Students should regularly practice West Bengal Board Class 8 Hindi Book Solutions Chapter 2 सुभान खाँ to reinforce their learning.
WBBSE Class 8 Hindi Solutions Chapter 2 Question Answer – सुभान खाँ
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न 1.
लेखक सुभान दादा से कौन-सी सौगात लाने के लिए कहता है?
(क) बादाम
(ख) खजूर
(ग) छुआरे
(घ) मटर
उत्तर :
(ग) बुआरे
प्रश्न 2.
जियारत का अर्थ है-
(क) यात्रा करना
(ख) भ्रमण करना
(ग) तीर्थ यात्रा करना
(घ) नौका यात्रा करना
उत्तर :
(ग) तीर्थ यात्रा करना
प्रश्न 3.
किस दिन लेखक को बचपन में मुसलमान बच्चों की तरह कूदना पड़ता था।
(क) ईद
(ख) बकरीद
(ग) मुहर्रम
(घ) शबे-बारात
उत्तर :
(ग) मुहर्रम
प्रश्न 4.
सुभान दादा का क्या अरमान था?
(क) वृद्धा आश्रम बनाने का
(ख) बाल सुधार गृह बनवाने का
(ग) अस्पताल बनाने का
(घ) मस्जिद बनाने का
उत्तर :
(घ) मस्जिद बनाने का।
प्रश्न 5.
सुभान खाँ थे –
(क) हिन्दू
(ख) राजमिस्त्री
(ग) हलवाई
(घ) दर्जी
उत्तर :
(ख) राजमिस्त्री
प्रश्न 6.
सुभान खाँ सिर पर कैसी टोपी पहनते थे ?
(क) लाल
(ख) सफेद
(ग) दुपलिया
(घ) हरे
उत्तर :
(ग) दुपलिया
प्रश्न 7.
सुभान खाँ की वाणी कैसी थी ?
(क) मधुर
(ख) कठोर
(ग) कर्कस
(घ) तोतला
उत्तर :
(क) मधुर
प्रश्न 8.
अल्लाह के रसूल किस मुल्क से आए थे ?
(क) पुर्वी मुल्क
(ख) पश्चिम के मुल्क
(ग) उत्तरी मुल्क
(घ) दक्षिण मुल्क
उत्तर :
(ख) पश्चिम के मुल्क
प्रश्न 9.
सुभान खाँ कैसे करके पैसे इकट्दे करते थे ?
(क) परिश्रम करके
(ख) बचत करके
(ग) चोरी करके
(घ) भीख माँग करके
उत्तर :
(क) परिश्रम करके
प्रश्न 10.
सुभान खाँ ने लेखक के लिए मक्का से क्या लाने को कहा ?
(क) प्रसाद
(ख) छुआरे
(ग) काजु
(घ) जल
उत्तर :
(ख) छुआरे
प्रश्न 11.
सुभान खाँ किसको लेकर करबला की ओर चले?
(क) बच्चों को
(ख) लेखक को
(ग) दादी को
(घ) दादा को
उत्तर :
(ख) लेखंक को
प्रश्न 12.
किसके बगीचे से मस्जिद बनाने के लिए लकड़ी गई थी ?
(क) सुभान दादा
(ख) लेखक
(ग) मौलवी साहब
(घ) मामा के बगीचे से
उत्तर :
(घ) मामां के बगीचे से
प्रश्न 13.
रामवृक्ष बेनीपुरी की मृत्यु किस वर्ष हुई ?
(क) 1966 ई० में
(ख) 1967 ई० में
(ग) 1968 ई॰ में
(घ) 1969 ई० में
उत्तर :
(ग) 1968 ई० में
प्रश्न 14.
मक्का कहाँ है ?
(क) भारत में
(ख) पाकिस्तान में
(ग) अरब में
(घ) बंगलादेश में
उत्तर :
(ग) अरब में
प्रश्न 15.
कर्ज लेकर जियारत करने से क्या नहीं मिलता है ?
(क) पाप
(ख) पुण्य
(ग) दान
(घ) सौगात
उत्तर :
(ख) पुण्य
प्रश्न 16.
खुदा किससे बातें करता है ?
(क) इस्सान से
(ख) फकीर से
(ग) रसूल से
(घ) किसी से नहीं
उत्तर :
(ग) रसूल से
प्रश्न 17.
सुभान खाँ के दिल में किस चीज की मंदाकिनी बहा करती थी ?
