Students should regularly practice West Bengal Board Class 7 Hindi Book Solutions Poem 8 माँ to reinforce their learning.
WBBSE Class 7 Hindi Solutions Poem 8 Question Answer – माँ
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
माँ किसका फूल बिखरा देती है?
(क) कमल का
(ख) ममता का
(ग) क्रूरता का
(घ) घृणा का
उत्तर :
(ख) ममता का
प्रश्न 2.
रचनाकार ने किसे परिवार और समाज से ऊपर माना है?
(क) पिता को
(ख) भाई-भतीजे को
(ग) सास-ससुर को
(घ) माँ को
उत्तर :
(घ) माँ को
प्रश्न 3.
‘माँ’ किस विधा की रचना है ?
(क) कविता
(ख) कहानी
(ग) नाटक
(घ) एकांकी
उत्तर :
(क) कविता
प्रश्न 4.
‘माँ’ कविता किसने लिखी है ?
(क) ममता कालिया
(ख) रंजना श्रीवास्तव
(ग) मैन्रेयी पुष्पा
(घ) अलका सरावगी
उत्तर :
(ख) रंजना श्रीवास्तव
प्रश्न 5.
रंजना श्रीवास्तव का जन्म कब हुआ था ?
(क) 9 सितंबर 1959 ई०
(ख) 15 सितंबर 1969 ई०
(ग) 21 सितंबर 1949 ई०
(घ) 15 सितंबर 1939 ई०
उत्तर :
(क) 9 सितंबर 1959 ई०
प्रश्न 6.
रंजना श्रीवास्तव का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) गोरखपुर
(ख) जौनपुर
(ग) आजमगद़
(घ) गाजीपुर
उत्तर :
(घ) गाजीपुर
प्रश्न 7.
कौन ममता की प्रतिमूर्ति होती है ?
(क) कवि
(ख) माँ
(ग) समाज
(घ) सास
उत्तर :
(ख) माँ
प्रश्न 8.
माँ किसकी डाँट-फटकार सहती है ?
(क) बच्चों का
(ख) समाज का
(ग) पिता का
(घ) कवि का
उत्तर :
(ग) पिता का
प्रश्न 9.
कौन ‘वंदनीय’ और ‘अतुलनीय’ है ?
(क) कवि
(ख) ममता
(ग) माँ
(घ) श्वसुर
उत्तर :
(ग) माँ
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कवयित्री आश्चर्यचकित क्यों हो जाती है?
उत्तर :
माँ घर, परिवार के तमाम कष्टों को अपने भीतर ही आत्मसात् कर लेती है। अपनी पीड़ा को कभी प्रकट नहीं करती। सभी के साथ प्यार का व्यवहार करती है। अतः माँ की सहनशीलता तथा ममता की भावना पर कवयित्री आश्चर्यंकित हो जाती हैं।
प्रश्न 2.
‘परम्परावादी’ और ‘बदरंग आदर्श’ से क्या समझते हो?
उत्तर :
परम्परावादी का अर्थ है पुरानी रीतियों का पोषक। वंश परंपरा से चली आ रही प्रथाओं को मानने वाले। बदरंग आदर्श से तात्पर्य है रंगहीन या बेमेल रंग के नमूने। वंशानुक्रम से चली आ रही अशोभनीय बेढंगी प्रथाएँ।
प्रश्न 3.
प्रस्तुत पाठ में किसकी किस दशा का चित्रण हुआ है?
उत्तर :
प्रस्तुत पाठ में माँ की पीड़ामयी दशा का चित्रण हुआ है। माँ समस्त परिवार के साथ ममता भरा व्यवहार रखते हुए भी सभी की उपेक्षा तथा तिरस्कार पाती है। अपनी पीड़ाको प्रकट नहीं करती। उसमें अद्भुत सहनशीलता है।
प्रश्न 4.
माँ वन्दनीय और अतुलनीय कैसे होती है?
