Students should regularly practice West Bengal Board Class 6 Hindi Book Solutions Poem 5 धानों का गीत to reinforce their learning.
WBBSE Class 6 Hindi Solutions Poem 5 Question Answer – धानों का गीत
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न 1.
खेत में धान उगने को कवि किस रूप में देखता है ?
(क) प्रान उगेंगे
(ख) ज्ञान उगेंगे
(ग) जान उगेंगे
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) प्रान उगेंगे।
प्रश्न 2.
कवि किसको आने के लिए कहता है ?
(क) चन्दा को
(ख) सूरज को
(ग) बादल को
(घ) हवा को
उत्तर :
(ग) बादल को।
प्रश्न 3.
आगे कौन पुकारेगा ?
(क) अँखड़ियाँ
(ख) डगरिया
(ग) गुजरिया
(घ) कलगियाँ
उत्तर :
(ख) डगरिया।
प्रश्न 4.
‘धान का गीत’ किसकी रचना है ?
(क) केदारनाथ अग्रवाल
(ख) केदारनाथ सिंह
(ग) नागार्जुन
(घ) निराला
उत्तर :
(ख) केदारनाथ सिंह।
प्रश्न 5.
‘धान का गीत’ किस विधा की रचना है ?
(क) कहानी
(ख) गीत
(ग) कविता
(घ) नाटक
उत्तर :
(ग) कविता।
प्रश्न 6.
खेत में धान उगने को कवि किस रूप में देखता है ?
(क) प्रान उगेंगे
(ख) ज्ञान उगेंगे
(ग) जान उगेंगे
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) प्रान उगेंगे।
प्रश्न 7.
ज्वार कब झारेंगे ?
(क) सुबह
(ख) दोपहर
(ग) रात
(घ) पूजा की बेला में
उत्तर :
(घ) पूजा की बेला में।
प्रश्न 8.
किस पौधे को पवित्र माना जाता है ?
(क) धान
(ख) तुलसी
(ग) कनेर
(घ) बेंत
उत्तर :
(ख) तुलसी।
प्रश्न 9.
भारतीय गाँवों के किसानों के जीवन का आधार क्या है ?
(क) धान
(ख) मकई
(ग) ज्वार
(घ) चाय
उत्तर :
(क) धान।
प्रश्न 10.
कवि किसको कच्ची धान की बालियां कहते है ?
(क) सूरज को
(ख) चंदा को
(ग) तारे को
(घ) जल को
उत्तर :
(ख) चंदा को ।
प्रश्न 11.
कवि किसको सूखी रेत में बाँधने की बात कहता है ?
(क) चंदा को
(ख) पानी को
(ग) सूर्य को
(घ) आग को
उत्तर :
(ग) सूर्य को।
प्रश्न 12.
धूप के ढलते ही किसके पत्ते झरने लगते हैं ?
(क) आम के
(ख) बेर के
(ग) तुलसी के
(घ) ज्वार के
उत्तर :
(ग) तुलसी के।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 13.
कवि चंदा को किसमें बाँधने की बात कहता है ?
उत्तर :
कवि चंदा को धान की कच्ची बालियों में बाँधने की बात कहता है।
प्रश्न 14.
गीली अँखड़ियाँ किसे पुकारेगी ?
उत्तर :
गीली अँखड़ियाँ संझा को पुकारेंगी।
प्रश्न 15.
धानों का गींत किस प्रकार की कविता है ?
उत्तर :
धानों का गीत ग्रामीण परिवेश का ग्राम्य कविता है।
प्रश्न 16.
केदारनाथ सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
केदारनाथ सिंह का जन्म 1 जुलाई, 1934 ई० में बलिया जिला के चकिया गाँव में हुआ था ।
प्रश्न 17.
किसके घिरने पर ज्वार झरने लगते हैं ।
उत्तर :
शाम के घिरने पर कनेर तथा पूजा की बेला में ज्वार झरने लगते हैं।
प्रश्न 18.
हमारे खेतों में क्या प्राण के समान हैं?
उत्तर :
हमारे खेतो में पके हुए धान हमारे प्राण के समान हैं ।
प्रश्न 19.
कवि धान की खेती के लिए किसका आह्वान करते हैं ?
उत्तर :
कवि धान की खेती के लिए वादल की आह्लान करते हैं।
बोधमूलक प्रश्नोत्तर :
प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता में बादल का स्वागत किनके द्वारा किया गया है ?