(क) इर्ष्या की
(ख) द्वेष की
(ग) हिंसा की
(घ) प्रेम की
उत्तर :
(घ) प्रेम की
प्रश्न 18.
लेखक को बचपन में सुभान खाँ की दाढ़ी में क्या मिलता था ?
(क) अबीर
(ख) रंग
(ग) मिट्टी
(घ) पानी
उत्तर :
(क) अबीर
लघुउत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1.
सुभान खाँ का घर किसका अखाड़ा था?
उत्तर :
सुभान खाँ का घर बच्चों का आखाड़ा था। पोते-पोतियों, नाती-नातियों की भरमार उनके घर में थी।
प्रश्न 2.
मजदूरी करने की विषय में उनकी क्या राय थी?
उत्तर :
उनकी राय थी कि काम करते हुए अल्लाह को न भूलना और अल्लाह से फुर्सत पाकर फिर अपने कांम में जुट जाना चाहिए।
प्रश्न 3.
लेखक के मामा और सुभान दादा अपने किन पर्वों पर एक दूसरे की नहीं भूलते थे।
उत्तर :
लेखक के मामा होली, दिवाली पर और सुभान दादा ईद-बकरीद पर एक दूसरे को नहीं भूलते थे।
प्रश्न 4.
लेखक के सौगात माँगने पर सुभान दादा ने क्या कहा?
उत्तर :
लेखक के सौगात माँगने पर सुभान दादा ने कहा कि वहाँ के लोग खजूर और छुआरें लाते हैं।
प्रश्न 5.
पश्चिम दिशा की तरफ मुँह करके सुभान दादा क्यों नमाज पढ़ते थे?
उत्तर :
पश्चिम ओर से मुल्क में अल्लाह के रसूल आए थे। जहाँ से रसूल आए थे वहाँ तीर्थ है। इसलिए सुभान दादा तीर्थों की ओर मुँह करके नमाज पढ़ते थे।
प्रश्न 6.
प्रस्तुत कहानी में लेखक ने क्या प्रकाश डाला है ?
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी में लेखक ने सुभान खाँ के चरित्र के माध्यम से हिन्दू-मुस्लिम एकता पर प्रकाश डाला है।
प्रश्न 7.
सुमान खाँ लेखक के साथ कैसा व्यवहार करते थे ?
उत्तर :
सुभान खाँ लेखक के साथ अत्यंत स्नेहपूर्वक व्यवहार करते थे।
प्रश्न 8.
सुभान खाँ क्यों पैसे इकट्टे कर रखे थे ?
उत्तर :
जिससे एक-दो साल में मक्का की तीर्थ यात्रा कर सके।
प्रश्न 9.
सुभान खाँ ने लेखक को क्या बतलाया ?
उत्तर :
सुभान खाँ ने लेखक को बतलाया कि केवल रसूल की उनसे बातें होती थीं। रसूल की दाढ़ी के कुछ बाल मक्का में रखे हैं। मक्का तीर्थ में उन बालों को दर्शन होते हैं।
प्रश्न 10.
सुभान खाँ को क्या दो चीजें सबसे प्यारी थी ?
उत्तर :
सुभान खाँ को दो ही चीजें सबसे प्यारी थी – काम करते हुए भी अल्लाह को न भूलना और अल्लाह से समय पाकर काम में जुट जाना।
प्रश्न 11.
सुभान दादा का अरमान क्या था ?
उत्तर :
सुभान दादा को एक मस्जिद बनाने का अरमान था।
प्रश्न 12.
अब तक लोगों ने क्या नहीं भूला था ?
उत्तर :
अब तक भी लोग उस मस्जिद के उद्घाटन के दिन की दादा की मेहमानदारी भूले नहीं थे।
प्रश्न 13.
रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 23 दिसम्बर, 1899 ई० को बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के बेनीपुर नामक एक छोटे-से गाँव में हुआ था।
प्रश्न 14.
इस्लाम के रसूल कौन थे ?
उत्तर :
पैगम्बर हजरत मोहम्मद को इस्लाम धर्म का रसूल माना जाता है।
प्रश्न 15.
लेखक के मामा और सुभान दादा अपने किन पर्वों पर एक-दूसरे को नहीं भूलते थे ?
उत्तर :
लेखक के मामा होली-दीवाली पर एवं सुभान दादा ईद-बकरीद में एक-दूसरे को नहीं भूलते थे।
प्रश्न 16.
