WBBSE Class 7 Hindi Solutions Poem 7 कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है

Students should regularly practice West Bengal Board Class 7 Hindi Book Solutions Poem 7 कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है to reinforce their learning.

WBBSE Class 7 Hindi Solutions Poem 7 Question Answer – कोई चिराग नहीं हैं

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
इस पाठ के कवि कौन हैं ?
(क) साबीर अली
(ख) बशीर बद्र
(ग) जाबीर बद्र
(घ) कैफी आजमी
उत्तर :
(ख) बशीर बद्र

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प्रश्न 2.
प्रस्तुत कविता का छंद है –
(क) दोहा
(ख) चौपाई
(ग) गज़ल
(घ) रुबाई
उत्तर :
(ग) गज़ल

प्रश्न 3.
क्या नहीं हैं मगर उजाला है ?
(क) चन्दा
(ख) चिराग
(ग) फूल
(घ) सुरज
उत्तर :
(ख) चिराग

प्रश्न 4.
गजल की शाख पे क्या खिलने वाला है ?
(क) बेली
(ख) भँवरा
(ग) फूल
(घ) पत्ती
उत्तर :
(ग) फूल

प्रश्न 5.
‘कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है’ किसकी रचना है ?
(क) साबीर अली
(ख) बशीर बद्र
(ग) जाबीर बद्र
(घ) कौफी आजमी
उत्तर :
(ख) बशीर बद्र

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प्रश्न 6.
बशीर बद्र का जन्म कब हुआ था ?
(क) 18 फरवरी 1930 ई०
(ख) 15 फरवरी 1932 ई०
(ग) 15 फरवरी 1934 ई०
(घ) 15 फरवरी 1936 ई०
उत्तर :
(घ) 15 फरवरी 1936 ई०

प्रश्न 7.
बशीर बद्र का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) कानपुर
(ख) नागपुर
(ग) मेरठ
(घ) इलाहाबाद
उत्तर :
(क) कानपुर

प्रश्न 8.
बरसात का दुशाला कहाँ है ?
(क) नदी में
(ख) पहाड़ पर
(ग) समुद्र में
(घ) पठार पर
उत्तर :
(ख) पहाड़ पर

प्रश्न 9.
मस्जिद से निकलकर बच्चे ने कहाँ फूल डाला है ?
(क) जली मूरत पर
(ख) लाश पर
(ग) मजार पर
(घ) कहीं पर नहीं
उत्तर :
(क) जली मूरत पर

प्रश्न 10.
अजीब लहजा है दुश्मन की …………. का –
(क) बहादुरी का
(ख) तलवार का
(ग) मुस्कुराहट का
(घ) विचार का
उत्तर :
(ग) मुस्कुराहट का

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प्रश्न 11.
दुशाला का अर्थ है –
(क) चादर
(ख) पट्टा
(ग) शर्ट
(घ) दुपट्टा
उत्तर :
(क) चादर

प्रश्न 12.
तमाम वादियों में सेहरा में क्या रोशन हैं ?
(क) खुशियां
(ख) खुशबू
(ग) आग
(घ) दीपक
उत्तर :
(ग) आग

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि ने दुश्मन के किस लहजे को अजीब कहा है और क्यों?
उत्तर :
कवि ने दुश्मन की मुस्कराहट के लहजे को अजीब कहा है क्योंकि दुश्मन अपने उस लहजे से कभी उसे पतन की और ढकेलता है, कभी संभालता है। दुश्मन की परिवर्तित विचारधारा को कवि अजीब मानता है।

प्रश्न 2.
गज़ल की शाख का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इसका आशय यह है कि कवि की कविता की हर पंक्ति में फूल खिला है। अर्थात् हर पंक्ति में विचारो भावों की खुशबू है।

प्रश्न 3.
‘फसाद में जली मूरत पे हार डाला है’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर :
कवि का कथन है कि दंगों में निर्दोष लोग जलाए जाते है, लोगों को बेसहारा बना दिया जाता है। निर्दोष ही प्रभावित होते हैं। अबोध बालक इन दंगों या अग्नि कांड से अपरिचित है। उस निरीह मासूम बच्चे को क्या पता कि इस आदमी को क्यों जलाया गया। कवि ने दंगों के अमानवीय पहलू की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

