Students should regularly practice West Bengal Board Class 7 Hindi Book Solutions Poem 5 रक्षा बंधन to reinforce their learning.
WBBSE Class 7 Hindi Solutions Poem 5 Question Answer – रक्षा बंधन
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
सही विकल्प चुनकर उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
राखी कौन बाँधती है?
(क) माँ
(ख) बेटी
(ग) बहन
(घ) पत्नी
उत्तर :
(ग) बहन
प्रश्न 2.
भाई कहाँ जा रहा है?
(क) विद्यालय
(ख) मन्दिर
(ग) घर
(घ) समर में
उत्तर :
(घ) समर में।
प्रश्न 3.
मूल रूप से इस कविता का स्रोत है :
(क) बहन-भाई प्रेम
(ख) प्रकृति प्रेम
(ग) वात्सल्य प्रेम.
(घ) देश प्रेम एवं स्वतंत्रता
उत्तर :
(घ) देश प्रेम एवं स्वतंत्रता
प्रश्न 4.
रक्षा बंधन के लिए भाई अपनी बहन को कौन-सा उपहार देना चाहता है?
(क) अमूल्य उपहार
(ख) आँखों के आँसू
(ग) स्वतंत्रता
(घ) निद्रा
उत्तर :
(ख) आँखों के आँसू
प्रश्न 5.
‘प्रेमी’ किस कवि का उपनाम है ?
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) सूर्यकांत त्रिपाठी
(ग) हरिकृष्ण
(घ) सोहनलाल
उत्तर :
(ग) हरिकृष्ण
प्रश्न 6.
हरिकृष्ण प्रेमी का जन्म कब हुआ था ?
(क) सन् 1909
(ख) सन् 1910
(ग) सन् 1911
(घ) सन् 1912
उत्तर :
(क) सन् 1909
प्रश्न 7.
हरिकृष्ग ‘प्रेमी’ का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) झाँसी
(ख) ग्वालियर
(ग) गुड़गाँव
(घ) गाजियानाद
उत्तर :
(ख) ग्वालियर
प्रश्न 8.
शीश का अर्थ क्या है ?
(क) मस्तक
(ख) पहाड़
(ग) कुटिया
(घ) पावन
उत्तर :
(क) मस्तक
प्रश्न 9.
भाई-बहन से क्या बनकर दर-दर घूमने को कहता है ?
(क) सैनिक
(ख) भिखारीन
(ग) बंधु
(घ) फेरीवाला
उत्तर :
(ख) भिखारीन
प्रश्न 10.
भाई-बहन से अंतिम बार क्या बाँधने को कहता हैं ?
(क) राखी
(ख) रक्षा सूत्र
(ग) कंगन
(घ) फांसी
उत्तर :
(क) राखी
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
रक्षा बंधन कविता में किसके किस अत्याचार की बात कही जा रही है?
उत्तर :
रक्षा बंधन कविता में अंग्रेज शासकों के अत्याचार की बात कही जा रही है। अन्यायी शासकों ने लाखों युवतियों को विधवा बना डाला। हमारे देश को बेसहारा बना दिया।
प्रश्न 2.
आश्रयहीन होने पर बहन का माथा ऊँचा कैसे होगा?
उत्तर :
आश्रयहीन होने पर भी बहन का माथा इसलिए ऊँचा होगा कि उसका भाई मातृभूमि की आजादी के लिए, देश को जालिमों के अत्याचार से बचाने के लिए आत्म बलिदान कर दिया। देश के नवयुवक वीरों को देश पर मिटने के लिए अलख जगाने का उसे अवसर मिल जाएगा।
प्रश्न 3.
बहन भाई के उपहार को क्या कहती है?
उत्तर :
भाई के उपहार आँसुओं की बूदों को बहन मणियों की भाँति बहुमूल्य कहती है क्योंकि उन मणियों पर संसार योयावर हो जाता है।
प्रश्न 4.
भाई अमर नशे में कब झूमने की कामना करता है?
