Students should regularly practice West Bengal Board Class 6 Hindi Book Solutions Chapter 1 दो भाई to reinforce their learning.
WBBSE Class 6 Hindi Solutions Chapter 1 Question Answer – दो भाई
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न 1.
कलावती के कितने बेटे थे ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर :
(ख) दो
प्रश्न 2.
कलावती के दोनों बेटों का नाम था –
(क) माधव और जाधव
(ख) माधव और राघव
(ग) माधव और केदार
(घ) केदार और जाधव
उत्तर :
(ग) माधव और केदार
प्रश्न 3.
कलावती के दोनों बहुओं का नाम था –
(क) गीता और सीता
(ख) चंपा और श्यामा
(ग) गीता और चंपा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) चंपा और श्यामा।
प्रश्न 4.
केदार क्या पढ़ रहे थे?
(क) गीता
(ख) रामायण
(ग) महाभारत
(घ) कुरान
उत्तर :
(ख) रामायण।
प्रश्न 5.
केदार की बुद्धि थी –
(क) सुस्त
(ख) चुस्त
(ग) मंद
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) चुस्त ।
प्रश्न 6.
प्रेमचंद का वास्तविक नाम क्या था ?
(क) प्रेम प्रकाश.
(ख) धनपतराय
(ग) नबाब राय
(घ) मुंशीराय
उत्तर :
(ख) धनपतराय ।
प्रश्न 7.
प्रेमचंद का जन्म कब हुआ था ?
(क) सन् 1880 में
(ख) सन् 1882 में
(ग) सन् 1884 में
(घ) सन् 1886 में
उत्तर :
(क) सन् 1880 में ।
प्रश्न 8.
प्रेमचंद के जन्म स्थान का नाम क्या था?
(क) सोरों
(ख) लमही
(ग) विसपी
(घ) छतरपुर
उत्तर :
(ख) लमही ।
प्रश्न 9.
प्रेमचंद के प्यार का नाम क्या था?
(क) नबाबराय
(ख) राम
(ग) धनपतराय
(घ) अजबराय
उत्तर :
(क) नबाबराय ।
प्रश्न 10.
प्रेमचंद के पिता का नाम क्या था?
(क) शिवचंद्रराय
(ख) अजायब राय
(ग) सुंघनीसाहू
(घ) श्रीरामचंद्र
उत्तर :
(ख) अजायब राय ।
प्रश्न 11.
प्रेमचंद् की माता का नाम क्या था ?
(क) आनंदी देवी
(ख) लक्ष्मी देवी
(ग) राधा देवी
(घ) मंगला देवी
उत्तर :
(क) आनंदी देवी ।
प्रश्न 12.
रेहन लिखने वाला कौन था ?
(क) केदार
(ख) माधव
(ग) शिवदत्त
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) माधव।
प्रश्न 13.
घर का रेहन कितने रुपये में लिखवाया गया ?
(क) पचास
(ख) साठ
(ग) अस्सी .
(घ) नब्बे
उत्तर :
(ग) अस्सी।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 1.
माधव और केदार में बड़ा भाई कौन था ?
उत्तर :
माधव और केदार में बड़ा भाई केदार था।
प्रश्न 2.
माधव के कितने पुत्र एवं पुत्रियाँ थीं ?
उत्तर :
माधव के चार पुत्र एवं चार पुत्रियाँ थीं ।
प्रश्न 3.
माधव को किसकी लालसा थी ?
उत्तर :
माधव को धन-संपत्ति की लालसा थी।
प्रश्न 4.
केदार को किसकी अभिलाषा थी ?
उत्तर :
केदार को संतान की अभिलाषा थी।
प्रश्न 5.
बेचारी चंपा को चूल्हे में जलना और चक्की में क्यों पिसना पड़ता था ?
उत्तर :
श्यामा अपने लड़कों को संवारने-सुधारने में लगी रहती थी। उसे घरेलू काम से फुरसत नहीं मिलती थी। इस कारण चंपा को चूल्हे में जलना और चक्की में पिसना पड़ता था।
प्रश्न 6.
चम्पा और श्यामा का स्वभाव कैसा था ?
उत्तर :
चम्पा कार्यकुशल और श्यामा शांत स्वभाव की थी।
प्रश्न 7.
रेहन लिखवाने के लिए किन्हें बुलाया गया था ?