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प्रश्न 4.
बेलिवास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बेलिवास का अर्थ है बिना लिवास के, बिना परिधान या अच्छादन के यहाँ बेलिवास पत्थर का जिक्र है। पत्थर बिल्कुल नग्न अर्थात् आच्छादन रहित है। भाव यह है कि दंगों के कारण समाज बेपर्द हो जाता है।

प्रश्न 5.
बशीर बद्र का वास्तविक नाम क्या है ?
उत्तर :
बशीर बद्र का वास्तविक नाम सैयद मोहम्मद बशीर है।

प्रश्न 6.
बशीर बद्र को पद्मश्री पुरस्कार कब मिला ?
उत्तर :
बशीर बद्र को पद्मश्री पुरस्कार 1999 ई० में मिला।

प्रश्न 7.
‘बेंलिवास’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
‘बेलिवास’ का तात्पर्य नग्न या वस्व विहीन है।

प्रश्न 8.
कवि को कैसे मौसमों ने पाला है ?
उत्तर :
कवि को खिजाँ अर्धात् पतझड़ वाले मौसमों ने पाला है। स्सष्ट है कि कवि विपरीत परिस्थितियों के मध्य पले हैं।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर

(क) इस कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए :
उत्तर :
प्रस्तुत काव्यांश में सुप्रसिद्ध शायर बशीर बद्र ने गजल या कविता के महत्व को स्पष्ट करते हुए बतलाया है कि सत्य स्थिर नहीं रहता, उसका मापदंड समय, स्थान और परिस्थिति के अनुसार बदलतर है। बिना दीपक के ही गजल के विचार प्रकाश फैलाते है। गजल के विचार डाली पर खिले फूल की भांति चारों ओर अपनी खुशबू बिखेरते हैं। कविता मन की संकीर्णता तथा अझ्ञान-अंधकार को दूर कर ज्ञान की रोशनी फैलाती है। प्रकृति के क्रियाकलाप अद्भुत हैं।

पहाड़ के प्रस्तर खंड पर कहीं कठोर भूप पड़ती है कहीं वर्षा की चादर बिक्छ-बिछ जाती है। इसलिए समय, दशा और परिस्थिति के अनुसार व्यक्ति को कद्टरपन छोड़कर उदार होना चाहिए। शत्रु की मुस्कान विचित्र होती है। उसकी मुस्कराहट कभी पतन की और ले जाती है तो कभी पतन से संभाल भी लेती है।

उसकी मुस्कान कभी चिढ़ाने के लिए होती है, कभी हददय को खुशियों से भर देती है। कवि ने मंदिर-मस्जिद को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाने वाले, साम्पदायिक हिंसा को प्रश्रय देने वालों को निंदनीय बतलाया है। कुछ समाज विरोधी लोग ही हिंसा और उपद्रव करते हैं। दंगे के कारण एक निर्दोष बालक मस्जिद में पनाह लेता है। उपद्रव के शान्त हो जाने पर बाहर जली हुई एक मूर्ति के गले में फूलों की माला पहना देता है।

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अत: मन्दिर -मस्जिद को लेकर धार्मिक हिंसा निंदनीय है क्योंकि कोई भी मजहब शत्रुता की शिक्षा नहीं देता। अन्तिम गजल में कवि ने बतलाया की प्रतिकूल परिस्थिति तथा वातावरण में उसका जीवन अग्रसर हुआ है। कवि का जीवन वसन्त में नहीं पतझड़ में बीता है। विषम परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए कवि ने अपने जीवन का निर्माण किया है । संघर्षो में आगे बढ़ना ही सच्चा जीवन दर्शन है।