उत्तर :
भाई रणक्षेत्र में आत्म बलिदान करने के लिए प्रस्थान की तैयारी कर रहा है। वह अपनी बहन को उपहार के रूप में आँखों के आँसुओं को देना चाहता है। उसी समय वह बहन से कहता है कि बहन अपने चरण कमल बढ़ाओ में उन्हें चूम लूँ। उसी समय भाई उसके पवित्र स्नेह से अमर नशे में झूमने की कामना करता है।
प्रश्न 5.
प्रस्तुत कविता में भाई अपनी बहन से कहाँ जाने की बात कहता हैं ?
उत्तर :
पसस्तुत कविता में भाई अपनी बहन से युद्ध में जाने की बात कहता है।
प्रश्न 6.
भाई अपनी बहन से क्या आशीर्वाद चाहता है ?
उत्तर :
भाई अपने बहन से सिर-कटने के पहले नहीं ज्ञुकने का आर्शीबाद चाहता है।
प्रश्न 7.
‘रक्षा बन्धन’ कविता में जननी किसे कहा गया है ?
उत्तर :
‘रक्षा बन्धन’ कविता में जननी ‘मातृभूमि’ को कहा गया है।
प्रश्न 8.
भाई को कौन-सा दुःख मिटाना है ?
उत्तर :
भाई को गुलामी का दुःख मिटाना है।
प्रश्न 9.
भाई अपने साथियों को कब निद्रा लेने को कहता है ?
उत्तर :
भाई अपने साधियों को स्वाधीनता प्राप्त करने के बाद निद्रा लेने को कहता है।
प्रश्न 10.
बहन मणियाँ किसको कहती है ?
उत्तर :
बहन मणियाँ भाईयों के अश्रुकणों (आँसू की बूँदों) को कहती है।
बोधमूलक प्रश्नोत्तर
(क) ‘रक्षा बन्धन’ कविता का मूल सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कविता में कवि ने देश के नवयुवकों को गुलामी की जंजीर तोड़ देने के लिए तथा सहर्ष बलिदान कर देने की प्रेरणा दी है। आजादी की लड़ाई में जाने से पूर्व भाई-बहन से कह रहा है कि उसे समर में जाना है, इसलिए वह उसे राखो बाँध दे आशीर्वाद दे कि वह भारत माता के चरणो पर आत्म-और बलिदान कर दे। जिस अन्यायी शासकों ने देश को वीरान तथा अनाथ बना दिया उनकी प्यास वुझाने के लिए देश के लाखो वीर नवयुवक विजय पथ पर जा रहे हैं।
बहन उसके मस्तक पर हांथ रख दे जिससे उसका मस्तक कभी झुुके नहीं। उन हत्यारों ने हमारे देश को तहस-नहस कर डाला। आज हमारे पास बहन को उपहार देने के लिए केवल मेरी आँखों के आँसू हैं, जिन्हें वह मणियों के समान बहुमूल्य समझती है। भाई प्रस्थान करने के पूर्व बहन के चरण छूकर उसके पवित्र स्नेह में झूमना चाहता है।
(ख) इस कविता के माध्यम से आप कैसे कह सकते हैं कि यह स्वतंत्रता के पूर्व लिखी गई थी? जिन पंक्तियों से यह स्पष्ट होता है, उन्हें लिखिए।
उत्तर :
इस कविता के पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह कविता स्वतंत्रता के पूर्व लिखी गई थी। निम्न पंक्तियों से यह स्पष्ट हो जाता है।
- यह पोंछ ले अश्रु गुलामी का यदि दु:ख मिटाना है।
- उस हत्यारे ने तेरा माथ।
(ग) भाई बहन को समर में जाने के पूर्व क्या-क्या कह रहा है?
उत्तर :
भाई समर में जाने के पूर्व बहन को कह रहा है कि वह उसे आशिष दे, उसके आँस पोंछ ले। अन्तिम बार राखी बाँधकर प्यार कर ले। मस्तक पर स्नेहपूर्वक अपना हाथ रख दे। अंग्रेज शासकों ने न जाने कितनी युवतियों की माँग का सिन्दूर पोंछ दिया। कितने भारतीय वीरों को समापन कर डाला। आश्रयहीन होने पर वह सर्वत्र लोगों को विजय पाने के लिए प्रेरित करे। अन्तिम बार वह बहन के चरण कमलों का स्पर्श करने के लिए कहता है।
(घ) हमारा देश कब और किस प्रकार अनाथ हो गया?