उत्तर :
रेहन लिखवाने के लिए गाँव के मुखिया और नम्बरदार को बुलाया गया था।
बोधमूलक प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 1.
कलावती का स्वभाव कैसा था ?
उत्तर :
कलावती का स्वभाव बड़ा ही उदार, कोमल तथा वात्सल्य से भरा हुआ था। उसके हृदय में प्रेम तथा नेत्रों में गर्व था। दोनों बेटों के स्नेह को देखकर वह फूली नहीं समाती थी। बेटों को गोद में खेलते देख कर उसके नेत्रों में अभिमान, हृदय में गर्व, उत्साह तथा उमंग का भाव था। वह दोनों बहुओं में सामंजस्य बैठाना चाहती थी। केदार की स्वार्थपरता को देखकर उसका हृदय शोक-संताप से भर उठा।
प्रश्न 2.
कलावती के दोनों बेटे वैमनस्य के शिकार कैसे हो गए ?
उत्तर :
दोनों बेटों की बहुओं के स्वभाव में भिन्नता थी। केदार को कोई संतान न हुई। माधव को चार पुत्र एवं चार पुत्रियाँ हुई। केदार को संतान की लालसा तथा माधव को धन-संपत्ति की चाह थी। भाग्य की इस कूटनीति ने धीरे-धीरे दोनों भाइयों में द्वेष का रूप धारण कर लिया। इस प्रकार दोनों वैमनस्य के शिकार हो गए।
प्रश्न 3.
माधव एवं केदार की पतियाँ कैसी थीं ?
उत्तर :
माधव की पत्नी सॉवली-सलोनी अत्यंत रूपवती थी। वह मधुर बोलनेवाली, सुंदर शीलवाली तथा शांत स्वभाव की थी। केदार की पत्नी अधिक बोलनेवाली तथा चंचल स्वभाव की थी। वह कार्य कुशल थी।
प्रश्न 4.
माधव को केदार ने किस एवज में पैसे दिए ?
उत्तर :
माधव ने अपनी कन्या के गहने बंधक रखकर दो साल का बकाया लगान चुका दिया। सवा सौ रुपये में बंधक रखे गहनों को छुड़ाने के लिए माधव केदार के पास गया था। केदार ने रेहन लिखा कर माधव को पैसे दिए।
प्रश्न 5.
केदार के व्यवहार से कलावती दु:खी क्यों थी ?
उत्तर :
कलावती माँ थी। दोनों बेटे उसके हददय के टुकड़े थे। दोनों को अपनी छाती का दूध पिलाकर उसने बड़ा किया था। दोनों बेटों के प्रति उसके दिल में असीम स्नेह का भाव था। माधव की शोचनीय आर्थिक दशा पर वह क्षुब्ध थी। केदार ने माधव की सवा सौ रुपये के लिए उसका घर रेहन लिखा लिया। माँ ने जब यह सुना तो वह अत्यंत दु:खी हो गई। उसने सोचा कि क्या केदार बिना रेहन लिखाए छोटे भाई की मदद नहीं कर सकता था।
प्रश्न 6.
‘हृदय चाहे रोए पर होंठ हँसते रहें’ कहने से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
माधव की आर्थिक दशा शोचनीय थी। आमदनी कम थी पर खर्च अधिक था। कुल की प्रतिष्ठा का भी निर्वाह करना था। इसलिए माधव अपने मन की व्यथा को मन में छिपा कर रखना चाहता था। उसके दिल में अपनी दरिद्रता का दर्द था, वह उस दर्द को वाणी से प्रकट नहीं करना चाहता था। मन में भले पीड़ा सहे पर उस दर्द को वाणी से प्रकट नहीं करता था। हमेशा हँसता तथा प्रसन्नता प्रकट करता था।
प्रश्न 7.
इस पाठ से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर :
इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भाई-भाई के बीच परिवार की तरह स्नेह एवं ममत्व का व्यवहार होना चाहिए। हमेशा एक दूसरे के सुख एवं दु:ख में साथ देना चाहिए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 1.