(ख) ‘कोई चिराग नहीं है मगर उजाला है’ – कवि ऐसा क्यों कहता है? इसका प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि ने स्पष्ट किया है कि बिना किसी दीपक के चारों ओर रोशनी फैली हुई है। दीपक का उजाला वहाँ फैलता है जहाँ अंधकार रहता है, परतु जहाँ प्रकाश है वहाँ तो दीपक की रोशनी के बिना उजाला रहता है। कवि अपनी कविता की पंक्तियों में फूल की महक की बात कह कर यह स्पष्ट कर देना चाहता है कि जाँँ पविश्र भाव हो, संकीर्णता नही हो, वहाँ मानवता का प्रकाश स्वत: बिना दीपक के प्रकाशमान बना रहता है।

(ग) निम्नलिखित पंक्तियों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए –

प्रश्न  1.
निकल के पास की मस्जिद से एक बच्चे ने
फसाद में जली मूरत पै हार डाला है।
उत्तर :
प्रस्तुत अंश ‘कोई चिराग नहीं मगर उजाला है’ पाठ से उद्धृत है। इसके कवि बशीर बद्र हैं। इस अंश में कवि ने दंगों की भयंकरता का वर्णन किया है। दंगा-फसाद असामाजिक तत्वों द्वारा किया जाता है। परंतु इसमें निरीहनिर्दोष लोगों को जान गँवानी पड़ती है। मस्जिद में लोगों को पनाह लेनी पड़ती है। ऐसे ही एक दंगे की ओर कवि ने संकेत किया है। दंगे की आग में जल जाने से किसी का शरीर बाहर पड़ा हुआ है। पास की मस्जिद से निकलकर एक बच्या उस पर फूलों की माला डाल कर सम्मान करता है।

प्रश्न  2.
तमाम वादियों से सेहरा में आग रोशन है,
मुझे खिजाँ के इन्हीं मौसमों ने पाला है।
इस पंक्ति की भावार्थ सहित व्याख्या करें।
उत्तर :
सभी घटियों में, तटों पर, बस्तियों में आग प्रदीप्त हो रही है। बड़े-बड़े लोगों पर भी इसका प्रभाव है। इन्हीं वीरान स्थितियों में इन्हीं मुरझाए वातवरण ने कवि का पालन किया है। कवि कह रहा है कि ऐसे पतझड़ के मौसम में ही उसका जीवन बीत रहा है। प्रतिभाशाली व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थिति को अनुकूल बना लेता है।

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प्रश्न 3.
गजब की धूप है इक बेलिवास पत्थर पर
पहाड़ पर तेरी बरसात का दुशाला है।
इस पंक्ति की संदर्भ सहित व्याख्या करें।
उत्तर :
कवि स्पष्ट कर रहा है कि इन नंगे पत्थरों पर विचित्र धूप पड़ रही है। पहाड़ पर बरसात की चादर बिछी हुई है। कहीं नग्न स्थिति है। कहीं परिषान, कोई बेपर्द है तो कहीं आवरण से नग्नता ढुकी हुई है।

भाषा-बोध

(क) पाठ में आए निम्नलिखित उर्दू के शब्दों का हिन्दी रूप लिखिए।

  • रोशन- प्रकाशमान
  • वादियों- घाटियों
  • खिजां- पतझड़
  • फसाद – उपद्रव
  • शाख-टहनी

(ख) वाक्य प्रयोग

  • मस्जिद – मस्जिद मुसलमानों का प्रार्थना स्थल है।
  • मुस्कराहट – बच्चे के चेहरे पर स्वच्छ मुस्कुराहट है।
  • दुशाला – कश्मीर का ऊनी दुशाला प्रसिद्ध है।
  • चिराग – चिराग के नीचे अंधेरा होता है।
  • अजीब-यह बालक अजीब स्वभाव का है।

(ग) विलोम शब्द :

  • धूप – छाया
  • बेलिवास – लिवास
  • दुश्मन – मित्र
  • आग-पानी
  • फसाद – शान्ति