उत्तर :
हमारा देश जब पराधीन था, अत्यायारी अंग्रेज यहाँ के शासक थे, उस समय हमारा देश अनाथ हो गया। अन्यायी सरकार ने भारतीयों पर अनेक जुल्म किये। हमारे देश की सारी संपत्ति लूट कर अपने देश ले गए। देश को वीरान बना डाला। देश की आजादी के लिए आवाज उठाने वाले नवुयवकों को शूली पर चढ़ा दिए। न जाने कितनी युवतियों के सौभाग्य लुट गये। इस प्रकार देश अनाथ हो गया।
(ङ) निम्न पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए ।
प्रश्न 1.
अपना शीश कटा जननी की, जय का मार्ग बनाना है।
उत्तर :
इस पंक्ति में कवि का कथन है कि अन्यायी शासकों की प्यास बुझाने के लिए देश के लाखों वीर नवयुवक रण क्षेत्र के लिए प्रस्थान कर रहे हैं। सभी देशभक्त वीर पुरुष अपना मस्तक बलिदान कर भारत माता के विजय पथ को प्रशस्त बनाएँगे। अर्थांत् अपने को न्योछावर कर भारत को स्वाधीन बनाएँगे ।
प्रश्न 2.
बहन पोंछ ले अश्रु, गुलामी का यदि दुःख मिटाना है।
उत्तर :
भाई बहन से कह रहा है कि वह उसके आँसू पोंछ कर उसे निर्द्वन्द्व बना दे। जिससे वह निश्चिन्त होकर रणक्षेत्र में अपनी वीरता से देश को स्वाधीन बना सके। शासकों को परास्त कर ही पराधीनता के दुःखों से देश को हुटकारा दिलाया जा सकता है।
प्रश्न 3.
उठो बन्धुओं, विजय वथू को वरो तभी निद्रा लेना।
उत्तर :
कवि भारतीय वीर युवकों को प्रेरणा दे रहा है कि वे उठें, शक्तिशाली बनकर विजय प्राप्त करें, विजय रूपी दुल्हन का वरण करें। विजय हासिल कर लेने के बाद ही सुख की नींद सोऐं, जब तक विजय नहीं मिलती तब तक आराम से दूर रहें।
बोधमूलक प्रश्नोत्तर
(क) ‘रक्षा बन्धन’ कविता का मूल सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कविता में कवि ने देश के नवयुवकों को गुलामी की जंजीर तोड़ देने के लिए तथा सहर्ष बलिदान कर देने की प्रेरणा दी है। आजादी की लड़ाई में जाने से पूर्व भाई-बहन से कह रहा है कि उसे समर में जाना है, इसलिए वह उसे राखी बाँध दे आशीर्वाद दे कि वह भारत माता के वरणों पर आत्म-और बलिदान कर दे।
जिस अन्यायी शासकों ने देश को वीरान तथा अनाथ बना दिया उनकी प्यास बुझाने के लिए देश के लाखों वौर नवयुवक विजय पथ पर जा रहे हैं। बहन उसके मस्तक पर हाथं रख दे जिससे उसका मस्तक कभी युके नहीं। उन हत्यारों ने हमारे देश को तहस-नहस कर डाला। आज हमारे पास बहन को उपहार देने के लिए केवल मेरी आँखों के आँसू हैं, जिन्हें वह मणियों के समान बहुमूल्य समझती है। भाई प्रस्थान करने के पूर्व बहन के चरण छूकर उसके पवित्र स्नेह में झूमना चाहता है।
(ख) इस कविता के माध्यम से आप कैसे कह सकते हैं कि यह स्वतंत्रता के पूर्व लिखी गई थी? जिन पंक्तियों से यह स्पष्ट होता है, उन्हें लिखिए।
उत्तर :
इस कविता के पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह कविता स्वतंत्रता के पूर्व लिखी गई थी। निम्न पंक्तियों से यह स्पष्ट हो जाता है।
- यह पोंक ले अभ्रु गुलामी का यदि दु:ख मिटाना है।
- उस हत्यारे ने तेरा माथ।
(ग) भाई बहन को समर में जाने के पूर्व क्या-क्या कह रहा है?
