WBBSE Class 6 Hindi Solutions Poem 8 बादल चले गये वे

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WBBSE Class 6 Hindi Solutions Poem 8 Question Answer – बादल चले गये वे

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
किसने अपने चित्रों से आकाश सजाया ?
(क) वर्षा ने
(ख) सूर्य ने
(ग) तारों ने
(घ) बादल ने
उत्तर :
(घ) बादल ने।

प्रश्न 2.
बादल के जाने के बाद आसमान कैसा दिखाई देता है ?
(क) हरा
(ख) सफेद
(ग) काला
(घ) नीला
उत्तर :
(घ) नीला।

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प्रश्न 3.
इस जग में मनुष्य के संगी कौन हैं ?
(क) सुख
(ख) दुःख
(ग) सुख -दुःख दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) सुख -दुःख दोनों ।

प्रश्न 4.
त्रिलोचन किस साहित्यिक धारा के अंतिम कड़ी माने जाते हैं ?
(क) छायावाद
(ख) हालावाद
(ग) प्रगतिशील धारा
(घ) प्रयोगवादी धारा
उत्तर :
(ग) प्रगतिशील धारा।

प्रश्न 5.
‘चित्त’ का क्या अर्थ है ?
(क) मन
(ख) धन
(ग) गाड़ी
(घ) मस्तिष्क
उत्तर :
(क) मन।

प्रश्न 6.
इस जग में मनुष्य के संगी कौन हैं ?
(क) सुख
(ख) टु:ख
(ग) सुख और दु:ख दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) सुख और दु:ख दोनों।

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प्रश्न 7.
कवि के अनुसार जीवन में कितने दिन दुःख-सुख रहता है ?
(क) दो दिन
(ख) तीन दिन
(ग) चार दिन
(घ) एक दिन
उत्तर :
(क) दो दिन।

प्रश्न 8.
कवि ने किसे मेहमान के समान बताया है ?
(क) दु:ख को
(ख) धरती को
(ग) बादल को
(घ) आसमान को
उत्तर :
(ग) बादल को।

प्रश्न 9.
कौन सदा आकाश में नहीं ठहरते ?
(क) जल
(ख) बादल
(ग) तारे
(घ) सूरज
उत्तर :
(ख) बादल।

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प्रश्न 10.
बादल अपनी शोभा से लोगों के ………. मुग्ध बना देते हैं ?
(क) मन को
(ख) दिल को
(ग) पड़ोस को
(घ) खेतो को
उत्तर :
(क) मन को।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
कौन अपनी छवि से चित्त चुरा लेता है ?
उत्तर :
सूने आकाश में सुन्दर चित्र सजाकर बादल अपनी छवि से चित्त चुरा लेता है।

प्रश्न 2.
धरती का रंग कैसा दिखाई देता है ?
उत्तर :
धरती का रंग पीला दिखाई देता है।

प्रश्न 3.
पाहुन किसे कहा गया है ?
उत्तर :
पाहुन आकाश में आकर चले जाने वाले बादल को कहा गया है।

प्रश्न 4.
शिशिर ॠतु का प्रभात कैसा होता है?
उत्तर :
शिशिर ऋतु का प्रभात चमकीला तथा ओस के कणों से भीगा होता है।

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प्रश्न 5.
इस संसार में सभी का जीवन किससे युक्त रहता है ?
उत्तर :
इस संसार में सभी का जीवन नवीन तरंगों से युक्त रहता है ?

प्रश्न 6.
शीत काल का सबेरा कैसा दिखाई पड़ता है ?
उत्तर :
शीतकाल का सबेरा चमकीला तथा ओस के कणों से भीगा हुआ दिखाई पड़ता है।

प्रश्न 7.
‘त्रिलोचन’ का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
‘त्रिलोचन’ का जन्म 20 अगस्त, 1917 ई० को उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला के कठघरा चिराना पट्टी नामक गाँव. में हुआ था ।

प्रश्न 8.
‘त्रिलोचन’ का वास्तविक नाम क्या था ?
उत्तर :
‘त्रिलोचन’ का वास्तविक नाम ‘वासुदेव सिंह’ था।

प्रश्न 9.
‘त्रिलोचन’ किस दैनिक समाचार पत्र से जुड़े थे ?
उत्तर :
त्रिलोचन ‘जनवार्ता’ नामक दैनिक समाचार पत्र से जुड़े थे।

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प्रश्न 10.
आसमान का रंग कैसा होता है ?
उत्तर :
आसमान का रंग नीला होता है ।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
आसमान अब नीला-नीला क्यों दिखाई देने लगा है ?
उत्तर :
बादलों ने सूने आकाश में आकर सुन्दर चित्र बनाकर आकाश को सुन्दर तथा बहुरंगी बना दिया था। पर जब वे बादल आकाश से चले गए तो आकाश फिर सूना हो गया। उसका निरंतर बना रहने वाला रंग नीला दिखाई देने लगा।