उत्तर :
प्रस्तुत कविता में बादल का स्वागत किसानों द्वारा किया गया है। किसानों के अतिरिक्त चंदा, सूरज, पेड़, पौधे, खेत-आदि सभी बादल का स्वागत करते हैं।
प्रश्न 2.
कवि ‘आनाजी बादल जरूर’ कहकर बादलों का आह्बान क्यों करता है?
उत्तर :
बादल कृषि प्रधान भारतवर्ष के लोगों के जीवन का आधार है। जल के अभाव में खेतों में धान की फसल सूख जाती है। सभी पेड़-पौधे, वन-उपवन वर्षा के लिए बेचैनी से बादलों की ओर निहारते रहते हैं। नदियाँ सूख जाती हैं। वर्षा होते ही सारी धरती हरी-भरी हो जाती है। सारि-सरोवर जल से परिपूर्ण हो जाते हैं। सर्वत्र आनंदमय वातावरण बन जाता है। इसीलिए कवि बादलों का आह्नान करता है।
प्रश्न 3.
बादल का स्वागत कौन-कौन और कब-कब करते हैं ?
उत्तर :
बादल का स्वागत किसान, वन पर्वत, खेत-खलिहान, रास्ते तथा खेतों की फसलें करती हैं। जब धरती वर्षा के अभाव में वीरान बन जाती है। फसलें जल के बिना-सूखने लगती हैं। गर्मी की कतु के बाद खेती करने का समय आषाढ़ का महीना आ जाता है। उस समय सभी बादल का स्वागत करते हैं।
प्रश्न 4.
‘धान पकेंगे कि प्रान पकेंगे’ इस पंक्ति में धान को प्राण क्यों कहा गया है?
उत्तर :
कहा गया है कि अन्न ही प्राण है। अन्न के बिना प्राण की रक्षा नहीं हो सकती है। धान के पक जाने पर लोगों के प्राण की रक्षा करने वाला अन्न तैयार हो जाता है। धान लोगों की जीविका का आधार है। धान के पक जाने पर अर्थात् धान की फसल तैयार हो जाने पर लोग प्रसन्न हो उठते हैं। इसीलिए धान को प्राण कहा गया है।
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए :
(क) धूप ढरे तुलसी वन झेरेंगे ……….. धान दिये की बेर।
(i) साँझ घिरने पर कौन झरता है?
उत्तर :
साँझ घिरने पर तुलसी-वन, कनेर, ज्वार झरता है।
(ii) ऊपर की पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पद 3 का अर्थ देखें।
(ख) आगे पुकारेगी सूनी डगरिया पीछे झुके वन-बेंत।
(i) पाठ और कवि का नाम लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियाँ धानों का गीत पाठ से ली गई हैं। इसके कवि का नाम केदारनाथ सिंह है।
(ii) सूनी डगरिया से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर :
बादल के आने में देरी होने तथा वर्षा न होने से सब जगह वातावरण वीरान बन जाता है। कठिन गर्मी तथा धूप के कारण लोग घरों से नहीं निकल पाते। इसलिए सारे रास्ते सुनसान बन जाते हैं। कहीं चहल-पहल नहीं रह जाती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :
प्रश्न :
कवि ने बादलों का आह्वान क्यों किया है? कविता के माध्यम से बादलों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि ने स्पष्ट किया है कि मनुष्य के जीवन में बादलों का बहुत अधिक महत्व है। बादलों के आने पर ही वर्षा होती है। धरती पर हरियाली और सरसता की सृष्टि होती है। भारतवर्ष कृषि प्रधान देश है। इसलिए बादल और बादलों से होने वाली वर्षा ही कृषि का आधार है। वर्षा ही जीवन का आधार है। वर्षा के बिना धरती वीरान बन जाती है। जीवन की सरसता समाप्त हो जाती है। इसलिए कवि ने किसान के स्वर में बादल का स्वागत किया है।
जल से ही खेतों में धान की फसलें लहलहाती हैं और यही लोगों के प्राणों का आधार है। सूने रास्ते, वीरान वन-प्रदेश, पेड़-पौधे सभी बादल के लिए बेचैन हो उठते हैं। जब बादल धरती पर झुकेकर जल से उसे तृप्त कर देता है, पूरी पृथ्वी आनंदित हो उठती है। धान की फसल भी लहलहाने लगती है। पानी के बिना धान की खेती हो ही नहीं सकती । इसीलिए गाँव के किसान निरंतर बादल की प्रतीक्षा करते रहते हैं।