मक्का में क्या रखा गया है ?
उत्तर :
मक्का में हजरत मुहम्मद के दाढ़ी के बाल रखे गये हैं।
प्रश्न 17.
सुभान दादा ने मस्जिद का उद्घाटन समारोह किस दिन रखा था ?
उत्तर :
सुभान दादा ने मस्जिद का उद्घाटन समारोह जुमा (शुक्रवार) के दिन रखा था।
बोधमूलक प्रश्न :
प्रश्न 1.
सुभान दादा कर्ज के पैसे से क्यों नहीं जाना चाहते थे?
उत्तर :
कर्ज के पैसे से तीर्थ करने में सवाब नहीं मिलतां। इसलिए दादा कर्ज के पैसे से नहीं जाना चाहते थे।
प्रश्न 2.
सुभान दादा का क्या अरमान था, वह कैसे पूर्ण हुआ?
उत्तर :
सुभान दादा का अरमान मस्जिद बनाने का था। दादा एक साधारण राजमिस्त्री थे, पर उनका दृढ़ निश्चय था मस्जिद बनवाने का। उनके लड़के पैसे कमा लिए थे। लेखक के मामा ने अपने बगीचे से मस्जिद की सारी लकड़ी दी। दादा ने अपनी जिन्दगी भर की सारी कमाई लगा दी। सारे नक्शे उन्होंने खींचे थे। उनकी निगरानी में मस्जिद बनकर तैयार हो गई।
प्रश्न 3.
इस पाठ की किन घटनाओं से साम्प्रदायिक एकता का पता चलता है?
उत्तर :
लेखक का बचपन में सुभान खाँ के साथ जो स्नेहपूर्ण व्यवहार, बातें होती थी उससे साम्पदायिक एकता स्पष्ट होती है। ईद-बकरीद के दिन सुभान खाँ लेखक की नहीं भूलते तथा होली-दीवाली के दिन सुभान खाँ को नानी पूए, खीर तथा गोश्त परोसकर खिलाती थी। लेखक अपने हाथों से अबीर लेकर उनकी दाढ़ी में मलता था। सुभान दादा मक्का से छुआरे लाकर बड़े ही प्रेम से लेखक को दिए। सुभान दादा की मस्जिद की सारी लकड़ी लेखक के मामा के बगीचे से गई। मस्जिद के तैयार हो जाने पर क्षेत्र के सभी मुसलमानों तथा हिन्दुओं को दादा ने न्योता दिया। हिन्दुओं के सत्कार के लिए मिठाइयाँ, पान, इलायची का अलग से प्रबंध किये थे। इन्हीं घटनाओं से साम्प्रदायिक एकता का पता चलता है।
प्रश्न 4.
सुभान दादा ने हिन्दुओं का सत्कार किस प्रकार किया?
उत्तर
हिन्दुओं के सत्कार के लिए सुभान दादा ने हिन्दू हलवाई रख कर तरह-तरह की मिठाइयाँ बनवाई थी, पान इलायची का प्रबंध किया था।
प्रश्न 5.
सुभान दादा का चरित्र-चित्रण संक्षेप में कीजिए : (छ: वाक्यों में)
उत्तर :
सुभान दादा एक अच्छे परिश्रमी राज मिस्त्री थे। उनमें जाति, धर्म, संप्रदाय को लेकर संकीर्णता की भावना नहीं थी। वे सीधे-सादे सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। बच्चों के प्रति उनके मन में बड़ा कोमल, स्नेहभरा भाव था। वे धार्मिक प्रवृत्ति के थे। पर दूसरे धर्म की भी इज्जत करते थे। हिन्दुओं का भी सत्कार करते थे। ईमानदारी के कारण झगड़ों की पंचायतों में उन्हें पंच निश्चित किया जाता था।
व्याख्या मूलक प्रश्न :
प्रश्न :
‘सुभान खाँ’ कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी से हमें राष्ट्रीय एकता की शिक्षा मिलती है। इस कहानी में लेखक ने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया है। कहानी के प्रमुख पात्र सुभान खाँ के जीवन व्यवहार, अनुपम चरित्र को स्पष्ट किया है कि मानवता का स्थान सर्वोपरि है। सुभान खाँ धार्मिक प्रवृत्ति के परिश्रमी व्यक्ति थे। वे उदार उपकारी थे। धार्मिक, साम्पदायिक संकीर्णता की भावना उनमें बिलकुल नहीं। सुभान खाँ मुसलमान थे, परवे हिन्दू बालक पर अत्याधिक स्नेह वात्सल्य का भाव रखते थे।