उत्तर :
भाई समर में जाने के पूर्व बहन को कह रहा है कि वह उसे आशिष दे, उसके आँसू पोंछ ले। अन्तिम बार राखी बाँधकर प्यार कर ले। मस्तक पर स्नेहपूर्वक अपना हाथ रख दे। अंग्रेज शासकों ने न जाने कितनी युवतियों की माँग का सिन्दूर पोंछ दिया। कितने भारतीय वीरों को समापन कर डाला। आश्रयहीन होने पर वह सर्वत्र लोगों को विजय पाने के लिए प्रेरित करे। अन्तिम बार वह बहन के चरण कमलों का स्पर्श करने के लिए कहता है।
(घ) हमारा देश कब और किस प्रकार अनाथ हो गया?
उत्तर :
हमारा देश जब पराधीन था, अत्याचारी अंग्रेज यहाँ के शासक थे, उस समय हमारा देश अनाथ हो गया। अन्यायी सरकार ने भारतीयों पर अनेक जुल्म किये। हमारे देश की सारी संपत्ति लूट कर अपने देश ले गए। देश को वीरान बना डाला। देश की आजादी के लिए आवाज उठाने वाले नवुयवकों को शूली पर चढ़ा दिए। न जाने कितनी युवतियों के सौभाग्य लुट गये। इस प्रकार देश अनाध हो गया।
(ङ) निम्न पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए ।
प्रश्न 1.
अपना शीश कटा जननी की, जय का मार्ग बनाना है।
उत्तर :
इस पंक्ति में कवि का कथन है कि अन्यायी शासकों की प्यास बुझाने के लिए देश के लाखों वीर नवयुवक रण क्षेत्र के लिए प्रस्थान कर रहे हैं। सभी देशभक्त वीर पुरुष अपना मस्तक बलिदान कर भारत माता के विजय पथ को प्रशस्त बनाएँगे। अर्थात् अपने को न्योछावर कर भारत को स्वाधीन बनाएँगे ।
प्रश्न 2.
बहन पोंछ ले अश्रु, गुलामी का यदि दुःख मिटाना है।
उत्तर :
भाई बहन से कह रहा है कि वह उसके आँसू पोंछ कर उसे निर्द्वन्द्ध बना दे। जिससे वह निश्चिन्त होकर रणक्षेत्र में अपनी वीरता से देश को स्वाधीन बना सके। शासकों को परास्त कर ही पराधीनता के दु:खों से देश को छुटकारा दिलाया जा सकता है।
प्रश्न 3.
उठो बन्धुओं, विजय वधू को वरो तभी निद्रा लेना।
उत्तर :
कवि भारतीय वीर युवकों को प्रेरणा दे रहा है कि वे उठें, शक्तिशाली बनकर विजय प्राप्त करें, विजय रूपी दुल्हन का वरण करें । विजय हासिल कर लेने के बाद ही सुख की नींद सोएँ, जब तक विजय नहीं मिलती तब तक आराम से दूर रहें।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न :
‘रक्षा बंधन’ कविता के कवि ने देश के नवयुवकों को क्या शिक्षा दी है?
