्षाघात से अपंग बन गई थी। उसका निचला धड़ निष्पाण केवल मांस पिंडमात्र रह गया। भाग्य ने बचपन में उस पर कठोर प्रहार कर दिया था। पर उसमें अद्भुत साहस एवं धैर्य था। सारे कष्टों को झेलती हुई वह नह्हीं सी बालिका कभी हार नहीं मानी, कभी निराश नहीं हुई। लेखिका उसके इस अपूर्व धैर्य और उत्साह उसकी मानसिक शक्ति तथा लगन को देखकर उसकी तुलना देवांगना (देवी) से की है। वह मानवी भाव विचार से बहुत ऊपर थे।
भाषा बोध :
1. इस पाठ से पाँच तत्सम शब्द चुनकर उसके तद्भव शब्द लिखिए:
- आश्चर्य – अचरज
- द्वार – दरवाजा
- उच्च – ऊँचा
- स्वर्ण – सोना
- धैर्य – धीरज
2. निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग अलग कीजिए :
- अमानवीय अ + मानवीय
- प्रसद्धि प्र + सिद्ध
- उल्लास उत् + लास
- विज्ञान वि + ज्ञान
- प्रगति प्र + गति
- अवरुद्ध अव + रुद्ध
3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए :-
- पिछली – अगली
- निर्जीव – सजीव
- उजले – अंधेरे
- साहसी – कायर
- अभिशाप – वरदान
- इच्छा – अनिच्छा
- सर्वेच्च – सर्वनिम्न
4. संज्ञा और दूसरे विकारी शब्दों की संख्या का गिनती का जिससे बोध होता है, उसे वचन कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं – (क) एक वचन (ख) बहुवचन।
निम्नलिखित शब्दों के वचन परिवर्तित कीजिए –
- कोठी – कोठियाँ
- बैशाखियों – बैशाखी
- वस्त्र – वस्बों
- पंक्ति – पंक्तियों
- महत्वाकांक्षाएँ – महत्वाकांक्षा
- टाँग – टाँगों
- स्त्री – स्त्रियाँ
- पुरुष – पुरुषों
- लड़की – लड़कियाँ
- कठिन -कठिनाइयाँ
- वर्ष – वर्षो
WBBSE Class 8 Hindi टोबा टेक सिंह Summary
लेखक-परिचय :
शिवानी का जन्म राजकोट गुजरात में सन् 1933 ई० में हुआ। इनकी शिक्षा शान्तिनिकेतन तथा कोलकाता में हुई। इनकी प्रमुख रचनाएँ- कृष्णकली, चौदह फेरे, पाताल भैरवी, श्मशान, चम्पा, कैंजा, यात्रिक आदि हैं। इन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इनकी सहज, सरल, प्रवाहपूर्ण भाषा में लोच तथा कोमलता भरी है। पाठक इनकी रचनाओं को पढ़ने में तल्लीन हो जाते हैं। भाषा को प्रवाह और माधुर्य से परिपूर्ण शैली अत्यंत हलययग्राही है।
सारांश :
प्रस्तुत पाठ में लेखिका ने बताया है कि एक अपंग पोलियो अभिशप्त लड़की आत्मशक्ति, साहस तथा धैर्य से अपने जीवन को अभिशाप से वरदान बना दिया। विषम परिस्थितियों में भी दृढ़ बनी रही। कहानी डॉ॰ चन्द्रा की है। लेखिका उसके निर्जीव निचले धड़ को कुशलता से कार से उतरते, बैशाखियों से कीलचेयर तक पहुँचने, फिर उसे चलकर कोठी के भीतर पहुँच, देखकर आश्चर्य चकित रह जाती थी। लेखिका अपनी यह रचना एक मेधावी नवयुवक को पढ़ने के लिए कह रही है। जो एक हाथ के कट जाने से बिल्कुल निराश होकर मानसिक संतुलन भी खो बैठा। नशे की गोलियाँ खाने लगा और नूरमंजिल में शरण लिया है।
जन्म के अट्ठारहवें महीने में चन्र्रा की गर्दन के नीचे का पूरा शरीर पोलियों से निर्जीव हो गया। सामान्य ज्वर के चौथे दिन पक्षाघात से यह घटना घटी। उसकी माँ ने बड़े-बड़े डाक्टरों को दिखलाया, पर सभी डॉक्टरों से जवाब मिल गया। फिर भी माँ श्रीमती सुब्रह्हण्यम् ने आशा न छोड़ी। एक आर्थेपिडिक डॉक्टर के इलाज से इसके ऊपरी धड़ में गति आ गई। हाथ की उँगलियाँ हिलने लगी। निर्जीव धड़ को सहारा देकर बैठना सीख गई।