उत्तर :
माँ उदारता, ममता तथा सहनशीलता की प्रतिमूर्ति होती है। परिवार के अपने ही लोगों से उपेक्षा एवं तिरस्कार पाती है। सभी यातनाओं को सहते हुए भी मौन बनी रहती है। सबसे भिन्न होते हुए भी सभी को आत्मसात् कर लेती है। इसीलिए माँ वन्दननीय और पूजनीय होती है।
प्रश्न 5.
माँ किसकी डाँट-फटकार सहती रहती है ?
उत्तर :
माँ पिता की डाँट-फटकार को सहती रहती है।
प्रश्न 6.
कवयित्री ने माँ को कौन-कौन से उपमान दिये हैं ?
उत्तर :
कवयित्री ने माँ को साहस की जननी, ममता की प्रतिमूर्ति, वंदनीय और अतुलनीय जैसे उपमान दिये हैं।
प्रश्न 7.
माँ की क्या खुखियाँ सबमें समहित करती हैं ?
उत्तर :
माँ दूसरों के सुख से सुखी एवं दु:ख से दु:खी होती है। यही उसको सबसे अलग पर सबसे समाहित करतीहै।
WBBSE Class 7 Hindi माँ Summary
जीवान पिचय
रंजना श्रीवास्तव का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद में 1959 ई० में हुआ था। गोरखपुर विश्वविद्यालय से इन्होंने एम० ए०, बी०एड० किया। शिक्षिका तथा प्रधानाचार्या के पद पर कुछ समय बिताकर इन्होंने स्वतंत्र लेखन तथा संपादन में योगदन दिया। अनेक महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में इनके लेख तथा कहानियाँ प्रकाशित हुई हैं। बींसवीं सदी के महिला कथाकारों में इनका नाम सुपरिचित है।
पद – 1
ओह माँ! तुम
इतनी पीड़ाओं को
अपने में समाहित कर
कैसे जी लेती हो ?
और बिखरा देती हो
ममता के अनगिनत फूल
शब्दार्थ :
- पीड़ाओं – कष्टों
- बिखरा – फैलाना
- समाहित – आत्मसात् कर लेना
- ममता – प्यार, ममत्व, लगाव
संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘माँ’ कविता से उद्धृत हैं । इसकी कवययित्री रंजना श्रीवास्तव हैं।
सन्दर्भ – प्रस्तुत अंश में कवयित्री ने माँ की पीड़ा और उसकी ममता का मार्मिक चित्रण किया है।
व्याख्या – कवयित्री माँ की सहनशीलता तथा ममता की भावना पर दु:ख तथा आश्चर्य प्रकट करती है। माँ अद्भुत सहनशील होती है जिससे जीवन के इतने कष्टों को आत्मसात् कर लेती है। सारी पीड़ाओं को सहते हुए भी न जाने कैसे जीती रहती है। जीवन से हार नहीं मानती। लोगों में प्यार के अनंत फूल बिखेर देती है। सभी बच्चों, बच्चियों तथा परिवार के सभी लोगों के प्रति ममत्व एवं प्यार का भाव रखती है। अपने सेह सूत्र में सभी को पिरो कर रखती है।
पद -2
अपने
कलेवर से
सहती हो पिता की
डाँट-फटकार
उनके फुफकारते हुए
कुद्ध अभिमान को…
सास को, श्वसुर को
भाई, भतीजों को
लिजलिजे परम्परावादी
बदरंग आदर्शों को
पीढ़ियों से घिसी-पिटी
अपमानजनक बातों को
अपने से जुड़ी छलनामयी
आघातों को
शब्दार्थ :
- कलेवर – आकार, डोल-डौल
- अभिमान – अहंकार, स्वाभिमान
- परंपरावादी – पुरानी रीतियों के पोषक
- आदर्श – नमूना, अनुकरणीय
- छलनामयी – धोखा, प्रताड़ना
- फुफकार – फुंकार
- लिजलिजे – बेढंगे, अशोभनीय
- बदरंग – रंगहीन
- पीढ़ियों – पुश्त, वंशानुक्रम
- आघातों – प्रहारों
व्याख्या- कवयित्री ने स्पष्ट किया है कि किस प्रकार माँ परिवार के लोगों के कटु व्यवहार सहती है, पिता की डाँटफटकार को, क्रोध से भरे हुए उनके अहंकार भरी फुंकार को वह अपने उदार स्वभाव,अपने व्यवहार से सहन कर लेती है। पुरानी रीतियों के पोषक सास, ससुर, भाई, भतीजों के अशोभनीय बेढंगी वंशानुक्रम से चली आ रही पुरानी अपमान एवं अन्य बातों को सहती है। अपने से संबंधित धोखों से परिपूर्ण आघातों को भी धैर्यपूर्वक सहन कर लेती है। इस प्रकार कवयित्री ने माँ की अद्भुत सहनशीलता का चित्रण किया है।
पद – 3
ओह माँ! साहस की जननी
ममता की प्रतिमूर्ति
क्या सूख गये हैं
तुम्हारे आँसू ?