(घ) दुश् उपसर्ग के तीन शब्द बनाओ।
दुश्- दुश्चरित्र, दुश्मन, दुष्कर्म, दुस्साहस

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर यथा निर्देश लिखिए-

1. अजीब लहजा है दुश्मन की मुस्कराहट का कभी गिराया है, मुझको कभी सँभाला है।
(क) प्रस्सुत पंक्तियाँ किस कवि की किस कविता से उदधृत है ?
(ख) ‘अजीब लहजा’ से क्या तात्र्य है?
(ग) कवि दुश्मन की मुस्कराहट को अजीब क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ बशीर बद्र रचित ‘कोई चिराग नहीं मगर उजाला है’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं।
(ख) यहाँ ‘अजीब लहजा’ का तात्पर्य शत्रु के विचित्र ढंग या तरीके से है।
(ग) कवि ने बतलाया है कि दुश्मन की चाल, उसका ढंग बड़ा ही निराला है। उसकी मुर्कराहट में भी विचित्रता भरी है। वह अपनी चेष्टा से कभी हमें गिरा देता है। परास्त कर देता है, पर कभी संभाल भी लेता है।

WBBSE Class 7 Hindi कोई चिराग नहीं हैं मगर उजाला है Summary

जीवन शिचाय

डॉ० बशीर का जन्म सन् 1936 ई० को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ है। बशीर हिन्दी और उर्दू के प्रसिद्ध शायर हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ- उजाले, अपनी यादों के, उजालों की परियाँ, आस रोशनी के घरौंदे आदि हैं। साहित्य और अकादमी में इनके उल्लेखनीय योगदन के लिए इन्हे पदम्र्री से सम्मानित किया गया।

पद -1

कोई चिराग नहीं है मगर उजाला है,
गजल की शाख पे इक फूल खिलनेवाला है।

शब्दार्श :

  • चिराग – दीपक।
  • शाख – टहनी।
  • मगर – लेकिन।
  • उजाला- प्रकाश।

अर्थ : प्रख्यात शायर डॉ० बशीर बद्र ने प्रस्तुत गजल में स्पष्ट किया है कि आधुनिक जीवन और जगत में गजल ही धार्मिक रूढ़ियों, सांपदायिक संकीर्णताओं को दूर कर भाईचारे और उदार विचारों के प्रसार से समाज में नई रोशनी ला सकता है। गजलकार का कथन है कि जिस प्रकार पुष्प की डाली पर खिला हुआ फूल सुगंधि को चारों ओर फैला देता है, उसी प्रकार गजल में व्यक्त विचार फूल की भाँति खुशबू बिखेरते हैं। बिना दीपक के ही गजल के विचार और शिक्षाओं से प्रकाश फैल जाता है। वास्तव में कविता ही मन के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाती है। अच्छे विचारों की खुशबू फैलती है।

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पद -2

गजब की घूप है इक बेलिवास पत्थर पर,
पहाड़ पर तेरी बरसात का दुशाला है।

शब्दार्थ :

  • बेलिवास – नग्न।
  • दुशाला – चादर।

अर्थ : प्रस्तुत गजल में बद्र जी ने बतलाया है कि प्रकृति के क्रियाकलाप अद्भुतु है। एक ही समय में कहीं धूप पड़ती है कहीं छाया। कहीं शहनाई बजती है कहीं मातम होता है। पहाड़ पर कहीं तेज बरसात की चादर फैल जाती है उसी पहाड़ के अंश में एक ओर नग्न पत्थर पर कठोर धूप पड़ती है। पहाड़ पर सर्वत्र एक समान धूप तथा वर्षा का प्रभाव नहीं पड़ता। इस तथ्य को देखकर व्यक्ति को कट्टरवादी ने होकर परिवर्तन शील स्वभाव और विचार का होना चाहिए। सदा एक ही विचार पर दृढ़ बने रहना ठीक नहीं। समय, दशा तथा परिस्थिति के अनुसार उदार होकर परिस्थिति के अनुसार अपने आप को ढाल लेना चाहिए।

पद – 3

अजीब लहजा है दुश्मन की मुस्कराहट का,
कभी गिराया है मुझको कभी सँभाला है।

शब्दार्थ :

  • अजीब – अनोखा, विचित्र।
  • लहजा – तरीका, ढंग।
  • दुश्मन – शत्रु ।
  • गिराया – अवनत किया।