उनके मन में नफरत का स्पर्श भी नहीं था। लेखक को अपनी गोद में लेकर घुमाते कहानियाँ सुनाते उनका मन बहलाते थे। उनके मन में मक्का की तीर्थ यात्रा करने की उत्कट अभिलाषा थी पर अपने परिश्र्रम से अर्जित धन से ही तीर्थयात्रा करना पुण्यदायक समझते थे। कर्ज लेकर या दूसरों की सहायता लेकर वे तीर्थयात्रा न कर सकते। मुहर्रम के दिन लेखक दादा ने यहाँ जाते। फिर शाम को दादा के कंधे पर चढ़कर घर आते। इर्द-बकरीद की सुभान दादा लेखक को नहीं भूल सकते थे, होली दीपावली के दिन लेखक के घर में दादा का खान-पान से सत्कार होता था।
सुभान खाँ की आर्थिक हालत ठीक हो गई और वह हज कर आए। लेखक भी अब बड़ा हो गया था। बचपन में वादा किए छुआरे लाने की बात दादा न भूले थे। इसलिए छुआरे ले आए। अरब से लाए हुए छुआरे को पाकर लेखक ने आनंद व्यक्त किया। सुभान दादा का मस्जिद बनवाने का अरमान भी पूरा होने का समय आ गया। मस्जिद बनकर तैयार हो गई। लेखक के मामाजी के बगीचे से ही काम आनेवाली सारी लकड़ी मुफ्त में आ गई। जिस दिन मस्जिद बनकर तैयार हुई, उस दिन सुभान दादा ने समस्त क्षेत्र के लोगों को न्योता दिया। हिन्दू-मुसलमान दोनों ही इस उत्सव में प्रसन्न चित्त से
आए। मुसलमानों ने मस्जिद में नमाज पढ़ी। हिन्दुओं के सत्कार के लिए सुभान दादा ने हिन्दू हलवाई रखकर तरह-तरह की मिठाइयाँ बनवाई थी, पान इलायची का भी प्रबंध किया था। मस्जिद को उद्धाटन के दिन सुभान दादा की मेहमानदारी लोग कभी नहीं भूलें। इस प्रकार सुभान खाँ के चरित्र, कार्य तथा व्यवहार से स्पष्ट हो जाता है। कि साम्पदायिक संकीर्णता भेद भाव, धर्म के लेकर समाज में नफरत पैदा करना, तुच्छ स्वार्थी लोगों की ही चेष्टा होती है। सुभान दादा जैसे लोग ही अपनी सद्भावना से प्रेम, सौमनस्य तथा एकता का भाव पैदा कर समाज का कल्याण कर सकते हैं।
भाषा बोध :
1. निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कर संधि का नाम लिखिए :
- संसार = सम् + सार – व्यंजन संधि
- पवित्र = पो + इत्र – स्वर संधि
- शिष्टाचार = शिष्ट + आचार – स्वर संधि
- आनंदातिरेक = आनंद + अतिरेक – स्वर संधि
- सज्जनता = सत् + जनता – व्यंजन संधि
- सत्कार = सत् + कार – व्यंजन संधि
- उद्घाटन = उत् + घाटन – व्यंजन संधि
2. निम्नलिखित सामासिक पदों का समास-विग्रह कर समास का नाम लिखिए-
- दाढ़ी-मूँछ = दाढ़ी और मूँछ – द्वनन्द्व समास
- पूरब-पश्चिम = पूरब और पश्चिम – द्वनन्द्य समास
- भाव-विभार = भाव में विभारे = तत्पुरुष समास
- बड़ी-बड़ी = बड़ी-बड़ी – कर्म धारण समास
- रस-भरी = रस से भरी – तत्पुरुष समास
- लाल-छड़ियाँ = लाल हैं जो छड़ियाँ – कर्म धारय समास
3. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लीखिए –
- अरमान – इच्छा, कामना, चाह।
- मुल्क – राष्ट्र, जनपद, राज्य।
- नूर – रोशनी, प्रकाश, उजाला।
- तकदीर – भाग्य, नसीब, किस्मत।
- सौगात- भेंट, उपहार, तोहफा।
- पेड़ – वृक्ष, तरु, विटप।