प्रश्न 2.
बादलों ने सूने आकाश को किस प्रकार सजाया ?
उत्तर :
बादलों ने सूने आकाश में सुन्दर बहुरंगी चित्र बनाकर उसे सजा दिया। अपने विविध रंग, अपनी शोभा से, क्षण-क्षण परिवर्तित रूप से आकाश को सुसज्जित कर दिया।

प्रश्न 3.
सुख-दु:ख जीवन के संगी क्यों कहे गए हैं ?
उत्तर :
सुख-दुःख व्यक्ति के जीवन में सदा आते-जाते रहते हैं। दुःख भी थोड़े समय के लिए आता है, सुख भी थोड़े समय के लिए आता है। सुख-दु:ख के इस मधुर मिलन से जीवन परिपूर्ण होता है। इसीलिए सुख-दु:ख जीवन के संगी कहे गए हैं।

प्रश्न 4.
‘बादल चले गए वे’ कविता का मूलभाव लिखिए।
उत्तर :
‘कविता का सारांश देखिए।

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निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –
(क) बना-बनाकर चित्र सलोने, यह सूना आकाश सजाया।
(i) पाठ और कवि का नाम बताइए ।
उत्तर :
प्रस्तुत अंश ‘बादल चले गए वे’ पाठ से उद्धृत है। इसके कवि त्रिलोचन हैं।

(ii) उपर्युक्त पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
शिशिर ऋतु शीतकाल का मौसम है। इस ऋतु का सबेरा चमकीला होता है। सबेरे सूर्य की सुनहली किरणें चारों और फैल जाती हैं। रात में ओस के कण पड़ते हैं। इसलिए वातावरण सबेरे आर्द्र बना रहता है।

(ii) उपर्युक्त पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बादल के चले जाने के बाद आकाश नीला-नीला दिखाई देने लगा है। अब वह साँवला सजधज से युक्त नजर आने लगा है। धरती का रंग पीले रंग का दिखाई देता है। वह हरी भरी तथा रस से भरी हुई और आनंद से परिपूर्ण नजर आती है । शीतकाल का सबेरा चमकीला तथा ओस के कणों से भींगा हुआ दिखाई पड़ता है। अब बादल आकाश से चले गए हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न :
आकाश से बादलों के चले जाने पर प्रकृति में क्या परिवर्तन होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
ग्रीष्म ॠतु का अवसान होते ही वर्षा ऋतु का आगमन होता है। आकाश का कलेवर काले-काले बादलों से ढँक जाता है। सावन के आकाश में छाए बादलों की शोभा निराली बन जाती है। बादल अपनी विभिन्न प्रकार की आकृति के सुन्दर चित्र बनाकर सूने आकाश को अलंकृत कर देते हैं। आकाश की शोभा अत्यंत मोहक बन जाती है। अपने बहुरंगी रूपों तथा आकार से वे बादल आकाश को सुन्दर बना देते हैं। क्षण-क्षण परिवर्तित होने वाला उनका आकार उनकी शोभा मन को अपनी ओर खींच लेती है। बादलों के चले जाने पर आकाश का रंग नीला हो जाता है। आकाश नीले-साँवले रंग से सज जाता है।

धरती पीली हो जाती है। सर्वत्र हरियाली तथा सरंसता छा जाती है। प्रकृति बड़ी ही मोहक बन जाती है। शिशिर ॠतु का सबेरा तो बड़ा ही सुहावन बन जाता है। सारा वातावरण भीगा-भीगा तथा प्रकाशमान बन जाता है। प्रभात में सूर्योदय के समय सूर्य की सुनहली किरणें वातावरण को चमकीला बना देती हैं। जिस प्रकार ऋतु परिवर्तन से प्रकृति में परिवर्तन हो जाता है, उसी प्रकार मनुष्य के जीवन में भी परिवर्तन होता रहता है। मनुष्य के जीवन में सुख-दु:ख दोनों आते-जाते रहते हैं।

न तो दु:ख ही स्थायी रहता है और न सुख ही। दोनों एक दूसरे के साथी हैं। आते-जाते रहना उनकी नियति है। जीवन में कभी हास्य है तो कभी रुदन है। सुख-दुःख के मधुर मिलन से जीवन पूर्ण होता है। जिस प्रकार घर में कोई मेहमान आता है और दो दिन रहकर चला जाता है, उसी प्रकार बादल भी वर्षा ऋतु के बीतते ही आकाश से कूच कर जाते हैं। परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत् नियम है।

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भाषा-बोध :

(क) पर्यायवाची शब्द लिखें –
आसमान – नभ, आकाश
बादल – मेघ, घन, जलद
धरती – पृथ्वी, धरा, भूमि
अश्रु – आँसू, नयनजल, नयन नीर
सुख – आनंद, चैन, मजा