या फिर उन्हें
जज्ब कर लेती हो
सहनशीलता के
दामन में
मौन हो जाती हैं संवेदनाएँ
तुम्हारी विशालता से
टकराकर….
शब्दार्थ –
- जननी – माता
- प्रतिमूर्ति – प्रतिकृति
- संवेदनाएँ – सहनुभूति, अनुभूति
- जज्ब – शोषण, आकर्षण
- दामन – आँचल
- मौन – चुप, शान्त
व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने माँ के हृय की विशालता तथा अतिशय उदारता का वर्णन किया है। कवयित्री माँ के साहस तथा ममत्व के प्रति आश्चर्य क्रकट करते हुए कहती है कि माँ ऐसी माता है जो साहस तथा ममता की प्रतिमूर्ति है। परिवार से उत्पन्न पीड़ा को सहर्ष सहती है, क्या उसके आँसू सूख गए हैं। अथवा सभी पीड़ाओं को सहनशीलता के आँचल में सोख लेती है। माँ की अतिशय महानता तथा उदारता के कारण सारी संवेदनाएँ चुप हो जाती हैं।
पद – 4
ओह माँ ! तुम परिवार से
समाज से
कहीं बहुत ऊपर हो
तभी तो तुम्हारे
मन के आकाश में
खिले फूलों पर
तेज धूप पर
हवा के विपरीत रुख का
असर नहीं हो पाता
शब्दार्थ –
- विपरीत – विरुद्ध, प्रतिकूल।
- रुख – तरफ, सामने, दिशा
व्याख्या – माँ का हृदय इतना विशाल है कि जमाने का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। माँ का स्वभाव, विचार, परिवार तथा समाज से कहीं बहुत ऊपर है। इसी कारण माँ के हृदय रूपी आकाश में खिले फूलों पर तेज धूप का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। माँ का हृदय आकाश की तरह विशाल तथा खिले फूल की तरह दिव्य और पवित्र है। जमाने की कठोरता तथा संकीर्णता का माँ के विचारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता । हवा की प्रतिकूल दिशा कभी उस पर कोई प्रभाव नहीं डालती, सामाजिक विषमता, परायापन, तुच्छता का उस पर कोई असर नहीं पड़ता।
पद – 5
वन्दनीय हो तुम
अतुलनीय भी
सबसे बिल्कुल अलग
फिर भी सबमें समाहित।
शब्दार्थ
- वन्दनीय – पूजनीय, वंदन करने योग्य।
- अतुलनीय- बेजोड़, अपरिमित ।
- समाहित-समालेना, आत्मसात् कर लेना।
व्याख्या – माँ अनंत गुणों का भंडार है। परिवार की तमाम यातनाओं को सहते हुए भी वह अपनी उदारता, उच्चाशयता को नहीं छोड़ती। इसीलिए माँ वंदना करने योग्य, पूजनीय है। वह परिवार और समाज में बेजोड़ है। सबसे बिल्कुल भिन्न अलग रहते हुए सभी को आत्मसात् कर लेती है। किसी के प्रति भी उसके मन में नफरत या द्वेष की भावना नहीं पनपती। सभी को वह अपना समझती है। सभी के कल्याण की कामना करती है।