- बगीचे – बाग, उपवन, उद्यान।
4. निम्नलिखित उर्दू शब्दों के हिन्दी अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
- पैक – परिक्रमा – मुहर्रम के दिन ताजिये का पैक किया जाता है।
- तसबीह – माला – बुजुर्ग हाथ में तसबी के दाने फेरते हैं।
- रसूल – पैगंबर – ईश्वर के दूत को रसूल कहते हैं।
- पेशानी – मसाफ – उनकी पेशानी पर चमक थी।
- उम्र-दराज – बड़ी उम्र का – पंचायत में उम्र दराज के लोग थे।
- नूरानी – प्रकांशमान – उनके चेहरे पर नूरानी झलकती थी।
- मुकर्रर – निश्चित – लोग दादा को पंच मुकर्रर करते थे।
WBBSE Class 8 Hindi सुभान खाँ Summary
लेखक-परिचय :
बेनीपुरी जी का जन्म 1902 में बिहार के मुजफ्फरपुर जनपद के बेनीपुर गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनका देहावसान सन् 1968 ई. में हुआ। बेनीपुर जी एक सुपसिद्ध शब्द चित्रकार थे। उन्होंने उपन्यास, नाटक, कहानी, संस्मरण, निबंध, यात्रा विवरण, शब्दचित्र आदि सभी गद्य विधाओं में श्रेष्ठ रचना की। इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ – अंबपाली (नाटक), पतितों के देश में (उपन्यास), चिता के फूल (कहानी), माटी की मूरतें (रेखाचिच्र) गेहूँ, और गुलाब (निबंध और रेखाचित्र) आदि हैं। बेनीपुरी जी एक कर्मठ देशभक्त थे। उन्होनें अनेक पत्रिकाओं का संपादन किया।
सारांश :
प्रस्तुत कहानी में लेखक ने सुभान खाँ के चरित्र के माध्यम से हिन्दू-मुस्लिम एकता पर प्रकाश डाला है। सुभान खाँ एक अच्छे राज मिस्त्री थे। इनका बदन लम्बा-चौड़ा तगड़ा था। लम्बी सफेद दाढ़ी थी। वे सिर पर दुपलिया टोपी, शरीर में आधे बाँह का कुर्ता, कमर में कच्छेवाली धोती, पैर में चमरोधा जूता पहनते थे। वे भद्रलोगों की तरह आचरण व्यंवहार का पालन करते थे। उनका चेहरा प्रकाशमान था। वाणी बड़ी मधुर थी। बचपन में लेखक की घनिष्ठता सुभान खाँ से हो गई थी। सुभान खाँ लेखक के साथ अत्यंत सेहपूर्वक व्यवहार करते थे। लेखक के पूछने पर उन्होंने बतलाया कि अल्लाह के रसूल पश्चिम के मुल्क से आए थे। जहाँ से रसूल आए थे, वह हमारा तीर्थ है। उसी तीर्थ की ओर मुँह करके हम अल्लाह को याद करते हैं। सुभान खाँ ने यह भी बतलाया कि वे परिश्रम करके पैसे इकट्ठे कर रखे है। जिससे एक-दो साल में मक्का की तीर्थ यात्रा कर सके। लेखक के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए सुभान खां ने कहा कि वे लेखक के लिए मक्का से छुआरे आवश्य लाएँगे।
नमाज के समय सुभान खाँ धारीदार और सादा कुरता पहन घुटने टेक, दोनों हाथ छाती से जरा ऊपर उठा, आधी आँखें मूँदकर जब मंत्र सा पढ़ने लगते तो लेखक विस्मय विमुग्ध होकर उन्हें देखता और सोचता कि सचमुच उनके अल्लाह वहाँ आ गए है और ये होठों से उन्हीं से बातें कर रहे हैं। सुभान खाँ ने लेखक को बतलाया कि केवल रसूल की उनसे बातें होती थीं। रसूल की दाढ़ी के कुछ बाल मक्का में रखे हैं। मक्का तीर्थ में उन बालों को दर्शन होते हैं।