‘दो भाई’ कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? इस कहानी के द्वारा लेखक ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर :
दो भाई कहानी द्वारा लेखक ने मानव समाज को यह शिक्षा दी है कि भाई-भाई के बीच कुटुम्ब-सा व्यवहार होना चाहिए। हमेशा एक दूसरे के सुख-दु:ख में साथ देना चाहिए। कहानी में केदार और माधव दोनों भाइयों के उदाहरण से लेखक ने इस कटु सत्य को उजागर किया है कि संसार में स्वार्थ आदमी को संकीर्ण बना देता है अपने तथा परायेपन की भावना भाई-भाई में नफरत का भाव पैदा कर देती है। बचपन में दोनों भाइयों में कितना प्रेम था, कितनी सौम्यता थी, पर सयाना तथा समझदार होते ही सारी सरसता समाप्त हो गई। एक दूसरे को नीचा दिखाने की भावना पैदा हो गई। दूसरे के अभाव को अपने स्वार्थ पूर्ति तथा आनन्द का साधन माना जाने लगा।
भाई-भाई में अविश्वास उत्पन्न हो गया। एक माँ के गर्भ से उत्पन्न होने वाले, सहोदर कहे जाने वाले सगे भाई भी इतने स्वार्थी तथा लोलुप हो जाते हैं कि मनुष्यता भी लजाने लगती है। केदार ने अपने सहोदर भाई को कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए उसे 80 रु० देने के लिए उससे उसका घर रेहन लिखवा लेता है। गाँव के मुखिया, नंबरदार तथा मुख्तार भी केदार के काम से विस्मित हो गए। लेखक ने इस भावना और संकीर्णता को निंदनीय बतलाया है। संसार में सहोदर भाई मिलना कठिन है। इसलिए कभी भी भाई का अपमान करना, उसे नफरत की दृष्टि से देखना मानवता के खिलाफ है।
हमारी भारतीय संस्कृति भ्रातृ पेम की, भाई-भाई के बीच मधुर व्यवहार की शिक्षा देती है। भाई के सुख-दुःख को अपना समझना एक दूसरे के प्रति हमदर्दी दिखलाना उचित कर्तुव्य है। भाई के दु:ख को अपना दु:ख समझ कर उसे दूर करने का प्रयल्ल करना चाहिए। उसे अपना अभिन्न अंग समझना चाहिए। जहाँ भाइयों में परस्पर मेल, सद्भावना एवं सहयोग की भावना है वहीं सुख, शांति तथा संतोष का वातावरण बना रहता है । जहाँ नफरत, घृणा, विद्वेष का भाव है वहाँ सुख शांति नहीं घुटन और पीड़ा का साम्राज्य है। अत: भाई-भाई के बीच मधुर स्नेह-पूर्ण संबंध बनाकर गृहस्थ जीवन को आनंदमय बना लेना चहिए। लेखक ने यही संदेश दिया है।
प्रश्न 2.
‘दो भाई’ कहानी के आधार पर माँ कलावती की पीड़ा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कलावती का हदय माता का हृदय था। वह ममत्व तथा सेह से परिपूर्ण था। उसके दोनों बेटे- केदार और माधव उसके हदय के टुकड़े थे। दोनों बेटों को जाँघों पर बैठाकर दूध और रोटी खिलाती। उन्हें पुचकार कर बुलाती और बड़े-बड़े कौर खिलाती। उसके हूदय में प्रेम की उमंग और नेत्रों में गर्व की झलक थी। दोनों भाई साथ-साथ स्नेहपूर्वक स्कूल जाते, साथ-साथ खाते और साथ ही रहते थे। दोनों को निहार कर माँ निहाल हो जाती थी।
दोनों भाइयों का विवाह हो गया। दोनों भाई अपनी पतियों पर मुग्ध थे, पर माँ कलावती का मन किसी से न मिला। दोनों से प्रसन्न और दोनों से अप्रसन्न थी। दोनों भाई सयाने और समझदार हो गए। माधव को धन की लालसा थी और केदार को संतान की। अब दोनों भाइयों में धीरे धीरे द्वेष का भाव उत्पन्न होने लगा। परिणामस्वरूप चंपा और श्यामा दोनों बहुएँ अलग हो गई। उस दिन एक ही घर में दो चूल्हे जले। कलावती विवश थी, वह सारे दिनरोती रही। दोनों बेटे माँ की तनिक परवाह न किए।