अर्थ : प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने शब्रु के मुस्कराने के ढंग को विलक्षण बतलाया है क्योंकि शत्रु की मुस्कराहट रहस्यपूर्ण होती है, कभी तो उसका उद्देश्य पतन की ओर ढकेलना असफलता की ओर बढ़ाना होता है, कभी उसकी मुस्कराहट में कल्याणकारी भाव भरा रहता है, वह गिरने से सभांल लेता है। सचमुच मुस्कराहट चाहे शत्रु की हो चाहे प्रेमिका की हो, वह रहस्यपूर्ण होती है, उसमें दोनों प्रकार के भाव भरे रहते हैं। मुस्कराहट कभी तो चिढ़ाने के लिए होती है कभी प्रेम पूर्ण होती है कि हृदयकलिका को प्रफुल्ल बना देती है।

पद – 4

निकल के पास की मस्जिद से एक बच्चे ने,
फ़साद में जली मूरत पे हार डाला है।

शब्दार्थ :

  • फसाद – दंगा, उपद्रव।
  • मूरत – मूर्ति।

अर्थ : प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने स्पष्ट किया है कि धर्म या संप्रदाय विशेष को अथवा मंदिर मस्जिद को लेकर दंगा करना, उपद्रव मचाना धार्मिक उन्माद के कारण हिंसा करना सर्वथा निंदनीय है। देगे के समय उपद्रवी मानवीय मूल्यों तथा संवेदनाओं को भूल जाते है। दंगे के समय एक निर्दोष बालक एक मस्जिद में शरण लेता है, जब उपद्रव शान्त हो जाता है तो वह मस्जिद से निकलकर बाहर देखता है कि एक मूर्ति को दंगे में उपद्रवियों ने जला दिया है, बच्चा जाकर उस मूर्ति के गले में फूलों की माला पहना देता है। बच्चे के हुदय में धार्मिक उन्माद नहीं, वह तो निर्मल एवं पवित्र है।

अतः धर्म के केन्द्र मंदिर-मस्जिद को दंगे से जोड़ना अनुचित है। इन दंगो में सच्चे धार्मिक पवित्र दिल वाले इंसान भाग नहीं लेते। केवल स्वार्थी, संकीर्ण मनोवृत्ति के लोग धर्म के नाम पर उपद्रव रचते हैं। कहा है मजहब नहीं सिखाते आपस में बैर करना। देखा गया है क उपद्रव के समय कितने मुसलमान हिन्दू मित्रों को पनाह देते हैं, कितने हिन्दू मुस्लिम भाइयों की रक्षा करते है। सांम्पदायिकता समाज के लिए कलंक है। अत हिन्दू. मुस्लिम दोनों के बीच भाई-चारे का प्रेम का, सौहार्र का सम्बन्ध होना चाहिए।

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पद – 5

तमाम वादियों में सेहरा में आग रोशन है,
मुझे खिजाँ के इन्हीं मौसमों ने पाला है।

शब्दार्थ :

  • वादियों – घाटी, जंगल।
  • सेहरा – पगड़ी, मुकुट।
  • खिजाँ – पतझड़।
  • मौसम – वातावरण।

अर्थ : प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने स्पष्ट किया है कि चाहे जैसा भी वातावरण हो, अनुकूल हो या प्रतिकूल हो, उसे अपने अनुकूल बना लेना चाहिए। जिस समय सर्वं्र विपरीत स्थिति हो सर्वत्र विध्वंस हो रहा हो, उस समय भी दृढ़ विचार वाला व्यक्ति स्थिर बना रहता है। कवि ने अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में बतलाया है कि अत्यंत भयावह विषम वातावरण में उसका निर्वाह हुआ है।

संघर्षो या बाधाओं में व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है। सोना आग में जलकर ही कुन्दन बनता है। समस्त घाटियाँ, जंगलों तथा राजमुकुटों में आग की ज्वाल दहक रही है। इसी विकट परिवेश में पतझड़ के मौसम में ही कवि का पालन पोषण हुआ है। पर कवि पर इनका प्रभाव न पड़ा। वह बसन्त की वयार के लिए कभी परेशान नहीं हुआ।

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