(ख) विलोम शब्द –
राग – द्वेष, विराग
दिन – रात
एक – अनेक
श्याम – श्वेत
जीवन – मृत्यु

WBBSE Class 6 Hindi बादल चले गये वे Summary

जीवन-परिचय :

त्रिलोचन (1917-2007) का मूल नाम वासुदेव सिंह था। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम. ए. की परीक्षा पास की और लाहौर से शास्त्री की डिग्री ली। ये ‘आज’ और ‘जनवार्ता’ दैनिक समाचार पत्र से भी जुड़े रहे। इनकी कविता सहजता, कोमलता तथा माधुर्य से परिपूर्ण हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ – मिट्टी की बारात, ताप के तपे हुए दिन हैं। इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है।

कविता का सारांश – कवि त्रिलोचन ने बादल के उदाहरण से स्पष्ट किया है कि जीवन में सुख-दुःख दोनों आतेजाते रहते हैं। बादल आकाश को अपने रंगों से सजाकर, अपनी शोभा से सभी को प्रसन्न कर छिप जाते हैं। आकाश नीले रंग -काले रंग में तथा धरती पीले रंग में हरी भरी बन जाती है। शिशिर ऋतु का प्रभात चमकीला हो जाता है। सुखदु:ख दोनों जीवन के संगी हैं क्योंकि जीवन में कभी खुशहाली तथा कभी रुदन आता है। इसी प्रकार मेहमान की तरह बादल भी आकर चले जाते हैं।

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शब्दार्थ :

  • सलोने – सुंदर ।
  • प्रभात – सबेरा ।
  • राग – प्रेम ।
  • पाहुन – मेहमान ।
  • चित्र – आकृति ।
  • समुज्ज्वल – चमकीला ।
  • छवि – शोभा ।
  • नवल – नया ।
  • हास – हँसी, खुशी ।
  • तरंगी – तरंग युक्त, मनमौजी ।
  • सजीला – सजधज के साथ रहने वाला।
  • शिशिर – शीतकाल ।

पद – 1

बना-बनाकर
चित्र सलोने
यह सूना आकाश सजाया
राग दिखाया
रंग दिखाया
क्षण-क्षण छवि से चित्त चुराया
बादल चले गये वे।

व्याख्या : प्रस्तुत पद्यांश त्रिलोचन कवि रचित ‘बादल चले गये वे’ कविता से उद्धृतं है। इन पंक्तियों में कवि ने बतलाया है कि सूने आकाश को बादल किस प्रकार सजा देते हैं।

सूने आकाश में आकर बादल अपने चिर्रों से आकाश को सुसज्जित कर देते हैं। वे सुन्दर चित्र बनाकर आकाश को सजा देते हैं। वे अपना प्रेम प्रकट करते हैं। अपना विविध रंग दिखलाते हैं। हर क्षण अपनी शोभा से लोगों के मन को मुग्ध बना देते हैं पर वे बादल सदा आकाश में नहीं ठहरते। अपनी सुन्दरता, अपना रंग दिखा कर वे चले जाते हैं।

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पद – 2

आसमान अब
नीला-नीला
एक रंग रस श्याम सजीला
धरती पीली
हरी रसीली
शिशिर प्रभात समुज्ज्वल गीला
बादल चले गये वे ।

व्याख्या – बादल के चले जाने के बाद आकाश नीला-नीला दिखाई देने लगा है। अब वह साँवला सजधज से युक्त नजर आने लगा है। धरती का रंग पीले रंग का दिखाई देता है। वह हरी-भरी तथा रस से भरी हुई आनंद से परिपूर्ण नजर आती है। शीतकाल का सबेरा चमकीला तथा ओस के कणों से भींगा हुआ दिखाई पड़ता है। अब बादल आकाश से चले गए हैं।

पद – 3

दो दिन दु:ख का
दो दिन सुख का
दु:ख-सुख दोनों संगी जग में
कभी हास है
कभी अश्रु है
जीवन नवल तरंगी जग में
बादल चले गये वे
दो दिन पाहुन जैसे रहकर।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बतलाया है कि सुख-दुःख जीवन के संगी हैं। जीवन में दुःख भी थोड़े दिनों के लिए आता है और सुख भी थोड़े दिनों के लिए आता है। सुख-दुःख का क्रम सदा बना रहता है। जीवन में कभी हासविलास अर्थात् खुशियाँ रहती हैं। कभी आँसू अर्थात्यु:ख भरे दिन होते हैं। इस संसार में सभी का जीवन नवीन तरंगों से युक्त बना रहता है। फिर कवि ने बादल को मेहमान के समान बतलाया है। जिस प्रकार किसी के घर मेहमान कुछ समय के लिए आते हैं फिर अपने घर चले जाते हैं, उसी प्रकार बादल आकाश में मेहमान की तरह आकर फिर चले जाते हैं।

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