उत्तर :
खवतंत्रता के पूर्व लिखी गई प्रस्तुत कविता में कवि ने देश के नवयुवको को स्वतंत्रता के महत्व को बतलाकर उन्हें मातृभूमि की बलि वेदी पर अपने को समर्पित कर देने के लिए कहा है। घर, परिवार, भाई-बहन की ममता को छोड़कर स्वतंग्रता के युद्ध में जाने के लिए हर नवयुवक तैयार है। पराधीनता की पीड़ा को दूर करना है। भारत माता के वरणों में शीश चढ़ाने की शुभ बेला आ गई है। बहन की या परिवार की ममता इसमें बाधक न बने। प्यार के बंधन को तोड़कर ही इस महान लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। अत्याचारी अंग्रेज शासकों ने फाँसी देने की सारी तैयारी पूरी कर ली है।
पापी अंग्रेजों ने लाखों नारियों की मांगों के सिन्दूर पोछकर उन्हें विधवा बना दिया। अब नव-युवकों के विनाश के लिए वे तत्पर हैं। न जाने देश के कितने नर-नारियों के हैदयों को इन्होंने चकनाचूर कर दिया। इसलिए उन पापियों की प्यास बुझाने के लिए देश के लाखों वोर नवयुवक अपना बलिदान कर देने के लिए युद्ध भूमि में जाने के लिए उतावले है। लोगों में उत्साह है कि अपने बलिदान से वे निश्चय ही विजय प्राप्त कर भारत माता को पराधीनता के चंगुल से मुक्त कर लेंगे। शीश भले कट जाए पर कभी दुकेंगे नहीं। गर्व के साथ हमेशा मस्तक ऊँचा बना रहे। हत्यारे शासको ने हमारे देश को वीरान बना डाला। सारा देश अनाथ हो गया। लोगों के दर्द को सुनने वाला कोई न रहा।
नवयुवकों के बलिदान से आहत बहनो को भी कवि ने प्रेरित किया है। उन्हें दीन, भिखासि बन कर हर गली, कूचे में घूमघूम कर लोगों को जगाना है। नवयुवकों को आराम करना छोड़कर विजय के लिए आगे बढ़ना है। नवयुवक भाइयों के पास अपनी बहनों को उपहार देने के लिए केवल उनकी आँखों में आसू हैं। ये आँसू साधारण मूल्यहीन नहीं हैं।
बल्कि ये अमूल्य मगि रत के समान हैं। नवयुवक युद्ध के लिए प्रस्थान करने की शुभ घड़ी में बहन के चरणों को चूम लेना चाहता है। बहन के पवित्र स्वर्गीय स्नेह के शाश्वत् नशे में झूमते हुए वह स्वतंग्रता संग्राम में बलिदान करने को जाना चाहता है। इस प्रकार कवि ने देश के नवयुवकों को बतलाया है कि देश सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है और देश पर मर मिटना ही सबसे बड़ा बलिदान है।
भाषा-बोध
(क) इन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।
- भीषण-युद्ध में भीषण अस्त्रों का प्रयोग होता है ।
- क्रूर – क्रूर शासको ने देश पर जुल्म उहाया।
- विमल – विमल जल पीने लायक होता है।
- आँचल – वह आँचल फेला कर दया की भीख माँग रही थी।
(ख) शब्दों के अर्थ में अन्तर बतलाइए ।
- स्नेह (छोटो से) – बच्चों से स्नेह।
- प्यार – प्रेम-लोगों से प्रेम।
- अमूल्य – बेहद कीमती – कोहीनूर हीरा अमूल्य है।
- बहुमूल्य – कीमती – यह कपड़ा बहुमूल्य है।
- ऊंचा – उन्नत, ऊपर उठा हुआ।
- ऊँचाई – उठान, श्रेष्ठता।
- डाल – शाखा, तलवार का फल ।
- ढाल – आधात रोकने का एक साधन।
(ग) ‘अ’ और ‘उप’ उपसर्गों से शब्द बनाइए-
- अ – अमूल्य, अकर्म, अचल, अजर, अधर्म।
- उप – उपहार, उपकार, उपवन, उपकरण।
(ख) इन, ईय, हीन प्रत्ययों के योग से शब्द बनाइए।
- इन – भिखारिन, मालकिन, नातिन, पडोसिन।
- ईय – स्वर्गीय, जातीय, भारतीय, राष्ट्रीय।