दोनों भाई कभी एक ही पलथी पर बैठते थे, एक ही थाली में खाते थे और एक ही छाती से दूध पीते थे, उन्हें अब एक घर में एक गाँव में रहना कठिन हो गया। अब उनमें मातृ स्नेह न था। केवल भाई के नाम की लाज थी, लड़कियों की शादी में खर्च के कारण माधव की दशा अत्यंत दयनीय बन गई। विवश होकर उसे बड़े भाई केदार के पास जाना पड़ा। केदार और चंपा को अवसर मिल गया श्यामा और माधव को नीचा दिखाने का। एक गोद में खेलने वाले, एक छाती में दूध पीने वाले आज इतने बेगाने हो गए। केदार ने माधव का घर अपने नाम रेहन लिखाकर उसे रुपये दिए। इस घटना से सभी लोग चकित हो गए। भाई-भाई के बीच इतना बड़ा अविश्वास। बूढ़ी माँ कलवाती ने सुना तो उसकी आँखों से आँसू की नदी उमड़ आई।
उसने आकाश की ओर देखकर अपना माथा ठोंक लिया। उसे दोनों बेटों की बचपन की याद आई। उस समय माँ के नेत्रों में कितना अभिमान था। हुदय में कितनी उमंग और कितना उत्साह था। आज लाचार बूढ़ी माँ के नेत्रों में लज्जा और हृदय में शोक-संताप था। उसने पृथ्वी को देखकर, अपने हृदय की गहरी पीड़ा से क्रुब्ध होकर कातर स्वर में ईश्वर को संबोधित कर कहने लगी कि ऐसे ही पुत्रों को मेरी कोख में जन्म लेना था। आज दोनों बेटों के जन्म को वरदान नहीं बल्कि अभिशाप समझने लगी।
भाषा-बोध :
(क) संज्ञा – सूर्य, रोटी, माधव, पाठशाला, कुशलता।
सर्वनाम – वह, उसे, अपना, मेरा, उसका।
विशेषण – चतुर, सलोनी, मलीन, खुश, प्यारी।
(ख) पर्यायवाची शब्द लिखें।
प्रसन्न – खुश, संतुष्ट, हर्षित ।
मुरझाया – कुम्हलाया, सुस्त, उदास।
अभिलाषा – लालसा, इच्छा, चाह, कामना।
छोटा – लघु, न्यून, उम्र में कम।
भाई – भाता, भैया, बंधु।
WBBSE Class 6 Hindi दो भाई Summary
जीवन-परिचय :
इनका असली नाम मुंशी धनपतराय प्रेमचंद है । इनका जन्म सन् 1880 ई० में वाराणसी जनपद के लमही नामक गाँव में हुआ था। ये हिन्दी साहित्य जगत् में कथा सम्राट माने जाते हैं। इनका जीवन अनेक कठिनाइयों में बीता। इनकी रचनाओं में कृत्रिमता नहीं है। इनकी भाषा तथा शैली में एक अनोखी सजीवता तथा चुस्ती पाई जाती है। इनकी प्रमुख रचनाएँ – सेवासदन, कर्मभूमि, गबन, गोदान, प्रतिज्ञा आदि हैं। इनकी कहानियाँ ‘मानसरोवर’ के आठ भागों में प्रकाशित हैं। गोदान हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है। इनकी मृत्यु सन् 1936 में हुई।
कहानी का सारांश – माँ कलावती अपने दोनों बेटों – केदार व माधव को जाँघों पर बैठा कर दूध-रोटी खिलाती, प्यार से पुचकारती थी । दोनों बेटे उसकी आँखों के तारे थे। दोनों में बड़ा स्नेह था। दोनों बेटों को निहारकर कलावती गर्व और प्रेम से भर जाती थी। दोनों साथ-साथ पाठशाला जाते, साथ-साथ खाते और साथ-साथ रहते थे। दोनों भाई बड़े हुए दोनों का विवाह हुआ। बड़े बेटे केदार की बहू चंपा चंचल स्वभाव की थी। छोटे भाई माधव की वधू श्यामा सांवली, सुन्दर एवं शान्त रूपराशि की खान थी। कलावती का मान किसी से न मिला। केदार को संतान की अभिलाषा थी। माधव को धन संपत्ति की। माधव को चार पुत्र तथा चार पुत्रियाँ थीं ।