आकाश में बादल छा जाते हैं, जल की वर्षा करने लगते हैं, तो किसानों का मन ताजा हो जाता है। उनका मुर्झाया मन खिल जाता है। धान की बालियाँ लहलहा उठती हैं। जब धान खेत में पक जाते हैं तो किसान का सारा परिश्रम सफल हो जाता है। धान के पक जाने से किसान के प्राण भी ताजगी से भर उठते हैं। ज्वार आदि अन्य फसलें भी तैयार हो जाती हैं। इस प्रकार कवि ने कृषि प्रधान देश भारत के लोगों के जीवन में बादल के महत्व को स्पष्ट किया है।
भाषा-बोध :
(क) तद्भव – तत्सम साँझ –
प्रान – प्राण अँखड़ियाँ –
चंदा _ चंद्रमा गीली –
खेत – क्षेत्र डगरिया –
सरज – सूर्य
(ग) पर्यायवाची शब्द लिखें :-
बादल – मेघ, घन, जलद
साँझ – संध्या, सायंकाल, दिनांत
भोर – प्रभात, सवेरा, प्रातःकाल
वन – कानन, जंगल, अरण्य
WBBSE Class 6 Hindi धानों का गीत Summary
जीवन-परिचय :
केदारनाथ सिंह का जन्म सन् 1934 ई० में उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद में हुआ था। ये दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्रोफेसर तथा अध्यापक रह चुके हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ – अभी बिल्कुल अभी, जमीन पक गई, अकाल में सावन आये आदि हैं।
शब्दार्थ :
- उगना – उपजना ।
- कलगियाँ – धन की बालियाँ ।
- रेत – बालू।
- डगरिया – रास्ते ।
- कनेर – एक वृक्ष।
- संझा – शाम ।
- तुलसी – एक पवित्र पौधा।
- बेला – समय।
- ढरे – ढलना ।
- ज्वार – एक अन्न ।
- बेर – बेला।
पद – 1
धान उगेंगे कि प्रान उगेंगे
उगेंगे हमारे खेत में,
आना जी बादल जरूर!
चन्दा को बाँधेंगी कच्ची कलगियाँ
सूरज को सूखी रेत में
आना जी बादल जरूर !
संदर्भ : प्रस्तुत कविता में कवि ने किसान के स्वर में धान, चाँदनी तथा गाँव में प्रचलित विश्वास का सरस वर्णन किया है। कवि ने किसानों के स्वर में बादलों का स्वागत करते हुए उनका आह्वान किया है।
व्याख्या : भारतीय गाँवों के किसानों के जीवन का आधार खाद्यान्न धान है। उनके खेतों में उपजने वाले धान उनके प्राण के समान हैं। धान की खेती के लिए आवश्यक जल की वर्षा करने वाले बादल का वह आह्बान (पुकार) करता है कि बादल जरूर आएँ और जल की वर्षा करें। कवि चंदा को कच्ची धान की बालियों और सूर्य को सूखी रेत में बाँधने की बात कहता है।
पद – 2
आगे पुकारेगी सूनी डगरिया
पीछे झुके वन-बेंत,
संझा पुकारेंगी गीली अँखड़ियाँ
भोर हुए धन-खेत,
आना जी बादल जरूर
धान कँपेंगे कि प्रान कँपेंगे
कँपेंगे हमारे खेत में
आना जी बादल जरूर !
व्याख्या : सुनसान गाँवों के रास्ते आगे पुकारेंगे । पीछे वन प्रदेश के बेंत झुके हुए हैं। गीली आँखें संध्या बेला में पुकारेंगी। खेतों में धान पक रहे हैं। हमारे खेतों में ये पके हुए धान ही हमारे पके प्राण के समान हैं। यहाँ धान को प्राण कहा गया है।
पद – 3
धूप ढरे तुलसी-वन झरेंगे
साँझ घिरे पर कनेर,
पूजा की बेला में ज्वार झारेंगे
धान-दिये की बेर,
आना जी बादल जरूर,
धान पकेंगे कि प्रान पकेंगे
पकेंगे हमारे खेत में,
आना जी बादल जरूर !
व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने गाँवों के निवासियों के विश्वास की ओर संकेत किया है। धूप के ढलते ही तुलसी के पत्ते झरने लगते हैं। शाम के घिरने पर कनेर तथा पूजा की वेला में ज्वार झरने लगते हैं। हमारे खेतों में धान पक कर तैयार हो गए हैं, इसलिए इन धानों के रूप में हमारे प्राणों को नव जीवन मिल गया है। इसलिए खेती के लिए, अन्य पेड़पौधों के लिए बादल अवश्य आए। हम उसका स्वागत करते हैं।