- हीन- आश्रयहीन, जलहीन, शक्तिहीन।
WBBSE Class 7 Hindi रक्षा बंधन Summary
जीवनन परिचया
हरिकृष्ण प्रेमी का जन्म सन् 1909 ई० में ग्वालियर के गुना नामक स्थान में हुआ था। प्रेमी ने स्वाधीनता संग्राम में भी योगदान दिया। इन्हें कविता तथा नाटक के क्षेत्र में विशेष सफलता मिली। इनकी भाषा सहज, संयत तथा बोधगम्य है। गाँधी जी का इनपर विशेष प्रभाव था। इनकी प्रमुख रचनाएँ शिव साधना, रक्षा बंधन, प्रतिशोध, अनंत के पथ पर आदिहैं।
पद – 1
बहन बाँध दे रक्षा बंधन मुझे समर में जाना है,
अब के घन गर्जन में रण का भीषण छिड़ा तराना है ।
दे आशिष, जननी के चरणों में यह शीश चढ़ाना है,
बहन पोंछ ले अश्रु, गुलामी का यदि दु:ख मिटाना है ।।
अन्तिम बार बाँध ले राखी,
कर ले प्यार अखिरी बार ।
मुझको, जालिम ने फाँसी की,
डोरी कर रखी तैयार ।।
शब्दार्थ :
- समर – युद्ध तराना – गाना, विशेष प्रकार के गीत
- घन गर्जन – मेघ की गर्जना
- भीषण-भयंकर
- रण-युद्ध जालिम- दुष्ट, शत्रु, चालबाज
- आशिष – आशीर्वाद
- शीश – मस्तक
संदर्भ – प्रस्तुत अंश रक्षा बंधन कविता से उद्धृत है। इसके कवि हरिकृष्ण प्रेमी हैं।
प्रसंग – इस अंश में कवि ने स्वाधीनता संग्राम में जाने के लिए प्रस्तुत नवयुवक के मन की आत्म बलिदान की भावना का मार्मिक चित्रण किया है।
व्याख्या – स्वतंत्रता के पूर्व लिखी गई इस कविता में एक नवयुवक भाई अपनी बहन से कह रहा है कि बहन मेरी कलाई में तुम रक्षा सूत्र बाँध दो। बादलों की गर्जना में युद्ध का भयंकर गीत छिड़ा हुआ है। भारत माता के चरणों में हमें अपना मस्तक चढ़ा देना है । अत: मुझे आशीर्वाद दो और आँसू पोंछ लो। मुझे भारतवर्ष की पराधीनता की पीड़ा को दूर करना है। बलिदान के लिए भाई कह रहा है कि अन्तिम बार मुझे राखी बाँधकर प्यार कर लो, क्योंकि अन्यायी दुश्मनों ने मुझे शूली पर चढ़ाने के लिए फाँसी की रस्सी तैयार कर रखी है।
पद – 2
जिसने लाखों ललनाओं के पोंछ दिए सिर के सिंदूर,
गड़ा रहा कितनी कुटियाओं के दीपों पर आँखें कूर ।
वज्र गिराकर कितने कोमल हृद्य कर दिए चकनाचूर,
उस पापी की प्यास बुझाने, बहन जा रहे लाखों शूर ।।
अपना शीश कटा जननी की,
जय का मार्ग बनाना है।
बहन बाँध दे रक्षा बन्धन,
मुझे समर में जाना है ।।
शब्दार्थ :
- ललनाओं – युवतियों
- कुटिया – झोपड़ी
- क्रूर – निष्ठुर
- वज्र – इन्द्र का अस्त्र
- चकनाचूर – नष्ट, समाप्त कर देना
- शूर – वीर, योद्धा।
व्याख्या – प्रस्तुत अवतरण में कवि ने अंग्रेज शासकों के अत्याचारों और उनकी क्रूरता का चित्रण किया है। भाई अपनी बहन से कह रहा है कि अंग्रेज शासकों ने अनगिनत युवतियों के सिर का सिंदूर पोंछ दिया। उनके पति की हत्या कर उन्हें विधवा बना दिया। अनेक झोपड़ियों के दीपकों पर अपनी निष्ठुर आँखें गड़ा रखा है।
वज्रपात कर तथा भयंकर अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग कर न जाने कितने नव युवकों को खत्म कर दिया। पापी, अन्यायी शासकों की प्यास शान्त करने के लिए देश के लाखों वीर नवयुवक प्रस्थान कर रहे हैं। सभी वीर पुरुष अपना मस्तक अर्पण कर भारत माता के विजय पथ को प्रशस्त बनाएँगे। इसलिए बहन, मुझे राखी बाँध दो, मैं रण-क्षेत्र में जाने के लिए तैयार हूँ।.