दोनों भाई समझदार और बुद्धिमान हो गए। दोनों में धीरे-धीरे वैर-भाव पनपने लगा। दोनों भाई अलग हो गए। एक ही घर में दो चूल्हे जले। कलावती सारे दिन रोती रही। माँ के दिल के टुकड़े माँ के सामने ही अलग हो गए । उन्हें अब अपने पराये की पहचान हो गई। माधव की दशा शोचनीय थी। खर्च अधिक था, आमदनी कम। दो कन्याओं के विवाह में जमीन बिक गई। तीसरी लड़की के विवाह में घर में जो कुछ था समाप्त हो गया।
कन्या का गौना भी न हुआ था कि माधव पर दो साल के बकाया लगान का वारंट आ गया। कन्या के गहने बंधक रख कर उसका समाधान किया। चंपा ने नातेदारों को इसकी सूचना दे दी। दूसरे ही दिन एक नाई और दो ब्राह्मण माधव के दरवाजे पर आ गए। अब माधव अधीर तथा बेचैन हो उठा, कोई दूसरा रास्ता न देख, विवश था। केदार के सामने सहायता का प्रस्ताव रखा।
केदार और चंपा दोनों को अच्छा मन चाहा मौका मिल गया। चंपा ने कहा कि दोनों कोठरी पर कोई महाजन कदाचीत ही रुपये दे । केदार ने एक महाजन से अपनी जान-पहचान के बारे में बतलाया पर कोई महाजन सवा सौ रुपये नहीं दे सकता था । अंत में मामला तय हो गया। माधव की इच्छा पूरी नहीं हुई। केदार और चंपा दोनों की मनोकामना पूरी हुई। चंपा ने सोचा कि अब श्यामा रानी इस घर में कैसे शान से रहेंगी। सबेरे केदार के द्वार पर मुखिया, नंबरदार, मुंशी दातादयाल सब उपस्थित हुए। केदार और चंपा प्रसन्न थे। माधव विषाद से भरा हुआ था।
अभी तक माधव तथा आए हुए लोग समझते थे कि भाई की सहायता के लिए केदार किसी महाजन से रुपये दिला रहे हैं । पर रेहन का कागज लिखते समय केदार ने लिखने वाले का नाम माधव तथा लिखाने वाले का नाम केदार बतलाया तो सभी विस्मित हो गए। माधव चकित होकर बड़े भाई की ओर निहारने लगा। सभी ने सोचा – भाई-भाईके बीच इतना अविश्वास। सभी को आश्चर्य हुआ।
बूढ़ी माँ ने सुना तो उसकी आँखों से आँसुओं की झड़ी लग गई। उसने आकाश की ओर देखकर माथा ठोंक लिया। उसे उनके बचपन के दिनों की याद आई, जब दोनों उसकी गोद में उछल-कूद कर दूध रोटी खाते। उस समय माँ के नेत्रों में कितना अभिमान था, उमंग थी, उत्साह था, पर आज नयनों में लज्जा तथा हृदय में शोक-संताप है। पृथ्वी की ओर देख कर कातर स्वर में कहा है नारायण! क्या ऐसे पुत्रों को मेरी कोख से जन्म लेना था।
शब्दार्थ :
- सुहावनी – सुंदर।
- अमित भाषिणी – बहुत अधिक बोलने वाली।
- हृदयोद्गार – मन का उबाल।
- सलोनी – सुंदर ।
- घाम – धूप।
- मृदु भाषिणी – मधुर बोलने वाली।
- कौर – निवाला।
- रीझे – प्रसन्न हुए।
- उमंग – उत्साह।
- वधू – बहू। नेत्रों – आँखो।
- गिरो – बंदक (बंधक) ।
- व्यर्थ – बेकार।
- विवश – लाचार।
- व्यय – खर्च।
- जायदाद – संपत्ति।
- कुत्सित – बुरा।
- मर्म भेदी – हदय में चुभने वाली।
- लालसा – इच्छा।
- सेंत – मुफ्त।
- अभिलाषा – इच्छा।
- सराहना प्रशंसा।
- वैमनस्य – शत्रुता।
- निपुण – चतुर।
- रमणी – स्री।
- बेगाने – पराये।
- कातर – व्याकुल, विवश।
- संताप – कष्ट।
- गँवार – अनपढ़।
- गवई – गाँव का।
- छटा – शोभा।
- मर्यादा – प्रतिष्ठा।