फिर लेखक को कंधे पर लेकर बातें और कहानियाँ सुनाकर उनका मन बहलाते, फिर अपने काम में लग जाते। उन्हें दो ही चीजें सबसे प्यारी थी – काम करते हुए भी अल्लाह को न भूलना और अल्लाह से समय पाकर काम में जुट जाना। काम और अल्लाह का यह ताल मेल से उनके दिल में प्रेम की गंगा बहती रहती थी।
एक दिन नानी ने लेखक को सुभान खाँ के साथ हुसैन साहब के पैक जाने के लिए तैयार होने को कहा । नौ साल की उम्र तक, जनेऊ होने के पहले लेखक मुहर्रम के दिन मुसलमान बच्चों की तरह नई रंगीन घड़ी लेकर ताजिये के चारों ओर कूदता। खुशी के साथ नये-नये कपड़े पहनकर उछलता कूदता / सुभान दादा आए और लेखक के कंधे पर लेकर अपने गाँव गए। वहाँ सभी बच्चों की तरह कमर में घंटी बाँध कर दो लाल छड़ियाँ दे दी और लेखक को लेकर करबला की ओर चल दिए। फिर शाम को सुभान दादा घर पहुँचा दिए। ईद-बकरीद के दिन सुभान दादा लेखक को नहीं भूल सकते थे। दीवाली, होली के दिन लेखक की नानी उन्हें पूए, खीर तथा गोश्त खिलाती थी। होली के दिन लेखक अबीर लेकर अपने हाथों से उनकी दाढ़ी की रंगीन बना देता था।
लेखक अब कुछ बड़े हो गए। सुभान दादा भी हज कर आए। दादा अनुपम सौगात छुआरे लेकर लेखक के पास पहुँचे। अब बेटों की मेहनत से दादा सम्पन्न हो गए थे, पर उनमें वही विनम्रता और सज्जनता थी। छुआरे लेखक को देकर वे अत्यधिक आनंदित हुए। लेखक छुआरे लेकर सिर चढ़ाया। लेखक का बचपना अब बीत चुका था। इसलिए वह अपने प्रेम के आँसुओं से अपने को पवित्र कर उनके चरणों में अपनी श्रद्धांजलि चढ़ा दी। हज से लौटने के बाद दादा का ज्यादा वक्त नमाज-बंदगी में ही बीतता। अपने क्षेत्र में वे पंच निश्चित किए जाते थे।
सुभान दादा को एक मस्जिद बनाने का अरमान था। अल्लाह की कृपा से उनकी मस्जिद बनकर तैयार हो गई। उनकी निगरानी में छोटी सी परंतु कलात्मक खूबसूरत मस्जिद बनी। लेखक के मामा के बगीचे से मस्जिद की सारी लकड़ी गई थी। जिस दिन मस्जिद बनकर तैयार हुई थी, सुभान दादा ने क्षेत्र के सभी प्रतिष्ठित लोगों को निमंत्रित किया था। मुसलमानों ने मस्जिद में नमाज पढ़ी। हिन्दुओं के सत्कार के लिए दादा ने हिन्दू हलवाई रखकर तरह-तरह की मिठाइयाँ बनवाई थी, पान-इलायची का प्रबंध किया था। अब तक भी लोग उस मस्जिद के उद्घाटन के दिन की दादा की मेहमानदारी भूले नहीं है।
शब्दार्थ :
- अल्लाह = ईश्वर।
- उम्रदराज = अधिक उम्र का
- पेशानी = मस्तक
- नीम- आस्तीन = आधी बाँह का कुर्ता।
- उल्लास = खुशी, प्रसन्नता।
- नूर = रोशनी, प्रकाश।
- नमाज = प्रार्थना।
- मजहब = धर्म।
- मुलक = देश।
- सामंजस्य = मेल।
- रसूल = पैगंबर, ईश्वर का दूत।
- अनुपम = अनोखा।
- पाक = पवित्र।
- फरमाइश = आज्ञा, माँग।
- जियारत = तीर्थ यात्रा।
- तसबीह = माला।
- सौगात = भेंट, उपहार।
- ज्वार (ज्वार) भर = क्षेत्रभर।
- मुकर्रर = निश्चित, नियुक्त।
- मेहरबानी = कृपा, अनुकंपा।
- आनंदातिरेक = बहुत अधिक खुशी।
- दयानतदारी = सच्चाई।
- रोमांचकारी = पुलकित, रोगटे खड़े करने वाला।
- नूरानी = प्रकाशमान।
- न्योता = निमंत्रण।
- तुनककर = चिढ़कर।
- प्रतिष्ठित = सम्मानित।
- विस्मय = विमुग्ध, आश्चर्य से मुग्ध।
- ख्वाहिश = मन में इच्छा।
- पैक = ताजिये की परिक्रमा।
- बुजुर्गी = बुढ़ापा।