बंगलौर के प्रसिद्ध माउंट कारमेल में प्रवेश हो जाने पर उसकी माँ कील चेयर लेकर अपंग पुत्री को कक्षाओं में पहुँचाती। मेधावी चन्द्रा ने प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक जीते। बी०एस०सी० किया। फिर प्राणिशास्त्र में एम० एस० सी० में प्रथम स्थान प्राप्त किया और बंगलुरू के प्रख्यात इंस्टीच्यूट ऑफ साइंस में स्पेशल सीट प्राप्त कर ली। अपनी निष्ठा, धैर्य एवं साहस से प्रोफेसर सेठना के निर्देशन में पाँच वर्ष शोध कार्य किया। सन् 1976 में चन्द्रा को माइकोबायोलॉजी में डॉक्टरेट मिली। अपंग स्त्री पुरुषों में इस विषय में डॉक्टरेट पाने वाली डॉ० चन्द्रा प्रथम भारतीय है।
डा० चन्द्रा ने मार्मिक कविताओं की रचना की। कढ़ाई-बुनाई के काम में भी सफलता हासिल की। जर्मन भाषा में माता-पुत्री दोनों ने मैक्समूलर भवन से विशेष योग्यता सहित परीक्षा उत्तीर्ण की। भारतीर्य एवं पाश्चात्य संगीत में उसकी समान रुचि थी। गर्ल गाइड में राष्ट्रपति का स्वर्ण कार्ड पानेवाली यह प्रथम अपंग बालिका थी। अपने एलबम को वह लेखिका को दिखाने लगी। पुरस्कार ग्रहण करती डॉ० चन्द्रा, प्रधान मंत्री के साथ मुस्कराती डॉ० चन्द्रा, राष्ट्रपति को सलामी देती डॉ० चन्द्रा, कील चेयर में लैदर जैकेट में जकड़ी बैसाखियों का सहारा देकर अपनी डॉक्टरेट ग्रहण करती डॉ० चन्द्रा०।
निचला घड़, निर्जीव होने के कारण चन्द्रा को मेडिकल में प्रवेश नहीं मिला। पर चिकित्सा ने जो खोया विज्ञान ने पाया। डा० चन्द्रा के एलबम के अन्तिम पृष्ठ पर उनकी माता का बड़ा-सा चित्र है, जिसमें वे जे० सी० बंगलुरू द्वारा प्रदत्त विशिष्ट ‘जननी पुरस्कार’ ग्रहुण कर रही है। पुत्री के प्रेम में अपने सारे सुख त्याग कर छाया की तरह उसकी सेवा में तत्पर अद्भुत साहसी जननी शारदा सुब्रह्माण्यम् के शब्द – ईश्वर सब द्वार एक साथ बंद नहीं करता। यदि एक द्वार बंद करता भी है तो दूसरा द्वार खोल भी देता है। आज भी गूँज रहे हैं।
शब्दार्थ :
- प्रौढ़ा – अधिक अवस्था वाली स्त्री
- नियति – भाग्य
- आघात – चोट, प्रहार, धक्का
- विलक्षण- अद्भुत
- रिक्तता – खालीपन
- आवागमन – आना-जाना
- मेधावी – बुद्धिमान
- उत्फुल्ल – प्रसन्न
- नियत – निश्चित
- साधना- तपस्या
- यातनाप्रद – कष्ट दायक
- पक्षाघात -लकवा मारना
- सर्वाग – सारा अंग
- निष्ठा – आस्था
- विशिष्ट – विशेष, खास
- विचित्र – अलग कर देना
- देवांगना – दिव्य गुणवाली स्त्री, देवी
- विषाद – दु:ख
- अदम्य – जिसे दबाया न जा सके, प्रचंड, प्रबल
- उत्कट – प्रबल
- जिरह बख्तर – कवच, जिससे शरीर की रक्षा हो
- क्षत-विक्षत – बुरी तरह घायल
- आभामंडित – तेजस्वी, कांति से शोभायान
- जिजीविषाा – जीने की इच्छा
- अभिशाप – शाप से ग्रस्त
- अचल – निष्क्रिय, जो हिल न सके
- आर्थेपिडिक – हड्डी संबंधित
- पटुता – चतुरता, कुशलता
- सुदीर्घ – अधिक समय, लंबा
- अधर- ओठ
- अपंग – अंगहीन, असमर्थ, लंगड़ा
- पाश्चात्य – पश्चिमी