पद – 3
बहन शीश पर मेरे रख दे, स्नेह सहित अपना शुभ हाथ,
कटने के पहले न झुके यह ऊँचा रहे गर्व के साथ ।
उस हत्यारे ने कर डाला अपना सारा देश अनाथ,
आश्रयहीन हुई यदि तो भी ऊँचा होगा मेरा माथ ।।
दीन भिखारिन बनकर तू भी,
गली-गली फेरी देना ।
उठो बंधुओं, विजयवधू को,
वरो, तभी निद्रा लेना ।।
शब्दार्थ :
- स्नेह – प्रेम आश्रयहीन – बेसहारा
- गर्व – स्वाभिमान
- अनाथ – बेसहारा
- वरो – चुनो फेरी देना – भ्रमण करना, घूमना
- दीन – गरीब
- विजयवधू – विजयरूपी दुल्हन
व्याख्या – भाई अपनी बहन से कह रहा है कि बहन तुम अपना शुभ हाथ प्रेमपूर्वक हमारे मस्तक पर रख दो। हमारा यह मस्तक कटने के पूर्व जालिमों के सामने न झुके। स्वाभिमान के साथ मस्तक सदा ऊँचा रहे। हत्यारें शासकों ने सारे देश को बेसहारा बना दिया। सभी अनाथ हो गए। हमारे बलिदान से यदि तुम बिना सहारे के हो गई तो भी तुम्हारा मस्तक सदा ऊँचा बना रहेगा। लाचार भिखारिन बनकर हर गली-मार्ग में जाकर, घूम-घूमकर लोगों को प्रेरणा देना कि बंधुओं उठो तैयार हो जाओ, जयरूपी दुल्हन का वरण करने के बाद नींद लेना, आराम करने की बात करना। विजय के बाद ही खुशियाँ मनाना।
पद – 4
आज सभी देते हैं अपनी बहनों को अमूल्य उपहार,
मेरे पास रखा ही क्या है, आँखों के आँसू दो चार ।
ला दो चार गिरा दूँ, आगे अपना आँचल विमल पसार,
तू कहती है – “ये मणियाँ हैं, इन पर न्योछावर संसार ।।
बहन बढ़ा दे चरण कमल मैं,
अंतिम बार उन्हें लूँ चूम ।
तेरे शुचि स्वर्गीय स्नेह के,
अमर नशे में लूँ अब झूम ।।
शब्दार्थ :
- अमूल्य-अनमोल, बहुमूल्य
- उपहार – भेंट पसारो – फैलाओ
- मणियाँ – रत्न न्योछावर – अर्पण
- शुचि – पवित्र, शुद्ध
- स्नेह-प्रेम
- अमर – जो कभी न मरे
- विमल – निर्मल, पवित्र
- स्वर्गीय – स्वर्ग संबंधी जिसमें दिव्य पवित्रता है।
- नशे – मद, गर्व, अभिमान
व्याख्या – भाई बहन से कहा रहा है कि इस रक्षा बंधन के पावन पर्व पर सभी भाई अपनी बहनों को मूल्यवान उपहार देते हैं। मेरे पास उपहार देने के लिए कुछ भी नहीं है, केवल मेरी आँखों में आँसू की बूँदे हैं। तुम अपना आँचल फैलाओ मैं उपहार के रूप में दो चार आँसुओं की बूँदें उस पर गिरा दूँ। तुम तो कहती हो कि ये आँसू रत्न के समान अमूल्य हैं, इन आँसुओं पर संसार समर्पित है। बहन तुम अपने कमल के समान कोमल चरणों को बढ़ा दो, मैं अन्तिम बार उन्हें चूम लूँ। तुम्हारे पवित्र, दिव्य प्रेम के शाश्वत् स्वभिमान में मैं मस्त हो जाऊँ।